Sunday, October 24, 2010

कामुक-कहानियाँ बदला पार्ट--29

कामुक-कहानियाँ

बदला पार्ट--29

गतान्क से आगे...
"वीरेन,प्लीज़..ज़रा रूको तो..",उसके कपड़े उतारते वीरेन को कामिनी ने
रोकने की कोशिश की मगर वो उसके रूप का ऐसा दीवाना हो चुका था की उसे सब्र
कहा था.कामिनी की ड्रेस का ज़िप खोल उसने उसे कंधो से नीचे कर दिया था &
अब ब्रा के बाए स्ट्रॅप को भी कंधे के नीचे सरकाते हुए उसकी बाई चूची को
अपने हाथो मे भर रहा था.

"प्लीज़,वीरेन..तुमसे 1 बहुत ज़रूरी बात करनी है.",वीरेन झुक के उसकी
चूची को चूसने लगा था.उसकी ज़ुबान महसूस करते ही कामिनी की नस-2 मे भी
मस्ती दौड़ गयी मगर वो इस सब से पहले उस से बात करना चाहती थी.बड़ी
मुश्किल से उसने उसके बाल पकड़ उसे अपने सीने से अलग किया.

"आख़िर ऐसी कौन सी बात है जो की हमारे प्यार से भी ज़्यादा ज़रूरी
है?!",वीरेन झल्ला के उस से अलग हो गया.दोनो उसके बेडरूम के बिस्तर पे
बैठे थे.

"ये तुम्हारे परिवार के बारे मे है."

"क्या?!"

"हां.",कामिनी उसके करीब आई,"मेरी बाते ध्यान से सुनो,वीरेन..",कामिनी ने
बात शुरू की कैसे उसे दवा की डिबिया की मॅन्यूफॅक्चरिंग डेट से सुरेन
सहाय की मौत के पीछे किसी साज़िश का शक़ हुआ & फिर कैसे उसे लगा की शिवा
भी कुच्छ खेल खेल रहा है नही तो देविका वसीयत मे देर क्यू कर रही थी.

प्रेमिका की बातें सुन वीरेन के चेहरे का रंग बदल गया.अब वाहा मस्ती की
जगह चिंता & परेशानी थी,"तुम्हारा कहना है की देविका ने भाय्या को मारा?"

"नही.उन्होने बिल्कुल भी वो घिनोनी हरकत नही की नही तो वो मुझे ये कभी
नही बताती की उन्होने दवा कब खरीदी थी बल्कि अगर देविका जी गुनेहगर होती
तब तो वो डिबिया कभी भी मेरे हाथ ही ना लगती!"

"तो क्या शिवा ने ये किया है?"

"हो भी सकता है & नही भी.",कामिनी की बात सुन वीरेन को थोड़ी हैरत हुई.

"देखो,मुमकिन है देविका जी से च्छुपके उसने ऐसा किया हो मगर वो तो बंगल
के अंदर रहता है बड़ी आसानी से वो दवा की डिबिया को गायब कर सकता था."

"हो सकता है उसे मौका नही मिला हो?"

"हो सकता है मगर वो ये भी जानता है की 1 वोही है घर के मेंबर्ज़ के अलावा
जो रात को भी बंगल के अंदर मौजूद रहता है.तो किसी भी गड़बड़ मे सबसे पहले
शक़ उसी पे जाएगा."

"तो फिर किसने किया ये?"

"जिसने भी किया बहुत चालक & ख़तरनाक इंसान है.मैं चाहती हू की तुम भी
सावधान रहो,वीरेन.दौलत की हवस इंसान को अँधा बना देती है & वो उसके लिए
किसी भी हद्द तक गिर सकता है.",उसने अपने प्रेमी को बाहो मे भर लिया,"मैं
नही चाहती तुम पे ज़रा भी आँच आए."

"घबराओ मत.",उसने कामिनी के होंठ चूम लिए,"..लेकिन देविका वसीयत मे देर
क्यू कर रही है?"

"यही तो मेरी समझ मे नही आ रहा.कही शिवा उनसे अपनी मर्ज़ी की वसीयत तो
नही बनवा रहा?",वीरेन ने उसकी ढीली ड्रेस को जिस्म से अलग करना चाहा तो
कामिनी बिस्तर से उठ गयी & उसे उतार दिया.अब वो केवल 1 गुलाबी ब्रा जिसका
1 कप नीचे हो उसकी बाई चूची नुमाया कर रहा था & मॅचिंग पॅंटी मे अपने
प्रेमी की गोद मे बैठी थी जिसने उसके खड़े होते ही खुद के कपड़े भी निकाल
दिए थे & अब पूरा नंगा था.

"देखो वीरेन,शिवा चाहे तो देविका जी को कठपुतली बनाके आसानी से एस्टेट पे
राज कर सकता है."

"हां,ये तो है & देविका भी....",वीरेन ने बात बीच मे ही रोक दी & उसके
ब्रा को हटाने लगा,"..कुच्छ भी हो सकता है.तुम्हे क्या लगता है मुझे
देविका से बात करनी चाहिए क्या?"

"नही.",कामिनी ने उसका लंड थाम लिया था,"..हमे कुच्छ पक्का थोड़े ही ना
पता है.हो सकता है वो भड़क जाएँ & फिर शिवा भी होशियार हो जाए.",उसके
कोमल हाथो मे लंड अपना दानवी आकार ले रहा था.

"ये तो है..",वीरेन ने बया हाथ उसकी कमर मे डाला हुआ था & दाए से उसकी
चूचिया मसल रहा था.उसकी बाई चूची को दबा के उसने उसके गुलाबी निपल को
अपने मुँह मे भर लिया & उसपे जीभ फिराने लगा.कामिनी उसकी गोद मे
च्चटपटाने लगी & मस्त हो लंड को हिलाने लगी.

"देखो,वीरेन.मुझे लगता है की अगर शिवा दौलत हथियाना चाहता है
तो....आहह....",वीरेन उसकी चूचिया चूस्ता हुआ दाए हाथ की 1 उंगली को उसकी
चूत मे घुसा रहा था,"..उऊन्ह..वो अभी किसी को नुकसान नही पहुँचाएगा खास
कर के तब तक जब तक वसीयत नही बन जाती क्यूकी..ओईइ माआ.....क्या करते
हो!!!!!..हाइईईईईईईईईईई.......",वीरेन इतनी तेज़ी से अपनी उंगली से उसकी
चूत मार रहा था की कामिनी अपनी बात भूल बस मस्ती के समंदर मे गोते खाने
लगी.उसकी चूत से रस की धार बहे चली जा रही थी मगर वीरेन था की रुकने का
नाम ही नही ले रहा था.उसके होंठ बदस्तूर उसकी चूचियो को चूसे जा रहे
थे.अपने बदन पे ये दोहरी मार कामिनी ज़्यादा देर तक नही झेल पाई & झाड़
गयी.

झाड़ते ही वीरेन ने उसे बिस्तर पे लिटा दिया & उसकी टाँगो को 1 साथ सटा
के हवा मे उठा दिया फिर उसके बाए तरफ घुटनो पे बैठ उसकी टाँगो को हवा मे
उठाए वो उसकी चूत से रिस्ता रस पीने लगा.कामिनी अब पूरी तरह से मदहोश जो
चुकी थी & उसी हाल मे उसने बात आगे बढ़ाई,"..ऊहह....अगर देविका जी की मौत
बिना वसीयत लिखे हो जाती है तो सब कुच्छ तुम्हारा हिस्सा तुम्हे देने के
बाद अपनेआप प्रसून की देखभाल वाले ट्रस्ट को चला जाएगा.....आनह..!"

"तो शिवा चाहेगा की देविका कुच्छ ऐसी वसीयत करे की अगर देविका की मौत भी
हो जाती है तो भी उसे नुकसान ना हो?",वीरेन घुमा & उसकी टाँगो को अपने
कंधो पे चढ़ा लिया.कामिनी को हैरत हुई,वो कभी भी इतनी जल्दी तो चुदाई नही
शुरू करता था!जब तक की वो उसके लंड के लिए बिल्कुल पागल नही हो जाती थी
वो उसे उसकी चूत मे नही घुसाता था फिर आज ये क्या था,"..आआआहह..!",आगे
उसे सोचने का मौका नही मिला क्यूकी वीरेन ने उसकी टाँगे कंधे पे चढ़ाए
उसकी चुदाई शुरू कर दी थी & बहुत तेज़ धक्के लगा रहा था.

"आअहह...हां..बिल्कुल ऐसा ही चा...हेगा..शिवा..हाइईईईई....!",वीरेन के
तेज़ धक्के उसे फिर से आसमान मे ले गये थे & 1 बार फिर उसकी चूत से रस की
धार & बदन मे फुलझड़िया च्छुत रही थी.वीरेन ने जैसे ही देखा की कामिनी
फिर से झड़ी है उसने फ़ौरन लंड बाहर खींचा.कामिनी फिर से हैरत मे पड़
गयी.वीरेन ने उसकी टाँगे फैलाई & उनके बीच झुक उसकी चूत चाट फिर से उसके
रस को पीने लगा.कामिनी मस्ती मे बहाल हो गयी.वो समझ गयी थी की आज तक
वीरेन ने उसे तडपा-2 के चोदा था मगर आज रात वो उसे चोद-2 के तडपाएगा!

वीरेन उसकी जाँघो को पूरा फैलाए उसकी चूत को चाट रहा था & कामिनी मस्ती
मे बेचैन हो अपने हाथो से अपनी मोटी,कसी चूचियो को दबा रही थी.उसके पूरे
बदन मे जैसे कोई मीठी ऐंठन सी थी जो उसे & मदहोश कर रही थी.काई पॅलो तक
उसकी चूत चाटने के बाद वीरेन उठा & उसे बाई करवट पे लिटा दिया & खुद भी
उसके पीछे आ लेटा.कामिनी अपनी बाई कोहनी पे उचक के लेट गयी & अपनी दाई
जाँघ हवा मे खुद ही उठा दी क्यूकी उसे पता था की वीरेन अपना लंड अब फिर
से उसकी चूत मे डालेगा लेकिन वीरेन ने उसे फिर से हैरान किया & लंड की
जगह उसने अपना दाया हाथ उसकी कमर पे लपेटते हुए उसकी चूत से लगा उसकी
उंगली उसमे घुसा दी.

बाया हाथ उसने उसकी गर्दन के नीचे से घुसाते हुए उसके सीने पे लगा दिया &
उसकी चूचिया दबाने लगा,"तो हमे करना क्या चाहिए,कामिनी?",उसकी उंगली
कामिनी को पागल कर रही थी.वो 1 बार के झड़ने से उबरती नही थी की वो उसे
दूसरी बार की ओर ले जाता था.

"मैं बस....ऊन्ह..इतना चाह..ती..हूँ...की...ईईईई.......",कामिनी 1 बार और
झाड़ रही थी.उसके झाड़ते ही झट से वीरेन ने चूत मे उंगली की जगह अपना लंड
घुसा दिया.कामिनी को इस पल ये लग रहा था की कोई भी उसकी चूत को ना
च्छुए..उसे बड़ी तकलीफ़ जैसी महसूस हो रही थी मगर उस तकलीफ़ मे बहुत सारा
मज़ा भी घुला था,"..ना...वीरेन..ऊव्व..प्लीज़....",अब वो रो रही थी मगर
गर्दन घूमके मस्ती मे अपने प्रेमी को बेतहाशा चूमे भी जा रही थी.वीरेन
उसकी दाई जाँघ को दाए हाथ से हवा मे उठाए चोद्ते हुए, उसी हाथ की उंगली
से उसके दाने को छेड़ भी रहा था.

कामिनी अब पूरी तरह से मस्ती मे पागल हो चुकी थी.अब उसे कोई होश नही था
की वो आहे भरती हुई क्या बोल रही थी & क्या कर रही थी.उसे बस ये एहसास था
की उसके बदन मे बस मस्ती बिजली बन के दौड़ रही है & उसके दिल मे बहुत ही
खुशी का एहसास है.उसकी आँखो से आँसू बह रहे थे & वो चीखे जा रही थी.जोश
की इंतेहा हो गयी थी आज तो!बदनो के मिलन से मिलने वाले मज़े का कोई
मुकाबला नही था ये वो जानती थी मगर वो मज़ा इतना ज़्यादा होगा की वो
बिल्कुल ही होश खो बैठेगी उसे ज़रा भी अंदाज़ा नही था!

"हान्न्न्न्न्न.....चोदो........हाईईईईईईई...आअहह...आनह......ह्बीयेयेययाया......!",वीरेन
बहुत तेज़ी से धक्के लगा रहा था & उसकी उंगली भी बड़ी तेज़ी से उसके दाने
को रगड़ रही थी.अचानक चीखती कामिनी बिस्तर पे निढाल हो गयी,उसके चेहरे पे
ऐसे भाव थे की मानो उसे बहुत तकलीफ़ हो & वो सूबक रही थी.उसकी आँखो से
आँसू भी बह रहे थे मगर ये सब उस शिद्दती एहसास की वजह से जो कामिनी ने
पहली बार झड़ने मे महसूस किया था.वीरेन समझ गया था की वो झाड़ रही है.वो
भी जल्दी-2 धक्के लगाके अपना पानी उसकी चूत मे खाली करने लगा.

वीरेन ने निढाल पड़ी कामिनी को अपनी बाहो मे भरा & बस उस से चिप्टा हुआ
उसके बालो को बहुत हल्के-2 चूमता लेटा रहा.काफ़ी देर बाद कामिनी ने अपने
सीने पे पड़ी उसकी बाँह को सहलाया तो वो समझ गया की अब वो संभाल गयी
है.उसके पीछे लेटा हुआ वीरेन अपनी कोहनी पे उचका & अपनी महबूबा का चेहरा
अपनी ओर किया.कामिनी के चेरे पे जो भाव था उसे देखा कोई ये समझने की भूल
कर सकता था की वो उदास है मगर वीरेन जानता था की असल मे उसके दिल का हाल
बिल्कुल उल्टा है.

दोनो कुच्छ नही कह रहे थे बस 1 दूसरे को देखे जा रहे थे.फिर कामिनी ने ही
पहल की & उसके चेहरे को नीचे झुका उसे चूम लिया.थोड़ी ही देर मे दोनो 1
बार फिर बातें कर रहे थे,"..मैं बस इतना चाहती हू,वीरेन की तुम अपनी भाभी
के मन का हाल ज़रा टोहो की आख़िर उनका इरादा क्या है?बेटे से तो उन्हे
बहुत लगाव है मगर ये शिवा उनके लिए कितनी अहमियत रखता है या फिर कही कोई
और तो नही है जोकि हमारी नज़रो से ओझल है & हम बेकार मे ही शिवा पे शक़
कर रहे हैं.वो दवा की डिबिया कुच्छ ऐसा ही इशारा करती है मगर बाकी बाते
शिवा को शक़ के दायरे मे ले आती हैं."

"नही,कामिनी.मुझे भी लगता है की शिवा जो दिखता है वो है नही.तुम फ़िक्र
मत करो मैं कुच्छ करता हू.ज़रा पता लगाया जाए की आख़िर ये शिवा है क्या
चीज़!"

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क्रमशः.............

बदला पार्ट--29

गतान्क से आगे...
"Viren,please..zara ruko to..",uske kapde utarte viren ko Kamini ne
rokne ki koshish ki magar vo uske roop ka aisa deewana ho chuka tha ki
use sabra kaha tha.kamini ki dress ka zip khol usne use kandho se
neeche kar diya tha & ab bra ke baye strap ko bhi kandhe ke neeche
sarkate hue uski bayi chhati ko apne hatho me bhar raha tha.

"please,viren..tumse 1 bahut zaruri baat karni hai.",viren jhuk ke
uski choochi ko chusne laga tha.uski zuban mehsus karte hi kamini ki
nas-2 me bhi masti daud gayi magar vo is sab se pehle us se baat karna
chahti thi.badi mushkil se usne uske baal pakad use apne seene se alag
kiya.

"aakhir aisi kaun si baat hai jo ki humare pyar se bhi zyada zaruri
hai?!",viren jhalla ke us se alag ho gaya.dono uske bedroom ke bistar
pe baithe the.

"ye tumhare pariovar ke bare me hai."

"kya?!"

"haan.",kamini uske karib aayi,"meri baate dhyan se
suno,viren..",kamini ne baat shuru ki kaise use dawa ki dibniya ki
manufacturing date se Suren Sahay ki maut ke peechhe kisi sazish ka
shaq hua & fir kaise use laga ki Shiva bhi kuchh khel khel raha hai
nahi to devika vasiyat me der kyu kar rahi thi.

premika ki baaten sun viern ke chehre ka rang badal gaya.ab vaha masti
ki jagah chinta & pareshani thi,"tumhara kehna hai ki devika ne
bhaiyya ko maara?"

"nahi.unhone bilkul bhi vo ghinoni harkat nahi ki nahi to vo mujhe ye
kabhi nahi batati ki unhone dawa kab kharidi thi balki agar devika ji
gunehgar hoti tab to vo dibiya kabhi bhi mere hath hi na lagti!"

"to kya shiva ne ye kiya hai?"

"ho bhi sakta hai & nahi bhi.",kamini ki baat sun viren ko thodi hairat hui.

"dekho,mumkin hai devika ji se chhupake usne aisa kiya ho magar vo to
bungle ke andar rehta hai badi asani se vo dawa ki dibiya ko gayab kar
sakta tha."

"ho sakta hai use mauka nahi mila ho?"

"ho sakta hai magar vo ye bhi janta hai ki 1 vohi hai ghar ke members
ke alawa jo raat ko bhi bungle ke andar maujood rehta hai.to kisi bhi
gadbad me sabse pehle shaq usi pe jayega."

"to fir kisne kiya ye?"

"jisne bhi kiya bahut chalak & khatarnak insan hai.main chahti hu ki
tum bhi savdhan raho,viren.daulat ki hawas insan ko andha bana deti
hai & vo uske liye kisi bhi hadd tak gir sakta hai.",usne apne permi
ko baaho me bhar liya,"main nahi chahti tum pe zara bhi aanch aaye."

"ghabrao mat.",usne kamini ke honth chum liye,"..lekin devika vasiyat
me der kyu kar rahi hai?"

"yehi to meri samajh me nahi aa raha.kahi shiva unse apni marzi ki
vasiyat to nahi banwa raha?",viren ne uski dhili dress ko jism se alag
karna chaha to kamini bistar se uth gayi & use utar diya.ab vo kewal 1
gulabi bra jiska 1 cup neeche ho uski bayi chhati numaya kar raha tha
& matching panty me apne premi ki god me baithi thi jisne uske khade
hote hi khud ke kapde bhi nikal diye the & ab pura nanga tha.

"dekho viren,shiva chahe to devika ji ko kathputli banake asani se
estate pe raaj kar sakta hai."

"haan,ye to hai & devika bhi....",viren ne baat beech me hi rok di &
uske bra ko hatane laga,"..kuchh bhi ho sakta hai.tumhe kya lagta hai
mujhe devika se baat karni chahiye kya?"

"nahi.",kamini ne uska lund tham liya tha,"..hume kuchh pakka thode hi
na pata hai.ho sakta hai vo bhadak jayen & fir shiva bhi hoshiyar ho
jaye.",uske komal hatho me lund apna danvi aakar le raha tha.

"ye to hai..",viren ne baya hath uski kamar me dala hua tha & daye se
uski choochiya masal raha tha.uski bayi choochi ko daba ke usne uske
gulabi nipple ko apne munh me bhar liya & uspe jibh firane laga.kamini
uski god me chhatpatane lagi & mast ho lund ko hilane lagi.

"dekho,viren.mujhe lagta hai ki agar shiva daulat hathiyana chahta hai
to....aahhhhhhh....",viren uski chhatiya chusta hua daye hath ki 1
ungli ko uski chut me ghusa raha tha,"..uunhhh..vo abhi kisi ko nuksan
nahi pahunchayega khas kar ke tab tak jab tak vasiyat nahi ban jati
kyuki..ouiiii maaaa.....kya karte
ho!!!!!..haaiiiiiiiiiiii.......",viren itni tezi se apni ungli se uski
chut maar raha tha ki kamini apni baat bhul bas masti ke samandar me
gote khane lagi.uski chut se ras ki dhar bahe chali ja rahi thi magar
viren tha ki rukne ka naam hi nahi le raha tha.uske hotnh badastur
uski chhatiyo ko chuse ja rahe the.apne badan pe ye dohri maar kamini
zyada der tak nahi jhel payi & jhad gayi.

jhadte hi viren ne use bistar pe lita diya & uski tango ko 1 sath sata
ke hawa me utha diya fir uske baye taraf ghutno pe baith uski tango ko
hawa me ythaye vo uski chut se rista ras peene laga.kamini ab puri
tarah se madhosh hjo chuki thi & usi haal me usne baat aage
badhayi,"..oohhh....agar devika ji ki maut bina vasiyat likhe ho jati
hai to sab kuchh tumhara hissa tumhe dene ke baad apneaap prasun ki
dekhbhal vale trust ko chala jayega.....aanhhhh..!"

"to shiva chahega ki devika kuchh aisi vasiyat kare ki agar devika ki
maut bhi ho jati hai to bhi use nuksan na ho?",viren ghuma & uski
tango ko apne kandho pe chadha liya.kamini ko hairat hui,vo kabhi bhi
itni jaldi to chudai nahi shuru karta tha!jab tak ki vo uske lund ke
liye bilkul pagal nahi ho jati thi vo use uski chut me nahi ghusata
tha fir aaj ye kya tha,"..aaaaaahhhhh..!",aage use sochne ka mauka
nahi mila kyuki viren ne uski tange kandhe pe chadhaye uski chudai
shuru kar di thi & bahut tez dhakke laga raha tha.

"aaahhhh...haan..bilkul aisa hi
cha...hega..shiva..haaiiiiii....!",viren ke tez dhakke sue fir se
aasman me le gaye the & 1 bar fir uski chut se ras ki dhar & badan me
phuljhadiya chhut rahi thi.viren ne jaise hi dekha ki kamini fir se
jhadi hai usne fauran lund bahar khincha.kamini fir se hairat me pad
gayi.viern ne uski tange failayi & unke beech jhuk uski chut chaat fir
se uske ras ko peene laga.kamini masti me behal ho gayi.vo samajh gayi
thi ki aaj tak viren ne use tadpa-2 ke choda tha magar aaj raat vo use
chod-2 ke tadpayega!

viren uski jangho ko pura failaye uski chut ko chat raha tha & kamini
masti me bechain ho apne hatho se apni moti,kasi chhatiyo ko daba rahi
thi.uske pure badan me jaise koi meethi ainthan si thi jo use &
madhosh kar rahi thi.kayi palo tak uski chut chatne ke baad viren utha
& use bayi karwat pe lita diya & khud bhi uske peechhe aa leta.kamini
apni bayi kohni pe uchak ke let gayi & apni dayi jangh hawa me khud hi
utha di kyuki use pata tha ki viren apna lund ab fir se uski chut me
dalega lekin viren ne use fir se hairan kiya & lund ki jagah usne apna
daya hath uski kamar pe lapetate hue uski chut se laga uski ungli usme
ghusa di.

baya hath usne uski gardan ke neeche se ghusate hue uske seene pe laga
diya & uski chhatiya dabane laga,"to hume karna kya
chahiye,kamini?",uski ungli kamini ko pagal kar rahi thi.vo 1 baar ke
jhadne se ubarti nahi thi ki vo use dusri baar ki or le jata tha.

"main bas....oonhh..itna chah..ti..hun...ki...eeeeeeeee.......",kamini
1 baar aur jhad rahi thi.uske jhadte hi jhat se viren ne chut me ungli
ki jagah apna lund ghusa diya.kamini ko is pal ye lag raha tha ki koi
bhi uski chut ko na chhue..use badi taklif jaisi mehsus ho rahi thi
magar us taklif me bahut sara maza bhi ghula
tha,"..naa...viren..ooww..please....",ab vo ro rahi thi magar gardan
ghumake masti me apne premi ko betahasha chume bhi ja rahi thi.viren
uski dayi jangh ko daye hath se hawa me uthaye chodte hue, usi hath ki
ungli se uske dane ko chhed bhi raha tha.

kamini ab puri tarah se masti me pagal ho chuki thi.ab use koi hosh
nahi tha ki vo aahe bharti hui kya bol rahi thi & kya kar rahi thi.use
bas ye ehsas tha ki uske badan me bas masti bijli ban ke daud rahi hai
& uske dil me bahut hi khushi ka ehsas hai.uski aankho se aansu beh
rahe the & vo chikhe ja rahi thi.josh ki inteha ho gayi thi aaj
to!badano ke milan se milne vale maze ka koi mukabla nahi tha ye vo
janti thi magar vo maza itna zyada hoga ki vo bilkul hi hosh kho
baithegi use zara bhi andaza nahi tha!

"haannnnnn.....chodo........haiiiiiiii...aaahhhhhhh...aanhhhhhh......haaaaaaa......!",viren
bahut tezi se dhakke laga raha tha & uski ungli bhi badi tezi se uske
dane ko ragad rahi thi.achanak chikhti kamini bistar pe nidhal ho
gayi,uske chehre pe aise bhav the ki mano use bahut taklif ho & vo
subak rahi thi.uski aankho se aansu bhi beh rahe the magar ye sab us
shiddati ehsas ki vajah se jo kamini ne pehli bar jhadne me mehsus
kiya tha.viren samajh gaya tha ki vo jhad rahi hai.vo bhi jaldi-2
dhakke lagake apna pani uski chut me khali karne laga.

viren ne nidhal padi kamini ko apni baaho me bhara & bas us se chipta
hua uske baalo ko bahut halke-2 chumta leta raha.kafi der baad kamini
ne apne seene pe padi uski banh ko sehlaya to vo samajh gaya ki ab vo
sambhal gayi hai.uske peechhe leta hua viren apni kohni pe uchka &
apni mehbooba ka chehra apni or kiya.kamini ke chere pe jo bhav tha
use dekha koi ye samajhne ki bhul kar sakta tha ki vo udaas hai magar
viren janta tha ki asal me uske dil ka haal bilkul ulta hai.

dono kuchh nahi keh rahe the bas 1 dusre ko dekhe ja rahe the.fir
kamini ne hi pehal ki & uske chehre ko neeche jhuka use chum
liya.thodi hi der me dono 1 baar fir baaten kar rahe the,"..main bas
itna chahti hu,viren ki tum apni bhabhi ke man ka haal zara toho ki
aakhir unka irada kya hai?bete se to unhe bahut lagav hai magar ye
shiva unke liye kitni ahmiyat rakhta hai ya fir kahi koi aur to nahi
hai joki humari nazro se ojhal hai & hum bekar me hi shiva pe shaq kar
rahe hain.vo dawa ki dibiya kuchh aisa hi ishara karti hai magar baki
baate shiva ko shaq ke dayre me le aati hain."

"nahi,kamini.mujhe bhi lagta hai ki shiva jo dikhta hai vo hai
nahi.tum fikr mat karo main kuchh karta hu.zara pata lagaya jaye ki
aakhir ye shiva hai kya chiz!"

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kramashah.............

आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj

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