बदला पार्ट--50 and
गतान्क से आगे..
"मैं वीरेन का पहला प्यार थी,कामिनी.",देविका उसके बेड पे उसका हाथ थामे
बैठी थी,"..लेकिन जब उसने मुझसे कहा की उसे कारोबार मे कोई दिलचस्पी नही
& वो मेरे साथ पॅरिस जाके पैंटिंग के बारे मे जितना चाहे सीखना चाहता है
तो मुझे ये बात ज़रा भी अच्छी नही लगी.मेरे लिए वीरेन से भी ज़्यादा उसकी
दौलत अहम थी.मैं ऐशोआरम की ज़िंदगी गुज़रना चाहती थी.इधर वीरेन 2 महीनो
के लिए विदेश गया,उसका प्रोग्राम था की वो सब इंतेज़ाम कर के आएगा फिर हम
शादी कर यहा से चले जाएँगे,उधर सुरेन जी मेरे इश्क़ मे पड़ गये.."
"..पहल मैने नही की थी मगर मैने उन्हे रोका भी नही & कुच्छ ही दीनो मे
हमारी शादी हो गयी.वीरेन ने इस बात का कभी मुझसे कोई शिकवा नही किया मगर
उसके अंदर ही अंदर ये लावा उबल रहा था.उसे हमेशा यही लगता रहा कि मैने ना
केवल उसे धोखा दिया बल्कि उसके परिवार को भी उस से अलग किया.."
"..इसी नफ़रत ने उस से ये सब करवाया.",देविका की आँखे नम हो गयी.
"शाम लाल जी भी लालची आदमी थे मगर सुरेन जी 1 बहुत पहुँचे कारोबारी थी &
वो उन्हे धोखा नही दे पा रहे थे.इत्तेफ़ाक़न उनकी & वीरेन की मुलाकात हो
गयी & दोनो ने 1 दूसरे से अपने दिल की बात कह दी & ये सब प्लान
बनाया.",शिवा बात आगे बढ़ा रहा था,"..वो जो इंदर को खत मिला था ना उस खत
वाला स और कोई नही शाम लाल खुद थे.अपनी साली को उन्होने शादी के पहले ही
अपने जाल मे फँसा लिया था & बाद मे जब वो अपने पति की मौत हो जाने के बाद
उनपे शादी के लिए दबाव डालने लगी तो उसे रेल लाइन पे फेंक आए.."
"तुम्हे ये सब कैसे पता?"
"वो मेरे ही हाथो मरा था इसलिए."
"क्या?"
"जी.उस रात वीरेन अपने गुस्से मे पागल देविका को अपने हाथो से मारने के
लिए एस्टेट आ पहुँचा था.इसी ग़लती ने उनका खेल बिगाड़ा.मैने वीरेन की
गाड़ी देखी तो उनके पास जाने लगा मगर जब उन्हे शाम लाल से बात करते सुना
तो मुझे सब समझ आ गया.घर मे आग लगी थी & वीरेन उसमे घुस गया.शाम लाल उसे
रोक रहा था मगर वो गुस्से मे पागल था.मैं भी दोनो के पीछे घुसा & देविका
को निकाल लाया.."
"..उसी हाथापाई मे शाम लाल मेरे हाथो मरा & वीरेन.."
"& वीरेन?",कामिनी के रुँधे गले से बड़ी मुश्किल से 2 लफ्ज़ निकले.इतना
बड़ा धोखा..उसे सब समझ आ गया था-वीरेन ने उसका इस्तेमाल किया था केवल
इसलिए की वो सहाय परिवार की वकील थी.
"मैने देविका को बचाने के लिए उसे परे धकेला तो वो गिर गया & जब मैं बंगल
से बाहर भाग रहा था देविका के साथ तो वो हमारे पीछे थे लेकिन बंगल के
दरवाज़े के पास उसका पैर कही फँसा & वो गिरा & आग की लपटो ने उसे घेर
लिया."
"प्रसून को किसने मारा?"
"सारा प्लान शाम लाल का था.रोमा ने प्रसून को नीचे भेजा & इंदर उसे फुसला
के मॅनेजर'स कॉटेज ले गया & उसका क़त्ल कर दिया.",देविका की सिसकिया कमरे
मे गूँज उठी तो शिवा ने उसे बाहो मे भर लिया.
"मैं प्रसून की शादी के बाद वीरेन के साथ उसके कॉटेज मे रुकी थी & किसी
ने कॉटेज मे झाँका था.लगता है वो इंदर ही था."
"नही कामिनी,वो शाम लाल था."
"आपको कैसे पता देविका जी?"
"क्यूकी रजनी वापस आ गयी है & उसने मुझे सब बताया है."
"रजनी कौन है?"
"मेरी नौकरानी.इंदर ने उसे अपने प्यार के जाल मे फँसाया & फिर हर रात
उसके जिस्म से खेलता.उसी ने उसकी अर्ज़ी भी यहा तक पहुचाई थी & वोही उसे
हमारी बाते भी बताती थी क्यूकी उस बेचारी को क्या पता था कि जिस से वो
शादी के सपने देख रही थी वो दर-असल बस उसका इस्तेमाल कर रहा था.."
"..प्रसून की शादी के वक़्त शाम लाल यही था & उन दीनो रजनी भी यही
थी.रजनी का कहना है कि जब तक वो यहाँ थी हर रात इंदर ने उसी के साथ
गुज़ारी थी तो और कोई बचता ही नही."
सारी बाते सॉफ हो गयी थी सारे राज़ खुल गये थे रह गया था तो सिर्फ़ दर्द
दोनो औरतो के दिलो मे.कामिनी ने देविका की ओर देखा,वो छली गयी थी लेकिन
शिवा था उसके साथ उसका सहारा बनके मगर उसके पास कौन था?..वो तो फिर अकेली
हो गयी थी..1 बार फिर छली गयी थी वो 1 मर्द के हाथो से....& फिर उसकी
निगाह पड़ी कमरे मे दोबारा दाखिल होते हुए चंद्रा साहब पे.जब देविका आई
थी तो वो बाहर चले गये थे.
यही 1 मर्द था जिसने उसे कभी धोखा नही दिया & यही 1 मर्द था जो इस वक़्त
भी उसके साथ खड़ा था.कामिनी के दिल मे फिर से उमीद जाग गयी.वो खुद को
इतना अकेला इतना कमज़ोर क्यू समझ रही थी.क्या कमी थी उसकी ज़िंदगी मे?..1
बुरा इंसान आया तो उसे भी अपने किए की सज़ा मिल गयी & चंद्रा साहब तो थे
ही उसके साथ.हमेशा.
उसने देविका को देखा.शिवा ने उसके कंधे पे हाथ रखा & दोनो उस से विदा ले
रहे थे,"..आप जल्दी से ठीक हो जाइए & मेरी सारी जयदाद को दान करने मे
मेरी मदद कीजिए.",देविका उसका हाथ पकड़े हुए थी.
"फिर आप क्या करेंगी?"
"इस बार वो ग़लती नही दोहराउंगी जो शादी के पहले की थी,कामिनी जी.उपरवाले
ने मुझे दूसरी ज़िंदगी दी है.अब ये ज़िंदगी बस शिवा की बाहो मे गुज़ार
दूँगी."
"बेस्ट ऑफ लक."
"थॅंक्स.",& दोनो प्रेमी बाहर चले गये.
कामिनी ने चंद्रा साहब को देखा & मुस्कुराइ.ज़िंदगी कितनी हसीन थी & वो
जवान.1 बुरा सपना था जो अब बीत चुका था,हक़ीक़त यहा सामने कहदी थी.उसने
अपना हाथ अपने गुरु की ओर बढ़ा दिया & उनके चेहरे पे भी मुस्कान फैल गयी.
दोस्तो कैसी लगी कहानी बताना मत भूलिएगा आपका दोस्त राज शर्मा
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समाप्त
दा एंड
बदला पार्ट--50
गतान्क से आगे..
"main viren ka pehla pyar thi,kamini.",devika uske bed pe uska hath
thame baithi thi,"..lekin jab usne mujhse kaha ki use karobar me koi
dilchaspi nahi & vo mere sath Paris jake painting ke bare me jitna
chahe sikhna chahta hai to mujhe ye baat zara bhi achhi nahi lagi.mere
liye viren se bhi zyada uski daulat aham thi.main aishoaram ki zindagi
guzarna chahti thi.idhar viren 2 mahino ke liye videsh gaya,uska
program tha ki vo sab intezam kar ke ayega fir hum shadi kar yaha se
chale jayenge,udhar suren ji mere ishq me pad gaye.."
"..pehal maine nahi ki thi magar maine unhe roka bhi nahi & kuchh hi
dino me humari shadi ho gayi.viren ne is baat ka kabhi mujhse koi
shikva nahi kiya magar uske andar hi anadra ye lava ubal raha tha.use
humesha yehi lagta raha ki maine na keval use dhokha diya balki uske
parivar ko bhi us se alag kiya.."
"..isi nafrat ne us se ye sab karwaya.",devika ki aankhe nam ho gayi.
"sham lal ji bhi lalchi aadmi the magar suren ji 1 bahut pahunche
karobari thi & vo unhe dhokha nahi de pa rahe the.ittefaqan unki &
viren ki mulakat ho gayi & dono ne 1 dusre se apne dil ki baat kah di
& ye sab plan banaya.",shiva baat aage badha raha tha,"..vo jo inder
ko khat mila tha na us khat vala S aur koi nahi sham lal khud the.apni
sali ko unhone shadi ke pehle hi apne jaal me fansa liya tha & baad me
jab vo apne pati ki maut ho jane ke baad unpe shadi ke liye dabav
dalne lagi to use rail line pe fenk aaye.."
"tumhe ye sab kaise pata?"
"vo mere hi hatho mara tha isliye."
"kya?"
"ji.us raat viren apne gusse me pagal devika ko apne hatho se marne ke
liye estate aa pahuncha tha.isi galti ne unka khel bigada.maine viren
ki gadi dekhi to unke paas jane laga magar jab unhe sham lal se baat
karte suna to mujhe sab samajh aa gaya.ghar me aag lagi thi & viren
usme ghus gaya.sham lal use rok raha tha magar vo gusse me pagal
tha.main bhi dono ke peehche ghusa & devika ko nikal laya.."
"..usi hathapai me sham lal mere hatho mara & viren.."
"& viren?",kamini ke rundhe gale se badi mushkil se 2 lafz nikle.itna
bada dhokha..use sab samajh aa gaya tha-viren ne uska istemnal kiya
tha kewal isliye ki vo sahay parivar ki vakil thi.
"maine devika ko bachane ke liye use pare dhakela to vo gir gaya & jab
main bungle se bahar bhag raha tha devika ke sath to vo humare peechhe
the lekin bungle ke darwaze ke paas uska pair kahi fansa & vo gira &
aag ki lapto ne use gher liya."
"prasun ko kisne mara?"
"sara plan sham lal ka tha.roma ne prasun ko neeche bheja & inder use
phusla ke manager's cottage le gaya & uska qatl kar diya.",devika ki
siskiya kamre me gunj uthi to shiva ne use baaho me bhar liya.
"main prasun ki shadi ke baad viren ke sath uske cottage me ruki thi &
kisi ne cottage me jhanka tha.lagta hai vo inder hi tha."
"nahi kamini,vo sham lal tha."
"aapko kaise pata devika ji?"
"kyuki Rajni vapas aa gayi hai & usne mujhe sab bataya hai."
"Rajni kaun hai?"
"meri naukrani.Inder ne use apne pyar ke jaal me fansaya & fir har
raat uske jism se khelta.usi ne uski arzi bhi yaha tak pahuchayi thi &
vohi use humari baate bhi batati thi kyuki us bechari ko kya pata tha
ki jis se vo shadi ke sapne dekh rahi thi vo darasla bas uska istemal
kar raha tha.."
"..prasun ki shadi ke waqt Sham Lal yahi tha & un dino rajni bhi yehi
thi.rajni ka kehna hai ki jab tak vo yahan thi har raat inder ne usi
ke sath guzari thi to aur koi bachta hi nahi."
sari baate saaf ho gayi thi sare raaz khul gaye the reh gaya tha to
sirf dard dono aurato ke dilo me.kamini ne devika ki or dekha,vo
chhali gayi thi lekin Shiva tha uske sath uska sahara banke magar uske
paas kaun tha?..vo to fir akeli ho gayi thi..1 baar fir chhali gayi
thi vo 1 mard ke hatho se....& fir uski nigah padi kamre me dobara
dakhil hote hue Chandra Sahab pe.jab Devika aayi thi to vo bahar chale
gaye the.
yehi 1 mard tha jisne use kabhi dhokha nahi diya & yehi 1 mard tha jo
is waqt bhi uske sath khada tha.kamini ke dil me fir se umeed jag
gayi.vo khud ko itna akela itna kamzor kyu samajh rahi thi.kya kami
thi uski zindagi me?..1 bura insan aaya to use bhi apne kiye ki saza
mil gayi & chandra sahab to the hi uske sath.humesha.
usne devika ko dekha.shiva ne uske kandhe pe hath rakha & dono us se
vida le rahe the,"..aap jaldi se thik ho jaiye & meri sari jaydad ko
daan karne me meri madad kijiye.",devika uska hath pakde hue thi.
"fir aap kya karengi?"
"is baar vo galti nahi dohraungi jo shadi ke pehle ki thi,kamini
ji.uparwale ne mujhe dusri zindagi di hai.ab ye zindagi bas shiva ki
baaho me guzar dungi."
"best of luck."
"thanx.",& dono premi bahar chale gaye.
kamini ne chandra sahab ko dekha & muskurayi.zindagi kitni haseen thi
& vo jawan.1 bura sapna tha jo ab beet chuka tha,haqeeqat yaha samne
kahdi thi.usne apna hath apne guru ki or badha diya & unke chehre pe
bhi muskan fail gayi.
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THE END
आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj
1 comment:
very good sir.bahut achhhi kahani likhi........
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