Sunday, October 24, 2010

कामुक-कहानियाँ बदला पार्ट--40

कामुक-कहानियाँ

बदला पार्ट--40

गतान्क से आगे...
"क्या?!!ऐसा करना ज़रूरी है?"

"हां."

"मगर इसके अलावा कोई और रास्ता तो होगा?उसे..उसे क्यू..?"

"हमारे साथ क्या हुआ था?"

इस सवाल पे कान से मोबाइल लगाए खड़ा इंदर खामोश हो गया.

"बहुत ज़रूरी है ये हमारे बदले के लिए,भैया.ऐसा उन..-",तभी कोई आ गया &
उस इंसान ने फोन काट दिया.इंदर अपने बदले की हवस मे अँधा हो चुका था.उसे
कुच्छ भी ग़लत नही लगता था.सुरेन सहाय का क़त्ल किया था उसने,किसी चाकू
या पिस्टल से ना सही बल्कि 1 बीमार शख्स की दवा को ज़हर से बदल
के....लेकिन अब जो करने की तैय्यारि थी वो..!पहली बार इंदर का विश्वास
डगमगा रहा था....मगर उसका कहना भी सही था सहाय ने कभी उसके साथ इंसाफ़
किया था जोकि वो करता.उसने अपना फ़्लास्क उठाया & 1 लंबा घूँट भरा.शराब
की जलन ने उसे सुकून पहूचाया & उसने आँखे बंद कर ली....अब अगर यही तय हुआ
है तो यही होगा.आगे देखा जाएगा!


"साला!फ़ौजी होके धोकेबाज़ी करता है!",सुखबीर सिंग भुल्लर उर्फ सुखी ने
शिवा की तस्वीर को बड़ी नफ़रत से मेज़ पे पटका.मोहसिन जमाल का ये होशियार
जासूस शिवा की तरह ही फौज मे काम कर चुका था,"..फ़िक्र ना करो,सर.इस
कमिने को तो ढूंड ही निकालूँगा.",उसने तस्वीर को लिफाफे मे डाला & उसे
उठा वाहा से निकल गया.

सुखी ने काम तो शुरू कर दिया पर उसे बड़ी मुश्किले आ रही थी.शिवा पंचमहल
मे अपने भाई के यहा नही आया था बस उन्हे फोन पे खबर दी थी की अब उसने
एस्टेट की नौकरी छ्चोड़ दी है.सुखी को शिवा का भाई 1 भला आदमी लगा & उसकी
बातो से शिवा की तस्वीर भी 1 उसूलो के पक्के ईमानदार की शख्स भी उभर रही
थी मगर सुखी ने जासूसी के पेशे मे रहते इतना समझ लिया था की हर इंसान
चेहरे पे मुखौटा लगाए घूमता है & उनमे से कुच्छ मुखोटो के पीछे छीपी असली
शक्ल बड़ी ही घिनोनी होती है.

सुखी के हाथ शिवा का मोबाइल नंबर लग गया था & अब वो उसे ही मिला रहा था"हेलो."

"हेलो."

"सर,मैं स्टंप मोबाइल कंपनी से बोल रहा हू,आपके 2 मिनिट लेना चाहूँगा."

"किस सिलसिले मे?"

"सर,हमारी कंपनी ने 1 नयी सर्विस लॉंच की है जिसमे आपको.._"

"क्या मैं बाद मे बात कर सकता हू?"

"शुवर सर जैसी आपकी मर्ज़ी.आपका शुभ नाम जान सकता हू,सर?"

"शिवा."

थॅंक यू,शिवा सर.हॅव ए नाइस डे!",सुखी का काम हो गया था.जब से मोबाइल फोन
हमारी ज़िंदगी मे आए हैं हम झूठ कुच्छ ज़्यादा बोलने लगे हैं मसलन आप
अपनी गर्लफ्रेंड के जिस्म की गहराइयो मे डूब रहे होंगे & फोन बजेगा तो
बीवी को बोलेंगे की क्लाइंट के साथ बोरिंग मीटिंग मे हैं!अब ऐसे बेवफा
खविन्दो से निबटने के लिए बीवियो को कुच्छ तो चाहिए.

ऐसा ही 1 हथ्यार है मोबाइल ट्रॅकिंग सॉफ्टवेर जिसका 1 बहुत ही उम्दा
वर्षन मोहसिन ने अपनी एजेन्सी के लिए ले रखा था.सुखी ने शिवा से कोई
30-40 सेकेंड बात की थी & उसी बीच उसे पता लग गया था की शिवा बाहरगुँज मे
है.अपने भाई का घर होते हुए भी कोई आदमी होटेल मे रहे इसका क्या मतलब हो
सकता है?सुखी बाहरगुँज की ओर बाइक भगाता यही सोच रहा था....जो भी मतलब हो
शिवा वो तो तुम अब अपने मुँह से ही बोलॉगे!..बिके तेज़ी से बाहरगुँज की
दिशा मे बढ़ गयी.

बाहरगुँज मे सस्ते होटेल्स की भरमार थी.अब उस भूसे मे शिवा जैसी सुई को
ढूँढना सुखी को काफ़ी मुश्किल लग रहा था.उसने सारी बात मोहसिन को बताई.इस
वक़्त शाम के 6 बज रहे थे & पूरे इलाक़े मे ख़ासी चहल-पहल थी.सुखी 1
लस्सी की दुकान पे लस्सी का दूसरा ग्लास ख़त्म कर रहा था जब मोहसिन की
बाइक उस दुकान के सामने रुकी,"आओ पा जी..ला ओये इक और ग्लास!",दुकान के
नौकर ने 1 ग्लास मोहसिन को थमाया.

"यहा के थानेदार से बात कर आया हू..",मोहसिन ने लस्सी का घूँट भरा,"..वो
अपने कॉन्स्टेबल्स को काम पे लगा रहा है.शाम की बेटा के हवलदार हर होटेल
के रिजिस्टर चेक करेंगे & शिवा की उम्र & कद-काठी वाले आदमी के बारे मे
पुचहताच्छ करेंगे मगर किसी को ना शिवा का नाम बताएँगे ना उसे ढूँढने की
वजह."

"चलो,बढ़िया है सर ये भी कुच्छ काम करें वरना इन्हे तो बस हर दम इसी की
चिंता लगी रहती है.",सुखी ने हाथो की उंगलियो से रुपयो का इशारा किया.

"ऐसी बात नही है सुखी.अब क्या किया जाए!अँग्रेज़ चले गये मगर उनकी बनाई
हर चीज़ को हमने जैसे का तैसा अपना लिया.ये भूल गये की वो हमे ग्युलम
बनाने के लिए,दबाने के लिए पोलीस का इस्तेमाल करते थे.अब आज़ादी मिली तो
हमने अपनी पोलीस को कभी ये नही सिखाया की आप हमारी हिफ़ाज़त के लिए हैं
ना की हमे नियम क़ानून सिखाने के लिए!..उपर से हमारे नेता..अपनी जेब तो
भरते रहते हैं पर इन बेचारो का ना नये हथ्यार देते हैं ना बढ़िया
तनख़्वाह ना ही कोई और सुविधा."

"सर,ये तो सही बात है मगर फिर भी ईमानदार पोलीस वाले भी तो हैं."

"बिल्कुल है,सुखी.मैं ये नही कह रहा की हर पोलीस वाला मजबूरन बेईमान बनता
है,इनमे से कुच्छ तो ऐसे गलिज़ इंसान हैं की उन्हे देख लो तो मुजरिम भी
साधु लगने लगे,मैने तो बस सिक्के का दूसरा पहलू तुम्हारे सामने रखा
था.",मुल्क की पोलीस मे करप्षन पे शायद ये बहस और चलती अगर मोहसिन का
मोबाइल ना बजा होता,"चल,सुखी.काम हो गया."

"बैठो,मोहसिन.",थानेदार सतबीर सिंग बाथरूम से हाथ धोके रुमाल से पोंचछते
बाहर निकले,"अरे गंगा दस!"

"जनाब!",1 चुस्त हवलदार कॅबिन मे आया.

"बता भाई,मोहसिन भाई को क्या पता चला है तुझे.",सतबीर सिंग अपनी कुर्सी
पे बिल्कुल आड़ के बैठ गये.

"साहब,आपने जिस आदमी के बारे मे कहा था वो तो अपने नाम से & अपनी असली आइ
डी दिखा के होटेल रॉयल मे ठहरा हुआ है."

"अच्छा."

"हां,पिच्छले 4 दीनो से वाहा है & मॅनेजर से थोड़ी बहुत बात-चीत भी हुई
है उसकी तो उसने बताया की पहले सहाय एसटेट मे था.अब नौकरी छ्चोड़ कही और
ढूंड रहा है इसलिए ऐसे होटेल मे ठहरा है.वेटर्स को भी आदमी ठीक लगता है."

"ह्म्म....",थानेदार सतबीर ने दोनो हाथ जोड़ के अपने माथे पे रखे हुए
थे,"..बहुत अच्छे.किसी को शक़ तो नही हुआ ना,गंगा?"

"नही,जनाब.मैने यही बोला की उपर से ऑर्डर्स आए हैं कि ज़रा होटेल वालो को
टाइट करो."

"बढ़िया किया,बेटा.चल पहले चाइ पी & फिर निकल."

"जनाब.",सलाम ठोंक हवलदार गंगा दास कॅबिन से निकल गया.

थानेदार सतबीर सिंग कोई 40 बरस के होंगे.वक़्त के साथ लंबे कद के थानेदार
का पेट थोड़ा निकल आया था.सलीके से काढ़े बाल & मूँछछो मे वो 1 पक्का
पोलिसेवाला लगता था.उसके बैठने के अंदाज़ & हाव-भाव से लगता की वो आदमी
किसी बात को गंभीरता से नही ले रहा मगर ये बिल्कुल ग़लत बात थी.वो 1 बहुत
चालक & समझदार इंसान था.ऐसे ही वो थोड़े इस इलाक़े का-जहा से महकमे को
मोटी कमाई होती थी,पिच्छले 3 सालो से इंचार्ज था.उसके रहते ना कमाई मे
कमी हुई ना जुर्म मे इज़ाफ़ा.

"मोहसिन भाई.",वो अभी भी हाथो को जोड़ के माथे पे टिकाए था लेकिन अब
कोहनिया मेज़ पे टिकी थी.

"जी,सिंग साहब."

"आपने जो बाते बताई & जिस तरह से ये इंसान यहा होटेल मे रुका है..ये दोनो
बाते साथ नही जा रही."

"ह्म्म."

"अब अगर कोई इंसान कोई जुर्म प्लान कर रहा है या फिर बस उसके इरादे नापाक
हैं तो वो अपना असली नाम बताने से बचेगा,ज़्यादा घुले-मिलेगा नही.1 होटेल
मे 2 दीनो से ज़्यादा नही रुकेगा..लेकिन ये इंसान तो सब कुच्छ उल्टा कर
रहा है.",सतबीर सिंग ने हाथ चेहरे से हटा अपने सर के पीछे बाँध लिए
थे,"..मुझे नही लगता की ये आदमी ग़लत है & अगर है तो फिर उसके पीछे कुच्छ
और ही कहानी है."

"ह्म्म..",मोहसिन बिल्कुल खँसोह था.दरअसल अब उसे भी उलझन हो रही थी.

"देखो मोहसिन भाई,ये इलाक़ा मेरा है & मैं यहा सब कुच्छ काबू मे रखता
हू....मैं डंडा नही चलाता क्यूकी भाई सब पेट के लिए ही लगे हैं लेकिन कोई
अगर हद्द पार करे या फिर मेरे इलाक़े का रेकॉर्ड खराब करने की कोशिश करे
तो उसकी मैं अच्छे से बजाता हू."

मोहसिन थानेदार की बात समझने की कोशिश कर रहा था,"अरे,मेरी बात नही
समझे!..",थानेदार हँसने लगा,"..क्या मोहसिन भाई!मैं तो ये कह रहा हू की
कहो तो उठा लाएँ यहा पत्थे को & बाते करे?"

"अरे नही,सिंग साहब.",मोहसिन हँसने लगा,"..किस बात पे उठाएँगे & अगर किसी
को भनक लग गयी तो बिना बात के आपको आपरेशन करेगा की बेगुनाह को उठा
लिया.मुझे आपकी बात ठीक लगती है की अगर ये शख्स 1 क्रिमिनल है तो फिर
उसकी तरह बर्ताव क्यू नही कर रहा?"

"2 वजह है उसकी,मोहसिन भाई."

"कौन-2 सी?"

"पहली..",बाया हाथ सर के पीछे लगाए डाए को आगे कर सतबीर सिंग ने पहली
उंगली उठाई,"..की ये सुधार गया है & दूसरी..",अब दूसरी उंगली भी उपर
थी,"..कि इसने जुर्म किया ही नही था."

"शुक्रिया सिंग साहब."मोहसिन उठ खड़ा हुआ,"..आपके आदमियो ने & उस से भी
ज़्यादा आपकी सलाह ने मेरी मदद की है."

"क्या मोहसिन भाई!तकल्लूफ भरी बाते करते हो."

"सिंग साहब,आपको बिल्लू याद है?"

"उस हरामी की औलाद को कौन भूल सकता है!",सतबीर सिंग की थयोरिया चढ़ गयी.

"एच-876,भत्तरपुरा.",मोहसिन ने मुस्कुराते हुए कहा & सुखी के साथ कॅबिन
से निकल गया.थानेदार के होंठो पे मुस्कान फैल गयी.बिल्लू ने इलाक़े मे
वारदात की थी जिसमे 1 विदेशी सैलानी को चोट आ गयी थी & मामला मीडीया मे
बहुत उच्छला था & सतबीर सिंग की बड़ी च्छिच्छलेदार हुई थी.आज आएगा पत्ता
पकड़ मे & उसे सतबीर सिंग अपने हाथो से तोड़ेगा,"..ओये इधर आओ ओये काम
करे कुच्छ!"

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"कैसी हो,जानेमन?",वीरेन की आवाज़ सुनते ही कामिनी के होंठो पे मुस्कान फैल गयी.

"अच्छी हू.तुम बताओ.कैसी चल रही है तुम्हारी टीचिंग?",वीरेन रोमा के कहने
पे इस हफ्ते एस्टेट पे ही रुक गया था & प्रसून को पैंटिंग के गुर सीखा
रहा था.

"बहुत अच्छी.कामिनी,मैने तो बच्चो का दिल रखने के लिए रोमा की बात मानी
थी मगर प्रसून मे वाकई हुनर है.मज़ा आता है उसे सिखाने मे.सब कुच्छ समझ
के ऐसी तस्वीर पेश करता है की मैं चौंके बिना नही रह सकता!"

"अच्छा है ना,वीरेन.उसे भी 1 मक़सद मिलेगा तो वो भी हम सबके साथ कदम
मिलाके चलेगा.रोमा सच मे बड़ी भली लड़की लगती है.देविका जी ने जब शादी की
बात की थी तो मुझे लगा था की वो कुच्छ ठीक नही कर रही पर उपरवाले का
शुक्र है की मैं ग़लत थी.",दोनो इसके बाद कोई 15 मिनिट तक बाते करते रहे
& फिर अपने-2 बिस्तरॉ मे तन्हा सोने चले गये.

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तन्हा तो आज देविका भी थी.इंदर ने आज उसे मना कर दिया था क्यूकी वीरेन
वाहा था.दोनो चोरी च्छूपे जब भी मौका मिलता 1 दूसरे के जिस्मो से खेल
लेते मगर दोनो ही जानते थे की जब तक वीरेन यहा है दोनो की राते तन्हा
गुज़रने वाली हैं. देविका ने बिस्तर पे लेट तकिये को अपने सीने से लगाया
& आँखे बंद कर सोने की कोशिश करने लगी.

रॉयल होटेल के दरवाज़े के बाहर खड़े मोहसिन जमाल & सुखी बाते कर रहे
थे,"सुखी,हमारा काम केवल इसे ढूँढना था.ये मिल गया है तो अब इस्पे नज़र
रखनी है.आगे तो क्लाइंट ही बताएगा की क्या करना है."

"मतलब की आज मेरी ड्यूटी यहा है?"

"बिल्कुल पा जी!",मोहसिन मुस्कुराता हुआ वाहा से निकल गया.अपने ऑफीस
पहुँचते ही उसने कामिनी को फोन लगाया.

"अब बताइए कामिनी जी की क्या करें?"

"मोहसिन,तुम्हारी बातो ने तो पशोपेश मे डाल दिया है.अब बिना इस से मिले
तो ये मामला सुलझने से रहा लेकिन आज तो काफ़ी देर हो चुकी है.कल मैं उस
से खुद मिलूंगी.तब तक उसपे नज़र रखो."

"ओके,कामिनी जी."

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क्रमशः...........

बदला पार्ट--40

गतान्क से आगे...
"kya?!!aisa karna zaruri hai?"

"haan."

"magar iske alawa koi aur rasta to hoga?use..use kyu..?"

"humare sath kya hua tha?"

is sawal pe kaan se mobile lagaye khada Inder khamosh ho gaya.

"bahut zaruri hai ye humare badle ke liye,bhaiya.aisa un..-",tabhi koi
aa gaya & us insan ne fone kaat diya.inder apne badle ki hawas me
andha ho chuka tha.use kuchh bhi galat nahi lagta tha.Suren Sahay ka
qatl kiya tha usne,kisi chaku ya pistol se na sahi balki 1 bimar
shakhs ki dawa ko zehar se badal ke....lekin ab jo karne ki taiyyari
thi vo..!pehli baar inder ka vishvas dagmaga raha tha....magar uska
kehna bhi sahi tha sahay ne kabhi uske sath insaf kiya tha joki vo
karta.usne apna flask uthaya & 1 lumba ghunt bhara.sharab ki jalan ne
use sukun pahuchaya & usne aankhe band kar li....ab agar yehi tay hua
hai to yehi hoga.aage dekha jayega!


"Sala!fauji hoke dhokebazi karta hai!",Sukhbir Singh Bhullar urf Sukhi
ne Shiva ki tasvir ko badi nafrat se mez pe patka.Mohsin Jamal ka ye
hoshiyar jasus shiva ki tarah hi fauj me kaam kar chuka tha,"..fikr na
karo,sir.is kamine ko to dhoond hi nikaunga.",usne tasvir ko lifafe me
dala & use utha vaha se nikal gaya.

sukhi ne kaam to shuru kar diya par use badi mushkile aa rahi
thi.shiva Panchmahal me apne bhai ke yaha nahi aaya tha bas unhe fone
pe khabar di thi ki ab usne estate ki naukri chhod di hai.sukhi ko
shiva ka bhai 1 bhala aadmi laga & uski baato se shiva ki tasvir bhi 1
usoolo ke pakke imandar ki shakhs bhi ubhar rahi thi magar sukhi ne
jasusi ke peshe me rehte itna samajh liya tha ki har insan chehre pe
mukhauta lagaye ghumta hai & unme se kuchh mukhauto ke peechhe chhipi
asli shakl badi hi ghinoni hoti hai.

sukhi ke hath shiva ka mobile number lag gaya tha & ab vo use hi mila
raha tha"hello."

"hello."

"sir,main Stump mobile company se bol raha hu,aapke 2 minute lena chahunga."

"kis silsile me?"

"sir,humari company ne 1 nayi service launch ki hai jisme aapko.._"

"kya main baad me baat kar sakta hu?"

"sure sir jaisi aapki marzi.aapka shubh naam jaan sakta hu,sir?"

"shiva."

thank you,shiva sir.have a nice day!",sukhi ka kaam ho gaya tha.jab se
mobile fone humari zindagi me aaye hain hum jhuth kuchh zyada bolne
lage hain maslan aap apni girlfriend ke jism ki gehraiyo me dub rahe
honge & fone bajega to biwi ko bolenge ki client ke sath boring
meeting me hain!ab aise bewafa khawindo se nibatne ke liye biwiyo ko
kuchh to chahiye.

aisa hi 1 hathyar hai mobile tracking software jiska 1 bahut hi umda
version mohsin ne apni agency ke liye le rakha tha.sukhi ne shiva se
koi 30-40 second baat ki thi & usi beech use pata lag gaya tha ki
shiva Bahargunj me hai.apne bhai ka ghar hote hue bhi koi aadmi hotel
me rahe iska kya matlab ho sakta hai?sukhi bahargunj ki or bike
bhagata yehi soch raha tha....jo bhi matlab ho shiva vo to tum ab apne
munh se hi bologe!..bike tezi se bahargunj ki disha me badh gayi.

bahargunj me saste hotels ki bharmar thi.ab us bhuse me shiva jaisi
sui ko dhoondana sukhi ko kafi mushkil lag raha tha.usne sari baat
mohsin ko batai.is waqt sham ke 6 baj rahe the & pure ilake me khasi
chahal-pahal thi.sukhi 1 lassi ki dukan pe lassi ka dusra glass khatm
kar raha tha jab mohsin ki bike us dukan ke samne ruki,"aao paa
ji..laa oye ik aur glass!",dukan ke naukar ne 1 glass mohsin ko
thamaya.

"yaha ke thanedar se baat kar aya hu..",mohsin ne lassi ka ghunt
bhara,"..vo apne constables ko kaam pe laga raha hai.sham ki beta ke
hawaldar har hotel ke register check karenge & shiva ki umra &
kad-kathi vale aadmi ke bare me puchhtachh karenge magar kisi ko na
shiva ka naam batayenge na use dhoondane ki vajah."

"chalo,badhiya hai sir ye bhi kuchh kaam karen varna inhe to bas har
dum isi ki chinta lagi rehti hai.",sukhi ne hatho ki ungliyo se rupayo
ka ishara kiya.

"aisi baat nahi hai sukhi.ab kya kiya jaye!angrez chale gaye magar
unki banayi har chiz ko humne jaise ka taisa apna liya.ye bhul gaye ki
vo hume ghulam banane ke liye,dabane ke liye police ka istemal karte
the.ab azadi mili to humne apni police ko kabhi ye nahi sikhaya ki aap
humari hifazat ke liye hain na ki hume niyam kanoon sikhane ke
liye!..upar se humare neta..apni jeb to bharte rehte hain par in
becharo ka na naye hathyar dete hain na badhiya tankhwah na hi koi aur
suvidha."

"sir,ye to sahi baat hai magar fir bhi imandar police vale bhi to hain."

"bilkul hai,sukhi.main ye nahi keh raha ki har police vala majburan
beiman banta hai,inme se kuchh to aise galiz insan hain ki unhe dekh
lo to mujrim bhi sadhu lagne lage,maine to bas sikke ka dusra pehlu
tumhare samne rakha tha.",mulk ki police me corruption pe shayad ye
bahas aur chalti agar mohsin ka mobile na baja hota,"chal,sukhi.kaam
ho gaya."

"baitho,mohsin.",thanedar Satbir Singh bathroom se hath dhoke rumal se
ponchhte bahar nikle,"are ganga das!"

"janab!",1 chust hawaldar cabin me aya.

"bata bhai,mohsin bhai ko kya pata chala hai tujhe.",satbir singh apni
kursi pe bilkul ad ke baith gaye.

"sahab,aapne jis aadmi ke abre me kaha tha vo to apne naam se & apni
asli ID dikha ke hotel Royal me thehra hua hai."

"achha."

"haan,pichhle 4 dino se vaha hai & manager se thodi bahut baat-chit
bhi hui hai uski to usne bataya ki pehle Sahay Esate me tha.ab naukri
chhod kahi aur dhoond raha hai isliye aise hotel me thehra hai.waiters
ko bhi aadmi thik lagta hai."

"hmm....",thanedar satbir ne dono hath jod ke apne mathe pe rakhe hue
the,"..bahut achhe.kisi ko shaq to nahi hua na,ganga?"

"nahi,janab.maine yehi bola ki upar se orders aaye hain ki zara hotel
valo ko tight karo."

"badhiya kiya,beta.chal pehle chai pi & fir nikal."

"janab.",salam thonk hawaldar ganga das cabin se nikal gaya.

thanedar satbir singh koi 40 baras ke honge.waqt ke sath lambe kad ke
thanedar ka pet thoda nikal aya tha.salike se kadhe baal & moonchho me
vo 1 pakka policevala lagta tha.uske baithne ke andaaz & haav-bhav se
lagta ki vo aadmi kisi baat ko gambhirta se nahi le raha magar ye
bilkul galat baat thi.vo 1 bahut chalak & samajhdar insan tha.aise hi
vo thode is ilake ka-jaha se mahakme ko moti kamai hoti thi,pichhle 3
salo se incharge tha.uske rehte na kamai me kami hui na jurm me izafa.

"mohsin bhai.",vo abhi bhi hatho ko jod ke mathe pe tikaye tha lekin
ab kohniya mez pe tiki thi.

"ji,singh sahab."

"aapne jo baate batayi & jis tarah se ye insan yaha hotel me ruka
hai..ye dono baate sath nahi ja rahi."

"hmm."

"ab agar koi insan koi jurm plan kar raha hai ya fir bas uske irade
napak hain to vo apna asli naam batane se bachega,zyada ghule-milega
nahi.1 hotel me 2 dino se zyada nahi rukega..lekin ye insan to sab
kuchh ulta kar raha hai.",satbir singh ne hath chehre se hata apne sar
ke peechhe bandh liye the,"..mujhe nahi lagta ki ye aadmi galat hai &
agar hai to fir uske peechhe kuchh aur hi kahani hai."

"hmm..",mohsin bilkul khamsoh tha.darasal ab use bhi uljhan ho rahi thi.

"dekho mohsin bhai,ye ilaka mera hai & main yaha sab kuchh kabu me
rakhta hu....main danda nahi chalata kyuki bhai sab pet ke liye hi
lage hain lekin koi agar hadd paar kare ya fir mere ilake ka record
kharab karne ki koshish kare to uski main achhe se bajata hu."

mohsin thanedar ki baat samajhne ki koshish kar raha tha,"are,meri
baat nahi samjhe!..",thanedar hansne laga,"..kya mohsin bhai!main to
ye keh raha hu ki kaho to utha layen yaha patthe ko & baate kare?"

"are nahi,singh sahab.",mohsin hansne laga,"..kis baat pe uthayenge &
agar kisi ko bhanka lag gayi to bina baat ke aapko apreshan karega ki
begunah ko utha liya.mujhe aapki baat thik lagti hai ki agar ye shakhs
1 criminal hai to fir uski tarah bartav kyu nahi kar raha?"

"2 vajahen hai uski,mohsin bhai."

"kaun-2 si?"

"pehli..",baya hath sar ke peechhe lagaye daye ko aage kar satbir
singh ne pehli ungli uthayi,"..ki ye sudhar gaya hai & dusri..",ab
dusri ungli bhi upar thi,"..ki isne jurm kiya hi nahi tha."

"shukriya singh sahab."mohsin uth khada hua,"..aapke aadmiyo ne & us
se bhi zyada aapki salah ne meri madad ki hai."

"kya mohsin bhai!takalluf bhari baate karte ho."

"singh sahab,aapko Billu yaad hai?"

"us harami ki aulad ko kaun bhul sakta hai!",satbir singh ki tyoriya chadh gayi.

"H-876,Bhattharpura.",mohsin ne muskurate hue kaha & sukhi ke sath
cabin se nikal gaya.thanedar ke hotho pe muskan fail gayi.billu ne
ilake me vardat ki thi jisme 1 videshi sailani ko chot aa gayi thi &
mamla media me bahut uchhla tha & satbir singh ki badi chhichhaledar
hui thi.aaj ayega pattha pakad me & use satbir singh apne hatho se
todega,"..oye idhar aao oye kaam kare kuchh!"

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"kaisi ho,janeman?",Viren ki aavaz sunte hi Kamini ke hotho pe muskan fail gayi.

"achhi hu.tum batao.kaisi chal rahi hai tumhari teaching?",viren Roma
ke kehne pe is hafte estate pe hi ruk gaya tha & Prasun ko painting ke
gur sikha raha tha.

"bahut achhi.kamini,maine to bachcho ka dil rakhne ke liye roma ki
baat mani thi magar prasun me vakai hunar hai.maza aata hai use
sikhane me.sab kuchh samajh ke aisi tasvir pesh karta hai ki main
chaunke bina nahi reh sakta!"

"achha hai na,viren.use bhi 1 maqsad milega to vo bhi hum sabke sath
kadam milake chalega.roma sach me badi bhali ladki lagti hai.Devika ji
ne jab shadi ki baat ki thi to mujhe laga tha ki vo kuchh thik nahi
kar rahi par uparwale ka shukr hai ki main galat thi.",dono iske baad
koi 15 minute tak baate karte rahe & fir apne-2 bistaro me tanha sone
chale gaye.

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tanha to aaj devika bhi thi.Inder ne aaj use mana kar diya tha kyuki
viren vaha tha.dono chori chhupe jab bhi mauka milta 1 dusre ke jismo
se khel lete magar dono hi jante the ki jab tak viren yaha hai dono ki
raate tanha guzarne vali hain.devika ne bistar pe let takiye ko apne
seene se lagaya & aankhe band kar sone ki koshish karne lagi.

Royal hotel ke darwaze ke bahar khade Mohsin Jamal & Sukhi baate kar
rahe the,"sukhi,humara kaam kewal ise dhoondana tha.ye mil gaya hai to
ab ispe nazar rakhni hai.aage to client hi batayega ki kya karna hai."

"matlab ki aaj meri duty yaha hai?"

"bilkul paa ji!",mohsin muskurata hua vaha se nikal gaya.apne office
pahunchte hi usne Kamini ko fone lagaya.

"ab bataiye kamini ji ki kya karen?"

"mohsin,tumhari baato ne to pashopesh me daal diya hai.ab bina is se
mile to ye mamla sulajhne se raha lekin aaj to kafi der ho chuki
hai.kal main us se khud milungi.tab tak uspe nazar rakho."

"ok,kamini ji."

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kramashah...........


आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj

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