बदला पार्ट--26
गतान्क से आगे...
आख़िरकार वो दिन भी आ ही गया जब प्रसून & रोमा की शादी हो गयी.देविका आज
बहुत खुश थी.उसने जैसे सोचा था सब कुच्छ वैसे ही हुआ.वो अपने बंगल के
दरवाज़े पे खड़ी जो चंद मेहमान आए थे उन्हे विदा कर रही थी.वीरेन भी उसके
साथ खड़ा था.कामिनी पहले ही उसकी कॉटेज मे जा चुकी थी.सारे मेहमआनो के
जाने के बाद देविका बंगल के अंदर चली गयी & वीरेन अपनी कॉटेज. अपनी कॉटेज
मे दाखिल होते ही वीरेन ने देखा की कामिनी कॉटेज के बेडरूम की खिड़की के
पास खड़ी बाहर देख रही थी,"क्या देख रही हो?",वीरेन ने उसे पीछे से बाहो
मे भर लिया. "वो दूसरी कॉटेज किसकी है?",वीरेन की कॉटेज बंगल से थोड़ा हट
के कुच्छ पेड़ो के पीछे इस तरह से बनी थी कि उसकी 1 खिड़की से बुंगला तो
दूसरी से मॅनेजर की कॉटेज नज़र आती थी & अगर कॉटेज के दूसरे कमरे की
खिड़की से देखते तो सर्वेंट क्वॉर्टर्स नज़र आ जाते लेकन उसकी कॉटेज
सिर्फ़ बंगले से ही नज़र आती थी. "वो मॅनेजर की कॉटेज है.",वीरेन ने उसकी
गर्दन पे चूमा. "लेकिन वाहा इतना अंधेरा क्यू है?",कामिनी ने अपने हाथ
अपने पेट पे बँधे उसके हाथो पे रख दिए. "पता नही.",वीरेन बस उसकी खुश्बू
महसूस करता हुआ उसे चूमे जा रहा था. "मॅनेजर तो वही रहता है फिर कोई
रोशनी क्यू नही है?",कामिनी ने अपना सवाल दोहराया. "अकेला आदमी है.सो गया
होगा.",उसने कामिनी की सारी का पल्लू नीचे गिरा दिया,"..अब उस बेचारे की
कॉटेज मे ऐसा गुल कहा जो गुलज़ार हो.",उसकी बात पे कामिनी को हँसी आ गयी
तो वीरेन ने उसे बाहो मे भरा & अपने बिस्तर की ओर ले जाने लगा.
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रोमा & प्रसून अपने कमरे मे अकेले थे.ये पहली बार था जब प्रसून अपनी मा
के अलावा किसी और औरत के साथ अपने बेडरूम मे रात को सोने वाला था.उसे
काफ़ी शर्म आ रही थी,उसे कपड़े बदलने थे & उसे समझ नही आ रहा की इस लड़की
की मौजूदगी मे वो ऐसा कैसे करे. शर्म तो रोमा को भी आ रही थी मगर वो
जानती थी की इस रिश्ते मे अगर वो ये उम्मीद करे की प्रसून पहल करेगा तो
वो शायद ज़िंदगी भर उस से चुद नही पाएगी.आख़िर था तो वो 1 मर्द के जिस्म
मे बच्चा ही.यहा उसे ही अपनी शर्मोहाया छ्चोड़ अपने पति को भी बेशर्म
बनाना होगा. "सुनिए..",प्रसून उसकी आवाज़ सुन घुमा,"..कपड़े बदलने है ना
आपको?",प्रसून ने हा मे सर हिलाया. "तो बदलते क्यू नही?",वो उसके करीब आ
गयी.प्रसून के गाल जैसे शर्म से जल रहे थे,"..मुझसे कैसा शरमाना.मैं तो
आपकी बीवी हू ना.",वो उसके पास बिस्तर पे बैठ गयी,"..लाइए मैं मदद करती
हू.",उसने उसका कुर्ता पकड़ के उपर किया तो प्रसून पीछे हो गया,"..मैं
खुद कर लूँगा." उसने उसकी तरफ पीठ की & कुर्ता उतारने लगा.रोमा को उसके
बच्पने पे हँसी आ गयी मगर उसने ठान लिया था की अपने पति से वो आज रात
दोस्ती कर ही लेगी.वो भी अपनी सारी उतारने लगी.प्रसून पाजामा उतारने के
लिए बाथरूम जाने लगा तो रोमा ने उसे रोका,"सुनिए." "क्या है?" "ज़रा ये
हुक्स खोल दीजिए ना.मुझ से नही खुलते,",वो उसके सामने ब्लाउस & पेटिकोट
मे खड़ी हो गयी.प्रसून का शर्म के मारे बुरा हाल था.काँपते हाथो से उसने
उसके सीने के बड़े-2 उभारो को ढँके हुए ब्लाउस के हुक्स खोले & फिर वाहा
से जाने लगा,"रुकिये,पहले यहा बैठिए.",हाथ पकड़ रोमा ने उसे अपने साथ
बिस्तर पे बिठाया. "मुझसे शरमाते क्यू हैं.मैं तो आपसे दोस्ती करने आई
हू.",प्रसून ने उसकी तरफ देखा. "हां.",रोमा ने उसका हाथ थाम लिया,"मैं
आपकी दोस्त हू.आप मुझे बताइए की आपको क्या अच्छा लगता है हम वही करेंगे."
भोले प्रसून को उसकी बात बहुत अच्छी लगी,"मुझे पैंटिंग बहुत पसंद है."
"सच.",रोमा ने बहुत खुशी से कहा,"तो दिखाइए ना." "अभी लाता हू.",रोमा ने
अपना ब्लाउस निकाल दिया.अब वो लाल ब्रा मे & पेटिकोट मे बिस्तर पे बैठी
थी. प्रसून उसे अपनी ड्रॉयिंग्स दिखाने लगा.रोमा उस से सॅट के बैठी थी &
उसे थोड़ा अजीब सा अभी भी लग रहा.उसकी नज़र बार-2 रोमा के ब्रा पे जा रही
थी,उसके बदन से आती खुश्बू उसे बहुत अछी लग रही थी & उसने देखा की उसके
पाजामे मे उसका लंड खड़ा हो गया है.1 बार फिर उसे शर्म आने लगी & उसने
अपनी 1 स्केचबुक अपनी गोद मे रख ली. "वाउ!",प्रसून के बाए अरफ़ बैठी रोमा
ने अपना दाया हाथ उसकी नंगी पीठ पे रखा तो वो सिहर गया,"..आप कितनी अच्छी
ड्रॉयिंग करते हैं,प्रसून.मुझे भी सिखाएँगे.",वो 1 बच्चे की तरह मचली मगर
अपने पति के चेहरे की उड़ी रंगत देख उसके माथे पे भी शिकन पड़ गयी. "क्या
हुआ प्रसून?",उसने उसके चेहरे पे हाथ फेरा,".आपकी तबीयत तो ठीक है?",उसके
माथे पे उसने हाथ रख देखा की कही उसे बुखार तो नही. "मैं ठीक हू." "फिर
क्या हुआ?",रोमा ने अपने बाए हाथ से उसका चेहरा अपनी ओर
घुमाया,"बोलिए.अपनी फ्रेंड से नही कहेंगे.",प्रसून को सब कुच्छ बहुत अजीब
सा लग रहा था मगा रोमा की करीबी उसे बहुत भा रही थी.उसका बदन,उसकी खुश्बू
उसे समझ नही आ रहा था की आख़िर ये हो क्या रहा था.रोमा का दाया गाल उसके
करीब था & उसने उसपे हल्के से चूम लिया. रोमा अपने गाल पे हाथ रखथोडा
पीछे हुई & अपना सर झुका लिया तो प्रसून घबरा गया & बिस्तर से उतरने
लगा,"नही." "क्यू जाते हैं?",रोमा ने उसे रोका. "तुम गुस्सा नही हो?",1
बार फिर प्रसून 1 मासूम बच्चा बन गया था. "नही तो..",रोमा फिर से उसके
करीब आ गयी,"..मैं तो आपकी बीवी हू.आप तो मुझे कभी भी प्यार कर सकते
हैं." "कभी भी?" "हां.",रोमा ने उसके होंठो पे अपने गाल रख दिए तो प्रसून
ने फिर से उसे चूमा.जवाब मे रोमा ने भी उसके गाल को चूम लिया.ये मस्ताना
हरकत बच्चो का खेल बन गयी.प्रसून उसका गाल चूमता तो रोमा भी उसका 1 गाल
चूम लेती.वो उसकी नाक चूमता तो वो भी ऐसा ही करती.दोनो हंसते हुए ये खेल
खेल रहे थे.रोमा 1 जवान लड़की थी & प्रसून दिमाग़ से बच्चा था मगर जिस्म
से हटटा-कट्ता जवान मर्द था.उसकी करीबी से वो भी मदहोश हो रही थी & उसके
अरमान भी जाग उठे थे. इस बार उसने प्रसून के नंगे बालो भरे सीने पे
बीचोबीच चूम लिया.खेल मे मगन प्रसून ने भी आव देखा ना ताव & उसके ब्रा से
झाँकते उसके बड़े क्लीवेज पे चूम लिया मगर चूमते ही उसे ऐसा लगा मानो
उसने बहुत बड़ी ग़लती कर दी & वो झट से पीछे हो गया लेकिन रोमा ने ऐसे
जताया जैसे उसे कुछ लगा ही ना हो & उसने झुक के प्रसून के पेट पे चूम
लिया. अब प्रसून को भी लगा की उसकी नयी दोस्त उसके साथ खेल ही रही
है.उसने भी उसके पेट पे चूम लिया.रोमा का जिस्म अब पूरी तरह से गरम हो
चुका था.वो बिस्तर पे ही खड़ी हो गयी,"उम्म....चलिए पहले कपड़े बदल लेते
हैं फिर खेलेंगे.",उसने अपनी पेटिकोट की डोर खोल दी.अब वो लाल रंग की लेस
की ब्रा & पॅंटी मे थी,"आप भी बदलिए ना कपड़े." बहुत शरमाते हुए प्रसून
ने अपना पाजामा नीचे किया.रोमा ने अपने पति को केवल 1 काले अंडरवेर मे
देखा तो जैसे उसकी टाँगो ने उसका साथ छ्चोड़ दिया.उसका गला सुख गया &
उसने थूक गटका.उसने अपनी पीठ प्रसून की तरफ कर दी & अपने बाल अपने हाथो
मे पकड़ अपनी पीठ से हटाए,"ज़रा ये हुक खोल दीजिए." प्रसून ने उसकी बात
मानी & जैसे ही उसने ब्रा के हुक्स को खोला रोमा उसे अपने सीने से नीचे
गिराती हुई घूम कर उसके सामने आ गयी.रोमा की 34 साइज़ की बड़ी-2 चूचिया &
उनपे सजे हुए जोश से कड़े भूरे निपल्स अब प्रसून की आँखो के सामने
थे.उसने ज़िंदगी मे पहली बार 1 औरत की नंगी चूचिया देखी थी,"ऐसे क्या देख
रहे हैं?" प्रसून ने जैसे अपनी बीवी का सवाल सुना ही नही.उसे वो गेंद
जीसी चीज़े बड़ी अजीब सी लग रही थी,"क्या हुआ?पहले कभी नही देखी क्या
आपने ये?",रोमा ने अपनी मस्त चूचियो की ओर इशारा किया.प्रसून ने ना मे सर
हिलाया. "तो अब देख लीजिए.",रोमा ने उसका हाथ पकड़ के अपने सीने पे रख
दिया.उसे खुद पे भी हैरत हो रही थी की वो इतनी बेबाक कैसे हो गयी थी की
पहली रात को ही अपने पति से ऐसे खुल के पेश आ रही थी.माना की वो
मंदबुद्धि था फिर भी उसकी शर्मोहाया यू हवा हो जाएगी उसे उम्मीद भी नही
थी. "उम्म..",प्रसून ने उसकी चूची को हौले से दबाया तो उसकी टाँगो ने
उसका साथ छ्चोड़ दिया & वो बिस्तर पे गिर पड़ी. "क्या हुआ
रोमा?सॉरी...मैं अब ज़ोर से नही दबाउन्गा..!",घबराया प्रसून आँखे बंद किए
रोमा के उपर झुका हुआ था.रोमा के अपने इस बुद्धू पति पे बहुत प्यार आया &
उसने उसे अपने उपर खींचा & उसके होंठो से अपने होंठ लगा दिए.उसकी ज़ुबान
प्रसून के मुँह मे घुस उसकी जीभ से लड़ने लगी तो प्रसून घबरा गया & उसकी
बाँहो से निकलने की कोशिश करने लगा मगर रोमा अब पूरी तरह से बेकाबू हो
गयी थी.उसने उसे नही छ्चोड़ा. प्रसून अपनी बीवी के उपर पड़ा हुआ था &
उसका लंड उसकी चूत पे था.उसका दिमाग़ कमज़ोर था उसका जिस्म नही & चूत को
महसूस करते ही उसकी कमर अपने आप हिलने लगी & वो अपने अंडरवेर के अंदर से
& उसकी पॅंटी के उपर से ही धक्के लगाने लगा.रोमा की कमर भी हिल रही
थी.अचानक प्रसून को अपने अंदर बहुत ही मज़ा जैसा कुच्छ लगा & उसकी कमर और
ज़ोर से हिलने लगी & वो अपने उंड़रएवर मे ही झाड़ गया. रोमा ने भी ये
महसूस किया & उसे थोड़ी खिज महसूस हुई.प्रसून को अब बहुत ज़्यादा शरम आई
& वो जल्दी से रोमा के उपर से उतरा & बाथरूम मे भाग गया.
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"ऊन्नह...ऊन्नह....!",कामिनी बिस्तर के हेडबोड को हाथो से पकड़े अपने
घुटनो पे बिस्तर पे थी & वीरेन उसकी अन्द्रुनि जाँघो को चूम रहा
था.पिच्छले 1 घंटे मे वो कोई 2 बार झाड़ चुकी थी मगर अभी तक उसकी चूत ने
उसके लंड से मुलाकात नही की थी. "आऐइययईईए....!",कामिनी ने हेडबोर्ड को
और ज़ोर से पकड़ लिया क्यूकी वीरेन की लपलपाति जीभ अब उसके दाने को चाट
रही थी & उसकी उंगली भी उसके चूत मे अंदर-बाहर हो रही थी.वो तीसरी बार
झड़ने के करीब पहुँच रही थी जब वीरेन ने अपनी ज़ुबान & उंगली को उसकी
चिकनी चूत से पीछे हटाया & अपना लंड उसमे दाखिल करा दिया. कमरे मे अंधेरा
था बस खिड़की से आती चाँदनी ही वाहा मौजूद थी & माहौल को और नशीला बना
रही थी.वीरेन उसकी चौड़ी गंद की फांको को फैलाते हुए अपने लंड को जड तक
उसकी चूत मे धँसाते हुए धक्के लगा रहा था.कामिनी का बुरा हाल था.लंड के
घुसते ही 3-4 धक्को मे ही वो झाड़ गयी थी मगर वीरेन की चुदाई मे उसे फिर
से तुरंत मस्त कर दिया था.चोद्ते हुए वीरेन झुका & अपने दाए हाथ से उसकी
चूचिया भींच के उन्हे मसलते हुए उसकी पीठ & गर्दन पे किस्सस की बौछार कर
दी. कामिनी अपने प्रेमी की मस्ताना हर्कतो से और मदहोश हो गयी & बेचैन हो
उसने अपना सर दाए तरफ घुमाया,वीरेन उसके बाए कंधे को चूमते हुए धक्के लगा
रहा था.सर घूमते ही कामिनी की नज़र कमरे की खिड़की पे पड़ी & उसके मुँह
से चीख निकलते-2 रह गयी.वाहा कोई आदमी खड़ा उनकी चुदाई देख रहा था जो
उसके सर घूमते ही वाहा से हट गया था. कामिनी को घबराहट हुई मगर उस वक़्त
उसका दिल उसके जिस्म का गुलाम था & उसका जिस्म वीरेन का लंड उसकी कोख पे
चोट कर उसके जिस्म मे मस्ती की लहरें दौड़ा रहा था.वीरेन ने अपना सर उसके
बाए कंधे से उठाया & उसके दाए तरफ घूमे हुए सर को अपने 1 हाथ से उपर कर
उसके लब से अपने लब लगा दिए.कामिनी भी उसकी किस मे सब भूल अपनी कमर
हिलाके चुदाई का मज़ा लेने लगी. "क्या कर रहे हैं,प्रसून?",बाथरूम मे
अपना अंडरवेर उतार के अपना लंड धोते प्रसून से रोमा ने पुचछा. "आप कितना
शरमाते हैं!",प्रसून उसे देख अपना लंड च्छुपाने लगा था,"ये देखिए मेरी भी
तो पॅंटी गीली हो गयी है.",रोमा ने इशारा किया तो प्रसून ने देखा की
सकमूच उसकी बीवी की पॅंटी के लेस पे भी 1 बड़ा सा धब्बा पड़ा हुआ था.वो
कुच्छ बोलता उस से पहले ही रोमा ने अपनी पॅंटी उतार दी & अपनी रस बहाती
चूत अपने पति के सामने कर दी. "ये देखिए..",प्रसून अपना नन्गपन भूल हैरत
मे रोमा की चूत देख रहा था.पहली बार उसने किसी जवान औरत को इस तरह नंगी
देखा था,"..चलिए उठिए.",उसने उसे हाथ पकड़ उठाया & फिर 1 तौलिया ले उसका
लंड पोंच्छ दिया.प्रसून ने दूर हटने की कोशिश की मगर रोमा ने उसकी 1 ना
सुनी. प्रसून तो झाड़ चुका था मगर रोमा की आग अभी भी वैसे ही भड़क रही
थी.प्रसून के लंड के एहसास ने उसे और पागल कर दिया था.सिकुड़ने के बावजूद
लंड कोई 4-5 इंच लंबा लग रहा था.उसके सख़्त होने पे उसकी लंबाई के बारे
मे सोच के रोमा की चूत फिर से गीली होने लगी. अपने पति का हाथ पकड़ वो
उसे वापस कमरे मे लाई & बिस्तर पे लिटा दिया,"आज से आपके सारे काम मैं
करूँगी.ठीक है.",वो भी उसके बगल मे लेट गयी,"..और आप भी 1 प्रॉमिस करिए."
"क्या?",प्रसून अपनी इस दोस्त की बातो से हैरान था. "कि आप मुझ से कभी भी
नही शरमाएँगे.ओके!" "ओके,प्रॉमिस." "थॅंक्स.",रोमा ने उसके गाल पे चूम
लिया & फिर उसे उसकी 1 स्केचबुक थमा दी,"चलिए अपनी और ड्रॉयिंग्स
दिखाइए." प्रसून उसे खुश होके ड्रॉयिंग्स दिखाने लगा & उनके बारे मे
बताने लगा. "आपके चाचा तो बहुत अच्छी ड्रॉयिंग करते हैं,प्रसून.आप उनसे
क्यू नही कहते की आपको सिखाएं." "हां,चाचा भी मुझे बेस्ट पेंटर कहते
हैं.पर मुझे तो सब आता है.मैं उनसे क्यू सीखू?",प्रसून के मासूम सवाल पे
रोमा को हँसी आ गयी.वो उसके बाई तरफ लेटी थी,उसने करवट बदली & प्रसून के
गाल पे प्यार से हाथ फेरा,"वो आपसे बड़े हैं ना & पता है उन्हे बहुत
प्राइज़स भी मिले हैं.वो आपको नये-2 रंगो के बारे मे भी बताएँगे & अलग-2
ड्रॉयिंग्स के बारे मे भी.",रोमा ने ये जानते ही की प्रसून ड्रॉयिंग करता
है,ये तय कर लिया था की वो अपने पति को अपने इस हुनर को और निखारने के
लिए ज़रूर प्रेरित करेगी. प्रसून ने जैसे उसकी बात नही सुनी थी & वो उसके
सीने को देखे जा रहा था,"क्या देख रहे हैं?" "तुम्हारे यहा पे बॉल क्यू
नही हैं?",उसने उसकी छातियो पे हाथ फेरा तो रोमा के बदन मे बिजली सी दौड़
गयी. "तो आपका सीना भी तो मेरे जैसा नही.",उसने उसके सीने के बालो मे हाथ
फिराया,"..जो आपके पास है वो मेरे पास नही & जो मेरे पास है वो आपके पास
नही.भगवान जी ने हमे जान के ऐसे बनाया है ताकि हम दोनो 1 दूसरे के पास से
वो ले लें जो हमारे पास नही है." उसने उसका हाथ पकड़ के अपनी चूत पे
लगाया"देखिए ये जगह भी आपके जैसी नही है ना." "हां.",प्रसून का लंड 1 बार
फिर खड़ा हो गया.रोमा की चूत पे हाथ फिराते हुए उसने अपनी 1 उंगली अंदर
डाल दी,"ऊव्व!" घबरा के प्रसून ने हाथ पीछे खींच लिया,"इतनी ज़ोर से नही
प्रसून आराम से कीजिए.",रोमा उठ के बैठ गयी तो प्रसून भी बैठ गया.दोनो
आमने-सामने बैठे थे,"..हां ऐसे ही धीरे से अंदर बाहर कीजिए.",उसने प्रसून
का हाथ पकड़ उसे उंगली से चूत मारना सिखाया.उसका दिल तो कर रहा था की
प्रसून के तने लंड को जो अब 9 इंच का हो गया था पकड़ के हिला दे मगर उसे
डर था की उसका अनारी पति कही फिर ना झाड़ जाए. "अब ऐसे इस्पे गोल-2..हां
बिल्कुल ऐसे..आअहह..",वो उसे अपने दाने को छेड़ना सीखा रही थी,"..रुक
क्यू गये?" "तुम्हे दर्द हो रहा है,तुम कराहती हो." "ओह्ह..मेरे
राजा!",उसने अपने भोले-भले पति के होंठ चूम लिए,"..जब मज़ा आता है तब भी
लड़किया कराहती हैं & आप घबराईए मत अगर मुझे तकलीफ़ होगी तो मैं आपको
बोलूँगी की रुक जाइए.ठीक है!",प्रसून ने बच्चो जैसे सिर हिलाया & उसकी
चूत मारने लगा.थोड़ी ही देर मे रोमा उसकी उंगलियो से परेशान हो अपनी कमर
हिलाके झड़ने लगी.उसने प्रसून की कलाइया कस के पकड़ के उन्हे रोक
दिया,उसे बहुत तकलीफ़ सी हो रही थी मगर साथ ही इतनी खुशी भी हो रही थी की
उसके आँसू निकल आए. "तुम रो रही हो,रोमा?",प्रसून उसे हैरत से देख रहा
था. "नही मेरी जान.",रोमा ने उसे खींच के अपने सीने से लगा लिया & उसके
सर को चूमने लगी.प्रसून का लंड उसके पेट मे चुभ रहा था.अब वक़्त आ गया था
की उसके अनारी पति को खिलाड़ी बनाया जाए. वो उसे लिए-दिए लेट गयी.बीवी के
उपर लेटते ही प्रसून की कमर फिर से खुद बा खुद हिलने लगी.अब उसे रोमा का
उसके मुँह मे अप्नी जीभ डालना भी बहुत अच्छा लग रहा था.रोमा ने उसे बोल
कर उसकी जीभ भी अपने मुँह मे घुस्वाई.प्रसून को इस खेल मे बहुत मज़ा आ
रहा था.उसके आंडो मे मीठा सा दर्द हो रहा था जिसका एहसास उसके लिए
बिल्कुल अनोखा था. "प्रसून,आप अपने घुटनो पे बैठ जाइए..",रोमा ने अपनी
टाँगे फैला प्रसून को उनके बीच लिया,"..हां..अब इसे यहा
घुसाइये..",प्रसून को मा की कही बात याद आ गयी & वो अपना लंड रोमा की चूत
मे धकेलने की कोशिश करने लगा. "ऊओवव्व..!रुकिये,प्रसून....ऐसे नही ..1
मिनिट..",उसने उसका लंड पकड़ा & अपनी चूत पे रखा,"..हां अब हल्के से
घुसाइए.",प्रसून ने उसकी बात मान हल्के से धक्का लगाया मगर नाकाम रहा.
"फिर से कोशिश कीजिए..",रोमा समझ गयी की उसकी कसी चूत की वजह से ये हो
रहा है,"..1 मिनिट रुकिये.",उसने दाए हाथ मे लंड को पकड़ा & बाए की 2
उंगलियो से अपनी चूत को फैलाया,"..अब घुसाइए." "आहह..!",इस बार लंड थोड़ा
अंदर घुसा & इसके बाद तो जैसे प्रसून को सब खुद समझ मे आ गया.उसने ऐसे
ताबड़तोड़ धक्के लगाने शुरू किए की ना सिर्फ़ रोमा की चूत मे वो जड़ तक
समा गया बल्कि 4 धक्को मे ही रोमा दोबारा झाड़ गयी.उसे पता ही ना चला की
उसे बहुत दर्द हो रहा है क्यूकी उसके उपर तो खुमारी च्छाई हुई थी. प्रसून
1 बार झाड़ चुका था & अब उसे वक़्त लग रहा था मगर वो था तो अनारी ही.वो
बस उउन्ण उउन्ण करता पागलो की तरह धक्के लगाए जा रहा था,"प्रसून..",अपनी
बीवी की आवाज़ सुन अपने हाथो पे आँखे बंद किए,उठे प्रसून ने उसे देखा तो
रोमा ने उसे खींच के अपने उपर सुला लिया & उसके हाथो को अपनी चूचियो पे
लगा दिया,"..इन्हे दबाइए & इन्हे किस भी कीजिए." धक्के लगाता प्रसून अपनी
नयी-नवेली दुल्हन से इस खेल के नये-2 गुर सीखने लगा.
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क्रमशः........... बदला पार्ट--26 गतान्क से आगे... aakhirkar vo din bhi
aa hi gaya jab Prasun & Roma ki shadi ho gayi।devika aaj bahut khush
thi।usne jaise socha tha sab kuchh vaise hi hua।vo apne bungle ke
darwaze pe khadi jo chand mehman aaye the unhe vida kar rahi thi.Viren
bhi uske sath khada tha.Kamini pehle hi uski cottage me ja chuki
thi.sare mehmano ke jane ke baad devika bungle ke andar chali gayi &
viren apni cottage. apni cottage me dakhil hote h viren ne dekha ki
kamini cottage ke bedroom ki khidki ke paas khadi bahar dekh rahi
thi,"kya dekh rahi ho?",viren ne use peechhe se baaho me bhar liya.
"vo dusri cottage kiski hai?",viren ki cottage bungle se thoda hat ke
kuchh pedo ke peechhe is tarah se ban th k uski 1 khidki se bungla to
dusri se manager ki cottage nazar aati thi & agar cottage ke dusre
kamre ki khidki se dekhte to servant quarters nazar aa jate lekn uski
cottage sirf bungle se hi nazar aati thi. "vo manager ki cottage
hai.",viren ne uski gardan pe chuma. "lekin vaha itna andhera kyu
hai?",kamini ne apne hath apne pet pe bandhe uske hatho pe rakh diye.
"pata nahi.",viren bas usk khushbu mehsus karta hua use chume ja raha
tha. "manager to vahi rehta hai fir koi roshni kyu nah hai?",kamini ne
apna sawal dohraya. "akela aadmi hai.so gaya hoga.",usne kamini ki
sari ka pallu neeche gira diya,"॥ab us bechare ki cottage me aisa gul
kaha jo gulzar ho.",uski baat pe kamini ko hansi aa gayi to viren ne
use baaho me bhara & apne bistar ki or le jane laga.
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roma & prasun apne kamre me akele the.ye pehli baar tha jab prasun
apni maa ke alawa kisi aur aurat ke sath apne bedroom me raat ko sone
wala tha.use kafi sharm aa rahi thi,use kapde badalne the & use samajh
nahi aa raha ki is ladki ki maujoodgi me vo aisa kaise kare. sharm to
roma ko bhi aa rahi thi magar vo janti thi ki is rishte me agar vo ye
ummeed kare ki prasun pahal karega to vo shayad zindagi bhar us se
chud nahi payegi.aakhir tha to vo 1 mard ke jism me bachcha hi.yaha
use hi apni sharmohaya chhod apne pati ko bhi besharm banana hoga.
"suniye..",prasun uski aavaz sun ghuma,"..kapde badalne hai na
aapko?",prasun ne haa me sar hilaya. "to badalte kyu nahi?",vo uske
karib aa gayi.prasun ke gaal jaise sharm se jal rahe the,"..mujhse
kaisa sharmana.main to aapki biwi hu na.",vo uske paas bistar pe baith
gayi,"..laiye main madad karti hu.",usne uska kurta pakad ke upar kiya
to prasun peechhe ho gaya,"..main khud kar lunga." usne uski taraf
pith ki & kurta utarne laga.roma ko uske bachpane pe hansi aa gayi
magar usne than liya tha ki apne pati se vo aaj raat dosti kar hi
legi.vo bhi apni sari utarne lagi.prasun pajama utarne ke liye
bathroom jane laga to roma ne use roka,"suniye." "kya hai?" "zara ye
hooks khol dijiye na.mujh se nahi khulte,",vo uske samne blouse &
petticoat me khadi ho gayi.prasun ka sharm ke mare bura haal
tha.kaanpte hatho se usne uske seene ke bade-2 ubharo ko dhanke hue
blouse ke hooks khole & fior vaha se jane laga,"rukiye,pehle yaha
baithiye.",hath pakad roma ne use apne sath bistar pe bithaya. "mujhse
sharmate kyu hain.main to aapse dosti karne aayi hu.",prasun ne uski
taraf dekha. "haan.",roma ne uska hath tham liya,"main aapki dost
hu.aap mujhe bataiye ki aapko kya achha lagta hai hum vahi karenge."
bhole prasun ko uski baat bahut achhi lagi,"mujhe painting bahut
pasand hai." "sach.",roma ne bahut khushi se kaha,"to dikhaiye na."
"abhi lata hu.",roma ne apna blouse nikla diya.ab vo laal bra me &
petticoat me bistar pe baithi thi. prasun use apni drawings dikhane
laga.roma us se sat ke baithi thi & use thoda ajib sa abhi bhi lag
raha.uski nazar baar-2 roma ke bra pe ja rahi thi,uske badan se aati
khushbu use bahut achi lag rahi thi & usne dekha ki uske pajame me
uska lund khada ho gaya hai.1 baar fir use sharm aane lagi & usne apni
1 sketchbook apni god me rakh li. "wow!",prasun ke baaye araf baithi
roma ne apna daya hath uski nangi pith pe rakha to vo sihar
gaya,"..aap kitni achhi drawing karte hain,prasun.mujhe bhi
sikhayenge.",vo 1 bachche ki tarah machli magar apne pati ke chehre ki
udi rangat dekh uske mathe pe bhi shikan pad gayi. "kya hua
prasun?",usne uske chehre pe hath fera,".aapki tabiyat to thik
hai?",uske mathe pe usne hath rakh dekha ki kahi use bukhar to nahi.
"main thik hu." "fir kya hua?",roma ne apne baye hath se uska chehra
apni or ghumaya,"boliye.apni friend se nahi kahenge.",prasun ko sab
kuchh bahut ajib sa lag raha tha maga roma ki karibi use bahut bha
rahi thi.uska badan,uski khushbu use samajh nahi aa raha tha ki aakhir
ye ho kya raha tha.roma ka daya gaal uske karib tha & usne uspe halke
se chum liya. roma apne gaal pe hath thoda peechhe hui & apna sar
jhuka liya to prasun ghabra gaya & bistar se utarne laga,"nahi." "kyu
jate hain?",roma ne use roka. "tum gussa nahi ho?",1 baar fir prasun 1
masum bachha ban gaya tha. "nahi to..",roma fir se uske karib aa
gayi,"..main to aapki biwi hu.aap to mujhe kabhi bhi pyar kar sakte
hain." "kabhi bhi?" "haan.",roma ne uske hotho pe apne gaal rakh diye
to prasun ne fir se use chuma.jawab me roma ne bhi uske gaal ko chum
liya.ye mastana harkat bachcho ka khel ban gayi.prasun uska gaal
chumta to roma bhi uska 1 gaal chum leti.vo uski naak chumta to vo bhi
aisa hi karti.dono hanste hue ye khel khel rahe the.roma 1 jawan ladki
thi & prasun dimagh se bachcha tha magar jism se hatta-kaat jawan mard
tha.uski karibi se vo bhi madhosh ho rahi thi & uske arman bhi jaag
uthe the. is baar usne prasun ke nange baalo bhare seene pe
beechobeech chum liya.khel me magan prasun ne bhi aav dekha na taav &
uske bra se jhankte uske bade cleavage pe chum liya magar chumte hi
use aisa laga mano usne bahut badi galti kar di & vo jhat se peechhe
ho gaya lekin roma ne aise jataya jaise use kcuhh laga hi na ho & usne
jhuk ke prasun ke pet pe chum liya. ab prasun ko bhi lga ki uski nayi
dost uske sath khel hi rahi hai.usne bhi uske pet pe chum liya.roma ka
jism ab puri tarah se garam ho chuka tha.vo bistar pe hi khadi ho
gayi,"umm....chaliye pehle kapde badal lete hain fir khelenge.",usne
apni petticoat ki dor khol di.ab vo laal rang ki lace ki bra & panty
me thi,"aap bhi badaliye na kapde." bahut sharmate hue prasun ne apna
pajama neeche kiya.roma ne apne pati ko kewal 1 kale underwear me
dekha to jaise uski tango ne uska sath chhod diya.uska gala sukh gaya
& usne thuk gatka.usne apni pith prasun ki taraf kar di & apne baal
apne hathoi me pakad apni pith se hataye,"zara ye hook khol dijiye."
prasun ne uski baat mani & jaise hi usne bra ke hooks ko khola roma
use apne seene se neehe girati hui ghum kar uske samne aa gayi.roma ki
34 size ki badi-2 chhatiya & unpe saje hue josh se kade bhure nipples
ab prasun ki aankho ke samne the.usne zindagi me pehli baar 1 aurat ki
nangi chhatiya dekhi thi,"aise kya dekh rahe hain?" prasun ne jaise
apni biwi ka sawal suna hi nahi.use vo gend jisi chize badi ajib si
lag rahi thi,"kya hua?pehle kabhi nahi dekhi kya aapne ye?",roma ne
apni mast choochiyo ki or ishara kiya.prasun ne na me sar hilaya. "to
ab dekh lijiye.",roma ne uska hath pakad ke apne seene pe arkh
diya.use khud pe bhi hairat ho rahi thi ki vo itni bebak kaise ho gayi
thi ki pehli raat ko hi apne pati se aise khul ke pesh aa rahi
thi.maana ki vo mandbuddhi tha fir bhi uski sharmohaya yu hawa ho
jayegi use ummeed bhi nahi thi. "umm..",prasun ne uski choochi ko
haule se dabaya to uski tango ne uska sath chhod diya & vo bistar pe
gir padi. "kya hua roma?sorry...main ab zor se nahi
dabaunga..!",ghabraya prasun aankhe band ki roma ke upar jhuka hua
tha.roma ke apne is buddhu pati pe bahut pyar aaya & usne use apne
upar khincha & uske hotho se apne honth laga diye.uski zuban prasun ke
munh me ghus uski jibh se ladne lagi to prasun ghabra gaya & uski baho
se nikalne ki koshish akrne laga maga roma ab puri tarah se bekabu ho
gayi thi.usne use nahi chhoda. prasun apni biwi ke upar pada hua tha &
uska lund uski chut pe tha.uska dimagh kamzo tha uska jism nah & chut
ko mehsus karte hi uski kamar apne aap hilne lagi & vo apne underwear
ke andar se & uski panty ke upar se hi dhakke lagane laga.roma ki
kamar bhi hil rahi thi.achanak prasun ko apne andar bahut hi maza
jaisa kuchh laga & uski kamar aur zor se hilne lagi & vo apne
underewar me hi jhad gaya. roma ne bhi ye mehsus kiya & use thodi khij
mehsus hui.prasun ko ab bahut zyada sham aayi & vo jaldi se roma ke
upar se utra & bathroom me bhag gaya.
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"oonnhhh...oonnhhh....!",kamini bistar ke headboad ko hatho se pakde
apne ghutno pe bistar pe thi & viren uski andruni jangho ko chum raha
tha.pichhle 1 ghante me vo koi 2 baar jhad chuki thi magar abhi tak
uski chut ne uske lund se mulakat nahi ki thi.
"aaaiiyyeeeee....!",kamini ne headboard ko aur zor se pakad liya kyuki
viren ki laplapati jibh ab uske dane ko chat rahi thi & uski ungli bhi
uske chut me andar-bahar ho rahi thi.vo teesri baar jhadne ke karib
pahunch rahi thi jab viren ne apni zuban & ungli ko uski chikni chut
se peechhe hataya & apna lund usme dakhil kara diya. kamre me andhera
tha bas khidki se aati chandni hi vaha maujood thi & mahaul ko aur
nashila bana rahi thi.viren uski chaudi gand ki fanko ko failate hue
apne lund ko jud tak uski chut me dhansate hue dhakke laga raha
tha.kamini ka bura haal tha.lund ke ghuste hi 3-4 dhakko me hi vo jhad
gayi thi magar viren ki chudai me use fir se turant mast kar diya
tha.chodte hue viren jhuka & apne daye hath se uski choochiya bhinch
ke unhe maslate hue uski pith & gardan pe kisses ki bauchhar kar di.
kamini apne premi ki mastana harkato se aur madhosh ho gayi & bechain
ho usne apna sar daye taraf ghumaya,viren uske baye kandhe ko chumte
hue dhakke laga raha tha.sar ghumate hi kamini ki nazar kamre ki
khidki pe padi & uske munh se chikh nikalte-2 reh gayi.vaha koi aadmi
khada unki chudai dekh raha tha jo uske sar ghumate hi vaha se hat
gaya tha. kamin ko ghabrahat hui magar us waqt uska dil uske jism ka
ghulam tha & uska jism viren ka.viren ka lund uski kokh pe chot kar
uske jism me masti ki lehren dauda raha tha.viren ne apna sar uske
baye kandhe se uthaya & uske daye taraf ghume hue sar ko apne 1 hath
se upar kar uske lab se apne lab laga diye.kamini bhi uski kiss me sab
bhul apni kamar hilake chudai ka maza lene lagi. "Kya kar rahe
hain,Prasun?",bathroom me apna underwear utar ke apna lund dhote
prasun se roma ne puchha. "aap kitna sharmate hain!",prasun use dekh
apna lund chhupane laga tha,"ye dekhiye meri bhi to panty gili ho gayi
hai.",roma ne ishara kiya to prasun ne dekha ki sacmuch uski biwi ki
panty ke lace pe bhi 1 bada sa dhabba pada hua tha.vo kuchh bolta us
se pehle hi roma ne apni panty utar di & apni ras bahati chut apne
pati ke samne kar di. "ye dekhiye..",prasun apna nangapan bhul hairat
me roma ki chut dekh raha tha.pehli baar usne kisi jawan aurat ko is
tarah nangi dekha tha,"..chaliye uthiye.",usne use hath pakad uthaya &
fir 1 tauliya le uska lund ponchh diya.prasun ne dur hatne ki koshish
ki magar roma ne uski 1 na suni. prasun to jhad chuka tha magar roma
ki aag abhi bhi vaise hi bhadak rahi thi.prasun ke lund ke ehsas ne
use aur pagal kar diya tha.sikudne ke bavjood lund koi 4-5 inch lamba
lag raha tha.uske sakht hone pe uski lambai ke bare me soch ke roma ki
chut fir se gili hone lagi. apne pati ka hath pakad vo use vapas kamre
me layi & bistar pe lita diya,"aaj se aapke sare kaam main
karungi.thik hai.",vo bhi uske bagal me let gayi,"..aur aap bhi 1
promise kariye." "kya?",prasun apni is dost ki baato se hairan tha.
"ki aap mujh se kabhi bhi nahi sharmayenge.ok!" "ok,promise."
"thanx.",roma ne uske gaal pe chum liya & fir use uski 1 sketchbook
thama di,"chaliye apni aur drawings dikhaiye." prasun use khush hoke
drawings dikhane laga & unke bare me batane laga. "aapke chacha to
bahut achhi drawing karte hain,prasun.aap unse kyu nahi kehte ki aapko
sikhayen." "haan,chacha bhi mujhe best painter kehte hain.par mujhe to
sab aata hai.main unse kyu sikhu?",prasun ke masum sawal pe roma ko
hansi aa gayi.vo uske bayi taraf leti thi,usne karwat badli & prasun
ke gaal pe pyar se hath fera,"vo aapse bade hain na & pata hai unhe
bahut prizes bhi mile hain.vo aapko naye-2 rango ke bare me bhi
batayenge & alag-2 drawings ke bare me bhi.",roma ne ye jaante hi ki
prasun drawing karta hai,ye tay kar liya tha ki vo apne pati ko apne
is hunar ko aur nikharne ke liye zarur prerit karegi. prasun ne jaise
uski baat nahi suni thi & vo uske seene ko dekhe ja raha tha,"kya dekh
rahe hain?" "tumhare yaha pe baal kyu nahi hain?",usne uski chhatiyo
pe hath fera to roma ke badan me bijli si daud gayi. "to aapka seena
bhi to mere jaisa nahi.",usne uske seene ke balo me hath firaya,"..jo
aapke paas hai vo mere paas nahi & jo mere paas hai vo aapke paas
nahi.bhagwan ji ne hume jaan ke aise banaya hai taki hum dono 1 dusre
ke paas se vo le len jo humare paas nahi hai." usne uska hath pakad ke
apni chut pe lagaya"dekhiye ye jagah bhi aapke jaisi nahi hai na."
"haan.",prasun ka lund 1 baar fir khada ho gaya.roma ki chut pe hath
firate hue usne apni 1 ungli andar daal di,"ooww!" ghabra ke prasun ne
hath peechhe khinch liya,"itni zor se nahi prasun aram se
kijiye.",roma uth ke baith gayi to prasun bhi baith gaya.dono
aamne-samne baithe the,"..haanmaise hi dhire se andar bahar
kijiye.",usne prasun ka hath pakad use ungli se chut marna
sikhaya.uska dil to kar raha tha ki prasun ke tane lund ko jo ab 9
inch ka ho gaya tha pakad ke hila de magar use darr tha ki uska anari
pati kahi fir na jhad jaye. "ab aise ispe gol-2..haan bilkul
aise..aaahhhhh..",vo use apne dane ko chhedna sikha rahi thi,"..ruk
kyu gaye?" "tumhe dard ho raha hai,tum karahti ho." "ohh..mere
raja!",usne apne bhole-bhale pati ke homth chum liye,"..jab maza aata
hai tab bhi ladkiya karahti hain & aap ghabraiye mat agar mujhe taklif
hogi to main aapko bolungi ki ruk jaiye.thik hai!",prasun ne bachho
jaise sir hilaya & uski chut marne laga.thodi hi der me roma uski
ungliyo se pareshan ho apni kamar hilake jhadne lagi.usne prasun ki
kalaiya kas ke pakad ke unhe rok diya,use bahut taklif si ho rahi thi
magar sath hi itni khushi bhi ho rahi thi ki uske ansu nikal aaye.
"tum ro rahi ho,roma?",prasun use hairat se dekh raha tha. "nahi meri
jaan.",roma ne use khinch ke apne seene se laga liya & uske sar ko
chumne lagi.prasun ka lund uske pet me chubh raha tha.ab waqt aa gaya
tha ki uske anari pati ko khiladi banaya jaye. vo use liye-diye let
gayi.biwi ke upar letate hi prasun ki kmara fir se khud ba khud hilne
lagi.ab use roma ka uske munh me apniu jibh dalna bhi bahut achha lag
raha tha.roma ne use bol kar uski jibh bhi apne munh me
ghuswayio.prasun ko is khel me bahut maza aa raha tha.uske ando me
meetha sa dard ho raha tha jiska ehsas uske liye bilkul anokha tha.
"prasun,aap apne ghutno pe baioth jaiye..",roma ne apni tange faila
prasun ko unke beech liya,"..haan..ab ise yaha ghusaiye..",prasun ko
maa ki kahi baat yaad aa gayi & vo apna lund roma ki chut me dhakelne
ki koshish karne laga. "ooowww..!rukiye,prasun....aise nahi ..1
minute..",usne uska lund pakda & apni chut pe rakha,"..haan ab halke
se ghusaiye.",prasun ne uski baat maan halke se dhakka lagaya magar
nakam raha. "fir se koshish kijiye..",roma samajg gayi ki uski kasi
chut ki vajah se ye ho raha hai,"..1 minute rukiye.",usne daye hath me
lund ko pakda & baye ki 2 ungliyo se apni chut ko failaya,"..ab
ghusaiye." "aahhhhh..!",is baar lund thoda nadra ghusa & iske baad to
jaise prasun ko sab khud samajh me aa gaya.usne aise tabadtod dhakke
lagane shuru kiye ki na sirf roma ki chut me vo jad tak sama gaya
balki 4 dhakko me hi roma dobara jhad gayi.use pata hi na chala ki use
bahut dard ho raha hai kyuki uske upar to khumari chhayi hui thi.
prasun 1 bar jhad chuka tha & ab use waqt lag raha tha magar vo tha to
anari hi.vo bas uunn uunn karta paglo ki tarah dhakke lagaye ja raha
tha,"prasun..",apni biwi ki aavaz sun apne hatho pe aankhe band
kiye,uthe prasun ne use dekha to roma ne use khinch ke apne upar sula
liya & uske hatho ko apni choochiyo pe laga diya,"..inhe dabaiye &
inhe kiss bhi kijiye." dhakke lagata prasun apni nayi-naveli dulhan se
is khel ke naye-2 gur sikhne laga.
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kramashah...........
आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj
--
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