Thursday, June 10, 2010

अंदाज़-ए-इश्क़ पार्ट --3

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अंदाज़--इश्क़ पार्ट --3

सागर को विकी ने उसके घर छ्चोड़ दिया था,,,,,,,उस चुदाई सेशन के बाद सागर बहुत थकान महसूस कर रहा था,,,,,,

सागर:"मम्मी मैं थक गया हूँ,,,,,रात भर पार्टी मे था सो नही पाया हू,,,,,,मेरा नाश्ता उपर ही भेज दो,,,,,,मैं अब कुछ खा के सो जाउन्गा",,,,,,,

"ठीक है बेटा अभी भेज देती हू,,,,,,कोई और काम हो तो बता दो,,,,,,,मुझे भी अब मंदिर जाना है,,,,,फिर उसके बाद नंदिनी की मम्मी के साथ कीर्तन मे जाना है,,,,,,,दिन मे भंडारा होगा होगा और मैं रात को भी नही आ पाउन्गि,,,,,,,रात को जागरण है,,,,,,,,इसीलि कोई काम है तो बता दो",,,,,,,उन्होने सागर से पूछा,,,,,,,सागर का चेहरा तो कदम खिल पड़ा,,,,,,,,नंदिनी की मम्मी भी जा रही हैं ये सुन के उसकी तो लॉटरी लग गयी,,,,,,,,,

"नही मम्मी कोई काम नही है,,,,,आप चिंता मत कीजि कोई काम नही है",,,,,,सागर ने नॉर्मल रिक्ट करते हु जवाब दिया,,,,,,,,

"ठीक है बेटा",,,,,,"जाओ उपर जा के नहा लो मैं नाश्ता भेज देती हू"

सागर ने नाश्ता किया और नंदिनी के बारे मे सोचते हु उससे कब नींद आ गयी उससे खुद पता नही चला,,,,,,जब उसकी नींद खुली तो शाम के 4 बाज रहे हे,,,,,,वो झट से उठा और नंदिनी को फोन लगाया,,,,,,,,

"हेलो,,,,कैसी हो मेरी जान,,,,,,"सागर मूड मे था,,,,,,

"मैं ठीक हू,,,,,तुम कैसे हो",,,नंदिनी झेप गयी थी,,,पहली बार किसी लड़के के मूह से अपने लि 'जान' शब्द सुना था,,,,,,,,
"क्या मम्मी घर पे हैं"

"नही मम्मी तो तुम्हारी मम्मी के साथ बाहर गयी हुई हैं,,,,,और पापा भी देर तक आँगे बोल के गये हैं",,,,,,,नंदिनी ने जो पूछा था उससे भी आगे तक बता दिया,,,,,,वो जानती थी अगला सवाल यही होगा,,,,,,

"अर्रे मैने पापा के बारे मे कब पूछा ,,,,,,खैर ये छ्चोड़ो,,,,मैने लवर्स पॉइंट जाने का प्रोग्राम बनाया है,,,,जल्दी से तैयार हो जाओ,,,,,,मैं 10 मिनट मे तुम्हारे घर पहुच रहा हू",,,,,,,,सागर बहुत जल्दी मे था,,,,,,,

"लेकिन किसी ने देख लिया तो,,,,,नही मैं नही जा सकती",,,,,,जाना तो नंदिनी भी चाहती थी,,,,लेकिन लड़की नखरे ना दिखा तो लड़की कैसी,,,,,,,,

"अर्रे तुम भी ना देख ले तो देख ले,,,,,घूमने ही तो जा रहे हैं,,,,फिर ऐसा मौका अकेले जाने का नही मिलेगा,,,,सोचो लवर्स पॉइंट की वो उँची चोटी,,,,,,,सिर्फ़ तुम और मैं,,,,,,सारी दुनिया से अलग,,,,सब लोगो से दूर,,,,पहाड़ो की छओ मे,,,,,,हाथो मे हाथ होंगे,,,,,आँखों मे आँखें,,,,,,कितना मज़ा आयगा,,,,,,प्लीज़ मूड को स्पायिल मत करो,,,,,चलो ना यार",,,,,,सागर हार नही मान ना चाहता था,,,,,

"ठीक है लेकिन हम जल्दी वापस आ जाँगे",,,,,,सागर की बातो ने नंदिनी का दिल खिला दिया,,

सागर:"अर्रे जल्द ही आ जाँगे,,,पहले चलो तो सही,,,,मैं अभी आता हू",,,,,,,,सागर ने अपनी बाइक निकली और नंदिनी को लेके चल दिया लवर्स पॉइंट की ओर,,,,,,,


वाहा पे दोनो ने खूब मस्ती की,,,,हालाँकि सागर अपनी लिमिट्स मे ही रहा,,,,वो नंदिनी को जानता था,,,,,,उसकी किसी भी हरकत पे वो बुरा मान सकती थी,,,,वो नंदिनी को खोना नही चाहता था,,,,इसीलि उसने अपने जज़्बातो को काबू मे रखा,,,,,,,रात को घर लौट ते हु देर हो गयी थी,,,,,हालाँकि वो घर पहुच गये थे,,,,,,नंदिनी के घर के बाहर,,,,,

"मैने कहा था ना हमे जल्दी चलना चाहि था,,,,देखो कितना टाइम हो गया है",,,,,नंदिनी ने चिंतित होते हु कहा,,,,,

"अर्रे तुम इतना क्यू डर रही हो,,,,घर पे कौन है जो तुम्हे देर से आने पे टोकेगा",,,,,सागर ने हस्ते हु कहा,,,,

"हा पापा तो देर से ही आँगे,,,,,,ठीक है मैं चलती हू",,,,,,,नंदिनी ने सहज होते हु कहा
सागर:"अर्रे जानेमन हमे ठीक से बाइ तो कह लेने दो,,,,फिर चले जाना",,,,,,सागर ने नंदिनी के दुपट्टे को पकड़ लिया,,,,,और नंदिनी के आगे बढ़ जाने के कारण,,,,,उसकी छातियाँ खुल गयी,,,,,,नंदिनी ने बड़े गले की कमीज़ पहन रखी थी,,,,,,दुपट्टे के हटने से उपर की गोलाइयाँ झलक उठी,,,,,,बीच की खाई बड़ी मस्त लग रही थी,,,,क तो कुवारि चूचियाँ उपर से चाँद की नीला रोशनी,,,,,सब कुछ मिल के नज़ारा किसी को भी बेकाबू करने को काफ़ी था,,,,,सागर की निगाहें तो बस वही पे जैसे चिपक गयी थी,,,,,

"अर्रे ऐसे घूर के क्या देख रहे हो,,,शरम नही आती क तो दुपट्टा खीच लिया और अब घूरे जा रहे हो",,,,,नंदिनी झेपति हुई बोली,,,,,वो समझ गयी थी के सागर की नज़र कहा पे है,,,,,उसने झट से दुपट्टा सागर से छीन के ओढ़ लिया,,,,,

"क बात कहु",,,,सागर अब मूड मे था,,,,
"क्या",,,,नंदिनी भी भाप गयी थी,,,,
"तुम्हारे ये बड़े मस्त हैं",,,सागर ने मुस्कुराते हु कहा,,,,,
"क्या",,,,हालाँकि वो समझ गयी थी,,,,,लेकिन बनने की आक्टिंग कर रही थी,,,,
"अर्रे ये इतने बड़े बड़े तो हैं",,,,सागर ने आख़िर शर्म की चादर गिरा दी और चुचियो की ओर इशारा कर दिया,,,,,
"चुप,,,,,,बड़े बदमाश हो",,,,नंदिनी शरमाती हुकदूम से मूड गयी,,,,,शायद वो अपनी अनमोल धरोहर हो छिपाना चाहती थी,,,,
"अर्रे इसमे बदमाशी वाली कौन सी बात है,,,,,मैने जाने कितने बार तुम्हारी खूबसूरती की तारीफ़ की है,,,,ये भी तुम्हारी खूबसूरती का क हिस्सा हैं,,,इनकी तारीफ़ कर दी तो क्या बुरा कर दिया",,,,सागर अब खुल के बोल रहा था,,,,उससे नंदिनी की आँखों से ग्रीन सिग्नल मिल चुका था,,,,,
"मैं तो तुम्हे बहुत शरीफ समझती थी,,,,,,लेकिन तुम तो बहुत,,,,,",,,,,,नंदिनी भी अब खुल के बोल रही थी,,,,,लेकिन कुछ सोच के वो रुक गयी ओर नीचे देख के मुस्कुराने लगी,,,,,
"हा इसी कातिल अदा ना तो हमे तुम्हारा दीवाना बनाया है,,,,,देख लेना क दिन ये मुस्कान हमे कही का नही छ्चोड़ेगी",,,,सागर फुल मूड मे था,,,,,
"अच्छा अब ज़्यादा बाते मत बनाओ,,,,,बहुत रात हो रही है,,,,,मुझे अंदर जाने दो और तुम भी अपने घर जाओ अंकल आने वाले होंगे,,,,,,समझे",,,,नंदिनी ने उसको धकेलते हु कहा,,,,,
"अर्रे कहा अभी टाइम ही क्या हुआ है,,,,अभी सिर्फ़ 10 बजे हैं,,,,,यही तो अच्छे लोगो के सोने का टाइम होता है,,,,,,और हम जैसे आशिको को कुछ करने का मौका मिलता है",,,,सागर भी हार मान ने वालो मे से नही था,,,,,
नंदिनी:"क्या मतलब,,,,,ज़्यादा चालक मत बनो,,,,,सब समझती हू मैं,,,अब जाने का क्या लोगे",,,,,,
"सिर्फ़ क किस",,,,,सागर तो मौके की तलाश मे था,,,,
"अर्रे तुम तो बेशरम होते जा रहे हो,,,,,मैं नही दूँगी",,,,,नंदिनी ने सागर की आँखों मे आँखें डालने की कोशिश की लेकिन उसकी कोशिश नाकामयाब रही,,,,,,वो फिर से नीचे मूह करके मुस्कुराने लगी,,,,,सागर की आँखों मे प्यार इतना था,,,,,वो उनका सामना कर ही ना पाई,,,,,सागर ने नंदिनी के चेहरे को उपर उठाया,,,,,और दोनो की क दूसरे से आँखें मिल गयी,,,,,सागर के होन्ट बीच की दूरी को कम करते हु नंदिनी के होंटो के कदम करीब आ गये,,,,,,नंदिनी की आँखें की अद्भुत घटना की आशंका से बंद हो गयी,,,,,,,,आख़िर बीच की दूरी बिल्कुल ख़त्म हो गयी,,,,,,सागर के होन्ट नंदिनी के लरजते हु गुलाबी होंटो से टकरा गये,,,,,नंदिनी की ओर से कोई प्रतिरोध नही था,,,,,वो तो बस आनंद को महसूस कर रही थी,,,,,होन्ट आपस मे लड़ रहे थे,,,,,,अब नंदिनी भी सहयोग दे रही थी,,,,,काफ़ी देर तक वो चुंबन क्रिया मे लगे रहे,,,,,तभी सागर के घर से कुछ टूटने की आवाज़ आई,,,,,,दोनो अलग हो गये,,,,,,नंदिनी की साँसे बहू तेज़ चल रही थी,,,,,वो नीचे की ओर देखती हुई पीछे हट गयी,,,,,सागर का ध्यान कदम से अपने घर की और गया,,,,आवाज़ वही से आई थी,,,,,

"घर मे तो कोई नही था,,,,,,ये आवाज़ कहा से आई",,,,,,सागर ने घर की ओर देखते हु कहा,,,,,

"कोई बात नही मैं देखता हू,,,,,तुम अंदर जाओ,,,गुड नाइट,,,,बब्य",,,,सागर ने नंदिनी को अंदर तक छ्चोड़ दिया,,,,,और अपने घर की तरफ चल दिया,,,,,,,

साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

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