Saturday, October 23, 2010

कौन सच्चा कौन झूठा पार्ट -16

हिंदी सेक्सी कहानियाँ
कौन सच्चा कौन झूठा पार्ट -16
गतान्क से आगे........
सुबह चंपा जागी ,सामने दीपक पर नज़र डाली दीपक गहरी नींद मे सो रहा था
,आज दो दिन बाद दीपक ऐसा सो रहा था ,उसके चेहरे पर एक खुशी थी चंपा अपने
काम मे लग गयी ,दीपक की नींद भी खुली ,बाथरूम जाने के लिए खड़ा हुआ था के
ज़मीन पर नीचे गिर पड़ा ,चंपा आहट सुन के भागते हुए उसके पास आई ,दीपक
अपना पेट पकड़े ज़ोर से दबा रखा था चंपा: दिखाइए क्या हुआ चंपा ने शर्ट
उपर की ,जहा टाँकें लगे हुए थे वाहा से खून बह रहा था चंपा: आप खुद क्यू
खड़े हुए मुझे आवाज़ दे देते दीपक कुछ बोला नही , चंपा का सहारा लेकर
खड़ा हुआ और बाथरूम की तरफ गया,बाथरूम से बाहर आया चंपा चाइ लेकर बेड के
पास खड़ी थी चंपा: अब कैसा लग रहा है साहेब जी दीपक: पहले से ठीक हू , पर
दर्द बहुत है चंपा: साहेब जी आप बिल्कुल ठीक हो जाएँगे ,बस कुछ दीनो की
बात है दीपक: चंपा वही नही है मेरे पास ,मुझे जल्दी से कुछ करना है ,कही
वो लोग दूर भाग गये तो ज़िंदगी भर मुझे छिप छिप के रहना पड़ेगा, और मैं
मरना पसंद करूँगा छिपना नही चंपा: साहेब जी आप ऐसी बाते क्यू करते है,
अगर आपको कुछ होगया तो दीपक: चंपा मर तो मे वैसे भी चुका हू ,ऐसा इल्ज़ाम
है मुझ पर, दीपक: चंपा अब जब तक वो लोग मेरे हाथ नही आते मे कैसे चैन लू
, मैं उन्हे जान से मार दूँगा चंपा: साहेब जी मुझे आपको एक बात बतानी है
दीपक: बोलो चंपा क्या बात है चंपा: वो दो दिन पहले आपके घर मे चोरी हुई
थी दीपक: क्या ? और तुमने मुझे बताया नही चंपा: आप की ऐसी हालत मे ,मैं
आपको और परेशान कैसे करती दीपक चंपा की बात को समझते हुए शांत रहा थोड़ी
देर बाद उसने पूछा दीपक: क्या चोरी हुआ घर मे चंपा: मे तो काम करने गयी
नही ,मेरी सहली सोनी गयी थी ,उसी ने बताया के घर से हीरे चोरी हुए है
दीपक: क्या ,मा को तो कुछ नही हुआ ना चंपा: जब चोरी हुई मा जी घर मे नही
थी दीपक सोच रहा था के ये उनके साथ आख़िर हो क्या रहा है ,पहले वो हादसा
और अब घर मे चोरी,आख़िर ये कौन कर रहा है ,या फिर सिर्फ़ एक इतिफाक है
चंपा: आप मूह हाथ धो लीजिए मे आपके लिए नाश्ता बनाती हू दीपक ने हामी भरी
, वही बैठा अपने दिमाग़ पे ज़ोर डाल रहा था पुरानी बातों को याद कर रहा
था ,कैसे वो लोग खुश थे ,पूरा परिवार एक साथ था दीपक अपनी सोच से तब बाहर
आया ,जब दरवाज़ा खुला और चंदू अंदर आया ,सामने दीपक को बैठा देख चंदू
उसके पास गया चंदू: अब कैसा लग रहा है दीपक: ठीक हू चंदू: मौत के मूह से
वापस आए हो, उस रात अगर चंपा घर वापस आकर मुझे साथ ना लाती तो तुम बच नही
पाते दीपक: शुक्रिया दोस्त चंदू: अब आगे क्या करोगे ,तुम्हारे पीछे तो
जैसे पूरी नज़र रखी है उन लोगो ने दीपक: वही सोच रहा हू ,उस रात मदन ने
किसी अप्सरा बार के माल्लिक सत्या बोउ का नाम लिया था उसी को ढूड़ना है
चंदू: सत्या बोउ (हैरानी से बोला) दीपक: तुम जानते हो उसे चंदू: जिस खोली
मे तुम बैठे हो ये उसी की दी हुई है दीपक: ये ,पर कैसे चंदू: मेरा दोस्त
किशन उसके बार मे काम करता है ,उसी ने उसको ये रहने के लिए दी हुई है
दीपक: मुझे उसके पास ले कर चलो चंदू: वो कोई मामूली आदमी नही समझा ,इस
शहेर का नाम चिन आदमी है ऐसे थोड़ी ना मिल जाएगा ,2 ,4 बॉडीगार्ड आस पास
होते है ,सीधा माथे मे गोली मारेंगे ,उसके लिए तुझे थोड़ा रुकना पड़ेगा
अपने दोस्त से बात करता हू मे चंपा: तू कब आया चंदू: अभी आया हू चंपा:दूध
वाला आए तो दूध तू अपने घर पे रख लेना चंदू: रख लूँगा,ओर कोई काम है तो
बता दे दीपक: मुझे कुछ समान ला कर दो(चंदू से बोला) चंपा: क्या साहेब जी
दीपक: रूई(कॉटन) पट्टी( बॅंडेजस) चंपा: क्यू,क्या हुआ दीपक: चंपा अगर यहा
बैठा रहा , तो लोग कभी भी आ सकते हैं ,और मैं नही चाहता के मैं अब उनकी
नज़र मे आऊ चंपा: पर साहेब जी आपका जखम तो अभी भरा नही दीपक: चंपा तुम
फिकर मत करो मुझे कुछ नही होगा ,मे तुम्हे वादा करता हू दीपक: चंदू तुमने
मेरी बहुत मदद की है ,अब थोड़ी और कर दो , मुझे उस सत्या बोउ से एक बार
मिलवा दो चंदू: मिलवा तो दूँगा ,पर थोड़ी देर रुकना होगा ,अभी मेरा दोस्त
वही बार मे होगा ,मैं कई बार उसको मिलने वाहा जाता हू,और मुझे पता के
सत्या बोउ शाम को ही वाहा पर आता है गल्ला(पैसे) इकट्ठा करने चंपा: तू
वाहा जाएगा साहेब जी के साथ,वाहा कोई ख़तरा तो नही चंदू: हां मैं इनके
साथ चला जाउन्गा ,तू चिंता मत कर ,किशन मेरा अछा दोस्त है और अपने
माल्लिक का वफ़ादार चंदू खोली से बाहर गया और 5मिनट बाद रूई और पट्टी ले
कर आया चंदू: अब मे चलता हू ,तुम शाम को मेरा इंतेज़ार करना मे किशन से
बात करके आउन्गा फिर हम चलेंगे दीपक: ठीक है, पर किशन को ये मत बताना के
मेने किस सिलसिले मे मिलना है चंदू: तुम चिंता मत करो वो मेरा काम है ये
बोल कर वो खोली से बाहर हुआ चंपा: मुझे बहुत डर लग रहा है , अगर कुछ
अनहोनी होगयि तो दीपक: कुछ नही होगा ,अब उन लोगो के घबराने की बारी है
(गुस्से मे बोला) दीपक ने अपनी शर्ट उतारी ओर पट्टी बाँधने की कोशिश करने
लगा पर ठीक से बाँध नही पा रहा था,चंपा उसके पास आई चंपा: लाइए मे लगा
देती हू चंपा ने कॉटन के पॅकेट को खोला और ज़ख़्म पे रख दिया ,दीपक ने
चंपा को एक और कॉटन पॅकेट वही लगाने को बोला दीपक: अब पट्टी बांधो थोड़ा
सख़्त बांधना चंपा पट्टी को पूरे पेट की गोलाई मे बाँध रही थी ,बार बार
उसका हाथ ,दीपक के शरीर पर स्पर्श कर रहा था ,पट्टी बाँधने के बाद चंपा
सीधी खड़ी हुई ,दोनो एक दूसरे को देखे जा रहे थे 5मिनट तक कोई नही बोला
ऐसे ही दोनो एक दूसरे को देखे जा रहे थे ,दीपक ने अपना एक हाथ उठाया और
चंपा के कंधे पर रख दिया,चंपा ने अपनी आँखें नीचे कर ली(मानो शर्मा गयी
हो) दीपक ने चंपा का चेहरा अपने हाथो मे लिया और उसे देखे जा रहा था ,
धीरे से अपने होंठ उसके होंठो के पास लेकर गया और उसके होंठो से मिला
दिया ,चंपा कुछ बोली नही ना हिली पर उसे विश्वास नही हो रहा था ,दीपक तो
उसे छू रहा था पर चंपा की हिमत नही हो पा रही थी उसे छूने की दीपक ने
अपने होंठ उसके होंठो से अलग किए ,चंपा की आँखें बंद थी, वो अपनी आँखें
खोल पाने की हिमत नही कर पा रही थी,मानो जैसे वो कोई सपना देख रही हो
दीपक: (धीरे से बोला) चंपा आँखें खोलो पर चंपा आँखें खोलना ही नही चाहती
थी ,उसको लग रहा था मानो वो कोई सपना देख रही हे, अगर आँखें खोलेगी तो
सपना भी ख़तम हो जाएगा दीपक ने चंपा के कंधे को हिलाया ,चंपा जैसे नींद
से जागी हो , हल्की सी आँखें खुली सामने दीपक खड़ा था ,चंपा की आँखों से
आँसू बह गया ,जैसे वो ये कब से चाहती हो चंपा की आँखें खुलते ही,दीपक ने
उसके आँसू सॉफ किए,,दीपक ने अपने होंठ एक बार फिर चंपा के होंठो से मिला
दिए ,इस बार चंपा ने अपना हाथ उसकी पीठ पर रखा और अपनी तरफ ज़ोर से खिचने
लगी (मानो जैसे वो अब ये होंठ कभी छ्चोड़ना नही चाहती) दीपक अपने दोनो
होंठो को बार-2 चंपा के होंठो पर फिरा रहा था ,पर चंपा अभी हिम्मत कर नही
पा रही थी, उसको तो अभी भी विश्वास नही हो पा रहा था, दीपक ने अपना एक
हाथ चंपा की बाई चुचि पे रख दिया हल्का सा दवाब दिया चंपा की आँखें खुली
और वो पीछे हो गयी ( जैसे उसे 440 वॉल्ट का करेंट लगा हो) चंपा ने दीपक
को देखा और अपनी आँखें नीचे करके वही खड़ी रही क्रमशः.............. KAUN
SACHCHA KAUN JHUTHA paart -16 gataank se aage........ subha champa
jagi ,saamne deepak par nazar daali deepak gehri nind me so raha tha
,aaj do din baad deepak aisa so raha tha ,uske chehre par ek khushi
thi champa apne kaam me lag gayi ,deepak ki nind bhi khuli ,bathroom
jane ke liye khada hua tha ke zameen par niche gir pada ,champa aahat
sun ke bhagte hue uske pass aayi ,deepak apna pate pakde zor se daba
rakha tha champa: dikhayiye kya hua champa ne shirt upar ki ,jaha
tankein lage hue the waha se khoon beh raha tha champa: aap khud kyu
khade hue mujhe awaz de dete deepak kuch bola nahi , champa ka sahara
lekar khada hua aur bathroom ki taraf gaya,bathroom se bahar aaya
champa chai lekar bed ke pass khadi thi champa: ab kaisa lag raha he
saheb ji deepak: pahle se thik hu , par dard bahut he champa: saheb ji
aap bilkul thik ho jayenge ,bus kuch dino ki baat he deepak: champa
wahi nahi he mere pass ,mujhe jaldi se kuch karna he ,kahi vo log dur
bhag gaye to zindgi bhar mujhe chip chip ke rehna padega, aur me marna
pasand karunga chipna nahi champa: saheb ji aap aisi battein kyu karte
he, agar aapko kuch hogaya to deepak: champa mar to me waise bhi chuka
hu ,aisa ilzaam he mujh par, deepak: champa ab jab tak vo log mere
hath nahi ate me kaise chain lo , me unhe jaan se maar dunga champa:
saheb ji mujhe apko ek baat batani he deepak: bolo champa kya baat he
champa: voo do din pahle aapke ghar me chori hui thi deepak: kya ? aur
tumne mujhe bataya nahi champa: aap ki aisi halat me ,me aapko aur
pareshan kaise karti deepak champa ki baat ko samjhte hue shant raha
thodi der baad usne pucha deepak: kya chori hua ghar me champa: me to
kaam karne gayi nahi ,meri sahli soni gayi thi ,usi ne bataya ke ghar
se heere chori hue he deepak: kya ,maa ko to kuch nahi hua na champa:
jab chori hui maa ji ghar me nahi thi deepak soch raha tha ke ye unke
sath aakhir ho kya raha he ,pahle vo hadsa aur ab ghar me chori,aakhir
ye kaun kar raha he ,ya fir sirf ek itifaak he champa: aap muu hath
dho lijiye me aapke liye nashta banati ho deepak ne haami bhari , wahi
baitha apne dimag pe zor dal raha tha purani baaton ko yaad ker raha
tha ,kaise vo log khush the ,pura pariwar ek sath tha deepak apni soch
se tab bahar aaya ,jab darwaza khula aur chandu ander aaya ,saamne
deepak ko baitha dekh chandu uske pass gaya chandu: ab kaisa lag raha
he deepak: thik hu chandu: maut ke muu se wapas aaye ho, us raat agar
champa ghar wapas aakar mujhe sath na lati to tum bach nahi pate
deepak: shukriya dost chandu: ab agge kya karoge ,tumhare piche to
jaise puri nazar rakhi he um logo ne deepak: wahi soch raha hu ,us
raat madan ne kisi apsara bar ke mallik satya bau ka naam liya tha usi
ko dhudna he chandu: satya bau (hairani se bola) deepak: tum jante ho
use chandu: jis khooli me tum baithe ho ye usi ki di hui he deepak: ye
,par kaise chandu: mera dost kishan uske bar me kaam karta he ,usi ne
usko ye rahne ke li di hui he deepak: mujhe uske pass le kar chalo
chandu: vo koi mamuli aadmi nahi samjha ,is shaher ka naam chinn aadmi
he aise thodi na mil jayega ,2 ,4 bodyguard aas pass hote he ,sidha
mathe me goli marenge ,uske liye tujhe thoda rukna padega apne dost de
baat karta hu me champa: tu kab aaya chandu: abhi aaya hu
champa:dhoodh wala aye to dhoodh tu apne ghar pe rakh lena chandu:
rakh lunga,or koi kaam he to bata de deepak: mujhe kuch samaan la kar
do(chandu se bola) champa: kya saheb ji deepak: rui(cotton) patti(
bandages) champa: kyu,kya hua deepak: champa agar yaha baitha raha ,
to log kabhi bhi aa sakte he ,aur me nahi chahta ke me ab unki nazar
me aao champa: par saheb ji aapka zhakam to abhi bhara nahi deepak:
champa tum fikar mat karo mujhe kuch nahi hoga ,me tumhe wada karta hu
deepak: chandu tumne meri bahut madad ki he ,ab thodi aur kar do ,
mujhe us satya bau se ek baar milwa do chandu: milwa to dunga ,par
thodi der rukna hoga ,abhi mera dost wahi bar me hoga ,me kai baar
usko milne waha jata hu,aur mujhe pata ke satya bau sham ko hi waha
par ata he gala(paise) ikhatha karne champa: tu waha jayega saheb ji
ke sath,waha koi khatra to nahi chandu: haan me inke saath chala
jaunga ,tu chinta mat kar ,kishan mera acha dost he aur apne mallik ka
wafadaar chandu khooli se bahar gaya aur 5min baad rui aur patti le
kar aaya chandu: ab me chalta hu ,tum sham ko mera intezar karna me
kishan se baat karke aaunga fir hum chalenge deepak: thik he, par
kishan ko ye mat batana ke mene kis silsile me milna he chandu: tum
chinta mat karo vo mera kaam he ye bol kar vo khooli se bahar hua
champa: mujhe bahut darr lag raha he , agar kuch anhoni hogayi to
deepak: kuch nahi hoga ,ab un logo ke ghabrane ki bari he (gusse me
bola) deepak ne apni shirt utari or patti bandhne ki koshish karne
laga par thik se bandh nahi pa raha tha,champa uske pass ayi champa:
layiye me laga deti hu champa ne cotton ke packet ko khola aur zakham
pe rakh diya ,deepak ne champa ko ek aur cotton packet wahi lagane ko
bola deepak: ab patti bandho thoda sakht bandhna champa patti ko pure
pate ki golaie me bandh rahi thi ,baar baar uska hath ,deepak ke
sharir par sparsh kar raha tha ,patti badhne ke baad champa sidhi
khadi hui ,dono ek dusre ko dekhe ja rahe the 5min tak koi nahi bola
aise he dono ek dusre ko dekhe ja rahe the ,deepak ne apna ek hath
uthaya aur champa ke kandhe par rakh diya,champa ne apni aankhein
niche kar li(mano sharma gayi ho) deepak ne champa ka chehra apne
hatho me liya aur use dekhe ja raha tha , dhire se apne honth uske
hontho ke pass lekar gaya aur uske hontho se mila diya ,champa kuch
boli nahi na hili par use vishwas nahi ho raha tha ,deepak to use chuu
raha tha par champa ki himat nahi ho pa rahi thi use chune ki deepak
ne apne honth uske hontho se alag kiye ,champa ki aankhein band thi,
vo apni aankhein khol pane ki himat nahi kar pa rahi thi,mano jaise vo
koi sapna dekh rahi ho deepak: (dhire se bola) champa aankhein kholo
par champa aankhein kholna hi nahi chahti thi ,usko lag raha tha mano
vo koi sapna dekh rahi he, agar aankhein kholegi to sapna bhi khatam
ho jayega deepak ne champa ke kandhe ko hilaya ,champa jaise nind se
jagi ho , halki si aankhein khuli samne deepak khada tha ,champa ki
aankhon se aanso beh gaya ,jaise vo ye kab se chahti ho champa ki
aankhein khulte he,deepak ne uske aanso saaf kiye,,deepak ne apne
honth ek baar fir champa ke hontho se mila diye ,is baar champa ne
apna hath uski pith par rakha aur apni taraf zor se khichne lagi (mano
jaise vo ab ye honth kabhi chhodna nahi chahti) deepak apne dono
hontho ko baar-2 champa ke hontho par firaa raha tha ,par champa abhi
himmat kar nahi pa rahi thi, usko to abhi bhi vishwas nahi ho pa raha
tha, deepak ne apna ek hath champa ki bayi chuchi pe rakh diya halka
sa dawab diya champa ki ankhein khuli aur vo piche ho gayi ( jaise use
440 volt ka current laga ho) champa ne deepak ko dekha aur apni
aankhein niche karke wahi khadi rahi kramashah.............. Tags =
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