बदला पार्ट--41
गतान्क से आगे..
इंदर की बेचैनी अब बढ़ने लगी थी.प्लान अब अपने आख़िरी स्टेज पे पहुँच रहा
था...बस 1 बार वीरेन एस्टेट से पंचमहल वापस लौट जाए.सवेरे ही उसे रजनी का
फोन आया था,उसके पिता की तबीयत थोड़ी नसाज़ थी & इस वजह से वो कुच्छ दिन
और अपने घर रुक रही थी.ये बात भी इंदर के हक़ मे थी.बस अब सही मौके की
तलाश थी.
और वो मौका मिला मगर उसके पहले कुच्छ ऐसी मामूली सी बात हुई जोकि अगर ना
हुई होती तो शायद सहाय परिवार आने वाले ख़तरे से शायद बच जाता.हुआ यह की
शिवा को होटेल के 1 वेटर ने बता दिया की 1 सरदार जी उसपे नज़र रखे हुए
है.शिवा को लगा की हो ना हो ये इंदर की कोई चाल है & वो बड़ी चालाकी से
सुखी की नज़रो से बच के उस होटेल से निकल गया & उल्टे सुखी पे नज़र रखने
लगा.इस वजह से कामिनी & शिवा की मुलाकात ना हो सकी & कामिनी को इंदर की
असलियत भी नही पता चली.
जिस तरह से उसे हर कदम पे कामयाबी मिली थी उसे लगने लगा था की ना केवल
किस्मत बल्कि उपरवाला भी उसके साथ है.अब जो वो करने वाला था वो था तो
घिनोना काम मगर शायद इंसाफ़ के नज़रिए से सही था.वीरेन सवेरे ही पंचमहल
लौट गया था लेकिन इंदर ने आज भी खराब तबीयत का बहाना बनाके देविका को रात
को उस से मिलने से मना कर दिया था.इस बात से देविका को झल्लाहट तो हुई
मगर वो क्या करती!मन मार कर वो किसी तरह सो गयी.
वही दूसरे कमरे मे रोमा & प्रसून सोने की तैय्यारि मे थे.रोमा ने आँखो के
कोने से देखा की प्रसून उसे ही नंगा होते देख रहा है.वो मन ही मन
मुस्कुराइ....कहने को मंदबुद्धि था..इस मामले मे तो बहुत दिमाग़ चलता था
इसका..वो जानती थी की जैसे ही वो बस ब्रा & पॅंटी मे रह जाएगी वो उसे
दबोच लेगा.उसे भी उसकी ये हरकते अच्छी लगने लगी थी.रोमा गुनगुनाते हुए ये
जताने लगी की उसे प्रसून की नज़रो का ख़याल ही नही है & अपनी सारी उतारने
के बाद अपने पेटिकोट को खोलने लगी.
जैसे ही पेटिकोट उसकी कमर से ढालका की प्रसून ने उसे दबोच लिया & उसके
चेहरे से अपना चेहरा रगड़ने लगा.रोमा को हँसी आ गयी & हंसते हुए वो अपने
पति को दूर करने लगी.प्रसून को रोमा ने जो खेल सिखाया था वो उस खेल का ना
केवल दीवाना बन चुका था बल्कि उसका पक्का खिलाड़ी भी बन चुका था.उसके हाथ
रोमा की सफेद पॅंटी मे च्छूपी गंद से जा लगे थे & वो उसे बिस्तर की ओर
खींच रहा था,"..उउंम...मुझे कपड़े तो बदलने दो..आहह....क्या करते
हो!",प्रसून उसके ब्लाउस के उपर के हिस्से पे चूम रहा था & उसके हाथ रोमा
की कसी गंद को बहुत ज़ोरो से दबा रहे थे.
प्रसून ने रोमा को बाहो मे भरे हुए बिस्तर पे लिटाया & उसके उपर चढ़ उसके
होंठ चूमने लगा.उसका लंड रोमा की चूत के उपर दबा था & उसके हाथ रोमा की
पीठ पे.रोमा के मुँह मे घुसी उसकी ज़ुबान रोमा के बदन मे बिजलिया दौड़ा
रही थी & थोड़ी ही देर मे जब प्रसून बेचैनी से अपनी कमर हिला अंडरवेर मे
च्छूपे अपने लंड को रोमा की पॅंटी मे छिपि चूत पे रगड़ने लगा तो उसका बदन
मस्ती के मारे थरथराने लगा & उसकी चूत गीली होने लगी.
प्रसून ने अपने हाथ अपनी बीवी की पीठ के नीचे से निकाले & सामने ला उसकी
चूचियो को ब्लाउस के उपर से ही दबाने लगा.रोमा अब काफ़ी गरम हो चुकी
थी,उसने अपनी टाँगे अपने पति कमर पे कस दी & नीचे से अपनी कमर हिलाने
लगी.प्रसून को अपनी बीवी की चूचियो से खेलना बहुत अच्छा लगता था.रोमा भी
जानती थी की जब तक वो बेचैनी से पागल ना हो जाए वो उसकी चूचियो को नही
छ्चोड़ेगा.
प्रसून ने फटाफट ब्लाउस के हुक्स खोले & फिर उसके बार के उपर से ही उसके
उरोजो को चूम लिया,"आहह..",रोमा ने उसके सर को अपने सीने पे दबाया तो
प्रसून ने 1 बार फिर अपने हाथ उसकी पीठ से लगाए & उसके ब्रा के हुक्स को
खोला & कप्स को उपर कर तेज़ सांसो के चलते उपर-नीचे हो रहे अपनी बीवी के
उभरो को नुमाया कर दिया.इसके बाद तो कमरे मे बस रोमा की आहे गूँज रही
थी.प्रसून उन्हे दबाते हुए चूस रहा था.रोमा की बाई चुचि को मुँह मे भर
उसने इतनी ज़ोर से चूसा की उसकी कमर को अपनी टाँगो मे फँसाई रोमा झाड़
गयी.
उसके झाड़ते ही प्रसून ने बाई को छ्चोड़ दाई चूची को मुँह मे भरा & उसके
साथ भी वोही हरकत दोहराई.रोमा की चूचियो को कयि पॅलो तक उसकी ज़ुबान &
हाथो के रहमोकरम पे रहने के बाद रोमा ने उसे पलटा & उसके उपर सवार हो
गयी.अपनी चूत से उपर से उसके लंड को दबाते हुए उसने कमर हिला हल्के धक्के
लगाए & उसे चूमने लगी.प्रसून के हाथ अभी भी उसकी छातियो को दबा रहे थे.
थोड़ी देर बाद रोमा अपने पति के होंठो को को छ्चोड़ उपर हुई & अपने जिस्म
से अपने ब्लाउस & ब्रा को उतार दिया.उसके सीधा होते ही प्रसून के हाथ
उसकी आँखो के सामने छल्छला रहे उसके उरोजो से लग गये,"ऊन्न्ह्ह.....कितनी
पसंद है तुम्हे ये?!!.....अब छ्चोड़ो भी...ऊओवव...."
रोमा ने देखा की इंदर उसके सीने पे रहम नही खाने वाला तो उसने भी उसे
तड़पाने की सोची & झट से उसके उपर से उतर गयी & उसके अंडरवेर मे हाथ डाल
दिया.अब आहे भरने की बारी प्रसून की थी.इतने दीनो के बाद वो अब रोमा के
हाथ लगने से झाड़ता तो नही था मगर फिर भी जब भी उसकी प्यारी बीवी उसके
लंड से खेलती उसका खुद पे काबू रखना बड़ा मुश्किल हो जाता.
अपने लूंबे बाल प्रसून की छाती पे फिराते हुए जब रोमा ने उसके अंडरवेर को
नीचे कर लंड को दाए हाथ की मुट्ठी मे थाम मुँह मे भरा तो प्रसून जोश की
इंतेहा से बिस्तर से उठने लगा.रोमा ने उसके तगड़े लंड पे ज़ुबान फिराना
शुरू कर दिया तो वो च्चटपटाने लगा.रोमा की लपलपाति जीभ उसके लंड पे फिर
उसके आंडो मे उबलते उसके वीर्या को पिचकारी के रूप मे निकालने को आमादा
कर रहे थे पर रोमा कहती थी की पानी को हमेशा उसकी चूत मे ही छ्चोड़े &
इसलिए वो बड़ी मुश्किल से खुद को रोके थे रोमा के मुँह को अपने अपने पानी
से भरने से.
मगर जब बात बर्दाश्त के बाहर हो गयी तो प्रसून ने तड़प के करवट ले ली &
पेट के बाल लेट अपने लंड को अपनी बीवी की शरारती ज़ुबान से अपने जिस्म के
नीचे च्छूपा लिया.रोमा फ़ौरन उसकी पीठ पे अपनी सुडोल छातिया दबाते हुए
लेट गयी,"क्या हुआ जान?",वो प्रसून के कंधो को थामे उसके सर को चूम रही
थी.
"मेरा निकलने था.",उसने अपना सर बिस्तर से उठाया & रोमा की किस्सस का
लुत्फ़ उठाने लगा.
"तो क्या हुआ?निकालने देते.",रोमा ने उसके दाए कान पे काट लिया.
"तुम्हारे मुँह मे?",प्रसून को हैरानी हुई.
"हां.",रोमा के हाथ अब उसकी बगलो से घुस उसके सीने पे घूम रहे थे.
"मगर तुम तो कहती हो की हमेशा तुम्हारी पुसी मे ही निकालना चाहिए?"
"हां,मेरी जान.",रोमा ने उसे पलटा & उसके सीने पे अपने बेचैन होंठो की
अनगिनत मुहरे लगा दी,"..कहती थी मगर आज नही कहूँगी क्यूकी तुम्हारे पानी
ने अपना काम कर दिया है."
"काम?",प्रसून को बीवी की बाते समझ नही आ रही थी.
"हा डार्लिंग..",रोमा ने उसके लंड को पकड़ा & उसपे बैठ
गयी,"..उउम्म्म्ममम....",लंड के चूत मे धंसते ही वो उसके सीने पे झुक गयी
& उसके चेहरे को हाथो मे भरा,"..तुम्हारा बच्चा मेरी कोख मे आ गया
है,प्रसून.",रोमा ने अपने होंठ उसकी होंठो से सताए & अपनी कमर हिलाने
लगी.प्रसून के जोश का तो ठिकाना ही नही था.उसने रोमा की गंद को पकड़ा &
करवट ले उसे अपने नीचे किया & चुदाई करने लगा.
"मतलब तुम्हारे अंदर से बेबी निकलेगा?"
"हां,मेरी जान.".रोमा ने अपने नाख़ून उसकी पीठ मे गड़ाए & उसके बाए गाल
पे उचक के चूमा.उसके जिस्म मे आज कुच्छ ज़्यादा ही रोमांच हो रहा था.
"कब?"
"9 महीने बाद.",1 बार फिर उसने अपनी टाँगे प्रसून की कमर पे कस दी थी.
"फिर मैं भी पापा बन जाऊँगा?"
"हा,जानम,हां!",रोमा उचकी & प्रसून के कान मे पागलो की तरह जीभ चलाने
लगी-वो झाड़ चुकी थी.प्रसून को अपनी बीवी की बात सुन के बहुत खुशी हुई &
उसे अजीब सा एहसास हुआ.उसका लंड और भी ज़्यादा कड़ा हो गया & उसे बहुत
जोश हो गया.उसने रोमा की गंद से हाथ हटा के उपर उसके कंधो के नीचे लगाए &
उसकी चूचियो से मुँह लगाके बड़े गहरे धक्को से उसकी चुदाई करने लगा.
रोमा सवेरे उठी तो उसने देखा की प्रसून बिस्तर पे नही है.वो मुँह-हाथ
धोके नीचे आई,"गुड मॉर्निंग,मम्मी!"
"गुड मॉर्निंग,बेटा!",देविका खाने की मेज़ पे ड्रेसिंग गाउन पहने बैठी
अख़बार पढ़ते हुए चाइ पी रही थी.
"मम्मी.."
"बोलो,रोमा.",देविका अख़बार के पन्ने पलट रही थी.
"मम्मी वो.."
"क्या बात है,रोमा?",देविका ने अख़बार नीचे किया.
"जी..",रोमा के गाल शर्म से लाल हो रहे थे.
"बोलो ना बेटा!",देविका को अब उलझन होने लगी थी.
"मैं..मैं मा बनाने वाली हू.",रोमा ने जल्दी से कहा.
"क्या?!!",देविका झट से उठी & अपनी बहू को गले से लगा लिया,"..आइ लव
यू,बेटा!तेरा बदमाश पति कहा है?"
क्रमशः................
बदला पार्ट--41
गतान्क से आगे..
Inder ki bechaini ab badhne lagi thi.plan ab apne aakhiri stage pe
pahunch raha tha...bas 1 bar Viren estate se Panchmahal vapas laut
jaye.savere hi use rajni ka fone aaya tha,uske pita ki tabiyat thodi
nasaz thi & is vajah se vo kuchh din aur apne ghar ruk rahi thi.ye
baat bhi inder ke haq me thi.bas ab sahi mauke ki talash thi.
aur vo mauka mila magar uske pehle kuchh aisi mamuli si baat hui joki
agar na hui hoti to shayad Sahay Parivar aane vale khatre se shayad
bach jata.hua yeh ki Shiva ko hotel ke 1 waiter ne bata diya ki 1
sardar ji uspe nazar rakhe hue hai.shiva ko laga ki ho na ho ye inder
ki koi chaal hai & vo badi chalaki se sukhi ki nazro se bach ke su
hotel se nikal gaya & ulte sukhi pe nazar rakhne laga.is wajah se
kamini & shiva ki mulakat na ho saki & kamini ko inder ki asliyat bhi
nahi pata chali.
jis tarah se use har kadam pe kamyabi mili thi use lagne laga tha ki
na kewal kismat balki uparwala bhi uske sath hai.ab jo vo karne vala
tha vo tha to ghinona kaam magar shayad insaf ke nazariye se sahi
tha.viren savere hi panchmahal laut gaya tha lekin inder ne aaj bhi
kharab tabiyat ka bahana banake Devika ko raat ko us se milne se mana
kar diya tha.is baat se devika ko jhallahat to hui magar vo kya
karti!man maar kar vo kisi tarah so gayi.
vahi dusre kamre me Roma & Prasun sone ki taiyyari me the.roma ne
aankho ke kone se dekha ki prasun use hi nanga hote dekh raha hai.vo
man hi man muskurayi....kehne ko mandbuddhi tha..is mamle me to bahut
dimagh chalta tha iska..vo janti thi ki jaise hi vo bas bra & panty me
reh jayegi vo use daboch lega.use bhi uski ye harkate achhi lagne lagi
thi.roma gungunate hue ye jatane lagi ki use prasun ki nazro ka khayal
hi nahi hai & apni sari utarne ke baad apne petticoat ko kholne lagi.
jaise hi petticoat uski kamar se dhalka ki prasun ne use daboch liya &
uske chehre se apna chehra ragadne laga.roma ko hansi aa gayi & hanste
hue vo apne pati ko dur karne lagi.prasun ko roma ne jo khel sikhaya
tha vo us khel ka na kewal deewana ban chuka tha balki uska pakka
khiladi bhi ban chuka tha.uske hath roma ki safed panty me chhupi gand
se ja lage the & vo use bistar ki or khinch raha tha,"..uumm...mujhe
kapde to badalne do..aahhhh....kya karte ho!",prasun uske blouse ke
upar ke hisse pe chum raha tha & uske hath roma ki kasi gand ko bahut
zoro se daba rahe the.
prasun ne roma ko baaho me bhare hue bistar pe litaya & uske upar
chadh uske honth chumne laga.uska lund roma ki chut ke upar daba tha &
uske hath roma ki pith pe.roma ke munh me ghusi uski zuban roma ke
badan me bijliya dauda rahi thi & thodi hi der me jab prasun bechaini
se apni kamar hila underwear me chhupe apne lund ko roma ki panty me
chhipi chut pe ragadne laga to uska badan masti ke mare thartharane
laga & uski chut gili hone lagi.
prasun ne apne hath apni biwi ki pith ke neeche se nikale & samne la
uski chhatiyo ko blouse ke upar se hi dabane laga.roma ab kafi garam
ho chuki thi,usne apni tange apne pati kamar pe kas di & neeche se
apni kamar hilane lagi.prasun ko apni biwi ki chhatiyo se khelna bahut
achha lagta tha.roma bhi janti thi ki jab tak vo bechaini se pagal na
ho jaye vo uski choochiyo ko nahi chhodega.
prasun ne fatafat blouse ke hooks khole & fir uske bar ke upar se hi
uske urozo ko chum liya,"aahhh..",roma ne uske sar ko apne seene pe
dabaya to prasun ne 1 bar fir apne hath uski pith se lagaye & uske bra
ke hooks ko khola & cups ko upar kar tez sanso ke chalte upar-neeche
ho rahe apni biwi ke ubharo ko numaya kar diya.iske baad to kamre me
bas roma ki aahe gunj rahi thi.prasun unhe dabate hue chus raha
tha.roma ki bayi chuchi ko munh me bhar usne itni zor se chusa ki uski
kamar ko apni tango me fansayi roma jhad gayi.
uske jhadte hi prasun ne bayi ko chhod dayi chhati ko munh me bhara &
uske sath bhi vohi harkat dohrayi.roma ki chhatiyo ke kayi palo tak
uski zuban & hatho ke rehmokaram pe rahne ke baad roma ne use palta &
uske upar savar ho gayi.apni chut se upar se uske lund ko dabate hue
usne kamar hila halke dhakke lagaye & use chumne lagi.prasun ke hath
abhi bhi uski chhatiyo ko daba rahe the.
thodi der baad roma apne pati ke hotho ko chhod upar hui & apne jism
se apne blouse & bra ko utar diya.uske seedha hote hi prasun ke hath
uski aankho ke samne chhalchhala rahe uske urozo se lag
gaye,"oonnhh.....kitni pasand hai tumhe ye?!!.....ab chhodo
bhi...oooww...."
roma ne dekha ki inder uske seene pe reham nahi khane vala to usne bhi
use tadpane ki sochi & jhat se uske upar se utar gayi & uske underwear
me hath daal diya.ab aahe bharne ki bari inder ki thi.itne dino ke
baad vo ab roma ke hath lagne se jhadta to nahi tha magar fir bhi jab
bhi uski pyari biwi uske lund se khelti uska khud pe kabu rakhna bada
mushkil ho jata.
apne lumbe baal prasun ki chhati pe firate hue jab roma ne uske
underwear ko neeche kar lund ko daye hath ki mutthi me tham munh me
bhara to inder josh ki inteha se bistar se uthne laga.roma ne uske
tagde lund pe zuban firana shuru kar diya to vo chhatpatane laga.roma
ki laplapati jibh uske lund pe fir uske ando me ubalte uske virya ko
pichkari ke roop me nikalne ko aamada kar rahe the par roma kehti thi
ki pani ko humesha uski chut me hi chhode & isliye vo badi mushkil se
khud ko roke the roma ke munh ko apne apni se bharne se.
magar jab baat bardasht ke bahar ho gayi to prasun ne tadap ke karwat
le li & pet ke bal let apne lund ko apni biwi ki shararati zuban se
apne jism ke neeche chhupa liya.roma fauran uski pith pe apni sudol
chhatiya dabate hue let gayi,"kya hua jaan?",vo prasun ke kandho ko
thame uske sar ko chum rahi thi.
"mera nikalwane tha.",usne apna sar bistar se uthaya & roma ki kisses
ka lutf uthane laga.
"to kya hua?nikalne dete.",roma ne uske daye kaan pe kaat liya.
"tumhare munh me?",prasun ko hairani hui.
"haan.",roma ke hath ab uski baglo se ghus uske seene pe ghum rahe the.
"magar tum to kehti ho ki humesha tumhari pussy me hi nikalna chahiye?"
"haan,meri jaan.",roma ne use palta & uske seene pe apne bechain hotho
ki anginat muhare laga di,"..kehti thi magar aaj nahi kahungi kyuki
tumhare pani ne apna kaam kar diya hai."
"kaam?",prasun ko biwi ki baate samajh nahi aa rahi thi.
"haa darling..",roma ne uske lund ko pakda & uspe baith
gayi,"..uummmmmm....",lund ke chut me dhanste hi vo uske seene pe jhuk
gayi & uske chehre ko hatho me bhara,"..tumhara bachcha meri kokh me
aa gaya hai,prasun.",roma ne apne honth uski hontho se sataye & apni
kamar hilane lagi.prasun ke josh ka to thikana hi nahi tha.usne roma
ki gand ko pakda & karwat le use apne neeche kiya & chudai karne laga.
"matlab tumhare andar se baby niklega?"
"haan,meri jaan.".roma ne apne nakhun uski pith me gadaye & uske baaye
gaal pe uchak ke chuma.uske jism me aaj kuchh zyda hi romanch ho raha
tha.
"kab?"
"9 mahine baad.",1 bar fir usne apni tange prasun ki kamar pe kas di thi.
"fir main bhi papa ban jaoonga?"
"haa,jaanam,haan!",roma uchki & prasun ke kaan me paglo ki tarah jibh
chalane lagi-vo jhad chuki thi.prasun ko apni biwi ki baat sun ke
bahut khushi hui & use ajib sa ehsas hua.uska lund aur bhi zyada kada
ho gaya & use bahut josh ho gaya.usne roma ki gand se hath hata ke
upar uske kandho ke neeche lagaye & uski choochiyo se munh lagake bade
gehre dhakko se uski chudai karne laga.
Roma savere uthi to usne dekha ki Prasun bistar pe nahi hai.vo
munh-hath dhoke neeche aayi,"good morning,mummy!"
"good morning,beta!",Devika khane ki mez pe dressing gown pehne baithi
akhbar padhte hue chai pi rahi thi.
"mummy.."
"bolo,roma.",devika akhbar ke panne palat rahi thi.
"mummy vo.."
"kya baat hai,roma?",devika ne akhbar neeche kiya.
"ji..",roma ke gaal sharm se laal ho rahe the.
"bolo na beta!",devika ko ab uljhan hone lagi thi.
"main..main maa banane wali hu.",roma ne jaldi se kaha.
"kya?!!",devika jhats e uthi & apni bahu ko gale se laga liya,"..i
love you,beta!tera badmash pati kaha hai?"
kramashah................
आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj
--
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