Sunday, October 24, 2010

कामुक-कहानियाँ बदला पार्ट--37

कामुक-कहानियाँ

बदला पार्ट--37

गतान्क से आगे...
"मन्नू,कैसे हो भाई?",देविका ने बंगल के रखवाले के सलाम का जवाब दिया.

"बढ़िया हू,मालकिन.आप अचानक कैसे आ गयी?",उसने बंगल के अंदर जाने का
दरवाज़ा खोला,"..आपलोग यहा हॉल मे बैठिए तब तक मैं आपका कमरा & गेस्ट रूम
सॉफ करवाता हू.",मन्नू ने बगल के बंगल से अपने 1 दोस्त को मदद के लिए
बुलाया & दोनो कमरो की सफाई मे लग गये.

"यहा सब ठीक है ना,मन्नू?तुम्हे किसी चीज़ की ज़रूरत तो नही?",उपरी
मंज़िल पे बने दोनो कमरो की सफाई मे लगे नौकर से देविका ने पुचछा.

"नही,मालकिन.हमे तो कोई चीज़ की ज़रूरत नही लेकिन कल अपना जेनरेटर खराब
हो गया उसे ठीक करवा दीजिएगा."

"तुमने एस्टेट मे खबर नही की?"

"नही,मालकिन.सोचा था की आज करूँगा पर भूल गया.अभी आपको देखा तो याद
आया.",कमरो की सफाई हो गयी थी,देविका & इंदर खाना तो ख़ाके आए थे तो
मन्नू ने दोनो के कमरो मे पीने का पानी & 1-1 मोमबत्ती रख दी.

"और कुच्छ तो नही चाहिए,मालकिन?"

"नही,मन्नू.तुम जाके सो जाओ."

"ठीक है,मालकिन.आप दरवाज़ा अंदर से बंद कर लीजिए.सवेरे वही 8 बजे आऊँ
ना?",मन्नू पुराना नौकर था & देविका की रोज़मर्रा की आदतो से अच्छे से
वाकिफ़ था.

"हां,मन्नू.",देविका ने बंगल का मैं दरवाज़ा बंद किया & फिर सीढ़िया चढ़
उपर आने लगी की बत्ती चली गयी.घुप अंधेरे मे देविका को कुच्छ भी नही सूझ
रहा था.

"इंदर..इंदर..",सीढ़ियो के उपर पहुँच उसने इंदर को आवाज़ दी जोकि
मोमबत्ती ढूढ़ने मे लगा था.

"आया मॅ'म.",इंदर कमरे से निकला & देविका की आवाज़ की ओर बढ़ा & अपनी ओर
आती देविका से टकरा गया.देविका गिरने लगी तो इंदर ने उसे बाहो मे संभाल
लिया.ठीक उसी वक़्त कोई जानवर उनके बगल से कूद के भागा.

"ऊओवव!",देविका डर से चीखी & इंदर से चिपक गयी.इंदर ने उस बाँहो मे भरा &
उस भागते जानवर को देखा जो देविका के कमरे की बाल्कनी के खुले दरवाज़े से
कूद के भाग रहा था-वो 1 छ्होटी सी बिल्ली थी.

"बस बिल्ली थी,भाग गयी.",इंदर की बाहे देविका की पीठ को घेरे थी.दोनो का
कद लगभग 1 सा था & देविका सर झुका के उसके सीने मे मुँह च्छुपाया हुआ
था.उसने अपनी बाहे इंदर की कमर पे कसी हुई थी.इस तरह से सटे होने के कारण
देविका अपनी चूत पे इंदर का लंड-जोकि धीरे-2 तन रहा था,उसका दबाव सॉफ
महसूस कर रही थी.स्टड फार्म की रात के बाद इंदर को पूरा यकीन हो गया था
की देविका उसके करीब आना चाहती थी.आज बिल्कुल सही मौका था उसकी हसरत पूरी
करने का,अगर आज उसने ये शुभ काम नही किया तो हो सकता है देविका ये समझे
की उसे उसमे कोई दिलचस्पी नही & पीछे हट जाए.

देविका अभी भी इंदर से चिपकी हुई थी.वो चाहती थी की इंदर पहल करे & उसे
अपने से अलग करे मगर उसे क्या पता था की शातिर इंदर भी आज उसी के जैसे
ख़याल अपने दिल मे संजो रहा था.इंदर ने अपनी बाहो का दबाव थोड़ा बढ़ा
दिया जिसे महसूस करते ही देविका की आह निकल गयी & उसने अपना सर उसके सीने
से उठा दिया.

अब दोनो की आँखे अंधेरे की आदि हो गयी थी & 1 दूसरे के चेहरे को देख पा
रही थी.दोनो इस वक़्त देविका के कमरे के ठीक बाहर खड़े थे.जैसे ही देविका
ने सर उठाया इंदर ने अपने होंठ उसके होंठो से लगा दिए.देविका ने सोचा भी
नही था की इंदर ऐसा करेगा.उसे बड़ा सुखद आश्चर्या हुआ.

इंदर उसके गुलाबी होंठो को चूमे जा रहा था.देविका की खुशी का तो ठिकाना
ही नही था.उसकी बाहे भी इंदर की कमर पे और कस गयी.थोड़ी देर बाद इंदर ने
अपनी ज़ुबान को देविका के होंठो के पार उसके मुँह मे घुसाने की कोशिश
की.देविका के बदन मे आग लगी थी & इंदर की इस मस्तानी हरकत ने उस आग को और
भड़का दिया.दिल मे अरमानो का ऐसा सैलाब उमड़ा पड़ा था जोकि देविका से
संभाला नही गया & उसने बेचैन हो अपने होंठ इंदर के होंठो से अलग कर दिए &
अपना चेहरा दाई तरफ घुमा लिया.इंदर के तपते होंठ उसके बाए गाल से आ
लगे.चूमते-2 इंदर उसके दाए गॉल पे पहुँचा & मजबूरन देविका को अब अपना
चेहरा बाई ओर घुमाना पड़ा.

इंदर की किस्सस उसे बहुत प्यारी लग रही थी.लग रहा था जैसे हल्की बारिश की
फुहारे उसके प्यासे बदन को भिगो उसे सुकून पहुँचा रही थी.1 बार फिर इंदर
के होंठ देविका के खूबसूरत चेहरे पे घूमने के बाद उसके होंठो से आ
लगे.देविका समझ गयी की थी की इंदर के अंदर भी उसी के जैसे आग भड़क रही
है.ये ख़याल आते ही उसके चूमने की शिद्दत बढ़ गयी & इस बार जब इंदर ने
उसकी ज़ुबान को अपनी ज़ुबान से तलाशा तो देविका ने बड़ी गर्मजोशी से दोनो
का मिलन करवाया.

चूमते हुए इंदर के हाथ उसकी पीठ से उसकी नंगी कमर पे आ गये थे & देविका
के हाथ उसकी गर्दन के गिर्द.दोनो पागलो की तरह 1 दूसरे को चूमे जा रहे
थे.अपनी बाहो मे भर इंदर देविका को उसके कमरे के अंदर ले आया.बड़ी देर तक
दोनो 1 दूसरे को चूमते रहे.थोड़ी-2 देर पे सांस लेने के लिए दोनो के लब
अलग होते मगर फिर ऐसे जुड़ जाते जैसे की जुड़ा रहे तो ज़िंदा नही
रहेंगे.जी भर के चूमने के बाद इंदर के होंठ नीचे बढ़े & देविका की गोरी
गर्दन पे घूमने लगे.देविका मस्ती मे खो गयी थी.उसके चूत से पानी रिसना
शुरू हो गया था & वो इंदर के बालो मे बेचैनी से उंगलिया फिरा रही थी.

दोनो की जद्दोजहद मे देविका की सारी का पल्लू उसके कंधे से नीचे गिर गया
था & अब इंदर उसके नुमाया हो चुके क्लीवेज पे लगा हुआ था.देविका की
चूचियो से मदहोश करने वाली खुश्बू आ रही थी & इंदर उसमे डूबा चला जा रहा
था.शिवा के जाने के बाद ये पहली बार था जब देविका का बदन किसी मर्द की
बाहो मे था & वो इस पल का भरपूर मज़ा उठा रही थी.इंदर उसके सीने से भी
नीचे जा रहा था.देविका अब अपने पीछे की दीवार से सॅट के खड़ी थी & इंदर
अपने घुटनो पे बैठा उसकी कमर को सहलाता उसके गोरे पेट को चूम रहा
था.देविका की सांस मानो अटकने लगी.इंदर की गर्म साँसे & तपते लब उसके पेट
को च्छू उसके दिल मे हुलचूल मचा रहे थे.इंदर का सर पकड़ उसने बेचैनी मे
उसे अपने पेट से लगा करना चाहा मगर इंदर ने उसकी अनसुनी करते हुए उसकी
नाभि मे अपनी जीभ घुसा दी & जल्दी-2 चलाने लगा.

देविका पागल हो गयी.उसका सर दीवार से सटे हुए उपर उठ गया.उसका बाया हाथ
उसके सर के उपर दीवार से लगा था & दाए से वो इंदर के बालो को पकड़े
थी.इंदर उसकी नाभि चाते जा रहा था.इंदर का मक़सद चाहे जो भी हो इस वक़्त
देविका के पूर्कशिष जिस्म का नशा उसके सर चढ़ के बोल रहा था & वो भी उस
हुसनपरी के साथ मस्ती के सागर की उन गहराइयो तक जाना चाहता था जहा वो
किसी & के साथ कभी जा नही पाया था.

इंदर की ज़ुबान देविका की गहरी नाभि से निकली & नाभि के नीचे & बँधी असरी
के उपर की कोमल जगह पे घूमने लगी.देविका इतनी मस्ती सहन नही कर पाई & फिर
बेचैन हो घूम गयी & दीवार को पकड़ अपना चेहरा च्छूपा लिया.इस से इंदर कहा
रुकने वाला था!उसने देविका की कमर की बगलो को पकड़ा & उन्हे हौले-2 दबाते
हुए उसकी कमर & निचली पीठ को चूमने लगा.देविका ने काले रंग का स्लीव्ले
ब्लाउस पहना था जोकि पीछे से काफ़ी खुला था.दिन भर तो वो सारी के आँचल को
अपने कंधो पे लपेटे रही थी तो इंदर को उसकी गुदाज़ बाँहो का दीदार नही
हुआ था मगर इस वक़्त पीछे से ऐसा लग रहा था की कमर के उपर देविका जैसे
नंगी ही हो.इंदर के गर्म हाथ उसकी कमर की बगलो पे उपर उसके ब्लाउस तक
जाते & फिर नीचे सारी तक आते.उसके होंठ उसकी कमर को दीवानो की तरह चूम
रहे थे.

देविका का बुरा हाल था.वो दीवार को पकड़े आहे भर रही थी & उसकी चूत मे
कसक उठ रही थी.वो बेचैनी मे अपनी जंघे आपस मे रगड़ रही थी.इंदर समझ गया
था की वो बहुत मस्त हो चुकी है & आज रात ये हसीन औरत उसे बहुत मज़ा देने
वाली है.वो चूमते हुए खड़ा हुआ & अब उसके होंठ ब्लाउस मे से दिख रही
देविका की उपरी पीठ पे थे.उसने अपने हाथ देविका के दीवार से लगे हाथो पे
रख दिए & अपनी उंगलियो को उसके उंगलियो मे पीछे से फँसा दिया.देविका के
जिस्म ने उसे पागल कर दिया था.चूमते हुए वो उसकी गर्दन पे आया & 1 बार
फिर उसके होंठ देविका के हसीन चेहरे से लग गये.

देविका ने अपना चेहरा दाई तरफ घुमाया तो 1 बार फिर इंदर ने अपने होंठ
उसके लरज़ते होंठो से लगा दिए.उसने देविका के दीवार पे लगे हाथो को वैसे
ही पकड़ा हुआ था.चूमते हुए उसके हाथ देविका के हाथो को छ्चोड़ उसकी कलाई
पे आए & फिर उसकी गोरी बहो पे.ऐसी गोरी & गुदाज़ बाहें इंदर ने अपनी
ज़िंदगी मे नही देखी थी.वो बस अपने उंगलियो के पोरो से उसको कोहनी से
लेके कंधे तक उन मस्त बाहो को सहलाए जा रहा था.अपने बदन की तारीफ देविका
को इंदर की हर हरकत मे दिख रही थी.उसे अपने हुस्न पे थोड़ा गुमान भी हुआ
& बहुत सारी खुशी भी & वो और शिद्दत के साथ अपने नये प्रेमी को चूमने
लगी.

थोड़ी देर तक इंदर के हाथ वैसे ही उसकी बाहो पे घूमते रहे फिर इंदर ने
अपने हाथ उसकी बाहो से उसके कंधे पे लाए & फिर उसकी पीठ की बगल से होते
हुए दोबारा उसकी कमर की बगल मे जा लगे.दोनो अभी भी वैसे ही 1 दूसरे को
चूम रहे थे.इंदर के हाथ उसकी कमर को सहलाते हुए आगे उसके पेट पे गये &
उसकी कमर मे अटकी सारी को खींच दिया.देविका के मुँह से आह निकली मगर इंदर
ने उसे चूमना नही छ्चोड़ा....अब वो नंगी हो रही थी..इंदर के सामने ..पहली
बार...देविका को इस ख़याल से शर्म आ गयी & उसके गालो मे मस्ती की लाली के
साथ शर्म का रंग भी घुल गया.इंदर के हाथो ने तेज़ी से सारी को निकाला &
फिर उसके पेटिकोट के बगल मे लगे हुक को भी खोल दिया.पेटिकोट अपनेआप ज़मीन
पे गिर गया मानो वो भी दोनो बेकरार जिस्मो के मिलन मे आड़े ना आना चाहता
हो.
क्रमशः..........

बदला पार्ट--37

गतान्क से आगे...
"Mannu,kaise ho bhai?",devika ne bungle ke rakhwale ke salam ka jawab diya.

"badhiya hu,malkin.aap achanak kaise aa gayi?",usne bungle ke andar
jane ka darwaza khola,"..aaplog yaha hall me baithiye tab tak main
aapka kamra & guest room saaf karwata hu.",mannu ne bagal ke bungle se
apne 1 dost ko madad ke liye bulaya & dono kamro ki safai me lag gaye.

"yaha sab thik hai na,mannu?tumhe kisi chiz ki zarurat to nahi?",upari
manzil pe bane dono kamro ki safai me lage naukar se devika ne puchha.

"nahi,malkin.hume to koi chiz ki zarurat nahi lekin kal apna generator
kharab ho gaya use thik karwa dijiyega."

"tumne estate me khabar nahi ki?"

"nahi,malkin.socha tha ki aaj karunga par bhul gaya.abhi aapko dekha
to yaad aaya.",kamro ki safai ho gayi thi,devika & inder khana to
khake aaye the to mannu ne dono ke kamro me peene ka pani & 1-1
mombatti rakh di.

"aur kuchh to nahi chahiye,malkin?"

"nahi,mannu.tum jake so jao."

"thik hai,malkin.aap darwaza andar se band kar lijiye.savere vahi 8
baje aaoon na?",mannu purana naukar tha & devika ki rozmarra ki aadto
se achhe se wakif tha.

"haan,mannu.",devika ne bungle ka main darwaza band kiya & fir
seedhiya chadh upar aane lagi ki batti chali gayi.ghup andhere me
devika ko kuchh bhi nahi sujh raha tha.

"inder..inder..",seedhiyo ke uapr pahunch usne inder ko aavaz di joki
mombatti dhoondane me laga tha.

"aaya ma'am.",inder kamre se nikla & devika ki aavaz ki or badha &
apni or aati devika se takra gaya.devika girne lagi to inder ne use
baaho me sambhal liya.thik usi waqt koi janwar unke bagal se kud ke
bhaga.

"OOOWW!",devika darr se chikhi & inder se chipak gayi.inder ne us
ebaho me bhara & us bhagte janwar ko dekha jo devika ke kamre ki
balcony ke khule darwaze se kud ke bhag raha tha-vo 1 chhoti si billi
thi.

"bas billi thi,bhag gayi.",inder ki baahe devika ki pith ko ghere
thi.dono ka kad lagbhag 1 sa tha & devika sar jhuka ke uske seene me
munh chhupaya hua tha.usne apni baahe inder ki kamar pe kasi hui
thi.is tarah se sate hone ke karan devika apni chut pe inder ka
lund-joki dhire-2 tan raha tha,uska dabav saaf mehsus kar rahi
thi.stud farm ki raat ke baad inder ko pura yakin ho gaya tha ki
devika uske karib aana chahti thi.aaj bilkul sahi mauka tha uski
hasrat puri karne ka,agar aaj usne ye shubh kaam nahi kiya to ho sakta
hai devika ye samjhe ki use usme koi dilchaspi nahi & peechhe hat
jaye.

devika abhi bhi inder se chipki hui thi.vo chahti thi ki inder pahal
kare & use apne se alag kare magar use kya pata tha ki shatir inder
bhi aaj usi ke jaise khayal apne dil me sanjo raha tha.inder ne apni
baaho ka dabav thoda badha diya jise mehsus karte hi devika ki aah
nikal gayi & usne apna sar uske seene se utha diya.

ab dono ki aankhe andhere ki aadi ho gayi thi & 1 dusre ke chehre ko
dekh pa rahi thi.dono is waqt devikia ke kamre ke thik bahar khade
the.jaise hi devika ne sar uthaya inder ne apne honth uske hontho se
laga diye.devika ne socha bhi nahi tha ki inder aisa karega.use bada
sukhad aashcharya hua.

inder uske gulabi hotho ko chume ja raha tha.devika ki khushi ka to
thikana hi nahi tha.uski baahe bhi inder ki kamar pe aur kas
gayi.thodi der baad inder ne apni zuban ko devika ke hotho ke par uske
munh me ghusane ki koshish ki.devika ke badan me aag lagi thi & inder
ki is mastani harkat ne us aag ko aur bhadka diya.dil me armano ka
aisa sailab umda pada tha joki devika se sambhala nahi gaya & usne
bechain ho apen honth inder ke hontho se alag kar diye & apna chehara
dayi taraf ghuma liya.inder ke tapte honth uske baye gaal se aa
lage.chumte-2 inder uske daaye gall pe pahuncha & majburan devika ko
ab apna chehra bayi or ghumana pada.

inder ki kisses use bahut pyari lag rahi thi.lag raha tha jaise halki
barish ki fuhare uske pyase badan ko bhigo use sukun pahuncha rahi
thi.1 bar fir inder ke honth devika ke khubsurat chehre pe ghumne ke
baad uske hotho se aa lage.devika samajh gayi ki thi ki inder ke andar
bhi usi ke jaise aag bhadak rahi hai.ye khayal aate hi uske chumne ki
shiddat badh gayi & is bar jab inder ne uski zuban ko apni zuban se
talasha to devika ne badi garmjoshi se dono ka milan karwaya.

chumte hue inder ke hath uski pith se uski nangi kamar pe aa gaye the
& devika ke hath uski gardan ke gird.dono paglo ki tarah 1 dusre ko
chume ja rahe the.apni baaho me bhar inder devika ko uske kamre ke
andar le aaya.badi der tak dono 1 dusre ko chumte rahe.thodi-2 der pe
sans lene ke liye dono ke lab alag hote magar fir aise jud jate jaise
ki juda rahe to zinda nahi rahenge.ji bhar ke chumne ke baad inder ke
honth neeche badhe & devika ki gori gardan pe ghumne lage.devika masti
me kho gayi thi.uske chut se pani risna shuru ho gaya tha & vo inder
ke baalo me bechaini se ungliya fira rahi thi.

dono ki jaddojahad me devika ki sari ka pallu uske kandhe se neeche
gir gaya tha & ab inder uske numaya ho chuke cleavage pe laga hua
tha.devika ki chhatiyo se madhosh karne vali khushbu aa rahi thi &
inder usme dooba chala ja raha tha.shiva ke jane ke baad ye pehli baar
tha jab devika ka badan kisi mard ki baaho me tha & vo is pal ka
bharpur maza utha rahi thi.inder uske seene se bhi neeche ja raha
tha.devika ab apne peechhe ki deewar se sat ke khadi thi & inder apne
ghutno pe baitha uski kamar ko sehlata uske gore pet ko chum raha
tha.devika ki sans mano atakne lagi.inder ki garm sanse & tapte lab
uske pet ko chhu uske dil me hulchul macha rahe the.inder ka sar pakad
usne bechaini me use apne pet se laga karna chaha magar inder ne uski
ansuni karte hue uski nabhi me apni jibh ghusa di & jaldi-2 chalane
laga.

devika pagal ho gayi.uska sar deewar se sate hue upar uth gaya.uska
baya hath uske sar ke uapr deewar se laga tha & daye se vo inder ke
baalo ko pakde thi.inder uski nabhi chate ja raha tha.inder ka maqsad
chahe jo bhi ho is waqt devika ke purkashish jism ka nasha uske sar
chadh ke bol raha tha & vo bhi us husnpari ke sath masti ke sagar ki
un gehraiyo tak jana chahta tha jaha vo kisi & ke sath kabhi ja nahi
paya tha.

inder ki zuban devika ki gehri nabhi se nikli & nabhi ke neeche &
bandhi asri ke upar ki komal jagah pe ghumne lagi.devika itni masti
sahan nahi kar payi & fir bechain ho ghum gayi & deewar ko pakad apna
chehra chhupa liya.is se inder kaha rukne wala tha!usne devika ki
kamar ki baglo ko pakda & unhe haule-2 dabate hue uski kamar & nichli
pith ko chumne laga.devika ne kale rang ka sleeveless blouse pehna tha
joki peechhe se kafi khula tha.din bhar to vo sari ke aanchal ko apne
kandjo pe lapete rahi thi to inder ko uski gudaz baho ka deedar nahi
hua tha magar is waqt peechhe se aisa lag raha tha ki kamar ke upar
devika jaise nangi hi ho.inder ke garm hath uski kamar ki baglo pe
upar uske blouse tak jate & fir neeche sari tak aate.uske honth uski
kamar ko deewano ki tarah chum rahe the.

devika ka bura haal tha.vo deewar ko pakde aahe bhar rahi thi & uski
chut me kasak uth rahi thi.vo bechaini me apni janghe aapas me ragad
rahi thi.inder samajh gaya tha ki vo bahut mast ho chuki hai & aaj
raat ye haseen aurat use bahut maza dene wali hai.vo chumte hue khada
hua & ab uske honth blouse me se dikh rahi devika ki upari pith pe
the.usne apne hath devika ke deewar se lage hatho pe rakh diye & apni
ungliyo ko uske ungliyo me peechhe se fansa diya.devika ke jism ne use
pagal kar diya tha.chumte hue vo uski gardan pe aaya & 1 bar fir uske
honth devika ke haseen chehre se lag gaye.

devika ne apna chehara dayi taraf ghumaya to 1 bar fir inder ne apne
honth uske larazte hotho se laga diye.usne devika ke deewar pe lage
hatho ko vaise hi pakda hua tha.chumte hue uske hath devika ke hatho
ko chhod uski kalai pe aaye & fir uski gori baho pe.aisi gori & gudaz
bahen inder ne apni zindagi me nahi dekhi thi.vo bas apne ungliyo ke
poro se usko kohni se leke kandhe tak un mast baaho ko sehlaye ja raha
tha.apne badan ki tarif devika ko inder ki har harkat me dikh rahi
thi.use apne husn pe thoda guman bhi hua & bahut sari khushi bhi & vo
aur shiddat ke sath apne naye premi ko chumne lagi.

thodi der tak inder ke hath vaise hi uski baaho pe ghumte rahe fir
inder ne apne hath uski baaho se uske kandhe pe laye & fir uski pith
ki bagal se hote hue dobara uski kamar ki bagal me ja lage.dono abhi
bhi vaise hi 1 dusre ko chum rahe the.inder ke hath uski kamar ko
sehlate hue aage uske pet pe gaye & uski kamar me atki sari ko khinch
diya.devika ke munh se aah nikli magar inder ne use chumna nahi
chhoda....ab vo nangi ho rahi thi..inder ke samne ..pehli
baar...devika ko is khayal se sharm aa gayi & uske galo me masti ki
lali ke sath sharm ka rang bhi ghul gaya.inder ke hatho ne tezi se
sari ko nikala & fir uske petticoat ke bagal me lage hook ko bhi khol
diya.petticoat apneaap zamin pe gir gaya mano vo bhi dono bekarar
jismo ke milan me aade na aana chahta ho.
kramashah..........

आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj

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