हिंदी सेक्सी कहानियाँ
कौन सच्चा कौन झूठा पार्ट -04
गतान्क से आगे.........
दिव्या: कोई देख लेगा... दीपक: कोई नही देखेगा .इतनी धूप हे कौन आएगा
यहा . दिव्या: चलो ना यहा से . दीपक: अभी चलते है यार .धीरे से अपना हाथ
दिव्या की चुचियो पर ले गया और आराम से सहलाने लगा. दिव्या : आहह इससस्स
. दीपक थोड़ा आगे हुआ और दिव्या के होंठो से होंठ मिला दिए. दिव्या भी
उसका पूरा साथ दे रही थी .ऐसा लगता था मानो वो भी आज ये सब करना चाहती
थी. दीपक ने खड़े होकर नज़र इधेर उधेर घुमाई दूर तक कोई नही दिखा दीपक
नीचे वापस पेड़ो के झुँढ मे हो लिया. दीपक: आइ लव यू दिव्या .मैं तुम से
बहुत प्यार करता हू. मेने मम्मी को भी तुमहरे बारे मे बता दिया हे अब मे
तुम्हारे बिना नही जी सकता. ये बात सुनते ही दिव्या ,दीपक के गले लग गयी
. दिव्या: सच. दीपक : हां यार . मम्मी तुझ से मिलना भी चाहती हे .सही
टाइम देख के मे तुझे मिलवा भी दूँगा. दिव्या: ओह दीपक आइ लव यू ....दोनो
एक दूसरे के बाहों मे थे . दीपक बार-2 दिव्या के मम्मो को दबा रहा था .
दीपक: यार आज मुझे ये(चुचियो की तरफ इशारा करते हुए) दिखा दो ना ( बच्चे
के आंदाज मे बोला) दिव्या: नही. दीपक: यार बस एक बार तो दिखा दो .
दिव्या: नाह्ह्ही! तुम कपड़ो के उपर से ही देख लो ( हंसते हुए) हेहे.
दीपक अपना हाथ दिव्या की कमर पर ले गया और टॉप को उपेर करने लगा .दिव्या
ने उसके हाथ को पकड़ लिया. दीपक ने झट से अपने होंठ फिर उसके होंठो पे रख
दिए. धीरे -2 टॉप को उपेर करने लगा दिव्या और गरम हो गयी थी उसे मज़ा आने
लगा था .उसने अब विरोध करना भी छ्चोड़ दिया था. पूरा टॉप अब दिव्या के
गर्देन पर था दीपक की आँखों के सामने ऐसा नज़ारा था वो खुशी मे पागल हो
रहा था.स्टाइलिश ब्लॅक ब्रा उपर से दोनो आध नंगे मम्मे मदमस्त लग रहे थे.
धीरे धीरे दीपक हाथ को पीछे ले गया और ब्रा खोलने लगा .पर वो अनाड़ी था
ब्रा नही खुला. दीपक: यार तुम खोल दो ना दिव्या : नही मे क्यू खोलू तुमने
सब कुछ किया है तुम ही खोलो और अगर ना खुल पाए तो हम यहा से चलते हे(
आँखों मे एक अजीब सा नशा था) दीपक उठ के पीछे गया और ब्रा का स्टर्प
खोलने लगा . ब्रा के खुलते ही दीपक फट से आगे को आया .दोनो गोलाइयाँ साफ
नज़र के सामने थी . दीपक ने आगे हाथ बढ़ाया और ब्रा को नीचे की और धकेलने
लगा. दीपक: दिव्या तुम बहुत सुन्दर हो. हाथ आगे बढ़ा दाए निपल पर जा लगा
दिव्या के आहहें छूट रही थी . लब से लब जुड़ चुके थे और नीचे दीपक के हाथ
अपना काम कर रहे थे .प्यार से दोनो मम्मो को सहलाता धीरे से दबा के अपनी
उंगली और अंगूठे के बीच निपल को लेकर पीस देता. दिव्या: मत करो . दीपक:
मेरे तरफ तो देखो जानू ...दिव्या सिर झुकाए नीचे देख रही थी उसकी साँसे
तेज चल रही थी जिस वजह से उसकी चुचिया उपर नीचे हो रही थी . दिव्या ने
धीरे से अपना चेहरा उपर किया उसकी आँखों मे भी वासना सॉफ देखी जा सकती थी
. दोनो एक दूसरे के गले लग गये . दीपक का सिर फिर से दिव्या के गोद मे हो
लिया . सिर उसकी जाँघ पे रखते ही दोनो गोलाइयाँ मुँह को छू रही थी बाए
निपल पर जीभ का स्पर्श पाते ही दिव्या थोड़ा हिल सा गयी . दीपक ने निपल
मुँह मे लिया और चूसने लगा दूसरे निपल को हाथ से सहला रहा था . दिव्या
बहुत गरम हो चुकी थी नीचे पानी बह रहा था अगर दीपक 2मिनट मे ना हटा तो
...... दिव्या: आहह दीपक रूको दीपक सुनने के मूड मे तो था नही .और ज़ोर
से निपल को चूसे जा रहा था दिव्या ने दीपक के बालो को ज़ोर से पकड़ा और
अपनी छाती मे दीपक के सिर को ज़ोर से दबा दिया . दिव्या झाड़ चुकी थी
सांसो की आवाज़ तेज़ी से आ रही आवाज़धीरे हो रही थी .दीपक समझ चुका था के
दिव्या ठंडी पड़ चुकी है . दीपक एक बार फिर उठा और चारो तरफ देखा दूर तक
फिर कोई नज़र नही आ रहा था . दीपक खड़े खड़े ही पलटा तो नीचे बैठे दिव्या
के सामने दीपक का लंड जीन्स की अंदर ही खड़ा था . दीपक ने नीचे देखा
दिव्या के नज़रे सामने ही थी. दीपक नीचे बैठा दिव्या को ब्रा पहनाने मे
मदद की पर अभी तक दीपक का तंबू खड़ा ही था . दिव्या के जीन्स पे पानी का
छोटा सा धब्बा बन चुका था . दीपक नेअपने होंठ फिर दिव्या केहोंठो पर रखे
इस बार दिव्या ने अपना हाथ दीपक की गरम सल्लाख पर रख दिया था दीपक होंठो
को चुस्से जा रहा था दिव्या ने जीन्स की ज़िप नीचे करी . लंड बाहर था
दिव्या ने चुंबन जारी रखते हुए लंड पर नज़र डाली और उतेजेति हो गयी ....
"ठक ठक" दरवाज़े पर दस्तक हुई बाहर खड़ा धर्मशाला का मॅनेजर ज़ोर ज़ोर से
दरवाज़ा खड़का रहा था . दीपक बेड से खड़ा हुआ गेट की चटकनी नीचे करी .
मॅनेजर: अरे बाबू कब से जगा रहा हू पर तुम तो घोड़े बेच के सो रहे हो.
दीपक: वो रात को नींद ठीक से नही आई सुबह आँख लगी तो उठना मुश्किल हो गया
माफ़ कीजिए. मॅनेजर: आछा,बाबू तुम्हारा कमरा खाली करने का टाइम हुआ ,आगे
कमरा रखना है . दीपक: नही मे अभी खाली करता हू बस नहा लू. दीपक ने घड़ी
के तरफ देखा 9:30ए.एम बज रहे थे उसे आज अपनी मा से मंदिर मे मिलना था .
धर्मशाला से बाहर निकलते ही दीपक मंदिर के रास्ते पे हो लिया पर उसको भूख
भी लगी थी. एक ठेले पे जा कर दीपक खड़ा हुआ . दीपक: भैया दो पाव देना .
बगल मे गद्दी से नीचे उतरते दो लोग एक लड़का एक लड़की . दीपक को चेहरा
चमका वो थोड़ा छुपा . लड़की उसकी गर्ल फ्रेंड दिव्या थी लड़का गाड़ी से
दूसरी तरफ घूमते हुए दिव्या के करीब आया कमर मे हाथ डाला और बोला
"डार्लिंग" चलो अंदर चले सामने एक रेस्टोरेंट था .दीपक की भूक मिट चुकी
थी. दीपक मंदिर मे खड़ा मा का इंतेज़ार कर रहा था . दूर से उसने अपनी मा
और चंपा को मंदिर की सीडिया चढ़ते देखा .दीपक ने अपनी मा को इतने दिन बाद
देखा था जैल मे भी मा को मिलने नही दिया था . दीपक जैसे ही आगे बड़ा
मंदिर की सीडियो के पास दो लोग सादी पॅंट शर्ट मे बाइक से उतरे दीपक रुका
.वो दोनो लोग शक्ल से ही पोलीस वाले लग रहे थे .उसमे से एक ने दूसरे को
उपेर जाने का इशारा किया दूसरा पोलीस वाला सीडिया चढ़ते हुए मंदिर का
मुआयना करने लगा . चंपा हर तरफ देख रही थी पर दीपक का कोई पता नही था .
इतने मे ही चंपा को दीपक ने दीवार के पीछे की तरफ खींचा चंपा के मुँह पर
अपना हाथ रख दिया सस्स्शह. चंपा चुप खड़ी हो गयी बड़ी हैरानी से देख रही
थी. दीपक: पोलीस भी है यहा . चंपा: क्या. कहा पर . चंपा पीछे मुड़ने लगी
दीपक ने चंपा का हाथ खींचा और साइड मे ले गया ...वो मुझे ढूंड रहे है .
चंपा: पर मा जी को कैसे मिलोगे . दीपक: एक काम करो . चंपा: क्या? दीपक
चंपा के कान मे कुछ बोला और चंपा चुपके से वाहा से चल दी. चंपा उस लंबे
कद के पोलीस वाले के पास जा कर खड़ी हो गयी . चंपा ने अपने कुर्ते के उपर
से चुन्नी को नीचे कर दिया ताकि पोलीस वाले को खाई दिख सके और हुआ भी वही
चंपा हाथ मे थाली लिए वही खड़ी थी और उपर से पोलीस वाला आँखें फाड़ रहा
था. इंदु: भगवान मेने कौन से पाप किए थे जो तुम मुझे ये सज़ा दे रहे हो (
आँखों मे आँसू छलक पड़े) इंदु को एहसास हुआ के किसी ने उसके पैर को छुआ
था . इंदु पीछे मूडी दीपक को देखा मा बेटे अपने को रोक नही पाए दोनो एक
दूसरे के गले लग के फुट पड़े. दीपक इंदु को मंदिर के पीछे ले गया. दीपक:
मा तुम केसी हो. इन्दुरोते हुए) दीपु बेटा तेरी मा बस तेरे लिए ज़िंदा हे
अगेर तू नही होता तो तेरी मया कब का ज़हेर खा के मर जाती. दीपक: नही मा
अब तुम्हारे सिवा मेरा कौन हे अगेर तुम ऐसा सोचोगी तो मैं तो वैसे ही मर
जाउन्गा . इंदु: बेटा मेने ऐसे कौन से पाप किए थे जो हमारे साथ ऐसा हुआ
.मेरा बच्चा जैल मे वो भी अपने पिता और बेहन के खून के केस मे ( इंदु
रोते जा रही थी उसकी तबीयत ठीक नही थी ) इंदु ने अपने आँसू पोंछे और अपनी
सारी का कोना पकड़ के दीपक के आँखों के पानी को सॉफ किया . क्रमशः......
KAUN SACHA KAUN JHUTHA paart -04 gataank se aage......... divyaa: koi
dekh lega... deepak: koi nahi dekhega .itni dhup he kaun aayega yaha .
divyaa: chalo na yaha se . deepak: abhi chalte he yar .dhire se apna
hath divyaa ke mummye par le gaya aur aaram se sehlane laga. divyaa :
aahhh issss . deepak thoda age hua aur divyaa ke hontho se honth mila
diye. divya bhi uska pura sath de rahi thi .aisa lagta tha mano vo bhi
aaj ye sab karna chahti thi. deepak ne khade hokar nazar idher udher
ghumaiye dur tak koi nahi dikha depak niche wapas pedoo ke jhundh me
ho liya. deepak: i love u divyaa .me tum se bahut pyar karta hu. mene
mummy ko bhi tumahre bare me bata diya he ab me tumahre bina nahi jee
sakta. ye baat sunte he divyaa ,deepak ke gal lag gayi . divyaa: sach.
deepak : haan yar . mummy tujh se milna bhi chahti he .sahi time dekh
ke me tujhe milwa bhi dunga. divya: oh depak i love u ....dono ek
dusre ke bahon me the . deepak bar-2 divyaa ke mummye ko daba raha tha
. deepak: yar aaj mujhe ye(mummye ke taraf ishara karte hue) dikha do
na ( bache ke aandaz me bola) divyaa: nahi. deepak: yaar bus ek baar
to dikha do . divyaa: naahhhii! tum kapdo ke upar se he dekh lo (
huste hue) hehe. deepak apna hath divyaa ke kamar par le gaya aur top
ko uper karne laga .divyaa ne uske hath ko pakad liya. deepak ne jhat
se apne honth fir uske hontho pe rakh diye. dhire -2 top ko uper karne
laga divya aur garam ho gayi thi use maza aane laga tha .usne ab
virodh karna bhi chhod diya tha. pura top ab divyaa ke garden par tha
deepak ki aankhon ke saamne aisa nazara tha vo khushi me pagal ho raha
tha.stylish black bra upar se dono adh nange mummye madmast lag rahe
the. dhire deepak hath ko piche le gaya aur bra kholne laga .par vo
anadi tha bra nahi khula. deepak: yaar tum khol do na divyaa : nahi me
kyu kholo tumne sab kuch kiya he tum he kholo aur agar na khul paye to
hum yaha se chalte he( aankhon me ek ajib sa nasha tha) deepak uth ke
piche gaya aur bra ka starp kholne laga . bra ke khulte he deepak fat
se age ko aaya .dono golaiya saaf nazar ke saamne thi . deepak ne age
hath badaya aur bra ko niche ke aur dhakelne laga. deepak: divyaa tum
bahut sunder ho. hath age bada daye nipple par ja laga divyaa ke
ahhein chhut rahi thi . lab se lab jud chuke the aur niche deepak ke
hath apna kaam kar rahe the .pyar se dono mummo ko sehlata dhire se
daba ke apni ungli aur anghothe ke bich nipple ko lekar pissss deta.
divyaa: mat karo . deepak: mere taraf to dekho janu ...divyaa sir
jhukaye niche dekh rahi thi uski saanse tej chal rahi thi jis wajha se
uski chuchiya upar niche ho rahi thi . divyaa ne dhire se apna chehra
upar kiya uski aankhon me bhi vaasna saaf dekhi ja sakti thi . dono ek
dusre ke gale lag gaye . deepak ka sir fir se divya ke goad me ho liya
. sir uski jhangh pe rakhte he dono golaiya mu ko chuu rahi thi baye
nipple par jibh ka sparsh pate he divyaa thoda hil sa gayi . deepak ne
nipple muu me liya aur chusne laga dusre nipple ko hath se sehla raha
tha . divyaa bahut garam ho chuki thi niche pani beh raha tha agar
deepak 2min me na hata to ...... divyaa: aahhh deepak ruko deepak
sunne ke mud me to tha nahi .aur zor se nipple ko chue ja raha tha
divyaa ne deepak ke baalo ko zor se pakda aur apni chatti me deepak ke
sir ko zor se daba diya . divyaa jhad chuki thi saanso ki awaz tezi se
aa rahi dhire ho rahi thi .deepak samjh chuka tha ke divyaa thandi pad
chuki he . deepak ek baar phir utha aur charro taraf dekha dur tak fir
koi nazar nahi aa raha tha . deepak khade khade he palta to niche
baithe divyaa ke saamne deepak ka lund jeans ki ander he khada tha .
deepak ne niche dekha divyaa ke nazre saamne he thi. deepak niche
baitha divyaa ko bra pehnane me madad ki par abhi tak deepak ka tambu
khada he tha . divyaa ke jeans pe pani ka chotta sa dhaba ban chuka
tha . deepak apne honth phir hontho par rakhe is baar divyaa ne apna
hath deeapk ke garam sallakh par rakh diya tha deepak hontho ko chusse
ja raha tha divyaa na jeans ki ziiiipp niche kari . lund bahar tha
divyaa ne chumban jari rakhte hue lund par nazar daali aur utejeti ho
gayi .... "THAK THAK" darwaze par dastak hue bahar khada dharmshala ka
manager zor zor se darwaza khadka raha tha . deepak bed se khada hua
gate ki chatkani niche kari . manager: are babu kab se jaga raha hu
par tum to ghode bech ke soo rahe ho. deepak: vo raat ko nind thik se
nahi ayi subha aankh lagi to uthna mushkil ho gaya maaf kijiye.
manager: aacha,babu tumhra kamra khali karne ka time hua ,age kamra
rakhna he . deepak: nahi me abhi khali karta hu bus naha lu. deepak ne
ghadi ke taraf dekha 9:30a.m baj rahe the use aaj apni maa se mandir
me milna tha . dharmshala se bahar nikalte he deepak mandir ke raste
pe ho liya per usko bhukh bhi lagi thi. ek thele pe ja kar deepak
khada hua . deepak: bhaiya do pau dena . bagal me gaddi se niche
utarte do log ek ladka ek ladki . deepak ka chehra chamka wo thoda
chupa . ladki uski gf divyaa thi ladka gadi se dusri taraf ghumte hue
divyaa ke karib aaya kamar me hath dala aur bola "DARLING" chalo ander
chale saamne ek resturant tha .deepak ki bhuk mit chuki thi. deepak
mandir me khada maa ka intezaar kar raha tha . dur se usne apni ma aur
champa ko mandir ki sidiya chadte dekha .deepak ne apni maa ko itne
din baad dekha tha jail me bhi maa ko milne nahi diya tha . deepak
jaise he age bada mandir ki sidiyo ke pass do log sadi pant shirt me
bike se utre deepak ruka .vo dono log shakl se he police wale lag rahe
the .usme se ek ne dusre ko uper jane ka ishara kiya dusra police wala
sidiya chadte hue mandir ka muayna karne laga . champa her taraf dekh
rahi thi par deepak ka koi pata nahi tha . zor se champa ko depak ne
diwar ke piche ke taraf khincha champa ke muu par apna hath rakh diya
sssshhhhhhhhhhhh. champa chup khadi ho gayi badi hairani se dekh rahi
thi. deepak: police bhi he yaha . champa: kya. kaha par . champa piche
mudne lagi deepak ne champa ka hath khincha aur side me le gaya ...wo
mujhe dhund rahe he . champa: par maa ji ko kaise miloge . deepak: ek
kaam karo . champa: kya? deepak champa ke kaan me kuch bola aur champa
chupke se waha se chal di. champa us lambe kad ke police wle ke pass
ja kar khadi ho gayi . champa ne apne kurte ke upar se chunni ko niche
kar diya taki police wale ko khai dikh sake aur hua bhi wahi champa
hath me thali liye wahi khadi thi aur upar se police wala aankhein
faad raha tha. indu: bhagwan mene kaun se paap kiye the jo tum mujhe
ye saj de rahe ho ( aankhon me aanso chalak pade) indu ko ehsas hua ke
kise ne uske pair ko chua tha . indu piche mudi deepak ko dekha maa
bete apne ko rok nahi paye dono ek dusre ke gale lag ke fut pade.
deepak indu ko mandir ke piche le gaya. deepak: maa tum kesi ho.
indurote hue) depu beta tere maa bus tere liye zinda he ager tu nahi
hota to tere maa kab ka zeher kha ke mar jati. deepak: nahi maa ab
tumare siwa mera kaun he ager tum aisa sochogi to me to waise he mar
jaunga . indu: beta mene aise kaun se paap kiye the jo humare sath
aisa hua .mera bacha jail me wo bhi apne pita aur behan ke khoon ke
case me ( indu rote ja rahi thi uski tabiyat thik nahi thi ) indu ne
apne aanso ponche aur apni saree ka kona pakad ke deepak ke aankhon ke
pani ko saaf kiya . kramashah...... Tags = Future | Money | Finance |
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