Saturday, October 23, 2010

कामुक-कहानियाँ बदला पार्ट--2

कामुक-कहानियाँ

बदला पार्ट--2
हेल्लो दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी बदला
पार्ट--2 लेकर आपके लिए हाजिर हूँ दोस्तों ये कहानी भी मजेदार और कई
पार्ट में हैं अब कहानी का मजा लीजिये और बताइये कहानी आपको कैसी लगी
गतान्क से आगे...........
अब कामिनी अपने घुटनो पर बैठी खिड़की की सिल पे वैसे ही हाथो पे चेहरे को
रखे बाहर देख रही थी & उस बड़े से सोफे पे चंद्रा साहब भी अपना पाजामा
उतार कर उसके पीछे वैसे ही घुटनो पे आ बैठे थे.सारी मे कसी गंद पे लंड
मुहसूस होते ही कामिनी ने पीछे मुड़ना चाहा मगर चंद्रा साहब ने उसे ऐसा
नही करने दिया & 1 बार फिर उसकी कमर को पकड़ के उसके गालो को चूमने
लगे.उनके हाथ कमर से नीचे फिसल कर उसकी सारी को उपर खींचने लगे.कामिनी ने
भी अपने घुटने थोड़ा सा उठाके इस काम मे उनकी मदद की.

सारी कमर तक उठा के उन्होने अपने हाथ अंदर घुसा के उसकी मखमली जंघे
सहलाते हुए उसकी गर्दन के नीचे चूमना शुरू किया तो कामिनी भी अपने हाथ
पीछे ले जाके उनके सर & उनके बदन पे हाथ फेरने लगी.चंद्रा साहब ने गर्दन
से नीचे आ उसकी पीठ पे चूमते हुए अपना दाया हाथ उसकी दाई जाँघ से हटाया &
उसके ब्लाउस की गाँठ खींच दी,"..हा..!..",कामिनी ने आह भरी,"..जल्दी
कीजिए,सर..कही आंटी ना आ जाएँ."

ब्लाउस की गाँठ खुलते ही सामने लाल रंग की ब्रा पतली सी पट्टी उसकी पीठ
पे दिखाई दी,ब्रा मे बस 1 हुक था.चंद्रा साहब ने उसे खोल ब्रा को ढीला
किया & उसके कप्स को उपर कर उसकी चूचियो को मसलना शुरू कर
दिया,"..ऊओवव....ऊओ...!",कामिनी आहे भरने लगी,चंद्रा साहब वैसे ही उसकी
चूचिओ मसल्ते हुए उसे चूमते रहे.उनके हाथो का मज़ा लेते हुए कामिनी ने
बाहर निगाह डाली.माली काफ़ी काम निपटा चुका था,"..आअननह..जल्दी
करिए...प्लेअसस्सीए...!"

"चंद्रा साहब फ़ौरन झुके & उसकी पॅंटी निकाल दी.पॅंटी उतरवाने के लिए
कामिनी थोड़ा उठी & फिर पहले की ही तरह घुटनो पे बैठ गयी.उसने सोचा की अब
चंद्रा साहब उसे चोदेन्गे मगर नही चंदर साहब ने उसे फिर हैरान कर
दिया,"..आआआआअहह....!",उन्होने झुक के पीछे से कामिनी की चूत मे अपना
मुँह घुसा दिया था & उसे चाटने लगे थे.कोई 3-4 मिनिट तक उनकी लपलपाति जीभ
उसकी चूत की गहराइयो मे उतरी रही & फिर उसके दाने को छेड़ती रही.कामिनी
बहाल हो गयी थी & उसकी चूत से पानी रिसे जा रहा था,"..अब और मत
तडपा...इए...ऊओवव्व....अब आ जा...इए....नाआ..!",उसने तड़प के सर घुमाया &
दाए हाथ से अपनी चूत चाटते चंद्रा साहब के बाल पकड़ के खींचा.

अपनी शिष्या की बात मानते हुए चंद्रा साहब फ़ौरन उसके पीछे घुटनो के बल
सोफे पे आ गये & उसकी गीली चूत मे अपना 7 इंच का लंड घुसा दिया.कामिनी की
36 इंच की चौड़ी कसी गंद को दबोचते हुए उन्होने गहरे धक्के लगाने शुरू कर
दिए,चंद्रा साहब उसके हुस्न के दीवाने थे मगर उसकी गंद के लिए उनके दिल
मे कुच्छ खास ही जगह थी.कामिनी भी ये बात जानती थी & जब वो उसकी गंद से
खेलते तो उसकी मस्ती भी दुगुनी हो जाती.लंड अंदर जाते ही उसकी चूत मे
पटाखे छूटने लगे थे.ये शिद्दत..ये गर्मी..उसे अब शत्रुजित के साथ महसूस
नही होती थी..उसे हैरत भी हो रही थी की 1 बूढ़े इंसान के साथ उसे ऐसी
खुमारी का एहसास होता था.

उसे चंद्रा साहब पे बहुत प्यार आया & सिल को पकड़े हुए उसना अपना सर उठा
के पीछे कर होंठ गोल कर उन्हे चूमने का इशारा किया.चंद्रा साहब उसकी इस
अदा पे और जोश मे आ गये,उन्होने 1 नज़र अपनी बीवी पे डाली..उसका काम बस
पूरा ही हो गया था..वो आगे झुके & कामिनी की मस्त 38द साइज़ की छातियो को
मसलते हुए उसकी पीठ से बुल्कुल सॅट उसके घूमे हुए चेहरे पे किस्सस कीझड़ी
लगा दी.कामिनी भी मस्ती मे आहे भरती हुई कमर हिलाते हुए बाए हाथ से सहारे
के लिए सिल को पकड़े दाए हाथ को पीछे ले जाके उनके बालो को पकड़ कर उनके
होंठो को अपने गुलाबी होंठो से सटा लिया.चंद्रा साहब बहुत तेज़ धक्के लगा
रहे थे,उनकी 1 निगाह अपनी बीवी पे थी & दूसरी अपनी शिष्या के मदहोश चेहरे
पे.

तभी उन्होने देखा की माली अपने औज़ार & खाद वग़ैरह समेट रहा है.उन्होने
उसकी चूचियो को ज़ोर से दबाया & अपने लंड को पूरी तरह से बाहर खींच कर
फिर से अंदर पेला.कामिनी के होंठ तो चंद्रा साहब के होंठो से सिले हुए थे
मगर फिर भी उसके गले से ऊन आँह की आवाज़े आ रही थी..उसकी मस्ती भी अब
उसके सर पे सवार हो गयी थी..और फिर वो मक़ाम आ गया जिसका दोनो प्रेमियो
को बेसब्री से इंतेज़ार था..कामिनी की चूत अपनेआप सिकुड़ने फैलने लगी &
उसने सोफे की बॅक को कस के भींच लिया.उसकी चूत की हर्कतो ने कमाल दिखाया
& चंद्रा साहब का बदन भी झटके खाने लगा.अपनी प्रेमिका के झाड़ते ही
उन्होने भी अपना पानी उसकी चूत मे छ्चोड़ दिया था.

माली जा रहा था & मिसेज़.चंद्रा वापस अंदर आ रही थी.चंद्रा साहब ने हौले
से लंड बाहर खींचा,अपना पाजामा पहना & सहारा देके कामिनी को सोफे से उतार
के खड़ा किया & उसके चेहरे को चूम लिया.जवाब मे कामिनी ने भी उनके होंठो
को चूमा & अपने कपड़े संभालती बाथरूम की ओर चली गयी.उसके जाते ही
मिसेज़.चंद्रा ड्रॉयिंग रूम मे दाखिल हुई & तभी चंद्रा साहब की निगाह
सोफे के पास फर्श पे पड़ी कामिनी की गीली,लाल पॅंटी पे पड़ी.उन्होने उसे
फ़ौरन उठा के अपने कुर्ते की जेब के हवाले किया..वो बाल-2 बचे थे!

"कामिनी कहा गयी?"

"बाथरूम गयी है."

"अच्छा.",मिसेज़.चंद्रा किचन मे चली गयी तो चंद्रा साहब ने जेब से पॅंटी
को निकाल के सूंघ के चूमा & मुस्कुरा के उसे वापस जेब मे रख लिया.

कामिनी बाथरूम से वापस आई तो उसके चेहरे पे हल्की घबराहट थी मगर जैसे ही
उसने सोफे पे बैठे चंद्रा साहब को मुस्कुराते देखा तो वो सब समझ गयी.

"ये बताओ की खाने मे क्या खाओगि?"

"ये आप बताएँगी,आंटी!"

"मैं?"

"जी!हम तीनो आज बाहर खाएँगे."

"अरे बेवजह परेशान..-"

"..-परेशानी!आंटी,रेस्टोरेंट मे कौन से मुझे खाना बनाना पड़ेगा?!चलिए
जल्दी से तैय्यार हो जाइए."

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"बहुत तारीफ सुनी थी इस जगह की आज देख ही लिया जाए !",कामिनी चंद्रा साहब
& उनकी बीवी के साथ लिफ्ट से बाहर निकल कर रेस्टोरेंट की ओर जा रही थी कि
तभी 1 शख्स उस से टकराता हुआ चला गया.

"अरे..!",कामिनी लड़खड़ाई,वो शख्स उसपे बिना कोई ध्यान दिए लिफ्ट मे चला
गया था,"..बड़ा बदतमीज़ आदमी है..1 तो टकराया उपर से माफी भी नही
माँगी..हुंग!",कामिनी बुदबुदाई.

तीनो रेस्टोरेंट की टेबल पे बैठ के मेनू देख रहे थे.थोड़ी देर बाद जब
वेटर ऑर्डर लेके चला गया तो चंद्रा साहब अपनी बीवी से मुखातिब हुए,"जो
आदमी इस से टकराया था तुमने उसकी शक्ल देखी?"

"नही.कौन था?"

"वीरेन सहाय."

"वो सहाय एस्टेट वाले सुरेन सहाय का छ्होटा भाई?"

"हां."

"मगर वो तो बाहर चला गया था ना?"

"हूँ.हो सकता है किसी काम से आया हो."

"मुझे भी तो कुच्छ बताइए.",कामिनी की जिग्यासा जाग चुकी थी.

"यही बताएँगे.इन्होने तो पहचान भी लिया..मुझे तो इतने साल हो गये देखे
हुए..सामने बैठ के बात कर लेता तब भी पहचान नही पाती.",वेटर फ्रेश लाइम
के 3 ग्लास उनके टेबल पे रख रहा था.

"सुरेन सहाय के बारे मे तो तुम जानती ही होगी."

"हां."

"ये उसी का छ्होटा भाई था..",चंद्रा साहब ने 1 घूँट भरा,"..बढ़िया
है..",ड्रिंक की तारीफ के बाद उन्होने बात आगे बधाई,"..इसे खानदानी
बिज़्नेस मे ज़रा भी दिलचस्पी नही थी,पैंटिंग का शौक था..आर्ट कॉलेज मे
पढ़ाई के बाद पॅरिस चला गया था..मा-बाप जब तक ज़िंदा थे हर साल 1 चक्कर
ज़रूर लगाता था मगर उनकी मौत के बाद तो शायद आज पहली दफ़ा मैने इसे इस
शहर मे देखा है."

"तो ये तो उस एस्टेट का आधा मालिक है सर?"

"हां.कैलाश सहाय ने कोई वसीयत नही छ्चोड़ी थी,उनकी मौत के बाद सुरेन जी
ने अपने भाई से पुचछा की क्या वो बँटवारा चाहता है मगर उसने मना कर
दिया..बोला की आप ही ये सब संभालें..",चंद्रा सहाब ने अपना ग्लास खाली कर
दिया.

"मगर सर,उस बिज़्नेस के सालने मुनाफ़े का आधा हक़दार तो ये भी है?"

"हां,मगर मुझे पता नही की सुरेन जी ने इसके साथ क्या समझौता किया हुआ
है..कैलाश जी मेरे गुरु मिश्रा सर के मुवक्किल थे..इसी वजह से मैं ये सब
जानता हू..अब का पता नही."

"अच्छा सर,फ़र्ज़ कीजिए वीरेन सहाय आज अपने बड़े भाई से आधा हिस्सा माँगे
तो क्या होगा?"

"सुरेन सहाय का दिल तो खून के आँसू रोने लगेगा!उसने इस धंधे को अकेले इस
मक़ाम तक पहुचाया है,उपर से वो पक्का बिज़्नेसमॅन है..चाहता है की दूसरो
की जेब खाली होती रहे मगर अपनी भरी रहे!अब इस वक़्त उस से कोई हिस्सा
माँगे तो उसे गुस्सा & दुख तो होगा ही."

"अच्छा-2 अब ये बाते छ्चोड़ो..",वेटर के खाना लेके आते ही मिसेज़.चंद्रा
ने उनसे कहा तो तीनो खाना खाने मे मशगूल हो गये.

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रात के 11 बजे सुरेन जी अपनी एस्टेट पहुँचे.एस्टेट के मैन गेट से कोई 2
किमी की दूरी पे उनका आलीशान बांग्ला था जिसकी पहली मंज़िल पे उनका,उनके
बेटे का & शिवा का कमरा था.पहली मंज़िल की सीढ़िया चढ़ते ही शिवा & वो
अपने-2 कमरे मे दाखिल हो गये.अंदर घुसते ही सुरेन जी को बाथरूम मे पानी
गिरने की आवाज़ आई..उनकी बीवी देविका नहा रही था.सुरेन जी ने भी अपना कोट
उतार के किनारे रखा.

"अरे..आ गये आप!",गुलाबी रंग के बातरोब मे लिपटी देविका बाथरूम से बाहर आ
गयी थी,"अभी-2 आए क्या?",उसने अपने गीले बालो से तौलिए को अलग कर किनारे
रखा & उनके पास आ गयी.सुरेन जी शर्ट के बटन खोल रहे थे,देविका ने उनके
हाथो को बटन से अलग किया & खुद ये काम करने लगी,"सब ठीक रहा ना?",उसने
अपने पति की आँखो मे देखा.

"हूँ.",देविका ने शर्ट उतार कर किनार रखी तो सुरेन जी ने उसे बाहो मे भर लिया.

"ओफ्फो!क्या कर रहे हैं?..आप भी ना!..हा..हा..!",देविका खिलखिला
उठी,सुरेन जी के उसकी गर्दन चूमने से उसे गुदगुदी हो रही थी.सुरेन जी ने
उसके गाउन की डोरी को खोला कर अपने हाथ अंदर घुसा के उसकी नंगी कमर को
बाहो मे भर उसे अपने सीने से लगा लिया.देविका की आँखो मे भी अबखुमारी
छाने लगी थी,अपने पति के गले मे बाँहे डाल उसने अपना चेहरा उनके बालो भरे
सीने मे च्छूपा लिया.

"खाना खाया आपने?",अपने चेहरे को उनके सीने मे हल्के-2 रगड़ते हुए उसने
अपने नाख़ून उनकी पीठ पे चलाए.

"हां.",सुरेन जी थोडा पीछे हुए & रोब को देविका के कंधो से नीचे सरका
दिया.उसने नीचे कुच्छ नही पहना था & अब उसका गोरा जिस्म उसके पति की आँखो
के सामने अपने पूरे शबाब मे नुमाया था.सुरेन जी थोड़ा पीछे हुए & अपनी
बीवी के हुस्न को निहारा.देविका का कद कोई 5'5" था & इस वक़्त उसकी उम्र
45 बरस थी मगर कुद्रत की उसपे ऐसी मेहेरबानी थी की वो अपनी उम्र से 10
बरस छ्होटी लगती थी.भरा-2 बदन अभी भी जवान से जवान मर्द को अपनी ओर
खींचने मे नाकाम नही रहता था.वो हमेशा सारी ही पहनती थी & उस लिबास मे
उसकी 38 इंच की चौड़ी गंद बहुत मस्तानी लगती थी.

सुरेन जी ने उसके पीछे जाके उसकी गंद को हौले से सहलाया..इस उम्र मे भी
कैसी कसी हुई थी!उन्होने सैकड़ो वेश्याओ को चोदा था मगर अपनी बीवी जैसी
पूर्कशिष हुस्न की मल्लिका उन्होने आज तक नही देखी थी.देविका के चेहरे पे
खुमारी की लाली बिखर गयी थी,"..पहले नहा तो लीजिए..",उसने अपना सर पीछे
खड़े अपने पति के सीने से टीका दिया & अपने हाथ पीछे ले जाके उसके बदन के
बगल मे सहलाने लगी.

"हूँ..",सुरेन जी ने उसकी 30 इंच की कमर को बाहो के घेरे मे भर उसके
चेहरे को चूम लिया,"..मैं कितना ख़ुसनसीब हू,देविका..की मुझे तुम
मिली!",उन्होने उसकी 38 साइज़ की चूचियो को अपने हाथो मे तौला..उम्र के
साथ गंद की तरह इनमे भी ज़रा भी ढीलापन नही आया था & ये गुलाबी
निपल्स..अफ!सुरेन जी ने उन्हे उंगलियो मे पकड़ के मसला,"..आहह..!",देविका
अब पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी.

सुरेन जी ने शाम को ही कल्लगिर्ल के साथ रंगरेलियाँ मनाई थी & वो अभी
उतने बेचैन नही हुए थे,उनके दिल मे ख़याल आया की पहले नहा ही लिया जाए
फिर आराम से बीवी के जिस्म का लुत्फ़ उठाएँगे,"..अभी नहा के आता हू..सोना
मत.",उन्होने उसे चूमा & बाथरूम मे घुस गये.

देविका थोड़ी मायूस हुई & जाके अपने ड्रससिंग टेबल के स्टूल पे बैठ
गयी.देविका ने अपना बेडरूम विक्टोरियन स्टाइल मे डेकरेट करवाया था & सारा
फर्निचर इंग्लेंड से आया था,देखने से लगता था मानो पुराने ज़माने के किसी
अँग्रेज़ रानी के कमरे मे आ गये हो.

गद्देदार स्टूल पे नंगे ही बैठ के कंघी उठा के अपने बालो मे फिराने लगी
तभी सामने के आईने मे 1 अक्स उभरा जिसे देखते ही देविका के चेहरे पे डर
फैल गया,वो पीछे घूमी ही थी की वो इंसान उसे अपनी बाहो मे भरते हुए उसके
पीछे स्टूल पे उस से सॅट के बैठ गया,"शिवा..अभी
नही..प्लीज़..जाओ!",देविका ने उसे परे धकेला पर शिवा मानने वाला कहा
था,वो तो पूरी तैय्यारि के साथ आया था.

वो ऐसे बैठा था की उसकी दोनो जंघे देविका की दोनो जाँघो के दोनो तरफ उनसे
सटी थी & वो बाए हाथ से उसकी चूचियो को दबाता हुआ अपना दाया हाथ उसकी
बिना बालो की चिकनी चूत के उपर फिरा रहा था,"..ऊहह..",धीमी आवाज़ मे
देविका करही,"..वो बाथरूम मे हैं..कही बाहर ना आ जाए..",देविका फुसफुसाई
तो शिवा ने उसे अपने होंठो से चूम के चुप करा दिया,उसकी उंगली देविका के
दाने पे गोल-2 घूम रही थी.सुरेन जी की हरकटो से वो पहले ही मस्त हो चुकी
थी & अब शिवा ने तो उसे बिल्कुल बेचैन कर दिया.उसे पकड़े जाने का डर भी
था पर साथ ही दिल मे अजीब सा एहसास था-उत्साह,डर & उमंग का मिला जुला
एहसास.

शिवा केवल 1 ट्रॅक पॅंट पहने आया था & उसके पॅंट के अंदर क़ैद उसका लंड
देविका की नंगी गंद मे चुभ रहा था.देविका ने अपना बदन उसकी बाहो मे ढीला
छ्चोड़ दिया था & उसकी किस का मज़ा उठाते हुए उसने अपना दाया हाथ पीछे ले
जाके उसके लंड को दबोच लिया.सुरेन जी को नहाने मे कम से कम आधा घंटा लगता
था,दोनो इस बात से वाकिफ़ थे मगर फिर भी ख़तरा मोल लेने मे कोई समझदारी
तो थी नही.

क्रमशः........


BADLA paart--2

gataank se aage...........
Ab kamini apne ghutno pa baithi khidki ki sill pe vaise hi hatho pe
chehre ko rakhe bahar dekh rahi thi & us bade se sofe pe chandra sahab
bhi apna pajama utar kar uske peechhe vaise hi ghutno pe aa baithe
the.sari me kasi gand pe lund muhsus hote hi kamini ne peechhe mudna
chaha magar chandra sahab ne sue aisa nahi karne diya & 1 baar fir
uski kamar ko pakad ke uske gaalo ko chumne lage.unke hath kamar se
neeche fisal kar uski sari ko upar khicnhne lage.kamini ne bhi apne
ghutne thoda sa uthake is kaam me unki madad ki.

sari kamar tak utha ke unhone apne hath andar ghusa ke uski makhmali
janghe sehlate hue uski gardan ke neeche chumna shura kiya to kamini
bhi apne hath peechhe le jake unke sar & unke badan pe hath ferne
lagi.chandra sahab ne gardan se neeche aa uski pith pe chumte hue apna
daya hath uski dayi jangh se hataya & uske blouse ki ganth khinch
di,"..haa..!..",kamini ne aah bhari,"..jaldi kijiye,sir..kahi aunty na
aa jayen."

blouse ki ganth khulte hi samne lal rang ki bra patli si patti uski
pith pe dikhai di,bra me bas 1 hook tha.chandra sahab ne sue khol bra
ko dhila kiya & uske cupse ko upar kar uski chhatiyo ko maslana shuru
kar diya,"..oooww....ooohhh...!",kamini aahe bharne lagi,chandar sahab
vaise hi uski choochioy masalte hue use chumte rahe.unke hatho ka maza
lete hue kamini ne bahar nigah dali.mali kafi kaam nipta chuka
tha,"..aaannhhh..jaldi kariye...pleassseee...!"

"chandra sahab fauran jhuke & uski panty nikal di.panty utarwane ke
liye kamini thoda uthi & fir pehle ki hi tarah ghutno pe baith
gayi.usne socha ki ab chandra sahab use chodenge magar nahi chandar
sahab ne sue fir hairan kar diya,"..AAAAAAAAAHHHHHHHH....!",unhone
jhuk ke peechhe se kamini ki chut me apna munh ghusa diya tha & use
chatne lage the.koi 3-4 minute tak unki laplapati jibh uski chut ki
gehraiyo me utari rahi & fir uske dane ko chhedti rahi.kamini behal ho
gayi thi & uski chut se pani rise ja raha tha,"..ab aur mat
tadpa...iye...ooowww....ab aa ja...iye....naaaa..!",usne tadap ke sar
ghumaya & daaye hath se apni chut chatate chandra sahab ke baal pakad
ke khincha.

apni shishya ki baat mante hue chandra sahab fauran uske peechhe
ghutno ke bal sofe pe aa gaye & uski gili chut me apna 7 inch ka lund
ghusa diya.kamini ki 36 inch ki chaudi kasi gand ko dabochte hue
unhone ghere dhakke lagane shuru kar diye,chandra sahab uske husn ke
deewane the magar uski gand ke liye unke dil me kuchh khas hi jagah
thi.kamini bhi ye baat janti thi & jab vo uski gand se khelte to uski
masti bhi duguni ho jati.lund andar jate hi uski chut me patakhe
chhutne lage the.ye shiddat..ye garmi..use ab shatrujit ke sath mehsus
nahi hoti thi..use hairat bhi ho rahi thi ki 1 boodhe insan ke sath
use aisi khumari ka ehsas hota tha.

use chandra sahab pe bahut pyar aaya & sill ko pakde hue usna apna sar
utha ke peechhe kar honth gol kar unhe chumne ka ishara kiya.chandra
sahab uski is ada pe aur josh me aa gaye,unhone 1 nazar apni biwi pe
dali..uska kaam bas pura hi ho gaya tha..vo aage jhuke & kamini ki
mast 38D size ki chhatiyo ko maslate hue uski pith se bulkul sat uske
ghume hue chehre pe kisses kijhadi laga di.kamini bhi masti me aahe
bharti hui kamar hilate hue baaye hath se sahare ke liye sill ko pakde
daye hath ko peechhe le jake unke baalo ko pakad kar unke hotho ko
apne gulabi hotho se sata liya.chandra sahab bahut tez dhakke laga
rahe the,unki 1 nigah apni biwi pe thi & dusri apni shishya ke madhosh
chehre pe.

tabhi unhone dekha ki mali apne auzar & khad vagairah samet raha
hai.unhone uski choochiyo ko zor se dabaya & apne lund ko puri tarah
se bahar khinch kar fir se andar pela.kamini ke honth to chandra sahab
ke hotho se sile hue the magar fir bhi uske gale se oon aanh ki aavaze
aa rahi thi..uski masti bhi ab uske sar pe savar ho gayi thi..aur fir
vo maqam aa gay jiska dono premiyo ko besabri se intezar tha..kamini
ki chut apneaap sikudne failne lagi & usne sofe ki back ko kas ke
bhinch liya.uski chut ki harkato ne kamal dikhaya & chandra sahab ka
badan bhi jhatke khane laga.apni premika ke jhadte hi unhone bhi apna
pani uski chut me chhod diya tha.

mali ja raha tha & mrs.chandra vapas andar aa rahi thi.chandra sahab
ne haule se lund bahar khincha,apna pajama pehna & sahar deke kamini
ko sofe se utar ke khada kiya & uske chehre ko chum liya.jawab me
kamini ne bhi unke hoptho ko chuma & apne kapde sambhalti bathroom ki
or chali gayi.uske jate hi mrs.chandra drawing room me dakhil hui &
tabhi chandra sahab ki nigah sofe ke paas farsh pe padi kamini ki
gili,laal panty pe padi.unhone use fauran utha ke apne kurte ki jeb ke
hawale kiya..vo baal-2 bache the!

"kamini kaha gayi?"

"bathroom gayi hai."

"achha.",mrs.chandra kitchen me chali gayi to chandra sahab ne jeb se
panty ko nikal ke soongh ke chuma & muskura ke use vapas jeb me rakh
liya.

Kamini bathroom se vapas aayi to uske chehre pe halki ghabrahat thi
magar jaise hi usne sofe pe baithe Chandra sahab ko muskurate dekha to
vo sab samajh gayi.

"ye batao ki khane me kya khaogi?"

"ye aap batayengi,aunty!"

"main?"

"ji!hum teeno aaj bahar khayenge."

"are bevajah pareshan..-"

"..-pareshani!aunty,restaurant me kaun se mujhe khana banana
padega?!chaliye jaldi se taiyyar ho jaiye."

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"bahut tarif suni thi is jagah ki aaj dekh hi liya jaye !",kamini
chandra sahab & unki biwi ke sath lift se bahar nikal kar restaurant
ki or ja rahi thi ki tabhi 1 shakhs us se takrata hua chala gaya.

"are..!",kamini ladkhadayi,vo shakhs uspe bina koi dhayn diye lift me
chala gaya tha,"..bada badtamiz aadmi hai..1 to takraya upar se mafi
bhi nahi mangi..hunh!",kamini budbudayi.

teeno restaurant ki table pe baith ke menu dekh rahe the.thodi der
baad jab waiter order leke chala gaya to chandra sahab apni biwi se
mukhatib hue,"jo aadmi is se takraya tha tumne uski shakl dekhi?"

"nahi.kaun tha?"

"Viren Sahay."

"vo Sahay Estate wale Suren Sahay ka chhota bhai?"

"haan."

"magar vo to bahar chala gaya tha na?"

"hun.ho sakta hai kisi kaam se aaya ho."

"mujhe bhi to kuchh bataiye.",kamini ki jigyasa jag chuki thi.

"yehi batayenge.inhone to pehchan bhi liya..mujhe to itne saal ho gaye
dekhe hue..samne baith ke baat kar leta tab bhi pehchan nahi
pati.",waiter fresh lime ke 3 glass unke table pe rakh raha tha.

"suren sahay ke bare me to tum janti hi hogi."

"haan."

"ye usi ka chhota bhai tha..",chandra sahab ne 1 ghunt
bhara,"..badhiya hai..",drink ki tarif ke baad unhone baat aage
badhayi,"..ise khandani business me zara bhi dilchaspi nahi
thi,painting ka shauk tha..art college me padhai ke baad Paris chala
gaya tha..maa-baap jab tak zinda the har saal 1 chakkar zarur lagata
tha magar unki maut ke baad to shayad aaj pehli dafa maine ise is
shahar me dekha hai."

"to ye to us estate ka aadha malik hai sir?"

"haan.Kailash Sahay ne koi vasiyat nahi chhodi thi,unki maut ke baad
suren ji ne apne bhai se puchha ki kya vo bantwara chahta hai magar
usne mana kar diya..bola ki aap hi ye sab sambhalen..",chandra ashab
ne apna glass khali kar diya.

"magar sir,us business ke salane munafe ka aadha haqdar to ye bhi hai?"

"haan,magar mujhe pata nahi ki suren ji ne iske sath kya samjhauta
kiya hua hai..kailash ji mere guru Mishra sir ke muwakkil the..isi
wajah se main ye sab janta hu..ab ka pata nahi."

"achha sir,farz kijiye viren sahay aaj apne bade bhai se aadha hissa
mange to kya hoga?"

"suren sahay ka dil to khun ke aansu rone lagega!usne is dhandhe ko
akele is maqam tak pahuchaya hai,upar se vo pakka businessman
hai..chahta hai ki dusro ki jeb khali hoti rahe magar apni bhari
rahe!ab is waqt us se koi hissa mange to use gussa & dukh to hoga hi."

"achha-2 ab ye baate chhodo..",waiter ke khana leke aate hi
mrs.chandra ne unse kaha to teeno khana khane me mashgul ho gaye.

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raat ke 11 baje suren ji apni estate pahunche.estate ke main gate se
koi 2 km ki duri pe unka aalishan bungla tha jiski pehli manzil pe
unka,unke bete ka & Shiva ka kamra tha.pehli manzil ki sdihiya chadhte
hi shiva & vo apne-2 kamre me dakhil ho gaye.andar ghuste hi suren ji
ko bathroom me pani girne ki aavaz aayi..unki biwi devika naha rahi
tha.suren ji ne bhi apna coat utar ke kinare rakha.

"are..aa gaye aap!",gulabi rang ke bathrobe me lipti devika bathroom
se bahar aa gayi thi,"abhi-2 aaye kya?",usne apne gile baalo se
tauliye ko alag kar kinare rakha & unke paas aa gayi.suern ji shirt ke
button khol rahe the,devika ne unke hatho ko button se alag kiya &
khud ye kaam karne lagi,"sab thik raha na?",usne apne pati ki aankho
me dekha.

"hun.",devika ne shirt utar kar kinar eki to suren ji ne use baaho me bhar liya.

"offoh!kya kar rahe hain?..aap bhi na!..haa..haa..!",devika khilkhila
uthi,suern ji ke uski gardan chumne se use gudgudi ho rahi thi.suern
ji ne uske gown ki dori ko khola kar apne hath andar ghusa ke uski
nangi kamar ko baaho me bhar use apne seene se laga liya.devika ki
aankho me bhi abkhumari chhane lagi thi,apne pati ke gale ma bahe daal
yusne apna chehra unke baalo bhare seene me chhupa liya.

"khana khaya aapne?",apne chehre ko unke seene me halke-2 ragadte hue
usne apne nakhun unki pith pe chalaye.

"haan.",suren ji thoda peechhe huye & robe ko devika ke kandho se
neeche sarka diya.usne neeche kuchh nahi pehna tha & ab uska gora jism
uske pati ki aankho ke samne apne pure shabab me numaya tha.suren ji
thoda peechhe hue & apni biwi ke husn ko nihara.devika ka kad koi 5'5"
tha & is waqt uski umra 45 baras thi magar kudrat ki uspe aisi
meherbani thi ki vo apni umra se 10 baras chhoti lagti thi.bhara-2
badan abhi bhi jawan se jawan mard ko apni or khinchne me nakam nahi
rehta tha.vo humesha sari hi pehanti thi & us libas me uski 38 inch ki
chaudi gand bahut mastani lagti thi.

suren ji ne uske peechhe jake uski gand ko haule se sehlaya..is umra
me bhi kaisi kasi hui thi!unhone saikdo veshyao ko choda tha magar
apni biwi jaisi purkashish husn ki mallika unhone aaj tak nahi dekhi
thi.devika ke chehre pe khumari ki lali bikhar gayi thi,"..pehle naha
to lijiye..",usne apna sar peechhe khade apne pati ke seene se tika
diya & apne hath peechhe le jake uske badan ke bagal me sehlane lagi.

"hun..",suren ji ne uski 30 inch ki kamar ko baaho ke ghere me bhar
uske chehre ko chum liya,"..main kitna khusnasib hu,devika..ki mujhe
tum mili!",unhone uski 38 size ki chhatiyo ko apne hatho me
taula..umra ke sath gand ki tarah inme bhi zara bhi dhilapan nahi aaya
tha & ye gulabi nipples..uff!suren ji ne unhe ungliyo me pakad ke
masla,"..aahhhh..!",devika ab puri tarah se mast ho chuki thi.

suren ji ne sham ko hi callgirl ke sath rangreliyan manayi thi & vo
abhi utne bechain nahi hue the,unke duil me khayal aaya ki pehle naha
hi liya jaye fir aram se biwi ke jism ka lutf uthayenge,"..abhi naha
ke aata hu..sona mat.",unhone use chuma & bathroom me ghus gaye.

devika thodi mayus hui & jake apne drssing table ke stool pe baith
gayi.devika ne apna bedroom Victorian style me decorate karwaya tha &
sara furniture England se aaya tha,dekhne se lagta tha mano purane
zamane ke kisi angrez rani ke kamre me aa gaye ho.

gaddedar stool pe nange hi baith ke kanghi utha ke apne baalo me
firane lagi tabhi samne ke aaine me 1 aks ubhra jise dekhte hi devika
ke chehre pe darr fail gaya,vo peechhe ghumi hi thi ki vo insan use
apni baaho me bharte hue uske peechhe stool pe us se sat ke baith
gaya,"shiva..abhi nahi..please..jao!",devika ne use pare dhakela par
shiva maanane vala kaha tha,vo to puri taiyyari ke sath aaya tha.

vo aise baitha tha ki uski dono janghe devika ki dono jangho ke dono
taraf unse sati thi & vo baaye hath se uski choochiyo ko dabata hua
apna daya hath uski bina balo ki chikni chut ke upar fira raha
tha,"..oohh..",dhimi aavaz me devika karahi,"..vo bathroom me
hain..kahi bahar na aa jaye..",devika phusphusayi to shiva ne use apne
hotho se chum ke chup kara diya,uski ungli devika ke dane pe gol-2
ghum rahi thi.suren ji ki harkato se vo pehle hi mast ho chuki thi &
ab shiva ne to use bilkul bechain kar diya.use pakde jane ka darr bhi
tha par sath hi dil me ajib sa ehsas tha-utsah,darr & umang ka mila
jula ehsas.

shiva kewal 1 track pant pehne aaya tha & uske pant ke andar qaid uska
lund devika ki nangi gand me chubh raha tha.devika ne apna badan uski
baaho me dhila chhod diya tha & uski kiss ka maza uthate hue usne apna
daya hath peechhe le jake uske lund ko daboch liya.suren ji ko nahane
me kam se kam aadha ghanta lagta tha,dono is baat se vakif the magar
fir bhi khatra mol lene me koi samajhdari to thi nahi.

kramashah........


आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj

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