बदला पार्ट--45
गतान्क से आगे..
"युवर ऑनर,ये है वो चाकू जिस से मुलज़िम ने अपने भतीजे का क़त्ल
किया..",सरकारी वकील के हाथो मे 1 पॅकेट था जिसके अंदर से वीरेन की पॅलेट
नाइफ सॉफ दिख रही थी,"..हुज़ूर,मुलज़िम ने बड़ी चालाकी से एस्टेट से शहर
जाने का बहाना बनाया & फिर चोरी-छुपे आके खाली पड़े मॅनेजर'स कॉटेज मे
छिप गया,फिर बहला-फुसला के प्रसून को बंगले से बाहर बुलाया & उसका क़त्ल
कर लाश को एस्टेट के टीले पे फेंक दिया.."
"मिलर्ड!मुलज़िम ने बहुत ही घिनोना जुर्म किया है.अपने भतीजे का जोकि
मंदबुद्धि था & जिस बेचारे को तो दुनियादारी के बारे मे कुच्छ भी पता नही
था,उसका क़त्ल किया है.मेरी आप से गुज़ारिश है की आप इसे कोई भी रियायत
ना दें बल्कि कड़ी से कड़ी सज़ा दें & इसकी ज़मानत की अर्ज़ी खारिज कर
दें.",सरकारी वकील ने अपनी दलील पेश कर दी थी & अब कामिनी की बारी थी.
"मिलर्ड!ये छुरि यक़ीनन मेरे मुवक्किल की ही है मगर आपको पैंटिंग सीखने
वाला कोई बच्चा भी बता देगा की इस से किसी इंसान को गहरे ज़ख़्म भी नही
पहुचाए जा सकते क्यूकी इस च्छुरी पे धार नही होती.मेरे मुवक्किल अपने
बयान मे ये कह चुके हैं की उनकी छुरि एस्टेट की झील के पास पैंटिंग करते
वक़्त गुम हो गयी थी."
"युवर ऑनर!",सरकारी वकील फिर खड़ा हुआ,"..मैं कुच्छ कहने की इजाज़त चाहता हू."
"इजाज़त है."
"मिलर्ड!फोरेन्सिक रिपोर्ट मे सॉफ लिखा है की प्रसून की हत्या इसी छुरि
से हुई थी & मुलज़िम ने अभी तक कोई सबूत भी पेश नही किया है की ये छुरि
उसके पास से गुम हो गयी थी."
"मिलर्ड!मैं ये नही कहती की खून इस छुरि से नही हुआ..",कामिनी की बात सुन
सभी चौंक पड़े & कोर्ट मे ख़ुसर-पुआसर होने लगी.
"ऑर्डर!ऑर्डर!",जड्ज ने अपना हथौड़ा पटका.
"क़त्ल तो यक़ीनन इसी च्छुरी से हुआ है मगर उस से ये कहा से साबित हो
जाता है की क़त्ल वीरेन सहाय ने किया है.मिलर्ड!आमतौर पे ये छुरि जिसे
पॅलेट नाइफ कहते हैं बिल्कुल बोथर होती है मगर इस च्छुरी को देखिए इसकी
धार कितनी तेज़ है & आप उसी फोरेन्सिक लॅब से जहा से ये रिपोर्ट आई है की
यही मर्डर एवपोन है,पुच्छ के इस बात का पता लगवा लीजिए की इस च्छुरी पे
धार उसी फॅक्टरी से बेक आई थी या फिर किसी राह चलते धार लगाने वाले ने
अपनी मशीन से बनाई है."
"मिलर्ड!मैं 1 गवाह को पेश करना चाहती हू."
"इजाज़त है."
"अपना परिचय दीजिए?"
"मैं एस.के.शर्मा हू पेंकला कंपनी का प्रॉप्रीटर."
"आपकी कंपनी क्या बनती है मिस्टर.शर्मा?"
"स्टेशनेरी के समान."
"ये पॅलेट नाइफ आप ही की कंपनी की प्रॉडक्ट है.",कामिनी ने च्छुरी वाला
बॅग शर्मा को दिया.
"जी,हां. ये हमारी आर्टिस्ट'स असिस्टेंट सीरीस की पॅलेट नाइफ. ये सीरीस
बहुत ही एक्सक्लूसिव सीरीस है & इसमे हमने बस कुच्छ 200 पीसस ही बनाए
थे."
"अपनी बात तफ़सील से कहें."
"इस सीरीस के तहत पूरी दुनिया मे बस 200 आर्टिस्ट'स असिस्टेंट कीट्स बनी
थी जिसमे से 1 की ये नाइफ है."
"तो उस सीरीस के किसी नाइफ मे धार थी जैसे इस च्छुरी मे है?"
"जी बिल्कुल नही."
"थॅंक्स,मिस्टर.शर्मा."
"मिलर्ड!बात सॉफ है.मेरे क्लाइंट की च्छुरी गुमी नही बल्कि चुराई गयी &
फिर उसकी धार बनाके उस से प्रसून का क़त्ल किया गया & मेरे क्लाइंट को
फँसा दिया गया."
"मगर कोई बिना वजह क्यू फँसाना चाहेगा वीरेन सहाय को?",सरकारी वकील उठ खड़ा हुआ.
"उनकी एस्टेट के लिए.",कामिनी ने जड्ज से कहा,"..अगर प्रसून & वीरेन जी
रास्ते से हट जाते हैं तो फिर देविका जी & उनकी बहू को रास्ते से हटाना
किसी शातिर इंसान के लिए कौन सी बड़ी बात है?वैसे मेरे काबिल दोस्त ने
अभी तक मेरे मुवक्किल पे बस इल्ज़ाम ही लगाया है,ये नही बताया है की
आख़िर मेरे क्लाइंट अपने ही भतीजे का क़त्ल क्यू करेंगे जब आधी जयदाद तो
वैसे ही उनके नाम है.ऐसे तो उन्हे अपने हिस्से से भी हाथ धोना पड़ेगा."
अब सरकारी वकील बगले झाँक रहा था.कामिनी ने मौका देखा & आगे बढ़ी.
"मिलर्ड,अगर वीरेन जी ने इस छुरि से प्रसून का क़त्ल किया है तो वो ये
छुरि वही एस्टेट मे क्यू दफ़ना देंगे जबकि वाहा से वापस पंचमहल भागने पे
उनके पास बीसियो उस से बेहतर जगहे इस छुरि को ठिकाने लगाने की."
"..मिलर्ड!ना तो छुरि पे वीरेन जी के हाथो के निशान हैं ना ही तो ये छुरि
उनके पास या उनके समान से बरामद हुई है फिर पोलीस ने कैसे वीरेन सहाय को
गिरफ्तार कर लिया!मिलर्ड!मेरी आपसे गुज़ारिश है की आप मेरे मुवक्किल को
ज़मानत दें & पोलीस को सही दिशा मे तफ़तीश करने का हुक्म दें."
थोड़ी ही देर बाद वीरेन अपनी ज़मानत की रकम कोर्ट मे जमा करा रहा था.
"जिसने भी ये किया है मैं उसे छ्चोड़ूँगा नही,कामिनी."
"रिलॅक्स,वीरेन.मैं तुम्हे सब बताउन्गि तुम बस अपने गुस्से पे काबू
रखो.",कामिनी ने उसका हाथ थाम लिया & ड्राइवर ने गाड़ी कोर्ट के अहाते से
बाहर निकाल ली.
कामिनी की कार चंद्रा साहब के बंगल के अहाते मे रुकी.कार से उतर कामिनी
ने बंगल के अंदर कदम रखा तो उसे देख उसके गुरु की खुशी का ठिकाना ही नही
रहा,"आओ,कामिनी कैसी हो?",आगे बढ़ उन्होने उसके हाथ अपने हाथो मे ले लिए.
"अच्छी हू.",उसकी नज़रो ने चंद्रा साहब से हाथ छ्चोड़ने का इशारा किया
ताकि कही उनकी बीवी ना उनकी ये हरकत देख लें.
"घबराओ मत..",चंद्रा साहब हँसे,"..तुम्हारी आंटी शहर से बाहर हैं & इस
वक़्त हमे कोई भी परेशान नही करेगा.",उसका हाथ थामे हुए उन्होने उसे अपनी
बाई तरफ सोफे पे बिठा लिया.कामिनी ने आज पीले रंग की झीनी सारी स्लीव्ले
ब्लाउज के साथ पहनी थी जिसकी बॅक बहुत लो थी. इस लिबास मे उसका हुस्न &
भी मदहोश करने वाला लग रहा था.
"आजकल तो तुम बड़ी मसरूफ़ होगी?",दोनो सोफे पे थोड़ा घूम के 1 दूसरे को
देखते हुए बाते कर रहे थे.
"हां,सर.आपको तो पता ही है सहाय एस्टेट का केस.",चंद्रा साहब के दाए हाथ
की उंगलिया कामिनी के बाए हाथ की उंगलियो मे फँसी हुई थी.आज दोनो तन्हा
थे & इसलिए चंद्रा साहब की हर्कतो मे कोई बेचैनी नही थी.
"किसी ने वीरेन सहाय को अच्छा फँसाया है?",चंद्रा साहब के दाए हाथ की
उंगली उसकी हथेली पे घूमते हुए उसकी अन्द्रुनि कलाई पे आ पहुँची थी.
"हां,सर.",बहुत हौले-2 उनकी उंगली कामिनी की अन्द्रुनि बाँह से उपर उसके
कंधे की ओर जा रही थी.उसके बदन मे हल्की सिहरन उठने लगी थी.तभी उसे अपने
बाए पाँव पे कुच्छ महसूस हुआ,नीचे देखा तो चंद्रा साहब के दाए पैर का
अंगूठा उसके टखने & टांग के निचले हिस्से को सहला रहा था.कामिनी शोखी से
मुस्कुराइ.
"तो कौन है वो शख्स?",चंद्रा साहबने उसके बाई बाँह को हवा मे उठा दिया &
थोड़ा आगे बढ़ उसकी नंगी बाँह को अपने दाए हाथ से सहलाने लगे.कामिनी को
उनकी हरकते बड़ी भली लग रही थी.
"उम्म....इंदर धमीजा,एस्टेट मॅनेजर.",चंद्रा साहब का हाथ उसकी बाँह पे
उपर-नीचे हो रहा था. इस बार जब हाथ उसकी कलाई से नीचे उसकी बाँह पे आया
तो बाँह के अंत पे ना रुक उसके नीचे उसकी चिकनी बगल पे फिराने लगा.
"आ..हाअ..हा..हाअ..!",गुदगुदी से कामिनी को हँसी आ गयी & उसने झट से बाँह
नीचे कर उनके हाथ को अपने जिस्म से अलग किया.चंद्रा साहब ने उसकी दोनो
उपरी बाहो को अपने हाथो से थाम लिया & बस उन्हे थोड़ा मज़बूती से सहलाने
लगे. इस बार जिस्म की सिहर्न कामिनी की चूत तक भी पहुँची & वो थोड़ा
कसमसाई.
"इतने यकीन से कैसे कह सकती हो की ये धमीजा ही इस सबके पीछे है?",चंद्रा
साहब के हाथो की हर्कतो से बेचैन हो कामिनी ने अपने कंधे थोड़े उचका दिए
तो उसका पल्लू उसके सीने से ढालाक गया.ब्लाउस का गला गहरा नही था फिर भी
लगभग 1 इंच गहरा क्लीवेज तो नज़र आ ही रहा था.कामिनी को लगा की अब वो
उसके सीने पे अपने होंठ रखेंगे मगर चंद्रा साहब ने ऐसा कुच्छ नही किया
बल्कि उनके हाथ उसकी मांसल बाँहो को रगड़ते हुए उसके कंधो पे आ गये& फिर
पीछे जा उसकी पीठ पे फिराने लगे.
"उनह..सभी कुच्छ उसी की ओर इशारा करता है.",कामिनी अपने गुरु के थोड़ा और
करीब खिसक आई थी.उसकी मस्ती अब बहुत बढ़ गयी थी & अपने चेहरे पे जैसे ही
उसने अपने गुरु की गरम सांसो को महसूस किया वो उनके होंठ चूमने को आगे
झुक गयी मगर चंद्रा साहब ने मुस्कुराते हुए अपने होंठ पीछे खींच
लिए,कामिनी तड़प उठी.चंद्रा साहब का बाया हाथ उसकी पीठ पे ही घूम रहा था
जबकि दाया उसके बाए कंधे से होता हुआ आगे आ गया था & उसकी गर्दन के
नीचे,ब्लाउस के उपर की जगह को सहला रहा था.
"यानी की तब तो वो भी असली मुजरिम नही है.",चंद्रा साहब के हाथो की रगड़
ने कामिनी की चूत को गीला कर दिया था.अपनी बाई टांग दाई पे चढ़ा अपनी
भारी जाँघो के बीचा अपनी चूत को भींच कामिनी ने उसकी कसक को काबू मे
किया.चंद्रा साहब का बाया हाथ पीठ से नीचे उसकी नंगी कमर पे जा पहुँचा था
& उसकी बगल के मांसल हिस्से को दबा रहा था.दाए हाथ को उसके ब्लाउस के
बीचो बीच ऐसे फिराते हुए वो नीचे लाए की वो बस ब्लाउस के हुक्स की लाइन
पे ही रहा,उसकी दोनो छातियो मे से 1 को भी उसने ना च्छुआ.
जोश के मारे कामिनी की छातिया बिल्कुल कस गयी थी & उन्हे अब ब्लाउस &
ब्रा के बंधन बिल्कुल रास नही आ रहे थे.उसके निपल्स बिल्कुल कड़े हो चुके
थे & उनका उभार उसके गुरु को उसके ब्लाउस मे से दिख रहा था,"ऐसा कैसे कह
सकते हैं आप?",कामिनी उन्हे बताने लगी की शिवा ने उसे क्या बताया था &
कैसे इंदर ने किसी तरह वीरेन की पॅलेट नाइफ चुरा के उसी से प्रसून का
क़त्ल किया.चंद्रा साहब उसकी बाते गौर से सुनते हुए उसके पेट & कमर को
सहलाए जा रहे थे.
"आन्ह्ह्ह....!",उनके दाए हाथ की उंगली ने जब उसकी गोल नाभि के गिर्द
दायरा बनाते हुए जब उसमे दाखिला लिया & फिर उसे कुरेदा तो कामिनी की आह
निकल गयी.उसने उनकी दाई कलाई पकड़ ली & उस हाथ को खींच अपने चेहरे से लगा
लिया.चंद्रा साहब उसके बाए गाल को सहलाने लगे तो कामिनी ने उनके हाथ को
अपने बाए हाथ से पकड़े हुए अपने गाल से सताये उसकी हथेली चूम ली.चंद्रा
साहब ने भी जवाब मे उसके दाए हाथो को चूमा & फिर अपने दाए हाथ की उंगली
उसके मुँह मे घुसा दी जिसे कामिनी बड़ी खुशी से चूमने लगी.उसके गुलाबी
होंठो मे फँसी उंगली,उसके चेहरे की मस्ती ने चंद्रा साहब के पाजामे मे भी
तंबू बना दिया था.
कामिनी अपने बाए हाथ से उनकी दाई कलाई पकड़ उस हाथ की उंगलिया बारी-2 से
चूस रही थी & दाए को उसने चंद्रा साहब के कुर्ते मे घुसा दिया था & उनके
सीने & पेट पे फिरा रही थी.चंद्रा साहब ने बाया हाथ उसके कंधे पे रखा &
उसके ब्लाउस के स्ट्रॅप को नीचे कर दिया तो कामिनी का ब्रा स्ट्रॅप
नुमाया हो गया.उन्होने उसे भी नीचे किया & उसके दाए पे अपने तपते होंठ रख
दिए.आह भर कामिनी ने अपना सर पीछे कर लिया & उनकी उंगलिया चूसना भूल उनके
सर को बाए हाथ से थाम लिया.
चंद्रा साहब ने पहले उसके कंधे के 1-1 हिस्से को चूमा & फिर उपर उसकी
गर्दन पे बढ़ गये.कामिनी को उनके तपते होंठो का एहसास पागल कर रहा
था.चंद्रा साहब ने अपने दाए हाथ से उसके ब्लाउस & ब्रा के दूसरे
स्ट्रॅप्स के साथ भी वही हरकत दोहराई & उसकी गर्दन के उपर उसकी ठुड्डी के
नीचे चूमते हुए उसके बाए कंधे तक पहुँच गये,"ऊन्नह.....उउंम....अब बताइए
की इंदर कैसे नही हुआ असली मुजरिम....आनह..?"
चंद्रा साहब ने जैसे उसका सवाल सुना ही नही.वो उसकी बाई बाँहो को चूमने
लगे थे. उस बाँह को दाए हाथ मे पकड़ उन्होने फैला लिया था & उसकी पूरी
लंबाई पे चूम अपनी शिष्या को पागल कर रहे थे.उनका बाया हाथ अब कामिनी की
पतली कमर को कसे हुए था & कामिनी बेचैनी से उनकी गिरफ़्त मे कसमसाते हुए
आहे भर रही थी.चंद्रा साहब ने उसकी बाई बाँहो को अपने गले मे डाला तो
कामिनी उनसे चिपक गयी & उनके सर को पागलो की तरह चूमने लगी.चंद्रा साहब
का दाया हाथ अब नीचे उसकी सारी उठाकर उसकी बाई टांग को उपर उठा रहा
था.कामिनी ने खुद अपनी टांग को उपर कर अपने गुरु की गोद मे कर दिया & वो
उसकी गोरी टांग को सहलाने लगे मगर उनका हाथ घुटने के उपर नही आ रहा
था.कामिनी अब तड़प से बहाल थी.अभी तक उसके गुरु ने ना उसके होंठ चूमे थे
ना ही उसकी चूत को छेड़ा था.वो अब अपने नाज़ुक अंगो पे उनकी छुअन महसूस
करने को बेताब हो उठी थी..
बेचैन हो उसने उनके सीने से लगे हुए उनका कुर्ता निकाल दिया & फिर सर
झुका उनके बालो भरे सीने को चूमने लगी.उनके बाए निपल को अपनी जीभ से छेड़
उसने अपने मुँह मे भर वैसे ही चूसा जैसे चंदर साहब उसकी चूचियो को चूस्ते
थे.चंद्रा साहब ने आह भारी & झुकी हुई कामिनी के बदन को सहलाने लगे,"अगर
कोई मुजरिम जुर्म करता है तो उसका सबसे बड़ा डर होता है पकड़े
जाना..",कामिनी तो भूल ही गयी थी की उसने कोई सवाल भी किया था.
"इस केस मे इंदर तो जुर्म पे जुर्म कर रहा है मगर वो हर बार कुच्छ ऐसे
सुराग भी छ्चोड़ रहा है की उसपे शक़ जाए.1 तरफ तो वो वीरेन को फँसा रहा
है मगर कोई भी बड़ी आसानी से ये समझ सकता है की इस सबके पीछे इंदर का हाथ
है.उसकी साज़िशो मे वो सफाई नही है....आअहह..नही.",कामिनी उनके सीने को
चूमते हुए नीचे तक पहुँच गयी थी & पाजामे मे से झलक रहे उनके लंड को उभार
को दबोच वो पाजामे की डोर खींचने लगी थी.चंद्रा साहब ने उसे खड़ा किया &
फिर अपनी बाहो मे भर लिया.जब उनके सीने से उसकी जोश से कसी चूचिया पीसी
तो कामिनी के दिल को जैसे थोड़ा करार मिला.उसने अपने गुरु को बाहो मे भर
लिया & अपने पंजो पे उचक उनके होंठ चूमने लगी.जहा कामिनी की किस मे उसकी
तड़प & प्यास की शिद्दत थी वही चंद्रा साहब के जवाब मे बहुत धीरज था.
कामिनी ने जब अपनी ज़ुबान उनके मुँह मे दाखिल कराई तो उन्होने बड़ी
गर्मजोशी से उसका इस्तेक्बाल किया. कामिनी की चूत मे तभी मानो जैसे बहुत
ज़्यादा तनाव बन गया.उसके बदन की छट-पटाहट & उस छट-पटाहट के पीछे छुपा
तनाव चंद्रा साहब ने भाँप लिया.उन्होने बड़ी मज़बूती से उसे खुद से
चिपताया & उसकी कमर को मसलते हुए उसकी ज़ुबान से अपनी ज़ुबान लड़ा
दी.कामिनी उनके गले को अपनी बाँहो से कसे अपनी चूत को उनके लंड पे यू
रगड़ती मानो उनके जिस्म पे चढ़ जाना चाहती हो झड़ने लगी.उसका बदन बिल्कुल
अकड़ गया & उसने किस तोड़ दी & अपने गुरु की बाहो मे झूल गयी.चंद्रा साहब
उसे मज़बूती से थामे थे & उनका 1 हाथ उसकी कमर से अटकी सारी को निकाल रहा
था.
जब कामिनी अपने झड़ने की खुमारी से बाहर आई तो उसने पाया की उसकी सारी
फर्श पे पड़ी है & उसके गुरु उसे अपनी बाहो मे उठाए अपने बेडरूम मे ले जा
रहे हैं.बिस्तर पे लिटा की चंद्रा साहब ने अपना पाजामा निकाल दिया & पूरे
नंगे हो गये,फिर बिस्तर पे चढ़े & उसकी दाई तरफ घुटनो पे बैठ उसके
पेटिकोट के अंदर हाथ घुसा उसकी टाँगो को सहलाने लगे.1 बार फिर कामिनी
मस्त होने लगी,"तो फिर कौन हो सकता है असली मुजरिम?"
"ये कहना मुश्किल है.",चंद्रा साहब का हाथ उसकी कसी जाँघो को सहला रहा
था,"..जो भी है वो इंदर को ढाल बनाके काम कर रहा है & मुझे कोई हैरत नही
होगी जब उसका मक़सद पूरा होने पे वो इंदर को भी दूध मे गिरी मक्खी की तरह
निकाल फेंके.",कामिनी ने चंद्रा साहब के सहलाने से बेताब हो अपने घुटने
मोड तो उसका पेटिकोट उसकी कमर तक आ पहुँचा & उसकी पीली लेस पॅंटी दिखने
लगी.कामिनी की छातियो मे मीठा दर्द हो रहा था.उसने अपने हाथो से ब्लाउस
के उपर से ही उन्हे दाना शुरू कर दिया.
"तुम्हारा डर की अभी देविका से भी ज़्यादा ख़तरा वीरेन को है बिल्कुल सही
है..",चंद्रा साहब उसकी दोनो जाँघो को उपर-नीचे,अंदर-बाहर हर तरफ से
सहलाए जा रहे थे & कामिनी की पॅंटी पे दिख रहा गीला धब्बा पल-2 बड़ा होता
जा रहा था.कामिनी अपनी चूचिया दबाती अपनी कमर उचका रही थी पर चंद्रा साहब
तो जैसे उसकी चूत च्छुने के मूड मे ही नही थे,"..ज़मानत देने के बाद
तुमने वीरेन को कहा छ्चोड़ा?",वो उसके पेटिकोट की डोर को खींच रहे थे.
"मैने उसे 1 होटेल मे ठहराया है & कमरा किसी & के नाम से बुक्ड
है.",कामिनी ने अपनी गंद उठा पेटिकोट को अपने जिस्म से अलग करने मे
चंद्रा साहब की मदद की.वो अब उसके ब्लाउस के बटन्स खोल रहे थे.
"बहुत अच्छे. ये तुमने बड़ी समझदारी का काम किया है..",कामिनी बिस्तर पे
उठ बैठी & जल्दी से ब्लाउस को अपनी बाहो से निकाला & अपने गुरु को गले से
लगा लिया.उसे बाँहो मे भरे चंद्रा साहब बिस्तर पे लेट गये & उसे चूमने
लगे.उनकी बाई बाँह के घेरे मे कामिनी पीठ के बल लेटी थी.चंद्रा साहब बाई
करवट पे हुए & उसे चूमते हुए अपनी उंगली उसकी पॅंटी के बगल से अंदर घुसाई
& उसकी चूत मे दाखिल करा दी.
"अओउन्न्ञनह....!",खुशी & मस्ती से भरी कामिनी की ज़ोर की आह कमरे मे
गूँजी.चंद्रा साहब तेज़ी से अपनी उंगली से उसकी चूत मार रहे थे & उनके
होंठ अब कामिनी के क्लीवेज पे थे & उसकी बाई छाती के नुमाया उभार को चूस
रहे थे.कामिनी ने भी जोश मे अपनी दाई टांग चंद्रा साहब की टाँगो के बीच
फँसा दी थी & अपनी बाहो को उनकी गर्दन मे डाल उनके सर को अपने सीने पे
दबा रही थी.चंद्रा साहब की उंगली की रफ़्तार तेज़ हुई तो कामिनी का बाया
हाथ उनके सर से नीचे उनकी पीठ पे पहुँचा & फिर उनकी गंद पे.चंद्रा साहब
उसकी छाती चूस्ते हुए उसकी चूत मार रहे थे & जोश मे अपनी कमर हिला के वो
अपना लंड उसकी कमर के बगल मे रगड़ रहे थे.
"ऊओह...उऊन्ह....आननह.....हाइईईईईईईई.....!",कामिनी मस्ती मे कमर उचका
रही थी.उसके सीने & चूत मे जैसे चंद्रा साहब की हर्कतो ने बिजली के कोई
ज्वालामुखी जगा दिए थे.उन दोनो जगहो से उठती मस्ती ने उसे पागल कर दिया
था.उसकी चूत से रस बहे चला जा रहा था & उसे जो मज़ा अभी महसूस हो रहा था
ऐसा ना जाने कितने दीनो बाद उसने महसूस किया था.उसने चंद्रा साहब की गंद
को मसला & फिर उसकी दरार पे अपनी उंगली फिराने लगी.चंद्रा साहब बड़ी
तेज़ी से उसकी चूत मार रहे थे की तभी कामिनी ने अपनी उंगली उनके गंद के
छेद मे घुसा दी.
"आहह..!",उसकी छाती से सर उठा आँखे बंद कर उन्होने आह भारी & उनकी उंगली
कामिनी की चूत मे थोड़ा और अंदर घुस गयी.
"आईय्य्यीई.....!",कामिनी ने 1 आख़िरी बार कमर उचकाई & फिर अपने गुरु को
परे धकेलते हुए,उनकी गंद से अपना हाथ अलग करते हुए दाई करवट पे लेट तकिये
मे मुँह च्छूपा सुबकने लगी.चंद्रा साहब समझ गये की उनकी शिष्या बड़ी
शिद्दत से झड़ी है.तभी कमरे के दूसरे छ्होर पे शेल्फ पे रखा उनका फोन बजा
तो वो उसे उठाने चले गये,"हेलो...हा कैसी हो?....कुच्छ नही कामिनी आई
है.उसी के साथ बाते हो रही थी."
कामिनी समझ गयी की मिसेज़.चंद्रा का फोन है....ये इत्तेफ़ाक़ था या कुच्छ
और?!..अब भी कामिनी चंद्रा साहब के साथ चुदाई कर रही होती मिसेज़.चंद्रा
या तो वही कही आस-पास मौजूद रहती या फिर उनका फोन आ जाता.बात चाहे जो भी
हो हर बरा की तरह इस बार भी कामिनी की मस्ती इस बात से बढ़ गयी,चंद्रा
साहब उसकी ओर मुँह किए बीवी से बात कर रहे थे.कामिनी बिस्तर से उतरी &
उन्हे पीछे से अपनी बाहो मे जाकड़ उनकी पीठ चूमने लगी.चूमते हुए उसने
दोनो हाथ उनके पेट पे बाँध दिए & फिर नीचे ले जाके उनके लंड को थाम
लिया.अगर आंटी को पता चल जाए की इस वक़्त वो उनके पति के लंड को हाथ मे
पकड़ हिला रही थी तो उनका रिक्षन क्या होगा?!!
"लो बात करो.",चंद्रा साहब ने उसे पकड़ कर सामने किया & फोन उसे
थमाया.अपनी बाई बाँह उसके गले मे डाली & उसका ब्रा खोलने लगे.कामिनी ने
फोन को 1 हाथ से दूसरे हाथ मे ले जाके ब्रा को निकालने दिया,"हां,आंटी.बस
काम ही करते रहता हैं सर तो.अभी भी 1 केस मे जुटे हैं.मेरी दलीलें तो 2
बार हार मान चुकी हैं,अब आगे देखे क्या करते हैं.",चंद्रा साहब नीचे बैठ
उसकी पॅंटी उतार रहे थे.पॅंटी निकाल उन्होने उसकी कमर को अपने बाजुओ मे
कस लिया & उसकी गंद की फांको को दबाते हुए उसके गोल पेट को चूमने लगे.1
हाथ से कामिनी उनके सर के बॉल सहलाते हुए बात कर रही थी.
"हा,आंटी.वो सब तो ठीक है...आआईययईी..!",चंद्रा साहब ने उसकी चूत मे अपनी
जीभ घुसा दी थी,"..क-कुच्छ नही आंटी..वो आपके यहा का चूहा फिर नज़र आ गया
तो डर गयी थी.अच्छा अब रखती हू.",फोन किनारे कर कामिनी ने शेल्फ से पीठ
लगा दी.चंद्रा साहब उसकी चूत को चाते ही चले जा रहे थे.कोई 2-3 मिनिट तक
चाटने के बाद जब उसने उसकी चूत से बह आया सारा रस पी लिया तो वो खड़े हुए
& कामिनी की बाई टांग को उठा उसके पैर शेल्फ पे जमा उसकी चूत को थोड़ा
खोल दिया & अपना दाया हाथ उस से लगा दिया.
"आनह...ओई..मा......हाईईइ...ऊहह....!",चंद्रा साहब बड़ी तेज़ी से उसके
दाने पे अपनी उंगली दायरे मे घुमा रहे थे.कामिनी उनकी बाहे पकड़े किसी
तरह से खड़ी थी.उसकी चूत 1 बार फिर उसी तनाव को महसूस कर रही थी जो झड़ने
के पहले बनता था.उसकी चूचिया बिल्कुल कस चुकी थी & उनके निपल्स बिल्कुल
सख़्त हो चुके थे.दाने को रगड़ते हुए चंद्रा साहब ने दूसरे हाथ से उसकी
दाई चूची को मसला तो कामिनी की मदहोशी और भी बढ़ गयी.
"तब आगे क्या करना है सहाय एस्टेट के केस मे?"
"ऊओन्नह....अब मैं खुद एस्टेट जाउन्गि & हाईईईई....",कामिनी बेचैनी से
कमर हिला रही थी,"....इंदर के खिलाफ कोई सबूत इकट्ठा करूँगी...आनह.. &
अगर मुमकिन हुआ तो उसे देविका की नज़रो से...ओह...गिरा भी
दूँगी.....",उसने चंद्रा साहब का सर पकड़ अपनी छाती से लगा दिया & अपनी
कमर पागलो की तरह हिलाने लगी.चंद्रा साहब वैसे ही उसके दाने को रगड़ते
रहे.कामिनी अब झड़ने के करीब थी.चंद्रा साहब को भी इस बात का इल्म
था,उन्होने तभी अचानक 1 ऐसी हरकत की कामिनी ना केवल चौंक उठी बल्कि उसकी
चूत से तो रस का दरया बह निकला-चंद्रा साहब ने उसके दाने को अपनी उंगली &
अंगूठे के बीच पकड़ के हल्के से उसपे चिकोटी काट ली & उसी वक़्त उसके
निपल को भी दन्तो से हल्के से काट लिया.कामिनी हैरत से भरी झड़ने लगी &
अपने गुरु के गले लग गयी.
चंद्रा साहब उसे बाहो मे भरे उसके बालो को चूम रहे थे,"बहुत एहतियात
बरतना बल्कि मैं तो कहूँगा किसी पेशेवर जासूस को भेज दो अपनी जगह.",वो
उसकी पीठ सहला रहे थे.कामिनी अपनी साँसे संभाल रही थी.वो खामोश हाँफती
हुई उनके सीने से लगी खड़ी थी.चंद्रा साहब का प्री कम से गीला लंड उसके
पेट से दबा था.उसकी चूत तीन बार झड़ने के बावजूद इस लंड की चुदाई की
प्यासी थी,"नही सर,जाना तो मुझे ही होगा. ये काम मैं किसी और पे नही
छ्चोड़ सकती."
उसने लंड को पकड़ के हिलाया,"..& अब ये बाते छ्चोड़िए & जल्दी से इसे
मेरे अंदर डालिए वरना मैं मर जाउन्गि!",उसने लंड को मसल दिया तो चंद्रा
साहब उसे बाहो मे भरे हुए बिस्तर तक ले गये.सच तो ये था की उनका भी बुरा
हाल था.इतनी देर से वो खुद पे काबू रखे हुए थे & अब उनका जी भी यही कर
रहा था की बस जल्द से जल्द अपनी शिष्या की नाज़ुक सी निहायत कसी चूत मे
अपने लंड को घुसा उसे अपने रस से सराबोर कर दें.चंद्रा साहब उसे बाहो मे
भरे हुए बिस्तर पे लेट गये तो कामिनी ने अपने घुटने मोड़ अपनी टाँगे फैला
दी.चंद्रा साहब उसे चूम रहे थे & वो अपने दाए हाथ से उनके लंड को अपनी
चूत का रास्ता दिखा रही थी.
"आअनह...!",लंड जैसे ही अंदर गया अपने गुरु के सर को बाहो मे भरे कामिनी
ने आँखे बंद कर जोश से आ भर सर पीछे किया.ऐसा करने से उसकी लंबी गर्दन
चंद्रा साहब की नज़रो के सामने चमक उठी & वो उसे चूमने लगे.उनकी कमर बहुत
तेज़ी से हिल रही थी & वो बहुत ज़ोर-शोर से अपनी शिष्या को चोद रहे
थे.दोनो प्रेमियो की बस अब 1 ही ख्वाहिश थी-जल्द से जल्द अपनी मंज़िल
पाना वो भी 1 दूसरे के साथ-2.
कामिनी ने अपनी दाई तंग उठाई & पैर को चंद्रा साहब के बाए घुटने के
पिच्छले हिस्से पे जमा दिया.बाई टांग को उसने उसकी कमर पे लपेटा,ऐसा करने
से उसकी चूत थोड़ा और खुल गयी थी & चंद्रा साहब के धक्के और गहरे जा रहे
थे.उसके हाथो के नाख़ून उनकी पीठ से लेके गंद तक हर तरह की लकीरें बना
रहे थे.चंद्रा साहब उसकी चूचियो को मसलते हुए उसके चेहरे को चूमते हुए
बहुत ज़ोरो से धक्के लगा रहे थे.उनके लंड की रगड़ ने कामिनी की नाज़ुक
चूत को 1 बार फिर से झड़ने की कगार पे पहुँचा दिया था.
अचानक चंद्रा साहब के धक्के बहुत ही तेज़ हो गये.कामिनी की चूत ने भी
उनके लंड के सिकुड़ने-फैलने की मादक हरकत शुरू कर दी.दोनो प्रेमी समझ गये
की दोनो ही अपनी मंज़िलो के करीब है.चंद्रा साहब ने उसकी चूचियो से हाथ
हटा के बिस्तर पे जमाए & उसके बाए कंधे & गर्दन मे मुँह च्छुपाए वाहा पे
चूमते हुए अपना सारा ध्यान अपने धक्को पे लगा दिया.कामिनी भी उनकी गंद मे
अपने नाख़ून धंसाए अपनी टाँगो से उनके जिस्म को जकड़े नीचे से कमर हिला
रही थी.तभी कामिनी की चूत कुच्छ ज़्यादा ही कस गयी उसके गुरु के लंड पे &
वो बिस्तर से उठती हुई उनकी गंद मे और नाख़ून धँसाती हुई आहे भरती हुई
झड़ने लगी.उसी वक़्त चंद्रा साहब के लंड से भी उनके रस की धार च्छुटी
जिसने कामिनी की चूत को नहला दिया.
दोनो प्रेमी 1 दूसरे की बाहो मे पड़े हुए उस मस्ताने एहसास के 1-1 पल की
मदहोशी को महसूस करते हुए पड़े हुए थे.कामिनी ने घड़ी की ओर देखा अभी तो
बस शाम के 4 बजे थे,वो जानती थी की रात होने तक वो आज अपने गुरु की बाहो
मे ही रहने वाली है.उसने आँखे बंद की & अपनी बाहे अपने उपर पड़े हुए
चंद्रा साहब के गले मे डाल उनके गाल को चूम लिया.
"ऊऊहह.....आऐईईईई.....हाआंणन्न्...हान्न्न्न्न.....!",कामिनी आज तीसरी
बार चंद्रा साहब से चुद रही थी.वो बिस्तर पे पेट के बल पड़ी थी & चंद्रा
साहब उसकी पीठ पे सवार उसके दोनो तरफ बिस्तर की चादर को भींचते उसके हाथो
के उपर से हाथ लगाए,उनकी उंगलियो मे अपनी उंगलिया फँसाए उसकी चूत मे अपना
पूरा लंड धंसाए उसकी चुदाई कर रहे थे.
कोई 10 मिनिट से वो लगातार धक्के लगा रहे थे & अब दोनो प्रेमी 1 बार फिर
साथ झड़ने की तैय्यारि मे थे,"..कामिनी..आहह..",चंद्रा साहब ने उसके दाए
कंधे के उपर से सर ले जा उसके गाल को चूम लिया,"..मेरी 1 बात
मानो..",कामिनी ने उनके होंठो को अपने गुलाबी लाबो की क़ैद मे ले उन्हे
आगे बोलने से रोक दिया.
"कौन सी बात?",कुच्छ पलो बाद लाबो को छ्चोड़ आहे भरते हुए वो बोली.
"तुम एस्टेट मे छुप के सबकी जासूसी करोगी ये बात किसी को भी नही बताना
यहा तक की वीरेन सहाय को भी नही.",उनके धक्के और तेज़ हो गये थे.कमरे मे
उनके आंडो की कामिनी की गंद से टकराने की ठप-2 की आवाज़ गूँज रही थी.
"क्यू?"
"क्यूकी जो भी वीरेन को नुकसान पहुचाना चाहता है वो आज नही तो कल वो कहा
च्छूपा है ये तो पता लगा ही लेगा साथ ही ये भी मुमकिन है की वो उसके फोन
टॅप कर रहा हो या फिर किसी और तरह से उसपे नज़र रखे हो..",चंद्रा साहब ने
कामिनी के हाथो को और कस के भींच लिया,उनके आंडो मे मीठा दर्द हो रहा था
जो की बस थोड़ी ही देर मे मज़े मे बदलने वाला था.
"..अब जब वीरेन को पता ही नही रहेगा की तुम कहा हो तो उसके दुश्मन को ये
बात कैसे पता चलेगी..आअहह..!"
"हाईईईईईईई......!",दोनो प्रेमियो की आहो ने इस बात का एलन किया की दोनो
1 बार फिर साथ-2 मस्ती की मंज़िल तक पहुँच चुके थे.
थोड़ी ही देर बाद कामिनी अपनी सारी बाँध रही थी & चंद्रा साहब बिस्तर पे
लेटे उसे निहार रहे थे,"आपकी सलाह मेरे कितने काम आती है आपको तो अंदाज़ा
भी नही.",कामिनी ने सारी कमर मे अटकाई & आँचल अपने सीने से कंधे पे डाला
फिर अपने गुरु के नज़दीक आई & उन्हे चूम लिया,"अब चलती हू."
"अपना ख़याल रखना कामिनी & कोई भी परेशानी हो तो मुझे खबर करना.."
"ज़रूर सर."
इंदर आज रात फिर देविका के बिस्तर मे उसे बाहो मे ले सोया हुआ था.1 बार
फिर देविका रोते-2 नींद की बाहो मे चली गयी थी.इंदर उसे थपकीया देता हुआ
आगे के बारे मे सोच रहा था,देविका बेटे की मौत से बिल्कुल बेज़ार हो गयी
थी.उसे ना कारोबार मे दिलचस्पी रह गयी थी ना ही ज़िंदगी मे.ऐसे मे बस 1
इंदर ही उसे अपना लगता था.
इंदर ने उसकी इस हालत का पूरा फाय्दा उठाया & हर रात बिना चुदाई किए उसे
बाहो मे ले ये भरोसा दिला दिया की वो उसे सच्चे दिल से चाहता है.देविका
ने भी उसकी बात मान ली थी की दोनो कुच्छ दीनो बाद इस मनहूस जगह से कही
दूर चले जाएँगे.
कितनी आसानी से ये उसके जाल मे फँस गयी थी!....सोचती थी की वो उसे इस गम
से उबारेगा जबकि वो तो....इंदर ने आँखे बंद की & सो गया.
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क्रमशः......................
बदला पार्ट--45
गतान्क से आगे..
"your honor,ye hai vo chaku jis se mulzim ne apne bhatije ka qatl
kiya..",sarkari vakil ke hatho me 1 packet tha jisle andar se viren ki
palette knife saaf dikh rahi thi,"..huzur,mulzim ne badi chalaki se
estate se shahar jane ka bahana banaya & fir chori-chhupe aake khali
pade manager's cottage me chhip gaya,fir behla-fusla ke prasun ko
bungle se bahar bulaya & uska qatl kar lash ko estate ke teele pe fenk
diya.."
"milord!mulzim ne bahut hi ghinona jurm kiya hai.apne bhatije ka joki
mandbuddhi tha & jis bechare ko to duniyadari ke bare me kuchh bhi
pata nahi tha,uska qatl kiya hai.meri aap se guzarish hai ki aap ise
koi bhi riyayat na den balki kadi se kadi saza den & iski zamanat ki
arzi kharij kar den.",sarkari vakil ne apni dalil pesh kar di thi & ab
kamini ki bari thi.
"milord!ye chhuri yakinan mere muwakkil ki hi hai magar aapko painting
seekhne vala koi bachcha bhi bata dega ki is se kisi insan ko gehre
zakhm bhi nahi pahuchaye ja sakte kyuki is chhuri pe dhar nahi
hoti.mere muwakkil apne bayan me ye keh chuke hain ki unki chhuri
estate ki jhil ke paas painting karte waqt gum ho gayi thi."
"your honor!",sarkari vakil fir khada hua,"..main kuchh kehne ki
ijazat chahta hu."
"ijazat hai."
"milord!forensic report me saaf likha hai ki prasun ki hatya isi
chhuri se hui thi & mulzim ne abhi tak koi sabut bhi pesh nahi kiya
hai ki ye chhuri uske paas se gum ho gayi thi."
"milord!main ye nahi kehti ki khun is chhuri se nahi hua..",kamini ki
baat sun sabhi chaunk pade & coyrt me khusar-puasr hone lagi.
"order!order!",judge ne apna hathoda patka.
"qatl to yakinan isi chhuri se hua hai magar us se ye kaha se sabit ho
jata hai ki qatl Viren Sahay ne kiya hai.milord!aamtaur pe ye chhuri
jise palette knife kehte hain bilkul bothar hoti hai magar is chhuri
ko dekhiye iski dhar kitni tez hai & aap usi forensic lab se jaha se
ye report aayi hai ki yehi murder ewapon hai,puchh ke is baat ka pata
lagwa lijiye ki is chhuri pe dhar usi factory se bake aayi thi ya fir
kisi raah chalte dhar lagane wale ne apni machine se banayi hai."
"milord!main 1 gawah ko pesh karna chahti hu."
"ijazat hai."
"apna parichay dijiye?"
"main S.K.Sharma hu Penkala company ka PRO."
"aapki company kya banati hai mr.sharma?"
"stationery ke saman."
"ye palette knife aap hi ki comapny ki product hai.",kamini ne chhuri
vala bag sharma ko diya.
"ji,haan. ye humari Artiste's Assistant series ki palette knife. ye
series bahut hi exclusive series hai & isme humne bas kuchh 200 pieces
hi banaye the."
"apni baat tafsil se kahen."
"is series ke tahat puri duniya me bas 200 artiste's assistant kits
bani thi jisme se 1 ki ye knife hai."
"to us series ke kisi knife me dhar thi jaise is chhuri me hai?"
"ji bilkul nahi."
"thanx,mr.sharma."
"milord!baat saaf hai.mere client ki chhuri gumi nahi balki churayi
gayi & fir uski dhar banake us se prasun ka qatl kiya gaya & mere
client ko fansa diya gaya."
"magar koi bina vajah kyu fansana chahega viren sahay ko?",sarkari
vakil uth khada hua.
"unki estate ke liye.",kamini ne judge se kaha,"..agar prasun & viren
ji raste se hat jate hain to fir devika ji & unki bahu ko raste se
hatana kisi shatir insan ke liye kaun si badi baat hai?vaise mere
kabil dost ne abhi tak mere muwakkil pe bas ilzam hi lagaya hai,ye
nahi bataya hai ki aakhir mere client apne hi bhatije ka qatl kyu
karenge jab aadhi jaydad to vaise hi unke naam hai.aise to unhe apne
hisse se bhi hath dhona pdega."
ab sarkari vakil bagle jhank raha tha.kamini ne mauka dekha & aage badhi.
"milord,agar viren ji ne is chhuri se prasun ka qatl kiya hai to vo ye
chhuri vahi estate me kyu dafna denge jabki vaha se vapas panchmahal
bhagne pe unke paas bisiyo us se behtar jagahe is chhuri ko thikane
lagane ki."
"..milord!na to chhuri pe viren ji ke hatho ke nishan hain na hi to ye
chhuri unke paas ya unke saman se baramad hui hai fir police ne kaise
viren sahay ko giraftar kar liya!milord!meri aapse guzarish hai ki aap
mere muwakkil ko zamant den & police ko sahi disha me taftish karne ka
hukm den."
thodi hi der baad viren apni zamanat ki rakam court me jama kara raha tha.
"jisne bhi ye kiya hai main use chhodunga nahi,kamini."
"relax,viren.main tumhe sab bataungi tum bas apne gusse pe kabu
rakho.",kamini ne uska hath tham liya & driver ne gadi court ke ahate
se bahar nikal li.
Kamini ki car Chandra Sahab ke bungle ke ahate me ruki.car se utar
kamini ne bungle ke andar kadam rakha to use dekh uske guru ki khushi
ka thikana hi nahi raha,"aao,kamini kaisi ho?",aage badh unhone uske
hath apne hatho me le liye.
"achhi hu.",uski nazro ne chandra sahab se hath chhodne ka ishara kiya
taki kahi unki biwi na unki ye harkat dekh len.
"ghabrao mat..",chandra sahab hanse,"..tumhari aunty shahar se bahar
hain & is waqt hume koi bhi pareshan nahi karega.",uska hath thame hue
unhone use apni bayi taraf sofe pe bitha liya.kamini ne aaj peele rang
ki jhini sari sleeveless bloyuse ke sath pehni thi jiski back bahut
low thi. is libas me uska husn & bhi madhosh karne vala lag raha tha.
"aajkal to tum badi masruf hogi?",dono sofe pe thoda ghum ke 1 dusre
ko dekhte hue baate kar rahe the.
"haan,sir.aapko to pata hi hai Sahay Estate ka case.",chandra sahab ke
daye hath ki ungliya kamini ke baye hath ki ungliyo me fansi hui
thi.aaj dono tanha the & isliye chandra sahab ki harkato me koi
bechaini nahi thi.
"kisi ne Viren Sahay ko achha fansaya hai?",chandra sahab ke daye hath
ki ungli uski hatheli pe ghumte hue uski andruni kalai pe aa pahunchi
thi.
"haan,sir.",bahut haule-2 unki ungli kamini ki andruni banh se upar
uske kandhe ki or ja rahi thi.uske badan me halki sihran uthne lagi
thi.tabhi use apne baye panv pe kuchh mehsus hua,neeche dekha to
chandra sahab ke daye pair ka angutha uske takhne & tang ke nichle
hisse ko sehla raha tha.kamini shokhi se muskurayi.
"to kaun hai vo shakhs?",chandra sahabne uske bayi banh ko hawa me
utha diya & thoda aage badh uski nangi banh ko apne daye hath se
sehlane lage.kamini ko unki harkate badi bhali lag rahi thi.
"umm....Inder Dhamija,estate manager.",chandra sahab ka hath uski banh
pe upar-neeche ho raha tha. is bar jab hath uski kalai se neeche uski
banh pe aaya to banh ke ant pe na ruk uske neeche uski chikni bagal pe
firne laga.
"aah..haaa..haa..haaa..!",gudgudi se kamini ko hansi aa gayi & usne
jhat se banh neeche kar unke hath ko apne jism se alag kiya.chandra
sahab ne uski dono upari baaho ko apne hatho se tham liya & bas unhe
thoda mazbuti se sehlane lage. is bar jism ki siharn kamini ki chut
tak bhi pahunchi & vo thoda kasmasai.
"itne yakin se kaise keh sakti ho ki ye dhamija hi is sabke peechhe
hai?",cyhandra sahab ke hatho ki harkato se bechain ho kamini ne apne
kandhe thode uchka diye to uska pallu uske seene se dhalak gaya.blouse
ka gala gehra nahi tha fir bhi lagbhag 1 inch gehra cleavage to nazar
aa hi raha tha.kamini ko laga ki ab vo uske seene pe apne honth
rakhenge magar chandra sahab ne aisa kuchh nahi kiya balki unke hath
uski mansal baho ko ragadte hue uske kandho pe aa gaye& fir peechhe ja
uski pith pe firne lage.
"unhhhh..sabhi kuchh usi ki or ishara karta hai.",kamini apne guru ke
thoda aur karib khisak aayi thi.uski masti ab bahut badh gayi thi &
apne chehre pe jaise hi usne apne guru ki garam sanso ko mehsus kiya
vo unke honth chumne ko aage jhuk gayi magar chandra sahab ne
muskuarte hue apne honth peechhe khinch liye,kamini tadap uthi.chandra
sahab ka baya hath uski pith pe hi ghum raha tha jabki daya uske baye
kandhe se hota hua aage aa gaya tha & uski gardan ke neeche,blouse ke
upar ki jagah ko sehla raha tha.
"yani ki tab to vo bhi asli mujrim nahi hai.",chandra sahab ke hatho
ki ragad ne kamini ki chut ko gila kar diya tha.apni bayi tang dayi pe
chadha apni bhari jangho ke beecha apni chut ko bhinch kamini ne uski
kasak ko kabu me kiya.chandra sahab ka baya hath pith se neeche uski
nangi kamar pe ja pahuncha tha & uski bagal ke maansal hisse ko daba
raha tha.daye hath ko uske blouse ke beecho beech aise firate hue vo
neeche laye ki vo bas blouse ke hooks ki line pe hi raha,uski dono
chhatiyo me se 1 ko bhi usne na chhua.
josh ke mare kamini ki chhatiya bilkul kas gayi thi & unhe ab blouse &
bra ke bandhan bilkul raas nahi aa rahe the.uske nipples bilkul kade
ho chuke the & unka ubhar uske guru ko uske blouse me se dikh raha
tha,"aisa kaise keh sakte hain aap?",kamini unhe batane lagi ki Shiva
ne use kya bataya tha & kaise inder ne kisi tarah viren ki palette
knife chura ke usi se Prasun ka qatl kiya.chandra sahab uski baate
gaur se sunte hue uske pet & kamar ko sehlaye ja rahe the.
"aanhhh....!",unke daye hath ki ungli ne jab uski gol nabhi ke gird
dayra banate hue jab usme dakhila liya & fir use kureda to kamini ki
aah nikal gayi.usne unki dayi kalai pakad li & us hath ko khinch apne
chehre se laga liya.chandra sahab uske baye gaal ko sehlane lage to
kamini ne unke hath ko apne abye hath se pakde hue apne gaal se sataye
uski hatheli chum li.chandra sahab ne bhi jawab me uske daye hatho ko
chuma & fir apne daye hath ki ungli uske munh me ghusa di jise kamini
badi khushi se chumne lagi.uske gulabi hotho me fansi ungli,uske
chehre ki masti ne chandra sahab ke pajame me bhi tambu bana diya tha.
kamini apne baye hath se unki dayi kalai pakad us hath ki ungliya
bari-2 se chus rahi thi & daye ko usne chandra sahab ke kurte me ghusa
diya tha & unke seene & pet pe fira rahi thi.chandra sahab ne baya
hath uske kandhe pe rakha & uske blouse ke strap ko neeche kar diya to
kamini ka bra strap numaya ho gaya.unhone use bhi neeche kiya & uske
daye pe apne tapte honth rakh diye.aah bhar kamini ne apna sar peechhe
kar liya & unki ungliya chusna bhul unke sar ko baye hath se tham
liya.
chandra sahab ne pehle uske kandhe ke 1-1 hisse ko chuma & fir upar
uski gardan pe badh gaye.kamini ko unke tapte hontho ka ehsas pagal
kar raha tha.chandra sahab ne apne daye hath se uske blouse & bra ke
dusre straps ke sath bhi vahi harkat dohrayi & uski gardan ke upar
uski thuddi ke neeche chumte hue uske baye kandhe tak pahunch
gaye,"oonnhhh.....uumm....ab bataiye ki inder kaise nahi hua asli
mujrim....aanhhh..?"
chandra sahab ne jaise uska sawal suna hi nahi.vo uski bayi banho ko
chumne lage the. us banh ko daye hath me pakad unhone faila liya tha &
uski puri lambai pe chum apni shishya ko pagal kar rahe the.unka baya
hath ab kamini ki patli kamar ko kase hue tha & kamini bechaini se
unki giraft me kasmasate hue aahe bhar rahi thi.chandra sahab ne uski
bayi banho ko apne gale me dala to kamini une chipak gayi & unke sar
ko paglo ki tarah chumne lagi.chandra sahab ka daya hath ab neeche
uski sari uthakar uski bayi tang ko upar utha raha tha.kamini ne khud
apni tang ko upar kar apne guru ki god me kar diya & vo uski gori tang
ko sehlane lage magar unka hath ghutne ke uapr nahi aa raha tha.kamini
ab tadap se behal thi.abhi tak uske guru ne na uske honth chume the na
hi uski chut ko chheda tha.vo ab apne nazuk ango pe unki chhuan mehsus
karne ko betab ho uthi thi..
bechain ho usne unke seene se lage hue unka kurta nikial diya & fir
sar jhuka unke balo bhare seene ko chumne lagi.unke baye nipple ko
apni jibh se chhed usne apne munh me bhar vaise hi chusa jaise chandar
sahab uski chhatiyo ko chuste the.chandra sahab ne aah bhari & jhuki
hui kamini ke badan ko sehlane lage,"agar koi mujrim jurm karta hai to
uska sabse bada darr hota hai pakde jana..",kamini to bhul hi gayi thi
ki usne koi sawal bhi kiya tha.
"is case me inder to jurm pe jurm kar raha hai magar vo har baar kuchh
aise surag bhi chhod raha hai ki uspe shaq jaye.1 taraf to vo viren ko
fansa raha hai magar koi bhi badi asani se ye asmajh sakta hai ki is
sabke peechhe inder ka hath hai.uski sazisho me vo safai nahi
hai....aaahhh..nahi.",kamini unke seene ko chumte hue neeche tak
pahunch gayi thi & pajame me se jhalak rahe unke lund ko ubhar ko
daboch vo pajame ki dor khinchne lagi thi.chandra sahab ne use khada
kiya & fir apni baaho me bhar liya.jab unke seene se uski josh se kasi
choochiya pisi to kamini ke dil ko jaise thoda karar mila.usne apne
guru ko baaho me bhar liya & apne panjo pe uchak unke honth chumne
lagi.jaha kamini ki kiss me uski tadap & pyas ki shiddat thi vahi
chandra sahab ke jawab me bahut dhiraj tha.
kamini ne jab apni zuban unke munh me dakhil karayi to unone badi
garmjoshi se uska istekbal kiya.akmini ki chut me tabhi mano jaise
bahuit zyada tanav ban gaya.uske badan ki chhatpatahat & us
chhatpatahat ke peechhe chhupa tanav chandra sahab ne bhanp
liya.unhone badi mazbuti se use khud se chiptaya & uski kamar ko
maslate hue uski zuban se apni zuban lada di.kamini unke gale ko apni
baho se kase apni chut ko unke lund pe yu ragadti mano unke jism pe
chadh jana chahti ho jhadne lagi.uska badan bilkul akad gaya & usne
kiss tod di & apne guru ki baaho me jhul gayi.chandra sahab use
mazbuti se thame the & unka 1 hath uski kamar se atki sari ko nikal
raha tha.
jab kamini apne jhadne ki khumari se bahar aayi to usne paya ki uski
sari farsh pe padi hai & uske guru use apni baaho me uthaye apne
bedroom me le ja rahe hain.bistar pe lita ki chandra sahab ne apna
pajama nikal diya & pure nange ho gaye,fir bistar pe chadhe & uski
dayi taraf ghutno pe baith uske petticoat ke andar hath ghusa uski
tango ko sehlane lage.1 bar fir kamini mast hone lagi,"to fir kaun ho
sakta hai asli mujrim?"
"ye kehna mushkil hai.",chandra sahab ka hath uski kasi jangho ko
sehla raha tha,"..jo bhi hai vo inder ko dhal banake kaam kar raha hai
& mujhe koi hairat nahi hogi jab uska maqsad pura hone pe vo inder ko
bhi doodh me giri makkhi ki tarah nikal fenke.",kamini ne chandra
sahab ke sehlane se betab ho apne ghutne mode to uska petticoat uski
kamar tak aa pahuncha & uski peeli lace panty dikhne lagi.kamini ki
chhatiyo me meetha dard ho raha tha.usne apne hatho se blouse ke uapr
se hi unhe dana shuru kar diya.
"tumhara darr ki abhi Devika se bhi zyada khatra viren ko hai bilkul
sahi hai..",chandra sahab uski dono jangho ko upar-neeche,andar-bahar
har taraf se sehlaye ja rahe the & kamini ki panty pe dikh raha geela
dhabba pal-2 bada hota ja raha tha.kamini apni choochiya dabati apni
kamar uchka rahi thi par chandra sahab to jaise uski chut chhune ke
mood me hi nahi the,"..zamanat dene ke baad tumne viren ko kaha
chhoda?",vo uske petticoat ki dor ko khinch rahe the.
"maine use 1 hotel me thehraya hai & kamra kisi & ke naam se booked
hai.",kamini ne apni gand utha petticoat ko apne jism se alag karne me
chandra sahab ki madad ki.vo ab uske blouse ke buttons khol rahe the.
"bahut achhe. ye tumne badi samajhdari ka kaam kiya hai..",akmini
bistar pe uth baithi & jaldi se blouse ko apni baaho se nikala & apne
guru ko gale se laga liya.use baho me bhare chandra sahab bistar pe
let gaye & use chumne lage.unki bayi banh ke ghere me kamini pith ke
bal leti thi.chandra sahab bayi karwat pe hue & use chumte hue apni
ungli uski panty ke bagal se andar ghusayi & uski chut me dakhil kara
di.
"aauunnnnhhh....!",khushi & masti se bhari kamini ki zor ki aah kamre
me gunji.chandra sahab tezi se apni ungli se uski chut mar rahe the &
unke honth ab kamini ke cleavage pe the & uski bayi chhati ke numaya
ubhar ko chus rahe the.kamini ne bhi josh me apni dayi tang chandra
sahab ki tango ke beech fansa di thi & apni baaho ko unki gardan me
daal unke sar ko apne seene pe daba rahi thi.chandra sahab ki ungli ki
raftar tez hui to kamini ka baya hath unke sar se neeche unki pith pe
pahuncha & fir unki gand pe.chandra sahab uski chhati chuste hue uski
chut mar rahe the & josh me apni kamar hila ke vo apna lund uski kamar
ke bagal me ragad rahe the.
"ooohhhh...uunhhhhh....aannhhhh.....haaiiiiiiiii.....!",kamini masti
me kamar uchka rahi thi.uske seene & chut me jaise chandra sahab ki
harkato ne bijli ke koi jwalamukhi jaga diye the.un dono jagaho se
uthati masti ne use pagal kar diya tha.uski chut se ras bahe chala ja
raha tha & use jo maza abhi mehsus ho raha tha aisa na jane kitne dino
baad usne mehsus kiya tha.usne chandra sahab ki gand ko masla & fir
uski darar pe apni ungli firane lagi.chandra sahab badi tezi se uski
chut maar rahe the ki tabhi kamini ne apni ungli unke gand ke chhed me
ghusa di.
"aahhh..!",uski chhati se sar utha ankhe band kar unhone aah bhari &
unki ungli kamini ki chut me thoda aur andar ghus gayi.
"aaiiyyyeeee.....!",kamini ne 1 aakhiri baar kamar uchakayi & fir apne
guru ko pare dhakelte hue,unki gand se apna hath alag karte hue dayi
karwat pe let takiye me munh chhupa subakne lagi.chandra sahab samajh
gaye ki unki shishya badi shiddat se jhadi hai.tabhi kamre ke dusre
chhor pe shelf pe rakha unka phone baja to vo use uthane chale
gaye,"hello...haa kaisi ho?....kuchh nahi kamini aayi hai.usi ke sath
baate ho rahi thi."
kamini samajh gayi ki Mrs.Chandra ka fone hai....ye ittefaq tha ya
kuchh aur?!..ab bhi kamini chandra sahab ke sath chuai kar rahi hoti
mrs.chandra ya to vahi kahi aas-paas maujood rehti ya fir unka fone aa
jata.baat chahe jo bhi ho har bara ki tarah is baar bhi kamini ki
masti is baat se badh gayi,chandra sahab uski or outh kiye biwi se
baat ekar rahe the.kamini bistar se utri & unhe peechhe se apni baaho
me jakad unki pith chumne lagi.chumte hue usne dono hath unke pet pe
bandh diye & fir neeche le jake unke lund ko tham liya.agar aunty ko
pata chal jaye ki is waqt vo unke pati ke lund ko hath me pakad hila
rahi thi to unka reaction kya hoga?!!
"lo baat karo.",chandra sahab ne use pakad kar samne kiya & fone use
thamaya.apni bayi banh uske gale me dali & uska bra kholne lage.kamini
ne fone ko 1 hath se dusre hath me le jake bra ko nikalne
diya,"haan,aunty.bas kaam hi karte rehta hain sir to.abhi bhi 1 case
me jute hain.meri dalilen to 2 baar haar maan chuki hain,ab aage dekhe
kya karte hain.",chandra sahab neeche baith uski panty utar rahe
the.panty nikal unhone uski kamar ko apne bazuo me kas liya & uski
gand ki fanko ko dabate hue uske gol pet ko chumne lage.1 hath se
kamini unke sar ke baal sehlate hue baat kar rahi thi.
"haa,aunty.vo sab to thik hai...aaaaiiyyee..!",chandra sahab ne uski
chut me apni jibh ghusa di thi,"..k-kuchh nahi aunty..vo aapke yaha ka
chuha fir nazar aa gaya to darr gayi thi.achha ab rakhti hu.",fone
kinare kar kamini ne shelf se pith laga di.chandra sahab uski chut ko
chate hi chale ja rahe the.koi 2-3 minute tak chatne ke baad jab usne
uski chut se beh aaya sara rs pi liya to vo khade hue & kamini ki bayi
tang ko utha usk pair shelf pe jama uski chut ko thoda khol diya &
apna daya hath us se laga diya.
"aanhhh...ouiii..maa......haiiii...oohhhhh....!",chnadra sahab badi
tezi se uske dane pe apni ungli dayre me ghuma rahe the.kamini unki
baahe pakde kisi tarah se khadi thi.uski chut 1 baar fir usi tanav ko
mehsus kar rahi thi jo jhadne ke pehle banta tha.uski chhatiya bilkul
kas chuki thi & unke nipples bilkul sakht ho chuke the.dane ko ragadte
hu chandra sahab ne dusre hath se uski dayi choochi ko masla to kamini
ki madhoshi aur bhi badh gayi.
"tab aage kya karna hai sahay estate ke case me?"
"ooonnhhhh....ab main khud estate jaungi & haiiiii....",kamini
bechaini se kamar hila rahi thi,"....inder ke khilaf koi sabut ikattha
karungi...aanhhhh.. & agar mumkin hua to use devika ki nazro
se...ohhhhhhh...gira bhi dungi.....",usne chandra sahab ka sar pakad
apni chhati se laga diya & apni kamar paglo ki tarah hilane
lagi.chandra sahab vaise hi uske dane ko ragadte rahe.kamini ab jhadne
ke karib thi.chandra sahab ko bhi is baat ka ilm tha,unhone tabhi
achanak 1 aisi harkat ki kamini na kewal chaunk uthi balki uski chut
se to ras ka darya beh nikla-chandra sahab ne uske dane ko apni ungli
& anguthe ke beech pakad ke halke se uspe chikoti kaat li & usi waqt
uske nipple ko bhi danto se halke se kaat liya.kamini hairat se bhari
jhadne lagi & apne guru ke gale lag gayi.
chandra sahab use baaho me bahre uske balo ko chum rahe the,"bahut
ehtiyat baratna balki main to kahunga kisi peshevar jasus ko bhej do
apni jagah.",vo uski pith sehla rahe the.kamini apni sanse ambhal rahi
thi.vo khamosh hanfti hui unke seene se lagi khadi thi.chandra sahab
ka pre cum se gila lund uske pet se daba tha.uski chut teen baar
jhadne ke bavjud is lund ki chudai ki pyasi thi,"nahi sir,jana to
mujhe hi hoga. ye kaam main kisi aur pe nahi chhod sakti."
usne lund ko pakad ke hilaya,"..& ab ye baate chhodiye & jaldi se ise
mere andar daliye varna main mar jaungi!",usne lund ko masal diya to
chandra sahab use baaho me bhare hue bistar tak le gaye.sach to ye tha
ki unka bhi bura haal tha.itni der se vo khud pe kabu rakhe hue the &
ab unka ji bhi yehi kar raha tha ki bas jald se jald apni shishya ki
nazuk si nihayat kasi chut me apne lund ko ghusa use apne ras se
sarabor kar den.chandra sahab use baaho me bhare hue bistar pe let
gaye to kamini ne apne ghutne mod apni tange faila di.chandra sahab
sue chum rahe the & vo apne daye hath se unke lund ko apni chut ka
rasta dikha rahi thi.
"aaanhhhh...!",lund jaise hi andar gaya apne guru ke sar ko baaho me
bhare kamini ne aankhe band kar josh se aah bhar sar peechhe kiya.aisa
karne se uski lambi gardan chandra sahab ki nazro ke samne chamak uthi
& vo use chumne lage.unki kamar bahut tezi se hil rahi thi & vo bahut
zor-shor se apni shishya ko chod rahe the.dono premiyo ki bas ab 1 hi
khwahish thi-jald se jald apni manzil pana vo bhi 1 dusre ke sath-2.
kamini ne apni dayi tang uthayi & pair ko chandra sahab ke baye ghutne
ke pichhle hisse pe jama diya.bayi tang ko usne uski kamar pe
lapeta,aisa karne se uski chut thoda aur khul gayi thi & chandra sahab
ke dhakke aur gehre ja rahe the.uske hatho ke nakhun unki pith se leke
gand tak har tarah ki lakiren bana rahe the.chandra sahab uski
choochiyo ko maslate hue uske chehre ko chumte hue bahut zoro se
dhakke laga rahe the.unke lund ki ragad ne kamini ki nazuk chut ko 1
baar fir se jhadne ki kagar pe pahuncha diya tha.
achanak chandra sahab ke dhakke bahut hi tez ho gaye.kamini ki chut ne
bhi unke lund ke sikudne-failne ki maadak harkat shuru kar di.dono
premi samajh gaye ki dono hi apni manzilo ke karib hai.chandra sahab
ne uski choochiyo se hath hata ke bistar pe jamaye & uske baye kandhe
& gardan me munh chhupaye vaha pe chumte hue apna sara dhyan apne
dhakko pe laga diya.kamini bhi unki gand me apne nakhun dhansaye apni
tango se unke jism ko jakde neeche se kamar hila rahi thi.tabhi kamini
ki chut kuchh zyada hi kas gayi uske guru ke lund pe & vo bistar se
uthati hui unki gand me aur nakhun dhansati hui aahe bharti hui jhadne
lagi.usi waqt chandra sahab ke lund se bhi unke rasi ki dhar chhuti
jisne kamini ki chut ko nehla diya.
dono premi 1 dusre ki baaho me pade hue us mastane ehsas ke 1-1 pal ki
madhoshi ko mehsus karte hue pade hue the.kamini ne ghadi ki or dekha
abhi to bas sham ke 4 baje the,vo janti thi ki raat hone tak vo aaj
apne guru ki baaho me hi rehne vali hai.usne aankhe band ki & apni
baahe apne upar pade hu chandra sahab ke gale me daal unke gaal ko
chum liya.
"Oooohhhh.....aaaiiieeee.....haaannnn...haannnnn.....!",Kamini aaj
teesri baar Chandra Sahab se chud rahi thi.vo bistar pe pet ke bal
padi thi & chandra sahab uski pith pe savar uske dono taraf bistar ki
chadar ko bhinchte uske hatho ke upar se hath lagaye,unki ungliyo me
apni ungliya fansaye uski chut me apna pura lund dhansaye uski chudai
kar rahe the.
koi 10 minute se vo lagatr dhakke laga rahe the & ab dono premi 1 baar
fir sath jhadne ki taiyyari me the,"..kamini..aahhhhhh..",chandra
sahab ne uske daye kandhe ke uapr se sar le ja uske gaal ko chum
liya,"..meri 1 baat mano..",kamini ne unke hotho ko apne gulabi labo
ki qaid me le unhe aage bolne se rok diya.
"kaun si baat?",kuchh palo baad labo ko chhod aahe bharte hue vo boli.
"tum estate me chhup ke sabki jasusi karogi ye baat kisi ko bhi nahi
batana yaha tak ki Viren Sahay ko bhi nahi.",unke dhakke aur tez ho
gaye the.kamre me unke ando ki kamini ki gand se takrane ki thap-2 ki
aavaz gunj rahi thi.
"kyu?"
"kyuki jo bhi viren ko nuksan pahuchana chahta hai vo aaj nahi to kal
vo kaha chhupa hai ye to pata laga hi lega sath hi ye bhi mumkin hai
ki vo uske fone tap kar raha ho ya fir kisi aur tarah se uspe nazar
rakhe ho..",chandra sahab ne kamini ke hatho ko aur kas ke bhinch
liya,nke ando me mitha dard ho raha tha jo ki bas thodi hi der me maze
me badalne wala tha.
"..ab jab viren ko pata hi nahi rahega ki tum kaha ho to uske dushman
ko ye baat kaise pata nchalegi..aaahhhhhhh..!"
"haiiiiiiii......!",dono premiyo ki aaho ne is baat ka elan kiya ki
dono 1 baar fir sath-2 masti ki manzil tak pahunch chuke the.
thodi hi der baad kamini apni sari bandh rahi thi & chandra sahab
bistar pe lete use nihar rahe the,"aapki salah mere kitne kaam aati
hai aapko to andaza bhi nahi.",kamini ne sari kamar me atkayi &
aanchal apne seene se kandhe pe dala fir apne guru ke nazdik aayi &
unhe chum liya,"ab chalti hu."
"apna khayal rakhna kamini & koi bhi pareshani ho to mujhe khabar karna.."
"zarur sir."
Inder aaj raat fir Devika ke bistar me use baaho me le soya hua tha.1
baar fir devika rote-2 neend ki baaho me chali gayi thi.inder use
thapkiya deta hua aage ke bare me soch raha tha,devika bete ki maut se
bilkul bezar ho gayi thi.use na karobar me dilchaspi reh gayi thi na
hi zindagi me.aise me bas 1 inder hi use apna lagta tha.
inder ne uski is halat ka pura fayda uthaya & har raat bina chudai
kiye use baaho me le ye bharosa dila diya ki vo use sachche dil se
chahta hai.devika ne bhi uski baat maan li thi ki dono kuchh dino baad
is manhus jagah se kahi dur chale jayenge.
kitni aasani se ye uske jaal me fans gayi thi!....sochti thi ki vo use
is gham se ubarega jabki vo to....inder ne aankhe band ki & so gaya.
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आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj
--
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