Thursday, June 10, 2010

महिला छात्रावास --4

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महिला छात्रावास --4

गतांक से आगे ......................
विकी और असलम जान गये कि ये दोनो अभी सुपाड़े से ज्यादा नहीं झेल पायेंगी सो उन्होंने उनके जिस्मों से खेलते हुए धीरे धीरे सुपाड़ा अन्दर बाहर कर सुपाडे़ से ही धीरे धीरे चोदना शुरू किया। जहॉ विकी नाजनीन के लम्बे गठीले बदन पर छाया हुआ उसके दूध से सफेद बड़े बड़े लगंड़ा आमों जैसे उरोजों का स्वाद लेते हुए उभरे हुए संगमरमरी चूतड़ों चिकनी मोटी मोटी गोरी गुलाबी संगमरमरी लम्बी जांघों और पिण्डलियों को दबोचते सहलाते हुए सुपाड़े से चोद रहा था। वहीं असलम मोना के गोलमटोल मांसल पर गठीले गुलाबी बदन और की बड़े बड़े भारी चूतड़ों को दोनों हाथों में दबोच उसके गोरी गुलाबी बड़े बड़े खरबूजे जैसे उरोजों पर मुँह मारते हुए धीरे धीरे सुपाड़ा अन्दर बाहर कर रहा था। इसे किस्मत का नजारा ही कहेंगे कि इधर असलम और मोना लगे थे उधर असलम की अम्मा नज्मा खान की चूत को मोना के बापू ठाकुर वीरेन्द्र चौहान अपने चौहानी लण्ड से बजा रहे थे वे उछल उछल के चुदवा रही थी। इसी तरह विकी के पिता नाजनीन की अम्मा जाहिरा सुलेमान की चूत की धुनाई कर रहे थे।
दरअसल रमन ने अपने अपने होटल में ही दुल्हे और दुल्हनों के घरवालों के ठहरने का भी इन्तजाम किया था ताकि सुबह बिदाई की रस्म के बाद सबलोग इकट्ठे जा सकें और रात में वापस जा कर सुबह तुरन्त बिदाई की रस्म के लिए वापस आने की परेशानी से बच जायें। सो हुआ यो कि शादी की रस्मों के दौरान नवाब सुलेमान ने एक चिकना मुस्टण्डा लौंडा ढूंूढ लिया था जब शादी की रस्मों के बाद मेहमान जाने लगे तो नवाब सुलेमान भी अपनी बेगम जाहिरा से सर दर्द का बहाना कर और सुबहा जल्दी आने का वादाकर खिसक लिये। जाहिरा सुलेमान ने नजर दौड़ाई तो चिकना भी कहीं नजर नहीं आया तो वे समझ गई और मारे गुस्से के उन्होंने पान्डेयजी से बताया कि आज के दिन भी नवाब सुलेमान अपने नवाबी शौक से बाज नहीं आये। पान्डेयजी उन्हें सहानुभूतिपूर्वक (हमदर्दी से) समझाने लगे तो वे फफक फफक के रोने लगीं।
पान्डेयजी - आप अपने कमरे में जाके आराम करें मैं यहॉ सब सम्भाल लूँगा।

पान्डेयजी उन्हें उनके कमरे में ले गये। बाहों में भर के प्यार किया समझाया कि उनके (पान्डेयजी के) रहते उन्हें चिन्ता करने की जरूरत नहीं। फिर सबके जाने के बाद आने का वादा कर चले आये। कमरा बन्द कर चाभी खुद ले आना नहीं भूले। लोगों के पूछने पर बता दिया कि बेटी के बिदा होने का सोच के बेगम सुलेमान दुखी हैं। शादी ब्याह की रस्मो के बाद जैसे ही दूल्हे और दुल्हनें अपने कमरों में गये। मेहमान भी धीरे धीरे खिसक लिये। दुल्हों और दुल्हनों के घरवालों ने भी अपने कमरों का रास्ता लिया। रास्ता साफ देख पान्डेयजी जाहिरा बेगम का कमरा खोल अन्दर घुस गये। उसी तरह मौका देख ठाकुर वीरेन्द्र चौहान ने असलम की अम्मा नज्मा खान के कमरे का दरवाजा धकेला तो उम्मीद के मुताबिक खुला मिला वे भी चुपके से अन्दर घुस गये और दरवाजा अन्दर से बन्द कर लिया। चौहान साहब ने धीरे से रजाई में घुस के नज्मा खान के मखमली बदन की तरफ हाथ बढाया तो पाया कि वे चुदवाने के लिए पूरी तरह से तैयार सिर्फ* नाइटी में थी। बस फिर क्या था नज्मा खान ने अपने गुलाबी बदन और पावरोटी सी चूत को चौहानी लण्ड से जम के सिकवाया। जाहिरा बेगम इससे भी एक कदम आगे निकलीं। वो पाण्डेय जी का इन्तजार रजाई में पूरी नंगी हो कर कर रही थीं। जाहिरा सुलेमान ने पान्डेय जी के घोडे़ जैसे लन्ड की सवारी गॉठ खूब उछल उछल के अपना गुस्सा उतारा। चुदचुदा के थक के जब दोनो औरतें सो गयी तो पान्डेय जी और चौहान साहब अपने कमरों मे जाने के खयाल से चुपके से बाहर निकले पर हाय री किस्मत कि दोनों ने इसके लिए एक ही वक्त चुना सो दोनों एक दूसरे को उनकी माशुकाओं के कमरों से निकलते देख सकपकाये।
पान्डेय – यार चौहान देख बात अपने तक ही रखना मैं भी तेरी बात अपने तक ही रखूँगा।
चौहान –तू फिक्र नाकर पर यार तेरा माल बहुत जोरदार है।
पान्डेय –आ गया ना साले अपनी ठाकुरी औकात पे साले खूबसूरत औरत देखी और लगे लार टपकाने। वैसे दिल तो मेरा भी तेरी नज्मा खान के गुदाज गुलाबी बदन की आहें भरता है पर मैं ने कभी कहा तुझसे।
चौहान – अबे तो बहाने से क्यों कह रहा है तेरी दोस्ती पर ऐसी हजार नज्मा कुरबान। फिर अब तो तेरा दुगना हक है भूल गया अब तो हम दोस्त के साथ साथ रिश्तेदार भी हैं।
पान्डेय –ये बात है तो अपनी तरफ से भी हरी झन्डी। तू भी क्या याद करेगा कि क्या रिश्तेदार मिला है ।

बस फिर क्या था। पान्डेयजी नज्मा के कमरे में दबे पॉव गये। बिस्तर पर गहरी नींद में सोती नज़्मा के दाहिनी तरफ की जगह खाली देख सारे कपडे़ उतार के उसकी रजाई में हौले से समा गये और फिर धीरे से अपने बाई तरफ करवट ले गहरी नींद में सोती नज्मा खान के गुदाज गुलाबी बदन से सट गये उसकी नींद में खलल डाले बगैर। पान्डेयजी का लण्ड नज्मा खान के गुदाज गुलाबी बदन के स्पर्श से टन्ना रहा था। नज्मा बेगम ने सोते सोते उनकी तरफ करवट लेकर अपनी केले के तने जैसी जांघ उनकी जांघों के ऊपर चौहान समझकर चढा दी। नज्मा बेगम की जांघों के बीच में फासला बढ़ाने के लिए पान्डेयजी ने अपनी दायीं जॉघ उनकी दोनो जॉघों के बीच डाल दी अब उनका टन्नाया लन्ड काफी आसानी से नज्मा बेगम की केले के तने जैसी जांघों के बीच में उनकी पावरोटी सी चूत से आसानी से टकराने लगा।

पान्डेयजी धीरे धीरे अपने फौलादी लन्ड के सुपाडे से चूत के मुँह पर सहलाने लगे। खेली खाई चुदक्कड़ औरत का बदन सोते सोते भी यार की मर्जी समझता है सो चूत धीरे धीरे गीली होकर मुँह खोलने लगी। गहरी नींद में सोई नज्मा बेगम का जिस्म पान्डेयजी को चौहान समझकर अपनी सगंमरमरी बाहों मे कसने लगा । उनकी चूँचियॉं पान्डेयजी के मुँह के करीब आती जा रही थीं और निपल तो ठीक होठों के सामने होने से होठों से टकरा भी रहे थे। पान्डेयजी होले होले बारी बारी से दोनों निपलों को होठों में दबा सहलाने फिर चुभलाने लगे। ऐसे ही चूत के मुँह पर लन्ड का सुपाड़ा रगड़ते और निपलों को होठों में चुभलाते पुराने एक्सपर्ट पान्डेयजी ने थोड़ी ही देर में नज्मा बेगम का जिस्म चुदाई को लिए तैयार कर लिया। आदतन चुदक्कड़ नज्मा बेगम अब गहरी नीद से अधसोई हालत में आचुकी थीं और पान्डेयजी को चौहान समझकर मजे ले रही थी। जब पान्डेयजी ने महसूस किया कि चूत अपना मुँुह पूरा खोल कर बुरी तरह पनिया रही है तो उनसे रहा नहीं गया और कमर के धक्के से सुपाड़ा अन्दर डाल ही दिया। सुपाड़ा अन्दर जाते ही नज्मा की नींद एक झटके से खुल गयी मारे चुदास को उन्होंने एक धक्का भी पाण्डेयजी के लण्ड पर जड़ दिया पर दूसरे ही पल उन्हें ये महसूस हो गया कि उन्हें चोद रहा व्यक्ति चौहान नहीं है। उनके मुँह से उत्तेजना और घबराहट की मिली जुली आवाज निकली– कक्कौन है ?
पाण्डेयजी– जी मैं पाण्डेय।
नज्मा बेगम – आप कैसे चौ हा––––?
पाण्डेयजी– जी वो ऐसे कि हमने अपनी महबूबाओं की अदला बदली करली सो आपके चौहान साहब जाहिरा बेगम के कमरे में और मैं यहॉ।
नज्मा बेगम(हॉफ़ते हुए)– पर आप ये क्या––––कैसे ? बगैर हमारी इजाजत के।
पाण्डेयजी(बेहयाई से)– जी चोद रहा हूँ आप का बदन देखके रहा न गया। गल्ती हो गई आप को एतराज हो तो कहे तो निकाल लूँू ?
नज्मा बेगम(हॉफ़ते हुए)– मेरा पूरा जिस्म तो चूस चाट और मुँह मार मार के जूठा कर दिया। लण्ड भी तो डाल ही दिया न । अब बचा ही क्या है।
पाण्डेयजी–जी आधा बचा है वैसे वो चौहान अब तक मेरी जाहिरा बेगम को पूरा निगल गया होगा। ये तो मैं हूँ जो अभी तक आधा बचा रखा है।
नज्मा बेगम(धक्का मारते हुए)– अबे तो पूरा करता क्यों नहीं आधी चुदी और पूरी चुदी मे फर्क ही क्या है कहलाऊँगी तो मैं चुदी हुई ही न। मैं जानती हूँ चौहान और तुम साले दोनों पक्के हरामी हो।
पाण्डेयजी(धक्का मारते हुए)– ये बात भी ठीक है।
उधर चौहान साहब जब जाहिरा बेगम के कमरे में पहुँचे तो वो शायद कोई चुदाई का सपना देख रहीं थीं। उनकी रजाई उनके नंगे रेशमी सुर्ख हो रहे बदन से हट चुकी थी। वे दोनों केले के तने जैसी जॉघें फैलाये पावरोटी सी फूली चूत ऊपर को उठा बिस्तर पर कसमसाते हुए पैर रगड़ रही थी।साथ ही बडबड़ा भी रही थीं।
जाहिरा बेगम – आह विकी तेरा अंगारे जैसा सुपाड़ा ओह रगड़ और जोर जोर से मेरी चूत पर।
अपने नये नवेले दामाद का नाम सुनकर चौहान साहब सन्नाटे में आ गये फिर सिर झटककर उन्होंने अपना मौका ताड़ा झटपट कपड़े उतार चुपके से बिस्तर पर चढ़ जाहिरा बेगम की पावरोटी सी चूत के खुले मुँह पर धीरे से अपने फौलदी लन्ड का हथौड़े जैसा सुपाड़ा धरा जब वो नहीं जगीं तो धीरे धीरे रगड़ने लगे। जाहिरा बेगम के सपने में हकीकत का रंग आने लगा।
जाहिरा बेगम –आह विकी जल्दी से आजा मेरे जिस्म को तेरे होठों और जीभ की आदत सी पड़ती जा रही है।
चौहान का काम आसान होता जा रहा था।उन्होंने जाहिरा बेगम के बड़े बेल से भी बडे़ दूध से सफेद स्तन के ऊपर लगे काले जामुन से निपल पर डरते डरते होठ रखे। जब वो फिर नहीं जगीं तो बारी बारी से दोनों निपलों को होठों में दबा सहलाने फिर चुभलाने लगे। थोड़ी ही देर में जाहिरा बेगम ने चुदास से अपनी टॉगे पूरी तरह फैलादीं और चूत अपना मुँुह पूरा खोल कर नींद मे बड़बड़ाईं– अब डाल भी दे न।
चौहान ने महसूस किया कि चूत बुरी तरह पनिया रही है तो उन्होंने चुदासी औरत को और तड़पाना ठीक नहीं समझा और कमर के धक्के से एक ही झटके में पूरा फौलदी लन्ड अन्दर धॉस दिया। जाहिरा बेगम चीख पड़ी–उईइइइइइइ मॉ।
जाहिरा बेगम –अरे पाण्डेय ये क्या कौन ।
चौहान साहब – पाण्डेय नहीं चौहान।
जाहिरा बेगम – ये कैसे।
चौहान साहब –पाण्डेय ने कहा स्वाद बदलते है मैं दोस्ती मे इन्कार न कर सका।
जाहिरा बेगम – अच्छा तो हरामी हरामी मौसेरे भाई। वो हरामी नज्मा के पास और तू यहॉ तेरी लार तो मुझे देखकर टपकती ही रहती थी।
चौहान साहब –अजी आप को देख कर जब हमारे दामाद विकी की लार टपकती है मैं तो मैं क्या चीज हूँ । सपने में उसी से चुदवा रही थी ना, जब हुकुम करेंगी भेज दिया करूँगा।
जाहिरा बेगम – क्या बक रहे हो ।
चौहान साहब –जी आप सपने में विकी विकी बड़बडा़ रही थी। कमाल है बाप बेटे दोनो का ख्याल रखती है कुछ मेरा भी ख्याल कर लें।
जाहिरा बेगम(धक्का मारते हुए)– अबे तो हाथ पैर तो हिला या वो भी मुझसे ही करवायेगा।
चौहान साहब((धक्के से धक्के का जवाब देते हुए)– –अजी अभी लो।

उस रात असलम की अम्मा नज्मा खान ने अपनी चूत को मोना के बापू ठाकुर वीरेन्द्र चौहान के चौहानी लण्ड के अलावा विकी के पिता गजेन्द पान्डेय के गदह लन्ड से भी जम के चुदवाया और दूसरी तरफ नाजनीन की अम्मा जाहिरा सुलेमान ने अपनी चूत पान्डेयजी के के गदह लन्ड से फड़वाने के साथ साथ चौहान के चौहानी लण्ड से भी जम के सिकवाई।
अगले दिन सब अपनी अपनी चुदाई की यादें अपने दिल में लिए अपने अपने घर चले गये। कुछ ही दिनों बाद विकी और असलम इन्जिनियरिंग की पढ़ाई के लिए दूसरे शहर चले गये । इन यारों की यारी की आगे की दास्तान जानने के लि्ए पढ़े महिला छात्रावास --5



















आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
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