बदला पार्ट--9
गतान्क से आगे...
"वीरेन..",सुरेन सहाय,देविका & वीरेन खाने की मेज़ पे बैठे थे.प्रसून
पहले ही खा चुका था
"हाँ,भाय्या.",वीरेन ने चम्चे से चावल का 1 नीवाला अपने मुँह मे डाला.
"..मैने & देविका ने प्रसून के बारे मे कुच्छ सोचा है."
"क्या?",वीरेन ने 1 नज़र अपनी भाभी पे डाली तो देविका सर झुका के खाने लगी.
"अगर हम प्रसून की शादी करा दें तो कैसा रहेगा?"
"क्या?!",वीरेन का चमचा मुँह की ओर ले जा रहा हाथ बीच मे ही रुक
गया,"..मगर भाय्या ये कैसे संभव है."
"तुम ही बताओ भाई हमारे बाद भी उसकी देख-भाल के लिए को तो चाहिए ना!"
"आप ट्रस्ट तो बना ही रहे हैं."
"लेकिन क्या ट्रस्ट उसे इंसान का प्यार दे सकता है?",ये देविका की आवाज़ थी.
"इस बात की क्या गॅरेंटी है की उसकी पत्नी उसे सच्चा प्यार देगी & उसकी
दौलत के लालच मे उस से शादी नही करेगी?",वीरेन ने देविका को देखा.
"हम ट्रस्ट की बात & उस ट्रस्ट को चलाने के तरीके के बारे मे सब उस लड़की
& उसके परिवार को बता देंगे.ये सॉफ कर दिया जाएगा की प्रसून की पत्नी को
1 खास रकम हर महने दी जाएगी मगर ट्रस्ट के काम मे उसका कोई दखल नही होगा
& अगर खुदा ना ख़ास्ते प्रसून की मौत हो जाती है तो सभी कुछ ट्रस्ट के
पास रहेगा जोकि उसे समाज सेवा के लिए दान कर देगा.",देविका ने अपने देवर
को जवाब दिया
"लेकिन.."
"लेकिन क्या भाई?"
"भाय्या,मान लो कोई लड़की आपको मिल भी जाती है जोकि ज़रूरतमंद है.प्रसून
से शादी करके उसकी परेशानिया दूर हो जाएँगी मगर क्या 1 लड़क को केवल पैसे
की ज़रूरत होती है.भाय्या,इंसान की पैसे & खाने-पीने के अलावा भी 1
ज़रूरत होती है-जिस्म की.अगर कभी उस लड़की ने इसके लिए कोई ऐसा-वैसा कदम
उठा लिया तो?"
"वो सब मैं संभाल लूँगी.",देविका ने बोला तो वीरेन चुप हो गया.
"फिर तो कोई परेशानी की बात ही नही है.",उसने चमचा उठाया & खाना खाने
लगा.देविका ने उसकी बात मे छिपा व्यनग्य समझ लिया था.उसे गुस्सा तो बहुत
आया मगर वो खामोशी से खाना खाती रही.
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"आआहह...आहह....",रजनी इंदर के बिस्तर पे पूरी नंगी पड़ी हुई थी & वो
उसकी कमर के पास घुटनो पे बैठा उसकी बाई टांग हवा मे उठा के उसकी
अन्द्रुनि जाँघ को चूमे जा रहा था.रजनी की झांतो भरी गीली चूत उसके चेरे
से बस कुच्छ ही दूरी पे थी मगर वो उसने उसे अभी तक च्छुआ भी नही था.रजनी
की 32 साइज़ की छातिया जोश मे थोड़ी और बड़ी हो गयी थी & उनके काले
निपल्स किशमिश के दानो की तरह दिख रहे थे.
इंदर उसकी दाई तरफ उसकी ओर अपने पैर कर लेट गया & उसकी जंघे फैला के उसकी
झांतो भरी चूत को चूम लिया,"..ऊहह...",रजनी छटपटा के उस से अलग होते हुए
जंघे बंद करने की कोशिश करने लगी तो इंदर ने मज़बूती से उसकी जाँघो को
थाम के और फैला दिया फिर 1 हाथ से उसकी झांतो को अलग किया & उसकी चूत की
दरार को चूम लिया,"..आअनह..!"
इंदर ने अपनी टाँगे उसके बदन के दोनो ओर रखी & अंडरवेर मे क़ैद अपने लंड
को उसकी चूचियो पे दबाते हुए उसकी चूत चाटने मे जुट गया.रजनी का तो जोश
से बुरा हाल था,वो बेचैनी से अपनी कमर हिलाते हुए इंदर की जाँघो को नोचती
हुई झाडे जा रही थी.इंदर काफ़ी देर तक उसकी चूत चाटता रहा,रजनी की चूचियो
पे दबा उसका लंड अब रजनी के दिल मे हुलचूल मचा रहा था.वो जानती थी की
उसका कुँवारापन अब बस कुच्छ ही पॅलो का मेहमान है.
इंदर उसके उपर से उठा & खड़ा होके अपना अंडरवेर निकाल दिया.रजनी ने चोर
निगाहो से उसके लंड को देखा & अपने निचले होंठ को दन्तो तले दबा
लिया.काली झांतो से घिरा उसका लंड बहुत बड़ा लग रहा था.उसके दिल ज़ोरो से
धड़कने लगा.इंदर बिस्तर पे आया & उसके उपर लेट के उसे चूमने लगा.जवाब मे
वो भी उसे बाहो मे भर चूमने लगी.उसका लंड अब सीधा उसकी चूत पे दबा हुआ था
& उसके दिल मे मस्ती भर रही थी.
इंदर उठा & उसकी फैली टाँगो कोअपनी टांगे फैला के और फैलाया फिर अपना
दाया हाथ नीचे ले जाके लंड उसकी चूत पे जमाया & 1 धक्का दिया मगर लंड
फिसल गया & अंदर नही घुसा.रजनी की आनच्छुई चूत बहुत ज़्यादा कसी हुई
थी.इंदर घुटनो पे बैठ गया & फिर बाए हाथ की उंगलियो से उसने चूत को
फैलाया & 1 बार फिर लंड पकड़ के अंदर घुसाने की गरज से धक्का
मारा,"..आअहह...!"
इस बार लंड इंच अंदर घुसा गया.इंदर फ़ौरन दर्द से छटपटाती रजनी के उपर
लेट गया & उसके चेहरे को चूमने लगा.चूमते हुए उसने धीरे 1-1 इंच करके लंड
को अंदर धँसना शुरू किया.रजनी को बहुत दर्द हो रहा था & उसकी आँखे भिच
गयी थी & चेहरे पे दर्द की लकीरें भी खिंच गयी थी.
इंदर उसे दिलासा देता हुआ अपना 8 इंच लंबा लंड 6 इंच तक घुसा चुका था.अब
उसने घुसना रोक के रजनी को चूमने सहलाने पे ध्यान लगाया.उसे प्यार से
पुच्कार्ते हुए वो उसकी चूचियो को हल्के-2 दबाता हुआ उसके चेहरे को चूम
रहा था,"बस अभी सारा दर्द दूर हो जाएगा,रजनी...थोड़ा सब्र रखो."
थोड़ी ही देर मे रजनी 1 बार फिर से उसकी किस लेने लगी थी .इंदर समझ गया
की अब उसकी तकलीफ़ मिट गयी है.वो थोड़ा सा उठा & उसने हल्के-2 धक्के
लगाने शुरू कर दिए,"..उउगगघह....हहुउऊन्न्नह...!",रजनी की आहे भी धक्को
के साथ शुरू हो गयी.अभी भी इंदर ने लंड पूरा अंदर नही घुसाया था.थोड़ी ही
देर मे रजनी ने अपनी टांगे उठा ली & अपने तलवे इंदर की जाँघो के पिच्छले
हिस्से पे जमा दिए.इंदर समझ गया की उसकी प्रेमिका अब मस्त हो गई है.अब
उसने धक्को की रफ़्तार बढ़ाई.
"हाआऐययईईईईई....!",ऐसा करने से उसका बचा-खुचा लंड भी अंदर घुसा गया था &
रजनी की चीख निकल गयी थी मगर इस बार इंदर रुका नही & वैसे ही धक्के लगाता
रहा. थोड़ी देर की तकलीफ़ के बाद रजनी भी फिर से मस्तियो मे खोने
लगी.इंदर का चेहरा तमतमा गया था.बहुत देर से उसने अपने को रोका हुआ था.अब
रजनी की चूत का कसाव,उसके चेहरे पे च्छाई मस्ती उसे बेकाबू कर रही थी.वो
झुक के उसकी चूचिया चूस्ते हुए बहुत ज़ोर के धक्के लगाने लगा.
रजनी पहली बार चुद रही थी & इंदर के मज़बूत लंड के क़ायल धक्के वो
ज़्यादा देर तक बर्दाश्त नही कर पाई.तभी उसकी चूत मे खलबली मचा गयी &
उसका दिल किया की अपनी जाँघो मे उसे भींच इंदर के लंड को अपने और अंदर ले
ले.उसने उसकी कमर पे अपनी टाँगे कस्के उसकी पीठ पे अपनी बाहो का कसाव भी
बढ़ा दिया & बिस्तर से उठाए हुए इंदर को बेतहाशा चूमने लगी.वो ज़िंदगी मे
पहली बार 1 मर्द के लंड से झाड़ रही थी.ठीक उसी वक़्त उसकी चूत मे उसे
कुच्छ गर्म सा महसूस हुआ.रजनी ने पहली बार 1 मर्द का पानी अपने अंदर लिया
था.
झाड़ा हुआ इंदर उसकी गर्दन मे मुँह छिपाये हाँफ रहा था & रजनी उसके सर को
बड़े प्यार से सहला रही थी.उसके चेहरे पे मुस्कान थी-असीम संतोष & खुशी
की मुस्कान.
इंदर ने रजनी की चूत से अपना सिकुदा लंड बाहर खींचा तो देखा की उसपे दोनो
के मिले-जुले पानी के अलावा थोड़ा खून भी लगा हुआ था,"मैने तुम्हे बहुत
तकलीफ़ पहुचाई ना?",उसने रजनी के चेहरे पे प्यार से हाथ फेरा.
"बिल्कुल भी नही.",रजनी उठी & अपने प्रेमी को चूम लिया,"..अभी आती
हू.",वो बिस्तर से उतरी & बाथरूम चली गयी.जब वो बाथरूम से बाहर आई तो
देखा की इंदर बिस्तर पे लेटा तौलिए से अपना लंड पोंच्छ रहा है.
बिस्तर के करीब पहुँचते ही इंदर ने उसे फिर से अपने आगोश मे खींच
लिया,"आज यही रुक जाओ?",दोनो करवट से लेटे हुए थे & इंदर की बाई बाँह के
घेरे मे रजनी की पीठ थी & दाए मे उसकी कमर.
"पागल हो!मेरी नौकरी च्छुड़वावगे!"
"तो छ्चोड़ दो ना & यहा मेरे साथ रहो..",इंदर ने उसके बदन को अपने जिस्म
से बिल्कुल सटा लिया,"..मैं तुम्हे अपनी बीवी बनाना चाहता हू."
रजनी की आँखे फिर से भर आई....उपरवाले ने 1 ही दिन मे उसे कितनी खुशिया
नवाज़ने का फ़ैसला किया था!
"क्या हुआ?"
"कुच्छ नही...यह खुशी के आँसू है मगर इंदर मेरा नौकरी छ्चोड़ना ग़लत होगा."
"मगर क्यू?"
"इंदर,हम दोनो की मिली-जुली आमदनी से हम जितने आराम से रह सकते हैं वो
तुम्हारे अकेले की आमदनी से तो संभव नही है ना>"
"ये तो है..",इंदर के माथे पे भी परेशानी की लकीरे उभर आई,"..मगर तुम
वाहा एस्टेट मे रहोगी & मैं यहा,मैं तो मर ही जाऊँगा!",इंदर की आवाज़ मे
बेचैनी भरी हुई थी.रजनी ने झट से उसके मुँह पे हाथ रखा,"..ऐसी मनहूस
बातें ना करो."
"तो बताओ ना क्या करू?",अब रजनी भी सोच मे पड़ गयी थी.उसने इंदर को सीधा
लिटाया & उसके सीने पे सर रख दिया....उसे उसके सपनो को सच करने वाला
शहज़ादा मिल गया था मगर ज़िंदगी की कड़वी सचाईयाँ अब दोनो के बीच रुकावट
खड़ी कर रही थी.तभी उसके दिमाग़ मे बिजली कौंधी.
"1 रास्ता है इंदर..",वो उसके सीने से उठ गयी,"..हमारे एस्टेट मे मॅनेजर
की जगह खाली है."
"तो वो मुझे कैसे मिलेगी?"
"और लोग भी अर्ज़ी देंगे.सहाय जी मुझे ही क्यू रखेंगे?"
"क्यूकी तुम काबिल हो & मैने उन्हे तुम्हारे बारे मे बताया है."
"मतलब?...तुम उन्हे हमारे बारे मे बतओगि.."
"नही!..पागल हो क्या?!अभी अपने बारे मे बताउन्गी तो उनका ध्यान कभी भी तुम्हारी
काबिलियत पे नही जाएगा केवल मेरी सिफारिश पे रहेगा."
"फिर कैसे करोगी?"
"वो तुम मुझपे छ्चोड़ दो.बस ये समझो की तुम्हे नौकरी मिल गयी..",उसने
वापस अपना सर उसके सीने पे रखा,"..फिर कुच्छ दीनो का इंतेज़ार & फिर हम
शादी कर लेंगे."
"ओह्ह...रजनी..आइ लव यू!",इंदर ने करवट लेते हुए रजनी को पलटा के अपने
नीचे कर लिया & उसके चेहरे को बेतहाशा चूमने लगा,रजनी गुदगुदी होने से
हँसने लगी.इंदर का लंड उसकी चूत पे दबा हुआ था & उसे ये एहसास बहुत भला
लग रहा था.
इंदर भी उसके जिस्म के एहसास & उसके बदन से आ रही खुश्बू से फिर से गरम
हो गया था & उसका लंड फिर से जागने लगा था.इंदर ने रजनी का हाथ पकड़ के
नीचे ले जाके अपना लंड उसे थमा दिया तो उसने शर्मा के हाथ पीछे खींच लिया
मगर इंदर ने दोबारा हाथ लंड पे रखा & वही दबाए रखा जब तक की रजनी ने उसे
अपनी मुट्ठी मे कस ना लिया.
रजनी की आँखे शर्म से बंद हो गयी थी,"रजनी..",इंदर के इसरार पे रजनी ने
आँखे खोली तो इंदर ने उसे नीचे देखने को कहा.रजनी के होंठो पे शर्म भरी
हँसी फैल गयी मगर इंदर ने मनुहार करके उसे लंड हिलाते हुए देखने पे राज़ी
कर ही लिया.
रजनी के लिए ये सब बिल्कुल नया & मस्ती भरा एहसास था.इंदर के तने लंड के
एहसास ने उसे भी गरम कर दिया था.थोड़ी ही देर बाद उसने खुद ही इंदर के
लंड के नीचे लटक रहे उसकेआंदो को सहलाया तो इंदर समझ गया की रजनी पूरी
तरह से अब उसके प्यार मे पागल हो चुकी है.उसके चेहरे पे जीत की मुस्कान
फैल गयी.उसने उसे सीधा किया & उसकी टाँगे फैला के 1 बार फिर उसकी चूत मे
अपना लंड घुसा उसकी चुदाई मे लग गया.
दोस्तो अब तक की कहानी के बारे मे अपनी राय ज़रूर देआपका दोस्त राज शर्मा
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क्रमशः.........
BADLA paart--9
gataank se aage...
"Viren..",Suren Sahay,Devika & viren khane ki mez pe baithe the.Prasun
pehle h kha chuka tha
"haan,bhaiyya.",viren ne chamche se chawal ka 1 niwala apne munh me dala.
"..maine & devika ne prasun ke bare me kuchh socha hai."
"kya?",viren ne 1 nazar apni bhabhi pe dali to devika sar jhuka ke khane lagi.
"agar hum prasun ki shad kara den o kaisa rahega?"
"kya?!",viren ka chamcha munh ki or le ja rahi hath beech me hi ruk
gaya,"..magar bhaiyya ye kaise sambhav hai."
"tum hi batao bhai humare baad bhi uski dekh-bhal ke liye ko to chahiye na!"
"aap trust to bana hi rahe hain."
"lekin kya trus use insan ka pyar de sakta hai?",ye devika ki avaz thi.
"is baat ki kya guarantee hai ki uski patni use sachcha pyar degi &
uski daulat ke lalach me us se shadi nahi karegi?",viren ne devika ko
dekha.
"hum trust ki baat & us trust ko chalane ke tarike ke bare me sab us
ladki & uske parvar ko bata deng.ye saaf kar diya jayega ki prasun ki
patni ko 1 khas rakam har mahne di jayegi magar trust ke kaam me uska
koi dakhal nahi hoga & agar khuda na khaste prasun ki mau ho ha o sabh
kuch trust ke paas rahega joki use samaj seva ke liye daan kar
dega.",devika ne apne devar ko jawab diya
"lekin.."
"lekin kya bhai?"
"bhaiyya,maan lea hu koi ladk aapko mil bhi jati hai joki zaruratmand
hai.prasun se shadi karke uski parehsaniya door ho jayengi magar kya 1
ladk ko keval paise ki zarurat hoti hai.bhaiyya,insan ki paise &
khane-peene ke alawe bhi 1 zarurat hoti hai-jism ki.agar kabhi us
ladki ne iske liye koi aisa-vaisa kadam utha liya to?"
"vo sab man sambhal lungi.",devika ne bola to viren chup ho gaya.
"fir to koi pareshani ki baat hi nahi hai.",usne chamcha uthaya &
khana khane laga.devika ne uski baat me chhipa vyangya samajh liya
tha.use gussa to bahut aaya magar vo khamoshi se khana khati rahi.
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"aaaahhhhh...aahhhh....",rajni inder ke bistar pe puri nangi padi hui
thi & vo uski kamar ke paas ghutno pe baitha uski baayi tang hawa me
utha ke uski andruni jangh ko chume ja raha tha.rajni ki jhanto bhari
gili chut uske chere se bas kuchh hi duri pe thi magar vo usne use
abhi tak chhua bhi nahi tha.rajni ki 32 size ki chhatiya josh me thodi
aur badi ho gayi thi & unke kale nipples kishmish ke dano ki tarah
dikh rahe the.
inder uski daayi taraf uski or apne pair kar let gaya & uski janghe
faila ke uski jhanto bhi chut ko chum liya,"..oohhhh...",rajni
chhatpata ke us se alag hote hue janghe band karne ki koshish karne
lagi to inder ne mazbooi se uski jangho ko tham ke aur faila diya fir
1 hath se uski jhanto ko alag kiya & uski chut ki darar ko chum
liya,"..aaanhhh..!"
inder ne apni tange uske badan ke dono or rakhi & underwear me qaid
apne lund ko uski choochiyo pe dabate hue uski chut chatne me jut
gaya.rajni ka to josh se bura haal tha,vo bechaini se apni kamar
hilate hue inder ki jangho ko nochti hui jhade ja rahi thi.inder kafi
der tak uski chut chatata raha,rajni ki chhatiyo pe daba uska lund ab
rajni ke dl me hulchul macha raha tha.vo janti thi ki uska kunwarapan
ab bas kuchh hi palo ka mehman hai.
inder uske upar se utha & khada hoke apna underwear nikal diya.rajni
ne chor nigaho se uske lund ko dekha & apne nichle honth ko danto tale
daba liya.kali jhanto se ghira uska lund bahut bada lag raha tha.uske
dil zoro se dhadakne laga.inder bistar pe aaya & uske upar let ke use
chumne laga.jawab me vo bhi use baaho me bhar chumne lagi.uska lund ab
seedha uski chut pe daba hua tha & uske dil me masi bhar rahi thi.
inder utha & usk faili tango apni ange faila ke aur failaya fir apna
daya hath neeche le jake lund uski chut pe jamaya & 1 dhakka diya
magar lund fisal gaya & andar nahi ghusa.rajni ki anchhui chut bahu
zyada kasi hui thi.inder ghutno pe baith gaya & fir baye hath ki
ungliyo se usne chut ko failaya & 1 bar fir lund pakad ke andar
ghusane ki gaaj se dhakka mara,"..AAAHHHHHH...!"
is bar lund inch andar ghusa gaya.inder fauran dard se chhatpatati
rajni ke upar let gaya & uske chehre ko chumne laga.chumte hue usne
dheere 1-1 inch karke lund ko andar dhansana shuru kiya.rajni ko bahut
dard ho raha tha & uski aankhe bhnch gayi thi & chehre pe dard ki
lakeeren bhi khinch gayi thi.
inder use dilasa deta hua apna 8 inch lumba lund 6 inch tak ghusa
chuka tha.ab usne ghusana rok ke rajni ko chumne sehlane pe dhyan
lagaya.use pyar se puchkare hue vo uski chhatiyo ko halke-2 dabata hua
uske chehre ko chum raha tha,"bas abhi sara dard dur ho
jayega,rajni...thoda sabra rakho."
thodi hi der me rajni 1 bar fir se uski pih pe hah fene lagi hi.inder
samajh gaya ki ab uski taklif mit gayi hai.vo thoda sa utha & usne
halke-2 dhakke lagane shuru kar
diye,"..uuggghhh....hhuuunnnhhh...!",rajni ki aahe bhi dhakko ke sath
shuru ho gayi.abhi bhi inder ne lund pura andar nahi ghusaya tha.thodi
hi der me rajni ne apni ange utha li & apne talwe inder ki jangho ke
pichhle hisse pe jama diye.inder samajh gaya ki uski premika ab mast
ho agyi hai.ab usne dhakko ki raftar badhayi.
"HAAAAAIIIIIIII....!",aisa karne se uska bacha-khucha lund bhi andar
ghusa gaya ha & rajni ki chikh nikal gayi thi magar is bar inder ruka
nahi & vaise hi dhakke lagata raha.hodi der ki taklif ke bad rajni bhi
fir se masiyo me khone lagi.inder ka chehra tamtama gaya tha.bahut der
se usne apne ko roka hua tha.ab rajni ki chut ki kasava,uske chere pe
chhayi masti use bekabu kar rahe he.vo jhuk ke uski choochiya chuste
hue bahut zor ke dhakke lagane laga.
rajni pehli baar chud rahi thi & inder ke mazbut lund ke qail dhakke
vo zyada der tak bardasht nahi kar payi.tabhi uski chut me khalbali
macha gayi & usnka dil kiya ki apni jangho me use bhinch inder ke lund
ko apne aur andar le le.usne uski kamar pe apni tange kaske uski pith
pe apni baaho ka kasav bhi badah diya & bistar se uthae hue indar ko
betahsha chumne lagi.vo zindagi me pehli bar 1 mard ke lund se jhad
rahi thi.thik usi waqt uski chut me use kuchh garm sa mehsus hua.rajni
ne pehli bar 1 mard ka pani apne andar liya tha.
jhada hua inder uski gardan me munh chhipaye hanf raha tha & rajni
uske sar ko bade pyar se sehla rahi thi.uske chehre pe muskan
thi-aseem santosh & khushi ki muskan.
Inder ne Rajni ki chut se apna sikuda lund bahar khincha to dekha ki
uspe dono ke mile-jule pani ke alawa thoda khoon bhi laga
huatha,"maine tumhe bahut taklif pahuchai na?",usne rajni ke chere pe
pyar se hath fera.
"bilkul bhi nahi.",rajni uthi & apne premi ko chum liya,"..abhi aati
hu.",vo bistar se utari & bathroom chali gayi.jab vo bathroom se bahar
aayi to dekha ki inder bistar pe leta tauliye se apna lund ponchh raha
hai.
bistar ke kareeb pahunchte hi inder ne use fir se apne agosh me khinch
liya,"aaj yahi ruk jao?",dono karwat se lete hue the & inder ki bayi
banh ke ghere me rajni ki pith thi & daaye me uski kamar.
"pagal ho!meri naukri chhudwaoge!"
"to chhod do na & yaha mere sath raho..",inder ne uske badan ko apne
jism se bilkul sata liya,"..main tumhe apni biwi banana chahta hu."
rajni ki aankhe fir se bhar aayi....uparwale ne 1 hi din me use kitni
khushiya navazne ka faisala kiya tha!
"kya hua?"
"kuchh nahi...yeh khushi ke aansu hai magar inder mera naukri chhodna
galat hoga."
"magar kyu?"
"inder,hum dono ki mili-juli aamdani se hum jitne aram se reh sakte
hain vo tumhare akele ki aamdani se to sambhav nahi hai na>"
"ye to hai..",inder ke mathe pe bhi pareshani ki lakeere ubhar
aayi,"..magar tum vaha estate me rahogi & main yaha,main to mar hi
jaoonga!",inder ki aavaz me bechaini bhari hui thi.rajni ne jhat se
uske munh pe hath rakha,"..aisi manhus baaten na karo."
"to batao na kya karu?",ab rajni bhi soch me pad gayi thi.usne inder
ko seedha litaya & uske seene pe sar rakh diya....use uske sapno ko
sach akrne vala shehzada mil gaya tha magar zindagi ki kadvi sachayian
ab dono ke beech rukawat khadi akr rahi thi.tabhi uske dimagh me bijli
kaundhi.
"1 rasta hai inder..",vo uske seene se uth gayi,"..humare estate me
manager ki jagah khali hai."
"to vo mujhe kaise milegi?"
"aur log bhi arzi denge.Sahay ji mujhe hi kyu rakhenge?"
"kyuki tum kabil ho & maine unhe tumhare bare me bataya hai."
"matlab?...tum unhe humare bare me bataogi.."
"nahi!..pagal ho kya?!abhi apne bare me batoongi to unka dhyan kabhi bhi tumhari
kabiliyat pe nahi jayega kewal meri sifarish pe rahega."
"fir kaise karogi?"
"vo tum mujhpe chhod do.bas ye samjho ki tumhe naukri mil gayi..",usne
vapas apna sar uske seene pe rakha,"..fir kuchh dino ka intezar & fir
hum shadi kar lenge."
"ohh...rajni..i love you!",inder ne karwat lete hue rajni koplata ke
apne neeche kar liya & uske chehre ko betahasha chumne laga,rajni
gudgudi hone se hansne lagi.inder ka lund uski chut pe daba hua tha &
use ye ehsas bahut bhala lag raha tha.
inder bhi uske jism ke ehsas & uske badan se aa rahi khushbu se fir se
garam ho gaya tha & uska lund fir se jagne laga tha.inder ne rajni ka
hath pakad ke neeche le jake apna lund use thama diya to usne sharma
ke hath peechhe khinch liya magar inder ne dobara hath lund pe rakha &
vahi dabaye rakha jab tak ki rajni ne use apni mutthi me kas na liya.
rajni ki aankhe sharm se band ho gayi thi,"rajni..",inder ke israr pe
rajni ne aankhe kholi to inder ne use neeche dekhne ko kaha.rajni ke
hontho pe sharm bhari hansi fail gayi magar inder ne manuhar karke use
lund hilate hue dekhne pe razi kar hi liya.
rajni ke liye ye sab bilkul naya & masti bhara ehsas tha.inder ke tane
lund ke ehsas ne use bhi garam kar diya tha.thopdi hi der bad usne
khud hi inder ke lund ke neeche latak rahe uskeando ko sehlaya to
inder samajh gaya ki rajni puri tarah se ab uske pyar me pagal ho
chuki hai.uske chehre pe jeet ki muskan fail gayi.usne use seedha kiya
& uski tange faila ke 1 bar fir uski chut me apna lund ghusa uski
chudai me lag gaya.
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kramashah.........
आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj
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