Saturday, October 23, 2010

कामुक-कहानियाँ बदला पार्ट--7

कामुक-कहानियाँ

बदला पार्ट--7

गतान्क से आगे..
वो शत्रुजीत के दाए कंधे के उपर सर रखे उसकी गर्दन मे मुँह छिपाये पड़ी
थी.उसने अपना मुँह उपर उठाया & अपने प्रेमी के होंठो को चूमा & फिर उसके
सीने पे सर रख के लेट गयी.शत्रुजीत का सिकुदा लंड अभी भी उसकी चूत मे
पड़ा था & उसे वो बहुत भला लग रहा था.

उसने अपनी गर्दन घुमाई & उसकी नज़र खुले आल्बम पे गयी जहा से वीरेन सहाय
की तस्वीर झाँक रही थी.तस्वीर शायद किसी बीच पे ली गयी थी जहा की वीरेन
बस 1 स्विम्मिंग ट्रंक पहने खड़ा था जोकि बहुत फूला हुआ लग रहा था.उसके
सीने पे भी घने बॉल थे जैसे की कामिनी को पसंद थे.कामिनी को वो निहायत
बदतमीज़ इंसान लगा था मगर इसमे तो कोई शक़ नही था की वो 1 खूबसूरत मर्द
था.

इंसान का पाने दिल पे तो कोई इकतियार होता नही & वो पता नही कैसे-2 ख़याल
पैदा कर हमे उलझाता रहता है.कामिनी के दिल मे भी उस तस्वीर को देख के ऐसा
ही कुच्छ ख़याल आया....उसके दिल ने उस से पूचछा की वीरेन सहाय बिस्तर मे
कैसा होगा?..उन ट्रंक्स के पीछे छिपा उसका लंड कैसा होगा?..& वो..-

उसने अपना सर झटका..वो क्या सोचे जा रही थी..उसे थोड़ी शर्म आई & थोड़ी
हँसी भी....वो क्या चुदाई की इतनी दीवानी हो गयी है?..मगर ख़याल बुरा नही
था....अगर मौका मिले तो वीरेन सहाय उसे निराश नही करेगा..ऐसे जिस्म का
मालिक बिस्तर मे कमज़ोर हो ही नही सकता..लो!1 बार फिर वो उन्ही ख़यालो मे
खोई रही थी..उसने सर झटका & फिर उठ के थोड़ा उचक के शत्रुजीत को देखने
लगी.उसके ख़यालो से उसे हँसी आ गयी,"क्या हुआ?कौन सी ऐसी मज़ेदार बात है
जो इतनी हँसी आ रही है?",शत्रुजीत ने उसके बालो को उसके चेहरे से हटाया.

"कुच्छ नही.",वो 1 बार फिर उसके होंठो पे झुक गयी तो शत्रुजीत ने भी फिर
से उसे अपनी बाहो के घेरे मे ले लिया & दोनो 1 बार फिर से अपना मस्ती भरा
खेल खेलने मे लग गये.

"आअंह...आनन्न...आन्न्न्न्ह्ह...आआन्न्न्न्न....!",सुरेन जी देविका के
उपर सवार तेज़ी से धक्के लगा रहे थे.40 मिनिट पहले जो खेल उन्होने शुरू
किया था,वो अब अंजाम के करीब था मगर आज उन्हे थोड़ी बेचैनी महसूस हो रही
थी.उन्होने दवा तो खा ली थी फिर क्यू ऐसा हो रहा था.

देविका उनके नीचे उनसे लिपटी हुई बस झड़ने ही वाली थी.सुरेन जी ने भी उसे
जल्दी से उसकी मंज़िल तक पहुचने की गरज से धक्के और तेज़ कर
दिए,"..हाआआआआन्न......!",उनकी पीठ मे अपने नाख़ून धँसाती देविका बिस्तर
से कुच्छ उठ सी गयी.उसके झाड़ते ही सुरेन जी ने भी अपना पानी उसके अंदर
छ्चोड़ दिया.झाड़ते ही उन्हे भी उस अनोखे मज़े का एहसास हुआ जो इंसान
केवल झड़ने के वक़्त महसूस करता है मगर आज उस मज़े पे बेचैनी की हल्की सी
छाया पड़ गयी थी.

बीवी के जिस्म से उतर के वो बिस्तर पे लेट गये,उन्हे ये बात परेशान कर
रही थी..कही उनकी तबीयत ज़्यादा तो नही बिगड़ रही थी?

"क्या सोच रहे हैं?",उनके चेहरे पे प्यार से हाथ फेरती देविका उन्हे उनकी
सोच से बाहर लाई.

"ह्म्म...कुच्छ नही.."उन्होने अपनी बाई बाँह उसके बदन पे लपेट ली.

"सच?..फिर से मन ही मन चिंतित तो नही हो रहे?",देविका ने पति के बालो मे
उंगलिया फिराई.

"नही भाई.",सुरेन जी ने झूठा जवाब देके उसे आगोश मे भर उसका माथा चूम लिया.

"सुनिए,1 बात करनी थी आपसे?"

"तो बोलो ना.",वो देविका के चेहरे से उसकी लाते किनारे कर रहे थे.

"हमे प्रसून के बारे मे कुच्छ सोचना पड़ेगा..",सुरेन जी के चेहरे पे
चिंता की लकीरें खींच गयी,"..मैने कुच्छ सोचा भी है."

"क्या?"

"क्यू ना हम उसकी शादी कर दें."

"क्या?!!..पागल हो गयी हो देविका!",सुरेन जी उठ बैठे.

"देखो,ऐसे परेशान मत हो....मैने काफ़ी सोचा है....",देविका उठा बैठी &
अपनी दाई बाँह उनकी पीठ पे से ले जाते हुए उनके दाए कंधे पे रख दी & बाए
से उनका चेहरा थाम अपनी ओर घुमाया.

"हमने ये तो पहले ही सोचा है की अपनी सारी दौलत 1 ट्रस्ट बनके उसके नाम
कर देंगे.उस ट्रस्ट की ज़िम्मेदारी होगी प्रसून की देखभाल & अगर इसमे
ज़रा भी कोताही हुई तो बात सीधे अदालत तक जाएगी..वो सब तो ठीक है मगर
हमारे बाद कोई तो ऐसा होना चाहिए ना जो उसे अपनो जैसा प्यार दे.."

सुरेन जी ने समझाने की कोशिश करते हुए देविका की आँखो मे झाँका....बात तो
ये ठीक थी....क़ानूनी देखभाल अपनी जगह मगर किसी भी इंसान का अपनो के
प्यार के बिना तो गुज़ारा मुश्किल है.

"..इसलिए शादी की बात सोची....अभी तो नौकर-चाकर भी उसे काफ़ी मानते हैं
मगर कल का क्या पता..फिर ये नौकर चाकर थोड़ा यही रहेंगे इस बात की भी कोई
गॅरेंटी नही है."

"..लेकिन देविका,कौन देगा हमारे लड़के को अपनी लड़की?",देविका ने उन्हे
फिर से लिटा दिया & उनके सर को सहलाने लगी,वो उनके बाई तरफ करवट ले लेट
गयी & अपनी दाई कोहनी पे उचक के उस हाथ पे माथे को टीका दिया.ऐसा करने से
उसकी मस्त छातिया उसके पति के चेहरे के बिल्कुल करीब हो गयी थी.और कोई
दिन होता तो सुरेन जी फिर से उनसे खेलना शुरू कर देते मगर आज उनकी तबीयत
ने उन्हे मजबूर कर दिया था.

"कोई तो होगा ऐसा..उसे ढुंडेना हमारा काम है.कोई भी हो बस लड़की शरीफ हो
& हमारे बेटे का ख़याल रखे."

"इस काम को शुरू कैसे करें?"

"देखो,शाम लाल जी तो यहा है नही फिर भी उनसे इस बारे मे राई ले सकते हैं."

"हां,ये बात तो ठीक है."

"तो उनसे बात की जा सकती है..& तो कोई ऐसा नज़र नही आता जिसपे इस बारे मे
भरोसा किया जा सके."

"ह्म्म...चलो उनसे बात करूँगा.",सुरेन जी ने आँखे बंद कर ली तो देविका
उनका सर सहलाने लगी,थोड़ी ही देर मे वो खर्राटे भर रहे थे मगर देविका की
आँखो से नींद गायब थी.वो काफ़ी देर तक प्रसून के बारे मे सोचती रही फिर
उसे प्यास लगी तो उसने देखा की साइड-टेबल पे रखी बॉटल खाली है.

वो बिस्तर से उठी & अपने जिस्म पे अपनी गहरे नीले रंग की नेग्लिजी डाली
जो की बस उसकी गंद के नीचे तक आती थी & अपने कमरे से निकल नीचे किचन मे
चली गयी.वाहा जाके फ्रिड्ज से बॉटल निकल के पानी पिया & फिर बॉटल वापस रख
जैसे ही फ्रिड्ज बंद किया की किसी ने उसे पीछे से जाकड़
लिया,"हा...-".उसके हलक से निकलती चीख को 1 मज़बूत हाथ ने मुँह दबा के
बंद किया.

ये शिवा था,उसने अपना हाथ देविका के मुँह से हटाया,"पागल हो गये हो
क्या?....कोई देख लेगा त-..",देविका बात पूरी करती इस से पहले ही शिवा ने
उसके होंठो को चूम लिया.देविका ने उसे परे धकेला,"..पागल मत बनो....सुरेन
या प्रसून आ गये तो ग़ज़ब हो जाएगा!"

शिवा तो जैसे कुच्छ सुन ही नही रहा था.उसने देविका को बाहो मे भर लिया &
उसके चेहरे को बेतहाशा चूमने लगा.देविका कसमसाते हुए उसकी पकड़ से निकलने
की कोशिश करने लगी मगर उस हटते-काटते मर्द की मज़बूत बाहो से निकलने का
उसे कोई मौका नही मिला.देविका को बहुत घबराहट हो रही थी मगर शिवा उसकी
बात समझ ही नही रहा था.नेग्लिजी के नीचे देविका ने कुच्छ भी नही पहना था
& यू शिवा के सीने से लगे होने की वजह से उसकी छातिया उसके गले से
बिल्कुल छलक आई थी..यहा तक की बाई छाती का तो गुलाबी निपल भी दिख रहा था.

शिवा ने उस निपल को मुँह मे भर के चूस्ते हुए नीचे से हाथ घुसके उसकी
नंगी गंद को दबाया तो भी देविका को डर लगता ही रहा.उसने 1 बार पूरी ताक़त
से शिवा को परेढाकेला & वाहा से तेज़ी से जाने लगी की शिवा ने उसकी बाँह
पकड़ के खींचा & उसे किचन मे रखे टेबल पे झुका दिया.अब देविका खड़ी तो थी
मगर उसका कमर से उपर का पूरा हिस्सा टेबल पे था & उसकी गंद शिवा की तरफ
थी.उसने उठने की कोशिश की मगर शिवा ने अपने दाए हाथ से उसकी पीठ को दबाके
उसे वैसे ही रखा.

शिवा केवल शॉर्ट्स मे था,उसने दाए हाथ से देविका को दबाए हुए बाए से अपनी
शॉर्ट्स उतारी & पीछे से अपना लंड उसकी चूत मे घुसा दिया,"..एयाया-..",1
बार फिर देविका के हलक से निकलती चीख को उसने उसकी पीठ पे झुकते हुए अपने
दाए हाथ को आगे ले जाके उसके मुँह को दबा के रोक दिया.शिवा झुक के उसकी
पीठ से सॅट गया & अपना बाया हाथ उसकी चूचियो से लगा दिया,"..आअहह...कितना
तड़प्ता हू तुम्हारे लिए...तुम भी तो नही
आ..ती...मे..रे..पास्स....आआअहह...!",शिवा उसकी चूचिया मसलते हुए धक्के
लगा रह था.

देविका की चूत अभी भी थोड़ी गीली थी मगर इतनी नही की उसे दर्द ना महसूस
हो.उसे तकलीफ़ हो रही थी & उसे शिवा पे बहुत तेज़ गुस्सा भी आ रहा था मगर
वो जानती थी की अभी वो बेबस है जब तक शिवा फारिग नही होता उसे ये सहना ही
पड़ेगा.थोड़े धक्को के बाद शिवा उसकी पीठ से उठ के सीधा खड़ा हो गया &
दाए हाथ से उसकी कमर को थाम कर बाए से उसकी गोरी,नंगी पीठ सहलाते हुए उसे
चोदने लगा.देविका की चौड़ी गंद उसकी जाँघो से दबी हुई थी & हर धक्के पे
दोनो के जिस्मो के टकराने से होने वाली ठप-2 की आवाज़ से देविका को डर लग
रहा था की कही उसका पति या बेटा जाग ना जाएँ.

शिवा ने देविका के बाल पकड़ के उसे खींच के खड़ा कर दिया,फिर उसकी चूचियो
के नीचे अपनी बाई बाँह लगा के उसे थाम लिया & दाए से उसके पेट को थाम वो
धक्के लगाने लगा.सर को आगे झुका के उसने उसके होंठ चूमने की कोशिश की तो
देविका ने मुँह फेर अपनी नाराज़गी जताई.उसके दिल मे तो नाराज़गी भरी थी
मगर उसकी चूत का कुच्छ और ही हाल था.शिवा के लंड की रगड़ से वो अब पूरी
गीली हो गयी थी & लगातार पानी छ्चोड़े जा रही थी.उसकी इस हरकत की आवाज़
देविका के दिलोदिमाग ने भी सुनी & वो भी अब मदहोश होने लगे थे.शिवा बहुत
तेज़ी से धक्के लगा रहा था & ना चाहते हुए भी देविका उसकी चुदाई से पागल
हो रही थी.

शिवा के बाहो की जाकड़ और मज़बूत हो गयी & वो पागलो की तरह उसके बालो को
चूमने लगा.देविका को भी अब ना गुस्से का ख़याल था ना डर का!ख़याल था तो
सिर्फ़ बदन की भूख का.उसकी चूत अब बिल्कुल पागल हो गयी थी.तभी शिवा ने
उसके पेट पे रखा हाथ नीचे सरका के उसके दाने को छेड़ दिया & उसी वक़्त
देविका झाड़ गयी.उसके मुँह से आह निकल जाती अगर शिवा अपने होंठो से उसके
मुँह को बंद ना करता.देविका का जिस्म अकड़ सा गया था & उसकी चूत से पानी
निकले चला जा रहा था.तभी उसे चूत के अंदर कुच्छ गरम सा महसूस हुआ,वो समझ
गयी की उसका प्रेमी भी झाड़ गया है.

शिवा ने अपना लंड खींच कर चूत से निकाला तो देविका उस से अलग हो अपनी
नेग्लिजी ठीक करने लगी.उसके गले से उसकी दोनो चूचिया बाहर निकल आई
थी,उसने उन्हे अंदर किया & वाहा से जाने लगी की शिवा ने उसका हाथ पकड़
लिया,"कहा जा रही हो?",वो धीमी आवाज़ मे बोला.

देविका घूमी & उसने 1 करारा तमाचा शिवा के गाल पे लगा दिया,उसकी आँखो से
अंगारे बरस रहे था.शिवा का दूसरा हाथ अपने गाल पे चला गया.उसने उसे
सहलाया & फिर अपना दूसरा गाल देविका के आगे कर दिया.देविका ने 1 और झापड़
रसीद किया तो शिवा ने फिर से अपना पहला गाल उसकी तरफ किया.देविका ने फिर
1 और थप्पड़ लगाया & फिर उसे गले से लगाके उसके चेहरे को चूमने लगी,उसकी
आँखो मे अब गुस्से के शोले नही बल्कि आँसुओं की बारिश थी,"क्यू करते हो
ऐसे?",वो उसे सीने से लगाए बेतहाशा चूमे जा रही थी,"..कही कोई देख लेगा
तो फिर जो भी थोड़ी बहुत खुशी हमारे हिस्से मे है वो भी नही रहेगी."

शिवा उसे थामे खड़ा था,"मैं पागल हू तुम्हारे लिए,देविका..तुम समझ नही
सकती तुम मेरे लिए क्या हो?"

"सब समझती हू.क्या तुम मेरे कुच्छ नही?..मगर हम इस तरह से पागलपन तो नही
कर सकते,शिवा.",उसने अपने प्रेमी को समझाया.

"हूँ.सॉरी.",शिवा ने उसे गले से लगा लिया.देविका प्यार से उसके बदन पे
हाथ फेर रही थी.शिवा पूरा नंगा था & उसकी नेग्लिजी भी उसके जिस्म की
गर्मी को उसके मादक बदन तक पहुँचने से रोक नही पा रही थी.देविका पे अपने
प्रेमी के बदन की खुमारी छाने लगी थी मगर उसने दिल पे काबू रखा,"चलो,जाके
सो जाओ."

शिवा ने अपनी शॉर्ट्स उठा के उसे थमायी & फिर उसे गोद मे उठा लिया &
सीढ़ियो पे चढ़ने लगा.देविका ने अपनी बाहे उसके गले मे डाल दी & उसके
होंठ चूम लिए,"प्लीज़,शिवा.."

"घबराओ मत.",शिवा ने उसके कमरे के पास पहुँच के उसे उतारा & फिर दरवाज़े
को खोल के अंदर झाँका,सुरेन जी के खर्रातो की आवाज़ कमरे मे भरी हुई
थी,"गुड नाइट."

"श..शिवा..",देविका उसके सीने से लग गयी.उसका दिल तो कर रहा था की अपने
प्रेमी के साथ उसके बिस्तर मे घुस जाए & उसकी मज़बूत बहो मे अपने बदन को
क़ैद करा उस से जी भर के प्यार करे मगर ये संभव नही था.दोनो थोड़ी देर तक
1 दूसरे को चूमते रहे,फिर शिवा ने अपनी शॉर्ट्स ली & अपने कमरे मे चला
गया & देविका वापस अपने पति के पास.

"मॅ'म,मैं जाती हू,6 बजे तक वापस आ जाऊंगी.",रजनी ने अपना बॅग उठाया &
रविवार की छुट्टी मनाने के लिए निकल पड़ी.

"ओके,रजनी.",देविका ने उसे विदा किया.आज वो सवेरे से परेशान थी.आज वीरेन
आने वाला था....इतने सालो बाद अचानक क्यू लौट आया है वो..आख़िर क्या
चाहिए उसे?इसी उधेड़बुन मे वो नहाने चली गयी...कितना काम था..प्रसून को
भी तैय्यार करना था फिर खाने की तैय्यारि करवानी थी नौकरो से..वीरेन उनके
साथ ही खाने वाला था..देविका ने कपड़े उतारे & बाथटब मे बैठ गयी..अब जो
होना होगा सो तो होगा ही..बेकार मे परेशान होने से क्या फ़ायदा....उसने
शवर गेल की बॉटल उठाई & अपने हाथो मे ले अपने बदन पे मलने लगी.

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क्रमशः.......


BADLA paart--7

gataank se aage..
vo shatrujeet ke daye kandhe ke upar sar rakhe uski gardan me munh
chhipaye padi thi.usne apna munh upar uthaya & apne premi ke hotho ko
chuma & fir uske seene pe sar rakh ke let gayi.shatrujeet ka sikuda
lund abhi bhi uski chut me pada tha & use vo bahut bhala lag raha tha.

usne apni gardan ghumayi & uski nazar khule album pe gayi jaha se
Viren Sahay ki tasvir jhank rahi thi.tasveer shayad kisi beach pe li
gayi thi jaha ki viren bas 1 swimming trunk pehne khada tha joki bahut
phoola hua lag raha tha.uske seene pe bhi ghane baal the jaise ki
kamini ko pasand the.kamini ko vo nihayat badtamiz insan laga tha
magar isme to koi shaq nahi tha ki vo 1 khubsurat mard tha.

insan ka pane dil pe to koi ikhtiyra hota nahi & vo pata nahi kaise-2
khayal paida kar hume uljhata rehta hai.kamini ke dil me bhi us
tasveer ko dekh ke aisa hi kuchh khayal aaya....uske dil ne us se
poochha ki viren sahay bistar me kaisa hoga?..un trunks ke peechhe
chhipa uska lund kaisa hoga?..& vo..-

usne apna sar jhatka..vo kya soche ja rahi thi..use thodi sharm aayi &
thodi hansi bhi....vo kya chudai ki itni deewani ho gayi hai?..magar
khayal bura nahi tha....agar mauka mile to viren sahay use nirash nahi
karega..aise jism ka malik bistar me kamzor ho hi nahi sakta..lo!1 bar
fir vo unhi khayalo me kho rahi thi..usne sar jhatka & fir uth ke
thoda uchak ke shatrujeet ko dekhne lagi.uske khayalo se use hansi aa
gayi,"kya hua?kaun si aisi mazedar baat hai jo itni hansi aa rahi
hai?",shatrujeet ne uske baalo ko uske chehre se hataya.

"kuchh nahi.",vo 1 bar fir uske hotho pe jhuk gayi to shatrujeet ne
bhi fir se use apni baaho ke ghere me le liya & dono 1 baar fir se
apna masti bhara khel khelne me lag gaye.

"Aaanhh...aannn...aannnnhh...aaaannnnn....!",Suren ji Devika ke upar
savar tezi se dhakke laga rahe the.40 minute pehle jo khel unhone
shuru kiya tha,vo ab anjam ke kareeb tha magar aaj unhe thodi bechaini
mehsus ho rahi thi.unhone dawa to kha li thi fir kyu aisa ho raha tha.

devika unke neeche unse lipti hui bas jhadne hi wali thi.suren ji ne
bhi use jaldi se uski manzil tak pahuchane ki garaj se dhakke aur tez
kar diye,"..haaaaaaaaaann......!",unki pith me apne nakhun dhansati
devika bistar se kuchh uth si gayi.uske jhadte hi suren ji ne bhi apna
pani uske andar chhod diya.jhadte hi unhe bhi us anokhe maze ka ehsas
hua jo insan kewal jhadne ke waqt mehsus karta hai magar aaj us maze
pe bechaini ki halki si chhaya pad gayi thi.

biwi ke jism se utar ke vo bistar pe let gaye,unhe ye baat pareshan
kar rahi thi..kahi unki tabiyat zyada to nahi bigad rahi thi?

"kya soch rahe hain?",unke chehre pe pyar se hath ferti devika unhe
unki soch se bahar layi.

"hmm...kuchh nahi.."unhone apni baayi banh uske badan pe lapet li.

"sach?..fir se man hi man chintit to nahi ho rahe?",devika ne pati ke
baalo me ungliya firayi.

"nahi bhai.",suren ji ne jhutha jawab deke use agosh me bhar uska
matha chum liya.

"suniye,1 baat karni thi aapse?"

"to bolo na.",vo devika ke chehre se uski late kinare kar rahe the.

"hume Prasun ke bare me kuchh sochna padega..",suren ji ke chehre pe
chinta ki lakiren khinch gayi,"..maine kuchh socha bhi hai."

"kya?"

"kyu na hum uski shadi kar den."

"kya?!!..pagal ho gayi ho devika!",suren ji uth baithe.

"dekho,aise pareshan mat ho....maine kafi socha hai....",devika utha
baithi & apni daayi banh unki pith pe se le jate hue unke daaye kandhe
pe rakh di & baaye se unka chehra tham apni or ghumaya.

"humne ye to pehle hi socha hai ki apni sari daulat 1 trust banake
uske naam kar denge.us trust ki zimmedari hogi prasun ki dekhbhal &
agar isme zara bhi kotahi hui to baat seedhe adalat tak jayegi..vo sab
to thik hai magar humare baad koi to aisa hona chahiye na jo use apno
jaisa pyar de.."

suren ji ne samajhne ki koshish karte hue devika ki aankho me
jhanka....baat to ye thik thi....kanooni dekhbhal apni jagah magar
kisi bhi insan ka apno ke pyar ke bina to guzara mushkil hai.

"..isliye shadi ki baat sochi....abhi to naukar-chakar bhi use kafi
maante hain magar kal ka kya pata..fir ye naukar chakar taumra yehi
rahenge is baat ki bhi koi guarantee nahi hai."

"..lekin devika,kaun dega humare ladke ko apni ladki?",devika ne unhe
fir se lita diya & unke ssar ko sehlane lagi,vo unke baayi taraf
karwat le let gayi & apni dayi kohni pe uchak ke us hath pe mathe ko
tika diya.aisa karne se uski mast chhatiya uske pati ke chehre ke
bilkul kareeb ho gayi thi.aur koi din hopta to suren ji fir se unse
khelna shuru kar dete magar aaj unki tabiyat ne unhe majboor kar diya
tha.

"koi to hoga aisa..use dhoondana humara kaam hai.koi bhi ho bas ladki
sharif ho & humare bete ka khayal rakhe."

"is kaam ko shuru kaise karen?"

"dekho,Sham Lal ji to yaha hai nahi fir bhi unse is bare me rai le sakte hain."

"haan,ye baat to thik hai."

"to unse baat ki ja sakti hai..& to koi aisa nazar nahi aata jispe is
bare me bharosa kiya ja sake."

"hmm...chalo unse baat karunga.",suren ji ne aankhe band kar li to
devika unka sar sehlane lagi,thodi hi der me vo kharrate bhar rahe the
magar devika ki aankho se nind gayab thi.vo kafi der tak prasun ke
bare me sochti rahi fir use pyas lagi to usne dekha ki side-table pe
rakhi bottle khali hai.

vo bistar se uthi & apne jism pe apni gehre neele rang ki negligee
dali jo ki bas uski gand ke neeche tak aati thi & apne kamre se nikal
neeche kitchen me chali gayi.vaha jake fridge se bottle nikal ke pani
piya & fir bottle vapas rakh jaise hi fridge band kiya ki kisi ne use
peechhe se jakd liya,"haa...-".uske halak se nikalti chikh ko 1 mazbut
hath ne munh daba ke band kiya.

ye Shiva tha,usne apna hath devika ke munh se hataya,"pagal ho gaye ho
kya?....koi dekh lega t-..",devika baat puri karti is se pehle hi
shiva ne uske hotho ko chum liya.devika ne use pare dhakela,"..pagal
mat bano....suren ya prasun aa gaye to gazab ho jayega!"

shiva to jaise kuchh sun hi nahi raha tha.usne devika ko baaho me bhar
liya & uske chehre ko betahasha chumne laga.devika kasmasate hue uski
pakad se nikalne ki koshish karne lagi magar us hatte-katte mard ki
mazboot baaho se nikalne ka use koi mauka nahi mila.devika ko bahut
ghabrahat ho rahi thi magar shiva uski baat samajh hi nahi raha
tha.negligee ke neeche devika ne kuchh bhi nahi pehna tha & yu shiva
ke seene se lage hone ki vajah se uski chhatiya uske gale se bilkul
chhalak aayi thi..yaha tak ki baayi chhati ka to gulabi nipple bhi
dikh raha tha.

shiva ne us nipple ko munh me bhar ke chuste hue neeche se hath
ghusake uski nangi gand ko dabaya to bhi devika ko darr lagta hi
raha.usne 1 baar puri taqat se shiva ko paredhakela & vaha se tezi se
jane lagi ki shiva ne uski banh pakad ke khincha & use kitchen me
rakhe table pe jhuka diya.ab devika khadi to thi magar uska kamr se
upar ka pura hissa table pe tha & uski gand shiva ki taraf thi.usne
uthne ki koshish ki magar shiva ne apne daye hath se uski pith ko
dabake use vaise hi rakha.

shiva kewal shorts me tha,usne daye hath se devika ko dabaye hue baaye
se apni shorts utari & peechhe se apna lund uski chut me ghusa
diya,"..aaaaa-..",1 baar fir devika ke halak se nikalti chikh ko usne
uski pith pe jhukte hue apne daye hath ko aage le jake uske munh ko
daba ke rok diya.shiva jhuk ke uski pith se sat gaya & apna baya hath
uski choochiyo se laga diya,"..aaahhhh...kitna tadapta hu tumhare
liya...tum bhi to nahi aa..ti...me..re..paass....aaaaahhhh...!",shiva
uski choochiya maslate hue dhakke laga rah tha.

devika ki chut abhi bhi thodi gili thi magar itni nahi ki use dard na
mehsus ho.use taklif ho rahi thi & use shiva pe bahut tez gussa bhi aa
raha tha magar vo janti thi ki abhi vo bebas hai jab tak shiva farig
nahi hota use ye sehna hi padega.thode dhakko ke baad shiva uski pith
se uth ke seedha khada ho gaya & date hath se uski kamar ko tham kar
baye se uski gori,nangi pith sehlate hue use chodne laga.devika ki
chaudi gand uski jangho se dabi hui thi & har dhakke pe dono ke jismo
ke takrane se hone vali thap-2 ki avaz se devika ko darr lag raha tha
ki kahi uska pati ya beta jag na jayen.

shiva ne devika ke baal pakad ke use khinch ke khada kar diya,fir uski
chhatiyo ke neeche apni bayi banh laga ke use tham liya & daye se uske
pet ko tham vo dhakke lagane laga.sar ko aage jhuka ke usne uske honth
chumne ki koshish ki to devika ne munh fer apni narazgi jatayi.uske
dil me to narazgi bhari thi magar uski chut ka kuchh aur hi haal
tha.shiva ke lund ki ragad se vo ab puri gili ho gayi thi & lagatar
pani chhode ja rahi thi.uski is harkat ki aavaz devika ke dilodimagh
ne bhi suni & vo bhi ab madhosh hone lage the.shiva bahut tezi se
dhakke laga raha tha & na chahte hue bhi devika uski chudai se pagal
ho rahi thi.

shiva ke baaho ki jakad aur mazboot ho gayi & vo paglo ki tarah uske
baalo ko chumne laga.devika ko bhi ab na gusse ka khayal tha na darr
ka!khayal tha to sirf badan ki bhookh ka.uski chut ab bilkul pagal ho
gayi thi.tabhi shiva ne uske pet pe rakha hath neeche sarka ke uske
dane ko chhed diya & usi waqt devika jhad gayi.uske munh se aah nikal
jati agar shiva apne hontho se uske munh ko band na karta.devika ka
jism akad sa gaya tha & uski chut se pani nikle chala ja raha
tha.tabhi use chut ke andar kuchh garam sa mehsus hua,vo samajh gayi
ki uska premi bhi jhad gaya hai.

shiva ne apna lund khinch kar chut se nikala to devika us se alag ho
apni negligee thik karne lagi.uske gale se uski dono chhatiya bahar
nikal aayi thi,usne unhe andar kiya & vaha se jane lagi ki shiva ne
uska hath pakad liya,"kaha ja rahi ho?",vo dhimi avaz me bola.

devika ghumi & usne 1 karara tamacha shiva ke gaal pe laga diya,uski
aankho se angaray baras rahe tha.shiva ka dusra hath apne gaal pe
chala gaya.usne use sehlaya & fir apna dusra gaal devika ke aage kar
diya.devika ne 1 aur jhapad raseed kiya to shiva ne fir se apna pehla
gaal uski taraf kiya.devika ne fir 1 aur thappad lagaya & fir use gale
se lagake uske chehre ko chumne lagi,uski aankho me ab gusse ke shole
nahi balki aansuon ki barish thi,"kyu karte ho aise?",vo use seene se
lagaye betahasha chume ja rahi thi,"..kahi koi dekh lega to fir jo bhi
thodi bahut khushi humare hisse me hai vo bhi nahi rahegi."

shiva use thame khada tha,"main pagal hu tumhare liye,devika..tum
samajh nahi sakti tum mere liye kya ho?"

"sab samajhti hu.kya tum mere kuchh nahi?..magar hum is tarah se
pagalpan to nahi kar sakte,shiva.",usne apne premi ko samjhaya.

"hun.sorry.",shiva ne use gale se laga liya.devika pyar se uske badan
pe hath fer rahi thi.shiva pura nanga tha & uski negligee bhi uske
jism ki garmi ko uske maadak badan tak pahunchane se rok nahi pa rahi
thi.devika pe apne premi ke badan ki khumari chhane lagi thi magar
usne dil pe kabu rakha,"chalo,jake so jao."

shiva ne apni shorts utha ke use thamayi & fir use god me utha liya &
seedhiyo pe chadhne laga.devika ne apni baahe uske gale me daal di &
uske honth chum liye,"please,shiva.."

"ghabrao mat.",shiva ne uske kamre ke paas pahunch ke use utara & fir
darwaze ko khol ke andar jhanka,suren ji ke kharrato ki aavaz kamre me
bhari hui thi,"good night."

"ohh..shiva..",devika uske seene se lag gayi.uska dil to kar raha tha
ki apne premi ke sath uske bistar me ghus jaye & uski mazboot baho me
apne badan ko qaid kara us se ji bhar ke pyar kare magar ye sambhav
nahi tha.dono thodi der tak 1 dusre ko chumte rahe,fir shiva ne apni
shorts li & apne kamre me chala gaya & devika vapas apne pati ke paas.

"Ma'am,main jati hu,6 baje tak vapas aa jaoongi.",rajni ne apna bag
uthaya & ravivar ki chhutti mananae ke liye nikal padi.

"ok,rajni.",Devika ne use vida kiya.aaj vo savere se pareshan thi.aaj
Viren aane vala tha....itne salo baad achanak kyu laut aaya hai
vo..aakhir kya chahiye use?isi udhedbun me vo nahane chali
gayi...kitna kaam tha..Prasun ko bhi taiyyar karna tha fir khane ki
taiyyari karwani thi naukaro se..viren unke sath hi khane wala
tha..devika ne kapde utare & bathtub me baith gayi..ab jo hona hoga so
to hoga hi..bekar me pareshan hone se kya fayda....usne shower gel ki
bottle uthayi & apne hatho me le apne badan pe malne lagi.

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kramashah.......


आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj

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