बदला पार्ट--5
गतान्क से आगे...
देविका को अपनी इस नौकरानी पे ना केवल भरोसा था बल्कि बहुत लगाव भी
था.उसने भी कोशिश की थी उसका घर बस जाए पर कोई ढंग का लड़का उसे मिला नही
था.उसने ही रजनी को ज़बरदस्ती हर एतवार को हलदन घूमने जाने को कहा ताकि
उसे भी थोड़ा बदलाव मिले & मन भी बहले.रजनी ने पहले तो मना कर दिया मगर
जब देविका ने हुक्म सुना दिया की रविवार सुबह 10 से लेके शाम 5 बजे तक वो
घर मे नज़र नही आएगी तो मजबूरन रजनी को छुट्टी लेनी ही पड़ी.
हलदन पंचमहल & आवंतिपुर के बीचोबीच पड़ता था & दोनो शहरो के बीच चलने
वाली बस यहा ज़रूर रुकती थी.यही हाल यहा के स्टेशन का भी था.2 मिनिट के
लिए ही सही मगर सारी गाड़िया यहा रुकती थी.इस वजह से इस छ्होटे से कस्बे
मे हमेशा चहल-पहल रहती थी & यहा का बाज़ार भी काफ़ी बढ़िया था.
रजनी को वाहा घूम के काफ़ी अच्छा लगा.कस्बे मे 2 सिनिमा हॉल थे & अरसे
बाद उसने थियेटर मे फिल्म देखी थी.ऐसे ही 1 रविवार को वो इंदर से मिली
थी.1 छ्होटे से रेस्टोरेंट मे शाम की चाइ पी के वो उठी ही थी की उसने उसे
आवाज़ दी थी की उसका मोबाइल वही रह गया है.उसने उसे शुक्रिया कह के वाहा
से निकल ही रही थी की तभी तेज़ बारिश शुरू हो गयी.बारिश थमने का इंतेज़ार
करते हुए ही उन दोनो के बीच बातो का सिलसिल शुरू हो गया था,वो पास की 1
ग्लास फॅक्टरी मे मॅनेजर था & यहा अकेला रहता था.
रजनी को वो बहुत भला इंसान लगा था मगर उसने सोचा नही था कि उस से फिर
मुलाकात होगी मगर अगले एतवार वो फिर से उस से बाज़ार मे टकरा गयी थी &
फिर तो हर रविवार को उनकी मुलाकात होने लगी.धीरे-2 दोनो ने 1 दूसरे को
अपने-2 बारे मे सब कुच्छ बता दिया.रजनी को पता चला की इंदर के मा-बाप इस
दुनिया मे नही थे & भाई चेन्नई मे रहता था.
1 रविवार इंदर नही आया,रजनी उसका मोबाइल मिलाती रही मगर वो भी बंद पड़ा
था.उस दिन रजनी को बहुत बुरा लगा..चिंता,दुख & गुस्से से परेशान वो वापस
एस्टेट लौट गयी.दूसरे दिन इंदर का फोन आया की वो फॅक्टरी मे फँस गया था &
उसके मोबाइल की बॅटरी कब डिसचार्ज हो गयी उसे पता भी नही चला था.उसने उस
से माफी माँग ली मगर रजनी का गुस्सा शांत नही हुआ था.अगली मुलाकात मे
इंदर ने जैसे उसे मनाया तो रजनी के होश ही उड़ गये.
रेस्टोरेंट मे गुस्से से मुँह फूला के बैठी रजनी का हाथ पकड़ के जब इंदर
ने अपने प्यार का इज़हार करके & उसका वास्ता देके मान जाने को कहा तो
उसके पसीने छूट अगये थे.आजतक किसी लड़के ने उसमे कोई दिलचस्पी नही दिखाई
थी यहा तक की सड़क पे आते-जाते कभी उसे मर्दो की गुस्ताख निगाहो का भी
सामना नही करना पड़ा था & यहा ये इंसान उसका दीवाना होने की बात कर रहा
था!
इंदर ने फिल्म की 2 टिकेट्स लिहुई थी.जब रेस्टोरेंट मे रजनी को उसकी बात
का कोई जवाब नही सूझा तो वो घबरा के बाहर निकल आई.फिल्म का समय हो चुका
था,इंदर हाथ पकड़ के उसे हॉल मे ले गया.उनकी सीट्स सबसे पीछे की कतार मे
कोने मे थी.अंधेरा होते ही इंदर ने फिर से अपने दिल की बात छेड़ दी.उसकी
मान-मनुहार ने रजनी के मुँह से भी हां निकलवा दी & जब हॉल के अंधेरे मे
उसने रजनी के लबो को चूमा तो रजनी को पहली बार खुद के औरत होने का एहसास
हुआ.घबराहट के साथ-2 उसके बदन मे 1 अजीब सी सनसनाहट दौड़ गयी थी जिसने
उसके दिल मे गुदगुदी का एहसास पैदा कर दिया था.
अब तो उसे बेसब्री से रविवार का इंतेज़ार रहता था.इंदर की मज़बूत बहो मे
क़ैद होके उसके होतो का स्वाद चखने मे उसे बहुत मज़ा आता था.इंदर ने अभी
तक उसे कपड़ो के उपर से ही च्छुआ & चूमा था मगर वो समझ गयी थी की उसकी
हसरत अब आगे बढ़ कर सभी हदो को तोड़ने की है.चाहती तो वो भी यही थी मगर
उसे डर लगता था लेकिन इस बार उसने तय कर लिया था की अगर इंदर ने पहल की
तो वो खुद को उसे सौंप देगी.इंदर वो अकेला शख्स था जिसने उसकी कद्र की थी
अब उसका भी फ़र्ज़ था की उसे खुश कर दे.इस बार वो अपने आशिक़ को टूट के
प्यार करेगी..उसकी सारी हसरते पूरा करेगी..उसके जिस्म-
"दीदी,क्या कर रही हो?!ग्लास भर गया है!",प्रसून की आवाज़ से रजनी अपने
ख़यालो से बाहर आई.वो जग से जूस उसके ग्लास मे डाल रही थी जोकि पूरा भर
गया था & अब छलक रहा था.
"सॉरी,भाय्या.",रजनी ने हड़बड़ा के जग नीचे रखा & छल्के जूस को सॉफ करने लगी.
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"हेलो..",सुरेन जी ने फाइल पे लिखते हुए मोबाइल उठाके कान से
लगाया,"..अरे वीरेन..कैसे हो?कितने दिन बाद फोन किया!"
देविका ने गर्दन उठाके पति को देखा,".हां-2..अच्छा..तो यहा क्यू नही
आए..ह्म..हां-2 मैं सब साफ करवा दूँगा...ओके.",फोन कट गया.
"वीरेन का फोन था?"
"हां."
"क्या कह रहा था?"
"पंचमहल आया हुआ है.."
"क्या?",देविका चौंकी.
"हां.कल यहा आएगा..कह रहा था की सोच रहा कि अब यही रहे."
सुरेन जी ने कलम नीचे रख दी थी & उनके चेहरे पे थोड़ी चिंता दिख रही थी.
"क्या हुआ?",देविका उनके सामने मेज़ के दूसरी ओर बैठी थी,वो वाहा से उठी
& उनके बगल मे आके खड़ी हो उनके सर पे हाथ फेरने लगी.
"देविका,पिताजी ने कोई वसीयत तो छ्चोड़ी नही थी अब अगर वीरेन अपना हिस्सा
माँगेगा तो..?"
"तो क्या होगा.दे देंगे."
"देविका,मैने ये सब कैसे खड़ा किया है तुम जानती हो..सब उसे दे दू."
"ओफ्फो..आप तो मज़ाक को भी सच मान लेते हैं!मैं मज़ाक कर रही थी.",उसने
झुक के उनके माथे को चूम लिया,"..ठीक से बताइए क्या कहा उसने?"
"कह रहा था की अब उसका वाहा दिल नही लगता..यही रहना चाहता है.."
"तो ये तो नही कहा कि उसे उसका हिस्सा चाहिए."
"कहा नही मगर इस तरह अचानक बिना बताए यहा आने का क्या मतलब है?"
"आप फिर परेशान हो रहे हैं..",देविका अब उनकी गोद मे बैठ
गयी,"..देखिए,अगर वीरेन आपसे हिस्सा माँगता है तो आप बस इतना कहिएगा कि
क्या उस से ये कारोबार संभाल जाएगा..उसका जवाब नही ही होगा..बस फिर आप
कहिएगा की वो ये समझे की उसने हमे अपना हिस्सा बेच दिया है..हम उसे
हिस्से किए बराबर की रकम किश्तो मे दे देंगे..",उसने उनके माथे को
चूमा,"..लेकिन मुझे लगता है की आप बेकार परेशान हो रहे हैं..",उसने उनके
सर को अपने सीने से लगा लिया,"..वीरेन ऐसा आदमी नही है.",अपने पति के सर
को सीने मे दफ़्न करते हुए देविका ने सामने की दीवार को देखते हुए
कहा.उसके चेहरे पे पता नही कितने रंग आ के गुज़र गये थे.
सुरेन जी को अब तसल्ली हो गयी थी मगर देविका के दिल मे तूफान मचा हुआ
था..क्यो यहा आ रहे हो वीरेन आख़िर क्यो?सुरेन जी उसके जिस्म की मादक
खुश्बू से उसके ब्लाउस के उपर से दिख रहे क्लीवेज मे सर घुसाए मदहोश हो
रहे थे & उनके सर को थामे उनकी गोद मे बैठी देविका इस नयी मुश्किल के
बारे मे सोच रही थी.
कामिनी चंद्रा साहब के यहा से सीधी क्लब पहुँची,आज बड़े दिन बाद वो
षत्रुजीत सिंग से मिलने वाली थी.वो कल ही बाहर से लौटा था & दोनो ने तय
किया था की इस वीकेंड को साथ ही गुज़रेंगे.
"अरे...ऑफ...ऑश...!",तेज़ी से क्लब के कामन रूम मे दाखिल होती कामिनी
किसी से टकराई & उस आदमी के ग्लास की ड्रिंक उसकी ड्रेस पे छलक गयी.
"सॉरी!",उस शख्स ने भारी आवाज़ मे कहा & आगे बढ़ गया.कामिनी ने देखा वो
वीरेन सहाय था....इतना बदतमीज़ इंसान उसने शायद ही कभी पहले देखा था!ये
दूसरी बार वो उस से टकराया था & फिर सॉरी भी ऐसे बोला था मानो एहसान कर
रहा हो.
कामिनी ड्रेस ठीक करने की गरज से वॉशरूम की ओर बढ़ गयी कि तभी उसे
शत्रुजीत दिखाई दिया,"हाई!कामिनी..देर कर दी तुमने..& ये क्या हुआ?"
"1 बदतमीज़ टकरा गया था.",कामिनी वॉशरूम मे गयी तो शत्रुजीत भी उसके
पीछे-2 वाहा चला आया.
"अरे,तुम यहा क्या करने आ रहे हो?",कामिनी ने वॉशबेसिन के बगल मे रखे
नॅपकिन्स मे से 1 उठाया & ड्रेस सॉफ करने लगी,"..ये लॅडीस वॉशरूम है."
"तुम्हारी मदद करने आया हू.",उसके हाथ से नॅपकिन लेके शत्रुजीत उसकी
ड्रेस को सॉफ करने लगा.वीरेन की ड्रिंक कामिनी के सीने पे छल्कि थी &
शत्रुजीत सॉफ करने के बहाने उसकी गोलाईयो को दबा रहा था.
कामिनी सब समझ रही थी,"..ये मदद हो रही है!",उसने उसके हाथ से नॅपकिन
लिया & उसे धकेल के वॉशरूम से बाहर निकाला,"..अरे मैं तो बस सॉफ कर रहा
था.."
"हां-2 पता है क्या कर रहे थे..चलो बाहर खड़े रहो.",कामिनी ने वॉशरूम का
दरवाज़ा बंद किया & ड्रेस ठीक करने लगी,बीवी के क़त्ल के बाद से शायद
पहली बार उसने शत्रुजीत को पुराने अंदाज़ मे देखा था.
कामिनी के वॉशरूम से बाहर निकलते ही षत्रुजीत सिंग ने उसे बाहो मे भर
लिया,"क्या कर रहे हो?!कही कोई आ गया तो!..",उसे अनसुना करते हुए
शत्रुजीत ने उसके गाल को चूम लिया.तभी किसी के उधर आने की आहट हुई तो
शत्रुजीत उस से अलग हो गया मगर उसका दाया हाथ अभी भी उसकी कमर पे ही था.
"अरे वीरेन जी!वॉट ए प्लेज़ेंट सर्प्राइज़!",शत्रुजीत ने कामिनी की कमर
से हाथ खींच के उधर आ पहुँचे वीरेन सहाय से हाथ मिलाया,"आप कब आए?"
"बस कुच्छ ही दिन हुए,शत्रु.तुम्हारा क्या हाल है?"
"बढ़िया है.",वीरेन सहाया ने कामिनी की ओर देखा,"ओह्ह..आइ'म सॉरी मैने आप
दोनो का परिचय नही कराया....ये हैं वीरेन सहाय जाने-माने पेनिंटर & ये
हैं कामिनी शरण,हमारे शहर की मशहूर वकील."
"प्लीज़्ड टू मीट यू.",वीरेन सहाय ने अपना हाथ आगे बढ़ाया तो कामिनी ने
उस से हाथ मिलाते हुए बड़े ठण्डेपन से जवाब दिया.थोड़ी देर दोनो मर्द
बाते करते रहे फिर कामिनी & शत्रुजीत कामन रूम मे आ गये & कॉफी & कुच्छ
खाने का ऑर्डर देके 1 टेबल पे बैठ गये,"तुम इसे कैसे जानते हो,जीत?"
"बरसो पहले मैं 6 महीने के लिए पॅरिस गया था,हम अपनी सेमेंट कंपनी मे
कुच्छ बदलाव लाना चाहते थे,उसी सिलसिले मे.पिताजी सहाय परिवार को अच्छे
से जानते थे..ये सहाय एस्टेट के..-"
"..-मालिक सुरेन सहाय का छ्होटा भाई है,पता है."
"तो पिताजी ने इन्हे मेरे बारे मे बताया,फिर इन्होने मेरी बहुत मदद की
थी.मुझसे उम्र मे तो काफ़ी बड़े हैं मगर हमेशा 1 दोस्त की तरह ही बर्ताव
किया है मेरे साथ.बहुत अच्छे इंसान हैं."
"मुझे तो पक्का बदतमीज़ लगता है..",& कामिनी ने उसे उस से टकराने वाली
दोनो घटनयो के बारे मे बताया.
"हा..हा..हा..!",शत्रुजीत हँसने लगा.वेटर कॉफी रख गया था,कामिनी ने उसका
1 घूँट भरा,"अच्छा!तो उन्होने ही तुम्हारी ड्रेस खराब कर दी थी.उनका तो
शुक्रिया अदा करना पड़ेगा!"
"क्यू?",कामिनी ने कप नीचे रखा.
"इसी बहाने तुम्हे छेड़ने का मौका तो मिल गया."
"मुझे छेड़ने के लिए तुम्हे किसी और के सहारे की ज़रूरत है?!",कामिनी ने
शोखी से कहा तो शत्रुजीत की आँखो मे भी शरारत भर गयी.दोनो जानते थे कि
काई दीनो बाद आज की रात फिर वही पुराने दिनो जैसी नशीली & मदहोशी भरी
होने वाली है.
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क्रमशः.........
BADLA paart--5
gataank se aage...
devika ko apni is naukrani pe na keval bharosa tha balki bahut lagav
bhi tha.usne bhi koshish ki thi uska ghar bas jaye par koi dhang ka
ladka use mila nahi tha.usne hi rajni ko zabardasti har etvaar ko
haldan ghumne jane ko kaha taki use bhi thoda badlav mile & man bhi
behle.rajni ne pehle to mana kar diya magar jab devika ne hukm suna
diya ki ravivar subah 10 se leke sham 5 baje tak vo ghar me nazar nahi
aayegi to majburan rajni ko chhutti leni hi padi.
haldan Panchmahal & Avantipur ke beechobeech padta tha & dono shehro
ke beech chalne vali buses yaha zarur rukti thi.yehi haal yaha ke
station ka bhi tha.2 minute ke liye hi sahi magar sari gaadiya yaha
rukti thi.is vajah se is chhote se kasbe me humesha chahal-pehal rehti
thi & yaha ka bazar bhi kafi badhiya tha.
rajni ko vaha ghum ke kafi achha laga.kasbe me 2 cinema hall the &
arse baad usne theater me film dekhi thi.aise hi 1 ravivar ko vo inder
se mili thi.1 chhote se restaurant me sham ki chai pi ke vo uthi hi
thi ki usne use avaz di thi ki uska mobile vahi reh gaya hai.usne use
shukriya keh ke vaha se nikal hi rahi thi ki tabhi tez barsih shuru ho
gayi.barish thamne ka intezar karte hue hi un dono ke beech baato ka
silsil shuru ho gaya tha,vo paas ki 1 glass factory me manager tha &
yaha akela rehta tha.
rajni ko vo bahut bhala insan laga tha magar usne socha nahi tha ki us
se fir mulakat hogi magar agle etvar vo fir se us se bazar me takra
gayi thi & fir to har ravivar ko unki mulakat hone lagi.dheere-2 dono
ne 1 dusre ko apne-2 bare me sab kuchh bata diya.rajni ko pata chala
ki inder ke maa-baap is duniya me nahi the & bhai chennai me rehta
tha.
1 ravivar inder nahi aaya,rajni uska mobile milati rahi magar vo bhi
band pada tha.us din rajni ko bahut bura laga..chinta,dukh & gusse se
pareshan vo vapas estate laut gayi.dusre din inder ka phone aaya ki vo
factory me fans gaya tha & uske mobile ki battery kab discharge ho
gayi use pata bhi nahi chala tha.usne us se mafi mang li magar rajni
ka gussa shant nahi hua tha.agli mulakat me inder ne jaise use manaya
to rajni ke hosh hi ud gaye.
restaurant me gusse se munh phula ke baithi rajni ka hath pakad ke jab
inder ne apne pyar ka izhar karke & uska vasta deke maan jane ko kaha
to uske paseene chhut agye the.aajtak kisi ladke ne usme koi dilchaspi
nahi dikhayi thi yaha tak ki sadak pe aate-jate kabhi use mardo ki
gustakh nigaho ka bhi samna nahi karna pada tha & yaha ye insan uska
deewana hone ki baat kar raha tha!
inder ne film ki 2 tickets lihui thi.jab restaurant me rajni ko uski
baat ka koi jawab nahi sujha to vo ghabra ke bahar nikal aayi.film ka
samay ho chuka tha,inder hath pakad ke use hall me le gaya.unki seats
sabse peechhe ki kataar me kone me thi.andhera hote hi inder ne fir se
apne dil ki baat chhed di.uski maan-manuhar ne rajni ke munh se bhi
haan nikalwa di & jab hall ke andhere me usne rajni ke labo ko chuma
to rajni ko pehli baar khud ke aurat hone ka ehsas hua.ghabrahat ke
sath-2 uske badan me 1 ajib si sansanahat daud gayi thi jisne uske dil
me gudgudi ka ehsas paida kar diya tha.
ab to use besabri se ravivar ka intezar rehta tha.inder ki mazbut baho
me qaid hoke uske hotho ka swad chakhne me use bahut maza aata
tha.inder ne abhi tak use kapdo ke upar se hi chhua & chuma tha magar
vo samajh gayi thi ki uski hasrat ab aage badh kar sabhi hado ko todne
ki hai.chahti to vo bhi yehi thi magar use darr lagta tha lekin is bar
usne tay kar liya tha ki agar inder ne pehal ki to vo khud ko use
saunp degi.inder vo akela shakhs tha jisne uski kadr ki thi ab uska
bhi farz tha ki use khush kar de.is baar vo apne aashiq ko toot ke
pyar karegi..uski sari hasrate pura karegi..uske jism-
"didi,kya kr rahi ho?!glass bhar gaya hai!",prasun ki aavaz se rajni
apne khayalo se bahar aayi.vo jug se juice uske glass me daal rahi thi
joki pura bhar gaya tha & ab chhalak raha tha.
"sorry,bhaiyya.",rajni ne hadbada ke jug neeche rakha & chhalke juice
ko saaf karne lagi.
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"hello..",suren ji ne file pe likhte hue mobile uthake kaan se
lagaya,"..are viren..kaise ho?kitne din baad phone kiya!"
devika ne naar uthake pati ko dekha,".haan-2..achha..to yaha kyu nahi
aaye..hmm..haan-2 main sab saaf karwa dunga...ok.",phone kat gaya.
"viren ka phone tha?"
"haan."
"kya keh raha tha?"
"panchmahal aaya hua hai.."
"kya?",devika chaunki.
"haan.kal yaha aayega..keh raha tha ki soch raha ki ab yehi rahe."
suren ji ne kalam neeche rakh di thi & unke chehre pe thodi chinta
dikh rahi thi.
"kya hua?",devika unke samne mez ke dusri or baithi thi,vo vaha se
uthi & unke bagal me aake khadi ho unke sar pe hath ferne lagi.
"devika,pitaji ne koi vasiyat to chhodi nahi thi ab agar viren apna
hissa mangega to..?"
"to kya hoga.de denge."
"devika,maine ye sab kaise khada kiya hai tum janti ho..sab use de du."
"offoh..aap to mazak ko bhi sach maan lete hain!main mazak kar rahi
thi.",usne jhuk ke unke mathe ko chum liya,"..thik se bataiye kya kaha
usne?"
"keh raha tha ki ab uska vaha dil nahi lagta..yehi rehna chahta hai.."
"to ye to nahi kaha ki use uska hissa chahiye."
"kaha nahi magar is tarah achanak bina bataye yaha aane ka kya matlab hai?"
"aap fir pareshan ho rahe hain..",devika ab unki god me baith
gayi,"..dekhiye,agar viren aapse hissa mangta hai to aap bas itna
kahiyega ki kya us se ye karobar sambhal jayega..uska jawab nahi hi
hoga..bas fir aap kahiyega ki vo ye samjhe ki usne hume apna hissa
bech diya hai..hum use hisse kie barabar ki rakam kishto me de
denga..",usne unke mathe ko chuma,"..lekin mujhe lagta hai ki aap
bekar pareshan ho rahe hain..",usne unke sar ko apne seene se laga
liya,"..viren aisa aadmi nahi hai.",apne pati ke sar ko seene me dafn
karte hue devika ne samne ki deewar ko dekhte hue kaha.uske chehre pe
pata nahi kitne rang aa ke guzar gaye the.
suren ji ko ab tasalli ho gayi thi magar devika ke dil me toofan macha
hua tha..kyo yaha aa rahe ho viren aakhir kyo?suren ji uske jism ki
maadak khushbu se uske blouse ke upar se dikh rahe cleavage me sar
ghusaye madhosh ho rahe the & unke sar ko thame unki god me baithi
devika is nayi mushkil ke bare me soch rahi thi.
Kamini Chandra Sahab ke yaha se seedhi club pahunchi,aj bade din baad
vo Shatrujeet Singh se milne wali thi.vo kal hi bahar se lauta tha &
dono ne tay kiya tha ki is weekend ko sath hi guzarenge.
"are...off...ohhh...!",tezi se club ke common room me dakhil hoti
kamini kisi se takrayi & us aadmi ke glass ki drink uski dress pe
chhalak gayi.
"sorry!",us shakhs ne bhari aavaz me kaha & aage badh gaya.kamini ne
dekha vo Viren Sahay tha....itna badtamiz insan usne shayad hi kabhi
pehle dekha tha!ye dusri baar vo us se takraya tha & fir sorry bhi
aise bola tha mano ehsan kar raha ho.
kamini dress thik karne ki garaj se washroom ki or badh gayi ki tabhi
use shatrujeet dikhayi diya,"hi!kamini..der kar di tumne..& ye kya
hua?"
"1 badtamiz takra gaya tha.",kamini washroom me gayi to shatrujeet bhi
uske peechhe-2 vaha chala aaya.
"are,tum yaha kya karne aa rahe ho?",kamini ne washbasin ke bagal me
rakhe napkins me se 1 uthaya & dress saaf karne lagi,"..ye ladies
washroom hai."
"tumhari madad karne aaya hu.",uske hath se napkin leke shatrujeet
uski dress ko saaf karne laga.viren ki drink kamaini ke seene pe
chhalki thi & shatrujeet saaf karne ke bahane uski golaiyo ko daba
raha tha.
kamini sab samajh rahi thi,"..ye madad ho rahi hai!",usne uske hath se
napkin liya & use dhakel ke washroom se bahar nikala,"..are main to
bas saaf kar raha tha.."
"haan-2 pata hai kya kar rahe the..chalo bahar khade raho.",kamini ne
washroom ka darwaza band kiya & dress thik karne lagi,biwi ke qatl ke
baad se shayad pehli baar usne shatrujeet ko purane andaz me dekha
tha.
Kamini ke washroom se bahar nikalte hi Shatrujeet Singh ne use baaho
me bhar liya,"kya kar rahe ho?!kahi koi aa gaya to!..",use ansuna
karte hue shatrujeet ne uske gaal ko chum liya.tabhi kisi ke udhar
aane ki aahat hui to shatrujeet us se alag ho gaya magar uska daaya
hath abhi bhi uski kamar pe hi tha.
"are Viren ji!what a pleasant surprise!",shatrujeet ne kamini ki kamar
se hath khinch ke udhar aa pahunche Viren Sahay se hath milaya,"aap
kab aaye?"
"bas kuchh hi din hue,shatrue.tumhara kya haal hai?"
"badhiya hai.",viren sahaya ne kamini ki or dekha,"ohh..i'm sorry
maine aap dono ka parichay nahi karaya....ye hain viren sahay
jane-mane paninter & ye hain Kamini Sharan,humare shahar ki mashoor
vakil."
"pleased to meet you.",viren sahay ne apna hath aage badhaya to kamini
ne us se hath milate hue bade thandepan se jawab diya.thodi der dono
mard baate karte rahe fir kamini & shatrujeet common room me aa gaye &
coffee & kuchh khane ka order deke 1 table pe baith gaye,"tum ise
kaise jante ho,jeet?"
"barso pehle main 6 mahine ke liye paris gaya tha,hum apni cement
company me kuchh badlav lana chahte the,usi silsile me.pitaji sahay
parivar ko achhe se jante the..ye Sahay Estate ke..-"
"..-malik Suren Sahay ka chhota bhai hai,pata hai."
"to pitaji ne inhe mere bare me bataya,fir inhone meri bahut madad ki
thi.mujhse umra me to kafi bade hain magar humesha 1 dost ki tarah hi
bartav kiya hai mere sath.bahut achhe insan hain."
"mujhe to pakka badtamiz lagta hai..",& kamini ne use us se takrane
vali dono ghatnayo ke bare me bataya.
"haa..haa..haa..!",shatrujeet hansne laga.waiter coffee rakh gaya
tha,kamini ne uska 1 ghunt bhara,"achha!to unhone hi tumhari dress
kharab kar di thi.unka to shukriya ada karna padega!"
"kyu?",kamini ne cup neeche rakha.
"isi bahane tumhe chhedne ka mauka to mil gaya."
"mujhe chhedne ke liye tumhe kisi aur ke sahare ki zarurat
hai?!",kamini ne shokhi se kaha to shatrujeet ki aankho me bhi
shararat bhar gayi.dono jante the ki kayi dino baad aaj ki raat fir
vahi purano dino jaisi nashili & madhoshi bhari hone vali hai.
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kramashah.........
आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj
--
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