Saturday, October 23, 2010

कामुक-कहानियाँ बदला पार्ट--10

कामुक-कहानियाँ

बदला पार्ट--10

गतान्क से आगे...
"अच्छा भैया अब चलता हू.तुम मेरा यहा का कॉटेज सॉफ करवा देना,पंचमहल वाले
बंगले की चाभी तुमने दे ही दी है....उसे मैं सॉफ करवा दूँगा.",वीरेन शाम
को अपने भाई-भाभी से विदा ले रहा था.

"ठीक है,भाई.वैसे कल मुझे पंचमहल आना है."

"कोई काम है क्या?",दोनो भाई वीरेन की टॅक्सी की ओर बढ़ रहे थे.

"हां,वो हमारे वकील थे ना मिश्रा जी वो तो रहे नही.."

"ओह्ह.."

"हां,बस कुछ ही दिन पहले देहांत हुआ.उनके एषिस्टेंट्स मे वो बात नही
है.इधर 1 नये वकील का बहुत नाम सुना है उसी से मिलना है कल."

"अच्छा,कौन है वो?",वीरेन टॅक्सी की पिच्छली सीट पे बैठा तो ड्राइवर ने
कार स्टार्ट कर दी.

"कामिनी शरण."

"ओह.",वीरेन की टॅक्सी वाहा से निकल गयी.

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"उम्म....अब छ्चोड़ो ना...",इंदर रजनी की चूचिया चूसे जा रहा था,"..हाई
राम!..",रजनी ने उसे परे धकेला & लगभग कूदते हुए बिस्तर से
उतरी,"..तुम्हारे चक्कर मे देखो तो कितनी देर हो गयी....प्रसून भाय्या के
शाम के नाश्ते का वक़्त हो गया & वो मेरा इंतेज़ार करते होंगे.",उसने
जल्दी से अपनी पॅंटी को उपर चढ़ाया.

"ये प्रसून सचमुच 1 बच्चे की तरह ही है?"

"हां."

"और तुम्हारे सर की तबीयत कैसी है आजकल?"

"ठीक है."

"अच्छा.",रजनी ने अपनी सलवार पहन ली थी & अब कुर्ते को गले मे डाल रही
थी.इंदर उसके पास आया & उसकी पीठ पे लगे ज़िप को उपर कर दिया.रजनी ने
उसके चेहरे को चूम लिया,"मैं फोन करूँगी."

"नही.."

"क्यू?",रजनी के माथे पे शिकन पड़ गयी.

"मैं करूँगा.तुम्हे पैसे बर्बाद करने की कोई ज़रूरत नही.",रजनी ने उसे
अपने गले से लगा लिया,"आइ लव यू,इंदर...आइ लव यू.",उसकी आवाज़ से उसकी
चाहत की शिद्दत सॉफ झलक रही थी.इंदर के चेहरे पे 1 मुस्कान फैल गयी-कुटिल
मुस्कान....आख़िर चिड़िया पूरी तरह से जाल मे फँस गयी थी & उसका काम
थोड़ा और आसान हो गया था.

रजनी के जाते ही उसने सिगरेट सुलगाई & नंगा ही बिस्तर पे अढ़लेटा सा बैठ
गया.सुरेन सहाय के पीछे वो पिच्छले 5 महीने से लगा हुआ था.जब वो पहली बार
जब बीमार पड़ा था तभी उसने हॉस्पिटल से उसकी पूरी मेडिकल रिपोर्ट & उसे
दी गयी दवाओ का नुस्ख़ा निकलवा लिया था.इस काम मे उसे कितने पापद बेलने
पड़े थे ये वही जानता था.अगर उस वक़्त ये चिड़िया उसके पास होती तब उसे
वो मशक्कत नही करनी पड़ती.

वो रजनी के अलावा सुरेन सहाय के और भी घरेलू नौकरो पे नज़र रखे था मगर
इत्तेफ़ाक़ से रजनी का मोबाइल रेस्टोरेंट मे च्छुटा & उसे उसके करीब आने
का मौका मिल गया.रजनी उसे एस्टेट के बारे मे कुच्छ ना कुच्छ बताती रहती
थी मगर आज से पहले उसने कोई काम की बात नही की थी.उसका मक़सद था एस्टेट
मे घुसना....बस 1 बार वो वाहा घुस जाए फिर तो....उसने सिगरेट बुझा के
अश्-ट्रे मे डाल दी.

अगर ऐसा हो गया तो उसे नक़ाब पहन के बंगंग्लो की दीवार फंड के चोरो की
तरह अंदर घुसने की ज़रूरत नही रहेगी,फिर तो वो दवा की डिबिया क्यू बदलेगा
सीधा सुरेन सहाय को दोज़ख़् का रास्ता दिखाएगा.बस ऐसा हो जाए.....फिर तो
सुरेन सहाय तुम्हे तुम्हारे किए की सज़ा ज़रूर मिलेगी.......सब्र...सब्र
रखो इंदर.....उसने अलमारी खोली & अपना हीपफलास्क निकाला & 2 घूँट
भरे.शराब ने उसके बेचैन हो रहे मन को शांत किया & वो ठंडे दिमाग़ से आगे
के बारे मे सोचने लगा.

सुरेन सहाय बस थोड़ी ही देर मे रोज़ की तरह अपनी सवेरे की चाइ पीने लॉन
मे आने वाले थे.जब से उन्होने नये मॅनेजर की तलाश शुरू की थी तब से रोज़
सवेरे चाइ के साथ वो मॅनेजर की पोस्ट के लिए भेजी गयी अर्ज़िया भी पढ़ते
थे.रजनी का काम तो घर मे रहता था मगर इधर रोज़ सवेरे चाइ के साथ अर्ज़ियो
की फाइल को उनके सामने रखने की ज़िम्मेदारी भी उसी की थी.

हर शाम को दफ़्तर से सहाय जी का सेक्रेटरी वो फाइल भेजता था & रजनी हर
सुबह उसे चाइ के साथ उन्हे देती थी.इसी बात ने रजनी के दिमाग़ मे इंदर को
एस्टेट मॅनेजर की जगह दिलवाने की 1 तरकीब लाई थी.

इस वक़्त रजनी के हाथ मे वही फाइल थी.उसने उसे खोला & सारी अर्ज़िया
पढ़ने लगी.6 अर्ज़िया थी जिसमे से 2 उसे ऐसी लगी जोकि सहाय जी को पसंद आ
सकती थी.उसने उन दोनो अर्ज़ियो को निकाला & इंदर की अर्ज़ी & उसका
बियो-डाटा लगा दिया.कल उसके घर से निकलने के बाद उसे ध्यान आया की उसने
इंदर से ये चीज़े तो ली ही नही.उसने उसे फोन करके सारे काग़ज़ात मंगाए &
फिर वापस एस्टेट आ गयी.

वो दोनो अर्ज़िया हटाते हुए रजनी का दिल बहुत ज़ोर से धड़क रहा था,उसे लग
रहा था कि वो कोई ग़लत काम कर रही है.....मगर क्या वो दोनो लोग जिनकी
अर्ज़िया उसने अभी फाड़ के कूड़ेदान मे डाली थी इंदर से ज़्यादा अच्छे
थे..नही बिल्कुल नही!इंदर उनसे काबिलियत मे किसी भी तरह कम नही था...फिर
इसमे ग़लत क्या था?इंदर के प्यार मे पागल रजनी ने अपना सर झटक के ट्रॉली
पे चाइ का समान & वो फाइल रखी जिसमे सबसे उपर इंदर की अर्ज़ी थी & किचन
से बाहर निकल गयी.

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"उम्म्म.....!",अपने कमरे की खिड़की पे खड़ी देविका नीचे लॉन मे चाइ पीते
अपने पति को देख रही थी.पीछे से शिवा उसकी चूचिया उसके गाउन के उपर से
दबाता हुआ उसके गले पे चूम रहा था.सहाय जी ठीक सवेरे 7 बजे लॉन मे चाइ
पीने के लिए बैठते थे & 1 घंटे तक चाइ के साथ अख़बार पढ़ते थे & कुच्छ
काम जैसे की अर्ज़िया देखना वग़ैरह करते थे.

देविका 8 बजे उठती थी & प्रसून भी लगभग उसी वक़्त जागता था.घर के बाकी
नौकर 8.30 तक काम करने आते थे.सवेरे 6.30 से 8.30 तक केवल रजनी होती
थी.इस वजह से दोनो प्रेमियो को सवेरे मिलने का अच्छा मौका मिल जाता था.

शिवा ने देविका को घुमाया & उसे बाहो मे भर लिया,वो आज भी केवल शॉर्ट्स
मे था.उसके बालो भरे चौड़े सीने से जैसे ही देविका की चूचिया दबी देविका
की चूत मस्त हो गयी.उसने उसके सीने पे बेचैनी से हाथ फिराते हुए चूमना
शुरू कर दिया.शिवा उसके गाउन को उपर खींच रहा था & थोड़ी ही देर मे पॅंटी
मे ढँकी देविका की गंद की मस्त फांके उसके बड़े-2 हाथो मे मसली जा रही
थी.

शिवा के निपल को अपनी जीभ से छेड़ते हुए देविका ने अपनी गर्दन हल्के से
दाई ओर घुमा के खिड़की से बाहर देखा,अख़बार मे मगन सुरेन जी की पीठ उसकी
ओर थी.1 अजीब सा रोमांच भर गया देविका के दिल मे....उसका पति बस कुच्छ ही
फ़ासले पे था & अगर गर्दन घुमा के उपर गौर से देखता तो बहुत मुमकिन था की
अपनी प्यारी बीवी की बेवफ़ाई उसे नज़र आ जाती.

इस ख़याल ने देविका के बदन की आग को और भड़का दिया & उसने शिवा के निपल
को हल्के से काट लिया,"आअहह..",शिवा करहा & अपने दाए हाथ को उसकी गंद से
खींच उसके बाल पकड़ के उसका सर पीछे झुका दिया.देविका ऐसे देखा रही थी
मानो कह रही हो की चाहे कुच्छ भी कर लो मैं ये गुस्ताख हरकत ज़रूर
दोहरौंगी!

शिवा उसके बाल थामे हुए उसके रसीले होंठ चूमने लगा & बाए हाथ की उंगलियो
को उसकी पॅंटी मे नीचे से घुसा के उसकी गीली हो रही चूत को कुरेदने
लगा,"..उउंम्म...".होंठ शिवा के होंठो से सिले होने की वजह से देविका बस
इतना ही कराह पाई.उसने भी अपना दाया हाथ नीचे ले जाके शॉर्ट्स मे तड़प
रहे उसके तने लंड को दबोच लिया.

शिवा की उंगलिया उसकी चूत मे अंदर-बाहर हो उसकी आग को और भड़का रही थी &
वो भी उसके तगड़े लंड को हिलाकर उसके जोश मे इज़ाफ़ा कर रही थी.बहुत दिन
हो गये थे उसे अपने प्रेमी के शानदार लंड का स्वाद चखे हुए.ये ख़याल आते
ही डेविका शिवा को चूमना छ्चोड़ उसके गथिले बदन को चूमते हुए नीचे होने
लगी.शिवा उसका इरादा समझ गया & जैसे ही वो उसके सीने पे पहुँची उसने अपने
हाथो से उसके ढीले-ढले गाउन के स्ट्रॅप्स को उसके कंधो से नीचे खींच
दिया.

देविका ने भी बदन को हिलाते हुए गाउन को नीचे फर्श पे गिर जाने दिया & वो
जल्दी से नीचे अपने पंजो पे बैठ गयी & शिवा के लंड को मुँह मे भर
लिया,"..आअहह....!",अपनी प्रेमिका की कामुक हरकत से बहाल हो शिवा ने उसके
सर को थाम कर अपनी आँखे बंद कर अपना सर मज़े मे पीछे झुका लिया.

देविका ने लंड को उठा के उपर की तरफ शिवा के निचले पेट पे दबाया & उसकी
जड़ को जहा पे लंड & आंडो की चमड़ी मिलती थी,जीभ से छेड़ने लगी.शिवा मज़े
से पागल हो गया.देविका ने जीभ की नोक को नीचे की ओर दोनो आंडो के बीच
चलाया & फिर 1 अंडे को मुँह मे भर के इतनी ज़ोर से चूसा की शिवा को लगा
की वो अभी ही झाड़ जाएगा.

बड़ी मुश्किल से उसने अपने उपर काबू रखा & झुक के नीचे देखा तो पाया की
देविका की चाहत & मस्ती से भरी आँखे भी उसे ही देख रही हैं.देविका ने उस
से नज़र मिलाए हुए ही पहले उसके दूसरे अंडे को चूसा & फिर लंड को नीचे कर
अपने मुँह मे भर लिया.

लंड को जड़ से थामे मुँह मे भर जब उसने उसके मत्थे पे अपनी जीभ चलाई तो
शिवा पागल हो गया & उसने देविका के सर को और कस के पकड़ लिया & अपनी कमर
हिलाके उसके मुँह को चोदने लगा.देविका ने भी सहारे के लिए उसकी मज़बूत
गंद को थाम लिया & उसके धक्के सहने लगी.

उसकी जीभ बदस्तूर शिवा के लंड पे चल रही थी & ऐसा करते हुए जब उसने उसकी
गंद की छेद मे अपनी 1 उंगली घुआस दी तो शिवा कराह उठा,"..आहह...",उसने
फ़ौरन लंड को अपनी प्रेमिका के मुँह से बाहर खींचा & उसकी चूचियो को दबा
उसे पीछे धकेला,देविका बिस्तर पे गिर पड़ी.

शिवा की शॉर्ट्स उसकी गंद के नीचे उसकी जाँघो को गिर्द फँसी पड़ी थी.उसने
पीछे मूड के खिड़की से बाहर 1 नज़र कुच्छ काग़ज़ात देखते अपने बॉस पे
डाली & फिर शॉर्ट्स से अपनी खंभे जैसी टाँगे निकालने लगा.देविका ने भी
लेटे-2 अपनी गंद को उपर उठाया & 1 ही झटके मे अपनी पॅंटी को अपने जिस्म
से जुदा कर दिया.

शिवा ने शॉर्ट्स निकाल के जब देविका की ओर देखा तो पाया की अपने घुटने
मोड & अपनी टाँगे फैलाए देविका बाए हाथ की उंगलियो से अपने चूत के दाने
को सहला रही है & दाए से अपनी मोटी चूचियो को दबा रही है.शिवा ने उसके
घुटनो के नीचे हाथ लगाके टाँगो को और फैलाया & उसके उपर लेटते हुए अपना
लंड उसकी चूत मे घुसाने लगा,"..ऊओवव्व....!"

उसके उपर लेटते ही देविका ने उसे अपनी बाहो & टाँगो मे क़ैद कर लिया &
ज़ोर-2 से आहे भरने लगी.शिवा बस उसे चूमते हुए धक्के लगाए जा रहा
था,"..हाअ...आनन्न...शी...वाअ....और...ज़ो..र्ररर....से....ऊऊव्व्व......",देविका
ने अपने नाख़ून शिवा की गंद मे धंसा दिए तो उसके धक्के और तेज़ हो
गये.उसने अपने हाथ देविका के कंधो के नीचे लगा रखे थे मानो उसे अपने से
ऐसे सटा लेना चाहता हो की हवा भी उनके बीच ना रहे.कमरे मे उसके मोटे लंड
की देविका की गीली चूत की चुदाई से हो रही फ़च-2 की नशीली आवाज़ गूँज रही
थी.

"ओह्ह..देवी..का...आआहह...",देविका ने फिर से उसकी गंद के छेद मे उंगली
घुसा दी थी.शिवा ने बेचैन होके धक्के और तेज़ कर दिया & सर थोड़ा नीचे कर
देविका के दाए निपल को दाँत से काट लिया,"..अयेयीयियी...जुंग...ली
कहीं....के......ऑश...माआन्न्न्न...!",शिवा ने उसके हाथो को अपनी गंद से
हटा अपने गर्दन के गिर्द लगाया & फिर अपने घुटने बिस्तर पे जमा खुद से
चिपटि देविका की गंद की फांको को थाम उसे उठा लिया था & अब फर्श पे खड़ा
था.उसने खड़े हुए ही देविका को हवा मे झुलाते हुए कुच्छ धक्के लगाए फिर
उसे घुमा के उसी खिड़की की चौड़ी सिल पे बिठा दिया जिस से नीचे लॉन नज़र
आता था.

देविका पकड़े जाने के डर से च्चटपताई मगर शिवा ने उसे मज़बूती से थाम
उसके होंठो को अपने लबो की गिरफ़्त मे लिया & बहुत तेज़ी से उसे चोदने
लगा.इस तरह से चुदने मे देविका की चूत का दाना लगातार शिवा के लंड से
रगड़ रहा था & उसकी खुमारी हर पल बढ़ती जा रही थी.अगर उस वक़्त सुरेन जी
अपनी गर्दन घुमा लेते तो अपनी बीवी की जिस गंद पे वो फिदा थे उसे अपने
मुलाज़िम के हाथो मे भींचा देख लेते मगर खुदा दोनो प्रेमियो पे मेहेर बान
था & सुरेन जी मॅनेजर की पोस्ट के लिए आई अर्ज़िया पढ़ने मे मगन थे.

देविका को बहुत मज़ा आ रहा था,शिवा हर बार इस तरह की कोई बहुत ही
बेवकुफ़ाना मगर उतनी ही रोमांचक हरकत कर उसे बिल्कुल मदहोश कर देता
था.उसने अपने होंठ उसके होंठो से अलग किया & अपनी टाँगो को उसकी गंद पे
ऐसे कस लिया की दोनो आएडिया 1 दूसरे को क्रॉस कर रही थी.उसने अपना सर
उसके बाए कंधे पे टीकाया & उसके कान मे अपनी जीभ फिराने लगी,"...बस
झ..आड़ने..ही..वाली...हू..मे..री..जेया....न्‍न्‍णणन्..आई..से...ही...चोद...ते..रहो...उउम्म्म्मम.....!",वो
फुसफुसाई.

शिवा लगातार अपने मालिक को देख रहा था,वो देविका को बेइंतहा चाहता था मगर
इस वक़्त उसे उसके पति को देखते हुए उसे चोदने मे कुच्छ और ही मज़ा आ रहा
था.उसने उसकी गंद को और ज़ोर से दबाया & इतने क़ातिल धक्के लगाए की
देविका का पानी निकल गया & वो उसकी पीठ पे अपने नखुनो के निशान छ्चोड़ती
& उसके बाए कंधे पे अपने दन्तो से काटती झाड़ गयी.शिवा का बदन भी झटके खा
रहा था & उसका गढ़ा पानी देविका की चूत मे भर रहा था.

कुच्छ देर बाद उसने देविका को खिड़की से उठाया & फिर बिस्तर पे उसे
लिए-दिए लेट गया,"..तुम बिल्कुल पागल हो,शिवा.",देविका उसके चेहरे पे
प्यार भरे किस छ्चोड़ रही थी.

"तुम्ही ने बनाया है जानेमन.",शिवा ने उसके गुलाबी होंठ चूम लिए.

"अच्छा अब जाओ,8 बज गये.",शिवा अपना लंड उसकी चूत से खींचते हुए उठा &
अपने शॉर्ट्स पहन वाहा से निकल गया.देविका वैसे ही पड़ी रही.शिवा से
चुदने से वो पूरी तरह से सुकून से भर जाती थी,इस वक़्त भी उसके चेहरे पे
सुकून भरी मुस्कान थी.उसने इंटरकम उठाया,"रजनी?"

"गुड मॉर्निंग,मॅ'म."

"मॉर्निंग,रजनी.आज नाश्ते मे पराठे बना लो आलू-गोभी की सब्ज़ी के साथ."

"ओके,मॅ'म.आपकी चाइ ले आऊँ?"

"15 मिनिट बाद ले आना.ओके....& सुनो,रजनी...साहब के पराठे घी मे नही
बनाना उनके लिए जो खास कुकिंग आयिल आता है उसी मे बनाना."

"डॉन'ट वरी,मॅ'म."

सच मे रजनी के होते उसे घर की कोई फ़िक्र नही थी मगर उसे क्या पता था की
इसी बेचारी रजनी ने अपने भोलेपन मे अपने प्यार के हाथो मजबूर हो उसके
दुश्मन को घर मे आने का रास्ता दिखा दिया है & आने वाले दिन उसका कितना
बड़ा इम्तिहान लेने वाले थे.रजनी की तरकीब काम कर गयी थी,लॉन मे बैठे
सहाय जी इंदर की अर्ज़ी & बियो-डाटा से काफ़ी प्रभावित हुए थे & उन्होने
सोच लिया था कि अगर उसने इंटरव्यू मे अच्छे जवाब दिए तो वो उसे ही अपना
मॅनेजर बना लेंगे.

"ह्म्म....मिस्टर.सहाय,बात थोड़ी उलझी हुई है..",कामिनी अपनी हाइ-बॅक
लेदर चेर पे थोड़ा पीछे झुकी.उसके सामने सुरेन सहाय & देविका डेस्क की
दूसरी तरफ बैठे थे & अभी-2 उन्होने उसे अपने परिवार के बारे मे सारी बाते
बताई थी,"..आपके पिताजी ने कोई वसीयत की नही तो आप & आपके छ्होटे भाई
वीरेन सहाय दोनो सारी जयदाद के बराबर के हिस्सेदार होते हैं.."

"..आपका कहना है कि वीरेन जी अपना हिस्सा नही माँग रहे ना ही उन्हे
कारोबार मे कोई दिलचस्पी है मगर क़ानून तो जज़्बातो से नही चलता ना!"

"इसीलिए तो हम आपके पास आए हैं कामिनी जी..",देविका ने सामने रखे कोल्ड
ड्रिंक के ग्लास को उठा लिया,"..ये उलझी बाते आपको ही सुलझानी हैं."

"ओके,देविका जी..",कामिनी मुस्कुराइ,"..अच्छा..चलिए सारी बातो को ऐसे
देखते हैं..",कामिनी ने 1 पॅड उठा के उसपे लिखना शुरू किया,"..सुरेन
जी,देविका जी मैं जो भी कह रही हू उसका आप बुरा मत मानीएगा,1 वकील के तौर
पे मुझे ऐसी बाते करनी ही पड़ेगी....पहली सूरत पे गौर करते हैं मान लीजिए
सुरेन जी की मौत हो जाती है....फिर जयदाद का क्या होता है?..",देविका के
चेहरे पे पति की मौत की बात से परच्छाई सी आई मगर उसने खुद को संभाला.

"..आधी जयदाद वीरेन जी की & आधी देविका जी की हो जाती है मगर वीरेन जी को
कारोबार मे कोई दिलचस्पी नही है..देविका जी क्या आप कारोबार चल्एंगी?"

"बिल्कुल.",देविका की आवाज़ विश्वास से भरी हुई थी.

"ठीक है,फिर आप कारोबार चलाएंगी मगर तब भी आपके बाद बँटवारा होना ज़रूरी
है ताकि प्रसून के लिए ट्रस्ट आराम से बन सके.अब दूसरी सूरत की वीरेन जी
की मौत पहले होती है तब तो बहुत आसान है अगर वो कोई वसीयत नही करते हैं
तो सब कुच्छ देविका जी का & फिर प्रसून का.."

"..अब तीसरी सूरत अगर आप दोनो की मौत हो जाती है फिर सब कुच्छ वीरेन जी
का होता है & प्रसून भी उन्ही की ज़िम्मेदारी होगा अगर उनसे इस बात का
करार किया जाए तो..",कामिनी ने लिखना छ्चोड़ा,"..तीनो सुरतो मे सबसे
ज़रूरी बात है की वीरेन जी ये बात लिख के दें की उन्हे जयदाद का हिस्सा
नही चाहिए..ऐसे मे सुरेन जी,आपको अपने भाई को हर महीने 1 रकम देनी होगी
जोकि आपदोनो मिलके तय कर लें.."

"..और तीसरी सूरत के मामले मे भी आपको उनसे ये लिखवाना होगा कि वो प्रसून
की देखभाल करेंगे & अगर कारोबार मे उनकी दिलचस्पी नही है तो उसे बेच के
सारे पैसे जमा करके उसमे से उनके हिस्से की रकम या फिर अगर उन्हे अपना
हिस्सा नही चाहिए तो कुच्छ कम ही सही मगर कुच्छ पैसे उन्हे मिलने के बाद
बाकी पैसो से प्रसून के लिए ट्रस्ट बनाया जाए."

मिया बीवी ने 1 दूसरे की ओर देखा,"आपकी बाते तो बिल्कुल ठीक लगती
हैं,कामिनी जी..",सुरेन जी ने अपना खाली ग्लास डेस्क पे रख दिया,"..आप
काम शुरू कीजिए."

"ज़रूर,सहाय जी.आप अपने भाई को लेके मेरे पास आ जाएँ.हम लोग सारे सवालो
पे फिर से गौर करेंगे & फिर सभी कुच्छ क़ानूनी तौर पे पक्का कर
लेंगे.",कामिनी ने कुर्सी के हत्थो पे कोहनिया टिकाते हुए अपने हाथो की
उंगलिया आपस मे जोड़ ली,"..आप जब भी चाहें,वीरेन जी के साथ मुझ से मिल
लीजिए.बाहर बैठी मेरी सेक्रेटरी रश्मि आपको अपायंटमेंट लेने का तरीका बता
देगी."

क्रमशः.......


BADLA paart--10

gataank se aage...
"achha bhaiya ab chalta hu.tum mera yaha ka cottage saaf karwa
dena,Panchmahal vale bungle ki chabhi tumne de hi di hai....use main
saaf karwa dunga.",Viren sham ko apne bhai-bhabhi se vida le raha tha.

"thik hai,bhai.vaise kal mujhe panchmahal aana hai."

"koi kaam hai kya?",dono bhai viren ki taxi ki or badh rahe the.

"haan,vo humare vakil the na mishra ji vo to rahe nahi.."

"ohh.."

"haan,bas kuch hi din pehle dehant hua.unke asistants me vo bat nahi
hai.idhar 1 naye vakil ka bahut naam suna hai usi se milna hai kal."

"achha,kaun hai vo?",viren taxi ki pichhli seat pe baitha to driver ne
car start kar di.

"Kamini Sharan."

"oh.",viren ki taxi vaha se nikal gayi.

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"umm....ab chhodo na...",inder rajni ki chhatiya chuse ja raha
tha,"..hai raam!..",rajni ne use pare dhakela & lagbhag kudte hue
bistar se utri,"..tumhare chakkar me dekho to kitni der ho
gayi....Prasun bhaiyya ke sham ke nashte ka waqt ho gaya & vo mera
intezar karte honge.",usne jaldi se apni panty ko upar chadhaya.

"ye prasun sachmuch 1 bachche ki tarah hi hai?"

"haan."

"aur tumhare sir ki tabiyat kaisi hai aajkal?"

"thik hai."

"achha.",rajni ne apni salwar pehan li thi & ab kurte ko gale me daal
rahi thi.inder uske paas aya & uski pith pe lage zip ko upar kar
diya.rajni ne uske chehre ko chum liya,"main fone karungi."

"nahi.."

"kyu?",rajni ke mathe pe shikan pad gayi.

"main karunga.tumhe paise barbad karne ki koi zarurat nahi.",rajni ne
use apne gale se laga liya,"i love you,inder...i love you.",uski aavaz
se uski chahat ki shiddat saaf jhalak rahi thi.inder ke chehre pe 1
muskan fail gayi-kutil muskan....aakhir chidiya puri tarah se jaal me
fans gayi thi & uska kaam thoda aur aasan ho gaya tha.

rajni ke jate hi usne cigarette sulgai & nanga hi bistar pe adhleta sa
baith gaya.Suren Sahay ke peechhe vo pichhle 5 mahine se laga hua
tha.jab vo pehli baar jab bimar pada tha tabhi usne hospital se uski
puri medical report & use di gayi dawao ka nuskha nikalwa liya tha.is
kaam me use kitne papad belne pade the ye vahi janta tha.agar us waqt
ye chidiya uske paas hoti tab use vo mashakkat nahi karni padti.

vo rajni ke alawe suren sahay ke aur bhi gharelu naukaro pe nazar
rakhe tha magar ittefaq se rajni ka mobile restaurant me chhuta & use
uske kareeb aane ka mauka mil gaya.rajni use estate ke bare me kuchh
na kuchh batati rehti thi magar aaj se pehle usne koi kaam ki baat
nahi ki thi.uska maqsad tha estate me ghusna....bas 1 baar vo vaha
ghus jaye fir to....usne cigarette bujha ke ash-tray me daal di.

agar aisa ho gaya to use naqab pahan ke bunglo ki dfeeware fand ke
choro ki tarah andar ghusne ki zarurat nahi rahegi,fir to vo dawa kio
dibiya kyu badlega seedha suren sahay ko dozakh ka rasta dikhayega.bas
aisa ho jaye.....fir to suren sahay tumhe tumhare kiye ki saza zarur
milegi.......sabra...sabra rakho inder.....usne almari kholi & apna
hipflask nikala & 2 ghunt bhare.sharab ne uske bechainho rahe man ko
shant kiya & vo thande dimagh se aage ke bare me sochne laga.

Suren Sahay bas thodi hi der me roz ki tarah apni savere ki chai peene
lawn me aane vale the.jab se unhone naye manager ki talash shuru ki
thi tab se roz savere chai ke sath vo manager ki post ke liye bheji
gayi arziya bhi padhte the.Rajni ka kaam to ghar me rehta tha magar
idhar roz savere chai ke sath arziyo ki file ko unke samne rakhne ki
zimmedari bhi usi ki thi.

har sham ko daftar se sahay ji ka secretary vo file bhejta tha & rajni
har subah use chai ke sath unhe deti thi.isi baat ne rajni ke dimagh
me Inder ko estate manager ki jagah dilwane ki 1 tarkib layi thi.

is waqt rajni ke hath me vahi file thi.usne use khola & sari arziya
padhne lagi.6 arziya thi jisme se 2 use aisi lagi joki sahay ji ko
pasand aa sakti thi.usne un dono arziyo ko nikala & inder ki arzi &
uska bio-data laga diya.kal uske ghar se nikalne ke baad use dhayn
aaya ki usne inder se ye chize to li hi nahi.usne use fone karke sare
kagzat mangaye & fir vapas estate aa gayi.

vo dono arziya hatate hue rajni ka dil bahut zor se dhadak raha
tha,use lag raha tha ki vo koi galat kaam kar rahi hai.....magar kya
vo dono log jinki arziya usne abhi phaad ke kudedaan me dali thi inder
se zyada achhe the..nahi bilkul nahi!inder unse kabiliyat me kisi bhi
tarah kam nahi tha...fir isme galat kya tha?inder ke pyar me pagal
rajni ne apna sar jhatak ke trolley pe chai ka saman & vo file rakhi
jisme sabse upar inder ki arzi thi & kitchen se bahar nikal gayi.

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"ummm.....!",apne kamre ki khidki pe khadi Devika neeche lawn me chai
pite apne pati ko dekh arhi thi.peechhe se Shiva uski chhatiya uske
gown ke upar se dabata hua uske gale pe chum raha tha.sahay ji thik
savere 7 baje lawn me chai pine ke liye baithate the & 1 ghante tak
chai ke sath akhbar padhte the & kuchh kaam jaise ki arziya dekhna
vagairah karte the.

devika 8 baje uthati thi & Prasun bhi lagbhag usi waqt jaagta tha.ghar
ke baki naukar 8.30 tak kaam karne aate the.savere 6.30 se 8.30 tak
keval rajni hoti thi.is wajah se dono premiyo ko savere milne ka achha
mauka mil jata tha.

Shiva ne devika ko ghumaya & use baaho me bhar liya,vo aaj bhi kewal
shorts me tha.uske balo bhare chaude seene se jaise hi devika ki
chhatiya dabi devika ki chut mast ho gayi.usne uske seene pe bechaini
se hath firate hue chumna shuru kar diya.shiva uske gown ko upasr
khinch raha tha & thodi hi der me panty me dhanki devika ki gand ki
mast faanke uske bade-2 hatho me masli ja rahi thi.

shiva ke nipple ko apni jibh se chhedte hue devika ne apni gardan
halke se daayi or ghuma ke khidki se bahar dekha,akhbar me magan suren
ji ki pith uski or thi.1 ajeeb sa romanch bhar gaya devika ke dil
me....uska pati bas kuchh hi fasle pe tha & agar gardan ghuma ke upar
gaur se dekhta to bahut mumkin tha ki apni pyari biwi ki bewafai use
nazar aa jati.

is khayal ne devika ke badan ki aag ko aur bhadka diya & usne shiva ke
niple ko halke se kaat liya,"aaahhhh..",shiva karaha & apne daaye hath
ko uski gand se khinch uske baal pakad ke uska sar peeche jhuka
diya.devika aise dekha rahi thi mano kah rahi ho ki chahe kuchh bhi
kar lo main ye gustakh harkat zarur dohraungi!

shiva uske baal thame hue uske rasile honth chumne laga & baaye hath
ki ungliyo ko uski panty me neeche se ghusa ke uski gili ho rahi chut
ko kuredne laga,"..uummm...".honth shiva ke hontho se sile hone ki
vajah se kamini bas itna hi karah payi.usne bhi apna daya hath neeche
le jake shorts me tadap rahe uske tane lund ko daboch liya.

shiva ki ungliya uski chut me andar-bahar ho uski aag ko aur bhadka
rahi thi & vio bhi uske tagde lund ko hilakar uske josh me izafa kar
rahi thi.bahut din ho gaye the use apne premi ke shandar lund ka swad
chakhe hue.ye khayal aate hi devika shiva ku chumna chhod uske gathile
badan ko chumte hue neeche hone lagi.shiva uska irada samajh gaya &
jaise hi vo uske seene pe pahunchi usne apne hatho se uske dhile-dhale
gown ke straps ko uske kandho se neeche khinch diya.

devika ne bhi badan ko hilate hue gown ko neeche farsh pe gir jane
diya & vo jaldi se neeche apne panjo pe baith gayi & shiva ke lund ko
munh me bhar liya,"..aaahhhh....!",apni premika ki kamuk harkat se
behal ho shiva ne uske sar ko tham kar apni aankhe band kar apna sar
maze me peeche jhuka liya.

devika ne lund ko utha ke upar ki taraf shiva ke nichle pet pe dabaya
& uski jad ko jaha pe lund & ando ki chamdi milti thi,jibh se chhedne
lagi.shiva maze se pagal ho gaya.devika ne jibh ki nok ko neeche ki or
dono ando ke beech chalaya & fir 1 ande ko munh me bhar ke itni zor se
chusa ki shiva ko laga ki vo abhi hi jhad jayega.

badi mushkil se usne apne upar kabu rakha & jhuk ke neeche dekha to
paya ki devika ki chahat & masti se bhari aankhe bhi use hi dekh rahi
hain.devika ne us se nazar milaye hue hi pehle uske dusre ande ko
chusa & fir lund ko neeche kar apne munh me bhar liya.

lund ko jad se thame munh me bhar jab usne uske matthe pe apni jibh
chalayi to shiva pagal ho gaya & usne devika ke sar ko aur kas ke
pakad liya & apni kamar hilake uske munh ko chodne laga.devika ne bhi
sahare ke liye uski mazbut gand ko tham liya & uske dhakke sehne lagi.

uski jibh badastur shiva ke lund pe chal rahi thi & aisa karte hue jab
usne uski gand ki chhed me apni 1 ungli ghuas di to shiva karah
utha,"..aahhhhhh...",usne fauran lund ko apni premika ke munh se bahar
khincha & uski chhatiyo ko daba use peeche dhakela,deviak bistar pe
gir padi.

shiva ki shorts uski gand ke neeche uski jangho ko gird fansi padi
thi.usne peechhe mud ke khidki se bahar 1 nazar kuchh kagzat dekhte
apne boss pe dali & fir shorts se apni khambhe jaisi tange nikalne
laga.devika ne bhi lete-2 apni gand ko upar uthaya & 1 hi jhatke me
apni panty ko apne jism se juda kar diya.

shiva ne shorts nikal ke jab devika ki or dekha to paya ki apne ghutne
mode & apni tange failaye devika baaye hath ki ungliyo se apne chut ke
dane ko sehla rahi hai & daye se apni moti choochiyo ko daba rahi
hai.shiva ne uske ghutno ke neeche hath lagake tango ko aur failaya &
uske upar letate hue apna lund uski chut me ghusane
laga,"..ooowww....!"

uske upar letate hi devika ne use apni baaho & tango me qaid kar liya
& zor-2 se aahe bharne lagi.shiva bas use chumte hue dhakke lagaye ja
raha tha,"..haaa...aannn...shi...vaaa....aur...zo..rrrr....se....oooowww......",devika
ne apne nakhun shiva ki gand me dhansa diye to uske dhakke aur tez ho
gaye.usne apne hath devika ke kandho ke neeche laga rakhe the mano use
apne se aise sata lena chahta ho ki hawa bhi unke beech na rahe.kamre
me uske mote lund ki devika ki gili chut ki chudai se ho rahi phach-2
ki nashili aavaz gunj rahi thi.

"ohh..devi..ka...aaaahhh...",devika ne fir se uski gand ke chhed me
ungli ghusa di thi.shiva ne bechain hoke dhakke aur tez kar diya & sar
thoda neeche kar devika ke daaye nipple ko dant se kaat
liya,"..aaiiyyee...jung...li
kahin....ke......ohhh...maaaannnn...!",shiva ne uske hatho ko apni
gand se hatah apne gardan ke gird lagaya & fir apne ghutne bistar pe
jama khud se chipti devika ki gand ki fanko ko tham use utha liya tha
& ab farsh pe khada tha.usne khade hue hi devika ko hawa me jhulate
hue kuchh dhakke lagaye fir use ghuma ke usi khidki ki chaudi sill pe
bitha diya jis se neeche lawn nazar aata tha.

devika pakde jane ke darr se chhatpatayi magar shiva ne use mazbooti
se tham uske hontho ko apne labo ki giraft me liya & bahut tezi se use
chodne laga.is tarah se chudne me devika ki chut ka dana lagatar shiva
ke lund se ragad raha tha & uski khumari har pal badhti ja rahi
thi.agar us waqt suren ji apni gardan ghuma lete to apni biwi ki jis
gand pe vo fida the use apne mulazim ke hatho me bhincha dekh lete
magar khuda dono premiyo pe meher ban tha & suren ji manager ki post
ke liye aayi arziya padhne me magan the.

devika ko bahut maza aa raha tha,shiva har baar is tarah ki koi bahut
hi bevkufana magar utni hi romanchak harkat kar use bilkul madhosh kar
deta tha.usne apne honth uske hontho se alag kiya & apni tango ko uski
gand pe aise kas liya ki dono aediya 1 dusre ko cross kar rahi
thi.usne apna sar uske baaye kandhe pe tikaya & uske kaan me apni jibh
firane lagi,"...bas
jh..aadne..hi..wali...hu..me..ri..jaa....nnnnn..ai..se...hi...chod...te..raho...uummmmm.....!",vo
phusphusayi.

shiva lagatar apne malik ko dekh raha tha,vo devika ko beintaha chahta
tha magar is waqt use uske pati ko dekhte hue use chodne me kuchh aur
hi maza aa raha tha.usne uski gand ko aur zor se dabaya & itne qatil
dhakke lagaye ki devika ka pani nikal gaya & vo uski pith pe apne
nakhuno ke nishan chhodti & uske baaye kandhe pe apne danto se kaatati
jhad gayi.shiva ka badan bhi jhatke kha raha tha & uska gadha pani
devika ki chut me bhar raha tha.

kuchh der baad usne devika ko khidki se uthaya & fir bistar pe use
liye-diye let gaya,"..tum bilkul pagal ho,shiva.",devika uske chehre
pe pyar bhare kisses chhod rahi thi.

"tumhi ne banaya hai janeman.",shiva ne uske gulabi honth chum liye.

"achha ab jao,8 baj gaye.",shiva apna lund uski chut se khinchte hue
utha & apne shorts pehan vaha se nikal gaya.devika vaise hi padi
rahi.shiva se chudne se vo puri tarah se sukun se bhar jati thi,is
waqt bhi uske chehre pe sukun bhari muskan thi.usne intercom
uthaya,"rajni?"

"good morning,ma'am."

"morning,rajni.aaj nashte me parathe bana lo aloo-gobhi ki sabzi ke sath."

"ok,ma'am.aapki chai le aaoon?"

"15 minute baad le aana.ok....& suno,rajni...sahab ke parathe ghee me
nahi banana unke liye jo khas cooking oil aata hai usi me banana."

"don't worry,ma'am."

sach me rajni ke hote use ghar ki koi fikr nahi thi magar use kya pata
tha ki isi bechri rajni ne apne bholepan me apne pyar ke hatho majboor
ho uske dushman ko ghar me aane ka rasta dikha diya hai & aane vale
din uska kitna bada imtihan lene wale the.rajni ki tarkib kaam kar
gayi thi,lawn me baithe sahay ji inder ki arzi & bio-data se kafi
prabhavit hue the & unhone soch liya tha ki agar usne interview me
achhe jawab diye to vo use hi apna manager bana lenge.

"Hmm....Mr.Sahay,baat thodi uljhi hui hai..",Kamini apni high-back
leather chair pe thoda peechhe jhuki.uske samne Suren Sahay & Devika
desk ki dusri taraf baithe the & abhi-2 unhone use apne parivar ke
bare me sari baate batayi thi,"..aapke pitaji ne koi vasiyat ki nahi
to aap & aapke chhote bhai Viren Sahay dono sari jaydad ke barabar ke
hissedar hote hain.."

"..aapka kehna hi ki viren ji apna hissa nahi mang rahe na hi unhe
karobar me koi dilchaspi hai magar kanoon to jazbato se nahi chalta
na!"

"isiliye to hum aapke paas aaye hain kamini ji..",devika ne samne
rakhe cold drink ke glass ko utha liya,"..ye uljhi baate aapko hi
suljhani hain."

"ok,devika ji..",kamini muskurayi,"..achha..chaliye sari baato ko aise
dekhte hain..",kamini ne 1 pad utha ke uspe likhna shuru kiya,"..suren
ji,devika ji main jo bhi kah rahi hu uska aap bura mat maniyega,1
vakil ke taur pe mujhe aisi baate karni hi padegi....pehli surat pe
gaur karte hain maan lijiye suren ji ki maut ho jati hai....fir jaydad
ka kya hota hai?..",devika ke chehre pe pati ki maut ki baat se
parchhayi si aayi magar usne khud ko sambhala.

"..aadhi jaydad viren ji ki & aadhi devika ji ki ho jati hai magar
viren ji ko karobar me koi dilchaspi nahi hai..devika ji kya aap
karobar chalyengi?"

"bilkul.",devika ki aavaz vishvas se bhari hui thi.

"thik hai,fir aap karobar chalayengi magar tab bhi aapke baad bantwara
hona zaruri hai taki Prasun ke liye trust aram se ban sake.ab dusri
surat ki viren ji ki maut pehle hoti hai tab to bahut aasan hai agar
vo koi vasiyat nahi karte hain to sab kuchh devika ji ka & fir prasun
ka.."

"..ab teesri surat agar aap dono ki maut ho jati hai fir sab kuchh
viren ji ka hota hai & prasun bhi unhi ki zimmedari hoga agar unse is
baat ka karara kiya jaye to..",kamini ne likhna chhoda,"..teeno surato
me sabse zaruri baat hai ki viren ji ye baat likh ke den ki unhe
jaydad ka hissa nahi chahiye..aise me suren ji,aapko apne bhai ko har
mahine 1 rakam deni hogi joki aapdono milke tay kar len.."

"..aur teesri surat ke mamle me bhi aapko unse ye likhwana hoga ki vo
prasun ki dekhbhal karenge & agar karobar me unki dilchaspi nahi hai
to use beche ke sare paise jama karke usme se unke hisse ki rakam ya
fir agar unhe apna hissa nahi chahiye to kuchh kam hi sahi magar kuchh
paise unhe milne ke baad baki paiso se prasun ke liye trust banaya
jaye."

miya biwi ne 1 dusre ki or dekha,"aapki baate to bilkul thik lagti
hain,kamini ji..",suren ji ne apna khali glass desk pe rakh
diya,"..aap kaam shuru kijiye."

"zarur,sahay ji.aap apne bhai ko leke mere paas aa jayen.humlog sare
sawalo pe fir se gaur karenge & fir sabhi kuchh kanooni taur pe pakka
kar lenge.",kamini ne kursi ke hattho pe kohniya tikate hue apne hatho
ki ungliya aapas me jod li,"..aap jab bhi chahen,viren ji ke sath mujh
se mil lijiye.bahar baithi meri secretary Rashmi aapko appointment
lene ka tarika bata degi."

kramashah.......


आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj

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