Saturday, October 23, 2010

कामुक-कहानियाँ बदला पार्ट--25

कामुक-कहानियाँ

बदला पार्ट--25
गतान्क से आगे... शिवा अपनी जीप से पंचमहल से वापस एस्टेट लौट रहा
था,पिच्छले 4 दीनो मे उसने संजय & रोमा वेर्मा के बारे मे सब पता कर लिया
था।दोनो भाई बेहन कुच्छ दिन पहले ही फिर से पंचमहल आए थे.इस से पहले रोमा
अपनी पढ़ाई के चलते & संजय अपनी नौकरी के चलते दूसरे शहरो मे थे.शिवा ने
उन शहरो मे भी अपने कॉंटॅक्ट्स से पता करवाया था & हर जगह यही बात सामने
आई की दोनो निहायत शरीफ थे. शिवा को देविका का प्रसून की शादी करने का
फ़ैसला बिल्कुल भी ठीक नही लगा था.प्री-नप अग्रीमेंट & ट्रस्ट के बारे मे
जानने के बावजूद उसने देविका को अपने फ़ैसले को बदलने के लिए कहा था मगर
देविका 1 बार कुच्छ ठान लेती तो फिर उसे डिगना नामुमकिन ही था.वैसे भी
शिवा कभी भी देविका पे 1 पति जैसा हक़ नही जताता था & अपनी हद्द समझते
हुए ही उस से बात करता था.बस बिस्तर मे वो अपनी मनमानी करता था & वाहा
कोई हद्द भी नही होती थी.ऐसा इसलिए भी मुमकिन था की देविका को भी बिस्तर
मे उसकी हर हरकत बहुत अच्छी लगती थी. शिवा के ख़यालो का रुख़ अब इंदर को
ओर हुआ.सुरेन सहाय की मौत के बाद जब तक देविका ने ऑफीस मे दोबारा आना नही
शुरू किया तब तक इंदर ने ही सारा काम-काज संभाला था.शिवा ने उसे ज़रा भी
भनक नही लगने दी मगर वो हर वक़्त उसके उपर नज़र रखे हुए थे मगर इंदर पूरी
ईमानदारी & मुस्तैदी से अपना काम करता रहा. शिवा को क्या पता था की ये भी
इंदर की चाल का हिस्सा था.वो अपने काम से देविका को इतना खुश कर देना
चाहता था की वो उसपे आँख मूंद के भरोसा करने लगे & जब ऐसा हो तो वो अपनी
आगे की चाल चले.इस वक़्त अपने दफ़्तर मे बैठा इंदर यही सोच रहा था.सुरेन
सहाय नाम का काँटा तो उसने अपनी राह से निकाल फेंका था.अब बारी थी उसकी
खूबसूरत बीवी & उसके कॅम्ज़ेहन बेटे को. पिच्छली रात को उसके लंड की मार
से खुशी से तड़पति रजनी ने उसे बता दिया था की देविका ने बेटे के लिए 1
लड़की को पसंद कर लिया है.इंदर को अब इंतेज़ार था उस बेवकूफ़ लड़के की
शादी का.उस शादी के बाद ही वो देविका की ज़िंदगी मे खलबली मचा उसे इतना
परेशान कर देना चाहता था की उसे इंदर के अलावा & कोई सहारा नज़र ना
आए.वीरेन सहाय उसकी राह मे रोड़े अटका सकता था मगर कल फोन पे अपने साथी
से बात कर उसने उसे भी हटाने का उपाय सोच लिया था. बस अब जल्दी से सही
वक़्त आ जाए.उस से इंतेज़ार नही हो रहा था.उसके दिल की बेचैनी बढ़ गयी &
उसे शराब की तलब हुई मगर यहा दफ़्तर मे शराब ला वो अपने सारे किए कराए पे
पानी नही फेरना चाहता था.उसने जल्दी से जेब से सिगरेट निकाल के सुलगई &
2-3 लंबे-2 कश खींचे.उसे पूरा सुकून तो नही मिला मगर उसका दिल संभाल
ज़रूर गया.आँखे बंद कर वो अपनी कुर्सी पे सर पीछे कर बैठ गया.इस बेचैनी
को उसे काबू मे रखना था वरना वो कही उसके इन्तेक़म की आग सहाय परिवार के
बजाय उसे ही ना खाक कर दे. ------------------------------

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"ये लो बेटा..",देविका ने प्रसून को अंगूठी थमा रोमा को पहनाने का इशारा
किया.दोनो ने 1 दूसरे को अंगूठिया पहनाई,"..अब आज से तुम दोनो का रिश्ता
पक्का हुआ.",उसने अपने बेटे का हाथ उसकी होने वाली बीवी के हाथ मे
दिया.प्रसून बहुत शर्मा रहा था.संजय ने भी उसे कुच्छ पैसे पकड़ाए &
देविका के कहने पे प्रसून ने उसके पाँव छुए.शिवा के बताने के बाद उसने इस
काम मे देरी करना ज़रा भी ठीक नही समझा था & अगली सुबह ही यहा चली आई थी.
"संजय जी..",देविका अपनी होने वाली बहू के भाई से मुखातिब हुई,"..आपको तो
पता ही है की प्रसून के पिता की मौत हुए अभी ज़्यादा दिन नही हुए हैं.ऐसे
मे कोई बहुत बड़ा जश्न मनाना मुझे ठीक नही लगता.मैं चाहती हू की मेरे
वकील के बनाए अग्रीमेंट को पढ़के दस्तख़त करने के बाद दोनो की शादी कोर्ट
मे करा दी जाए.उसके बाद एस्टेट मे अपने कुच्छ बहुत करीबी रिश्तेदारो के
लिए हम दावत दे देंगे.आपका क्या कहना है?" "मुझे कोई ऐतराज़ नही है फिर
पिताजी का भी मानना था की दिखावे मे पैसे खर्च करने के बजाय अगर किसी
ज़रूरतमंद की मदद कर दी जाए तो वो बेहतर है." "ठीक है.मैं आज ही अपने
वकील से कोर्ट मे इस बात के लिए अर्ज़ी दल्वाति हू.आज से ठीक 1 महीने बाद
इनकी शादी हो जाएगी फिर आपके पिताजी की सोच की कद्र करते हुए हम 1
अनाथालय जाके इन दोनो के हाथो से वाहा के बच्चो को दान करवाएँगे & शाम को
हम दोनो अपने-2 करीबी रिश्तेदारो के लिए 1 छ्होटी सी दावत रख देंगे."
"ठीक है." "अच्छा,तो अब हम चलते हैं..",देविका उठ खड़ी हुई.उसने देखा की
प्रसून चोर निगाहो से अपनी मंगेतर को देख रहा था,"चलें,बेटा.",मा की
आवाज़ सुन वो हड़बड़ा के उठा & फिर दोनो वाहा से निकल गये.देविका ने कार
मे बैठे हुए अपने बेटे को देखा जोकि खिड़की से बाहर देख रहा था.उसने भाँप
लिया था की उसके बेटे को रोमा पसंद आ गयी थी.उसने कुच्छ दिन पहले प्रसून
के डॉक्टर से भी इस बारे मे बात की थी & उसने भी कहा था की अगर प्रसून
चाहे तो वो अपनी पत्नी को जिस्मानी तौर पे पूरी तरह से खुश रख सकता है &
इस से उसके उपर कोई असर भी नही पड़ेगा.देविका को ये भी लगा की अगर प्रसून
1 जवान मर्द वाली हरकत कर सकता है तो क्या वो 1 जवान मर्द जैसे सोच नही
सकता.क्या पता जो काम 1 मा का दुलार नही कर पाया वो बीवी की मोहब्बत कर
दे & उसका बेटा पूरा नही तो कुच्छ ठीक हो जाए! पति की मौत के बाद उसके
जीवन मे ये पहला खुशी का मौका था & वो उसे यादगार बनाना चाहती थी.वो शादी
के लिए की जाने वाली तैय्यारियो की प्लॅनिंग मे डूब गयी & प्रसून अपनी
मंगेतर के.उसे वो बहुत अच्छी लगी थी & उसे देखते ही उसका दिल किया था की
वो उसे चूम ले..वैसे नही जैसे वो मम्मी को या फिर रजनी दीदी को चूमता था
बल्कि दूसरी तरह से..पकड़ के उसके पूरे चेहरे पे..उसका कमज़ोर दिमाग़ समझ
नही पा रहा था की वो इस एहसास को क्या नाम दे. जब रोमा उसके सामने बैठी
थी तो सारी के बीच से उसे उसका चिकना पेट नज़र आया था & उसका दिल किया था
की उसे छु ले.इन ख़यालो से उसका लंड खड़ा हो गया था & पहली बार उसके
दिमाग़ मे ख्याल आया की अगर वो अपने इस खड़े हुए को रोमा के उस छेद मे
घुसाए तो मगर घुसाते कैसे हैं?..मम्मी से पुच्छू..नही!उसे शर्म आ
गयी..उसने सोचा की वो कोई और तरीके से ये पता लगाएगा.उसका दिमाग़ कमज़ोर
था मगर उसके दिल मे रोमा के रूप ने खलबली मचा दी थी जो वो अपने जिस्म मे
भी महसूस कर रहा था.उसने अपने लंड पे हाथ रख उसे दबा दिया & खिड़की से
बाहर आती-जाती गाडियो को देखने लगा.
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कामिनी ने देविका के कहने पे प्री-नप्षियल अग्रीमेंट तैय्यार कर लिया
था.इतने दिन वो और केसस मे उलझी रही & वीरेन से भी ज़्यादा नही मिल पाई
थी मगर जब भी मिली थी वीरेन ने उन पलो को यादगार बना दिया था.मसरूफ़ियत
की वजह से वो शिवा & इंदर के बारे मे ज़्यादा पता भी नही कर पाई
थी.देविका ने उसे प्रसून की शादी का न्योता भी दिया था & वीरेन ने उसे उस
मौके पे उसके साथ एस्टेट की कॉटेज मे 2 दिन गुज़ारने की गुज़ारिश की थी
जिसे उसने फ़ौरन मान लिया था.उसने तय कर लिया था की उस मौके पे वो उन
दोनो मर्दो के बारे मे भी पता करेगी & अगर उसे मुनासिब लगा तो देविका &
वीरेन को आगाह भी कर देगी. अब सभी को बस प्रसून की शादी का इंतेज़ार था
फ़र्क़ बस सब की नियत का था. "सर,हमारी कंपनी भी सारे प्रॉडक्ट्स आपको
मुहैय्या कराएगी मगर कम दामो पे.",शिवा के दफ़्तर मे 1 सेक्यूरिटी
प्रॉडक्ट्स कंपनी का सेल्स रेप बैठा था. "आपकी बात ठीक है मगर हमने पहले
ही दूसरी कंपनी को फाइनल कर लिया है." "सर,प्लीज़ 1 बार अपने फ़ैसले के
बारे मे फिर से सोच लीजिए..",वो सेल्स रेप बोलते हुए रुका फिर आस-पास
देखा,".हो सकता है,हमारे साथ-2 आपका भी फ़ायदा हो जाए.",शिवा उसकी बात का
मतलब समझ गया.वो उसे रिशवत देने की कोशिश कर रहा था. उसे गुस्सा तो बहुत
आया मगर वो ये समझता था की उस बेचारे ने भी ये बात मजबूरी मे ही कही
है.इनलोगो पे सेल बढ़ाने का इतना दबाव रहता था की ये भी हर हथकंडा अपनाने
को तैय्यार रहते थे. "आइ'एम सॉरी.",शिवा ने अपनी मेज़ पे रखी 1 फाइल खोल
ली,"..अब आप बुरा ना माने तो मैं कुच्छ काम निपटा लू." "नो-2 सर,बुरा
क्यू मानूँगा!पर आगे से प्लीज़ हमारा भी ख़याल रखिएगा." "जी.",शिवा फाइल
देखने लगा तो वो सेल्स रेप उसके कॅबिन से बाहर चला गया. वो सेल्स रेप
दफ़्तर से बाहर निकल ही रहा था की इंदर ने उसे आवाज़ दी,"हां,कहिए?",वो
सेल्स रेप उसके पास आया. "आप ज़रा मेरे साथ आइए.",& इंदर उसे अपने
क़ब्निन मे ले गया.
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सेल्स रेप के जाने के बाद शिवा आगे के बारे मे सोचने लगा,1 बार
सेक्यूरिटी सिस्टम के बारे मे आख़िरी फ़ैसला हो जाए तो वो सबसे पहले वो
पुरानी लकड़ी के बाद जो एस्टेट की सीमा पे लगी थी उसे हटवा के नयी जंग ना
लगने वाले लोहे की बाड़ लगवाएगा फिर हर बिज़्नेस के एरिया को अलग कर वाहा
वर्कर्स का बिओमेट्रिक डेटा लेके वो सिस्टम लगवाएगा.इसी दफ़्तर मे उसने 1
मॉडर्न कंट्रोल रूम बनवाने के बारे मे सोचा था. मगर ये सारे काम होने मे
अभी वक़्त था देविका आजकल बहुत मसरूफ़ थी बेटे की शादी की तय्यारियो
मे.उसके बाद ही वो इस बारे मे कोई फ़ैसला लेती & तब तक उसे बस इंतेज़ार
ही करना था.उसने वो फाइल किनारे की & दूसरी देखने लगा.
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क्रमशः....... बदला पार्ट--25 गतान्क से आगे... Shiva apni jeep se
Panchmahal se vapas estate laut raha tha,pichhle 4 dino me usne Sanjay
& Roma verma ke bare me sab pata kar liya tha.dono bhai behan kuchh
din pehle hi fir se panchmahal aaye the.is se pehle roma apni padhai
ke chalte & sanjay apni naukri ke chalte dusre shehro me the.shiva ne
un shehro me bhi apne contacts se pata karwaya tha & har jagah yehi
baat samne aayi ki dono nihayat sharif the. shiva ko Devika ka Prasun
ki shadi karane ka faisla bilkul bhi thik nahi laga tha.pre-nup
agreement & trust ke bare me jaanane ke bavjood usne devika ko apne
faisle ko badalne ke liye kaha tha magar devika 1 baar kuchh thaan
leti to fir use digana namumkin hi tha.vaise bhi shiva kabhi bhi
devika pe 1 pati jaisa haq nahi jatata tha & apni hadd samajhte hue hi
us se baat karta tha.bas bistar me vo apni manmani karta tha & vaha
koi hadd bhi nahi hoti thi.aisa isliye bhi mumkin tha ki devika ko bhi
bistar me uski har harkat bahut achhi lagti thi. shiva ke khayalo ka
rukh ab Inder ko or hua.Suren Sahay ki maut ke baad jab tak devika ne
office me dobara aana nahi shuru kiya tab tak inder ne hi sara
kaam-kaaj sambhala tha.shiva ne use zara bhi bhanak nahi lagne di
magar vo har waqt uske upar nazar rakhe hue the magar inder puri
imandari & mustaidi se apna kaam karta raha. shiva ko kya pata tha ki
ye bhi inder ki chaal ka hissa tha.vo apne kaam se devika ko itna
khush kar dena chahta tha ki vo uspe aankh mund ke bharosa karne lage
& jab aisa ho to vo apni aage ki chaal chale.is waqt apne daftar me
baitha inder yehi soch raha tha.suren sahay naam ka kanta to usne apni
raah se nikal fenka tha.ab bari thi uski khubsurat biwi & uske
kamzehan bete ko. pichhli raat ko uske lund ki maar se khushi se
tadapti rajni ne use bata diya tha ki devika ne bete ke liye 1 ladki
ko pasand kar liya hai.inder ko ab intezar tha us bevkuf ladke ki
shadi ka.us shadi ke baad hi vo devika ki zindagi me khalbali macha
use itna pareshan kar dena chahta tha ki use inder ke alawa & koi
sahara nazar na aaye.Viren Sahay uski raah me rode atka sakta tha
magar kal fone pe apne sathi se baat kar usne use bhi hatane ka upay
soch liya tha. bas ab jaldi se sahi waqt aa jaye.us se intezar nahi ho
raha tha.uske dil ki bechaini badh gayi & use sharab ki talab hui
magar yaha daftar me sharab la vo apne sare kiye karaye pe pani nahi
ferna chahta tha.usne jaldi se jeb se cigarette nikal ke sulgayi & 2-3
lambe-2 kash khinche.use pura sukun to nahi mila magar uska dil
sambhal zarur gaya.aankhe band kar vo apni kursi pe sar peechhe kar
baith gaya.is bechaini ko use kabu me rakhna tha varna vo kahi uske
inteqam ki aag sahay parivar ke bajay use hi na khak kar de.
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"ye lo beta..",devika ne prasun ko anguthi thama roma ko pehnane ka
ishara kiya.dono ne 1 dusre ko anguthiya pehnayi,"..ab aaj se tum dono
ka rishta pakka hua.",usne apne bete ka hath uski hone wali biwi ke
hath me diya.prasun bahut sharma raha tha.sanjay ne bhi use kuchh
paise pakdaye & devika ke kehne pe prasun ne uske panv chhue.shiva ke
batane ke baad usne is kaam me deri karna zara bhi thik nahi samjha
tha & agli subah hi yaha chali aayi thi. "sanjay ji..",devika apni
hone wali bahu ke bhai se mukhatib hui,"..aapko to pata hi hai ki
prasun ke pita ki maut hue abhi zyada din nahi hue hain.aise me koi
bahut bada jashn manana mujhe thik nahi lagta.main chahti hu ki mere
vakil ke banaye agreement ko padhke dastkhat karne ke baad dono ki
shadi court me kara di jaye.uske baad estate me apne kuchh bahut
karibi rishtedaro ke liye hum dawat de denge.aapka kya kehna hai?"
"mujhe koi aitraz nahi hai fir pitaji ka bhi maanana tha ki dikhawe me
paise kharch karne ke bajay agar kisi zaruratmand ki madad kar di jaye
to vo behtar hai." "thik hai.main aaj hi apne vakil se court me is
baat ke liye arzi dalwati hu.aaj se thik 1 mahine baad inki shadi ho
jayegi fir aapke pitaji ki soch ki kadr karte hue hum 1 anathalay jake
in dono ke hatho se vaha ke bachcho ko daan karwayenge & sham ko hum
dono apne-2 karibi rishtedaro ke liye 1 chhoti si dawat rakh denge."
"thik hai." "achha,to ab hum chalte hain..",devika uth khadi hui.usne
dekha ki prasun chor nigaho se apni mangetar ko dekh raha
tha,"chalen,beta.",maa ki avaz sun vo hadbada ke utha & fir dono vaha
se nikal gaye.devika ne car me baithe hue apne bete ko dekha joki
khidki se bahar dekh raha tha.usne bhanp liya tha ki uske bete ko roma
pasand aa gayi thi.usne kuchh din pehle prasun ke doctor se bhi is
bare me baat ki thi & usne bhi kaha tha ki agar prasun chahe to vo
apni patni ko jismani taur pe puri tarah se khush rakh sakta hai & is
se uske upar koi asar bhi nahi padega.devika ko ye bhi laga ki agar
prasun 1 jawan mard vali harkat kar sakta hai to kya vo 1 jawan mard
jaise soch nahi sakta.kya pata jo kaam 1 maa ka dular nahi kar paya vo
biwi ki mohabbat kar de & uska beta pura nahi to kuchh thik ho jaye!
pati ki maut ke baad uske jiwan me ye pehla khushi ka mauka tha & vo
use yaadgar banana chahti thi.vo shadi ke liye ki jane vali taiyyariyo
ki planning me doob gayi & prasun apni mangetar ke.use vo bahut achhi
lagi thi & use dekhte hi uska dil kiya tha ki vo use chum le..vaise
nahi jaise vo mummy ko ya fir rajni didi ko chumta tha balki dusri
tarah se..pakad ke uske pure chehre pe..uska kamzor dimagh samajh nahi
pa raha tha ki vo is ehsas ko kya naam de. jab roma uske samne baithi
thi to sari ke beech se use uska chikna pet nazar aaya tha & uska dil
kiya tha ki use chhu le.in khayalo se uska lund khada ho gaya tha &
pehli baar uske dimagh me kahayal aaya ki agar vo apne is khade hue ko
roma ke us chhed me ghusaye to magar ghusate kaise hain?..mummy se
puchho..nahi!use sharm aa gayi..usne socha ki vo koi aur tarike se ye
pata lagayega.uska dimagh kamzor tha magar uske dil me roma ke roop ne
khalbali macha di thi jo vo apne jism me bhi mehsus kar raha tha.usne
apne lund pe hath rakh use daba diya & khidki se bahar aati-jati
gaadiyo ko dekhne laga.
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Kamini ne devika ke kehne pe pre-nuptial agreement taiyyar kar liya
tha.itne din vo aur cases me uljhi rahi & viren se bhi zyada nahi mil
payi thi magar jab bhi mili thi viren ne un palo ko yadgar bana diya
tha.masrufiat ki vajah se vo shiva & inder ke bare me zyada pata bhi
nahi kar payi thi.devika ne use prasun ki shadi ka nyota bhi diya tha
& viren ne use us mauke pe uske sath estate ki cottage me 2 din
guzarne ki guzarish ki thi jise usne fayran maan liya tha.usne tay kar
liya tha ki us mauke pe vo un dono mardo ke bare me bhi pata karegi &
agar use munasib laga to devika & viren ko aagah bhi kar degi. ab
sabhi ko bas prasun ki shadi ka intezar tha farq bas sab ki niyat ka
tha. "Sir,humari company bh sare products aapko muhaiyya karayegi
magar kam damo pe.",Shiva ke daftar me 1 security products comapny ka
sales rep baitha tha. "aapki baat thik hai magar humne pehle hi dusri
company ko final kar liya hai." "sir,please 1 baar apne faisle ke bare
me fir se soch lijiye..",vo sales rep bolte hue ruka fir aas-paas
dekha,".ho sakta hai,humare sath-2 aapka bhi fayda ho jaye.",shiva
uski baat ka matlab samajh gaya.vo use rishawat dene ki koshish kar
raha tha. use gussa to bahut aaya magar vo ye samajhta tha ki us
bechare ne bhi ye baat majburi me hi kahi hai.inlogo pe sale badhane
ka itna dabav rehta tha ki ye bhi har hathkanda apnane ko taiyyar
rehte the. "i'm sorry.",shiva ne apni mez pe rakhi 1 file khol
li,"..ab aap bura na mane to main kuchh kaam nipta lu." "no-2 sir,bura
kyu manunga!par aage se please humara bhi khayal rakhiyega."
"ji.",shiva file dekhne laga to vo sales rep uske cabin se bahar chala
gaya. vo sales rep daftar se bahar nikal hi raha tha ki Inder ne use
aavaz di,"haan,kahiye?",vo sales rep uske paas aaya. "aap zara mere
sath aaiye.",& inder use apne cabnin me le gaya.
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sales rep k jane ke baad shiva aage ke bare me sochne laga,1 baar
security system ke bare me aakhiri faisla ho jaye to vo sabse pehle vo
purani lakdi k baad jo estate ki seema pe lagi thi use hatwa ke nayi
azng na lagne vale lohe ki baad lagwayega fir har business ke area ko
alag kar vaha workers ka biometric data leke vo system lagwayega.isi
daftar me usne 1 modern control room banwane ke bare me socha tha.
magar ye sare kaam hone me abhi waqt tha.Devika aajkal bahut masruf
thi bete ki shadi ki tayyariyo me.uske baad hi vo is bare me koi
faisla leti & tab tak use bas intezar hi karna tha.usne vo file kinare
ki & dusri dekhne laga.
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kramashah.......


आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj

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