Sunday, October 24, 2010

कामुक-कहानियाँ बदला पार्ट--43

कामुक-कहानियाँ

बदला पार्ट--43

गतान्क से आगे..

क्षोटन चौबे की हर्कतो से भले ही लोगो को ये गुमान हो की वो 1 ढीला-ढाला
शख्स था मगर कोई भी उसे काम करते देख लेता तो फ़ौरन समझ लेता की वो 1 पेन
दिमाग़ का मालिक था.सहाय एस्टेट मे भी जब उसने कदम रखे & प्रसून की
गुमशुदगी की गुत्थी सुलझानी शुरू की & इस बाबत खोजी दल चारो ओर भेजे उस
वक़्त भी वो एस्टेट के गार्ड्स & अपने आदमियो के ज़रिए एस्टेट की हदे सील
करना नही भुला था.

जब प्रसून की लाश बरामद हुई तो उसने फ़ौरन पंचमहल से डॉग स्क्वाड बुलवाया
& उन्हे काम पे लगा दिया.कोई 2 घंटे तक उसने प्रसून की लाश को मिलने की
जगह से नही हटाया & कुत्तो को उसकी गंध सूँघा के च्छुड़वा दिया.जब कुत्ते
एस्टेट मे चारो ओर फैल गये तभी उसने उसकी लाश पोस्ट-मॉर्टेम के लिए भेजी.

शाम को कोई 5 बजे चौबे की मेहनत रंग लाई.छ्होटी नाम की 1 कुतिया मॅनेजर'स
कॉटेज के पास पहुँच के भौंक रही थी.उसके हॅंड्लर ने फ़ौरन चौबे को इस बात
की खबर दी.चौबे वाहा पहुँचा तो उसने देखा की कॉटेज के दरवाज़े पे ताला तो
काफ़ी पुराना लगा हुआ है मगर कॉटेज के सामने ऐसा लगता था जैसे किसी ने
झाड़ू मारा हो.

चौबे सोच मे पड़ गया.उसने अपने 1 आदमी को बाइक स्टार्ट करने कहा & उसके
पीछे बैठ गया,"अब यहा से ज़रा टीलवा तक चलो तो मगर रास्ते के
किनारे-2.",चौबे की पैनी निगाहे सारे रास्ते का बारीकी से मुआयना कर रही
थी.वो टीले तक जाकर वापस आ गया & फिर इंदर को तलब किया.

"आइए मॅनेजर साहब..",इंदर के चेहरे के सवालिया भाव देख चौबे ने आगे
बोला,"..ई झोपडिया किसका है?"

"जी,है तो ये मॅनेजर'स कॉटेज मगर मैं यहा नही रहता तो ये तो काफ़ी दीनो
से बंद पड़ी है."

"हूँ..",चौबे ने 1 हाथ पीछे किया तो 1 हवलदार ने 1 पेपर कप उसे
थमाया,उसने पान की पीक उसमे थुकि.कॉटेज शक़ के घेरे मे थी & वाहा थूक
चौबे क्राइम सीन को गंदा नही करना चाहता था,"..ऐसा काहे भाई?इतना बढ़िया
कॉटेज मे काहे नही रहते हैं आप?"

"अकेला आदमी हू,जनाब.अब इतने बड़े कॉटेज मे अकेले क्या करूँगा इसीलिए मैं
तो उधर बने क्वॉर्टर्स मे से 1 मे ही रहता हू.मेरे लिए वही काफ़ी है."

"बहुत समझदार आदमी लगते हैं आप,इंदर बाबू."

"शुक्रिया.और कुच्छ पुच्छना है?"

"नही,आप जाइए.यहा की चाभी भिजवा दीजिए बस.",उसके जाते ही चौबे मुड़ा &
अपने नीचे काम कर रहे ऑफीसर को बुलाया,"हसन..",ये वही अफ़सर था जिसकी
बाइक पे चौबे थोड़ी देर पहले टीले तक का चक्कर लगा के आया था.

"जी,जनाब."

"कुच्छ गौर किए रास्ते पे?"

"ऐसा कुच्छ खास तो नही.,सर.",हसन अपना सर खुजा रहा था.

"धात!अरे 1 जीप का टाइयर का निशान भी है मगर ऊ हम लोग के गाड़ी सब के
निशान मे दब गया है.यहा झाड़ू लगा हुआ है मतलब कोई नही चाहता है की हम
लोग जाने की यहा कोई आया था."

"तो सर,उस टाइयर के निशान से गाड़ी का पता लगाते हैं.",हसन ने जोश मे कहा.

"हम पता लगा लिए हैं,हसन साहब."

"कैसे सर?"

"तुम भी यार..",चौबे तेज़ी से पान चबा रहा था,"..अरे एस्टेट मे 1 ही
मॉडेल का जीप सब लोग इस्तेमाल कर रहा है उसी का निशान है.खूनी चालक आदमी
है भाई.घर से लड़का को उठाके उसी के गाड़ी मे ले जाके उसी के एस्टेट के
अहाता के दूसरा घर मे या तो बंद करता है या मारता है & फिर लाश भी एस्टेट
के अंदर फेंक देता है.अब खोजते रहो तुम की कौन मारा!"

तब तक इंदर चाभी लेके आ गया था.कॉटेज खुलते ही छ्होटी अंदर घुसी & भूंकने
लगी,उसका हॅंड्लर चौबे से मुखातिब हुआ & बस सर हिलाया.चौबे अंदर आया &
खाली पड़े कॉटेज का मुआयना करने लगा.अंदर फर्श पे जमी धूल पे किसी को
घसीटने के निशान थे.छ्होटी बहुत रोमांचित हो अंदर घूम रही थी.

तभी वो अंदर जाने वाले दरवाज़े के पास गयी & उसके चौखट के जोड़ को सूंघ
के भूंकने लगी,उसका हॅंड्लर पास गया & दरवाज़े के नीचे फँसे 1 छ्होटे से
कपड़े के टुकड़े को खींच के निकाला & चौबे को दिया.काले रंग के पॅंट के
कपड़े के टुकड़े को चौबे ने 1 प्लास्टिक के छ्होटे से पाउच मे डाला &
अपने हवलदार को थमाया.

अब इतना साफ था की प्रसून को इसी कॉटेज मे लाया गया था & या तो यहा बेहोश
किया गया या मारा गया क्यूकी ज़मीन पे घसीटने के निशान ऐसे थे मानो किसी
इंसान को घसीटा गया है.1 बात चौबे को बहुत परेशान कर रही थी,आमतौर पे
क़त्ल होने पे क़ातिल अपने निशान च्छुपाने की कोशिश करता है मगर यहा तो
जैसे वो चाहता था की लाश बरामद हो & पोलीस को सारे सबूत भी मिल जाएँ वो
भी जल्दी से जल्दी,मगर क्यू?

हसन ने देखा की उसका बॉस तेज़ी से जबड़े चला रहा था..यानी की छ्होटन चौबे
का दिमाग़ क़ातिल को पकड़ने मे जुट गया है,वो मुस्कुराया & फोरेन्सिक टीम
को अंदर के फोटो लेने & बाकी सॅंपल्स लेने के लिए बुलाने चला गया.

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कामिनी जब पहुँची तब तक अंधेरा घिर आया था.वो वीरेन के पास पहुँची & दोनो
बाते करने लगे.कामिनी ने वीरेन को ऐसे अपने बड़े भाई की मौत पे भी नही
देखा था,"..क्यू कामिनी?किस लिए मारा उस बेचारे को?..वो मासूम
बच्चा....",वीरेन का गला भर आया तो कामिनी ने उसे गले से लगा लिया.इतनी
देर से जो गुबार वीरेन अपने सीने मे दबाए था वो अब आँसुओ की शक्ल मे निकल
पड़ा. देविका & रोमा के सामने रोकर वो उन्हे और कमज़ोर नही करना चाहता था
मगर कामिनी के साथ ऐसी कोई बात तो थी नही.अपने सीने पे अपने प्रेमी के सर
को दबा कामिनी उसे दिलासा दे रही थी.

जब वीरेन का मन हल्का हो गया तो कामिनी ने उस से सारी बाते तफ़सील से
पुछि & देविका से मिलने की इच्छा ज़ाहिर की.वीरेन उसे अपनी भाभी के पास
ले गया.देविका को देख के कामिनी की आँखो मे भी पानी आ गया.ऐसा लगता था
मानो देविका 10 साल बूढ़ी हो गयी.आँखो मे ना चमक थी ना चेहरे पे कोई
भाव.कामिनी उसके करीब गयी & उसके हाथ को थाम बैठ गयी.देविका बस बुत बनी
उसे देखे जा रही थी.

कामिनी की समझ मे नही आय की वो क्या कहे?..कुच्छ कहना ज़रूरी था
भी?..कामिनी के आँसू उसके गालो पे ढालाक गये & उसे बहुत ज़ोर का गुस्सा
आया,"देविका जी,आप यकीन मानिए,पोलीस पता लगाए ना लगाए मैं उस नीच इंसान
को सज़ा ज़रूर दिलवाऊंगी.",कामिनी उठी & अपने आँसू पोछ्ते वाहा से निकल
गयी.

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मोहसिन जमाल & सुखी 1 बार फिर से शिवा की तलाश मे जुट गये थे.सुखी का तो
गुस्से से बुरा हाल था.शिवा के नाम की गालिया निकलते हुए वो कार ड्राइव
करता चला जा रहा था.1 बार फिर शिवा के मोबाइल पे मोहसिन की सेक्रेटरी से
1 बॅंक लोन बेचने की झूठी कॉल करवा उसकी लोकेशन निकलवा ली थी.शिवा अब
पुराने पंचमहल के उस हिस्से मे थे जिसे मोहसिन बड़े अच्छे तरीके से जानता
था-आख़िर उसका बचपन जो बीता था वाहा.अब तो वो यहा नही रहता था मगर उसके
रिश्तेदार & काई दोस्त अभी भी वाहा रहते थे.

मोहसिन रहमत बाज़ार पहुँचा & वाहा के इज़्ज़तदार बाशिंदे & अपने अब्बा के
ममुज़द भाई हाजी सार्वर हूसेन के घर पहुँचा,"आदाब,भाभी जान.",घर का
दरवाज़ा खोलने वाली औरत को आदाब करता मोहसिन अंदर दाखिल हुआ,"..घबराती
क्यू हो भाभी!मेरा दोस्त है,वैसे भी इस बिचारे को तुमसे घबराना
चाहिए!",मोहसिन ने अपनी भाभी को छेड़ा.

"हां जी!क्यू करू!अब आपके जैसा नूर तो है नही हमारे चेहरे पे.",उसकी भाभी
ने सुखी के आदाब का जवाब देते हुए मोहसिन को जवाब दिया.

"अरे भाभी!क्या बात करती हो?तुमसे ज़्यादा हसीन कोई हो सकता है भला!मैं
तो अभी भी यहा तुम्हे भगाने ही आया हू.चलो ना,रशीद भाई को पता भी नही
चलेगा!"

"धात!बदतमीज़.",उसकी भाभी शर्मा गयी.तीनो घर की बैठक मे आ गये थे जहा
सरवर हूसेन अपनी बेगम के साथ बैठे थे.मोहसिन की चाची ओर देखते ही उठ खड़ी
हुई & क़ुरान की आयात पढ़ उसके माथे को चूमा,"कितने दीनो बाद आया,मेरा
बच्चा.चल बैठ.",चाचा-चाची का हाल पुच्छने के बाद मोहसिन ने वाहा आने का
मक़सद बताया.

"ह्म्म..",सरवर हूसेन सोच मे पड़ गये,"..1 काम करते हैं,मैं पूरे मोहल्ले
मे इस शख्स के हुलिए & नाम के बारे मे बता देता हू & सबको नज़र रखने को
कहता हू.देखते हैं क्या होता है.",मोहसिन के आने की खबर सुन उसके कुच्छ
रिश्ते के भाई भी वाहा आ पहुँचे.थोड़ी ही देर मे सुखी भी सबसे खुल गया था
& उस खुशदील सरदार ने अपनी बातो से समा बाँध दिया.रात के 9 बजे 1 17 साल
का लड़का भागता हुआ बैठक मे आया,"आदाब,भाई जान..",लड़का ने हान्फ्ते हुए
मेज़ पे रखी पानी की बॉटल को उठाया & मुँह से लगा लिया.

"ओये,रेहान,आराम से पी बेटा.",मोहसिन की चाची ने उसे नसीहत दी.

"मोहसिन भाई..",लड़का अभी भी हाँफ रहा था.

"पहले साँस ले ले जवान.",मोहसिन ने उसे बिताया.

"भाई,आप जिसे ढूंड रहे हैं वो अभी मस्जिद के पास वाले होटेल मे बैठा खाना
खा रहा है."

"क्या?!किसके यहा?जमाल के ढाबे पे?"

"नही,भाई,जान.जमाल के छ्होटे भाई कमाल के ढाबे पे."

"दोनो भाइयो मे झगड़ा हो गया था,मोहसिन.",सरवर हूसेन ने बात सॉफ
की,"..जमाल के ढाबे के पीछे ही कमाल ने खुद का ढाबा खोल लिया है."

"मोहसिन & सुखी उठ खड़े हुए & वाहा बैठे सारे लड़के भी,"देखो
भाइयो,मस्जिद की तरफ चार गलिया जाती हैं & 1 अपना मैं रोड.हम सब इधर से
अलग-2 गलियो से वाहा पहुँचते हैं.सुखी,तू वाहा से मैं रोड पे चले
जाना.अगर वो वाहा से भागता है तो उसे रोकने की ज़िम्मेदारी तेरी & रशीद
भाई की."

"ठीक है,सर."

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शिवा होटेल मे बैठा खाना खा रहा था.शाम को टीवी पे उसने वो मनहूस खबर
सुनी थी & उसका दिल देविका के लिए तड़प उठा था.उसे पता था की देविका अगर
सबसे ज़्यादा किसी को चाहती थी तो वो था प्रसून.शिवा का दिल कर रहा था की
फ़ौरन एस्टेट पहुँचे & अपनी जान के गम को दूर कर दे.उसे पता था की ये सब
इंदर का किया हुआ है.उसने तय कर लिया था की अब इंदर को वो खुद सज़ा
देगा.प्रसून के खून की खबर सुनके शिवा की भूख-प्यास मर गयी थी लेकिन 1
फ़ौजी होने के नाते वो जानता था की भूखे पेट कोई भी लड़ाई नही जीती जा
सकती इसलिए वो अपने होटेल से निकल यहा खाना खाने आया था. उस बेचारे को ये
कहा पता था की कामिनी उसे ही क़ातिल समझ रही थी & ढाबे के बाहर खड़ा
मोहसिन उसे देख रहा था.

"मोहसिन,पकड़ साले को."

"नही,अभी नही.उसके पास हथ्यार भी हो सकता है."

शिवा खाकर बाहर आया & काउंटर पे बैठे कमाल को पैसे देने लगा,"अरे मोहसिन
भाई,कब आए?",कमाल मोहसिन को देख के चौंका.

"बस अभी-2.",शिवा बाकी पैसे वापस लेने के इंतेज़ार मे खड़ा था.

"आओ ना,बैठो.आप तो पहली बार आए हो मेरे होटेल मे.आपको अपना स्पेशल पान
खिलाता हू.",कमाल ने गल्ले से बाकी पैसे निकल शिवा को दिए.

"आज नही,कमाल.आज कुच्छ काम है."

"कैसा काम,मोहसिन भाई?"

"इन भाई साहब को जैल की सलाखो के पीछे पहुचाना है.",उसने शिवा का गिरेबान
थाम लिया मगर शिवा चौकन्ना था उसने अपनी बाई कोहनी मोहसिन की ठुड्डी के
नीचे मारी & गिरेबान छुड़ा भागा.लड़को की भीड़ उसके पीछे पड़ गयी.शिवा
तेज़ी से भागता मैं रोड पे पहुँचा..बस 1 बार वो यहा से निकल जाए तो फिर
इंदर को & उसके इन कुत्तो को भी देख लेगा मगर तभी उसका पाँव किसी चीज़ से
टकराया & वो औंधे मुँह गिरा.

उसने उठने की कोशिश की मगर तब तक उसकी पीठ पे सुखी सवार हो चुका था &
उसके हाथो मे हथकड़ी डाल रहा था,"साले!क़ातिल.फौज के नाम पे धब्बा है
तू!",तब तक वाहा बाकी लोग भी आ पहुँचे.मोहसिन पोलीस का आदमी तो नही था
मगर तब भी वो हथकड़ी ज़रूर रखता था & अपने आदमियो को भी रखने को कहता
था.उसका मानना था की किसी भी ख़तरनाक आदमी को काबू मे करने के लिए हथकड़ी
से बेहतर कुच्छ भी नही था.लड़के शिवा की पिटाई करना चाहते थे मगर मोहसिन
ने उन्हे रोका & शिवा के पैरो को रस्सी से बाँधा & कार की पिच्छली सीट पे
डाल दिया & फिर सुखी के साथ निकल गया.

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क्रमशः...............


बदला पार्ट--43

गतान्क से आगे..

Chhotan Chaubey ki harkato se bhale hi logo ko ye guman ho ki vo 1
dhila-dhala shakhs tha magar koi bhi use kaam karte dekh leta to
fauran samajh leta ki vo 1 paine dimagh ka mailk tha.Sahay Estate me
bhi jab usne kadam rakhe & Prasuin ki gumshudgi ki gutthi suljhani
shuru ki & is babat khoji dal charo or bheje us waqt bhi vo estate ke
guards & apne aadmiyo ke zariye estate ki hade seal karna nahi bhula
tha.

jab prasun ki lash baramad hui to usne fauran Panchamahl se dog squad
bulwaya & unhe kaam pe laga diya.koi 2 ghante tak usne prasun ki lash
ko milne ki jagah se nahi hataya & kutto ko uski gandh sungha ke
chhudwa diya.jab kutte estate me charo or fail gaye tabhi usne uski
lash post-mortem ke liye bheji.

sham ko koi 5 baje chaubey ki mehnat rang layi.Chhoti naam ki 1 kutiya
manager's cottage ke paas pahunch ke bhaunk rahi thi.uske handler ne
fauran chaubey ko is baat ki khabar di.chaubey vaha pahuncha to usne
dekha ki cottage ke darwaze pe tala to kafi purana laga hua hai magar
cottage ke samne aisa lagta tha jaise kisi ne jhadu mara ho.

chaubey soch me pad gaya.usne apne 1 aadmi ko bike start karne kaha &
uske peechhe baith gaya,"ab yaha se jara teelwa tak chalo to magar
raste ke kinare-2.",chaubey ki paini nigahe sare raste ka bariki se
muayana kar rahi thi.vo teele tak jakar vapas aa gaya & fir Inder ko
talab kiya.

"aaiye manager sahab..",Inder ke chehre ke sawaliya bhav dekh chaubey
ne aage bola,"..ee jhopadiya kiska hai?"

"ji,hai to ye manager's cottage magar main yaha nahi rehta to ye to
kafi dino se band padi hai."

"hun..",chaubey ne 1 hath peechhe kiya to 1 hawaldar ne 1 paper cup
use thamaya,usne paan ki peek usme thuki.cottage shaq ke ghere me thi
& vaha thuk chaubey crime scene ko ganda nahi karna chahta tha,"..aisa
kaahe bhai?itna badhiya cottage me kaahe nahi rehte hain aap?"

"akela aadmi hu,janab.ab itne bade cottage me akele kya karunga
isiliye main to udhar bane quarters me se 1 me hi rehta hu.mere liye
vahi kafi hai."

"bahut samajhdar aadmi lagte hain aap,inder babu."

"shukriya.aur kuchh puchhna hai?"

"nahi,aap jaiye.yaha ki chabhi bhijwa dijiye bas.",uske jate hi
chaubey muda & apne neeche kaam kar rahe officer ko
bulaya,"Hasan..",ye vahi afsar tha jiski bike pe chaubey thodi der
pehle teele tak ka chakkar laga ke aaya tha.

"ji,janab."

"kuchh gaur kiye raste pe?"

"aisa kuchh khas to nahi.,sir.",hasan apna sar khuja raha tha.

"dhat!are 1 jeep ka tyre ka nishan bhi hai magar oo humlog kle gadi
sab ke nishan me dab gaya hai.yaha jhadu laga hua hai matlab koi nahi
chahta hai ki humlog jane ki yaha koi aya tha."

"to sir,us tyre ke nishan se gadi ka pata lagate hain.",hasan ne josh me kaha.

"hum pata laga liye hain,hasan sahab."

"kaise sir?"

"tum bhi yaar..",chaubey tezi se paan chaba raha tha,"..are estate me
1 hi model ka jeep sab log istemal kar raha hai usi ka nishan
hai.khuni chalak aadmi hai bhai.ghar se ladka ko uthake usi ke gadi me
le jake usi ke estate ke ahata ke dusra ghar me ya to band karta hai
ya marta hai & fir lash bhi estate ke andare fenk deta hai.ab khojte
raho tum ki kaun mara!"

tab tak inder chabhi leke aa gaya tha.cottage khulte hi chhoti andar
ghusi & bhunkne lagi,uska handler chaube se mukhatib hua & bas sar
hilaya.chaubey andar aaya & khali pade cottage ka muayana karne
laga.andar farsh pe jami dhul pe kisi ko ghasitne ke nishan the.chhoti
bahut romanchit ho andar ghum rahi thi.

tabhi vo andar jane vale darwaze ke paas gayi & uske chaukhat ke jod
ko sungh ke bhunkne lagi,uska handler paas gaya & darwaze ke neeche
fanse 1 chhote se kapde ke tukde ko khinch ke nikala & chaubey ko
diya.kale rang ke pant ke kapde ke tukde ko chaubey ne 1 plastic ke
chhote se pouch me dala & apne hawaldar ko thamaya.

ab itna saaf tha ki prasun ko isi cottage me laya gaya tha & ya to
yaha behosh kiya gaya ya mara gaya kyuki zamin pe gahsitne ke nishan
aise the mano kisi insan ko ghasita gaya hai.1 baat chaubey ko bahut
pareshan kar rahi thi,aamtaur pe qatl hone pe qatil apne nishan
chhupane ki koshish karta hai magar yaha to jaise vo chahta tha ki
lash baramad ho & police ko sare saboot bhi mil jayen vo bhi jaldi se
jaldi,magar kyu?

hasan ne dekha ki uska boss tezi se jabde chala raha tha..yani ki
chhotan chaubey ka dimagh qatil ko pakadne me jut gaya hai,vo
muskuraya & forensic team ko andar ke foto lene & baki samples lene ke
liye bulane chala gaya.

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Kamini jab pahunchi tab tak andhera ghir aaya tha.vo Viren ke paas
pahunchi & dono baate karne lage.kamini ne viren ko aise apne abde
bhai ki maut pe bhi nahi dekha tha,"..kyu kamini?kis liye mara us
bechare ko?..vo masoom bachcha....",viren ka gala bhar aaya to kamini
ne use gale se laga liya.itnid er se jo gubar viren apne seene me
dabaye tha vo ab aansuo ki shakl me nikal pada.Devika & Roma ke samne
rokar vo unhe aur kamzor nahi karna chahta tha magar kamini ke sath
aisi koi baat to thi nahi.apne seene pe apne premi ke sar ko daba
kamini use dilasa de rahi thi.

jab viren ka man halka ho gaya to kamini ne us se sari baate tafsil se
puchhi & devika se milne ki ichha zahir ki.viren use apni bhabhi ke
paas le gaya.devika ko dekh ke kamini ki aankho me bhi pani aa
gaya.aisa algta tha mano devika 10 saal boodhi ho gayi.aankho me na
chamak thi na chehre pe koi bhav.kamini uske karib gayi & uske hath ko
tham baith gayi.devika bas but bani use dekhe ja rahi thi.

kamini ki samjh me nahi aay ki vo kya kahe?..kuchh kehna zaruri tha
bhi?..kamini ke aansu uske galo pe dhalak gaye & use bahut zor ka
gussa aaya,"devika ji,aap yakin maniye,police pata lagaye na lagaye
main us neech insan ko saza zarur dilwaoongi.",kamini uthi & apne
aansu pochhte vaha se nikal gayi.

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Mohsin Jamal & Sukhi 1 baar fir se Shiva ki talash me jut gaye
the.sukhi ka to gusse se bura haal tha.shiva ke naam ki gaaliya
nikalte hue vo car drive karta chala ja raha tha.1 baar fir shiva ke
mobile pe mohsin ki secretary se 1 bank loan bechne ki jhuthi call
karwa uski location nikalwa li thi.shiva ab purane Panchmahal ke us
hisse me the jise mohsin bade achhe tarike se janta tha-aakhir uska
bachpan jo beeta tha vaha.ab to vo yaha nahi rehta tha magar uske
rishtedar & kayi dost abhi bhi vaha rehte the.

mohsin Rehmat Bazar pahuncha & vaha ke izzatdar bashinde & apne abba
ke mamuzad bhai Haji Sarwar Hussain ke ghar pahuncha,"aadab,bhabhi
jaan.",ghar ka darwaza kholne vali aurat ko aadab karta mohsin andar
dakhil hua,"..ghabrati kyu ho bhabhi!mera dost hai,vaise bhi is
bichare ko tumse ghabrana chahiye!",mohsin ne apni bhabhi ko chheda.

"haan ji!kyu karu!ab aapke jaisa noor to hai nahi humare chehre
pe.",uski bhabhi ne sukhi ke aadab ka jawab dete hue mohsin ko jawab
diya.

"are bhabhi!kya baat karti ho?tumse zyada haseen koi ho sakta hai
bhala!main to abhi bhi yaha tumhe bahgane hi aaya hu.chalo na,Rashid
bhai ko pata bhi nahi chalega!"

"dhat!badtamiz.",uski bhabhi sharma gayi.teeno ghar ki baithak me aa
gaye the jaha sarwar hussain apni begum ke sath baithe the.mohsin ki
chachi ue dekhte hi uth khadi hui & Quran ki ayat padh uske mathe ko
chuma,"kitne dino baad aya,mera bachcha.chal baith.",chacha-chachi ka
haal puchhne ke baad mohsin ne vaha aane ka maqsad bataya.

"hmm..",sarwar hussain soch me pad gaye,"..1 kaam karte hain,main pure
mohalle me is shakhs ke huliye & naam ke bare me bata deta hu & sabko
nazar rakhne ko kehta hu.dekhte hain kya hota hai.",mohsin ke aane ki
khabar sun uske kuchh rishte ke bhai bhi vaha aa pahunche.thodi hi der
me sukhi bhi sabse khul gaya tha & us khushdil sardar ne apni baato se
sama bandh diya.raat ke 9 baje 1 17 saal ka ladka bhagta hua baithak
me aaya,"aadab,bhai jaan..",ladka ne hanfte hue mez pe rakhi pani ki
bottle ko uthaya & munh se laga liya.

"oye,Rehan,aaram se pi beta.",mohsin ki chachi ne use nasihat di.

"mohsin bhai..",ladka abhi bhi hanf raha tha.

"pehle saans le le jawan.",mohsin ne use bithaya.

"bhai,aap jise dhund rahe hain vo abhi masjid ke paas vale hotel me
baitha khana kha raha hai."

"kya?!kiske yaha?Jamal ke dhabe pe?"

"nahi,bhai,jaan.jamal ke chhote bhai Kamaal ke dhabe pe."

"dono bhaiyo me jhagda ho gaya tha,mohsin.",sarwar hussain ne baat
saaf ki,"..jamal ke dhabe ke peechhe hi kamaal ne khud ka dhaba khol
liya hai."

"mohsin & sukhi uth khade hue & vaha baithe sare ladke bhi,"dekho
bhaiyo,masjid ki taraf char galiya jati hain & 1 apna main road.hum
sab idhar se alag-2 galiyo se vaha pahunchte hain.sukhi,tu vaha se
main road pe chale jana.agar vo vahas e bhagta hai to use rokne ki
zimmedari teri & rashid bhai ki."

"thik hai,sir."

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shiva hotel me baitha khana kha raha tha.sham ko tv pe usne vo manhus
khabar suni thi & uska dil devika ke liye tadap utha tha.use pata tha
ki devika agar sabse zyada kisi ko chahti thi to vo tha prasun.shiva
ka dil kar raha tha ki fauran estate pahunche & apni jaan ke ghum ko
door kar de.use pata tha ki ye sab inder ka kiya hua hai.usne tay kar
liya tha ki ab inder ko vo khud saza dega.prasun ke khun ki khabar
sunke shiva ki bhukh-pyas mar gayi thi lekin 1 fauji hone ke nate vo
janta tha ki bhukhe pet koi bhi ladai nahi jiti ja sakti isliye vo
apne hotel se nikal yaha khana khane aaya tha. us bechare ko ye kaha
pata tha ki kamini use hi qatil samajh rahi thi & dhabe ke bahar khada
mohsin use dekh raha tha.

"mohsin,pakde asle ko."

"nahi,abhi nahi.uske paas hathyar bhi ho sakta hai."

shiva khakar bahar aaya & counter pe baithe kamaal ko paise dene
laga,"are mohsin bhai,kab aaye?",kamaal mohsin ko dekh ke chaunka.

"bas abhi-2.",shiva baki paise vapas lene ke intezar me khada tha.

"aao na,baitho.aap to pehli baar aaye ho mere hotel me.aapko apna
special paya khilata hu.",kamaal ne galle se baki paise nikal shiva ko
diye.

"aaj nahi,kamaal.aaj kuchh kaam hai."

"kaisa kaam,mohsin bhai?"

"in bhai sahab ko jail ki salakho ke peechhe pahuchana hai.",usne
shiva ka gireban tham liya magar shiva chaukanna tha usne apni bayi
kohni mohsin ki thuddi ke neeche mari & gireban chhuda bhaga.ladko ki
bheed uske peechhe pad gayi.shiva tezi se bhagta main road pe
pahuncha..bas 1 baar vo yaha se nikal jaye to fir inder ko & uske in
kutto ko bhi dekh lega magar tabhi uska panv kisi chiz se takraya & vo
aundhe munh gira.

usne uthne ki koshish ki magar tab tak uski pith pe sukhi sawar ho
chuka tha & uske hatho me hathkadi daal raha tha,"sale!qatil.fauj ke
naam pe dhabba hai tu!",tab tak vaha baki log bhi aa pahunche.mohsin
police ka aadmi to nahi tha magar tab bhi vo hathkadi zarur rakhta tha
& apne aadmiyo ko bhi rakhne ko kehta tha.uska maanana tha ki kisi bhi
khatarnak aadmi ko kabu me karne ke liye hathkadi se behatr kuchh bhi
nahi tha.ladke shiva ki pitayi karna chahte the magar inder ne unhe
roka & shiva ke pairo ko rassi se bandha & car ki pichhli seat pe dal
diya & fir sukhi ke sath nikal gaya.

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kramashah...

आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj

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