Friday, October 22, 2010

कौन सच्चा कौन झूठा पार्ट -03

हिंदी सेक्सी कहानियाँ
कौन सच्चा कौन झूठा पार्ट -03
गतान्क से आगे.........
दीपक: (धीरे से) चंपा तुम हो अंदर. चंपा कमरे से बाहर झाँकते ही दंग रह
गयी बोली "साहेब आप" चंपा: अंदर आइये साहेब . चंपा कुछ सोच मे पड़ गयी
दीपक: चंपा ज़यादा मत सोचो मैं जैल से भाग के आया हू. चंपा: क्या? दीपक:
चंपा मुझे डॅड और दीदी के झूठे खून मे फँसाया गया हे .तुम तो मुझे जानती
हो तुम बताओ क्या मे अपने ही पिता का खून कर सकता हू. चंपा : नही साहेब
मे आपको जानती हू मे उस घर मे कितने साल से हू सब बोलते है छोटे साब ने
बड़े साहेब का नशे मे खून कर दिया पेर मेरा दिल कभी नही माना . दीपक:
चंपा मा केसी है. चंपा: साहेब मा जी तो ठीक नही हे टाइम से खाना नही खाती
रात भर जागती रहती है उन को आपकी चिंता लगी हुई है . दीपक: चंपा मुझे मा
से मिलना है लेकिन मे घर नही जा सकता तुम मा को कल मंदिर मे सुबा 11:00
ले कर आना मैं तुम्हे वही मिलूँगा. दीपक रुका कुछ बोलना चाहता था पर रुक
गया . दीपक को कुछ अजीब सा लग रहा था वो जैसे ही चंपा के घर से बाहर
निकला दो मिनिट बाद वापस चंपा के पास आया. चंपा: क्या हुआ साहेब आप मुझे
परेशान लग रहे है. दीपक: चंपा वो. दीपक सोच रहा था के जिस औरत को हम
पिछले 6साल से हर महीने पैसे देते थे उससे पैसे कैसे माँगे क्यूकी उसे आज
रात कही तो गुज़ारनी थी. चंपा: कुछ चाहिए साहेब? दीपक: चंपा मुझे कुछ
पैसे चाहिए. चंपा: ओह हां साहेब . चंपा ने अपने बेड के नीचे से 100 के
5नोट निकाल के दीपक की तरफ बड़ा दिए. दीपक: शुक्रिया चंपा. चंपा: साहेब
शुक्रिया मत बोलिए आप ये सब आपलोगो की वजह से ही है ये खोली ले थी मेने
.3साल पहले बड़े साहेब जी ने मुझे ये खोली ले कर दी थी अपनी बेटी समझते
थे बड़े साहेब मुझे. और चंपा रो दी. दीपक: चंपा मेरे यहा आने की बात किसी
से मत करना .और मा को लेकर सुभह आजाना मैं चलता हू मेरा कही भी ज़यादा
देर रुकना ठीक नही है . चंपा: साहेब आप मुझ पर विश्वास रखे ज़बान कट
जाएगी पर खुलेगी नही. दीपक तेज़ी से कमरे से बाहर हुआ और आगे बढ़ गया.
दीपक गलियो के अंदर से गुज़रता हुआ आगे बढ़ने लगा. थोड़ा सा आगे पहुचा था
कि दिव्या के घर पे नज़र पड़ी. दिव्या दीपक की गर्ल फ्रेंड थी.दीपक का मन
तो हुआ मिलने का पर वो अपने आप को किसी मुश्किल मे डालना नही चाहता था .
शाम ढल चुकी थी रहने के लिए कोई सेफ इंतज़ाम करना था .दीपक को याद आया के
थोड़ी दूर मे एक धर्मशाला है वाहा जगह खाली होती हे और लोग भी यहा के नही
बाहरी इलाक़े के होते है. धर्मशाला मे घुसते ही एक बुड्ढे से आदमी जो
सामने काउंटर पे खड़ा था. दीपक: कोई कमरा मिलेगा एक रात के लिए. मॅनेजर:
हां पूरी धर्मशाला ही खाली पड़ी है. दीपक ने 40रुपये मे कमरा बुक करा
लिया और मॅनेजर के साथ कमरे की ओर चल दिया. थोड़ी देर बाद दीपक बाहर
निकला और कमरे के आजू बाजू की खबर लेने लगा .अब दीपक एक प्रोफेसससिओनल
जैल रिटर्न के तरह सोचने लगा था हर प्लान का बॅक अप प्लान अपने दिमाग़ मे
सोच के रखता था . दीपक ने बाहर जा कर खाना खाया और अपने कमरे मे चल दिया
. कमरे मे घुसते ही चटकनी लगाई और बेड पर लेट गया..... दीपक बेड पे लेटा
था शाम को दिव्या के घर दिव्या को ना मिल पाने का दुख था उसे . पुराने
दिन याद करने लगा .दोनो एक ही स्कूल मे थे 11थ स्ट्ड मे दीपक ने दिव्या
को प्रपोज किया और दिव्या क्लास के सबसे हंडसम लड़के को केसे मना कर पाती
वो भी दीपक को पसंद करती थी. 12थ स्ट्ड के बाद दोनो ने एक ही कॉलेज मे एक
साथ अड्मिशन लिया . दीपक रोज़ दिव्या को अपनी बाइक पर कॉलेज ले जाना और
शाम को ड्रॉप करना डेली रूटिन था. एक शनिवार के दिन दीपक ,दिव्या को
कोलोज के जगह एक घने पार्क मे ले गया . दोनो एक पेड के झुंड के पीछे जा
के बैठ गये .दीपक ने अपना सिर दिव्या की गोद मे रख उसके गालो पर गुलाब का
फूल उपर नीचे कर रहा था. दिव्या: आज तुमने फिर कॉलेज मिस करवा दिया.
दीपक: जानू तुम्हे कॉलेज पसंद है या मेरी ये बाहें . दिव्या: (हुस्ते
हुए) ह्म्‍म्म्मम.. कॉलेज. दीपक: अछा ! तो फिर यहा मेरे साथ क्या कर रही
हो जाओ अपने कॉलेज. दिव्या : चलो अपना सिर उठाओ मुझे जाने दो फिर मे तो
चली कलाज .दिव्या खड़ी हुए और आगे जाने लगी. दीपक: सोच लो !!!! दिव्या:
क्या मतलब? दीपक: अगर तुम चली गयी तो मे तुमसे कभी बात नही करूँगा .
दिव्या: पास आ गई और वही बैठे गयी . मे अब कभी कॉलेज ही नही जाउन्गी ठीक
है. दीपक: बुरा मान गयी. दिव्या: बात ही तुमने ऐसी कही थी. मे सिर्फ़
मज़ाक कर रही थी . दीपक: मे भी तो मज़ाक कर रहा था . दिव्या: दीपक के हाथ
पर चुटकी काटते हुए बोली ऐसा मज़ाक होता है ना समझ. दीपक ने दिव्या को
अपनी तरफ खींचा दोनो के सीने एक दूसरे से टकरा गये. दीपक उपर को हुआ अपने
लब दिव्या के लब से मिला दिए . दोनो तरफ से एक मिनिट के लिए कोई हरकत नही
हुई . दीपक ने अपने निचले होठ को बंद करते हुए दिव्या के लब को ज़ोर से
चुस्स्स लिया...दिव्या ने अपनी आँखें और ज़ोर से बंद कर ली. दोनो की
धड़कने दोनो सुन सकते थे . दीपक पीछे को हुआ दिव्या के आँखें अभी भी बंद
थी . दीपक: आइ लव यू . दिव्या ने अपनी आँखें खोली और सामने बैठे दीपक ने
आँख मार दी .दिव्या शर्मा गयी. दीपक ने अपने हाथ की उंगली दिव्या के
चेहरे पर ले जा कर उसके होंठो पर रख दी.दिव्या ने अपने लबो से उंगली को
चूम लिया दीपक: हा . दिव्या: क्याआअ . दीपक आगे हाथ बढ़ते हुए दिव्या के
छाती पर रख दिया और दाए निपल को कपड़े के उपर से ही उंगकी के बीच पीस
दिया. दिव्या: आअहह ! नही दीपक. दीपक: ओके. थोड़ी देर ऐसे हे बात करते -2
दीपक ने फिर अपना सिर दिव्या की गोद मे रख लिया उसके बालों मे उंगली करने
लगा . धीरे से दीपक अपना बाया हाथ दिव्या की गर्देन के पीछे ले गया और
दिव्या को अपने और खीचने लगा. जैसे ही दिव्या के होंठ दीपक के करीब आए
दीपक ने अपनी जीब निकाली और दिव्या के होंठो पर फिराने लगा .दिव्या गरम
होने लगी .झट से दिव्या ने अपना मुँह खोला और दीपक के जीभ चूसने लगी
आहह.. दो तीन मिनट. तक यही खेल चलता रहा . धीरे से दीपक दिव्या की कमर पर
हाथ ले गया और उसके टॉप को उपेर करने लगा दिव्या ने जीभ चूसना बंद किया
पर दीपक ने अपनी जीभ और अंदर कर दी. दीपक ने किस तोड़ी और उठ के बैठ गया
अब दोनो आमने सामने बैठे थे. दीपक ने दिव्या के दोनो हाथ अपने हाथ मे लिए
और जाकड़ लिया . दिव्या: दीपक कोई देख लेगा..... क्रमशः...... KAUN SACHA
KAUN JHUTHA paart -03 gataank se aage......... deepak: (dhire se)
champa tum ho ander. champa kamre se bahar jhakte he daang rah gayi
boli "SAHEB AAP" champa: ander ayei saheb . champa kuch soch me pad
gayi deepak: champa zayada mat socho m jail se bhag ke aaya hu.
champa: kya? deepak: champa mujhe dad aur didi ke jhuthe khoon me
fassya gaya he .tum to mujhe jaanti ho tum batao kya me apne he pita
ka khoon ker sakta hu. champa : nahi saheb me aapko janti hu me us
ghar me kitne saal se hu sab bolte he chote sab ne bade saheb ka nashe
me khon kar diya per mera dil kabhi nahi mana . deepak: champa maa
kesi he. champa: saheb maa ji to thik nahi he time se khana nahi khati
raat bhar jagti rehti he un ko aapki chinta lagi hue he . deepak:
champa mujhe maa se milna he lekin me ghar nahi ja sakta tum maa ko
kal mandir me subha 11:00 le kar aana me tumhe wahi milunga. deepak
ruka kuch bolna chahta tha par ruk gaya . deepak ko kuch ajeeb se lag
raha tha vo jaise he champa ke ghar se bahar nikla do minute baad
wapas champa ke pass aya. champa: kya hua saheb aap mujhe pareshan lag
rahe he. deepak: champa wo. deepak soch raha tha ke jis aurat ko hum
pichle 6saal se her mahine paise dete the usse paise kaise maange
kyuki use aaj raat kahi to guzarni thi. champa: kuch chaiye saheb?
deepak: champa mujhe kuch paise chaiye. champa: oh haan saheb . champa
ne apne bed ke niche se 100 ke 5note nikaal ke deepak ki taraf bada
diye. deepak: shukriya champa. champa: saheb shukriya mat boliye aap
logo ke wajha se he ye kholi le thi mene .3saal paHle bade saheb ji ne
mujhe ye kholi le kar di thi apni beti samjhte the bade saheb mujhe.
aur champa roo di. deepak: champa mere yaha aane ki baat kise se mat
karna .aur maa ko lekar subha aajAna me chalta hu merA kahi bhi zayada
der rukna thik nahi he . champa: saheb aap mujh par vishwas rakhe
jaban kat jayegi par khulegi nahi. DEEPAK TEZI SE KAMRE SE BAHAR HUA
AUR AGA BAD GAYA. deepak galiyo ke under se gujarta hua age badne
laga. thoda sa age pahucha tha ke divya ke ghar pe nazar padi. divya
deepak ki girl friend .deepak ka man to hua milne ka par vo apne aap
ko kise mushkil me dalna nahi chahta tha . sham dhal chuki thi rehne
ke liye koi safe intazam karna tha .deepak ko yaad aaya ke thodi dur
me ek dharmshala he waha jagha khali hoti he aur log bhi yaha ke nahi
bahari ilakee ke hote he. dharmshala me ghuste he ek buddhe se aadmi
jo saamne counter pe khada tha. deepak: koi kamra milega ek raat ke
liye. manager: haan puri dharmshala he khali padi he. deepak ne 40rs
me kamra book kara liya aur manager ke sath kamre ki or chal diya.
THODI DER BAAD deepak bahar nikla aur kamre ke aaju baju ki khabar
lene laga .ab deepak ek professsional jail return ke tarha sochne laga
tha her plan ka back up plan apne dimag me soch ke rakhta tha . deepak
ne bahar ja kar khana khaya aur apne kamre me chal diya . kamre me
ghustae he chatkani lagai aur bed par late gaya..... deepak bed pe
leta sham ko divya ke ghar divya ko na mil paane ka dukh tha use .
purane din yaad karne laga .dono ek he school me the 11th std me
deepak ne divya ko pErpose kiya aur divya class ke sabse handsum ladke
ko kese mana kar pati vo bhi deepak ko pasand karti thi. 12th std ke
baad dono ne ek he collage me ek sath admission liya . deepak roz
divya ko apni bike par collage le jana aur sham ko drop karna daily
rutine thi. ek shaniwar ke din deepak ,divya ko collage ke jagha ek
ghane park me le gaya . dono ek pedoo ke jhund ke piche ja ke baith
gaye .deepak ne apna sir divya ke goad me rakhe uske galo par gulab ka
phool upar niche kar raha tha. divya: aaj tumne phir collage miss
karwa diya. deepak: janu tumhe collage pasand he ya mere ye bahein .
divya: (huste hue) hmmmmm.. collage. deepak: acha ! to fir yaha mere
sath kya ker rahi ho jao apne collage. divya : chalo apna sir uthao
mujhe jane do fir me to chali collage .divya khadi hue aur age jane
lagi. deepak: soch lo !!!! divya: kya matlab? deepak: agar tum chali
gayi to me tumse kabhi baat nahi karunga . divya: pass agayi aur wahi
baithe gayi . me ab kabhi collage he nahi jaungi thik he. deepak: bura
maan gayi. divya: baat he tumne aise ke thi. me sirf mazak kar rahi
thi . deepak: me bhi to mazak kar raha tha . divya: deepak ke hath par
chutki katte hue boli aisa mazak hota he nasamjh. deepak ne divya ko
apne taraf khincha dono ke sine ek dusre se takra gaye. deepak upar ko
hua apne lab divya ke lab se mila diye . dono taraf se ek minute ke
iye koi herkat nahi hui . deepak ne apne nichle hoth ko band karte hue
divyaa ke lab ko zor se chusss liya...divyaa ke ankhein aur zor se
band kar li. dono ke dhadkane dono sun sakte the . deepak piche ko hua
divyaa ke aankhein abhi bhi band thi . deepak: i love u . divyaa ne
apni ankhein kholi aur saamne baithe deepak ne aankh maar di .divyaa
sharma gayi. deepak ne apna hath ke ungli divya ke hehre par le ja kar
uske hotho par rakh di.divya ne apne labo se ungli ko chum liya
deepak: huh . divyaa: kyaaaaa . deepak age hath badte hue divyaa ke
chatti per rakh diya aur daye nipple ko kapde ke upar se he ungki ke
bich pissss diya. divyaa: aaahhhhhh ! nahi deepak. deepak: ok. thodi
der aise he baat karte -2 depak ne phir apna sir divyaa ke goad me
rakh liya uske baalon me ungli karne laga . dhire se deepak apna baaya
hath diyaa ke garden ke piche le gaya aur divyaa ko apne aur khichne
laga. jaise he divyaa ke honth deepak ke karib aaye deepak ne apni jib
nikali aur divyaa ke hontho par firane laga .divyaa garam hone lagi
.jhat se divyaa ne apna mu khola aur deepak ke jibh chusne lagi
aahhhhhh.. do tin min. tak yahi khel chalta raha . dhire se deepak ne
divyaa ke kamar par hath le gaya aur uske top ko uper karne laga
divyaa ne jibh chusna band kiya par deepak ne apni jibh aur ander kar
dee. deepak ne kiss todi aur uth ke baith gaya ab dono amne saamne
baithe the. deepak ne divyaa ke dono hath apne hath me liye aur jakad
liya . divyaa: koi dekh lega..... kramashah...... Tags = Future |
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