बदला पार्ट--36
गतान्क से आगे...
सवेरे देविका की नींद खुली तो उसने देखा की वो बिस्तर पे अकेली है.उसने
सोचा तो उसे ख़याल आया की रात वो कब सोई उसे याद ही नही था.वो उठी तो
उसने देखा की उसकी नाइटी की स्लिट उसकी कमर तक उठी थी & उसकी दाई टांग &
जाँघ कमर तक नुमाया थी.ये सोच के इंदर ने उसे ऐसे देखा होगा शर्म & खुशी
की मिली-जुली लहर उसके दिल मे दौड़ गयी.
वो कपड़े बदल बाहर आई,अब घर वापस जाने का वक़्त हो गया था.शुरू मे इंदर &
वो 1 दूसरे से नज़रे नही मिला पा रहे थे मगर थोड़ी देर बाद दोनो सहज हो
गये थे & साथ-2 बंगल पे लौट गये.
"मॅ'म,कल हमे पंचमहल जाना है.आपको याद है ना?"
"हां,इंदर.11 बजे तक चलेंगे."
"ओके,मॅ'म.",देविका बंगल के अंदर आई & कल के कपड़े धोने के लिए नौकरानी
को देने लगी.इंदर के लिए उसने प्रसून का ही नाइटसूट मंगवा दिया था & बॅग
से निकाल नौकरानी को देते हुए उसका ध्यान सूट के पाजामे पे गया जिसके
सामने 1 बड़ा सा धब्बा बना हुआ था.देविका ने धब्बे को गौर से देखा & फिर
उसे सब समझ आ गया..तो जनाब गे नही हैं!..& रात रोमा की आहो ने उनका हाल
भी बुरा कर दिया था.उसकी तरह इंदर ने भी अपने हाथ से काम चलाया था....तो
उसने उसे क्यू नही पुकारा?..वो भी तो उसी के जैसे तड़प रही थी....क्या
अच्छी नही लगती मैं उसको?..देविका नौकरानी के जाने के बाद बाथरूम मे खड़ी
अपने नंगे जिस्म को शीशे मे निहार रही थी..ऐसा तो नही था..कल जीप मे जब
उसकी गोद मे गिरी थी उस वक़्त उसकी आँखो मे उसने अपने हुस्न की तारीफ &
उसके जिस्म की करीबी से पैदा हुई बेताबी सॉफ देखी थी....उसकी शराफ़त की
कायल हो गयी वो....उस वक़्त जब दुनिया का कोई भी मर्द बड़ी आसानी से
कमज़ोर हो जाता & उसे अपनी बाहो मे खींच लेता उस वक़्त भी इंदर ने अपनी
मर्यादा नही भूली थी.अब देविका को उसके करीब जाने का ख़याल और भी महफूज़
लगने लगा.
"ओह..इंदर..थोड़े तो बदमाश बनो!!",देविका बत्टूब मे बैठ गयी.इन ख़यालो से
उसका जिस्म फिर से दुखने लगा था.उसने बाया हाथ उसके सीने पे उसकी बाई
चूची को सहलाने लगा मानो दिल को समझा रहा हो & दाया उसकी चूत के दाने
पे.1 बार फिर देविका इंदर को सोच अपने जिस्म से खेलने लगी.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
सब्ज़ियो से लदे ट्रक मे मज़दूर के कपड़े पहने शिवा एस्टेट से बाहर जा
रहा था.रात वो चोरी से बंगल मे घुसा था,उसका इरादा था बस 1 बार अपनी
जान,अपनी महबूबा किए हसीन चेहरे का दीदार करने का मगर वो वाहा नही थी.उसे
मलाल था इस बात का मगर 1 बात की खुशी भी थी.उसका दिल उसके दिमाग़ से जीत
गया था.उसने अपने कुर्ते की जेब टटोली,वो चीज़ जो इंदर ने फेंकी थी उसने
ढूंड निकाली थी.वो नारंगी रंग की डिबिया जिसका रंग & जिसकी लिखावट बारिश
& धूप सहते-2 थोड़ा धुंधले पड़ गये थे मगर जिनके अंदर की दवा हैरत्नगेज़
रूप से अभी भी महफूज़ थी.शिवा की समझ मे इंदर की चाल आ गयी थी & अब उसका
इंदर से बदले का इरादा और भी पुख़्ता हो गया था.
"मॅ'म,बहुत देर हो गयी है.मुझे नही लगता इतनी रात गये एस्टेट वापस लौटना
सेफ होगा.रास्ता लंबा & सुनसान है.",पंचमहल मे अपने कस्टमर्स से मीटिंग
करते हुए कब रात के 11 बज गये इंदर & देविका को पता भी नही चला.जब इंदर
ने अपनी घड़ी पे नज़र डाली तब उसे होश आया.
"तुम्हारी बात तो ठीक है,इंदर."
"तो आज रात किसी होटेल मे कमरे ले लेते हैं.कल सवेरे-2 निकल
पड़ेंगे.",इंदर ने देविका के लिए वार का दरवाज़ा खोला.
"होटेल की क्या ज़रूरत है,हमारा बुंगला है यहा.वही चलो.",इंदर ड्राइविंग
सीट पे बैठ गया था & चाभी इग्निशन मे डाल रहा था.
"ठीक है.रास्ता बताइए."
-------------------------------------------------------------------------------
"वीरेन,मुझे शिवा की 1 तस्वीर & कुच्छ डीटेल्स चाहिए होंगे जैसे उसने
एस्टेट कब जाय्न की थी,उसके पहले कहा था वग़ैरह-2.",रेस्टोरेंट मे बैठी
कामिनी ने वाहा की स्पेशल बिरयानी का 1 नीवाला चम्चे से अपने मुँह के
हवाले किया.
"हूँ..बिरयानी लाजवाब है!",वीरेन ने जैसे उसकी बात सुनी ही नही थी.
"वीरेन!",कामिनी ने अपना चमचा नीचे रखा & वीरेन की ओर गुस्से से देखा.
"सुन लिया बाबा!",वीरेन ने जल्दी से नीवाला निगला,"..मगर इसके लिए तो
देविका से बात करनी पड़ेगी.1 काम करते हैं,इस वीकेंड एस्टेट चलते
हैं.रोमा भी बार-2 फोन करती रहती है की वाहा जाके प्रसून को कुच्छ
पैंटिंग सिखाऊँ."
"ठीक है.",कामिनी के चेहरे पे अभी भी हल्के गुस्से की झलक थी.
"क्या जान!",वीरेन ने अपना चमचा नीचे रख मेज़ पे रखे कामिनी के हाथ पे
अपना हाथ रखा,"..पहले तो इतनी बढ़िया बिरयानी खिलाने ले आती हो & उसके
ज़ायके मे जब डूब जाता हू तो काम की बात छेड़ देती हो.अब तुम्हारी बात
ठीक से नही सुनी इसके लिए मुझसे क्यू इस बिरयानी से खफा हो ना!मत खाओ
इसे!",वीरेन की बात पे कामिनी को हँसी आ गयी & रहा-सहा गुस्सा भी काफूर
हो गया.
"मैं बस इतना कह रही हू,वीरेन की प्लीज़ होशियार रहो.जब तक शिवा हमे नही
मिल जाता समझो ख़तरा बना हुआ है.",कितनी ग़लत थी कामिनी!उस बेचारी को
क्या पता था की शिवा सहाय परिवार का बुरा नही चाहता था बल्कि उस से
ज़्यादा बड़ा परिवार का शुभचिंतक तो शायद कोई था ही नही.
-------------------------------------------------------------------------------
क्रमशः.................
बदला पार्ट--36
गतान्क से आगे...
savere devika ki nind khuli to usne dekha ki vo bistar pe akeli
hai.usne socha to use khayal aaya ki raat vo kab soyi use yaad hi nahi
tha.vo uthi to usne dekha ki uski nighty ki slit uski kamar tak uthi
thi & uski dayi tang & jangh kamar tak numaya thi.ye soch ke inder ne
use aise dekha hoga sharm & khushi ki mili-juli lehar uske dil me daud
gayi.
vo kapde badal bahar aayi,ab ghar vapas jane ka waqt ho gaya tha.shuru
me inder & vo 1 dusre se nazre nahi mila pa rahe the magar thodi der
baad dono sahaj ho gaye the & sath-2 bungle pe laut gaye.
"ma'am,kal hume Panchmahal jana hai.aapko yaad hai na?"
"haan,inder.11 baje tak chalenge."
"ok,ma'am.",devika bungle ke andar aayi & kal ke kapde dhone ke liye
naukrani ko dene lagi.inder ke liye usne Prasun ka hi nightsuit mangwa
diya tha & bag se nikal naukrani ko dete hue uska dhyan suit ke pajame
pe gaya jiske samne 1 bada sa dhabba bana hua tha.devika ne dhabbe ko
gaur se dekha & fir use sab samajh aa gaya..to janab gay nahi hain!..&
raat Roma ki aaho ne unka haal bhi bura kar diya tha.uski tarah inder
ne bhi apne hath se kaam chalaya tha....to usne use kyu nahi
pukara?..vo bhi to usi ke jaise tadap rahi thi....kya achhi nahi lagti
main usko?..devika naukarani ke jane ke baad bathroom me khadi apne
nange jism ko sheeshe me nihar rahi thi..aisa to nahi tha..kal jeep me
jab uski god me giri thi us waqt uski aankho me usne apne husn ki
tarif & uske jism ki karibi se paida hui betabi saaf dekhi thi....uski
sharafat ki kayal ho gayi vo....us waqt jab duniya ka koi bhi mard
badi asani se kamzor ho jata & use apni baaho me khinch leta us waqt
bhi inder ne apni maryada nahi bhuli thi.ab devika ko uske karib jane
ka khayal aur bhi mehfuz lagne laga.
"oh..inder..thode to badmash bano!!",devika bathtub me baith gayi.in
khayalo se uska jism fir se dukhne laga tha.usne baya hath uske seene
pe uski bayi choochi ko sehlane laga mano dil ko samjha raha ho & daya
uski chut ke dane pe.1 baar fir devika inder ko soch apne jism se
khelne lagi.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
sabziyo se lade truck me mazdoor ke kapde pehne shiva estate se bahar
ja raha tha.raat vo chori se bungle me ghusa tha,uska irada tha bas 1
baar apni jaan,apni mehbooba kie haseen chehre ka deedar karne ka
magar vo vaha nahi thi.use malal tha is baat ka magar 1 baat ki khushi
bhi thi.uska dil uske dimagh se jeet gaya tha.usne apne kurte ki jeb
tatoli,vo chiz jo inder ne fenki thi usne dhoond nikali thi.vo narangi
rang ki dibiya jiska rang & jiski likhawat barish & dhoop sehte-2
thoda dhundhle pad gaye the magar jinek andar ki dawa hairatnagez roop
se abhi bhi mehfuz thi.shiva ki samajh me inder ki chaal aa gayi thi &
ab uska inder se badle ka irada aur bhi pukhta ho gaya tha.
"Ma'am,bahut der ho gayi hai.mujhe nahi lagta itni raat gaye estate
vapas lautna safe hoga.rasta lamba & sunsan hai.",Panchmahal me apne
customers se meeting karte hue kab raat ke 11 baj gaye Inder & Devika
ko pata bhi nahi chala.jab inder ne apni ghadi pe nazar dali tab use
hosh aya.
"tumhari baat to thik hai,inder."
"to aaj raat kisi hotel me kamre le lete hain.kal savere-2 nikal
padenge.",inder ne devika ke liye var ka darwaza khola.
"hotel ki kya zarurat hai,humara bungla hai yaha.vahi chalo.",inder
driving seat pe baith gaya tha & chabhi ignition me daal raha tha.
"thik hai.rasta bataiye."
-------------------------------------------------------------------------------
"Viren,mujhe Shiva ki 1 tasvir & kuchh details chahiye honge jaise
usne estate kab join ki thi,uske pehle kaha tha
vagairah-2.",restaurant me baithi Kamini ne vaha ki special biryani ka
1 nivala chamche se apne munh ke havale kiya.
"hun..biryani lajawab hai!",viren ne jaise uski baat suni hi nahi thi.
"viren!",kamini ne apna chamcha neeche rakha & viren ki or gusse se dekha.
"sun liya baba!",viren ne jaldi se nivala nigla,"..magar iske liye to
devika se baat karni padegi.1 kaam karte hain,is weekend estate chalte
hain.Roma bhi baar-2 fone karti rehti hai ki vaha jake Prasun ko kuchh
painting sikhaoon."
"thik hai.",kamini ke chehre pe abhi bhi halke gusse ki jhalak thi.
"kya jaan!",viren ne apna chamcha neeche rakh mez pe rakhe kamini ke
hath pe apna hath rakha,"..pehle to itni badhiya biryani khilane le
aati ho & uske zayke me jab doob jata hu to kaam ki baat chhed deti
ho.ab tumhari baat thik se nahi suni iske liye mujhse kyu is biryani
se khafa ho na!mat khao ise!",viren ki baat pe kamini ko hansi aa gayi
& raha-saha gussa bhi kafur ho gaya.
"main bas itna keh rahi hu,viren ki please hoshiyar raho.jab tak shiva
hume nahi mil jata samjho khatra bana hua hai.",kitni galat thi
kamini!us bechari ko kya pata tha ki shiva Sahay parivar ka bura nahi
chahta tha balki us se zyada bada parivar ka shubhchintak to shayad
koi tha hi nahi.
-------------------------------------------------------------------------------
kramashah.................
आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj
--
No comments:
Post a Comment