Sunday, October 24, 2010

.ब्लॉगस्पोट.कॉम बदला पार्ट--42

.ब्लॉगस्पोट.कॉम

बदला पार्ट--42

गतान्क से आगे..

"पता नही,मम्मी.मैं जब उठी तो कमरे मे नही थे."

"अच्छा,यही कही होगा.",देविका बहू की सेहत के बारे मे सवाल करने लगी
लेकिन जब 45 मिनिट तक भी प्रसून नही आया तो दोनो औरतें चिंतित हो उठी.

"ज़रा देखो भाय्या कहा हैं?",देविका ने नौकरो को दौड़ाया मगर प्रसून का
कही पता ना चला.11 बजते तक दोनो औरतो की खुशी काफूर हो चुकी थी & प्रसून
की चिंता ने उन्हे आ घेरा था.एस्टेट मे हर तरफ प्रसून की खोज हो रही थी
लेकिन वो कही नही मिल रहा था.बात इंदर के कानो तक पहुँची तो वो भागता हुआ
बंगल पे पहुँचा.

"मुझे लगता है,मॅ'म पोलीस को इत्तिला कर देनी चाहिए.",पोलीस के नाम से
रोमा की रुलाई छूट गयी.

"अरे रोती क्यू है बेटा?मिल जाएगा.यही कही होगा.",देविका ने इंदर को आँखो
से ऐसा करने का इशारा किया & रोमा को उसके कमरे मे ले गयी.उसने कैसे अपने
धड़कते दिल को काबू मे रखा था ये वोही जानती थी.

"नमस्ते,मेडम.",हलदन के थाने से 1 इनस्पेक्टर अपनी टीम के साथ आया था
जिसे इंदर ने सारी बात बताई थी,"हम क्षोटन छाबे हैं.ये बताइए की आख़िरी
बार आपके बेटे को कौन देखा था?",पान से रंगे दाँत & ढीला-ढाला सा ये आदमी
उसके बेटे का पता लगाएगा देविका को भरोसा नही था.

"मेरी बहू ने."

"ज़रा उनसे मिलवाये तो.",ड्रॉयिंग रूम मे रोने से लाल हुई आँखो को
पोन्छ्ति रोमा आई & देविका के साथ बैठ गयी,"कब देखे थे आप आख़िरी बार
प्रसून जी को?"

"जी रात को 1-1.30 बजे सोने के पहले."

"अच्छा.सवेरे कितने बजे उठी आप?"

"8 बजे."

"तब ऊ वाहा नही थे माने आपके कमरा मे?"

"नही."

"हूँ.",क्षोटन चौबे के जबड़े तेज़ी से चलने लगे.साथ आया हवलदार समझ गया
की उसके साहब का दिमाग़ घूमना शुरू हो गया है,पान चबाने की रफ़्तार से आप
छ्होटन चौबे के दिमाग़ के चलने का अंदाज़ा लगा सकते थे.

"मॅनेजर साहब."

"जी."

"एस्टेट का कोई नक्शा-उक्षा है?"

"है ना."

"तो चलिए देखते हैं."

इंदर के ऑफीस मे डेस्क पे नक्शा फैलाए क्षोटन चौबे अपने आदमियो को
निर्देश दे रहा था,"तुम लोग यहा पोल्ट्री फार्म के तरफ जाओ..तुम लोग खेत
के तरफ..ई क्या है?"

"झील है,सर."

"तुम झील पे जाओ पर मच्चली-उच्छली मत मारने लगना.",अपने मज़ाक पे चौबे आप
ही हंस दिया,"मॅनेजर साहब,हर जगह कह दीजिए कि हमारे हवलदरो के साथ आपके
कुच्छ आदमी लग जाएँ जोकि उनका मदद करें.पहले तो आपका एस्टेट देखना पड़ेगा
जब तक की कोई फोन-उन नही आता है."

"फोन?"

"हाँ,अगर प्रसून अगवा हो गया होगा तो फोन आएगा ना भाई."

"आपको ऐसा लगता है?"

"अरे,हम पोलीस वाले हैं सरकार,हमको सब लगता है.चलिए पहले जो बोले हैं ऊ
काम तो कीजिए."

"ठीक है."

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दोपहर हो चुकी थी & अभी तक किसी भी खोजी दल को प्रसून का पता नही चला
था.चौबे देविका के साथ बैठा था,"1 बात बताइए,मेडम?"

"पुच्हिए.",देविका को ये इंसान ज़रा भी पसंद नही आ रहा था.

"आपका या आपके परिवार का किसी से दुश्मनी वग़ैरह तो नही है?"

"नही.क्यू?"

"क्यूकी मामला किडनॅपिंग का भी हो सकता है."

"एस्टेट के अंदर से.क्या बात करते हैं,इनस्पेक्टर?!!ऐसा कैसे हो सकता है?"

"होने को तो कुछो हो सकता है,मेडम.",तभी चौबे के दिमाग़ मे बिजली सी
कौंधी,"अरे..",उसने अपने हवलदार को तलब किया,"..ऊ नक्शा लाओ जल्दी!",चौबे
के जबड़े तेज़ी से चल रहे थे.हवलदार के नक्शा लाते ही चौबे ने उसे मेज़
पे फैलाया,"ई जगह क्या है?",उनसे नक्शे पे उंगली रखी.

"ये तो टीला है."

"टीला?",हां,एस्टेट की सबसे ऊँची जगह.यहा पे ना खेती हो सकती है ना और
कुच्छ तो ऐसे ही खाली पड़ी है.एस्टेट के लोग & हम सब कभी-कभार पिक्निक
मनाने या बस ऐसे ही घूमने जाते हैं."

"विरेलेस्स पे बोल की जो टीम टीला के पास है टीला को भी चेक करे."

चौबे के दिमाग़ का कोई जोड़ नही था,प्रसून की खबर टीले पे ही
मिली,"अच्छा.",चौबे ने वाइर्ले अपने हवलदार को वापस किया,"आपका बेटा मिल
गया है,मेडम.",चौबे की आवाज़ बहुत संजीदा थी,"..मगर.."

"मगर क्या,इनस्पेक्टर?"

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शाम ढाल रही थी.दूर आसमान मे सूरज डूब रहा था & सहाय परिवार के बंगल के
अहाते मे पूरी एस्टेट के वर्कर्स भरे हुए थे.थोड़ी देर पहले ही सवेरे से
गायब प्रसून अपने घर लौटा था-मुर्दा.चौबे की बात सुन प्रसून की मा & बीवी
बेहोश हो गयी थी.इंदर ने नौकरो की मदद से किसी तरह उन्हे संभाला & वीरेन
& कामिनी को खबर दी.इतनी भीड़ थी मगर सब खामोश थे.सबके ज़हन मे बस 1 ही
सवाल गूँज रहा था की आख़िर प्रसून जैसे मासूम इंसान का क़त्ल किसने किया?

जी हां,प्रसून का क़त्ल हुआ था.लाश पोस्टमॉर्टम के लिए पंचमहल सिविल
हॉस्पिटल भेजने से पहले जब चौबे ने उसका मुआना किया तो उसे अंदाज़ा हो
गया था की प्रसून की हत्या किसी च्छुरी या धारदार हथ्यार से हुई है.उसने
आंब्युलेन्स को रवाना किया ही था की तभी वाहा 1 कार आके रुकी जिसमे से
बौखलाया वीरेन सहाय उतरा & धड़-धड़ाता हुआ बंगले के अंदर घुस गया.देविका
& रोमा 1 दूसरे के गले से लगी रोमा के कमरे मे बैठी उसे मिली.दोनो औरते
जैसे बुत बन गयी थी.

वीरेन अपनी भाभी के करीब आया.दोनो की नज़रे मिली & जैसे देविका के अंदर
कोई बाँध टूट गया.जब वो होश मे आई तब बस उसे अपनी बहू की ही फ़िक्र थी &
उसी के लिए उसने अपने गम को काबू मे रखा था मगर वीरेन के आने ने वो रोक
हटा दी & देविका की रुलाई छूट गयी.बाहर अहाते मे खड़े लोगो ने जब वो दर्द
भरी चीख सुनी जोकि केवल 1 मा के ही गले से निकल सकती है,तो सभी के दिल
कांप गये & सभी ने दिल ही दिल मे उस घिनोने आदमी को जिसने ये गलिज़ काम
किया था को दिल से बद्दुआ दी.

वीरेन ने आगे बढ़ के देविका को गले से लगा लिया.देविका उसके सीने मे मुँह
च्छुपाए ज़ोर-2 से रोए जा रही थी.उसे ऐसे रोता देखा रोमा को भी रुलाई आ
गयी & वो भी वीरेन के सीने से लग गयी.वीरेन की आँखो से भी आँसू बह रहे थे
मगर वो जानता था की इन दोनो के गम के आगे उसका दुख कुच्छ भी नही.वो उन्हे
सीने से लगाए बस हिम्मत बांधता रहा.

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जब कामिनी को ये मनहूस खबर मिली तो वो मुकुल & रश्मि के साथ अपने कॅबिन
मे बैठी थी,"क्या?!!",कामिनी ने फोन रखा & फ़ौरन मोहसिन जमाल को फोन
लगाया & उसे सारी बात बताई.

"मॅ'म,मैं उसे ढूनडने की कोशिशे तेज़ कर देता हू.",मोहसिन ने फोन काट दिया.

"शिवा,तुमने ये अच्छा नही किया.",कामिनी बुदबुदाई & अपने दफ़्तर से निकल गयी.

क्रमशः.........................


बदला पार्ट--42

गतान्क से आगे..

"pata nahi,mummy.main jab uthi to kamre me nahi the."

"achha,yehi kahi hoga.",devika bahu ki sehat ke bare me sawal karne
lagi lekin jab 45 minute tak bhi prasun nahi aaya to dono auraten
chintit ho uthi.

"zara dekho bhaiyya kaha hain?",devika ne naukro ko daudaya magar
prasun ka kahi pata na chala.11 bajte tak dono aurato ki khushi kafoor
ho chuki thi & prasun ki chinta ne unhe aa ghera tha.estate me har
taraf prasun ki khoj ho rahi thi lekin vo kahi nahi mil raha tha.baat
Inder ke kano tak pahunchi to vo bhagta hua bungle pe pahuncha.

"mujhe lagta hai,ma'am police ko ittila kar deni chahiye.",police ke
naam se roma ki rulayi chhut gayi.

"are roti kyu hai beta?mil jayega.yehi kahi hoga.",devika ne inder ko
aankho se aisa karne ka ishara kiya & roma ko uske kamre me le
gayi.usne kaise apne dhadakte dil ko kabu me rakha tha ye vohi janti
thi.

"namaste,madam.",Haldan ke thane se 1 inspector apni team ke sath aaya
tha jise inder ne sari baat batayi thi,"hum Chhotan Chabey hain.ye
bataiye ki aakhiri baar aapke bete ko kaun dekha tha?",paan se range
dant & dhila-dhala sa ye aadmi uske bete ka pata lagayega devika ko
bharosa nahi tha.

"meri bahu ne."

"jara unse milawaiye to.",drawing room me rone se laal hui aankho ko
ponchhti roma aayi & devika ke sath baith gayi,"kab dekhe the aap
aakhiri baar prasun ji ko?"

"ji raat ko 1-1.30 baje sone ke pehle."

"achha.savere kitne baje uthi aap?"

"8 baje."

"tab oo vaha nahi the mane aapke kamra me?"

"nahi."

"hun.",chhotan chaubey ke jabde tezi se chalne lage.sath aaya hawaldar
samajh gaya ki uske sahab ka dimagh ghumna shuru ho gaya hai,paan
chabane ki raftar se aap chhotan chaubye ke dimagh ke chalne ka andaza
laga sakte the.

"manager sahab."

"ji."

"estate ka koi naksha-uksha hai?"

"hai na."

"to chaliye dekhte hain."

inder ke office me desk pe naksha failaye chhotan chaubey apne aadmiyo
ko nirdesh de raha tha,"tum log yaha poultry farm ke taraf jao..tum
log khet ke taraf..ee kya hai?"

"jhil hai,sir."

"tum jhil pe jao par machhli-uchhli mat marne laga.",apne mazak pe
chaube aap hi hans diya,"manager sahab,har jagah kah dijiye ki humare
hawaldaro ke sath aapke kuchh aadmi lag jayen joki unka madad
karen.pehle to aapka estate dekhna padega jab tak ki koi fone-un nahi
aata hai."

"fone?"

"haan,agar prasun agwa ho gaya hoga to fone aayega na bhai."

"aapko aisa lagta hai?"

"are,hum police wale hain sarkar,humko sab lagta hai.chaliye pehle jo
bole hain oo kaam to kijiye."

"thik hai."

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dopahar ho chuki thi & abhi tak kisi bhi khoji dal ko inder ka pata
nahi chala tha.chaube devika ke sath baitha tha,"1 baat
bataiye,madam?"

"puchhiye.",devika ko ye insan zara bhi pasanad nahi aa raha tha.

"aapka ya aapke parivar ka kisi se dushmani vagairah to nahi hai?"

"nahi.kyu?"

"kyuki mamla kidnapping ka bhi ho sakta hai."

"estate ke andar se.kya baat karte hain,inspector?!!aisa kaise ho sakta hai?"

"hone ko to kuchho ho sakta hai,madam.",tabhi chaube ke dimagh me
bijli si kaundhi,"are..",usne apne hawaldar ko talab kiya,"..oo naksha
lao jaldi!",chaube ke jabde tezi se chal rahe the.hawaldar ke naksha
late hi chaube ne use mez pe failaya,"ee jagah kya hai?",unse nakshe
pe ungli rakhi.

"ye to teela hai."

"teela?",haan,estate ki sabse oonchi jagah.yaha pe na kheti ho sakti
hai na aur kuchh to aise hi khali apdi hai.estate ke log & hum sab
kabhi-kabhar picnic manane ya bas aise hi ghumne jate hain."

"wireless pe bol ki jo team teela ke paas hai teela ko bhi check kare."

chaube ke dimagh ka koi jod nahi tha,prasun ki khabar teele pe hi
mili,"achha.",chaube ne wireless apne hawaldar ko vapas kiya,"aapka
beta mil gaya hai,madam.",chaubey ki aavaz bahut sanjeeda
thi,"..magar.."

"magar kya,inspector?"

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sham dhal rahi thi.door aasmaan me suraj doob raha tha & Sahay parivar
ke bungle ke ahate me puri estate ke workers bhare hue the.thodi der
pehle hi savere se gayab prasun apne ghar lauta tha-murda.chaube ki
baat sun prasun ki maa & biwi behosh ho gayi thi.inder ne naukro ki
madad se kisi tarah unhe sambhala & Viren & Kamini ko khabar di.itni
bhid thi magar sab khamosh the.sabke zehan me bas 1 hi sawal gunj raha
tha ki aakhir prasun jaise masoom insan ka qatl kisne kiya?

ji haan,prasun ka qatl hua tha.lash postmortem ke liye Panchmahal
Civil Hospital bhejne se pehle jab chaube ne uska muana kiya to use
andaza ho gaya tha ki prasun ki hatya kisi chhuri ya dhardar hathyar
se hui hai.usne ambulance ko ravana kiya hi tha ki tabhi vaha 1 car
aake ruki jisme se baukhlaya Viren Sahay utra & dhadadata hua bungle
ke andar ghus gaya.devika & roma 1 dusre ke gale se lagi roma ke kamre
me baithi use mili.dono aurate jaise but ban gayi thi.

viren apni bhabhi ke karib aaya.dono ki nazre mili & jaise devika ke
andar koi bandh toot gaya.jab vo hosh me aayi tab bas use apni bahu ki
hi fikr thi & usi ke liye usne apne gham ko kabu me rakha tha magar
viren ke aane ne vo rok hata di & devika ki ru7lai chhut gayi.bahar
ahate me khade logo ne jab vo dard bhari chikh suni joki keval 1 maa
ke hi gale se nikal sakti hai,to sabhi ke dil kanp gaye & sabhi ne dil
hi dil me us ghinone aadmi ko jisne ye galiz kaam kiya tha ko dil se
baddua di.

viren ne aage badh ke devika ko gale se laga liya.devika uske seene me
munh chhupaye zor-2 se roye ja rahi thi.use aise rota dekha roma ko
bhi rulai aa gayi & vo bhi viren ke seene se lag gayi.viren ki aankho
se bhi aansu beh rahe the magar vo janta tha ki in dono ke gham ke
aage uska dukh kuchh bhi nahi.vo unhe seene se lagaye bas himmat
bandhata raha.

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jab kamini ko ye manhus khabar mili to vo Mukul & Rashmi ke sath apne
cabin me baithi thi,"kya?!!",kamini ne fone rakha & fauran Mohsin
jamal ko fone lagaya & use sari baat batayi.

"ma'am,main use dhoondane ki koshishe tez kar deta hu.",mohsin ne fone
kaat diya.

"Shiva,tumne ye achha nahi kiya.",kamini budbudayi & apne daftar se nikal gayi.


आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj

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