Saturday, October 23, 2010

कामुक-कहानियाँ बदला पार्ट--11

कामुक-कहानियाँ

बदला पार्ट--11

गतान्क से आगे...

काम ख़त्म हो गया था मगर फिर भी दोनो पति-पत्नी उठ नही रहे थे.कामिनी को
लगा कि उनके दिल मे अभी भी कोई उलझन है,"मिस्टर.सहाय,कोई और बात है
क्या?बेहिचक कहिए.देखिए,मन मे अगर कोई शुबहा है तो उसे अभी दूर कर लेना
बेहतर होगा."

"कामिनी जी...वो..",सुरेन जी हिचकिचा रहे थे तो देविका ने बात की कमान
थामी,"कामिनी जी,आपको हमारे बेटे के बारे मे तो पता ही है.मैने सोचा की
ट्रस्ट तो ठीक है मगर इंसान को किसी अपने के प्यार की भी तो ज़रूरत होती
है..अगर मैं उसकी शादी करा दू तो?"

"क्या?!",कामिनी हैरत से थोडा आगे हो बैठ गयी,"देविका जी!बुरा मत
माने,मगर कौन करेगा उस से शादी?"

"सवाल ये नही है की कौन करेगा..सवाल ये है की शादी के बाद भी मेरे बेटे
के हितो की हिफ़ाज़त कैसे हो."

"देखिए,कामिनी जी.मैं समझती हू मेरी बात आपको अटपटी लगी है मगर जैसे अभी
आपने सारी बाते समझाई वैसे ही 1 और रास्ता बताएँ."

"हां,देविका जी.बोलिए.",ये औरत ना केवल समझदार थी बल्कि बहुत हौसले वाली
थी.कामिनी ने मन ही मन उसकी तारीफ की.

"फ़र्ज़ कीजिए कि ना हम दोनो हैं & ना ही वीरेन है & मेरा बेटा शादीशुदा
है.अब ऐसे मे मेरे बेटे की बीवी की नियत अगर खराब हो जाए तो उस से उसे
बचाने का क्या रास्ता है?"

"प्री-नप्षियल अग्रीमेंट.",दोनो ने उसे सवालिया निगाहो से देखा.

"आपने अख़बारो मे पढ़ा होगा या फिर टीवी पे देखा होगा,विदेश के नामचीं
लोग जिनके पास बहुत दौलत होती है मगर जिनकी शादिया हर साल के फॅशन के साथ
बदल जाती हैं वो ऐसे समझौते करते हैं.."

"..इन समझौतो मे ये लिखा होता है कि दोनो अलग होने के वक़्त 1 दूसरे से
क्या माँग सकते हैं & कितना माँग सकते हैं..यहा तक की पालतू
कुत्ते-बिल्लियो का भी हिसाब किया जाता है!",कामिनी की बात से दोनो को
हँसी आ गयी & माहौल थोड़ा हल्का हो गया.

"..मैं तो कहूँगी की आप अपनी बहू से शादी के पहले ये समझौता कीजिए की अगर
वो आपके बेटे को छ्चोड़ती है तो उसे 1 खास रकम मिलती है & अगर बेटे की
मौत मे ज़रा भी गड़बड़ का अंदेशा हुआ तो उसे जब तक जाँच नही हो जाती तब
तक 1 भी धेला नही मिलेगा."

देविका & सुरेन जी के चेहरो पे राहत के भाव आ गये,"थॅंक यू,कामिनी
जी,थॅंक यू!",सुरेन जी कुर्सी से खड़े हो गये,"..आपकी बातो ने हुमारे
सारे सवालो के जवाब दे दिए हैं..मैं कुच्छ ही दिन मे आप से मिलके सब
कुच्छ पक्का करता हू.",देविका भी खड़ी हो गयी थी.

"आपकी फीस..",देविका अपना पर्स खोल रही थी.

"बाहर रश्मि को दे दीजिएगा."

"अच्छा,कामिनी जी नमस्ते!",दोनो ने उस से विदा ली & उसके कॅबिन से बाहर निकल गये.

रात के 10 बजे रजनी अपना काम ख़त्म कर अपने क्वॉर्टर को लौट रही थी.सहाय
परिवार के बंगल से कोई 500मीटर की दूरी पे उनके घरेलू नौकरो के सर्वेंट
क्वॉर्टर्स बने हुए थे.ये क्वॉर्टर्स दोमंज़िल की दो कमरो की 4 छ्होटी
इमारतें थी & रजनी इसमे से सबसे आख़िरी इमारत के निचले क्वॉर्टर मे रहती
थी.

घर का दरवाज़ा खोल रजनी अंदर दाखिल हुई & किचन मे जा सवेरे बनाई हुई
सब्ज़ी को चूल्‍हे पे गरम होने के लिए चढ़ा दिया & फिर तौलिया उठा
गुसलखाने मे घुस गयी.यू तो सभी नौकर घर मे भी खा सकते थे मगर फिर भी
कभी-कभार रजनी अपना खाना खुद बना लेती थी....आख़िर रसोई मे चूल्हा जले
तभी तो घर घर जैसा लगता है & फिर कुच्छ ही दिन मे जब इंदर उसका पति बन
जाएगा तब तो उसके लिए उसे रोज़ उसके लिए तो खाना बनाना पड़ेगा ही!

इस ख़याल से उसके चेहरे पे खुशी की चमक आ गयी.शवर बंद कर अपने गीले बदन
को तौलिए से सुखा उसने उसे लपेटा & बाहर आ गयी.रसोई मे जा उसने देखा की
सब्ज़ी गरम हो गयी थी,उसने चूल्हा बंद किया & खाना तश्तरी मे निकाल अपने
कमरे मे आ गयी.नहाने से वो तरोताज़ा महसूस कर रही थी & उसकी भूख & बढ़
गयी थी.

वो वैसे ही सिर्फ़ तौलिए मे अपने बिस्तर पे बैठ गयी & खाना खाने लगी.खाते
हुए उसने सोचा कि खाना ख़त्म कर वो इंदर को फोन करेगी.खाना ख़त्म कर वो
कमरे मे आई & अपनी नाइटी निकालने के इरादे से अपनी अलमारी खोली की तभी
उसका मोबाइल बज उठा,"हेलो."

"क्या कर रही हो,जान?"

"कुच्छ नही.",इंदर की आवाज़ सुनते ही रजनी के होंठो पे मुस्कान फैल गयी &
वो बिस्तर पे लेट गयी.

"अच्छा.मैने तो सोचा था कि कहोगी की तुम्हारे फोन का इंतेज़ार कर रही हू."

"अब खुद को इतना भी मत समझो!",रजनी ने शरारत से कहा.

"हा..हा..!",इंदर हंसा,"..थॅंक्स,रजनी."

"किस लिए इंदर?"

"तुम्हारे सर ने मुझे कल ही इंटरव्यू के लिए बुलाया है."

"क्या?!",रजनी खुशी से चीखी & उठ बैठी.

"आख़िर तुमने ये सब किया कैसे जान?"

"तुम आम खाओ ना पेड़ क्यू गिनते हो!",रजनी ने अपने प्रेमी से फिर शरारत की.

"बताओ ना..प्लीज़!",इंदर बच्चो की तरह मचला तो थोड़ी देर उसे और तड़पाने
के बाद रजनी ने उसे सब कुच्छ बता दिया.

"मान गये उस्ताद.जी तो करता है तुम्हे चूम लू!"

"अच्छा-2,फिर से वोही बातें!"

"अब तुम से ये बातें ना करू तो किस से करू?!....चलो बताओ क्या पहना है?"

"नही बताऊंगी.क्या करोगे?!",अभी कोई हमेशा शांत रहने वाली रजनी को ऐसे
चुहल करते देखता तो बिल्कुल यकीन नही करता.

"वो तो अगली मुलाकात मे पता चलेगा की क्या करूँगा!",इंदर की बात सुनते ही
रजनी को वो दोपहर याद आई जब इंदर ने उसके कुंवारेपन को ख़त्म कर उसे फूल
बनाया था & उसका हाथ तौलिए के नीचे से उसकी चूत पे चला गया,"..पहले तो
तुम्हारी प्यारी चूत को तब तक चाटूँगा जब तक की तुम मुझे खुद उठा कर अपने
उपर ना खींच लो & बोलो की इंदर,चोद मुझे!"

"धात..!",रजनी ने उसे प्यार से झिड़का मगर उसका हाथ अपनी चूत के दाने को
रगड़ता रहा,"..मैं ऐसी गंदी बाते कभी नही करूँगी."

"ये गंदी बाते हैं,जानेमन!करते वक़्त तो तुम्हे गंदी नही लगती.चलो सोचो
कि अभी मैं तुम्हारे पास हू & तुम्हारे नशीले बदन को सहला रहा हू,तुमने
भी मेरा लंड अपने हाथो मे थामा हुआ है & उसे हिला रही हो.मैं तुम्हारी
चूचिया चूस रहा हू & साथ ही उंगली से तुम्हारी चूत मार रहा हू.तुम भी जोश
मे पागल हो रही हो & अपनी टाँगे फैला के मुझे उपर खींच लेती हो & कहती
हो-.."

"ओह्ह...इंदर..प्लेआसीए......आहह.....मत पागल करो मुझे....ऊहह...!"

"तुम अपनी चूत से खेल रही हो ना रजनी?"

"हां,इंदर...आअनह...!"

"मैं भी अपना लंड हिला रहा हू,जानेमन.सोचो की मैने तुम्हारी चूत मे उसे
घुसा दिया है &..",इंदर चुप हो गया.

"..इंदर?..इंदर..?..ओह्ह्ह..इंदर बोलते रहो प्लीज़ी...!"

"क्या बोलू रजनी?बताओ तो ज़रा.",इंदर ने उसे छेड़ा.

"ओह्ह..इंदर..प्लीज़..क्यू सताते हो?",रजनी ने तौलिए की गाँठ खोल दी थी &
अपने बाए हाथ से फोन कान पे लगाए अपने दाए हाथ से अपनी चूत के दाने को
रगडे जा रही थी.

"जब तक तुम बतओगि नही मैं नही बोलूँगा."

"ओह्ह..इंदर...",रजनी को अभी भी झिझक हो रही थी मगर उसका जिस्म उसे पागल
कर रहा था,"..बताओ ना इंदर कि तुम..तुम कैसे..कैसे मुझे चोद रहे
हो.",उसने जल्दि से कहा.

"ये हुई ना बात!सोचो,की मैं तुम्हार उपर सवार हू & हम दोनो किस्सिंग कर
रहे हैं.मेरा लंड तुम्हारी चूत मे पूरा घुसा हुआ है & हम दोनो की झांते
आपस मे उलझ गयी हैं...",इंदर अपनी प्रेमिका की आहें अपने फोन से सुन रहा
था,"..मेरे धक्के महसूस कर रही हो,रजनी?"

"हां..इनडर हाँ..",रजनी को इंदर के साथ की गयी चुदाई याद आ रही
थी,"..ऊहह...और ज़ोर से चोदो इंदर और ज़ोर से!"

"ये लो रजनी...ये लो..मेरा लंड पूरा बाहर निकलता है & फिर मैं उसे 1 झटके
मे वापस पूरा अंदर घुसेड देता हू."

"ऊव्व....मैं तुम्हारी पीठ नोच रही हू इंदर मेरी टाँगे तुम्हारी कमर पे
हैं..मैं तुम्हारी गंद नोच रही हू इंदर...आहह...रुकना
मत...ऊओवव्वव...!",& रजनी झाड़ गयी.उसे इस नये खेल मे बड़ा मज़ा आया था
मगर जो बात असल चुदाई मे थी वो & किसी चीज़ मे कहा!उसे अपने प्रेमी पे
बहुत प्यार आया मगर साथ ही दिल मे ये तमन्ना भी उठी की वो जल्द से जल्द
अब हुमेशा के लिए उसकी हो जाए ताकि हर रात वो उसकी बाहो मे गुज़रे.

थोड़ी और बात करने के बाद इंदर ने फोन बंद कर दिया.उसके होंठो पे जीत की
मुस्कान थी.ये लड़की अब पूरी तरह से उसकी कठपुतली थी & इसी कठपुतली के
सहारे कल वो सहाय एस्टेट मे पहली बार कदम रखेगा & फिर....

उस ख़याल से 1 बार फिर उसका तन गुस्से से जलने लगा.उसना हाथ बढ़ा के मेज़
से अपना फ़्लास्क उठाया & अपने मुँह से लगाया.शराब का 1 बड़ा घूँट भरते
ही उसे गले मे जलन महसूस हुई मगर ये जलन उस गुस्से की जलन के आगे कुच्छ
भी नही थी.3-4 घूँट के बाद उसे थोड़ा सुकून पहुँचा & वो कल सुरेन सहाय से
होने वाली पहली मुलाकात के बारे मे सोचने लगा.

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क्रमशः.........

BADLA paart--11

gataank se aage...

kaam khatm ho gaya tha magar fir bhi dono pati-patni uth nahi rahe
the.kamini ko laga ki unke dil me abhi bhi koi uljhan
hai,"mr.sahay,koi aur baat hai kya?behichak kahiye.dekhiye,man me agar
koi shubaha hai to use abhi door kar lena behtar hoga."

"kamini ji...vo..",suren ji hichkicha rahe the to devika ne baat ki
kaman thami,"kamini ji,aapko humare bete ke bare me to pata hi
hai.maine socha ki trust to thik hai magar insan ko kisi apne ke pyar
ki bhi to zarurat hoti hai..agar main uski shadi kara du to?"

"kya?!",kamini hairat se thoda aage ho baith gayi,"devika ji!bura mat
mane,magar kaun karega us se shadi?"

"sawal ye nahi hai ki kaun karega..sawal ye hai ki shadi ke baad bhi
mere bete ke hito ki hifazat kaise ho."

"dekhiye,kamini ji.main samajhti hu meri baat aapko atpati lagi hai
magar jaise abhi aapne sari baate samjhayi vaise hi 1 aur rasta
batayen."

"haan,devika ji.boliye.",ye aurat na kewal samajhdar thi balki bahut
hausle vali thi.kamini ne man hi man uski tareef ki.

"farz kijiye ki na hum dono hain & na hi viren hai & mera beta
shadishuda hai.ab aise me mere bete ki biwi ki niyat agar kharab ho
jaye to us se use bachane ka kya rasta hai?"

"pre-nuptial agreement.",dono ne use sawaliya nigaho se dekha.

"aapne akhbaro me padha hoga ya fir tv pe dekha hoga,videsh ke
naamchin log jinke paas bahut daulat hoti hai magar jinki shadiya har
saal ke fashion ke sath badal jati hain vo aise samjhaute karte
hain.."

"..in samjhauto me ye likha hota hai ki dono alag hone ke waqt 1 dusre
se kya maan saket hain & kitna mang sakte hain..yaha tak ki paltu
kutte-billiyo ka bhi hisab kiya jata hai!",kamini ki baat se dono ko
hansi aa gayi & mahaul thoda halka ho gaya.

"..main to kahungi ki aap apni bahu se shadi ke pehle ye samjhauta
kijiye ki agar vo aapke bete ko chhodti hai to use 1 khas rakam milti
hai & agar bete ki maut me zara bhi gadbad ka andesha hua to use jab
tak janch nahi ho jati tab tak 1 bhi dhela nahi milega."

devika & suren ji ke chehro pe rahat ke bhav aa gaye,"thank you,kamini
ji,thank you!",suren ji kursi se khadi ho gaye,"..aapki baato ne
humare sare sawalo ke jawab de diye hain..main kuchh hi din me aap se
milke sab kuchh pakka karta hu.",devika bhi khadi ho gayi thi.

"aapki fees..",devika apna purse khol rahi thi.

"bahar rashmi ko de dijiyega."

"achha,kamini ji namaste!",dono ne us se vida li & uske cabin se bahar
nikal gaye.

Raat ke 10 baje Rajni apna kaam khatm kar apne quarter ko laut rahi
thi.Sahay parivar ke bungle se koi 500m ki duri pe unke gharelu naukro
ke servant quarters bane hue the.ye quarters domanzil ki do kamro ki 4
chhoti imaraten thi & rajni isme se sabse aakhiri imarat ke nichle
quarter me rehti thi.

ghar ka darwaza khol rajni andar dakhil hui & kitchen me ja savere
banai hui sabzi ko chulhe pe garam hone ke liye chadha diya & fir
tauliya utha gusalkhane me ghus gayi.yu to sabhi naukar ghar me bhi
kha sakte the magar fir bhi kabhi-kabhar rajni apna khana khud bana
leti thi....aakhir rasoi me chulha jale tabhi to ghar ghar jaisa lagta
hai & fir kuchh hi din me jab Inder uska pati ban jayega tab to uske
liye use roz uske liye to khana banana padega hi!

is khayal se uske chehre pe khuzhsi ki chamak aa gayi.shower band kar
apne gile badan ko tauliye se sukha usne use lapeta & bahar aa
gayi.rasoi me ja usne dekha ki sabzi garam ho gayi thi,usne chulha
band kiya & khana tashtari me nikal apne kamre me aa gayi.nahane se vo
tarotaza mehsus kar rahi thi & uski bhookh & badh gayi thi.

vo vaise hi sirf tauliye me apne bistar pe baith gayi & khana khane
lagi.khate hue usne socha ki khana khatm kar vo inder ko fone
karegi.khana khatm kar vo kamre me aayi & apni nighty nikalne ke irade
se apni almari kholi ki tabhi uska mobile baj utha,"hello."

"kya kar rahi ho,jaan?"

"kuchh nahi.",inder ki aavaz sunte hi rajni ke hontho pe muskan fail
gayi & vo bistar pe let gayi.

"achha.maine to socha tha ki kahogi ki tumhare fone ka intezar kar rahi hu."

"ab khud ko itna bhi mat samjho!",rajni ne shararat se kaha.

"haa..haa..!",inder hansa,"..thanx,rajni."

"kis liye inder?"

"tumhare sir ne mujhe kal hi interview ke liye bulaya hai."

"kya?!",rajni khushi se chikhi & uth baithi.

"aakhir tumne ye sab kiya kaise jaan?"

"tum aam khao na ped kyu ginte ho!",rajni ne apne premi se fir shararat ki.

"batao na..please!",inder bachcho ki tarah machala to thodi der use
aur tadpane ke baad rajni ne use sab kuchh bata diya.

"maan gaye ustad.ji to karta hai tumhe chum lu!"

"achha-2,fir se vohi baaten!"

"ab tum se ye baaten na karu to kis se karu?!....chalo batao kya pehna hai?"

"nahi bataoongi.kya karoge?!",abhi koi humesha shant rehne wali rajni
ko aise chuhal karte dekhta to bilkul yakeen nahi karta.

"vo to agli mulakat me pata chalega ki kya karunga!",inder ki baat
sunte hi rajni ko vo dopahar yaad aayi jab inder ne uske kunwarepan ko
khatm kar use phool banaya tha & uska hath tauliye ke neeche se uski
chut pe chala gaya,"..pehle to tumahri pyari chut ko tab tak chatunga
jab tak ki tum mujhe khud utha kar apne upar na khinch lo & bolo ki
inder,chod mujhe!"

"dhat..!",rajni ne use pyar se jhidka magar uska hath apni chut ke
dane ko ragadta raha,"..main aisi gandi baate kabhi nahi karungi."

"ye gandi baate hain,janeman!karte waqt to tumhe gandi nahi
lagti.chalo socho kia abhi main tumhare paas hu & tumhare nashile
badan ko sehla raha hu,tumne bhi mera lund apne hatho me thama hua hai
& use hila rahi ho.main tumhari chhatiyan chus raha hu & sath hi ungli
se tumhari chut maar raha hu.tum bhi josh me pagal ho rahi ho & apni
tange faila ke mujhe upar khicnh leti ho & kehti ho-.."

"ohh...inder..pleaseee......aahhhhh.....mat pagal karo mujhe....oohh...!"

"tum apni chut se khel rahi ho na rajni?"

"haan,inder...aaanhhh...!"

"main bhi apna lund hila raha hu,jaaneman.socho ki maine tumhari chut
me use ghusa diya hai &..",inder chup ho gaya.

"..inder?..inder..?..ohhh..inder bolte raho pleaseeee...!"

"kya bolu rajni?batao to zara.",inder ne use chheda.

"ohh..inder..please..kyu satate ho?",rajni ne tauliye ki ganth khol di
thi & apne baye hath se fone kaan pe lagaye apne daaye hath se apni
chut ke dane ko ragde ja rahi thi.

"jab tak tum bataogi nahi main nahi bolunga."

"ohh..inder...",rajni ko abhi bhi jhijhak ho rahi thi magar uska jism
use pagal kar raha tha,"..batao na inder ki tum..tum kaise..kaise
mujhe chod rahe ho.",usne jaldiu se kaha.

"ye hui na baat!socho,ki main tumhar upar savar hu & hum dono kissing
kar rahe hain.mera lund tumhari chut me pura ghusa hua hai & hum dono
ki jhante aapas me ulajh gayi hain...",inder apni premika ki aahen
apne fone se sun raha tha,"..mere dhakke mehsus kar rahi ho,rajni?"

"haan..inder haan..",rajni ko inder ke sath ki gayi chudai yaad aa
rahi thi,"..oohh...aur zor se chodo inder aur zor se!"

"ye lo rajni...ye lo..mera lund pura bahar nikalta hai & fir main use
1 jhatke me vapas pura andar ghused deta hu."

"ooww....main tumhari pith noch rahi hu inder meri tange tumhari kamar
pe hain..main tumhari gand noch rahi hu inder...aahhhh...rukna
mat...ooowwww...!",& rajni jhad gayi.use is naye khel me bada maza
aaya tha magar jo baat asal chudai me thi vo & kisi chiz me kaha!use
apne premi pe bahut pyar aaya magar sath hi dil me ye tamanna bhi uthi
ki vo jald se jald ab humesha ke liye uski ho jaye taki har raat vo
uski baaho me guzare.

thodi aur baat karne ke baad inder ne fone band kar diya.uske hotho pe
jeet ki muskan thi.ye ladki ab puri tarah se uski kathputli thi & isi
kathputli ke sahare kal vo sahay estate me pehli baar kadam rakhega &
fir....

us khayal se 1 baar fir uske tan gusse se jalne laga.usna hath badha
ke mez se apna flask uthaya & apne munh se lagaya.sharab ka 1 bada
ghunt bharte hi use gale me jalan mehsus hui magar ye jalan us gusse
ki jalan ke aage kuchh bhi nahi thi.3-4 ghunto ke baad use thoda sukun
pahuncha & vo kal Suren Sahay se hone vali pehli mulakat ke bare me
sochne laga.

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kramashah.........

आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj

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