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महिला छात्रावास--1
नवाब जमील सुलेमान के वालिद बड़ी दूर की नजर रखते थे उन्होंने आजादी आने के वख्त या यों कहें नवाबी जाने से पहले सुलेमान महल के पास में पड़ी तमाम खाली जमीन पर नवाब डिग्री कालेज बनवाया था।ताकि नवाबी जाने के बाद भी खाना खर्चा और नवाबी शौक पूरे हो सकें। सो नवाब जमील को पढ़ाई के अलावा करने के नामपर नवाबी शौक थे जो उन्हें विरासत में मिले थे। पढ़ाई में होशियार थे पी एच डी तक की थी लेकिन आलस में पूरे नवाब थे काम करना उनकी नवाबी शान के बिलकुल खिलाफ था। उनकी बेगम भी उतनी ही पढ़ी लिखी महिला थी पर घर पर बैठकर बोर होने के बजाय अपने ससुर के डिग्री कालेज में पढ़ाती थी। सुलेमान महल बहुत बड़ा था जिसके रखरखाव में तमाम नौकर चाकर लगते थे सो नवाब जमील ने उसे भी नवाब डिग्री कालेज को दान कर दिया था और खुद महल से लगे खाली पड़े बंगले में रहने लगे थे जिसमें कि नवाबी के समय सिपहसालार रहता था। सुलेमान महल अब लड़कियों का छात्रावास था जिसकी वार्डेन नवाब सुलेमान की बेगम प्रोफेसर जाहिरा सुलेमान थीं।क्योकि वे अपने बंगले से आसानी से लड़कियों पर नजर रख सकती थीं। प्रोफेसर जाहिरा सुलेमान करीब 5 फुट 6 लम्बी मजबूत कद काठी की गोरीचिट्टी बेहद खूबसूरत महिला थी। उनकी गर्वीली तनी हुई चाल भी भारी सीने नित्तम्बों की थिरकन को छिपा नहीं पाते थे। कालेज के प्रिन्सिपल प्रो गजेन्द्र पान्डेय नवाब जमील के अच्छे दोस्त थे सो लाजमी तौर पर प्रोफेसर जाहिरा सुलेमान भाभी पर उनकी विशेष कृपा दृष्ट्रि थी।
प्रिन्सिपल पान्डेय के एक ही औलाद थी उनका लड़का विक्रम जिसे लोग विकी कहते थे उसी कालेज में पढ़ता था।कालेज की बदमाश लड़कियों खास तौर से हास्टल की लड़कियों में काफी फेमस था जिसकी उड़ती हुई खबर मिसेस सुलेमान को लगी तो वो विकी पर नजर रखने लगीं।एक दिन मिसेस सुलेमान ने अपने कार्यालय की खिड़की से देखा हास्टल की एक लड़की जुबेदा विकी को एक बड़ा पैकेट दे रही है उन्हें कुछ अजीब सा लगा फिर वो अपने काम में व्यस्त हो ये वाकिया भूल गइंर्।शाम को घर पहॅंुची तो नवाब साहब यार दोस्तों की महफिल जमाये बैठे थे।जब रात सवा आठ बजे तक महफिल न उठी तो जलभुन कर हास्टल के अध्ययन समय(स्टडी आवर) जोकि 8 से 9 होता है का मोआयना करने चल दी । हास्टल पहुॅची तो दरबान ने बताया कि अध्ययन समय में सब लड़कियॉं पढ़ रही हैं सिवा जुबेदा के क्यौंकि उसकी मॉ मिलने आयी हैं। तभी उन्हें सबेरे का वाकिया याद आया सोचा क्यों न लगे हाथों जुबेदा की मॉ के कान में भी बात डाल दें कि जुबेदा विकी से मिलती है तााकि वे भी नजर रख सकें।वे सीधे जुबेदा के कमरे की तरफ गई।कमरे का दरवाजा बन्द था और अन्दर से अजीब तरह की जोर जोर से सॉस लेने और कराहने की जैसी आवाजें आ रही थी। उन्होंने चाभी के छेद से झॉका तो दंग रह गई विकी ने बुर्का पहना हुआ था और जुबेदा उसकी गोद में अधनंगी सी बैठी थी उसकी अपनी स्कर्ट कमर से ऊपर थी अन्दर कच्छा न था सो उसके दोनों गोरे गुलाबी मांसल चूतड़ विकी की नंगी गोद में धरे थे क्योंकि उसका बुर्का आगे से खुला था और बुर्के के अन्दर उसने नेकर(हाफपैन्ट) बुशर्ट पहना था। नेकर की जिप खुली थी और उसमे से उसका साढ़े 7 का फौलादी हथियार बाहर निकला हुआ था जिसे जुबेदा अपनी दोनो टॉगों के बीच से निकालकर अपनी गुदाज मांसल जॉघों के बीच में मसल रही थी। जुबेदा का ब्लाउज आगे से खुला था और विकी जुबेदा की दोनों बगलों से हाथ डालकर उसके बड़े बेलों के आकार के उरोज सहला दबा रहा था। जुबेदा के मुँह से अजीब अजीब आवाजें और सिसकियॉ निकल रही थी। अचानक जुबेदा विकी का हथियार अपने बायें हाथ में पकड़कर अपनी दूध सी सफेद बिना बालों वाली चूत पर रगड़ने लगी और अपने बदन का ऊपर वाला हिस्सा जरा सा पीछे मोड़कर अपना दाहिना हाथ विकी के गले में डाल दिया अब उसका दायां उरोज ठीक विकी के मुँह के सामने था विकी उसपर मुँह मारने और निपल चूभलाने लगा। जुबेदा की सिसकियां तेज होने लगी। अचानक वो विकी की गोद में थोड़ा सा उचक कर खड़ी जैसी हो गई और अपनी चूत के मुहाने पर उसके फौलादी लन्ड का हथौड़े जैसा सुपाड़ा हाथ से पकड़कर धरा और विकी को धक्का मारने का इशारा किया विकी ने कमर उचकाई और सुपाड़ा पक्क से जुबेदा की नन्ही सी दिख रही चूत में आसानी से चला गया। अब मिसेस सुलेमान चौंकी और उन्हें होश साथ ही गुस्सा भी आया कि वे कहॉ खड़ी हैं और क्या देख रही हैं। गुस्से से तिलमिलाते हुए उन्होंने दरवाजा खटखटाया। दरवाजे की दस्तक से घबराकर विकी ने सुपाड़ा वापस बाहर खीच लिया दोनों ने जल्दी जल्दी कपड़े ठीक कर दरवाजा खोला। मिसेस सुलेमान ने देखा कि विकी ने दोबारा बुर्का ओढ़ लिया था और उन्हें देख जुबेदा का चेहरा फक्क पड़ गया था।
जुबेदा- ग्ग्गुड इवनिगं मैडम मेरी अम्मी मिसेस रशीदा खान से मिलिये।
मिसेस सुलेमान गुड इवनिगं मिसेस रशीदा आपने जनाना होस्टल में बुर्का क्यों डाला हुआ है ? यह कहते हुए उन्होंने बुर्का उलट दिया।विकी कॉपने लगा। उसके मुँह से आवाज नहीं निकली।
मिसेस सुलेमान- जुबेदा तुझसे तो मैं बाद में निपटूँगी पहले इस निकम्में से निबट लूँ बोल तेरी हिम्मत कैसे हुई लड़कियों का हास्टल में घुसने की ? आज अगर तेरी खाल न खिचवा ली तो मेरा नाम जाहिरा नहीं।
विकी- आंटी प्लीज मुझे पुलिस में मत देना मैं मर जाऊँगा।
मिसेस सुलेमान- तुझे पुलिसमें देकर क्या मुझे छात्रावास की बदनामी करवानी है तुझसे तो पान्डेयजी ही समझेंगे। मैंने पान्डेयजी को तेरी व दूसरे छात्रों की धुनाई करते देखा है पुलिस उनके मुकाबले में क्या खाक धुनाई करेगी। तू मेरे साथ चल और बुर्का ओढ़ ले ताकि हास्टल की बदनामी न हो और तेरे जैसे किसी और हरामी को पता न चले कि बुर्का ओढ़ के लडकियों के हास्टल में घुसा जा सकता है।
मिसेस सुलेमान कमरे से निकलते हुए आस पास के कमरों की लड़कियों को सुनाते हुए जरा जोर से बोलीं- आइये मिसेस खान अब आप मेरे साथ चाय पीकर ही जाइयेागा।
मरता क्या न करता बुर्का ओढ़ के विकी उनके पीछे चलने लगा। मन ही मन अपने ऊपर बुरी तरह झल्ला भी रहा था कि स्टडी के वख्त आने की मूर्खता क्यों की एक तो के एल पी डी (खड़े लण्ड पे धोखा) हुआ ऊपर से जान पे बन आई क्योंकि पकड़े गये। आज तो पिताजी जान ही ले लेंगे। उसका खुराफाती दिमाग बचने का रास्ता खोज रहा था। तबतक मिसेस सुलेमान का बॅगला आ गया। नवाब सुलेमान शायद दोस्तों के साथ रात के खाने पर निकल गये थे और नौकर चाकर भी बंगले से जा चुके थे। घर में किसी और के होने का सवाल ही नहीं था क्योंकि मिसेस सुलेमान के एक ही औलाद थी उनकी लड़की नाज़नीन जो हास्टल में रहती थी। बैठक मे पहुँचकर मिसेस सुलेमान ने एक प्लास्टिक का लिफाफा देकर कहा अब इससे पहले कि कोई देखे बुर्का इसमें डाल के आदमी बन जा। विकी ने ऐसा ही किया फिर मिसेस सुलेमान उसे अन्दर अपने कमरे में ले गई और वहॉं पहुँचते ही कड़ी आवाज में पूछा अगर जान की खैर चाहता है तो सब कुछ सच सच बता कब से चल रहा है ये सब और तुझे बुर्का कहॉ से मिला ?
विकी ने कोई और चारा न देख सोचा शायद सच बोलने से जान बच जाय बोला- आटीं जिस किसी लड़की को ये करवाना होता है वो स्कूल में प्लास्टिक के थैले में बुर्का दे देती है।
मिसेस सुलेमान- अच्छा तो जुबेदा ने जो प्लास्टिक का थैला दिया था उसमें बुर्का था। कालेज के प्रिन्सिपल का लड़का होकर कालेज की लड़कियों को खराब करते हुए तुझे शर्म नहीं आती अगर बात खुल जाय तो कालेज की कितनी बदनामी होगी।
विकी बोला- आटीं मैं किसी लड़की को खराब नहीं कर रहा वे ही मुझे बुलाती पकड़ती हैं।
मिसेस सुलेमान- एक ही बात है पर ये भी तो सोच तेरा ये इतना मोटा तगड़ा और लम्बा है अगर किसी दिन किसी लड़की की फट गई और बेहोश हो गई तो लेने के देने पड़ जायेंगे।
विकी आटीं अब मैं आप से क्या बताऊँ पिताजी ने लड़कियों में खबर भेजी है जो बिना चूँ किये उनका सुपाड़ा डलवा लेगी उसे छात्रावास का प्रेसीडेन्ट बना देंगे सो ये सब अपनी चूत मुझासे चुदवाकर उनके सुपाड़े के लायक करवा रही हैं।
मिसेस सुलेमान झूठ मत बोल तेरा कोई उनसे कम मोटा है क्या।
मिसेस सुलेमान झोंक में बोल तो गईं फिर हड़बड़ा के बोली- म्मेरा मतलब है ऐसा मेरा ख्याल है कि……।
अब मुस्कुराने की बारी विकी की थी- घबरायें नहीं आटीं मैं आपका राज राज ही रखूंगा।
मिसेस सुलेमान अन्जान बन नकली गुस्से से कैसा राज क्या बक रहा है ?
विकी बक नहीं रहा हूँ कह रहा हूँ क्योंकि जैसे आज आपने मुँे रंगे हाथों पकड़ा है वैसे ही पिछले इतवार को सुबह जब कालेज में काम ज्यादा होने के बहाने से आप और पिताजी आये थे तो मॉ ने करीब 10 बजे अचानक पैसे की जरूरत पड़ जाने पर पिताजी के पास भेजा था। आप लोगों को तो सपने में भी ख्याल नहीं था कि कोई आ भी सकता है सो दरवाजा ठीक से बन्द नहीं था।मैंने जब अजीब आवाजें सुनी तो दरवाजे की दराज से झाांक कर देखा।
मिसेस सुलेमान झाॉसा दे रहा है तूने कुछ नहीं देखा।
विकी सबूत के तौर पर मैं आपको विस्तार से बताता हूँ। 10 से सवा 10 के बीच का वख्त था। आप प्रधानाचार्यजी(पिताजी) की गोद में बैठी उनकी खुली पैन्ट से निकालकर उनका सहला रही थीं। आपकी सलवार जमीन पर पड़ी थी और प्रधानाचार्यजी का बायॉ हाथ आपकी गरदन के पीछे से निकलकर आपके कुर्ते में घुसा आपकी गोलाइयॉ टटोल रहा था और दूसरा आपकी बाई संगमरमरी जॉघ जिसपे काला तिल है सहला रहा था।
मिसेस सुलेमान ने जान लिया कि उनका भेद खुल गया है सो मुस्कुराते हुए पैतरा बदला- तो मेरी जॉघें संगमरमरी हैं।
विकी पहले सकपकाया फिर उन्हें मुस्कुराते देख हिम्मत बॉध के बोला- आप नाराज न होना पर उस दिन आपको उस रूप में देख मैने जाना कि आपका सारा जिस्म कितना सुन्दर और संगमरमरी हैं और सच कहूँ तो आप जैसी सुन्दर औरत मैंने तो नहीं देखी।
मिसेस सुलेमान हाय तो क्या तू वहीं रूककर सब देखता रहा।
विकी ऐसा दृश्य कौन छोड़ता है़।
मिसेस सुलेमान फिर मुस्कराई- देखने से तुझे क्या लग रहा था।
विकी- काश प्रधानाचार्यजी के स्थान पर मैं होता।
मिसेस सुलेमान चहकी- शैतान आंटी कहता है और ऐसी नजर से देखता है।
विकी यही तो समस्या है आंटी मैं अब जवान हो गया हूँ पर आसपड़ोस की सभी सुन्दर औरतें मुझे बच्चा ही समझती हैं। इसीलिए मैं छात्रावास की छोकरियों में मुँह मारता फिरता हुँं।
मिसेस सुलेमान ताना मारा- लौडियों को हराकर बड़ा जवान शेर बना फिरता है जब किसी जवान औरत से पाला पड़ेगा सारी जवानी धरी रह जायेगी।
विकी- मैं ऐसे नही मानता कोई हरा के दिखाये ।
मिसेस सुलेमान ने लपककर उसके नेकर में हाथ डाल लण्ड थाम लिया और अपनी तरफ खीचा चल दिखा देखूँॅ कितना जवान है तू । इतनी देर से लम्बी लम्बी हॉके जा रहा है।
विकी इस हमले के लिए तैयार नहीं था सो मिसेस सुलेमान पर गिरते गिरते बचा।
गिरने से बचने के लिए उसने दोनो हाथ आगे किए तो वे मिसेस सुलेमान के बड़े बड़े खरबूजों जैसे स्तनों से टकराये। उस धक्के से मिसेस सुलेमान जो कि पलंग के पास ही खड़ी थीं पलंग पे बैठ सी गई। विकी तो वैसे भी हास्टल की घटना और उनके मादक मांसल जिस्म को देख देख टन्ना रहा था उसके लिए ये अच्छा मौका था उसने हाथ में आये खरबूजे दबाते हुए धक्का दे लिटा दिया और खुद उनपर छा गया। मिसेस सुलेमान का ऊपर का धड़ बिस्तर पर और पैर नीचे लटक रहे थे।छीनापट में ब्लाउज के चुटपुटिया वाले ऊपर के दो बटन खुल गये। अन्दर से दो चॉंद झाँकने लगे जैसे ब्लाउज फाड़ के बाहर निकल आना चाहते हों।
मिसेस सुलेमान- अरे क्या मेरा ब्लाउज फ़ाड़ेगा।
उत्तेजित विकी मै इसे खोल देता हूँ।
यह कहकर मारे उत्तेजना के ब्लाउज के दोनों पल्ले पकड़कर खींचे तो चुटपुटिया वाले बचे हुए बटन सारे एकसाथ खुल गये उसने ब्रा ऊपर की तो दोनों चॉद आजाद होते ही लक्का कबूतरों में बदलकर जोर से फड़फड़ाये। उनपर विकी ने दोनों हाथों से झपट्टा और मुँह एकसाथ मारा।
मिसेस सुलेमान- ओह जंगली लड़के।
विकी ने उनके नीचे लटकते पैर ऊपर को उठाये तो साड़ी पेटीकोट ऊपर सरक गये। विकी ने उनके गुलाबी पॉव अपने कन्धों पर रख लिये।मिसेस सुलेमान ने चूतड़ उचकाकर साड़ी पेटीकोट कमर के ऊपर करने में उसकी मदद की। विकी ने देखा कि उनकी कच्छी चूत रस से बुरी तरह भीगी है। उसने कच्छी नीचे सरकाई तो नीचे से गोरी गोरी पावरोटी सी फूली हुई दूधिया मलाई सी सफेद बिना बालों वाली बुरी तरह चूतरस से भीगी चूत दिखी।
विकी(सगंमरमरी जॉंघों को सहलाते और उनपर मुंह मारते हुए) हाय आटीं आपकी ये तो पहले से ही चुदास से रसीली हो गयी है और इस पे एक भी बाल नहीं है ताज्जुब है कौन सा हेयररिमूवर इस्तेमाल करती हैं ?
मिसेस सुलेमान हाय जबसे तेरा हरामखोर लण्ड उस बदजात जुबेदा की चूत में जाते देखा तभी से पनिया रही है। मैं कोई हेयर रिमूवर नहीं स्तेमाल करती मेरी ऐसी ही है।
विकी(उनकी पावरोटी सी चूत पर लण्ड का सुपाड़ा रगड़ते हुए) मेरा लण्ड सच में गाली खाने लायक हैॅ जो इस मखमल को छोड़ टाट के चक्कर में पड़ा था चलिए आपकी चूत में जाकर हरामखोर से मेहनतकश हो जायेगा।
मिसेस सुलेमान ( सिसकारियॉं भरते हुए)- उम्म्म्हअअय अब देर क्यों कर रहा है हरामखोर।
विकी ने खड़े खड़े ही गोरी गोरी पावरोटी सी फूली हुई रसीली चूत के मुहाने पर सुपाड़ा रखा मिसेस सुलेमान ने सिसकी ली और विकी ने आहिस्ते से धक्का मारा सुपाड़ा पक्क से अन्दर चला गया। मिसेस सुलेमान ने चूतड़ उचकाकर बाकी का लन्ड भी अन्दर कर लिया। विकी ने खड़े खड़े ही चुदाई शुरू की। पॉव विकी के कन्धों पर रखे होने से लण्ड अन्दर तक जा रहा था उनके गोरे गुलाबी गद्देदार चूतड़ विकी की जॉंघों से टकराकर उसे असीम आनन्द दे रहे थे साथ ही विकी को सगंमरमरी जॉंघों पिन्डलियों को सहलाने और उनपर मुॅंह मारने में भी सुविधा हो रही थी। उसके हाथ सफेद कबूतरों को भी सहला रहे थे बीच बीच में वो झुककर उनकी चोंचे जीभ से सहलाने और होठों में दबाके चूसने लगता। धीरे धीरे मिसेस सुलेमान के बडे़ बड़े स्तनों पर उसके हाथों और होठों की पकड़ मजबूत होती गई और कमरे में सिसकारियॉ गूँजने लगी। मिसेस सुलेमान टॉगें ऊपर उठाकर फैलाती गईं और विकी की रफ्तार बढ़ती गई अब उसका लण्ड धॉस के पूरा अन्दर तक जा रहा था।अब दोनोें घमासान चुदाई कर रहे थे।
मिसेस सुलेमान( सिसकारियॉं भरते हुए बड़बड़ा रही थीं)- शाबाश बेटा दिखा दे आन्टी को कि तू उस चोदू बाप की औलाद है जिसने अगल बगल से निकलने वाली हर खूबसूरत चुदासी की चुदास जीभर के बुझाई। ऐसी कि वो औरत जब मिले बिना चुदे न जाये।
विकी ( मिसेस सुलेमान के बडे़ बड़े स्तनों को दोनों हाथों में दबोचकर नीचे की तरफ खीचते और खुद चूत में ऊपर की तरफ धक्का मारते हुए)- उम्म्हये लो और लो आंटी तो इसीलिए आप रोज प्रिन्सिपल आफिस में इतनी देर मीटिंग करती हैं। आह इतना मजा मुझे कभी नहीं आया। आह आंटी लगता है मेरा होने वाला है।
मिसेस सुलेमान( सिसकी भर आवाज दबा के चीखीं)- उम्म्म्ह उम्म्म हॉ उसके सामने जाते ही मेरी चूत पनिया के दुपदुपाने लगती है।
विकी- आंटी आह मुझसे रुका नहीं जायेगा।
मिसेस सुलेमान मैं तो गईईर्र्र्र्ईईई।
विकी- आंटी मेरा भी छुट गया आह।
विकी थक कर मिसेस सुलेमान के बदन पर बिछ सा गया। वो अपनी उखड़ी सॉसों को सम्हालने की कोशिश करते हुए उनका गुलाबी रेशमी बदन सहलाने लगा। थोड़ी देर वो दोनों वैसे ही पड़े रहे। घड़ी की तरफ नजर गयी करीब साढ़े 10 का वख्त था तभी बाहर कुछ खटर पटर सुन कर विकी चौंका और उठकर जल्दी जल्दी अपना नेकर पहनने लगा। मिसेस सुलेमान ने भी उठकर पेटीकोट और साड़ी नीचे की और थिरकते कबूतरों को ब्रा में कैद कर ब्लाउज के बटन बन्द करने लगी। विकी को घबराया देख बोलीं- घबरा मत नवाब साहब अभी इधर नहीं आयेंगे तू मुझे आंटी कहता है हमारे परिवारों मे घरेलू ताल्लुकात(सम्बन्ध) हैं और फिर तू मेरा छात्र भी है शान से घर जा।
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