Sunday, October 24, 2010

कामुक-कहानियाँ बदला पार्ट--46

कामुक-कहानियाँ

बदला पार्ट--46

गतान्क से आगे..
कामिनी बहुत गहरी नींद मे थी जब उसे अपने पेट पे कुच्छ महसूस हुआ..वो तो
अपने बेडरूम मे सोई थी फिर ये क्या था?!घबरा के उसने अपना हाथ पेट पे रखा
तो उसके हाथो मे वीरेन का हाथ फँस गया तब उसे याद आया की रात वो अपने घर
नही गयी थी बल्कि चंद्रा साहब के साथ पूरी शाम उनकी बाहो मे गुज़ारने के
बाद वो वीरेन को देखने होटेल आ गयी थी & यही रुक गयी थी.

वीरेन ने जब उसे बाहो मे भर चुदाई की ख्वाहिश ज़ाहिर की थी तो उसने अपनी
थकान के चलते उसे मना कर दिया था & सो गयी थी. इस वक़्त वो अपनी बाई करवट
पे लेटी थी.रात को उसने होटेल के ही स्टोर से जो स्लीव्ले घुटनो तक की
नाइटी खरीदी थी वो उसकी कमर के उपर आ चुकी थी & उसके पीछे से उसके बदन से
लगा वीरेन अपने दाए हाथ से उसके चिकने पेट को सहलाते हुए उसकी गर्दन के
पीछे उसके बालो मे चेहरा च्छुपाए चूम रहा था.

"उम्म्म....",कामिनी ने अपना दाया हाथ पीछे ले जाके वीरेन के सर को थाम
उसके बाल सहलाते हुए अंगड़ाई ली तो वीरेन का हाथ उसकी पॅंटी मे घुस
गया,"....उउन्न्ञन्..!",कामिनी ने अपने घुटने आगे की तरफ मोड़ लिए.ऐसा
करने से उसकी गंद पीछे को तोड और निकल गयी & उसकी दरार मे वीरेन का कड़ा
लंड चुभ गया.वीरेन की की उंगलिया उसकी चूत के अंदर-बाहर हो रही थी.कामिनी
ने गर्दन दाई तरफ उपर घुमाई तो वीरेन के तपते होंठ उसके चेहरे पे आ गये.

उसके दाए हाथ की उंगलिया अब वीरेन के बालो मे घूम नही रही थी बल्कि उन्हे
खींच रही थी.वीरेन की उंगलियो की रगड़ ने उसकी चूत से रस बहाना शुरू कर
दिया था.& वो अपनी कमर पीछे हिलाके उसके लंड को अपनी कसी गंद से दबा रही
थी.कामिनी को चंद्रा सहाब ने इतना चोदा था की उसे लगा था की अब 2-3 दीनो
तक उसका जिस्म किसी मर्द के लिए नही तडपेगा मगर वीरेन की हर्कतो ने 1 बार
फिर उसके बदन की आग को भड़का दिया था.होटेल के अंधेरे कमरे की तन्हाई मे
पीछे से गंद पे दबाता वीरेन का लंड & चूत मे खलबली मचाती उसकी
उंगलिया..आख़िर कामिनी कब तक सह पाती & थोड़ी ही देर मे वो झाड़ गयी.

वीरेन ने उसकी पॅंटी से हाथ बाहर निकाला & उसे दिखा के अपनी दोनो उंगलियो
को बारी-2 से चाट के उनपे लगा कामिनी की चूत का पानी सॉफ किया. इस हरकत
से कामिनी के दिल मे अपने प्रेमी के लिए प्यार का सैलाब उमड़ पड़ा & उसने
वैसे ही करवट से लेटे हुए उसके सर को नीचे खींच उसके होंठो को शिद्दत से
चूमने लगी.उसे चूमते हुए वीरेन उसकी पॅंटी को नीचे सरका रहा था.कामिनी ने
घुटने मोड़ के उपर किए & वीरेन ने 1 झटके मे पॅंटी को उसकी टांगो से
निकाल दिया.

उसके हाथ अब कामिनी की नाइटी को उपर खींच रहे थे.कामिनी ने उसके मन की
बात समझते हुए उसके होंठो को छ्चोड़ा & थोड़ा सा उठी & 1 ही पल मे उसकी
नाइटी भी उसके बदन से अलग हो गयी.वो फिर से अपनी दाई करवट पे लेट गयी &
उसके पीछे वीरेन उसकी पीठ चूमते हुए उसके ब्रा के हुक्स खोल रहा था.हुक्स
खुलते ही उसने कामिनी की नंगी पीठ पे किस्सस की झड़ी लगा दी.कामिनी उसकी
हर किस पे ऐसे छट-पटाती मानो उसके बदन से किसी ने कुच्छ बहुत गरम चीज़
सटा दी हो.उसका बदन पूरी तरह से मस्ती मे डूब चुका था & उसे वीरेन की
हर्कतो से बहुत मज़ा मिल रहा था.

अपने दाए हाथ को कामिनी के बदन पे फिसलाते हुए उसने ब्रा स्ट्रॅप्स को
उसके कंधो से नीचे किया तो कामिनी ने खुद ही अपनी बाँहो से उन्हे निकाल
दिया.वीरेन ने कामिनी को पेट के बल किया तो कामिनी अपनी कोहनिया बिस्तर
पे जमाए उल्टी हो गयी & वीरेन उसकी पीठ से लेके कमर तक अपने होंठो के
निशान छ्चोड़ने लगा.कामिनी की खुमारी पल-2 बढ़ती जा रही थी.वीरेन के तपते
होंठ उसके बदन की आग और भड़का रहे थे & उसके हाथ जोकि कभी उसकी पीठ
सहलाते तो कभी कमर या फिर कभी उसकी गंद की मांसल फांको को मसल देते.वो
हल्के-2 अपनी चूत को बिस्तर पे रगड़ रही थी.

वीरेन की नज़रो से कामिनी की ये हरकत च्छूपी नही थी & वो भी अपनी प्रेमी
की मस्ती देख और जोश मे आ रहा था.1 बार फिर उसने अपनी प्रेमिका को उसकी
दाई करवट पे किया & पीछे से उस से चिपक गया.कामिनी ने दाया हाथ पीछे ले
जाके टटोला तो पाया की वीरेन केवल अंडरवेर मे था.उसने उसके उपर से ही
उसके लंड को दबोचा.उसके हाथो ने महसूस किया की अंडरवेर के वेस्ट बंद के
उपर से वीरेन का लंड निकालने की कोशिश मे है तो उसने अंडरवेर नीचे कर
दिया.वीरेन ने अपनी प्रेमिका की बात मानते हुए झट से अंडर वीयर को निकाल
फेंका.कामिनी वैसे ही गर्दन घुमा उसे चूमते हुए उसके लंड को हिलाने
लगी.वीरेन ने अपनी बाई बाँह उसकी गर्दन के नीचे लगाई & उसे घुमाते हुए
उसकी चूचियो को दबोच लिया & दाए से उसकी चूत के दाने को रगड़ने लगा.

कामिनी अब फिर से हवा मे उड़ रही थी,वीरेन का लंड भी अब बस उसकी चूत से
मिलना चाहता था.वीरेन ने उसका हाथ लंड से अलग किया तो कामिनी ने दोनो हाथ
आगे कर बिस्तर पे रख दिए & अपने घुटने मोड़ लिए.ऐसा करने से उसकी चूत तो
पीछे से नुमाया हो गयी मगर पहले से ही कसी चूत अब थोड़ी और सांकरी भी हो
गयी.वीरेन जानता था की ऐसे मे जब लंड चूत मे दाखिल होगा तो दोनो आशिक़ो
का मज़ा दोगुना हो जाएगा.उसने अपने दाए हाथ से अपने लंड को थामा & उसे
धीरे-2 कामिनी की गीली चूत मे घुसाने लगा.

"ऊवन्न्‍णणन्.....आन्न्‍नननणणन्......!",कामिनी की आहे तेज़ हो गयी.वीरेन
का दाया हाथ कामिनी के घुटने से लेके उसकी कमर तक घूम रहा था & उसकी कमर
तेज़ी से हिल रही थी.उसके होंठ अपनी महबूबा के हसीन चेहरे पे घूम रहे थे
& वो भी बेचैनी से कभी उसके सर को थामती तो कभी अपना बाया हाथ पीछे ले जा
उसकी बाई जाँघ सहलाने लगती.

"जानेमन..",वीरेन ने कामिनी के बाए कान पे काट लिया.

"ह्म्म्म...".कामिनी अभी भी उसकी जाँघ सहला रही थी.

"तुम्हारे कहने पे आज तो मैं यहा रुक गया मगर कल से मैं अपने घर मे ही
रहूँगा.अगर कोई मुझे नुकसान पहुचाना चाहेगा तो इस बार मेरे हाथो मरेगा
वो!",अपने परिवार के अंजान दुश्मन के लिए दिल की नफ़रत कामिनी ने उसके
तेज़ हो रहे धक्को मे महसूस की.

"नही वीरेन..",उसने सर को थोड़ा घुमाया & उसके सर को अपने बाए हाथ मे
थामा,"..तुम्हे मेरी कसम तुम ऐसी कोई बेवकूफी नही करोगे.हम उसे ढूंड
निकलेंगे,जान..बस थोड़ा तो सब्र रखो. ये मेरा वादा है की अब वो नीच इंसान
अपने गुनाहो की सज़ा पाके रहेगा.",वीरेन का लंड आज कामिनी की कोख तक
पहुँच गया था & उसका हर धक्का लंड के सुपाडे को कोख के मुँह से टकराता तो
कामिनी के बदन मे मस्ती की बिजलियो की अनगिनत फुलझड़िया छूट जाती.

"अपनी कसम देके तुमने मुझे बाँध दिया है,मेरी जान.",कामिनी अपनी बाई
कोहनी पे बदन को संभाले उचक गयी थी & उसने अपनी बाई बाँह वीरेन की जाँघ
से वैसे ही लगाई रखी थी.वीरेन ने उसकी मस्त,कसी चूचियो को अपने बाए हाथ
मे दबोचा & उन्हे चूस्ते हुए गहरे धक्के लगाने लगा.कामिनी की आहे बहुत ही
तेज़ हो गयी & साथ ही वीरेन के धक्के भी.मस्ती से बहाल उसने अपने घुटने
अपनी छातियो की तरफ & मोड & वीरेन ने लंड को चूत मे थोडा और अंदर धकेला.
इस बार के धक्को ने कामिनी को पछाड़ दिया & वो 1 बार फिर झाड़ गयी.झाड़ते
ही वो बिस्तर पे निढाल हो गयी.

वीरेन ने उसे सीधा लिटा दिया,उसका लंड अभी भी चूत के अंदर था.पीठ के बल
लेटी कामिनी की बाई जाँघ को उपर उठा वीरेन सीधा हो अब उसके उपर आ गया &
अपने हाथ बिस्तर पे जमा उसके उपर से उठ के उसे चोदने लगे. इस बार उसके
धक्के काफ़ी धीमे थे.वो लंड को सूपदे तक बाहर निकलता & फिर बहुत धीरे-2
अंदर घुसता था.ऐसी चुदाई से कामिनी की चूत मे फिर से कसक उठने लगी,कामिनी
की मदहोशी का तो अब कोई अंत ही नही था.उसने वीरेन की मज़बूत बाहे थाम ली
थी & बीच-2 मे सर को उठा वो उसके तगड़े & मोटे लंड को अपनी चूत की सैर
करते देखती.

थोड़ी देर तक ऐसे ही चोदने के बाद अचानक वीरेन उसके उपर लेट गया & उसके
सख़्त निपल्स को अपने दन्तो से काटने लगा.कामिनी के बदन मे तो जैसे करेंट
दौड़ गया.वो छत-पटाती हुई आहे भरने लगी,"..हाईईईईईई...ऊओह....",वीरेन
उसके निपल्स को छ्चोड़ अपने मुँह मे उसकी मानो पूरी छाती भर लेना चाहता
था & उसे बस चूसे जा रहा था.कामिनी का उपरी जिस्म बिस्तर से उठ जैसे
वीरेन के मुँह मे अपनी छाती को और धकेल रहा था.

उसकी चूत से रस की 1 नयी धार बह रही थी & बेचैनी से अपनी टाँगे हवा मे
उठाए वो वीरेन के बदन को नोच रही थी.वीरेन ने उसकी चूचियो को अपने हाथो
से मसला & दबाया & उनके निपल्स पे चिकोटी काटी.कामिनी ने जवाब मे अपनी
टाँगे उसकी कमर पे बाँधी & अपने नखुनो से उसकी पीठ & गंद को छल्नी कर
दिया.वीरेन उसे अपने बदन से पूरा दबाए हुए था & वो भी नीचे से अपनी कमर
इतनी तेज़ी से उच्छाल रही थी की बिस्तर से 1-2 इंच उपर उठ जाती थी.

वीरेन ने अपने हाथ उसके बदन के नीचे ले जा उसे अपने आगोश मे भर लिया &
अपने होठ वाहा पे लगाए जहा से उसके सीने पे चूचियो का उभार शुरू होता
था.होत लगाके चूमने के बाद उसने इतनी ज़ोर से चूसा की कामिनी की सांस अटक
गयी & उसने अपने नाख़ून वीरेन की पीठ मे और धंसा दिए.बिस्तर से उठती हुई
वो उसके उस को पागलो की तरह चूमती 1 बार फिर झाड़ गयी.

उसके झाड़ते ही वीरेन अपने घुटनो पे बैठ गया & कामिनी की बाहे पकड़ उसे
उठाया & अपने सीने से लगा उसे अपनी गोद मे बिठा लिया.कामिनी उसके गले मे
बाहे डाल उस से चिपक के बैठ गयी.वीरेन की चुदाई से मिला चैन उसके चेहरे
पे था.वो जानती थी की वीरेन अभी नही झाड़ा है & इसलिए गोद मे बैठते ही
उसने कमर हिलाके फिर से चुदाई शुरू कर दी.वीरेन उसकी ज़ुल्फो को सँवारने
लगा तो उसने उसके चेहरे को हाथो मे भर उसे चूम लिया.दोनो 1 दूसरे को
चूमते सरगोशिया करते बहुत इतमीनान से चुदाई कर रहे थे.

"वीरेन..",कामिनी ने उसके बालो मे उंगलिया फिराई.

"ह्म्म..",वीरेन सर झुका के अपने बाए हाथ से उसकी दाई चूची को पकड़ के चूस रहा था.

"मैं आज दिन मे पंचमहल से बाहर जा रही हू....बॉमबे,1 केस के सिलसिले
मे.काम मे 2 दिन भी लग सकते हैं..ऊओवववववव..!",वीरेन ने अपने दाए हाथ से
उसकी गंद को बहुत ज़ोर से मसला था,"..& 4 दिन भी.तब तक तुम यही रहोगे.ठीक
है."

"ठीक है.",कामिनी अब बहुत तेज़ी से कमर हिला रही थी & काफ़ी देर से उसकी
चुदाई कर रहा वीरेन का लंड भी अब बहुत बेताब ही उठा था.अपनी बाहो मे भरे
अपने सीने पे वीरेन के सर को दबाए कामिनी उसकी कमर पे टाँगे लपेटे बहुत
ज़ोर से कमर हिला रही थी मगर इस पोज़िशन मे वीरेन मनचाही रफ़्तार से
धक्के नही लगा पा रहा था.उसने फ़ौरन कामिनी को बिस्तर पे लिटाया & 1 बार
फिर उसपे सवार हो उसे चोदने लगा.कामिनी का सर बिस्तर से नीचे लटक गया था
& उसके नीचे उसके घने,लंबे बाल लहरा रहे थे.वीरेन उसके गले को चूमता आहे
भरता ज़ोरदार धक्के लगा रहा था.कामिनी की चूत मे इतना ज़्यादा तनाव बन
गया था की उसे तकलीफ़ होने लगी थी.उसने वीरेन के बदन को और भींच लिया &
चीखने लगी.उसकी चूत की सिकुड़ने-फैलने की हरकत शुरू हो गयी थी जिसने
वीरेन को मज़ा दिलाया जो उसे हर बार हैरान कर देता था.उसका बदन झटके खाने
लगा & उसका गरम,गाढ़ा विर्य कामिनी की चूत मे भरने लगा.विर्य की फुहार से
कामिनी की चूत भी झाड़ गयी & इस बार झड़ने की शिद्दत इतनी ज़्यादा थी की
कामिनी की आँखो से आँसू निकल पड़े & गले से सिसकियाँ.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
क्रमशः......................


बदला पार्ट--46

गतान्क से आगे..
Kamini bahut gehri neend me thi jab use apne pet pe kuchh mehsus
hua..vo to apne bedroom me soyi thi fir ye kya tha?!ghabra ke usne
apna hath pet pe rakha to uske hatho me Viren ka hath fans gaya tab
use yaad aaya ki raat vo apne gahr nahi gayi thi balki Chandra Sahab
ke sath puri sham unki baaho me guzarne ke baad vo viren ko dekhne
hotel aa gayi thi & yehi ruk gayi thi.

viren ne jab use baaho me bahr chudai ki khwahish zahir ki thi to usne
apni thakan ke chalte use mana kar diya tha & so gayi thi. is waqt vo
apni bayi karwat pe leti thi.raat ko usne hotel ke hi store se jo
sleeveless ghutno tak ki nighty kharidi thi vo uski kamar ke upar aa
chuki thi & uske peechhe se uske badan se laga viren apne daye hath se
uske chikne pet ko sehlate hue uski gardan ke peechhe uske baalo me
chehra chhupaye chum raha tha.

"ummm....",kamini ne apna daya hath peechhe le jake viren ke sar ko
tham uske baal sehlate hue angdayi li to viren ka hath uski panty me
ghus gaya,"....uunnnn..!",kamini ne apne ghutne aage ki taraf mod
liye.aisa karne se uski gand peechhe ko thod aur nikal gayi & uski
darar me viren ka kada lund chubh gaya.viren ki ki ungliya uski chut
ke andar-bahar ho rahi thi.kamini ne gardan dayi taraf upar ghumayi to
viren ke tapte honth uske chehre pe aa gaye.

uske daye hath ki ungliya ab viern ke balo me ghum nahi rahi thi balki
unhe khinch rahi thi.viren ki ungliyo ki ragad ne uski chut se ras
bahana shuru kar diya tha.& vo apni kamar peechhe hilake uske lund ko
apni kasi gand se daba rahi thi.kamini ko chandra ashab ne itna choda
tha ki use laga tha ki ab 2-3 dino tak uska jism kisi mard ke liye
nahi tadpega magar viren ki harkato ne 1 baar fir uske badan ki aag ko
bhadka diya tha.hotel ke andhere kamre ki tanhai me peechhe se gand pe
dabta viren ka lund & chut me khalbali machati uski ungliya..aakhir
kamini kab tak seh pati & thodi hi der me vo jhad gayi.

viren ne uski panty se hath bahar nikala & use dikha ke apni dono
ungliyo ko bari-2 se chat ke unpe laga kamini ki chut ka pani saaf
kiya. is harklat se kamini ke dil me apne premi ke liye pyar ka sailab
umad pada & usne vaise hi karwat se lte hue uske asr ko neeche khinch
uske hotho ko shiddat se chumne lagi.use chumte hue viren uski panty
ko neeche asrka raha tha.kamini ne ghutne mod ke upar kiye & viren ne
1 jhatke me panty ko uski tango se nikal diya.

uske hath ab kamini ki nighty ko upar khinch rahe the.kamini ne uske
man ki baat samajhte hue uske hotho ko chhoda & thoda sa uthi & 1 hi
pal me uski nighty bhi uske badan se alag ho gayi.vo fir se apni dayi
karwat pe let gayi & uske peechhe viren uski pith chumte hue uske bra
ke hooks khol raha tha.hooks khulte hi usne kamini ki nangi pith pe
kisses ki jhadi laga di.kamini uski har kiss pe aise chhatpatati mano
uske badan se kisi ne kuchh bahut garam chiz sata di ho.uska badan
puri tarah se masti me dub chuka tha & use viren ki harkato se bahut
maza mil raha tha.

apne daye hath ko kamini ke badan pe fislate hue usne bra straps ko
uske kandho se neeche kiya to kamini ne khud hi apni baho se unhe
nikal diya.viren ne kamini ko pet ke bal kiya to akmini apni kohniya
bistar pe jamaye ulti ho gayi & viren uski pith se leke kamar tak apne
hotho ke nishan chhodne laga.kamini ki khumari pal-2 badhti ja rahi
thi.viern ke tapte honth uske badan ki aag aur bhadka rahe the & uske
hath joki kabhi uski pith sehlate to kabhi kamar ya fir kabhi uski
gand ki mansal fanko ko masal dete.vo halke-2 apni chut ko bistar pe
ragad rahi thi.

viren ki nazro se kamini ki ye harkat chhupi nahi thi & vo bhi apni
premi ki masti dekh aur josh me aa raha tha.1 baar fir usne apni
premika ko uski dayi karwat pe kiya & peechhe se us se chipak
gaya.kamini ne daya hath peechhe le jake tatola to paya ki viren kewal
underwear me tha.usne uske upar se hi uske lund ko dabocha.uske hatho
ne mehsus kiya ki underwear ke waist band ke upar se viren ka lund
nikalne ki koshish me hai to usne underwear neeche kar diya.viren ne
apni premika ki baat mante hue jhat se under ear ko nikal fenka.kamini
vaise hi gardan ghuma use chumte hue uske lund ko hilane lagi.viren ne
apni bayi banh uski gardan ke neeche lagayi & use ghumate hue uski
chhatiyo ko daboch liya & daye se uski chut ke dane ko ragadne laga.

kamini ab fir se hawa me ud rahi thi,viren ka lund bhi ab bas uski
chut se milna chahta tha.viren ne uska hath lund se alag kiya to
kamini ne dono hath aage kar bistar pe rakh diye & apne ghutne mod
liye.aisa karne se uski chut to peechhe se numaya ho gayi magar pehle
se hi kasi chut ab thodi aur sankari bhi ho gayi.viren janta tha ki
aise me jab lund chut me dakhil hoga to dono aashiqo ka maza doguna ho
jayega.usne apne daye hath se apne lund ko thama & use dhire-2 kamini
ki gili chit me ghusane laga.

"ooonnnnn.....aannnnnnnn......!",kamini ki aahe tez ho gayi.viren ka
daya hath kamini ke ghutne se leke uski kamar tak ghum raha tha & uski
kamar tezi se hil rahi thi.uske honth apni mehbuba ke hasin chehre pe
ghum rahe the & vo bhi bechaini se kabhi uske sar ko thamti to kabhi
apna baya hath peechhe le ja uski bayi jangh sehlane lagti.

"janeman..",viern ne kamini ke baye kaan pe kaat liya.

"hmmm...".kamini abhi bhi uski jangh sehla rahi thi.

"tumhare kehne pe aaj to main yaha ruk gaya magar kal se main apne
ghar me hi rahunga.agar koi mujhe nuksan pahuchana chahega to is baar
mere hatho marega vo!",apne parivar ke anjan dushman ke liye dil ki
nafrat kamini ne uske tez ho rahe dhakko me mehsus ki.

"nahi viren..",usne sar ko thoda ghumaya & uske sar ko apne baye hath
me thama,"..tumhe meri kasam tum aisi koi bevkufi nahi karoge.hum use
dhoond nikalenge,jaan..bas thoda to sabra rakho. ye mera vada hai ki
ab vo neech insan apne gunaho ki saza pake rahega.",viren ka lund aaj
kamini ki kokh tak pahunch gaya tha & uska har dhakka lund ke supade
ko kokh ke munh se takrata to kamini ke badan me masti ki bijliyo ki
anginat phuljhadiya chhut jati.

"apni kasam deke tumne mujhe bandh diya hai,meri jaan.",kamini apni
bayi kohni pe badan ko sambhale uchak gayi thi & usne apni bayi banh
viren ki jangh se vaise hi lagayi raklhi thi.viren ne uski mast,kasi
chhatiyo ko apne baye hath me dabocha & unhe chuste hue gehre dhakke
lagane laga.kamini ki aahe bahut hi tez ho gayi & sath hi viren ke
dhakke bhi.masti se behal usne apne ghutne apni chhatiyo ki taraf &
mode & viren ne lund ko chut me thoda aur andar dhakela. is baar ke
dhakko ne kamini ko pachhad diya & vo 1 bar fir jhad gayi.jhadte hi vo
bistar pe nidhal ho gayi.

viren ne use seedha lita diya,uska lund abhi bhi chut ke andar
tha.pith ke bal leti kamini ki bayi jangh ko upar utha viren seedha ho
ab uske upar aa gaya & apne hath bistar pe jama uske upar se uth ke
use chodne lage. is bar uske dhakke kafi dheeme the.vo lund ko supade
tak bahar nikalta & fir bahut dhire-2 andar ghusata tha.aisi chudai se
kamini ki chut me fir se kasak uthne lagi,kamini ki madhoshi ka to ab
koi ant hi nahi tha.usne viren ki mazbut baahe tham li thi & beech-2
me sar ko utha vo uske tagde & mote lund ko apni chut ki sair karte
dekhti.

thodi der tak aise hi chodne ke baad achanak viren uske uapr let gaya
& uske sakht nipples ko apne danto se katne laga.kamini ke badan me to
jaise current daud gayaq.vo chhatpatati hui aahe bharne
lagi,"..haiiiiiii...ooohhhhhh....",viren uske nipples ko chhod apne
munh me uski mano puri chhati bhar lena chahta tha & use bas chuse ja
raha tha.kamini ka upari jism bistar se uth jaise viren ke munh me
apni chhati ko aur dhakel raha tha.

uski chut se ras ki 1 nayi dhar beh rahi thi & bechaini se apni tange
hawa me uthaye vo viren ke badan ko noch rahi thi.viren ne uski
choochiyo ko apne hatho se masla & dabaya & unke nipples pe chikoti
kati.kamini ne jawab me apni tange uski kamar pe bandhi & apne nakhuno
se uski pith & gand ko chhalni kar diya.viren use apne badan se pura
dabaye hue tha & vo nfie bhi neeche se apni kamar itni tezi se uchhal
rahi thi ki bistar se 1-2 inch upar uth jati thi.

viren ne apne hath uske badan ke neeche le ja sue apne agosh me bhar
liya & apne hoth vaha pe lagaye jaha se uske seene pe chhatiyo ka
ubhar shuru hota tha.hoth lagake chumne ke baad usne itni zor se chusa
ki kamini ki sans atak gayi & usne apne nakhun viren ki pith me aur
dhansa diye.bistar se uthati hui vo uske asr ko paglo ki taragh chumti
1 baar fir jhad gayi.

uske jhadte hi viren apne ghutno pe baith gaya & kamini ki baahe pakad
use uthaya & apne seene se laga use apni god me bitha liya.kamini uske
gale me baahe daal us se chipak ke baith gayi.viren ki chudai se mila
chain uske chehre pe tha.vo janti thi ki viren abhi nahi jhada hai &
isliye giod me baithate hi usne kamar hilake fir se chudai shuiru kar
di.viern uski zulfo ko sanwarne laga to usne uske chehre ko hatho me
bhar use chum liya.dono 1 dusre ko chumte sargoshiya karte bahut
itminan se chudai kar rahe the.

"viren..",kamini ne uske balo me ungliya firayi.

"hmm..",viren sar jhuka ke apne baye hath se uski dayi chhati ko pakad
ke chus raha tha.

"main aaj din me Panchmahal se bahar ja rahi hu....Bombay,1 case ke
silsile me.kaam me 2 din bhi lag sakte hain..ooowwwwww..!",viren ne
apne daye hath se uski gand ko bahut zor se masla tha,"..& 4 din
bhi.tab tak tum yahi rahoge.thik hai."

"thik hai.",kamini ab bahut tezi se kamar hila rahi thi & kafi der se
uski chudai kar raha viren ka lund bhi ab bahut betab hi utha tha.apni
baaho me bahre apne seene pe viren ke sar ko dabaye kamini uski kamar
pe tange lapete bahut zor se kamar hila rahi thi magar is position me
viren manchahi raftar se dhakke nahi laga pa raha tha.usne fauran
kamini ko bistar pe litaya & 1 baar fir uspe savar ho use chodne
laga.kamini ka sar bistar se neeche latak gaya tha & uske neeche uske
ghane,lumbe baal lehra rahe the.viren uske gale ko chumta aahe bharta
zordar dhakke laga raha tha.kamini ki chut me itna zyada tanav ban
gaya tha ki use taklif hone lagi thi.usne viren ke badan ko aur bhinch
liya & chikhne lagi.uski chut ki sikudne-failne ki hakat shuru ho gayi
thi jisne viren ko maza dilaya jo use har baar hairan kar deta
tha.uska badan jhatke khane laga & uska garam,gadha virya kamini ki
chut me bharne laga.virya ki fuhar se kamini ki chut bhi jhad gayi &
is baar jhadne ki shiddat itni zyada thi ki kamini ki aankho se aansu
nikal pade & gale se siskiyaan.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj

--

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator