Saturday, October 23, 2010

कामुक-कहानियाँ बदला पार्ट--3

कामुक-कहानियाँ

बदला पार्ट--3

गतान्क से आगे.....
शिवा खड़ा हुआ & तुरत अपनी पॅंट निकाली,फिर देविका को खड़ा किया तो
देविका अपने आप ड्रेसिंग टेबल पकड़ के झुक गयी.उसने 1 बार हाथ पीछे ले
जाके शिवा के 8 इंच के तगड़े लंड को मसला मगर शिवा ने उसका हाथ हटा के
वापस ड्रेसिंग टेबल पे रख दिया.शिवा ने अपने दाए हाथ की 2 उंगलिया उसकी
चूत मे घुसा के अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया.चूत तो पहले से ही गीली थी
अब तो उसमे से पानी की मोटी धार बहने लगी.देविका अपने दांतो से अपना
निचला होठ काट रही थी..उसने कैसे अपनी आहो को अपने गले मे रोका हुआ था ये
वो ही जानती थी..शिवा उसे हर बार ऐसे ही मस्ती मे पागल कर देता
था,"..ऊहह..",बहुत रोकने पर भी हल्की सी आह निकल ही गयी-शिवा ने अपने
तपते होंठ जो रख दिए थे उसकी गुलाबी चूत पे.

वो ड्रेसिंग टेबल पे सर झुकाए अपनी दाई बाँह मे अपना मुँह च्छुपाए बेचैनी
से अपनी कमर हिल रही थी जब शिवा ने अपना लंड उसकी चूत मे दाखिल करा
दिया,"..आहह..",देविका कराही & उसने अपना सर उठा के शीशे मे अपने प्रेमी
की ओर नशीली निगाहो से देखा.

"क्या हुआ देविका?",बाथरूम से सुरेन जी की आवाज़ आई.

"कुच्छ नही,ज़रा पलंग से पैर टकरा गया था.",देविका पे अब खुमारी पूरी तरह
से हावी थी,उसने अपने प्रेमी को शीशे मे देख चूमने का इशारा करते हुए
अपने पति को जवाब दिया.

"चोट तो नही आई?"

"थोड़ी बहुत.",देविका शिवा की चुदाई का भरपूर मज़ा ले रही थी.यू तो वो
झड़ने का नाम तब तक नही लेता था जब तक की वो झाड़-2 के बहाल नही हो जाती
थी मगर इस समय मामला ज़रा नाज़ुक था.शिवा का लंबा,मोटा लंड उसकी चूत की
दीवारो को बुरी तरह रगड़ रहा था & वो अपने बाए हाथ से उसके दाने
को.देविका भी पागलो की तरह कमर हिला रही थी.

शिवा ने देखा की उसके मालिक की बीवी अब झड़ने ही वाली है,वो फ़ौरन उसकी
पीठ पे झुका & बाए हाथ से उसका सर घुमा के उसके होंठो पे अपने होठ कस
दिए,उसी वक़्त देविका भी झाड़ गयी & अगर शिवा ने उसके होंठो को अपने
होंठो से बंद नही किया होता तो वो ज़रूर चीख उठती.शिवा भी उसकी चूचिया
मसल्ते हुए उसकी चूत मे अपना पानी छ्चोड़ रहा था.

झड़ने के बाद शिवा स्टूल पे बैठ गया & खींच कर देविका को भी बिठा लिया &
उसे चूमने लगा,"..ऑश शिवा...आइ लव यू."

"आइ लव यू टू,देविका.",दोनो के चेहरो पे संतोष का भाव था.थोड़ी देर तक
दोनो वैसे ही बैठे 1 दूसरे को चूमते हुए अपने-2 प्यार का इज़हार करते रहे
फिर शिवा ने अपनी पॅंट पहनी & कमरे से बाहर चला गया.उसके जाते ही देविका
ने देखा की शिवा का पानी उसकी चूत से बह रहा है.ड्रेसिंग टेबल से 1
नॅपकिन उठा के उसने उसे पोंच्छा & फिर बिस्तर पे लेट गयी.

उसने गर्दन घुमा के बाथरूम के दरवाज़े की ओर देखा,सुरेन जी अभी भी नहा
रहे थे.शिवा से चुद के उसे बहुत सुकून मिलता था.कोई 5 साल पहले जज़्बातो
मे बह के कब दोनो 1 दूसरे के इतने करीब आ गये उन्हे पता भी नही चला
था.ऐसा नही था की वो अपने पति को नही चाहती थी..चाहती थी.वो उसके बेटे का
पिता था..ये सारा ऐशो-आराम उसी की बदौलत था..वो भी उसे बहुत चाहता था मगर
कुच्छ कमी थी जिसे शिवा पूरा करता था.

देविका सुरेन जी की बेवफ़ाइयो के बारे मे जानती थी.वो समझते थे कि उनकी
भोली बीवी को कुच्छ भी नही पता मगर वो उनकी बीवी थी, आख़िर उस से ये बात
कैसे छुप सकती थी कि वो उसके अलावा भी और औरतो के साथ सोते हैं.शिवा उस
से बहुत प्यार करता था & वो भी उसकी ओर शुरू से ही खींचती रही थी.1 दिन
दोनो ने सारे बंधन तोड़ दिए & अपना 1 अलग रिश्ता बना लिया जिसके बारे मे
सिर्फ़ वही दोनो जानते थे.सुरेन जी हमेशा उसे खुश रखने की कोशिश करते
थे,बिस्तर मे भी वो उसकी खुशी का पूरा ख़याल रखते थे मगर शिवा के साथ
चुदाई करके देविका को पता चला की वो अभी तक किस खुशी से महरूम थी.शिवा ने
उसे उस जन्नत की सैर कराई थी जिसके बारे मे उसे पता भी नही था की उस
जन्नत का वजूद भी है!

सुरेन जी नहा के बाथरूम से बाहर निकले तो सामने का नज़ारा देख के उनका
मुँह खुला का खुला रह गया,बिस्तर पे लेटी उनकी खूबसूरत बीवी अपने दाए हाथ
से अपनी चूत सहला रही थी.ख़यालो मे डूबी देविका का हाथ कब अपनी चूत पे
चला गया था उसे पता ही नही चला था.जब उसने अपने पति को खुद की ओर ऐसे
देखता पाया तो उसे होश आया & उसके होंठो पे मुस्कान खिल गयी.

सुरेन जी ने अपनी कमर पे बँधे तौलिया को हटाया & अपनी बीवी के दाई तरफ
अपने बाई कोहनी पे उचक के लेट गये & उसकी चूचियो से खेलने
लगे,"..उउउम्म्म्म.....!",देविका ने मज़े मे आँखे बंद कर ली,शिवा से
चुदने पे वो झड़ी तो ज़रूर थी मगर उसका दिल अभी भरा नही था.उसके पति के
हाथो का कसाव भी धीरे-2 बढ़ रहा था & उसके निपल्स 1 बार फिर से कड़े हो
गये थे.

सुरेन जी उसकी बाई छाती को मसल्ते हुए उसकी दाई पे झुक गये & उसके गुलाबी
निपल पे अपनी जीभ फेरी..आख़िर क्या ज़रूरत थी उन्हे बाज़ारु औरतो के पास
जाने की जब उनकी बीवी इस कदर हसीन & मस्त थी?..जब भी वो उसके जिस्म के
साथ खेलते ये सवाल ज़रूर उनके ज़हन मे कौंधता.उन्हे खुद पे शर्म भी आती
थी मगर वो उन औरतो का भी अपना अलग ही 1 मज़ा था & ये अब उनकी ज़िंदगी का
1 अटूट हिस्सा था.

उन्होने दिमाग़ से ये बातें निकाली & पूरी तरह से देविका की खूबसूरती का
रस पीने मे जुट गये.देविका अब मस्ती मे तेज़ आहे भर रही थी..शिवा चोदने
मे माहिर था & उसके साथ वो पूरी तरह से तृप्त होती थी मगर उसके पति जैसा
चूचिया चूसना शायद ही उसे कभी आएगा.."..श...सुरेन....",देविका ने सुरेन
जी के बाल पकड़ उन्हे अपने सीने पे दबाते हुए थोड़ा दाए तरफ घूमते हुए
उन्हे बाहो मे भर लिया.

सुरेन जी ने भी उसकी पीठ को अपनी दाई बाँह मे घेर लिया & उसके सीने से
नीचे उतरने लगे.उनकी मंज़िल थी उसकी गुलाबी चूत जोकि बेअसबरी से उनका
इंतेज़ार कर रही थी.जब देविका की टाँगे फैला के उसकी गंद के नीचे हाथ लगा
उसे हवा मे उठा उन्होने बिजली की तेज़ी से अपनी जीभ उसकी चूत मे चलाई तो
कमरा देविका की गरम,बेसब्र आहो से गूँज उठा.

थोड़ी ही देर मे देविका कमर उचकती हुई झाड़ गयी,ठीक उसी वक़्त सुरेन जी
ने उसके दोनो तरफ बिस्तर पे अपने हाथ जमाए & अपना लंड उसकी चूत मे उतार
दिया.देविका उनकी कमर थाम उनके धक्के झेलने लगी.अपने हाथो पे अपने बदन को
टिकाए सुरेन जी अपनी बीवी को चोद रहे थे,"..ऊओह....इधर आओ ना...",देविका
ने उनके गले मे बाहे डाल उन्हे नीचे खींचा तो वो अपनी बीवी के उपर लेट
गये.

उनकी बालो भरी छाती ने उसकी चूचियो को पीस दिया & वो उसे चूमते हुए धक्के
लगाने लगे.देविका ने उन्हे बाहो मे भर लिया & नीचे से अपनी कमर उचकाने
लगी.देविका की चूत मे वैसा ढीलापन नही आया था जो आमतौर पे उसकी उम्र की
औरत मे आ जाना चाहिए थे & सुरेन जी के लंड को पूरा मज़ा मिल रहा था.

अब वो भी उसके साथ आहे भर रहे थे.बरसो से दोनो साथ-2 ये खेल खेलते आ रहे
थे & तजुर्बे से दोनो समझ गये थे कि अब दोनो की मंज़िल करीब है.देविका ने
अपनी टाँगे उनकी कमर पे चढ़ा दी & उन की पीठ मे अपने नाख़ून गाड़ा
दिए,उसे पता था की ऐसा करने से सुरेन जी फ़ौरन मस्ती की कगार पे पहुँच
जाएँगे.उसी वक़्त सुरेन जी ने भी अपनी बीवी की गंद के नीचे हाथ लगाके उसे
भींचते हुए उसकी फांको को बाहर की ओर खींचने लगे,देविका उनकी इस हरकत से
हमेशा पागल हो जाती थी.

दोनो को अपने-2 हमसफर की कारस्तानियो के आगे घुटने टेकने पड़े & नतीजा ये
हुआ की आहे भरते हुए दोनो 1 दूसरे से चिपते,1 दूसरे की बाहो मे क़ैद झाड़
गये.झाड़ते ही सुरेन जी देविका के उपर से उतर के बिस्तर पे लेट
गये,देविका भी अपनी दाई करवट पे होते हुए उनकी बाई बाँह के घेरे मे उनके
पहलू मे लेट गयी & उनके सीने के बालो मे उंगलिया फिराने लगी.काफ़ी देर तक
चुप्पी च्छाई रही फिर देविका ने ही खामोशी तोड़ी,"क्या बात है?आज इतने
चुप-2 क्यू हैं?",वो उनके पहलू मे थोड़ा उचक के उनके चेहरे को देखते हुए
उसे अपने मुलायम हाथो से सहलाने लगी.

"नही कोई बात नही है.",सुरेन जी ने उसके चेहरे सहलाते हाथ को सहलाया मगर
नज़र दूसरी तरफ कर ली.

"कोई बात तो है?",देविका ने उनके चेहरे को अपनी तरफ घुमा के उनकी आँखो मे झाँका.

"शाम लाल जी कितने खुसकिस्मत हैं,देविका.उनका बेटा उनकी ज़िम्मेदारी
संभाल रहा है..मैं तो.."

"फिर वही बात..डॉक्टर ने कहा है ना की आपको ज़्यादा नही सोचना
है.सुरेन,प्रसून की ये हालत क्या मेरी & आपकी बनाई हुई है?..नही
ना?....पता नही क्यू भगवान ने हमारे बच्चे के साथ ही ऐसा किया..मगर उसके
चलते हम हरदम मायूस रहे ये भी तो सही नही."

"तुम ठीक कहती हो लेकिन अब मैं थकने लगा हू..बूढ़ा हो गया हू.."

"अच्छा जी....थोड़ी देर पहले क्या कोई बूढ़ा मुझे पागल कर रहा
था..",देविका की शरारत भरी बात सुनके सुरेन जी के होंठो पे भी मुस्कान आ
गयी,"..पूरा बदन टूट रहा है मेरा सिर्फ़ आपकी वजह से!",उसने उनके निपल पे
चूटी काट ली.

"मैं संजीदा हू..-"

"मैं जानती हू..",देविका ने उनके होंठो पे अपनी उंगलिया रख उन्हे चुप
कराया,"..शाम लाल जी के जाने की वजह से आप परेशान हैं..इतने दीनो से वो
आपके साथ थे...मगर आपको घबराने की ज़रूरत नही है..जब तक नया मॅनेजर नही
मिलता मैं आपकी मदद करूँगी.आप सारी चिंता अपने मन से भगाइए & बस खुश रहा
कीजिए."

"तुम?"

"हां,क्यू?मेरी काबिलियत पे शक़ है आपको?"

"नही-2,देविका!..मगर घर & कारोबार..दोनो.."

"आप तो ऐसे कह रहे हैं जैसे की दफ़्तर मीलो डोर है फिर आपने हमेशा
कारोबार की भी सारी बातें मुझ से बांटी हैं..सुरेन,आपकी पत्नी हू..आपका
बोझ बाँटना तो मेरा फ़र्ज़ है..चलिए अब आँखे बंद कीजिए & सोइए..कल से
आपका बोझ मैं हल्का करूँगी.",उसने अपने हाथो से उनकी पलके मूंदी & खुद भी
उनके सीने पे सर रख के आँखे बंद कर ली.

सुरेन जी का ऑफीस उनके बंगल के अहाते मे ही बना हुआ था & देविका काफ़ी
समझदार भी थी,उन्हे अपनी बीवी की बातो से बड़ा सहारा मिला था.उनके दिल मे
उसके लिए काफ़ी प्यार उमड़ आया & बाहो का घेरा उसके गिर्द कसते हुए नींद
के आगोश मे चले गये.देविका ने पति की बाहो की मज़बूती मे उनके दिल के
एहसास को महसूस कर लिया.बहुत ज़रूरी था की वो इस वक़्त उनके साथ रहे,इतने
सालो की कड़ी मेहनत के बाद कामयाबी का ये मक़ाम हासिल हुआ था की दुनिया
सहाय नाम का लोहा मानती थी & उसने भी तो बड़े जतन से ये सब हासिल किया
था..ऐसे कैसे इस सब पे वो आँच आने देती.

उसने सुरेन जी के सीने से सर उठाया & उनकी गर्दन मे मुँह च्छूपा के सोने
लगी.दोनो पति-पत्नी 1 दूसरे के सहारे से आश्वस्त तो हो गये थे मगर सुरेन
जी ने कुच्छ ग़लत नही कहा था,देविका ने उन्हे भरोसा दिलाने के लिए उन्हे
अपनी बातो से समझा लिया था मगर अपने बेटे प्रसून के लिए वो भी उनके जैसे
ही चिंतित रहती थी बल्कि शायद उनसे ज़्यादा ही.

और होती भी क्यू ना?प्रसून मंदबुद्धि था.24 साल का हटता-कटता जवान हो गया
था मगर उसका दिमाग़ किसी बच्चे से भी कमज़ोर था.उसके मा-बाप को हमेशा यही
बात परेशान करती रहती थी की उनके बाद उस बेचारे का क्या होगा.देविका ने
इस बाबत 1 बात भी सोची थी मगर अभी तक इस बात के बारे मे पति से बात करने
का मौका उसे नही मिला था.पूरी तरह से नींद मे बेसूध होने से पहले उसने मन
ही मन तय किया की वो जल्दी ही सुरेन जी से इस बारे मे बात करेगी,फिर उसने
आँखे मूंद ली & पति की बाहो मे सो गयी.
क्रमशः......................
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BADLA paart--3

gataank se aage.....
shiva khada hua & turat apni pant nikali,fir devika ko khada kiya to
devika apne aap dressing table pakad ke jhuk gayi.usne 1 baar hath
peechhe le jake shiva ke 8 inch ke tagde lund ko masla magar shiva nme
uska hath hata ke vaps dressing table pe rakh diya.shiva ne apne daaye
hath ki 2 ungliya uski chut me ghusa ke andar-bahar karna shuru kar
diya.chut to pehle se hi gili thia ab to usme se pani ki moti dhaar
behne lagi.devika apne danto se apna nichla hoth kaat rahi thi..usne
kaise apni aaho ko apne gale me roka hua tha ye vo hi janti thi..shiva
use har baar aise hi masti me pagal kar deta tha,"..oohh..",bahut
rokne par bhi halki si aah nikal hi gayi-shiva ne apne tapte honth jo
rakh diye the uski gulabi chut pe.

vo dressing table pe sar jhukaye apni daayi banh me apna munh chhupaye
bechaini se apni kamar hil rahi thi jab shiva ne apna lund uski chut
me dakhil kara diya,"..aahhh..",devika karahi & usne apna sar utha ke
sheeshe me apne premi ki or nashili nigaho se dekha.

"kya hua devika?",bathroom se suren ji ki aavaz aayi.

"kuchh nahi,zara palang se pair takra gaya tha.",devika pe ab khumari
puri tarah se havi thi,usne apne premi ko sheeshe me dekh chumne ka
ishara karte hue apne pati ko jawab diya.

"chot to nahi aayi?"

"thodi bahut.",devika shiva ki chudai ka bharpur maza le rahi thi.yu
to vo jhadne ka naam tab tak nahi leta tha jab taki ki vo jhad-2 ke
behal nahi ho jati thi magar is samay mamla zara nazuk tha.shiva ka
lumba,mota lund uski chut ki deewaro ko buri tarah ragad raha tha & vo
apne baaye hath se uske dane ko.devika bhi paglo ki tarah kamar hila
rahi thi.

shiva ne dekha ki uske malik ki biwi ab jhadne hi wali hai,vo fauran
uski pith pe jhuka & baaye hath se uska sar ghuma ke uske hotho pe
apne hoth kas diye,usi waqt devika bhi jhad gayi & agar shiva ne uske
hotho ko apne hotho se band nahi kiya hota to vo zarur chikh
uthati.shiva bhi uski choochiya masalte hue uski chut me apna pani
chhod raha tha.

jhadne ke baad shiva stool pe baith gaya & khinch kar devika ko bhi
bitha liya & use chumne laga,"..ohhh shiva...i love you."

"i love you too,devika.",dono ke chehro pe santosh ka bhav tha.thodi
der tak dono vaise hi baithe 1 dusre ko chumte hue apne-2 pyar ka
izhar karte rahe fir shiva ne apni pant pehni & kamre se bahar chala
gaya.uske jate hi devika ne dekha ki shiva ka pani uski chut se beh
raha hai.dressing table se 1 napkin utha ke usne use ponchha & fir
bistar pe let gayi.

usne gardan ghuma ke bathroom ke darwaze ki or dekha,suren ji abhi bhi
naha rahe the.shiva se chud ke use bahut sukun milta tha.koi 5 saal
pehle jazbato me beh ke kab dono 1 dusre ke itne kareeb aa gaye unhe
pata bhi nahi chala tha.aisa nahi tha ki vo apne pati ko nahi chati
thi..chahti thi.vo uske bete ka pita tha..ye sara aishoaram usi ki
badaulat tha..vo bhi use bahut chahta tha magar kuchh kami thi jise
shiva pura karta tha.

devika suren ji ki bevafaiyo ke bare me janti thi.vo samajhte the ki
unki bholi biwi ko kuchh bhi nahi pata magar vo unki biwi thi, aakhir
us se ye baat kaise chhup sakti thi ki vo uske alawa bhi aur aurato ke
sath sote hain.shiva us se bahut pyar karta tha & vo bhi uski or shuru
se hi khinchti rahi thi.1 din dono ne sare bandhan tod diye & apna 1
alag rishta bana liya jiske bare me sirf vahi dono jante the.suren ji
humesha use khush rakhne ki koshish karte the,bistar me bhi vo uski
khushi ka pura khayal rakhte the magar shiva ke sath chudai karke
devika ko pata chala ki vo abhi tak kis khushi se mehrum thi.shiva ne
use us jannat ki sair karayi thi jiske bare me use pata bhi nahi tha
ki us jannat ka vajood bhi hai!

Suren ji naha ke bathroom se bahar nikle to samne ka nazara dekh ke
unka munh khula ka khula reh gaya,bistar pe leti unki khubsurat biwi
apne daye hath se apni chut sehla rahit hi.khayalo me dubi Devika ka
hath kab apni chut pe chala gaya tha use pata hi nahi chala tha.jab
usne apne pati ko khud ki or aise dekhta paya to use hosh aaya & uske
hotho pe muskan khil gayi.

suren ji ne apni kamar pe bandah tauliya hataya & apni biwi ke daayi
taraf apne bayi kohni pe uchak ke let gaye & uski chhatiyo se khelne
lage,"..uuummmm.....!",devika ne maze me aankhe band kar li,Shiva se
chudne pe vo jhadi to zarur thi magar uska dil abhi bhara nahi
tha.uske pati ke hatho ka kasav bhi dheere-2 badh raha tha & uske
nipples 1 bar fir se kade ho gaye the.

suren ji uski baayi chhati ko masalte hue uski daayi pe jhuk gaye &
uske gulabi nipple pe apni jibh feri..aakhir kya zarurat thi unhe
bazaru aurato ke paas jane ki jab unki biwi is kadar haseen & mast
thi?..jab bhi vo uske jism ke sath khelte ye sawal zarur unke zehan me
kaundhta.unhe khud pe sharm bhi aati thi magar vo un aurato ka bhi
apna alag hi 1 maza tha & ye ab unki zindagi ka 1 atoot hissa tha.

unhone dimagh se ye baaten nikali & puri tarah se devika ki khubsurati
ka ras peene me jut gaye.devika ab masti me tez aahe bhar rahi
thi..shiva chodne me maahir tha & uske sath vo puri tarah se tript
hoti thi magar uske pati jaisa choochiya chusna shayad hi use kabhi
aayega.."..ohh...suren....",devika ne suren ji ke baal pakad unhe apne
seene pe dabate hue thoda daaye taraf ghumte hue unhe baaho me bhar
liya.

suren ji ne bhi uski pith ko apni dayi banh me gher liya & uske seene
se neeche utarne lage.unki manzil thi uski gulabi chut joki beasbri se
unka intezar kar rahi thi.jab devika ki tange faila ke uski gand ke
neeche hath laga use hawa me utha unhone bijli ki tezi se apni jibh
uski chut me chalai to kamra devika ki garam,besabr aaho se gunj utha.

thodi hi der me devika kamar uchkati hui jhad gayi,thik usi waqt suren
ji ne uske dono taraf bistar pe apne hath jamaye & apna lund uski chut
me utar diya.devika unki kamar tham unke dhakke jhelne lagi.apne hatho
pe apne badan ko tikaye suren ji apni biwi ko chod rahe
the,"..ooohhhh....idhar aao na...",devika ne unke gale me baahe daal
unhe neeche khincha to vo apni biwi ke upar let gaye.

unki baalo bhari chhati ne uski choochiyo ko pees diya & vo use chumte
hue dhakke lagane lage.devika ne unhe baaho me bhar liya & neeche se
apni kamar uchkane lagi.devika ki chut me vaisa dhilapan nahi aaya tha
jo aamtaur pe uski umra ki aurat me aa jana chahiye the & suren ji ke
lund ko pura maza mil raha tha.

ab vo bhi uske sath aahe bhar rahe the.barso se dono sath-2 ye khel
khelte aa rahe the & tajurbe se dono samajh gaye the ki ab dono ki
manzil kareeb hai.devika ne apni tange unki kamar pe chadfha di & un
ki pith me apne nakhun gada diye,use pata tha ki aisa karne se suren
ji fauran masti ki kagar pe pahunch jayenge.usi waqt suren ji ne bhi
apni biwi ki gand ke neeche hath lagake use bheenchte hue uski fanko
ko bahar ki or khinchne lage,devika unki is harakat se humesha pagal
ho jati thi.

dono ko apne-2 humsafar ki karastaniyo ke aage ghutyne tekne pade &
nateeja ye hua ki aahe bharte hue dono 1 dusre se chipte,1 dusre ki
baaho me qaid jhad gaye.jhadte hi suren ji devika ke upar se utar ke
bistar pe let gaye,devika bhi apni daayi karwat pe hote hue unki baayi
banh ke ghere me unke pehlu me let gayi & unke seene ke baalo me
ungliya firane lagi.kafi der tak chuppi chhayi rahi fir devika ne hi
khamoshi todi,"kya baat hai?aaj itne chup-2 kyu hain?",vo unke pehlu
me thoda uchak ke unke chehre ko dekhte hue use apne mulayam hatho se
sehlane lagi.

"nahi koi baat nahi hai.",suren ji ne uske chehre sehlate hath ko
sehlaya magar nazar dusri taraf kar li.

"koi baat to hai?",devika ne unke chehre ko apni taraf ghuma ke unki
aankho me jhanka.

"Sham Lal ji kitne khuskismat hain,devika.unka beta unki zimmedari
sambhal raha hai..main to.."

"fir vahi baat..doctor ne kaha hai na ki aapko zyada nahi sochna
hai.suren,Prasun ki ye halat kya meri & aapki banayi hui hai?..nahi
na?....pata nahi kyu bhagwan ne humare bachche ke sath hi aisa
kiya..magar uske chalte hum hardum mayoos rahe ye bhi to sahi nahi."

"tum thik kehti ho lekin ab main thakne laga hu..boodha ho gaya hu.."

"achha ji....thodi der pehle kya koi boodha mujhe pagal kar raha
tha..",devika ki shararat bhari baat sunke suren ji ke hotho pe bhi
muskan aa gayi,"..pura badan toot raha hai mera sirf aapki vajah
se!",usne unke nipple pe chuti kaat li.

"main sanjeeda hu..-"

"main janti hu..",devika ne unke hotho pe apni ungliya rakh unhe chup
karaya,"..sham lal ji ke jane ki vajah se aap pareshan hain..itne dino
se vo aapke sath the...magar aapko ghabrane ki zarurat nahi hai..jab
tak naya manager nahi milta main aapki madad karungi.aap sari chinta
apne man se bhagaiye & bas khush raha kijiye."

"tum?"

"haan,kyu?meri kabiliyat pe shaq hai aapko?"

"nahi-2,devika!..magar ghar & karobar..dono.."

"aap to aise keh rahe hain jaise ki daftar meelo door hai fir aapne
humesha karobar ki bhi sari baaten mujh se banti hain..suren,aapki
patni hu..aapka bojh bantna to mera farz hai..chaliye ab aankhe band
kijiye & soiye..kal se aapka bojh main halka karungi.",usne apne hatho
se unki palke mundi & khud bhi unke seene pe sar rakh ke aankhe band
kar li.

suren ji ka office unke bungle ke ahate me hi bana hua tha & devika
kafi samajhdar bhi thi,unhe apni biwi ki baato se bada sahara mila
tha.unke dil me uske liye kafi pyar umad aaya & baaho ka ghera uske
gird kaste hue nind ke agosh me chale gaye.devika ne pati ki baaho ki
mazbuti me unke dil ke ehsas ko mehsus kar liya.bahut zaruri tha ki vo
is waqt unke sath rahe,itne salo ki kadi mehnat ke baad kamyabi ka ye
maqam hasil hua tha ki duniya Sahay naam ka loha manti thi & usne bhi
to bade jatan se ye sab hasil kiya tha..aise kaise is sab pe vo aanch
aane deti.

usne suren ji ke seene se sar uthaya & unki gardan me munh chhupa ke
sone lagi.dono pati-patni 1 dusre ke sahare se aashvast to ho gaye the
magar suren ji ne kuchh galat nahi kaha tha,devika ne unhe bharoas
dilane ke liye unhe apni baato se samjha liya tha magar apne bete
prasun ke liye vo bhi unke jaise hi chintit rehti thi balki shayad
unse zyada hi.

aur hoti bhi kyu na?prasun mandbuddhi tha.24 saal ka hatta-katta jawan
ho gaya tha magar uska dimagh kisi bachche se bhi kamzor tha.uske
maa-baap ko humesha yehi baat pareshan karti rehti thi ki unke baad us
bechare ka kya hoga.devika ne is babat 1 baat bhi sochi thi magar abhi
tak is baat ke bare me pati se baat karne ka mauka use nahi mila
tha.puri tarah se nind me besudh hone se pehle usne man hi man tay
kiya ki vo jaldi hi suren ji se is bare me baat karegi,fir usne aankhe
mund li & pati ki baaho me so gayi.

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kramashah...../..........


आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj

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