Saturday, October 23, 2010

कौन सच्चा कौन झूठा पार्ट -19

हिंदी सेक्सी कहानियाँ
कौन सच्चा कौन झूठा पार्ट -19
गतान्क से आगे........
दोनो के लब अलग हुए ,चंपा बहुत ज़ोर-2 से साँसे लेने लगी ,उसकी चुचिया
भी उसकी सांसो के साथ उपर नीचे हो रही थी, दीपक सीधा हुआ अपने लंड को
चंपा की चूत के मूह पर देखा ,लंड थोड़ा अंदर जा चुका था, अपनी कमर पीछे
करके एक हल्का सा धक्का दिया ,लंड थोडा अंदर गया ,चंपा ने बेड को अपने
दोनो हाथ से पकड़ लिया दीपक के लंड पे पानी लग चुका था ,चंपा की भट्टी का
, चंपा ने अपनी आँखें पूरे ज़ोर मे बंद कर रखी थी ,एक मिनट तक दीपक ने
धक्का नही मारा , जैसे ही चंपा ने अपनी आँखें खोली दीपक ने अपनी कमर हिला
के लंड को और अंदर किया ,चंपा फिर सिहहररर उठी चंपा पहले काफ़ी बार ये सब
कर चुकी थी पर आज ,दीपक के साथ उसे कुछ अलग ही मज़ा आ रहा था , मानो वो
आज आसमान मे उड़ रही हो ,, दीपक आज तक कभी ऐसे कभी किसी औरत के साथ सोया
नही था ,उसे ये तो पता था के चंपा जागया से प्यार करती थी ,और वो उनकी
फिल्म भी देख चुका था,पर वो ना जाने क्यू चंपा की तरफ खिचता चला जा रहा
था दीपक ने अपनी कमर हिलाई और एक ज़ोर से धक्का मारा , चंपा के मूह से
आहह निकली पर इस बार वो खुद चाहती थी के दीपक और ज़ोर से धक्के मारे
दीपक: मेरी तरफ देखो ये बोलते ही ,दीपक ने धक्का मारा और पूरा लंड अंदर
तक पहुच चुका था दो मिनट तक दोनो एक दूसरे को देखते रहे , चंपा की गर्मी
बढ़ रही थी, उसने अपनी कमर खुद हिला कर लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया
दीपक ने चंपा की कमर को ज़ोर से पकड़ लिया , धीरे से अपना लंड बाहर
निकाला और जड़ तक डाल दिया , वो चंपा को तरसा रहा था धक्के भी धीरे-2 लगा
रहा था , वो चंपा की आग को और भड़का रहा था दीपक: क्या हुआ? चंपा: कर
दीजिए दीपक: क्या करू ? चंपा शरर्मा गयी ,और अपना चेहरा छुपा के हस्ने
लगी, दीपक ने उसके दोनो हाथो को पकड़ कर अलग किया, चंपा की आँखें ज़ोरो
से बंद थी पर चेहरे पर एक हल्की सी हँसी थी दीपक ने एक ज़ोर से धक्का
मारा , चंपा की आँखे खुद बा खुद खुल गयी , चंपा भी अपनी कमर हिला रही थी
, दीपक जान बूझ कर धीरे -2 धक्के मार रहा था , चंपा अपनी कमर को हिलाते
हुए ,मूह से हल्की आवाज़ और तेज़ी से साँसे ले रही थी दीपक ने अपने धक्को
को तेज़ किया और नीचे चंपा के धक्को से मिला दिया , जब दीपक धक्का मार के
उपर होता चंपा अपनी कमर उपर उठा देती ,ओर वैसे की दीपक जब धक्का मार के
लंड अंदर करता , चंपा कमर को बेड पर रख देती ,दोनो एक दूसरे का शिकार कर
रहे थे दोनो जिस्म एक दम आपस मे चिपके हुए थे , धक्को के साथ-2 लबो को
चूसना जारी था दीपक ये पहली बार कर रहा था, पर दिव्या के साथ बीताए पल
उसे अभी भी याद थे चंपा की साँसें तेज़ होती जा रही थी , उसने धक्के
लगाना भी बंद कर दिया था ,दीपक के धक्को की रफ़्तार तेज़ हो चुकी थी चंपा
का शरीर ढीला पड़ा , पहला झटका लगा ,दीपक को झटके का एहसास हुआ उसने
धक्के रोक दिए ,सामने चंपा की तरफ देखा उसके चेहरे पर एक सकून था ,जैसे
किसी प्यासे की प्यास भुज गयी हो ,दीपक ने फिर धक्के लगाने शुरू किए इस
बार वो भी बहुत करीब पहुच चुका था ,चंपा का गरम पानी दीपक के पूरे लंड को
भिगा चुका था दीपक को लगा के वो झड़ने वाला है ,सामने चंपा तो जैसे एक
नशे मे थी ,उसे कुछ होश नही था दीपक ने जल्दी से लंड बाहर निकाला और उसका
पानी हवा मे उछला सीधा चंपा की कमर पर पहली बूँद गिरी, चंपा की नज़रे उसी
को देख रही थी ,उसका वीरया थोड़ा उसकी चूत और बेड पे गिरा दीपक ज़ोर-2 से
साँस ले रहा था, उसकी नज़रे चंपा की नज़रो से मिली हुई थी ,मानो दोनो एक
दूसरे को ऐसे ही देखते रहना चाहते हो दीपक बेड से नीचे हुआ,सामने खड़ा
होकर चंपा की तरफ ही देख रहा था,बेड पे लेटी चंपा को शर्म आ रही थी ,चंपा
ने बेड से नीचे देखा उसकी ब्रा और पॅंटी पास मे ही पड़ी थी जल्दी से खड़ी
हुए कपड़े उठाए और बाथरूम की तरफ गयी बाथरूम मे घुसते ही , चंपा दरवाज़े
के पीछे खड़ी तेज़ साँसें ले रही थी, उसके चेहरे पर एक अलग सी खुशी थी,
कपड़े पहन लेने के बाद भी चंपा बाहर नही गयी , कदम बढ़ाती फिर रुक जाती
पता नही उसके मन मे क्या था बाहर दीपक अपने कपड़े पहन चुका था और चंपा का
इंतेज़ार कर रहा था, आधा घंटा हुआ पर चंपा बाहर नही आई चंपा बाहर जल्दी
से जाना चाहती थी ,पर दरवाज़े पर हाथ लगाते ही ,पीछे हट जाती थी थोड़ी
देर बाद तक जब चंपा बाहर नही आई , दीपक बाथरूम के पास गया , बाहर से
दरवाज़ा खत खाटाया दीपक: चंपा तुम ठीक तो हो अंदर से चंपा जवाब तो देना
चाहती थी पर उसकी ज़बान कुछ बोल नही पाई , दीपक ने दरवाज़े पर दबाव बनाया
, दरवाज़ा खुला हुआ था , अंदर चंपा को जब लगा के दीपक यही आ रहा है , वो
मुड़ के खड़ी हो गयी दरवाज़ा खुला सामने चंपा , दीवार की तरफ मूह करके
खड़ी हुई थी , दीपक अंदर गया , उसके कंधे को छूने के लिए हाथ बदाया पर
वापस अपना हाथ खींच लिया दीपक: (आराम से बोला) चंपा इधर देखो दीपक की
आवाज़ सुनते ही ,चंपा और आगे हो गयी ,दीवार से जा चिपकी , दीपक को ऐसा
लगा के उसने ये सब ग़लत कर दिया है दीपक, चंपा के पास गया उसके कंधे पर
हाथ रखा दीपक: मुझ से कोई ग़लती हो गयी चंपा ने सामने गर्दन ना मे हिला
के जवाब दिया दीपक: तो मेरी तरफ देखो चंपा ने फिर गर्दन ना मे हिलाई दीपक
पीछे से चंपा के करीब गया ,उसके दोनो कंधो पर अपना हाथ रखा ,और उसे अपनी
तरफ करने लगा , चंपा अपने दोनो हाथो को बाँधे पीस रही थी, उसकी नज़रे
नीचे थी चहरे पर एक हल्की से मुस्कान थी दीपक: क्या हुआ , कुछ बोलो चंपा
कुछ नही बोली ,सीधा दीपक के कंधे पर अपना सिर रख दिया , दीपक ने अपने हाथ
उसकी कमर के पीछे बाँधे और ज़ोर से जाकड़ लिया थोड़ी देर तक दोनो मे से
कोई नही बोला ,दीपक ने अपना मूह खोला दीपक: चंपा मुझे बहुत ज़ोर की भूक
लगी है , खाना खिला दो चंपा ,दीपक से अलग हुए ,उसकी आँखों मे देखा ,
हल्का सा मुस्कुरई चंपा: 5मिनट दीजिए अभी तैयार करती हू ये बोल कर दोनो
बाथरूम से बाहर आए दीपक खाना खा के बेड पर बैठा था के चंपा सामने आकर
खड़ी हो गयी,उसकी नज़रे अभी भी नीचे ही थी दीपक: चंदू आया नही अभी तक
चंपा: आता ही होगा,आप उसके साथ जाएँगे दीपक: जाना तो पड़ेगा चंपा ,ऐसे
बैठ नही सकता मैं चंपा: पर आपका जखम दीपक ने चंपा का हाथ पकड़ कर अपनी
तरफ किया दीपक: चिंता मत करो मुझे कुछ नही होगा ... राणे पुरानी फाइल्स
को छान रहा ,धूल मिट्टी से भरा कमरा ,चारो तरफ धूल से धक्की फाइल्स पड़ी
थी राणे: बाबू राम आज मिट्टी से नहाना पड़ेगा भाई हवलदार: सर आप जा कर
बैठे मुझे बताए क्या ढूंडना है राणे: ह्म्‍म्म्म प्रमोशन तुहार पक्का है
ये सुनते ही बाबूराम खुश हो गया, राणे अभी भी फाइल्स को छान रहा था,बहुत
साल पुराने केसस की फाइल्स थी सब धूल मिट्टी से धक्की पड़ी थी हवलदार:
साहेब आप की पगार कितना है राणे: क्यू पूछ रहे हो ,हम लोन नही देते भैया
हवलदार: नही साहेब मे तो इसलिए पूछ रहा था के ,कल को जब मे पोलीस
इनस्पेक्टर बनूंगा तब मेरी पगार कितनी होगी राणे: चिंता मत करो सब पता चल
जाएगा थोड़ी देर बाद कुछ फाइल्स उठाई और उस कमरे से बाहर दोनो आए, दोनो
धूल मे लथपथ थे , अपना मूह हाथ धोने के बाद राणे अपनी कुर्सी पर बैठा
क्रमशः.............. KAUN SACHCHA KAUN JHUTHA paart -19 gataank se
aage........ dono ke lab alag hue ,champa bahut zor-2 se saanse lene
lagi ,uski chuchiya bhi uski sansso ke sath upar niche ho rahi thi,
deepak sidha hua apne lund ko champa ki chut ke muu par dekha ,lund
thoda ander ja chuka tha, apni kamar piche karke ek halka sa dhakka
diya ,lund thoda ander gaya ,champa ne bed ko apne dono hath se pakad
liya deepak ke lund pe pani lag chuka tha ,champa ki bhatti ka ,
champa ne apni aankhein pure zor me band kar rakhi thi ,ek min tak
deepak ne dhakka nahi mara , jaise hee champa ne apni aankhein kholi
deepak ne apni kamar hila ke lund ko aur ander kiya ,champa fir
sihhrrr uthi champa pahle kaffii baar ye sab kar chuki thi par aaj
,deepak ke sath use kuch alag hee maza aa raha tha , mano vo aaj
aasman me udd rahi ho ,, deepak aaj tak kabhi aise kabhi kisi aurat ke
sath soya nahi tha ,use ye to pata tha ke champa jagya se pyar karti
thi ,aur vo unki film bhi dekh chuka tha,par vo na jane kyu champa ki
taraf khichta chala ja raha tha deepak ne apni kamar hilayi aur ek zor
se dhakka mara , champa ke muu se aahh nikli par is baar vo khud
chahti thi ke deepak aur zor se dhakke mare deepak: meri taraf dekho
ye bolte hee ,deepak ne dhakaa mara aur pura lund ander tak pahuch
chuka tha do min tak dono ek dusre ko dekhte rahe , champa ki garmi
bad rahi thi, usne apni kamar khud hila kar lund ko ander bahar karna
shuru kiya deepak ne champa ki kamar ko zor se pakad liya , dhire se
apna lund bahar nikala aur jad tak daal diya , vo champa ko tarsa raha
tha dhake bhi dhire-2 laga raha tha , vo champa ki aag ko aur bhadka
raha tha deepak: kya hua? champa: kar dijiye deepak: kya karu ? champa
sharrma gayi ,aur apna chehra chupa ke hasne lagi, deepak ne uske dono
hatho ko pakad kar alag kiya, champa ki aankhein zoro se band thi par
chehre par ek halki si hassi thi deepak ne ek zor se dhaka mara ,
champa ki aankein khud ba khud khul gayi , champa bhi apni kamar hila
rahi thi , deepak jaan bhuj kar dhire -2 dhakke maar raha tha , champa
apni kamar ko hilate hue ,muu se halki awaz aur tezi se sanssein le
rahi thi deepak ne apne dhakko ko tez kiya aur niche champa ke dhakko
se mila diya , jab deepak dhakka maar ke upar hota champa apni kamar
upar utha deti ,or waise ki deepak jab dhakka maar ke lund ander karta
, champa kamar ko bed par rakh deti ,dono ek dusre ka shikaar kar rahe
the dono jism ek dum aapas me chipke hue the , dhakko ke sath-2 labo
ko chusna jaari tha deepak ye pahli baar kar raha tha, par divya ke
sath beetaye pal use abhi bhi yaad the champa ki saansein tez hoti ja
rahi thi , usne dhakke lagana bhi band kar diya tha ,deepak ke dhakko
ki raftaar tez ho chuki thi champa ka sharir dhila pada , pahla jhatka
laga ,deepak ko jhatke ka ehsaas hua usne dhakke rok diye ,saamne
champa ki taraf dekha uske chehre par ek sakoon tha ,jaise kisi pyase
ki pyass bhuj gayi ho ,deepak ne fir dhakke lagane shuru kiye iss baar
vo bhi bahut karib pahuch chuka tha ,champa ka garam pani deepak ke
pure lund ko bhigga chuka tha deepak ko laga ke vo jhadne wala he
,saamne champa to jaise ek nashe me thi ,use kuch hosh nahi tha deepak
ne jaldi se lund bahar nikala aur uska pani hawa me uchla sidha champa
ki kamar par pahli boond giri, champa ki nazre usi ko dekh rahi thi
,uska viryaa thoda uski chut aur bed pe gira deepak zor-2 se saans le
raha tha, uski nazre champa ki nazro se mili hui thi ,mano dono ek
dusre ko aise hee dekhte rehna chahte ho deepak bed se niche
hua,saamne khada hokar champa ki taraf hee dekh raha tha,bed pe leti
champa ko sharm aa rahi thi ,champa ne bed se niche dekha uski bra aur
panty pass me he padi thi jaldi se khadi hue kapde uthaye aur bathroom
ki taraf gayi bathroom me ghuste hee , champa darwaze ke piche khadi
tez saansein le rahi thi, uske chehre par ek alag si khushi thi, kapde
pehan lene ke baad bhi champa bahar nahi gayi , kadam badati fir ruk
jati pata nahi uske mann me kya tha bahar deepak apne kapde pehan
chuka tha aur champa ka intezaar kar raha tha, adha ghanta hua par
champa bahar nahi aayi champa bahar jaldi se jana chahti thi ,par
darwaze par hath lagate hee ,piche hat jati thi thodi der baad tak jab
champa bahar nahi aayi , deepak bathrom ke pass gaya , bahar se
darwaza khat khataya deepak: champa tum thik to ho ander se champa
jawab to dena chahti thi par uski zabaan kuch bol nahi payi , deepak
ne darwaze par dabaw banaya , darwaza khulaa hua tha , ander champa ko
jab laga ke deepak yahi aa raha he , vo mudd ke khadi ho gayi darwaza
khula saamne champa , deewar ki taraf muu karke khadi hui thi , deepak
ander gaya , uske kandhe ko chune ke liye hath badaya par wapas apna
hath khinch liya deepak: (aaram se bola) champa idhar dekho deepak ki
awaz sunte he ,champa aur agge ho gayi ,deewar se ja chipki , deepak
ko aisa laga ke usne ye sab galat kar diya he deepak, champa ke pass
gaya uske kandhe par hath rakha deepak: mujh se koi galti ho gayi
champa ne saamne gerrdan naa me hila ke jawab diya deepak: to meri
taraf dekho champa ne firr gerrdan na me hilayi deepak piche se champa
ke karib gaya ,uske dono kandho par apna hath rakha ,aur use apni
taraf karne laga , champa apne dono hatho ko bandhe pisss rahi thi,
uski nazre niche thi chahre par ek halki se muskaan thi deepak: kya
hua , kuch bolo champa kuch nahi boli ,sidha deepak ke kandhe par apna
sir rakh diya , deepak ne apne hath uski kamar ke piche bandhe aur zor
se jakad liya thodi der tak dono me se koi nahi bola ,deepak ne apna
muu khoola deepak: champa mujhe bahut zor ki bhuk lagi he , khana
khila do champa ,deepak se alag hue ,uski ankhon me dekha , halka sa
muskurai champa: 5min dijiye abhi tayar karti hu ye bol kar dono
bathroom se bahar aaye deepak khana khaa ke bed par baitha tha ke
champa saamne aakar khadi ho gayi,uski nazre abhi bhi niche hee thi
deepak: chandu aaya nahi abhi tak champa: ata he hoga,aap uske sath
jayenge deepak: jana to padega champa ,aise baith nahi sakta me
champa: par aapka zhakam deepak ne champa ka hath pakad kar apni taraf
kiya deepak: chinta mat karo mujhe kuch nahi hoga ... RANE purani
files ko chaan raha ,dhul mitti se bhara kamra ,charo taraf dhul se
dhakki files padi thi RANE: babu ram aaj mitti se nahana padega bhai
hawaldar: sir aap ja kar baithe mujhe bataye kya dhundna he RANE:
hmmmm permotion tuhar pakka he ye sunte he baburam khush ho gaya, RANE
abhi bhi files ko chaan raha tha,bahut saal purane cases ki files thi
sab dhul mitti se dhakki padi thi hawaldar: saheb aap ki pagaar kitna
he RANE: kyu puch rahe ho ,hum loan nahi dete bhaiya hawaldar: nahi
saheb me to isliye puch raha tha ke ,kal ko jab me police inspector
banunga tab meri pagaar kitni hogi RANE: chinta mat karo sab pata chal
jayega thodi der baad kuch files uthayi aur us kamre se bahar dono
aaye, dono dhul me latpat the , apna muu hath dhone ke baad RANE apni
kursi par baitha kramashah.............. Tags = Future | Money |
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