गहरी चाल पार्ट--9
"मुकुल,तुम यहा से ऑफीस चले जाओ,मैं 2 घंटे बाद वाहा पहुँच जाऊंगी.",कामिनी ने अपना बॅग उठाया & कोर्ट कॉंप्लेक्स मे बने अपने चेंबर से बाहर जाने लगी.
"ओके,मॅ'म."
जिस वक़्त कामिनी चेंबर से बाहर निकल रही थी,ठीक उसी वक़्त कोई उसमे दाखिल हो रहा था & वो उस इंसान से टकरा गयी,"ओह!आइ'म सॉरी.",वो षत्रुजीत सिंग था & उसने टकराने से लड़खड़ाई कामिनी को आगे बढ़ अपनी बाहो मे थाम लिया.उसकी बाई बाँह कामिनी की कमर को पकड़े थी,"ओह!आप हैं!"
कामिनी के बदन मे सिहरन दौड़ गयी क्यूकी शत्रुजीत ने अपना हाथ हटाते हुए उसकी कमर को हल्के से दबा दिया था,"कंग्रॅजुलेशन्स!"उसने कामिनी से हाथ मिलाया तो वो फिर बेचैन हो उठी.शत्रुजीत के च्छुने से उसका हाल तो बुरा हो जाता था मगर सच्ची बात ये थी की उसे भी इस एहसास का इंतेज़ार रहता था,"आपने हुमारे ग्रूप के लिए पहला केस जीता है."
"थॅंक्स.आप सिर्फ़ इसलिए यहा आए थे?",शत्रुजीत अभी भी उसका हाथ थामे था & अब उसे यकीन होने लगा था की उसे अपना लीगल आड्वाइज़र बनाना केवल 1 बिज़्नेस को ध्यान मे रख कर किया गया फ़ैसला नही था,शत्रुजीत भी ज़रूर उसके नज़दीक आना चाहता था वरना इतने बड़े ग्रूप का मालिक इतने मामूली से केस की जीत के लिए बधाई देने खुद क्यू आएगा-ये काम तो 1 फोन कॉल से भी हो सकता था.
"जी,हां.मैं सुभाष नगर की तरफ जा रहा था,कोर्ट रास्ते मे पड़ा तो सोचा की इसी बहाने आपको खुद बधाई दे दू."
"..और 1 बार फिर आपको इसी बहाने छु लू!",कामिनी मन ही मन मुस्कुराइ.उसे भी इस प्लेबाय के साथ इस खेल को खेलने मे मज़ा आने लगा था.शत्रुजीत के च्छुने से वो मदहोश हो जाती थी & उस वक़्त उसकी चूत मे जो मीठी कसक उठती थी,वैसा एहसास उसे अब तक ज़िंदगी मे नही हुआ था.
"अछा,अब मैं चलता हू.बाइ!",आख़िरकार उसने कामिनी का हाथ छ्चोड़ा & वाहा से चला गया.उसके जाने के बाद कामिनी भी करण से मिलने के लिए निकल पड़ी.
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"कामिनी,अगर बुरा ना मानो तो 1 बात पुच्छू?"
"हां-2,कारण",कामिनी ने काँटे से नूडल्स उठा कर अपने मुँह मे डाला.
"देखो,मुझे ग़लत मत समझना.मैं बस 1 दोस्त की हैसियत से पुच्छ रहा हू."
"करण!सवाल पुछो."
"कामिनी,तुम इतनी खूबसूरत हो.इतनी समझदार & अपने पेशे मे भी तुम्हे कामयाबी हासिल है,फिर तुमने अभी तक शादी क्यू नही की?"
कामिनी ने अपना काँटा नीचे रख दिया & 1 पल खामोश रही,"मैने शादी की थी,करण पर...मेरा डाइवोर्स हो गया."
"ओह...ई'एम सॉरी,कामिनी...शायद मैने ग़लत सवाल पुच्छ लिया.."
"कम ऑन,करण!इट'स ओके.तुमने खुद कहा ना की दोस्त के नाते पुच्छ रहे हो..तो दोस्तो को हक़ होता है बेझिझक सवाल पुच्छने का!",कामिनी ने चिकन के 1 टुकड़े को काँटे से अपने मुँह मे डाला,"अब तुम बताओ.तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नही है?",जवाब का कामिनी को धड़कते दिल से इंतेज़ार था.
करण के होंठो पे हल्की सी मुस्कान खेल गयी,शायद उसमे थोड़ी शरारत भी मिली थी,"फिलहाल तो नही."
"फिलहाल?"
"हां..1 लड़की तो है...1 दिन उस से पुच्हूंगा देखते हैं क्या कहती है!",उसका जवाब सुन कामिनी कुच्छ नही बोली बस खामोशी से खाना खाती रही मगर उसके दिल मे बड़ी उथल-पुथल मची हुई थी....करण किस लड़की के बारे मे बोल रहा था?...कही उसी के बारे मे तो नही?...कोई और भी तो हो सकती है..अब जो भी हो...अब तो करण ही से इस बारे मे पता चल सकता है...उसने अभी खामोश रहना ही बेहतर समझा 7 दूसरी बाते करने लगी.
खाना ख़त्म कर दोनो माल से बाहर निकल रहे थे.उनके करीब पहुँचते ही माल के अटमॅटिक स्लाइडिंग डोर्स अपनेआप खुल गये,"ओह्ह..!",दोनो बाहर तो आ गये थे पर कामिनी की सारी का लहराता आँचल बंद होते स्लाइडिंग डोर्स मे फँस गया था.कामिनी फँसे आँचल को पकड़ कर थोड़ा झुकती हुई सी पलटी & ऐसा करते ही उसका गोरा सपाट पेट & कसे ब्लाउस के गले से झँकता उसका बड़ा सा दूधिया क्लीवेज कारण की नज़रो के सामने आ गये.
करण की निगाहो ने थोड़ी देर तक उसके जवान जिस्म को निहारा,फिर वो दरवाज़े के पास गया.करीब जाते ही दरवाज़े खुले & आँचल छूट गया.करण ने उसे थामा & वापस कामिनी के पास आ उसे उसके कंधे पे डाल दिया.
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केयी साल पहले पंचमहल के बाहर 1 कपड़े की काफ़ी बड़ी मिल खुली थी.मिल खुली तो उसमे काम करने वाले कारीगर & बाकी लोग मिल के पास रहने की जगह तलाशने लगे.मज़दूरो ने तो मिल के पास की खाली सरकारी ज़मीन पे ही अपनी झोपडिया डाल ली.धीरे-2 कर के मिल के पास की सारी सरकारी ज़मीन पे ऐसे ही काई सारी इल्लीगल कॉलोनीस बस गयी.
वो मिल ज़्यादा दीनो तक चल नही पाई & बंद हो गयी पर वो कॉलोनीस जस की तस बनी रही.धीरे-2 शहर ने पाँव पसारे & वो मिल & कॉलोनीस जो कभी शहर के बाहर हुआ करती थी,आज शहर का हिस्सा थी.
शत्रुजीत ने सरकार को 1 प्रपोज़ल दिया जिसमे मिल & उसके पास की सारी कॉलोनीस को तोड़ कर शूपिंग माल,अपार्टमेंट्स & ऑफीस कॉंप्लेक्स बनाने का सुझाव था.सरकार को उस पूरे इलाक़े से ना कोई टॅक्स मिलता था ना कोई रेवेन्यू-उल्टे ये सब सरदर्द ही बनी हुई थी.शत्रुजीत ने सभी कॉलोनीस के लोगो को उनके घरो के एवज मे मोटा हर्ज़ाना & दूसरे घर देने की बात कही थी.प्रपोज़ल मंज़ूर हो गया & उसपे काम भी शुरू हो गया.धीरे-2 करके सभी कॉलोनीस के लोग भी उसकी बात मान गये.
इन्ही कॉलोनीस मे से 1 थी सुभाष नगर,यहा कुल 40 मकान थे जिनमे से सभी उसकी बात मान चुके थे सिवाय 1 के-नत्थू राम,"अब्दुल,ये नत्थू राम आदमी कैसा है?",शत्रुजीत ने कार की पिच्छली सीट पे बैठे खिड़की से बाहर झाँका.
"भाई,1 नंबर का शराबी & सनकी है.पता नही क्यू हमारी बात नही मान रहा.1 तो साले का घर कॉलोनी के बीचोबीच है...जब तक वो नही मानता वाहा का काम अटका रहेगा.",बाजुओ को कोहनियो तक मोडी हुई शर्ट,जीन्स & काले चश्मे मे अब्दुल पाशा किसी फिल्मस्टर जैसा खूबसूरत लग रहा था.
कार सुभाष नगर पहुँच गयी तो दोनो उतर कर नत्थू राम के घर पहुँचे & उसका दरवाज़ा खटखटाया.दरवाज़ा खुला & 1 50-55 साल का लगभग पूरा गंजा हो चुका आदमी-उसके कानो के उपर & पीछे की तरफ बस थोड़े से बाल थे- 1 बनियान & मैला सा पाजामा पहने बाहर आया,"नमस्कार,मैं शत्रुजीत सिंग हू."
"मुझे आपसे कोई बात नही करनी.इन साहब को मैने पहले ही अपना फ़ैसला सुना दिया है.",थयोरिया चढ़ाए उसने पाशा की ओर इशारा किया.
"नत्थू राम जी!1 बार मुझे भी तो बताइए की आख़िर क्या बात है?आप क्यू नही बेचना चाहते अपना घर?आख़िर आपके सारे पड़ोसी भी तो अपने-2 घर बेच रहे हैं."
"कोई कुच्छ भी करे,मैं तो यही रहूँगा.इस जगह से मेरी बहुत सारी यादे जुड़ी हैं...अब मुझे और परेशान नही कीजिए.जाइए.",उसने शत्रुजीत & पशा के मुँह पे दरवाज़ा बंद कर दिया.दोनो ने 1 दूसरे की ओर देखा & फिर कार मे बैठ गये,"क्या करोगे भाई?"
"कुच्छ सोचता हू,बेटा.",शत्रुजीत खिड़की से बाहर देख रहा था.
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देर शाम कामिनी क्लब पहुँची.रिक्रियेशन रूम मे उसे उसकी पहचान वाले 1-2 लोग मिल गये,थोड़ी देर तक उनसे बाते करने के बाद वो छत पे आ गयी.वाहा की ठंडी हवा ने उसे तरोताज़ा कर दिया.वेटर को बुला उसने खाने का ऑर्डर दिया & उसके खाना लाने पर वही बैठ कर खाना खाया.
खाना ख़त्म करने के बाद हाथ मे पानी का ग्लास लिए वो छत पे टहलने लगी उसके कानो मे म्यूज़िक की हल्की आवाज़ सुनाई दी.आवाज़ पीछे की तरफ से आ रही थी जिधर स्विम्मिंग पूल था.वो उधर की रेलिंग की तरफ बढ़ गयी & नीचे देखने लगी,"ये नीचे क्या हो रहा है?,पास से गुज़रते 1 वेटर को उसने अपना खाली ग्लास थमाया.
"किसी मेंबर ने अपने गेस्ट्स के लिए पूल पार्टी दी है,मॅ'म.",नीचे पूल के पास कोई 40-45 लोग स्विमवेर पहने इकट्ठे थे-कोई पूल मे तेर रहा था तो कोई उसके किनारे बैठा पार्टी का लुत्फ़ उठा रहा था.
तभी उसने केवल 1 बर्म्यूडा शॉर्ट्स पहने 1 मर्द को 1 बिकिनी ब्रा & सरॉंग पहने 1 लड़की का हाथ पकड़े पार्टी से थोड़ा अलग जाते देखा,उसे वो मर्द कुच्छ जाना-पहचाना लगा...अरे!ये तो शत्रुजीत था!
कामिनी ने पहली बार उसका नंगा सीना देखा.यू तो उपर से इतनी ठीक तरह से दिखाई नही दे रहा था पर फिर भी कामिनी को उसके गथिले,कसरती बदन का अंदाज़ा तो हो ही गया.....अफ...कितने घने बॉल थे उसके सीने पे..& बाहो के मज़बूत बाइसेप्स कैसे चमक रहे थे!
पूल से थोडा हट के कुच्छ बड़े-2 पौधे लगे हुए थे,शत्रुजीत उस लड़की को उन्ही के पीछे ले गया.ऐसा करने से वो दोनो पार्टी मे शरीक लोगो की नज़रो से तो छिप गये थे पर छत पे खड़ी कामिनी को सब सॉफ-2 दिख रहा था.
शत्रुजीत लड़की के हाथो को पकड़ कर बार-2 उस से कुच्छ कह रहा था पर लड़की मानो हंस के मना कर रही थी.अचानक शत्रुजीत ने लड़की को खींच कर अपनी बाहो मे भर लिया & चूमने लगा.थोड़ी देर चूमने के बाद लड़की ने हंसते हुए शत्रुजीत को परे धकेल दिया.शत्रुजीत ने उसकी ना सुनते हुए उसे फिर से अपने सीने से लगा लिया & इस बार अपने बड़े-2 हाथो से उसकी नाज़ुक सी गंद को सरोन्ग मे हाथ घुसा कर उसकी बिकिनी की पॅंटी के उपर से ही मसल्ते हुए उसकी गर्दन चूमने लगा,लड़की अभी भी हंस रही थी.
ये सब देख कर कामिनी के बदन मे भी मस्ती की लहर दौड़ गयी & उसका 1 हाथ उसकी जीन्स के उपर से ही अपनी चूत सहलाने लगा,"ऊओवव...!",लड़की की हँसी के साथ मिली-जुली चीख की मद्धम आवाज़ उसके कानो मे पड़ी,शत्रुजीत ने उसकी गर्दन चूमते हुए 1 हाथ उसकी गंद से हटा उसकी बिकिनी ब्रा को खींच उसकी 1 छाती बाहर निकाल ली थी & उसे अपने मुँह मे भर लिया था.लड़की थोड़ी देर तक तो अपनी चूची चुस्वाति रही,फिर उसे परे धकेल दिया.
इस बार शत्रुजीत ने उसे फिर से अपनी बाहो मे क़ैद करने की कोशिश की तो लड़की ने उसका हाथ पकड़ के उसके कान मे ना जाने क्या कहा.फिर दोनो 1 दूसरे की कमर मे हाथ डाले वापस पार्टी मे चले गये.कामिनी ने भी अपनी चूत से हाथ हटाया & आस-पास देखा-कोई भी उसकी तरफ नही देख रहा था.वो छत से उतरी & अपनी कार मे बैठ अपने घर को रवाना हो गयी.
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रात कामिनी अपने बिस्तर पे नंगी लेटी थी,उसका हाथ उसकी चूत को हौले-2 सहला रहा था.उसने आज पहली बार प्लेबाय शत्रुजीत सिंग को देखा था.उस लड़की के साथ की गयी शत्रुजीत की कामुक हर्कतो ने कामिनी को बहुत गरम कर दिया था.साथ ही उसे उस लड़की से थोड़ी जलन भी हो रही थी.उसकी जगह अगर वो होती तो!...& शत्रुजीत उसकी छाती को मुँह मे भर कर चूस रहा होता तो...!
उसका दूसरा हाथ उसकी चूचियो को दबाने लगा.उसने बेचैनी से करवट बदली तो उसे सवेरे जॉगिंग वाली बात याद आ गयी..करण कैसे उसकी जंघे सॉफ कर रहा था& उसकी साँसे कैसे उसकी प्यासी चूत को तडपा रही थी....& फिर माल के बाहर उसकी निगाहे कैसे उसके पेट & सीने से चिपक सी गयी थी...काश वो इस वक़्त यहा होता & उसकी प्यासी चूत को चाटते हुए अपने मज़बूत हाथो से उसकी चूचिया मसल रहा होता,"आहह...",इस ख़याल से ही कामिनी की आह निकल गयी & वो तेज़ी से हाथ चला अपनी बदन की गर्मी को ठंडा करने लगी.
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दूसरे दिन करण ने कामिनी को रात का खाना साथ खाने को कहा.कामिनी फ़ौरन मान गयी...उसे अब यकीन हो चला था की उस दिन लंच पे कारण उसी के बारे मे कह रहा था.कितने दीनो बाद कामिनी 1 ढंग की डेट पे जा रही थी & वो आज करण को रिझाने मे कोई कसर नही छ्चोड़ना चाहती थी.करीब आने के लिए पहल तो करण को ही करनी थी लेकिन अगर वो कातिलाना अंदाज़ मे तैय्यार होकर इसमे उसकी मदद करे,तो इसमे हर्ज़ ही क्या था!
वो लंच टाइम मे नरकेट गयी & काफ़ी देर ढूँढने के बाद 1 बुटीक मे उसे 1 काले रंग की घुटनो तक की स्ट्रेप्लेस्स ड्रेस पसंद आई.शाम को नहा कर जब उसने उस ड्रेस को पहन कर खुद को आईने मे देखा तो उसे अपने उपर थोडा गुरूर हो आया.काले रंग की ड्रेस मे उसका गोरा रंग और भी खिल उठा था.कसी हुई ड्रेस मे उसके बदन के कटाव & भी कातिलाना अंदाज़ मे उभर आए थे.उसने बालो को ड्रेस के मुताबिक 1 खास अंदाज़ मे बाँधा & निकल पड़ी करण से मिलने के लिए.
"हाई!यू'आर लुकिंग गॉर्जियस.",करण ने सर से पाँव तक उसे निहारा.ऊँची हाइ हील सॅंडल्ज़ मे उसके नाज़ुक पाँव & गोरी,सुडोल टांगे बड़ी मस्त लग रही थी.स्टरप्लीस ड्रेस की वजह से उसकी भारी बाहे,उपरी पीठ & चूचियो से उपर का हिस्सा रेस्टोरेंट की रोशनी मे चमक रहे थे.
हाइ हील्स के कारण चलते वक़्त उसकी कमर कुच्छ ज़्यादा ही मटक रही थी.शायद उसकी नशीली चल देख कर ही करण के दिल मे 1 ख़यला आया,"कामिनी,चलो पहले डॅन्स करते हैं."
उसके जवाब का इंतेज़ार किए बगैर ही वो उसे डॅन्स फ्लोर पे ले गया.बड़े दिन बाद कामिनी ऐसे नाच रही थी.तभी म्यूज़िक बदला & काफ़ी धीमी सी रोमॅंटिक धुन बजने लगी,बत्तिया भी मद्धम हो गयी.कारण ने अपने बाए हाथ मे उसका डाय हाथ पकड़ा & दाए मे उसकी पतली कमर,कामिनी ने भी अपना बाया हाथ उसके कंधे पे रख दिया & दोनो खामोशी से थिरकने लगे.
कामिनी को अपनी कमर पे कारण के हाथ का दबाव थोड़ा बढ़ता हुआ महसूस हुआ तो वो उसके थोड़ा और करीब खिसक आई. करण बस लगातार उसे देखे जा रहा था.शर्म के मारे कामिनी उस से नज़रे नही मिला पा रही थी.कारण उस से कद मे लंबा था & ना केवल वो अपनी बाहो मे थिरक रही उस खूबसूरत लड़की के चेहरे को निहार रहा था बल्कि बीच-2 मे उसकी निगाहे नीचे उसके सीने से भी टकरा रही थी.
थोड़ी देर बाद म्यूज़िक बदन हुआ तो दोनो जैसे सपने से बाहर आए & अपनी टेबल पे बैठ खाने का ऑर्डर दिया.खाने के बाद दोनो करण की कार मे वाहा से घर के लिए निकले.आज उसने कामिनी को उसके घर से ही पिक कर लिया था.
कुच्छ देर बाद कार 1 अपार्टमेंट बिल्डिंग के बाहर पहुँची,"मैं यही रहता हू,कामिनी.अगर तुम्हे ऐतराज़ ना हो तो 1-1 कप कॉफी हो जाए?इसी बहाने तुम्हे अपना ग़रीबखना भी दिखा दूँगा."
क्या करण बस 1 कोफ़फे के लिए कह रहा था...और कोई इरादा नही था उसका?...अगर था भी तो उसे इसी का इंतेज़ार नही था?...तो फिर अब क्यू घबराहट हो रही है उसे?...काब्से वो 1 मर्द के साथ के लिए तरस रही थी & आज जब मौका आया है तो वो 1 कुँवारी लड़की की तरह झिझक रही है!...और फिर करण जैसा सजीले & सुलझे हुए इंसान से अच्छा शख्स & कौन मिल सकता था उसे,"..ओके.करण.चलो."
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"ये है मेरा छ्होटा-सा घर,कामिनी.",बिल्डिंग के दसवे माले के फ्लॅट के अंदर दोनो ने कदम रखा..ड्रॉयिंग-कम-डाइनिंग हॉल बड़े अच्छे अंदाज़ मे सज़ा हुआ था.हर चीज़ काफ़ी कीमती थी पर कही से भी दौलत के दिखावे की झलक नही थी.
"आओ तुम्हे मेरे घर का सबसे पसंदीदा हिस्सा दिखाता हू..",दोनो 1 कमरे मे दाखिल हुए जहा करण ने 1 हल्की रोशनी वाला लॅंप जला दिया,"..ये मेरा बेडरूम है.",करण कमरे के दूसरे छ्होर पे 1 शीशे का दरवाज़ा खोल रहा था,"आओ."कामिनी उसके पीछे-2 दरवाज़े के बाहर बाल्कनी मे चली गयी.
"वाउ!",सामने का नज़ारा देख कर उसके मुँह से बेसखता तारीफ निकल गयी.करण की 15 मंज़िला अपार्टमेंट बिल्डिंग पंचमहल के उस इलाक़े की शायद सबसे ऊँची इमारत थी.पास ही पंचमहल डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन ने सैलानियो & लोगो की तफरीह के लिए 1 बहुत बड़ा बाग बनाया था जिसके बीच मे 1 आर्टिफिशियल झील थी,जिसमे लोग बोटिंग करते थे.आज पूनम की रात थी & पूरे चाँद की सफेद रोशनी मे नीचे बाग & झील बड़े खूबसूरत लग रहे थे.इस वतक़ बह बिल्कुल खाली था & ऐसा लग रहा था मानो उपरवाले ने बस उन्ही दोनो के लिए ये नज़ारा पहा किया हो & उपर से चाँद की शक्ल मे उनपे मुस्कुरा रहा हो.
"कितना खूबसूरत नज़ारा है,करण!..& आसमान मे चाँद भी कितना सुंदर दिख रहा है!"
"आज तक मैं भी यही सोचता था पर अभी-2 एहसास हुआ की मैं कितना ग़लता था.",कामिनी ने सवालीयो नज़रो से उसे देखा.
"इस चाँद,इस नज़ारे से भी खूबसूरत कुच्छ है."
"क्या?"
"तुम",हया से कामिनी के गाल सुर्ख हो गये & उसने करण से नज़रे फेर ली & झील की ओर देखने लगी.उसका दिल बड़े ज़ोरो से धड़क रहा था.शहर की कामयाब,मशहूर क्रिमिनल लॉयर कामिनी शरण इस वक़्त किसी स्कूल की लड़की की तरह घबरा रही थी.
करण ने हाथ बढ़ा के उसके बँधे बॉल खोल दिए तो वो कमर तक लहरा गये,"..ये देखो..ये भी तो काली रात से घिरा चाँद है..",उसने उसकी ठुड्डी के नीचे अपना हाथ रखा तो शर्म के बोझ से कामिनी की आँखे बंद हो गयी,"..पर वो आसमान का चाँद तो इस चाँद के आगे कही भी नही ठहरता!"
करण उसके करीब आ उसके उपर झुक गया था.अपने चेहरे पे उसकी गरम साँसे महसूस करते ही कामिनी ने अपनी पलके खोली तो देखा की करण के के होठ उसके होंठो पे झुक रहे हैं & जैसे ही करण के नर्म होंठ उसके गुलाबी होंठो से टकराए उसकी आँखे फिर बंद हो गयी & बदन मे रोमांच की लहर दौड़ गयी.
काफ़ी देर तक करण वैसे ही उसकी ठुड्डी थामे उसके लबो को चूमता रहा & वो भी वैसे ही खड़ी उस लम्हे का लुत्फ़ उठाती रही.दोनो के जिस्मो की बेताबी बढ़ रही थी.करण ने हाथ उसकी नंगी उपरी पीठ के गिर्द डाल उसे बाहो मे भरा तो कामिनी ने भी अपनी बाहे उसकी कमर मे डाल दी.
उसके होंठ चूमते हुए करण ने उनपे अपनी जीभ से दस्तक दी तो कामिनी ने अपने लब खोल उसे अंदर आने का न्योता दिया & जैसे ही करण की जीभ अंदर आई,कामिनी ने अपनी जीभ उस से लड़ा दी.दोनो की बाहे 1 दूसरे पे और मज़बूती से कस गयी & दोनो 1 दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे.कभी करण उसके मुँह मे अपनी जीभ डालता तो कभी वो करण के.
चूमते हुए करण उसे वापस बेडरूम मे ले आया.अब उसने अपने हाथ कामिनी की पतली कमर मे डाल दिए & कामिनी ने अपनी बाहे उसके गले मे.करण के हाथ उसके पूरे जिस्म पे फिसला रहे थे & उसकी ड्रेस के ज़िप को ढूंड रहे थे.कामिनी को उसकी ये पशोपेश समझ मे आ रही थी पर उसने अपने प्रेमी को छेड़ने की गरज से उसकी कोई मदद नही की. दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा इस पार्ट को यही ख़तम करता हूँ आगे की कहानी जानने के लिए पार्ट १० पढ़ना ना भूले
क्रमशः........................
GEHRI CHAAL paart--9
"Mukul,tum yaha se office chale jao,main 2 ghante baad vaha pahunch jaoongi.",Kamini ne apna bag uthaya & court complex me bane apne chamber se bahar jane lagi.
"ok,ma'am."
jis waqt kamini chamber se bahar nikal rahi thi,thik usi waqt koi usme dakhil ho raha tha & vo us insan se takra gayi,"oh!i'm sorry.",vo Shatrujeet Singh tha & usne takrane se ladkhadayi kamini ko aage badh apni baaho me tham liyaa.uski baayi banh kamini ki kamar kp pakde thi,"oh!aap hain!"
kamini ke badan me sihran daud gayi kyuki shatrujeet ne apna hath hatate hue uski kamar ko halke se daba diya tha,"congratulations!"usne kamini se hath milaya to vo fir bechain ho uthi.shatrujeet ke chhune se uska haal to bura ho jata tha magar sachchi baat ye thi ki use bhi is ehsas ka intezar rehta tha,"aapne humare group ke liye pehla case jeeta hai."
"thanks.aap sirf isliye yaha aaye the?",shatrujeet abhi bhi uska hath thame tha & ab use yakeen hone laga tha ki use apna legal advisor banana kewal 1 business ko dhyan me rakh kar kiya gaya faisla nahi tha,shatrujeet bhi zaroor uske nazdeek aana chahta tha varna itne bade group ka malik itne mamooli se case ki jeet ke liye badhai dene khud kyu aayega-ye kaam to 1 phone call se bhi ho sakta tha.
"ji,haan.main Subhash Nagar ki taraf ja raha tha,court raste me pada to socha ki isi bahane aapko khud badhai de du."
"..aur 1 bar fir aapko isi bahane chhu lu!",kamini man hi man muskurayi.use bhi is playboy ke sath is khel ko khelne me maza aane laga tha.shatrujeet ke chhune se vo madhosh ho jati thi & us waqt uski chut me jo meethi kasak uthati thi,vaisa ehsas use ab tak zindagi me nahi hua tha.
"acha,ab main chalta hu.bye!",aakhirkar usne kamini ka hath chhoda & vaha se chala gaya.uske jane ke baad kamini bhi karan se milne ke liye nikal padi.
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"kamini,agar bura na mano to 1 baat puchhu?"
"haan-2,karan",kamini ne kante se noodles utha kar apne munh me dala.
"dekho,mujhe galat mat samajhna.main bas 1 dost ki haisiyat se puchh raha hu."
"karan!sawal puchho."
"kamini,tum itni khubsurat ho.itni samajhdar & apne peshe me bhi tumhe kamyabi hasil hai,fir tumne abhi tak shadi kyu nahi ki?"
kamini ne apna kanta neeche rakh diya & 1 pal khamosh rahi,"maine shadi ki thi,karan par...mera divorce ho gaya."
"oh...i'm sorry,kamini...shayad maine galat sawal puchh liya.."
"come on,karan!it's ok.tumne khud kaha na ki dost ke nate puchh rahe ho..to dosto ko haq hota hai bejhijhak sawal puchhne ka!",kamini ne chicken ke 1 tukde ko kante se apne munh me dala,"ab tum batao.tumhari koi girlfriend nahi hai?",jawab ka kamini ko dhadakte dil se intezar tha.
karan ke hotho pe halki si muskan khel gayi,shayad usme thodi shararat bhi mili thi,"filhal to nahi."
"filhal?"
"haan..1 ladki to hai...1 din us se puchhunga dekhte hain kya kehti hai!",uska jawab sun kamini kuchh nahi boli bas khamoshi se khana khati rahi magar uske dil me badi uthal-puthal machi hui thi....karan kis ladki ke bare me bol raha tha?...kahi usi ke bare me to nahi?...koi aur bhi to ho sakti hai..ab jo bhi ho...ab to karan hi se is bare me pata chal sakta hai...usne abhi khamosh rehna hi behtar samjha 7 dusri baate karne lagi.
khana khatm kar dono mall se bahar nikal rahe the.unke kareeb pahunchte hi mall ke uatomatic sliding doors apneaap khul gaye,"ohh..!",dono bahar to a gaye the par kamini ki sari ka lehrata aanchal band hote sliding doors me phans gaya tha.kamini phanse aanchal ko pakad kar thoda jhukti hui si palti & isa karte hi uska gora sapat pet & kase blouse ke gale se jhankta uska bada sa doodhiya cleavage karan ki nazro ke samne aa gaye.
karan ki nigaho ne thodi der tak uske jawan jism ko nihara,fir vo darwaze ke paas gaya.kareeb jate hi darvaze khule & aanchal chhut gaya.karan ne use thama & vapas kamini ke paas aa use uske kandhe pe dal diya.
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kayi saal pehle Panchmahal ke bahar 1 kapde ki kafi badi mill khuli thi.mill khuli to usme kaam karne vale karigar & baki log mill ke paas rehne ki jagah talashne lage.mazdooro ne to mill ke paas ki khali sarkari zamin pe hi apni jhopdiya dal li.dhhere-2 kar ke mill ke paas ki sari sarkari zamin pe aise hi kayi sari illegal colonies bas gayi.
vo mill zyada dino tak chal nahi payi & band ho gayi par vo colonies jas ki tas bani rahi.dheere-2 shahar ne paanv pasare & vo mill & colonies jo kabhi shahar ke bahar hua karti thi,aaj shahar ka hissa thi.
shatrujeet ne sarkar ko 1 proposal diya jisme mill & uske paas ki sari colonies ko tod kar shooping mall,apartments & office complex banane ka sujhav tha.sarkar ko us pure ilake se na koi tax milta tha na koi revenue-ulte ye sab sardard hi bani hui thi.shatrujeet ne sabhi colonies ke logo ko unke gharo ke aivaz me mota harzana & dusre ghar dene ki baat kahi thi.proposal manzoor ho gaya & uspe kaam bhi shuru ho gaya.dheere-2 karke sabhi colonies ke log bhi uski baat maan gaye.
inhi colonies me se 1 thi subhash nagar,yaha kul 40 makan the jinme se sabhi uski baat maan chuke the siway 1 ke-Natthu Ram,"Abdul,ye natthu ram aadmi kaisa hai?",shatrujeet ne car ki pichhli seat pe baithe khidki se bahar jhanka.
"bhai,1 number ka sharabi & sanki hai.pata nahi kyu humari baat nahi maan raha.1 to sale ka ghar colony ke beechobeech hai...jab tak vo nahi manta vaha ka kaam atka rahega.",bazuo ko kohniyo tak modi hui shirt,jeans & kale chashme me Abdul Pasha kisi filmstar jaisa khubsurat lag raha tha.
car subhash nagar pahunch gayi to dono utar kar natthu ram ke ghar pahunche & uska darvaza khatkhataya.darvaza khula & 1 50-55 saal ka lagbhag pura ganja ho chuka aadmi-uske kano ke upar & peechhe ki taraf bas thode se baal the- 1 baniyan & maila sa pajama pehne bahar aaya,"namaskar,main shatrujeet singh hu."
"mujhe aapse koi baat nahi karni.in sahab ko maine pehle hi apna faisala suna diya hai.",tyoriya chadhaye usne pasha ki or ishara kiya.
"natthu ram ji!1 bar mujhe bhi to bataiye ki aakhir kya baat hai?aap kyu nahi bechna chate apna ghar?aakhir aapke sare padosi bhi to apne-2 ghar bech rahe hain."
"koi kuchh bhi kare,main to yahi rahunga.is jagah se meri bahut sari yaade judi hain...ab mujhe aur pareshan nahi kijiye.jaiye.",usne shatrujeet & pasha ke munh pe darvaza band kar diya.dono ne 1 dusre ki or dekha & fir car me baith gaye,"kya karoge bhai?"
"kuchh sochta hu,beta.",shatrujeet khidki se bahar dekh raha tha.
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der sham kamini club pahunchi.recreation room me use uski pehchan wale 1-2 log mil gaye,thodi der tak unse baate karne ke baad vo chhat pe aa gayi.vaha ki thandi hawa ne use tarotaza kar diya.waiter ko bula usne khane ka order diya & uske khana lane par vahi baith kar khana khaya.
khana khatm karne ke bad hath me pani ka glass liye vo chhat pe tehalne lagi ot uske kano me music ki halki aavaz sunai di.avaz peechhe ki taraf se aa rahi thi jidhar swimming pool tha.vo udhar ki railing ki taraf badh gayi & neeche dekhne lagi,"ye neeche kya ho raha hai?,paas se guzarte 1 waiter ko usne apna khali glass thamaya.
"kisi member ne apne guests ke liye pool party di hai,ma'am.",neeche pool ke paas koi 40-45 log swimwear pehne ikatthe the-koi pool me tair raha tha to koi uske kinare baitha party ka lutf utha raha tha.
tabhi usne kewal 1 bermuda shorts pehne 1 mard ko 1 bikini bra & sarong pehne 1 ldki ka hath pakde party se thoda alag jate dekha,use vo mard kuchh jana-pehchana laga...are!ye to shatrujeet tha!
kamini ne pehli bar uska nanga seena dekha.yu to upar se itni thik tarah se dikhayi nahi de raha tha par fir bhi kamini ko uske gathile,kasrati badan ka andaza to ho hi gaya.....uff...kitne ghane baal the uske seene pe..& baaho ke mazbut biceps kaise chamak rahe the!
pool se thoda hat ke kuchh bade-2 paudhe lage hue the,shatrujeet us ladki ko unhi ke peechhe le gaya.aias karne se vo dono party me sharik logo ki nazro se to chhip gaye the par chhat pe khadi kamini ko sab saaf-2 dikh raha tha.
shatrujeet ladki ke hatho ko pakad kar bar-2 us se kuchh keh raha tha par ladki mano hans ke mana kar rahi thi.achanak shatrujeet ne ladki ko khinch kar apni baaho me bhar liya & chumne laga.thodi der chumne ke bad ladki ne hanste hue shatrujeet ko pare dhakel diya.shatrujeet ne uski na sunte hue use fir se apne seene se laga liya & is bar apne bade-2 haatho se uski nazuk si gand ko sarong me hath ghusa kar uski bikini ki panty ke upar se hi masalte hue uski gardan chumne laga,ladki abhi bhi hans rahi thi.
ye sab dekh kar kamini ke badan me bhi masti ki lehar daud gayi & uska 1 hath uski jeans ke upar se hi apni chut sehlane laga,"oooww...!",ladki ki hansi ke sath mili-juli chikh ki maddham aavaz uske kano me padi,shatrujeet ne uski gardan chumte hue 1 hath uski gand se hata uski bikini brako khinch uski 1 chhati bahar nikal li thi & use apne munh me bhar liya tha.ladki thodi der tak to apni choochi chuswati rahi,fir use pare dhakel diya.
is bar shatrujeet ne use fir se apni baaho me qaid karne ki koshish ki to ladki ne uska hath pakad ke uske kaan me na jane kya kaha.fir dono 1 dusre ki kamar me hath dale vapas party me chale gaye.kamini ne bhi apni chut se hath hataya & aas-paas dekha-koi bhi uski taraf nahi dekh raha tha.vo chhat se utari & apni car me baith apne ghar ko ravana ho gayi.
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raat kamini apne bistar pe nangi leti thi,uska hath uski chut ko haule-2 sehla raha tha.usne aaj pehli bar playboy shatrujeet singh ko dekha tha.us ladki ke sath ki gayi shatrujeet ki kamuk harkato ne kamini ko bahut garam kar diya tha.sath hi use us ladki se thodi jalan bhi ho rahi thi.uski jagah agar vo hoti to!...& shatrujeet uski chhati ko munh me bhar kar chus raha hota to...!
uska dusra hath uski chhatiyo ko dabane laga.usne bechaini se karwat badli to use savere jogging wali baat yaad aa gayi..karan kaise uski janghe saaf kar raha tha& uski saanse kaise uski pyasi chut ko tadpa rahi thi....& fir mall ke bahar uski nigahe kaise uske pet & seene se chipak si gayi thi...kash vo is waqt yaha hota & uski pyasi chut ko chaatate hue apne mazbut hatho se uski chhatiya masal raha hota,"aahhhh...",is khayal se hi kamini ki aah nikal gayi & vo tezi se hath chala apni badan ki garmi ko thanda karne lagi.
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dusre din karan ne kamini ko raat ka khana sath khane ko kaha.kamini fauran maan gayi...use ab yakeen ho chala tha ki us din lunch pe karan usi ke bare me keh raha tha.kitne dino baad kamini 1 dhang ki date pe ja rahi thi & vo aaj karan ko rijhane me koi kasar nahi chhodna chahti thi.kareeb aane ke liye pahal to karan ko hi karni thi lekin agar vo katilana andaz me taiyyar hokar isme uski madad kare,to isme harz hi kya tha!
vo lunch time me narket gayi & kafi der dhoondhne ke bad 1 boutique me use 1 kale rang ki ghutno tak ki strapless dress pasand aayi.sham ko naha kar jab usne us dress ko pehan kar khud ko aaine me dekha to use apne upar thoda gurur ho aaya.kale rang ki dress me uska gora rang aur bhi khil utha tha.kasi hui dress me uske badan ke katav & bhi kaatilana andaz me ubhar aaye the.usne baalo ko dress ke mutabik 1 khas andaz me baandha & nikal padi karan se milne ke liye.
"hi!you're looking gorgeous.",karan ne sar se paanv tak use nihara.oonchi high heel sandals me uske nazuk paanv & gori,sudol taange badi mast lag rahi thi.straplees dress ki vajah se uski bhari baahe,upari pith & chhatiyo se upar ka hissa restaurant ki roshni me chamak rahe the.
high heels ke karan chalte waqt uski kamar kuchh zyada hi matak rahi thi.shayad uski nashili chal dekh kar hi karan ke dil me 1 khayala aaya,"kamini,chalo pehle dance karte hain."
uske jawab ka intezar kiye bagair hi vo use dance floor pe le gaya.bade din baad kamini aise nach rahit hi.tabhi music badla & kafi dheemi si romantic dhun bajne lagi,battiyaa bhi maddham ho gayi.karan ne apne baaye hath me uska daay hath pakda & daaye me uski patli kamar,kamini ne bhi apna baaya hath uske kandhe pe rakh diya & dono khamoshi se thirakne lage.
kamini ko apni kamar pe karan ke hath ka dabav thoda badhta hua mehsus hua to vo uske thoda aur kareeb khisak aayi.karanbas lagatar use dekhe ja raha tha.sharm ke mare kamini us se nazre nahi mila pa rahi thi.karan us se kad me lamba tha & na kewal vo apni baaho me thirak rahi us khubsurat ladki ke chehre ko nihar raha tha balki beech-2 me uski nigaahe neeche uske seene se bhi takra rahi thi.
thodi der baad music badn hua to dono jaise sapne se bahar aaye & apni table pe baith khane ka order diya.khane ke baad dono karan ki car me vaha se ghar ke liye nikale.aaj usne kamini ko uske ghar se hi pick kar liya tha.
kuchh der baad car 1 apartment building ke bahar pahunchi,"main yahi rehta hu,kamini.agar tumhe aitraz na ho to 1-1 cup coffee ho jaye?isi bahaen tumhe apna garibkhana bhi dikha dunga."
kya karan bas 1 coffe ke liye keh raha tha...aur koi irada nahi tha uska?...agar tha bhi to use isi ka intezar nahi tha?...to fir ab kyu ghabrahat ho rahi hai use?...kabse vo 1 mard ke sath ke liye taras rahi thi & aaj jab mauka aaya hai to vo 1 kunwari ladki ki tarah jhijhak rahi hai!...aur fir karan jaisa sajeele & suljhe hue insan se achha shakhs & kaun mil sakta tha use,"..ok.karan.chalo."
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"ye hai mera chhota-sa ghar,kamini.",building ke dasve male ke flat ke andar dono ne kadam rakha..drawing-cum-dining hall bade achhe andaz me saja hua tha.har chiz kafi kimati thi par kahi se bhi daulat ke dikhave ki jhalak nahi thi.
"aao tumhe mere ghar ka sabse pasandida hissa dikahata hu..",dono 1 kamre me dakhil hue jaha karan ne 1 halki roshni vala lamp jala diya,"..ye mera bedroom hai.",karan kamre ke dusre chhor pe 1 shheshe ka darvaza khol raha tha,"aao."kamini uske peechhe-2 darvaze ke bahar balcony me chali gayi.
"wow!",samne ka nazara dekh kar uske munh se besakhta tareef nikal gayi.karan ki 15 manzila apartment building Panchmahal ke us ilake ki shayad sabse oonchi imarat thi.paas hi Panchmahal Development Corporation ne sailaniyo & logo ki tafreeh ke liye 1 bahut bada bagh banaya tha jiske beech me 1 artificial jheel thi,jisme log boating karte the.aaj poonam ki raat thi & pure chand ki safed roshni me neeche bagh & jheel bade khubsurat lag rahe the.is watq bah bilkul khali tha & aisa lag raha tha mano uparwale ne bas unhi dono ke liye ye nazara peha kiya ho & upar se chand ki shakl me unpe muskura raha ho.
"kitna khubsurat nazara hai,karan!..& aasmaan me chand bhi kitna sundar dikh raha hai!"
"aaj tak main bhi yahi sochta tha par abhi-2 ehsas hua ki main kitna galata tha.",kamini ne sawaliyo nazro se use dekha.
"is chand,is nazare se bhi khubsurat kuchh hai."
"kya?"
"tum",haya se kamini ke gaal surkh ho gaye & usne karan se nazre fer li & jheel ki or dekhne lagi.uska dil bade zoro se dhadak raha tha.shahar ki kamyab,mashahur criminal lawyer Kamini Sharan is waqt kisi school ki ladki ki tarah ghabra rahi thi.
karan ne hath badah ke uske bandhe baal khol diye to vo kamar tak lehra gaye,"..ye dekho..ye bhi to kali raat se ghira chand hai..",usne uski thuddi ke neeche apna hath rakha to sharm ke bojh se kamini ki aankhe band ho gayi,"..par vo asmaan ka chand to is chand ke aage kahi bhi nahi theharta!"
karan uske kareeb aa uske upar jhuk gaya tha.apne chehre pe uski garam saanse mehsus karte hi kamini ne apni palke kholi to dekha ki karan ke ke hoth uske hotho pe jhuk rahe hain & jaise hi karan ke narm honth uske gulabi hotho se takraye uski aankhe fir band ho gayi & badan me romanch ki lehar daud gayi.
kafi der tak karan vaise hi uski thuddi thame uske labo ko chumta raha & vo bhi vaise hi khadi us lamhe ka lutf uthati rahi.dono ke jismo ki betabi badh rahi thi.karan ne hath uski nangi upari pith ke gird daal use baaho me bhara to kamini ne bhi apni baahe uski kamar me daal di.
uske honth chumte hue karan ne unpe apni jibh se dastak di to kamini ne pane lab khol use andar aane ka nyota diya & jaise hi karan ki jibh andar aayi,kamini ne apni jibh us se lada di.dono ki baahe 1 dusre pe aur mazbuti se kas gayi & dono 1 dusre ko betahasha chumne lage.kabhi karan uske munh me apni jibh dalta to kabhi vo karan ke.
chumte hue karan use vapas bedroom me le aaya.ab usne apne hath kamini ki patli kamar me daal diye & kamini ne apni baahe uske gale me.karan ke hath uske pure jism pe phisla rahe the & uski dress ke zip ko dhoond rahe the.kamini ko uski ye pashopesh samajh me aa rahi thi par usne apne premi ko chhedne ki garaj se uski koi madad nahi ki.
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