Tuesday, October 12, 2010

ममेरी बहन के संग

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

ममेरी बहन के संग

प्रेषक : शिमत

सबसे पहले तो मैं गुरूजी को धन्यवाद कहना चाहूँगा कि उन्होंने हमें अपने
उदास और वीरान जीवन में हिंदी सेक्सी कहानियाँ की रंगीनियाँ भरने का मौका
दिया। मैं पिछले दो सालों से हिंदी सेक्सी कहानियाँ को रोज़ ही देखता
हूँ। मैं हिंदी सेक्सी कहानियाँ का नियमित पाठक हूँ, मैंने कई कहानियाँ
पढ़ी हैं और आज मैं उनसे प्रेरणा लेकर अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।

मेरी यह कहानी सच्ची है और मेरे साथ बीते हुए पलों को मैं आप के साथ
बाँटना चाहता हूँ।

पहले मैं अपना परिचय दे रहा हूँ : मेरा नाम शिमत है, दिल्ली का रहने
वाला, 21 साल का, और मैं 5 फीट 7 इंच का हूँ। मेरा रंग गोरा है, मेरा
लण्ड 8 इंच का है, मैं देखने में ठीक लगता हूँ।

बात उन दिनों की है जब मैं मेरे मामा के घर गया हुआ था। वैसे तो मैं मामा
के घर जाकर सिर्फ़ मजे ही करता था मतलब सिर्फ खाना-पीना अपने में ही मस्त
रहता था।

मैंने कभी भी किसी लड़की की आज तक चूत नहीं देखी थी और मैं चूत देखने को
बहुत लालयित था। मैं सोचता था कि कभी मुझे चूत के दर्शन करने को मिलेंगे
क्या ! और मैं मुठ मार लिया करता था।

मैं एक दिन मेरे मामा के लड़के के कमरे में बैठा टीवी देख रहा था और वहाँ
पर मामा की बेटी भी बैठी थी कि अचानक एक पप्पी का दृश्य आ गया। मैं थोड़ा
सा शरमा गया और दीदी उठ कर चली गई, मैं वहीं पर बैठा रह गया। थोड़ी देर
बाद मैंने टीवी बंद कर दिया और मैं किचन में जाकर कुछ खाने को देख रहा
था, दीदी भी वहीं थी।

दीदी हंस के बोली- क्या चाहिए?

मैंने कहा- दीदी, मुझे कुछ खाने को चाहिए !

दीदी बोली- मैं अभी कुछ बना देती हूँ !

तो मैंने कहा- आप क्या बनाएँगी ?

तो दीदी बोली- जो तू कहे !

तो मैं बोला- गाजर का जूस बना दो !

दीदी गाजर लेने के लिए नीचे झुकी तो मेरा ध्यान उनके स्तनों पर चला गया
और मैं देखता ही रह गया। फिर मैं नजर चुरा के चला गया और बाहर निकल आया।

थोड़ी देर बाद दीदी जूस लेकर आई और बोली- तेरा जूस तैयार है !

मैंने जूस पी लिया, अपने कमरे में जा कर बैठ गया और कम्प्यूटर चला कर मैं
इंटरनेट पर गेम खेलने लगा। पर मेरा ध्यान तो वहीं वक्ष पर था। मैंने गेम
खेलना बंद कर दिया और मैंने मामा के लड़के के नाम वाला फोल्डर खोल लिया और
देखने लगा तो पता चला कि वो तो ब्लू फिल्म्स देखता है, तो मैं भी देखने
लगा और अपने लण्ड को दबाने लगा। धीरे धीरे मुझे मज़ा आने लगा और मैं देखता
रहा मैंने ध्यान ही नहीं दिया।

जब मैंने मॉनीटर में ध्यान से देखा तो ऐसा लगा कि मेरे पीछे कोई खड़ा है
और मैंने डर कर कम्प्यूटर बंद कर दिया। जैसे ही मैं पीछे मुड़ा तो मैंने
देखा कि दीदी एकदम वहाँ से भाग कर बाथरूम में घुस गई। मैं शरमा कर बाहर आ
गया। अब मुझे अजीब सा लग रहा था कि दीदी मेरे बारे में क्या सोचेंगी और
मैं डर कर रात को खाना खाने के बाद अपने कमरे में जाकर लेट गया। पर मुझे
नींद नहीं आ रही थी। मैं बाथरूम में पेशाब करने गया तो मैंने वहाँ पर
दीदी की ब्रा और पैंटी देखी। मैं तो वहीं पर पागल हो गया और मैं और सब
चीजों को सूंघने लगा। मुझे मज़ा आने लगा और मैं यह भूल गया कि मैंने
बाथरूम के दरवाज़े की कुण्डी नहीं लगाई है। मैं उन दोनों कपड़ों को सूंघता
रहा।

फिर पीछे से आवाज आई- शिमत, क्या कर रहे हो ?

मैं डर गया और पीछे मुड़ कर देखा तो दीदी वहाँ पर खड़ी थी। मैंने वो ब्रा
और पैंटी दोनों झट से नीचे फेंक दी और छत पर जाकर बैठ गया। वहीं पर बैठा
रहा तो आधा घंटे बाद अचानक दीदी वहाँ पर आई और बोली- तुम यहाँ छत पर क्या
कर रहे हो ?

तो मैं बोला- दीदी, कुछ नहीं ! मैं तो बस ऐसे ही यहाँ चला आया था।

दीदी बोली- नीचे अपने कमरे में चलो !

मैं बोला- दीदी, मुझे नींद नहीं आ रही ! मैं यहाँ पर बैठ जाता हूँ, जब
नींद आएगी तो मैं चला जाऊंगा।

दीदी बोली- ठण्ड लग जायगी ! चलो नीचे !

मुझे डर लग रहा था, मैं डरता हुआ नीचे चला गया और अपने कमरे में जाने लगा
तो दीदी बोली- कहाँ जा रहे हो?

मैं बोला- दीदी मैं अपने कमरे में जा रहा हूँ !

दीदी बोली- वहाँ पर मम्मी चली गई हैं, तुम मेरे कमरे में आ जाओ !

मैं डरता हुआ दीदी के कमरे में चला गया। वहाँ पर दो चारपाई थी तो मैं एक
पर सो गया और लाइट बंद कर दी।

अचानक मुझे लगा कि मेरी चारपाई पर कोई आ गया है। मैंने देखा कि दीदी मेरी
चारपाई पर बैठी है और दीदी का हाथ मेरे लण्ड पर रखा हुआ था।

मैं बोला- दीदी, आप क्या कर रहे हो ?

दीदी बोली- साले, इतना शरीफ मत बन ! तुझे सब पता है कि मैं क्या कर रही हूँ।

दीदी बोली- जब तू मेरे स्तन देख रहा था, तब तू क्या कर रहा था?

मैं बोला- दीदी, वो तो गलती से दिख गए थे !

तो दीदी बोली- साले तू मेरी पैंटी क्यों सूंघ रहा था?

मैं बोला- चलो छोड़ो, अब तो मज़े ले लो !

दीदी बोली- अब आया न लाइन पर !

तो मैंने झट से दीदी के स्तन पकड़ लिए और दबाने लगा। दीदी बोली- साले,
हाथों में जान नहीं है क्या ? जोर से दबा !

तो मैं जोर से दबाने लगा फिर दीदी मैंने दीदी के होठों पर पप्पी ली और
दीदी के होठों को जोर से चूमने लगा। दीदी को मज़ा आने लगा, वो भी मेरे
होठों को जोर से चूमने लगी और मैं इतना मदहोश हो गया कि मैंने होठों को
चाटना शुरू कर दिया। दीदी भी पागल हो गई और मेरे होठों को वो भी चाटने
लगी।

मैंने दीदी के हाथों को अपने लण्ड पर रख दिया और कहा- मेरी मुठ मारो !

तो दीदी भी जोर से मुठ मारने लगी। फिर मैंने दीदी के पेट पर हाथ फेरा और
दीदी के पेट को चूमने लगा। मैंने दीदी के पेट को चूम चूम कर गीला कर दिया
और फिर दीदी की कमर को चूमने लगा। दीदी के बदन पर एक भी बाल नहीं है वो
एक दम चिकनी हैं।

दीदी तड़फ़ने लगी और बोली- जल्दी से कुछ कर, नहीं तो मैं मर जाउँगी।

मैंने दीदी की गांड पर जीभ लगा दी। दीदी तो बिलकुल पागल हो गई और बोली-
मैं तो मर गई, क्या गरम जीभ है तेरी ! और लगा !

मैंने दीदी की गांड को भी चाटना शुरू कर दिया। फिर क्या था, दीदी को तो
होश नहीं था, वो तो पागल हो रही थी।

गुलाबी चूत से रिस रिस कर नमकीन पानी निकल रहा था, उसे चाटने में मुझे भी
मजा आ रहा था और दीदी अपनी गांड उठा उठा कर मुखचोदन करा रही थी।

मैंने जैसे ही उसकी चूत पर जीभ लगाई तो वो तो पागल ही हो गई और बोली- जोर
से चाट ! जल्दी से मेरी मार ! नहीं तो मैं मर जाउंगी !

तो मैंने अपना लण्ड निकाल कर उनके मुँह में डाल दिया और वो लण्ड देखते ही
चिल्ला उठी- यह क्याऽऽऽ ?

मैंने कहा- लण्ड !

बोली- इतना बड़ा ऽऽ? मैं मर जाऊंगी !

मैंने कहा- एक बार मुँह में लेकर तो देख !

दीदी बोली- मजा आ रहा है !

वो मेरे लण्ड को कुत्ते की तरह चाट रही थी। फिर मैंने अपना लण्ड उनके
मुँह में से निकाल कर उनकी चूत में डाल दिया और जोर जोर से झटके मारने
लगा।

वो बोल रही थी- और जोर से मार !

और सिसकियाँ भरने लगी- आआआआ ऊऊऊऊऊऊओ जोर से मार साले !

तो मैंने उनकी गांड में डाल दिया तो वो बोली- मार दिया कुत्ते ! आराम से मार !

मैंने और जोर से शुरू कर दिया।

दीदी बोली- साले, बाहर निकाल ! दर्द हो रहा है !

तो मैं बोला- दीदी, बस थोड़ा और !

दीदी बोली- साले, मेरी गांड फट जायगी !

फिर मैंने बाहर निकाला और चूत में डाल दिया। फिर दीदी बोली- जोर से मार !

तो मैंने जोर से झटके मारने शुरू कर दिया। दीदी के मुँह से निकल रहा था-
आआआआअ ऊऊऊऊओ आआआ ऊऊऊऊऊ !

मैंने फिर से दीदी के मुँह में डाल दिया और बोला- चूस !

दीदी मेरे लण्ड को लॉलीपोप की तरह चाट रही थी। दीदी अपना आपा खो बैठी थी
और मेरे लण्ड को बुरी तरह चूस रही थी।

दीदी लण्ड चूसने के बाद बोली- शिमत, मुझे पागल बना दे ! मुझे बस चोदता जा
! मैं आज जी भर के चुदना चाहती हूँ।

मैंने फिर से लण्ड दीदी की चूत में डाल दिया और दीदी को कहा- अब मुझ में
इतना दम नहीं है कि झटके मार सकूँ। आप ही कूद लो मेरे लण्ड पर !

दीदी मेरे लण्ड पर कूदने लगी, मैंने कहा- चूत में मज़ा नहीं आएगा ! आप
अपनी गांड में फिर घुसवा लो !

दीदी बोली- मेरी गांड फट जाएगी !

तो मैंने कहा- कुछ नहीं होता !

तो दीदी ने गांड में घुसवा लिया और मैंने जोर से झटका मार कर दीदी की
गांड में घुसा दिया। दीदी धीरे-धीरे से झटके मारने लगी और मज़ा आने लगा।
मुझ में फिर से जोश आ गया और मैंने दीदी की गांड में जोर-जोर से झटके
मारने शुरू कर दिया।

मैंने लंड को बाहर निकाला और वापस ज़ोऱ से अंदर डाला और धीरे धीरे से
चोदने लगा, साथ में चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा।

मैंने उससे पूछा- कैसा लग रहा है?

तो बोली- प्लीज़ मुझे मत पूछो !

मैंने उससे कहा- दीदी, तुमको आज मैंने एक बहन से पत्नी बना दिया है,
तुम्हारी आज प्रौन्नति हुई है, तुझे चोदने में बहुत मज़ा आ रहा है, ऐसा
मज़ा तो मुझे कभी नहीं आया !

उसने भी मेरे होंठों को अपने मुँह में भर लिया। वाह क्या मुलायम होंठ थे,
जैसे संतरे की नर्म नाज़ुक फांकें हों। कितनी ही देर हम आपस में जकड़े
रहे, एक दूसरे को चूमते रहे। अब मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर फिराना चालू
कर दिया। उसने भी मेरे लंड को कस कर हाथ में पकड़ लिया और सहलाने लगी।
मैंने जब उसके स्तन दबाये तो उसके मुँह से सीत्कार निकालने लगी- ओह…।

अब उसने अपने पैर ऊपर उठा कर मेरी कमर के गिर्द लपेट लिए थे। मैंने भी
उसका सिर अपने हाथों में पकड़ कर अपने सीने से लगा लिया और धीरे धीरे
धक्के लगाने लगा। जैसे ही मैं ऊपर उठता तो वो भी मेरे साथ ही थोड़ी सी ऊपर
हो जाती और जब हम दोनों नीचे आते तो पहले उसके नितम्ब गद्दे पर टिकते और
फिर गच्च से मेरा लंड उसकी चूत की गहराई में समां जाता। वो तो मस्त हुई
आह उईई माँ ही करती जा रही थी।

अब मैं उसके मुँह को पकड़ कर चूमने लगा और उसका मुँह खोलकर जीभ अंदर डाल
कर घुमाने लगा। एक हाथ उसकी चूत पर ही फिरा रहा था। अब चूत से भी पानी
आने लगा था और मेरे हाथ गीले हो गए। मैंने गीला हाथ उसे दिखाते हुए कहा-
दीदी, देखा अब तेरी चूत भी साथ दे रही रही है !

अब मैंने उसकी चूत को पूरा मुँह में ले लिया और जोर की चुसकी लगाई। अभी
तो मुझे दो मिनट भी नहीं हुए होंगे कि उसका शरीर अकड़ने लगा और उसने अपने
पैर ऊपर करके मेरी गर्दन के गिर्द लपेट लिए और मेरे बालों को कस कर पकड़
लिया। इतने में ही उसकी चूत से काम रस की कोई 4-5 बूँदें निकल कर मेरे
मुँह में समां गई। आह, क्या रसीला स्वाद था। मैंने तो इस रस को पहली बार
चखा था। मैं उसे पूरा का पूरा पी गया।

फिर मेरा छुटने को हो गया तो मैंने कहा- दीदी, मेरा छुट रहा है !

तो वो बोली- मेरे मुँह में छोड़ दे।

तो मैंने उनके मुँह पर छोड़ दिया और शान्त हो गया।

थोड़ी देर बाद अचानक अपने लंड पर किसी के स्पर्श से मैंने आंखे खोली तो
देखा कि दीदी उससे खेल रही है और उसे खड़ा करने की कोशिश कर रही है। मेरे
आँख खोलते ही मुझे अर्थपूर्ण दृष्टि से देखा। मैं समझ गया कि अब भी दीदी
की चाहत पूरी नहीं हुई तो मेरा फिर से खड़ा हो गया और मैंने फिर से दीदी
की चूत में घुसा दिया। इस बार मैंने लण्ड चूत पर रखा और धीरे-धीरे नीचे
होने लगा और लण्ड चूत की गहराइयों में समाने लगा। चूत बिल्कुल गीली थी,
एक ही बार में लण्ड जड़ तक चूत में समा गया और हमारी झाँटे आपस में मिल
गईं। अब मेरे झटके शुरु हो गए और दीदी की सिसकियाँ भी...

दीदी आआआहहहह अअआआआहहह करने लगी। कमरा उनकी सिसकियों से गूँज रहा था। जब
मेरा लण्ड उनकी चूत में जाता तो फच्च-फच्च और फक्क-फक्क की आवाज़ होती।
मेरा लण्ड पूरा निकलता और एक ही झटके में चूत में पूरा समा जाता। दीदी भी
गाँड हिला-हिला कर मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैंने झटकों की रफ्तार बढ़ा
दी, अब तो खाट भी चरमराने लगी थी। पर मेरी गति बढ़ती जा रही थी। हम दोनों
पसीने से नहा रहे थे जबकि सर्दी का मौसम था।

और फिर दीदी बोली- धीरे मार ! तूने तो मेरी चूत ही फ़ाड़ दी।

मैंने कहा- अभी तो कुछ नहीं हुआ है, अभी तो काम बाकी है !

मैंने तुरंत दीदी की गांड में घुसा दिया। फिर क्या था, दीदी चिल्लाने लगी
और बोली- साले, तूने तो आज मेरी गांड भी फ़ड़ दी और मेरी चूत भी !

मैंने कहा- अभी तो चूचियाँ भी बाकी हैं !

मैंने झट से चूचियों पर कब्ज़ा कर लिया और उन्हें दबाने और चूसने लगा और
मुंह में लण्ड की पिचकारी मार दी।

अब जब भी मैं मामा के घर जाता हूँ और जब हमें मौका मिलता है तो हम सेक्स
कर लेते हैं और म़जा ले लेते हैं।

कभी घोड़ी-कुतिया तो कभी किचन में एक टांग पर। कुल मिलाकर दीदी के साथ
बिताये वो हर पल आज भी मेरी आंखों के सामने आते हैं तो बस उसे चोदने की
इच्छा जागृत हो जाती है।

उम्मीद है कि मेरी पहली कहानी आप सभी को पसंद आई होगी।

मुझे अपनी राय बताएँ इस कहानी पर ! मैं इंतजार करूँगा।

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