Saturday, June 5, 2010

मैं हूँ हसीना गजब की --पार्ट--4

raj sharma stories

मैं हूँ हसीना गजब की --पार्ट--4


गतान्क से आगे........................

वो भोचक्के से कुच्छ देर तक मेरी आँखों मे झाँकते रहे.

"मुझे सब पता है. मुझे पहले ही संदेह हो गया था. पंकज को ज़ोर
देकर पूचछा तो उसने स्वीकार कर लिया."

" तुम......तुमने कुच्छ कहा नही? तुम नयी बीवी हो उसकी तुमने उसका
विरोध नही किया?" कमल ने पूचछा.
" विरोध तो आप भी कर सकते थे. आप को सब पता था लेकिन आप ने
कभी दोनो को कुच्छ कहा नही. आप तो मर्द हैं और उनसे बड़े भी."
मैने उल्टा उनसे ही सवाल किया.

" चाह कर भी कभी नही किया. मैं दोनो को बेहद चाहता हूँ
और......."

" और क्या?"

" और.......कल्पना मुझे कमजोर समझती है." कहते हुए उन्हों ने
अपना चेहरा नीचे झुका लिया. मैं उस प्यारे इंसान की परेशानी पर
अपने को रोक नही पायी. और मैने उनके चहरे को अपनी हथेली मे भर
कर उठाया. मैने देखा की उनके आँखों के कोनो पर दो आँसू चमक
रहे हैं. मैने ये देख कर तड़प उठी. मैने अपनी उंगलियों से उनको
पोंच्छ कर उनके चेहरे को अपने सीने पर खींच लिया. वो किसी
बच्चेकी तरह मेरी चूचियो से अपना चेहरा सटा रखे थे.

"आपने कभी किसी डॉक्टर से जाँच क्यों नही करवाया" मैने उनके
बालोंमे अपनी उंगलियाँ फिराते हुए पूचछा.

" दिखाया था. कई बार चेक करवाया"

" फिर?"

" डॉक्टर ने कहा........ " दो पल को वो रुके. ऐसा लगा मानो सोच
रहेहों कि मुझे बताएँ या नही फिर धीरे से कहा " मुझमे कोई कमी
नहीहै."

" क्या?" मैं ज़ोर से बोली, " फिर भी आप सारा दोष अपने ऊपर लेकर
चुप बैठे हैं. आपने किसी को बताया क्यों नही? ये तो बुजदिली है."

" अब तुम इसे मेरी बुजदिली समझो चाहे जो भी. लेकिन मैं उसकी उमीद
कोतोड़ना नही चाहता. भले ही वो सारी जिंदगी मुझे एक नमार्द समझती
रहे."

" मुझे आप से पूरी हमदर्दी है. लेकिन मैं आपको वो दूँगी जो
कल्पना भाभी ने नही दिया."

वो चोंक कर मेरी तरफ देखे. उनकी गहरी आँखों मे उत्सुकता थी मेरा
जवाब सुनने की. मैने आगे कहा, " मैं आपको अपनी कोख से एक बच्चा
दूँगी."

" क्या???? कैसे??" वह हॅड बड़ा उठे.

" अब इतने बुद्धू भी आप हो नही कि समझना पड़े कैसे." मैं उनके
सीने से लग गयी, " अगर वो दोनो आपकी की चिंता किए बिना जिस्मानी
ताल्लुक़ात रख सकते है तो आपको किसने ऐसा करने से रोका है?" मैने
अपनी आँखें बंद कर के फुसफुसते हुए कहा जो उसके अलावा किसी को
सुनाई नही दे सकता था.



इतना सुनना था कि उन्हों ने मुझे अपने सीने मे दाब लिया. मैने अपना
चेहरा उपर उठाया तो उनके होंठ मेरे होंठों से आ मिले. मेरा बदन
कुच्छ तो बुखार से और कुच्छ उत्तेजना से तप रहा था. मैने अपने
होंठ खोल कर उनके होंठों का स्वागत किया. उन्होने मुझे इस तरह
चूमना शुरू किया मानो बरसों के भूखे हों. मैं उनके चौड़े सीने
के बालों पर अपनी उंगलियाँ फिरा रही थी. उन्हों ने मेरे गाउन को बदन
पर बँधे उस डोर को खींच कर खोल दिया. मैं पूरी तरह नग्न
उनके सामने थी. मैने भी उनके पायजामे के उपर से उनके लिंग को अपने
हाथों से थाम कर सहलाना शुरू किया.

" एम्म्म काफ़ी मोटा है. दीदी को तो मज़ा आ जाता होगा?" मैने उनके लिंग
को अपनी मुट्ठी मे भर कर दबाया. फिर पायजामे की डोरी को खोल कर
उनके लिंग को बाहर निकाला. उनका लिंग काफ़ी मोटा था. उसके लिंग के
ऊपर का सूपड़ा एक टेन्निस की गेंद की तरह मोटा था. कमल्जी गोरे
चिट थे लेकिन लिंग काफ़ी काला था. लिंग के उपर से चंदे को नीचे
किया तो मैने देखा कि उनके लिंग के मुँह से पानी जैसा चिप चिपा
रस निकल रहा है. मैने उनकी आँखों मे झाँका. वो मेरी हरकतों को
गोर से देख रहे थे. मैं उनको इतनी खुशी देना चाहती थी जितनी
कल्पना दीदी ने भी नही दी होगी. मैने अपनी जीभ पूरी बाहर
निकली. और स्लो मोशन मे अपने सिर को उनके लिंग पर झुकाया. मेरी
आँखे लगातार उनके चेहरे पर टिकी हुई थी. मैं उनके चेहरे पर
उभरने वाली खुशी को अपनी आँखों से देखना चाहती थी. मैने अपनी
जीभ उनके लिंग के टिप पर लगाया. और उसस्से निकालने वाले रस को
चाट कर अपनी जीभ पर ले लिया. फिर उसी तरह धीरे धीरे मैने
अपना सिर उठा कर अपने जीभ पर लगे उनके रस को उनकी आँखों के
सामने किया और मुँह खोल कर जीभ को अंदर कर ली. मुझे अपना रस
पीते देख वो खुशी से भर उठे और वापस मेरे चेहरे पर अपने
होंठ फिराने लगे. वो मेरे होंठों को मेरे कानो को मेरी आँखों को
गालों को चूमे जा रहे थे और मैं उनके लिंग को अपनी मुट्ठी मे भर
कर सहला रही थी. मैने उनके सिर को पकड़ कर नीचे अपनी
छातियो से लगाया. वो जीभ निकाल कर दोनो चूचियो के बीच की
गहरी खाई मे फिराए. फिर एक स्तन को अपने हाथों से पकड़ कर उसके
निपल को अपने मुँह मे भर लिया. मेरे निपल पहले से ही तन कर
कड़े हो गये थे. वो एक निपल को चूस रहे थे और दूसरी चूची
को अपनी हथेली मे भर कर मसल रहे थे. पहले धीरे धीरे
मसले मगर कुच्छ ही देर मे दोनो स्तनो को पूरी ताक़त से मसल
मसल कर लाल कर दिए. मैं उत्तेजना मे सुलगने लगी. मैने उनके लिंग
के नीचे उनकी गेंदों को अपनी मुट्ठी मे भर कर सहलाना शुरू किया.
बीच बीच मे मेरे फूले हुए निपल्स को दन्तो से काट रहे थे.
जीभ से निपल को छेड़ने लगते. मैं "सीईई…..
आआअहह….म्‍म्म्ममम… उन्न्ञन्… " जैसी आवाज़ें निकालने से नही रोक पा
रही थी. उनके होंठ पूरे स्तन युगल पर घूमने लगे. जगह जगह
मेरे स्तनो को काट काट कर अपने मिलन की निशानी छ्चोड़ने लगे. पूरे
स्तन पर लाल लाल दन्तो के निशान उभर आए. मैं दर्द और उत्तेजना मे
सीईएसीए कर रही थी. और अपने हाथों से अपने स्तनो को उठाकर
उनके मुँह मे दे रही थी.

"कितनी खूबसूरत हो….." कमल ने मेरे दोनो बूब्स को पकड़ कर
खींचते हुए कहा.

"आगे भी कुच्छ करोगे या इनसे ही चिपके रहने का विचार है." मैने
उनको प्यार भारी एक झिड़की दी. निपल्स लगातार चूस्ते रहने के
कारण दुखने लगे थे. स्तनो पर जगह जगह उनके दन्तो से काटने के
लाल लाल निशान उभरने लगे थे. मैं काफ़ी उत्तेजित हो गयी थी.
पंकज इतना फोरप्ले कभी नही करता था. उसको तो बस टाँगें चौड़ी
करके अंदर डाल कर धक्के लगाने मे ही मज़ा आता था.

उन्हों ने मेरी टाँगों को पकड़ कर नीचे की ओर खींचा तो मैं
बिस्तर पर लेट गयी. अब उन्हों ने मेरे दोनो पैरों को उठा कर उनके
नीचे दो तकिये लगा दिए. जिससे मेरी योनि उपर को उठ गयी. मैने
अपनी टाँगों को चौड़ा करके छत की ओर उठा दिए. फिर उनके सिर को
पकड़ कर अपनी योनि के उपा दबा दिया. कमल जी अपनी जीभ निकाल कर
मेरी योनि के अंदर उसे डाल कर घुमाने लगे पूरे बदन मे सिहरन
सी दौड़ने लगी. मैं अपनी कमर को और ऊपर उठाने लगी जिससे उनकी
जीभ ज़यादा अंदर तक जा सके. मेरे हाथ बिस्तर को मजबूती से थाम
रखे थे. मेरी आँखों की पुतलियान पीछे की ओर उलट गयी और मेरा
मुँह खुल गया. मैं ज़ोर से चीख पड़ी,


" हाआअँ और अंदार्रर्ररर. कमाआल आआआहह ऊऊओह
इतनीईए दीईइन कहाआन थीईए. मैईईईन पाआगाअल हो
जाउउउउन्गीईईईई . ऊऊऊओह उउउउउईईईइ माआआअ क्याआआ
कारर्र रहीईई हूऊऊओ कमाआाअल मुझीईई सम्हलूऊऊ
मेराआआ छ्च्ट्नेयी वलाआअ हाईईईईईई. कॅमेययायायायाल इसीईईईईईई
तराआअह साआरी जिन्दगीईई तुम्हाआरि दूओसरीईई बिवीईईइ
बनकर चुड़वटिईई रहूऊऊओँगी" एक दम से मेरी योनि से वीर्य की
बाढ़ सी आई और बाहर की ओर बह निकली. मेरा पूरा बदन किसी पत्ते
की तरह कान्प्प रहा था. काफ़ी देर तक मेरा स्खलन होता रहा. जब
सारा वीर्य कमाल जी के मुँह मे उधेल दिया तो मैने उनके सिर को
पकड़ कर उठाया. उनकी मूच्छें, नाक होंठ सब मेरे वीर्य से सने
हुए थे. उन्हों ने अपनी जीभ निकाली और अपने होंठों पर फिराई.

"छि गंदे." मैने उनसे कहा.

"इसमे गंदी वाली क्या बात हुई?" ये तो टॉनिक है. तुम मेरा टॉनिक पी
कर देखना अगर बदन मे रंगत ना अजाए तो कहना.

" जानू अब आ जाओ." मैने उनको अपने उपर खींचा. "मेरा बदन तप
रहा है. बुखार मे कमज़ोरी आती जा रही है. इससे पहले की मैं थक
जाउ मेरे अंदर अपना बीज डाल दो."

कमल ने अपने लिंग को मेरे मुँह से लगाया.

"एक बार मुँह मे तो लो उसके बाद तुम्हारी योनि मे डालूँगा. पहले एक
बार प्यार तो करो इसे." मैने उनके लिंग को अपनी मुट्ठी मे पकड़ा और
अपनी जीभ निकाल उसे चूसना और चाटना शुरू कर दिया. मैं अपनी
जीभ से उनके लिंग के एकद्ूम नीचे से उपर तक चाट रही थी. अपनी
जीभ से उनके लिंग के नीचे लटकते हुए अंडकोषों को भी चाट रही
थी. उनका लिंग मुझे बड़ा प्यारा लग रहा था. मैं उनके लिंग को
चाटते हुए उनके चेहरे को देख रही थी. उनका उत्तेजित चेहरा बड़ा
प्यारा लग रहा था. दिल को सुकून मिल रहा था कि मैं उन्हे कुच्छ तो
आराम दे पाने मे सफल रही थी. उन्हों ने मुझे इतना प्यार दिया था
कि उसका एक टुकड़ा भी मैं वापस अगर दे सकी तो मुझे अपने ऊपर गर्व
होगा.

उनके लिंग से चिपचिपा सा बेरंग का प्रेकुं निकल रहा था. जिसे मैं
बड़ी तत्परता से चाट कर सॉफ कर देती थी. मैं काफ़ी देर तक उनके
लिंग को तरह तरह से चाटी रही. उनका लिंग काफ़ी मोटा था इसलिए
मुँह के अंदर ज़्यादा नही ले पा रही थी इसलिए जीभ से चाट चाट
कर ही उसे गीला कर दिया था. कुच्छ देर बाद उनका लिंग झटके खाने
लगा. उन्हों ने मेरे सिर पर हाथ रख कर मुझे रुकने का इशारा किया.

"बस.......बस और नही. नही तो अंदर जाने से पहले ही निकल
जाएगा" कहते हुए उन्हों ने मेरे हाथों से अपने लिंग को छुड़ा लिया
और मेरे टाँगों को फैला कर उनके बीच घुटने मोड़ कर झुक गये.
उन्हों ने अपने लिंग को मेरी योनि से सटाया.

"आपका बहुत मोटा है. मेरी योनि को फाड़ कर रख देगा." मैने
घबराते हुए कहा" कमल्जी धीरे धीरे करना नही तो मैं दर्द से
मर जाउन्गि."

वो हँसने लगे.

" आअप बहुत खराब हो. इधर तो मेरे जान की पड़ी है" मैने उनसे
कहा.

मैने भी अपने हाथों से अपनी योनि को चौड़ा कर उनके लिंग के लिए
रास्ता बनाया. उन्हों ने अपने लिंग को मेरी योनि के द्वार पर टीका दिया.
मैने उनके लिंग को पकड़ कर अपनी फैली हुई योनि के अंदर खींचा.

"अंदर कर दो...." मेरी आवाज़ भारी हो गयी थी. उन्हों ने अपने बदन
को मेरे बदन के ऊपर लिटा दिया. उनका लिंग मेरी योनि की दीवारों को
चौड़ा करता हुआ अंदर जाने लगा. मैं सब कुच्छ भूल कर अपने जेठ
के सीने से लग गयी. बस सामने सिर्फ़ कमल थे और कुच्छ नही. वो
ही इस वक़्त मेरे प्रेमी, मेरे सेक्स पार्ट्नर और जो कुच्छ भी मानो, थे.
मुझे तो अब सिर्फ़ उनका लिंग ही दिख रहा था.

जैसे ही उनका लिंग मेरी योनि को चीरता हुआ आगे बढ़ा मेरे मुँह
से "आआआहह" की आवाज़ निकली और उनका लिंग पूरा का पूरा मेरी
योनि मे धँस गया. वो इस पोज़िशन मे मेरे होंठों को चूमने लगे.

" अच्च्छा तो अब पता चला कि मुझसे मिलने तुम भी इतनी बेसब्र थी.
और मैं बेवकूफ़ सोच रहा था कि मैं ही तुम्हारे पीछे पड़ा हूँ.
अगर पता होता ना कि तुम भी मुझसे मिलने को इतनी बेताब हो
तो.......... " वक़्क्या को अधूरा ही रख कर वो कुच्छ रुके.

"तो?.......तो? "

" तो तुम्हे किसी की भी परवाह किए बिना कब का पटक कर ठोक चुका
होता." उन्हों ने शरारती लहजे मे कहा.

"धात..... इस तरह कभी अपने छ्होटे भाई की बीवी से बात करते
हैं? शर्म नही आती आपको?" मैने उनके कान को अपने दाँतों से
चबाते हुए कहा.

" शर्म? अच्च्छा चोदने मे कोई शर्म नही है शर्म बात करने मे ही
है ना?" कहकर वो अपने हाथों का सहारा लेकर मेरे बदन से उठे
साथ साथ उनका लिंग भी मेरी योनि को रगड़ता हुआ बाहर की ओर निकला
फिर वापस पूरे ज़ोर से मेरी योनि मे अंदर तक धँस गया.

"ऊऊहह दर्द कर रहा है." आपका वाकई काफ़ी बड़ा है. मेरी योनि
छिल गयी है. पता नही कल्पना दीदी इतने मोटे लिंग को छ्चोड़ कर
मेरे पंकज मे क्या पाती है?" मैने उनके आगे पीछे होने के र्य्थेम
से पानी र्य्थेम भी मिलाई. हर धक्के के साथ उनका लिंग मेरी योनि
मे अंदर तक घुस जाता और हुमारी कोमल झांते एक दूसरे से रगड़
खा जाती. वो ज़ोर ज़ोर से मुझे ठोकने लगे उनके हर धक्के से पूरा
बिस्तर हिलने लगता. काफ़ी देर तक वो ऊपर से धक्के मारते रहे. मैं
नीचे से अपने पैरों को उठा कर उनकी कमर को अपने लपेट ली थी.
उनके बालों भरे सीने मे अपने तने हुए निपल्स रगड़ रही थी. इस
रगड़ से एक सिहरन सी पूरे बदन मे दौड़ रही थी. मैने अपने
हाथों से उनके सिर को पकड़ कर अपने होंठ उनके होंठों पर लगा कर
अपनी जीभ उनके मुँह मे घुसा दी. मैं इसी तरह उनके लिंग को अपनी
योनि मे लेने के लिए अपने कमर को उचका रही थी. उनके जोरदार
धक्के मुझे पागल बना रहे थे. उन्हों ने अपना चेहरा उपर किया तो
मैं उनके होंठो की चुअन के लिए तड़प कर उनकी गर्देन से लटक
गयी. कमल जी के शरीर मे दम काफ़ी था जो मेरे बदन का बोझ
उठा रखा था. मैं तो अपने हाथों और पैरों के बल पर उनके बदन
पर झूल रही थी. इसी तरह मुझे उठाए हुए वो लगातार चोदे जा
रहे थे. मैं "आअहह उुउऊहह माआअ म्‍म्म्ममम उफफफफफफफ्फ़" जैसी
आवाज़ें निकाले जा रही थी. उनके धक्कों से तो मैं निढाल हो गयी
थी. वो लगातार इसी तरह पंद्रह मिनिट तक ठोकते रहे. इन
पंद्रह मिनिट मे मैं दो बार झ्हड चुकी थी लेकिन उनकी रफ़्तार मे
कोई कमी नही आई थी. उनके सीने पर पसीने की कुच्छ बूँदें
ज़रूर चमकने लगी थी. मैने अपनी जीभ निकाल कर उन नमकीन
बूँदों को चाट दिया. वो मेरी इस हरकत से और जोश मे आ गये.
पंद्रह मिनूट बाद उन्हों ने मेरी योनि से अपने लिंग को खींच कर
बाहर निकाला.

उन्हों ने मुझे किसी बेबी डॉल की तरह एक झटके मे उठाकर हाथों
और पैरों के बल घोड़ी बना दिया. मेरी टपकती हुई योनि अब उन के
सामने थी.

"म्‍म्म्मम द्डूऊऊ डॅयेयल दूऊव.आआज मुझीई जिथनाआअ जीए मे
आईई मसल डलूऊऊ. आआआः मेरिइई गर्मीईइ शाआंट कर
डूऊऊ." मैं सेक्स की भूखी किसी वेश्या की तरह छत्पता रही थी
उनके लिंग के लिए.

"एक मिनूट ठहरो." कह कर उन्हों ने मेरा गाउन उठाया और मेरी योनि
को अच्छि तरह सॉफ करने लगे. ये ज़रूरी भी हो गया था. मेरी
योनि मे इतना रस निकाला था कि पूरी योनि चिकनी हो गयी थी. उनके
इतने मोटे लिंग के रगड़ने का अब अहसाआस भी नही हो रहा था. जब
तक लिंग के रगड़ने का दर्द नही महसूस होता तब तक मज़ा उतना नही
आ पता है. इसलिए मैं भी उनके इस काम से बहुत खुश हुई. मैने
अपनी टाँगों को फैला कर अपनी योनि के अंदर तक का सारा पानी सोख
लेने मे मदद किया. मेरी योनि को अच्छि तरह सॉफ करने के बाद
उन्होने ने अपनी लिंग पर लगे मेरे रस को भी मेरे गाउन से सॉफ
किया. मैने बेड के सिरहाने को पकड़ रखा था और कमर उनके तरफ
कर रखी थी. उन्हों ने वापस अपने लिंग को मेरी योनि के द्वार पर
लगा कर एक और जोरदार धक्का दिया.

"ह्म्‍म्म्मममफफफफफफफफ्फ़" मेरे मुँह से एक आवाज़ निकली और मैने वापस
महसूस किया उनके लिंग को अपनी दुखती हुई योनि को रगड़ते हुए अंदर
जाते हुए. वो दोबारा ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगे. उनके धक्कों से
मेरे बड़े बड़े स्तन किसी पेड पर लटके आम की तरह झूल रहे थे.
मेरे गले पर पहना हुआ भारी मंगलसूत्रा उनके धक्को से उच्छल
उच्छल कर मेरे स्तनो को और मेरी थुदी को टक्कर मार रहा था.
मैने उसके लॉकेट को अपने दाँतों से दबा लिया. जिससे कि वो झूले
नही. कमल जी ने मेरी इस हरकत को देख कर मेरे मंगलसूत्रा को
अपने हाथों मे लेकर अपनी ओर खींचा. मैने अपना मुँह खोल दिया. अब
ऐसा लग रहा था मानो वो किसी घोड़ी की सवारी कर रहे हों. और
मंगलसूत्रा उनके हाथों मे दबी उसकी लगाम हो. वो इस तरह मेरी
लगाम थामे मुझे पीछे से ठोकते जा रहे थे.

"कमल...... .ऊऊऊहह. ....कमल. .....मेरा वापस झड़ने वाला
है.
तुम भी मेरा साथ दो प्लीईईसससे" मैने कमाल से मेरे साथ
झड़ने का आग्रह किया. कमल्जी ने मेरी पीठ पर झुक कर मेरे झूलते
हुए दोनो स्तनो को अपनी मुट्ठी मे पकड़ लिया और पीछे से अपने
कमर को आगे पीछे थेल्ते हुए ज़ोर ज़ोर के धक्के मारने लगे. मैने
अपने सिर को झटका देकर अपने चेहरे पर बिखरी अपनी ज़ुल्फो को
पीछे किया तो मेरे दोनो स्तनो को मसल्ते हुए जेत्जी के हाथों को
देखा. उनके हाथ मेरे निपल्स को अपनी चुटकियों मे भर कर मसल
रहे थे.

"म्‍म्म्मम….कमल……कमल……" अब हुमारे बीच कोई रिश्तों की ओपचारिकता
नही बची थी. मैं अपने जेठ को उनके नाम से ही बुला रही थी,"
कमल......मैं झाड़ रही हूँ......कमल तुम भी आ जाओ... तुम भी
अपनी धार छ्चोड़ कर संगम कर्दूऊओ"

मैने महसूस किया कि उनका लिंग भी झटके लेने लगा है. उन्हों ने
मेरे गर्दन के पास अपना चेहरा रख दिया/ उनकी गर्म गर्म साँस मेरी
गर्दन पर महसूस कर रही थी. उन्हों ने लगभग मेरे कान मे
फुसफुसते हुए कहा, " सीमी........ .मेरा निकल रहा है. आआअज
तुम्हारी कोख तुम्हारे जेठ के रस से भर जाएगी."

" भर जाने दो मेरीई जानां…….दाआल्दूओ……मेरे पेट मे अपना
बच्चा डाल दो. मैं अप्नकूऊ अपनी कोख सीईए बच्चाअ
दूँगी." मैने कहा और एक साथ दोनो के बदन से अमृत की धार बह
निकली. उनकी उंगलियाँ मेरे स्तनों को बुरी तरह निचोड़ दिए. मेरे
दाँत मेरे मंगलसूत्रा पर गड़ गये. और हम धोनो बिस्तर पर गिर
पड़े. वो मेरे उपर ही पड़े हुए थे. हमारे बदन पसीने से लत्पथ
हो रहे थे.

" आआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह कमल्जीिइईई…….आआज्जजज आआपनईए मुझीए वााक़ई
ठंडाअ कार दियाआ………आआअपनीईए………मुझीईए……वू
ऊओ…
मज़ाआअ…..दियाआअ……जिसक्ीईए …लिईईए मैईईइ…..काफ़िईईईई… .दीनो
से तड़प रही……थी…..म्‍म्म्मममम" मेरा चेहरा तकिये मे धंसा हुआ था
और मैं बड़बड़ाई जा रही थी. वो बहुत खुश हो गये. और मेरी नग्न
पीठ को चूमने लगे बीच बीच मे मेरे पीठ पर काट भी देते.
मैं बुरी तरह तक चुकी थी. वापस बुखार ने मुझे घेर लिया. पता
ही नही चला कब मैं नींद के आगोश मे चली गयी.

जेठ जी ने मेरे नग्न बदन पर कपड़े किस तरह पहनाए ये भी पता
नही चल पाया. उन्हों ने मुझे कपड़े पहना कर चादर से अच्छि
तरह लपेट कर सुला दिया. मैं सुंदर सुंदर सपनो मे खो गयी.

अच्च्छा हुआ कि उन्हों ने मुझे कपड़े पहना दिए थे वरना अपनी इस
हालत की व्याख्या पंकज और कल्पना दीदी से करना मुश्किल काम होता.
मेरे पूरे बदन पर उकेरे गये दाँतों के निशानो की सुंदर
चित्रकारी का भी कोई जवाब नही था.

जब तक दोनो वापस नही आ गये कमल जी की गोद मे ही सिर रख कर
सोती रही. और कमल जी घंटों मेरे बालों मे अपनी उंगलियाँ फेरते
रहे. बीच बीच मे मेरे गालों पर या मेरे होंठों पर अपने गर्म
होंठ रख देते.

पंकज और कल्पना रात के दस बजे तक चहकते हुए वापस लौटे.
होटेल से खाना पॅक करवा कर ही लौटे थे. मेरी हालत देख कर
पंकज और कल्पना घबरा गये. बगल मे ही एक डॉक्टर रहता था उसे
बुला कर मेरी जाँच करवाई.डॉक्टर ने देख कर कहा कि वाइरल
इन्फेक्षन है दवाइयाँ लिख कर चले गये.

दवाई खाने के बाद ही हालत थोड़ी ठीक हुई. दो दिन मे एकद्ूम स्वस्थ
हो गयी. इस दौरान हम चारों के बीच किसी तरह का कोई सेक्स का
खेल नही हुआ.

अगले दिन पंकज का जन्मदिन था. शाम को बाहर खाने का प्रोग्राम था.
एक बड़े होटेल मे सीट पहले से ही बुक कर रखे थे. वहीं पर
पहले दोनो भाइयों ने ड्रिंक्स ली फिर खाना खाया. वापस लौटते समय
पंकज बज़ार से एक ब्लू फिल्म का ड्व्ड खरीद लाए.
घर पहुँच कर हम चारों कपड़े बदल कर हल्के फ्लूके गाउन मे
हुमारे बेडरूम मे इकट्ठे हुए. फिर पहले एंपी3 चला कर कुच्छ देर
तक एक दूसरे की बीवियों के साथ हमने डॅन्स किया. मैं जेत्जी की
बाहों मे थिरक रही थी और कल्पना दीदी को पंकज ने अपने बाँहों
मे भर रखा था. फिर पंकज ने कमरे की ट्यूबलाइज्ट ऑफ कर दी और
सिर्फ़ एक हल्का नाइट लॅंप जला दिया. हम चारों बिस्तर पर बैठ गये.

पंकज ने द्वड ऑन करके ब्लू फिल्म चला दी. फिर बिस्तर के सिरहाने पर
पीठ लगा कर हम चारों बैठ गये. एक किनारे पर पंकज बैठा
था और दूरे किनारे पर कमल्जी थे. बीच मे हम दोनो औरतें थी.
दोनो ने अपनी अपनी बीवियों को अपनी बाँहों मे समेट रखा था. इस
हालत मे हम ब्लू फिल्म देखने लगे. फिल्म जैसे जैसे आगे बढ़ती
गयी कमरे का महॉल गर्म होता गया. दोनो मर्द बिना किसी शर्म के
अपनी अपनी बीवियों के गुप्तांगों को मसल्ने लगे. पंकज मेरे स्तनो को
मसल रहा था और कमल कल्पना दीदी के. पंकज ने मुझे उठा कर
अपनी टाँगों के बीच बिठा लिया. मेरी पीठ उनके सीने से सटी हुई
थी. वो अपने दोनो हाथ मेरी गाउन के अंदर डाल कर अब मेरे स्तनो को
मसल रहे थे. मैने देखा कल्पना दीदी पंकज को चूम रही थी
और पंकज के हाथ भी कल्पना दीदी की गाउन के अंदर थे. मुझे उन
दोनो को इस हालत मे देख कर पता नही क्यों कुच्छ जलन सी होने
लगी. हम दोनो के गाउन कमर तक उठ गये थे. और नंगी जंघें
सबके सामने थी. पंकज ने अपने एक हाथ को नीचे से मेरे गाउन मे
घुसा कर मेरी योनि को सहलाने लगे. मैं अपनी पीठ पर उनके लिंग की
ठिकार को महसूस कर रही थी.

कमल ने कल्पना दीदी के गाउन को कंधे पर से उतार दिया था और एक
स्तन को बाहर निकाल कर चूसने लगे. ये देख कर पंकज ने भी मेरे
एक स्तन को गाउन के बाहर निकालने की कोशिश की. मगर मेरे इस गाउन
का गला कुच्छ छ्होटा था इसलिए उसमे से मेरा स्तन बाहर नही निकल
पाया. उन्हों ने काफ़ी कोशिशें की मगर सफल ना होते देख कर गुस्से
मे एक झटके मे मेरे गाउन को मेरे बदन से हटा दिया. मैं सबके
सामने बिल्कुल नंगी हो गयी क्योंकि प्रोग्राम के अनुसार हम दोनो ने
गाउन के अंदर कुच्छ भी नही पहन रखा था. मैं शर्म के मारे अपने
हाथों से अपने स्तनो को छिपाने लगी अपनी टाँगों को एक दूसरे से
सख्ती से दाब रखी थी जिससे मेरी योनि के दर्शन ना हों.

"क्या करते हो….शर्म करो……बगल मे कमल भैया और कल्पना दीदी
हैं तुम उनके सामने मुझे नंगी कर दिए. छ्ह्हि छि क्या सोचेंगे
जेत्जी? मैने फुसफुसते हुए पंकज के कानो मे कहा जिससे बगल वाले
नही सुन सके.

"तो इसमे क्या है ? कल्पना भाभी भी तो लगभग नंगी ही हो चुकी
हैं. देखो उनकी तरफ…" मैने अपनी गर्देन घुमा कर देखा तो पाया
कि पंकज सही कह रहा था. कमल्जीई ने दीदी के गाउन को छातियो
से भी उपर उठा रखा था. वो दीदी की चूचियो को मसले जा रहे
थे. उन्हों ने दीदी के एक निपल को अपने दाँतों से काटते हुए दूसरे
बूब को अपनी मुट्ठी मे भर कर मसल्ते जा रहे थे. कल्पना दीदी ने
कमल्जी के पायजामे को खोल कर उनके लिंग को अपने हाथों मे लेकर
सहलाना शुरू कर दिया था.

इधर पंकज ने मेरी टाँगों को खोल कर अपने होंठों से मेरी योनि के
उपर फेरने लगा. उसने उपर बढ़ते हुए मेरे दोनो निपल्स को कुच्छ
देर चूसा फिर मेरे होंठों को चूमने लगा. कल्पना दीदी के बूब्स
भी मेरी तरह काफ़ी बड़े बड़े थे दोनो भाइयों ने लगता है दूध की
बोतलों का मुआयना करके ही शादी के लिए पसंद किया था. कल्पना
दीदी के निपल्स काफ़ी लंबे और मोटे हैं जबकि मेरे निपल्स कुच्छ
छ्होटे हैं. अब हम चारों एक दूसरे की जोड़ी को निहार रहे थे. पता
नही टीवी स्क्रीन पर क्या चल रहा था. सामने लिव ब्लू फिल्म इतनी गर्म
थी कि टीवी पर देखने की किसे फुरसत थी. पंकज ने मेरे हाथों को
अपने हाथों से अपने लिंग पर दबा कर सहलाने का इशारा किया. मैने
भी कल्पना दीदी की देखा देखी पंकज के पायजामे को ढीला करके
उनके लिंग को बाहर निकाल कर सहला रही थी. कमल की नज़रें मेरे
बदन पर टिकी हुई थी. उनका लिंग मेरे नग्न बदन को देख कर
फूल कर कुप्पा हो रहा था.

चारों अपने अपने लाइफ पार्ट्नर्स के साथ सेक्स के गेम मे लगे हुए
थे. मगर चारों ही एक दूसरे के साथी की कल्पना करके उत्तेजित हो
रहे थे. पंकज ने बेड पर लेटते हुए कल्पना दीदी को अपनी टाँगों
के बीच खींच लिया और उनके सिर को पकड़ कर अपने लिंग पर
झुकाया. कल्पना दीदी उनके लिंग पर झुकते हुए हुमारी तरफ देखी.
पल भर को मेरी नज़रों से उनकी नज़रें मिली तो उन्हों ने मुझे भी
ऐसा करने को इशारा करते हुए मुस्कुरा दी. मैने भी पंकज के लिंग
पर झुक कर उसे चाटना शुरू किया. पंकज के लिंग को मैं अपने मुँह
मे भर कर चूसने लगी और कल्पना दीदी कमल के लिंग को चूस
रही थी. इसी दौरान हम चारों बिल्कुल नग्न हो गये.

" पंकज लाइट बंद कर दो शर्म आ रही है." मैने पंकज को
फुसफुसते हुए कहा.

"इसमे शर्म किस बात की. वो भी तो हमारे जैसी हालत मे ही हैं."
कहकर उन्हों ने पास मे काम क्रीड़ा मे व्यस्त कमल और कल्पना की ओर
इशारा किया. पंकज ने मुझे अपने उपर लिटा लिया. वो ज़्यादा देर तक
ये सब पसंद नही करते थे. थोड़े से फोरप्ले के बाद ही वो योनि
के अंदर अपने लिंग को घुसा कर अपनी सारी ताक़त चोदने मे लगाने
पर ही विस्वास करते थे. उन्हों ने मुझे अपने उपर खींच कर अपनी
योनि मे उनका लिंग लेने के लिए इशारा किया. मैं उनकी कमर के पास
बैठ कर घुटनो के बल अपनी बदन को उनके लिंग के उपर किया. फिर
उनके लिंग को अपने हाथों से अपनी योनि के मुँह पर सेट करके मैं अपने
बदन का सारा बोझ उनके लिंग पर डाल दी. उनका लिंग मेरे योनि के
अंदर घुस गया. मैने पास मे दूसरे जोड़े की ओर देखा. दोनो अभी
भी मच मैथुन मे बिज़ी थे. कल्पना दीदी अभी भी उनके लिंग को
चूस रही थी. मेरा तो उन दोनो के मुख मैथुन की अवस्था देख कर
ही पहली बार झाड़ गया.

तभी पंकज ने ऐसी हरकत की जिससे हुमारे बीच बची खुचि शर्म
का परदा भी तर्तर हो गया, पंकज ने कमल्जी का हाथ पकड़ा और
मेरे एक स्तन पर रख दिया. कमल ने अपने हाथों मे मेरे स्तन को
थाम कर कुच्छ देर सहलाया. ये पहली बार था जब किसी गैर मर्द ने
मुझे मेरे हज़्बेंड के सामने ही मसला था. कमल मेरे एक स्तन को
थोड़ी देर तक मसल्ते रहे फिर मेरे निपल को पकड़ कर अपनी
उंगलियों से उमेथ्ने लगे.


पंकज इसी का बहाना लेकर कल्पना दीदी के एक स्तन को अपने हाथों मे
भर कर दबाने लगे. पंकज की आँखें कल्पना दीदी से मिली और
कल्पना दीदी अपने सिर को कमल्जी के जांघों के बीच से उठा कर आगे
आ गयी. जिससे पंकज को उनके स्तनो पर हाथ फिराने के लिए ज़्यादा
मेहनत नही करनी पड़े. अब हम दोनो महिलाएँ अपने अपने हज़्बेंड के
लिंग की सवारी कर रहे थे. उपर नीचे होने से दोनो की बड़ी बड़ी
चूचिया उच्छल रही थी. पंकज के हाथों की मालिश अपने स्तनो पर
पाकर कल्पना दीदी की धक्के मारने की रफ़्तार बढ़ गयी. और वो, "
आआहह म्‍म्म्मम" जैसी आवाज़ें मुँह से निकालती हुई कमल जी पर लेट
गयी. लेकिन कमल्जी का तना हुआ लिंग उनकी योनि से नही निकला.

कुच्छ देर तक इसी तरह चोदने के बाद. पंकज ने मुझे अपने उपर से
उठा कर बिस्तर पर लिटाया और मेरी दोनो टाँगें उठा कर अपने कंधे
पर रख दिया और मेरी योनि पर अपने लिंग को लगा कर अंदर धक्का
दे दिया. फिर मेरी योनि पर ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगे. मैं कमल
की बगल मे लेटी हुई उनको कल्पना दीदी के चूमते और प्यार करते
हुए देख रही थी. मेरे मन मे जलन की आग लगी हुई थी. काश
वहाँ उनके बदन पर कल्पना दीदी नही बल्कि मेरा नग्न बड़ा पसरा हुआ
होता.

वो मुझे बिस्तर पर लेते हुए ही निहार रहे थे. उनके होंठ कल्पना
दीदी को चूम चाट रहे थे लेकिन आँखें और दिल मेरे पास था. वो
अपने हाथों को मेरे बदन पर फेरते हुए शायद मेरी कल्पना करते
हुए अपनी कल्पना को वापस ठोकने लगे. कल्पना दीदी के काफ़ी देर तक
ऊपर से करने के बाद कमल्जी ने उसे हाथों और पैरों के बल झुका
दिया. ये देख पंकज भी मुझे उल्टा कर मुझे भी उसी पोज़िशन मे
कर दिया. सामने आईना लगा हुआ था. हम दोनो जेठानी देवरानी पास
पास घोड़ी बने हुए थे. दोनो ने एक साथ एक र्य्थेम मे हम दोनो को
ठोकना शुरू किया. चार बड़े बड़े स्तन एक साथ आगे पीछे हिल
रहे थे. हम दोनो एक दूसरे की हालत देख कर और अधिक उत्तेजित हो
रहे थे. कुकछ देर तक इस तरह करने के बाद दोनो ने हम दोनो को
बिस्तर पर लिटा दिया और उपर से मिशनरी स्टाइल मे धक्के मारने
लगे. इस तरह संभोग करते हुए हमारे बदन अक्सर एक दूसरे से
रगड़ खा कर और अधिक उत्तेजना का संचार कर रहे थे.


कल्पना दीदी अब झड़ने वाली थी वो ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी, "
हाआअँ ……हाआअँ….ओउउउर्र्र जूऊओर सीई और जूऊर सीई. हाआँ
इसीईईईई तराआहह. काअमाअल आअज तुम मे काफ़िईई जोश हाीइ… आअज
तो तुम्हारा बहुत तन रहा है. आअज तूओ मैईईईई निहाआअल हो
गइईए" इस तरह बड़बड़ाते हुए उसने अपनी कमर को उचकाना शुरू
किया और कुच्छ ही देर मे इस तरह बिस्तर पर निढाल होकर गिरी मानो
उसके बदन से हवा निकल दी गयी हो. अब तो कमल्जी उसके ठंडे पड़े
शरीर को ठोक रहे थे.

क्रमशः.................................



--
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) ऑल्वेज़
`·.¸(¨`·.·´¨) कीप लविंग &
(¨`·.·´¨)¸.·´ कीप स्माइलिंग !
`·.¸.·´ -- राज




main hun hasina gajab ki --paart--4

gataank se aage........................

Wo bhochakke se kuchh der tak meri ankhon me jhankte rahe.

"mujhe sab pata hai. Mujhe pahle hi sandeh ho gaya tha. Pankaj ko jor
dekar poochha to usne sweekar kar liya."

" tum......tumne kuchh kaha nahi? Tum nayi biwi ho uski tumne uska
virodh nahi kiya?" Kamal ne poochha.
" Virodh to aap bhi kar sakte the. aap ko sab pata tha lekin aap ne
kabhi dono ko kuchh kaha nahi. Aap to mard hain aur unse bade bhi."
Maine ulta unse hi sawal kiya.

" chaah kar bhi kabhi nahi kiya. Mai dono ko behad chahta hoon
aur......."

" aur kya?"

" aur.......Kalpana mujhe kamjor samajhti hai." Kahte huye unhon ne
apna chehra neeche jhuka liya. Mai us pyaare insaan ki pareshaani par
apne ko rok nahi payee. Aur maine unke chahre ko apni hatheli me bhar
kar uthaya. Maine dekha ki unke ankhon ke kono par do ansoo chamak
rahe hain. Maine ye dekh kar tadap uthi. Maine apni ungliyon se unko
ponchh kar unke chehre ko apne seene par kheench liya. Wo kisi
bachche
ki tarah meri chhatiyon se apna chehra sata rakhe the.

"aapne kabhi kisi doctor se jaanch kyon nahi karwaya" maine unke
balon
me apni ungliyan firate huye poochha.

" dikhaya tha. Kai baar check karwaya"

" fir?"

" Doctor ne kaha........ " do pal ko wo ruke. Aisa laga mano soch
rahe
hon ki mujhe batayen ya nahi fir dheere se kaha " mujhme koi kami
nahi
hai."

" kyaa?" mai jor se boli, " fir bhi aap sara dosh apne oopar lekar
chup baithe hain. Aapne kivi ko bataya kyon nahi? Ye to bujdili hai."

" ab tum ise meri bujdili samjho chahe jo bhi. Lekin mai uski umeed
ko
todna nahi chahta. Bhale hi wo sari jindagi mujhe ek namard samajhti
rahe."

" mujhe aap se poori hamdardi hai. Lekin mai aapko wo doongi jo
Kalpana bhabhi ne nahi diya."

Wo chonk kar meri taraf dekhe. Unki gahri ankhon me utsukta thi mera
jawab sunne ki. Maine age kaha, " mai apko apni kokh se ek bachcha
doongi."

" kya???? Kaise??" wp had bada uthe.

" ab itne buddhu bhi ap ho nahi ki samjhana pade kaise." Mai unke
seene se lag gayi, " agar wo dono aapki ki chinta kiye bina jismani
tallukaat rakh sakte hai to apko kisne aisa karne se roka hai?" maine
apni ankhen band kar ke fusfusate huye kaha jo uske alawa kisi ko
sunai nahi de sakta tha.

Smriti part 4

itna suuna tha ki unhon ne mujhe apne seene me daab liya. Maine apna
chehra upar uthaya to unke honth mere honthon se a mile. Mera badan
kuchh to bukhar se aur kuchh uttejna se tap raha tha. Maine apne
honth khol kar unke honthon ka swagat kiya. Unhone mujhe is tarah
choomna shuru kiya mano barson ke bhookhe hon. Mai unke chaude sene
ke balon par apni ungliyan fir rahi thi. Unhon ne mere gown ko badan
par bandhe us dor ko kheench kar khol diya. Mai poori tarah nagn
unke samne thi. Maine bhi unke paijame ke upar se unke ling ko apne
hathon se tham kar sahlana shuru kiya.

" mmmm kafi mota hai. Didi ko to maja a jata hoga?" maine unke ling
ko apni mutthi me bhar kar dabaya. Fir paijame ki dori ko khol kar
unke ling ko bahar nikala. Unka ling kafi mota tha. Uske ling ke
oopa ka supada ek tennis ki gend ki tarah mota tha. Kamalji gore
chitte the likn ling kafi kala tha. Ling ke upar se chamde ko neeche
kiya to maine dekha ki unke ling ke munh se pani jaisa chip chipa
ras nikal raha hai. Maine unki ankhon me jhanka. Wo meri harkaton ko
gor se dekh rahe the. mai unko itni khushi dena chahti thi jitni
Kalpana didi ne bhi nahi di hogi. Maine apni jeebh poori bahar
nikali. Aur slow motion me apne sir ko unke ling par jhukaya. Meri
ankhe lagatar unke chehre par tiki hui thi. Mai unke chehre par
ubharne wali khushi ko apni ankhon se dekhna chahti thi. Maine apni
jeebh unke ling ke tip par lagaya. Aur ussse nikalne wale ras ko
chat kar apni jeebh par le liya. Fir usi tarah dheere dheere maine
apna sir utha kar apne jeebh par lage unke ras ko unki ankhon ke
samne kiya aur munh khol kar jeebh ko andar kar li. Mujhe pana ras
peete dekh wo khushi se bhar uthe aur wapas mere chehre par apne
honth firane lage. Wo mere honthon ko mere kano ko meri ankhon ko
galon ko choome ja rahe the aur mai unke ling ko apni mutthi me bhar
kar sahla rahi thi. Maine unke sir ko pakad kar neeche apni
chhatiyon se lagaya. Wo jeebh nikal kar dono chhatiyon ke beech ki
gahri khai me firaye. Fir ek stan ko apne hathon se pakad kar uske
nipple ko apne munh me bhar liya. Mere nipple pahle se hi tan kar
kade ho gaye the. Wo ek nipple ko choose rahe the aur doosi chhati
ko apni hatheli me bhar kar masal rahe the. Pahle dheere dheere
masale magar kuchh hi der me dono stano ko poori takat se masal
masal kar lal kar diye. Mai uttejna me sulagne lagi. Maine unke ling
ke neeche unki gendon ko apni mutthi me bhar kar sahlana shuru kiya.
Beech beech me mere phoole huye nipples ko danto se kat rahe the.
jeebh se nipple ko chhedne lagte. Mai "seeeeeee…..
aaaaahhhhh….mmmmmm… unnnn… " jaisi awajen nikalne se nahi rok pa
rahi thi. Unke honth poore stan yugal par ghoomne lage. Jagah jagah
mere stano ko kat kat kar apne milan ki nishani chhodne lage. Poore
stan par lal lal danto ke nishaan ubhar aye. Mai dard aur uttejna me
seeeeeseee kar rahi thi. Aur apne hathon se apne stano ko uthakar
unke munh me de rahi thi.

"kitni khoobsoorat ho….." Kamal ne mere dono boobs ko pakad kar
kheenchte huye kaha.

"age bhi kuchh karoge ya inse hi chipke rahne ka vichaar hai." Maine
unko pyaar bhari ek jhidki di. Nipples lagatar chooste rahne ke
karan dukhne lage the. Stano par jagah jagah unke danto se katne ke
lal lal nishaan ubharne lage the. mai kafi uttejit ho gayee thi.
Pankaj itna foreplay kabhi nahi karta tha. Usko to bus tangen chaudi
karke andar daal kar dhakke lagane me hi maja ata tha.

Unhon ne meri tangon ko pakad kar neeche ki or kheencha to mai
bistar par let gayee. Ab unhon ne mere dono pairon ko utha kar unke
neeche do takiye laga diye. Jisse meri yoni upar ko uth gayee. Maine
apni tangon ko chauda karke chhat ki or utha diye. Fir unke sir ko
pakad kar apni yoni ke upa daba diya. Kamal ji apni jeebh nikal kar
meri yoni ke andar use daal kar ghumane lage poore badan me sihran
si daudne lagi. mai apni kamar ko aur oopar uthane lagi jisse unki
jeebh jayada andar tak ja sake. mere hath bistar ko majbooti se tham
rakhe the. meri ankhon ki putliyan peechhe ki or ulat gayi aur mera
munh khul gaya. mai jor se cheekh padi,

" haaaaan aur andaarrrrrr. Kamaaaal aaaaaahhhhhhhh ooooohhhh
itneeeee diiiiin kahaaaan theeeee. maiiiiiiin paaaagaaal ho
jaauuuungiiiiiiiiii . ooooooohhhhh uuuuuiiiiiii maaaaaaa kyaaaaaa
karrr raheeeeee hooooooo Kamaaaaaaal mujheeeeee samhaloooooo
meraaaaaa chhutneee walaaaaa haiiiiiii. Kamaaaaaaal isiiiiiiii
taraaaaah saaaari jindagiiiiii tumhaaaari dooosriiiiii biwiiiiiii
bankar chudwatiiiii rahooooooongi" ek dum se meri yoni se veerya ki
badh si ayee aur bahar ki or bah nikali. mera poora badan kisi patte
ki tarah kaanpp raha tha. kafi der tak mera skhalan hota raha. jab
sara veerya Kamal ji ke munh me udhel diya to maine unke sir ko
pakad kar uthaya. unki moochhen, naak honth sab mere veerya se sane
huye the. unhon ne apni jeebh nikali aur apne honthon par firayee.

"chhi gande." maine unse kaha.

"isme gandi wali kya baat hui?" ye to tonic hai. tum mera tonik pee
kar dekhna agar badan me rangat na ajaye to kahna.

" jaanu ab a jao." maine unko apne upar kheencha. "mera badan tap
raha hai. bukhar me kamjori ati ja rahi hai. isse pahle ki mai thak
jaun mere andar apna beej daal do."

Kamal ne apne ling ko mere munh se lagaya.

"ek baar munh me to lo uske baad tumhari yoni me daloonga. pahle ek
baar pyaar to karo ise." maine unke ling ko apni mutthi me pakda aur
apni jeebh nikal use choosna aur chatna shuru kar diya. mai apni
jeebh se unke ling ke ekdum neeche se upar tak chat rahi thi. apni
jeebh se unke ling ke neeche latakte huye andkoshon ko bhi chat rahi
thi. unka ling mujhe bada pyara lag raha tha. mai unke ling ko
chatte huye unke chehre ko dekh rahi thi. unka uttejit chehra bada
pyara lag raha tha. dil ko sukoon mil raha tha ki mai unhe kuchh to
aram de pane me safal rahi thi. unhon ne mujhe itna pyaar diya tha
ki uska ek tukda bhi mai wapas agar de saki to mujhe apne oopar garv
hoga.

unke ling se chipchipa sa berang ka precum nikal raha tha. jisse mai
badi tatparta se chat kar saaf kar deti thi. mai kafi der tak unke
ling ko tarah tarah se chatti rahi. unka ling kaafi mota tha isliye
munh ke andar jyada nahi le pa rahi thi isliye jeebh se chaat chaat
kar hi use geela kar diya tha. kuchh der baad unka ling jhatke khane
laga. unhon ne mere sir par hath rakh kar mujhe rukne ka ishara kiya.

"bus.......bus aur nahi. nahi to andar jane se pahle hi nikal
jayega" kahte huye unhon ne mere hathon se pane ling ko chhuda liya
aur mere tangon ko faila kar unke beech ghutne mod kar jhuk gaye.
unhon ne apne ling ko meri yoni se sataya.

"aapka bahut mota hai. meri yoni ko fad kar rakh dega." maine
ghabrate huye kaha" Kamalji dheere dheere karna nahi to mai dard se
mar jaungi."

wo hansne lage.

" Aaap bahut kharab ho. Idhar to mere jaan ki padi hai" maine unse
kaha.

maine bhi apne hathon se apni yoni ko chauda kar unke ling ke liye
rasta banaya. unhon ne apne ling ko meri yoni ke dwar par tika diya.
maine unke ling ko pakad kar apni faili hui yoni ke andar kheencha.

"andar kar do...." meri awaj bhari ho gayee thi. unhon ne apne badan
ko mere badan ke oopar lita diya. unka ling meri yoni ki deewaron ko
chauda karta hua andar jane laga. Mai sab kuchh bhool kar apne jeeth
ke seene se lag gayee. bas samne sirf Kamal the aur kuchh nahi. wo
hi is waqt mere premi, mere sex partner aur jo kuchh bhi mano, the.
mujhe to ab sirf unka ling hi dikh raha tha.

jaise hi unka ling meri yoni ko cheerta hua age badha mere munh
se "aaaaaahhhhh" ki awaj nikali aur unka ling poora ka poora meri
yoni me dhans gaya. wo is position me mere honthon ko chhomne lage.

" achchha to ab pata chala ki mujhse milne tum bhi itni besabr thi.
aur mai bewkoof soch raha tha ki mai hi tumhare peechh pada hoon.
agar pata hota na ki tum bhi mujhse milne ko itni betaab ho
to.......... " waqkya ko adhoora hi rakh kar wo kuchh ruke.

"to?.......to? "

" to tumhe kisi ki bhi parwah kiye bina kab ka patak kar thok chuka
hota." unhon ne shararti lahje me kaha.

"dhat..... is tarah kabhi apne chhote bhai ki biwi se baat karte
hain? sharm nahi ati aapko?" maine unke kaan ko apne danton se
chabate huye kaha.

" sharm? achchha chodne me koi sharm nahi hai sharm baat karne me hi
hai na?" kahkar wo apne hathon ka sahara lekar mere badan se uthe
saath saath unka ling bhi meri yoni ko ragadta hua bahar ki or nikla
fir wapas poore jor se meri yoni me andar tak dhans gaya.

"oooohhh dard kar raha hai." aapka wakai kafi bada hai. meri yoni
chhil gayi hai. pata nahi Kalpana didi itne mote ling ko chhod kar
mere Pankaj me kya pati hai?" maine unke age peechhe hone ke rythem
se pani rythem bhi milayee. Har dhakke ke saath unka ling meri yoni
me andar tak ghus jata aur humari komal jhante ek doosre se ragad
kha jati. wo jor jor se mujhe thokne lage unke har dhakke se poora
bistar hilne lagta. kafi der tak wo ooopar se dhakke marte rahe. mai
neeche se apne pairon ko utha kar unki kamar ko apne lapet li thi.
unke balon bhare seene me apne tane huye nipples ragad rahi thi. is
ragad se ek sihran si poore badan me daud rahi thi. maine apne
hathon se unke sir ko pakad kar apne honth unke honthon par laga kar
apni jeebh unke munh me ghusa di. mai isi tarah unke ling ko apni
yoni me lene ke liye apne kamar ko uchka rahi thi. Unke jordaar
dhakke mujhe pagal bana rahe the. unhon ne apna chehra upar kiya to
mai unke hontho ki chuan ke liye tadap kar unkei garden se latak
gayee. Kamal ji ke shareer me dum kafi tha jo mere badan ka bojh
utha rakha tha. Mai to apne hathon aur pairon ke bal par unke badan
par jhool rahi thi. Isi tarah mujhe uthaye huye wo lagatar chode ja
rahe the. mai "aaahh uuuuhhhhh maaaaa mmmmmm uffffffff" jaisi
awajen nikali ja rahi thi. unke dhakkon se to mai nidhal ho gayee
thi. wo lagatar isis tarah pandrah minute tak thokte rahe. in
pandrah minute me mai do baar jhhad chuki thi lekin unki raftar me
koi kami nahi ayee thi. unke seene par paseene ki kuchh boonden
jaroor chamkne lagi thi. maine apni jeebh nikal kar un namkeen
boondon ko chat diya. wo meri is harkat se aur josh me a gaye.
pandrah minut baad unhon ne meri yoni se apne ling ko kheench kar
bahar nikala.

unhon ne mujhe kisi barbie doll ki tarah ek jhatke me uthakar hathon
aur pairon ke bal ghodi bana diya. meri tapakti hui yoni ab un ke
samne thi.

"mmmmm ddoooooo daaaal dooooo.aaaaj mujheeee jitnaaaaa jeee me
ayeeee masal daloooooo. aaaaaah meriiiii garmiiiii shaaant kar
doooooo." mai sex ki bhookhi kisi veshya ki tarah chhatpata rahi thi
unke ling ke liye.

"ek minut thahro." kah kar unhon ne mera gown uthaya aur meri yoni
ko achchhi tarah saaf karne lage. ye jaroori bhi ho gaya tha. meri
yoni me itna ras nikala tha ki poori yoni chikni ho gayee thi. unke
itne mote ling ke ragadne ka ab ahsaaas bhi nahi ho raha tha. jab
tak ling ke ragadne ka dard nahi mahsoos hota tab tak maja utna nahi
a pata hai. isliye mai bhi unke is kaam se bahut khush huyee. maine
apni tangon ko faila kar apni yoni ke andar tak ka sara pani sokh
lene me madad kiya. meri yoni ko achchhi tarah saaf karne ke baad
unhone ne apni ling par chupde mere raas ko bhi mere gown se saaf
kiya. maine bed ke sirhane ko pakad rakha tha aur kamar unke taraf
kar rakhi thi. unhon ne wapas apne ling ko meri yoni ke dwaar par
laga kar ek aur jordaar dhakka diya.

"hmmmmmmfffffffff" mere munh se ek awaj nikali aur maine wapas
mahsoos kiya unke ling ko apni dukhti hui yoni ko ragadte huye andar
jate huye. wo dobara jor jor se dhakke lagane lage. unke dhakkon se
mere bade bade stan kisi pedh par latke aam ki tarah jhool rahe the.
mere gale par pahna hua bhari mangalsutra unke dhakko se uchhal
uchhal kar mere stano ko aur meri thudii ko takkar mar raha tha.
maine uske locket ko apne danton se daba liya. jisse ki wo jhoole
nahi. Kamal ji ne meri is harkat ko dekh kar mere mangalsutra ko
apne hathon me lekar apni or kheencha. maine apna munh khol diya. ab
aisa lag raha tha mano wo kisi ghodi ki sawari kar rahe hon. aur
mangalsutra unke hathon me dabi uski lagam ho. wo is tarah meri
lagam thame mujhe peechhe se thokte ja rahe the.

"Kamal...... .oooooohhhh. ....Kamal. .....mera wapas jhadne wala
hai.
tum bhi mera saath do pleeeeeeeeessse" maine Kamal se mere saath
jhadne ka agrah kiya. Kamalji ne meri peeth par jhuk kar mere jhoolt
huye dono stano ko apni mutthi me pakad liya aur peechee se apne
kamar ko age peechhe thelte huye jor jor ke dhakke marne lage. Maine
apne sir ko jhatka dekar apne chehre par bikhari apni julfon ko
peechhe kiya to mere dono stano ko masalte huye jethji ke hathon ko
dekha. Unke hath mere nipples ko apni chutkiyon me bhar kar masal
rahe the.

"mmmmm….Kamal……Kamal……" ab humare beech koi rishton ki opcharikta
nahi bachi thi. Mai apne Jeth ko unke naam se hi bula rahi thi,"
Kamal......mai jhad rahi hoon......Kamal tum bhi a jao... tum bhi
apni dhaaaar chhod kar sangam kardooooo"

Maine mahsoos kiya ki unka ling bhi jhatke lene laga hai. Unhon ne
mere gardan ke paas apna chehra rakh diya/ unki garm garm saans meri
gardan par mahsoos kar rahi thi. Unhon ne lagbhag mere kaan me
fusfusate huye kaha, " simi........ .mera nikal raha hai. Aaaaj
tumhari kokh tumhare jeth kaaa raas se bhar jayegi."

" Bhaar janeee doooo mereeee jaanaam…….daaaaldooo……mere pet me apna
bachcha daal doooooo. Mai apnkoooo apni kokh seeeee bachchaaa
doongi." Maine kaha aur ek saath dono ke badan se amrit ki dhaar bah
nikali. Unki ungliyan mere stanon ko buri tarah nichod diye. Mere
daant mere mangalsutra par gad gaye. Aur hum dhono bistar par gir
pade. Wo mere upar hi pade huye the. Hamare badan paseene se latpath
ho rahe the.

" AAAAAAhhhhhhhh Kamaljiiiiii…….aaaajjjj aaaapneee mujheee waaaqai
thandaaa kaar diyaaaa………aaaaapneeeee………mujheeeee……wooooo…
majaaaaa…..diyaaaaa……jiskeeeee …liyeeeee maiiii…..kafiiiiiii… .dino
se tadap rahi……thi…..mmmmmmm" mera chehra takiye me dhansa hua tha
aur mai badbadai ja rahi thi. Wo bahut khush ho gaye. Aur meri nagn
peeth ko choomne lage beech beech me mere peeth par kat bhi dete.
Mai buri tarah thak chuki thi. Wapas bukhar ne mujhe gher liya. Pata
hi nahi chala kab mai neeend ki agosh me chali gayee.

Jetji ne mere nagn badan par kapde kis tarah pahnaye ye bhi pata
nahi chal paya. Unhon ne mujhe kapde pahna kar chadar se achchhi
tarah lapet kar sula diya. Mai sundar sundar sapno me kho gayee.

Achchha hua ki unhon ne mujhe kapde pahna diye the warna apni is
halat ki vyakhya Pankaj aur Kalpana didi se karna mushkil kaam hota.
Mere poore badan par ukere gaye danton ke nishano ki sundar
chitrkari ka bhi koi jawab nahi tha.

Jab tak dono wapas nahi a gaye Kamal ji ki god me hi sir rakh kar
soti rahi. Aur Kamal ji ghanton mere balon me apni ungliyan ferte
rahe. Beech beech me mere galon par ya mere honthon par apne garm
honth rakh dete.

Pankaj aur Kalpana raat ke dus baje tak chahkte huye wapas laute.
Hotel se khana pack karwa kar hi laute the. Meri halat dekh kar
Pankaj aur Kalpana ghabra gaye. Bagal me hi ek Doctor rahta tha use
bula kar meri jaanch karwayee.Doctor ne dekh kar kaha ki Viral
infection hai Dawaiyan likh kar chale gaye.

Dawai khane ke baad hi halat thodi theek hui. Do din me ekdum swasth
ho gayee. is dauraan hum charon ke beech kisi tarah ka koi sex ka
khel nahi hua.

Agle din Pankaj ka janmdin tha. Shaam ko bahar khane ka program tha.
Ek bade hotel me seat pahle se hi book kar rakhe the. wahin par
pahle dono bhaiyon ne drinks li fir khana khaya. Wapas lautte samay
Pankaj bazaar se ek blue film ka DVD khareed liya.
Ghar pahunch kar hum charon kapde badal kar halke fluke gown me
humare bedroom me ikatthe huye. Fir pahle MP3 chala kar kuchh der
take k doosre ki biwiyon ke sath humne dance kiya. Mai jethji ki
bahon me thirak rahi thi aur Kalpana didi ko Pankaj ne apne banhon
me bhar rakha tha. Fir Pankaj ne kamre ki tubelight off kar di aur
sirf ek halka night lamp jala diya. Hum charon bistar par baith gaye.

Pankaj ne DVD on karke Blue film chala di. Fir bistar ke sirhane par
peeth laga kar hum charon baith gaye. Ek kinare par Pankaj baitha
tha aur doore kinare par Kamalji the. beech me hum dono aurten thi.
Dono ne apni apni biwiyon ko apni banhon me samet rakha tha. Is
halat me hum blue film dekhne lage. Film jaise jaise age badhti
gayee kamre ka mahol garm hota gaya. Dono mard bina kisi sharm ke
apni apni biwiyon ke guptangon ko masalne lage. Pankaj mere stano ko
masal raha tha aur kamal Kalpana didi ke. Pankaj ne mujhe utha kar
apni tangon ke beech bitha liya. Meri peeth unke seene se sati hui
thi. Wo apne dono hath meri gown ke andar daal kar ab mere stano ko
masal rahe the. Maine dekha Kalpana didi Pankaj ko choom rahi thi
aur Pankaj ke hath bhi Kalpna didi ki gown ke andar the. Mujhe un
dono ko is halat me dekh kar pata nahi kyon kuchh jalan si hone
lagi. hum dono ke gown kamar tak uth gaye the. aur nangi janghen
sabke samne thi. Pankaj ne apne ek hath ko neeche se mere gown me
ghusa kar meri yoni ko sahlane lage. Mai apni peeth par unke ling ki
thikar ko mahsoos kar rahi thi.

Kamal ne Kalpana didi ke gown ko kandhe par se utar diya tha aur ek
stank o bahar nikal kar choosne lage. Ye dekh kar Pankaj neb hi mere
ek stank o gown ke bahar nikalne ki koshish ki. Magar mere is gown
ka gala kuchh chhota tha isliye usme se mera stan bahar nahi nikal
paya. Unhon ne kafi koshishen ki magar safal na hote dekh kar gusse
me ek jhatke me mere gown ko mere badan se hata diye. Mai sabke
samne bilkul nangi ho gayee kyonki program ke anusar hum don one
gown ke andar kuchh bhi nahi pahan rakha tha. Mai sharm ke mare apne
hathon se apne stano ko chhipane lagi apni tangon ko ek doosre se
sakhti se dab rakhi thi jisse meri yoni ke darshan na hon.

"Kya karte ho….sharm karo……bagal me Kamal bhaiya aur Kalpana didi
hain tum unke samne mujhe nangi kar diye. Chhhi chhi kya sochenge
Jethji? Maine fusfusate huye Pankaj ke kano me kaha jisse bagal wale
nahi sun sake.

"to isme kya hai ? Kalpana bhabhi bhi to lagbhag nangi hi ho chuki
hain. Dekho unki taraf…" maine apni garden ghuma kar dekha to paya
ki Pankaj sahi kah raha tha. Kamaljii ne didi ke gown ko chhatiyon
se bhi upar utha rakha tha. Wo didi ki chhaatiyon ko masle ja rahe
the. Unhon ne Didi ke ek nipple ko apne danton se katte huye doosre
boob ko apni mutthi me bhar kar masalte ja rahe the. Kalpana didi ne
Kamalji ke paijame ko khol kar unke ling ko apne hathon me lekar
sahlana shuru kar diya tha.

Idhar pankaj ne meri tangon ko khol kar apne honthon se meri yoni ke
upar ferne laga. Usne uapr badhte huye mere dono nipples ko kuchh
der choosa fir mere honthon ko choomne laga. Kalpana didi ke boobs
bhi meri tarah kafi bade bade the dono bhaiyon ne lagta hai doodh ki
botlon ka muayna karke hi shaadi ke liye pasand kiya tha. Kalpana
didi ke nipples kafi lambe aur mote hain jabki mere nipples kuchh
chhote hain. Ab hum charon ek doosre ki jodi ko nihar rahe the. Pata
nahi TV screen par kya chal raha tha. Samne live blue film itni garm
thi ki TV par dekhne ki kise furast thi. Pankaj ne mere hathon ko
apne hathon se apne ling par daba kar sahlane ka ishara kiya. Maine
bhi Kalpana didi ki dekha dekhi Pankaj ke paijame ko dheela karke
unke ling ko bahar nikal kar sahla rahi thi. Kamal ki najren mere
badan par tiki huyee thi. Unka ling mere nagn badan ko dekh kar
phool kar kuppa ho raha tha.

Charon apne apne life partners ke saath sex ke game me lage huye
the. Magar charon hi ek doosre ke sathi ki kalpana karke uttejit ho
rahe the. Pankaj ne bed [ar lette huye kalpana didi ko apni tangon
ke beech kheench liya aur unke sir ko pakad kar apne ling par
jhukaya. Kalpana didi unke ling par jhukte huye humari taraf dekhi.
Pal bhar ko meri najron se unki najren mili to unhon ne mujhe bhi
aisa karne ko ishara karte huye muskura di. Maine bhi Pankaj ke ling
par jhuk kar use chatna shuru kiya. Pankaj ke ling ko mai apne munh
me bhar kar choosne lagi aur kalpana didi Kamal ke ling ko choos
rahi thi. Isi dauraan hum charon bilkul nagn ho gaye.

" Pankaj light band kar do sharm a rahi hai." Maine Pankaj ko
fusfusate huye kaha.

"isme sharm kis baat ki. Wo bhi to hamare jaisi halat me hi hain."
Kahkar unhon ne paas me kaam krida me vyast Kamal aur Kalpana ki or
ishara kiya. Pankaj ne mujhe apne upar lita liya. Wo jyada der tak
ye sab pasand nahi karte the. Thode se foreplay ke baad hi wo yoni
ke andar apbne ling ko ghusa kar apni saari takat chodne me lagane
par hi viswaas karte the. Unhon ne mujhe apne upar kheench kar apni
yoni me unka ling lene ke liye ishara kiya. Mai unki kamar ke paas
baith kar ghutno ke bal apni badan ko unke ling ke upar kiya. Fir
unke ling ko apne hathon se apni yoni ke munh par set karke mai apne
badan ka sara bojh unke ling par daal di. Unka ling mere yoni ke
andar ghus gaya. Maine paas me doosre jode ki or dekha. Dono abhi
bhi much maithun me busy the. Kalpana didi abhi bhi unke ling ko
choose rahi thi. Mera to un dono ke much maithun ki awastha dekh kar
hi pahli baar jhad gaya.

Tabhi Pankaj ne aisi hrkat ki jisse humare beech bachi khuchi sharm
ka parda bhi tartar ho gaya, Pankaj ne Kamalji ka hath pakda aur
mere ek stan par rakh diya. Kamal ne apne hathon me mere stank o
tham kar kuchh der sahlaya. Ye pahli baar tha jab kisi gair mard ne
mujhe mere husband ke samne hi masla tha. Kamal mere ek stan ko
thodi der tak masalte rahe fir mere nipple ko pakad kar apni
ungliyon se umethne lage.

Pankaj isi ka bahana lekar Kalpana didi k eek stank o apne hathon me
bhar kar dabane lage. Pankaj ki ankhen Kalpana didi se mili aur
kalpana didi apne sir ko Kamalji ke janghon ke beech se utha kar age
a gayee. Jisse Pankaj ko unke stano par hath fern eke liye jyada
mehnat nahi karni pade. Ab hum dono mahilayen apne apne husband ke
ling ki sawari kar rahe the. Upar neeche hone se dono ki badi badi
chhatiyan uchhal rahi thi. Pankaj ke hathon ki malish apne stano par
pakar Kalpana didi ki dhakke marne ki raftaar badh gayee. Aur wo, "
aaaahhhh mmmmm" jaisi awajen munh se nikalti hui Kamal ji par let
gayee. Lekin Kamalji ka tana hua ling unki yoni se nahi nikla.

Kuchh der tak isi tarah chodne ke baad. Pankaj ne mujhe apne upar se
utha kar bistar par litaya aur meri dono tangen utha kar apne kandhe
par rakh diya aur meri yoni par apne ling ko laga kar andar dhakka
de diya. Fir meri yoni par jor jor se dhakke marne lage. Mai Kamal
ki bagal me leti hui unko Kalpana didi ke choomte aur pyaar karte
huye dekh rahi thi. Mere man me jalan ki aag lagi hui thi. Kaash
wahan unke badan par Kalpna didi nahi balki mera nagn bada pasra hua
hota.

Wo mujhe bistar par lete huye hi nihar rahe the. Unke honth Kalpna
didi ko choom chaat rahe the lekin ankhen aur dil mere paas tha. Wo
apne hathon ko mere badan par ferte huye shayad meri kalpana karte
huye apni Kalpana ko wapas thoke lage. Kalpana didi ke kafi der tak
oopar se karne ke baad Kamalji ne use hathon aur pairon ke bal jhuka
diya. Ye dekh Pankaj bhi mujhe ulta kar mujhe bhi usi position me
kar diya. Samne aina laga hua tha. Hum dono jethani devrani paas
paas ghodi bane huye the. dono ne ek saath ek rythem me hum dono ko
thokna shuru kiya. Chaar bade bade stan ek saath age peechhe hil
rahe the. hum dono ek doosre ki halat dekh kar aur adhik uttejit ho
rahe the. kucch der tak is tarah karne ke baad dono ne hum dono ko
bistar par lita diya aur upar se missionary style me dhakke marne
lage. Is tarah sambhog karte huye hamare badan aksar ek doosre se
ragad kha kar aur adhik uttejna ka sanchar kar rahe the.

Kalpana didi ab jhadne wali thi wo jor jor se cheekhne lagi, "
haaaaan ……haaaaan….auuuurrr jooooor seeee aur joooor seeee. Haaan
isiiiiii taraaaahh. Kaaamaaal aaaj tum me kafiiiii josh haiii… aaaj
to tumhara bahut tan raha hai. Aaaj tooo maiiiii nihaaaaal ho
gayeeeee" is tarah badbadate huye usne apni kamar ko uchkana shuru
kiya aur kuchh hi der me is tarah bistar par nidhaal hokar giri mano
uske badan se hawa nikal di gayi ho. Ab to Kamalji uske thande pade
shareer ko thok rahe the.

kramshah.................................



--
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj




















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