Sunday, October 24, 2010

कामुक-कहानियाँ बदला पार्ट--49

कामुक-कहानियाँ

बदला पार्ट--49

गतान्क से आगे..

रस्सी जलने तक कमरे का हाल तो बिल्कुल ही बुरा हो चुका था.आग भी दरवाज़े
तक पहुँच गयी थी & वहाँ से निकलना अब नामुमकिन था मगर कामिनी हार मानने
वालो मे से नई थी.उसने पलंग पे पड़ी चादर उठाई & उसे बाथरूम मे ले जाके
पानी से पूरा भीगा के अपने मुँह पे लपेट लिया & कमरे की खिड़की के पास
गयी जिसे खोलते-2 संजय वही गिर गया था.खिड़की मे लोहे का ग्रिल लगा था &
अब कामिनी के पास बचाव के लिए चिल्लाने के अल्वा & कोई रास्ता नही था.

नीचे लोगो की भीड़ जमा थी मगर सब देखने चिल्लाने के अलावा & कुच्छ नही कर
रहे थे & तभी कमरे का दरवाज़ा गिरने की आवाज़ आई.वो पलटी तो देखा की 1
कंबल लपेटे 1 आदमी अंदर गिरता हुआ दाखिल हुआ,"चलिए कामिनी जी.",ये शिवा
था.

"मगर शिवा,आग बहुत तेज़ है!",शिवा ने साथ लाया कंबल कामिनी को ओढ़ाया &
उसे पकड़ के आग के बीच से दौड़ता हुआ कमरे से बाहर निकला.कामिनी ने देखा
की पूरा बंगला जल रहा रहा था.नीचे जाना तो नामुमकिन था क्यूकी सीढ़ियो पे
भयंकर आग थी.शिवा उसे ले उपर की तरफ भाग रहा था छत पे.कामिनी की समझ मे
कुच्छ नही रहा था.छत पे उसे राहत महसूस मिली.धुए से भरे उसके फेफड़ो
मे ताज़ी हवा गयी & आग की झुलसाहट से उसे निजात मिली.

वो अपनी सांस संभाल ही रही थी कि अचानक शिवा ने उसे गोद मे उठाया & छत से
कूद गया.कामिनी की चीख निकल गयी लेकिन अगले ही पल वो 1 बड़े से जाल पे
झूल रही थी.

"शिवा..",हान्फ्ते हुए उसने अपने कंबल & चादर को खुद से अलग किया,"..देविका जी.."

"मैं यहा हू.कामिनी जी.",आवाज़ सुन कामिनी घूमी तो देखा की कालिख & पसीने
से आटे चेहरे वाली देविका उसके पीछे खड़ी है.

"देविका जी,आपके खिलाफ बहुत बड़ी साज़िश रची गयी थी!"

"मुझे पता है.आप पहले इधर आइए.",फाइयर ब्रिगेड,पोलीस & आंब्युलेन्स बंगल
के अहाते मे रही थी.देविका शिवा के साथ कामिनी को आंब्युलेन्स मे ले जा
रही थी.

"मैं ठीक हू."

"हां,मैं जानती हू.मैं भी आपके साथ हॉस्पिटल चल रही हू.चेक-अप ज़रूरी है
आपका.",तीनो के बैठते ही दरवाज़ा बंद हुआ & साइरन बजाती आंब्युलेन्स वाहा
से निकल गयी.आंब्युलेन्स की खिड़की से कामिनी ने देखा की पोलीस 2 लाशो का
मुआयना कर रही है...लेकिन रोमा,संजय & इंदर तो अभी उपर कमरे मे ही थे.अभी
आग बुझी भी नही थी फिर ये.."शिवा ये कौन हैं?"

शिवा ने देविका को देखा.दोनो के चेहरो पे अजीब सी उलझन थी,"क्या बात
है?बोलते क्यू नही!"

"वीरेन की &..",आगे की बात सुनने से पहले ही कामिनी बेहोश हो गयी.

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वो बादलो पे लेटी थी,कितना सुकून था यहा..हर तरफ बस ठंडक & उजाला,आहट हुई
तो उसने गर्दन घुमाई,सफेद कपड़ो मे वीरेन और भी सजीला दिख रहा था.वो
मुस्कुराइ & अपनी बाहे फैला दी.वीरेन उसकी तरफ रहा था मुस्कुराता
हुआ,उसके बाल हवा मे लहरा रहे थे.बस थोड़ी ही देर मे वो उसकी बाहो मे
होगी....मगर वो पास क्यू नही रहा था.वीरेन चल रहा था मगर उसके करीब नही
रहा था,"..वीरेन..",वो अब धुँधला हो रहा था,"..वीरेन.."वो चीखी मगर वो
बदलो मे गुम हो चुका था,"वीरेन!"

आँखे खुली तो देखा की चंद्रा साहब उसके पास बैठे हैं & बीप-2 की आवाज़
रही है.उसने गर्दन घुमा के कमरे का जायज़ा लिया.वो 1 हॉस्पिटल के कमरे मे
थी & हार्ट रेट मॉनिटर बीप कर रहा था.चंद्रा साहब डॉक्टर को बुला रहे
थे.डॉक्टर आया & उसकी आँखे देखी & उसे 1 इंजेक्षन दिया & वो फिर नींद के
आगोश मे चली गयी.

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"गुड मॉर्निंग!",1 भले चेहरे वाली नर्स उसके पास बैठी थी.

"गुड मॉर्निंग.",कामिनी ने उठने की कोशिश की तो नर्स ने उसे मना किया &
फिर लीवर दबा के उसके बेड के उपरी हिस्से को उठा दिया तो कामिनी बैठ
गयी.1 डॉक्टर आया & उसकी सेहत के बारे मे पुच्छ के उसका चेक-अप
किया,"डॉक्टर."

"कोई मेरी जान-पहचान वाला है यहा?"

"हां,मैं 1-1 करके सबको भेजता हू."

"अच्छा लग रहा है?",सबसे पहले चंद्रा साहब आए & उसके सर पे प्यार से हाथ
फेरा & उसका माथा चूमा.कामिनी को बहुत अच्छा लगा उनका एहसास मगर उसी
एहसास ने उसे वीरेन की याद दिला दी,"वीरेन.."

चंद्रा साहब ने बस हा मे सर हिलाया & कामिनी के आँसू बह चले,"इन्हे उसके
लिए ज़ाया मत करो,कामिनी.",वो उनके सीने से लगी रो रही थी पर उनकी बात
सुन वो झटके से उठी,"क्या कह रहे हैं आप?"

"हां,जिसे तुमने दिलोजान से चाहा परसो रात उसी ने तुम्हे मारने की कोशिश की थी."

"क्या?!"

"जी,हां.",क्षोटन चौबे कमरे मे आया.


"आप तो इंदर को बदमाश समझ रही थी ना?",चौबे 1 कुर्सी पे बैठ गया.

"हां & वो था भी,रोमा उसकी बेहन थी &..-"

"..संजय उसका पति.",चौबे ने बात पूरी की,"..इंदर फाइयर ब्रिगेड वालो को
जिंदा मिला था & कल दिन मे उसको थोड़ी देर के लिए होश आया तो अपना बयान
भी दे दिया ."

"क्या बोला वो?"

"कहानी लंबी है,असल मे इंदर,रोमा & संजय मुफ़्त मे मारे गये."

"मतलब इंदर अब ज़िंदा नही है?"

"नही.अब सुनिए पूरा बात.इंदर & रोमा बहुत छ्होटे थे जब दोनो के माता-पिता
का देहांत हुआ.जब इंदर बड़ा हुआ तो 1 दिन उसके हाथ घर का समान ठीक करते
हुए 1 खत लगा.ये खत उसकी मा को कोई लिखा था & खत से साफ-2 पता चलता था की
उसकी मा का आशिक़ है.खत लिखने वाले के नाम के जगह बस लिखा था.."

"..इंदर & रोमा का रिश्तेदार के नाम पे बस 1 मौसा था तो इंदर चिट्ठी लेके
उसके पास गया तो उसका मौसा उसको बताया कि उसकी मा का इस से चक्कर था
जिसके कारण उसका बाप ख़ुदकुशी कर लिया था & बाद मे जब उसकी मा इस से
शादी करने को बोली तो उसको दुतकार दिया.."

"..उसकी मा ये बर्दाश्त नही की & जाके रेल लाइन पे लेट गयी.इंदर ये सुन
के गुस्सा से पागल हो गया & मौसा से का पूरा नाम पुचछा तो वो बोला की
सुरेन सहाय था.अब इंदर & रोमा उस से बदला लेने को पागला गये तो उसका मौसा
बोला कि हम तुमलोग का मदद करेंगे.."

"..फिर ये सारा खेल हुआ.सुरेन जी को दवाई बदल के मारा..",कामिनी के चेहरे
पे सवालिया भाव उभरे,"..हां-2 शिवा भी हमलॉग को सब बता दिया है.बहुत
बहादुर आदमी है. नही होता तो आपका & देविका जी का जान बचना मुश्किल
था.."

"हां तो..मौसा का प्लान था की रोमा के पेट मे प्रसून का बच्चा जाएगा तो
प्रसून को मार देंगे फिर सब कुच्छ प्रसून का बच्चा का हो जाएगा.दोनो
भाई-बेहन झाँसे मे गये जबकि मौसा का असली प्लान था अपने पार्ट्नर के
साथ मिलके सारा जयदाद हड़प लेना & दोनो भाई बेहन & संजय को मार देना.."

"..पर 2 लोग उसका प्लान चौपट कर दिए.1 तो शिवा जोकि परसो रात आपका बात
नही माना & भला हो उसका एस्टेट गया."

"& दूसरा?"

"दूसरा हम.हमको मॅनेजर' कॉटेज से 1 पॅंट का टुकड़ा मिला था & सारा छनबीन
से यही लगा था कि कोई वीरेन को फँसा रहा है तो हम कुच्छ अपना प्राइवेट
इन्वेस्टिगेशन कर रहे थे.उस रात को आप भी तो वही कर रही थी."

"तो इंदर के क्वॉर्टर मे आप थे?"

"हां & हमको भी वोही सब पता चला जो आपको.दूसरी रात हम बस इंदर का फटा
पॅंट ऐसी जगह रखने आए थे की अगले सुबह जब हम तलाशी लेने आए तो वो साला
उसे च्छूपा नही पाए.लेकिन सारा कांड घट गया."

"इंदर का मौसा कौन था & उसका पार्ट्नर का क्या नाम था?",पार्ट्नर का नाम
तो कामिनी को पता ही था मगर दिल के किसी कोने मे 1 उमीद थी की हो सकता है
चौबे किसी और का नाम ले ले.

"मौसा थे एस्टेट के भुत्पुर्व मॅनेजर शाम लाल जी & उसके पार्ट्नर थे
वीरेन सहाय.",कामिनी को वो जानी पहचानी आवाज़ याद गयी-प्रसून की शादी
के वक़्त उसने उनसे बात की थी.वो कुच्छ नही बोली बस उसकी आँखो से आँसू
बहने लगे.

"अच्छा.हम चलते हैं.सब बदमाश तो मर ही गया है जो भी काम बाकी होगा हम
आपसे मिलके बाद मे कर लेंगे.",चौबे वाहा से निकल गया.

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क्रमशः.


बदला पार्ट--49

गतान्क से आगे..

rassi jalne tak kamre ka haal to bilkul hi bura ho chuka tha.aag bhi
darwaze tak pahunch gayi thi & vahan se nikalna ab namumkin tha magar
kamini haar maanane valo me se nai thi.usne palang pe padi chadar
uthayi & use bathroom me le jake pani se pura bhiga ke pane munh pe
lapet liya & kamre ki khidki ke paas gayi jise kholte-2 sanjay vahi
gir gaya tha.khidki me lohe ka grill laga tha & ab kamini ke paas
bachav ke liye chillane ke alva & koi rasta nahi tha.

neeche logo ki bhid jama thi magar sab dekhne chillane ke alawa &
kuchh nahi kar rahe the & tabhi kamre ka darwaza girne ki aavaz
aayi.vo palti to dekha ki 1 kambal lapete 1 aadmi andar girta hua
dakhil hua,"chaliye kamini ji.",ye shiva tha.

"magar shiva,aag bahut tez hai!",shiva ne sath laya kambal kamini ko
odhaya & use pakad ke aag ke beech se daudta hua kamre se bahar
nikla.kamini ne dekha ki pura bungla jal raha raha tha.neeche jana to
namumkin tha kyuki seedhiyo pe bhayankar aag thi.shiva use le upar ki
taraf bhag raha tha chhat pe.kamini ki samajh me kuchh nahi aa raha
tha.chhat pe aa use rahat mehsus mili.dhue se bhare uske fefdo me tazi
hawa gayi & aag ki jhulsahat se use nijaat mili.

vo apni sans sambhal hi rhai thi ki achanak shiva ne sue god me uthaya
& chhat se kud gaya.kamini ki chikh nikal gayi lekin agle hi pal vo 1
bade se jaal pe jhul rahi thi.

"shiva..",hanfte hue usne apne kambal & chadar ko khud se alag
kiya,"..devika ji.."

"main yaha hu.kamini ji.",aavaz sun kamini ghumi to dekha ki kalikh &
pasine se ate chehre vali devika uske peechhe khadi hai.

"devika ji,aapke khilaf bahut badi sazish rachi gayi thi!"

"mujhe pata hai.aap pehle idhar aaiye.",fire brigade,police &
ambulance bungle ke ahate me aa rahi thi.devika shiva ke sath kamini
ko ambulance me le ja rahi thi.

"main thik hu."

"haan,main janti hu.main bhi aapke sath hospital chal rahi hu.check-up
zaruri hai aapka.",teeno ke baithate hi darvaza band hua & siren
bajati ambulance vaha se nikal gayi.ambulance ki khidki se kamini ne
dekha ki police 2 lasho ka muayana kar rahi hai...lekin roma,sanjay &
inder to abhi upar kamre me hi the.abhi aag bujhi bhi nahi thi fir
ye.."shiva ye kaun hain?"

shiva ne devika ko dekha.dono ke chehro pe ajib si uljhan thi,"kya
baat hai?bolte kyu nahi!"

"viren ki &..",aage ki baat sunane se pehle hi kamini behosh ho gayi.

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vo baadlo pe leti thi,kitna sukun tha yaha..har taraf bas thandak &
ujala,aahat hui to usne gardan ghumayi,safed kapdo me viren aur bhi
sajila dikh raha tha.vo muskurayi & apni baahe faila di.viren uski
taraf aa raha tha muskurata hua,uske baal hawa me lehra rahe the.bas
thodi hi der me vo uski baaho me hogi....magar vo paas kyu nahi aa
raha tha.viren chal raha tha magar uske karib nahi aa raha
tha,"..viren..",vo ab dhundhla ho raha tha,"..viren.."vo chikhi magar
vo badlo me gum ho chuka tha,"VIREN!"

aankhe khuli to dekha ki Chandra Sahab uske paas baithe hain & beep-2
ki aavaz aa rahi hai.usne gardan ghuma ke kamre ka jayza liya.vo 1
hospital ke kamre me thi & heart rate monitor beep kar raha
tha.chandra sahab doctor ko bula rahe the.doctor aaya & uski aankhe
dekhi & use 1 injection diya & vo fir nind ke agosh me chali gayi.

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"good morning!",1 bhale chehre vali nurse uske paas baithi thi.

"good morning.",kamini ne uthne ki koshish ki to nurse ne use mana
kiya & fir lever daba ke uske bed ke upari hisse ko utha diya to
kamini baith gayi.1 doctor aaya & uski sehat ke bare me puchh ke uska
check-up kiya,"doctor."

"koi meri jaan-pehchan vala hai yaha?"

"haan,main 1-1 karke sabko bhejta hu."

"achha lag raha hai?",sabse pehle chandra sahab aaye & uske sar pe
pyar se hath fera & uska matha chuma.kamini ko bahut achha laga unka
ehsas magar usi ehsas ne use viren ki yaad dila di,"viren.."

chandra sahab ne bas haa me sar hilaya & kamini ke aansu beh
chale,"inhe uske liye zaya mat karo,kamini.",vo unke seene se lagi ro
rahi thi par unki baat sun vo jhatke se uthi,"kya keh rahe hain aap?"

"haan,jise tumne dilojaan se chaha parso raat usi ne tumhe marne ki
koshih ki thi."

"kya?!"

"ji,haan.",Chhotan Chaubey kamre me aaya.


"aap to Inder ko budmash samajh rahi thi na?",Chaubey 1 kursi pe baith gaya.

"haan & vo tha bhi,Roma uski behan thi &..-"

"..Sanjay uska pati.",chaubey ne baat puri ki,"..inder fire brigade
valo ko jinda mila tha & kal din me usko thodi der ke liye hosh aaya
to apna bayan bhi de diya oo."

"kya bola vo?"

"kahani lumbi hai,asal me inder,roma & sanjay muft me mare gaye."

"matlab inder ab zinda nahi hai?"

"nahi.ab suniye pura baat.inder & roma bahut chhote the jab dono ke
mata-pita ka dehant hua.jab inder bada hua to 1 din uske hath ghar ka
saman thik karte hue 1 khat laga.ye khat uski maa ko koi likha tha &
khat se saaf-2 pata chalta tha ki uski maa ka aashiq hai.khat likhne
vale ke naam ke jagah bas S likha tha.."

"..inder & roma ka rishtedar ke naam pe bas 1 mausa tha to inder
chitthi leke uske paas gaya to uska mausa usko bataya ki uski maa ka
is S se chakkar tha jiske karan uska baap khudkushi kar liya tha &
baad me jab uski maa is S se shadi karne ko boli to usko dutkar
diya.."

"..uski maa ye bardasht nahi ki & jake rail line pe let gayi.inder ye
sun ke gussa se pagal ho gaya & mausa se S ka pura naam puchha to vo
bola ki S Suren Sahay tha.ab inder & roma us se badla lene ko pagla
gaye to uska masua bola ki hum tumlog ka madad karenge.."

"..fir ye sara khel hua.suren ji ko dawai badal ke mara..",kamini ke
chehre pe sawaliya bhav ubhare,"..haan-2 shiva bhi humlog ko sab bata
diya hai.bahut bahadur aadmi hai.oo nahi hopta to aapka & Devika ji ka
jaan bachna mushkil tha.."

"haan to..mausa ka plan tha ki roma ke pet me Prasun ka bachcha aa
jayega to prasun ko maar denge fir sab kuchh prasun ka bachcha ka ho
jayega.dono bhai-behan jhanse me aa gaye jabki mausa ka asali plan tha
apne partner ke sath milke sara jaydad hadap lena & dono bhai behan &
sanjay ko maar dena.."

"..par 2 log uska plan chaupat kar diye.1 to shiva joki parso raat
aapka baat nahi mana & bhala ho uska estate aa gaya."

"& dusra?"

"dusra hum.humko manager's cottage se 1 pant ka tukda mila tha & sara
chhanbeen se yehi laga tha ki koi Viren ko fansa raha hai to hum kuchh
apna private investigation kar rahe the.us raat ko aap bhi to vahi kar
rahi thi."

"to inder ke quarter me aap the?"

"haan & humko bhi vohi sab pata chala jo aapko.dusri raat hum bas
inder ka oo fata pant aisi jagah rakhne aaye the ki agle subah jab hum
talashi lene aaye to vo sala use chhupa nahi paye.lekin ee sara kand
ghat gaya."

"inder ka mausa kaun tha & uska partner ka kya naam tha?",partner ka
naam to kamini ko pata hi tha magar dil ke kisi kone me 1 umeed thi ki
ho sakta hai chaubey kisi aur ka naam le le.

"mausa the estate ke bhutpurva manager Sham Lal ji & uske partner the
Viren Sahay.",kamini ko vo jani pehchani aavaz yaad aa gayi-prasun ki
shadi ke waqt usne unse baat ki thi.vo kuchh nahi boli bas uski aankho
se aansu behne lage.

"achha.hum chalte hain.sab budmash to mar hi gaya hai jo bhi kaam baki
hoga oo hum aapse milke baad me kar lenge.",chaubey vaha se nikal
gaya.

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kramashah.

आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj

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