Saturday, October 23, 2010

कामुक-कहानियाँ बदला पार्ट--13

कामुक-कहानियाँ


बदला पार्ट--13

गतान्क से आगे...
कामिनी अपने बिस्तर पे लेटी वीरेन सहाय से हुई मुलाकात के बारे मे सोच
रही थी.वो उस इंसान को समझ नही पा रही थी.कभी वो उसे बिल्कुल अच्छा लगता
तो कभी उसे उसपे शक़ होता!आख़िर वो थी ही ऐसे पेशे मे.जो भी हो 1 बात तो
पक्की थी की वीरेन 1 बहुत खूबसूरत मर्द था मगर केवल इस बिना पे तो वो
उसकी बात नही मान सकती थी.उसने सोच लिया की अगर अगली बार उसने इस बारे मे
उस से पुच्छा तो वो मना कर देगी.

षत्रुजीत सिंग शहर से बाहर था,वो अपना बिज़्नेस और बढ़ा रहा था & कामिनी
भी अपने केसस मे बिज़ी रहती थी.इस वजह से इधर उनकी मुलाक़ते थोड़ी कम हो
गयी थी मगर जब भी दोनो मिलते इतने दीनो की दूरी की पूरी कसर निकाल
लेते.आज की रात कामिनी को उसकी कमी बहुत खाल रही थी,चंद्रा साहब से मिलना
भी इधर नही हो सका था.उसकी चूत बहुत बेचैन हो गयी थी.कामिनी ने अपना दाया
हाथ उसपे रखा & उसे शांत करने की कोशिश करने लगी.उसके दिल मे 1 बार ख़याल
आया की क्यू ना वो फिर से किसी से शादी कर ले मगर अगले ही पल उसने उस
ख़याल को ज़हन से निकाल फेंका..वो ये ग़लती दोबारा नही करेगी.उसे ये
तन्हाई की रात मंज़ूर थी मगर अब शादी कर किसी पे भरोसा करना & उसे फिर
तोड़ना या टूटते देखना उसे मंज़ूर नही था. ( दोस्तो ये कहानी आप राज
शर्मा के ब्लॉग कामुक कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं )

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

"सर,मैने इंदर धमीजा के बारे मे सब पता कर लिया है.उसने बीओ-डाटा मे जो
भी लिखा है वो सब सही है.",शिवा सुरेन जी के ऑफीस चेंबर मे खड़ा था.

"ओके.",सुरेन जी खड़े हो खिड़की से बाहर देख रहे थे,"..यानी उसे हम
एस्टेट मॅनेजर बना सकते हैं?"

"मुझे तो आदमी ठीक लगता है."

"ठीक है.उसे खबर भिजवा देते हैं.",तभी उनका मोबाइल बजा,"हेलो...हा
वीरेन.ठीक है,मैं भी उस वक़्त तक वाहा पहुँच जाऊँगा.",उन्होने फोन बंद
किया.

"शिवा,मैं ज़रा पंचमहल जा रहा हू..",उन्होने अपनी कलाई पे बँधी घड़ी को
देखा,11 बज रहे थे,".शाम तक वापस आ जाऊँगा.सेक्रेटरी को उस इंदर धमीजा को
फोन करने के लिए कह देता हू..",उन्होने अपना मोबाइल अपनी जेब मे
डाला,"..परसो सवेरे 10 बजे उसे यहा बुलाता हू.तुम भी उस रोज़ फ्री
रहना,मैं चाहता हू की उस से बात करते वक़्त तुम भी वाहा मौजूद रहो."

"ओके,सर.",शिवा उन्हे उनकी कार तक छ्चोड़ने आया जहा देविका भी खड़ी
थी.कार के जाने के बाद दोनो ने 1 दूसरे को देखा मगर जल्दी से नज़रे घुमा
ली.वाहा और भी लोग खड़े थे.शिवा अपने कॅबिन मे आके बैठ गया.उसका इंटरकम
बजा & देविका ने उसे सुरेन जी के कॅबिन मे बुलाया.प्रेमिका को अपनी बाहो
मे भर उसे प्यार करने के ख़याल से शिवा की आँखे चमक उठी.

मुस्कुराता हुआ वो जैसे ही कॅबिन मे दाखिल हुआ,उसका चेहरा उतर गया,वाहा 1
और शख्स भी मौजूद था.देविका से उसके चेहरे के भाव छुपे ना रह सके.1 पल को
उसे हँसी भी आई अपने आशिक़ के उपर मगर अगले ही पल उसके दिल मे भी टीस
उठी....कितने करीब थे दोनो मगर फिर भी कितने दूर!

"ये मिस्टर.कुमार हैं,ये हमे अपनी कंपनी के सेक्यूरिटी सिस्टम्स & बाकी
प्रॉडक्ट्स के बारे मे बताना चाहते हैं..& ये हैं मिस्टर.शिवा हमारे
सेक्यूरिटी इंचार्ज..आप इन्हे बताएँ अपने प्रॉडक्ट्स के बारे मे.",वो
सेल्स रेप्रेज़ेंटेटिव ब्रोशौर्स निकाल के शिवा को दिखाने लगा.शिवा उसकी
बाते तो सुन रहा था मगर उसका ध्यान अपनी प्रेमिका पे भी था....आज हरी
सारी मे वो कितनी खूबसूरत लग रही थी!..यही हाल देविका का भी था..वो भी
चोरी से शिवा को निहार रही थी..उसका दिल,उसका जिस्म उसके लिए तड़प रहा था
मगर वो क्या कर सकती थी.

"थॅंक्स,सर.मैं आपसे फिर मिलता हू.",वो आदमी वाहा से चला गया तो दोनो
प्रेमियो ने 1 बार फिर 1 दूसरे को हसरत भरी निगाहो से देखा मगर इस वक़्त
दफ़्तर मे सभी लोग मौजूद थे & ऐसे मे कॅबिन बंद कर 1 दूसरे मे डूबना लोगो
को बाते बनाने का मौका देना होता.शिवा उठा & चुपचाप अपने कॅबिन मे चला
आया.अपनी कुर्सी पे बैठ उसने अपनी आँखे बंद कर ली & यादो मे खो गया. (
दोस्तो ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं )

देविका उसे शुरू से ही बड़ी अच्छी लगती थी.शिवा ने उसके जैसी खूबसूरत औरत
आज तक नही देखी थी मगर वो था तो उसके पति का नौकर.उसने अपनी जगह कभी भी
नही भूली थी मगर वो अपनी नज़रो का क्या करता.देविका उसके सामने आती तो वो
उसे जी भर के देखे बिना नही रह पता था.देविका ने उसे कभी-कभार ऐसा करते
हुए पकड़ा भी था मगर उसे कभी बुरा नही लगा था.

सुरेन जी को उसपे बहुत भरोसा था & 1 दिन उन्होने उसे उसके कॉटेज से उठा
के अपने घर की निचली मंज़िल पे 2 कमरे दे दिए.शिवा उनकी बहुत इज़्ज़त
करता था.उन्होने उसे अपने घर मे जगह दी फिर भी वो अपनी मर्यादा नही भुला
था.उसका ओहदा 1 मॅनेजर के बराबर का था मगर फिर भी वो घर मे काम करने वाले
बाकी नौकरो की तरह पीछे के दरवाज़े से ही आता-जाता था & उन्ही के साथ
किचन मे खाना ख़ाता था.

सुरेन जी के साथ रहते हुए उसे उनके बारे मे लगभग सभी कुच्छ मालूम हो गया
था & वो उनकी अयाशियो के बारे मे भी जान गया था लेकिन ये सारे राज़ 1
सच्चे वफ़ादार की तरह उसने अपने दिल मे दफ़न कर लिए थे.

घर मे रहते हुए उसने महसूस किया था कि देविका भी उसे देखती थी मगर उसे
लगा की उसका दिल-जोकि उस हसीना को प्यार करता-उसे ये ग़लतफहमी हो रही है
मगर 5 साल पहले की उस तूफ़ानी रात सारी ग़लतफहमिया दूर हो गयी. (ये कहानी
आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक-कहानियाँ में पढ़ रहे है )

सुरेन जी शहर गये हुए थे & रात के 11 बज रहे थे.शिवा खाना खा के अपने
कमरे मे आके कपड़े बदल रहा था कि दरवाज़े पे दस्तक हुई.बिजली की चमक &
बादलो की गरज के बीच उसने दरवाज़ा खोला तो सामने देविका को खड़ा
पाया,"मे'म..आप?..मुझे बुला लिया होता?"

"मुझे तुमसे कुच्छ पुच्छना है.",देविका ने उसके कमरे के अंदर कदम रखा.

"हाँ-2,पुछिये.",शिवा को हैरत हो रही थी.

"मेरे पति जब भी शहर जाते हैं तो क्या केवल काम करते हैं?"

"मैं समझा नही."

"ठीक है.मैं सॉफ-2 पुछ्ति हू.वो वाहा किसी लड़की से भी मिलते हैं?"

"मुझे नही पता.",शिवा घूम के उसकी ओर पीठ कर खड़ा हो गया.

"तुम्हे पता है!",देविका चीखी * उसे घुमा कर अपनी ओर किया,"..मुझे सच
बताओ मेरे पति क्या किसी लड़की के चक्कर मे हैं?",देविका ने उसकी शर्ट का
कॉलर खिचा.

"मुझे नही पता.",शिवा ने उसके हाथ अपनी कमीज़ से हटाने चाहे मगर देविका
ने ऐसा नही होने दिया.

"शिवा,तुम्हे बताना ही होगा.",देविका का सारी का पल्लू उसके सीने से
ढालाक गया & उसके ब्लाउस मे क़ैद बड़ी-2 छातियाँ जोकि गुस्से के मारे
उपर-नीचे हो रही थी उसके सामने आ गयी.

"प्लीज़,मे'म.मैं सच कहता हू मुझे कुच्छ नही पता.",शिवा उसकी पकड़ से
छूटने की कोशिश करने लगा मगर देविका तो जैसे गुस्से मे पागल थी.

"झूठे!तू भी उनके साथ मिला हुआ है ना!क्या वो तुझे भी रंगरेलिया मनाने
देते हैं अपनी उस वेश्या के साथ?",शिवा अब तक सब सुन रहा था मगर अपने
बारे मे ये बकवास उसे बर्दाश्त नही हुई.

"शूट अप!तब से बकवास कर रही हैं आप!जाइए यहा से मुझे कुच्छ नही
पता."देविका ने उसका कॉलर अब भी नही छ्चोड़ा.वो चिल्लाने लगी,"मैं नही
जाऊंगी..बताओ मुझे..बताओ...",गुस्से मे शिवा ने उसकी छातिया दबा उसे
धक्का दिया.

त़ड़क्ककक...!,देविका के करारे चाटे की आवाज़ बिजली की कड़क से भी तेज़
थी.अब शिवा को भी गुस्सा आ गया,उसने आगे बढ़ के देविका के बाल पकड़ लिए &
सर पीछे झुका दिया,"..अपने पति से क्यू नही पूछती जो मुझे परेशान कर रही
हो!"

तड़क्ककक....!,जवाब मे देविका ने 1 और तमाचा जड़ दिया उसे.अब शिवा गुस्से
मे पागल हो गया.उसने दोनो हाथो से देविका के बॉल पकड़ उसके सर को झुकाया
& उसके होंठो को चूमने लगा.देविका ने उसे परे धकेला & तड़क्ककक.....तीसरा
चांटा भी जड़ दिया.शिवा ने उसके बाल फिर पकड़े & फिर से चूमने लगा.देविका
ने उसे फिर धकेला फिर 1 थप्पड़ लगाया.

शिवा ने उसे पानी बाहो मे भींच लिया & उसकी आँखो मे आँखे डाल दी.देविका
की गुस्से से भरी आँखे ऐसी लग रही थी मानो उसे जला के रख देंगी.उसने फिर
से उसके बाल पकड़े तो इस बार देविका ने भी उसके बाल पकड़ लिए & जैसे ही
वो उसके होंठो पे झुका & चूमने लगा उसने उसके होंठ को काट
लिया,"..आहह..!"

शिवा के होन्ट से खून निकल आया था, ( दोस्तो ये कहानी आप राज शर्मा के
ब्लॉग कामुक कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं )उसने उसे अपनी ओर खींचा & पागलो की
तरह चूमने लगा देविका उसके बदन पे कभी मुक्के बरसाती तो कभी नोचती मगर
शिवा उसे वैसे ही चूमता रहा.देविका ने उसे ज़ोर का धक्का दिया & अपने से
अलग कर दिया.

शिवा संभला & फिर उसे देखने लगा.देविका की सारी अस्त-व्यस्त थी & गुस्से
से उसका चेहरा तमतमाया हुआ था & साँसे तेज़ चल रही थी.दोनो 1 दूसरे को
देखे जा रहे थे.शिवा उसकी काली आँखो मे जैसे डूब रहा था.उसे पता ही ना
चला & उसके कदम अपनेआप देविका की ओर बढ़ने लगे.

वो उसके बिल्कुल करीब आ गया,दोनो अभी भी 1 दूसरे से नज़रे मिलाए खड़े
थे.शिवा को कुच्छ होश नही था,उसका सर नीचे देविका की ओर झुका तो देविका
ने अपने बाए हाथ से उसकी गर्दन पकड़ नीचे झुकाई & उसके होंठो को चूमने
लगी.

अब तो बाहर का तूफान जैसे कमरे के अंदर भी आ गया.दोनो 1 दूसरे को पकड़े
पागलो की तरह चूम रहे थे.शिवा उसे झुका उसकी गर्दन को चूमने लगता तो
देविका उसे वापस उठा उसके होंठ चूमने लगती.उस रात दोनो ने 1 दूसरे के
कपड़े उतारे नही बल्कि 1 दूसरे के जिस्म से फाड़ के अलग किए.

देविका का नंगा जिस्म जब शिवा ने पहली बार देखा तो उसकी सांस गले मे ही
रह गयी थी.उसने जैसा सोचा था देविका उस से भी कही ज़्यादा खूबसूरत
थी.उसका सपना सच हो रहा था मगर उसे देविका को छुतेहुए डर लग रहा था की
कही वो मैली ना हो जाए.

देविका ने उसे रुका देखा अपने उपर खींचा तो जैसे उसके दिल से सारे शुबहे
मिट गये.उसने उसके होंठ चूमते हुए उसकी चूचियो को अपने बड़े-2 हाथो तले
जम के रौंदा.देविका की ज़िंदगी मे ये पहला मौका था जब वो ऐसे मज़बूत
जिस्म वाले मर्द के साथ हुमबईस्तर हो रही थी.( दोस्तो ये कहानी आप राज
शर्मा के ब्लॉग कामुक कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं )

शिवा के सख़्त हाथो के नीचे उसकी चूचिया & भी बड़ी हो गयी निपल्स इतने
कड़े की उसे उनमे दर्द सा महसूस हुआ.उसने उसे अपने सीने पे झुकाया तो
शिवा की आतुर जीभ ने उसकी चूचियो को अपने रंग से रंगना शुरू कर दिया.जब
उसने उसके बाए निपल को मुँह मे हर के कोई 1 मिनिट तक लगातार चूसा तो
देविका की चूत मे पानी छ्चोड़ दिया.

शिवा ने उसकी गोरी चूचियो को जम के मसला & चूसा,इन्होने उसे बहुत तडपया
था आजतक आज उसकी बारी थी.देविका के गोल,मुलायम पेट के नीचे उसकी गीली,कसी
चूत देख वो खुद को रोक नही पाया & झुक के उसने अपनी जीभ उस पे फिरा
दी.देविका की आहो मे अब और भी मस्ती आ गयी थी.

उसकी भारी जाँघो को उठाके जब उसने अपने कंधो पे रखा & उसकी चूत मे अपनी
जीभ तबीयत से फिराई तो देविका के जिस्म मे बिजलिया दौड़ने लगी.शिवा को
याद था की उस रात देविका उसकी जीभ से कोई 2 बार झड़ी थी.वो तो और भी
चाटना चाहता था मगर उसकी प्रेमिका ने ही उसे खींच के उठाया था & अपने
हाथो से उसका लंड पकड़ के अपनी चूत का रास्ता दिखाया था.

शिवा को तो जैसे जन्नत मिल गयी थी!देविका की कसी चूत मे अपना लंड जड तक
धंसा के जब उसने चुदाई शुरू की तो उसकी मस्ती का ठिकाना ही नही
रहा.देविका भी 1 बहुत मस्त औरत थी,उसके नीचे दबे हुए जब उसने उसे अपनी
टाँगो मे क़ैद कर उसकी पीठ को अपने नखुनो से छल्नि कर दिया तो शिवा की भी
आहे निकल पड़ी थी.

कोई 15 मिनिट तक चोदने के बाद वो उसके साथ-2 फारिग हुआ था.झड़ने के बाद
भी वो उसके उपर से उतरा नही,"..मैं तुम्हे बहुत चाहता हू,देविका..बहुत
चाहता हू...जब से यहा आया बस तुम ही तुम मेरे ख़यालो मे च्छाई रहती
थी..",देविका ने उसके लबो को अपने लबो से सील दिया.ठीक ही तो किया उसने
अब कुच्छ कहने की क्या ज़रूरत थी!

जब देविका ने उसके होंठ छ्चोड़े तो वो देविका की आँखो मे झाँकने लगा &
तभी उसे वाहा पानी भरता दिखाई दिया.देविका की रुलाई छूट गयी & उसने उसे
धकेल कर अपने उपर से उतारा & करवट ले तकिये मे मुँह च्छूपा सुबकने
लगी.शिवा ने उसके बॉल सहलाते हुए उसके सर को चूमा & उसे पीछे से अपनी
बाँहो मे भर लिया,"प्लीज़..देविका चुप हो जाओ..प्लीज़!",थोड़ी देर बाद जब
उसकी रुलाई थमी तो उसने सर घुमाया.

आसुओं से लाल उसकी आँखो ने शिवा को दुखी कर दिया,"मैं तुम्हारा गुनेहगार
हू-..",1 छ्होटे से हाथ ने उसके होंठो पे आ उसकी बात बीच मे ही काट दी.(
दोस्तो ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं )

"नही..ऐसा नही है..अगर कोई गुनेहगार है तो वो है तुम्हारे बॉस.",बॉस का
नाम सुन शिवा को थोड़ा बुरा लगा,आख़िर उसकी प्रेमिका थी तो उनकी बीवी &
क्या उसके साथ रिश्ता जोड़ के वो उन्हे धोखा नही दे रहा था.उस रात दोनो
प्रेमी 1 दूसरे को दिलासा देते रहे की वो ग़लत नही हैं बस हालात के मारे
हैं.सवेरे तक शिवा ने उस हुसनपरी को 2 बार और चोदा था & उनके दिल मे बस
खुशी ही खुशी थी गम था तो बस 1 की पास होके भी उन्हे दूर रहना था.

उसी रात देविका को भी अपने पति की आय्याश फ़ितरत के बारे मे सही तौर पे
पता चला था मगर उसे अब उस बात की कोई खास परवाह नही थी.उसने उस से उस बात
का बदला ले लिया था उसके नौकर के साथ सोके. दोस्तो कैसा लगा कहानी का ये
पार्ट आपका दोस्त राज शर्मा

क्रमशः............

BADLA paart--13

gataank se aage...
kamini apne bistar pe leti Viren Sahay se hui mulakat ke bare me soch
rahi thi.vo us insan ko samajh nahi pa rahi thi.kabhi vo use bilkul
aschcha lagta to kabhi use uspe shaq hota!aakhir vo thi hi aise peshe
me.jo bhi ho 1 baat to pakki thi ki viren 1 bahut khubsurat mard tha
magar keval is bina pe to vo uski baat nahi maan sakti thi.usne soch
liya ki agar agli baar usne is bare me us se puchha to vo mana kar
degi.

Shatrujeet Singh shahar se bahar tha,vo apna business aur badha raha
tha & kamini bhi apne cases me busy rehti thi.is wajah se idhar unki
mulakate thodi kam ho gayi thi magar jab bhi dono mlte itne dino ki
doori ki puri kasar nikal lete.aaj ki raat kamini ko uski kami bahut
khal rahi thi,Chandra Sahab se milna bhi idhar nahi ho saka tha.uski
chut bahut bechain ho gayi thi.kamini ne apna daya hath uspe rakha &
use shant karne ki koshish karne lagi.uske dil me 1 bar khayal aaya ki
kyu na vo fir se kisi se shadi kar le magar agle hi pal usne us khayal
ko zehan se nikal fenka..vo ye galti dobara nahi karegi.use ye tanhayi
ki raat manzur thi magar ab shadi kar kisi pe bharosa karna & use fir
todna ya tootate dekhna use manzur nahi tha.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

"sir,maine Inder Dhamija ke bare me sab pata kar liya hai.usne
bio-data me jo bhi likha hai vo sab sahi hai.",shiva suren ji ke
office chamber me khada tha.

"ok.",suren ji khade ho khidki se bahar dekh rahe the,"..yani use hum
estate manager bana sakte hain?"

"mujhe to aadmi thik lagta hai."

"thik hai.use khabar bhijwa dete hain.",tabhi unka mobile
baja,"hello...ha viren.thik hai,main bhi us waqt tak waha phunch
jaoonga.",unhone fone band kiya.

"shiva,main zara Panchmahal ja raha hu..",unhone apni kalai pe bandhi
ghadi ko dekha,11 baj rahe the,".sham tak vapas aa jaoonga.secretary
ko us inder dhamija ko fone karne ke liye kah deta hu..",unhone apna
mobile apni jeb me dala,"..parso savere 10 baje use yaha bulata hu.tum
bhi us roz free rehna,main chahta hu ki us se baat karte waqt tum bhi
vaha maujood raho."

"ok,sir.",shiva unhe unki car tak chhodne aaya jaha devika bhi khadi
thi.car ke jane ke baad dono ne 1 dusre kod ekha magar jaldi se nazre
ghuma li.vaha aur bhi log khade the.shiva apne cabin me aake baith
gaya.uska intercom baja & devika ne sue suren ji ke cabin me
bulaya.premika ko apni baaho me bhar use pyar karne ke khayal se shiva
ki aankhe chamak uthi.

muskurata hu vo jaise hi cabin me dakhil hua,uska chehra utar
gaya,vaha 1 aur shakhs bhi maujood tha.devika se uske chehre ke bhav
chhupe na reh sake.1 pal ko use hansi bhi aayi apne aashiq ke upar
magar agle hi pal uske dil me bhi tees uthi....kitne kareeb the dono
magar fir bhi kitne door!

"ye Mr.Kumar hain,ye hume apni company ke security systems & baki
products ke bare me batana chahte hain..& yue hain mr.shiva humare
security incharge..aap inhe batayen apne products ke bare me.",vo
sales representative brochures nikla ke shiva ko dikhane laga.shiva
uski baate to sun raha tha magar uska dhyan apni premika pe bhi
tha....aaj hari sari me vo kitni khubsurat lag rahi thi!..yehi haal
devika ka bhi tha..vo bhi chori se shiva ko nihar rahi thi..uska
dil,uska jism uske liye tadap raha tha magar vo kya kar sakti thi.

"thanx,sir.main aapse fir milta hu.",vo aadmi vaha se chala gaya to
dono premiyo ne 1 baar fir 1 dusre ko hasrat bhari nigaho se dekha
magar is waqt daftar me sabhi log maujood the & aise me cabin band kar
1 dusre me doobna logo ko baate banane ka mauka dena hota.shiva utha &
chupchap apne cabin me chala aaya.apni kursi pe baith usne apni aankhe
band kar li & yaado me kho gaya.

Devika use shuru se hi badi achhi lagti thi.Shiva ne uske jaisi
khubsurat aurat aaj tak nahi dekhi thi magar vo tha to uske pati ka
naukar.usne apni jagah kabhi bhi nahi bhuli thi magar vo apni nazro ka
kya karta.devika uske asmne aati to vo use ji bhar ke dekhe bina nahi
reh pata tha.devika ne use kabhi-kabhar iasa karte hue pakda bhi tha
magar use kabhi bura nahi laga tha.

suren ji ko uspe bahut bharosa tha & 1 din unhone use uske cottage se
utha ke apne ghar ki nichli manzil pe 2 kamre de diye.shiva unki bahut
izzat karta tha.unhone use apne ghar me jagah di fir bhi vo apni
maryada nahi bhula tha.uska ohda 1 manager ke barabar ka tha magar fir
bhi vo ghar me kaam karne vale baki naukro ki tarah peechhe ke darwaze
se hi aata-jata tha & unhi ke sath kitchen me khana khata tha.

suren ji ke sath rehte hue use unke bare me lagbhag sabhi kuchh malum
ho gaya tha & vo unki ayashiyo ke bare me bhi jaan gaya tha lekin ye
sare raaz 1 sachche vafadar ki tarah usne apne dil me dafan kar liye
the.

ghar me rehte hue usne mehsus kiya tha ki devika bhi use dekhti thi
magar use laga ki uska dil-joki us haseena ko pyar karta-use ye
galatfehmi ho rahi hai magar 5 saal pehle ki us toofani raat sari
galatfehmiya door ho gayi.

suren ji shahar gaye hue the & raat ke 11 baj rahe the.shiva khana kha
ke apne kamre me aake kapde badal raha tha ki darvaze pe dastak
hui.bijli ki chamak & baadlo ki garaj ke beech usne darwaza khola to
samne devika ko khada paya,"ma'am..aap?..mujhe bula liya hota?"

"mujhe tumse kuchh puchhna hai.",devika ne uske kamre ke andar kadam rakha.

"haan-2,puchhiye.",shiva ko hairat ho rahi thi.

"mere pati jab bhi shahar jate hain to kya keval kaam karte hain?"

"main samjha nahi."

"thik hai.main saaf-2 puchhti hu.vo vaha kisi ladki se bhi milte hain?"

"mujhe nahi pata.",shiva ghum ke uski or pith kar khada ho gaya.

"tumhe pata hai!",kamini chikhi * use ghuma kar apni or kiya,"..mujhe
sach batao mere pati kya kisi ladki ke chakkar me hain?",devika ne
uski shirt ka collar khicnha.

"mujhe nahi pata.",shiva ne uske hath apni kamiz se hatane chahe magar
devika ne aisa nahi hone diya.

"shiva,tumhe batana hi hoga.",devika ka sari ka pallu uske seene se
dhalak gaya & uske blouse me qaid badi-2 chhatiya joki gusse ke mare
upar-neeche ho rahi thi uske asmne aa gayi.

"please,ma'am.main sach kehta hu mujhe kuchh nahi pata.",shiva uski
pakad se chhutne ki koshish karne laga magar devika to jaise gusse me
pagal thi.

"jhuthe!tu bhi unke sath mila hua hai na!kya vo tujhe bhi rangreliya
manane dete hain apni us veshya ke sath?",shiva ab tak sab sun raha
tha magar apne bare me ye bakwas use bardasht nahi hui.

"shut up!tab se bakwas kar rahi hain aap!jaiye yaha se mujhe kuchh
nahi pata."devika ne uska collar ab bhi nahi chhoda.vo chillane
lagi,"main nahi jaoongi..batao mujhe..batao...",gusse me shiva ne uski
chhatiya daba sue dhakka diya.

TADAKKKK...!,devika ke karare chante ki aavaz bijli ki kadak se bhi
tez thi.ab shiva ko bhi gussa aa gaya,usne aage badh ke devika ke baal
pakad liye & sar peechhe jhuka diya,"..apen pati se kyu nahi puchhti
jo mujhe pareshan kar rahi ho!"

TADAKKKK....!,jawab me devika ne 1 aur tamacha jad diya use.ab shiva
gusse me pagal ho gaya.usne dono hathos e devika ke baal pakad uske
sar ko jhukaya & uske hotho ko chumne laga.devika ne use pare dhakela
& TADAKKKK.....teesra chanta bhi jad diya.shiva ne uske baal fir pakde
& fir se chumne laga.devika ne sue fior dhakela fir 1 thappad lagaya.

shiva ne use pani baaho me bhinch liya & uski aankho me aankhe daal
di.devika ki gusse se bhari aankhe aisi lag rahi thi mano use jala ke
rakh dengi.usne fir se uske baal pakde to is baar devika ne bhi uske
baal pakad liye & jaise hi vo uske hontho pe jhuka & chumne laga usne
uske honth ko kaat liya,"..aahhh..!"

shiva ke hont se khun nikal aaya tha,usne use apni or khincha & paglo
ki tarah chumne laga devika uske badan pe kabhi mukke barsati to kabhi
nochti magar shiva use vaise hi chumta raha.devika en sue zor ka
dhakka diya & apne se alag kar diya.

shiva sambhla & fir use dekhne laga.devika ki sari ast-vyast thi &
gusse se uska chehra tamtamaya hua tha & sanse tez chal rahi thi.dono
1 dusre ko dekhe ja rahe the.shiva uski kali aankho me jaise doob raha
tha.use pata hi na chala & uske kadam apneaap devika ki or badhne
lage.

vo uske bilkul kareeb aa gaya,dono abhi bhi 1 dusre se nazre milaye
khade the.shiva ko kuchh hosh nahi tha,uska sar neeche devika ki or
jhuka to devika ne apne baaye hath se uski gardan pakad neeche jhukayi
& uske hontho ko chumne lagi.

ab to bahar ka toofan jaise kamre ke andar bhi aa gaya.dono 1 dusre ko
pakde paglo ki tarah chum rahe the.shiva use jhuka uski gardan ko
chumne lagta to devika use vapas utha uske honth chumne lagti.us raat
dono ne 1 dusre ke kapde utare nahi balki 1 dusre ke jism se phaad ke
alag kiye.

devika ka nanga jism jab shiva ne pehli baar dekha to uski sans gale
me hi erh gayi thi.usne jaisa socha tha devika us se bhi kahi zyada
khubsurat thi.uska sapna sach ho raha tha magar use devika ko chhute
darr lag raha tha ki kahi vo maili na ho jaye.

devika ne use ruka dekha apne upar khincha to jaise uske dil se asre
shubahe mit gaye.usne uske honth chumte hue uski chhatiyo ko apne
bade-2 hatho tale jum ke raunda.devika ki zindagi me ye pehla mauka
tha jab vo aise mazbut jism vale mard ke sath humbistar ho rahi thi.

shiva ke sakht hatho ke neeche uski chhatiya & bhi badi ho gayi
nipples itne kade ki use unme dard sa mehsus hua.usne use apne seene
pe jhukaya to shiva ki aatur jibh ne uski choochiyo ko apne rang se
rangana shuru kar diya.jab usne uske baye nipple ko munh me har ke koi
1 minute tak lagatar chusa to devika ki chut me pani chhod diya.

shiva ne uski gori choochiyo ko jum ke masla & choosa,inhone sue bahut
tadpaya tha aajtak aaj uski abri thi.devika ke gol,mulayam pet ke
neeche uski gili,kasi chut dekh vo khud ko rok nahi paya & jhuk ke
usne apni jibh us pe fira di.devika ki aaho me ab aur bhi masti aa
gayi thi.

uski bhari jangho ko uthake jab usne apne kandho pe rakha & uski chut
me apni jibh tabiyat se firayi to devika ke jism me bijliya daudne
lagi.shiva ko yaad tha ki us raat devika uski jibh se koi 2 baar jhadi
thi.vo to aur bhi chattana chahta tha magar uski premika ne hi use
khinch ke uthaya tha & apne hatho se uska lund pakad ke apni chut ka
rasta dikhaya tha.

shiva ko to jaise jannat mil gayi thi!devika ki kasi chut me apna lund
jud tak dhansa ke jab usne chudai shuru ki to uski masti ka thikana hi
nahi raha.devika bhi 1 bahut mast aurat thi,uske neeche dabe hue jab
usne use apni tango me qaid kar uski pith ko apne nakhuno se chhalni
kar diya to shiva ki bhi aahe nikal padi thi.

koi 15 minute tak chodne ke baad vo uske sath-2 farig hua tha.jhadne
ke bad bhi vo uske upar se utra nahi,"..main tumhe bahut chahta
hu,devika..bahut chahta hu...jab se yaha aaya bas tum hi tum mere
khayalo me chhayi rehti thi..",devika ne uske labo ko apne labo se sil
diya.thik hi to kiya usne ab kuchh kehne ki kya zarurat thi!

jab devika ne uske honth chhode to vo devika ki aankho me jhankne laga
& tabhi use vaha pani bhrta dikhayi diya.devika ki rulayi chhut gayi &
usne use dhakel kar apne upar se utara & karwat le takiye me munh
chhupa subakne lagi.shiva ne uske baal sehlate hue uske sar ko chuma &
use peechhe se apni baho me bhar liya,"please..devika chup ho
jao..please!",thodi der baad jab uski rulayi thami to usne sar
ghumaya.

aasuon se lal uski aankho ne shiva ko dukhi kar diya,"main tumhara
gunehgar hu-..",1 chhote se hath ne uske hotho pe aa uski baat beech
me hi kaat di.

"nahi..aisa nahi hai..agar koi gunehgar hai to vo hai tumhare
boss.",boss ka naam sun shiva ko thoda bura laga,aakhir uski premika
thi to unki biwi & kya uske sath rishta jod ke vo unhe dhokha nahi de
raha tha.us raat dono permi 1 dusre ko dilasa dete rahe ki vo galat
nahi hain bas halaat ke mare hain.savere tak shiva ne us husnpari ko 2
baar aur choda tha & unke dil me bas khushi hi khushi thi gham tha to
bas 1 ki paas hoke bhi unhe door rehna tha.

usi raat devika ko bhi apne pati ki ayyash fitrat ke bare me sahi taur
pe pata chala tha magar use ab us baat ki koi khas parwah nahi
thi.usne us se us baat ka badla le liya tha uske naukar ke sath soke.

kramashah............

आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj

--

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator