Saturday, October 23, 2010

कामुक-कहानियाँ बदला पार्ट--6

कामुक-कहानियाँ

बदला पार्ट--6

गतान्क से आगे...


"ये देखो..",शत्रुजीत के बेडरूम के कार्पेट पे बैठी कामिनी केबाज़ू मे
बैठते हुए उसने 1 आल्बम उसे थमाया,"..ये है वीरेन जी & मेरी तस्वीरे जब
हम पॅरिस मे थे.",कामिनी ने आल्बम हाथ मे लेके तस्वीरो पे नज़र
डाली.गर्दन तक लंबे,घुंघराले बालो वाला वीरेन 1 हॅंडसम शख्स था.उसका कद
शत्रुजीत के बराबर ही था & बदन भी इकहरा था.कामिनी ने आज क्लब मे देखे
वीरेन से उस तस्वीर के वीरेन को मिलाया तो उसे लगा की कोई ज़्यादा फ़र्क
नही था..इतने सालो के बाद भी अगर कोई शख्स वैसे का वैसा दिखता हो इसका
मतलब है कि वो अपना पूरा ख़याल रखता होगा.

कामिनी आल्बम के पन्ने पलट रही थी की तभी गर्दन के पीछे उसे शत्रुजीत के
होंठो की तपिश महसूस हुई.उसकी बाई तरफ बैठा शत्रुज्तीत उसे अपनी बाहो मे
घेर रहा था,"ओफ्फो!पहले ज़रा तस्वीरो के बारे मे तो बताओ.."

"क्या बताना है..",शत्रुज्तीत ने बाहो के घेरे को कसते हुए आल्बम को उसकी
गोद से हटाया & उसके चेहरे को अपनी तरफ घुमाया.उसकी आँखो से उसके जिस्म
की हसरत टपक रही थी,"..तस्वीरो मे तो सब दिख ही रहा है.",&उसने उसके
गुलाबी लबो पे अपने लब कस दिया.कामिनी भी सब भूल के उसकी बाहो मे और सिमट
के उसके करीब आ गयी & उसकी किस का जवाब देने लगी.

बीवी की मौत के बाद शत्रुजीत काफ़ी उदास हो गया था & ऐसा नही था कि उसके
बाद कामिनी उस से चुदी ना हो मगर दोनो के मिलन मे वो गर्मी नही रहती
थी.आज नंदिता की मौत के बाद पहली बार शत्रुज्तीत ने उसे पहले जैसी
गर्मजोशी के साथ अपनी बाहो मे भरा था.उसके होंठो को छ्चोड़ वो अब उसकी
ठुड्डी को चूम रहा था,कामिनी ने भी अपना सर पीछे झुका लिया था.

शत्रुजीत के हाथ उसके कंधो से उसकी ड्रेस के स्ट्रॅप्स को नीचे सरका रहे
थे.कामिनी ने भी कंधे थोडा मोड़ा तो स्टारप्स खुद बा खुद थोड़े ढीले हो
गये & फ़ौरन उसकी बाहो से नीचे उतार दिए गये.शत्रुजीत उसकी ठुड्डी से
उसकी गर्दन पे आया & फिर उसके मखमली कंधे उसके जलते होंठो की तपन महसूस
करने लगे.

कामिनी की मंद आहो की आवाज़ आनी शुरू हो गयी थी & वो अब अपने प्रेमी की
पीठ सहला रही थी,"सस्स्रर्र्र्र्र्र्र्र्ररर.....",शत्रुजीत ने उसकी पीठ
पे उसके ड्रेस के ज़िप को नीचे कर दिया था & अब उसके हाथ उसकी पीठ पे चल
रहे थे.कामिनी ने भी बेचैनी से उसकी शर्ट को उसकी पॅंट से खींचा & अलग
होते हुए उसे 1 झटके मे उसकी गर्दन से निकाल दिया & फिर उसके बालो भरे
सीने पे टूट पड़ी.शत्रुजीत पलंग से टेक लगाके बैठ गया & कामिनी उसके सीने
को चूमने लगी.उसके नाख़ून उसके निपल्स के किनारो को कुरेद रहे थे & जीभ
उनकी नोक को,"आआहह..!",प्रेमिका की ऐसी कामुक हर्कतो ने शत्रुजीत को भी
बेचैन कर दिया.

कामिनी उसके निपल्स से उसकी बालो की लकीर पे चलती हुई नीचे जाने लगी &
उसकी नाभि पे पहुँच 1 बार उसमे अपनी जीभ चलाई,शत्रुजीत के लिए ये नया
एहसास था & वो और जोश मे आ गया & कामिनी के बालो मे हाथ फिराने
लगा.कामिनी ने उसकी पॅंट खोली & उसके तने 9 इंच के लंड को बाहर
निकाला..कितने दीनो बाद उसने उसका दीदार किया था..अपनी मुट्ठी उसपे कसते
हुए उसने अपनी जीभ की नोक से लंड के छेद को च्छुआ तो शत्रुजीत के मुँह से
तेज़ आह निकली & उसने अपनी कमर उपर उचकाई.

कामिनी ने हाथो से उसके जाँघो को दबा के उसकी तरफ देखा मानो कह रही हो की
सब्र रखो.उसकी ढीली ड्रेस उसके सीने के नीचे हो गयी थी & काले ब्रा मे
कसी उसकी गोरी चूचिया दिख रही थी.कामिनी ने शत्रुजीत की पॅंट खींच के
निकाल दी,अब वो पूरा नंगा था,फिर वो उसके लंड पे झुक गयी & उसे मुँह मे
भर लिया.शत्रुजीत की आँखे मज़े मे बंद हो गयी & उसने उसके सर को थाम
लिया.कामिनी अपनी मुट्ठी मे जकड़े लंड को अब पूरी तरह से मुँह मे भर के
चूस रही थी.अरसे बाद शत्रुजीत ने उसकी ज़ुबान को अपने लंड पे महसूस किया
था & वो मज़े मे पागल हो रहा था.

कामिनी को तो जैसे ये एहसास ही नही था की शत्रुजीत का बाकी जिस्म भी वाहा
है.वो अपने घुटनो पे बैठे झुकी हुई उसके आंडो को हाथो मे भरके दबाते हुए
उसके लंड के सूपदे को जीभ से छेद रही थी.शत्रुजीत के लिए अब सहना मुश्किल
था,उसनेकामिनी के बाल पकड़ के उसका सर लंड से उठाया & फिर उसके कंधे पकड़
उसे अपने उपर ले बाहो मे भर के चूमने लगा.उसके हाथ उसकी पीठ पे आए & ब्रा
के हुक्स को खोल दिया.

थोड़ी हिदेर मे कामिनी की ड्रेस,ब्रा & पॅंटी कमरे के 1 कोने मे फेंके
हुए थे & वो कालीन पे लेटी हुई थी & उसका प्रेमी उसके उपर चढ़ उसकी मोटी
छातियो को दबाते हुए चूस रहा था.चंद्रा साहब भी उसे पूरी शिद्दत से
चोद्ते थे मगर जो बात शत्रुजीत की चुदाई मे थी वो कामिनी ने अब तक किसी
और के साथ महसूस नही की थी.शत्रुजीत उसकी चूचियो को अपने सख़्त हाथो मे
मसले जा रहा था & उनके निपल्स को लगातार चूस रहा था.

कामिनी अब पूरी तरह से मस्त हो गयी थी.उसने उसे पलटा & उसके उपर सवार हो
उसे चूमने लगी.कुच्छ देर चूमने के बाद शत्रुजीत ने उसकी कमर पकड़ के उसे
उपर उठाया & 1 बार फिर उसकी चूचिया उसके मुँह मे
थी,"..हाइईइ.....!",शत्रुजीत ने हल्के से उसकी बाई चूची पे काट लिया
था.शत्रुजीत ने बाहो मे भर के उसके निपल को चूस्ते हुए करवट ली & 1 बार
फिर कामिनी उसके नीचे थी.काफ़ी देर तक निप्पल को चूसने के बाद वो नीचे
जाने लगा.कामिनी के चेहरे पे मुस्कान खिल गयी..बहुत जल्द उसकी प्यासी चूत
मे वो अपनी जीभ फिराएगा..इस ख़याल से उसकी चूत ने कुच्छ ज़्यादा ही पानी
छ्चोड़ना शुरू कर दिया.

शत्रुजीत उसके गोल पेट को चूम रहा था,उसकी उंगली कामिनी की नाभि की
गहराइयो मे घूम रही थी & उसके होंठ उसके आस-पास उसके पेट पे.कामिनी अब
उसके बालो को पकड़ के खींचे जा रही थी.शत्रुजीत और नीचे हुआ & उसकी
गोरी,भारी जाँघो को चूमने लगा,उसने उन्हे फैलाया & उनके बीच लेट के उसकी
चूत के ठीक उपर उसके पेट के निचले हिस्से पे चूमने
लगा,"ऊन्न्ह्ह..!",कामिनी मस्त हो उसके सर को पकड़ नीचे धकेलने लगी,उसकी
चूत मे आग लगी हुई थी & शत्रुजीत को मानो कोई परवाह ही नही थी!

शत्रुजीत उस से बेपरवाह बस वही पे चूमे जा रहा था & कामिनी बेचैन हुए जा
रही थी.उसने उसका सर कुच्छ मज़बूती से पकड़ के नीचे ठेला,"..आन्न
जीत...क्यू तड़पाते हो...?..नीचे जाओ ना.."

"नीचे कहा मेरी जान?",शत्रुजीत ने भोलेपन का नाटक किया.

जवाब मे कामिनी ने अपनी कमर उपर उचकाई & उसके सर को पकड़ के अपनी चूत पे
भींच दिया.शत्रुजीत ने उसकी जाँघो को अपने कंधो पे रखा & अपनी ज़ुबान
उसकी चूत से लगा
दी,"..आअननह.....हान्न्न्न्न...ऐसे..ही...हाइईईईईईई....राआअम्म्म्म्म्म......!",शत्रुजीत
की जीभ बिजली की तेज़ी से उसके दाने पे चल रही थी & कामिनी मस्ती मे पागल
हो झाड़ रही थी.शत्रुजीत ने 1 उंगली उसकी चूत मे घुसा दी & इतनी तेज़ी से
अंदर-बाहर करना शुरू किया की 1 बार झड़ने के बावजूद कामिनी फ़ौरन फिर से
मस्त हो गयी.अब शत्रुजीत उसके दाने को चाटते हुए उसकी चूत को उंगली से
मार रहा था & कामिनी इस दोहरे हमले को बिल्कुल भी नही झेल पा रही थी.उसकी
गरम साँसे बहुत तेज़ हो गयी थी & गुलाबी होंठ खुले हुए थे मगर उनसे कोई
आवाज़ नही आ रही थी.

अचानक वो बहुत तेज़ी से कमर उचकाने लगी & उसने शत्रुजीत के सर को अपनी
चूत पे बिल्कुल दबा दिया.शत्रुजीत समझ गया था की वो फिर से झाड़ रही
है,उसने फ़ौरन अपना मुँह उसकी चूत से उठाया & उपर होता हुए उसकी टाँगो को
अपने कंधो पे चढ़ा के 1 ही झटके मे अपना तना लंड उसकी चूत मे पूरा का
पूरा घुसा दिया,"हाआआआईयईईईईईईईईईईईई........!"

कामिनी की चीख कमरे मे गूँज उठी,इस लंड से ना जाने वो कितनी बार चूदी थी
मगर इधर काफ़ी दीनो से उसने इसका स्वाद नही चखा था.कुच्छ इस वजह & कुच्छ
उसकी चूत के कुद्रति कसाव ने उसे दर्द महसूस कराया मगर इस दर्द मे भी 1
अलग ही मज़ा था.उसकी टाँगे उसके प्रेमी के कंधो पे थी & गंद हवा मे उठ सी
गयी थी & ऐसी हालत मे शत्रुजीत का लंड उसकी चूत मे जड़ तक घुसा हुआ था &
उसके धक्के भी बड़े गहरे लग रहे थे.अपने हाथो पे अपने बदन का वजन संभाले
शत्रुजीत के 5-6 ही धक्को मे कामिनी की चूत ने हथियार डाल दिए & वो झाड़
गयी लेकिन ये तो बस शुरुआत थी.

उसके झाड़ते ही शत्रुजीत ने उसकी टाँगे अपने कंधो से उतारी & उसके उपर
लेट गया.उसकी बालो भरे मज़बूत छाती ने जब उसकी चूचियो को अपने नीचे पीस
दिया तो कामिनी को दिल मे बड़ी गुदगुदी महसूस हुई.उसने अपनी बाहे उसकी
पीठ पे कस दी & उसे चूमने लगी.थोड़ी देर चूमने के बाद शत्रुजीत ने उसके
होंठो को छ्चोड़ा & उसकी गर्दन का रुख़ किया.अब वो बड़े धीमे धक्के लगा
रहा था.कामिनी तो उसकी चुदाई की कायल थी.वो जानता था की अभी 2-3 बार
झड़ने के बाद कामिनी को दोबारा मस्त होने मे थोडा वक़्त लगेगा तो वो बस
इस तरह से चोद कर उसे समय दे रहा था फिर से तैय्यार होने को.कोई और होता
तो उसके झाड़ते ही खुद भी फारिग हो जाता मगर शत्रुजीत तो उसे तब तक नही
छ्चोड़ता था जब तक कि वो तक के सो ना जाए.

उसे अपने प्रेमी पे बहुत प्यार आया & उसने उसके बालो को चूम लिया.उसने
महसूस किया की धीरे-2 उसका बदन फिर से अपने प्रेमी की हर्कतो से गरम हो
रहा है.तभी उसकी चूत मे उसे हल्का तनाव महसूस हुआ & उसी वक़्त जैसे उसके
दिल मे कसक सी उठी.अपनेआप उसकी टाँगे शत्रुजीत की कमरा पे कस गयी & वो
नीचे से उसके धक्को का जवाब देने लगी.शत्रुजीत ने देखा की कामिनी फिर से
तैय्यार है तो उसने अपनी कोहनियो पे होते हुए धक्के फिर से तेज़ कर
दिए.वो लंड पूरा बाहर निकालता & फिर 1 झटके मे जड़ तक अंदर धंसा
देता,"..आऐईईययईईए....!",हर धक्के पे कामिनी की चीख निकल जाती.

उसकी चूत मे 1 बार फिर से बहुत तनाव बन गया था & उसके दिल मे जैसे कुच्छ
भर गया था.वो 1 बार फिर से मदहोशी के आलम मे मस्त होने लगी थी.शत्रुजीत
बड़े आराम से उसकी चुदाई कर रहा था मगर उसका दिल चाह रहा था की वो बहुत
तेज़ी से धक्के लगाके उसे फिर से उस खूबसूरत मक़ाम तक पहुँचा दे.

उसकी बेचैनी इतनी बढ़ी की उसने अपने प्रेमी को बाहो मे बाँध के करवट ली &
उसे नीचे करती हुई उसके उपर आ गयी.उसकी छाती पे अपने हाथ रख थोडा आगे को
झुकती हुई वो आहे भरती हुई तेज़ी से अपनी कमर हिलाने लगी.शत्रुजीत ने
उसकी कमर को थाम लिया & हल्के-2 उसकी गंद की फांको को दबाते हुए उसकी
उच्छल-कूद का मज़ा उठाने लगा.कामिनी की चूत का कसाव लंड पे और भी बढ़ गया
था & उसके आंडो मे मीठा सा दर्द होने लगा था.

उच्छलने से कामिनी की चूचिया भी बड़े मादक तरीके से हिल रही थी.उन्हे इस
तरह से छल्छलाते देख शत्रुजीत का दिल उन्हे चूसने को ललचा उठा.उसने अपने
हाथ कामिनी की गंद से उपर बढ़ाए & उसे अपने उपर झुकाया & उसकी चूचियो को
मुँह मे भर लिया,"..ऊओवव्व....!",कामिनी ने उसके सर को थाम लिया & वैसे
ही कूदती रही.

बड़ी देर तक शत्रुजीत उसकी चूचियो को दबाते हुए चूमता,चूस्ता रहा.अब
कामिनी की मस्ती अपने चरम पे पहुँच गयी थी.उसने अपनी चूचिया शत्रुजीत के
मुँह से खींची & उठके पिछे की ओर झुक के उसकी मज़बूत जाँघो पे हाथ टीका
के ज़ोर-2 से कमर हिलाने लगी.आँखे बंद किए हुए कामिनी अपनी ही दुनिया मे
खोई हुई थी.

"..आआनन्नह.....!",उसकी चूत मे तनाव बस बाँध तोड़ के निकलने ही वाला था
जब शत्रुजीत ने उसकी चूत के दाने को अपने अंगूठे से रगड़ दिया.वो बाँध
टूट गया & कयि दिन बाद कामिनी ने उस मस्तानी खुशी का एहसास किया जो 1 औरत
शिद्दत से झड़ने के बाद महसूस करती है.वो निढाल हो आगे शत्रुजीत के सीने
पे गिर गयी तो उसने उसकी कमर को अपनी बाहो मे कस लिया & अपने घुटने मोड़
के वैसे ही नीचे से कमर उच्छाल-2 के ज़ोर-2 से धक्के लगाने लगा.

"ऊव्व...ऊव्व...ऊव्व...ऊव्वव..!कामिनी के मुँह से 1 बार फिर आहे निकलने
लगी.वो जानती थी कि जब तो वो 1 बार और ना झाड़ जाए शत्रुजीत भी नही
झदेगा.उसने अपने प्रेमी के सर को पकड़ के अपनी दाई चूची से लगाया & आँखे
बंद कर बस उसके लंड से पैदा हो रही रगड़ से मिलने वाले जिस्मानी मज़े पे
ध्यान देने लगी.

उसकी चूत तो मानो शत्रुजीत के लंड की गुलाम बन गयी थी,1 बार फिर वो झड़ने
को तैय्यार होने लगी थी.शत्रुजीत ने उसकी पूरी चुचि को मुँह मे भर के
इतनी ज़ोर से चूसा की उसके बदन मे बिजली सी दौड़ गयी जोकि उसकी छाती से
सीधा उसकी चूत तक पहुँची.वो बेचैनी से अपनी जंघे भींचने की कोशिश कर
शत्रु के लंड को और कसने की कोशिश करने लगी.

शत्रु के आंडो मे हो रहा मीठा दर्द भी अब इलाज चाहता था.वो पागलो की तरह
धक्के लगाए जा रहा था.कामिनी ने अपनी छाती उसके मुँह मे और घुसाते हुए 1
ज़ोर की आह भरी & उसकी चूत सिकुड़ने-फैलने लगी,शत्रुजीत के लंड को इसी
हरकत का इंतेज़ार था.ये कामिनी के झड़ने की निशानी थी & उसके झाड़ते ही
वो भी झाड़ गया & अपना सारा पानी उसकी चूत मे उडेल दिया.

झाड़ते ही कामिनी उसके उपर निढाल हो गिर गयी & उसकी गर्दन मे मुँह छुपा
लिया.शत्रुजीत भी अपनी साँसे संभालता हुआ उसकी पीठ सहला रहा था & उसके
बालो को चूम रहा था.कामिनी के दिल मे खुशी उमड़ रही थी,कितने दीनो बाद
उसने पूरे तरीके से चुदाई का मज़ा लिया था.

क्रमशः............

BADLA paart--6

gataank se aage...


"ye dekho..",shatrujeet ke bedroom ke carpet pe baithi kamini kebazu
me baithate hue usne 1 album use thamaya,"..ye hai viren ji & meri
tasveere jab hum paris me the.",kamini ne album hath me leke tasveero
pe nazar dali.gardan tak lambe,ghunghrale baalo vala viren 1 handsome
shakhs tha.uska kad shatrujeet ke barabar hi tha & badan bhi ikhara
tha.kamini ne aaj club me dekhe viren se us tasvir ke viren ko milaya
to use laga ki koi zyada fark nahi tha..itne saalo ke baad bhi agar
koi shakhs vaise ka vaisa dikhta ho iska matlab hai ki vo apna pura
khayal rakhta hoga.

kamini album ke panne palat rahi thi ki rabhi gardan ke peechhe use
shatrujeet ke hotho ki tapish mehsus hui.uski baayio taraf baitha
shatrujtee use apni baaho me gher raha tha,"offoh!pehle zara tasveero
ke bare me to batao.."

"kya batana hai..",shatrujtee ne baaho ke ghere ko kaste hue album ko
uski god se hataya & uske chehre ko apni taraf ghumaya.uski aankho se
uske jism ki hasrat tapak rahi thi,"..tasveero me to sab dikh hi raha
hai.",&usne uske gulabi labo pe apne lab kas diya.kamini bhi sab bhul
ke muski baaho me aur simat ke uske kareeb aa gayi & uski kiss ka
jawab dene lagi.

biwi ki maut ke baad shatrujeet kafi udas ho gaya tha & aisan hi tha
ki uske baad kamini us se chudi na ho magar dono ke milan me vo garmi
nahi rehti thi.aaj Nandita ki maut ke baad pehli baar shatrujtee ne
use pehle jaisi garmjoshi ke sath apni baaho me bhara tha.uske hotho
ko chhod vo ab uski thuddi ko chum raha tha,kamini ne bhi apna sar
peechhe jhuka liya tha.

shatrujeet ke hath uske kandho se uski dress ke straps ko neeche sarka
rahe the.kamini ne bhi kandhe thoda mode to starps khud ba khud thode
dheele ho gaye & fauran uski baaho se neeche utaar diye
gaye.shatrujtee uski thuddi se uski gardan pe aaya & fir uske makhmali
kandhe uske jalte hotho ki tapan mehsus karne lage.

kamini ki mand aaho ki aavaz aani shur ho gayi thi & vo ab apne premi
ki pith sehla rahi thi,"sssrrrrrrrrrrrr.....",shatrujeet ne uski pith
pe uske dress ke zip ko neeche kar diya tha & ab uske hath uski pith
pe chal rahe the.kamini ne bhi bechaini se uski shirt ko uski pant se
khincha & alag hote hue use 1 jhatke me uski gardan se nikal diya &
fir uske baalo bhare seene pe toot padi.shatrujeet palang se tek
lagake baith gaya & kamini uske seene ko chumne lagi.uske nakhun uske
nipples ke kinaro ko kured rahe the & jibh unki nok
ko,"aaaahhhhh..!",premika ki aisi kamuk harkato ne shatrujeet ko bhi
bechain kar diya.

kamini uske nipples se uski baalo ki lakir pe chalti hui neeche jane
lagi & uski nabhi pe pahunch 1 bar usme apni jibh chalayi,shatrujeet
ke liye ye naya ehsas tha & vo aur josh me aa gaya & kamini ke baalo
me hath firane laga.kamini ne uski pant kholi & uske tane 9 inch ke
lund ko bahar nikala..kitne dino baad usne uska deedar kiya tha..apni
mutthi uspe kaste hue usne apni jibh ki nok se lund ke chhed ko chhua
to shatrujeet ke munh se tez aah nikli & usne apni kamar upar uchkayi.

kamini ne hatho se uske jangho ko dabake uski taraf dekha mano keh
rahi ho ki sabra rakho.uski dhili dress uske seene ke neeche ho gayi
thi & kale bra me kasi uski gori chhatiya dikha rahi thi.kamini ne
shatrujeet ki pant khinch ke nikal di,ab vo pura nanga tha,fir vo uske
lund pe jhuk gayi & use munh me bhar liya.shatrujeet ki aankhe maze me
band ho gayi & usne uske sar ko tham liya.kamini apni mutthi me jakde
lund ko ab puri tarah se munh me bhar ke chus rahi thi.arse baad
shatrujeet ne uski zuban ko apne lund pe mehsus kiya tha & vo maze me
pagal ho raha tha.

kamini ko to jaise ye ehsas hi nahi tha ki shatrujeet ka baki jism bhi
vaha hai.vo apne ghutno pe baithe jhuki hui uske ando ko hatho me
bharke dabate hue uske lund ke supade ko jibh se chhed rahi
thi.shatrujeet ke liye ab sehna mushkil tha,usnekamini ke baal pakad
ke uska sar lund se uthaya & fir uske kandhe pakad use apne upar le
baaho me bhar ke chumne laga.uske hath uski pith pe aaye & bra ke
hooks ko khol diya.

thodi hider me kamini ki dress,bra & panty kamre ke 1 kone me fenke
hue the & vo kaleen pe leti hui thi & uska premi uske upar chadh uski
moti chhatiyo ko dabate hue chus raha tha.Chandra Sahab bhi use puri
shiddat se chodte the magar jo baat shatrujeet ki chudai me thi vo
kamini ne ab tak kisi aur ke sath mehsus nahi ki thi.shatrujeet uski
choochiyo ko apne sakht hatho me masle ja raha tha & unke nipples ko
lagatar chus raha tha.

kamini ab puri tarah se mast ho gayi thi.usne use palta & uske upar
sawar ho use chumne lagi.kuchh der chumne ke baad shatrujeet ne uski
kamar pakad ke use upar uthaya & 1 bar fir uski choochiya uske munh me
thi,"..haaiiii.....!",shatrujeet ne halke se uski baayi chhati pe kaat
liya tha.shatrujeet ne baaho me bhar ke uske nipple ko chuste hue
karwat li & 1 baar fir kamini uske neeche the.kafi der tak chhatioy ko
chusne ke baad vo neeche jane laga.kamini ke chehre pe muskan khil
gayi..bahut jald uski pyasi chut me vo apni jibh firayega..is khayal
se uski chut ne kuchh zyada hi pani chhodna shuru kar diya.

shatrujeet uske gol pet ko chum raha tha,uski ungli kami ni ki nabhi
ki gehraiyo me ghum rahi thi & uske honth uske aas-paas uske pet
pe.kamini ab uske baalo ko pakad ke khinche ja rahi thi.shatrujeet aur
neeche hua & uski gori,bhari jangho ko chumne laga,usne unhe failaya &
unke beech let ke uski chut ke thik upar uske pet ke nichle hisse pe
chumne laga,"oonnhh..!",kamini mast ho uske sar ko pakad neeche
dhakelne lagi,uski chut me aag lagi hui thi & shatrujeet ko mano koi
parwah hi nahi thi!

shatrujeet us se beparwah bas vahi pe chume ja raha tha & kamini
bechain hue ja rahi thi.usne uska sar kuchh mazbooti se pakad ke
neeche thela,"..aann jeet...kyu tadpate ho...?..neeche jao na.."

"neeche kaha meri jaan?",shatrujeet ne bholepan ka natak kiya.

jawab me kamini ne apni kamar upar uchkayi & uske sar ko pakad ke apni
chut pe bhinch diya.shatrujeet ne uski jangho ko apne kandho pe rakha
& apni zuban uski chut se laga
di,"..aaannhhhhhh.....haannnnn...aise..hi...haaiiiiiiii....raaaaammmmmm......!",shatrujeet
ki jibh bijli ki tezi se uske dane pe chal rahi thi & kamini masti me
pagal ho jhad rahi thi.shatrujeet ne 1 ungli uski chut me ghusa di &
itni tezi se andar-bahar karna shuru kiya ki 1 bar jhadne ke bavjood
kamini fauran fir se mast ho gayi.ab shatrujeet uske dane ko chaatate
hue uski chut ko ungli se maar raha tha & kamini is dohre humle ko
bilkul bhi nahi jhel pa rahi thi.uski garam saanse bahut tez ho gayi
thi & gulabi honth khule hue the magar unse koi aavaz nahi aa rahi
thi.

achanak vo bahut tezi se kamar uchkane lagi & usne shatrujeet ke sar
ko apni chut pe bilkul daba diya.shatrujeet samajh gaya tha ki vo fir
se jhad rahi hai,usne fauran apna munh uski chut se uthaya & upar hota
hue uski tango ko apne kandho pe chadha ke 1 hi jhatke me apna tana
lund uski chut me pura ka pura ghusa
diya,"HAAAAAAAAIIIIIIIIIIIIIII........!"

kamini ki chikh kamre me gunj uthi,is lund se na jane vo kitni baar
chudi thi magar idhar kafi dino se usne iska swad nahi chakha
tha.kuchh is vajah & kuchh uski chut ke kudrati kasav ne use dard
mehsus karaya magar is dard me bhi 1 alag hi maza tha.uski tange uske
premi ke kandho pe thi & gand hawa me uth si gayi thi & aisi halat me
shatrujeet ka lund uski chut me jad tak ghusa hua tha & uske dhakke
bhi bade gehre lag rahe the.apne hatho pe apne badan ka vajan sambhale
shatrujeet ke 5-6 hi dhakko me kamini ki chut ne hathyar daal diye &
vo jhad gayi lekin ye to bas shuruat thi.

uske jhadte hi shatrujeet ne uski tange apne kandho se utari & uske
upar let gaya.uski baalo bhare mazboot chhati ne jab uski choochiyo ko
apne neeche pees diya to kamini ko dil me badi gudgudi mehsus hui.usne
apni baahe uski pith pe kas di & use chumne lagi.thodi der chumne ke
baad shatrujeet ne uske hontho ko chhoda & uski gardan ka rukh kiya.ab
vo bade dheeme dhakke laga raha tha.kamini to uski chudai ki kayal
thi.vo janta tha ki abhi 2-3 baar jhadne ke baad kamini ko dobara mast
hone me thoda waqt lagega to vo bas is tarah se chod kar use samay de
raha tha fir se taiyyar hone ko.koi aur hota to uske jhadte hi khud
bhi farig ho jata magar shatrujeet to use tab tak nahi chhodta tha jab
tak ki vo thak ke so na jaye.

use apne premi pe bahut pyar aaya & usne uske baalo ko chum liya.usne
mehsus kiya ki dheere-2 uska badan fir se apne premi ki harkato se
garam ho raha hai.tabhi uski chut me use halka tanav mehsus hua & usi
waqt jaise uske dil me kasak si uthi.apneaap uski tange shatrujeet ki
kamra pe kas gayi & vo neeche se uske dhakko ka jawab dene
lagi.shatrujeet ne dekha ki kamini fir se taiyyar hai to usne apni
kohniyo pe hote hue dhakke fir se tez kar diye.vo lund pura bahar
nikalta & fir 1 jhatke me jad tak andra dhansa
deta,"..AAAIIIYYYEEEEE....!",har dhakke pe kamini ki chikh nikal jati.

Uski chut me 1 bar fir se bahut tanav ban gaya tha & uske dil me jaise
kuchh bhar gaya tha.vo 1 bar fir se madhoshi ke alam me mast hone lagi
thi.shatrujeet bade aram se uski chudai kar raha tha magar uska dil
chah raha tha ki vo bahut tezi se dhakke lagake use fir se us
khubsurat maqam tak pahuncha de.

uski bechaini itni badhi ki usne apne premi ko baaho me bandh ke
karwat li & use neeche karti hui uske upar aa gayi.uski chhati pe apne
hath rakh thoda aage ko jhukti hui vo aahe bharti hui tezi se apni
kamar hilane lagi.shatrujeet ne uski kamar ko tham liya & halke-2 uski
gand ki fanko ko dabate hue uski uchhal-kud ka maza uthane laga.kamini
ki chut ka kasav lund pe aur bhi badh gaya tha & uske ando me meetha
sa dard hone laga tha.

uchhalne se kamini ki chhatiya bhi bade maadak tarike se hil rahi
thi.unhe is tarah se chhalchhalate dekh shatrujeet ka dil unhe chusne
ko lalcha utha.usne apne hath kamini ki gand se upar badhaye & use
apne upar jhukaya & uski chhatiyo ko munh me bhar
liya,"..ooowww....!",kamini ne uske sar ko tham liya & vaise hi kudti
rahi.

badi der tak shatrujeet uski choochiyo ko dabate hue chumta,chusta
raha.ab kamini ki masti apne charam pe pahunch gayi thi.usne apni
choochiya shatrujeet ke munh se khinchi & uthke pichhe ki or jhuk ke
uski mazbut jangho pe hath tika ke zor-2 se kamar hilane lagi.aankhe
band kiye hue kamini apni hi duniya me khoyi hu thi.

"..AAAANNNHHHHHH.....!",uski chut me tanav bas bandh tod ke nikalne hi
wala tha jab shatrujeet ne uski chut ke dane ko apne anguthe se ragad
diya.vo bandh toot gaya & kayi din baad kamini ne us mastani khushi ka
ehsas kiya jo 1 aurat shiddat se jhadne ke baad mehsus karti hai.vo
nidhal ho aage shatrujeet ke seene pe gir gayi to usne uski kamar ko
apni baaho me kas liya & apne ghutne mod ke vaise hi neeche se kamar
uchhal-2 ke zor-2 se dhakke lagane laga.

"ooww...ooww...ooww...oowww..!kamini ke munh se 1 baar fir aahe
nikalne lagi.vo janti thi ki jab to vo 1 baar aur na jhad jaye
shatrujeet bhi nahi jhadega.usne apne premi ke sar ko pakad ke apni
daayi choochi se lagaya & aankhe band kar bas uske lund se paida ho
rahi ragad se milne vale jismani maze pe dhyan dene lagi.

uski chut to mano shatrujeet ke lund ki ghulam ban gayi thi,1 bar fir
vo jhadne ko taiyyar hone lagi thi.shatrujeet ne uski poori chuchi ko
munh me bhar ke itni zor se choosa ki uske badan me bijli si daud gayi
joki uski chhati se seedha uski chut tak pahunchi.vo bechaini se apni
janghe bhinchne ki koshish kar shatru ke lund ko aur kasne ki koshish
karne lagi.

shatru ke ando me ho raha meetha dard bhi ab ilaj chahta tha.vo paaglo
ki tarah dhakke lagaye ja raha tha.kamini ne apni chhati uske munh me
aur ghusate hue 1 zor ki aah bhari & uski chut sikudne-failne
lagi,shatrujeet ke lund ko isi harkar ka intezar tha.ye kamini ke
jhadne ki nishani thi & uske jhadte hi vo bhi jhad gaya & apna sara
pni uski chut me udel diya.

jhadte hi kamini uske upar nidhal ho gir gayi & uski gardan me munh
chhupa liya.shatrujeet bhi apni sanse sambhlata hua uski pith sehla
araha tha & uske baalo ko chum raha tha.kamini ke dil me khushi umad
rahi thi,kitne dino baad usne pure tarike se chudai ka maza liya tha.

kramashah............


आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी
कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep
Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj

--

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator