बदला पार्ट--14
गतान्क से आगे...
शिवा अपनी माशूका के ख़यालो से तब बाहर आया जब उसका वाइर्ले अचानक
खड़खड़ाने लगा.एस्टेट की पूरी सेक्यूरिटी टीम & बाकी वर्कर्स वाइर्ले के
ज़रिए ही 1 दूसरे के कॉंटॅक्ट मे रहती थी.वैसे इन वल्क्य-टॉकईस का
इस्तेमाल ज़्यादातर ये बताने के लिए ही होता था कि फलाना गाड़ी खराब हो
गयी है या डेरी वालो ने शाम का दूध दूह लिया है मगर पस्ट्राइसिंग सिस्टम
मे कुच्छ परेशानी है वग़ैरह-2.(दोस्तो ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग
कामुक-कहानिया पर पढ़ रहे है)शिवा ने वाइर्ले उठाया,एस्टेट की 1 जगह की
टूटी बाड़ की मरम्मत हो गयी थी,उसी का जायज़ा लेने के लिए वाहा के
गार्ड्स उसे बुला रहे थे.उसने आह भरी & अपनी जीप की चाभी उठा के अपने
कॅबिन से निकल गया.
देविका के लिए शिवा 1 नौकर से ज़्यादा कुच्छ नही था & उसने उसे थप्पड़ भी
इसीलिए लगाए थे मगर उन चांटो का जवाब जिस अंदाज़ मे शिवा ने इसे दिया था
उसने उसके दिल मे उसके लिए कुच्छ और ही जगह बना दी थी.देविका के दिल मे
भी अब उसके लिए प्यार पैदा हो गया था & उसके जिस्म की बेचैनी उसके दिल की
बेसब्री की परच्छाई ही थी.
अपने पति के लिए अभी भी उसके दिल मे प्यार था & उसकी चिंता भी थी मगर
शिवा वो शख्स था जिसके साथ वो बहुत महफूज़ महसूस करती थी & उसके पास उसे
बहुत सुकून मिलता था.
जीप चलाकर जाते शिवा के दिल मे अभी भी सुरेन सहाय के एस्टेट मे ना होने
का फ़ायदा ना उठाने का मलाल था.उसे अपने बॉस पे & उस वक़्त बाकी लोगो की
मौजूदगी पे बड़ी खिज आई..इन्ही लोगो की वजह से वो अभी अपनी जानेमन के
जिस्म की गोलैईयों मे नही खो पा रहा था.(दोस्तो ये कहानी आप राज शर्मा के
ब्लॉग कामुक-कहानिया पर पढ़ रहे है)उसे अपनी बेबसी पे भी बहुत गुस्सा आ
रहा था & इसी बेबसी & गुस्से ने अचानक 1 ऐसा ख़याल उसके दिमाग़ मे पैदा
किया जिसके आते ही शिवा को खुद से घिन आई & ग्लानि भी महसूस हुई-उसके खिज
भरे दिल से निकली वो बात थी कि सुरेन सहाय मर क्यू नही जाता!शिवा ने 1 पल
को आँखे बंद की & खुद को होश मे लाया.वो 1 ईमानदार & नमकहलाल इंसान था &
ऐसी बातो की उसके दिलोदिमाग मे कोई जगह नही होनी चाहिए थी.उसने
अककलेराटोर पे पाँव दबाया & जीप फ़र्राटे से आगे बढ़ गयी.
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"ये लीजिए मिस्टर.सहाय..",कामिनी ने मुकुल के हाथो से स्टंप पेपर्स लिए &
सुरेन जी को थमाए,"..आप दोनो भाइयो से बात करने के बाद मैने ये काग़ज़ात
तैय्यार किए हैं.",मुकुल ने दूसरी कॉपी वीरेन सहाय को दी.
"..पहले वो करारनामा है जिसमे लिखा है कि वीरेन जी को इस बात से कोई
ऐतराज़ नही की आप एस्टेट & बिज़्नेस के फ़ैसले कैसे & क्या लेते हैं.बाकी
काग़ज़ात मे उन सुरतो के बारे मे लिखा है जब आपकी या आपकी पत्नी की या
फिर दोनो की या फिर वीरेन जी की या सभी की मौत हो जाने की सुरतो मे
प्रसून का क्या होगा.",दोनो भाई गौर से पेपर्स पढ़ रहे थे.
"मिस्टर.सहाय,मैने ट्रस्ट का फॉर्मॅट & उसके काम करने के बारे मे भी सभी
बाते इन काग़ज़ो मे लिख दी हैं.आप दोनो इनको पढ़ के अगर कोई बदलाव चाहते
हैं तो मुझे बता दें.उसके बाद आप इंपे दस्तख़त कर दीजिएगा & आपका काम
ख़त्म."
कोई पौन घंटे तक दोनो भाई सारे पेपर्स पढ़ते रहे & उनमे लिखी बातो पे 1
दूसरे से सलाह-मशविरा करते रहे.उसके बाद दोनो कुच्छ मामूली सी बाते
जोड़ने को कहा & फिर उनपे दस्तख़त कर दिए.कामिनी ने सभी काग़ज़ात मुकुल
को दिए जिसने उसे ऑफीस की तिजोरी मे बंद कर दिया.दोनो भाइयो के पास सारे
काग़ज़ो की 1-1 कॉपी थी.आगे जाके अगर सुरेन जी या फिर वीरेन इनमे कोई
बदलाव चाहते तो तीनो कॉपीस-सुरेन जी की वीरेन की & कामिनी की-को इकट्ठा
करके ही कामिनी के हाथो ही उनमे बदलाव हो सकता था.ऐसा कामिनी ने करारनामे
भी लिख दिया था जिसपे अब दोनो भाइयो के दस्तख़त थे. (दोस्तो ये कहानी आप
राज शर्मा के ब्लॉग कामुक-कहानिया पर पढ़ रहे है)
"थॅंक यू,कामिनी जी.आपने हमारी बहुत बड़ी मुश्किल आसान की है.",सुरेन जी
जाने के लिए उठ खड़े हुए.
"मिस्टर.सहाय,यही तो मेरा काम है & मेरा काम करने के लिए आपको मुझे
शुक्रिया कहने की ज़रूरत नही.आप अच्छी-ख़ासी फीस दे रहे हैं इस काम के
लिए!",कामिनी की बात पे तीनो हंस पड़े,"..अच्छा,अब इजाज़त चाहूँगा.",हाथ
जोड़ के सुरेन जी उसके कॅबिन से निकालने लगे की कामिनी को कुच्छ याद
आया,"मिस्टर.सहाय,1 मिनिट रुकिये,प्लीज़."
उसके इशारे पे मुकुल कुच्छ और काग़ज़ उनके पास ले आया,"ये प्री-नप्षियल
कांट्रॅक्ट का 1 फॉर्मॅट है.आपने उस दिन प्रसून की शादी के बारे मे बात
की थी ना तो मैने सोचा की आप & मिसेज़.सहाय 1 बार इसे देख लें आपको भी
थोडा अंदाज़ा हो जाएगा."
"शुक्रिया,कामिनी जी.ये आपने बहुत अच्छा काम किया.",सुरेन जी ने दोबारा
हाथ जोड़े & बाहर चले गये.कामिनी ने आँखो के कोने से देखा की वीरेन को
उसे ये बात कुच्छ अच्छी नही लगी..आख़िर वो प्रसून की बात पे ऐसे संजीदा &
थोड़ा टेन्स सा क्यू हो जाता था?
"अच्छा,मैं भी चलता हू,कामिनी जी.",वीरेन ने अपने चेहरे के भाव बदल लिए
थे & अब वही दिलकश मुस्कान उसके होंठो पे खेल रही थी,"आपने कुच्छ सोचा
मेरी गुज़ारिश के बारे मे?"
"हां वीरेन जी,मैने सोचा.आप कैसे पेंटर हैं अब इसके बारे मे कुच्छ कहना
तो सूरज को दिया दिखाने के बराबर होगा..",तारीफ सुन वीरेन ने हंसते हुए
नज़रे झुका ली,1 बड़े विनम्रा इंसान की तरह.कामिनी बहुत गौर से उसे देख
रही थी,"..लेकिन..",वीरेन के चेहरे से हँसी गायब हो गयी,"..लेकिन मैं
आपकी बात नही मान सकती.प्लीज़ मुझे माफ़ कर दीजिए."
"नही कामिनी जी,इसमे माफी की क्या बात है?..इतना ज़रूर कहूँगा की आपकी
तस्वीर ना बना पाने का मलाल मुझे उम्र भर रहेगा."
"मैं आपको तकलीफ़ नही पहुचाना चाहती मगर प्लीज़ वीरेन जी मैं ये नही अकर
सकती.",कामिनी को पता था की ये कलाकार लोग बड़े संवेदनशील होते
हैं,दिमाग़ से ज़्यादा दिल का इस्तेमाल करते हैं & वीरेन भी इस इनकार को
ना जाने कैसे ले.
"प्लीज़,कामिनी अब आप मुझे शर्मिंदा कर रही हैं.आपकी बात का ज़रा भी बुरा
नही माना मैने,मेरा यकीन कीजिए & अपने दिल से ऐसी सारी बातें निकाल
दीजिए..ओके!बाइ.",1 बार फिर वही दिलकश मुस्कान बिखेरता वीरेन भी वाहा से
चला गया & कामिनी 1 बार फिर से सोच मे पड़ गयी....ये इंसान नाराज़ नही
हुआ थोड़ा सा निराश ज़रूर हुआ था मगर उसे कोई गुस्सा नही आया था.(ये
कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक-कहानियाँ में पढ़ रहे है )...अब तो
उसकी आगे की हर्कतो से ही पता चल सकता था की उसके दिल मे असल मे क्या
था-क्या वो सच मे उसकी खूबसूरती का कायल होके उसकी तस्वीर बनाना चाहता था
या फिर उसका शक़ कि वो अपने भाई की वकील के करीब आना चाहता था सही था.
कामिनी थोड़ी देर खड़ी सोचती रही & फिर अपनी कुर्सी पे बैठ अपना काम करने लगी.
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"नमस्ते!नमस्ते!शाम लाल जी,आइए बैठिए.",सुरेन जी ने बड़ी गर्मजोशी से
अपने पुराने मॅनेजर का इस्तेक़्बल किया. (दोस्तो ये कहानी आप राज शर्मा
के ब्लॉग कामुक-कहानिया पर पढ़ रहे है)
"नमस्ते,सुरेन जी..नमस्ते मॅ'म.कैसे हैं आपलोग & अपना प्रसून कहा है?मैं
उसके लिए ये तोहफा लाया था.",शाम लाल जी की उम्र 60 बरस की थी & उनके सर
के सारे बॉल उड़ चुके थे बस पीछे की ओर थोड़े से बाकी थे.उम्र के साथ
उनका पेट भी कुच्छ निकल आया था.वो उम्र मे सुरेन जी से बड़े थे मगर फिर
भी वो उन्हे हमेशा ऐसे इज़्ज़त देते थे जोकि 1 मालिक को अपने मुलाज़िम से
मिलनी चाहिए थी.
"इसकी क्या ज़रूरत थी,शाम लाल जी!",देविका ने उन्हे 1 शरबत का ग्लास
बढ़ाया.उनके बैठते ही रजनी वाहा शरबत के ग्लास & नाश्ते की तश्तरिया लेके
आ गयी थी.उसने भी शाम लाल जी को नमस्ते किया.
"जीती रहो,रजनी.कैसी हो?",उन्होने 1 घूँट भरा.रजनी ने उनकी बात का जवाब
दिया & उनका & उनके परिवार की खैर पुच्छ वाहा से चली गयी.
"ह्म्म..",थोड़ी देर तक तीनो इधर-उधर की बाते करते रहे उसके बाद सुरेन जी
ने असल मुद्दे की बात छेड़ी जो थी प्रसून की शादी,"..आप दोनो ने वकील से
बात करके क़ानूनी तौर पे तो प्रसून के हितो की हिफ़ाज़त कर ली है मगर फिर
भी..",उन्होने अपनी ठुड्डी खुज़ाई.
"मगर क्या शाम लाल जी?",देविका की आवाज़ मे चिंता सॉफ झलक रही थी.
"देखिए मॅ'म,आप 1 औरत के नाते इस बात को ज़्यादा अच्छी तरह से समझेंगी.1
लड़की अपने पति से केवल ना अपने भविष्या की सुरक्षा,आराम की ज़िंदगी की
उम्मीद रखती है बल्कि उसकी कुच्छ और भी आरज़ुएँ होती हैं..कुच्छ अरमान
होते हैं (ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक-कहानियाँ में पढ़ रहे है
)जोकि केवल 1 पति ही पूरा कर सकता है.",पति-पत्नी शाम लाल जी का इशारा
समझ गये थे.यही तो उनकी खूबी थी कोई भी बात बड़ी नफ़ासत के साथ बहुत
सोच-विचार के कहते थे.
"..& अगर वो आरज़ुए हक़ीक़त मे ना बदले तो औरत बौखला जाती है & 1 बौखलाई
औरत की बौखलाहट का अंजाम कुच्छ भी हो सकता है.ये प्री-नप्षियल अग्रीमेंट
वग़ैरह तो ठीक हैं मगर फ़र्ज़ कीजिए उस औरत को इन काग़ज़ के टुकड़ो की
कोई परवाह ही ना हो तो?..उसे केवल अपनी हसरातो की ही परवाह हो तो?"
"..यही मुश्किल आपको सुलझानी है..",देविका ने बोला,"..1 ऐसी लड़की ढूंढीए
जोकि मेरे बेटे की सच्ची हमसफर बने..",शाम लाल जी कुच्छ बोलने वाले थे
मगर उनके बोलने से पहले ही देविका बोली,"..मैं आपकी बात समझ गयी हू & इस
बारे मे हमे वीरेन ने & आड्वोकेट कामिनी शरण ने भी आगाह किया है.शाम लाल
जी,आप मुझे 1 सुशील & सुलझी हुई बहू ला दीजिए,आपको यकीन दिलाती हू.उसके
अरमान,उसकी हसरत कभी भी अधूरे नही रहेंगे..बस 1 ऐसी लड़की ढूंड दीजिए
मेरे प्रसून के लिए!",
देविका की बात इतने भरोसे के साथ कही गयी थी की शाम लाल जी मना नही कर
सके,"ठीक है,मॅ'म.मैं आज से ही आपके काम पे लग जाता हू.यू समझिए की आपकी
चिंता आज से मेरी हो गयी." (दोस्तो ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग
कामुक-कहानिया पर पढ़ रहे है)
"शुक्रिया,शाम लाल जी! बहुत-2 शुक्रिया.",सुरेन जी जज़्बाती होगये &
उन्होने उनके हाथ पकड़ लिए.देविका को अब थोड़ा चैन था,उसे यकीन था की शाम
लाल जी उसके बेटे के लिए 1 अच्छी लड़की ज़रूर ढूंड लेंगे.
"तो मिस्टर.धमीजा जब आपको हमारी सारी शर्ते मंज़ूर हैं तो बस ये तय करना
बाकी रह जाता है की आप कब से हमे जाय्न करते हैं.",सुरेन सहाय
मुस्कुराए.शिवा भी उनके कहने पे आहा चुपचाप बैठा दोनो की बाते सुन रहा
था.उसने इंदर के बारे मे जो मालूमत हासिल की थी उसके मुताबिक वो बिल्कुल
शरीफ,ईमानदार & मेहनती शख्स था मगर ना जाने क्यू शिवा को कुच्छ खटक रहा
था मगर क्या,ये उसके दिमाग़ मे साफ नही हो पा रहा था.
"आप कहें तो मैं कल से ही आ जाता हू,सर."
"ये तो बड़ी अच्छी बात होगी,मिस्टर.धमीजा.",उन्होने इंटरकम उठा के अपने
सेक्रेटरी को बुलाया.
"सर.",सेक्रेटरी फ़ौरन कॅबिन मे आ गया.
"विमल,ये हैं हमारे नये मॅनेजर,मिस्टर.इंदर धमीजा.ज़रा इन्हे सभी से मिला
देना & इनका कॅबिन भी इन्हे दिखा देना.",फिर वो इंदर से मुखातिब
हुए,"मिस्टर.धमीजा,विमल आपको सारे कामो का भी ब्योरा दे देगा & अगर आप
एस्टेट का जायज़ा लेना चाहें तो हमारे सेक्यूरिटी मॅनेजर मिस्टर.शिवा के
साथ जाएँ.इनसे बेहतर तो मैं भी अपनी एस्टेट को नही जानता!",अपनी ही बात
पे सुरेन जी खुद ही हंस दिए तो शिवा भी मुस्कुरा दिया.
"हुंग..!ये मुझे बताएगा एस्टेट के बारे मे!..इस बेचारे को क्या मालूम की
अंधेरी रातो मे इसकी कमाल की सेक्यूरिटी की आँखो मे धूल झोंक के मैने
पूरी एस्टेट के ज़र्रे-2 को पहचाना है!",इंदर के दिल के ख़याल उसके चेहरे
पे नही आए,"..ज़रूर,सर.वैसे भी इन्हे तो मैं अपना सीनियर ही मानता
हू.जितना तजुर्बा इन्हे इस जगह का है उतना मुझे तो नही है.उम्मीद करता हू
मिस्टर.शिवा की आप हमेशा मेरी मदद करेंगे."
"ज़रूर,मिस्टर.धमीजा.आप बेफ़िक्र रहें.",शिवा खड़ा हो गया,अब उसके भी
जाने का वक़्त हो गया था.
इंदर सबसे इजाज़त लेके विमल के साथ जाने लगा की तभी सुरेन जी ने उन्हे
आवाज़ दी,"अरे विमल,मैं तो भूल ही गया था.भाई ज़रा मॅनेजर साहब के लिए
उनकी कॉटेज सॉफ करवा देना.ये कल से ही हमारे साथ काम शुरू कर रहे हैं."
(दोस्तो ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक-कहानिया पर पढ़ रहे है)
"ओके,सर.",विमल ने दरवाज़ा खोला मगर इंदर अभी भी खड़ा था.
"सर."
"यस,मिस्टर.धमीजा."
"सर,प्लीज़.आप मुझे मिस्टर.धमीजा कह के ना बुलाएँ,इंदर बोलिए."
"ओके.",सुरेन जी मुस्कुराए,उन्होने बिल्कुल सही शख्स चुना था.
"..और सर ये कॉटेज,माफ़ कीजिएगा,मगर उसमे कितने कमरे हैं?"
"सर,उसमे 5 कमरे हैं.",सुरेन जी को तो याद भी नही था कि कॉटेज की अंदर की
बनावट कैसी है,ये जबाब इंदर को विमल ने दिया.
"सर,उस से छ्होटा कोई घर नही मिल सकता क्या?"
"छ्होटा!मगर छ्होटा क्यू?",सुरेन जी के माथे पे शिकन थी & होंठो पे इंदर
की बात समझने की कोशिश करती मुस्कान.
"सर,मैं अकेली जान उतने बड़े घर मे क्या करूँगा.प्लीज़ मुझे कोई छोटा घर
दिला दीजिए."
"अरे इंदर ,आप अभी अकेले हैं कल को शादी होगी आपका परिवार होगा या कभी
कोई रिश्तेदार आ गया तो?",ये पहला इंसान था जोकि उतनी बड़ी कॉटेज ठुकरा
के छ्होटा घर माँग रहा था.शिवा भी हैरान था मगर जहा उसके बॉस को इस
हैरानी से खुशी हो रही थी की इंदर लालची नही है वही उसके दिल मे और खटका
होने लगा था..जो भी हो वो इस इंसान पे नज़र रखेगा,उसने तय कर लिया.
"सर,जब परिवार होगा तो मैं आपसे उस कॉटेज को माँग लूँगा लेकिन प्लीज़
सर,अभी मुझे कोई छ्होटा घर दे दीजिए." (दोस्तो ये कहानी आप राज शर्मा के
ब्लॉग कामुक-कहानिया पर पढ़ रहे है)
सुरेन जी ने विमल की ओर सवालिया निगाहो से देखा,"सर,है तो मगर वो
क्वॉर्टर है.",उसने थोड़ा सकुचाते हुए कहा & जान के क्वॉर्टर के पहले लगा
सर्वेंट्स लफ्ज़ नही बोला..पता नही कही नये मॅनेजर को बुरा लग गया तो!
"नही!मॅनेजर साहब वाहा नही रहेंगे."
"सर,प्लीज़.उसमे कितने कमरे हैं,विमल जी?"
"जी.बस 2."
"तब तो मेरे लिए बिल्कुल सही है सर."
"मगर आप सर्वेंट क्वॉर्टर्स मे कैसे रह सकते हैं?"
"क्यू नही,सर.आख़िर क्या बुराई है उसमे.प्लीज़ सर,मुझे कोई ऐतराज़ नही है
& आगे अगर ज़रूरत महसूस हुई तो मैं आपसे कॉटेज की चाभी माँग लूँगा."
"ठीक है.जैसी आपकी मर्ज़ी."
"थॅंक्स,सर.",इंदर वाहा से निकल गया,उसका काम हो गया था.उसे पता था की
कौन सा क्वॉर्टर खाली है-ठीक रजनी के क्वॉर्टर के उपर वाला.मॅनेजर'स
कॉटेज सहाय जी के बंगल से दूर था मगर क्वॉर्टर बिल्कुल नज़दीक था & वाहा
से वो आसानी से बंगल पे नज़र रख सकता था. (दोस्तो ये कहानी आप राज शर्मा
के ब्लॉग कामुक-कहानिया पर पढ़ रहे है)
क्रमशः.........
BADLA paart--14
gataank se aage...
Shiva apni mashooka ke khayalo se tab bahar aaya jab uska wireless
achanak khadkhadane laga.estate ki puri security team & baki workers
wireless ke zariye hi 1 dusre ke contact me rehti thi.vaise in
walky-talkies ka istemal zyadatar ye batane ke liye hi hota tha ki
falana gadi kharab ho gayi hai ya dairy valo ne sham ka dudh duh liya
hai magar pasteurising system me kuchh pareshani hai vagairah-2.shiva
ne wireless uthaya,estate ki 1 jagah ki tuti baad ki marammat ho gayi
thi,usi ka jayza lene ke liye vaha ke guards use bula rahe the.usne
aah bhari & apni jeep ki chabhi utha ke apne cabin se nikal gaya.
Devika ke liye Shiva 1 naukar se zyada kuchh nahi tha & usne use
thappad bhi isiliye lagaye the magar un chanto ka jawab jis andaz me
shiva ne ise diya tha usne uske dil me uske liye kuchh aur hi jagah
bana di thi.devika ke dil me bhi ab uske liye pyar paida ho gaya tha &
uske jism ki bechaini uske dil ki besabri ki parchhayi hi thi.
apne pati ke liye abhi bhi uske dil me pyar tha & uski chinta bhi thi
magar shiva vo shalkhs tha jiske sath vo bahut mehfuz mehsus karti thi
& uske paas use bahut sukun milta tha.
jeep chalakar jate shiva ke dil me abhi bhi Suren Sahay ke estate me
na hone ka fayda na uthane ka malal tha.use apne boss pe & us waqt
baki logo ki maujoodgi pe badi khij aayi..inhi logo ki vajah se vo
abhi apni janeman ke jism ki golaiyon me nahi kho pa raha tha.use apni
bebasi pe bhi bahut gussa aa raha tha & isi bebasi & gusse ne achanak
1 aisa khayal uske dimagh me paida kiya jiske aate hi shiva ko khud se
ghin aayi & glani bhi mehsus hui-uske khij bhare dil se nikli vo baat
thi ki suren sahay mar kyu nahi jata!shiva ne 1 pal ko aankhe band ki
& khud ko hosh me laya.vo 1 imandar & namakhalal insan tha & aisi
baato ki uske dilodimagh me koi jagah nahi honi chahiye thi.usne
acclerator pe panv dabaya & jeep farrate se aage badh gayi.
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"ye lijiye mr.sahay..",Kamini ne Mukul ke hatho se stamp papers liye &
suren ji ko thamaye,"..aap dono bhaiyo se baat karne ke baad maine ye
kagzat taiyyar kiye hain.",mukul ne dusri copy Viren Sahay ko di.
"..pehle vo kararnama hai jisme likha hai ki viren ji ko is baat se
koi aitraz nahi ki aap estate & business ke faisle kaise & kya lete
hain.baki kagzat me un surato ke bare me likha hai jab aapki ya aapki
patni ki ya fir dono ki ya fir viren ji ki ya sabhi ki maut ho jane ki
surato me Prasun ka kya hoga.",dono bhai gaur se papers padh rahe the.
"mr.sahay,maine trust ka format & uske kaam karne ke bare me bhi sabhi
baate in kagazo me likh di hain.aap dono inko padh ke agar koi badlav
chahte hain to mujhe bata den.uske baad aap inpe dastkhat kar dijiyega
& aapka kaam khatm."
koi paun ghante tak dono bhai sare papers padhte rahe & unme likhi
baato pe 1 dusre se salah-mashvira karte rahe.uske baad dono kuchh
mamuli si baate jodne ko kaha & fir unpe dastkhat kar diye.kamini ne
sabhi kagzat mukul ko diye jisne use office ki tijori me band kar
diya.dono bhaiyo ke paas sare kagazo ki 1-1 copy thi.aage jake agar
suren ji ya fir viren inme koi badlav chahte to teeno copies-suren ji
ki viren ki & kamini ki-ko ikattha karke hi kamini ke hatho hi unme
badlav ho sakta tha.aisa kamini ne kararname bhi likh diya tha jispe
ab dono bhaiyo ke dastkhat the.
"thank you,kamini ji.aapne humari bahut badi mushkil aasan ki
hai.",suren ji jane ke liye uth khade hue.
"mr.sahay,yehi to mera kaam hai & mera kaam karne ke liye aapko mujhe
shukriya kehne ki zarurat nahi.aap achhi-khasi fees de rahe hain is
kaam ke liye!",kamini ki baat pe teeno hans pade,"..achha,ab ijazat
chahunga.",hath jod ke suren ji uske cabin se nikalne lage ki kamini
ko kuchh yaad aya,"mr.sahay,1 minute rukiye,please."
uske ishare pe mukul kuchh aur kagaz unke paas le aaya,"ye pre-nuptial
contract ka 1 format hai.aapne us din prasun ki shadi ke bare me baat
ki thi na to maine socha ki aap & mrs.sahay 1 baar ise dekh len aapko
bhi thoda andaza ho jayega."
"shukriya,kamini ji.ye aapne bahut achha kaam kiya.",suren ji ne
dobara hath jode & bahar chale gaye.kamini ne aankho ke kone se dekha
ki viren ko use ye baat kuchh achhi nahi lagi..aakhir vo prasun ki
baat pe aise sanjeeda & thoda tense sa kyu ho jata tha?
"achha,main bhi chalta hu,kamini ji.",viren ne apne chehre ke bhav
badal liye the & ab vahi dilkash muskan uske hotho pe khel rahi
thi,"aapne kuchh socha meri guzarish ke bare me?"
"haan viren ji,maine socha.aap kaise painter hain ab iske bare me
kuchh kehna to suraj ko diya dikhane ke barabar hoga..",tarif sun
viren ne hanste hue nazre jhuka li,1 bade vinamra insan ki
tarah.kamini bahut gaur se use dekh rahi thi,"..lekin..",viren ke
chehre se hansi gayab ho gayi,"..lekin main aapki baat nahi maan
sakti.please mujhe maaf kar dijiye."
"nahi kamini ji,isme mafi ki kya baat hai?..itna zarur kahunga ki
aapki tasveer na bana pane ka malal mujhe umra bhar rahega."
"main aapko taklif nahi pahuchana chahti magar please viren ji main ye
nahi akr sakti.",kamini ko pata tha ki ye kalakar log bade
samvedanshil hote hain,dimagh se zyada dil ka istemal karte hain &
viren bhi is inkar ko na jane kaise le.
"please,kamini ab aap mujhe sharminda kar rahi hain.aapki baat ka zara
bhi bura nahi mana maine,mera yakeen kihiye & apne dil se aisi sari
baaten nikal dijiye..ok!bye.",1 bar fir vahi dilkash muskan bikherta
viren bhi vaha se chala gaya & kamini 1 bar fir se soch me pad
gayi....ye insan naraz nahi hua thoda sa nirash zarur hua tha magar
use koi gussa nahi aaya tha....ab to uski aage ki harkato se hi pata
chal sakta tha ki uske dil me asal me kya tha-kya vo sach me uski
khubsurati ka kayal hoke uski tasvir banana chahta tha ya fir uska
shaq ki vo apne bhai ki vakil ke kareeb aana chahta tha sahi tha.
kamini thodi der khadi sochti rahi & fir apni kursi pe baith apna kaam
karne lagi.
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"namaste!namaste!Sham Lal ji,aaiye baithiye.",suren ji ne badi
garmjoshi se apne purane manager ka isteqbal kiya.
"namste,suren ji..namste ma'am.kaise hain aaplog & apna prasun kaha
hai?main uske liye ye tohfa laya tha.",sham lal ji ki umra 60 baras ki
thi & unke sar ke sare baal ud chuke the bas peechhe ki or thode se
baki the.umra ke sath unka pet bhi kuchh nikal aaya tha.vo umra me
suren ji se bade the magar fir bhi vo unhe humesha aise izzat dete the
joki 1 malik ko apne mulazim se milni chahiye thi.
"iski kya zarurat thi,sham lal ji!",devika ne unhe 1 sharbat ka glass
badhaya.unke baithte hi Rajni vaha sharbat ke glass & nashte ki
tashtariya leke aa gayi thi.usne bhi sham lal ji ko namaste kiya.
"jeeti raho,rajni.kaisi ho?",unhone 1 ghunt bhara.rajni ne unki baat
ka jawab diya & unkia & unke parivar ki khair puchh vaha se chali
gayi.
"hmm..",thodi der tak teeno idhar-udhar ki baate karte rahe uske baad
suren ji ne asal mudde ki baat chhedi jo thi prasun ki shadi,"..aap
dono ne vakil se baat karke kanooni taur pe to prasun ke hito ki
hifazat kar li hai magar fir bhi..",unhone apni thuddi khujai.
"magar kya sham lal ji?",devika ki aavaz me chinta saaf jhalak rahi thi.
"dekhiye ma'am,aap 1 aurat ke nate is baat ko zyada achhi tarah se
asmjhengi.1 ladki apne pati se keval na apne bhavishya ki
suraksha,aaram ki zindagi ki ummeed rakhti hai balki uski kuchh aur
bhi aarzuen hoti hain..kuchh arman hote hain joki keval 1 pati hi pura
kar sakta hai.",pati-patni sham lal ji ka ishara samajh gaye the.yehi
to unki khubi thi koi bhi baat badi nafasat ke sath bahut soch-vichar
ke kehte the.
"..& agar vo aarzue haqiqat me na badle to aurat baukhla jati hai & 1
baukhlai aurat ki baukhlahat ka anjam kuchh bhi ho sakta hai.ye
pre-nuptial agreement vagairah to thik hain magar farz kijiye us aurat
ko in kagaz ke tukdo ki koi parvah hi na ho to?..use keval apni
hasrato ki hi parvah ho to?"
"..yehi mushkil aapko suljhani hai..",devika ne bola,"..1 aisi ladki
dhoondiye joki mere bete ki sachchi humsafar bane..",sham lal ji kuchh
bolne vale the magar unke bolne se pehle hi devika boli,"..main aapki
baat samajh gayi hu & is bare me hume viren ne & advocate Kamini
Sharan ne bhi aagah kiya hai.sham lal ji,aap mujhe 1 sushil & suljhi
hui bahu la dijiye,aapko yakin dilati hu.uske arman,uski hasrat kabhi
bhi adhure nahi rahenge..bas 1 aisi ladki dhoond dijiye mere prasun ke
liye!",
devika ki baat itne bharose ke sath kahi gayi thi ki sham lal ji mana
nahi kar sake,"thik hai,ma'am.main aaj se hi aapke kaam pe lag jata
hu.yu samajhiye ki aapki chinta aaj se meri ho gayi."
"shukriya,sham lal ji! bahut-2 shukriya.",suren ji jazbati hogaye &
unhone unke hath pakad liye.devika ko ab thoda chain tha,use yakin tha
ki sham lal ji uske bete ke liye 1 achhi ladki zarur dhoond lenge.
"To Mr.Dhamija jab aapko humari sari sharte manzur hain to bas ye tay
karna baki reh jata hai ki aap kab se hume join karte hain.",Suren
Sahay muskuraye.Shiva bhi unke kehne pe aha chuphap baitha dono ki
baate sun raha tha.usne Inder ke bare me jo malumat hasil ki thi uske
mutabik vo bilkul sharif,imandar & mehnati shakhs tha magar na jane
kyu shiva ko kuchh khatak raha tha magar kya,ye uske dimagh me saaf
nahi ho pa raha tha.
"aap kahen to main kal se hi aa jata hu,sir."
"ye to badi achhi baat hogi,mr.dhamija.",unhone intercom utha ke apne
secretary ko bulaya.
"sir.",secretary fauran cabin me aa gaya.
"Vimal,ye hain humare naye manager,Mr.Inder Dhamija.zara inhe sabhi se
mila dena & inka cabin bhi inhe dikha dena.",fir vo inder se mukhatib
hue,"mr.dhamija,vimal aapko sare kaamo ka bhi byora de dega & agar aap
estate ka jayza lena chahen to humare security manager Mr.Shiva ke
sath jayen.inse behtar to main bhi apni estate ko nahi janta!",apni hi
baat pe suren ji khud hi hans diye to shiva bhi muskura diya.
"hunh..!ye mujhe batayega estate ke bare me!..is bechare ko kya malum
ki andheri raato me iski kamal ki security ki aankho me dhool jhonk ke
maine puri estate ke zarre-2 ko pehchana hai!",inder ke dil ke khayal
uske chehre pe nahi aaye,"..zarur,sir.vaise bhi inhe to main apna
senior hi manta hu.jitna tajurba inhe is jagah ka hai utna mujhe to
nahi hai.ummeed karta hu mr.shiva ki aap humesha meri madad karenge."
"zarur,mr.dhamija.aap befikr rahen.",shiva khada ho gaya,ab uske bhi
jane ka waqt ho gaya tha.
inder sabse ijazat leke vimal ke sath jane laga ki tabhi suren ji ne
unhe aavaz di,"are vimal,main to bhul hi gaya tha.bhai zara manager
sahab ke liye unki cottage saaf karwa dena.ye kal se hi humare sath
kaam shuru kar rahe hain."
"ok,sir.",vimal ne darwaza khola magar inder abhi bhi khada tha.
"sir."
"yes,mr.dhamija."
"sir,please.aap mujhe mr.dhamija keh ke na bulayen,inder boliye."
"ok.",suren ji muskuraye,unhone bilkul sahi shakhs chuna tha.
"..aur sir ye cottage,maaf kijiyega,magar usme kitne kamre hain?"
"sir,usme 5 kamre hain.",suren ji ko to yaad bhi nahi tha ki cottage
ki andar ki banawat kaisi hai,ye jaab inder ko vimal ne diya.
"sir,us se chhota koi ghar nahi mil sakta kya?"
"chhota!magar chhota kyu?",suren ji ke mathe pe shikan thi & hotho pe
inder ki baat samajhne ki koshish karti muskan.
"sir,main akeli jaan utne bade ghar me kya karunga.please mujhe koi
chota ghar dila dijiye."
"are inder ,aap abhi akele hain kal ko shadi hogi aapka parivar hoga
ya kabhi koi rishtedar aa gaya to?",ye pehla insan tha joki utni badi
cottage thukra ke chhota ghar mang raha tha.shiva bhi hairan tha magar
jaha uske boss ko is hairani se khushi ho rahi thi ki inder lalchi
nahi hai vahi uske dil me aur khatka hone laga tha..jo bhi ho vo is
insan pe nazar rakhega,usne tay kar liya.
"sir,jab parivar hoga to main aapse us cottage ko mang lunga lekin
please sir,abhi mujhe koi chhota ghar de dijiye."
suren ji ne vimal ki or sawaliya nigaho se dekha,"sir,hai to magar vo
quarter hai.",usne thoda sakuchate hue kaha & jaanm ke quarter ke
pehle laga servants lafz nahi bola..pata nahi kahi naye manager ko
bura lag gaya to!
"nahi!manager sahab vaha nahi rahenge."
"sir,please.usme kitne kamre hain,vimal ji?"
"ji.bas 2."
"tab to mere liye bilkul sahi hai sir."
"magar aap servant quarters me kaise reh sakte hain?"
"kyu nahi,sir.aakhir kya burai hai usme.please sir,mujhe koi aitraz
nahi hai & aage agar zarurat mehsus hui to main aapse cottage ki
chabhi mang lunga."
"thik hai.jaisi aapki marzi."
"thanx,sir.",inder vaha se nikal gaya,uska kaam ho gaya tha.use pata
tha ki kaun sa quarter khali hai-thik Rajni ke quarter ke upar
wala.manager's cottage sahay ji ke bungle se door tha magar quarter
bilkul nazdik tha & vaha se vo asani se bungle pe nazar rakh sakta
tha.
kramashah.........
आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj
--
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