बदला पार्ट--21
गतान्क से आगे...
"मॅ'म,खराब मौसम की वजह से असरी फ्लाइट कॅन्सल्ड हैं & आपकी फ्लाइट भी अब
कल सुबह ही जाएगी.",बॅंगलुर एरपोर्ट पे काउंटर पे बैठी अटेंडेंट की बात
सुन कामिनी परेशान हो गयी.वो सवेरे ही 1 केस के सिलसिले मे यहा आई थी &
अभी ही उसे वापस लौटना भी था मगर अब तो वो यहा फँस गयी थी.उसका क्लाइंट
जिसके काम के लिए वो यहा आई थी अब उसके ठहरने के लिए किसी होटेल के कमरे
का इंतेज़ाम करने की गरज से एरपोर्ट पे इधर-उधर पुचहताच्छ कर रहा था.
"अरे!कामिनी.तुम यहा?",सामने खड़े संतोष चंद्रा & उनकी बीवी को देख
कामिनी भी चौंक पड़ी.उसने अपने आने की वजह बताई & फिर उनके आने का कारण
पुचछा.
"हमे यहा कल 1 शादी अटेंड करनी है.",मिसेज़.चंद्रा ने बताया.चंद्रा साहब
तो उसे बस घुरे जा रहे थे.आज कामिनी ने 1 घुटनो तक की कसी बलकक स्कर्ट
पहनी थी & पैरो मे हाइ हील्स वाले जूते.उपर सफेद शर्ट थी जिसके उपर उसने
काला कोट पहन रखा था.उसकी सुडोल टाँगे & कसे स्कर्ट मे & उभरती हुई उसकी
मोटी गंद उसके गुरु का दिल छल्नी कर रही थी.
"मेडम,कोई सिंगल रूम तो नही मिल रहा मगर 1 सूयीट खाली है पास के होटेल मे."
"हम मिलके वो सूयीट ले लेते हैं.",चंद्रा साहब ने कहा,"..हम भी यहा 2
घंटे से अटके हुए हैं.अभी होटेल चले जाते हैं.कल मौसम ठीक होगा तो अपने
मेज़बान के घर चले जाएँगे.क्या कहती हो?",वो अपनी बीवी से मुखातिब हुए.
"हां-2,ये ठीक रहेगा.".कामिनी ने 1 शोख मुस्कान अपने गुरु की ओर फेंकी.वो
समझ रही थी कि उनका इरादा क्या था.
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प्रसून सो रहा था & देविका उसके सिरहाने बैठी उसके सर पे थपकीया दे रही
थी.कैसे अचानक सब बदल गया था!..उसका पति अब इस दुनिया मे नही था & उसके
सर पे सारी ज़िम्मेदारिया आ पड़ी थी.उसे अकेले ही सब संभालना था.कैसे
करेगी वो ये सब?उसकी हिम्मत जवाब दे रही थी.तभी प्रसून नींद मे थोड़ा
हिला..नही,अभी वो कमज़ोर नही पड़ सकती.अपने बेटे के लिए..इस सारी दौलत के
लिए उसे निडर रहना था & हिम्मत से काम लेना था.परसो कामिनी शरण आके सुरेन
सहाय की वसीयत पढ़ने वाली थी.सब जानते थे की उसमे क्या लिखा है मगर
क़ानूनी तौर पे वसीयत पढ़ने के बाद ही वो एस्टेट & कारोबार की बागडोर
अपने हाथो मे ले सकती थी.
1 बार वो एस्टेट का काम-काज संभाल ले उसके बाद वो प्रसून की शादी के लिए
जुट जाएगी..कितने काम थे!..अभी वो कमज़ोर नही पड़ सकती..नही..!वो वही
प्रसून के बगल मे लेट गयी.अपने कमरे मे जाने का उसका दिल नही कर रहा
था.कितनी बाते याद आने लगती थी वाहा जाने से!उसने आज की रात अपने बेटे के
साथ ही सोने का फ़ैसला किया.अभी उसने आँखे बंद की ही थी की दरवाज़े पे
दस्तक हुई.
वीरेन कल से यही था मगर उसने बंगल के साथ बने अपने कॉटेज मे रहने का
फ़ैसला किया था & इस वक़्त यही था मगर ये दस्तक उसने नही दी थी.वो उठी &
उसने दरवाज़ा खोला,जैसा उसने सोचा था सामने शिवा खड़ा था.शिवा अंदर आया &
उसने देविका के कंधे पे अपना हाथ रखा,"तुम ठीक हो?"
"हूँ.",देविका नज़रे झुकाए खड़ी थी.
"देविका,तुम्हारे दिल की हालत मैं समझता हू मगर प्लीज़ हिम्मत से काम लो
& ज़रा भी मत घबराना,मैं हमेशा तुम्हारे साथ खड़ा रहूँगा.",देविका ने
नज़रे उपर की & शिवा की आँखो मे उसे बस प्यार ही प्यार नज़र आया.उसकी
आँखे भरने लगी तो शिवा ने उसे कंधो से थामा & प्रसून के बगल मे बिठा
दिया,"चलो,सो जाओ."
उसने उसे लिटाया & पैरो के पास पड़ी चादर उठा के उसके बदन पे डाल दी,"डर
तो नही लगेगा ना?"
देविका ने बस इनकार मे सर हिला दिया,"वेरी गुड.",वो मुस्कुराया,"..गुड
नाइट,अगर किसी भी चीज़ की ज़रूरत हो मुझे बुला लेना.ओक."
"ओके.",शिवा कमरे से बाहर चला गया.देविका अभी भी दरवाज़े को देख रही
थी..कितना चाहता था वो उसे!..क्या वो भी उसे ऐसे चाहती थी?..या फिर उसे
बस उसके जिस्म की वासना थी..नही उसके दिल मे भी कुच्छ तो था शिवा के
लिए..लेकिन क्या वो एहसास शिवा के एहसास जैसा ही था?..नही..वो ऐसे नही
चाहती थी उसे की अपना सब कुच्छ भूल जाए..उसने अपने पति को भी नही चाहा था
ऐसे..& ये उनकी बेवफ़ाइयो की वजह से नही था..उसे शायद भगवान ने बनाया ही
ऐसे था..ऐसी नही होती तो उसकी शादी कभी भी सुरेन से नही हुई होती वो तो..
उसने करवट बदल उस ख़याल को दिल से निकाला.वो हमेशा इस ख़याल से परेशान हो
जाती थी..उसे लगता था की वो उस आदमी की मुजरिम है & उसे छ्चोड़ सुरेन से
शादी कर उसने बहुत ग़लत किया था..तभी उसके दिल के दूसरे कोने से वही
आवाज़ आई..क्या बकवास सोच रही थी वो!..वो नही था उसके काबिल..सुरेन थे
इसलिए सुरेन से ही शादी हुई..जवाब मे दिल के पहले कोने ने फिर से कहना
चाहा..लेकिन..लेकिन-वेकीन कुच्छ नही..जो हुआ ठीक हुआ.उसने आँखे भींची &
सोने लगी.
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"आउच..!"
"क्या हुआ कामिनी?",सूयीट के बेडरूम मे कपड़े बदलती मिसेज़.चंद्रा की
आवाज़ आई तो कामिनी ने चंद्रा साहब को परे धकेलने की नाकाम कोशिश की.उसने
होटेल के स्टोर से 1 गुलाबी स्लीव्ले ढीली-ढली नाइटी खरीदी थी & अभी वही
पहने थी.दोनो सूयीट के दूसरे कमरे मे सोफे पे बैठे थे & चंदर साहब उसे
बाँहो मे भर उसकी जाँघो को मसल रहे थे.
"कुच्छ नही आंटी,1 मच्छर घुस आया था.उसी ने काट लिया था.",कामिनी ने बाल
पकड़ के अपने गुरु को अपने सीने से उठाया जहा वो नाइटी के उपर से ही उसकी
चूचियो को चूम रहे थे.
"5 स्टार होटेल मे मच्छर!",मिसेज़.चंद्रा की हैरत भरी आवाज़ आई.
"अभी सर बाल्कनी मे चले गये थे ना,वही से आया होगा.",कामिनी कसमसा रही थी
उनकी पकड़ से छूटने के लिए,"..चिंता मत कीजिए मैने मार दिया उसे.",उसने
अपनी दाई तरफ बैठे चंद्रा साहब के लंड को अपने दाए हाथ से ज़ोर से मसल
दिया.
मिसेज़.चंद्रा के कदमो की आहट सुन दोनो अलग हो गये,"तुम इस कमरे मे सो
जाना.कामिनी मेरे साथ अंदर वाले कमरे मे सो जाएगी."
"ओके.चलिए ना आंटी,मुझे ज़ोरो की नींद आ रही है.",कामिनी फ़ौरन उठ खड़ी
हुई & दोनो औरते अंदर जाने लगी.कामिनी 1 पल को ठहरी & घूम के उसने चंद्रा
साहब को मुँह चिढ़ाते हुए अंगूठा दिखाया & अंदर चली गयी.बत्तिया बुझते ही
थोड़ी ही देर मे मिसेज़.चंद्रा सो गयी & कमरे मे उनकी बजती नाक की आवाज़
गूंजने लगी.
कामिनी की आँखो से नींद कोसो दूर थी.वो मिसेज़.चंद्रा के दाई तरफ उनकी ओर
करवट लिए लेटी पिच्छले दिन के बारे मे सोच रही थी.वीरेन के साथ बिताई रात
की याद ताज़ा होते ही उसके बदन मे सोए अरमान अंगड़ायाँ लेने लगे मगर तभी
वीरेन से उसका ध्यान उसके भाई की मौत पे चला गया.वो दवा की ड्बिया जो
उसने उठाई थी..हाअ..
चंद्रा साहब कब उसके पीछे आके लेट गये & उसे बाँहो मे भर लिया उसे पता भी
नही चला था.उसके पेट को सहलाते वो उसे बेतहाशा चूमे जा रहे थे.बड़ी
मुश्किल से उसने अपनी आवाज़ को रोका था.वो उन्हे परे धकेल के इशारे से ये
समझाने की कोशिश करने लगी की कही उनकी बीवी ना जाग जाए मगर वो कुच्छ
सुनने के मूड मे नही थे.उसकी नाइटी उपर कर वो उसकी मखमली जाँघो को सहलाते
हुए उसके होंठो का रस पी रहे थे.उनका लंड कामिनी को अपनी गंद की दरार मे
अटकता महसूस हुआ तो उसके उपर भी खुमारी छाने लगी पर यहा बहुत ख़तरा था.
चंद्रा साहब जैसे उसकी उलझन समझ गये,वो बिस्तर से उठे & उसे भी खींच के
उठाया & अपने आगोश मे भर उसे चूमते हुए दूसरे कमरे मे ले आए.उन्होने
सूयीट की सारी बत्तिया बुझा के बिल्कुल अंधेरा कर दिया था,"पागलपन मत
कीजिए ना..आहह..!",वो पॅंटी के उपर से ही अपनी मनपसंद उसकी मोटी गंद को
दबा रहे थे,"..आंटी जाग गयी तो मैं तो शर्म से मर जाऊंगी."
"घबराव मत ऐसा कुच्छ नही होगा.",उन्होने उसकी नाइटी को उपर कर उसके सर से
निकाल उसके जिस्म से अलग किया & उसका हाथ पकड़ के अपने पाजामे मे बंद लंड
पे रख दिया.लंड को महसूस करते ही कामिनी और भी मस्त हो गयी.वैसे भी उसे
इस तरह मिसेज़.चंद्रा की मौजूदगी मे उनके पति से चुदने मे जो रोमांच होता
था वो उसके मज़े को और भी बढ़ा देता था.
उसने लंड को मसला तो चंद्रा साहब ने उसे अपने सीने से भींच लिया & उसकी
गंद को मसल्ते हुए उसकी पॅंटी को नीचे करने लगे.कामिनी भी उनके पाजामे की
डोर खींच रही थी.पॅंटी & पाजामा उतरते ही उन्होने उसे अपने साथ अपने
बिस्तर पे बिठा लिया.अपनी बाई बाँह उसके कंधे पे डाल वो उसके गुलाबी होंठ
चूमने लगे & दाए हाथ से उसकी मक्खनी जंघे सहलाने लगी.कामिनी का बाया हाथ
उनके गाल पे था & दाया उनके लंड पे.
"1 बात पुच्छनी थी..",किस तोड़ वो फुसफुसाई.
"पुछो..",उन्होने बाए हाथ से उसके ब्रा को खोल के फेंक दिया & उसके कड़े
निपल्स चूसने लगे.
"उम्म..",रोकने पर भी उसकी आह निकल गयी & उसने सुरेन सहाय की मौत के बारे
मे बताना शुरू किया.
"उन्न्ह...",चंद्रा साहब का दाया हाथ उसकी चूत तक पहुँच गया था & वाहा
हुलचूल मचा रहा था.
कामिनी के हाथ ने भी चंद्रा साहब के लंड को अब बहुत बेचैन कर दिया
था.उन्होने उसे बिस्तर पे बैठने को कहा तो कामिनी उनकी ओर अपनी गंद कर
घुटनो पे बैठ गयी.कमरे की खिड़की का 1 परदा थोड़ा सा खुला था & उस से
खिड़की से बाहर की हल्की सी रोशनी आ रही थी.उस रोशनी मे चंद्रा साहब ने
देखा की उनकी शिष्या उन्हे होंठो से चूमने का इशारा कर रही है.दोनो 1
दूसरे मे डूब तो रहे थे पर दोनो का 1 कान कमरे मे सोई मिसेज़.चंद्रा की
बजती नाक पे भी था.
चंद्रा साहब उसके पीछे घुटनो पे बैठे & बाए हाथ से उसकी गंद की फांको को
सहलाते हुए सूकी दरार को थोड़ा फैला उसकी गीली चूत तक पहुँचने का रास्ता
खोला & फिर दाए से अपने लंड को पकड़ उसकी चूत मे घुसा दिया.लंड घुसते ही
कामिनी ने गंद & पीछे की ओर थेल उनके पेट से सटा लंड को पूरा अपने अंदर
किया & फिर सर को पीछे करने लगी.चंद्रा साहब ने आगे हो उसे अपनी बाँहो मे
भर लिया & चूमते हुए हल्के धक्को से चोदने लगे.
"हार्ट अटॅक हुआ & सुरेन सहाय किमौत हो गयी.अब इसमे गड़बड़ क्या है?उसे
तो दिल की बीमारी थी ही.",चंद्रा साहब का बाया हाथ उसकी चूचियो को & दाया
चूत के दाने से खेल रहा था.कामिनी से ये बर्दाश्त नही हुआ & उसकी चूत
पानी छ्चोड़ने लगी.उसके गुरु ने देखा की वो झाड़ रही है तो उन्होने फ़ौरन
अपने होंठ से उसके होंठ सील दिए.जब उसकी मस्ती शांत हुई तो उसने अपने
होंठ च्छुड़ाए,"..जो दवा वो चुदाई के पहले लेते थे..आहह..हान्न..ऐसे ही
कीजिए....उस दवा की मॅन्यूफॅक्चरिंग डेट पिच्छले महीने की है."
"तो?",चंदर साहब ने उसकी पीठ पे हाथ रख उसे नीचे झुकाया तो कामिनी अपनी
कोहनियो पे उचक के बिस्तर पे लेट गयी.चंद्रा साहब ने अपनी छाती उसकी पीठ
से लगा दी & उसके घने बॉल उठा के उसके बाए कंधे पे डाल दिए & दाए के उपर
से झुक उसके खूबसूरत चेहरे को चूमने लगे.बीच-2 मे उनके हाथ उसके बदन से
खेल रहे थे नही तो वो उनका वजन संभाले बिस्तर पे टीके हुए थे.
"तो ये की ...उउंम्म...देविका ने मुझे बताया की दवा 2 महीने पहले खरीदी
गयी थी...उऊन्ह..",कामिनी ने सर झुका लिया& 1 तकिया खींच उसमे मुँह
च्छूपा लिया ताकि अगर उसकी आहे निकले तो भी मिसेज़.चंद्रा के कानो मे ना
पड़े.
"ऐसा कैसे हो सकता है?",चंदर साहब अब अपनी मंज़िल के करीब पहुँच रहे थे.
"है ना थोड़ी गड़बड़ बात?"वो अब अपनी गंद पीछे थेल के उनके धक्को का जवाब
दे रही थी.
"हां..",चंद्रा साहब का लंड जिस तेज़ी से कामिनी की चूत की दीवारो को
रगड़ रहा था उसी तेज़ी से उनका दिमाग़ भी दौड़ रहा था.
"कामिनी..ज़रूर वो दवा गड़बड़ थी..",झुक के उन्होने उसकी पीठ चूमि & फिर
अपने दाए हाथ से उसकी मोटी चूचिया मसल्ने लगे.कामिनी की चूत का तनाव
बढ़ने से वो उनके लंड पे और कस गयी थी & उनके आंडो मे अब मीठा दर्द होने
लगा था.उनकी रफ़्तार बढ़ गयी थी & कामिनी ने तकिये को बहुत ज़ोर से पकड़
लिया था & उनके साथ-2 झड़ने को तैय्यार हो रही थी.
"मगर किसने की होगी दवा से छेड़ खानी?",चंद्रा साहब अब उसकी पीठ पे सो
गये थे & दोनो की ज़ुबाने आपस मे गुत्थम-गुत्था थी.
"उउंम्म...उऊन्ह....!",कुच्छ देर को कामिनी सब भूल गयी बस ये याद रहा की
उसके जिस्म के रोम-रोम मे बिजली दौड़ रही है & वो बस खुशी की कगार पे है.
"शायद उसकी बिवीयीयियी..आहह...!",कामिनी झाड़ रही थी & उसकी चूत की दिलकश
हर्कतो ने चंद्रा साहब को भी बेकाबू कर दिया.उनकी कमर झटके खा रही थी &
वो कामिनी के दाए कान मे जीभ फिराते हुए उसकी चूत को अपने गाढ़े पानी से
भर रहे थे.
"नही,देविका मुझे ग़लत नही लगती.",कामिनी ने थोड़ी देर बाद करवट ली &
उनके लंड को अपनी चूत से बाहर करते हुए उन्हे लिटा दिया & उनके सीने पे
सर रख उन्हे देखने लगी,"..वरना वो मुझे दवा खरीदने की सही तारीख क्यू
बताती & अगर वो ग़लत है तो दवा की डिबिया तो वाहा होती ही नही.",बड़ी
धीमी आवाज़ मे बोलते हुए वो उनके सीने से उठी & अपने कपड़े ढूँडने लगी.
"बात तो सही है तुम्हारी."पर्दे के कोने से आती रोशनी मे चंद्रा साहब उसे
कपड़े पहनते देख रहे थे,"..और कौन-2 है उस घर मे?",कामिनी ने सबके बारे
मे बताया तो उन्होने उसे फिर से अपने पास खींच लिया.
"ये शिवा कैसा आदमी है?",वो उसकी कमर सहला रहे थे & कामिनी उनका सीना.
"सहाय साहब का बहुत भरोसेमंद था."
"कयि बार भरोसेमंद ही भरोसा तोड़ते हैं.",दोनो 1 दूसरे को चूमने लगे.
"तो मैं उसपे नज़र रखू?",कयि पॅलो के बाद जब दोनो के लब जुदा हुए तो
कामिनी उठ खड़ी हुई.
"हां & ये भी पता करो की इधर कोई नया आदमी तो नही आया है एस्टेट
मे."चंद्रा साहब ने भी अपना पाजामा उठाके उसमे पैर डाले.
"मुझे तुम्हारी बात से ऐसा लगता है,कामिनी,की ये मामला अभी नही तो आगे
जाके उलझ सकता है.तुम उनकी वकील हो इसलिए तुम्हारा सावधान & चौक्कन्ना
रहना बहुत ज़रूरी है.देविका & वीरेन-दोनो मे से किसी को खुद का फयडा
उठाने नही देना & जो भी सलाह देना बहुत सोच-समझ के देना.दवा के साथ
छेड़-खानी का मतलब है की सुरेन सहाय को मारा गया है."
"तो क्या मैं ये बात पोलीस को बता दू?"
"नही.देखो,अगर कोई सहाय परिवार का बुरा चाहना वाला है तो उसने अपने मक़सद
मे कामयाबी तो पा ली है मगर वो बहुत शातिर है & उसने अपने निशान च्छुपाए
हुए हैं.अब अगर उसे ये गुमान हो जाए की उसकी इस हरकत पे किसी को शक़ नही
हुआ है तो बहुत मुमकिन है की वो थोडा लापरवाह हो जाए & तुम्हारी नज़रो मे
आ जाए.",वो अपनी शिष्या के पास आ खड़े हुए तो उसने अपनी बाहे उनके गले मे
डाल दी & उन्हे चूमने लगे.
थोड़ी देर बाद कामिनी फिर से अपने गुरु की बेख़बर बीवी के बगल मे सोई हुई
थी.चंद्रा साहब की बातो ने उसके दिमाग़ मे उथल-पुथल मचा दी थी.उसे 1 बार
फिर से वीरेन के इरादो पे शक़ होने लगा था..क्या वो सचमुच उसकी खूबसूरती
पे मर-मिटा था या फिर कोई और बात थी मगर वो तो एस्टेट मे रहता ही नही था
फिर दवा वो कैसे बदल सकता है?..उसनेकारवत बदली..चलो मान लिया की उसने भाई
को नही मारा मगर उसका & देविका का रिश्ता कुच्छ ठीक नही लगता..दोनो आम
देवर-भाभी की तरह 1 दूसरे से नही पेश आते थे & अगर दोनो की नही बनती थी
तो कही वो उस से नज़दीकी का फयडा देविका से लड़ने मे ना उठाना चाहे..ठीक
कहा था चंद्रा साहब ने उसे बहुत सावधान रहना था.
उसने आँखे बंद की & सारे ख़यालो को दिल से निकाला..जो भी होगा वो उस से
निपट लेगी....इतना भरोसा था उसे खुद पे....दिन भर के काम की थकान &
चंद्रा साहब की चुदाई ने असर दिखाया & वो भी नींद के आगोश मे चली गयी.
"जब मैने ये मनहूस खबर सुनी तो मुझे तो यकीन ही नही हुआ..",शाम लाल जी
सहाय परिवार के बंगल के ड्रॉयिंग रूम मे बैठे देविका से अफ़सोस ज़ाहिर कर
रहे थे.उनके पीछे की दीवार पे वीरेन का बनाया सुरेन सहाय का पोर्ट्रेट था
जिसपे फूलो का हार डाला था,"..मुझे माफ़ कीजिएगा मे'म की मैं पहले नही आ
सका पर मजबूरी थी.दूरी ही इतनी है दोनो जगहो मे."
"प्लीज़,शाम लाल जी.ऐसी बाते करके आप मुझे शर्मिंदा कर रहे हैं."
"मैं तो यहा पहले ही आनेवाला था,आपसे 1 ज़रूरी बात करनी थी मगर अब इस समय
आपसे वो बात करना ठीक नही लगता."
"कैसी बात,शाम लाल जी?"
"जी..वो..आपने प्रसून बेटे के बारे मे कुच्छ कहा था."
"हां-2,उसकी शादी के लिए.बोलिए शाम लाल जी क्या बात करनी थी उस बारे मे
आपको.",देविका ने आतूरता से कहा.लग रहा था जैसे बेटे के आनेवाले कल की
बात ने उसे उसका अभी का गम कुच्छ पल के लिए भुला दिया था.
"1 लड़की मिली तो है."
"अच्छा!कौन है बताइए?..कहा की है?..उसके परिवार मे और कौन-2 हैं?",देविका
ने सवालो की झड़ी लगा दी.
"वो पंचमहल मे रहती है.पढ़ी-लिखी है & इस वक़्त वही 1 कंपनी मे नौकरी
करती है.परिवार के नाम पे बस 1 बड़ा भाई है.लड़की देखने मे भी खूबसूरत है
मगर जिस बात ने मुझे उसे अपने प्रसून बेटे के लायक समझा है वो है दोनो
भाई-बेहन की शराफ़त.."
"मॅ'म,उसके पिता मेरे कॉलेज के दोस्त थे.ज़िंदगी की आपा-धापी मे हम दोनो
का संपर्क टूट गया था.अभी कुच्छ दिन पहले ही मुझे खबर मिली को वो अब नही
रहा.पता चलते ही मैं उसके घर पहुँचा तो वही इस लड़की को देखा & मुझे लगा
की वो आपके परिवार के लिए बिल्कुल सही रहेगी."
"लड़की की मा तो होंगी?"
"नही,उनका इंतेक़ाल तो पहले ही हो गया था."
"तो आपने उसके भाई से कुच्छ बात की है इस बारे मे?"
"जी हां.मैने तो सॉफ-2 बात की है दोनो भाई-बेहन से & खुशी की बात या है
की दोनो तैय्यार हैं."
"क्या?!"
"जी,हां मॅ'म.लड़की का कहना था की उसे दुख नही बल्कि खुशी होगी की वो
प्रसून जैसे इंसान की हमसफर बनेगी."
"प्रसून जैसे..!क्या मतलब?",कामिनी के माथे पे बल पड़ गये थे.
"ठीक यही सवाल मैने भी किया था,मॅ'म ओर उसने कहा की इसका जवाब वो सीधा
आपको ही देगी."
"अच्छा..",देविका सोच मे पड़ गयी..लड़की मे कुच्छ बात तो थी मगर आज के
ज़माने मे इस तरह से इतनी जल्दी कोई प्रसून जैसे मंदबुद्धि से शादी को
तैय्यार हो जाए..बात कुच्छ खटक रही थी..लेकिन अब इस शुबहे को तो उस से
मिल के ही दूर किया जा सकता है..फिर शिवा तो है ही जाँच-पड़ताल करने के
लिए....",..शाम लाल जी.."
"जी,मॅ'म."
"मैं जल्द ही उस लड़की से मिलना चाहूँगी."
"आप जब कहिए मिलवा दूँगा,मॅ'म."
"ठीक है.इस शनिवार को ही ये काम करते हैं."
"ठीक है,मॅ'म.",शाम लाल जी हाथ जोड़ते हुए उठ खड़े हुए.
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क्रमशः...................
BADLA paart--21
gataank se aage...
"ma'm,kharab mausam ki vajah se asri flight cancelled hain & aapki
flight bhi ab kal subah hi jayegi.",Bangalore airport pe counter pe
baithi attendant ki baat sun Kamini pareshan ho gayi.vo savere hi 1
case ke silsile me yaha aayi thi & abhi hi use vapas lautna bhi tha
magar ab to vo yaha fans gayi thi.uska client jiske kaam ke liye vo
yaha aayi thi ab uske theharne ke liye kisi hotel ke kamre ka intezam
karne ki garaj se airport pe idhar-udhar puchhtachh kar raha tha.
"are!kamini.tum yaha?",samne khade Santosh Chandra & unki biwi ko dekh
kamini bhi chaunk padi.usne apne aane ki vajah batayi & fir unke aane
ka karan puchha.
"hume yaha kal 1 shadi attend karni hai.",mrs.chandra ne
bataya.chandra sahab to use bas ghure ja rahe the.aaj kamini ne 1
ghutno tak ki kasi balck skirt pehni thi & pairo me high heels vale
jute.upar safed ahirt thi jiske upar usne kala coat pehan rakha
tha.uski sudol tange & kase skirt me & ubharti hui uski moti gand uske
guru ka dil chhalni kar rahi thi.
"madam,koi single room to nahi mil raha magar 1 suite khali hai paas
ke hotel me."
"hum milke vo suite le lete hain.",chandra sahab ne kaha,"..hum bhi
yaha 2 ghante se atke hue hain.abhi hotel chale jate hain.kal mausam
thi hoga to apne mezban ke ghar chale jayenge.kya kehti ho?",vo apni
biwi se mukhatib hue.
"haan-2,ye thik rahega.".kamini ne 1 shokh muskan apne guru ki or
fenki.vo samajh rahi thi ki unka irada kya tha.
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Prasun so raha tha & Devika uske sirhane baithi uske sar pe thapkiya
de rahi thi.kaise achanak sab badal gaya tha!..uska pati ab is duniya
me nahi tha & uske sar pe sari zimmedariya aa padi thi.use akele hi
sab sambhalna tha.kaise karegi vo ye sab?uski himmat jawab de rahi
thi.tabhi prasun nind me thoda hila..nahi,abhi vo kamzor nahi pad
sakti.apne bete ke liye..is sari daulat ke liye use nidar rehna tha &
himmat se kaam lena tha.parso Kamini Sharan aake Suren Sahay ki
vasiyat padhne vali thi.sab jante the ki usme kya likha hai magar
kanooni taur pe vasiyat padhne ke baad hi vo estate & karobar ki
bagdor apne hatho me le sakti thi.
1 baar vo estate ka kaam-kaaj sambhal le uske baad vo prasun ki shadi
ke liye jut jayegi..kitne kaam the!..abhi vo kamzor nahi pad
sakti..nahi..!vo vahi prasun ke bagal me let gayi.apne kamre me jane
ka uska dil nahi kar raha tha.kitni baate yaad aane lagti thi vaha
jane se!usne aaj ki raat apne bete ke sath hi sone ka faisla kiya.abhi
usne aankhe band ki hi thi ki darwaze pe dastak hui.
Viren kal se yahi tha magar usne bungle ke sath bane apne cottage me
rehne ka faisla kiya tha & is waqt yehi tha magar ye dastak usne nahi
di thi.vo uthi & usne darwaza khola,jaisa usne socha tha samne shiva
khada tha.shiva andar aaya & usne devika ke kandhe pe apna hath
rakha,"tum thik ho?"
"hun.",devika nazre jhukaye khadi thi.
"devika,tumhare dil ki halat main samajhta hu magar please himmat se
kaam lo & zara bhi mat ghabrana,main humesha tumhare sath khada
rahunga.",devika ne nazre upar ki & shiva ki aankho me use bas pyar hi
pyar nazar aaya.uski aankhe bharne lagi to shiva ne use kandho se
thama & prasun ke bagal me bitha diya,"chalo,so jao."
usne use litaya & pairo ke paas padi chadar utha ke uske badan pe daal
di,"darr to nahi lagega na?"
devika ne bas inkar me sar hila diya,"very good.",vo muskuraya,"..good
night,agar kisi bhi chiz ki zarurat ho mujhe bula lena.ok."
"ok.",shiva kamre se bahar chala gaya.devika abhi bhi darwaze ko dekh
rahi thi..kitna chahta tha vo use!..kya vo bhi use aise chahti
thi?..ya fir use bas uske jism ki vasna thi..nahi uske dil me bhi
kuchh to tha shiva ke liye..lekin kya vo ehsas shiva ke ehsas jaisa hi
tha?..nahi..vo aise nahi chahti thi use ki apna sab kuchh bhul
jaye..usne apne pati ko bhi nahi chaha tha aise..& ye unki bewafaiyo
ki vajah se nahi tha..use shayad bhagwan ne banaya hi aise tha..aisi
nahi hoti to uski shadi kabhi bhi suren se nahi hui hoti vo to..
usne karwat badal us khayal ko dil se nikala.vo humesha is khayal se
parshan ho jati thi..use lagta tha ki vo us aadmi ki mujrim hai & use
chhod suren se shadi kar usne bahut galat kiya tha..tabhi uske dil ke
dusre kone se vahi aavaz aayi..kya bakwas soch rahi thi vo!..vo nahi
tha uske kabil..suren the isliye suren se hi shadi hui..jawab me dil
ke pehle kone ne fir se kahna chaha..lekin..lekin-vekin kuchh nahi..jo
hua thik hua.usne aankhe bhinchi & sone lagi.
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"ouch..!"
"kya hua kamini?",suite ke bedroom me kapde badalti mrs.chandra ki
aavaz aayi to kamini ne chandra sahab ko pare dhakelne ki nakam
koshish ki.usne hotel ke store se 1 gulabi sleeveless dhili-dhali
nighty kharidi thi & abhi vahi pehne thi.dono suite ke dusre kamre me
sofe pe baithe the & chandar sahab use baho me bhar uski jangho ko
masal rahe the.
"kuchh nahi aunty,1 machhar ghus aaya tha.usi ne kaat liya
tha.",kamini ne baal pakad ke apne guru ko apne seene se uthaya jaha
vo nighty ke upar se hi uski chhtiyo ko chum rahe the.
"5 star hotel me machhar!",mrs.chandra ki hairat bhari aavaz aayi.
"abhi sir balcony me chale gaye the na,vahi se aaya hoga.",kamini
kasmasa rhi thi unki pakad se chhutne ke liye,"..chinta mat kijiye
maine maar diya use.",usne apni dayi taraf baithe chandra sahab ke
lund ko apne daye hath se zor se masal diya.
mrs.chandra ke kadmo ki aahat sun dono alag ho gaye,"tum is kamre me
so jana.kamini mere sath andar vale kamre me so jayegi."
"ok.chaliye na aunty,mujhe zoro ki nind aa rahi hai.",kamini fauran
uth khadi hui & dono aurate andar jane lagi.kamini 1 pal ko thehri &
ghum ke usne chandra sahab ko munh chidhate hue angutha dikhaya &
andar chali gayi.battiya bujhte hi thodi hi der me mrs.chandra so gayi
& kamre me unki bajti naak ki aavaz gunjne lagi.
kamini ki aankho se nind koso door thi.vo mrs.chandra ke dayi taraf
unki or karwat liye leti pichhle din ke bare me soch rahi thi.viren ke
sath bitayi raat ki yaad taza hote hi uske badan me soye arman
angdaiya lene lage magar tabhi viern se uska dhyan uske bhai ki maut
pe chala gaya.vo dawa ki dbiye jo usne uthayi thi..haaa..
chandra sahab kab uske peechhe aake let gaye & use baho me bhar liya
use pata bhi nahi chala tha.uske pet ko sehlate vo use betahasha chume
ja rahe the.badi mushkil se usne apni aavaz ko roka tha.vo unhe pare
dhakel ke ishare se ye samjhane ki koshish akrne lagi ki kahi unki
biwi na jag jaye magar vo kuchh sunane ke mood me nahi the.uski nighty
upar kar vo uski makhmali jangho ko sehlate hue uske hotho ka ras pi
rahe the.unka lund kamini ko apni gand ki darar me atakta mehsus hua
to uske upar bhi khumari chhane lagi par yaha bahut khatra tha.
chandra sahab jaise uski uljhan samajh gaye,vo bistar se uthe & use
bhi khinch ke uthaya & apne agosh me bhar use chumte hue dusre kamre
me le aaye.unhone suite ki asri battiya bujha ke bilkul andhera kar
diya tha,"pagalpan mat kijiye na..aahhh..!",vo panty ke upar se hi
apni manpasand uski moti gand ko daba rahe the,"..aunty jag gayi to
main to sharm se mar jaoongi."
"ghabrao mat aisa kuchh nahi hoga.",unhone uski nighty ko upar kar
uske sar se nikal uske jism se alag kiya & uska hath pakad ke apne
pajame me band lund pe rakh diya.lund ko mehsus karte hi kamini aur
bhi mast ho gayi.vaise bhi use is tarah mrs.chandra ki maujoodgi me
unke pati se chudne me jo romanch hota tha vo uske maze ko aur bhi
badha deta tha.
usne lund ko masla to chandra sahab ne use apne seene se bhinch liya &
uski gand ko masalte hue uski panty ko neeche karne lage.kamini bhi
unke pajame ki dor khinch rahi thi.panty & pajama utarte hi unhone use
apne sath apne bistar pe bitha liya.apni baayi banh uske kandhe pe
daal vo uske gulabi hinth chumne lage & daye hath se uski makkhani
janghe sehlane lagi.kamini ka baaya hath unke gaal pe tha & daya unke
lund pe.
"1 baat puchhni thi..",kiss tod vo phusphusayi.
"puchho..",unhone baye hath se uske bra ko khol ke fenk diya & uske
kade nipples chusne lage.
"umm..",rokne par bhi uski aah nikal gayi & usne suren sahay ki maut
ke bare me batana shuru kiya.
"unnhh...",chandra sahab ka daya hath uski chut tak pahunch gaya tha &
vaha hulchul macha raha tha.
kamini ke hath ne bhi chandra sahab ke lund ko ab bahut bechain kar
diya tha.unhone use bistar pe baithne ko kaha to kamini unki or apni
gand kar ghutno pe baith gayi.kamre ki khidki ka 1 parda thoda sa
khula tha & us se khidki se bahar ki halki si roshni aa rahi thi.us
roshni me chandra sahab ne dekha ki unki shishya unhe hotho se chumne
ka ishara kar rahi hai.dono 1 dusre me doob to rahe the apr dono ka 1
kaan kamre me soyi mrs.chandra ki bajti naak pe bhi tha.
chandra sahab uske peechhe ghutno pe baithe & baye hath se uski gand
ki fanko ko sehlate hue suki darar ko thoda faila uski gili chut tak
pahunchne ka rasta khola & fir daye se apne lund ko pakad uski chut me
ghusa diya.lund ghuste hi kamini ne gand & peechhe ki or thel unke pet
se sata lund ko pura apne andar kiya & fir sar ko peechhe karne
lagi.chandra sahab ne aage ho use apni baho me bhar liya & chumte hue
halke dhakko se chodne lage.
"heart attack hua & suren sahay kimaut ho gayi.ab isme gadbad kya
hai?use to dil ki bimari thi hi.",chandra sahab ka baya hath uski
choochiyo ko & daya chut ke dane se khel raha tha.kamini se ye
bardasht nahi hua & uski chut pani chhodne lagi.uske guru ne dekha ki
vo jhad rahi hai to unhone fauran apne honth se uske honth sil
diye.jab uski masti shant hui to usne apne honth chhudaye,"..jo dawa
vo chudai ke pehle lete the..aahhh..haann..aise hi kijiye....us dawa
ki manufacturing date pichhle mahine ki hai."
"to?",chandar sahab ne uski pith pe hath rakh use neeche jhukaya to
kamini apni kohniyo pe uchak ke bistar pe let gayi.chandra sahab ne
apni chhati uski pith se laga di & uske ghane baal utha ke uske baaye
kandhe pe daal diye & daye ke upar se jhuk uske khubsurat chehre ko
chumne lage.beech-2 me unke hath uske badan se khel rahe the nahi to
vo unka vajan sambhale bistar pe tike hue the.
"to ye ki ...uummm...devika ne mujhe bataya ki dawa 2 mahine pehle
kharidi gayi thi...uunhhh..",kamini ne sar jhuka liya& 1 takiya khinch
usme munh chhupa liya taki agar uski aahe nikle to bhi mrs.chandra ke
kano me na pade.
"aisa kaise ho sakta hai?",chandar sahab ab apni manzil ke karib
pahunch rahe the.
"hai na thodi gadbad baat?"vo ab apni gand peehhe thel ke unke dhakko
ka jawab de rahi thi.
"haan..",chandra sahab ka lund jis tezi se kamini ki chut ki deearo ko
ragad raha tha usi etzi se unka dimagh bhi daud raha tha.
"kamini..zarur vo dawa gadbad thi..",jhuk ke unhone suki pith chumi &
fir apne daye hath se uski moti choochiya masalne lage.kamini ki chut
ka tanav badhne se vo unke lund pe aur kas gayi thi & unke ando me ab
mitha dard hone laga tha.unki raftar badh gayi thi & kamini ne takiye
ko bahut zor se pakad liya tha & unke sath-2 jhadne ko taiyyar ho rahi
thi.
"magar kisne ki hogi dawa se chhedkhani?",chandra sahab ab uski pith
pe so gaye the & dono ki zubane aapas me guttham-guttha thi.
"uummm...uunhhhhh....!",kuchh der ko kamini sab bhul gayi bas ye yaad
raha ki uske jism ke rom-rom me bijli daud rahi hai & vo bas khushi ki
kagar pe hai.
"shayad uski biwiiii..aahhhhhhh...!",kamini jhad rahi thi & uski chut
ki dilkash harkato ne chandra sahab ko bhi bekabu kar diya.unki kamar
jhatke kha rahi thi & vo kamini ke daye kaan me jibh firate hue uski
chut ko apne gadhe pani se bhar rahe the.
"nahi,devika mujhe galat nahi lagti.",kamini ne thodi der baad karwat
li & unke lund ko apni chut se bahar karte hue unhe lita diya & unke
seene pe sar rakh unhe dkhne lagi,"..varna vo mujhe dawa kharidne ki
sahi tarikh kyu batati & agar vo galat hai to dawa ki dibiya to vaha
hoti hi nahi.",badi dhimi aavaz me bolte hue vo unke seene se uthi &
apne kapde dhundne lagi.
"baat to sahi hai tumhari."parde ke kone se aati roshni me chandra
sahab use kapde pehante dekh rahe the,"..aur kaun-2 hai us ghar
me?",kamini ne sabke bare me bataya to unhone use fir se apne paas
khinch liya.
"ye shiva kaisa aadmi hai?",vo uski kamar sehla rahe the & kamini unka seena.
"sahay sahab ka bahut bharosemand tha."
"kayi baar bharosemand hi bharosa todte hain.",dono 1 dusre ko chumne lage.
"to main uspe nazar rakhu?",kayi palo ke baad jab dono ke lab juda hue
to kamin uth khadi hui.
"haan & ye bhi pata karo ki idhar koi naya aadmi to nahi aaya hai
estate me."chandra sahab ne bhi apna pajama uthake usme pair dale.
"mujhe tumhari baat se aisa lagta hai,kamini,ki ye mamla abhi nahi to
aage jake ulajh sakta hai.tum unki vakil ho isliye tumhara savdhan &
chaukkanna rahna bahut zaruri hai.devika & viren-dono me se kisi ko
khud ka fayda uthane nahi dena & jo bhi salah dena bahut soch-samajh
ke dena.dava ke sath chhedkhani ka matlab hai ki suren sahay ko mara
gaya hai."
"to kya main ye baat police ko bata du?"
"nahi.dekho,agar koi sahay parivar ka bura chahna vala hai to usne
apne maqsad me kamyabi to pa li hai magar vo bahut shatir hai & usne
apne nishan chhupaye hue hain.ab agar use ye guman ho jaye ki uski is
harkat pe kisi ko shaq nahi hua hai to bahut mumkin hai ki vo thoda
laparvah ho jaye & tumhari nazro me aa jaye.",vo apni shishya ke paas
aa khade hue to usne apni baahe unke gale me daal di & unhe chumne
lagi.
thodi der baad kamini fir se apne guru ki bekhabar biwi ke bagal me
soyi hui thi.chandra sahab ki baato ne uske dimagh me uthal-puthal
macha di thi.use 1 baar fir se viren ke irado pe shaq hone laga
tha..kya vo sachmuch uski khubsurti pe mar-mita tha ya fir koi aur
baat thi magar vo to estate me rehta hi nahi tha fir dawa vo kaise
badal sakta hai?..usnekarwat badli..chalo maan liya ki usne bhai ko
nahi mara magar uska & devika ka rishta kuchh thik nahi lagta..dono
aam dvar-bhabhi ki tarah 1 dusre se nahi pesh aate the & agar dono ki
nahi banti thi to kahi vo us se nazdiki ka fayda devika se ladne me na
uthana chahe..thik kaha tha chandra sahab ne use bahut savdhan rehna
tha.
usne aankhe band ki & sare khayalo ko dil se nikala..jo bhi hoga vo us
se nipat legi....itna bharosa tha use khud pe....din bhar ke kaam ki
thakan & chandra sahab ki chudai ne asar dikhaya & vo bhi nind ke
agosh me chali gayi.
"Jab maine ye manhus khabar suni to mujhe to yakin hi nahi hua..",Sham
lal ji Sahay parivar ke bungle ke drawing room me baithe Devika se
afsos zahir kar rahe the.unke peechhe ki deewar pe Viren ka banaya
Suren Sahay ka portrait tha jispe phoolo ka haar dala tha,"..mujhe
maaf kijiyega ma'am ki main pehle nahi aa saka par majboori thi.doori
hi itni hai dono jagaho me."
"please,sham lal ji.aisi baate karke aap mujhe sharminda kar rahe hain."
"main to yaha pehle hi aanewala tha,aapse 1 zaruri baat karni thi
magar ab is samay aapse vo baat karna thik nahi lagta."
"kaisi baat,sham lal ji?"
"ji..vo..aapne Prasun bete ke bare me kuchh kaha tha."
"haan-2,uski shadi ke liye.boliye sham lal ji kya baat karni thi us
bare me aapko.",devika ne aaturta se kaha.lag raha tha jaise bete ke
aanevale kal ki baat ne use uska abhi ka gham kuchh pal ke liye bhula
diya tha.
"1 ladki mili to hai."
"achha!kaun hai bataiye?..kaha ki hai?..uske parivar me aur kaun-2
hain?",devika ne sawalo ki jhadi laga di.
"vo Panchmahal me rehti hai.padhi-likhi hai & is waqt vahi 1 comapny
me naukri karti hai.parivar ke naam pe bas 1 bada bhai hai.ladki
dekhne me bhi khubsurat hai magar jis baat ne mujhe use apne prasun
bete ke layak samjha hai vo hai dono bhai-behan ki sharafat.."
"ma'am,uske pita mere college ke dost the.zindagi ki aapa-dhapi me hum
dono ka sampark tut gaya tha.abhi kuchh din pehle hi mujhe khabar mili
ko vo ab nahi raha.pata chalte hi main uske ghar pahuncha to vahi is
ladki ko dekha & mujhe laga ki vo aapke parivar ke liye bilkul sahi
rahegi."
"ladki ki maa to hongi?"
"nahi,unka inteqal to pehle hi ho gaya tha."
"to aapne uske bhai se kuchh baat ki hai is bare me?"
"ji haan.maine to saaf-2 baat ki hai dono bhai-behan se & khushi ki
baat ya hai ki dono taiyyar hain."
"kya?!"
"ji,haan ma'am.ladki ka kehna tha ki use dukh nahi balki khushi hogi
ki vo prasun jaise insan ki humsafar banegi."
"prasun jaise..!kya matlab?",kamini ke mathe pe bal pad gaye the.
"thik yehi sawal maine bhi kiya tha,ma'am ot usne kaha ki iska jawab
vo seedha aapko hi degi."
"achha..",devika soch me pad gayi..ladki me kuchh baat to thi magar
aaj ke zamane me is tarah se itni jaldi koi prasun jaise mandbuddhi se
shadi ko taiyyar ho jaye..baat kuchh khatak rahi thi..lekin ab is
shubahe ko to us se mil ke hi dur kiya ja sakta hai..fir Shiva to hai
hi janch-padtal karne ke liye....",..sham lal ji.."
"ji,ma'am."
"main jald hi us ladki se milna chahungi."
"aap jab kahiye milwa dunga,ma'am."
"thik hai.is shanivar ko hi ye kaam karte hain."
"thik hai,ma'am.",sham lal ji hath jodte hue uth khade hue.
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kramshah...................
आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj
--
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