बदला पार्ट--33
गतान्क से आगे...
देविका ने शिवा की धोखाधड़ी के बाद अपने गम को भूलने के लिए खुद को काम
मे डूबा दिया था.वो 9 बजे दफ़्तर पहुँच जाती & देर शाम तक वही बैठी
रहती.उसने इंदर को नये सेक्यूरिटी मॅनेजर के आने तक उस काम को देखने की
ज़िम्मेदारी दे दी थी & इस वजह से दफ़्तर के सभी लोगो के जाने के बाद भी
बस वही दोनो वाहा बैठे काम करते नज़र आते थे.देविका को इंदर की ईमानदारी
& नएक्दिली के नाटक ने पूरी तरह से अपने झाँसे मे ले लिया था.इंदर भी
हमेशा ये दिखाता की वो बस अपने काम से मतलब रखता है.उसके प्लान का आगला
हिस्सा था देविका के करीब आना मगर इस तरह की देविका को ये ना लगे की इंदर
उसके करीब आना चाहता है बल्कि वो खुद ही इंदर की तरफ खींच गयी है.इंदर के
शातिर दिमाग़ ने सारी तरकीबेन सोच ली थी & उनपे अमल कर रहा था.
देविका को काम करते वक़्त कॉफी पीने की आदत थी & इधर कुच्छ दीनो से वो
कुच्छ ज़्यादा ही कॉफी पीने लगी थी.उस शाम भी 7 बजे उसका नौकर बंगल से
कॉफी का फ़्लास्क ले आया & उसके डेस्क पे रख दी.देविका ने कंप्यूटर पे
नज़र गड़ाए हुए फ़्लास्क खोल सीधा उसे अपने मुँह से लगाया & 1 घूँट भरा &
पीते ही बुरा सा मुँह बनाया,"ये क्या ले आए हो?!",गुस्से & हैरानी से
उसने पुचछा.नौकर घूम के कुच्छ जवाब देता की उसके पहले ही इंदर वाहा आ
पहुँचा & उसे बाहर जाने का इशारा किया.
"इसने मेर कहने से ऐसा किया है..",इंदर ने 2 फाइल्स उसके सामने रखी & 1
कुर्सी पे बैठ गया,"..आप दिन भर बस कॉफी पीटी रहती हैं & ये आपकी सेहत के
लिए नुक़सानदायक हो सकता है इसलिए मैने नौकर को आपको अभी कॉफी की जगह
फ्रूट जूस देने को कहा.इस बात के लिए मैं आपसे माफी माँगता हू,मॅ'म मगर
प्लीज़ आप अपनी सेहत पे ध्यान दीजिए क्यूकी ये एस्टेट की बेहतरी के लिए
बहुत ज़रूरी है.",देविका ने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया & उन फाइल्स
पे दस्तख़त कर उन्हे इंदर की ओर बढ़ा दिया.
"आपने फाइल्स पढ़ी नही मॅ'म?"
"तुमने पढ़ ली ना इंदर."
"मॅ'म,आप मुझपे इतना भरोसा करती हैं,ये मेरे लिए खुशी & फख्रा की बात है
मगर प्लीज़ मॅ'म आप बिना पढ़े कही भी दस्तख़त ना किया करें चाहे वो
काग़ज़ कोई बी लेके आया हो.आप प्लीज़ 1 बार इन फाइल्स को पढ़
लें.",देविका ने इंदर को देखा & फाइल्स देखने लगी.इंदर तब तक अपने साथ
लाई 1 तीसरी फाइल पलटने लगा.फाइल पढ़ती देविका ने फाइल के उपर से इंदर को
देखा....ये इंसान बहुत ही ईमानदार & उतना ही मेहनती था...शिवा भी तो ऐसा
ही था मगर उसने कभी भी उसे काम के मामले मे ऐसे सलाह नही दी थी.अपने
डिपार्टमेंट के बारे मे वो उसे बस बताता था की क्या करने वाला था वो,कभी
उस से पुछ्ता नही था जबकि ये इंदर हर बात,हर फ़ैसला बिना उसकी इजाज़त के
नही लेता था..ऐसा नही था की ये ज़रूरी था मगर इंदर का मानना था की ये भी
1 नौकर फ़र्ज़ था की वो अपने मालिक को हर बात चाहे वो कितनी भी मुख़्तसार
क्यू ना हो,के बारे मे इत्तिला दे....बस भगवान उसे ऐसा ही बनाए रखें..जूस
भिजवा के उसने अपनी फ़िक्र जताई थी मगर जहा शिवा उसके इश्क़ या अब जब उसे
सच्चाई पता चली थी उसके जिस्म की हवस मे उसके साथ ये हरकते करता था, इंदर
केवल भलमांसाहत के चलते ऐसा कर रहा था.कोई मतलब नही था इसमे उसका..
"फाइल पढ़ ली मॅ'म?",इंदर ने देविका को खुद को देखता पाया.
"ह-हन..ये लो.",देविका को लगा जैसे उसकी चोरी पकड़ी गयी हो.इंदर ने
फाइल्स ऐसे ली जैसे उसे कुच्छ एहसास ही ना हुआ हो.वो कॅबिन से बाहर निकला
& उसके होंठो पे शैतानी मुस्कान खेलने लगी.उसका प्लान बिल्कुल ठीक काम कर
रहा था.देविका पे उसकी अच्छाई का असर हो रहा था बस सब कुच्छ ऐसे ही चलता
रहे.
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"देविका जी,आपने बहुत अच्छा किया.",कामिनी ने देविका के हाथ से 1 काग़ज़
लिया.दोनो औरते कामिनी के दफ़्तर मे बैठी थी,"..देखिए,ज़्यादा कुच्छ तो
है नही.ये काम बस आधे घंटे मे हो जाएगा."
"रश्मि..",उसने इंटरकम से अपनी सेक्रेटरी को बुलाया,"..ये लो & मुकुल के
साथ मिलके जल्दी से इस वसीयत को टाइप करके यहा लाओ.",वो रश्मि के जाते ही
देविका से फिर मुखातिब हुई,"बुरा ना माने तो 1 बात पुच्छू देविका जी?"
"ज़रूर कामिनी जी."
"कुच्छ दिन पहले एस्टेट से आपका 1 एंप्लायी आया था अख़बार मे नोटीस
छप्वाने के सिलसिले मे.",देविका का चेहरा संजीदा हो गया.शिवा के जाने के
बाद उसने अख़बार मे कामिनी के ज़रिए 1 नोटीस छप्वाया था की अब उसका
एस्टेट से कोई लेना-देना नही था & अगर कोई उस से किसी भी तरह का कारोबारी
ताल्लुक रखता है उसमे एस्टेट किसी भी तरह से ज़िम्मेदार नही होगी,कामिनी
उसी बारे मे बात कर रही थी.
"देखिए,देविका जी मैने आपको पहले बाते नही मगर जब ये बात हुई तो मुझे लगा
की आपको & वीरेन को आगाह कर देना ज़रूरी है."
"क्या बात है,कामिनी जी?",देविका के माथे पे बाल पड़ गये.
"आपको वो दवा याद है देविका जी जिसकी डिबिया मैने आपके बेडरूम मे देखी
थी.",देविका को याद करने की कोशिश करते देख कामिनी ने उसकी मदद की,"..वो
नारंगी वाली डिबिया."
"हां-2."देविका को याद आया.ये तो वही दवा थी जो उसके पति उसे चोदने से
पहले लेटे थे.कामिनी ने उसे बताया की अगर सुरेन जी लगभग रोज़ दवा ले रहे
थे तो दवा की डिबिया नयी कैसे हो गयी थी?
"आपका कहना है की.."
"जी साज़िश की बू तो है मगर किसकी ये समझ नही आता."
"आपको शिवा पे शक़ है."
"शक़ के दायरे मे तो सभी हैं ,देविका जी..",कामिनी देविका के चेहरे के
भाव को गौर से देख रही थी,"..सुरेन जी को छ्चोड़ सभी."
"आपका मतलब है मैं भी?"
"आप थी देविका जी मगर शिवा के जाने के बाद & ये वसीयत जो बाहर मेरी
सेक्रेटरी & असिस्टेंट आपके लिए तैय्यार कर रहे हैं जिसमे आपने वही किया
है जो आपके मरहूम पति की ख्वाहिश थी,ने आपको उस दायरे से बाहर निकाल दिया
है.",कामिनी ने देखा की देविका का चेहरा गुस्से से तन्तनाया हुआ है.वो
अपनी कुर्सी से उठी & डेस्क के दूसरी ओर आ देविका के बगल मे दूसरी कुर्सी
पे बैठ गयी,"मैं जानती हू आपको कितना गुस्सा आ रहा है.",उसने देविका का
हाथ थाम लिया,"..मुझे आपके पति लाए थे एस्टेट का वकील बनाके,देविका जी.आप
मुझे फीस देती हैं तो मेरा भी फ़र्ज़ है ना कि मैं अपना काम पूरी
ईमानदारी से करू."
"मेरी बात समझ रही हैं ना आप फिर भी आप बुरा मान गयी तो माफी चाहती हू."
"अरे नही कामिनी जी ऐसा मत बोलिए!",देविका ने भी उसके हाथ को थाम
लिया,"गुस्सा तो सच मे बहुत आया की जिस पति को मैने अपना सब कुच्छ माना &
पूरी ज़िंदगी उसी की होके बिता दी अब उसकी मौत का इल्ज़ाम मुझपे लगाया जा
रहा है लेकिन आपकी बात समझ गयी मैं.आगे कहिए तो क्या शिवा ने किया ये
सब?",देविका को लगा की कही शिवा ने उसके जिस्म की हवस मे पागल हो ये काम
तो नही किया था.
"कुच्छ समझ नही आता.देखिए,अगर शिवा करता तो वो दवा की डिबिया पूरी गायब
ही नही कर देता केवल बदलता क्यू?जहा तक मुझे अंदाज़ा है वो आपके पति के
साथ साए की तरह लगा रहता था तो उसे ये भी पता होगा की दवा क्या काम करती
है फिर वो दवा को बदलेगा भी तो बहुत ध्यान से.उसकी खोटी नियत जानने के
बाद भी मुझे पूरा यकीन नही हो रहा की दवा के साथ उसने छेड़-छाड़ की है.अब
अगर वो दवा की डिबिया जो आपके पति इस्तेमाल कर रहे थे तो शायद कुच्छ
सुराग मिले मगर जिसने डिबिया बदली उसने उसे तो ठिकाने लगा दिया होगा."
"मगर दवा बदली क्यू?जैसा आप कह रही हैं वो डिबिया गायब भी कर सकता था."
"शायद इसलिए की वो ये ना चाहता हो की किसी का ध्यान दवा पे जाए भी.अगर
दवा गायब हो जाती तो हो सकता है किसी का ध्यान उसपे चला जाता.अब जब दवा
उसी जगह पे रखी रहती तो किसी का भी ध्यान नही जाता की उस दवा का भी कुच्छ
लेना-देना है सुरेन जी की मौत से."
"तो फिर कौन हो सकता है इसके पीछे कामिनी जी?"
"ये बात तो मुझसे बेहतर शायद आप पता लगा लें.",रश्मि दस्तक दे वसीयत का 1
ड्राफ्ट लेके आई जिसमे कामिनी ने कुच्छ ग़लतिया सही की & रश्मि को उसे
फिर से तैय्यार करके लाने को कहा,"..देविका जी,ज़्यादा घबराईए मत बस
सावधान रहिए.अब जब ये वसीयत तैय्यार है तो आपको नुकसान पहुचने की वजह भी
ख़तम हो जाती है क्यूकी किसी को कुछ हासिल नही होने वाला आपको नुकसान
पहुँचा के.मैं आपके साथ हू & हम दोनो ज़रूर ही उस इंसान का पता लगा लेंगे
जो आपके परिवार पे बुरी नज़र डालता है.",रश्मि वसीयत का फाइनल ड्राफ्ट ले
आई थी जिसे देविका ने दस्तख़त कर कामिनी के पास हिफ़ाज़त से रखवा दिया.
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क्रमशः..............
बदला पार्ट--33
गतान्क से आगे...
devika ne shiva ki dhokhadhadi ke baad apne gham ko bhulane ke liye
khud ko kaam me duba diya tha.vo 9 baje daftar pahunch jati & der sham
tak vahi baithi rehti.usne Inder ko naye security manager ke aane tak
us kaam kod ekhne ki zimmedari de di thi & is vajah se daftar ke sabhi
logo ke jane ke baad bhi bas vahi dono vaha baithe kaam karte nazar
aate the.devika ko inder ki imandari & nekdili ke natak ne puri tarah
se apne jhanse me le liya tha.inder bhi humesha ye dikhata ki vo bas
apne kaam se matlab rakhta hai.uske plan ka aagla hissa tha devika ke
kareeb aana magar is tarah ki devika ko ye na lage ki inder uske
kareeb aana chahta hai balki vo khud hi inder ki taraf khinch gayi
hai.inder ke shatir dimagh ne sari tarkeeben soch li thi & unpe amal
kar raha tha.
devika ko kaam karte waqt coffee peene ki aadat thi & idhar kuchh dino
se vo kuchh zyada hi coffee peene lagi thi.us sham bhi 7 baje uska
naukar bungle se coffee ka flask le aaya & uske desk pe rakh di.devika
ne computer pe nazar gadaye hue flask khol seedha use apne munh se
lagaya & 1 ghunt bhara & peete hi burta sa munh banaya,"ye kya le aaye
ho?!",gusse & hairani se usne puchha.naukar ghum ke kuchh jawab deta
ki uske pehle hi inder vaha aa pahuncha & use bahar jane ka ishara
kiya.
"isne mer kehne se aisa kiya hai..",inder ne 2 files uske samne rakhi
& 1 kursi pe baith gaya,"..aap din bhar bas coffe piti rehti hain & ye
aapki sehat ke liye nuksandayak ho sakta hai isliye maine naukar ko
aapko abhi coffe ki jagah fruit juice dene ko kaha.is baat ke liye
main aapse mafi mangta hu,ma'am magar please aap apni sehat pe dhyan
dijiye kyuki ye estate ki behtari ke liye bahut zaruri hai.",devika ne
uski baat ka koi jawab nahi diya & un files pe dastkhat kar unhe inder
ki or badha diya.
"aapne files padhi nahi ma'am?"
"tumne padh li na inder."
"ma'am,aap mujhpe itna bharoas karti hain,ye mere liye khushi & fakhra
ki baat hai magar please ma'am aap bina padhe kahi bhi dastkhat na
kiya karen chahe vo kagaz koi bi leke aaya ho.aap please 1 baar in
files ko padh len.",devika ne inder ko dekha & files dekhne lagi.inder
tab tak apne sath layi 1 teesri file palatne laga.file padhti devika
ne file ke upar se inder ko dekha....ye insan bahut hi imandar & utna
hi mehnati tha...shiva bhi to aisa hi tha magar usne kabhi bhi use
kaam ke mamle me aise salah nahi di thi.apne department ke bare me vo
use bas batata tha ki kya karne vala tha vo,kabhi us se puchhta nahi
tha jabki ye inder har baat,har faisla bina uski ijazat ke nahi leta
tha..aisa nahi tha ki ye zaruri tha magar inder ka maanana tha ki ye
bhi 1 naukar farz tha ki vo apne malik ko har baat chahe vo kitni bhi
mukhtsar kyu na ho,ke bare me ittila de....bas bhagwan use aisa hi
banaye rakhen..juice bhijwa ke usne apni fikr jatayi thi magar jaha
shiva uske ishq ya ab jab use sachchai pata chali thi uske jism ki
hawas me uske sath ye harkate karta tha, inder kewal bhalmansahat ke
chalte aisa kar raha tha.koi matlab nahi tha isme uska..
"file padh li ma'am?",inder ne devika ko khud ko dekhta paya.
"h-haan..ye lo.",devika ko laga jaise uski chori pakdi gayi ho.inder
ne files aise li jaise use kuchh ehsas hi na hua ho.vo cabin se bahar
nikla & uske hotho pe shaitani muskan khelne lagi.uska plan bilkul
thik kaam kar raha tha.devika pe uski achhai ka asar ho raha tha bas
sab kuchh aise hi chalta rahe.
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"devika ji,aapne bahut achha kiya.",kamini ne devika ke hath se 1
kagaz liya.dono aurate kamini ke daftar me baithi thi,"..dekhiye,zyada
kuchh to hai nahi.ye kaam bas aadhe ghante me ho jayega."
"Rashmi..",usne intercom se apni secretary ko bulaya,"..ye lo & Mukul
ke sath milke jaldi se is vasiyat ko type karke yaha lao.",vo rashmi
ke jate hi devika se fir mukhatib hui,"bura na mane to 1 baat puchhu
devika ji?"
"zarur kamini ji."
"kuchh din pehle estate se aapka 1 employee aaya tha akhbar me notice
chhapwane ke silsile me.",devika ka chehra sanjida ho gaya.shiva ke
jane ke baad usne akhbar me kamini ke zariye 1 notice chhapwaya tha ki
ab uska estate se koi lena-dena nahi tha & agar koi us se kisi bhi
tarah ka karobari talluk rakhta hai sume estate kisi bhi tarah se
zimmedar nahi hogi,kamini usi bare me baat kar rahi thi.
"dekhiye,devika ji maine aapko pehle batay nahi magar jab ye baat hui
to mujhe laga ki aapko & viren ko aagah kar dena zaruri hai."
"kya baat hai,kamini ji?",devika ke mathe pe bal pad gaye.
"aapko vo dawa yaad hai devika ji jiski dibiya maine aapke bedroom me
dekhi thi.",devika ko yaad karne ki koshish karte dekh kamini ne uski
madad ki,"..vo narangi wali dibiya."
"haan-2."devika ko yaad aaya.ye to wahi dawa thi jo uske pati use
chodne se pehle lete the.kamini ne use bataya ki agar suren ji lagbhag
roz dawa le rahe the to dawa ki dibiya nayi kaise ho gayi thi?
"aapka kehna hai ki.."
"ji sazish ki bu to hai magar kiski ye samajh nahi aata."
"aapko shiva pe shaq hai."
"shaq ke dayre me to sabhi hain ,devika ji..",kamini devika ke chehre
ke bhavo ko gaur se dekh rahi thi,"..suren ji ko chhod sabhi."
"aapka matlab hai main bhi?"
"aap thi devika ji magar shiva ke jane ke baad & ye vasiyat jo bahar
meri secretary & assistant aapke liye taiyyar kar rahe hain jisme
aapne vahi kiya hai jo aapke marhoom pati ki khwahish thi,ne aapko us
dayre se bahar nikal diya hai.",kamini ne dekha ki devika ka chehra
gusse se tantanaya hua hai.vo apni kursi se uthi & desk ke dusri or aa
devika ke bagal me dusri kursi pe baith gayi,"main janti hu aapko
kitna gussa aa raha hai.",usne devika ka hath tham liya,"..mujhe aapke
pati laye the estate ka vakil banake,devika ji.aap mujhe fees deti
hain to mera bhi farz hai na ki main apna kaam puri imandari se karu."
"meri baat samajh rahi hain na aap fir bhi aap bura maan gayi to mafi
chahti hu."
"are nahi kamini ji aisa mat boliye!",devika ne bhi uske hath ko tham
liya,"gussa to sach me bahut aaya ki jis pati ko maine apna sab kuchh
mana & puri zindagi usi ki hoke bita di ab uski maut ka ilzam mujhpe
lagaya ja raha hai lekin aapki baat samajh gayi main.aage kahiye to
kya shiva ne kiya ye sab?",devika ko laga ki kahi shiva ne uske jism
ki hawas me pagal ho ye kaam to nahi kiya tha.
"kuchh samajh nahi aata.dekhiye,agar shiva krta to vo dawa ki dibiya
puri gayab hi nahi kar deta kewal badalta kyu?jaha tak mujhe andaza
hai vo aapke pati ke sath saye ki tarah laga rehta tha to use ye bhi
pata hoga ki dawa kya kaam karti hai fir vo dawa ko badlega bhi to
bahut dhyan se.uski khoti niyat jaanane ke baad bhi mujhe pura yakin
nahi ho raha ki dawa ke sath usne chhedchhad ki hai.ab agar vo dawa ki
dibiya jo aapke pati istemal kar rahe the to shayad kuchh surag mile
magar jisne dibiya badli usne sue to thikane laga diya hoga."
"magar dawa badli kyu?jaisa aap keh rahi hain vo dibiya gayab bhi kar
sakta tha."
"shayad isliye ki vo ye na chahta ho ki kisi ka dhayn dawa pe jaye
bhi.agar dawa gayab ho jati to ho sakta hai kisi ka dhyan uspe chala
jata.ab jab dawa usi jagah pe rakhi rahti to kisi ka bhi dhyan nahi
jata ki us dawa ka bhi kuchh lena-dena hai suren ji ki maut se."
"to fir kaun ho sakta hai iske peechhe kamini ji?"
"ye baat to mujhse behtar shayad aap pata laga len.",rashmi dastak de
vasiyat ka 1 draft leke aayi jisme kamini ne kuchh galtiya sahi ki &
rsahmi ko use fir se taiyyar karke lane ko kaha,"..devika ji,zyada
ghabraiye mat bas savdhan rahiye.ab jab ye vasiyat taiyyar hai to
aapko nuksan pahuchane ki vajah bhi khatam ho jati hai kyuki kisi ko
kcuhh hasil nahi hone wala aapko nuksan pahuncha ke.main aapke sath hu
& hum dono zarur hi us insan ka pata laga lenge jo aapke parivar pe
buri nazar dalta hai.",rashmi vasiyat ka final draft le aayi thi jise
devika ne dastkhat kar kamini ke paas hifazat se rakhwa diya.
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kramashah..............
आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj
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