बदला पार्ट--32
गतान्क से आगे...
"क्या?!सच मे!",कामिनी की बड़ी-2 आँखे हैरत मे और बड़ी हो गयी.
"हां.",कामिनी वीरेन के साथ उसके बंगल के लॉन के झूले मे बैठी थी.आज
थोड़ी गर्मी थी तो उसने घुटनो तक की ढीली-ढली शॉर्ट्स & टी-शर्ट पहनी
थी.वीरेन की बाई बाँह के घेरे मे बैठी वो उसके चेहरे को देख रही थी.
"तुम्हे कैसे पता चला?",वीरेन ने उसे अपने करीब किया & उसकी ठुड्डी चूम
ली,".उन्न..बताओ ना!"
"रोमा का फोन आया था.",वो उसकी कमर शर्ट के उपर से ही सहला रहा था.कामिनी
जानती थी की थोड़ी ही देर मे हाथ उसकी शर्ट एक अंदर होगा.
"छ्चोड़ो ना."उसने वीरेन का दाया हाथ कमर से हटाया तो उसने उस हाथ को
उसकी नंगी टाँगो से लगा दिया.कामिनी ने हार मान ली & इस बार हाथ को नही
हटाया,"क्या बोला रोमा ने?"
वीरेन कामिनी को शिवा की धोखधड़ी के बारे मे बताने लगा.बोलते हुए उसका
दाया हाथ कामिनी की शॉर्ट्स के अंदर घुस उसकी मखमली जाँघो पे फिसल रहा
था.कामिनी पे खुमारी छाने लगी थी पर उसका ध्यान वीरेन की बातो पे
था..आख़िर ये कमाल हुआ कैसे?
"तो इंदर को पता लगा सब कुच्छ..",ढीले शॉर्ट्स मे वीरेन का दाया हाथ अब
उसकी दाई जाँघ से उसकी कसी गंद की दाई फाँक पे चला गया था & पॅंटी के
अंदर घुस रहा था,"..ऊव्वव..!",वीरेन गंद की मांसलता देख खुद को चूटी
काटने से रोक नही पाया.कामिनी ने उसका हाथ खींचना चाहा मगर उसने गंद को
और मज़बूती से दबोच लिया & पॅंटी के अंदर उसकी गंद की दरार पे उंगली
फिराने लगा.कामिनी अब और मस्त हो गयी & प्रेमी की शरारत की जवाब मे उसने
भी उसकी टी-शर्ट उपर की & उसके दाए निपल को दन्तो से काट लिया.
"मैं एस्टेट गया था फिर..",वीरेन की उंगली कामिनी के गंद के छेद मे घुसी
तो कामिनी ने चिहुन्क के गंद का छेद कस लिया.वीरेन छेद मे क़ैद उंगली को
अंदर-बाहर करने लगा.अब कामिनी झूले से उठ वीरेन की गोद मे बैठी मचल रही
थी.वीरेन टी-शर्ट के उपर से ही उसकी मस्त चूचियो को चूम रहा था.
"रोमा ने मुझे सारी बात बताई & ये कहा था की देविका बहुत परेशान है.इसलिए
मैं एस्टेट गया & देविका से बात की.",वीरेन का बाया हाथ कामिनी की शर्ट
के अंदर घुस उसकी मोटी चूचियो को मसल रहा था.कामिनी भी अब उस से चिपकी
उसे पागलो की तरह चूम रही थी.उसकी चूत मे कसक उठने लगी थी & उसे अब दोनो
के जिस्मो के बीच पड़े कपड़े बहुत बुरे लग रहे थे.
वीरेन जैसे उसके दिल की बात समझ गया,वो कामिनी की शर्ट मे हाथ घुसा उसकी
दाई चूची को दबाते हुए शर्ट के उपर से ही उसकी बाई चूची को चूम रहा
था.उसने अपना सर उसके सीने से उठाया & उसकी शर्ट को उसके सर के उपर से
खींचते हुए निकाल दिया.कामिनी ने भी उसकी शर्ट निकाल दी & दोनो ने 1
दूसरे को बाँहो मे कस लिया.
"तुम्हे क्या लगा..आहह....दाँत नही....ऊओवव्व....बदतमीज़...ये
लो..!",वीरेन ने कामिनी के बाए निपल को दाँत से काट लिया.जब उसने मना
करने के बावजूद उसने फिर से वही हरकत उसकी दाई छाती पे दोहराई तो कामिनी
ने भी सर झुकते हुए उसके सीने पे काट लिया.
"पहले बताओ ना..आनह..",अब वो अपनी टाँगे वीरेन की कमर पे लपेटे उसकी गोद
मे बैठी थी & वीरेन उसकी नंगी पीठ से सरकते हुए दोनो हाथो को 1 बार फिर
शॉर्ट्स मे घुसा रहा था मगर इस बार हाथ उपर से घुस रहे थे.हाथो ने जैसे
ही कामिनी की चौड़ी गंद को च्छुआ वो उसे मसल्ने & दबाने मे जुट गये.
"तुम नही मनोगे...उऊन्ह..तुम्हे क्या लगता है देविका & शिवा के बीच कुच्छ
था की नही?..ऊहह...!",कामिनी ने अपने महबूब को अपनी बाँहो मे और कस लिया
क्यूकी उसने अपने दाए हाथ की उंगली उसकी गंद से फिराते हुए नीचे से उसकी
पॅंटी मे क़ैद चूत मे घुसा दी थी.
"नही,ऐसा लगता तो नही है.",वीरेन उसके सीने के उभारो को चूमते हुए उसकी
चूत को उंगली से कुरेद रहा था.कामिनी अब पूरी तरह से जोश मे पागल उसकी
गोद मे कूद रही थी.वीरेन की उंगली उसकी चूत से रस की धार निकलवा रही थी &
वो अपने झड़ने के बहुत करीब थी,"..लेकिन अगर कुच्छ था भी तो इस बात के
बाद सब ख़त्म हो गया होगा.अब फ़िक्र की कोई बात नही है.",वीरेन की उंगली
चूत मे कुच्छ ज़्यादा ही अंदर घुसा गयी & चूत बर्दाश्त नही कर पाई & उसमे
से रस की तेज़ धार छूट पड़ी.कामिनी झाड़ चुकी थी.
निढाल कामिनी को वीरेन ने झूले पे लिटाया & उसकी शॉर्ट्स & पॅंटी को
निकाल दिया.बदन पे बस केवल ब्रा था जिसके कप्स उसकी मोटी चूचियो के नीचे
दबे पड़े थे.वीरेन ने अपनी शॉर्ट्स खोली & अपने लंड को बाहर
निकाला.कामिनी की टाँगे फैला के अपनी दाई टांग झूले से नीचे लटकाई & बाई
को आगे कामिनी दाई टांग के बगल मे फैला उस टांग के तलवे को उसके दाई छाती
की बगल मे लगा दिया.
"ऐसा सोचने की ग़लती नही करना वीरेन.अभी तक शिवा आँखो के सामने था अब
नज़रो से ओझल है.पहले हम उसपे नज़र रख सकते थे अब नही.& फिर इतना तो
पक्का है की दवा से छेड़-छाड मे उसका हाथ नही था...ऊहह..!",वीरेन ने अपना
लंड उसकी चूत मे घुसा दिया था.झूले पे वो तेज़-2 धक्के लगा चुदाई तो कर
नही सकता था सो उसने इस तरह बैठके अपनी महबूबा की चूत की सैर करने की
सोची.
"आनह.....उउम्म्म्मम.....पूरा अंदर घुसाओ ना...हन्णन्न्..",वीरेन ने अभी
आधा ही लंड अंदर किया था तो कामिनी ने हाथ से पकड़ कमर हिला पूरे लंड को
अपने अंदर किया.जब वीरेन का लंबा,मोटा लंड पूरा का पूरा उसकी चूत मे समा
जाता तो वो भरा-2 एहसास उसे बहुत गुदगुदाता था & उसे बहुत मज़ा आता
था.वीरेन का लंड उसकी चूत के 1-1 हिस्से को च्छू रहा था & उसके बदन के
रोम-2 मे बस जोश भर गया था.
"होशियार रहना,वीरेन.ख़तरा अभी टला नही है....आआननह..!",शाम गहरा रही
थी.पन्छि अपने घोंस्लो को लौटने लगे थे,आसमान पे डूबते सूरज ने अपना
सिंदूरी रंग बिखेर दिया था.उस सुहाने आलम मे अपने महबूब की क़ातिलाना
चुदाई ने कामिनी को बिल्कुल मदहोश कर दिया.उसने अपनी बात कह ली थी & अब
वो बस उसके इश्क़ मे डूब जाना चाहती थी.उसने अपनी दोनो टांगो को मोड़
बैठे हुए वीरेन की कमर को जाकड़ लिया & उसकी ताल से ताल मिला कमर हिलाने
लगी.लॉन मे अब एस्टेट से जुड़ी बाते नही बल्कि दोनो के जिस्मो की
जद्दोजहद से पैदा होती झूले के हिलने की आवाज़ & दोनो के 1 दूसरे के
खूबसूरत जिस्मो से आहट होने से पैदा हुई मस्तानी आहो की आवाज़े थी.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
"नमस्ते आंटी!नमस्ते सर!..",अपने बंगल के पोर्टिको मे खड़ी कामिनी ने
चंद्रा साहब & उनकी बीवी का इस्तेक़्बल किया.उसने दोनो को अपने घर रात के
खाने की दावत दी थी.कामिनी ने घुटनो तक की काली स्कर्ट & लाल ब्लाउस पहना
था.चंद्रा साहब ने उतरते ही अपनी शिष्या के हुस्न को आँख भर के
निहारा.कामिनी से उनकी ये हरकत च्छूपी ना रही & उसने उनकी तरफ 1 शोख
मुस्कान फेंकी.उसे ये तो पता था की उसके गुरु उसके साथ कोई गुस्ताख हरकत
करने का मौका छ्चोड़ेंगे नही मगर वो हरकत कितनी गुस्ताख थी बस यही देखना
था.
ड्रॉयिंग हॉल मे बैठ तीनो बाते करने लगे,नौकर शरबत के ग्लास रख गया
था.तीनो ने अपने-2 ग्लास उठा लिए.
"अरे कामिनी,ये तुम्हारी तस्वीर है क्या?",1 दीवार पे कामिनी की वीरेन के
हाथो बनाई गयी सबसे पहली पैंटिंग लगी थी जिसमे उसने लाल सारी पहनी
थी,वीरेन ने ये पैंटिंग उसे तोहफे मे दी थी.मिसेज़.चंद्रा का इशारा उसी
की ओर था.
"हां..",कामिनी ने पैंटिंग कुच्छ ऐसे लगाई थी की हर किसीकि नज़र उसपे ना
पड़े मगर मिसेज़.चंद्रा ने उसे देख ही लिया था & अब दोनो मिया-बीवी
पैंटिंग के सामने खड़े उसे देख रहे थे.
"वीरेन सहाय की बनाई पैंटिंग है भाई!",चंद्रा साहब ने अपनी पत्नी को
तस्वीर के कोने मे वीरेन के दस्तख़त दिखाए.
"वाह..",मिसेज़.चंद्रा कामिनी से पैंटिंग के बारे मे पुच्छने लगी.
"मुझे ये पैंटिंग कुच्छ खास नही लगी.",चंद्रा साहब की बात सुन दोनो चौंक गयी.
"क्यू?"
"ये देखो..वीरेन ने नाक ठीक नही बनाई है.",चंद्रा साहब ने दाए हाथ की
उंगली कामिनी की नाक पे फिराई,"..ये देखो उसने थोड़ी सी चपटी बनाई
है..यहा..",उनकी उंगली नाक की नोक पे थी.कामिनी का बदन अपने बुड्ढे आशिक़
की छुने से सिहर उठा था.वो समझ गयी थी की उन्होने बड़ी चालाकी से अपनी
बीवी की नज़रो के सामने ही उसके जिस्म को छुने का रास्ता निकाल लिया है.
"हां..सही कह रहे हो."
"फिर ये देखो..गर्दन कुच्छ ज़्यादा लंबी बना दी है..",उनकी उंगली अब उसकी
गर्दन की लंबाई पे चल रही थी.कामिनी के बदन के रोए खड़े हो गये थे.
"बाहें भी थोड़ी मोटी कर दी हैं..",आधे बाज़ू के ब्लाउस से निकलती उसकी
गोरी,गुदाज़ बाहो पे उनकी उंगलिया फिरी तो कामिनी ने अपने पैर को बेचैनी
से हिलाया.उसकी चूत इस छेड़ छाड से रिसने लगी थी.
"और कमर तो देखो..",मिसेज़.चंद्रा ने खुद ही पति को मौका दे
दिया,"..कितनी पतली कमर है अपनी कामिनी की & इसने इसे मोटा कर दिया
है.",मिसेज़.चंद्रा ने उसकी कमर पे हाथ फिराया & जैसे ही पैंटिंग की ओर
वापस देखा मिस्टर.चंद्रा ने अपनी बाई बाँह उसकी कमर मे डाल उसके मांसल
हिस्से को दबा दिया & फिर फुर्ती से हाथ वापस खींच लिए.
कामिनी को लगा की उसकी टाँगो मे जान नही है & अगर अब वो थोड़ी देर & यहा
खड़ी रही तो ज़रूर मस्ती मे चूर हो गिर जाएगी,"..अब उसे मैं ऐसी ही लगी
तो क्या किया जा सकता है!आपने मेरा घर नही देखा है ना आंटी!आइए आपको
दिखाती हू.",उसने बात बदली & दोनो को वाहा से हटाया.अपने आशिक़ की ओर
उसने गुस्से से देखा मगर वो बस मुस्कुरा रहे थे.उनकी मुस्कान देख कामिनी
को भी हँसी आ गयी जिसे उसने बड़ी मुश्किल से मिसेज़.चंद्रा से
च्छुपाया.आख़िर उनकी मौजूदगी मे चंद्रा साहब के साथ मस्ताना खेल खेलने मे
उसे भी तो मज़ा आता ही था.
थोड़ी देर बाद तीनो खाने की मेज़ पे बैठे खाना खा रहे थे.मेज़ के सिरे पे
अकेली कुर्सी पे चंद्रा साहब उनके बाए तरफ वाली कुर्सी पे कामिनी & दाए
तरफ वाली पे मिसेज़.चंद्रा बैठी थी.हल्की-फुल्की बातो के साथ खाना हो रहा
था जब कामिनी को वही जाना-पहचाना एहसास अपनी दाई जाँघ पे हुआ.चंद्रा साहब
का हाथ मेज़ के नीचे से उसकी स्कर्ट के अंदर घुस उसके घुटनो के थोड़ा उपर
उसकी जाँघ पे घूम रहा था.हाथ जाँघ के अंदर की तरफ बढ़ा तो कामिनी ने
उसेआपने घुटनो मे भींच लिया.
"और आंटी..आपके यहा बहुत चूहे थे पिच्छली बार वो भाग गये?",उसने दाया हाथ
टेबल के नीचे किया & अपने गुरु का लंड दबा दिया.
"हां,मुझे तो नही दिखे फिर.जब तुम आती हो तभी दिखता है मुआ!",बेख़बर
मिसेज़.चंद्रा ने जवाब दिया.चंद्रा साहब उसकी बात का मतलब समझ
मुस्कुराए,".इस बात जब तुम आओ ना & वो दिखे तो डंडे से मार देना उसे."
"ठीक है आंटी.",कामिनी ने चंद्रा साहब को देखा & फिर दोबारा हाथ नीचे ले
गयी & उनके लंड पे चूटी काट ली,"..मार दूँगी आंटी.",चंद्रा साहब ने बड़ी
मुश्किल से अपनी कराह रोकी & हाथ को उसके घुटनो की गिरफ़्त से छुड़ा उसकी
जाँघो को मसल दिया.
खाना ख़त्म होते ही कामिनी ने स्वीट डिश मँगवाई-कस्टर्ड,"सर,आप इसमे फल
लेंगे & आप आंटी?",कटोरियो मे कस्टर्ड निकालते हुए उसने कटे फल
डाले,"..मुझे तो फल के साथ ही पसंद है खास कर के केले के साथ.",उसने फिर
इशारो भरी नज़रो से अपने गुरु को देखा.उसे पता नही था की उसकी बातो ने
उन्हे कितना गरम कर दिया है & वो बस मौके की तलाश मे हैं.
"केला तो बहुत अच्छा फल है,कामिनी रोज़ खाना चाहिए बड़े फ़ायदे की चीज़
है.",मिसेज़.चंद्रा कस्टर्ड खा रही थी.
"जी आंटी,मैं तो रोज़ खाती हू जिस दिन ना मिले उस दिन दिल थोड़ा बेचैन हो
जाता है.",इस आख़िरी बात को कह जब कामिनी ने चंद्रा साहब को शोखी से देखा
तो उन्होने दिल मे फ़ैसला कर लिया की चाहे कुच्छ भी हो जाए आज वो अपनी
शिष्या के अंदर अपना गरम लावा उड़ेले बगैर नही जाएँगे.
खाना खा तीनो फिर से हॉल के सोफॉ पे बैठ गये,"अरे कामिनी ज़रा टीवी लगाना
आज मेरे सीरियल का स्पेशल 1 घंटे का एपिसोड आने वाला है.",टीवी ऑन हो गया
& कामिनी & चंद्रा साहब दोनो अपने पेशे से जुड़ी बाते करने लगे.
"ओफ्फो!तुम भी भी हर जगह काम लेके बैठ जाते हो.मुझे डाइलॉग तो सुनने
दो!",मिसेज़.चंद्रा ने पति को झिड़का.
"सर,मुझे आपसे सहाय एस्टेट के बारे मे भी बात करनी थी.हम उधर के कमरे मे
चलें.आंटी आपको बुरा तो नही लगेगा ना की हमने आपको यहा अकेला छ्चोड़
दिया?"
"अरे नही क्या तकल्लूफ भरी बेकार बाते कर रही हो.जाओ.",वो अपने सीरियल मे मगन थी.
"ओई..थोड़ा तो सब्र कीजिए!",दूसरे कमरे मे पहुँचते ही चंद्रा साहब ने उसे
बाहो मे भर लिया.
"पहले ऐसी बाते करके भड़काती हो & फिर सब्र रखने को बोलती हो!",उन्होने
उसकी स्कर्ट को कमर तक उठा दिया & उसकी गंद पे चूटी काट ली,"..ये मेरे
लंड पे चिकोटी काटने के लिए!"
"अफ....अपनी शिष्या से बदला ले रहे हैं!"
"हां,मेरी जान.इश्क़ मे सब जायज़ है!",उन्होने अपनी पॅंट खोल अपना लंड
निकाला & सोफे पे बैठ गये.कामिनी ने लंड को पकड़ मुँह मे लेना चाहा तो
उन्होने उसे रोक दिया,"नही,इतना वक़्त नही है."
"वाउ!",कामिनी की स्कर्ट के नीचे लेसी लाल पॅंटी देख वो खुश हो
गये.उन्होने उसे नीचे किया & उसकी चूत को चूम लिया.कामिनी ने देखा की
पॅंटी उतार उसे उन्होने अपनी जेब मे डाल लिया.
"आंटी!",चंद्रा साहब चौंके & खड़ी हुई कामिनी की चूत से मुँह हटाया मगर
कामिनी ने उनका सर वापस अपनी चूत पे लगा उपर से स्कर्ट डाल दी.
"हां,कामिनी."
"आपको पता है मेरी दोस्त के यहा 1 चूहा घुस गया था जोकि उसके कपड़े चुरा लेता था."
"अच्छा.",कामिनी ने स्कर्ट उठा अपने आशिक़ को उसमे से निकाला & फिर सोफे
के पीछे की दीवार की ओट से खड़ी हो गयी & ड्रॉयिंग हॉल के अंदर बैठी
मिसेज़.चंद्रा को देखा,"सर बाथरूम गये हैं इसलिए जल्दी से बता रही
हू..",उसने आवाज़ थोड़ी नीची की,"..वो उसकी पॅंटी चुरा के अपने बिल मे ले
जाता था!"
"क्या?!",दोनो औरते हंस पड़ी.कामिनी दीवार की ओट मे थी & बस उसका कमर तक
का हिस्सा मिसेज़.चंद्रा को दिख रहा था.अगर वो नीचे देख लेती तो उन्हे
शायद दिल का दौरा पड़ जाता.पीछे उनके पति कामिनी की स्कर्ट उठाए उसकी गंद
की दरार मे अपना मुँह धंसाए उसके गंद के छेद & उसकी चूत को अपनी ज़ुबान
से गीला कर रहे थे.
"उसकी अलमारी से निकल लेता था क्या?"
"अरे नही,जब उतार के रखती थी ना बाथरूम मे या फिर अपने कमरे मे तब लेके
भाग जाता था.हुमलोग हंसते थे की बड़ा रंगीन मिज़ाज है कही मौका मिलने पे
पॅंटी के नीचे भी हाथ ना सॉफ कर दे.",इस बार दोनो औरते और ज़ोर से हंस
पड़ी मगर तब तक सीरियल का ब्रेक ख़त्म हो चुका था & चंद्रा साहब की
ज़ुबान ने उसे भी काफ़ी मस्त कर दिया था.
"सर आ गये.जाती हू.",कामिनी घूमी & अपने गुरु को ज़मीन पे बिछे कालीन पे
लिटा दिया & फिर स्कर्ट कमर तक उठा उनके उपर बैठ गयी.ये कहने की ज़रूरत
नही की बैठते ही उसकी चूत उनके लंड से भर गयी थी.उच्छल-2 के उसने उनके
लंड को जन्नत की सैर कराना शुरू कर दिया.चन्द्रा साहब के हाथ उसकी स्कर्ट
के नीचे च्छूपे हुए उसकी गंद की फांको बेरहमी से दबा रहे थे.कामिनी ने
अपने हाथो से अपने ब्लाउस के आगे लगे बटन्स को खोला & फिर ब्रा के कप्स
को उपर कर अपनी चूचिया अपने गुरु के लिए नुमाया कर दी.
"वो सहाय एस्टेट के बारे मे क्या कह रही थी?",चंद्रा साहब ने जैसे ही उन
मस्त गोलो को नंगा देखा,उनके हाथ गंद से सीधा उनपे चले गये & थोड़ी देर
उनके साथ खेलने के बाद उन्होने कामिनी को अपने सीने पे झुका उसकी गर्दन
को चूम लिया.
"इस से तो यही लगता है की शिवा & देविका के बीच कोई चक्कर नही
था...ऊहह..!",कामिनी ने सारी बात उन्हे बताई.बड़ी मुश्किल से उसने अपनी
मस्त आहो पे काबू रखा था.तभी उसकी चूत ने वही सिकुड़ने-फैलने की मस्तानी
हरकत शुरू की तो चंद्रा साहब समझ गये की वो झड़ने वाली है.उन्होने उसे
अपने सीने पे सुलाते हुए उसके होंठो को खुद के लबो से कस उसके मुँह को
बंद किया & फिर उसकी कमर को जाकड़ ज़ोर के धक्के लगाने लगे.
कामिनी भी उनसे चिपटि झाड़ रही थी.दूसरे कमरे मे उनकी बीवी बैठी थी & वो
यहा उनसे चुद रही थी-हर बार की तरह इस बार भी इस ख़याल ने उसके मज़े की
शिद्दत को दोगुना कर दिया.कुच्छ देर बाद चंद्रा साहब ने उसे अपने उपर से
उठाया.वो अभी नही झाडे थे.उन्होने कामिनी को कालीन पे घुटनो पे खड़ा किया
& सोफे की सीट पे हाथ रख खुद को संभालने को कहा फिर खुद भी वैसे ही घुटनो
पे उसके पीछे आए & उसकी गंद को अपने थूक से गीला करने लगे.
कामिनी ने सोफे अपनी छाती टिकाते हुए उसे बड़ी मज़बूती से पकड़ लिया &
उनके हमले के लिए तैय्यार हो गयी.कुच्छ पलो बाद लंड आधा अंदर था & उसके
गुरु बाए से उसकी चूचियो को दबातये हुए & दाए से चूत के दाने पे उंगली
चलाते हुए उसकी पीठ से खुद का सीना साटा उसके दाए कंधे के उपर से झुके
उसके होंठो को चूमते,उसकी ज़ुबान से अपनी ज़ुबान लड़ाते उसकी गंद मार रहे
थे.
"इस से तो ये साबित होता है की दोनो मे पॅक्का कुच्छ चक्कर था.",कामिनी
को 1 पल लगा ये समझने मे की देविका & शिवा की बात कर रहे थे उसके गुरु.
"वो कैसे?"
"वो ऐसे..",उन्होने 1 धक्के मे लंड को थोडा और अंदर ठेला,"..की अगर कोई
चक्कर नही होता तो देविका शिवा को पोलीस के हवाले कर देती.अभी उसे डर है
की कही शिवा बचने के लिए ये राज़ ना खोल दे इसलिए उसने ऐसा नही
किया.",कामिनी 1 बार फिर उसी मीठे दर्द का एहसास कर रही थी.पूरा बदन ऐंठ
रहा था & उसे बस अब झड़ने का इंतेज़ार था,"..लेकिन तुम्हारी बात सही है
की अब और सावधानी की ज़रूरत है.शिवा अब ज़्यादा ख़तरनाक है."
"जैसा की तुमने सोचा है..",कामिनी ने महसूस किया की चंद्रा साहब के धक्को
की शिद्दत भी अब गहरी हो चली थी & उनकी किस मे भी अब दीवानगी बढ़ी नज़र आ
रही थी.अपने गुरु की मदहोशी समझते ही कामिनी का जिस्म भी और भड़क उठा &
बेचैनी मे उसकी कमर अपनेआप हिलने लगी.
"..शिवा अब सबकी नज़रो से ओझल है & वो इस ज़िल्लत का बदला ज़रूर लेने की
कोशिश करेगा.",कामिनी की आहे तेज़ होती देख चंद्रा साहब ने अपनी बात पूरी
की & उसके होंठो को अपने होंठो से सील दिया.कामिनी अब मस्ती मे मचलते हुए
बदन हिला रही थी.चंद्रा साहब की उंगली उसके दाने को रगड़ उसके बदन मे
मस्ती की बिजलिया छ्चोड़े जा रही थी.चंद्रा साहब को भी अपने आंडो मे उबल
रहा लावा उनके लंड से बाहर निकलने को मचलता महसूस हुआ & उन्होने उसके उपर
लगाई रोक हटा दी.
उनके & सोफे के बीच दबा कामिनी का बदन झटके खा रहा था,अगर चंद्रा साहब के
होंठ उसके होंठो पे ना होते तो उसकी आहे उस कमरे मे क्या पूरे बंगल मे
गूँज रही होती.वो झाड़ रही थी & जानती थी की बगल के कमरे मे टीवी देख रही
मिसेज़.चंद्रा के उन्हे पकड़ने का ख़तरा अभी भी बरकरार है.इस बात ने
हुमेशा की तरह उसके मज़े को और बढ़ा दिया & वो पागलो की तरह छट-पटाती हुई
झड़ने लगी.उसने महसूस किया की उसके होंठो को खामोश किए उस से चिपके उसके
गुरु भी झाड़ रहे हैं.उनका बदन झटके खा रहा है & उसकी गंद मे उनका विर्य
भरता चला जा रहा है.
"शिवा से सावधान रहने के अलावा मुझे लगता है की सहाय परिवार को किसी और
से भी ख़तरा है मगर तुम्हारी ही तरह मुझे भी उसके बारे मे कुच्छ समझ नही
आ रहा.",चंद्रा साहब ने अपनी पॅंट की ज़िप चढ़ाई.
"तो क्या करना चाहिए?",कामिनी अपने ब्लाउस के बटन लगा रही थी.
"बस वीरेन & देविका को आगाह कर दो.आगे वो खुद समझदार हैं फिर उनके वकील
होने की हैसियत से तुम उन्हे केवल सलाह दे सकती हो क्यूकी इस बात की फीस
मिलती है तुम्हे मगर उन्हे वो सलाह मानने के लिए मजबूर नही कर
सकती.",चंद्रा साहब ने उसे बाहो मे भरा तो दोनो 1 दूसरे को किस करने लगे.
"ठीक है.जैसा आप कहें.",दोनो 1 दूसरे से अलग हुए & हॉल मे टीवी देख रही
मिसेज़.चंद्रा के साथ आके बैठ गये.
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
क्रमशः.........
बदला पार्ट--32
गतान्क से आगे...
"kya?!sach me!",Kamini ki badi-2 aankhe hairat me aur badi ho gayi.
"haan.",kamini Viren ke sath uske bungle ke lawn ke jhule me baithi
thi.aaj thodi garmi thi to usne ghutno tak ki dhili-dhali shorts &
t-shirt pehni thi.viren ki bayi banh ke ghere me baithi vo uske chehre
ko dekh rahi thi.
"tumhe kaise pata chala?",viern ne use apne karib kiya & uski thuddi
chum li,".unn..batao na!"
"roma ka fone aaya tha.",vo uski kamar shirt ke upar se hi sehla raha
tha.kamini janti thi ki thidi hi der me hath uski shirt ek andar hoga.
"chhodo na."usne viren ka daya hath kamar se hataya to usne us hath ko
uski nangi tango se laga diya.kamini ne haar man li & is bar hath ko
nahi hataya,"kya bola roma ne?"
viren kamini ko shiva ki dhokhdhadi ke bare me batane laga.bolte hue
uska daya hath kamini ki shorts ke andar ghus uski makhmali jangho pe
fisal raha tha.kamini pe khumari chhane lagi thi par uska dhyan viren
ki baato pe tha..aakhir ye kamal hua kaise?
"to inder ko pata laga sab kuchh..",dhile shorts me viren ka daya hath
ab uski dayi jangh se uski kasi gand ki dayi fank pe chala gaya tha &
panty ke andar ghus raha tha,"..oowww..!",inder gand ki mansalta dekh
khud ko chuti katne se rok nahi paya.kamini ne uska hath khinchna
chaha magar usne gand ko aur mazbuti se daboch liya & apnty ke andar
uski gand ki darar pe ungli firane laga.kamini ab aur mast ho gayi &
premi ki shararat ki jawab me usne bhi uski t-shirt upar ki & uske
daye nipple ko danto se kaat liya.
"main estate gaya tha fir..",viren ki ungli kamini ke gand ke chhed me
ghusi to kamini ne chihunk ke gand ka chhed kas liya.viren chhed me
qaid ungli ko andar-bahar karne laga.ab kamini jhule se uth viern ki
god me baithi machal rahi thi.viren t-shirt ke upar se hi uski mast
chhatiyo ko chum raha tha.
"roma ne mujhe sari baat batayi & ye kaha tha ki devika bahut pareshan
hai.isliye main estate gaya & devika se baat ki.",viren ka baya hath
kamini ki shirt ke andar ghus uski moti chhatiyo ko masal raha
tha.kamini bhi ab us se chipki use paglo ki tarah chum rahi thi.uski
chut me kasak uthne lagi thi & use ab dono ke jismo ke beech pade
kapde bahut bure lag rahe the.
viern jaise uske dil ki baat samajh gaya,vo kamini ki shirt me hath
ghusa uski dayi choochi ko dabate hue shirt ke uapr se hi uski bayi
choochi ko chum raha tha.usne apna sar uske seene se uthaya & uski
shirt ko uske sar ke upar se khinchte hue nikal diya.kamini ne bhi
uski shirt nikal di & dono ne 1 dusre ko baho me kas liya.
"tumhe kya laga..aahhhhh....dant nahi....ooowww....badtamiz...ye
lo..!",viren ne kamini ke baye nipple ko dant se kaat liya.jab usne
mana karne ke bavjood usne fir se vahi harkat uski dayi chhati pe
dohrayi to kamini ne bhi sar jhukate hue uske seene pe kaat liya.
"pehle batao na..aanhhh..",ab vo apni tange viren ki kamar pe lapete
uski god me baithi thi & viern uski nangi pith se sarkate hue dono
hatho ko 1 bar fir shorts me ghusa raha tha magar is bar hath upar se
ghus rahe the.hatho ne jaise hi kamini ki chaudi gand ko chhua vo use
masalne & dabane me jut gaye.
"tum nahi manoge...uunhhh..tumhe kya lagta hai devika & shiva ke beech
kuchh tha ki nahi?..oohhhhh...!",kamini ne apne mehboob ko apni baho
me aur kas liya kyuki usne apne daye hath ki ungli uski gand se firate
hue neeche se uski panty me qaid chut me ghusa di thi.
"nahi,aisa lagta to nahi hai.",viren uske seene ke ubharo ko chumte
hue uski chut ko ungli se kured raha tha.kamini ab puri tarah se josh
me pagal uski god me kud rahi thi.viren ki ungli uski chut se ras ki
dhar nikalwa rahi thi & vo apne jhadne ke bahut karib thi,"..lekin
agar kuchh tha bhi to is baat ke bad sab khatm ho gaya hoga.ab fikr ki
koi baat nahi hai.",viren ki ungli chut me kuchh zyada hi andar ghusa
gayi & chut e bardasht nahi kar payi & usme se ras ki tez dhar chhut
padi.kamini jhad chuki thi.
nidhal kamini ko viren ne jhule pe litaya & uski shorts & panty ko
nikal diya.badan pe bas kewal bra tha jiske cups uski moti choochiyo
ke neeche dabe pade the.viren ne apni shorts kholi & apne lund ko
bahar nikala.kamini ki tange faila ke apni dayi tang jhule se neeche
latkayi & bayi ko aage kamini dayi tang ke bagal me faila us tang ke
talwe ko uske dayi chhati ki bagal me laga diya.
"aisa sochne ki galti nahi karna viren.abhi tak shiva aankho ke samne
tha ab nazro se ojhal hai.pehle hum uspe nazar rakh sakte the ab
nahi.& fir itna to pakka hai ki dawa se chhedchhad me uska hath nahi
tha...oohhhhhhh..!",viren ne apna lund uski chut me ghusa diya
tha.jhule pe vo tez-2 dhakke laga chudai to kar nahi sakta tha so usne
is tarah baithke apni mehbooba ki chut ki sair karne ki sochi.
"aanhhh.....uummmmm.....pura andar ghusao na...hannnn..",viren ne abs
aadha hi lund andar kiya tha to kamini ne hath se pakad kamar hila
pure lund ko apne andar kiya.jub viren ka lumba,mota lund pura ka pura
uski chut me sama jata to vo bhara-2 ehsas use bahut gudgudata tha &
sue bahut maza aata tha.viren ka lund uski chut ke 1-1 hisse ko chhu
raha tha & uske badan ke rom-2 me bas josh bhar gaya tha.
"hoshiyar rehna,viren.khatra abhi tala nahi hai....aaaannhhhh..!",sham
gehra rahi thi.panchhi apne ghonslo ko lautne lage the,aasman pe dubte
suraj ne apna sinduri rang bikher diya tha.us suhane aalam me apne
mehboob ki qatilana chudai ne kamini ko bilkul madhosh kar diya.usne
apni baat keh li thi & ab vo bas uske ishq me doob jana chahti
thi.usne apni dono tango ko mod baithe hue viren ki kamar ko jakad
liya & uski taal se taal mila kamar hilane lagi.lawn me ab estate se
judi baate nahi balki dono ke jismo ki jaddojahad se paida hoti jhule
ke hilne ki aavaz & dono ke 1 dusre ke khubsurat jismo se aahat hone
se paida hui mastani aaho ki aavaze thi.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
"namaste aunty!namaste sir!..",apne bungle ke portico me khadi kamini
ne Chandra Sahab & unki biwi ka isteqbal kiya.usne dono ko apne ghar
raat ke khane ki dawat di thi.kamini ne ghutno tak ki kali skirt & lal
blouse pehna tha.chandra sahab ne utarte hi apni shishya ke husn ko
aankh bhar ke nihara.kamini se unki ye harkat chhupi na rahi & usne
unki taraf 1 shokh muskan fenki.use ye to pata tha ki uske guru uske
sath koi gustakh harkat karne ka mauka chhodenge nahi magar vo harkat
kitni gustakh thi bas yehi dekhna tha.
drawing hall me baith teeno baate karne lage,naukar sharbat ke glass
rakh gaya tha.teeno ne apne-2 glass utha liye.
"are kamini,ye tumhari tasveer hai kya?",1 deewar pe kamini ki viren
ke hatho banayi gayi sabse pehli painting lagi thi jisme usne laal
sari pehni thi,viren ne ye painting use tohfe me di thi.mrs.chandra ka
ishara usi ki or tha.
"haan..",kamini ne painting kuchh aise lagayi thi ki har kisiki nazar
uspe na pade magar mrs.chandra ne use dekh hi liya tha & ab dono
miya-biwi painting ke samne khade use dekh rahe the.
"viren sahay ki banai painting hai bhai!",chandra sahab ne apni patni
ko tasvir ke kone me viren ke dastkhat dikhaye.
"vaah..",mrs.chandra kamini se painting ke bare me puchhne lagi.
"mujhe ye painting kuchh khas nahi lagi.",chandra sahab ki baat sun
dono chaunk gayi.
"kyu?"
"ye dekho..viern ne naak thik nahi banayi hai.",chandra sahab ne daye
hath ki ungli kamini ki naak pe firayi,"..ye dekho usne thodi si
chapti banayi hai..yaha..",unki ungli naak ki nok pe thi.kamini ka
badan apne buddhe aashiq ki chhune se sihar utha tha.vo samajh gayi
thi ki unhone badi chalaki se apni biwi ki nazro ke samne hi uske jism
ko chhune ka rasta nikal liya hai.
"haan..sahi keh rahe ho."
"fir ye dekho..gardan kuchh zyada lambi bana di hai..",unki ungli ab
uski gardan ki lambai pe chal rahi thi.kamini ke badan ke roye khade
ho gaye the.
"baahen bhi thodi moti kar di hain..",aadhe bazu ke blouse se nikalti
uski gori,gudaz baaho pe unki ungliya firi to kamini ne apne pair ko
bechaini se hilaya.uski chut is chhedchhad se risne lagi thi.
"aur kamar to dekho..",mrs.chandra ne khud hi pati ko mauka de
diya,"..kitni patli kamar hai apni kamini ki & isne ise mota kar diya
hai.",mrs.chandra ne uski kamar pe hath firaya & jaise hi painting ki
or vapas dekha mr.chandra ne apni bayi banh uski kamar me dal uske
mansal hisse ko daba diya & fir furti se hath vapas khinch liye.
kamini ko laga ki uski tango me jaan nahi hai & agar ab vo thodi der &
yaha khadi rahi to zarur masti me chur ho gir jayegi,"..ab use main
aisi hi lagi to kya kiya ja sakta hai!aapne mera ghar nahi dekha hai
na aunty!aaiye aapko dikhati hu.",usne baat badli & dono ko vaha se
hataya.apne aashiq ki or usne gusse se dekha magar vo bas muskura rahe
the.unki muskan dekh kamini ko bhi hansi aa gayi jise usne badi
mushkil se mrs.chandra se chhupaya.aakhir unki maujoodgi me chandra
sahab ke sath mastana khel khelne me use bhi to maza aata hi tha.
thodi der baad teeno khane ki mez pe baithe khana kha rahe the.mez ke
sire pe akeli kursi pe chandra sahab unke baye taraf vali kursi pe
kamini & daye taraf vali pe mrs.chandra baithi thi.halki-fulki baato
ke sath khana ho raha tha jab kamini ko vahi jana-pehchana ehsas apni
dayi jangh pe hua.chandra sahab ka hath mez ke neeche se uski skirt ke
andar ghus uske ghutno ke thoda upar uski jangh pe ghum raha tha.hath
jangh ke andar ki taraf badha to kamini ne useapne ghutno me bhinch
liya.
"aur aunty..aapke yaha bahut chuhe the pichhli baar vo bhag
gaye?",usne daya hath table ke neeche kiya & apne guru ka lund daba
diya.
"haan,mujhe to nahi dikhe fir.jab tum aati ho tabhi dikhta hai
mua!",bekhabar mrs.chandra ne jawab diya.chandra sahab uski baat ka
matlab samajh muskuraye,".is baat jab tum aao na & vo dikhe to dande
se maar dena use."
"thik hai aunty.",kamini ne chandra sahab ko dekha & fir dobara hath
neeche le gayi & unke lund pe chuti kaat li,"..maar dungi
aunty.",chandra sahab ne badi mushkil se apni karah roki & hath ko
uske ghutno ki giraft se chhuda uski jangho ko masal diya.
khana khatm hote hi kamini ne sweet dish mangwayi-custard,"sir,aap
isme phal lenge & aap aunty?",katoriyo me custard nikalte hue usne
kate phal dale,"..mujhe to phal ke sath hi pasand hai khas kar ke kele
ke sath.",usne fir isharo bhari nazro se apne guru ko dekha.use pata
nahi tha ki uski baato ne unhe kitna garam kar diya hai & vo bas mauke
ki talash me hain.
"kela to bahut achha phal hai,kamini roz khana chahiye bade fayde ki
chiz hai.",mrs.chandra custard kha rahi thi.
"ji aunty,main to roz khati hu jis din na mile us din dil thoda
bechain ho jata hai.",is aakhiri baat ko keh jab kamini ne chandra
sahab ko shokhi se dekha to unhone dil me faisla kar liya ki chahe
kuchh bhi ho jaye aaj vo apni shishya ke andar apna garam lava udele
bagair nahi jayenge.
khana kha teeno fir se hall ke sofo pe baith gaye,"are kamini zara tv
lagana aaj mere serial ka special 1 ghante ka episode aane wala
hai.",tv on ho gaya & kamini & chandra sahab dono apne peshe se judi
baate karne lage.
"offoh!tum bhi ba har jagah kaam leke baith jate ho.mujhe dialogue to
sunane do!",mrs.chandra ne pati ko jhidka.
"sir,mujhe aapse sahay estate ke bare me bhi baat karni thi.hum udhar
ke kamre me chalen.aunty aapko bura to nahi lagega na ki humne aapko
yaha akela chhod diya?"
"are nahi kya takalluf bhari bekar baate kar rahi ho.jao.",vo apne
serial me magan thi.
"ouii..thoda to sabra kijiye!",dusre kamer me pahunchte hi chandra
sahab ne use baaho me bhar liya.
"pehle aisi baate karke bhadkati ho & fir sabr rakhne ko bolti
ho!",unhone uski skirt ko kamar tak utha diya & uski gand pe chuti
kaat li,"..ye mere lund pe chikoti katne ke liye!"
"uff....apni shishya se badla le rahe hain!"
"haan,meri jaan.ishq me sab jayaz hai!",unhone apni pant khol apna
lund nikala & sofe pe baith gaye.kamini ne lund ko pakad munh me lena
chaha to unhone use rok diya,"nahi,itna waqt nahi hai."
"wow!",kamini ki skirt ke neeche lacy laal panty dekh vo khush ho
gaye.unhone use neeche kiya & uski chut ko chum liya.kamini ne dekha
ki panty utar use unhone apni jeb me daal liya.
"aunty!",chandra sahab chaunke & khadi hui kamini ki chut se munh
hataya magar kamini ne unka sar vapas apni chut pe laga upar se skirt
daal di.
"haan,kamini."
"aapko pata hai meri dost ke yaha 1 chuha ghus gaya tha joki uske
kapde chura leta tha."
"achha.",kamini ne skirt utha apne aashiq ko usme se nikala & fir sofe
ke peechhe ki deewar ki ot se khadi ho gayi & drawing hall ke andar
baithi mrs.chandra ko dekha,"sir bathroom gaye hain isliye jaldi se
bata rahi hu..",usne aavaz thodi neechi ki,"..vo uski panty chura ke
apne bil me le jata tha!"
"kya?!",dono aurate hans padi.kamini deewar ki ot me thi & bas uska
kamar tak ka hissa mrs.chandra ko dikh raha tha.agar vo neeche dekh
leti to unhe shayad dil ka daura pad jata.peechhe unke pati kamini ki
skirt uthaye uski gand ki darar me apna munh dhansaye uske gand ke
chhed & uski chut ko apni zuban se gila kar rahe the.
"uski almari se nikal leta tha kya?"
"are nahi,jab utar ke rakhti thi na bathroom me ya fir apne kamer me
tab leke bhag jata tha.humlog hanste the ki bada rangin mizaj hai kahi
mauka milne pe panty ke neeche bhi hath na saaf kar de.",is baar dono
aurate aur zor se hasn apdi magar tab tak serial ka break khatm ho
chuka tha & chandra sahab ki zuban ne use bhi kafi mast kar diya tha.
"sir aa gaye.jati hu.",kamini ghumi & apne guru ko zamin pe bichhe
kalin pe lita diya & fir skirt kamar tak utha unke uapr baith gayi.ye
kehne ki zarurat nahi ki baithate hi uski chut unke lund se bhar gayi
thi.uchhal-2 ke usne unke lund ko jannat ki sair karana shuru kar
diya.chnadra sahab ke hath uski skirt ke neeche chhupe hue uski gand
ki fanko berahmi se daba rahe the.kamini ne apne hatho se apne blouse
ke aage lage buttons ko khola & fir bra ke cups ko upar kar apni
choochiya apne guru ke liye numaya kar di.
"vo sahay estate ke bare me kya keh rahit hi?",chandra sahab ne jaise
hi un mast golo ko nanga dekha,unke hath gand se seedha unpe chale
gaye & thodi der unke sath khelne ke baad unhone kamini ko apne seene
pe jhuka uski gardan ko chum liya.
"is se to yehi lagta hai ki shiva & devika ke beech koi chakkar nahi
tha...oohhhh..!",kamini ne sari baat unhe batayi.badi mushkil se usne
apni mast aaho pe kabu rakha tha.tabhi uski chut ne vahi
sikudne-failne ki mastani harkat shuru ki to chandra sahab samajh gaye
ki vo jhadne vali hai.unhone use apne seene pe sulate hue uske hontho
ko khud ke labo se kas uske munh ko band kiya & fir uski kamar ko
jakad zor ke dhakke lagane lage.
kamini bhi unse chipti jhad rahi thi.dusre kamre me unki biwi baithi
thi & vo yaha unse chud rahi thi-har bar ki tarah is baar bhi is
khayal ne uske maze ki shiddat ko doguna kar diya.kuchh der bad
chandra sahab ne sue apne upar se uthaya.vo abhi nahi jhade the.unhone
kamini ko kalin pe ghutno pe khada kiya & sofe ki seat pe hath rakh
khud ko sambhalne ko kaha fir khud bhi vaise hi ghutno pe uske peechhe
aaye & uski gand ko apne thuk se gila karne lage.
kamini ne sofe apni chhatiya tiokate hue use badi mazbuti se pakad
liya & unke humle ke liye taiyyar ho gayi.kuchh palo baad lund aadha
andar tha & uske guru baye se uski choochiyo ko dabatye hue & daye se
chut ke dane pe ungli chalate hue uski pith se khud ak seena sataye
uske daye kandhe ke upar se jhuke uske hontho ko chumte,uski zuban se
apni zuban ladate uski gand maar rahe the.
"is se to ye sabit hota hai ki dono me paaka kuchh chakkar
tha.",kamini ko 1 pal laga ye samajhne me ki devika & shiva ki baat
kar rahe the suke guru.
"vo kaise?"
"vo aise..",unhone 1 dhakke me lund ko thoda aur andar thela,"..ki
agar koi chakkar nahi hota to devika shiva ko police ke hawale kar
deti.abhi use darr hai ki kahi shiva bachne ke liye ye raaz na khol de
isliye usne aisa nahi kiya.",kamini 1 bar fir usi mithe dard ka ehsas
kar rahi thi.pura badan ainth raha tha & use bas ab jhadne ka intezar
tha,"..lekin tumhari baat sahi hai ki ab aur savdhani ki zarurat
hai.shiva ab zyada khatarnak hai."
"Jaisa ki tumne socha hai..",Kamini ne mehsus kiya ki Chandra Sahab ke
dhakko ki shiddat bhi ab gehri ho chali thi & unki kiss me bhi ab
deewangi badhi nazar aa rahi thi.apne guru ki madhoshi samajhte hi
kamini ka jism bhi aur bhadak utha & bechaini me uski kamar apneaap
hilne lagi.
"..Shiva ab sabki nazro se ojhal hai & vo is zillat ka badla zarur
lene ki koshish karega.",kamini ki aahe tez hoti dekh chandra sahab ne
apni baat puri ki & uske hontho ko apne hontho se sil diya.kamini ab
masti me machalte hue badan hila rahi thi.chandra sahab ki ungli uske
dane ko ragad uske badan me masti ki bijliya chhode ja rahi
thi.chnadra sahab ko bhi apne ando me ubal raha lava unke lund se
bahar nikalne ko machalta mehsus hua & unhone uske upar lagayi rok
hata di.
unke & sofe ke beech daba kamini ka badan jhatke kha raha tha,agar
chandra sahab ke honth uske hontho pe na hote to uski aahe us kamre me
kya pure bungle me gunj rahi hoti.vo jhad rahi thi & janti thi ki
bagal ke kamre me tv dekh rahi Mrs.Chandra ke unhe pakdane ka khatra
abhi bhi barkarar hai.is baat ne humesha ki tarah uske maze ko aur
badha diya & vo paglo ki tarah chhatpatai hui jhadne lagi.usne mehsus
kiya ki uske hontho ko khamosh kiye us se chipke uske guru bhi jhad
rahe hain.unka badan jhatke kha raha hai & uski gand me unka virya
bharta chala ja raha hai.
"shiva se savdhan rahne ke alawa mujhe lagta hai ki Sahay parivar ko
kisi aur se bhi khatra hai magar tumhari hi tarah mujhe bhi uske bare
me kuchh samajh nahi aa raha.",chandra sahab ne apni pant ki zip
chadhayi.
"to kya karna chahiye?",kamini apne blouse ke button laga rahi thi.
"bas Viren & Devika ko aagah kar do.aage vo khud samajhdar hain fir
unke vakil hone ki haisiyat se tum unhe kewal salah de sakti ho kyuki
is baat ki fees milti hai tumhe magar unhe vo salah maanane ke liye
majboor nahi kar sakti.",chandra sahab ne use baaho me bhara to dono 1
dusre ko kiss karne lage.
"thik hai.jaisa aap kahen.",dono 1 dusre se alag hue & hall me tv dekh
rahi mrs.chandra ke sath aake baith gaye.
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
kramashah.........
आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj
--
No comments:
Post a Comment