बदला पार्ट--4
गतान्क से आगे.
कामिनी ने किताबो का बंड्ल हाथो मे उठाया & चंद्रा साहब के ड्रॉयिंग रूम
मे दाखिल हुई.दोपहर का वक़्त था,लग रहा था सब सो रहे हैं.अभी 2 दिन पहले
ही वो उनसे मिली थी & आज यहा आने का उसका इरादा नही था मगर ये कुच्छ
क़ानूनी किताबे थी जो चंद्रा साहब ढूंड रहे थे.इत्तेफ़ाक़ से ये आज
कामिनी को कही मिल गयी तो उसने सोचा की खुद ही उन्हे दे आए तो पंचमहल
क्लब जाने से पहले वो यहा आ गयी.
कोई नौकर भी नज़र नही आ रहा था,उसने दरवाज़े पे दस्तक
दी,"अरे,कामिनी..अचानक!",दस्तक सुन कर आए चंद्रा साहब की बान्छे उसे
देखते ही खिल गयी.
"आप ही की कितबे देने आई हू.",चंद्रा साहब ने उसके हाथ से बंड्ल लिया &
उसे खींच कर दरवाज़ा बंद कर लिया.
"आंटी कहा हैं?...ऊफ्फ..छ्चोड़िए ना....!",वो कामिनी को बाहो मे भर के
दीवानो की तरह चूमे जा रहे थे.
"अंदर मालिश वाली से मालिश करवा रही है.",कामिनी ने आज घुटनो तक की
काले-सफेद प्रिंट वाली ड्रेस पहनी थी.ड्रेस उसकी छातियो के नीचे तक कसी
हुई थी फिर बिल्कुल ढीली.इसी का फाय्दा उठा ते हुए चंद्रा साहब ने उसकी
ड्रेस मे नीचे से हाथ घुसा के उसकी भारी गंद की फांको को दबोच लिया था.
"उन्होने ड्रेस को कमर तक उठा दिया,"हूँ..आज काली पॅंटी पहनी है
तुमने.ब्रा भी काला ही है क्या?",उनकी ऐसी बेशर्म बात सुनके कामिनी के
चेहरे का रंग हया से सुर्ख हो गया.
"अभी आंटी से आपकी शिकायत करती हू..",उसने उन्हे परे धकेला & अंदर जाने लगी.
"क्या कहोगी?"
"कहूँगी की जवान लड़कियो से उनके ब्रा का रंग पुछ्ते हैं..आपको ज़रा काबू
मे रखें..हाआ...!",चंद्रा साहब ने उसे पीछे से पकड़ लिया था & उसकी गर्दन
चूमने लगे थे.
"चलो कमरे मे चलते हैं..आधा घंटा लगेगा अभी उसे मालिश मे.",चंद्रा साहब
ने ड्रेस के उपर से ही उसकी चूचिया दबाई.
"..ऊवन्न्नह...नही..",कामिनी उनकी पकड़ से निकल भागी & घर के अंदर चली
गयी.1 कमरे से होके उस कमरे का रास्ता था जिसमे मिसेज़.चंद्रा मालिश करवा
रही थी,नमस्ते आंटी.",कामिनी ने कमरे के दरवाज़े पे जाके कहा.
"अरे कामिनी.कैसे आना हुआ?"
"सर को कुच्छ किताबे देने आई थी."
"अच्छा तो उनसे बाते करो लेकिन मेरे आने के पहले जाना मत..क्या करू?इधर
जोड़ो मे बहुत दर्द था इसलिए ये मालिश भी ज़रूरी है."
"हां-2 आंटी,आप मालिश करवाईए मैं बैठती हू."
तब तक चंद्रा साहब वाहा आ गये & उसे बाहो मे भर के वाहा से ले जाने लगे
मगर कामिनी मानी नही,"चलो दूसरे कमरे मे चलते हैं.",उन्होने उसे चूमा.
"नही..यही रहिए..",वो फुसफुसाई.दूसरे कमरे मे उनकी बीवी थी & यहा ये खेल
खेलने मे उसे फिर से वही मज़ा आने वाला था जो डर & रोमांच के एहसास से
पैदा होता था.उसने अपने गुरु के गले मे बाहे डाल दी & उनके होठ चूमने
लगी.चंद्रा साहब के हाथ 1 बार फिर उसकी गंद पे चले गये थे.जिस कमरे मे
मिसेज़.चंद्रा थी & जिस कमरे मे ये दोनो 1 दूसरे को चूम रहे थे उनके बीचे
की दीवार से लगा 1 शेल्फ था.
चंद्रा साहब कामिनी को चूमते हुए उस शेल्फ पे ले गये & उसे उसपे बिठा
दिया..आख़िर क्या कशिश थी इस लड़की मे जो वो भी किसी कॉलेज के लड़के की
तरह बर्ताव करने लगे थे..जैसी हरकतें..जैसी बाते वो इसके साथ करते थे
वैसी तो उन्होने अपनी बीवी से भी आज तक नही की थी.
शेल्फ पे बैठते ही कामिनी ने अपनी टाँगे फैला दी & चंद्रा साहब उनके बीच
खड़े हो उसे चूमते हुए उसकी ड्रेस के पतले स्ट्रॅप्स को कंधो से नीचे
उतारने लगे.पीठ पे लगी ज़िप को खोल उन्होने स्ट्रॅप्स को नीचे किया तो
ड्रेस सीने के नीचे उसकी गोद मे मूडी सी पड़ गयी,"..हां,काला ही
है.",उसके ब्रा को देखते ही उनके मुँह से निकला.
उनकी बात से कामिनी के होंठो पे मुस्कान आ गयी & उसने अपना हाथ नीचे ले
जाके उनके पाजामे की डोर खींच दी,पाजामा नीचे गिरा & उनका लंड उसके हाथो
मे आ गया.चंद्रा साहब ने बिना ब्रा खोले उसे उपर कर उसकी चूचियो को नंगा
किया,"कामिनी..तुम यही हो क्या?"
"जी आंटी..यही मॅगज़ीन पढ़ रही हू..सर कुच्छ काम कर रहे हैं उन्हे
डिस्टर्ब करना ठीक नही लगा."
"अच्छा..मैं भी बस 15-20 मिनिट मे फ्री हो जाऊंगी."
"ओके,आंटी.",उनकी बातचीत के दौरान वो लगातार चंद्रा साहब का लंड हिलाती
रही & वो झुक के उसकी चूचिया चूस्ते रहे.कामिनी उनका सर अपने सीने से
उठाया & झुक के उनके लंड को मुँह मे भर लिया.वो शेल्फ पे बैठी हुई झुक के
उनका लंड चूस रही थी & वो बेचैनी से उसकी पीठ पे हाथ फेर रहे थे & बीच-2
मे झुक के उसकी पीठ पे चूम रहे थे.उनकी असिस्टेंट लंड चूसने मे माहिर थी
& कुच्छ पॅलो बाद ही चंद्रा साहब को ऐसा लगा की अगर उन्होने उसे नही रोका
तो वो अब झाड़ जाएँगे & वो ऐसा नही चाहते थे.
उन्होने उसके सर को अपने लंड से अलग किया & उपर उठाया.काले,घने बालो से
घिरा कामिनी का खूबसूरत चेहरा इस वक़्त मदहोशी के रंग से सराबोर था.उसकी
काली,बड़ी-2 आँखो मे झाँकते हुए चंद्रा साहब ने उसकी पॅंटी खींची तो उसने
अपनी टाँगे हवा मे उठा दी & जैसे ही उन्होने अपना लंड उसकी चूत पे रख के
धक्का मारा उसने उनके गले मे बाहे डाल दी & हवा मे उठी टाँगो को उनकी कमर
पे लपेट उन्हे अपनी गिरफ़्त मे ले लिया.
"आहह....!",लंड जैसे ही चूत मे घुसा कामिनी कराही.
"क्या हुआ कामिनी?"
"कुच्छ नही,आंटी..आपके घर मे 1 बड़ा सा चूहा है..",उसने अपने गुरु की
आँखो मे देखते हुए मस्ती मे पागल हो उनके बाए कान को काट लिया.चंद्रा
साहब उसका इशारा समझ गये थे & उन्होने अपने धक्के तेज़ कर दिए.
"नौकर से कहके कल ही दवाई डलवाती हू वरना बड़ा नुकसान कर देगा."
"दवाई से इसका कुच्छ नही बिगड़ेगा..",कामिनी ने आँखो से चंद्रा साहब को
उनके लंड की ओर इशारा किया & अपनी कमर हिलाने लगी,"..बहुत बड़ा है..इसके
लिए तो कोई चूहे दानी लाइए.",उसकी बात से चंद्रा सहाब जोश मे पागल हो गये
& उसकी गंद को थाम तेज़ी से धक्के लगाने लगे.
कामिनी उनके गले से लगी हुई उनके बाए कंधे पे सर रखे हुए,अपनी टाँगे
लपेटे उनके धक्के झेले जा रही थी.इस तरह से खड़े होकर चोदने से चंद्रा
साहब का लंड ना केवल उसकी चूत की दीवारो को बल्कि उसके दाने को भी रगड़
रहा था & वो बहुत मस्त हो गयी थी.दोनो को पता था की अब किसी भी वक़्त
मिसेज़.चंद्रा की मालिश ख़त्म हो सकती है सो दोनो अब शिद्दत से झड़ने की
कोशिश कर रहे थे.
चंद्रा साहब के हाथो मे उसकी चौड़ी गंद का एहसास उन्हे पागल कर रहा था &
उसकी बातो ने तो उनका जोश बढ़ा ही दिया था,कामिनी भी इस मौके से & पकड़े
जाने के डर से कुच्छ ज़्यादा ही रोमांचित थी & उसकी चूत भी अब
सिकुड़ने-फैलने लगी थी.उसकी चूत की इस हरकत से चंद्रा साहब को पता चल
जाता था की उनकी शिष्या झड़ने वाली है,साथ ही उनका लंड भी मस्ती मे
बेक़ाबू हो जाता था.कामिनी अपने होठ काट कर अपनी आहो को रोक रही थी &
चंद्रा साहब उसके बाए कंधे पे सर रखे बस धक्के पे धक्के लगाए चले जा रहे
थे.
तभी कामिनी की चूत मे बन रहा सारा तनाव अपनी चरम सीमा पे पहुँच गया..उसके
गले से निकलती आह को उसने अपने गुरु के कंधे मे सर च्छूपा के वाहा पे
काटते हुए दफ़्न किया & झड़ने लगी,चंद्रा साहब का लंड भी पिचकारिया
छ्चोड़ अपना गाढ़ा पानी उसकी चूत मे गिराने लगा.
"लो हो गया,मालकिन.",अंदर से मालिश वाली की आवाज़ आई तो कामिनी जल्दी से
शेल्फ से उतरी & अपना ब्रा & ड्रेस ठीक करने लगी.उसने देखा की उसकी ज़मीन
पे गिरी पॅंटी चंद्रा साहब उठा के अपनी जेब के हवाल कर रहे हैं.
"आज नही..",कामिनी ने उनसे पॅंटी छीनी & तुरंत अपनी टाँगे उसमे डाल के
उसे उपर चढ़ा लिया,फिर उन्हे जल्दी से 1 किस दी & पास पड़ी कुर्सी पे बैठ
गयी.मिसेज़.चंद्रा के आने के बाद थोड़ी देर तक उसने उनसे बात की & फिर
क्लब चली गयी.
........................................
"अरे दवाइयाँ तो भूल ही गये..!",नाश्ते की मेज़ से उठ के दफ़्तर की ओर
बढ़ते सुरेन सहाय के कदम बीवी की आवाज़ सुनते ही रुक गये.
"लाओ..",उन्होने देविका के हाथो से दवा & पानी का ग्लास लेके दवा खा ली.
"चलिए.."
"कहा?"
"भूल गये?..आज से मैं भी दफ़्तर आने वाली हू."
"गुड मॉर्निंग,डॅडी!..गुड मॉर्निंग,मुम्मा!",सीढ़ियो से नीचे उतरते
प्रसून को देख दोनो के चेहरे पे मुस्कुराहट खिल गयी.
"गुड मॉर्निंग,बेटा!आज कितनी देर से उठा है?",देविका ने उसके बालो मे हाथ फेरा.
"सॉरी ममा!..पता ही नही चला ना..आज सूरज तो निकला ही नही!",सुरेन जी उसकी
बात सुनके हैरान हुए & देविका की ओर सवालिया नज़रो से देखा.
"बेटा,सूरज निकला है मगर बादल छाए हुए है ना..तो उनके पीछे छुप गया
है.",हंसते हुए उसने सुरेन जी को देखा तो उनकी भी हँसी छूट गयी.
"ओह्ह..तो क्या सूरज भी लूका-छीपी खेलता है ममा?"
"हां,देखो खेल तो रहा है..लेकिन जब हवा चलेगी ना तो बदल उड़ जाएँगे & फिर
वो दिखने लगेगा."
"हां..फिर पकड़ा जाएगा..फिर हम छुपेन्गे & वो हमे ढूंदेगा!",प्रसून खुशी
से ताली बजाने लगा.
"हां बेटा..अच्छा चलो अब नाश्ता करो.."
"आप नही करेंगी?"
"मैने कर लिया बेटा."
"मेरा वेट नही किया आपने.",प्रसून बच्चे की तरह रूठ गया..अब था तो वो 1
बच्चा ही.24 साल का हो गया था वो,6 फिट का कद,अच्छे ख़ान-पान & रहन-सहन
से शरीर भी काफ़ी भरा & मज़बूत हो गया था मगर दिलोदिमाग से वो कोई 7-8
बरस के बच्चे जैसा ही था.
"सॉरी बेटा मगर क्या करती आप ही देर से उठे & फिर आज ममा को डॅडी के साथ
ऑफीस भी जाना है ना."
"वाउ!..तो मैं भी चलु."
"नही,प्रसून..अभी नही..तुम तो लंचटाइम मे आते हो ना मेरा लंच
लेके.",सुरेन जी ने अपनी एकलौती औलाद को समझाया.
"..तो मैं घर मे अकेला क्या करूँगा?"
"अकेला कहा है..ये देख सभी तो हैं..",देविका ने नौकर-नौकरानियो की ओर
इशारा किया.वो सब भी प्रसून से 1 बच्चे की तरह ही पेश आते थे,"वो देख
रजनी भी आ गयी..रजनी चलो प्रसून को नाश्ता कराओ & इसे अकेला बिल्कुल मस्त
छ्चोड़ना वरना मैं आके तुम्हे बहुत डाँट लगाउन्गि!",डेविका ने प्रसून को
खुश करने के लिए रजनी से कहा.
"जी,मॅ'म..ये रहा भाय्या का नाश्ता..आज तो बाय्ल्ड एग्स हैं!",रजनी ने
टोस्ट पे मक्खन लगाके उसकी तश्तरी मे रखे.
"रजनी,सब संभाल लेना.",देविका सुरेन जी के पीछे तेज़ कदमो से दफ़्तर जा रही थी.
"डॉन'ट वरी,मॅ'म.आप बेफ़िक्र रहिए.",रजनी ने उसे भरोसा दिलाया.यू तो घर
मे कई नौकर थे मगर देविका को रजनी पे सबसे ज़्यादा भरोसा था.
35 साल की बहुत साधारण शक्ल-सूरत वाली साँवले रंग की रजनी थी भी बहुत
नेक्दिल & लगन से अपना काम करती थी.उसके मा-बाप ने उसकी शादी की बहुत
कोशिश थी मगर उन्हे कोई ऐसा लड़का नही मिला जोकि रजनी की मामूली शक्ल के
पीछे छुपे उसके गुण देख सकता,धीरे-2 रजनी ने भी शादी की आस छ्चोड़ दी थी
& पूरी तरह से सहाय परिवार की सेवा मे खुद को डूबा लिया था.
मगर इधर कुच्छ दीनो से उसकी सोई ख्वाहिशे फिर से जाग उठी थी,उसके दिल मे
फिर से अरमान मचलने लगे थे.इस सबका कारण था इंदर.सारे नौकरो को हफ्ते मे
1 छुट्टी मिलती थी-रविवार को.ज़्यादातर नौकर एस्टेट के आस-पास के गाँवो
या फिर हलदन से थे तो इस दिन अपने परिवार से मिलने चले जाते थे केवल 1
रजनी ही थी जोकि यहा की नही थी तो वो कभी भी छुट्टी नही लेती थी.
क्रमशः..............
BADLA paart--4
gataank se aage.
kamini ne kitabo ka bundle hatho me uthaya & Chandra Sahab ke drawing
room me dakhil hui.dopahar ka waqt tha,lag raha tha sab so rahe
hain.abhi 2 din pehle hi vo unse mili thi & aaj yaha aane ka uska
irada nahi tha magar ye kuchh kanooni kitabe thi jo chandra sahab
dhoond rahe the.ittefaq se ye aaj kamini ko kahi mil gayi to usne
socha ki khud hi unhe de aaye to Panchmahal club jane se pehle vo yaha
aa gayi.
koi naukar bhi nazar nahi aa raha tha,usne darwaze pe dastak
di,"are,kamini..achanak!",dastak sun kar aaye chandra sahab ki
baanchhe use dekhte hi khil gayi.
"aap hi ki kitabe dene aayi hu.",chandra sahab ne uske hath se bundle
liya & use khinch kar darwaza band kar liya.
"aunty kaha hain?...ooff..chhodiye na....!",vo kamini ko baaho me bhar
ke deewano ki tarah chume ja rahe the.
"andar malishwali se malish karwa rahi hai.",kamini ne aaj ghutno tak
ki kale-safed print vali dress pehni thi.dress uski chhtiyo ke neeche
tak kasi hui thi fir bilkul dhili.isi ka fayda utha te hue chandra
sahab ne uski dress me neeche se hath ghusa ke uski bhari gand ki
fanko ko daboch liya tha.
"unhone dress ko kamar tak utha diya,"hun..aaj kali panty pehni hai
tumne.bra bhi kala hi hai kya?",unki aisi besharm baat sunke kamini ke
chehre ka rang haya se surkh ho gaya.
"abhi aunty se aapki shikayat karti hu..",usne unhe pare dhakela &
andar jane lagi.
"kya kahogi?"
"kahungi ki jawan ladkiyo se unke bra ka rang puchhte hain..aapko zara
kabu me rakhen..haaaa...!",chandra sahab ne use peechhe se pakad liya
tha & uski gardan chumne lage the.
"chalo kamre me chalte hain..aadha ghanta lagega abhi use malish
me.",chandra sahab ne dress ke upar se hi uskic hhatiya dabayi.
"..ooonnnhhh...nahi..",kamini unki pakad se nikal bhagi & ghar ke
andar chali gayi.1 kamre se hoke us kamre ka rasta tha jiame
mrs.chandra malish karwa rahi thi,namaste aunty.",kamini ne kamre ke
darwaze pe jake kaha.
"are kamini.kaise aana hua?"
"sir ko kuchh kitabe dene aayi thi."
"achha to unse baate karo lekin mere aane ke pehle jana mat..kya
karu?idhar jodo me bahut dard tha isliye ye malish bhi zaruri hai."
"haan-2 aunty,aap malish karwaiye main baithti hu."
tab tak chandra sahab vaha aa gaye & use baaho me bhar ke vaha se le
jane lage magar kamini mani nahi,"chalo dusre kamre me chalte
hain.",unhone use chuma.
"nahi..yahi rahiye..",vo phusphusayi.dusre kamre me unki biwi thi &
yaha ye khel khelne me use fir se vahi maza aane wala tha jo darr &
romanch ke ehsas se paida hota tha.usne apne guru ke gale me baahe dal
di & unke hoth chumne lagi.chandra sahab ke hath 1 baar fir uski gand
pe chale gaye the.jis kamre me mrs.chandra thi & jis kamre me ye dono
1 dusre ko chum rahe the unke beeche ki deewar se laga 1 shelf tha.
chandra sahab kamini ko chumte hue us shelf pe le gaye & use uspe
bitha diya..aakhir kya kashish thi is ladki me jo vo bhi kisi college
ke ladke ki tarah bartav karne lage the..jaisi harkaten..jaisi baate
vo iske sath karte the vaisi to unhone apni biwi se bhi aaj tak nahi
ki thi.
shelf pe baithate hi kamini ne apni tange faila di & chandra sahab
unke beech khade ho use chumte hue uski dress ke patle straps ko
kandho se neeche utarne lage.pith pe lagi zip ko khol unhone straps ko
neeche kiya to dress seene ke neeche uski god me mudi si pad
gayi,"..haan,kala hi hai.",uske bra ko dekhte hi unke munh se nikla.
unki baat se kamini ke hotho pe muskan aa gayi & usne apna hath neeche
le jake unke pejame ki dor khinch di,pajama neeche gira & unka lund
uske hatho me aa gaya.chandra sahab ne bina bra khole use upar kar
uski chhatiyo ko nanga kiya,"kamini..tum yehi ho kya?"
"ji aunty..yehi magazine padh rahi hu..sir kuchh kaam kar rahe hain
unhe disturb karna thik nahi laga."
"achha..main bhi bas 15-20 minute me free ho jaoongi."
"ok,aunty.",unki baatchit ke dauran vo lagatar chandra sahab ka lund
hilati rahi & vo jhuk ke uski choochiya chuste rahe.kamini unka asr
apne seene se uthaya & jhuk ke unke lund ko munh me bhar liya.vo shelf
pe baithi hui jhuk ke unka lund chus rahi thi & vo bechaini se uski
pith pe hath fer rahe the & beech-2 me jhuk ke uski pith pe chum rahe
the.unki assistant lund chusne me mahir thi & kuchh palo baad hu
chandra sahab ko aisa laga ki agar unhone sue nahi roka to vo ab jhad
jayenge & vo aisa nahi chahte the.
unhone uske sar ko apne lund se alag kiya & upar uthaya.kale,ghane
baalo se ghira kamini ka khubsurat chehra is waqt madhoshi ke rang se
sarabor tha.uski kali,badi-2 aankho me jhankte hue chandra sahab ne
uski panty khinchi to usne apni tange hawa me utha di & jaise hi
unhone apna lund uski chut pe rakh ke dhakka mara usne unke gale me
baahe dal di & hawa me uthi tango ko unki kamar pe lapet unhe apni
giraft me le liya.
"aahhh....!",lund jaise hi chut me ghusa kamini karahi.
"kya hua kamini?"
"kuchh nahi,aunty..aapke ghar me 1 bada sa chuha hai..",usne apne guru
ki aankho me dekhte hue masti me pagal ho unke baaye kaan ko kaat
liya.chandra sahab uska ishara samajh gaye the & unhone apne dhakke
tez kar diye.
"naukar se kehke kal hi dawai dalwati hu varna bada nuksan kar dega."
"dawai se iska kuchh nahi bigdega..",kamini ne aankho se chandra sahab
ko unke lund ki or ishara kiya & apni kamar hilane lagi,"..bahut bada
hai..iske liye to koi chuhe dani laiye.",uski baat se chandra ashab
josh me pagal ho gaye & uski gand ko tham tezi se dhakke lagane lage.
kamini unke gale se lagi hui unke baaye kandhe pe sar rakhe hue,apni
tange lapete unke dhakke jhele ja rahi thi.is tarah se khade hokar
chodne se chandra sahab ka lund na kewal uski chut ki deewaro ko balki
uske dane ko bhi ragad raha tha & vo bahut mast ho gayi thi.dono ko
pata tha ki ab kisi bhi waqt mrs.chandra ki malish khatm ho sakti hai
so dono ab shiddat se jhadne ki koshish kar rahe the.
chandra sahab ke hatho me uski chaudi gand ka ehsas unhe pagal kar
raha tha & uski baato ne to unka josh badha hi diya tha,kamini bhi is
mauke se & pakde jane ke darr se kuchh zyada hi romanchit thi & suki
chut bhi ab sikudne-failne lagi thi.uski chut ki is harkat se chandra
sahab ko pata chal jata tha ki unki shishya jhadne vali hai,sath hi
unka lund bhi masti me beqabu ho jata tha.kamini apne hoth kaat kar
apni aaho ko rok rahi thi & chandra sahab uske baaye kandhe pe sar
rakhe bas dhakke pe dhakke lagaye chale ja rahe the.
tabhi kamini ki chut me ban raha sara tanav apni charam seema pe
pahunch gaya..uske gale se nikalti aah ko usne apne guru ke kandhe me
sar chhupa ke vaha pe kaatate hue dafn kiya & jhadne lagi,chandra
sahab ka lund bhi pichkariya chhod apna gadah pani uski chut me girane
laga.
"lo ho gaya,malkin.",andar se malishwali ki aavaz aayi to kamini jaldi
se shelf se utari & apna bra & dress thik karne lagi.usne dekha ki
uski zamin pe giri panty chandra sahab utha ke apni jeb ke hawal ekar
rahe hain.
"aaj nahi..",kamini ne unse panty chhini & turant apni tange usme daal
ke use upar chadha liya,fir unhe jaldi se 1 kiss di & paas padi kursi
pe baith gayi.mrs.chandra ke aane ke baad thodi der tak usne unse baat
ki & fir club chali gayi.
"are dawaiyan to bhul hi gaye..!",nashte ki mez se uth ke daftar ki or
badhte Suren Sahay ke kadam biwi ki aavaz sunte hi ruk gaye.
"lao..",unhone Devika ke hatho se dawa & pani ka glass leke dawa kha li.
"chaliye.."
"kaha?"
"bhul gaye?..aaj se main bhi daftar aane vali hu."
"good morning,daddy!..good morning,mumma!",Seedhiyo se neeche utarte
Prasun ko dekh dono ke chehre pe muskurahat khil gayi.
"good morning,beta!aaj kitni der se utha hai?",devika ne uske baalo me
hath fera.
"sorry mumma!..pata hi nahi chala na..aaj suraj to nikla hi
nahi!",suren ji uski baat sunke hairan huye & devika ki or sawaliya
nazro se dekha.
"beta,suraj nikla hai magar baadal chhaye hue hai na..to unke peechhe
chhup gaya hai.",hanste hue usne suren ji ko dekha to unki bhi hansi
chhut gayi.
"ohh..to kya suraj bhi luka-chhipi khelta hai mumma?"
"haan,dekho khel to raha hai..lekin jab hawa chalegi na to badal ud
jayenge & fir vo dikhne lagega."
"haan..fir pakda jayega..fir hum chhupenge & vo hume
dhoondega!",prasun khushi se tali bajane laga.
"haan beta..achha chalo ab nashta karo.."
"aap nahi karengi?"
"maine kar liya beta."
"mera wait nahi kiya aapne.",prasun bachche ki tarah ruth gaya..ab tha
to vo 1 bachcha hi.24 saal ka ho gaya tha vo,6 ft ka kad,achhe
khan-paan & rehan-sehan se sharir bhi kafi bhara & mazboot ho gaya tha
magar dilodimagh se vo koi 7-8 baras ke bachche jaisa hi tha.
"sorry beta magar kya krti aap hi der se uthe & fir aaj mumma ko daddy
ke sath office bhi jana hai na."
"wow!..to main bhi chalu."
"nahi,prasun..abhi nahi..tum to lunchtime me aate ho na mera lunch
leke.",suren ji ne apni eklauti aulad ko samjhaya.
"..to main ghar me akela kya karunga?"
"akela kaha hai..ye dekh sabhi to hain..",devika ne naukar-naukraniyo
ki or ishara kiya.vo sab bhi prasun se 1 bachche ki tarah hi pesh aate
the,"vo dekh Rajni bhi aa gayi..rajni chalo prasun ko nashta karao &
ise akela bilkul mast chhodna varna main aake tumhe bahut dant
lagaungi!",devika ne prasun ko khush karne ke liye rajni se kaha.
"ji,ma'am..ye raha bhaiyya ka nashta..aaj to boiled eggs hain!",rajni
ne toast pe makkhan lagake uski tashtari me rakhe.
"rajni,sab sambhal lena.",devika suren ji ke peechhe tez kadmo se
daftar ja rahi thi.
"don't worry,ma'am.aap befikr rahiye.",rajni ne use bharosa dilaya.yu
to ghar me kai naukar the magar devika ko rajni pe sabse zyada bharosa
tha.
35 saal ki bahut sadahran shakl-surat vali sanvle rang ki rajni thi
bhi bahut nekdil & lagan se apna kaam karti thi.uske maa-baap ne uski
shadi ki bahut koshish thi magar unhe koi aisa ladka nahi mila joki
rajni ki mamuli shakl ke peechhe chhupe uske gun dekh sakta,dheere-2
rajni ne bhi shadi ki aas chhod di thi & puri tarah se sahay parivar
ki sewa me khud ko duba liya tha.
magar idhar kuchh dino se uski soyi khwahishe fir se jaag uthi
thi,uske dil me fir se arman machalne lage the.is sabka karan tha
Inder.sare naukaro ko hafte me 1 chhutti milti thi-ravivar ko.zyadatar
naukar estate ke aas-paas ke gaanvo ya fir Haldan se the to is din
apne parivar se milne chale jate the kewal 1 rajni hi thi joki yaha ki
nahi thi to vo kabhi bhi chhutti nahi leti thi.
kramashah..............
आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj
--
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