बदला पार्ट--19
गतान्क से आगे...
काफ़ी देर तक वो उसकी छातियो को पीता रहा,फिर वो तेज़ी से जीभ चलाते हुए
नीचे जाने लगा & उसके पेट से होता फ़ौरन उसकी गीली चूत पे पहुँच गया.उसकी
लपलपाति जीभ ने कामिनी की चूत के अंदर ऐसी-2 हरकते की कामिनी का अब सिल
पे बैठना मुहाल हो गया.
"आहह...हहाईयाीइ.....आआहह.....ऊहह..!",झाड़ते ही उसने वीरेन के बाल पकड़
उसे उपर उठा लिया & उसकी नज़रो मे देखते हुए उसके होंठो पे अपने होठ रख
दिए.उसे बहुत प्यार आ रहा था अपने इस नये आशिक़ पे & अब वो बस उसके साथ
इस खेल को इसके अंजाम तक ले जाना चाहती थी.उसने वीरेन के होंठ छ्चोड़े &
उसकी ट्रॅक पॅंट को नीचे किया.वीरेन ने उसे अपनी टाँगो से निकाल फेंका.
सामने उसका 9 इंच का बेहद मोटा लंड सर उठाए खड़ा था....इतना मोटा!..इतना
तो ठुकराल का भी नही था..कामिनी ने हैरत से उसपे अपने हाथ कसे तो वो उसके
1 हाथ की मुट्ठी मे बड़ी मुश्किल से समाया,".आहहह...",वीरेन ने खुशी से
आह भरी मगर अब वो और इंतेज़ार नही कर सकता था.
उसने कामिनी को सीधा बिठाया & उसके सामने सिल पे बैठ गया.कामिनी उसका
इशारा समझ गयी.वीरेन 1 टांग कमरे के अंदर & 1 बाहर लटकाए बैठा था.& उसके
सामने वैसे ही कामिनी.कामिनी आगे बढ़ी & अपनी जंघे उसकी जाँघो पे चढ़ाते
हुए उसके लंड पे बैठने लगी,"ओईई....माआआआआ....!",लंड की चौड़ाई उसकी चूत
को बहुत फैला रही थी & उसके चेहरे पे दर्द की लकीरे खींच गयी थी.
वीरेन ने उसकी गंद के नीचे हाथ लगाया & उसे थाम नीचे से 2-3 धक्के
दिए,"..ऊओवव्व..!",लंड अब पूरा घुस चुका था.उसने धक्के रोके & बस लूँ
घुसाए बैठ गया.कामिनी की चूत थोड़ी ही देर मे लंड की आदि हो गयी & उसने
उच्छल-2 कर चुदाई शुरू कर दी.वीरेन के हाथ उसकी गंद से उपर उसकी पीठ &
फिर बालो मे फिर रहे थे & दोनो 1 दूसरे को चूम रहे थे.वीरेन कामिनी की
चूत की कसावट से हैरान था..ऐसी कसी चूत उसने आज तक नही मारी थी.
"तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की मैने ज़िंदगी मे नही देखी थी..आअहह...& तुम
मेरे साथ..चुदाई कर रही हो..मुझे यकीन नही होता,कामिनी!",वीरेन ने सर
झुका के उसकी चूचिया मसली & उन्हे चूस लिया.
"ऊहह...वीरेन...तुम्हारे जैसे मर्द से मैं...आईययईए...भी ना..ही
मी..ली..आज .तक....आआअनंह...उऊन्ह.......ऊनह..!",उसने उसे अपनी बाँहो मे
भींच लिया क्यू की उसके लंड की रगड़ ने उसे फिर से झाड़वा दिया था.वीरेन
ने उसकी गंद की फांको के नीचे फिर से हाथ लगाया & उसे गोद मे उठा खड़ा हो
गया फिर उसने अपनी बाई टांग उठाई & अपनी प्रेमिका को लिए-दिए कमरे से
बाहर हो गया.वीरेन ने उसे कमरे की बाहरी दीवार से लगाया & उसकी गंद थामे
धक्के लगाने लगा.
कामिनी फिर से मस्ती मे खोने लगी.वीरेन झुक के कभी उसकी गर्दन चूमता तो
कभी सीने के उभार.कामिनी भी मस्ती मे पागल हो उसे उठा उसके होंठ चूम
लेती.वो फिर से अपनी मंज़िल की ओर बढ़ रही थी की तभी वीरेन ने उसे दीवार
से हटाया & लेके खुले लॉन मे आ गया.तेज़ बारिश ने उन्हे पूरा भींगा दिया.
वीरेन उसे ले नर्म,मखमली घास पे लेट गया.कामिनी को पीठ पे ठंडी घास से
सिहरन हुई मगर उसके इस अंदाज़ ने उसे बहुत रोमांचित कर दिया था.लेटते ही
उसने अपनी टाँगे उसकी कमर पे & बाहे उसकी पीठ पे कस दी थी & अपनी कमर
नीचे से हिलने लगी थी.जवाब मे वीरेन ने भी अपने गहरे धक्के शुरू कर
दिए.तेज़ बारिश के शोर मे भी लॉन मे कामिनी की आहे गूँज रही थी.वो वीरेन
की पीठ को अपने नखुनो से खरोंच रही थी.उसकी चूत मे अब बहुत तनाव बन गया
था & वीरेन भी अब अपने लंड पे महसूस कर रहा था की उसकी चूत और कस गयी है.
"आअहह...कामिनी..आ..ह...कितनी कसी है तुम्हारी..चूत..आअहह....अब मैं नही
रुक सकता.."
"बस ...ऐसे ही छो..ते रा..हो..वी..रें...मैं
भी..बा.....आआआनंह..आआईईई...ऊऊऊहह....!",बात पूरी करने से पहले ही कामिनी
झाड़ चुकी थी.झाड़ते वक़्त उसकी चूत ने फिर वही सिकुड़ने-फैलने की
मस्तानी हरकत की जोकि वीरेन के लिए बिल्कुल नया एहसास था.
"आआहह...आहह...आहहह....!",उसकी भी आह निकल गयी & उसका गर्मागर्म गाढ़ा
वीर्या लंड से छूट कामिनी की चूत मे भरने लगा.बारिश से बेपरवाह दोनो घास
पे पड़े लिपटे हुए 1 दूसरे को चूमते जा रहे थे मानो 1 साथ झड़ने के इस
लम्हे को वो क़यामत तक बरकरार रखना चाहते हो.
सुरेन सहाय अपने बाथरूम से नहा कर तौलिया कमर पे बँधे बाहर आए तो सामने
का नज़ारा देख के उनका दिल जोश से भर गया.उनकी खूबसूरत बीवी केवल ब्रा &
पॅंटी पहने कपबोर्ड से कपड़े निकाल रही थी.उसकी गोरी पीठ उनकी तरफ थी
जिसपे ब्रा के काले स्ट्रॅप्स कसे हुए थे.
देविका कपबोर्ड के उपर के शेल्फ से कुच्छ निकालने के लिए अपने पंजो पे
उचकी तो उसकी चौड़ी गंद उभर गयी & उसकी गुदाज़ बाहे उपर होने से ब्रा
स्ट्रॅप्स भी खींचने लगे.सुरेन जी ने पिच्छले 2 दीनो से खुद पे काबू रखा
था,उन्होने सोचा था की 1 बार डॉक्टर से बात कर लें फिर अपनी बीवी को भी
चोदेन्गे & शहर जा किसी मस्त कल्लगिर्ल के बदन का भी भरपूर लुत्फ़
उठाएँगे.
बाहर तेज़ बारिश हो रही थी & मौसम भी काफ़ी मस्ताना हो गया था.ऐसे मे
सामने देविका इस क़ातिल अंदाज़ मे खड़ी थी,वो सब कुच्छ भूल गये & बस यही
याद रहा की ये खूबसूरत बदन जोकि उनकी मिल्कियत है उसकी गहराइयो मे उतरके
उन्हे बस वो अनोखी खुशी हासिल करनी थी.वो आगे बढ़े & पहले नारंगी डिबिया
से निकाल 1 गोली खाई & फिर उस बेख़बर हसीना को पीछे से अपनी बाहो मे
जाकड़ लिया,"हाअ.....",देविका चौंक पड़ी.
"क्या करते हैं..छ्चोड़िए ना!....उउम्म्म्म....!",सुरेन जी ने उसके कंधो
से स्ट्रॅप्स को उतार ब्रा को फर्श पे गिरा दिया था & उनकी बाई बाँह उसके
सीने के पार पड़ी उसकी दोनो छातियो को अपने नीचे दबाए थी & बाया हाथ उसकी
दाई छाती को मसल रहा था.उनका दाया हाथ उसके चिकने पेट को सहलाता हुआ उसकी
नाभि को कुरेद रहा था & उनके तपते लब उसकी लंबी गर्दन को अपनी तपिश से
जला रहे थे.
"उउम्म्म्मम....",देविका को भी बहुत अच्छा लग रहा था & उसने अपनी गुदाज़
बाहे पीछे लेजा उनके सर को थाम अपने जिस्म पे और झुका दिया,"..दवा ली
आपने?...उउफफफ्फ़..!"
"हां.",सुरेन जी ने उसे घुमा के कुच्छ पल उसके गुलाबी होंठ चूमे & फिर
उसे हल्के से धकेला तो देविका पलंग पे गिर पड़ी,उसकी टाँगे नीचे लटकी हुई
थी & वो बिस्तर पे लेटी अपने हाथो से अपनी छातियो को दबाते नशीली आँखो से
अपने पति को देख रही थी.बीवी की मस्तानी अदा देख सुरेन जी ने फ़ौरन अपना
तौलिया उतार फेंका.उनका दिल बहुत ज़ोरो से धड़क रहा था मगर उन्हे अभी
देविका के जिस्म के अलावा कुच्छ नही सूझ रहा था.
1 झटके मे उन्होने देविका की पलंग से लटकी टांगो को उठा उसकी पॅंटी उतरी
& 1 ही झटके मे अपना पूरा लंड उसमे उतार दिया & खड़े-2 ही उसे चोदने लगे.
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"उउम्म्म्म....वीरेन....आहानन्न....अब सोने दो ना....ऊओवव्व....शरीर
कहिनके!",कामिनी वीरेन के स्टूडियो मे उसके पलंग पे पड़ी हुई थी & वो
उसकी छातियो के गुलाबी निपल्स को बारी-2 से दाँत से काट रहा था.
"इतना तो सो ली.अब और कितना सोयॉगी?4 बज रहे हैं,भोर हो गयी है.",वीरेन
ने दाँत को निपल से हटाया & उसकी दाई चूची को पूरा का पूरा मुँह मे भरने
की कोशिश करने लगा,"..आआआआआअहह.....!",शुरू मे तो कामिनी की आह निकली मगर
बाद मे बस मुँह खुला रह गया & आवाज़ बंद हो गयी.मस्ती मे 1 बार फिर उसकी
आँखे बंद हो गयी थी & वो फिर से हवा मे उड़ने लगी थी.रात को लॉन मे चोदने
के बाद वो उसे गोद मे उठा अंदर ले आया था.
अपने हाथो से उसने उसके मखमली जिस्म पे लगी मिट्टी & घास के टुकड़ो को
बाथरूम मे सॉफ किया था & उसके बाद से लेके अभी तक वो उसे 2 बार और चोद
चुका था.हर बार वीरेन उसे इतना मस्त कर देता था की वो उसके लंड के लिए
पागल हो जाती थी मगर वो उसे फिर भी तड़पता रहता था & कितना मज़ा था उस
तड़प मे..उउफ़फ्फ़!..& जब लंड घुसता तो ना जाने कितनी देर तक उसके अंदर
खलबली मचाता रहता.जब तक वो मन भर के नही झाड़ जाती तब तक वो भी नही
झाड़ता था.
अभी भी उसने उसे बिल्कुल पागल कर दिया था.कामिनी ने अपनी दाई तरफ करवट से
लेटे उसके जिस्म से खेलते वीरेन के उपर अपनी बाई टांग चढ़ा दी & उसके लंड
को पकड़ लिया....रात भर चुदने के बाद भी उसकी मोटाई ने उसे हैरान करना
नही छ्चोड़ा था.उसने अपने अंगूठे & उंगली का दायरा बनाके लंड को घेरना
चाहा मगर नाकामयाब रही.लंड को पकड़ उसने अपनी चूत पे रगड़ना चाहा तो
वीरेन ने लंड पीछे खींच लिया.
रात भर के तजुर्बे से कामिनी समझ गयी थी की वो तडपा-2 के उसके नशे को और
बढ़ाना चाहता था मगर उसे अभी बिल्कुल सब्र नही था,"..उउंम नाटक मत
करो...जल्दी से डालो ना!",वो टाँगे फैलाए लेट गयी & वीरेन को खींच अपने
उपर लिया & उसके लंड को पकड़ के फिर से अपनी चूत पे रख दिया.वीरेन
मुस्कुराते हुए फिर से रुक गया,"..उउन्न्ह..उऊन्ह...वीरेन..मत तड़पाव
ना....प्लीज़!...जल्दी से चोदो मुझे!",उसने अपनी कमर हिला के अपनी बेचैनी
जताई.इस बार वीरेन ने उसकी इल्तिजा सुन ली & 1 ही झटके मे आधे लंड को
अपनी नयी-नवेली प्रेमिका की चूत मे दाखिल करा दिया,"..ऊव्व...!",कामिनी
को अभी भी थोड़ा दर्द हुआ मगर उस से भी ज़्यादा उसे मज़ा आया.
"तिन्न्ग्ग्ग्ग....!",दोनो के मज़े मे वीरेन के मोबाइल ने खलल डाला.वीरेन
ने गर्दन घुमा के देखा तो नंबर देख उसने फ़ौरन मोबाइल उठा लिया.कामिनी को
बहुत बुरा लगा मगर वो चुपचाप उसे देखती रही.वीरेन ने धक्के लगाने बंद किए
& अपना सीना नीचे कर कामिनी की चूचियो को दबा अपना वजन उसके बदन पे टीका
फोन कान से लगाया,"हेलो..क्या?!!!!"
कामिनी ने महसूस किया की वीरेन का लंड जो अभी तक लोहे जैसा सख्त था अब
बिल्कुल ही कोमल हो सिकुड़ने लगा.वीरेन के माथे पे पसीने की बूंदे चूचुहा
आई & वो बस कान से फोन लगाए सुन रहा था.उसके चेहरे का रंग बिल्कुल उड़
चुका था.कामिनी को चिंता होने लगी.उसने उसके चेहरे पे प्यार से हाथ
फिराया & आँखो से इशारे मे पुचछा मगर वीरेन वैसे ही कान से फोन लगाए मानो
बुत बन गया था.
कामिनी को लगा की जिसने भी फोन किया था उसने अब फोन रख दिया था मगर वीरेन
वैसे ही बुत बना हुआ था,"वीरेन..वीरेन..!",कामिनी ने उसे झकझोरा मगर
उसपेकॉई असर नही हुआ.कामिनी ने उसके हाथ से फोन लिया & कान से लगाया मगर
फोन काट चुका था,"क्या हुआ वीरेन?!!!!कुच्छ तो बोलो!",उसने उसे दोबारा
झकझोरा.
"भाय्या....",& उसकी आँखो से आँसू बहने लगे.
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क्रमशः.................
BADLA paart--19
gataank se aage...
kafi der tak vo uski chhatiyo ko pita raha,fir vo tezi se jibh
chalaate hue neeche jane laga & uske pet se hota fauran uski gili chut
pe pahunch gaya.uski laplapati jibh ne kamini ki chut ke andar aisi-2
harkate ki kamini ka ab sill pe baithna muhal ho gaya.
"aahhhh...hhaiaiiii.....aaaahhh.....oohhhh..!",jhadte hi usne viren ke
baal pakad use upar utha liya & uski nazro me dekhte hue uske hotho pe
apne hoth rakh diye.use bahut pyar aa raha tha apne is naye aashiq pe
& ab vo bas uske sath is khel ko iske anjam tak le jana chahti
thi.usne viren ke honth chhode & uski track pant ko neeche kiya.viren
ne use apni tango se nikal fenka.
samne uska 9 inch ka behad mota lund sar uthaye khada tha....itna
mota!..itna to Thukral ka bhi nahi tha..kamini ne hairat se uspe apne
hath kase to vo uske 1 hath ki mutthi me badi mushkil se
samaya,".aahahhhh...",viren ne khushi se aah bhari magar ab vo aur
intezar nahi kar sakta tha.
usne kamini ko seedha bithaya & uske samne sill pe baith gaya.kamini
uska ishara samajh gayi.viren 1 tang kamre ke andar & 1 bahar latkaye
baitha tha.& uske samne vaise hi kamini.kamini aage badhi & apni
janghe uski jangho pe chadhate hue uske lund pe baithne
lagi,"ouiiiii....maaaaaaaaaa....!",lund ki chaudai uski chut ko bahut
faila rahi thi & uske chehre pe dard ki lakire khinch gayi thi.
viren ne uski gand ke neeche hath lagaya & use tham neeche se 2-3
dhakke diye,"..ooowww..!",lund ab pura ghus chuka tha.usne dhakke roke
& bas lun ghusaye baith gaya.kamini ki chut thodi hi der me lund ki
aadi ho gayi & usne uchhal-2 kar chudai shuru kar di.viren ke hath
uski gand se upar uski pith & fir baalo me fir rahe the & dono 1 dusre
ko chum rahe the.viren kamini ki chut ki kasavat se hairan tha..aisi
kasi chut usne aaj tak nahi mari thi.
"tumhare jaisi khubsurat ladki maine zindagi me nahi dekhi
thi..aaahhhh...& tum mere sath..chudai kar rahi ho..mujhe yakin nahi
hota,kamini!",viren ne sar jhuka ke uski choochiya masli & unhe chus
liya.
"oohhhh...viren...tumhare jaise mard se main...aaiyyyeee...bhi na..hi
mi..li..aaj .tak....aaaaannhh...uunhh.......oonhhhh..!",usne use apni
baho me bhinch liya kyu ki uske lund ki ragad ne use fir se jhadwa
diya tha.viren ne uski gand ki fanko ke neeche fir se hath lagaya &
use god me utha khada ho gaya fir usne apni bayi tang uthayi & apni
premika ko liye-diye kamre se bahar ho gaya.viren ne use kamre ki
bahri deewar se lagaya & uski gand thame dhakke lagane laga.
kamini fir se masti me khone lagi.viren jhuk ke kabhi uski gardan
chumta to kabnhi seene ke ubhar.kamini bhi masti me pagal ho use utha
uske honth chum leti.vo fir se apni manzil ki or badh rahi thi ki
tabhi viren ne use deewar se hataya & leke khule lawn me aa gaya.tez
barish ne unhe pura bhinga diya.
viren use le narm,makhmali ghas pe let gaya.kamini ko pith pe thandio
ghass se sihran hui magar uske is andaz ne sue bahut romanchit kar
diya tha.letate hi usne apni tange uski kamar pe & baahe uski pith pe
kas di thi & apni kamar neeche se hilane lagi thi.jawab me viren ne
bhi apne gehre dhakke shuru kar diye.tez barish ke shor me bhi lawn me
kamini ki aahe gunj rahi thi.vo viren ki pith ko apne nakhuno se
kharonch rahi thi.uski chut me ab bahut tanav ban gaya tha & viren bhi
ab apne lund pe mehsus kar raha tha ki uski chut aur kas gayi hai.
"aaahh...kamini..aa..hh...kitni kasi hai tumahri..chut..aaahhhh....ab
main nahi ruk sakta.."
"bas ...aise hi cho..te ra..ho..vi..ren...main
bhi..ba.....aaaaaannhh..aaaaiiyee...oooooohhh....!",baat puri karne se
pehle hi kamini jhad chuki thi.jhadte waqt uski chut ne fir vahi
sikudne-failne ki mastani harkat ki joki viren ke liye bilkul naya
ehsas tha.
"aaaahhhh...aahhhhh...aahahhhhhhhhhhh....!",uski bhi aah nikal gayi &
uska garmagarm gadha virya lund se chhut kamini ki chut me bharne
laga.barish se beparwah dono ghas pe pade lipte hue 1 dusre ko chumte
ja rahe the mano 1 sath jhadne ke is lamhe ko vo qayamat tak barkarar
rakhna chahte ho.
Suren Sahay apne bathroom se naha kar tauliya kamar pe bandhe bahar
aaye to samne ka nazara dekh ke unka dil josh se bhar gaya.unki
khubsurat biwi kewal bra & panty pehne cupboard se kapde nikal rahi
thi.uski gori pith unki taraf thi jispe bra ke kale straps kase hue
the.
Devika cupboard ke upar ke shelf se kuchh nikalne ke liye apne panjo
pe uchki to uski chaudi gand ubhar gayi & uski gudaz baahe upar hone
se bra straps bhi khinchne lage.suren ji ne pichhle 2 dino se khud pe
kabu rakha tha,unhone socha tha ki 1 baar doctor se baat kar len fir
apni biwi ko bhi chodenge & shahar ja kisi mast callgirl ke badan ka
bhi bharpur lutf uthayenge.
bahar tez barish ho rahi thi & mausam bhi kafi mastana ho gaya
tha.aise me samne devika is qatil andaz me khadi thi,vo sab kuchh bhul
gaye & bas yehi yaad raha ki ye khubsurat badan joki unki milkiyat hai
uski gehraiyo me utarke unhe bas vo anokhi khushi hasil karni thi.vo
aage badhe & pehle narangi dibiya se nikal 1 goli khayi & fir us
bekhabar haseena ko peechhe se apni baaho me jakad
liya,"haaa.....",devika chaunk padi.
"kya karte hain..chhodiye na!....uummmm....!",suren ji ne uske kandho
se straps ko utar bra ko farsh pe gira diya tha & unki baayi banh uske
seene ke paar padi uski dono chhatiyo ko apne neeche dabaye thi &
baaya hath uski dayi chhati ko masal raha tha.unka daya hath uske
chikne pet ko sehlata hua uski nabhi ko kured raha tha & unke tapte
lab uski lambi gardan ko apni tapish se jala rahe the.
"uummmmm....",devika ko bhi bahut achha lag raha tha & usne apni gudaz
baahe peechhe leja unke sar ko tham apne jism pe aur jhuka
diya,"..dawa li aapne?...uuffff..!"
"haan.",suren ji ne use ghuma ke kuchh pal uske gulabi honth chume &
fir use halke se dhakela to devika palang pe gira padi,uski tange
neeche latki hui thi & vo bistar pe leti apne hatho se apni chhatiyo
ko dabate nashili aankho se apne pati ko dekh rahi thi.biwi ki mastani
ada dekh suren ji ne fauran apna tauliya utar fenka.unka dil bahut
zoro se dhadak raha tha magar unhe abhi devika ke jism ke alawa kuchh
nahi sujh raha tha.
1 jhatke me unhone devika ki palang se latki tango ko utha uski panty
utari & 1 hi jhatke me apna pura lund usme utar diya & khade-2 hi use
chodne lage.
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"uummmm....viren....aahaannn....ab sone do na....ooowww....shareer
kahinke!",Kamini Viren ke studio me uske palang pe padi hui thi & vo
uski chhatiyo ke gulabi nipples ko bari-2 se dant se kaat raha tha.
"itna to so li.ab aur kitna soyogi?4 baj rahe hain,bhor ho gayi
hai.",viren ne dant ko nipple se hataya & uski daayi chhati ko pura ka
pura munh me bharne ki koshish karne
laga,"..aaaaaaaaaaahhhhhh.....!",shuru me to kamini ki aah nikli magar
baad me bas munh khula reh gaya & aavaz band ho gayi.masti me 1 bar
fir uski aankhe band ho gayi thi & vo fir se hawa me udne lagi
thi.raat ko lawn me chodne ke baad vo use god me utha andar le aaya
tha.
apne hatho se usne uske makhmali jism pe lagi mitti & ghaas ke tukdo
ko bathroom me saaf kiya tha & uske baad se leke abhi tak vo use 2
baar aur chod chuka tha.har baar viren use itna mast kar deta tha ki
vo uske lund ke liye pagal ho jati thi magar vo use fir bhi tadpata
rehta tha & kitna maza tha us tadap me..uufff!..& jab lund ghusta to
na jane kitni der tak uske andar khalbali machata rehta.jab tak vo man
bhar ke nahi jhad jati tab tak vo bhi nahi jhadta tha.
abhi bhi usne use bilkul pagal kar diya tha.kamini ne apni dayi taraf
karwat se lete uske jism se khelte viren ke upar apni baayi tang
chadha di & uske lund ko pakad liya....raat bhar chudne ke baad bhi
uski motai ne use hairan karna nahi chhoda tha.usne apne anguthe &
ungli ka dayra banake lund ko gherna chaha magar nakamyab rahi.lund ko
pakad usne apni chut pe ragadna chaha to viren ne lund peechhe khinch
liya.
raat bhar ke tajurbe se kamini samajh gayi thi ki vo tadpa-2 ke uske
nashe ko aur badhaana chahta tha magar use abhi bilkul sabra nahi
tha,"..uumm natak mat karo...jaldi se dalo na!",vo tange failaye let
gayi & viren ko khinch apne upar liya & uske lund ko pakad ke fir se
apni chut pe rakh diya.viren muskurate hue fir se ruk
gaya,"..uunnhh..uunhhh...viren..mat tadpao na....please!...jaldi se
chodo mujhe!",usne apni kamar hila ke apni bechaini jatayi.is baar
viren ne uski iltija sun li & 1 hi jhatke me aadhe lund ko apni
nayi-naveli premika ki chut me dakhil kara diya,"..ooww...!",kamini ko
abhi bhi thoad dard hua magar us se bhi zyada use maza aaya.
"tinngggg....!",dono ke maze me viren ke mobile ne khalal dala.viren
ne gardan ghuma ke dekha to number dekh usne fauran mobile utha
liya.kamini ko bahut bura laga magar vo chupchap use dekhti rahi.viren
ne dhakke lagane band kiye & apna seena neeche kar kamini ki choochiyo
ko daba apna vajan uske badan pe tika fone kaan se
lagaya,"hello..kya?!!!!"
kamini ne mehsus kiya ki viren ka lund jo abhi tak lohe jaisa sakhta
tha ab bilkul hi komal ho sikudne laga.viren ke mathe pe paseene ki
bunde chuchuha aayi & vo bas kaan se fone lagaye sun raha tha.uske
chehre ka rang bilkul ud chuka tha.kamini ko chinta hone lagi.usne
uske chehre pe pyar se hath firaya & aankho se ishare me puchha magar
viren vaise hi kaan se fone lagaye mano but ban gaya tha.
kamini ko laga ki jisne bhi fone kiya tha usne ab fone rakh diya tha
magar viren vaise hi but bana hua tha,"viren..viren..!",kamini ne sue
jhakjhora magar uspekoi asar nahi hua.kamini ne uske hath se fone liya
& kaan se lagaya magar fone kat chuka tha,"kya hua viren?!!!!kuchh to
bolo!",usne use dobara jhakjhora.
"bhaiyya....",& uski aankho se aansu behne lage.
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kramashah.................
आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj
--
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