बदला पार्ट--27
गतान्क से आगे... "वीरेन..",बिस्तर पे पेट के बल पड़ी कामिनी ने अपनी पीठ
पे पड़े अपने प्रेमी को पुकारा. "हूँ..",वीरेन कुच्छ ही देर पहले झाड़ा
था & उसके सिकुदे लंड से अभी भी थोड़ा पानी कामिनी की चूत मे रिस रहा था.
"मुझे लगा की उस खिड़की के बाहर कोई खड़ा था." "क्या?",वीरेन फ़ौरन उठा
अपना अंडरवेर पहनते हुए खिड़की के पास पहुँच उसे खोल बाहर देखा,"..यहा तो
कोई भी नही है.",वो वैसे ही कॉटेज के बाहर निकल गया.कामिनी ने भी अपने
बदन पे चादर डाली & उसके पीछे-2 अंदर के कमरे से बाहर के कमरे मे आई.तब
तक वीरेन वापस अंदर आके दरवाज़ा बंद कर रहा था. "मुझे तो कोई नज़र नही
आया.तुम्हे यकीन है की तुम्हे वेहम नही हुआ था?" "हां,वीरेन मुझे यकीन
है,वाहा कोई तो था." "जो भी था.वो अब चला गया.",उसने उसके कंधे पे हाथ
रखा & दोनो वापस बेडरूम मे आ गये & बिस्तर पे लेट गये. "कौन होगा वीरेन?"
"पता नही ऐसी बेहूदा हरकत कौन करेगा.हो सकता है कोई रात का चौकीदार हो
जिसने हमारी आवाज़े सुन ली हो & छुप के हमारी चुदाई देखने लगा हो.",वीरेन
ने 1 बार फिर उसे बाँहो मे भर लिया. "हूँ..",कामिनी ने पहले सोचा की उसे
दवा की डिबिया के बारे मे बताडे मगर फिर उसने सोचा की क्यू ना पहले थोड़ी
छनबीन करले & उसने वो बात अपने दिल मे ही रखी.जितनी देर वो सोच रही थी
उतनी देर मे वीरेन ने अपना अंडरवेर निकाल दिया था & 1 बार फिर उसके जिस्म
से खेलने लगा था.कामिनी ने भी उसके बदन पे अपनी बाहे लपेट दी & उसकी
हर्कतो का लुत्फ़ उठाने लगी. ------------------------------
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"आआआआहह...प्रसुउउन्न्न्न्न..!",रोमा झाड़ रही थी मगर प्रसून अभी भी उसके
उपर चढ़ा धक्के लगाए जा रहा था. "ऊहह..आअहह..!",प्रसून भी बहुत ज़ोर से
कराहा & रोमा ने उसका गर्म वीर्या अपनी चूत मे भरता मेशसूस किया.उसे बहुत
मज़ा आया था,उसने अपने पति को बाहो मे भर लिया & उसके सर को चूमने लगी.
प्रसून के लिए ये बिल्कुल अनोखा एहसास था.ऐसा मज़ा उसे कभी नही आया
था.उसे अपनी ये नयी दोस्त बहुत अच्छी लगी थी & उसने सोच लिया था की अब वो
रोज़ उसके साथ ये खेल खेलेगा.
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काफ़ी रात हो गयी थी.कामिनी ने सर घूमके पास मे सोए वीरेन को देखा & फिर
बिस्तर से उठ गयी.अपना सूटकेस खोल उसने अपना ट्रॅक्सयूट निकाल के फटफट
पहना & पैरो मे जूते डाले.वो जानती थी की वीरेन अब सीधा सुबह होने पे
उठेगा & उठते ही 1 बार फिर उसके नशीले जिस्म के साथ खेलने मे जुट जाएगा.
जूते के फीते बाँध वो कॉटेज से निकली & आसपास का जायज़ा लेने लगी.खिड़की
के नीचे की फूलो की क्यारी किसी जूते के तले मसली हुई थी यानी की उसे कोई
वेहम नही हुआ था.उसने उस जगह के आस-पास देखा,जब दावत हो रही थी उस वक़्त
थोड़ी बारिश हुई थी & उसकी वजह से मिट्टी गीली थी & उसपे किसी के जुतो के
निशान थे. वीरेन तो नंगे पाँव बाहर गया था तो ये निशान आख़िर थे
किसके?कामिनी उन निशानो के पीछे जाने लगी तो वो कॉटेज से कुच्छ दूरी पे
बनी झाड़ियो के पास जाके ख़त्म हो गये.कामिनी उन झाड़ियो के पार हो गयी &
देखा की निशान फिर शुरू हो गये हैं. उनके पीछे चलते हुए वो मॅनेजर'स
कॉटेज तक पहुँच गयी..जो भी था वो यही से आया था.उसे डर तो बहुत लग रहा था
मगर ये पता करना ज़रूरी था की कौन जासूसी कर रहा है.कॉटेज के पास पहुँच
कामिनी हैरत मे पड़ गयी. कॉटेज के दरवाज़े पे 1 ताला लगा था.आस-पास काफ़ी
धूल थी जोकि बारिश की वजह से थोडा जम गयी थी मगर उसपे वो जूतो के निशान
नही थे.कामिनी ने तले को जाँचा.ताला मज़बूत था & लगता था की काफ़ी दीनो
से लगा हुआ है.उसने कॉटेज की खिड़कियो से अंदर झाँका मगर अंदर की हालत
देख कर लगा नही की वाहा हाल मे कोई आया था. कामिनी ने कॉटेज की अच्छे
तरीके से छन्बिन करने के बाद वाहा से वापस वीरेन की कॉटेज की तरफ आते हुए
सर घुमा के देखा तो उसे बुंगला & सर्वेंट क्वॉर्टर्स नज़र आए.उसने
क्वॉर्टर्स को चेक करने का फ़ैसला किया.क्वॉर्टर्स 4 2 मंज़िला इमाराते
थी.पहली 3 के बाहर खड़ी हो कामिनी ने अंदर की आवाज़ो पे कान लगाया.हर
क्वॉर्टर से पंखे के चलने की आवाज़ आ रही थी.तीनो इमारतो की पहली मंज़िलो
को भी सर उठा के देखने पे उसे ऐसा ही लगा की अंदर मौजूद लोग सो रहे हैं.
कामिनी अब चौथी इमारत के पास थी.उसने निचली मंज़िल के क्वॉर्टर की खिड़की
पे कान लगाया तो उसे हल्की चीख सुनाई दी जोकि शायद पीछे की ओर से आई
थी.वो भाग के क्वॉर्टर के पीछे पहुँची मगर पिच्छला दरवाज़ा बंद था.पीछे
के कमरे की खिड़की थोडा ऊँची थी.कामिनी ने पास पड़ी कुच्छ ईंटो को खिड़की
के नीचे लगाया & उनपर खड़े हो अंदर झाँका. अंदर रजनी उसी पोज़िशन मे थी
जिसमे थोड़ी देर पहले वो थी जब उसने उस आदमी को खिड़की पे देखा था-यानी
की हाथो & घुटनो पे.उसे देखते ही कामिनी को चीख का कारण समझ आ गया.इंदर
रजनी क पीछे घुटनो पे खड़ा उसकी गंद मे अपना लंड घुसा रहा था. कामिनी
नीचे उतरी & उन ईंटो को वापस उनकी जगह पे रखा.वो इंदर को तो पहचान गयी थी
मगर वो लड़की कौन थी?उसे इतना तो समझ आ गया था की उसकी खिड़की के बाहर
खड़ा इंसान इंदर नही था.तो फिर था कौन? सवाल का जवाब ढूंडती कामिनी वापस
वीरेन की कॉटेज मे आ गयी थी.उसने अपने कपड़े & जूते उतारे.वीरेन अभी भी
बेख़बर सो रहा था.नंगी हो वो जैसे ही बिस्तर पे लेटी की उसके दिमाग़ मे 1
ख़याल कौंधा.कही शिवा तो नही था वो झाँकने वाला शख्स?..वो बंगल के अंदर
से आया होगा & फिर देख के चला गया होगफा?मगर वो क्या देखने आया था?..कही
उसी ने तो सुरेन जी की दवा के साथ छेड़ खानी तो नही की थी? कामिनी ने
करवट बदली..हां..वही था..& आज रात भी वो ज़रूर वीरेन को नुकसान पहुचने की
गरज से यहा आया होगा लेकिन जब उसने देख की वो अकेला नही है तो वाहा से
चला गया होगा..मगर वो क्यू उसे नुकसान पहुचाना चाहता था?....आख़िर वीरेन
को नुकसान पहुँचा के क्या मिलता उसे? उसने फिर करवट बदली..या फिर ऐसा तो
नही की वो किसी के कहने पे ऐसा कर रहा हो?..मगर किसके कहने
पे?...देविका!..तो क्या देविका ने ही अपने पति की दवा के साथ कुच्छ छेड़
खानी कर उसे मारा था & अब देवर को भी मारना चाहती थी?..लेकिन वो ऐसा क्यू
करेगी?वीरेन को कोई दिलचस्पी नही थी पैसो मे & सुरेन जी के बाद सब कुच्छ
तो वैसे भी उसी का होता..तो फिर क्या वजह हो सकती थी?..या कही ऐसा तो नही
की शिवा ही सब कुच्छ हड़पने के चक्कर मे हो मगर दोनो भाइयो की मौत से उसे
क्या हासिल होगा?..उनके बाद तो सब देविका के पास होगा. और तब कामिनी को
जैसे सब समझ मे आ गया.सुरेन जी ने जो सारी वसीयते लिखी थी उन तीनो सुरतो
मे ये नही लिखा था की उन दोनो भाइयो की मौत के बाद जब देविका हर चीज़ की
अकेली मालकिन होगी,उस वक़्त अगर वो दूसरी शादी कर ले तो क्या होगा?कामिनी
को शिवा की चाल समझ आ रही थी,वीरेन की मौत के बाद वो देविका से शादी करता
& फिर प्रसून & देविका को भी अपने रास्ते से हटा देता.उसके बाद हर चीज़
उसकी थी. कामिनी को पसीने छूट गये.क्या शिवा इतना ख़तरनाक आदमी
था?..लेकिन अगर उसने अभी कुच्छ कहा तो हो सकता है वो संभाल जाए & उसे
झूठा भी साबित कर दे उसके पास सबूत जो नही था कोई.उसे बहुत संभाल के कदम
उठाने थे.सबसे पहले तो उसे वीरेन को आगाह करना था & फिर ये पक्का करना था
की देविका शिवा के साथ मिली हुई थी या फिर शिवा उसे धोखे मे रख उसका
इस्तेमाल कर रहा था. उसने जमहाई ली,उसे नींद आ रही थी.उसने आँखे बंद कर
ली & इन सारे ख़यालो को दिमाग़ से निकाल सोने की कोशिश करने लगी.सुबह
होने मे कुच्छ घंटे ही थे & उसे पता था की सूरज की पहली किरण के साथ ही
वीरेन 1 बार फिर उसके जिस्म के साथ खेलने मे जुट जाएगा.वो उस से पहले
अपनी नींद पूरी कर लेना चाहती थी.उसने करवट ली & बेख़बर सो रहे वीरेन के
सीने से सर लगा के सोने लगी. "देविका जी,..",कामिनी सहाय परिवार के बंगल
के ड्रॉयिंग रूम मे वीरेन & देविका के साथ बैठी चाइ पी रही थी,"..प्रसून
की शादी हो गयी है,अब मुझे लगता है की आपको अपनी वसीयत तैय्यार कर लेनी
चाहिए." "जी.",देविका अपने कप से चाइ पीती रही.थोड़ी देर की खामोशी के
बाद उसने प्याली मेज़ पे रखी,"..कामिनी जी,क्या मैं कुच्छ दिन रुक के ये
वसीयत कर सकती हू?" "ये तो आपकी मर्ज़ी है.",कामिनी के दिमाग़ मे पिच्छले
रात के ख़याल घूमने लगे & वो देविका की बातो से ये भाँपने की कोशिश करने
लगी की वो & शिवा मिले हुए थे या फिर देविका का इस्तेमाल हो रहा
था,"..लेकिन मेरी राई तो यही होगी की जितना जल्दी करें उतना अच्छा होगा."
"ठीक है.मैं कुच्छ दीनो मे आपके पास आती हू." "बहुत अच्छे.",रजनी चाइ के
झूठे प्याले & बाकी खाने का समान वाहा से हटा रही थी.
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"ये देखो,कामिनी.",वीरेन कामिनी का हाथ पकड़े उसे पेड़ो के झुर्मुट से
निकल 1 खुली सी जगह मे ले आया था.आज सवेरे के नाश्ते के बाद से ही वो उसे
एस्टेट की 1 जीप मे वाहा की सैर करा रहा था. "वाउ!",कामिनी की नज़रो के
सामने 1 पानी की छ्होटी सी झील थी. "सुंदर है ना?",वीरेन उसके पास आ अपनी
बाँह उसकी कमर मे डाल उसके साथ कुद्रत के उस हसीन नज़ारे को उसके साथ
निहारने लगा. "बहुत." "पता है मैने क्या सोचा है की अगली बार जब हम यहा
आएँ तो मैं तुम्हारी पैंटिंग बनाउन्गा." "अच्छा!",कामिनी घूम के उसके
सामने उस से सॅट के खड़ी हो गयी,"..कैसी पैंटिंग बनाएँगे जनाब?जैसी आजकल
आप अपने स्टूडियो मे बनाते हैं?",बड़ी शोखी के साथ उसके सीने पे उसने
अपने हाथ रख दिए & उसके शर्ट के बटन्स से खेलने लगी. "आपने बिल्कुल ठीक
समझा,मोहतार्मा!",वीरेन ने भी उसे उसी अंदाज़ मे जवाब दिया.दोनो अपनी ही
बातों पे आप ही हंस पड़े & 1 दूसरे की बाहो मे समाते हुए चूमने लगे.दोनो
प्रेमी 1 दूसरे मे खोए हुए थे & दोनो मे से किसी का ध्यान पेड़ो के पीछे
छुपे उनकी हर्कतो पे नज़र रखे हुए इंदर पे गया ही नही.
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प्रसून 1 ही रात मे रोमा का दीवाना हो गया था.जिस बात के बारे मे उसे
उसकी मा ने बताया था,उसकी बीवी ने उसे उस खेल की हक़ीक़त से वाकिफ़ कराया
था & उसे वो हक़ीक़त बड़ी ही पूर्कशिष & नशीली लगी थी.रोमा अभी-2 नहा के
निकली थी & उसके बदन पे बस 1 तौलिया बँधा था.उस तौलिए के उपर से प्रसून
को,उसका हल्का सा क्लीवेज & मस्त,मांसल जंघे,बड़ी ललचाती हुई सी लग रही
थी. वो आगे बढ़ा & अपनी बीवी को बाहो मे भर लिया & चूमने लगा,"अरे!अरे!
क्या करते हैं?..औउ...अभी नही..प्लीज़ प्रसून...ऊव्व...!",रोमा ने हंसते
हुए उसे परे धकेला. "उम्म..क्यू नही?",प्रसून ने उसे फिर से बाहो मे भरना
चाहा.प्रसून के हाव-भाव & सोच तो 1 बच्चे जैसी थी मगर हरकते वो बडो वाली
करना चाह रहा था.रोमा को इस बात से बड़ी हँसी आ रही थी.टवल उतार कर उसने
बिस्तर पे रखे ब्रा को अपने कंधो पे चढ़ाया. "हर चीज़ का 1 वक़्त होता
है..",उसने अपनी पीठ प्रसून के आगे की,"..अब बिना शरारत किए मेरे हुक्स
लगाइए.",प्रसून ने हुक्स लगाने के बजाय पीछे से उसे बाहो मे भर उसकी
चूचिया मसल दी & उसे चूमने लगा.अपनी गंद मे चुभता पति का तगड़ा लंड तो
रोमा को भी मदहोश कर रहा था मगर अभी अगर वो प्रसून के साथ चुदाई मे लग
जाती तो उसे देर हो जाती & उसे ये बिल्कुल अच्छा नही लगता की शादी के बाद
पहली ही सुबह वो देर से अपने कमरे से बाहर आए. "ओई मा..!",वो उसकी
गिरफ़्त से किसी तरह निकली & जल्दी से खुद ही हुक्स लगा लिए,"..मैने कहा
ना प्रसून की हर चीज़ का 1 वक़्त होता है.ये सब हम रात को करेंगे.",उसने
जल्दी से अपनी पॅंटी चढ़ाई.प्रसून के चेहरे पे उदासी & गुस्सा दोनो आ गये
थे & वो बच्चो की तरह रूठ कर बिस्तर के कोने पे बैठ गया. रोमा ने फटफट
अपनी सारी पहनी & अपने रूठे हुए पति के आपस आ बैठी,"नाराज़ क्यू होते
हैं?",उसने उसका चेहरा अपनी तरफ किया,"..देखिए अभी मम्मी नीचे हमारा
नाश्ते पे इंतेज़ार कर रही होंगी ना!हूँ?" प्रसून ने हा मे सर हिलाया.
"तो उन्हे इंतेज़ार कराना बुरी बात होगी ना?" उसने फिर से हां मे सर
हिलाया. "इसलिए तो मना कर रही थी.हम रात को ये सब करेंगे.",उसने उसे खड़ा
किया,"..ठीक है ना.अब तो नाराज़ मत रहिए.",उसने उसके गाल पे चूमा,"..चलिए
नीचे मम्मी के पास चलें." "चलो.",प्रसून अपनी बीवी का हाथ थाम कमरे से
निकल गया. -------------------------------------------------------------------------------
क्रमशः...........
बदला पार्ट--27 गतान्क से आगे... "Viren..",bistar pe pet ke bal padi
Kamini ne apni pith pe pade apne premi ko pukara. "hun..",viren kuchh
hi der pehle jhada tha & uske sikude lund se abhi bhi thoda pani
kamini ki chut me ris raha tha. "mujhe laga ki us khidki ke bahar koi
khada tha." "kya?",viren fauran utha apna underwear pehante hue khidki
ke paas pahunch use khol bahar dekha,"..yaha to koi bhi nahi hai.",vo
vaise hi cottage ke bahar nikal gaya.kamini ne bhi apne badan pe
chadar dali & uske peechhe-2 andar ke kamre se bahar ke kamre me
aayi.tab tak viren vapas andar aake darwaza band kar raha tha. "mujhe
to koi nazar nahi aaya.tumhe yakin hai ki tumhe vaham nahi hua tha?"
"haan,viren mujhe yakin hai,vaha koi to tha." "jo bhi tha.vo ab chala
gaya.",usne uske kandhe pe hath rakha & dono vapas bedroom me aa gaye
& bistar pe let gaye. "kaun hoga viren?" "pata nahi aisi behuda harkat
kaun karega.ho sakta hai koi raat ka chaukidar ho jisne huamri aavaze
sun li ho & chhup ke humari chudai dekhne laga ho.",viren ne 1 bar fir
use baho me bhar liya. "hun..",kamini ne pehle socha ki use dawa ki
dibiya ke bare me batade magar fir usne socha ki kyu na pehle thodi
chhanbeen karle & usne vo baat apne dil me hi rakhi.jitni der vo soch
rahi thi utni der me viren ne apna underwear nikal diya tha & 1 baar
fir uske jism se khelne laga tha.kamini ne bhi uske badan pe apni
baahe lapet di & uski harkato ka lutf uthane lagi.
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"aaaaaaaahhhhhh...prasuuunnnnn..!",roma jhad rahi thi magar prasun
abhi bhi uske upar chadha dhakke lagaye ja raha tha.
"oohhh..aaahhhhh..!",prasun bhi bahut zor se karaha & roma ne uska
garm virya apni chut me bharta meshsus kiya.use bahut maza aaya
tha,usne apne pati ko baaho me bhar liya & uske sar ko chumne lagi.
prasun ke liye ye bilkul anokha ehsas tha.aisa maza use kabhi nahi
aaya tha.use apni ye nayi dost bahut achhi lagi thi & usne soch liya
tha ki ab vo roz uske sath ye khel khelega.
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kafi raat ho gayi thi.kamini ne sar ghumake paas me soye viren ko
dekha & fir bistar se uth gayi.apna suitcase khol usne apna tracksuit
nikal ke fatfat pehna & pairo me jute dale.vo janti thi ki viren ab
seedha subah hone pe uthega & uthate hi 1 bar fir uske nashile jism ke
sath khelne me jut jayega. jute ke feete bandh vo cottage se nikali &
aaspaas ka jayza lene lagi.khidki ke neeche ki phoolo ki kyari kisi
jute ke tale masli hui thi yani ki use koi vaham nahi hua tha.usne us
jagah ke aas-paas dekha,jab davat ho rahi thi us waqt thodi barish hui
thi & uski vajah se mitti gili thi & uspe kisi ke juto ke nishan the.
viren to nange panv bahar gaya tha to ye nishan aakhir the
kiske?kamini un nishano ke peechhe jane lagi to vo cottage se kuchh
duri pe bani jhadiyo ke paas jake khatm ho gaye.kamini un jhadiyo ke
paar ho gayi & dekha ki nishan fir shuru ho gaye hain. unke peechhe
chalte hue vo manager's cottage tak pahunch gayi..jo bhi tha vo yehi
se aaya tha.use darr to bahut lag raha tha magar ye pata karna zaruri
tha ki kaun jasoosi kar raha hai.cottage ke paas pahunch kamini hairat
me pad gayi. cottage ke darwaze pe 1 tala laga tha.aas-paas kafi dhool
thi joki barish ki vajah se thoda jam gayi thi magar uspe vo jooto ke
nishan nahi the.kamini ne tale ko jaancha.tala mazboot tha & lagta tha
ki kafi dino se laga hua hai.usne cottage ki khidkiyo se andar jhanka
magar andar ki halat dekh kar laga nahi ki vaha haal me koi aaya tha.
kamini ne cottage ki achhe tarike se chhanbin karne ke baad vaha se
vapas viren ki cottage ki taraf aate hue sar ghuma ke dekha to use
bungla & servant quarters nazar aaye.usne quarters ko check karne ka
faisla kiya.quarters 4 2 manzila imarate thi.pehli 3 ke bahar khadi ho
kamini ne andar ki aavazo pe kaan lagaya.har quarter se pankhe ke
chalne ki aavaz aa rahi thi.teeno imarato ki pehli manzilo ko bhi sar
utha ke dekhne pe use aisa hi laga ki andar maujood log so rahe hain.
kamini ab chauthi imarat ke paas thi.usne nichli manzil ke quarter ki
khidki pe kaan lagaya to use halki chikh sunai di joki shayad peechhe
ki or se aayi thi.vo bhag ke quarter ke peechhe pahunchi magar pichhla
darwaza band tha.peechhe ke kamre ki khidki thoda oonchi thi.kamini ne
paas padi kuchh eento ko khidki ke neeche lagaya & unpar khade ho
andar jhanka. andar Rajni usi position me thi jisme thodi der pehle vo
thi jab usne us aadmi ko khidki pe dekha tha-yani ki hatho & ghutno
pe.use dekhte hi kamini ko chikh ka kaaran samajh aa gaya.Inder rajni
k peechhe ghutno pe khada uski gand me apna lund ghusa raha tha.
kamini neeche utri & un eento ko vapas unki jagah pe rakha.vo inder ko
to pehchan gayi thi magar vo ladki kaun thi?use itna to samajh aa gaya
tha ki uski khidki ke bahar khada insan inder nahi tha.to fir tha
kaun? sawal ka jawab dhoondti kamini vapas viren ki cottage me aa gayi
thi.usne apne kapde & jute utare.viren abhi bhi bekhabar so raha
tha.nangi ho vo jaise hi bistar pe leti ki uske dimagh me 1 khayal
kaundha.kahi shiva to nahi tha vo jhankane vala shakhs?..vo bungle ke
andar se aaya hoga & fir dekh ke chala gaya hogfa?magar vo kya dekhne
aaya tha?..kahi usi ne to Suren ji ki dawa ke sath chhedkhani to nahi
ki thi? kamini ne karwat badli..haan..vahi tha..& aaj raat bhi vo
zarur viren ko nuksan pahuchane ki garaj se yaha aaya hoga lekin jab
usne dekh ki vo akela nahi hai to vaha se chala gaya hoga..magar vo
kyu use nuksan pahuchana chahta tha?....aakhir viren ko nuksan
pahuncha ke kya milta use? usne fir karwat badli..ya fir aisa to nahi
ki vo kisi ke kehne pe aisa kar raha ho?..magar kiske kehne
pe?...Devika!..to kya devika ne hi apne pati ki dawa ke sath kuchh
chhedkhani kar use mara tha & ab devar ko bhi marna chahti thi?..lekin
vo aisa kyu karegi?viren ko koi dilchaspi nahi thi paiso me & suren ji
ke baad sab kuchh to vaise bhi usi ka hota..to fir kya vajah ho sakti
thi?..ya kahi aisa to nahi ki shiva hi sab kuchh hadapne ke chakkar me
ho magar dono bhiyo ki maut se use kya hasil hoga?..unke baad to sab
devika ke paas hoga. aur tab kamini ko jaise sab samajh me aa
gaya.suren ji ne jo sari vasiyate likhi thi un teeno surato me ye nahi
likha tha ki un dono bhaiyo ki maut ke baad jab devika har chiz ki
akeli malkin hogi,us waqt agar vo dusri shadi kar le to kya
hoga?kamini ko shiva ki chaal samajh aa rahi thi,viren ki maut ke baad
vo devika se shadi karta & fir prasun & devika ko bhi apne raste se
hata deta.uske baad har chiz uski thi. kamini ko paseene chhut
gaye.kya shiva itna khatarnak aadmi tha?..lekin agar usne abhi kuchh
kaha to ho sakta hai vo sambhal jaye & use jhutha bhi sabit kar de
uske paas saboot jo nahi tha koi.use bahut sambhal ke kadam uthane
the.sabse pehle to use viren ko aagah karna tha & fir ye pakka karna
tha ki devika shiva ke sath mili hui thi ya fir shiva use dhokhe me
rakh uska istemal kar raha tha. usne jamhai li,use nind aa rahi
thi.usne aankhe band kar li & in sare khayalo ko dimagh se nikal sone
ki koshish karne lagi.subah hone me kuchh ghante hi the & use pata tha
ki suraj ki pehli kiran ke sath hi viren 1 baar fir uske jism ke sath
khelne me jut jayega.vo us se pehle apni nind puri kar lena chahti
thi.usne karwat li & bekhabar so rahe viren ke seene se sar laga ke
sone lagi. "Devika ji,..",Kamini Sahay parivar ke bungle ke drawing
room me Viren & Devika ke sath baithi chai pi rahi thi,"..Prasun ki
shadi ho gayi hai,ab mujhe lagta hai ki aapko apni vasiyat taiyyar kar
leni chahiye." "ji.",devika apne cup se chai piti rahi.thodi der ki
khamoshi ke baad usne pyali mez pe rakhi,"..kamini ji,kya main kuchh
din ruk ke ye vasiyat kar sakti hu?" "ye to aapki marzi hai.",kamini
ke dimagh me pichhle raat ke khayal ghumne lage & vo devika ki baato
se ye bhanpne ki koshish karne lagi ki vo & Shiva mile hue the ya fir
devika ka istemal ho raha tha,"..lekin meri rai to yehi hogi ki jitna
jaldi karen utna achha hoga." "thik hai.main kuchh dino me aapke paas
aati hu." "bahut achhe.",Rajni chai ke juthe pyale & baki khane ka
saman vaha se hata rahi thi.
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"ye dekho,kamini.",viren kamini ka hath pakde use pedo ke jhurmut se
nikal 1 khuli si jagah me le aaya tha.aaj savere ke nashte ke baad se
hi vo use estate ki 1 jeep me vaha ki sair kara raha tha.
"wow!",kamini ki nazro ke samne 1 pani ki chhoti si jhil thi. "sundar
hai na?",viren uske paas aa apni banh uski kamar me daal uske sat
kudrat ke us haseen nazare ko uske sath niharne laga. "bahut." "pata
hai maine kya socha hai ki agli baar jab hum yaha aayen to main
tumhari painting banaunga." "achha!",kamini ghum ke uske samne us se
sat ke khadi ho gayi,"..kaisi painting banayenge janab?jaisi aajkal
aap apne studio me banate hain?",badi shokhi ke sath uske seene pe
usne apne hath rakh diye & uske shirt ke buttons se khelne lagi.
"aapne bilkul thik samjha,mohtarma!",viren ne bhi use usi andaz me
jawab diya.dono apni hi baaton pe aap hi hans pade & 1 dusre ki baaho
me samate hue chumne lage.dono premi 1 dusre me khoye hue the & dono
me se kisi ka dhyan pedo ke peechhe chhupe unki harkato pe nazar rakhe
hue Inder pe gaya hi nahi.
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Prasun 1 hi raat me roma ka deewana ho gaya tha.jis baat ke bare me
use uski maa ne bataya tha,uski biwi ne use us khel ki haqeeqat se
wakif karaya tha & use vo haqiqat badi hi purkashish & nashili lagi
thi.roma abhi-2 naha ke nikli thi & uske badan pe bas 1 tauliya bandha
tha.us tauliye ke upar se prasun ko,uska halka sa cleavage &
mast,mansal janghe,badi lalchati hui si lag rahi thi. vo aage badha &
apni biwi ko baaho me bhar liya & chumne laga,"are!are! kya karte
hain?..ouuiii...abhi nahi..please prasun...ooww...!",roma ne hanste
hue use pare dhakela. "umm..kyu nahi?",prasun ne use fir se baaho me
bharna chaha.prasun ke haav-bhav & soch to 1 bachche jaisi thi magar
harkaet vo bado wali karna chah raha tha.roma ko is baat se badi hansi
aa rahi thi.towel utar kar usne bistar pe rakhe bra ko apne kandho pe
chadhaya. "har chiz ka 1 waqt hota hai..",usne apni pith prasun ke
aage ki,"..ab bina shararat kiye mere hooks lagaiye.",prasun ne hooks
lagane ke bajay peechhe se ue baaho me bhar uski chhatiya masal di &
use chumne laga.apni gand me chubhta pati ka tagda lund to roma ko bhi
madhosh kar raha tha magar abhi agar vo prasun ke sth chudai me lag
jati to use der ho jati & use ye bilkul achha nahi lagta ki shadi ke
baad pehli hi subah vo der se apne kamre se bahar aaye. "ouii
maa..!",vo uski giraft se kisi tarah nikli & jaldi se khud hi hooks
laga liye,"..maine kaha na prasun ki har chiz ka 1 waqt hota hai.ye
sab hum raat ko karenge.",usne jaldi se apni panty chadhai.prasun ke
chehre pe udasi & gussa dono aa gaye the & vo bachcho ki tarah ruth
kar bistar ke kone pe baith gaya. roma ne fatfat apni sari pehni &
apne ruthe hue pati ke apas aa baithi,"naraz kyu hote hain?",usne uska
chehra apni taraf kiya,"..dekhiye abhi mummy neeche humara nashte pe
intezar kar rahi hongi na!hun?" prasun ne haa me sar hilaya. "to unhe
intezar karana buri baat hogi na?" usne fir se haan me sar hilaya.
"isliye to mana kar rahi thi.hum raat ko ye sab karenge.",usne use
khada kiya,"..thik hai na.ab to naraz mat rahiye.",usne uske gaal pe
chuma,"..chaliye neeche mummy ke paas chalen." "chalo.",prasun apni
biwi ka hath tham kamre se nikal gaya.
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kramashah...........
आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj
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