बदला पार्ट--39
गतान्क से आगे...
"हेलो,कामिनी जी.कैसी हैं आप?"
"अच्छी हू,देविका जी.आप कैसी हैं?",कामिनी वीरेन के साथ एस्टेट पहुँच चुकी थी.
"बढ़िया.आइए लॉन मे बैठते हैं."
"देविका जी,आपको शिवा का कुच्छ पता चला?"
"नही,क्यू?"
"सब कुच्छ ठीक है ना यहा?"
"हां,बात क्या है कामिनी जी?"
"मुझे लगता है की जब तक उसका पता ना चल जाए कुच्छ ख़तरा तो बना ही हुआ
है.देखिए,और कुच्छ नही तो निकले जाने पे ज़िल्लत तो महसूस हुई होगी उसे &
फिर वो दवा वाली बात तो मैने आपको बताई ही है."
"हूँ...लेकिन फिर करें क्या,कामिनी जी?"
"1 रास्ता है."
"क्या?"
"मैं उसका पता लगवाती हू."
"मगर कैसे?"
"वो आप मुझपे छ्चोड़िए.1 इंसान है जोकि ये काम कर देगा.आपको बस उसकी फीस
देनी है & मुझे शिवा के सारे डीटेल्स देने हैं."
"डीटेल्स?"
"हां,जैसे की वो यहा आने से पहले कहा था.उसका कोई दोस्त या रिश्तेदार
जिसके बारे मे कोई यहा का वर्कर या आप जानते हो."
"1 बड़ा भाई है पंचमहल मे."
"अच्छा.डेविका जी,आप सारे डीटेल्स मुझे दे दीजिएगा.यहा से लौटते ही मैं
उस शख्स के ज़रिए शिवा का पता लगाने का काम शुरू कर दूँगी."
"मगर वो शख्स है कौन?"
"वो 1 प्राइवेट डीटेक्टिव है,देविका जी & घबराईए मत पंचमहल मे उसके जोड़
का जासूस शायद ही हो."
"लेकिन.."
"देविका जी,वो पेशेवर जासूस है & किसी को कभी पता भी नही चलेगा की वो
किसके लिए काम कर रहा है?वैसे भी आपके लिए उसे मैं हाइयर करूँगी."
"ओके.कामिनी जी,मुझे आप पे पूरा भरोसा है."
"थॅंक्स,देविका जी.मैं भी आपका भरोसा तोड़ूँगी नही."
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
"ओह्ह..इंदर..अंदर चलो ना..",रात के 11 बज रहे थे & देविका ने इंदर को
बंगल के पीछे रसोई के दरवाज़े के बाहर बुलाया था.प्रसून & रोमा अपने कमरे
मे चले गये थे & शायद अब तक 1 दूसरे की बाँहो मे खो भी चुके थे & अब
देविका भी इंदर की बाहो मे झूलना चाहती थी.इंदर को गले से लगा वो उसे चूम
रही थी.
"नही..प्लीज़....संभालिए खुद को.आज नही.",पंचमहल से लौटने के बाद देविका
हर रात इंदर को उसी रास्ते से बंगल के अंदर बुलाती थी & पूरी रात साथ
गुज़रने के बाद इनडर सवेरा होने से तोड़ा पहले वाहा से निकल जाता था.
"मगर क्यू?",देविका ने इंदर को दीवार से लगा दिया & उसके सीने को पकड़
उसे चूमने लगी.वो पागल हो रही थी.
"वीरेन साहब हैं अपनी कॉटेज मे हैं.कही उन्होने ने देख लिया तो ग़ज़ब हो
जाएगा!",इंदर ने उसे परे धकेला.
"कैसे पता चलेगा?"
"नही,मॅ'म.प्लीज़.",मगर देविका सुनने के मूड मे नही थी.उसने इंदर को
घुमाया & खुद दीवार से लग गयी & अपने ड्रेसिंग गाउन की बेल्ट खोल दी.इंदर
हैरान रह गया गाउन के नीचे उसने कुच्छ नही पहना था.वो कुच्छ बोलता उस से
पहले ही देविका ने उसकी ज़िप खोल उसके लंड को बाहर निकाला & बाए हाथ से
उसे हिलाते हुए दाए से इंदर को अपने गले से लगा लिया & चूमने लगी.
इंदर भी कर तो नाटक ही रहा था.देविका के लंड पकड़ने से उसे भी जोश आ
गया.उसने अपनी बाहे देविका की कमर मे डाल दी & उसकी किस का जवाब देने
लगा.इंदर के हाथ देविका की कमर को सहलाते हुए नीचे हुए & उसकी मस्त गंद
की फांको पे कस गये.हुमेशा की तरह 1 बार फिर इंदर को अपना बदला याद आ गया
& उसने देविका की गंद को इतनी ज़ोर से भींचा की होठ उसके होंठो से कसे
होने के बावजूद उसकी कराह निकल पड़ी.
देविका को इंदर की यही अदा बहुत भा गयी थी.सीधा,शरीफ इंदर क़ुरबत के इन
शिद्दत भरे पलो मे बिल्कुल उलट इंसान बन जाता था.उसके नाज़ुक बदन से वो
जब इस तरह थोड़े रूखे तरीके से पेश आता तो उसका जोश दुगुना हो जाता
था.इंदर ने अपने दाए हाथ को उसकी गंद से नीचे किया & उसकी बाई जाँघ के
नीचे लगा उसे उठाया.देविका समझ गयी की इंदर क्या चाहता है & उसने उसके
लंड को हिलाना छ्चोड़ उसे अपनी चूत का रास्ता दिखाया & जैसे ही लंड अंदर
दाखिल हुआ उसने सहारे के लिए दोनो हाथ उसके कंधो पे रख दिए.
इंदर उसे चूमता हुआ धक्के लगाने लगा.देविका ने इस तरह से खुले मे चुदाई
बस 1 बार की थी,टीले पे अपने पति के साथ मगर वाहा पकड़े जाने का डर नही
था मगर यहा तो किसी के भी देख लेने का डर था.इस डर से उसके दिल मे जो
रोमांच भर आया था वो उसे & भी मज़ा पहुँचा रहा था & ये उसके लिए बिल्कुल
नया एहसास था.उसका मज़ा पल-2 बढ़ रहा था.इंदर का लंड उसकी चूत की गहराइयो
मे उतर कर उसकी चूत मे अजीब सा तनाव पैदा कर रहा था.
देविका की चूचिया बिल्कुल तन गयी थी & निपल्स इतने कड़े हो अगये थे की
उनमे हल्का-2 दर्द भी हो रहा था.उसने इंदर के चेहरे को अपने गाल से अलग
किया & अपने सीने पे झुका दिया.उसकी टांग उठाए इंदर उसे चोद्ता हुआ उसकी
चूचियो को चूसने लगा.देविका चाहती थी की खुल कर आहे भरे मगर ये मुमकिन
नही था.उसके मज़े को आज खुल के इज़हार करने का मौका नही मिल रहा था & वो
जोश से बेचैन हो गयी थी.उसकी चूत अब इंदर के लंड पे और ज़्यादा कस रही
थी.इंदर समझ गया था की देविका अब अपनी मंज़िल के नज़दीक है.
देविका उसके गले को थामे उस से चिपकी थी & बड़ी मुश्किल से अपनी आहो को
रोके थी.इंदर ने उसकी उठाई हुई जाँघ को और भींचा & उसकी बाई चूची मे काट
लिया.
"आहह..",रोकते-2 भी देविका की आह निकल गयी & इंदर की इस हरकत ने आख़िरी
चोट का काम किया & वो झाड़ गयी मगर आज उसने इंदर को उसी की ज़ुबान मे
जवाब दिया & अपनी आह रोकने के लिए उसके बाए कंधे मे अपने दाँत गाड़ा दिए.
"ओह्ह्ह्ह...",इंदर कराहा & झटके ख़ाता हुआ अपना गरम वीर्या उसकी चूत मे
छ्चोड़ने लगा.दोनो अपनी-2 मंज़िल पा गये थे.इंदर ने थोड़ी देर बाद अपना
लंड चूत से बाहर खींचा & देविका के गाउन के बेल्ट को बाँध दिया.उसके होंठ
चूम उसने उसे अंदर जाने का इशारा किया & जैसे ही वो अंदर गयी वो भी अपने
क्वॉर्टर की ओर मूड गया.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
"चलें.",कामिनी वीरेन की कॉटेज से बाहर आई.उसने डेनिम शॉर्ट्स & उसके उपर
1 कॉटन की पूरे बाज़ू की सफेद शर्ट पहनी थी & पैरो मे बिना मोज़े के
स्नीकर्स.
"हूँ.",वीरेन ने उसे सर से पैर तक देखा & जीप स्टार्ट कर दी.पिच्छली बार
की तरह इस बार रात को किसी ने उनकी खिड़की से अंदर नही झाँका था & कामिनी
को वीरेन से चुदने के बाद बड़ी अच्छी नींद आई थी.जीप मे वीरेन के बगल मे
बैठी वो बड़ा हल्का महसूस कर रही थी.जीप चलते हुए वीरेन ने अपना बाया हाथ
उसकी नंगी दाई जाँघ पे रखा & सहलाने लगा तो कामिनी उसे देख शोखी से
मुस्कुराइ.
थोड़ी ही देर मे जीप झील पे पहुँच गयी.वीरेन ने जीप की पिच्छली सीट से
अपना बॅग & ईज़ल उठाया & अपना समान ठीक करने लगा.
"अब इधर आओ,कामिनी.",वीरेन अपना ईज़ल सेट कर पलटा तो उसका मुँह खुला का
खुला रह गया.कामिनी ने अपनी कमीज़ उतार दी थी & उसके नीचे पहनी काले रंग
की वेस्ट & उसके पतले स्ट्रॅप्स के नीचे से झँकते ट्रॅन्स्परेंट ब्रा
स्ट्रॅप्स मे कसी उसकी मस्त चूचियो का मनमोहक हिस्सा वेस्ट के गले से
झाँक रहा था.
"क्या हुआ?",कामिनी ने शोखी से पुचछा & लहराती हुई उसके करीब आई.
"इधर आओ.",वीरेन ने उसे अपने पास खीच के चूम लिया.
"क्या करते हो?कोई आ गया तो?"
"यहा कोई नही आता & आ भी गया तो क्या!",वीरेन ने उसकी चूचियो को दबाया &
उसकी ज़ुबान से अपनी ज़ुबान लड़ाई.
"इसे उतारो.",उसने अपना बाया हाथ उसकी वेस्ट मे घुसा उसके चिकने पेट को सहलाया.
"उम्म..ना.",कामिनी इटराई.
"ठीक है,मैं करता हू ये शुभ काम.",इंदर ने उसकी कमर पकड़ उसे जीप के
बॉनेट पे बिठाया & फिर उसकी वेस्ट निकाल दी.ट्रॅन्स्परेंट स्ट्रॅप्स की
वजह से ऐसा लग रहा था की ब्रा बस उसकी चूचियो को ढँके हुए है & उसके उपर
का हिस्सा खाली है.वीरेन ने अपनी बाहें कामिनी की कमर पे लपेटी & उसके
सीने के उपर के हिस्से को चूमने लगा.
"उन्न्न.....बस जब देखो ऐसी ही तस्वीरे बनाते हो.",कामिनी ने उसके सर को सहलाया.
"क्या करू?ऐसी हुस्न की मालिक की और कैसी तस्वीर बनाऊँ.",वीरेन उसके ब्रा
के कप्स को नीचे कर उसकी चूचिया नंगी कर रहा था.
"तुम तो बस मेरे कपड़े उतारने के बहाने ढूनडते हो.",वीरेन ने कप्स नीचे
कर उसकी चूची चूमि तो कामिनी ने उसके सर को अपने सीने से हटा दिया.
"उतारो ना,कामिनी फिर देर हो जाएगी."
"1 शर्त पे."
"आज तुम भी कपड़े उतार के पैंटिंग करोगे.",जवाब मे वीरेन मुस्कुराया &
अपने कपड़े उतारने लगा.पूरा नंगा होके वो कामिनी के पास आया & उसकी टाँगे
चूमने लगा.चूमते हुए उसने उसके स्नीकर्स निकाले & पाँवो की 1-1 उंगली को
मुँह मे ले चूसा.कामिनी का जिस्म रोमांच से भर गया & उसने बॉनेट पे पीछे
अपने हाथ जमा लिए & उसकी हर्कतो का लुत्फ़ उठाने लगी.वीरेन टाँगो को
चूमता हुआ उसकी जाँघो पे पहुँचा & वाहा पहुचते ही उसके होठ चूमने के बजाय
चूसने लगे.
"ओई मा.....हाइईइ...!",कामिनी के बदन मे वीरेन ने आग लगा दी.उसने उसकी
शॉर्ट्स के बटन को खोला तो कामिनी ने खुद ही अपनी गंद थोड़ी सी उचका
दी.वीरेन ये देख बहुत खुश हुआ की कामिनी ने आज पॅंटी नही पहनी
है..शॉर्ट्स किनारे कर उसने उसकी जंघे फैलाई & उसकी चूत से अपने होठ
चिपका दिए.
उस वीरान को कामिनी की मस्त आहो ने गुलज़ार कर दिया.वीरेन तब तक उसकी चूत
से चिपका रहा जब तक की वो झाड़ नही गयी.उसके झाड़ते ही उसने उसका ब्रा
निकाला & कामिनी को अपनी बहो मे उठा लिया.झील से थोड़ा हट के 1 पेड़ था
जोकि सीधा उगने के बजाय ज़मीन के पॅरलेल सा उग गया था.पेड़ काफ़ी पुराना
था & उसका तना काफ़ी मोटा.वीरेन ने अपनी महबूबा को उसी तने पे लिटाया &
डाई करवट लेने को कहा.
थोड़ी ही देर बाद नंगी कामिनी पेड़ के तने पे अपने दाए हाथ को अपने सर के
उपर पेड़ के तने पे सीधा फैलाए & बाए को अपनी कमर से लगाए लेटी थी &
वीरेन के हाथ तेज़ी से कॅन्वस पे चल रहे थे.कामिनी के चेहरे पे थोड़ी ही
देर पहले वीरेन की ज़ुबान के ज़रिए झड़ने के चलते सुकून & खुमारी के
मिले-जुले भाव थे.उसे वीरेन पे बहुत प्यार आ रहा था & बीच-2 मे वो उसे
होंठो को गोल कर चूमने का इशारा कर रही थी.वीरेन का लंड पूरा तना हुआ था
& जब-2 कामिनी की नज़र उसपे पड़ती उसके दिल मे उसे जल्द से जल्द अपनी चूत
मे लेने की चाहत हो उठती.
वीरेन ने अपने बॅग से कुच्छ रंग निकाले & 1 पॅलेट नाइफ.अपने पॅलेट मे रंग
डाल वो रंग उसी नाइफ से मिलने लगा.ये च्छुरी आम रसोई मे इस्तेमाल होने
वाली च्छुरी जैसे ही थी बस इसकी धार उतनी तेज़ नही थी बल्कि धार थी ही
नही.रंग मिलाते हुए वीरेन ने कामिनी को देखा तो पाया की उसका बाया हाथ
उसकी कमर से उतर उसकी चूत पे आ गया है & वीरेन को देखते हुए कामिनी अपने
दाने पे गोल-2 उंगली चला रही है.कामिनी के चेहरे पे मस्ती च्छाई हुई थी.
रंग मिलाते हुए वीरेन पॅलेट नाइफ ले उसके करीब आया & उसकी कमर के नीचे
जहा से बाई जाँघ शुरू होती है उसपे नाइफ से रंग लगाया,"क्या कर रहे
हो?",कामिनी की खनकती आवाज़ ने सन्नाटे को तोड़ा.
"तुम्हारे जिस्म के रंग सा रंग नही मिलता वही ढूंड रहा हू.",नाइफ जाँघ पे
थोड़ा और नीचे आई.कामिनी अभी भी अपने दाने को सहला रही थी.
"कोई पहली बार मेरी तस्वीर बना रहे हो क्या?"
"नही.पर हर तस्वीर मे ना तुम्हारा हुस्न बिल्कुल सच्ची तरह से उतरा है ना
ही तुम्हारा रंग.",नाइफ घुटनो तक आ जाँघ के अंदर की ओर घूम गयी.रंग की
लकीर जैसे-2 कामिनी की चूत की ओर बढ़ रही थी कामिनी की चूत की कसक वैसे-2
बढ़ती जा रही थी.नाइफ चूत के पास पहुँची तो वीरेन ने कामिनी की आँखो मे
झाँका-वाहा बस खुमार ही खुमार था.उसने नाइफ को चूत के अंदर धकेला.
"उम्म्म..",कामिनी दाने को रगड़ते हुए कराही.नाइफ अंदर घुसने लगी & थोड़ी
ही देर मे वो उसकी चूत मार रही थी.पेड़ का तना काफ़ी मोटा था & नाइफ की
हरकत से बेचैन कामिनी ने करवट बदली & अब सीधा लेट गयी.उसकी दाई टांग पेड़
से नीचे लटक गयी & बाई को मोड़ उसने अपना बाया पाँव पेड़ पे जमा अपनी चूत
अपने महबूब के लिए खोल दी.वीरेन उसकी चूत मारे जा रहा था.
"कामिनी,ऐसा लगता है की दुनिया शुरू हुई है & बस हम दोनो ही हैं यहा इस
जहाँ मे & कोई भी नही.",वीरेन की नाइफ अब उसकी चूत मे थोड़ा तेज़ हो गयी
थी.वीरेन ने माहौल की गर्मी से मदहोश हो ये बात कही थी & उसे पता नही था
की वो कितना ग़लत था.इंदर ने जब देखा की दोनो जीप मे कही निकले हैं तो वो
भी उनके पीछे लग गया था & इस वक़्त पेड़ो के झुर्मुट मे च्छूपा उनका
मस्ताना खेल देख रहा था.
"ओह्ह..वीरेन..",कामिनी का बदन मचल रहा था & वो अपनी कमर उचका रही
थी,"..ऊव्व...आअनह..ुआर
तेज़..हा...ऐसे..ही...आँह..हन...हाआअन्न....हाआआआआअंन्न..!",कमर उचकती
कामिनी झाड़ गयी.उसके झाड़ते ही वीरेन ने नाइफ को छ्चोड़ा & उसकी फैली
टाँगो को हवा मे उठा उनके बीच रस बहाती चूत मे अपना लंड घुसा दिया.वीरेन
ने दोनो टाँगे पेड़ के तने के दोनो ओर ज़मीन पे जमा दी थी & हल्के-2
धक्के लगा रहा था.कामिनी ने सहारे के लिए हाथ अपने सर के उपर ले जा तने
को थामा हुआ था.इस तरह से चोदने मे नयापन तो था मगर दोनो प्रेमियो को
आराम नही महसूस हो रहा था.वीरेन चोद्ते हुए झुका तो कामिनी उस से लिपट
गयी.वीरेन ने भी हाथ उसकी गंद के नीचे जमा उसे गोद मे उठाया फिर दाई टांग
को उठा तने के उपर से दूसरी तरफ लाया & अपनी माशुक़ा की चूत मे लंड धंसाए
उसे गोद मे उठाए जीप की पिच्छली सीट पे ले आया.
कामिनी को सीट पे लिटा वीरेन गहरे धक्को के साथ उसकी चुदाई मे जुट
गया.कामिनी उसकी पीठ खरोंछती आहे भर रही थी.वीरेन उसकी चूचियो को कभी
चूमता तो कभी चूस्ता उसके हाथ अभी भी कामिनी की गंद के नीचे दबे उसकी
फांको को मसल रहे थे.उनकी चुदाई से जीप बुरी तरह हिल रही थी.थोड़ी देर तक
इंदर उस हिलती जीप को देखता रहा & फिर वाहा से जाने को मूड गया.कोई 5
मिनिट बाद उसे 1 चीख सुनाई दी.ये कामिनी की आह थी जो उसने तीसरी बार
झड़ने पे ली थी.इंदर मुस्कुराया & अपने रास्ते पे आगे बढ़ गया.
..................................
"ह्म्म..",मोहसिन जमाल के हाथो मे शिवा की फोटो & डीटेल्स थे जो कामिनी
अपने साथ सहाय एस्टेट से लेके आई थी,"..आदमी फ़ौजी था & इस हाल की तस्वीर
से चुस्त-दुरुस्त भी लगता है.उपर से साहब मुजरिमाना तबीयत के मालिक
हैं!",उसने तस्वीर & काग़ज़ 1 पॅकेट मे डाले & अपने पास रख लिए.
"काम थोड़ा मुश्किल होगा,कामिनी जी."
"पता है,मोहसिन.तभी तो तुम्हे याद किया है.वैसे शुरुआत कहा से करोगे?"
"इसके बड़े भाई से.",मोहसिन उठ खड़ा हुआ,"अच्छा,कामिनी जी चलता हू.सारी
रिपोर्ट आपको वक़्त-2 पे मिलती रहेगी."
"1 मिनिट,मोहसिन.",कामिनी ने उसे बैठने का इशारा किया.कामिनी को समझ नही
आ रहा था की उसे ये बात बताए या नही,"देखो.."
"क्या बात है,कामिनी जी?आप बेझिझक कहिए.आप जानती हैं की आपके & मेरे बीच
हुई कोई भी बात इस कमरे के बाहर तो जाने से रही.",मोहसिन ने उसे भरोसा
दिलाया.
"मोहसिन,मुझे शक़ है की इस शिवा का चक्कर सहाय एस्टेट की मालकिन देविका
सहाय से था & अगर इसे ज़रा भी भनक लगी की कोई उसके पीछे है या फिर उसे
क़ानून के हवाले करना चाहता है तो वो देविका के खिलाफ कुच्छ भी कह सकता
है जिस से की उसकी इज़्ज़त पे आँच आए."
"ह्म्म..",मोहसिन ने अपनी ठुड्डी खुज़ाई,"..ठीक है,मैं इस बात का ख़याल
रखूँगा & जैसे ही इसके बारे मे पता चलता है आपको इत्तिला करूँगा."
"थॅंक्स,मोहसिन."
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
क्रमशः............
बदला पार्ट--39
गतान्क से आगे...
"hello,Kamini ji.kaisi hain aap?"
"achhi hu,devika ji.aap kaisi hain?",kamini Viren ke sath estate
pahunch chuki thi.
"badhiya.aaiye lawn me baithate hain."
"devika ji,aapko shiva ka kuchh pata chala?"
"nahi,kyu?"
"sab kuchh thik hai na yaha?"
"haan,baat kya hai kamini ji?"
"mujhe lagta hai ki jab tak uska pata na chal jaye kuchh khatra to
bana hi hua hai.dekhiye,aur kuchh nahi to nikale jane pe zillat to
mehsus hui hogi use & fir vo dawa wali baat to maine aapko batayi hi
hai."
"hun...lekin fir karen kya,kamini ji?"
"1 rasta hai."
"kya?"
"main uska pata lagwati hu."
"magar kaise?"
"vo aap mujhpe chhodiye.1 insan hai joki ye kaam kar dega.aapko bas
uski fees deni hai & mujhe shiva ke sare details dene hain."
"details?"
"haan,jaise ki vo yaha aane se pehle kaha tha.uska koi dost ya
rishtedar jiske bare me koi yaha ka worker ya aap janto ho."
"1 bada bhai hai panchmahal me."
"achha.devika ji,aap sare details mujhe de dijiyega.yaha se lautate hi
main us shakhs ke zariye shiva ka pata lagane ka kaam shuru kar
dungi."
"magar vo shakhs hai kaun?"
"vo 1 private detective hai,devika ji & ghabraiye mat panchmahal me
uske jod ka jasoos shayad hi ho."
"lekin.."
"devika ji,vo peshevar jasoos hai & kisi ko kabhi pata bhi nahi
chalega ki vo kiske liye kaam kar raha hai?vaise bhi aapke liye use
main hire karungi."
"ok.kamini ji,mujhe aap pe pura bharosa hai."
"thanx,devika ji.main bhi aapka bharosa todungi nahi."
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
"ohh..inder..andar chalo na..",raat ke 11 baj rahe the & devika ne
inder ko bungle ke peechhe rasoi ke darwaze ke bahar bulaya tha.Prasun
& Roma apne kamre me chale gaye the & shayad ab tak 1 dusre ki baho me
kho bhi chuke the & ab devika bhi inder ki baaho me jhulna chahti
thi.inder ko gale se laga vo use chum rahi thi.
"nahi..please....sambhaliye khud ko.aaj nahi.",panchmahal se lautne ke
baad devika har raat inder ko usi raste se bungle ke andar bulati thi
& puri raat sath guzarne ke baad inder savera hone se thoda pehle vaha
se nikal jata tha.
"magar kyu?",devika ne inder ko deewar se laga diya & uske seene ko
pakad use chumne lagi.vo pagal ho rahi thi.
"viren sahab hain apni cottage me hain.kahi unhone ne dekh liya to
gazab ho jayega!",inder ne sue pare dhakela.
"kaise pata chalega?"
"nahi,ma'am.please.",magar devika sunane ke mood me nahi thi.usne
idner ko ghumaya & khud deewar se lag gayi & apne dressing gown ki
belt khol di.inder hairan reh gaya gown ke neeche usne kuchh nahi
pehna tha.vo kuchh bolta us se pehle hi devika ne uski zip khol uske
lund ko baha nikala & baye hath se use hilate hue daye se inder ko
apne gale se laga liya & chumne lagi.
inder bhi kar to natak hi raha tha.deivka ke lund pakadne se use bhi
josh aa gaya.usne apni baahe devika ki kamar me daal di & uski kiss ka
jawab dene laga.inder ke hath devika ki kamar ko sehlate hue neeche
hue & uski mast gand ki fanko pe kas gaye.humesha ki tarah 1 bar fir
inder ko apna badla yaad aa gaya & usne devika ki gand ko itni zor se
bhincha ki hoth uske hotho se kase hone ke bavjood uski karah nikal
padi.
devika ko inder ki yehi ada bahut bha gayi thi.seedha,sharif inder
qurbat ke in shiddat bhare palo me bilkul ulat insan ban jata tha.uske
nazuk badan se vo jab is tarah thode rukhe tarike se pesh aata to uska
josh duguna ho jata tha.inder ne pane daye hath ko uski gand se neeche
kiya & uski bayi jangh ke neeche laga use uthaya.devika samajh gayi ki
inder kya chahta hai & usne uske lund ko hilana chhod use apni chut ka
rasta dikhaya & jaise hi lund andar dakhil hua usne sahare ke liye
dono hath uske kandho pe rakh diye.
inder use chumta hua dhakke lagane laga.devika ne is tarah se khule me
chudai bas 1 baar ki thi,teele pe apne pati ke sath magar vaha pakde
jane ka darr nahi tha magar yaha to kisi ke bhi dekh lene ka darr
tha.is darr se uske dil me jo romanch bhar aay tha vo use & bhi maza
pahuncha raha tha & ye uske liye bilkul naya ehsas tha.uska maza pal-2
badh raha tha.inder ka lund uski chut ki gehraiyo me utar kar uski
chut me ajib sa tanav paida kar raha tha.
devika ki choochiya bilkul tan gayi thi & nipples itne kade ho agye
the ki unme halka-2 dard bhi ho raha tha.usne inder ke chehre ko apne
gaal se alag kiya & apne seene pe jhuka diya.uski tang uthaye inder
use chodta hua uski chhatiyo ko chusne laga.devika chahti thi ki khul
kar aahe bhare magar ye mumkin nahi tha.uske maze ko aaj khul ke izhar
karne ka mauka nahi mil raha tha & vo josh se bechain ho gayi thi.uski
chut ab inder ke lund pe aur zyada kas rahi thi.inder samajh gaya tha
ki devika ab apni manzil ke nazdik hai.
devika uske gale ko thame us se chipki thi & badi mushkil se apni aaho
ko roke thi.inder ne uski uthayi hui jangh ko aur bhincha & uski bayi
chhati me kaat liya.
"aahhh..",rokte-2 bhi devika ki aah nikal gayi & inder ki is harkat ne
aakhiri chot ka kaam kiya & vo jhad gayi magar aaj usne inder ko usi
ki zuban me jawab diya & apni aah rokne ke liye uske baye kandhe me
apne dant gada diye.
"ohhhh...",inder karaha & jhatke khata hua apna garam virya uski chut
me chhodne laga.dono apni-2 manzil pa gaye the.inder ne thodi der baad
apna lund chut se bahar khincha & devika ek gown ke belt ko bandh
diya.uske honth chum usne use andar jane ka ishara kiya & jaise hi vo
andar gayi vo bhi apne quarter ki or mud gaya.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
"chalen.",kamini viren ki cottage se bahar aayi.usne denim shorts &
uske upar 1 cotton ki pure bazu ki safed shirt pehni thi & pairo me
bina moze ke sneakers.
"hun.",viern ne use sar se pair tak dekha & jeep start kar di.pichhli
baar ki tarah is baar raat ko kisi ne unki khidki se andar nahi jhanka
tha & kamini ko viren se chudne ke baad badi achhi neend aayi thi.jeep
me viren ke bagal me baithi vo bada halka mehsus kar rahi thi.jeep
chalate hue viren ne apna baya hath uski nangi dayi jangh pe rakha &
sehlane laga to kamini use dekh shokhi se muskurayi.
thodi hi der me jeep jhil pe pahunch gayi.viren ne jeep ki pichhli
seat se apna bag & easel uthaya & apna saman thik karne laga.
"ab idhar aao,kamini.",viren apna easel set kar palta to uska munh
khula ka khula reh gaya.kamini ne apni kamiz utar di thi & uske neeche
pehni kale rang ki vest & uske patle straps ke neeche se jhankte
transparent bra straps me kasi uski mast chhatiyo ka manmohak hissa
vest ke gale se jhank raha tha.
"kya hua?",kamini ne shokhi se puchha & lehrati hui uske karib aayi.
"idhar aao.",viren ne use apne paas khicnh ke chum liya.
"kya karte ho?koi aa gaya to?"
"yaha koi nahi aata & aa bhi gaya to kya!",viren ne uski chhatiyo ko
dabaya & uski zuban se apni zuban ladayi.
"ise utaro.",usne apna baya hath uski vest me ghusa uske chikne pet ko sehlaya.
"umm..na.",kamini itrayi.
"thik hai,main karta hu ye shubh kaam.",inder ne uski kamar pakad use
jeep ke bonnet pe bithaya & fir uski vest nikal di.transparent straps
ki vajah se aisa lag raha tha ki bra bas uski choochiyo ko dhanke hue
hai & uske uapr ka hissa khali hai.viren ne apni bahen kamini ki kamar
pe lapeti & uske seene ke uapr ke hisse ko chumne laga.
"unnn.....bas jab dekho aisi hi tasveere banate ho.",kamini ne uske
sar ko sehlaya.
"kya karu?aisi husn ki malik ki aur kaisi tasveer banaoon.",viren uske
bra ke cups ko neeche kar uski chhatiya nangi kar raha tha.
"tum to bas mere kapde utarne ke bahane dhoondte ho.",viren ne cups
neeche kar uski chhati chumi to kamini ne uske sar ko apne seene se
hata diya.
"utaro na,kamini fir der ho jayegi."
"1 shart pe."
"aaj tum bhi kapde utar ke painting karoge.",jawab me viren muskuraya
& apne kapde utarne laga.pura nanga hoke vo kamini ke paas aaya & uski
tange chumne laga.chumte hue usne uske sneakers nikale & panvo ki 1-1
ungli ko munh me le chusa.kamini ka jism romanch se bhar gaya & usne
bonnet pe peechhe apne hath jama liye & uski harkato ka lutf uthane
lagi.viern tango ko chumta hua uski jangho pe pahuncha & vaha pahuchte
hi uske hoth chumne ke bajay chusne lage.
"ouiii maa.....haaiii...!",kamini ke badan me viren ne aag laga
di.usne uski shorts ke button ko khola to kamini ne khud hi apni gand
thodi si uchka di.viren ye dekh bahut khush hua ki kamini ne aaj panty
nahi pehni hai..shorts kinare kar usne uski janghe failayi & uski chut
se apne hoth chipka diye.
us virane ko kamini ki mast aaho ne gulzar kar diya.viren tab tak uski
chut se chipka raha jab tak ki vo jhad nahi gayi.uske jhadte hi usne
uska bra nikala & kamini ko apni baho me utha liya.jhil se thoda hat
ke 1 ped tha joki seedha ugne ke bajay zamin ke parallel sa ug gaya
tha.ped kafi purana tha & uska tana kafi mota.viren ne apni mehbuba ko
usi tane pe litaya & dayi karwat lene ko kaha.
thodi hi der baad nangi kamini ped ke tane pe apne daye hath ko apne
sar ke upar ped ke tane pe seedha failaye & baye ko apni kamar se
lagaye leti thi & viren ke hath tezi se canvas pe chal rahe the.kamini
ke chehre pe thodi hi der pehle viren ki zuban ke zariye jhadne ke
chalte sukun & khumari ke mile-jule bhav the.use viren pe bahut pyar
bhji aa raha tha & beech-2 me vo use hotho ko gol kar chumne ka ishara
kar rahi thi.viren ka lund pura tana hua tha & jab-2 kamini ki nazar
uspe padti uske dil me use jald se jald apni chut me lene ki chahat ho
uthati.
viren ne apne bag se kuchh rang nikale & 1 palette knife.apne palette
me rang daal vo rang usi knife se milane laga.ye chhuri aam rasoi me
istemal hone vali chhuri jaise hi thi bas iski dhar utni tez nahi thi
balki dhar thi hi nahi.rang milate hue viren ne kamini ko dekha to
paya ki uska baya hath uski kamar se utar uski chut pe aa gaya hai &
viren ko dekhte hue kamini apne dane pe gol-2 ungli chala rahi
hai.kamini ke chehre pe masti chhayi hui thi.
rang milate hue viren palette knife le uske karib aaya & uski kamar ke
neeche jaha se bayi jangh shuru hoti hai uspe knife se rang
lagaya,"kya kar rahe ho?",kamini ki khanakti aavaz ne sannate ko toda.
"tumhare jism ke rang sa rang nahi milta vahi dhoond raha hu.",knife
jangh pe thoda aur neeche aayi.kamini abhi bhi apne dane ko sehla rahi
thi.
"koi pehli bar meri tasvir bana rahe ho kya?"
"nahi.par har tasvir me na tumhara husn bilkul sachchi tarah se utara
hai na hi tumhara rang.",knife ghutno tak aa jangh ke andar ki or ghum
gayi.rang ki lakir jaise-2 kamini ki chut ki or badh rahi thi kamini
ki chut ki kasak vaise-2 badhti ja rahi thi.kanife chut ke paas
pahunchi to viren ne kamini ki aankho me jhanka-vaha bas khumar hi
khumar tha.usne knife ko chut ke andar dhakela.
"ummm..",kamini dane ko ragadte hue karahi.knife andar ghusne lagi &
thodi hi der me vo uski chut maar rahi thi.ped ka tana kafi mota tha &
knife ki harkat se bechain kamini ne karwat badli & ab seedha let
gayi.uski dayi tang ped se neeche latak gayi & bayi ko mod usne apna
baya panv ped pe jama apni chut apne mehbub ke liye khol di.viren uski
chut mare ja raha tha.
"kamini,aisa lagta hai ki duniya shuru hui hai & bas hum dono hi hain
yaha is jahan me & koi bhi nahi.",viren ki knife ab uski chut me thoda
tez ho gayi thi.viren ne mahaul ki garmi se madhosh ho ye baat kahi
thi & use pata nahi tha ki vo kitna galat tha.inder ne jab dekha ki
dono jeep me kahi nikle hain to vo bhi unke peechhe lag gaya tha & is
waqt pedo ke jhurmut me chhupa unka mastana khel dekh raha tha.
"ohh..viren..",kamini ka badan machal raha tha & vo apni kamar uchka
rahi thi,"..ooww...aaanhhh..uar
tez..haa...aise..hi...aanhh..haan...haaaaann....haaaaaaaaaaannn..!",kamar
uchkati kamini jhad gayi.uske jhadte hi viren ne knife ko chhoda &
uski faili tango ko hawa me utha unke beech ras bahati chut me apna
lund ghusa diya.viren ne dono tange ped ke tane ke dono or zamin pe
jama di thi & halke-2 dhakke laga raha tha.kamini ne sahare ke liye
hath apne sar ke upar le ja tane ko thama hua tha.is tarah se chodne
me nayapan to tha magar dono premiyo ko aram nahi mehsus ho raha
tha.viren chodte hue jhuka to kamini us se lipat gayi.viern ne bhi
hath uski gand ke neeche jama use god me uthaya fir dayi tang ko utha
tane ke upar se dusri taraf laya & apni mashuqa ki chut me lund
dhansaye sue god me uthaye jeep ki pichhli seat pe le aaya.
kamini ko seat pe lita inder gehre dhakko ke sath uski chudai me jut
gaya.kamini uski pith kharonchti aahe bhar rahi thi.viren uski
chhatiyo ko kabhi chumta to kabhi chusta uske hath abhi bhi kamini ki
gand ke neeche dabe uski fanko ko masal rahe the.unki chudai se jeep
buri tarah hil rahi thi.thodi der tak inder us hilti jeep ko dekhta
raha & fir vaha se jane ko mud gaya.koi 5 minute baad use 1 chikh
sunayi di.ye kamini ki aah thi jo usne teesri baar jhadne pe li
thi.inder muskuraya & apne raste pe aage badh gaya.
"Hmm..",Mohsin Jamal ke hatho me Shiva ki foto & details the jo Kamini
apne sath Sahay Estate se leke aayi thi,"..aadmi fauji tha & is haal
ki tasvir se chust-dusrust bhi lagta hai.upar se sahab mujrimana
tabiyat ke malik hain!",usne tasvir & kagaz 1 packet me dale & apne
paas rakh liye.
"kaam thoda mushkil hoga,kamini ji."
"pata hai,mohsin.tabhi to tumhe yaad kiya hai.vaise shuruat kaha se karoge?"
"iske bade bhai se.",mohsin uth khada hua,"achha,kamini ji chalta
hu.sari report aapko waqt-2 pe milti rahegi."
"1 minute,mohsin.",kamini ne use baithne ka ishara kiya.kamini ko
samajh nahi aa raha tha ki use ye baat bataye ya nahi,"dekho.."
"kya baat hai,kamini ji?aap bejhijhak kahiye.aap janti hain ki aapke &
mere beech hui koi bhi baat is kamre ke bahar to jane se rahi.",mohsin
ne use bharosa dilaya.
"mohsin,mujhe shaq hai ki is shiva ka chakkar sahay estate ki malkin
Devika Sahay se tha & agar ise zara bhi bhanak lagi ki koi uskwe
peechhe hai ya fir use kanoon ke hawale karna chahta hai to vo devika
ke khilaf kuchh bhi keh sakta hai jis se ki uski izzat pe aanch aaye."
"hmm..",mohsin ne apni thuddi khujai,"..thik hai,main is baat ka
khayal rakhunga & jaise hi iske bare me pata chalta hai aapko ittila
karunga."
"thanx,mohsin."
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
kramashah............
आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj
No comments:
Post a Comment