Monday, October 11, 2010

चाची की प्यास बुझाई-2

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

चाची की प्यास बुझाई-2

प्रेषक : ?
भी चाची आई और मेरे बाजू में बैठ गई। तभी मैंने हिम्मत कर के कहा- चाची,
अगर वो केसेट आप के पास है तो प्लीज मुझे दे दीजिये, वो वापस लौटानी है
मुझे !
चाची- अरे तुझे कहा ना, टेन्शन मत ले, पहले जा और अपने कपड़े बदल ले !
मैं तुरंत उठा और दूसरे कमरे में कपड़े बदलने लगा। तभी मैंने अलमारी के
शीशे में देखा तो मेरे पीछे चाची दरवाजे के पास खड़ी मुझे देख रही हैं।
मैंने उन्हें लगने ही नहीं दिया कि मैंने उन्हें देख लिया है, और जैसे ही
मैं कपड़े बदल कर मुड़ा, चाची वहाँ से जा चुकी थी। वहाँ से मैं रसोई में
गया, चाची खाना परोस रही थी, मैं खाना खाना खाने बैठ गया। हम दोनों
आमने-सामने बैठे थे, मैंने चुपचाप सर झुकाये खाना खाया और बेडरूम में आकर
अपनी किताब ले कर बैठ गया। थोड़ी देर बाद चाची भी आ गई और एक मैगज़ीन लेकर
मेरे पास बैठ गई।थोड़ी देर बाद चाची ने मस्ती शुरू कर दी, वैसे तो हम अकसर
करते थे, पर जैसा मैंने कहा, उस दिन उनका मूड कुछ अलग ही था। वो मुझे
गुदगुदी करने लगी।
मैंने कहा- प्लीज़ चाची, मत करो ऐसा, मैं करुंगा तो आप को पता चलेगा, फिर मत बोलना !
चाची तुरंत बोली- अच्छा तो क्या करेगा तू ? हाँ ? मैं भी तो देखूँ जरा?
और उनकी हरकत ज़ारी रही। मैं डर के मारे कुछ बोल नहीं पाया पर इधर मेरा
लंड भी मस्ती में आ रहा था और सख्त होता जा रहा था। इस बीच चाची ने मुझे
इतना परेशान किया कि मैं एकदम से उठा और उन्हें गुदगुदी करनी चालू कर दी।
चाची भी खड़ी हो गई और हम दोनों मस्ती में खो गये।
तभी मैंने उनके दोनों हाथ पकड़ लिये और उन्हें धक्का देकर बिस्तर पर लिटा
दिया। मैंने उनके दोनों हाथ कस कर पकड़ रखे थे वो बिल्कुल हिल नहीं पा रही
थी, उनका पल्लू कहीं तो ब्लाऊज़ कहीं था। उन्होंने अपने पैर हिलाने की
कोशिश की पर मैंने उन्हें अपने पैरों के बीच दबोच रखा था। चाची मेरे
सामने एकदम चित्त पड़ी थी। इधर मेरा लंड पूरे जोश में आ गया था पर मन में
अभी भी थोड़ा डर था, मैंने उन्हें कहा- देखा ना, मैं क्या कर सकता हूँ ?
अब बोलो आप?
चाची कुछ नहीं बोली और मुस्कुरा कर मुझे देखती रही। फिर मैंने उन्हें छोड़
दिया पर इस हाथापाई में मेरा हाथ उनके शरीर पर कहाँ-कहाँ लगा, मुझे भी
कुछ पता नहीं चला क्योंकि एकदम अचानक और इतनी जल्दी हुआ। जैसे ही मैंने
चाची को छोड़ा तो उठ कर उन्होंने अपने अस्त-व्यस्त कपड़े देखे और मुस्कुरा
कर बोली- तुमने दम तो बहुत है ! मेरे सारे कपड़े खराब कर दिये !
यह कह कर वो दूसरे कमरे में चली गई। मैंने भी अपने कपड़े ठीक किये और फिर
से अपनी किताब ले कर बैठ गया। पर अब कहाँ किसी किताब में ध्यान लगना था,
मैंने उस दिन पहली बार किसी स्त्री को पकड़ा था।
मेरे दिमाग में वही दृश्य चल रहा था कि चाची वापस आई और मेरे बाजू में
बैठ गई। वो अपने कपड़े बदल कर आई थी, अब वो नाईटी पहन कर आई थी। मैंने गौर
से देखा तो यह वही नाईटी थी जो चाची साल में सिर्फ एक महीना पहनती थी वो
भी सिर्फ रात में, जब चाचा आते थे, क्योंकि नाईटी एकदम सिल्की और सेक्सी
थी, उसमें चाची और भी बिजली गिरा रही थी। उन्हें बस तरह देख मेरा लंड तो
एकदम तन गया, मेरी नज़र चोरी-चोरी उन्हें ही निहार रही थी और चाची भी मुझ
पर ही नज़र रखे हुए थी।
थोड़ी देर बाद उन्होंने कहा- तेरा ध्यान तो किताब में है ही नहीं, क्यों
पकड़ रखी है किताब? लगता है अब भी कोई परेशानी है?
मैंने नज़रें चुराते हुए कहा- हाँ, वो केसेट मुझे कल वापस करनी है, अगर आप
को पता है कि कहाँ है तो प्लीज़ बता दो !
चाची- हाँ वो मैं सफाई कर रही थी तो मिली थी, पर वो शादी की ही है ना?
चाची ने जोर देते हुए पूछा, अब तो चाची ने खुद कबूल किया कि केसेट उनके
पास है। मैं एकदम डर गया था और यह अभी यकीन होने लगा था कि चाची ने वो
फिल्म देख ली है, मैं उनसे नज़रें नहीं मिला पा रहा था, मैंने एक बार फिर
कहा- हाँ शादी की ही है।
तो चाची ने तुरंत ही फिर पूछा- सच्ची बता ! तू कुछ छुपा रहा है, जो भी है
बता दे, तू नहीं बतायेगा तब मुझे पता तो चल ही जायेगा !
मेरे पास कोई जवाब नहीं था, फिर उन्होंने मेरे हाथ से किताब ले ली और एक
तरफ़ रख दी और एक सेक्सी मुस्कान देते हुए कहा- घबरा मत ! मुझे सब पता है,
मैं किसी को नहीं बताऊंगी।
चाची के मुँह से यह सुनते ही मुझे थोड़ी राहत हुई, मैंने चाची को धन्यवाद
कहा और उन्हें एक टक देखता रहा।
चाची बोली "अच्छी थी वैसे फिल्म, पसन्द अच्छी है तुम्हारी !
यह सुनते ही मन तो किया कि दबोच लूं चाची को पर उस वक़्त हिम्मत नहीं हुई,
वो मेरा हाथ धीरे धीरे सहला रही थी, मेरे पूरे शरीर में जैसे करंट दौड़ने
लगा था। पहली बार था इसलिये मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, मैंने अपना हाथ
वापस खींच लिया, तो वो बोली- क्या हुआ ?अच्छा नहीं लगा ? इतने प्यार से
सहला रही हूँ।
मैंने कहा- अच्छा तो बहुत लगा पर !
उन्होंने तुरंत कहा- पर क्या ? बोलो तो सही, डरो मत !
मैंने कहा- आप नाराज़ हो जायेंगी !
चाची- अरे ऐसा बिल्कुल नहीं है, मैं क्यों नाराज़ होऊँगी? तुम कुछ भी कहो,
कुछ भी करो, तुम्हें तो छूट है !
चाची के मुँह से ये शब्द सुन कर मुझे भी थोड़ा जोश आ रहा था। चाची
मुस्कुराने लगी, अब मुझे यकीन होने लागा था कि चाची को वाकई में मुझसे
चुदवाने का मन है। बस इसी यकीन से मैं चाची के करीब गया और उनका हाथ पकड़
कर प्रेम से सहलाने लगा और मेरी नज़र उनके गोरे गोरे स्तनों पर थी जो
सिल्की नाईटी में एकदम तने हुए नज़र आ रहे थे।
तभी चाची ने कहा- क्या देख रहे हो इतने ध्यान से? कुछ दिखा?
मुझे उनकी बातों से और आत्मविश्वास आता जा रहा था। मैंने भी उनकी तरह
शब्दों के वाण छोड़ना शुरु किया और कहा- अभी तक को कुछ नहीं दिखा, और कुछ
नहीं मिला ! बस कोशिश जारी है, पर यकीन है कि जल्द ही सब कुछ मेरे पास
होगा।
मेरे निरंतर स्पर्श से चाची मदहोश होती जा रही थी, मैंने मौका देख कर
धीरे धीरे उनके वक्ष पर हाथ फेरना चालू कर दिया। तभी चाची ने कातिल अंदाज़
में मुझे देखते हुए कहा- जय, तू बड़ा छुपा-रुस्तम निकला, मैं तो तुम्हें
छोटा बच्चा समझती थी पर तुम तो कुछ और ही निकले !
मैंने कहा- बस आप साथ दो तो मेरी और भी खूबी दिखाऊँ ! फिर चाची ने मेरा
हाथ पकड कर अपने वक्ष पर रख दिया और एक लम्बी सांस ली। बस फिर क्या था,
मुझे तो हरी झंडी मिल गई। मैं दोनों हाथों से उनके सख्त स्तन मसलने लगा।
इससे चाची एकदम मदहोश होती जा रही थी और मेरा लंड भी अंडरवीयर फाड़ रहा
था। फिर चाची ने मेरे लंड पर हाथ रखा और पैंट के ऊपर से ही सहलाने लगी,
उनके स्पर्श से मेरे पूरे शरीर में मानो एक करन्ट सा लगा, किसी ने पहली
बार मेरे लंड को छुआ था और मैंने उनके स्तनों को पूरे जोर से निचोड़ दिया
जिससे उनकी चीख निकल पड़ी- अ आअ आह।
हम दोनों पूरे जोश में थे, सब कुछ भूल चुके थे कि हम कहाँ हैं, हमारा
रिश्ता क्या है और समय क्या हुआ है।
मैं उनके वक्ष को सहलाते-सहलाते उन्हें चूमने लगा, उनके गोरे गालों पर,
गले पर हर जगह ! चाची भी मेरा पूरी तरह साथ दे रही थी, वो भी मुझे चूमने
लगी। उनके मुँह से निरंतर सिसकियाँ निकल रही थी- ओह.. अह. हुम्म... आह !
फिर मैंने उन्हें सोफे पर ही लिटा दिया और उनके पूरे शरीर को दबोचने लगा।
चाची भी पूरे जोश में थी और मेरे बालों में तो कभी मेरे हाथों को सहलाती।
अब चाची चुदने के लिये बिल्कुल तैयार हो चुकी थी, वो ऐसे तड़प रही थी जैसे
सालों से भूखी हों।
मैं उनकी नाईटी खोलने लगा कि अचानक दरवाज़े पर घण्टी बजी, घण्टी की आवाज़
सुनते ही हम दोनों घबरा गये और रुक गये। तभी हमरी नज़र सामने लगी घड़ी पर
पड़ी, शाम के 5.30 बज चुके थे, चाची ने कहा- उठ, मैं देखती हूँ ! बच्चे
स्कूल से आ गये होंगे।
मेरा मन तो नहीं था उनको छोड़ने का, पर मजबूरी थी, मैं उठ कर एक ओर बैठ
गया, चाची मुस्कुराते हुए उठी और अपने कपड़े और बाल बराबर करने लगी और
जाकर दरवाजा खोला। दोनों बच्चे आ गये थे, मेरी नजर अभी चाची पर टिकी हुई
थी, मैं वहीं से चाची को देख रहा था और मेरा लंड था कि शांत होने का नाम
ही नहीं ले रहा था। एक तो पहला मौका वो भी अधूरा रह गया। चाची बच्चों के
साथ दूसरे कमरे में चली गई। मैं भी उनके पीछे वहाँ पहुँच गया और दरवाजे
से टिक कर खड़ा उन्हें देखता रहा। बीच-बीच में उनकी भी प्यासी नज़र मुझे
देखती।
थोड़ी देर बाद चाची मेरे पास आई और मेरे पैंट में टावर को देख हाथ फेरा और
बोली- अभी इसे सुला दे, थोड़ा आराम करने दे, इसे, बाद में बहुत काम करना
है।
और वो रसोई में चली गई और अपने काम में लग गई। मैं भी वापस अपने कमरे में
आकर बैठ गया, पर दिमाग में तो वही दोपहर वाला दृश्य चल रहा था, अब मैंने
तय कर लिया था कि जो भी हो चाची को जल्द से जल्द चोदना है, क्योंकि मैं
उनकी प्यास और तड़प देख चुका था।
इन्हीं ख्यालो में समय बीत गया और 8.00 बज गये। चाची ने खाना खाने को
आवाज़ लगाई, हम खाना खाने बैठे पर मेरी नज़र चाची से हट ही नहीं रही थी।
चाची भी मेरी तरफ देखती और हमारी नज़र एक होती तो वो नज़र घुमा लेती।
खाना खा कर मैं और दोनों बच्चे हाल में टीवी देखने बैठ गये, चाची अपना
काम कर रही थी, मेरा ध्यान तो किसी और दुनिया में ही घूम रहा था। थोड़ी
देर में चाची अपना काम निपटा कर मुस्कुराते हुए आई और मेरी बगल में बैठ
गई और दोनों बच्चो से कहा- चलो आज हम दादा दादी के कमरे में सोयेंगे और
जय अकेला सो जायेगा।
(दादा दादी के नहीं होने के कारण हम सब एक ही कमरे में सोते थे)
यह सुनकर मैं एकदम दंग रह गया, मुझे लगा कि शायद चाची मुझसे दूर रहना
चाहती हैं, मुझे कुछ समझ नहीं आया कि चाची के दिमाग में क्या चल रहा था.
वो दोनों बच्चो को लेकर दूसरे कमरे में चली गई। उनके जाते ही मैंने अपने
कपड़े बदल लिये .. हाफ पैंट और बनियान जो मैं अक्सर रात में पहनता हूँ। और
वापस आकर बैठ गया। दिमाग अभी भी उन्हीं ख्यालों में खोया था।
रात के दस बजे होंगे, मैंने देखा कि चाची कमरे से निकली और बाहर से
दरवाजा बंद कर रही थी। अब मुझे चाची की योजना समझ आने लगी थी। उन्होंने
वही सिल्की नाईटी पहनी थी, बहुत सेक्सी लग रही थी। वो आकर मेरे बाजू में
बैठ गई। मन तो कर रहा था कि बदोच लूँ पर सोचा- जल्दबाजी में कहीं काम ना
बिगड़ जाये !
उन्होंने मुस्कुरते हुए पूछा- क्या कर रहा है? सोया नहीं अब तक?
मैंने कहा- टीवी देख रहा हूँ।
उन्होंने तुरंत रिमोट से टीवी बंद कर दिया और कहा- टीवी में ध्यान तो है
नहीं तेरा !
मैंने कहा- दोपहर के बाद से मेरा ध्यान कहीं और ही घूम रहा है !मैं समझ
गया था कि चाची अब मुझ से चुदवा कर ही रहेंगी।
मैं वहाँ से उठ कर अपने कमरे में आ गया, मेरे पीछे ही चाची भी आ गई।
दोनों के सब्र का बांध टूटता जा रहा था। चाची ने अंदर आते ही बत्ती बुझा
दी और आकर बिस्तर पर मेरे पास बैठ गई और कहा- मैंने कहा था तो बराबर
सुलाया ना (लंड को) आराम कर लिया ना?
मैंने कहा- भूखे शेर को भला नींद कैसे आएगी, वो बिना शिकार किए कहाँ आराम करेगा?
चाची का हाथ मेरे लंड पर घूमने लगा। उनकी इस हरकत को देख मैंने उन्हें
अपने ऊपर खींच लिया, अपनी बाहों में समेट लिया और उनकी चूचियाँ दबाता,
चूमता तो कभी उनकी ग़ाण्ड पर हाथ फेर उसे दबाता। हम दोनों फिर पूरे जोश
में आ रहे थे। चाची फिर सिसकियाँ भर रही थी- ओह्ह अह्हा उफ्फ्फ ईई !
फिर मैंने उनके होंठ पर अपने होंठ रख दिये और चूमने लगा। उनकी जीभ मेरे
मुँह में घूमने लगी और उनके हाथ मेरे बालों में !
मैंने उनकी नाईटी निकलनी शुरु की, सारे बटन खोल दिये और नाईटी निकाल
फेंकी। अब उनका हाथ मेरे अन्डरवीयर में था। बड़े प्यार से मेरा लंड सहला
रही थी चाची !
दोनों पूरी तरह एक दूसरे में खोये हुए थे, लेकिन अंधेरे की वजह से मुझे
उनके सेक्सी बदन को देखने का आनंद नहीं मिल रहा था। फिर मैंने उनकी ब्रा
भी उतार फेंकी और अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उठ कर बत्ती जला दी।
जैसे ही मैंने चाची के बदन को देखा, मेरे होश उड़ गये, गोरा बदन, सेक्सी
फिगर, गोरे गोरे कसे हुए स्तन और खड़े चुचूक !
चाची की शादी को भले ही आठ साल हो गये थे पर उन आठ सालों में वो बहुत कम
चुदी थी, इस वजह से उनका फिगर कुंवारी लड़की से कम नहीं था। चाची बिस्तर
पर सिर्फ पैंटी में लेटी थी, मैंने भी अपनी बनियान और निकर उतार दिये और
चाची के ऊपर आ गया और उनके गोरे बदन से खेलने लगा। कभी स्तन चूसता तो कभी
तो कभी उनके पूरे बदन को चूमता। फिर मैंने उनकी पैंटी में हाथ डाला, एक
दम चिकनी और सफ़ाचट थी। मैंने अपनी उंगली निशाने पर रख दी और धीरे से अंदर
की और धकेला। चाची तो जैसे सातवें आसमान पर पहुँच गई थी, उनकी निरंतर
सिसकियाँ निकल रही थी- ओह्ह अह्हा उफ्फ्फ मूह्ह्ह
मेरी उंगली अंदर जाने लगी और उनकी सिसकियाँ भी तेज़ होने लगी- अह्ह्ह
अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह अह्ह्हा
उनकी चूत एक दम गीली थी, मेरी उंगली अंदर-बाहर होने लगी। तभी चाची ने
मुझे कस कर अपनी बाहों में पकड़ लिया और कहा- जय प्लीज़, मुझे और मत तड़फ़ाओ,
जल्दी से मेरी प्यास बुझाओ !
मैंने कहा- अब आप कभी प्यासी नहीं रहोगी ! मैं आपको कभी भी प्यासा नहीं
रहने दूंगा !
और मैंने उनकी पैटी उतार दी, अब मस्त टाईट चूत मेरे सामने थी। मैंने अपना
अंडरवीयर भी उतार दिया और अब हम दोनों निर्वस्त्र एक दूसरे से लिपटे हुए
थे। मेरी उंगली उनकी चूत में और उनके चुचूक मेरे मुँह में और मेरा लंड
उनके हाथ में !
उनकी सिसकियाँ और तेज़ होती जा रही थी- अह्ह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह
ऊऊफ्फ्फ्फ्फ्फ्
फिर मैंने चाची से कहा- मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चख तो लो !
और लंड उनके मुँह में रख दिया और वो बड़े प्यार से मेरे लंड को चूसने लगी।
अब मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था, मैंने उनके बालों में हाथ डाला और पकड़ कर
उनका मुँह मेरे लंड की ओर खींचने लगा। फिर मैंने उनके वक्ष को चोदना शुरु
किया। दोनों हाथों से दोनों स्तनों को पकड़ा और अपना लंड बीच में डाल कर
चोदने लगा।
(मैंने कई फिल्में देखी थी इसलिये थ्योरी तो पूरी आती थी आज प्रेक्टिकल
करना था सो पूरा मजा ले रहा था)
और इधर चाची का बुरा हाल था- आआह्ह्ह ओह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह मह्ह्ह्ह अहाआअ
फिर मैंने उनकी दोनों टांगे फैलाई और बीच में आ गया। तभी चाची ने मुझे
कोंडोम दिया और कहा- इसे लग लो, सावधानी रखना अच्छा है !
और मैंने उनकी बात मान ली और अपना लंड उनकी रसीली चूत पर रख दिया और धीरे
धीरे अंदर डालने लगा।
उनकी सिसकियाँ और बढ़ गई- आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ्फ
उम्म्म्म्म्म्म्म अह्ह्ह्हाअ
उनकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड हर धक्के के साथ अंदर समाता जा रहा
था, थोड़ी ही देर में मेरा पूरा लंड अंदर समा गया। फिर मैं थोड़ी देर उनसे
लिपट कर यों ही पड़ा रहा और उनकीचूचियों से खेलता रहा।
चाची ने मुझे कस कर पकड़ रखा था, फिर मैंने धीरे धीरे चोदना शुरु किया,
दोनों टाँगों को पकड़ा और अपनी स्पीड तेज़ की। चाची सातवें आसमान में थी और
पूरे जोश में भी ! और लगातार सिसकियाँ भर रही थी।
मेरी गति तेज़ होती जा रही थी और चाची के सिसकियाँ भी !
अब चाची ने मुझे अपनी बाहों में कस कर जकड़ लिया पर मेरी चोदने के रफ्तार
बढ़ती ही गई और कुछ ही समय में मैं झड़ गया और उनके ऊपर ही लेट गया।
उस रात मैंने चाची को दो बार चोदा और बारह दिन घर पर कोई नहीं था तो रोज़
दिन में और रात में जब भी मन करे तब चोदता।
पर दादा-दादी के वापस आ जाने के बाद तो दिन में कोई मौका नहीं मिलता पर
रात में हर दूसरे-तीसरे दिन चाची को चोदता।
और हाँ, दिन में भी अगर घर पर कोई नहीं हो तो कोई मौका नहीं छोड़ता और
चाची भी मेरा पूरा साथ देती थी। यह सिलसिला करीब चार साल चला। फिर मैं
अपने शहर सूरत आ गया और यहीं का होकर रह गया।
पर यहाँ आकर भी मैंने चाची जैसी दो स्त्रियों की प्यास बुझाई और आज भी जारी है।
अब मेरा कहना बस इतना है कि जो भी करो, जिसके भी साथ करो, हमेशा कोंडोम
इस्तमाल करो- सुरक्षित रहो।
मेरी कहानी आपको कैसी लगी मुझे जरूर मेल करें !

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