Thursday, June 10, 2010

अंदाज़-ए-इश्क़ पार्ट --2

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अंदाज़--इश्क़ पार्ट --2

सागर की नज़रे अब भी झुकी हुई थी,,,,,,,वो तो बस इंतेज़ार मे था,,,,,,कि कब नंदिनी हाथ बढ़ा के उससे अपनी बाहो मे समा ले,,,,,,आशंका के बादल गहरे होते जा रहे थे,,,,,दिल क अजीब से डर से बेचैन था,,,,,धड़कने ट्रेन की रफ़्तार से दौड़ रही थी,,,,,,

नंदिनी अब भी उससे उतनी ही हैरानी से देख रही थी,,,,,,सोचने का समय ही कहा दिया था सागर ने उससे,,,,,,,शब्दो का प्रहार ही इतना तीव्र और ज़ोरदार था कि वो कुछ बोल नही पा रही थी,,,,,,,,

"पर तुम,,,,,ये सब,,,,अचानक,,,,," उसके समझ मे नही आ रहा के वो कहा से शुरू करे,,,,,,या फिर क्या कहे,,,,,,

"मैं तुमसे ये बात पता नही कितने सालो से कहने की कोशिश कर रहा था,,,,लेकिन हिम्मत नही कर पा रहा था,,,,,आज जब तुमसे दूरी का हसास हुआ तो मुझसे रहा ना गया,,,,,,बताओ नंदिनी बताओ,,,,,क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो" सागर मूह झुका बोले जा रहा था,,,,,

"मैं भी तुमसे इतना ही प्यार करती हू,,,,लेकिन ना बोल पाना मेरी भी कमज़ोरी थी,,,,तुम ही मेरे सपनो के राज कुमार हो" नंदिनी की आँखें छलक गयी थी,,,,,लेकिन सागर की आँखों मे नयी चमक आ गयी थी,,,,,,"ये मुझे ही पता है मैने ये 2 साल का समय कैसे बिताया है,,,,,तुम तो अपने दिल की बात दिल मे दबा वाहा दूर जा बैठे थे,,,,,,,मुझ पे क्या गुज़रती थी क्या इसका अंदाज़ा है तुम्हे,,,,सुबह शाम तुम्हे खो देने का डर सताता रहता था,,,,,,और इस गम मे भी मुस्कुराना मेरी मजबूरी थी,,,,,,"नंदिनी की आँखें अब भी छलक रही थी,,,,,,दिल मे बरसो से दबी बात मूह पे जो आ गयी थी,,,,"तुम अब मुझे छ्चोड़ तो नही दोगे",,,,नंदिनी का मन अब भी आशंकित था,,,,,,,

"नही मैं अब तुम्हे नही छ्चोड़ूँगा,,,,,,अपनी जान को भी कोई अपने जिस्म से अलग करता है क्या,,,,,,मैं सब को राज़ी कर लूँगा,,,,,अब तुम मेरे साथ हो,,,,मैं अब तुम्हे खुद से अलग नही होने दूँगा,,,,,,आ जाओ मेरे गले लग जाओ,,,,,प्लीज़,,,,,,मैं इस सहारे के लि ना जाने कब से बेचैन हू",,,,,,,सागर अब बाहे फैला खड़ा था,,,,,अपनी जान को गले लगाने के लि,,,,,,

शाम का सूरज ढल चुका था,,,,,,वादियो मे कही जा छुपा था,,,,,लेकिन सागर की ज़िंदगी का सूरज तो अब उदय हुआ था,,,,,,दोनो क दूसरे की बाहो मे स्वर्ग का आनंद ले रहे थे,,,,,,जैसे सालो से अतृप्त आत्मा तृप्ति पा रही हो,,,,,

तभी अचानक नंदिनी सागर से अलग हो गयी,,,,हैरान सी,,,कुछ सोचती हुई,,,,"लेकिन सुरभि उसका क्या होगा,,,,उसे कौन समझागा",,,,,नंदिनी अचानक बोल पड़ी,,,,,

सागर के चेहरे पे भी चिंता के बादल आ गये थे,,,,,,दोनो उत्सुकतावश क दूसरे को देख रहे थे,,,,जैसे जवाब दूसरे को देना हो,,,,,,

हैरानी दोनो के चेहरे पे झलक रही थी,,,,,,सुरभि के विचार ने दोनो के प्रेम मिलाप मे बाधा डाल दी थी,,,,,,,,

असल मे सुरभि गाओं की ही लड़की थी,,,,,सागर, नंदिनी और विकी के ही बचपन की दोस्त,,,,,,,
थी तो वो भी बला की खूबसूरत,,,,,,सुडोल बदन की मालकिन,,,,,,मादक अदायो वाली हसीना,,,,,,ऐसा शानदार हुस्न कि अच्छे अच्छे उस्तादो को भी क ही नज़र देखने मे मुट्ठी मारने पे मजबूर कर दे,,,,,,,उसको दूसरो को तड़पाने मे बहुत मज़ा आता था,,,,,,अदायो और जल्वो से हर किसी का दिल जीत लेती थी,,,,,,,,,

लेकिन थी वो अपने सागर पे फिदा,,,,,,इतनी बिंदास थी के अपने प्यार का इज़हार ना जाने कितने सालो पहले सागर से कर दिया था,,,,,,,लेकिन सागर उसके जज़्बात को हसी मे उड़ा देता था,,,,,,लेकिन वो भी अपने इरादे की पक्की थी,,,,,,सागर को पाने के लि किसी भी हद तक जा सकती थी,,,,,,

गाओं मे सभी को पता था के वो सागर से प्यार करती है,,,,,,अच्छसे, पड़े लिखे और बड़े घर की होने के कारण सागर के घर वाले भी उससे बहुत अच्छा मानते थे,,,,,आख़िर कमी ही क्या थी उसमे,,,,,अपने शहरी लड़के के लि वो ऐसी ही मॉडर्न ख़यालात वाली बहू चाहते थे जो उसकी हर बात को अच्छी तरह समझ सके,,,,,,

लेकिन सुरभि का भी क आशिक था,,,,,गाओं का चहेता,,,,,,सबसे स्मार्ट,,,,,सबसे डॅशिंग,,,,,,अपना विकी,,,,,जब से जवान हुआ था उसने क ही खेल खेलना सीखा था,,,,,जिसमे उससे महारत हासिल थी,,,,,,,और सुरभि के साथ इस खेल को खेलने की उसकी दिली इच्छा थी,,,,,,,,वो हमेशा सुरभि के पीछे रहता था,,,,,, शायद कभी किस्मत का तारा चमक जा,,,,,,और वो किसी तरह उसकी चूत की गेराज मे अपना रोड रोलर(सॉरी चूत रोलर) खड़ा कर सके,,,,,,,,वो जानता था कि ये सागर पे मरती है,,,,लेकिन इस बात से वो कदम निसचिंत था क्यूंकी सागर तो नंदिनी को चाहता था,,,,,आख़िर लास्ट मे कॅच उसके ही हाथ मे आना था,,,,,,,

लेकिन इधर मसला बहुत गंभीर था,,,,,,नंदिनी को ये डर था के इस बात का पता चलते ही वो अपनी क अच्छी दोस्त को खो देगी,,,,,"सुरभि बहुत ज़िद्दी है,,,,वो मुझे इसके लि कभी माफ़ नही करेगी,,,,,आख़िर वो भी तो तुमसे बहुत प्यार करती है" कुछ सोचते हु नंदिनी ने कहा,,,,,,,दोनो को कुछ समझ नही आ रहा था,,,,,,

"ठीक है तुम परेशान क्यू होती हो,,,,मैं उससे बात करूँगा,,,,,,,उससे समझौँगा" सागर इस लम्हे को ऐसी बातो मे बर्बाद नही करना चाहता था,,,,,"आख़िर वो ही तो मुझसे प्यार करती है,,,,मैं तो नही करता,,,,और मैं किसी को प्यार करने से रोक भी तो नही सकता,,,,,जो होगा देख लेंगे,,,,,ज़्यादा से ज़्यादा वो हमसे बात ही तो नही करेगी,,,,,,क दिन उससे भी हमारी साची मोहब्बत का हसास खुद ही हो जागा,,,,,फिर सब ठीक हो जागा"

नये नये प्यार मे आई इस मुसीबत से दोनो का दिल परेशान तो था,,,,,लेकिन जब अपना प्यार बाँहो मे हो तो हर मुश्किल आसान लगने लगती है,,,,,,दिल बड़ी से बड़ी मुसीबत से टक्कर लेने को तैयार रहता है,,,,,,

"आंटी जी नमस्ते,,,,सागर सुबह का आ गया है,,,,,और आपने मुझे बताया तक नही",,,,इस आवाज़ को वो दोनो अच्छी तरह पहचानते थे,,,,,,और इस समय तो खास तौर पे पहचान लिया था,,,,,,

ये दोनो क दूसरे से लग हो गये,,,,,,शरमाये से,,,,,घबरा से,,,,"ये,,,ये तो सुरभि की आवाज़ है" नंदिनी की आवाज़ मे डर था,,,,,जैसे चोर को चोरी पकड़ जाने का होता है,,,,,,ये सुरभि ही थी,,,,,,,,

"बेटा वो मुझे ध्यान ही नही रहा,,,,,,जा वो उपर छत पे है,,,जा मिल ले,,,और हा नंदिनी भी तो वही उसके साथ है",,,, अब सुरभि उपर आ रही थी,,,,,दोनो अपनी अपनी चेर्स पे ऐसे बैठ गये जैसे अभी कुछ हुआ ही ना हो,,,,,,,,बात कुछ नही थी,,,,,बस दोनो के दिल मे डर था अपने क अच्छे दोस्त को खोने का,,,,,,,,

"अर्रे तो जनाब यहा छुपे बैठे हैं,,,,,,हमारा तो ख़याल भी नही आया होगा आपको",,,,सुरभि की अदायो मे शैतानी सॉफ झलक रही थी,,,,प्यासी हसीना को चाहि ही क्या था,,,,,,,उसका शिकार तो उसके सामने ही था,,,,,,,,"और तुम नंदिनी,,,,,तुम भी अकेले ही चली आई,,,कम से कम मुझे तो बुला लेती"

"आओ आओ सुरभि बैठो,,,,,,ऐसी कोई बात नही मैने सोचा तुम्हे परेशान करने से कोई फ़ायदा नही,,,,,,मैं तुमसे खुद मिलने आ रहा था"सागर ने सुरभि की ओर से नंदिनी की आँखों मे झाँकते हु जवाब दिया,,,,,जैसे इसमे उसका कोई दोष ना हो,,,,,,लेकिन वो शांत थी सब कुछ समझ सकती थी,,,,,,

"ऐसा कैसे कह सकते हो,,,,मैं तुमसे प्यार करती हू,,,,और तुम कहते हो मैं परेशान हो जाउन्गी" सुरभि सीरीयस हो गयी थी,,,,,"लेकिन तुम मुझे अब तक समझ ही नही पा हो,,,,,शायद सच्ची मोहब्बत की तुम्हे कदर ही नही है"

"तुम्हारी मज़ाक करने की आदत कब जागी,,,,,हमेशा मेरी टाँग खीचती रहती हो",,,,,सागर ने बनावटी हसी हँसते हु कहा,,,,,

"मैं तो कभी मज़ाक नही करती,,,,,लेकिन तुम्हे मज़ाक लगता है तो मैं क्या करू,,,,,तुम्हे पता है कल मेरा ग्ज़ॅम है ओर फिर भी मैं तुमसे मिलने चली आई,,,,,,बट तुम्हारे लि तो सब मज़ाक ही है,,,,,,मैं भी मज़ाक हू,,,,,मेरा प्यार भी मज़ाक है,,,,,मेरे जज़्बात भी मज़ाक हैं" सुरभि का गला सूखने लगा था,,,,और आँखों मे पानी आ गया था,,,,,,,आख़िर जिस प्यार से मिलने वो उसके आने की खबर सुनते ही दौड़ी चली आई थी,,,,वो तो उससे बस मज़ाक समझ रहा था,,,,,नंदिनी भी उसके जज़्बात देख के हैरान थी,,,,,लेकिन वो कर भी क्या सकती थी,,,,उसने सुरभि के दोनो हाथो को थाम लिया था,,,,,,जैसे वो उसको जता रही हो के वो उसके साथ है,,,,,,

"अच्छा अब मैं जाउ मुझे ग्ज़ॅम की तैयारी करनी है",,,,,सुरभि ने खड़े होते हु कहा,,,,,बात कदम से ज़्यादा बढ़ गयी थी,,,,,अब वाहा रुकना उसके लि मुश्किल था,,,,,

"अर्रे रूको रूको मुझे नही पता था के तुम बुरा मान जाओगी,,,,मैं तो बस मज़ाक कर रहा था,,,,,बैठो तो सही,,,,,क्या यार इतनी सी बात पे नाराज़ हो गयी,,,,,,देखो इतने दिन बाद मिले हैं,,,,,कुछ देर बैठो तो सही",,,सागर को हसास नही था के बात को सुरभि इतना सीरीयस ले लेगी,,,,वो तो बस टॉपिक चेंज करना चाहता था,,,,

सुरभि बैठ तो गयी,,,,लेकिन उसका नज़रे अब दूसरी ओर पहाड़ो को देख रही थी,,,,,,रात और घनघोर हो गयी थी,,,,सब लोग शांत बैठे थे,,,,,बात कोई शुरू नही करना चाहता था,,,,,ना जाने क्या बात निकल जा और उससे बुरी लग जा,,,,,असल मे सुरभि थी ही ऐसी,,,,,ज़िद्दी,,,अपनी बात मनवाने वाली,,,,,ज़रा सी बात पे रूठ जाती थी,,,,,,लेकिन दिल की बहुत अच्छी थी,,,,,ये सबको पता था,,,,,,इसीलि हर कोई उसका ख्याल रखता था,,,,,,

"अच्छा तो अब मैं जाउ,,,,मुझे तैयारी भी करनी है",,,सुरभि असल मे ही जल्दी मे थी,,,,,ग्ज़ॅम की तैयारी भी तो ज़रूरी थी,,,,,,

"अभी आ,,,,अभी बैठे,,,,अभी दामन संभाला है,,,,,
तुम्हारी जाउ जाउ ने तो मेरा दिल निकाला है",,,,,,,,पीछे से आवाज़ आई,,,,,

विकी आ चुका था,,,,,,अपने उस स्नो व्यू वाले चुदाई प्रोग्राम के बाद वो नहा धो के,,,,,,सफेद पठानी सूट पहन के आया था,,,,,,,जो 6 फिट की हाइट पे केदूम जच रहा था,,,,,,सेट वेट लगा के बॉल कदम नॅवॉबो की तरह पीछे करे हु थे,,,,,,आख़िर शोक भी तो उसके नॅवॉबो वाले थे,,,,,उससे पता नही क्यू बड़ी चीज़ की बहुत चाहत थी,,,,,हर चीज़ बड़ी चाहि थी,,,,,,घर भी उसका बड़ा था,,,,गाड़ी भी बड़ी थी,,,,,,,और किस्मत से भगवान ने उससे उसका पर्सनल हथियार भी बड़ा दिया था,,,,,इसीलि लि लोग उससे नॉवब साब के नाम से भी जानते थे,,,,,,क्यूंकी सब जानते थे की वो चेला किसका था,,,,,,,जिसका गुरु ऐसा हो तो चेला तो ऐसा ही होगा ना,,,,,,दोस्तो आप नही जानना चाहेंगे कि विक्की चेला किसका है अरे भाई वो दोस्त राज शर्मा का चेला है जैसा गुरु वैसा चेला
खैर उसके आते ही डार्क टेंप्टेशन की चॉककलेटी खुसबु पूरे सर्द माहौल मे फैल गयी,,,,,,माहौल और नशीला हो गया,,,,,,,,,

"लो आ गये आपके मित्रा,,,,,अब तो मैं 1 पल नही रुक सकती,,,,,इससे बड़ा दिमाग़ चॅटू पूरे नैनीताल मे नही है",,,,,सुरभि ने चिढ़ते हु कहा,,,,

"अर्रे मेडम,,,,हम दिमाग़ ही नही और भी चीज़े चाटने मे क्सपर्ट हैं,,,,कभी मौका तो दे के देखो",,,,,बिंदास तो वो सुरभि से भी ज़्यादा था,,,,,,इशारा कहा है सब अच्छी तरह जानते थे,,,,,,

"तुम्हारी बकवास कभी बंद ही नही होती,,,,,मेरे पीछे क्यू पड़े रहते हो????",,,,,गुस्सा नाक पे ही रखा था,,,,,,

"तुम भी तो सागर के पीछे पड़ी रहती हो,,,,हमने तो कभी तुम्हे नही रोका",,,,,शैतानी चेहरे पे ही थी विकी के,,,,,

"तुम,,,,तुम समझते क्या हो,,,,,खुद को,,,",,,,, चेहरा फिर लाल हो गया,,,,,"मुझे तुम्हारी बकवास नही सुन्नी,,,,,मैं जा रही हू",,,,,"ईडियट,,,,टाँग अड़ाने आ जाता है",,,,वो पैर पटकती हुई जाने लगी,,,,,,,

"थॅंक यू मिस नकचड़ी",,,,, ये आख़िरी वार था,,,,,,सुनते ही सुरभि के कदम और तेज़ हो गये,,,,,,,,

सागर:"अर्रे क्यू परेशान करता है तू इससे इतना,,,,,,देख वो तो पहले ही नाराज़ थी,,,,,तूने और चिडा दिया",,,,,

विकी: "क्यू पहले से क्यू नाराज़ थी,,,,क्या हुआ था????"

सागर: "कुछ नही यार मेरे मज़ाक का बुरा मान गयी,,,,,ये बता तू कहा गया था,,,,"

"मैं स्नो व्यू तक गया था किसी ज़रूरी काम से" आँखों मे शरारत थी,,,,,सागर समझ गया के वो किस ज़रूरी काम से स्नो व्यू जाता था,,,,,

"अर्रे ये नंदिनी क्यू जागते हु सपने देख रही है" जब विकी का ध्यान उधर गया तो वो शून्या मे देखते हु हस रही थी,,,,,नंदिनी ने सुनते ही नीचे की ओर दौड़ लगा दी,,,,,

"अर्रे अब इसको क्या हो गया,,,मैने इसको तो कुछ नही कहा",,,,विकी समझ नही पा रहा था,,,,,,बात क्या है

"डियर मैने उसको अपने दिल की बात बोल दी है,,,,,और उसने भी हा कर दी है,,,,,वो भी मुझे बचपन से चाहती थी,,,लेकिन बोल नही पा रही थी",,,,सागर की आँखों मे विजय की चमक थी,,,जैसे उसने कोई बड़ा किला फ़तह कर लिया हो,,,,,

"अर्रे क्या कह रहा है मेरे भाई,,,,,,,कैसे बोल दिया तूने,,,,चल बहुत अच्छा है,,,मैं तो तुझे पहले ही कहता था,,,,,,,अर्रे आज की रात तो पार्टी की रात है,,,,,आज की रात मेरे भाई के प्यार के नाम,,,,,,चल शेरवानी हिलटॉप चलते हैं,,,,,,आज की रात मैं जम के पीऊंगा,,,,,और तुझे भी मेरा साथ देना होगा",,,,विकी तो जैसे खुशी से पागल हो गया था,,,,,,उसके भाई का प्यार जो मिल गया था,,,,,दोनो गाड़ी मे बैठे और शेरवानी हिलटॉप के लि निकल पड़े,,,,,,,,,,

सागर की सुबह जब आँख खुली तो वो विकी के प्राइवेट फ्लॅट मे था,,,,,ये सिंगल रूम फ्लॅट था जो विकी ने ख़ास अपने नेवाबी शोक के लि खरीद रखा था,,,,,,उसके आलीशान बंगले से अलग,,,,उससे बहुत दूर,,,,,
रात ज़्यादा पी लेने की वजह से वो घर नही गया था और सीधे विकी के इस फ्लॅट पे आ गया था,,,,,,

उसकी आँख किसी की आवाज़ो से खुली थी,,,,आँखें मलते हु जब उसने उठ के देखा तो विकी सुबह सुबह ही चालू था,,,,,,लड़की को उसने घोड़ी बना रखा था,,,,,,,ये चीनीज लड़की थी,,,,,,पतली सी,,,,,बूब्स उसके ज़्यादा बड़े नही थे,,,,,,बट जीतने भी थे,,,,,उसकी पतली काया पे बहुत जच रहे थे,,,,,,अच्छा ही था जो वो ज़्यादा बड़े नही थे,,,,,,,वरना उसकी कमर को देख कर लग रहा था जैसे उनके वजन को वो संभाल ही नही पाती,,,,,सिल्की स्ट्रेट बॉल उसने क तरफ कि हु थे,,,,,फ्रंट व्यू से सेक्स गोडेस नज़र आ रही थी,,,,,पीछे की गोलाइयाँ हर धक्के के साथ थोड़ा सा उचक के सागर को दिख जाती थी,,,,,,

वो ऐसी लड़कियो को अच्छे से जानता था,,,,,,ये दिन मे तो काम करके पैसे कमाती हैं और रात मे इस तरह से शौकीन लोगो के बिस्तर गर्म करती हैं,,,,,,,वो कटक इस सब को देखे जा रहा था,,,,,लड़की का मूह सागर की तरफ था,,,,,,उसने बेड के ंड मे सागर के पैरो के पास अपने दोनो हाथ रख रखे थे,,,,,,नज़ारा बड़ा ही कामुक था,,,,,

"अर्रे तू क्या देखे जा रहा है आजा तू भी",,,,,विकी ने सागर को उठा हुआ देख के इन्विटेशन दे दिया,,,,,,,चुदाई 2 सेकेंड के लि रुकी,,,,,लड़की ने भी सागर की तरफ देख के आमंत्रण की मुस्कान फेकि और खेल फिर से शुरू हो गया,,,,,,

"क्या यार तू भी सुबह सुबह चालू हो गया,,,,,मुझे नही आना है,,,,लू लगा रह",,,,,,सागर ये कहते हु उठने लगा,,,,,,

"साले शर्मा तो ऐसे रहा है जैसे पहली बार देख रहा हो,,,,,चल आजा",,,,विकी सच कह रहा था,,,,,,सागर और विकी ने पहले ना जाने कितनी घोड़ियो की सवारी की थी,,,,,,ना जाने कितनी बुरो को चूत बनाया था,,,,,लेकिन अब बात और थी,,,,,,

"नही यार ऐसी बात नही,,,,,,मेरा कुछ मूड नही हो रहा",,,अब सागर का दिल भी थोड़ा थोड़ा डोल रहा था,,,,,आख़िर था वो भी तो मर्द ही,,,,,,लेकिन अपनी बात पे कायम था,,,,,,

विकी:"चल कोई नही",,,,,

सागर उठ खड़ा हुआ और बाल्कनी की तरफ जाने लगा,,,,,जैसे ही वो विकी के बराबर मे आया,,,,,लयबाध चुदाई ने उसकी ईमान डोला दिया,,,,,,लंड पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था,,,,,हर स्ट्रोक के साथ लड़की की सिसकियाँ निकलती जा रही थी,,,,,,विकी उसकी गांद मार रहा था,,,और उसके टटटे हर झटके मे लड़की की चूत को सांत्वना देके आ रहे थे,,,,,,जैसे चुपके से जाके कहते हो रुक जा,,,,सब्र रख आगे तेरी भी बारी है,,,,,इसको देख के सागर को पंजाबी की क बोली याद आ गयी,,,,,,

"बारी बरसी ख़तन गयसी खत के लियान्डा क्लिप,,,,
लॅंड फुददी पार किता टटटे मारें स्लिप,,,,,"

अब तो काबू रख पाना सागर के बस मे भी नही था,,,,,,वो कहते है ना,,,,वाचिंग लाइव सेक्स ईज़ फार टफर दॅन आक्च्युयली डूयिंग,,,,,
नतीजा आशा स्वरूप था,,,,,सागर भी अपनी पॅंट उतार कर लड़की के मूह के आगे पोज़िशन ले चुका था,,,,,लॅंड की टोपी होंटो पे दस्तक दे रही थी,,,,,,जैसे खुल जा सिम सिम बोलेगी और मुख द्वार की ंट्री मिल जागी,,,,,लेकिन यहा कुछ कहने सुनने की ज़रूरत नही थी,,,,,लड़की ने क झपटते मे पूरा लॅंड मूह मे ले लिया,,,,सागर आसमान मे उड़ने लगा,,,,दिन मे तारे दिखने लगे,,,,,,धक्को का सिलसिला जारी हो गया,,,,,,लड़की के दोनो च्छेद व्यस्त थे,,,,,,,उधर पीछे से विकी धक्के लगा रहा था,,,,,इधर आगे से सागर,,,,,,जैसे मिशन हो दोनो सूपदो के क दूसरे से टच करने का,,,,,,लड़की की हालत बुरी हो गयी थी,,,,,बेचारी दो पाटो के बीच मे दबाई जा रही थी,,,,,,,दोनो दोस्तो को अत्यधिक मज़ा आ रहा था,,,,,लड़की का सिर सागर ने अपने हाथो मे ले लिया था,,,,,,,लड़की के हाथ अब फ्री थे,,,,,,जो के अब चूत को सांत्वना दे रहे थे,,,,,,बीच वाली उंगली कृतिम लॅंड का काम कर रही थी,,,,और बाकी की उंगलिया फॅंखो को मसाज दे रही थी,,,,,,

दोनो का अब इस से मज़ा कम होता जा रहा था,,,,,,अब क नये अंदाज़ का इन्वेन्षन हो गया था,,,,,,दोनो ने अपने अपने लंड मुहानो पे लगा दि थे,,,,,उधर विकी इतनी ज़ोर से धक्का लगता था के इधर सागर का लॅंड भी लड़की के मूह मे अपने आप चला जाता था,,,,,और फिर सागर निकाल के इतनी ज़ोर से धक्का लगता था के विकी का लॅंड गांद मे अपने आप पूरा प्रवेश कर जाता था,,,लड़की का तो हाल बुरा था,,,,,,आज हत्थे चड़ी थी वो दो असली मर्दो के,,,,,दोनो लड़को को इस नये खेल मे बहुत मज़ा आ रहा था,,,,,,,

"यार अब मैं झड़ने वाला हू",,,,विकी को टीके हु काफ़ी देर हो चुकी थी,,,,,,लेकिन सागर तो अभी अभी सही से खड़ा भी ना कर पाया था,,,,,,विकी ने सारा माल लड़की की गांद मे ही निकाल दिया और आकर बेड पे लेट गया,,,,,अब लड़की पूरी की पूरी उसकी थी,,,,,,

सागर ने लड़की को अपनी गोदी मे उठा लिया,,,,,,,लड़की की चूत सागर के लंड के बिल्कुल उपर थी,,,,,सागर ने लड़की को पीठ से जाकड़ रखा था,,,,,लड़की की दोनो टांगे उपर की तरफ मूडी हुई थी,,,,,ऐसा प्रतीत हो रहा था लड़की लॅंड के उपर बैठी थी,,,,,सागर ने थोड़ा सा पीछे होके लंड को चूत मे धीरे से प्रवेश करा दिया,,,,,,लड़की चिहुक उठी,,,,,,उसने लॅंड तो बहुत से अंदर लि थे,,,,लेकिन लॉड को झेलने का पहला अनुभव था,,,,,हालाँकि सागर बहुत धीरे धीरे प्यार से अंदर बाहर कर रहा था,,,,,,,जैसे ही लॅंड अंदर जाता था,,,,दोनो पुसी लिप्स अंदर हो जाते थे,,,,और जैसे ही बाहर आता था,,,,,लिप्स बाहर आ जाते थे,,,जैसे लंड को छ्चोड़ना ना चाह रहे हो,,,,,,बहुत देर तक ये सिलसिला जारी रहा,,,,,लड़की को बड़ा सेक्सी फील हो रहा था,,,,,,वो अकड़ने लगी,,,,,चरम सुख के आनंद की बारिश उस पर होने लगी थी,,,,,साथ ही इसकी चूत भी बरस पड़ी थी,,,,,चिकनाहट ने घर्षण को बिल्कुल कम कर दिया था,,,,,छप छाप की आवाज़ के साथ चुदाई और भी मज़ा दे रही थी,,,,,लड़की निहाल होके सागर की बाहो मे झूलने लगी,,,,,लेकिन सागर धक्को पे चालू था,,,,,,लड़की ज़रा सा झुक के सागर के निपल्स को चूस रही थी,,,,आख़िर कुछ देर बाद सागर को अहसास होने लगा के वो भी अब आने वाला है,,,,,उसने झट से लड़की को नीचे बेड पे उतारा ओर लॅंड को उसके मूह मे थूस दिया,,,,,लड़की को उसका लोल्ल्यपोप फिर मिल गया,,,,वो इसको ऐसे चूस रही थी जैसे पिघला कर पूरा मूह मे समा लेगी,,,,,,क हाथ होंटो के नीचे मुठ्ठी लगा रहा था,,,,,जैसे चिराग घिसते हैं,,,,,जिन्न के इंतजार मे,,,,,,सागर की गर्दन उपर की ओर मूड गयी,,,,,ओर आँखें बंद होने लगी,,,,,,चरम सुख उससे भी प्राप्त हो चुका था,,,,,,और इसका प्रमाण वो झटके लगा लगा कर लॅंड को गले तक उतार कर दे रहा था,,,,,लड़की भी पूरी क्सपर्ट थी चूसने मे,,,,,क भी कतरा माल का ज़मीन पे गिरने ना दिया,,,,पूरा का पूरा गटक गयी,,,,,,अब सागर भी विकी के बराबर मे आकर लेट गया,,,,,,लड़की दोनो दोस्तो की यारी को मुस्कुराते हु देखे जा रही थी,,,,,,

आज का दिन सागर की ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत दिन था,,,,,,अपने प्यार का अपने पास होने का सुकून अपने लि किसी के दिल मे प्यार होने का हसास बहुत ही अद्भुत था,,,,,वो विकी के साथ घर जा रहा था,,,,,,दिल मानो हर लम्हे के साथ ज़ोर से धड़कता जा रहा था,,,,,,,

इधर सुरभि कॉलेज जाने के लि तैयार होके निकल रही थी,,,,,,,"अर्रे बेटा नाश्ता तो कर ले",,,सुरभि की मा ने कहा,,,,,,

"नही मम्मी,,,,,मुझे देर हो रही है",,,,,वो जल्दी मे थी,,,,,

मम्मी: "अर्रे ग्ज़ॅम तो 10 बजे से है अभी तो 8 बजे हैं,,,,किस बात की जल्दी है,,,,,भूके पेट घर से नही जाते बेटा,,,,,,और ग्ज़ॅम भी बिना कुछ खा देगी क्या"

"मुझे पैदल जाना है मम्मी,,,,,देर हो गयी तो,,,मैं बाहर कुछ खा लूँगी"

"क्यूँ विकी नही जा रहा क्या,,,,,,तू पैदल क्यू जागी" मम्मी कुछ आश्चर्या से बोली,,,,,,असल मे विकी सुरभि के साथ ही कॉलेज मे पढ़ता था,,,,उसका भी आज ग्ज़ॅम था,,,,,लेकिन वो पढ़ाई की टेन्षन लेने वालो मे से नही था,,,,,,

"उसका तो नाम ही मत लो आप मेरे सामने,,,,समझता क्या है पता नही खुद को,,,,,,मुझे नहीं जाना है उसके साथ,,,,,हर वक्त बकवास करता रहता है,,,,,,मैं खुद चली जौंगी",,,,वो विकी से चिड़ी हुई थी,,,,,,

"अर्रे बेटा तू उसकी बातो का बुरा क्यूँ मान जाती है,,,,,,वो तो उसकी आदत है मज़ाक करने की,,,,,दोस्तो की बातो का बुरा नही मानते,,,,,,फिर तू तो उसको जानती ही है,,,,,,सबको हसाना उससे अच्छा लगता है",,,,,,मम्मी ने समझते हु कहा,,,,,

"मुझे पता है मम्मी पर वो मुझे बहुत परेशान करता है,,,,,हर बात मे मज़ाक बनता है",,,,,,वो कुछ नरम पड़ गयी थी,,,,,

"चल कोई बात नही,,,मैं उससे फोन कर देती हू,,,,,,वो तुझे यही से पिक कर लेगा",,,,,मम्मी ने मोबाइल उठाते हु कहा,,,,,,सुरभि ने कुछ ना कहा,,,,,,आख़िर था तो वो उसका बचपन का दोस्त ही,,,,,

"नमस्ती,,,,,,,आंटी जी कहि क्या बात है",,,,,उधर से विकी की आवाज़ आई,,,,,वो जानता था सुरभि की मम्मी किसी काम से ही फोन करती हैं,,,,,,

मम्मी:"बेटा तुम्हारा और सुरभि का ग्ज़ॅम है ना आज,,,,तुम उससे घर से पिक कर लेना,,,,,ठीक है बेटा",,,,,

"ठीक है आंटी जी अभी तो मैं सागर के साथ हू,,,,,,1 घंटे मे आपके घर पहुचता हू,,,,उससे कह देना रेडी रहे",,,,,,,विकी के तो मानो जैसे दिल की बात हो गयी,,,,,,उससे पता था सुरभि उसके साथ कभी न्ही जागी,,,,लेकिन ये तो लॉटरी लग गयी थी,,,,,,गाड़ी का क्सलेटर पूरा दब चुका था,,,,,गाड़ी हवा से बाते कर रही थी,,,,,,

सुरभि अपने रूम मे बैठी विकी का इंतेज़ार कर रही थी,,,,,,,लेकिन विकी टाइम से पहले ही सुरभि के घर पहुच गया था,,,,,,नीचे से मोटरसिकल के हॉर्न की आवाज़ आ रही थी,,,,,,,,लेकिन सुरभि ने ध्यान ही नही दिया,,,,,,उससे पता था विकी तो अपनी सफ़ारी लेके आगा,,,,,लेकिन चालाकी तो विकी की नस नस मे भरी हुई थी,,,,,,वो मोटरसिकल लेकर आया था,,,,,,,,जब बहुत देर तक हॉर्न बजाने के बाद भी कोई नही आया तो विकी को खुद अंदर आना पड़ा,,,,,,,वो सीधे उसके रूम मे पहुच गया,,,,,,

"क्या कान मे कॉटन डाल के बैठी हो,,,,,इतनी देर से हॉर्न बजा रहा हू,,,,सुनाई नही देता क्या",,,,,,,

"अर्रे लेकिन मुझे तो तुम्हारी गाड़ी का हॉर्न सुनाई ही नही दिया",,,,सुरभि ने हैरानी से कहा

"कब से हॉर्न बजा रहा हू मोटरसिकल का,,,,,पूरा मोहल्ला जमा हो गया और तुमने सुना ही नही",,,,,

"लेकिन तुम,,,तुम मोटरसिकल क्यू ले के आ हो,,,,,गाड़ी कहा है तुम्हारी,,,,,मैं नही जौंगी मोटरसिकल पे",,,,सुरभि विकी की चालाकी समझ गयी थी,,,,,,

"देखो जाना है तो मोटरसिकल से ही जाना पड़ेगा,,,,,मेरी गाड़ी खराब है",,,,,विकी ने बहाना बनाया,,,,,,,
"नही मैं नही जौंगी उसपे",,,,,,सुरभि आडी हुई थी
"देखो जान अब ग्ज़ॅम टाइम होने ही वाला है,,,,,तुम पैदल जाओगी तो ग्ज़ॅम तो गया काम से तुम्हारे पास ऑप्षन ही नही है",,,,,,,आँखों मे शैतानी भर आई थी,,,,,,

कुछ देर सोचने के बाद जब सुरभि को कोई ऑप्षन नही मिला तो फिर मरती क्या ना करती,,,,,,जाने के लि राज़ी होना पड़ा,,,,,"ठीक है तुम्हे तो देख लूँगी फिर कभी,,,,,बहुत चालक बनते हो खुद को"
"फिर कभी क्यूँ तुम कहो तो हम अभी दिखा दे",,,,,विकी ने उसके कान मे कहा और बाहर भाग आया,,,,,,वो बाहर निकल के बाइक स्टार्ट करके खड़ा हो गया,,,,,,सुरभि आई और के साइड पैर करके बैठने लगी,,,,,,विकी ने बिके बंद कर दी,,,,,,

सुरभि:"क्या हुआ"
"मेरी जान अगर जाना है तो दोनो तरफ पैर करके बैठना होगा,,,मुझसे ऐसे बाइक नही चलाई जाती,,,,,क तरफ को भागती है बाइक",,,,,विकी जानता था के अगर वो क तरफ पैर करके बैठी तो सारा प्लान चौपट हो जागा,,,,,,और जिन आँो के स्पर्श के लि वो तड़प रहा है,,,,,वो बचा लि जाँगे,,,,,,

"तुम अनोखे हो क्या,,,,,सब ही लोग चला लेते हैं",,,,,सुरभि बर्दस्त कर रही थी,,,,,अगर ग्ज़ॅम ना होता तो विकी को खरी खोटी पड़ गयी होती,,,,,

"मुझे नही पता है,,,,,मुझसे नही चलाई जाती,,,,,अगर जाना है तो दोनो तरफ पैर करके बैठो,,,,वरना मैं जा रहा हू",,,,,,विकी की भी प्लॅनिंग पूरी थी,,,,,सुरभि को आख़िर मान ना ही पड़ा,,,वो दोनो तरफ पैर करके बैठ गयी,,,,,बाइक खुले आसमान मे पहाड़ो के पहत्रीले रास्तो पे दौड़ने लगी,,,,,,विकी बार बार अगले ब्रेक लगा रहा था,,,,,,और अचानक ब्रेक लगने से जो होता है,,,,,वो हो जा रहा था,,,,,,सुरभि के लाख बचाने के बावजूद उसके चुचियाँ विकी की पीठ से भिड़ जा रही थी,,,,,
"देखो मैं जानती हू,,,,,तुम ये ब्रेक क्यू लगा रहे हो,,,,,,मान जाओ वरना मैं",,,,,

"वरना क्या,,,,वरना तुम क्या करोगी,,,,,इन्न रास्तो पे ब्रेक नही लगाउ तो क्या खाई मे बाइक गिरा दू",,,,,विकी ने उसको बीच मे ही टोक दिया,,,,,बेचारी कर भी क्या सकती थी,,,,,बैठी रही ऐसे ही,,,,,
विकी मान ही नही रहा था,,,,उसको तो गोलडेन ऑप्परच्निटी मिल गयी थी,,,,,इससे कैसे वो जाने देता,,,,,,,बार बार टकराने से निपल्स कड़े हो गये थे,,,,,और पीठ मे चुबहे जा रहे थे,,,,,ये चुभन सीधे जाके उसकी जाँघो मे छुपे हु उसके हथियार को जागृत कर रही थी,,,,,विकी को बहुत मज़ा आ रहा था,,,,,,मज़ा तो शायद सुरभि को भी बहुत आ रहा था,,,,,,,चुचियो मे तनाव बढ़ रहा था,,,,,,निपल्स कठोर हो गये थे,,,,,,नीचे पॅंटी मे कुछ रेंगता हुआ महसूस हो रहा था,,,,,,थी तो वो भी क आम लड़की ही,,,,लेकिन उसके अहम के आगे सब कुछ कमज़ोर था,,,,,लेकिन हा प्रतिरोध कुछ कम हो गया था,,,,,,विकी तो जैसे बाइक पे नही आनंद के घोड़े पे सवार था,,,,,,,बरसो की ख्वाइश पूरी हो रही थी,,,,,,

"लेकिन कुछ कमी उससे महसूस हो रही थी,,,,,,उसके दिमाग़ मे क प्लान आया,,,,वो ख़ाइयों के बिल्कुल करीब से बाइक निकाल रहा था,,,,,,जैसे ही खाई आती थी,,,,,सुरभि कद्ूम से उससे चिपक जाती थी,,,,,,दो बदन क मे समा जाते थे,,,,,चुचियाँ पीठ मे समा जाती थी,,,,,, हाथ बगल से होते हु विकी को जाकड़ लेते थे,,,,,,मिलाप इतना ज़ोरदार होता था के विकी निहाल हो जाता था,,,,,"ये क्या कर रहे हो,,,,,,इतने करीब से क्यू निकाल रहे हो",,,,,सुरभि से आख़िर रहा ना गया,,,,वो झल्ला गयी,,,,,

"अर्रे सामने से गाड़ियाँ आ रही हैं,,,,,मैं क्या करू",,,,विकी शरारती सूरत बना के बोला,,,,,
रास्ते भर यही सिलसिला जारी रहा,,,,,कभी ब्रेक,,,,,कभी खाई का डर,,,,,,विकी का प्लान कामयाब रहा,,,,,,आख़िर प्लान था भी मास्टरमाइंड का बनाया हुआ,,,,,ग्ज़ॅम के बाद विकी की चाल नही चली,,,,,,सुरभि उसके साथ जाने से मना करने लगी,,,,,,,विकी को फिर उसको क तरफ पैर करके बिठा कर लाना पड़ा,,,,,,लेकिन उसका काम तो हो चुका था,,,,,बार बार के झटको ने उसको इतना चड़ा दिया था के उससे कॉलेज पहुचते ही बाथरूम का सहारा लेना पड़ा,,,,,,,वो सुरभि को घर छ्चोड़ के चला गया,,,,,,

"आ गई तू बेटा,,,,,कैसा हुआ ग्ज़ॅम",,,मम्मी उससे लॉबी मे ही मिल गयी,,,,,

"अच्छा हुआ मम्मी,,,,,,खाना लगा दो बहुत भूख लगी है",,,,सुरभि थक चुकी थी,,,,,,

"अर्रे खाना भी खा लेना पहले उपर जा के तो देख ले कौन आया है",,,मम्मी ने हस्ते हु कहा,,,,,,

"कौन आया है",,,,,सुरभि की आँखों मे चमक आ गयी,,,,"क्याअ!!! दीपक भैया आ गये,,,,,लेकिन वो तो अगले महीने आने वाले थे",,,,,,,वो उपर की तरफ दौड़ पड़ी,,,,,"दीपक भयियैयीययाया"

"दीपक",,,,जैसा नाम वैसा उसका स्वाभाव,,,,,,,सबका चहेता,,,,,पूरे इलाक़े के लड़के उसके जैसा बन ना चाहते थे,,,,,,,आख़िर अपनी मेहनत के बल पे खुद को प्रूफ किया था उसने,,,,,,,अपनी कड़ी मेहनत के बाद को-सिटी बन गया था,,,,,,पूरे गाओं को उस पे फक्र था,,,,,,,,और सुरभि को तो ख़ास तौर पे,,,,,,,,,,,

"भैयाआआअ कैसे हो आप,,,,,आने से पहले बता तो देते,,,,,,,मैने कितनी प्लांनिंग्स की थी आपके आने की,,,,,,,कितने सरप्राइज़स सोच के रखे थे,,,,लेकिन आपने सब गड़बड़ कर दी",,,,,,सुरभि कमरे मे आते ही अपने भाई के गले लग गयी,,,,,,,,वो खुशी से फूली नही समा रही थी,,,,,,,

"तू मुझे क्या सर्प्राइज़ देगी मैने खुद ही तुझे सर्प्राइज़ दे दिया",,,,,दीपक का मन भी बहुत खुश था,,,,,,

"चलि भैया कोई बात नही,,,,,,सरप्राइज़स तो आते जाते रहते हैं,,,,,,लेकिन इश्स बार मैं आपको जल्दी नही जाने दूँगी,,,,,हर बार आप क दो दिन मे ही भाग जाते हो काम का बहाना बना कर,,,,,,,इस बार कितनी छुट्टी लेके आ हो",,,,,,,,सुरभि ने भाई से अलग होते हु कहा,,,,,,,,

"इस बार मैं कही नही जाने वाला,,,,,अगेन इट्स सर्प्राइज़ 4 यू,,,,,मेरी पोस्टिंग अब नैनीताल मे ही हो गयी है,,,,,,मेरे सीनियर ऑफिसर्स ने मेरे काम से खुश होकेर मेरा ट्रान्स्फर यहा किया है",,,,दीपक ने हस्ते हु कहा,,,,,,,,

"क्याआ,,,,आइ लव यू भैया,,,,,,अब तो बहुत मज़े आँगे,,,,,,अब मैं शान से कह सकती हू,,,,नैनीताल के को मेरे भैया हैं",,,,,,सुरभि तो जैसे खुशी के मारे आसमान मे उड़ रही थी,,,,,उसके दिल की हर ख्वाहिश पूरी हो रही थी,,,,,,,,

सुरभि:"भैया मुझे आप से बहुत सारी बाते करनी हैं,,,,,,लेकिन अभी आप आराम कर लीजि,,,,,,मैं भी थक गयी हू,,,,,,ग्ज़ॅम बहुत लंबा था,,,,,ओके भैया",,,,,,

दीपक: ओके माइ लिट्ल सिस,,,,,मैं आराम कर के विकी से मिलने जाउन्गा,,,,,बहुत दिन हो गये उससे मिले हु",,,,,,,,दीपक विकी को बहुत मानता था,,,,,और विकी भी दीपक को अपना गुरु समझता था,,,,,,

"वो बेवकूफ़ अभी मुझे छ्चोड़ के अपने घर गया है,,,,,,,उससे पता नही है के आप आ हु हैं वरना अभी आ जाता,,,,,,चमचा कही का",,,,,,,सुरभि को विकी की मोटरसिकल वाली हरकत याद आ गयी,,,,,

दीपक:"चलो कोई नही मैं उससे खुद मिल लूँगा,,,,,,और मम्मी बता रही थी सागर भी आ गया है,,,,साथ साथ उससे भी मुलाकात हो जागी",,,,,

सुरभि:"ठीक है भैया जैसा आप चाहे,,,मैं नीचे जा रही हू,,,कोई काम हो तो बुला लेना"

साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

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