Sunday, June 13, 2010

गहरी चाल पार्ट -1

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गहरी चाल पार्ट -1

हेल्लो दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी लेकर हाजिर हूँ दोस्तों अब आप कहानी का लुफ्त उठाइये लेकिन मुझे बताना मत भूलियेगा की कहानी आपको कैसी लग रही है "तमाम सबूतो & गवाहॉ के बयानात को मद्देनज़र रखते हुए ये अदालत इस नतीजे पे पहुँची है कि मुलज़िम मिस्टर.डी.के.जायसवाल बेकसूर हैं & असली मुजरिम है शाम लाल जो कि मरहूम राम लाल का भाई है,इसीलिए ये अदालत शाम लाल को मुजरिम करार देते हुए उसे 14 साल की उम्र क़ैद की सज़ा सुनाती है.",पंचमहल हाइ कोर्ट के जज के इस फ़ैसले के साथ मशहूर आड्वोकेट कामिनी शरण ने 1 और केस जीत लिया था. "मेडम,मैं आपका कैसे शुक्रिया अदा करू,मेरी समझ मे नही आता!आप तो मेरे लिए साक्षात भगवान हैं,कामिनी जी.",अदालत के बाहर जायसवाल हाथ जोड़े कामिनी के सामने खड़ा था.पंचमहल का ही नही बल्कि राज्य का 1 इतना रईस बिज़्नेसमॅन उसके सामने हाथ जोड़े खड़ा था पर कामिनी के चेहरे पे गुरूर की 1 झलक भी नही थी. "ये क्या कर रहे हैं जायसवाल जी!मैने तो केवल अपना फ़र्ज़ निभाया है.फिर आप बेगुनाह थे,वो शाम लाल आपको फँसा रहा था & गुनेहगर को हमेशा सज़ा मिलती है.चलिए,घर जाइए & अपने परिवार को ये खुशख़बरी सुनाए.",कामिनी उस से विदा ले अपने ऑफीस चेंबर जाने के लाइ अपनी कार की ओर बढ़ गयी जिसका दरवाज़ा खोले उसका ड्राइवर खड़ा था. ------------------------------
------------------------------------------------- देर शाम घर लौटती कामिनी के चेहरे पे वो जीत की खुशी नही थी,जोकि पहले हुआ करती थी पहले की तो बात ही और थी,पहले तो केस जीतने के बाद सबसे पहले वो विकास को ये खबर सुनाती थी.जब भी विकास या वो कोई केस जीतते तो उस रोज़ शाम को पहले किसी अच्छे से रेस्टोरेंट मे जाके बढ़िया खाना खाते & फिर घर लौटके 1 दूसरेके साथ पूरी रात जी भर के चुदाई कर जीत का जश्न मानते. उसे याद आ गयी लॉ कॉलेज के फाइनल एअर की वो पहली क्लास जब विकास सबसे आख़िर मे क्लास मे भागता हुआ दाखिल हुआ & उसकी बगल की खाली सीट पे बैठ गया.दोनो पिच्छले 2 सालो से 1 ही बॅच मे थे पर दोनो के दोस्तो का ग्रूप अलग होने के कारण,दोनो के बीच कोई खास बातचीत नही थी.उस दिन पहली बार दोनो ने ढंग से 1 दूसरे से बात की थी & वही उनकी दोस्ती का पहला दिन था. और ये दोस्ती कब प्यार मे बदल गयी,दोनो को पता भी ना चला.लॉ की डिग्री हासिल करते हीदोनो ने आड्वोकेट संतोष चंद्रा के पास असिस्टेंट के लिए अप्लाइ किया & उन्होने दोनो की ही अर्ज़ियाँ मंज़ूर कर ली.संतोष चंद्रा केवल पंचमहल के ही नही बल्कि हिन्दुस्तान के 1 माने हुए वकील थे जिन्हे सभी काफ़ी इज़्ज़त की नज़र से देखते थे. पहले दिन चंद्रा साहब ने दोनो के 1 ही केस की ब्रीफ तैय्यार करने को कहा मगर अलग-2.दोनो ने काफ़ी मेहनत से सोच-स्मझ के अपनी-2 ब्रीफ तैय्यार की & फिर उन्हे दिखाई.ब्रीफ पढ़ते ही चंद्रा साहब ने 5 मिनिट के भीतर ही दोनो की ब्रीफ्स मे 4-5 ऐसे पायंट्स निकाल दिए जिनका इस्तेमाल सामने ऑपोसिशन का वकील कर सकता था,"बेटा,अगर केस जीतना है तो हमेशा अपनी ऑप्पोसिंग पार्टी की तरह सोचो.वो या तो तुमसे बचना चाहती है या फिर तुम्हे गुमराह करना उसका मक़सद होता है.अगर उसकी तरह सोचोगे तो तुम्हे उसकी दलीलो का तोड़ अपनेआप समझ मे आ जाएगा.आगे से जब भी मैं तुम्हे ब्रीफ बनाने को कहु इस बात का ख़याल रखना & हां,हुमेशा अपनी-2 ब्रीफ्स 1 दूसरे को दिखा लेना.इस से तुम दोनो 1 दूसरे की ग़लतियाँ पकड़ लोगे." ऐसी और ना जाने कितनी नसीहते चंद्रा साहब ने उन्हे दी थी.कभी-2 तो कामिनी को लगता की दोनो हमेशा उनके असिस्टेंट ही बने रहते तो कितना अच्छा होता,शायद ज़िंदगी अभी भी पहले की तरह खुशनुमा होती! कितनी खट्टी-मीठी यादें जुड़ी थी चंद्रा सर के ऑफीस के साथ!दोनो ने वकालात के लगभग सारे गुर वही तो सीखे थे & वही वो जगह थी जहा कामिनी 1 मासूम कली से फूल बनी थी. काले,घने,लंबे बालो से घिरा कामिनी का खूबसूरत चेहरा ऐसा लग रहा था जैसे काली रात को रोशन करता पूनम का चाँद.गोरी-चित्ति कामिनी का चेहरा बड़ा मासूमियत भरा था,पर उसके चेहरे मे जो चीज़ सबसे पहले मर्दो का ध्यान अपनी ओर खींचती थी,वो थी उसके होंठ.अनार के दानो के रंग के,संतरे की फांको जैसे उसके रसीले होंठ ऐसे लगते थे मानो चूमने का बुलावा दे रहे हो. पर इस खूबसूरत लड़की से नज़रे मिलने की हिम्मत हर किसी मे नही थी.5'8" कद की कामिनी आज के ज़माने की लड़की थी जोकि,मर्दो के कंधे से कंधा मिला कर चलने मे नही,उनसे दो कदम आगे चलने मे विश्वास रखती थी.उसकी हौसले,हिम्मत & आत्म-विश्वास से भरी निगाहो से निगाह मिलने की कूवत हर मर्द मे नही थी. विकास अकेला मर्द था जिसकी नज़रे ना केवल कामिनी की नज़रो से मिली बल्कि उसके दिल मे भी उतर गयी.कार मे बैठे-2 कामिनी को होलिका दहन का वो दिन याद आ गया & उसके उदासी भरे चेहरे पे हल्की सी मुस्कान खिल गयी.लगा मानो पूनम के चाँद पे जो उदासी की बदली छा गयी थी,उसे 1 खुशनुमा हवा के झोंके ने उड़ा दिया था. होली के ठीक अगले दिन 1 केस की तारीख थी & चंद्रा साहब ने दोनो को केस की सारी तैय्यारि होलिका दहन वाले दिन ही पूरी कर लेने को कहा था क्यूकी फिर होली के दिन तो दफ़्तर आना नामुमकिन था,इसीलिए दोनो ऑफीस मे बैठे काम कर रहे थे.घड़ी ने 10 बजाए तो कामिनी ने हाथ सर के उपर उठाकर नागड़ाई ली,उसका काम तो पूरा हो गया था,विकास अभी भी लगा हुआ था.दफ़्तर मे उन दोनो के अलावा और कोई नही था. सामने पानी का ग्लास देख कामिनी को शरारत सूझी,उसने उसमे से पानी अपने हाथ मे लिया & विकास के मुँह पे दे मारा.विकास ने गुस्से & खीज से उसकी तरफ देखा. "होली है!".कामिनी हंस पड़ी.विकास भी मुस्कुरा दिया & ग्लास उठा कर बाकी बचा पानी कामिनी पे फेंका पर वो बड़ी सफाई से उसका वार बचा गयी. "अभी बताता हू कामिनी की बच्ची!",विकास उसे पकड़ने को उठा तो कामिनी भाग के डेस्क की दूसरी ओर हो गयी.विकास भी भाग कर उसकी तरफ आया & हाथ बढ़ा कर उसके कंधे को पकड़ा पर कामिनी उसकी पकड़ से निकल खिलखिलती हुई ऑफीस कॅबिन से अटॅच्ड बाथरूम मे घुस गयी.उसके पीछे-2 विकास भी घुसा तो कामिनी ने वॉशबेसिन का नाल चला कर उसे अपनी उंगलियो से दबा पानी की 1 तेज़ धार उसके उपर छ्चोड़ दी. विकास की कमीज़ पूरी गीली हो गयी तो वो बाथरूम से बाहर भागा & पानी का 1 भरा जग लेकर वापस आया & कामिनी के हाथो को पकड़ कर पूरा का पूरा जग उसके उपर खाली कर दिया.कामिनी ने झुक कर बचने की नाकाम कोशिश की & उसने जो सफेद सलवार-कमीज़ पहनी थी उसकी कमीज़ भी पूरी गीली हो उसके गोरे बदन से चिपक गयी.कामिनी सीधी खड़ी हुई तो उसने देखा की विकास अपनी भीगी हुई शर्ट उतार रहा है. विकास 6 फिट का गथिले बदन का जवान लड़का था & जब उसने अपनी शर्ट निकाल ली तो उसके बालो भरे गीले सीने को नंगा देख कामिनी को शर्म आ गयी.उसने अपनी नज़रे नीची कर ली & झुक कर अपने गीले कुर्ते के कोने को पकड़ कर उसे निचोड़ने लगी.निचोड़ते हुए उसने हौले से अपनी नज़रे उपर की तो देखा की केवल पॅंट मे खड़ा विकास उसे घूर रहा है.झुके होने के कारण उसकी छातियो का बड़ा सा हिस्सा,जिसपे पानी की बूंदे मोतियो सी चमक रही थी, कुर्ते के गले मे से झलक रहा था. कामिनी फ़ौरन सीधी खड़ी हो गयी तो विकास की नज़रे उसके सीने से नीचे उसके गीले कुर्ते से नुमाया हो रहे उसके गोल,सपाट पेट पे आ जमी.शर्म से कामिनी के गुलाबी गाल और लाल हो गये & घूम कर उसने विकास की ओर अपनी पीठ कर ली.विकास ने आगे बढ़ उसके कंधो को थाम उसे अपनी ओर घुमाया & उसे अपने सीने से लगा लिया.उसकी अचानक की गयी इस हरकत से कामिनी लड़खड़ा गयी & उसने सहारे के लिए अपने प्रेमी को थाम लिया.विकास की नगी पीठ पे हाथ रखते ही कामिनी के बदन मे झुरजुरी सी दौड़ गयी. यू तो वो कई बार विकास के गले लगी थी & शर्ट सेझाँकते उसके सीने को छुआ था,चूमा था पर ये पहली बार था की वो उसके नंगे उपरी बदन को छु रही थी-छु क्या रही थी,उस से चिपकी हुई थी.विकास ने नीचे झुक कर उसके रसीले होंठो को अपने होंठो की गिरफ़्त मे ले लिया & दोनो 1 दूसरे को चूमने लगे.थोड़ी देर मे विकास उसके होंठो को खोल अपनी जीभ से उसकी ज़ुबान को छुआ तो जवाब मे कामिनी ने गर्मजोशी से अपनी जीभ उसकी जीभ से लड़ा दी. "ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़प्प्प्प्प...",कामिनी जैसे नींद से जागी,विकास ने उसके कुर्ते के ज़िप को खोल दिया था & हाथ अंदर घुसा उसकी पीठ पे फेर रहा था. "नही!",किस तोड़ वो कसमसने लगी. "क्यू?" "प्लीज़,विकास नही करो." "अच्छा बाबा!",विकास ने वापस उसका ज़िप लगा दिया,"अब खुश?",कामिनी मुस्कुराइ & दोनो फिर 1 दूसरे को चूमने लगे.इस बार विकास ने हाथ नीचे से उसके कुर्ते मे डाला & उसकी कमर को सहलाने लगा. "उम्म्म..",कामिनी फिर कसमसाई. "अब क्या हुआ?यहा कोई पहली बार थोड़े ही छु रहा हू!",ठीक ही कहा था विकास ने,यहा पे तो वो रोज़ ही हाथ फेरता था & जब कभी कामिनी सारी पहनती तब तो उसकी शामत ही आ जाती.विकास के हाथ तो उसके पेट या कमर को छ्चोड़ने का नाम ही नही लेते थे! विकास उसके होंठो को छ्चोड़ नीचे कामिनी की लंबी गर्दन पे आ गया था & चूम रहा था.कामिनी मस्त हो उसके बालो मे उंगलिया फिरा रही थी कि तभी विकास उसकी गर्दन से चूमते हुए उपर आया & उसके कान के पीछे चूमने लगा.ये जगह कामिनी की कमज़ोर नस थी,विकास के वाहा अपने होंठ लगते ही कामिनी की आँखे बंद हो गयी & होठ खुल गये & वो जैसे बेहोश सी हो गयी.उसकी उंगलिया & शिद्दत से उसके आशिक़ के बालो मे घूमने लगी.विकास ने मौके का फ़ायदा उठाते हुए फिर से उसका ज़िप खोल दिया & हाथ घुसा उसकी पीठ सहलाने लगा.अब उसके हाथ कामिनी की कमर & पीठ को पूरी तरह से से मसल रहे थे. जोश मे डूबी कामिनी की टांगे जवाब देने लगी & वो गिरने ही वाली थी कि विकास ने उसे थाम लिया & अपनी बाहे उसकी मस्त गंद के नीचे लपेट उसे उठा लिया.कामिनी झुक कर उसके चेहरे को चूमने लगी,विकास उसे उठा कर ऑफीस मे ले आया & वाहा रखे बड़े से सोफे पे उसे बिठा दिया & फिर उसकी बगल मे बैठ कर उसे बाँहो मे भर चूमने लगा. उसके चेहरे से नीचे वो उसकी गर्दन पे आया & फिर उसके ज़िप खुले कुर्ते को नीचे कर उसके गर्दन & छातियो के बीच के हिस्से को चूमने लगा.आज से पहले दोनो ने इस तरह प्यार नही किया था.अब तक तो बस गले लग के चूमना & कपड़ो के उपर से ही सहलाना होता रहा था.कामिनी ने अभी तक 1 बार भी विवके को अपनी छातियो या किसी और नाज़ुक अंग को छुने नही दिया था. कमरे का माहौल धीरे-2 और गरम हो रहा था.कामिनी बेचैनी से अपनी जंघे रगड़ने लगी थी.विकास उसके कुर्ते को नीचे कर उसके कंधो को बारी-2 से चूम रहा था.कुर्ते को बाहो से नीचे कर वो उसकी उपरी बाँह को चूमने लगा.उसके हाथ नीचे से कुर्ते के अंदर घुस उसकी पतली कमर को मसल रहे थे.अचानक विकास ने कामिनी को सोफे पे लिटा दिया & उसके कुर्ते को उपर कर उसके पेट को चूमने लगा. "ऑश...विकास.....प्ल...ईज़...नही का.....रो..आहह...!",विकास ने उसकी बाते अनसुनी करते हुए उसके पेट को चूमते हुए अपनी जीभ उसकी गहरी,गोल नाभि मे उतार दी थी & पागलो की तरह फिरने लगा था.कामिनी उसके सर को थाम बेबसी से आहे भरती हुई छटपटा रही थी.विकास काफ़ी देर तक उसकी नाभि से खेलता रहा & फिर थोडा और नीचे आकर उसकी नाभि & सलवार के बीच के हिस्से को चूमने लगा.कामिनी का बुरा हाल था,उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी & उसके दिल मे घबराहट,मज़े & मस्ती के मिले-जुले एहसास उमड़ रहे थे. "नही..!",विकास ने जैसे ही अपने हाथ मे ले उसकी सलवार की डोर खींचनी चाही.वो सोडे पे उठ बैठी & उसका हाथ पकड़ लिया.विकास ने उसके हाथ मे अपने हाथ की उंगलिया फँसा दी & उसके हाथो को अपने होंठो तक ला चूमने लगा,कामिनी की आँखे फिर मस्ती से बंद हो गयी.विकास उसके हाथो को चूम उसकी कलाई से होता हुआ उसकी बाँह को चूमने लगा,और उपर जाने पर उसके होठ कुर्ते की बाँह से आ लगे तो उसने उसे खींच कर कामिनी की बाँह से अलग कर दिया.कामिनी बस कमज़ोर सी आवाज़ मे नही-2 करती रही & उसने दूसरी बाँह को भी उतार दिया.अब कुर्ता उसकी कमर के गिर्द पड़ा हुआ था & सफेद ब्रा मे क़ैद,भारी सांसो से उपर-नीचे होते हुई,उसकी बड़ी-2 छातिया विकास की नज़रो के सामने थी. विकास ने बैठी हुई कामिनी को अपनी बाहो मे भर लिया & उसके चरे को चूमने लगा,"आइ लव यू,कामिनी..आइ लव यू,डार्लिंग!",वो उसकी पीठ सहलाते हुए उसके कानो के पीछे चूम रहा था. "आइ लव..वी यू..टू,विकी...!....ह्म्‍म्म्म...!",कामिनी और ज़्यादा मस्त हो रही थी.विकास पागलो की तरह उसकी पीठ पे हाथ फेर रहा था & ऐसा करने से उसका हाथ कामिनी के ब्रा स्ट्रॅप मे फँस गया & जब उसने निकालने की कोशिश की तो पट से उसके ब्रा के हुक्स खुल गये.विकास ने सर उसके चेहरे से उठा उसकी ओर देखा.कामिनी की आँखे नशे से भरी हुई थी & उसकी साँसे धौंकनी की तरह चल रही थी.सीने पे ब्रा बस लटका हुआ सा था. विकास ने उसकी आँखो मे देखते हुए उसके कंधो से ब्रा को सरका दिया.इस बार कामिनी ने उसे नही रोका.वो जानती थी इस बार वो बिल्कुल नही मानेगा.ब्रा सरक कर नीचे उसकी गोद मे आ गिरा.उसकी आँखो मे झँकते हुए विकास ने ब्रा को नीचे ज़मीन पे फेंक दिया & अपनी नज़रे नीची कर अपनी प्रेमिका की मस्त चूचियो का पहली बार दीदार किया.कामिनी की आँखे शर्म से बंद हो गयी. "तुम कितनी सुंदर हो,कामिनी...मैने तो सपने मे भी नही सोचा था कि तुम इतनी खूबसूरत होगी.",विकास की नज़रो के सामने कामिनी की भारी-2,कसी चूचिया उपर-नीचे हो रही थी.उन पर सजे हल्के गुलाबी रंग के निपल्स बिल्कुल कड़े हो चुके थे.विकास ने बहुत हल्के अपना हाथ उनपे रख उन्हे छुआ मानो वो शफ्फाक़ गोलाइयाँ उसके हाथ लगाने से मैली हो जाएँगी.कामिनी के पूरे बदन मे सिहरन सी दौड़ गयी. वो हल्के-उन्हे सहलाने लगा & धीरे-2 उसके हाथ उसकी चूचियो पे कसते गये.कामिनी ने उसके हाथ पकड़ लिए पर विकास को अब उन मस्त गेंदो से खेलने मे बहुत मज़ा आ रहा था. "ऊओवव...!".विकास ने अपने दोनो हाथो मे भर कर दोनो चूचियो को ज़ोर से दबा दिया.काफ़ी देर तक वो उन्हे दबत,मसलता रहा.फिर उसने उसके निपल्स का रुख़ किया & उन्हे अपनी उंगलियो मे ले मसल्ने लगा.दफ़्तर मे कामिनी की आहें गूंजने लगी.विकास झुका & उसकी चूची पे अपने होठ रख दिए.कामिनी का सर पीछे झुक गया & उसने विकास का सर पकड़ लिया.विकास चूचियो को मुँह मे भर चूसने लगा तो कामिनी का बदन झटके खाने लगा.उसकी गीली चूत अब और बर्दाश्त नही कर पा रही थी & झाड़ गयी थी. कामिनी निढाल हो सोफे पे गिर गयी तो साथ-2 विकास भी नीचे झुक गया & उसके उपर लेट कर उसकी छातियो से खेलने लगा.कभी वो उन्हे दबाता तो कभी बस हल्के-2 सहलाता,कभी अपने होंठो मे भर कर इतनी ज़ोर से चूस्ता की उनपेनिशान पड़ जाते तो कभी बस अपनी जीभ से उसके निपल्स को चाटता रहता.विकास का आधा बदन सोफे पे & आधा कामिनी के उपर था & कामिनी को अपनी जाँघ के बगल मे उसका खड़ा लंड चुभता महसूस हो रहा था. विकास उसकी चूचियो को चूमता हुआ 1 हाथ नीचे ले गया & उसकी सलवार की डोर को खींच दिया,फिर उसकी चूचियो को छ्चोड़ उसके पेट को चूमते हुए नीचे आया & उसकी सलवार खोलने लगा,"नही...मत करो ना!" विकास फिर से उपर हुआ & उसे चूमने लगा मगर उसका हाथ नीचे ही रहा & ढीली हो चुकी सलवार मे घुस पॅंटी के उपर से ही कामिनी की चूत को सहलाने लगा.कामिनी अपनी जंघे बींचती हुई छटपटाने लगी & खींच कर उसका हाथ हटाने लगी पर वो नही माना & वैसे ही हाथ फेरता रहा.फिर 1 झटके से उठा & उसके सलवार को नीचे कर उसकी पॅंटी के उपर उसने किस्सस की बौच्हार कर दी.कामिनी ज़ोर-2 से आहें भरते हुई तड़पने लगी.इसी बीच उसने उसकी सलवार को उसके बदन से अलग कर दिया. कामिनी की पॅंटी गीली होकर उसकी चूत से चिपकी हुई थी.विकास बैठा हुआ उसके बदन को घुरे जा रहा था.शर्मा कर कामिनी ने करवट के सोफे की बॅक मे अपना मुँह च्छूपा लिया & विकास की तरफ अपनी पीठ कर दी.कामिनी की मस्त 36 इंच की गंद अब उसके सामने थी.दोनो के बादने की रगड़ाहट से उसकी पॅंटी उसकी गंद की दरार मे फाँसी हुई थी & गंद की दोनो कसी फांके विकास के सामने थी. उसने अपने हाथो से उन्हे मसला तो कामिनी चिहुनक उठी.उसकी 28 इंच की कमर के नीचे उसकी चौड़ी,भारी,पुष्ट मस्त गंद ने विकास को पागला दिया था.उसने झट से उसकी पॅंटी को उसके बदन से अलग किया & झुक के करवट ली हुई कामिनी की गंद चूमने लगा.उसकी इस हरकत से कामिनी चौंक पड़ी & सीधी हो गयी & अपने प्रेमी को अपनी अन्छुइ,बिना बालो की,चिकनी,गुलाबी चूत का दीदार करा दिया.विकास की साँसे तेज़ हो गयी.शर्म के मारे कामिनी का बुरा हाल था,ज़िंदगी मे पहली बार वो किसी मर्द के सामने पूरी नगी हुई थी.विकास ने झुक कर कामिनी की जाँघो को फैलाया & अपना चेहरा उसकी चूत मे दफ़्न कर दिया. कामिनी तो पागल ही हो गयी.विकास उसकी चूत को अपनी उंगलियो से फैला चाट रहा था.जब वो उसके दाने को अपनी उंगली या जीभ से छेड़ता तो कामिनी के जिस्म मे बिजली दौड़ जाती.कोई 5-7 मिनिट तक उसकी जीभ कामिनी की चूत को चाटती रही.फिर वो उठ खड़ा हुआ,अब वो और नही रोक सकता था अपनेआप को.उसने अपनी पॅंट & अंडरवेर को तुरंत उतार फेंका.कामिनी ने अड़खुली आँखो से पहली बार 1 मर्द के खड़े लंड को देखा. विकास का काली झांतो से गिरा 6 इंच का लंड प्रेकुं से गीला था & उसके नीचे 2 बड़े से अंडे लटक रहे थे जोकि इस वक़्त बिल्कुल टाइट थे.वो अपने हाथ मे लंड को थाम हिला रहा था.उसने अपनी महबोबा की जाँघो को फैलाया & उनके बीच अपने घुटनो पे बैठ गया.दोनो ही कुंवारे थे & दोनो के लिए ही ये चुदाई का पहला मौका था.विकास ने चूत पे लंड रख के ढका दिया तो वो फिसल गया.उसने 2-3 बार और कोशिश की पर नतीजा वही रहा.कामिनी को डर भी लग रहा था & साथ ही इंतेज़ार भी था की उसका प्रेमी उसके कुंवारेपन को भेद कर उसकी जवानी को खिला दे. विकास को लग रहा था कि वो कामिनी के चूत के बाहर ही छूट जाएगा.फिर उसने पैंतरा बदला & 1 हाथ से उसकी चूत की फांके फैलाए & दूसरे हाथ से अपने लंड को पकड़ उसकी चूत के मुँह पे रख कर अंदर ठेला.इस बार उसे कामयाबी हुई & लंड का सूपड़ा अंदर घुस गया.उसने लंड से हाथ हटाया & बेचैनी से 2-3धक्के लगाए तो लंड और अंदर चला गया. "आउच..!".कामिनी को चुभन सी महसूस हुई & विकास को लगा जैसे कुच्छ उसके लंड को अंदर जाने से रोक रहा था.वो अपने घुटनो को सीधा कर अपनी कोहनियो पे अपने बदन का वजन रख,कामिनी के उपर झुक गया & 1 बहुत ज़ोर का धक्का दिया. "ओई...मेन्न्न्न...!..",कामिनी की चीख निकल गयी,उसके कुंवारेपन की झिल्ली को विकास के लंड ने फाड़ दिया था.कामिनी के चेहरे पे दर्द की लकीरे खींच गयी तो विकास उसके उपर लेट गया & उसे चूमने लगा.बड़ी मुश्किल से उसने अपनी कमर को हिलने से रोका.वो उसके कानो मे प्यार भरे बोल बोलते हुए उसे हौले-2 चूम कर सायंत करने लगा.थोड़ी देर बाद कामिनी का दर्द कम हुआ तो उसने विकास की पीठ पे हाथ फेरना शुरू कर दिया.विकास ने उसके होठ छ्चोड़ नीचे मुँह ले जाकर उसकी चूचियो को मुँह मे भर लिया & ज़ोर-2 से धक्के लगाने लगा.कामिनी को भी अब मज़ा आ रहा था,अपने प्रेमी के सर को उसने अपनी चूचियो पे भींच दिया & अपने घुटने मोड़ कर नीचे से कमर हिलाकर उसके धक्को से लय मिला कर चुदाई कराने लगी. विकासके लंड की रगड़ उसे जन्नत की सर करा रही थी.उसकी चूत मे जैसे 1 तनाव सा बन रहा था & उसने अपनी टांगे मोड़ कर अपने प्रेमी की कमर को लपेट लिया था.उसके नाख़ून उसकी पीठ मे धँस गये & उसके बदन मे जैसे मज़े का ज्वालामुखी फुट गया.आहे भरते हुए अपने होठ उसके होंठो से चिपका कर सोफे से उठा वो उस से चिपक सी गयी-वो ज़िंदगी मे पहली बार 1 लंड से झाड़ रही थी. विकास के सब्र का बाँध भी अब टूट गया & उसका बदन झटके खाने लगा & मुँह से आहे निकलता हुआ उसने अपने अंदो मे उबाल रहे लावे को अपनी प्रेमिका की चूत मे खाली कर दिया. क्रमशः.............
-- साधू सा आलाप कर लेता हूँ , मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ .. मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,, बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ आपका दोस्त राज शर्मा (¨`·.·´¨) ऑल्वेज़ `·.¸(¨`·.·´¨) कीप लविंग & (¨`·.·´¨)¸.·´ कीप स्माइलिंग ! `·.¸.·´ -- राज







GEHRI CHAAL "Tamam sabooto & gawaho ke bayanat ko maddenazar rakhte hue ye adalat is nateeje pe pahunchi hai ki mulzim Mr.D.K.Jaiswal bekasoor hain & asli mujrim hai Sham Lal jo ki marhum Ram lal ka bhai hai,isiliye ye adalat sham lal ko mujrim karar dete hue use 14 saal ki umra qaid ki saza sunati hai.",Panchmahal High Court ke judge ke is faisle ke sath mashoor advocate Kamini Sharan ne 1 aur case jeet liya tha. "madam,main aapka kaise shukriya ada karu,meri samajh me nahi aata!aap to mere liye sakshat bhagwan hain,kamini ji.",adalat ke bahar jaiswal hath jode kamini ke samne khada tha.panchmahal ka hi nahi balki rajya ka 1 itna raees businessman uske samne hath jode khada tha par kamini ke chehre pe gurur ki 1 jhalak bhi nahi thi. "ye kya kar rahe hain jaiswal ji!maine to kewal apna farz nibhaya hai.fir aap begunah the,vo sham lal aapko phansa raha tha & gunehgar ko humesha saza milti hai.chaliye,ghar jaiye & apne pariwar ko ye khushkhabri sunaiye.",kamini us se vida le apne office chamber jane ke lye apni car ki or badh gayi jiska darwaza khole uska driver khada tha. ------------------------------------------------------------------------------- der sham ghar lautati kamini ke chehre pe vo jeet ki khushi nahi thi,joki pehle hua karti thipehle ki to baat hi aur thi,pehle to case jeetne ke baad sabse pehle vo Vikas ko ye khabar sunati thi.jab bhi vikas ya vo koi case jeetate to us roz sham ko pehle kisi achhe se restaurant me jake badhiya khana khate & fir ghar lautke 1 dusreke sath puri raat ji bhar ke chudai kar jeet ka jashn manate. use yaad aa gayi law college ke final year ki vo pehli class jab vikas sabse aakhir me class me bhagta hua dakhil hua & uski bagal ki khali seat pe baith gaya.dono pichhle 2 salo se 1 hi batch me the par dono ke dosto ka group alag hone ke karan,dono ke beech koi khas baatcheet nahi thi.us din pehli baar dono ne dhang se 1 dusre se baat ki thi & vahi unki dosti ka pehla din tha. aur ye dosti kab pyar me badal gayi,dono ko pata bhi na chala.law ki degree hasil karte hidono ne advocate Santosh Chandra ke paas assistant ke liye apply kiya & unhone dono ki hi arziyaan manzoor kar li.santosh chandra kewal panchmahal ke hi nahi balki Hindustan ke 1 mane hue vakil the jinhe sabhi kafi izzat ki nazar se dekhte the. pehle din chandra sahab ne dono ke 1 hi case ki brief taiyyar karne ko kaha magar alag-2.dono ne kafi mehnat se soch-smajh ke apni-2 brief taiyyar ki & fir unhe dikhayi.brief padhte hi chandra sahab ne 5 minute ke bhitar hi dono ki briefs me 4-5 aise points nikal diye jinka istemal saamne opposition ka vakeel kar sakta tha,"beta,agar case jeetna hai to humesha apni opposing party ki tarah socho.vo ya to tumse bachna chahti hai ya fir tumhe gumrah karna uska maqsad hota hai.agar uski tarah sochoge to tumhe uski daleelo ka tod apneaap samajh me aa jayega.aage se jab bhi main tumhe brief banane kahu is baat ka khayal rakhna & haan,humesha apni-2 briefs 1 dusre ko dikha lena.is se tum dono 1 dusre ki galtiyan pakad loge." aisi aur na jane kitni naseehate chandra sahab ne unhe di thi.kabhi-2 to kamini ko lagta ki dono humesha unke assistant hi bane rehte to kitna achha hota,shayad zindagi abhi bhi pehle ki tarah khushnuma hoti! kitni khatti-meethi yaaden judi thi chandra sir ke office ke sath!dono ne vakalt ke lagbhag sare gur vahi to seekhe the & vahi vo jagah thi jaha kamini 1 masoom kali se phool bani thi. Kale,ghane,lambe baalo se ghira Kamini ka khubsurat chehra aisa lag raha tha jaise kali raat ko roshan karta poonam ka chand.gori-chitti kamini ka chehra bada masoomiyat bhara tha,par uske chehre me jo cheez sabse pehle mardo ka dhayn apni or khinchti thi,vo thi uske honth.anar ke dano ke rang ke,santre ki phaanko jaise uske rasile honth aise lagte the mano chumne ka bulawa de rahe ho. par is khubsurat ladki se nazre milane ki himmat har kisi me nahi thi.5'8" kad ki kamini aaj ke zamane ki ladki thi joki,mardo ke kandhe se kandha mila kar chalne me nahi,unse do kadam aage chalne me vishwas rakhti thi.uski hausle,himmat & aatma-vishwas se bhari nigaho se nigah milane ki koowat har mard me nahi thi. Vikas akela mard tha jiski nazre na kewal kamini ki nazro se mili balki uske dil me bhi utar gayi.car me baithe-2 kamini ko holika dahan ka vo din yaad aa gaya & uske udasi bhare chehre pe halki si muskan khil gayi.laga mano poonam ke chand pe jo udasi ki badli chha gayi thi,use 1 khushnuma hawa ke jhonke ne uda diya tha. Holi ke thik agle din 1 case ki tareekh thi & Chandra sahab ne dono ko case ki sari taiyyari hokia dahan vale din hi puri kar lene ko kaha tha kyuki fir holi ke din to daftar ana namumkin tha,isiliye dono office me baithe kaam kar rahe the.ghadi ne 10 bajaye to kamini ne hath sar ke upar uthakar nagdayi li,uska kaam to pura ho gaya tha,vikas abhi bhi laga hua tha.daftar me un dono ke alawa aur koi nahi tha. saamne pani ka glass dekh kamini ko shararat sujhi,usne usme se pani apne hath me liya & vikas ke munh pe de maara.vikas ne gusse & kheej se uski taraf dekha. "holi hai!".kamini hans padi.vikas bhi muskura diya & glass utha kar baki bacha pani kamini pe fenka par vo badi safai se uska vaar bacha gayi. "abhi batata hu kamini ki bachchi!",vikas use pakadne ko utha to kamini bhag ke desk ki dusri or ho gayi.vikas bhi bhag kar uski taraf aaya & hath badha kar uske kandhe ko pakda par kamini uski pakad se nikal khilkhilati hui office cabin se attached bathroom me ghus gayi.uske peechhe-2 vikas bhi ghusa to kamini ne washbasin ka nal chala kar use apni ungliyo se daba pani ki 1 tez dhar uske upar chhod di. vikas ki kamiz puri gili ho gayi to vo bathrrom se bahar bhaga & pani ka 1 bhara jug lekar vapas aaya & kamini ke hatho ko pakad kar pura ka pura jug uske upar khali kar diya.kamini ne jhuk kar bachne ki nakam koshish ki & usne jo safed salwar-kamiz peni thi uski kamiz bhi puri gili ho uske gore badan se chipak gayi.kamini seedhi khadi hui to usne dekha ki vikas apni bheegi hui shirt utar raha hai. vikas 6 ft ka gathile badan ka jawan ladka tha & jab usnwe apni shirt nikal li to uske baalo bhare gile seene ko nanga dekh kamini ko sharm aa gayi.usne apni nazre neechi kar li & jhuk kar apne gile kurte ke kone ko pakad kar use nichodne lagi.nichodte hue usne haule se apni nazre upar ki to dekha ki kewal pant me khada vikas use ghur raha hai.jhuke hone ke karan uski chhatiyo ka bada sa hissa,jispe pani ki boonde motiyo si chamak rahi thi, kurte ke gale me se jhalak raha tha. kamini fauran seedhi khadi ho gayi to vikas ki nazre uske seene se neeche uske gile kurte se numaya ho rahe uske gol,sapat pet pe aa jami.sharm se kamini ke gulabi gaal aur laal ho gaye & ghum kar usne vikas ki or apni pith kar li.vikas ne aage badh uske kandho ko tham use apni or ghumaya & use apne seene se laga liya.uski achanak ki gayi is harkat se kamini ladkhada gayi & usne sahare ke liye apne premi ko tham liya.vikas ki nagi pith pe hath rakhte hi kamini ke badan me jhurjhuri si daud gayi. yu to vo kai bar vikas ke gale lagi thi & shirt se jhankte uske seene ko chhua tha,chuma tha par ye pehli baar tha ki vo uske nange upari badan ko chhu rahi thi-chhu kya rahi thi,us se chipki hui thi.vikas ne neeche jhuk kar uske rasile hotho ko apne hotho ki giraft me le liya & dono 1 dusre ko chumne lage.thodi der me vikas uske hotho ko khol apni jibh se uski zuban ko chhua to jawab me kamini ne garmjoshi se apni jibh uski jibh se lada di. "zzzzzzzppppp...",kamini jaise neend se jagi,vikas ne uske kurte ke zip ko khodiya tha & hath andar ghusa uski pith pe fer raha tha. "nahi!",kiss tod vo kasmasane lagi. "kyu?" "please,vikas nahi karo." "achha baba!",vikas ne vapas uska zip laga diya,"ab khush?",kamini muskurayi & dono fir 1 dusre ko chumne lage.is baar vikas ne hath neeche se uske kurte me dala & uski kamar ko sehlane laga. "ummm..",kamini fir kasmasai. "ab kya hua?yaha koi pehli baar thode hi chhu raha hu!",thik hi kaha tha vikas ne,yaha pe to vo roz hi hath ferta tha & jab kabhi kamini sari pahanti tab to uski shamat hi a jati.vikas ke haath to uske pet ya kamar ko chhodne ka naam hi nahi lete the! vikas uske hotho ko chhod neeche kamini ki lambi gardan pe a gaya tha & chum raha tha.kamini mast ho uske baalo me ungliya fira rahi thi ki tabhi vikas uski gardan se chumte hue upar aaya & uske kaan ke peechhe chumne laga.ye jagah kamini ki kamzor nas thi,vikas ke vaha apne honth lagate hi kamini ki aankhe band ho gayi & hoth khul gaye & vo jaise behosh si ho gayi.uski ungliya & shiddat se uske aashiq ke baalo me ghumne lagi.vikas ne mauke ka fayda uthate hue fir se uska zip khol diya & hath ghusa uski pith sehlane laga.ab uske hath kamini ki kamar & pith ko puri tarah se se masal rahe the. josh me dubi kamini ki taange jawab dene lagi & vo girne hi wali thi ki vikas ne use tham liya & apni baahe uski mast gand ke neeche lapet use utha liya.kamini jhuk kar uske chehre ko chumne lagi,vikas use utha kar office me le aaya & vaha rakhe bade se sofe pe use bitha diya & fir uski bagal me baith kar uyse baho me bhar chumne laga. uske chehre se neeche vo uski gardan pe aaya & fir uske zip khule kurte ko neeche kar uske gardan & chhatiyo ke beech ke hisse ko chumne laga.aaj se pehle dono ne is tarah pyar nahi kiya tha.ab tak to bas gale lag ke chumna & kapdo ke upar se hi sehlana hota raha tha.kamini ne abhi tak 1 baar bhi vivke ko apni chhatiyo ya kisi aur nazuk ang ko chhune nahi diya tha. kamre ka mahaul dheere-2 aur garam ho raha tha.kamini bechaini se apni janghe ragadne lagi thi.vikas uske kurte ko neeche kar uske kandho ko bari-2 se chum raha tha.kurte ko baaho se neeche kar vo uski upari baanh ko chumne laga.uske hath neeche se kurte ke andar ghus uski patli kamar ko masal rahe the.achanak vikas ne kamini ko sofe pe lita diya & uske kurte ko upar kar uske pet ko chumne laga. "ohhh...vikas.....pl...ease...nahi ka.....ro..aahhhhhhhhh...!",vikas ne uski baate ansuni karte hue uske pet ko chumte hue apni jibh uski gehri,gol nabhi me utar di thi & paaglo ki tarah firane laga tha.kamini uske sar ko tham bebasi se aahe bharti hui chhtapata rahi thi.vikas kafi der tak uski nabhi se khelta raha & fir thoda aur neeche aakar uski nabhi & salwar ke beech ke hisse ko chumne laga.kamini ka bura haal tha,uski chut puri gili ho chuki thi & uske dil me ghabrahat,maze & masti ke mile-jule ehsaas umad rahe the. "nahi..!",vikas ne jaise hi apne hath me le uski salwar ki dor khinchni chahi.vo sode pe uth baithi & uska hath pakad liya.vikas ne uske hath me apne hath ki ungliya fansa di & uske hatho ko apne hotho tak la chumne laga,kamini ki aankhe fir masti se band ho gayi.vikas uske hatho ko chum uski kalai se hota hua uski baanh ko chumne laga,aur upar jane par uske hoth kurte ki baanh se aa lage to usne use khinch kar kamini ki baanh se alag kar diya.kamini bas kamzor si avaz me nahi-2 karti rahi & usne dusri baanh ko bhi utar diya.ab kurta uski kamar ke gird pada hua tha & safed bra me qaid,bhari saanso se upar-neeche hote hui,uski badi-2 chhatiya ba vikas ki nazro ke samne thi. vikas ne baithi hui kamini ko apni baaho me bhar liya & uske chre ko chumne laga,"i love you,kamini..i love you,darling!",vo uski pith sehlate hue uske kano ke peechhe chum raha tha. "i lo..ve you..too,vicky...!....hmmmm...!",kamini aur zyada mast ho rahi thi.vikas paaglo ki tarah uski pith pe hath fer raha tha & aisa karne se uska hath kamini ke bra strap me fans gaya & jab usne nikalne ki koshish ki to pat se uske bra ke hooks khul gaye.vikas ne sar uske chehre se utha uski or dekha.kamini ki aankhe nashe se bhari hui thi & uski saanse dhaunkni ki tarah chal rahi thi.seene pe bra bas latka hua sa tha. vikas ne uski aankho me dekhte hue uske kandho se bra ko sarka diya.is bar kamini ne use nahi roka.vo janti thi is bar vo bilkul nahi maanega.bra sarak kar neeche uski god me aa gira.uski aankho me jhankte hue vikas ne bra ko neeche zamin pe fenk diya & apni nazre neechi kar apni premika ki mast chhatiyo ka pehli baar deedar kiya.kamini ki ankhe sharm se band ho gayi. "tum kitni sundar ho,kamini...maine to sapne me bhi nahi socha tha ki tum itni khubsurat hogi.",vikas ki nazro ke samne kamini ki bhari-2,kasi chhatiyan upar-neeche ho rahi thi.umpe saje halke gulabi rang ke nipples bilkul kade ho chuke the.vikas ne bahut halke apna hath unpe rakh unhe chhua mano vo shaffaq golaiyaan uske hath lagane se maili ho jayengi.kamini ke pure badan me siharan si daud gayi. vo halke-unhe sehlane laga & dheere-2 uske hath uski choochiyo pe kaste gaye.kamini ne uske hath pakad liye par vikas ko ab un mast gendo se khelne me bahut maza aa raha tha. "oooww...!".vikas ne apne dono hatho me bhar kar dono choochiyo ko zor se daba diya.kafi der tak vo unhe dabat,masalta raha.fir usne uske nipples ka rukh kiya & unhe apni ungliyo me le masalne laga.daftar me kamini ki aahen gumjne lagi.vikas jhuka & uski choochi pe apne hoth rakh diye.kamini ka sar peechhe jhuk gaya & usne vikas ka sar pakad liya.vikas chhatiyo ko munh me bhar chusne laga to kamini ka badan jhatke khane laga.uski gili chut ab aur bardasht nahi kar pa rahi thi & jhad gayi thi. kamini nidhal ho sofe pe gir gayi to sath-2 vikas bhi neeche jhuk gaya & uske upar let kar uski chhatiyo se khelne laga.kabhi vo unhe dabata to kabhi bas halke-2 sehlata,kabhi apne hotho me bhar kar itni zor se chusta ki unpenishan pad jate to kabhi bas apni jibh se uske nipples ko chaatata rahta.vikas ka aadha badan sofe pe & aadha kamini ke upar tha & kamini ko apni jangh ke bagal me uska khada lund chubhta mehsus ho raha tha. vikas uski choochiyo ko chumta hua 1 hath neeche le gaya & uski salwar ki dor ko khinch diya,fir uski choochiyo ko chhod uske pet ko chumte hue neeche aya & uski salwar kholne laga,"nahi...mat karo na!" vikas fir se upar hua & use chumne laga magar uska hath neeche hi raha & dheeli ho chuki salwar me ghus panty ke upar se hi kamini ki chut ko sehlane laga.kamini apni janghe beenchti hui chhatapatane lagi & khinch kar uska hath hatane lagi par vo nahi mana & vaise hi hath ferta raha.fir 1 jhatke se utha & uske salawar ko neeche kar uski panty ke upar usne kisses ki bauchhar kar di.kamini zor-2 se aahen bharte hui tadapne lagi.isi beech usne uski salwar ko uske badan se alag kar diya. kamini ki panty gili hokar uski chut se chipki hui thi.vikas baitha hua uske badan ko ghure ja raha tha.sharma kar kamini ne karwat ke sofe ki back me apna munh chhupa liya & vikas ki taraf apni pith kar di.kamini ki mast 36 inch ki gand ab uske samne thi.dono ke badne ki ragdahat se uski panty uski gand ki darar me phansi hui thi & gand ki dono kasi phaanke vikas ke samne thi. usne apne hatho se unhe masla to kamini chihunk uthi.uski 28 inch ki kamar ke neeche uski chaudi,bhari,pusht mast gand ne vikas ko pagla diya tha.usne jhat se uski panty ko uske badan se alag kiya & jhuk ke karwat li hui kamini ki gand chumne laga.uski is harkat se kamini chaunk padi & seedhi ho gayi & apne premi ko apni anchhui,bina balo ki,chikni,gulabi chut ka deedar kara diya.vikas ki saanse tez ho gayi.sharm ke mare kamini ka bura haal tha,zindagi me pehli baar vo kisi mard ke samne puri nagi hui thi.vikas ne jhuk kar kamini ki jangho ko failaya & apna chehra uski chut me dafn kar diya. kamini to pagal hi ho gayi.vikas uski chut ko apni ungliyo se faila chat raha tha.jab vo uske dane ko apni ungli ya jibh se chhedta to kamini ke jism me bijli daud jati.koi 5-7 minute tak uski jibh kamini ki chut ko chatati rahi.fir vo uth khada hua,ab vo aur nahi rok sakta tha apneaap ko.usne apni pant & underwear ko turant utar fenka.kamini ne adkhuli aankho se pehli bar 1 mard ke khade lund ko dekha. vikas ka kali jhanto se gira 6 inch ka lund precum se gila tha & uske neeche 2 bade se ande latak rahe the joki is waqt bilkul tight the.vo apne hath me lund ko tham hila raha tha.usne apni mehboba ki jangho ko failaya & unke beech apne ghutno pe baith gaya.dono hi kunware the & dono ke liye hi ye chudai ka pehla mauka tha.vikas ne chut pe lund rakh ke dhaka diya to vo fisal gaya.usne 2-3 bar aur koshish ki par nateeja vahi raha.kamini ko darr bhi lag raha tha & sath hi intezar bhi tha ki uska premi uske kunwarepan ko bhed kar uski jawani ko khila de. vikas ko lag raha tha ki vo kamini ke chut ke bahar hi chhut jayega.fir usne paintra badla & 1 hath se uski chut ki faanke failaye & dusre hath se apne lund ko pakad uski chut ke munh pe rakh kar andar thela.is bar use kamyabi hui & lund ka supada andar ghus gaya.usne lund se hath hataya & bechaini se 2-3dhake lagaye to lund aur andar chala gaya. "ouch..!".kamini ko chubhan si mehsus hui & vikas ko laga jaise kuchh uske lund ko andar jane se rok raha tha.vo apne ghutno ko seedha kar apni kohniyo pe apne badan ka vajan rakh,kamini ke upar jhuk gaya & 1 bahut zor ka dhakka diya. "OUIII...MAAAANNNN...!..",kamini ki cheekh nikal gayi,uske kunwarepan ki jhilli ko vikas ke lund ne phad diya tha.kamini ke chehre pe dard ki lakeere khinch gayi to vikas uske upar let gaya & use chumne laga.badi mushkil se usne apni kamar ko hilne se roka.vo uske kaano me pyar bhare bol bolte hue use haule-2 chum kar sayant karne laga.thodi der baad kamini ka dard kam hua to usne vikas ki pith pe hath ferna shuru kar diya.vikas ne uske hoth chhod neeche munh le jakar uski choochiyo ko munh me bhar liya & zor-2 se dhakke lagane laga.kamini ko bhi ab maza aa raha tha,apne premi ke sar ko usne apni chhatiyo pe bheench diya & apne ghutne mod kar neeche se kamar hilakar uske dhako se lay mila kar chudai karne lagi. vikaske lund ki ragad use jannat ki sar kara rahi thi.uski chut me jaise 1 tanav sa ban raha tha & usne apni taange mod kar apne premi ki kamar ko lapet liya tha.uske nakhun uski pith me dhans gaye & uske badan me jaise maze ka jwalamukhi fut gaya.aahe bharte hue apne hoth uske hotho se chipka kar sofe se utha vo us se chipak si gayi-vo zindagi me pehli baar 1 lund se jhad rahi thi. vikas ke sabra ka bandh bhi ab tut gaya & uska badan jhatke khane laga & munh se aahe nikalta hua usne apne ando me ubal rahe lave ko apni premika ki chut me khali kar diya. --







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