Saturday, October 23, 2010

बदला पार्ट--1

बदला पार्ट--1

हेल्लो दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी बदला लेकर
आपके लिए हाजिर हूँ दोस्तों ये कहानी भी मजेदार और कई पार्ट में हैं अब
कहानी का मजा लीजिये और बताइये कहानी आपको कैसी लगी
"आइए-2,सहाय साहब....बैठिए!",केसवानी ने अपनी कुर्सी से उठ के सुरेन सहाय
का स्वागत किया.

"नमस्ते केसवानी जी!क्या हाल है?",दोनो ने हाथ मिलाया & फिर सुरेन जी
उसके डेस्क के सामने रखी 1 कुर्सी पे बैठ गये.उनके साथ 1 और शख्स आया था
जोकि हाथ मे 1 लेदर बॅग पकड़े उनके पीछे ही खड़ा रहा.

"बस आपकी दुआ है."

"ये लीजिए..आपकी पेमेंट.",सहाय जी ने हाथ पीछे किया तो उस शख्स ने बॅग मे
से 1 स्चेक बुक & 1 नोटो की गद्दी निकाल के उन्हे थमा दी,"....70%स्चेक &
बाकी कॅश.",सहाय जी ने स्चेक काट के कॅश के साथ केसवानी को थमा दिया.

"अरे....सहाय साहब आपने इसके लिए इतनी तकलीफ़ क्यू की?अपने किसी आदमी को
ही भेज दिया होता...",केसवानी ने नोटो & स्चेक को अपने डेस्क की दराज़ के
हवाले किया.

"आप तो जानते ही हैं,केसवानी जी की शाम लाल जी ने जबसे हमारा मॅनेजर का
काम छ्चोड़ा है,हमे ही सब देखना पड़ रहा है."

"जी,वो तो है.अब शाम लाल जी जैसा दूसरा आदमी मिलना भी तो मुश्किल है."

"बिल्कुल सही फरमाया आपने..",1 नौकर शरबत के ग्लास रख गया तो सहाय जी ने
उसे उठा कर 1 घूँट भरा,"..लेकिन वो भी क्या करते....पता है केसवानी साहब
वो हमारे साथ तब से थे जब मैं कॉलेज मे पढ़ाई करता था.बिज़्नेस के सारे
काम..ये पेमेंट्स लेना या देना सब वही संभालते थे..मुझे तो कभी लगा ही
नही था की वो हमे छ्चोड़ के जाएँगे मगर वो भी क्या करते?बेटा वाहा
बॅंगलुर मे बस गया अब चाहता था की मा-बाप उसी के साथ रहें..ऐसे मे कौन
इंसान नौकरी के चक्कर मे पड़ा रहेगा.",उन्होने 1 और घूँट भरा,"..बड़े
किस्मत वाले हैं शाम लाल जी..जवान बेटे ने उनकी ज़िम्मेदारी अब अपने कंधे
ले ली है.",उनके चेहरे पे जैसे 1 परच्छाई सी आके गुज़र गयी.

"अच्छा..अब इजाज़त दीजिए,केस्वनी जी.",सहाय जी उठ खड़े हुए & अपने उस
आदमी के साथ वाहा से निकल गये.

"सारा काम निपट गया,शिवा.",अपनी मर्सिडीस की पिच्छली सीट पे बैठ के
उन्होने ड्राइवर को चलने का इशारा किया.

"हां,सर."

"तो तुम जाके अपने भाई & उसके परिवार से मिल आओ..",उन्होने अपनी घड़ी को
देखा,"..अभी 4 बज रहे हैं..9 बजे तक आ जाना,फिर हम घर के लिए निकल
जाएँगे.",कार पंचमहल की सड़को पे दौड़ रही थी.

"ठीक है,सर.",शिवा सहाय जी का बॉडीगार्ड था.ऐसा नही था कि सहाय जी को कोई
जान का ख़तरा था मगर वो 1 पक्के बिज़्नेसमॅन जानते थे कि 1 व्यापारी को
रुपये पैसो के मामले मे एहतियात बरतनी ही चाहिए.

शिवा कोई 10 साल पहले उनके पास काम के लिए आया था लेकिन शिवा के बारे मे
जानने से पहले हम थोड़ा सहाय जी के बारे मे जान लेते हैं.सुरेन सहाय
रायबहादुर मथुरा सहाय के पोते & कैलाश सहाय के बेटे थे.सहाय ख़ानदान का
अगर कोई सबसे बड़ा गुण था तो वो था समय के साथ चलना & वक़्त की ज़रूरतो
के मुताबिक खुद को ढाल लेना.

मथुरा सहाय को अंग्रेज़ो ने रायबहादुर के खिताब से नवाज़ा था.पंचमहल से
आवंतिपुर जाने वाले हाइवे पे पंचमहल से कोई 50 किमी की दूरी पे 1 कस्बा
पड़ता है हलदन.इस कस्बे के आते ही अगर आप हाइवे से बाई तरफ निकल रही सड़क
पे चले जाएँ तो सहाय एस्टेट मे दाखिल हो जाएँगे.

मथुरा जी के पास थोड़ी सी ज़मीन थी जिसे उन्होने अंग्रेज़ो को खुश करके
बहुत बढ़ा लिया था.उनके बाद जब कैलाश जी ने उनकी जगह ली तो उन्होने नये-2
आज़ाद हुए मुल्क की सरकार को खुश करके सहाय एस्टेट की नीव रखी.इस वक़्त
कयि एकर्स मे फैली इस संपत्ति के बस दो वारिस थे सुरेन जी & उनका छ्होटा
भाई वीरेन सहाय जिसे कभी भी खानदानी बिज़्नेस मे कोई दिलचस्पी नही रही तो
1 तरह से अभी इस पूरी मिल्कियत के अकेले मालिक सुरेन जी ही थे.

सुरेन जी ने भी अपने पूर्वाजो के नक्शे कदम पे चलते हुए बिज़्नेस को नयी
बुलंदियो तक पहुँचाया.एस्टेट की ज़मीनो पे गेहू & हरी सब्ज़ियो के
खेत,पोल्ट्री फार्म,डेरी & 1 घोड़ो का स्टड फार्म था.पूरे पंचमहल &
आवंतिपुर के बाज़ारो मे सब्ज़ी,गेहू & पोल्ट्री प्रॉडक्ट्स-अंडे & मीट के
सबसे बड़े सुप्पलायर्स थे सहाय जी.अब तो उन्होने 1 आटा मिल भी खोल ली थी
& अपने गेहू को पिसवा कर उसकी पॅकिंग कर बाज़ारो मे बेच रहे थे.

यू तो हमारे मुल्क मे जुआ 1 जुर्म है मगर 1 जुआ है जोकि लगभग हर बड़े शहर
मे खेल जाता है & उसे क़ानून की मंज़ूरी भी मिली हुई है,वो है घुड़
दौड़.इन दौड़ो मे रईसो के घोड़े दौड़ते हैं.अब कुच्छ तो खुद इन घोड़ो को
पालते हैं मगर ये घोड़े आते कहा से हैं-स्टड फार्म्स से.सहाय फार्म्स
मुल्क के नामी गिरामी लोगो को घोड़े मुहैय्या कराता था.

सुरेन जी को बिज़्नेस मे बहुत मन लगता था & उसे वो हरदम आगे बढाने के
नयी-2 तरकीबे सोचते रहते थे.इसी वजह से उनका धंधा बड़ी तेज़ी से फल-फूल
रहा था.उनके बरसो पुराने मॅनेजर शाम लाल के जाने से उन्हे इधर 1 महीने से
थोड़ी परेशानी उतनी पड़ रही थी & इसे दूर करने के लिए वो 1 नये मॅनेजर की
तलाश मे जुटे हुए थे.

अब शिवा के बारे मे भी जान लेते हैं.सुरेन जी को खुद के अलावा बस 3 और
लोगो पे भरोसा था-1 तो शाम लाल जी,दूसरी उनकी बीवी & तीसरा शिवा.कोई 10
साल पहले की बात है जब शिवा उनके पास आया.सुरेन जी की एस्टेट कोई 3-4
बड़े गाओं के बराबर थी.इतनी बड़ी प्रॉपर्टी की केवक़ल देखभाल ही नही
हिफ़ाज़त भी ज़रूरी थी.देखभाल के लिए तो दुनिया भर के लोग थे मगर
हिफ़ाज़त के लिए सुरेन जी को 1 बहुत ही भरोसेमंद & ज़िम्मेदार आदमी की
तलाश थी.

अभी तक तो वो बस कुच्छ चौकीदारो के भरोसे ही थे.पूरी एस्टेट के चारो तरफ
बाँस & लकड़ी की बल्लियो की 1 5 1/2 फिट ऊँची बाड थी मगर ये बस एस्टेट की
सीमा बताने का काम करती थी,चोरो को रोकने का नही.इधर चोरिया कुच्छ
ज़्यादा बढ़ गयी थी,कभी कोई बकरी उठा ले जाता तो कभी सब्ज़िया उखाड़
लेता.सुरेन जी जानते थे की यही छ्होटी-मोटी चोरिया आगे जाके किसी बड़े
नुकसान का भी सबब बन सकती हैं.24 घंटे एस्टेट की निगरानी करना पोलीस के
बस का भी नही था,इसके लिए तो उन्हे खुद ही कुच्छ करना था.

शिवा जब उनके पास आया वो 30 बरस का था & उसने फौज मे 5 साल बिताए थे.उसका
इंटरव्यू लेते हुए सुरेन जी ने उस से एस्टेट की सेक्यूरिटी की बाबत ही
सारे सवाल पुच्छे & उसके जवाबो ने उन्हे काफ़ी प्रभावित किया.उनकी
तजुर्बेदार आँखो ने उसपे दाँव लगाने की ठान ली & उसे एस्टेट सेक्यूरिटी
इंचार्ज बना दिया.शिवा ने भी उन्हे निराश नही किया & 2 महीनो के अंदर ही
उसने 50 गार्ड्स की टीम तैय्यार कर ली & अपने फौज के तजुर्बे का इस्तेमाल
करके एस्टेट की पूरी सेक्यूरिटी का पक्का बंदोबस्त कर दिया.

शिवा 1 6'4" का सलीके से कटे बालो & पतली मूच्छो वाला तगड़ा मर्द था.उसकी
सबसे बड़ी ख़ासियत थी की वो अपने काम से काम रखता था & बहुत कम बोलता
था.सुरेन जी तो उसकी वफ़ादारी के कायल थे & 3 साल बीतते-2 उन्होने उसे
एस्टेट के 1 घर से उठा के अपने बंगले मे रख लिया.उस बंगले मे जहा की
सिर्फ़ वो अपनी बीवी & बेटे के साथ रहते थे.जब भी वो कही जाते शिवा साए
की तरह उनके साथ होता.साल मे बस 2 बार-होली & दीवाली,पे 2 दीनो के लिए वो
पंचमहल मे रह रहे अपने बड़े भाई के पास जाता लेकिन इस बार शाम लाल जी की
वजह से उसे 1 और मौका मिल गया था उनसे मिलने का.

रास्ते मे शिवा कार से उतर गया & कार सहाय साहब के शहर के बंगले की ओर
बढ़ी चली.शिवा ने 1 टॅक्सी पकड़ी & अपने भाई के घर की ओर चला गया.ठीक उसी
वक़्त 1 मारुति स्विफ्ट उनकी कार के पीछे लग गयी.मर्सिडीस उनके बंगले मे
दाखिल हो गयी तो वो स्विफ्ट कुच्छ दूरी पे रुक गयी & उसे चलाने वाला
ड्राइवर अपनी नज़र बंगल के गेट पे गड़ाए बैठा रहा.

थोड़ी अर बाद 1 टॅक्सी गेट पे रुकी & उसमे से 1 जवान लड़की उतरी & गेट पे
खड़े गार्ड से कुच्छ कहा.उसे देखते ही उस आदमी ने स्विफ्ट आगे बधाई &
बंगल के सामने से होता हुआ बंगले के बगल की गली मे घुस गया.उसने कार
बंगले की दीवार से लगाई & फुर्ती के साथ बाहर उतरा.उसने अपने चेहरे पे 1
काला नक़ाब पहना हुआ था जिसमे से बस उसकी आँखे नज़र आ रही थी.उसने आस-पास
देखा,गली हमेशा की तरह सुनसान थी.उसने 1 महीने पहले से रोज़ यहा का
जायज़ा लिया था & पूरी प्लॅनिंग करने के बाद ही यहा आया था.

उसने पैरो मे रब्बर सोल वाले जूते पहने थे & हाथो मे दस्ताने.वो कार की
छत पे चढ़ गया & फिर वाहा से बंगले की दीवार पे & अगले ही पल वो बंगले की
लॉन की घास पे था.थोड़ी ही देर मे वो बंगले मे दाखिल हो चुका था.

"हां?",बंगले के बेडरूम मे आके सुरेन जी ने अपने कपड़े उतारना शुरू किया
ही था की तभी इंटरकम बजा,"..हां,मैने ही बुलाया था उसे उपर मेरे कमरे मे
भिजवा दो.",सहाय साहब की उम्र 50 बरस की थी & उनका कद था 5'10",उम्र के
साथ उनकी तोंद थोड़ी निकल आई थी,सामने से उड़ चुके सफेद बालो को उन्होने
खीज़ाब से ढँक लिया.आमतौर पे इस उम्र मे इंसान थोड़ा सयम से जीने की
कोशिश करता है मगर सुरेन जी के साथ ऐसा नही था.उन्हे जवानी मे जो
शराब,शबाब & कबाब का शौक लगा था वो अभी तक वैसे ही बरकरार था.इस शौक ने
उनकी सेहत को नुकसान भी पहुँचाया था,उनका दिल अब पहले जैसा मज़बूत नही
रहा था.

मामले की नज़ाकत समझते हुए उन्होने शराब & कबाब को तो काफ़ी हद तक कम कर
दिया मगर शबाब के साथ उन्होने कोई कमी नही की.जब से वो जवान हुए थे,यहा
तक की शादी के बाद भी वो हर महीने कम से कम 1 बार अपनी एस्टेट से बाहर
किसी शहर का चक्कर ज़रूर लगाते & अपने इस शौक को पूरा करते.

आज भी उनके इसी शौक को पूरा करने वो कल्लगिर्ल यहा आई थी,"हेलो,सर!",उस
खूबसूरत लड़की ने कमरे मे कदम रखा तो सर हिला के उसकी हेलो का जवाब देते
हुए सुरेन जी ने उसे सर से पाँव तक निहारा.लड़की ने बहुत कसी हुई सफेद
रंग की पतलून पहनी थी & उसके उपर पीले रंग का वैसे ही कसा हुआ टॉप.ये कसा
लिबास उसके जिस्म की गोलाईयो को और उभार रहा था.सुरेन जी ने सारे कपड़े
उतार दिए थे & बस अंडरवेर मे थे,"..आप तो पहले से ही तैय्यार
हैं,सर.",लड़की मुस्कुराइ & अपने कपड़े उतारने लगी.

सुरेन जी बिस्तर के हेडबोर्ड से टेक लगाके बैठ गये & उसे नंगी होते देखने
लगे.लड़की अपने पेशे मे माहिर थी.बड़ी अदा से वो अपने जिस्म को नुमाया कर
रही थी & जब तक उसने अपनी पतली सी पॅंटी को अपनी कमर से नीचे सरकया तब तक
सुरेन जी का अंडरवेर 1 तंबू की शक्ल इकतियार कर चुका था.

लड़की गोरी थी & उसकी चूचे & गंद काफ़ी बड़े & भरे-2 थे.अपने हाथो से
अपनी चूचियो को दबाते हुए उनके काले निपल्स को मसल कर कड़ा करते हुए वो
मुस्कुराते हुए अपने ग्राहक की ओर बढ़ने लगी.तभी सुरेन जी को कुच्छ याद
आया,"सुनो..वो मेरे कोट की जेब मे 1 दवा की डिबिया है,ज़रा निकाल कर
लाओ.",पास की कुर्सी पे पड़े अपने कपड़ो की ओर उन्होने इशारा किया.

नारंगी रंग की छ्होटी सी डिबिया उनके हवाले कर लड़की उनके सामने बैठ गयी
& उनकी छाती के बालो पे हाथ फिराते हुए उनके सीने को चूमने लगी.सुरेन जी
ने डिबिया मे से 1 गोली निकाली & खा ली & फिर डिबिया को पलंग के बगल मे
रखे साइड-टेबल पे रख दिया.लड़की के सर को अपने सीने से उठा के उन्होने
उसके होंठो पे अपने होठ कस दिए & उनके हाथ उसकी नंगी पीठ & कमर पे घूमने
लगे.लड़की थोड़ा आगे हो उनसे बिल्कुल चिपक गयी & अपनी चूचिया उनके सीने
पे दबा दी.सुरेन जी उसकी गंद दबाते हुए उसकी गर्दन चूमने लगे.लड़की आहे
भर मस्त होने का नाटक करने लगी.

सहाय साहब जानते थे कि वो नाटक कर रही है मगर उन्हे इस से कुच्छ
लेना-देना नही था,उन्हे तो बस अपने मज़े से मतलब था.उन्होने लड़की की
गर्दन से सर उठाया & उसके सर को फिर से अपने सीने पे दबा दिया,वो उनका
इशारा समझ गयी.उनके सीने को चूमते हुए वो नीचे जाने लगी & थोड़ी ही देर
बाद उसके लाल लिपस्टिक से रंगे होंठ उनके 6 इंच लंबे लंड पे कसे हुए
थे.सुरेन जी उसके सर को अपने लंड पे दबाते हुए उसकी ज़ुबान का पूरा
लुत्फ़ उठा रहे थे.लड़की ने अपनी कलाकारी दिखना शुरू कर दिया,उनके लंड को
मज़बूती से जकड़े वो कभी उसे मुँह मे भर चुस्ती तो कभी बाहर निकाल कर बस
उसपे जीभ फिराने लगती.

सुरेन जी ने मस्ती मे आँखे बंद कर ली.ठीक उसी वक़्त वो नक़ाबपोश उनके
कमरे की बाल्कनी पे कूद के आया,रब्बर के जूतो ने ना के बराबर आवाज़ की
थी.उसने देखा की कमरे का शीशे का दरवाज़ा बंद है.उसने पिच्छले 1 महीने मे
इस घर का चप्पा-2 देख लिया था & इस दरवाज़े को बाहर से खोलने की तरकीब भी
निकाल ली थी.उसने दोनो दरवाज़ो के हॅंडल पकड़ के पानी तरफ मज़बूती से
खींचा,ऐसा करने से अंदर से लगी च्षिटकॅनी ढीली हो गयी & दरवाज़े के उपर
की चौखट मे लगे उसके छेद से नीचे सरक गयी.उसने दरवाज़े को बस 1 इंच खोला
तो अंदर से आ रही आहो की आवाज़े ने उसे अंदर का हाल बयान कर दिया.

उसने बड़ी सावधानी से हल्के से दरवाज़े को खोल अंदर सर घुसाया,उस शीशे के
दरवाज़े के दाई तरफ की दीवार से सटे ही पलंग & उसके दोनो तरफ साइड-टेबल्स
लगे थे.उसने सर घुसा के दाए घुमाया तो उसे वो कल्लगिर्ल बिस्तर पे पीठ के
बल लेटी दिखाई दी & उसकी टाँगो के बीचे मुँह घुसाए उसकी चूत चाटने मे
मशगूल सुरेन जी. कल्लगिर्ल अब सच मे मस्ती मे पागल हो गयी थी.सुरेन जी की
जीभ उसके दाने को चाट रही थी & उनकी उंगली लगातार उसकी चूत के अंदर-बाहर
हो रही थी.

नक़ाबपोश ने सर पीछे खींचा मगर तभी उसकी नज़र साइड-टेबल पे पड़ी दवा की
डिबिया पे पड़ी..इसी के लिए तो वो यहा आया था..कब से वो सुरेन जी के पीछे
बस इस छ्होटी सी डिबिया के लिए ही पड़ा था.उसने हाथ बढ़ा के डिबिया को
उठाना चाहा मगर ठीक उसी वक़्त सुरेन जी ने लड़की की चूत से सर उठाया &
उसके उपर आ गये & उसके होंठो को चूमने लगे.नक़ाबपोश बिजली की तेज़ी से
पीछे हो गया.मंज़िल के इतना करीब आके वो अब ग़लती नही कर सकता था..उसका
पूरा प्लान तो बस सब्र पे ही टीका था.आज के काम के बाद भी उसे बहुत सब्र
से काम लेना था.उसने अपनी पॅंट की जेब मे हाथ डाला & 1 हिप फ़्लास्क
निकाला..बाकी लोगो को शराब बेक़ाबू कर देती है मगर उसे..उसे तो यही काबू
मे रखती थी..वो वही बाल्कनी पे बैठ गया & जल्दी से 2-3 घूँट भरे,फिर आँखे
बंद की & अपना ध्यान अंदर से आ रही आवाज़ो पे लगा दिया.

कल्लगिर्ल ने अपने उपर सवार सुरेन जी की किस का जवाब देते हुए अपना हाथ
नीचे ले जाके उनके लंड को अपनी चूत का रास्ता दिखाया.उसके कंधो को थामे
उसे चूमते हुए सुरेन जी ने फ़ौरन धक्के लगाने शुरू कर दिए.हर धक्के पे
लड़की की आहें और तेज़ हो जाती.उसने अपनी टाँगे उनके कमर पे कस दी थी &
उन्हे बाहो मे भरे नीचे से कमर हिला रही थी.सुरेन जी थोड़ी देर तक वैसे
ही उसे चोद्ते रहे,"..अब तुम मेरे उपर आ जाओ.",वो उसके दाए कान मे
फुसफुसाए.

लड़की ने फ़ौरन उनके कंधे पकड़ के करवट लेते हुए उन्हे अपने नीचे किया &
फिर उनकी छाती पे अपनी चूचियो को दबाए हुए उन्हे चूमते हुए अपनी कमर
हिलाने लगी.सुरेन जी ने उसकी चौड़ी गंद को अपने हाथो मे कस लिए & उसे
मसल्ने लगे,"..ऊऊओवव्वव....!",लड़की उठ के बैठ गयी & उनके सीने पे अपनी
हथेलिया जमा के तेज़ी से अपनी कमर हिलाने लगी.सुरेन जी ने उसकी चूचियो को
पकड़ के उसके निपल्स को मसल दिया,"...आअननह....!",लड़की ने उनकी कलाई
पकड़ के नीचे की तो उन्होने उसकी बाहो को थाम लिया & नीचे खींचा.1 बार
फिर लड़की उनके सीने से चिपकी कमर हिला रही थी मगर इस बार सुरेन जी ने
अपने घुटने मोड & उसकी कमर को अपनी बाहो मे जकड़ा & नीचे से बड़ी तेज़ी
से कमर उचकते हुए उसके धक्को के जवाब मे बड़े क़ातिल धक्के लगाने
लगे,"..आअहह...ऊओ....आआअननह....ऊउउई....!",लड़की की आहे अब बहुत तेज़ हो
गयी थी,सुरेन जी समझ गये कि वो झाड़ रही थी.

उन्होने उसे बाहो मे जकड़े हुए धक्के लगाना रोका & 1 बार फिर करवट ले उसे
अपने नीचे कर लिया,फिर अपनी कोहनियो पे अपना वज़न रख कर थोडा उपर हो उसकी
चूचियो को मसलते हुए ज़ोर-2 से धक्के लगाने लगे.लड़की दोबारा झड़ने लगी &
इस बार उसके झाड़ते ही सुरेन जी ने भी अपना सारा पानी उसकी चूत मे छ्चोड़
दिया.

नक़ाबपोश बाहर बैठा अंदर की आवाज़ो पे कान लगाए था.शाम ढल चुकी थी & अब
बत्तिया जलने लगी थी.उसने गौर किया की अंदर से अब आवाज़े आना बंद हो गयी
थी यानी की चुदाई ख़त्म हो चुकी थी.वो खड़ा हुआ & दरवाज़े पे कान
लगाया,"..बाथरूम किधर है,सर.",लड़की की आवाज़ उसके कान मे पड़ी.

"उधर..",फिर लड़की के बिस्तर से उतर के बाथरूम मे जाने की आवाज़ आई.फिर
उसे बाथरूम मे पानी गिरने की आवाज़ आई & फिर लड़की
चीखी,"..ऊओवव..!",नक़ाबपोश ने फ़ौरन दरवाज़ा खोला अंदर सर घुसाया,"..आपने
तो मुझे डरा ही दिया!",सुरेन जी लड़की के पीछे-2 बाथरूम मे चले गये थे &
अब अंदर से दोनो की अठखेलियो की आवाज़े आ रही थी.

नक़ाबपोश कमरे मे दाखिल हुआ & वो डिबिया उठा ली,फिर अपनी जेब से बिल्कुल
वैसी ही 1 दूसरी डिबिया निकाल.उसने दोनो डिबिया को खोल के देखा,फिर अपनी
वाली डिबिया मे से कुच्छ गोलिया निकाल के अपनी जेब मे डाल दोनो मे गोलियो
की मात्रा बराबर की & फिर उसे सुरेन जी की डिबिया की जगह रख दिया & उनकी
डिबिया को अपनी जेब मे रख जिस रास्ते आया था उसी रास्ते चला गया.

थोड़ी ही देर बाद उसकी स्विफ्ट वाहा से निकल चुकी थी.उसका काम हो गया था
बस अब उसे बैठ के इंतेज़ार करना था.सुरेन जी ने लड़की को पैसे देके विदा
किया & तैय्यार होने लगे.कुच्छ ही देर मे शिवा भी आ जाता & फिर दोनो को
वापस एस्टेट लौटना था.उन्होने कोट के बटन बंद किए & कमरे से बाहर निकल
गये की तभी उन्हे कुच्छ याद आया,वो वापस कमरे मे आए & सी-टेबल से अपनी
दवा की वो डिबिया उठा ली & अपनी जेब मे रख ली.उनका कमज़ोर दिल उनकी
अययाशी मे अड़चन ना बने इसके लिए डॉक्टर ने उन्हे ये दवा दी थी.उसने कहा
था कि जब भी उन्हे किसी भी एग्ज़ाइट्मेंट का अंदेशा हो तो वो 1 गोली खा
लें,इस से उनका दिल संभला रहेगा.ये दवा ना होती तो वो शायद ही जिस्मानी
रिश्तो का लुत्फ़ इस कदर उठा पाते.

उन्होने मन ही मन डॉक्टर को दुआ दी & नीचे खाने की मेज़ की ओर चले गये.

आड्वोकेट संतोष चंद्रा के बंगले के अंदर ड्राइवर ने कार रोकी तो कामिनी
नीचे उतरी.शाम के ढलते सूरज मे लाल सारी & मॅचिंग स्लीवेलेस्स ब्लाउस मे
कामिनी का गोरा रंग जैसे और चमक उठा था.

गेट पे खड़े गार्ड ने उसे हसरत भरी निगाह से देखा मगर जैसे ही कामिनी ने
उसकी तरफ नज़रे की उसने अपनी निगाहे झुका ली.उन भरोसे & हौसले से भरी
आँखो से नज़र मिलाने की हिम्मत सभी मे नही होती थी.

"आओ,आज वक़्त मिला है तुम्हे!",मिसेज़.चंद्रा ने पाई छुट्टी कामिनी को
उपर बिठाया,"अजी सुनते हो!देखो कौन आया है!",उन्होने चंद्रा साहब को
आवाज़ दी.

"अरे कामिनी..तो तुम्हे फ़ुर्सत मिल ही गयी!",तीनो ड्रॉयिंग रूम के सोफॉ
पे बैठ गये.

"लगता है,आप दोनो ने आज मुझे शर्मिंदा करने की सोची हुई है....मैं क्या
करती आंटी,इतना काम ही था इधर..आप तो जानती ही हैं उन दोनो केसस के चलते
मैं और केसस पे धान नही देपा रही थी.सब निपटा के पहली फ़ुर्सत मे सीधा आप
ही के पास आई हू.",कामिनी ने 1 गहरी निगाह अपने गुरु चंद्रा साहब पे
डाली.

कामिनी शत्ृजीत सिंग & करण मेहरा के केसस के बारे मे बात कर रही थी जिसे
उसने कुच्छ ही दिन पहले सुलझाया था.अपने पति विकास से तलाक़ के बाद उसने
तय कर लिया था कि वो अब अपनी ज़िंदगी भरपूर जिएगी & उसका पूरा मज़ा
उठाएगी.शत्रुजीत & करण दोनो ही उसके प्रेमी थे जोकि 1 बहुत बड़ी साज़िश
के शिकार हुए थे.कामिनी ने दोनो को मुसीबत से निकाला था.इसके बाद करण तो
अपने पिता के पास लंदन चला गया मगर शत्रुजीत से कामिनी की मुलाक़ातें
लगातार होती रही थी लेकिन कुच्छ दीनो बाद दोनो को रिश्ते मे 1 ठहराव सा
आता महसूस होने लगा था & नतीजा ये था की अब दोनो की मुलाक़ातें भी कम ही
गयी थी.

तलाक़ के बाद कामिनी ने अपने गुरु को भी उनके दिल मे अपने लिए छुपे चाहत
के एहसासो का खुल के इज़हार करने के लिए उकसाया था & पिच्छले कुच्छ महीनो
से दोनो उनकी बीवी & बाकी दुनिया की नज़रो से छुपा के जम के 1 दूसरे की
चाहत का मज़ा उठा रहे थे.

"..मैं नही आ पाई तो आप तो आ सकते थे!",बात तो उसने मिसेज़.चंद्रा से कही
थी मगर उसका इशारा चंद्रा साहब की ओर था.वो बड़े हल्के से मुस्कुराए.बातो
का रुख़ दूसरी ओर मुड़ा की तभी फोन बजा & मिसेज़.चंद्रा उसे उठाने के लिए
चली गई.

कामिनी अपनी सेहत & अपने रूप का पूरा ख़याल रखती थी.उसका भरा-2 जिस्म
बिल्कुल कसा हुआ था & इस वक़्त भी स्लीवेलेस्स ब्लाउस से झाँकति उसकी
मांसल,गोरी बाहें बिल्कुल पुष्ट नज़र आ रही थी.कामिनी ने जो ब्लाउस पहना
था वो पीछे से 1 गाँठ से बँधा था यानी की उसमे हुक्स या बटन नही थे.पीछे
से गाँठ खोलने से ही ब्लाउस खुलता.इस ब्लाउस मे उसकी पीठ का बड़ा हिस्सा
नज़र आ रहा था.

जब चंद्रा साहब ने ड्रॉयिंग रूम मे कदम रखा था तब कामिनी की पीठ उनकी ओर
थी & उनका ध्यान तुरंत अपनी शिष्या की पीठ & पतली कमर पे गया था & तभी
उनके लंड मे हरकत शुरू हो गयी थी.कामिनी बड़े सोफे पे बैठी थी & उसके दाए
तरफ के सिंगल-सीटर छ्होटे सोफे पे उसके गुरु.उनके पीछे थोडा हट के
डाइनिंग टेबल लगा था & उसके बाद की दीवार से लगे शेल्फ पे फोन रखा था
जिसपे मिसेज़.चंद्रा किसी से बात कर रही थी.

"ब्रा पहना है तुमने?"

"क्या?!",कामिनी चौंक पड़ी मगर फिर शोखी से मुस्कुराते हुए उसने उनकी
आँखो मे आँखे डाल दी,"आपको क्या लगता है?"

"ह्म्म....हो सकता है पहना हो..वैसे तुम्हे ज़रूरत तो है नही."

"अच्छा?"

"हां.तुम्हार जैसी कसी चूचिया जिसकी हो उसे सहारे की क्या ज़रूरत!"

कामिनी को हँसी आ गयी,कुच्छ ही दूर पे मिसेज़.चंद्रा खड़ी थी & उनकी
मौजूदगी मे ऐसी बाते करने मे उसे अजीब सा मज़ा मिल रहा था.उसे याद आया कि
जब वो पिच्छली बार यहा आई थी तो घर के दूसरे हिस्से मे बने चंद्रा साहब
के ऑफीस मे बंद होके उन्होने कितनी मस्ती की थी & मिसेज़.चंद्रा बेचारी
यही सोचती रही की दोनो काम के सिलसिले मे बात कर रहे हैं.

"अच्छा बताओ किस रंग का है?",चंद्रा साहब अपने पाँव के अंगूठे से उसके
सॅंडल मे से झाँकते पैर को सहला रहे थे.

"क्या?",कामिनी पे हल्की-2 मस्ती च्छा रही थी.उसने 1 नज़र मिसेज़.चंद्रा
पे डाली,वो अभी भी फोन पे लगी हुई थी & अपने पैरो को सॅंडल्ज़ से निकाल
लिया ताकि उसके गुरु आसानी से उसके पैरो को सहला सके.

"तुम्हारे ब्रा & पॅंटी?"

"लाल.",उनका दाया पैर कामिनी के दाए पैर से उपर उसकी पिंडली को सहला रहा था.

"क्या नज़ारा होगा वो भी जब तुम्हारा गोरा बदन केवल इन 2 लिबासो मे ढँका
नज़र आएगा!"

कामिनी ने फ़ौरन अपना पाँव पीछे खींच लिया,मिसेज़.चंद्रा फोन रख वापस
उनके पास आ रही थी.

"ये मिसेज़.पूरी भी छ्चोड़ती ही नही..हां अब तुम सूनाओ कामिनी,इतने
ख़तरनाक केस क्यू लेती हो?"

"क्या करती आंटी दोनो पहले से क्लाइंट्स थे मेरे.अब बीचे मे तो नही
छ्चोड़ सकती थी ना.",कामिनी ने पैर वापस सॅंडल्ज़ मे डाल लिए थे.

"हां भाई ये तो है."

"मालकिन,माली आया है.",गार्ड इत्तिला देने वाहा आया.

"ओफ्फो!इसे भी अभी आना था.आपलोग बाते करिए मैं अभी आई.",मिसेज़.चंद्रा उठ
के लॉन मे चली गयी.कामिनी जिस बड़े सोफे पे बैठी थी उसके पीछे 1 बहुत
बड़ी खिड़की थी जिसमे शीशा लगा हुआ था & उस से लॉन सॉफ दिखता था.कामिनी
घूम कर उसके बाहर देखने लगी,मिसेज़.चंद्रा माली से काम करवा रही थी.

"हा!",कामिनी चौंक पड़ी,उसे पता ही नही चला कि कब चंद्रा साहब उसके पीछे
आके बैठ गये & उसे बाहो मे भर लिया.

"क्या करते हैं?!कही आंटी ने देख लिया या फिर कोई नौकर आ गया तो?",कामिनी
उन्हे परे धकेलने लगी.

"आंटी को अभी कम से कम आधा घंटा लगेगा & इस वक़्त घर मे कोई नौकर है
नही.",चंद्रा साहब ने पीछे से उसकी कमर को घेर उसके पेट को सहलाते हुए
उसके दाए कान को काट लिया.

"ऊव्व!..पागल मत बानिए..कही आंटी ने बाहर से देख लिया तो.",कामिनी कसमसाई.

"इस शीशे से बाहर से अंदर नही दिखता.",चंद्रा साहब ने अपनी पकड़ मज़बूत
कर दी & उसकी गर्दन चूमने लगे.कामिनी भी अब मस्त होने लगी थी मगर उसकी
नज़र बाहर खड़ी मिसेज़.चंद्रा पे ही थी.चंद्रा साहब ने अपना दाया हाथ
उसके पेट से हटा के उसके चेहरे को पकड़ अपनी ओर घूमके उसके होंठो को चूम
लिया,"घबराओ मत..बस इस लम्हे का लुत्फ़ उठाओ."

कामिनी ने खुद को उनके हवाले कर दिया & उनकी जीभ से अपनी जीभ लड़ा
दी.दोनो जानते थे की वक़्त कम था मगर फिर भी दोनो इस मौके का भरपूर फयडा
उठना चाहते थे.कामिनी का आँचल उसके सीने से ढालाक गया था & उसका बड़ा सा
क्लीवेज उसके धड़कते दिल की बेचैनी की गवाही उपर-नीचे होके दे रहा था.उसे
चूमते हुए चंद्रा साहब उसकी चूचियो को ब्लाउस के उपर से ही दबा रहे
थे.कामिनी भी थोड़ा पीछे हो अपनी भारी-2 गंद से उनके लंड को मसल रही
थी.उसके हाथ उनके चेहरे & बालो मे घूम रहे थे.

चंद्रा साहब ने उसके होंठो को आज़ाद किया & उसे घुमा कर उसकी पीठ पे हाथ
फेरते हुए चूमने लगे.कामिनी ने सोफे के पीछे खिड़की की सिल पे अपने हाथ
रख के उनपे अपना चेहरा टीका दिया & बाहर अपने गुरु की बीवी को देखते हुए
उनके पति की कामुक हर्कतो का मज़ा उठाने लगी.चंद्रा साहब उसकी पीठ चूमते
हुए नीचे आ गये थे & अब उसकी कमर की बगलो को दबाते हुए वाहा पे चूम रहे
थे.थोड़ी देर चूमने के बाद उन्होने उसकी टाँगो को पकड़ कर उपर सोफे पे कर
दिया.

क्रमशः.......

BADLA paart--1

"Aaiye-2,Sahay Sahab....baithiye!",Keswani ne apni kursi se uth ke
Suren Sahay ka swagat kiya.

"namaste keswani ji!kya haal hai?",dono ne hath milaya & fir suren ji
uske desk ke samne rakhi 1 kursi pe baith gaye.unke sath 1 aur shakhs
aaya tha joki hath me 1 leather bag pakde unke peechhe hi khada raha.

"bas aapki dua hai."

"ye lijiye..aapki payment.",sahay ji ne hath peechhe kiya to us shakhs
ne bag me se 1 cheque book & 1 noto ki gaddi nikal ke unhe thama
di,"....70%cheque & baki cash.",sahay ji ne cheque kaat ke cash ke
sath keswani ko thama diya.

"are....sahay sahab aapne iske liye itni taklif kyu ki?apne kisi aadmi
ko hi bhej diya hota...",keswani ne noto & cheque ko apne desk ki
daraz ke hawale kiya.

"aap to jante hi hain,keswani ji ki Sham Lal ji ne jabse humara
manager ka kaam chhoda hai,hume hi sab dekhna pad raha hai."

"ji,vo to hai.ab sham lal ji jaisa dusra aadmi milna bhi to mushkil hai."

"bilkul sahi farmaya aapne..",1 naukar sharbat ke glass rakh gaya to
sahay ji ne use utha kar 1 ghunt bhara,"..lekin vo bhi kya
karte....pata hai keswani sahab vo humare sath tab se the jab main
college me padhai karta tha.business ke sare kaam..ye payments lena ya
dena sab vahi sambhalte the..mujhe to kabhi laga hi nahi tha ki vo
hume chhod ke jayenge magar vo bhi kya karte?beta vaha bangalore me
bas gaya ab chahta tha ki maa-baap usi ke sath rahen..aise me kaun
insan naukri ke chakkar me pada rahega.",unhone 1 aur ghunt
bhara,"..bade kismat vale hain sham lal ji..jawan bete ne unki
zimmedari ab apne kandhe le li hai.",unke chehre pe jaise 1 parchhayi
si aake guzar gayi.

"achha..ab ijazat dijiye,keswani ji.",sahay ji uth khade hue & apne us
aadmi ke sath vaha se nikal gaye.

"sara kaam nipat gaya,Shiva.",apni Mercedes ki pichhli seat pe baith
ke unhone driver ko chalne ka ishara kiya.

"haan,sir."

"to tum jake apne bhai & uske parivar se mil aao..",unhone apni ghadi
ko dekha,"..abhi 4 baj rahe hain..9 baje tak aa jana,fir hum ghar ke
liye nikal jayenge.",car panchmahal ki sadko pe daud rahi thi.

"thik hai,sir.",shiva sahay ji ka bodyguard tha.aisa nahi tha ki sahay
ji ko koi jaan ka khatra tha magar vo 1 pakke businessman jante the ki
1 vyapari ko rupaye paiso ke mamle me ehtiyat baratni hi chahiye.

shiva koi 10 saal pehle unke paas kaam ke liye aaya tha lekin shiva ke
bare me jaanane se pehle hum thoda sahay ji ke bare me jaan lete
hain.suren sahay Raibahadur Mathura Sahay ke pote & Kailash Sahay ke
bete the.sahay khandan ka agar koi asbse bada gun tha to vo tha samay
ke sath chalna & waqt ki zarurato ke mutabik khud ko dhaal lena.

mathura sahay ko angrezo ne raibahadur ke khitab se navaza
tha.panchmahal se Avantipur jane wale highway pe panchmahal se koi 50
km ki duri pe 1 kasba padta hai Haldan.is kasbe ke aate hi agar aap
highway se baayi taraf nikal rahi sadak pe chale jayen to Sahay Estate
me dakhil ho jayenge.

mathura ji ke paas thodi si zamin thi jise unhone angrezo ko khush
karke bahut badha liya tha.unke baad jab kailash ji ne unki jagah li
to unhone naye-2 azad hue mulk ki sarkar ko khush karke Sahay Estate
ki neev rakhi.is waqt kayi acres me faili is sampatti ke bas do varis
the suren ji & unka chhota bhai Viren Sahay jise kabhi bhi khandani
business me koi dilchaspi nahi rahi to 1 tarah se abhi is puri
milkiyat ke akele maalik suren ji hi the.

suren ji ne bhi apne purvajo ke nakshe kadam pe chalte hue business ko
nayi bulandiyo tak pahunchaya.estate ki zamino pe gehu & hari sabziyo
ke khet,poultry farm,dairy & 1 ghodo ka stud farm tha.pure panchmahal
& avantipur ke bazaro me sabzi,gehu & poultry products-ande & meat ke
sabse bade supplies the sahay ji.ab to unhone 1 aata mill bhi khol li
thi & apne gehu ko piswa kar uski packing kar bazaro me bech rahe the.

yu to humare mulk me jua 1 jurm hai magar 1 jua hai joki lagbhag har
bade shahar me khel jata hai & use kanoon ki manzuri bhi mili hui
hai,vo hai ghud daud.in daudo me raeeso ke ghode daudate hain.ab kuchh
to khud in ghodo ko palte hain magar ye ghode aate kaha se hain-stud
farms se.sahay farms mulk ke nami girami logo ko ghode muhaiyya karata
tha.

suren ji ko business me bahut man lagta tha & use vo hardam aage
badhane ke nayi-2 tarkeeben sochte rehte the.isi wajah se unka dhandha
badi tezi se phal-phool raha tha.unke barso purane manager sham lal ke
jane se unhe idhar 1 mahine se thodi pareshani uthani pad rahi thi &
ise door karne ke liye vo 1 naye manager ki talash me jute hue the.

ab shiva ke bare me bhi jaan lete hain.suren ji ko khud ke alawa bas 3
aur logo pe bharosa tha-1 to sham lal ji,dusri unki biwi & teesra
shiva.koi 10 saal pehle ki baat hai jab shiva unke paas aya.suren ji
ki estate koi 3-4 bade gaon ke barabar thi.itni badi property ki
kewqal dekhbhal hi nahi hifazat bhi zaruri thi.dekhbhal ke liye to
duniya bhar ke log the magar hifazat ke liye suren ji ko 1 bahut hi
bharosemand & zimmedar aadmi ki talash thi.

abhi tak to vo bas kuchh chaukidaro ke bharose hi the.puri estate ke
charo taraf baans & lakdi ki balliyo ki 1 5 1/2 ft oonchi baad thi
magar ye bas estate ki seema batane ka kaam karti thi,choro ko rokne
ka nahi.idhar choriya kuchh zyada badh gayi thi,kabhi koi bakri utha
le jata to kabhi sabziya ukhad leta.suren ji jante the ki yehi
chhoti-moti choriya aage jake kisi bade nuksan ka bhi sabab ban sakti
hain.24 ghante estate ki nigrani karna police ke bas ka bhi nahi
tha,iske liye to unhe khud hi kuchh karna tha.

shiva jab unke paas aaya vo 30 baras ka tha & usne fauj me 5 saal
bitaye the.uska interview lete hue suren ji ne us se estate ki
security ki babat hi sare sawal puchhe & uske jawabo ne unhe kafi
prabhavit kiya.unki tajurbedar aankho ne uspe danv lagane ki than li &
use estate security incharge bana diya.shiva ne bhi unhe nirash nahi
kiya & 2 mahino ke andar hi usne 50 guards ki team taiyyar kar li &
apne fauj ke tajurbe ka istemal karke estate ki puri security ka pakka
bandobast kar diya.

shiva 1 6'4" ka salike se kate baalo & patli moochho vala tagda mard
tha.uski sabse badi khasiyat thi ki vo apne kaam se kaam rakhta tha &
bahut kam bolta tha.suren ji to uski wafadari ke kayal the & 3 saal
beetate-2 unhone use estate ke 1 ghar se utha ke apne bungle me rakh
liya.us bungle me jaha ki sirf vo apni biwi & bete ke sath rehte
the.jab bhi vo kahi jate shiva saye ki tarah unke sath hota.saal me
bas 2 baar-holi & diwali,pe 2 dino ke liye vo panchmahal me rah rahe
apne bade bhai ke paas jata lekin is baar sham lal ji ki vajah se use
1 aur mauka mil gaya tha unse milne ka.

raste me shiva car se utar gaya & car sahay sahab ke shahar ke bungle
ki or badhi chali.shiva ne 1 taxi pakdi & apne bhai ke ghar ki or
chala gaya.thik usi waqt 1 maruti swift unki car ke peechhe lag
gayi.mercedes unke bungle me dakhil ho gayi to vo swift kuchh duri pe
ruk gayi & use chalane vala driver apni nazar bungle ke gate pe gadaye
baitha raha.

thodi er baad 1 taxi gate pe ruki & usme se 1 jawan ladki utri & gate
pe khade guard se kuchh kaha.use dekhte hi us aadmi ne swift aage
badhayi & bungle ke samne se hota hua bungle ke bagal ki gali me ghus
gaya.usne car bungle ki deewar se lagayi & furti ke sath bahar
utra.usne apne chehre pe 1 kala naqab pehna hua tha jisme se bas uski
aankhe nazar aa rahi thi.usne aas-paas dekha,gali humesha ki tarah
sunsan thi.usne 1 mahine pehle se roz yaha ka jayza liya tha & puri
planning karne ke baad hi yaha aaya tha.

usne pairo me rubber sole vale joote pehne the & hatho me dastane.vo
car ki chhat pe chadh gaya & fir vaha se bungle ki deewar pe & agle hi
pal vo bungle ki lawn ki ghas pe tha.thodi hi der me vo bungle me
dakhil ho chuka tha.

"haan?",bungle ke bedroom me aake suren ji ne apne kape utarna shuru
kiya hi tha ki tabhi intercom baja,"..haan,maine hi bulaya tha use
upar mere kamre me bhijwa do.",sahay sahab ki umra 50 baras ki thi &
unka kad tha 5'10",umra ke sath unki tond thodi nikal aayi thi,samne
se ud chuke safed baalo ko unhone khizab se dhank liya.aamtaur pe is
umra me insan thoda sayam se jine ki koshish karta hai magar suren ji
ke sath aisa nahi tha.unhe jawani me jo sharab,shabab & kabab ka shauk
laga tha vo abhi tak vaise hi barkarar tha.is shauk ne unki sehat ko
nuksan bhi pahunchaya tha,unka dil ab pehle jaisa mazboot nahi raha
tha.

mamle ki nazakat samajhte hue unhone sharab & kabab ko to kafi had tak
kam kar diya magar shabab ke sath unhone koi kami nahi ki.jab se vo
jawan hue the,yaha tak ki shadi ke baad bhi vo har mahine kam se kam 1
baar apni estate se bahar kisi shahar ka chakkar zarur lagate & apne
is shauk ko pura karte.

aaj bhi unke isi shauk ko pura karne vo callgirl yaha aayi
thi,"hello,sir!",us khubsurat ladki ne kamre me kadam rakha to sar
hila ke uski hello ka jawab dete hue suren ji ne use sar se panv tak
nihara.ladki ne bahut kasi hui safed rang ki patloon pehni thi & uske
upar peele rang ka vaise hi kasa hua top.ye kasa libas uske jism ki
golaiyo ko aur ubhaar raha tha.suren ji ne sare kapde utar diye the &
bas underwear me the,"..aap to pehle se hi taiyyar hain,sir.",ladki
muskurayi & apne kapde utarne lagi.

suren ji bistar ke headboard se tek lagake baith gaye & use nangi hote
dekhne lage.ladki apne peshe me mahir thi.badi ada se vo apne jism ko
numaya kar rahi thi & jab tak usne apni patli si panty ko apni kamar
se neeche sarkaya tab tak suren ji ka underwear 1 tambu ki shakl
ikhtiyar kar chuka tha.

ladki gori thi & uski chhatiyaa & gand kafi bade & bhare-2 the.apne
hatho se apni chhatiyo ko dabate hue unke kale nipples ko masal kar
kada karte hue vo muskurate hue apne grahak ki or badhne lagi.tabhi
suren ji ko kuchh yaad aaya,"suno..vo mere coat ki jeb me 1 dawa ki
dibiya hai,zara nikal kar lao.",paas ki kursi pe pade apne kapdo ki or
unhone ishara kiya.

narangi rang ki chhoti si dibiya unke hawale karvo ladki unke samne
baith gayi & unki chhati ke baalo pe hath firate hue unke seene ko
chumne lagi.suren ji ne dibiya me se 1 goli nikali & kha li & fir
dibiya ko palang ke bagal me rakhe side-table pe rakh diya.ladki ke
sar ko apne seene se utha ke unhone uske hotho pe apne hoth kas diye &
unke hath uski nangi pith & kamar pe ghumne lage.ladki thoda aage ho
unse bilkul chipak gayi & apni chhatiya unke seene pe daba di.suren ji
uski gand dabate hue uski gardan chumne lage.ladki aahe bhar mast hone
ka natak karne lagi.

sahay sahab jante the ki vo natak kar rahi hai magar unhe is se kuchh
lena-dena nahi tha,unhe to bas apne maze se matlab tha.unhone ladki ki
gardan se sar uthaya & uske sar ko fir se apne seene pe daba diya,vo
unka ishara samajh gayi.unke seene ko chumte hue vo neeche jane lagi &
thodi hi der baad uske lal lipstick se range honth unke 6 inch lumbe
lund pe kase hue the.suren ji uske sar ko apne lund pe dabate hue uski
zuban ka pura lutf utha rahe the.ladki ne apni kalakari dikhana shuru
kar diya,unke lund ko mazbooti se jakde vo kabhi use munh me bhar
chusti to kabhi bahar nikak kar bas uspe jibh firane lagti.

suren ji ne masti me aankhe band kar li.thik usi waqt vo naqabposh
unke kamre ki balcony pe kud ke aaya,rubber ke jooto ne na ke barabar
aavaz ki thi.usne dekha ki kamre ka sheeshe ka darwaza band hai.usne
pichhle 1 mahine me is ghar ka chappa-2 dekh liya tha & is darwaze ko
bahar se kholne ki tarkeeb bhi nikal li thi.usne dono darwazo ke
handle pakad ke pani taraf mazbooti se khincha,aisa karne se andar se
lagi chhitkani dhili ho gayi & darwaze ke upar ki chaukhat me lage
uske chhed se neeche sarak gayi.usne darvaze ko bas 1 inch khola to
andar se aa rahi aaho ki aavaze ne use andar ka haal bayan kar diya.

usne badi savdhani se halkse darvaze ko khol andar sar ghusaya,us
sheeshe ke darwaze ke daayi taraf ki deewar se sate hi palang & uske
dono taraf side-tables lage the.usne sar ghusa ke daaye ghumaya to use
vo callgirl bistar pe pith ke bal leti dikhayi di & uski tango ke
beeche munh ghusaye uski chut chaatne me mashgul suren ji.callgirl ab
sach me masti me pagal ho gayi thi.suren ji ki jibh uske dane ko chat
rahi thi & unki ungli lagatar uski chut ke andar-bahar ho rahi thi.

naqabposh ne sar peechhe khincha magar tabhi uski nazar side-table pe
padi dawa ki dibiya pe padi..isi ke liye to vo yaha aaya tha..kab se
vo suren ji ke peechhe bas is chhoti si dibiya ke liye hi pada
tha.usne hath badha ke dibiya ko uthana chaha magar thik usi waqt
suren ji ne ladki ki chut se sar uthaya & uske upar aa gaye & uske
hotho ko chumne lage.naqabposh bijli ki tezi se peechhe ho gaya.manzil
ke itna kareeb aake vo ab galti nahi kar sakta tha..uska pura plan to
bas sabra pe hi tika tha.aaj ke kaam ke baad bhi use bahut sabra se
kaam lena tha.usne apni pant ki jeb me hath dala & 1 hip flask
nikala..baki logo ko sharab beqabu kar deti hai magar use..use to yahi
kabu me rakhti thi..vo vahi balcony pe baith gaya & jaldi se 2-3 ghunt
bhare,fir aankhe band ki & apna dhyan andar se aa rahi aavazo pe laga
diya.

callgirl ne apne upar sawar suren ji ki kiss ka jawab dete hue apna
hath neeche le jake unke lund ko apni chut ka rasta dikhaya.uske
kandho ko thame use chumte hue suren ji ne fauran dhakke lagane shuru
kar diye.har dhakke pe ladki ki aahen aur tez ho jati.usne apni tange
unke kamar pe kas di thi & unhe baaho me bhare neeche se kamar hil
arhi thi.suren ji thodi der tak vaise hi use chodte rahe,"..ab tum
mere upar aa jao.",vo uske daaye kaan me phusphusaye.

ladki ne fauran unke kandhe pakad ke karwat lete hue unhe apne neeche
kiya & fir unki chhati pe apni choochiyo ko dabaye hue unhe chumte hue
apni kamar hilane lagi.suren ji ne uski chaudi gand ko apne hatho me
kas liye & use masalne lage,"..ooooowwww....!",ladki uth ke baith gayi
& unke seene pe apni hatheliya jama ke tezi se apni kamar hilane
lagi.suren ji ne uski choochiyo ko pakad ke uske nipples ko masala
diya,"...aaannhhhhh....!",ladki ne unki kalaiya pakad ke neeche ki to
unhone uski baaho ko tham liya & neeche khincha.1 bar fir ladki unke
seene se chipki kamar hila rahi thi magar is bar suren ji ne apne
ghutne mode & uski kamar ko apni baaho me jakda & neeche se badi tezi
se kamar uchkate hue uske dhakko ke jawab me bade qatil dhakke lagane
lage,"..aaahhh...ooohhh....aaaaannhhh....oouuiiiii....!",ladki ki aahe
ab bahut tez ho gayi thi,suren ji samajh gaye ki vo jhad rahi thi.

unhone use baaho me jakde hue dhakke lagana roka & 1 bar fir karwat le
use apne neeche kar liya,fir apni kohniyo pe apna vazan rakh kar thoda
upar ho uski chhatiyo ko maslate hue zor-2 se dhakke lagane lage.ladki
dobare jhadne lagi & is baar uske jhadte hi suren ji ne bhi apna sara
pani uski chut me chhod diya.

naqabposh bahar baitha andar ki aavazo pe kaan lagaye tha.sham dhal
chuki thi & ab battiya jalne lagi thi.usne gaur kiya ki andar se ab
aavaze aana band ho gayi thi yani ki chudai khatm ho chuki thi.vo
khada hua & darwaze pe kaan lagaya,"..bathroom kidhar hai,sir.",ladki
ki aavaz uske kaan me padi.

"udhar..",fir ladki ke bistar se utar ke bathroom me jane ki aavaz
aayi.fir use bathroom me pani girne ki aavaz aayi & fir ladki
chikhi,"..oooww..!",naqabposh ne fauran darvaza khola andar sar
ghusaya,"..aapne to mujhe dara hi diya!",suren ji ladki ke peechhe-2
bathroom me chale gaye the & ab andar se dono ki athkheliyo ki aavaze
aa rahi thi.

naqabposh kamre me dakhil hua & vo dibiya utha li,fir apni jeb se
bilkul vaisi hi 1 dusri dibiya nikal.usne dono dibiya ko khol ke
dekha,fir apni vali diniya me se kuchh goliya nikal ke apni jeb me
daal dono me goliyo ki matra barabar ki & fir use suren ji ki dibiya
ki jagah rakh diya & unki dibiya ko apni jeb me rakh jis raste aaya
tha usi raste chala gaya.

thodi hi der baad uski swift vaha se nikal chuki thi.uska kaam ho gaya
tha bas ab use baith ke intezar karna tha.suren ji ne ladki ko paise
deke vida kiya & taiyyar hone lage.kuchh hi der me shiva bhi aa jata &
fir dono ko vapas estate lautna tha.unhone coat ke button band kiye &
kamre se bahar nikal gaye ki tabhi unhe kuchh yaad aaya,vo vapas kamre
me aaye & sie-table se apni dawa ki vo dibiya utha li & apni jeb me
rakh li.unka kamzor dil unki ayyashi me adchan na bane iske liye
doctor ne unhe ye dawa di thi.usne kaha tha ki jab bhi unhe kisi bhi
excitement ka andesha ho to vo 1 goli kha len,is se unka dil sambhla
rahega.ye dawa na hoti to vo shayad hi jismani rishto ka lutf is kadar
utha pate.

unhone man hi man doctor ko dua di & neeche khane ki mez ki or chale gaye.

Advocate Santosh Chandra ke bungle ke andar driver ne car roki to
Kamini neeche utri.sham ka dhalte suraj me lal sari & matching
sleeveless blouse me kamini ka gora rang jaise aur chamak utha tha.

gate pe khade guard ne use hasrat bhari nigah se dekha magar jaise hi
kamini ne uski taraf nazre ki usne apni nigahe jhuka li.un bharose &
hausle se bhari aankho se nazar milane ki himmat sabhi me nahi hoti
thi.

"aao,aaj waqt mila hai tumhe!",Mrs.Chandra ne pai chhuti kamini ko
upar uthaya,"aji sunte ho!dekho kaun aaya hai!",unhone chandra sahab
ko aavaz di.

"are kamini..to tumhe fursat mil hi gayi!",teeno drawing room ke sofo
pe baith gaye.

"lagta hai,aap dono ne aaj mujhe sharminda karne ki sochi hui
hai....main kya karti aunty,itna kaam hi tha idhar..aap to janti hi
hain un dono cases ke chalte main aur cases pe dhayn nahi depa rahi
thi.sab nipta ke pehli fursat me seedha aap hi ke paas aayi
hu.",kamini ne 1 gehri nigah apne guru chandra sahab pe dali.

kamini Shatrujeet Singh & Karan Mehra ke cases ke bare me baat kar
rahi thi jise usne kuchh hi din pehle suljhaya tha.apne pati Vikas se
talaq ke baad usne tay kar liya tha ki vo ab apni zindagi bharpur
jiyegi & uska pura maza uthayegi.shatrujeet & karan dono hi uske premi
the joki 1 bahut badi sazish ke shikar hue the.kamini ne dono ko
musibat se nikala tha.iske baad karan to apne pita ke paas London
chala gaya magar shatrujeet se kamini ki mulakaten lagatar hoti rahi
thi lekin kuchh dino baad dono ko rishte me 1 thehrav sa aata mehsus
hone laga tha & nateeja ye tha ki ab dono ki mulakaten bhi kam hi gayi
thi.

talaq ke baad kamini ne apne guru ko bhi unke dil me apne liye chhupe
chahat ke ehsaso ka khul ke izhar karne ke liye uksaya tha & pichhle
kuchh mahino se dono unki biwi & baki duniya ki nazro se chhupa ke jam
ke 1 dusre ki chahat ka maza utha rahe the.

"..main nahi aa payi to aap to aa sakte the!",baat to usne mrs.chandra
se kahi thi magar uska ishara chandra sahab ki or tha.vo bade halke se
muskuraye.baato ka rukh dusri or muda ki tabhi phone baja &
mrs.chandra use uthane ke liye chali hayi.

kamini apni sehat & apne roop ka pura khayal rakhti thi.uska bhara-2
jism bilkul kasa hua tha & is waqt bhi sleeveless blouse se jhankti
uski maansal,gori baahen bilkul pusht nazar aa rahi thi.kamini ne jo
blouse pehna tha vo peechhe se 1 ganth se bandha tha yani ki usme
hooks ya button nahi the.peechhe se ganth kholne se hi blouse
khulta.is blouse me uski pith ka bada hissa nazar aa raha tha.

jab chandra sahab ne drawing room me kadam rakha tha tab kamini ki
pith unki or thi & unka dhayn turant apni shishya ki pith & patli
kamar pe gaya tha & tabhi unke lund me harkat shuru ho gayi thi.kamini
bade sofe pe baithi thi & uske daaye taraf ke single-seater chhote
sofe pe uske guru.unke peechhe thoda hat ke dining table laga tha &
uske baad ki deewar se lage shelf pe phone rakha tha jispe mrs.chandra
kisi se baat kar rahi thi.

"bra pehna hai tumne?"

"kya?!",kamini chaunk padi magar fir shokhi se muskurate hue usne unki
aankho me aankhe daal di,"aapko kya lagta hai?"

"hmm....ho sakta hai pehna ho..vaise tumhe zarurat to hai nahi."

"achha?"

"haan.tumhar jaisi kasi chhatiya jiski ho use sahare ki kya zarurat!"

kamini ko hansi aa gayi,kuchh hi door pe mrs.chandra khadi thi & unki
maujoodgi me aisi baate karne me use ajib sa maza mil raha tha.use
yaad aaya ki jab vo pichhli baar yaha aayi thi to ghar ke dusre hisse
me bane chandra sahab ke office me band hoke unhone kitni masti ki thi
& mrs.chandra bechari yahi sochti rahi ki dono kaam ke silsile me baat
kar rahe hain.

"achha batao kis rang ka hai?",chandar sahab apne paanv ke anguthe se
uske sandal me se jhankte pair ko sehla rahe the.

"kya?",kamini pe halki-2 masti chha rahi thi.usne 1 nazar mrs.chandra
pe dali,vo abhi bhi phone pe lagi hui thi & apne pairo ko sandals se
nikal liya taki uske guru asani se uske pairo ko sehla sake.

"tumhare bra & panty?"

"laal.",unka daaya pair kamini ke daaye pair se upar uski pindli ko
sehla raha tha.

"kya nazara hoga vo bhi jab tumhara gora badan kewal in 2 libaso me
dhanka nazar aayega!"

kamini ne fauran apna paanv peechhe khinch liya,mrs.chandra phone rakh
vapas unke paas aa rahi thi.

"ye mrs.puri bhi chhodti hi nahi..haan ab tum sunao kamini,itne
khatarnak case kyu leti ho?"

"kya karti aunty dono pehle se clients the mere.ab beeche me to nahi
chhod sakti thi na.",kamini ne pair vapas sandals me daal liye the.

"haan bhai ye to hai."

"malkin,mali aaya hai.",guard ittila dene vaha aaya.

"offoh!ise bhi abhi aana tha.aaplog baate kariye main abhi
aayi.",mrs.chandra uth ke lawn me chali gayi.kamini jis bade sofe pe
baithi thi uske peechhe 1 bahut badi khidki thi jisme sheesha laga hua
tha & us se lawn saaf dikhta tha.kamini ghum kar uske bahar dekhne
lagi,mrs.chandra mali se kaam karwa rahi thi.

"haa!",kamini chaunk padi,use pata hi nahi chala ki kab chandra sahab
uske peechhe aake baith gaye & use baaho me bhar liya.

"kya karte hain?!kahi aunty ne dekh liya ya fir koi naukar aa gaya
to?",kamin unhe pare dhakelne lagi.

"aunty ko abhi kam se kam aadha ghanta lagega & is waqt ghar me koi
naukar hai nahi.",chandra sahab ne peechhe se uski kamar ko gher uske
pet ko sehlate hue uske daaye kaan ko kaat liya.

"ooww!..pagal mat baniye..kahi aunty ne bahar se dekh liya to.",kamini kasmasai.

"is sheeshe se bahar se andar nahi dikhta.",chandra sahab ne apni
pakad mazboot kar di & uski gardan chumne lage.kamini bhi ab mast hone
lagi thi magar uski nazar bahar khadi mrs.chandra pe hi thi.chandra
sahab ne apna daaya hath uske pet se hata ke uske chehre ko pakad apni
or ghumake uske hotho ko chum liya,"ghabrao mat..bas is lamhe ka lutf
uthao."

kamini ne khud ko unke hawale kar diya & unki jibh se apni jibh lada
di.dono jante the ki waqt kam tha magar fir bhi dono is mauke ka
bharpur fayda uthana chahte the.kamini ka aanchal uske seene se dhalak
gaya tha & uska bada sa cleavage uske dhadakte dil ki bechaini ki
gavahi upar-neeche hoke de raha tha.use chumte hue chandra sahab uski
chhatiyo ko blouse ke upar se hi daba rahe the.kamini bhi thoda
peechhe ho apni bhari-2 gand se unke lund ko masal rahi thi.uske hath
unke chehre & baalo me ghum rahe the.

chandra sahab ne uske hotho ko azad kiya & use ghuma kar uski pith pe
hath ferte hue chumne lage.kamini ne sofe ke peechhe khidki ki sill pe
apne hath rakh ke unpe apna chehra tika diya & bahar apne guru ki biwi
ko dekhte hue unke pati ki kamuk harkato ka maza uthane lagi.chandra
sahab uski pith chumte hu neeche aa gaye the & ab uski kamar ki bagalo
ko dabate hue vaha pe chum rahe the.thodi der chumne ke bad unhone
uski tango ko pakd kar upar sofe pe kar diya.

kramshash.......


आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj

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