कौन सच्चा कौन झूठा पार्ट -17
गतान्क से आगे........
दीपक: माफ़ कर दो मुझे चंपा ने अपनी आँखें उपर करी ,और दीपक को देखने
लगी ,धीर से उसके पास आई
चंपा: साहेब जी मे आपसे बहुत प्यार करती हू( ये कहते हुए भी उसकी नज़रे
नीची थी वो अपनी आँखें बंद किए हुई थी,उसका गला सुख चुका था बोलने की
हिम्मत नही कर पा रही थी) दीपक चंपा के करीब आया उसका चेहरा अपने हाथो मे
लेकर दीपक: (धीरे से बोला) जो तुमने मेरे लिए किया है ,शायद ही कोई किसी
के लिए करता , पिछले कुछ दीनो मे मुझे तुम से प्यार हो गया ,पर मैं कह
नही पाया , कहने के लिए जब कोशिश करता तब मेरी हिमत जवाब दे जाती चंपा
उसकी आँखों मे देखे जा रही थी, बोलना चाहती थी पर रुक जाती थी दीपक ने
उसके माथे को चुम्मा , अपने हाथो को उसके पेट पे घुमा रहा था,चंपा की
साँसे तेज़ हो रही थी,बार-2 अपनी आँखें बंद कर लेती चंपा ,दीपक के गले लग
पड़ी (मानो एक शरीर ही था वाहा दोनो एक दूसरे से चिपके हुए थे) दीपक चंपा
की पीठ पर हाथ फैरे जा रहा था, चंपा उसके बालो मे उंगलिया कर रही थी ,और
उसे अपनी तरफ खींचे जा रही थी ,दीपक ने चंपा के गले पर चूमा ,चंपा एक दम
से ढीली पड़ गयी एक बार फिर उसके शरीर मे बिजली दौड़ पड़ी थी चंपा: साहेब
जी मे भी आपसे बहुत प्यार करती हू ,पर मे एक छोटे घर से, घरो मे काम करने
वाली नौकरानी और आप इतने बड़े आदमी दीपक ने एक बार फिर उसके गले को चूमा
और अपनी जीभ उसके कंधे से लेकर कान तक फिरा दी दीपक: चंपा मे नही मानता
ये उच नीच (ये बोलते हुए चंपा के गालो को चूम लिया) चंपा को मानो इतनी
गर्मी मे भी ठंड लगने लगी थी ,वो काँप रही थी दीपक: इधर देखो दोनो ने एक
दूसरे की आँखों मे देखा ,दीपक ने अपने लब चंपा के लबो पर लगा दिए ,इस बार
चंपा ने भी होंठो को चूस्ते हुए अपनी हामी भरी दीपक ने एक बार फिर अपना
हाथ चंपा की बाई चुचि पे रखा ,चंपा एक दम से ठंडी पड़ी पर वाहा से हटी
नही ,दीपक ने चंपा के शरीर मे झटका महसूस किया ,और अपना हाथ खुद ही हटा
लिया दोनो एक दूसरे के होंठो को चूस्ते जा रहे थे ,पर दीपक अब फिर अपने
हाथो को पेट पर घुमा रहा था ,उसकी हिमत नही हो पा रही थी अपना हाथ दुबारा
उपर ले जाने की ,चंपा उसका पूरा साथ दे रही थी चंपा समझ रही थी के दो बार
उसकी हामी ना मिल पाने के वजा से दीपक अब आगे नही बढ़ रहा ,चंपा ने दीपक
के लबो को अपने लबो से अलग किया ,उसके हाथ को अपने हाथ मे लिया उसकी
उंगलियो मे अपनी उंगलिया घुसा ,उपर हाथ उठाया और खुद ही अपनी चुचि पे रख
दिया दीपक ने अपने हाथ का दबाव उसकी चुचि पे बनाया ,चंपा के मूह से आहह
निकल पड़ी,कमीज़ के उपर से ही निप्पेल को पकड़ने की कौशिश की पर हाथ मे
नही आया,चंपा के चेहरे पे खुशी थी ,दीपक के गले लग गयी ज़ोरो से दोनो एक
दूसरे को जकड़े हुए थे ,आज दोनो एक दूसरे से अलग नही होना चाहते थे दीपक:
(कान मे बोला) मे तुम से बहुत प्यार करता हू ये सुनते ही चंपा दीपक से
अलग हुई, उसकी और देखने लगी ,जैसे उसने कुछ नही सुना हो ,दीपक ने एक बार
फिर बोला दीपक: मे तुमसे बहुत प्यार करता हू चंपा ,दीपक से अलग हुई ,दीपक
की खुली शर्ट को उसके कंधे से उतारा ,दीपक के गोरे शरीर को घुरे जा रही
थी ,चंपा अपने लब्ब दीपक की छाती पर ले कर गयी और उसकी छाती के दाए निपल
पे अपने लब्ब लगा दिए , दीपक की आँखें बंद हो गयी दीपक अपने हाथ चंपा के
पेट पर घुमा रहा था, चंपा बारी बारी दीपक के निपल्स को काट रही थी उसको
उतेज़ित कर रही थी ,दीपक का लंड उसकी जीन्स मे उभरा हुआ सॉफ नज़र आ रहा
था दीपक ने चंपा को रोका उसका चेहरा हाथो मे लिया चंपा का चेहरा अपने पास
लाया ,उसके गालो को चूमा ,अपना हाथ चंपा के पेट पे घूमते हुए कमीज़ को
उपर करने लगा चंपा उसे अब रोकना भी नही चाहती थी चंपा ने अपने हाथ खुद ही
उपर कर लिए दीपक कमीज़ को उपर करता हुआ गले तक लाया,दीपक की आँखों के
सामने काले ब्रा मे दोनो चुचिया थी ,गले से कमीज़ को निकाल कर पास पड़े
ट्रंक के उपर डाल दी चंपा शर्मा रही थी ,अपनी आँखों को नीचे किए,अपने
दोनो हाथो को पकड़ के खड़ी थी,दीपक ने चंपा के दोनो हाथो को अलग करके
अपने हाथो मे लिया दीपक: चंपा मेरी तरफ देखो चंपा के चेहरे पे एक खुशी
थी, जैसे ही उसने दीपक की तरफ देखा ,दीपक ने चंपा की कमर पकड़ के उसे
अपने करीब खींचा,होंठ से होंठ मिल चुके थे चंपा का हाथ एक दम से दीपक के
पेट पर गया,और जखम के उपर लगा ,दीपक ने होंठो को चूसना छ्चोड़ दिया, चंपा
को उसकी आँखों मे उसका दर्द महसूस हुआ चंपा ने दीपक के गालो को चूमा
,दीपक अपना दर्द थोड़ी देर के लिए भूल जाना चाहता था, चंपा ने अपना हाथ
दीपक की बेल्ट पर रखा चंपा की शरम अब जाते जा रही थी,दीपक की जीन्स की
बेल्ट को खोलने लगी ,उसके हाथो का स्पर्श दीपक के लंड पे हुआ ,दोनो ने
फिर एक दूसरे को देखा ,दीपक अपने हाथ चंपा की कमर के पीछे ले कर गया और
ब्रा खोलने की कोशिश की ,ब्रा का पिन दीपक की उंगली मे लगा ,उसने अपना
हाथ हटाया चंपा ने बेल्ट खोली खड़ी हुई सामने दीपक की उंगली से हल्का सा
खून निकल रहा था ,अपने हाथो मे उसका हाथ लिया ,उसकी उंगली को अपने मूह मे
डालकर चूसने लगी ,दीपक भी अपनी उंगली को उसके मूह मे घुमा रहा था जीभ का
स्पर्श उसे आच्छा लग रहा था ,चंपा अपना हाथ अपनी कमर पर ले कर गयी और खुद
ही अपना ब्रा खोल दिया ब्रा खुलते ही सामने ब्रा ढीला पड़ा ,दीपक की
उंगली अभी भी चंपा के मूह मे थी ,दूसरे हाथ से दीपक ने चंपा के कंधे से
ब्रा का स्ट्रॅप नीचे किया ,ब्रा लटक गया एक चुचि साफ नज़र आ रही थी निपल
का मूह एक दम सीधा खड़ा था ,दीपक ने अपनी उंगली उसके मूह से बाहर निकाली
चंपा इतनी गरम हो चुकी थी ,उसने खुद ही अपने ब्रा को उतारा को नीचे ज़मीन
पे डाल दिया दीपक की आँखों के सामने चंपा की बड़ी चुचिया लटक रही थी ,
दीपक ने अपना हाथ बढ़ाया दाई चुचि को मसल दिया अपने दाँत चंपा के कंधे मे
गाढ दिए..चंपा के मूह से हल्की सी चीख निकल पड़ी चंपा ,दीपक की जीन्स
खोलने मे लगी थी बटन टाइट था खुल नही पा रहा था ,दीपक थोड़ा पीछे हुआ
जीन्स का बटन खोला ज़ीप नीचे करी ,अंडरवेर मे लंड तना हुआ था ,दीपक ने
चंपा को अपनी और खींचा और चुचियो को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा चंपा की
साँसे तेज़ होती जा रही थी , दीपक चुचिया चूस्ते हुए अपना हाथ उसकी सलवार
तक ले गया ,नाडे का सिरा ढूँडने लगा नाडा अंदर की तरफ था दीपक ने उपर से
ही अपना हाथ सलवार के अंदर डाल दिया ,नाडा तो हाथ मे आया नही ,पॅंटी गीली
हो चुकी थी उसका एहसास दीपक को उसका हाथ पॅंटी पे लगने के बाद हुआ चंपा
एक दम सीधी खड़ी थी,वो इंतेज़ार कर रही थी के दीपक सारी ज़ंज़ीरे तोड़ दे
,नाडे को हाथ मे पकड़ा और उसे खींच के खोल दिया ,नाडा खुलते ही सलवार झट
से नीचे चंपा के पैरो मे जा गिरी, चंपा ने दीपक के कंधे का सहारा लिया और
अपने पैरो मे से सलवार निकाल दी ,उधर दीपक अपनी जीन्स उतार चुका था , कछे
मे उसका लंड एक दम तना हुआ था ,चंपा बार बार उसे घुरे जा रही थी , गला
सुख चुका था पर दीपक का लंड देख कर उसके मूह मे पानी आ चुका था दोनो एक
दूसरे को घुर्रे जा रहे थे ,दीपक ने चंपा का हाथ पकड़ा ओर कछे के उपर से
ही लंड पर रख दिया ,चंपा ने अपनी आँखें बंद कर ली और एक ज़ोर से साँस ली
चंपा बहुत गरम हो चुकी थी ,उसका खड़ा रहना भी मुश्किल हो रहा था दीपक
चंपा के पीछे गया और कमर मे हाथ डाल के पीछे से चुचियो को ज़ोर से दबा
दिया ,चंपा थोड़ी पीछे हुई लंड चंपा की गंद मे सॅट गया , चंपा वही रुक
गयी उसे दीपक के लंड का पूरा-2 एहसास हो रहा था दीपक ने चुचियो को
छ्चोड़ा अपने हाथो को नीचे ले गया पॅंटी पे हाथ पहुचते ही दोनो हाथो की
दो उंगलियो को पॅंटी के अंदर किया और नीचे कर दिया पॅंटी सीधा सरकते हुए
चंपा के पैरो मे अटक गयी क्रमशः.............. KAUN SACHCHA KAUN JHUTHA
paart -17 gataank se aage........ deepak: maaf kar do mujhe champa ne
apni aankhein upar kari ,aur deepak ko dekhne lagi ,dhir se uske pass
aayi champa: saheb ji me aapse bahut pyar karti hu( ye kehte hue bhi
uski nazre nichi thi vo apni aankhein band kiye hui thi,uska gala sukh
chuka tha bolne ki himmat nahi kar pa rahi thi) deepak champa ke karib
aaya uska chehra apne hatho me lekar deepak: (dhire se bola) jo tumne
mere liye kiya he ,shayad hi koi kise ke liye karta , pichle kuch dino
me mujhe tum se pyar ho gaya ,par me keh nahi paya , kehne ke liye jab
koshish karta tab meri himat jawab de jati champa uski aankhon me
dekhe ja rahi thi, bolna chahti thi par ruk jati thi deepak ne uske
mathe ko chumma , apne hatho ko uske pate pe ghuma raha tha,champa ki
sanse tez ho rahi thi,baar-2 apni aankhein band kar leti champa
,deepak ke gale lag padi (mano ek sharir hi tha waha dono ek dusre se
chipke hue the) deepak champa ki pinth par hath faire ja raha tha,
champa uske baalo me ungliya kar rahi thi ,aur use apni taraf kinche
ja rahi thi ,deepak ne champa ke gale par chuma ,champa ek dum se
dhili pad gayi ek baar fir uske sharir me bijli dodd padi thi champa:
saheb ji me bhi aapse bahut pyar karti ho ,par me ek chote ghar se,
gharo me kaam karne wali naukrani aur aap itne bade aadmi deepak ne ek
baar fir uske gale ko chuma aur apni jibh uske kandhe se lekar kaan
tak firaa di deepak: champa me nahi manta ye uch nich (ye bolte hue
champa ke gaalo ko chum liya) champa ko mano itni garmi me bhi thand
lagne lagi thi ,vo kaanp rahi thi deepak: idhar dekho dono ne ek dusre
ki aankhon me dekha ,deepak ne apne lab champa ke labo par laga diye
,is baar champa ne bhi hontho ko chuste hue apni haami bhari deepak ne
ek baar fir apna hath champa ki bayi chuchi pe rakha ,champa ek dum se
thandi padi par waha se hati nahi ,deepak ne champa ke sharir me
jhatka mehsus kiya ,aur apna hath khud he hata liya dono ek dusre ke
hontho ko chuste ja rahe the ,par deepak ab fir apne hatho ko pate par
ghuma raha tha ,uski himat nahi ho pa rahi thi apna hath dubara upar
le jane ki ,champa uska pura sath de rahi thi champa samjh rahi thi ke
do baar uski haami na mil panne ke wajha se deepak ab agge nahi bad
raha ,champa ne deepak ke labo ko apne labo se alag kiya ,uske hath ko
apne hath me liya uski unliyo me apni ungliya ghusai ,upar hath uthaya
aur khud hee apni chuchi pe rakh diya deepak ne apne hath ka dabaw
uski chuchi pe banaya ,champa ke muu se aahhh nikal padi,kamiz ke upar
se hee nippel ko pakdne ki kaushish ki par hath me nahi aaya,champa ke
chehre pe khushi thi ,deepak ke gale lag gayi zoro se dono ek dusre ko
jakde hue the ,aaj dono ek dusre se alag nahi hona chahte the deepak:
(kaan me bola) me tum se bahut pyar karta hu ye sunte he champa deepak
se alag huee, uski aur dekhne lagi ,jaise usne kuch nahi suna ho
,deepak ne ek baar fir bola deepak: me tumse bahut pyar karta hu
champa ,deepak se alag huee ,deepak ki khuli shirt ko uske kandhe se
utara ,deepak ke gore sharir ko ghure ja rahi thi ,champa apne labb
deepak ki chatti par le kar gayi aur uski chatti ke daye nipple pe
apne labb laga diye , deepak ki aankhein band ho gayi deepak apne hath
champa ke pate par ghuma raha tha, champa bari bari deepak ke nipples
ko kaat rahi thi usko utejit kar rahi thi ,deepak ka lund uski jeans
me ubhra hua saaf nazar aa raha tha deepak ne champa ko rooka uska
chehra hatho me liya champa ka chehra apne pass laya ,uske gaalo ko
chuma ,apna hath champa ke pate pe ghumate hue kamizz ko upar karne
laga champa use ab rokna bhi nahi chahti thi champa ne apne hath khud
hee upar kar liye deepak kamizz ko upar karta hua gaale tak
laya,deepak ki aankhon ke saamne kaley bra me dono chuchiya thi ,gaale
se kamizz ko nikaal kar pass pade trunk ke upar daal di champa sharma
rahi thi ,apni aankhon ko niche kiye,apne dono hatho ko pakad ke khadi
thi,deepak ne champa ke dono hatho ko alag karke apne hatho me liya
deepak: champa meri taraf dekho champa ke chehre pe ek khushi thi,
jaise hee usne deepak ki taraf dekha ,deepak ne champa ki kamar pakad
ke use apne karib khincha,honth se honth mil chuke the champa ka hath
ek dum se deepak ke pate par gaya,aur zhakam ke upar laga ,deepak ne
hontho ko chusna chhod diya, champa ko uski aankhon me uska dard
mehsus hua champa ne deepak ke gaalo ko chuma ,deepak apna dard thodi
der ke liye bhul jana chahta tha, champa ne apna hath deepak ki belt
par rakha champa ki sharam ab jate ja rahi thi,deepak ki jeans ki belt
ko kholne lagi ,uske hatho ka sparsh deepak ke lund pe hua ,dono ne
fir ek dusre ko dekha ,deepak apne hath champa ki kamar ke piche le
kar gaya aur bra kholne ki koshish ki ,bra ka pin deepak ki ungli me
laga ,usne apna hath hataya champa ne belt kholi khadi hui saamne
deepak ki ungli se halka sa khoon nikal raha tha ,apne hatho me uska
hath liya ,uski ungli ko apne muu me daalkar chusne lagi ,deepak bhi
apni ungli ko uske muu me ghuma raha tha jibh ka sparsh use aacha lag
raha tha ,champa apna hath apni kamar par le kar gayi aur khud hee
apna bra khol diya bra khulte hee saamne bra dhila pada ,deepak ki
ungli abhi bhi champa ke muu me thi ,dusre hath se deepak ne champa ke
kandhe se bra ka strap niche kiya ,bra latak gaya ek chuchi saf nazar
aa rahi thi nipple ka muu ek dum sidha khada tha ,deepak ne apni ungli
uske muu se bahar nikaali champa itni garam ho chuki thi ,usne khud hi
apne bra ko utara ko niche zameen pe daal diya deepak ki aankhon ke
saamne champa ki badi chuchiya latak rahi thi , deepak ne apna hath
badaya dayi chuchi ko masal diya apne daant champa ke kandhe me gaad
diye..champa ke muu se halki si chikh nikal padi champa ,deepak ki
jeans kholne me lagi thi button tight tha khul nahi pa raha tha
,deepak thoda piche hua jeans ka button khola zeep niche kari
,underwear me lund tana hua tha ,deepak ne champa ko apni aur khincha
aur chuchiyo ko zor zor se dabane laga champa ki saanse tez hoti ja
rahi thi , deepak chuchiya chuste hue apna hath uski salwaar tak le
gaya ,nade ka sira dhundne laga nada ander ki taraf tha deepak ne upar
se hi apna hath salwaar ke ander daal diya ,nada to hath me aaya nahi
,panty gili ho chuki thi uska ehsas deepak ko uska hath panty pe lagne
ke baad hua champa ek dum sidhi khadi thi,wo intezaar kar rahi thi ke
deepak sari zanzeere tod de ,nade ko hath pe pakda aur use khinch ke
khol diya ,nada khulte he salwar jhat se niche champa ke pairo me ja
giri, champa ne deepak ke kandhe ka sahara liya aur apne pairo me se
salwaar nikaal di ,udhar deepak apni jeans utaar chuka tha , kachhe me
uska lund ek dum tana hua tha ,champa baar baar use ghure ja rahi thi
, gala sukh chuka tha par deepak ka lund dekh kar uske muu me pani
achuka tha dono ek dusre ko ghurre ja rahe the ,deepak ne champa ka
hath pakda or kachhe ke upar se hee lund par rakh diya ,champa ne apni
ankhein band kar li aur ek zor se saans li champa bahut garam ho chuki
thi ,uska khada rehna bhi mushkil ho raha tha deepak champa ke piche
gaya aur kamar me hath daal ke piche se chuchiyo ko zor se daba diya
,champa thodi piche hue lund champa ki gand me satak gaya , champa
wahi ruk gayi use deepak ke lund ka pura-2 ehsas ho raha tha deepak ne
chuchiyo ko chhoda apne hatho ko niche le gaya panty pe hath pahuchte
he dono hatho ki do ungliyo ko panty ke ander kiya aur niche kar diya
panty sidha sarakte hue champa ke pairo me atak gayi
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