गहरी चाल पार्ट--6
"गुड ईव्निंग,कामिनी.",त्रिववणी ग्रूप की ऑफीस बिल्डिंग के कान्फरेन्स हॉल मे कामिनी के मुकुल के साथ दाखिल होते ही षत्रुजीत सिंग ने आगे बढ़ के मुस्कुराते हुए उस से हाथ मिलाया.उसकी उंगलिओ के छुते ही कामिनी के बदन मे फिर से वही जाना-पहचाना मदहोशी का एहसास दौड़ गया,"हेलो..",वो बस जवाब मे इतना ही कह पाई. "आइए..",शत्रुजीत ने अपने दाए हाथ मे उसका हाथ थामे हुए बाया उसकी ब्लाउस के नीचे से झलकती नंगी कमर पे रखा & उसे टेबल की ओर ले चला जहा जयंत पुराणिक के साथ 5 और लोग बैठे थे.शत्रुजीत के हाथ मे हाथ होने से पहले ही कामिनी का हाल बुरा था & अब कमर पे हाथ रखने के बाद तो उसकी टांगे भी काँपने लगी.किसी तरह वो टेबल तक पहुँची & 1 कुर्सी पे बैठ गयी. "कामिनी,अंकल जय से तो आप पहले ही मिल चुकी हैं..",कामिनी ने उनकी तरफ देख कर मुस्कुरा के सर हिलाया तो उन्होने भी जवाब मे अपना सर हिलाया,"..& ये मेरी बाकी की टीम है जोकि त्रिवेणी को चलाती है..",शत्रुजीत ने उसका परिचय सभी से करवाया तो कामिनी ने भी उन सबको मुकुल से मिलवाया. कामिनी ने आँखो के कोने से देखा की कान्फरेन्स टेबल से थोड़ा हट के 1 कुर्सी पे अब्दुल पाशा बैठा है & उसकी ठंडी नज़रे बड़े गौर से उन सब को देख रही हैं....आख़िर क्यू उसकी आँखे ऐसी खून जमा देने वाली थी? कामिनी ने अपना ध्यान उसकी ओर से हटाया & शत्रुजीत की बातो पे लगाया,"..ये वो केसस हैं कामिनी जोकि ऑलरेडी कोर्ट मे हैं & ये वो हैं जोकि कोर्ट मे जा सकते हैं..",शत्रुजीत ने अपनी सेक्रेटरी से 2 फोल्डर्स ले कर उसकी ओर बढ़ाए. "मिस्टर.सिंग.कयि लोग समझते हैं कि 1 वकील आपको आपकी की हुई ग़लती से मिलने वाली सज़ा से बचाता है-उनका ये मानना सही भी है,पर कयि लोग जान बुझ कर ग़लतियाँ करते हैं & फिर वकील के पास जाते हैं उस सज़ा से बचने जिस से बचने का उन्हे कोई हक़ नही होता.मैं इन केसस को हाथ लगाने से पहले 1 बात सॉफ कर देना चाहती हू,मैं केवल उन लोगो के केसस को हाथ लगाती हू जोकि जान बुझ कर ग़लतियाँ नही करते...वो क्लाइंट्स जो मुझ से झूठ बोलें या फिर बातें च्छुपाएँ,मुझे बिल्कुल पसंद नही." "कामिनी..",शत्रुजीत उसके सामने टेबल की दूसरी ओए बैठा था,वो उठा & आकर उसके पास टेबल पे बैठ गया & उसकी आँखो से आँखे मिला दी,"..ये बिज़्नेस मैं अपनी एमबीए की डिग्री के बूते पे नही चलाता बल्कि अपने पिता की नसीहतो के बूते पे चलाता हू..",कामिनी की सारी का आँचल थोड़ा 1 तरफ था & शत्रुजीत जिस तरह से बैठा था,वो उसके ब्लाउस के गले से झँकते उसके हल्के से क्लीवेज & दोनो छातियो के बीच की गहरी दरार को सॉफ-2 देख सकता था,"..& उनकी दी हुई ऐसी ही 1 नसीहत जिसे मैं हमेशा मानता हू.उन्होने मुझ से कहा था कि इंसान को अपने डॉक्टर & वकील से कभी कुच्छ भी नही छिपाना चाहिए.." शत्रुजीत की नज़रे 1 पल को उसके सीने से टकराई तो कामिनी को यू लगा जैसे उसने उसे अपने हाथो से वाहा पे च्छुआ हो.शत्रुजीत ने अपनी नज़रे तुरंत उपर की & 1 बार फिर उसकी नज़रो से मिला दी,"आप बेफ़िक्र रहिए,मैं आपको कभी भी ऐसी शिकायत का मौका नही दूँगा." "ओके,मिस्टर.सिंग.तो मुझे भी आपके साथ काम करने मे कोई ऐतराज़ नही है.",कांट्रॅक्ट पेपर्स साइन कर दोनो ने फिर से हाथ मिलाया & 1 बार फिर उसका बदन रोमांच से सिहर उठा. ------------------------------
------------------------------------------------- सवेरे वो पंचमहल स्पोर्ट्स कॉंप्लेक्स के जॉगिंग ट्रॅक पे टी-शर्ट & शॉर्ट्स मे जॉगिंग कर रही थी.उसकी गोरी टांगे & भारी मखमली जाँघो को देख शायद ही वाहा के किसी मर्द-जवान या बुड्ढे,के दिल मे उसकी जाँघो के बीच मे अपना लंड धसने का ख़याल ना आया हो. "हेलो,कामिनी." "हाई!करण.आ गये टूर से?कैसा था?" "बढ़िया.",रोज़ की साथ-2 की जॉगिंग ने दोनो की जान-पहचान को दोस्ती मे तब्दील कर दिया था.दोनो इधर-उधर की बातें करते हुए जॉगिंग करने लगे. "मुझे तो इस खेल का कुच्छ सर-पैर ही नही समझ आता!",दोनो कॉंप्लेक्स के मिनी गोल्फ कोर्स की बगल से गुज़र रहे थे. "क्यू?ऐसा क्या मुश्किल है इस खेल मे?..देखो,18 होल्स हैं.अब उनमे जो खिलाड़ी सबसे कम शॉट्स मे गेंद डाल देता है,वो जीत जाता है." "फिर भी...मुझे समझ नही आता." "तो आओ मैं समझाता हू..",करण ने उसका हाथ थामा & भागते हुए कोर्स मे दाखिल हो गया. 1 कॅडी को बुलाकर उसके बॅग मे से 1 क्लब लिया & उसे बॉल रखने को कहा,फिर 1 होल खेलने लगा,"..ये देखो.अब इसमे क्या है ऐसा जो समझ मे ना आए..",उसने गेंद को होल मे गिरा दिया,"..आओ तुम भी ट्राइ करो.ये लो." कामिनी ने क्लब ले कोशिश की पर उसकी बॉल होल तक पहुँच ही नही पाई,उसके शॉट्स आड़े-टेढ़े लग रहे थे.उसका खेल देख करण को हँसी आ गयी,"तुम तो बिल्कुल अनारी हो,यार!लाओ मैं बताता हू कैसे खेलते हैं.",करण हंसते हुए उसके पास आ गया. "पहले इस तरह खड़े हो..",उसके पीछे आ उसकी कमर पे हाथ रख उसने उसे सही तरीके से खड़ा किया,"..अब टांगे थोड़ी फैलाओ..हाँ!बस इतनी..",कारण ने झुक कर अपने हाथो से उसकी नंगे घुटनो को थाम टांगो को तोड़ा फैलाया तो कामिनी सिहर उठी.फिर कारण उसके ठीक पीछे खड़ा हो गया & उसके दाए कंधे के उपर से अपना चेहरा लाकर झुकते हुए अपनी बाहें उसकी बाहो से सटा दी & उसके गोल्फ क्लब थामे हाथो को उपर से थाम लिया,"..अब लगाते हैं शॉट." कामिनी तो जैसे होश मे ही नही थी,1 जवान मर्द का मज़बूत जिस्म उसे पीछे से बाहों मे भरे हुए था,उसके दिल की धड़कन वो अपनी पीठ पे महसूस कर रही थी,उसने अपने सख़्त हाथो मे उसके नाज़ुक हाथ कसे हुए थे-ऐसे हालात मे तो कोई बुढ़िया भी गरम हो जाए,फिर वो तो 1 जवान लड़की थी जिसके खूबसूरत जिस्म की आरज़ुएँ भी जवान थी. "हां..ऐसे..",करण ने उसके हाथो को थामे हुए शॉट लगाया तो कामिनी तो बस मस्ती मे डूब गयिक्युकि शॉट लगते वक़्त करण का निचला जिस्म उसके निचले जिस्म से टकराया & उसकी भारी गंद पे उसके लंड का दबाव पड़ा...कितने दीनो बाद उसने 1 लंड का एहसास किया था.कामिनी की आँखे मूंद गयी & वो बस करण के सहारे खड़ी हो गयी. "क्या हुआ कामिनी?तुम्हारी तबीयत तो ठीक है?",वो जैसे नींद से जागी,"ह्म्म...हा-हां..",वो उसके बदन से अलग हुई,"..अब चलना चाहिए वरना मुझे कोर्ट के लिए देर हो जाएगी..",करण उसे गहरी निगाहो से देख रहा था,शायद अपनी दोस्त का हालत का अंदाज़ा उसे हो गया था. ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- "एमेस.शरण,मैं पंचमहल जिम्कआना & रिक्रियेशन क्लब का सेक्रेटरी बोल रहा हू.मुझे आपको ये बताते हुए काफ़ी खुशी हो रही है कि क्लब ने आपकी मेंबरशिप की अर्ज़ी को मंज़ूर कर लिया है." "थॅंक यू,मिस्टर.भाटिया." "मेडम,अगर आप फ्री हो तो आज शाम को क्लब आकर अपना मेंबरशिप कार्ड ले लें & मैं आपको क्लब के बाकी मेंबर्ज़ से भी मिलवा दूँगा." "ठीक है,मैं 9 बजे वाहा पहुँच जाऊंगी." "ओके,मेडम." "हेलो..हेल्लू..",कामिनी क्लब सेक्रेटरी भाटिया के साथ क्लब मेंबर्ज़ से मिल रही थी,"तो मेडम,मैने यहा रिक्रियेशन रूम मे बैठे मेंबर्ज़ से तो आपको मिलवा दिया & आपको यहा के बारे मे सारी बातें & यहा के नियम भी बता दिए.तो अगर आपकी इजाज़त हो तो मैं अपने ऑफीस जाऊं,थोड़ा काम है." "ऑफ कोर्स,भाटिया जी.ज़रूर जाइए & थॅंक्स फॉर इंट्रोड्यूसिंग मे तो एवेरिवन हियर." क्लब काफ़ी बड़े एरिया मे फैला था.सामने बड़ा सा लॉन था जहा गर्मियो मे शाम को कुर्सिया & मेज़ें डाल दी जाती थी.क्लब के पीच्चे 1 स्विम्मिंग पूल भी था,वाहा भी मेंबर्ज़ के बैठने का इंतेज़ाम था,वही साथ ही 1 स्क्वॉश कोर्ट भी था.उपरी मंज़िल पे जिम था & 1 पूल रूम जहा बिलियर्ड्स टेबल्स लगी हुई थी..च्चत को 1 ओपन एर रेस्टोरेंट की शक्ल दी गयी थी.मेंबर्ज़ यहा सवेरे 6 बजे से लेके रात 12 बजे तक आ सकते थे.ज़्यादातर मेंबर्ज़ को अगर कभी भी खाना खाना होता तो वो रिक्रियेशन रूम का ही इस्तेमाल करते थे पर कुच्छ मेंबर्ज़ अच्छे मौसम के दीनो मे लॉन या छत पे भी खाना खाते थे. रिक्रियेशन मे कयि कार्ड टेबल्स लगी थी जिनका इस्तेमाल मेंबर्ज़ ताश खेलने के लिए करते थे.1 कोने मे 1 बार था & 1 तरफ बुक शेल्व्स लगी थी जिनके साथ ही रीडिंग रीडिंग एरिया भी था. कामिनी ने पहली मंज़िल पे जिम देखा जोकि इस वक़्त बिल्कुल खाली था & पूल रूम भी जहा कुच्छ मेंबर्ज़ खेल रहे थे.इसके बाद कामिनी छत पे चली गयी,"ओह!हेलो,कामिनी.वॉट आ प्लेज़ेंट सर्प्राइज़!" "हाई!मिस्टर.सिंग.",षत्रुजीत सिंग मुस्कुराता हुआ उसके करीब आया.कामिनी ने आज 1 घुटनो तक की सफेद ड्रेस पहनी थी जिसपे छ्होटे-2 गुलाबी फूल बने हुए थे.ड्रेस की छ्होटी बाँह से निकलती उसकी गोरी बाहें & हाथ क्लब की लाइट्स मे चमक रहे थे.मौसम बड़ा अच्छा था & ठंडी हवा के 1 झोंके ने उसकी ज़ूलफे उड़ा कर उसके चेहरे पे ला दी तो उसने उन्हे अपने हाथो से पीछे किया. "मैने आपको यहा पहली बार देखा है.",शत्रुजीत ने उसके हुस्न को सर से पाँव तक 1 नज़र भर कर देखा. "मैने आज ही क्लब जाय्न किया है.",उसे ऐसा लगा जैसे की शत्रुजीत नज़रो से ही उसकी ड्रेस उतार रहा है. "दट इस ग्रेट!वेलकम टू दा क्लब...आइए,बैठिए.",छत की रेलिंग से सटकर कुच्छ कुर्सिया लगी थी.दोनो उन्ही पे आमने-सामने बैठ गये,"इसी खुशी मे आज का डिन्नर आप मेरे साथ कीजिए." "थॅंक यू,मिस्टर.सिंग पर प्लीज़ बेवजह तकल्लूफ ना करें." "अरे इसमे तकल्लूफ कैसा?कौन सा मुझे अपने हाथो से खाना बनाना है..",उसकी इस बात से कामिनी को हँसी आ गयी,"..वैसे आपके लिए खाना बनाने मे मुझे कोई तकलीफ़ होगी नही.",उसने गहरी निगाहो से कामिनी को देखा.कामिनी का दिल धड़कने लगा & उसने उसकी निगाहो से निगाह मिलने से बचने के लिए अपनी पोज़िशन थोड़ा बदलते हुए अपनी बाई टांग पे अपनी दाई टांग चढ़ा के बैठ गयी,"प्लीज़,आज नही.फिर कभी...वैसे भी अब तो हम मिलते ही रहेंगे." "ठीक है.जैसी आपकी मर्ज़ी.पर कम से कम 1 लेमनेड तो पी सकती हैं मेरे साथ?" "जी! ज़रूर.".शत्रुजीत ने इशारा किया तो 1 वेटर ने 1 छ्होटी तिपाई बगल मे रख दी & उनके लेमनेड के ग्लास उन्हे थमा दिए.तभी हवा का 1 झोंका आया & उसने कामिनी की ड्रेस को थोडा उठा दिया & शत्रुजीत की नज़रे उसकी मखमली दाई जाँघ पे पड़ी.कामिनी को फिर से लगा की जैसे उसने अपने हाथो से उसकी जाँघ च्छू ली हो.उसने लेमनेड ख़तम कर ग्लास तिपाई पे रखा,"अच्छा..अब मैं चलती हू.",वो खड़ी हुई. हवा का 1 झोंका अपने साथ थोड़ी धूल ले आया & उसी धूल का 1 ज़ररा कामिनी की आँख मे घुस गया,"आउच..!",उसका हाथ अपनी आँख पे चला गया. "क्या हुआ?",शत्रुजीत खड़ा हो गया. "लगता है आँख मे कुच्छ पड़ गया." "लाइए,मैं देखता हू.",उसने उसका हाथ हटाया & फिर उसके चेहरे को हाथो मे भर उसकी पलके फैला कर फूँक मार कर ज़र्रे को निकालने की कोशिश करने लगा.कामिनी की टाँगो मे तो जैसे जान ही ना रही.शत्रुजीत उसके बहुत करीब खड़ा था & जब वो आगे झुक कर फूँक मारता तो उसका चौड़ा सीना उसकी चूचियो से टकरा जाता,"..लो निकल गया." मदहोश कामिनी के पैर लड़खड़ा गये तो शत्रुजीत ने उसकी कमर को घेरते हुए अपनी बाहो मे थाम लिया & थामते ही उसकी चूचिया शत्रुजीत के सीने से पीस गयी,"क्या हुआ?" "का-कुच्छ नही..ज़रा पैर फिसल गया...",कामिनी उस से अलग हुई तेज़ कदमो से चलती हुई वाहा से निकल गयी. उसके जाते ही शत्रुजीत का मोबाइल बजा,उसने नंबर देखा & मुस्कुरा कर कॉल रिसीव की,"हेलो,अंकल जे." "हेलो!सोन.कहा हो?क्लब मे?" "जी.और आप?वही बॉर्नीयो मे?",बॉर्नीयो पंचमहल का सबसे पुराना पब था & जयंत पुराणिक वाहा लगभग रोज़ ही जाते थे. "अभी-2 खबर मिली है कि पार्टी ने अमरजीत जी के बाद तुम्हे ही लोक सभा एलेक्षन का टिकेट देने का फ़ैसला किया है.थोड़ी देर मे मिश्रा जी तुम्हे फोन करेंगे." "ओके." "देखो बेटा मैं जो कहूँगा उसका बुरा मत मानना & मुझे ग़लत मत समझना.मैं चाहता हू कि तुम अपनी ज़ाति ज़िंदगी को ज़ाति ही रखो.मुझे तुम्हारी समझदारी पे पूरा यकीन है पर बेटे,अब मीडीया & ऑपॉस्षन पार्टी ही नही बल्कि तुम्हारी अपनी पार्टी के कुच्छ लोग तुम्हारी 1-1 हरकत पे नज़र रखेंगे & इस ताक मे रहेंगे कि कब तुम्हे नीचे लाया जा सके." "हमारी अपनी पार्टी के लोग अंकल?" "हां,बेटा." "कौन हैं वो,अंकल?" "बेटा,1 का नाम तो मैं दावे के साथ ले सकता हू-जगबीर ठुकराल." ------------------------------------------------------------------------------- पंचमहल 1 तेज़ी से बढ़ता हुआ शहर था जहा रोज़ नयी-2 कॉलोनीस बस रही थी.इन्ही मे से 1 थी विकास खंड,इस विकास खंड का सेक्टर-52 पंचमहल की सबसे नयी पॉश कॉलोनी थी.इसमे दाखिल होते ही चारो तरफ 1 से बढ़कर 1 आलीशान बंगल दिखाई देते मगर कोई इंसान नही,लगता मानो किसी वीरान बस्ती मे आ गये हैं.यहा बसने वाले या तो इन सुनहरी दीवारो के पीछे रहते & अगर कही बाहर जाना भी पड़ता तो गहरे काले शीशो से ढँकी गाडियो मे जाते.दिखते तो बस उनकी दौलत की हिफ़ाज़त करने वाले गार्ड्स. इसी कॉलोनी मे 1 2-मंज़िला बहुत बड़ा आलीशान बुंगला था जगबीर ठुकराल का.बंगल की दोनो मंज़िले जैसे ठुकराल की दोहरी ज़िंदगी की निशानी थी.निचली मंज़िल पे रहता था पॉलिटीशियन ठुकराल तो उपरी पे अय्याश.उस से मिलने-जुलने वालो से वो निचली मंज़िल पे ही मिलता था.सबको यही लगता था कि उपरी मंज़िल बंद पड़ी है.उपरी मंज़िल पे जाने की सीढ़िया नीचे घर के पीछे थी.उन सीढ़ियो की चाभी बस ठुकराल के पास थी.ठुकराल का बुंगला 2 प्लॉट्स को मिला कर बने 1 बड़े प्लॉट मे बना था.मगर साथ का 1 प्लॉट भी उसी का था जोकि इस उपरी मंज़िल के राज़ को राज़ रखने के लिए था.उस उपरी मंज़िल पे रहने वालो को अगर कभी बाहर जाने की ज़रूरत पड़ती तो वो सीढ़ियो से नीचे आ कर 1 छिपे गलियारे से होते हुए उस तीसरे प्लॉटे मे पहुँचते जहा की 1 छ्होटा सा घर बना था.वाहा गाड़िया खड़ी रहती थी & उनमे बैठ वो उस तीसरे प्लॉट से बाहर निकल जाते दुनिया को लगता कि वो लोग इस तीसरे प्लॉट मे रहते हैं ना की ठुकराल के बुंगले मे. लोग तो ये समझते थे की ठुकराल निचली मंज़िल पे अकेला रहता था पर हक़ीक़त ये थी कि वो उपरी मंज़िल वीरान नही थी,बल्कि हुमेशा हुस्न की परियो से गुलज़ार रहती थी.ये उपरी मंज़िल ठुकराल की ऐषगाह थी,जिसकी देखभाल का पूरा ज़िम्मा केवल लड़कियो के हाथ मे था. ठुकराल को अगर कोई भी लड़की पसंद आ जाती तो वो उसे अपने बिस्तर तक लाके ही दम लेता-अब चाहे वो लड़की अपनी मर्ज़ी से आए या फिर ज़बरदस्ती.ज़बरदस्ती लाई गयी लड़की को वो अपनी हवस पूरी करने के बाद मौत की नींद सुला देता क्यूकी उसे डर रहता था कि कही उसका ये घिनोना रूप दुनिया के सामने ना आ जाए.और जो लड़की खुशी-2 उसकी बात मान लेती थी उसे वो पैसो से तोल देता था. इनमे से कुच्छ लड़कियाँ उसे इतनी पसंद आती थी कि उन्हे वो अपनी इस ऐषगाह मे ले आता जहा वो उसके जिस्म की भूख भी मिटती & साथ-2 ऐषगाह की देखभाल भी करती.इसके ऐवज मे इन लड़कियो को 1 मोटी रकम हर महीने दी जाती थी.जब किसी लड़की से ठुकराल का मन ऊब जाता तो वो उसे बहा से चलता कर देता पर जाते वक़्त भी उस लड़की की झोली नोटो से भर देता.इस वक़्त भी ऐसी 5 लड़कियाँ उसके हरम मे मौजूद थी. ठुकराल के इस हरम के बारे मे उसके & इन लड़कियो के अलावा वाहा आने वाली हाइ-क्लास कल्लगिर्ल्स & उन्हे हॅंडल करने वाले दलाल & मेडम्स को पता था.पर ये कभी भी उसके इस राज़ के बारे मे नही बोलते थे-लड़कियो & कल्लगिर्ल्स को पैसे मिल रहे थे तो वो क्यू किसी पचदे मे पड़ अपनी कमाई खटाई मे डालती!..& मेडम्स & दलाल इतने बढ़िया ग्राहक को नाराज़ कर अपने पैरो पे आप कुल्हाड़ी क्यू मारते! बंगले के उपरी मंज़िल पे 8 कमरे थे जिनमे से 5 मे वो लड़किया रहती थी & 1 बहुत ही बड़ा हॉल था जो था ठुकराल की ऐषगाह.उसे पहली बार देखने वालो की आँखे चौंधिया जाती थी.इटॅलियन मार्बल की टाइल्स से सजे फर्श पे ईरानी गाळीचे बिछे हुए थे.1 दीवार की पूरी लंबाई से लगा 1 बहुत ही लंबा गद्देदार सोफा रखा था.इस सोफे की उपर की पूरी दीवार पे खजुराहो की मूर्तियो की नकल बना के लगाई गयी थी-पर इन पत्थर की मूर्तियो को सोने से मढ़ा गया था.सोफे की ठीक सामने की दीवार से लगा 1 बड़ा एल्सीडी टीवी रखा था & उसके नीचे होमे थियेटर सिस्टम का डिस्क प्लेयर.होमे थियेटर के स्पीकर्स पूरे हॉल मे छुपे हुए थे.टीवी के अगल बगल के शेल्व्स मे हर तरह की ब्लू फिल्म्स की डिस्क्स भरी पड़ी थी..सोफे & टीवी के बीच मे 1 शीशे की मेज़ थी जिसके पैर नंगी लड़कियो के आकार मे तराशे हुए थे.सोफे के बाद 1 कोने मे 1 फ्रिड्ज रखा था & उसी के बगल मे बार भी था.वाहा से थोड़ा हट के 1 शीशे की डाइनिंग टेबल थी & उसके पैर भी उस छ्होटी मेज़ की तरह ही थे. दूसरे कोने मे 1 जक्यूज़ी टब लगा हुआ था जिसमे 1 साथ 5 लोग आराम से बैठ सकते थे.उसी के बगल मे 1 शवर क्यूबिकल भी बना हुआ था.कोई भी दीवार खाली नही थी.हर दीवार पे नंगी लड़कियो की अकेले या फिर किसी मर्द के साथ प्यार करते हुए नज़रो की बड़ी खूबसूरत पेंटिंग्स सजी थी. पर 2 चीज़े थी जोकि इस हॉल मे दाखिल होते ही किसी का ध्यान अपनी ओर सबसे पहले खींचती थी..पहली चीज़ थी 1 10फ्ट जे 6फ्ट की पैंटिंग जिसमे 1 नंगी लड़की झरने मे नहा रही थी.गौर से देखने पे पता चलता था कि जहा पे लड़की की चूत थी वाहा पे 1 छेद मे 1 बटन लगा था जिसे दबाने पे पैंटिंग बीच से 2 हिस्सो मे बँट जाती.दरअसल वो 1 वॉर्डरोब का दरवाज़ा थी जिस वॉर्डरोब के अंदर लड़कियो की पोशाके भरी पड़ी थी-मिनी स्कर्ट्स.माइक्रो मिनिस,बूस्तिएर्स,ट्यूब टॉप्स,नाइटी,बिकीनिस,सारिया-कोई भी ऐसा कपड़ा जिसमे 1 लड़की सेक्सी लग सके & जिसे पहने उस लड़की को देखने की ठुकराल की तमन्ना हो. और दूसरी चीज़ थी 1 गोल किंग साइज़ पलंग जिसपे तकिये & कुशान्स पड़े हुए थे & जो हुमेशा फूलो से ढँका रहता था. क्रमशः..............
-- साधू सा आलाप कर लेता हूँ , मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ .. मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,, बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ आपका दोस्त राज शर्मा (¨`·.·´¨) ऑल्वेज़ `·.¸(¨`·.·´¨) कीप लविंग & (¨`·.·´¨)¸.·´ कीप स्माइलिंग ! `·.¸.·´ -- राज
GEHRI CHAAL paart--6
"Good evening,Kamini.",Trivwni group ki office building ke conference hall me kamini ke MUkul ke sath dakhil hote hi Shatrujeet Singh ne aage badh ke muskurate hue us se hath milaya.uski unglio ke chhute hi kamini ke badan me fir se vahi jana-pehchana madhoshi ka ehsas daud gaya,"hello..",vo bas jawab me itna hi kah payi. "aaiye..",shatrujeet ne pane daaye hath me uska hath thame hue baaya uski blouse ke neeche se jhalakti nangi kamar pe rakha & use table ki or le chala jaha Jayant Puranik ke sath 5 aur log baithe the.shatrujeet ke hath me hath hone se pehle hi kamini ka haal bura tha & ab kamar pe hath rakhne ke baad to uski taange bhi kaanpne lagi.kisi tarah vo table tak pahunchi & 1 kursi pe baith gayi. "kamini,uncle jay se to aap pehle hi mil chuki hain..",kamini ne unki taraf dekh kar muskura ke sar hilaya to unhone bhi jawab me apna sar hilaya,"..& ye meri baki ki team hai joki triveni ko chalati hai..",shatrujeet ne uska parichay sabhi se karvaya to kamini ne bhi un sabko mukul se milawaya. kamini ne aankho ke kone se dekha ki conference table se thoda hat ke 1 kursi pe Abdul Pasha baitha hai & uski thandi nazre bade gaur se un sab ko dekh rahi hain....aakhir kyu uski aankhe aisi khoon jama dene wali thi? kamini ne apna dhyan uski or se hataya & shatrujeet ki baato pe lagaya,"..ye vo cases hain kamini joki already court me hain & ye vo hain joki court me ja sakte hain..",shatrujeet ne apni secretary se 2 folders le kar uski or badhaye. "mr.singh.kayi log samajhte hain ki 1 vakil aapko aapki ki hui galti se milne wali saza se bachata hai-unka ye maanana sahi bhi hai,par kayi log jaan bujh kar galtiyaan karte hain & fir vakil ke paas jate hain us saza se bachne jis se bachne ka unhe koi haq nahi hota.main in cases ko hath lagane se pehle 1 baat saaf kar dena chahti hu,main kewal un logo ke cases ko hath lagati hu joki jaan bujh kar galtiyaan nahi karte...vo clients jo mujh se jhuth bolen ya fir baaten chhupayen,mujhe bilkul pasand nahi." "kamini..",shatrujeet uske samne table ki dusri oe baitha tha,vo utha & aakar uske paas table pe baith gaya & uski aankho se aankhe mila di,"..ye business main apni MBA ki degre ke boote pe nahi chalata balki apne pita ki nasihato ke boote pe chalata hu..",kamini ki sari ka aanchal thoda 1 taraf tha & shatrujeet jis tarah se baitha tha,vo uske blouse ke gale se jhankte uske halke se cleavage & dono chhattiyo ke beech ki gehri darar ko saaf-2 dekh sakta tha,"..& unki di hui aisi hi 1 naseehat jise main hamesha maanta hu.unhone mujh se kaha tha ki insan ko apne doctor & vakil se kabhi kuchh bhi nahi chhipana chahiye.." shatrujeet ki nazre 1 pal ko uske seene se takrayi to kamini ko yu laga jaise usne use apne haatho se vaha pe chhua ho.shatrujeet ne apni nazre turant upar ki & 1 bar fir uski nazro se mila di,"aap befikr rahiye,main aapko kabhi bhi aisi shikayat ka mauka nahi doonga." "ok,mr.singh.to mujhe bhi aapke sath kaam karne me koi aitraaz nahi hai.",contract papers sign kar dono ne fir se hath milaya & 1 baar fir uska badan romanch se sihar utha. ------------------------------------------------------------------------------- savere vo Panchmahal Sports Complex ke jogging track pe t-shirt & shorts me jogging kar rahi thi.uski gori taange & bhari makhmali jaangho ko dekh shayad hi vaha ke kisi mard-jawan ya buddhe,ke dil me uski jaangho ke beech me apna lund dhasane ka khayal na aaya ho. "hello,kamini." "hi!karan.aa gaye tour se?kaisa tha?" "badhiya.",roz ki sath-2 ki jogging ne dono ki jaan-pechan ko dosti me tabdil kar diya tha.dono idhar-udhar ki baaten karte hue jogging karne lage. "mujhe to is khel ka kuchh sar-pair hi nahi samajh aata!",dono complex ke mini golf course ki bagal se guzar rahe the. "kyu?aisa kya mushkil hai is khel me?..dekho,18 holes hain.ab unme jo khiladi sabse kam shots me gend daal deta hai,vo jeet jata hai." "fir bhi...mujhe samajh nahi aata." "to aao main samjhata hu..",karan ne uska hath thama & bhagte hue course me dakhil ho gaya. 1 caddy ko bulakar uske bag me se 1 club liya & use ball rakhne ko kaha,fir 1 hole khelne laga,"..ye dekho.ab isme kya hai aisa jo samajh me na aaye..",usne gend ko hole me gira diya,"..aao tum bhi try karo.ye lo." kamini ne club le koshish ki par uski ball hole tak pahunch hi nahi payi,uske shots aade-tedhe lag rahe the.uska khel dekh karan ko hansi aa gayi,"tum to bilkul anari ho,yaar!lao main batata hu kaise khelte hain.",karan hanste hue uske paas aa gaya. "pehle is tarah khade ho..",uske peechhe aa uski kamar pe hath rakh usne use sahi tarike se khada kiya,"..ab taange thodi phailao..haan!bas itni..",karan ne jhuk kar apne haatho se uski nange ghutno ko tham tango ko thoda phailaya to kamini sihar uthi.fir karan uske thik peechhe khada ho gaya & uske daaye kandhe ke upar se apna chehra lakar jhukte hue apni baahen uski baaho se sata di & uske golf club thame hatho ko upar se tham liya,"..ab lagate hain shot." kamini to jaise hosh me hi nahi thi,1 jawan mard ka mazboot jism use peechhe se baahon me bhare hue tha,uske dil ki dhadkan vo apni pith pe mehsus kar rahi thi,usne apne sakht haatho me uske nazuk hath kase hue the-aise halaat me to koi budhiya bhi garam ho jaye,fir vo to 1 jawan ladki thi jiske khubsurat jism ki aarzuyen bhi jawan thi. "haan..aise..",karan ne uske haatho ko thame hue shot lagaya to kamini to bas masti me dub gayikyuki shot lagate waqt karan ka nichla jism uske nichle jism se takraya & uski bhari gand pe uske lund ka dabav pada...kitne dino baad usne 1 lund ka ehsas kiya tha.kamini ki aankhe mund gayi & vo bas karan ke sahare khadi ho gayi. "kya hua kamini?tumhari tabiyat to thik hai?",vo jaise neend se jagi,"hmm...ha-haan..",vo uske badan se alag hui,"..ab chalna chahiye varna mujhe court ke liye der ho jayegi..",karan use gehri nigaho se dekh raha tha,shayad apni dost ka halat ka andaza use ho gaya tha. ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- "ms.sharan,main Panchmahal Gymkhana & Recreation club ka secretary bol raha hu.mujhe apko ye batate hue kafi khushi ho rahi hai ki club ne aapki membership ki arzi ko manzur kar liya hai." "thank you,Mr.Bhatia." "madam,agar aap free ho to aaj sham ko club aakar apna membership card le len & main aapko club ke baaki members se bhi milwa dunga." "thik hai,main 9 baje vaha pahunch jaoongi." "ok,madam." "Hello..helloo..",Kamini club secretary Bhatia ke sath club members se mil rahi thi,"to madam,maine yaha recreation room me baithe members se to aapko milwa diya & aapko yaha ke bare me sari baaten & yaha ke niyam bhi bata diye.to agar aapki ijazat ho to main apne office jaoon,thoda kaam hai." "of course,bhatia ji.zaroor jaiye & thanks for introducing me to everyone here." club kafi bade area me phaila tha.samne bada sa lawn tha jaha garmiyo me sham ko kursiya & mezen daal di jati thi.club ke peechhe 1 swimming pool bhi tha,vaha bhi members ke baithne ka intezam tha,vahi sath hi 1 squash court bhi tha.upari manzil pe gym tha & 1 pool room jaha billiards tables lagi hui thi..chhat ko 1 open air restaurant ki shakl di gayi thi.members yaha savere 6 baje se leke raat 12 baje tak aa sakte the.zyadatar members ko agar kabhi bhi khana khana hota to vo recreation room ka hi istemal karte the par kuchh members achhe mausam ke dino me lawn ya chhat pe bhi khana khate the. recreation me kayi card tables lagi thi jinka istemal members tash khelne ke liye karte the.1 kone me 1 bar tha & 1 taraf book shelves lagi thi jinke sath hi reading reading area bhi tha. kamini ne pehli manzil pe gyn dekha joki is waqt bilkul khali tha & pool room bhi jaha kuchh members khel rahe the.iske baad kamini chhat pe chali gayi,"oh!hello,kamini.what a pleasant surprise!" "hi!Mr.Singh.",Shatrujeet Singh muskurata hua uske kareeb aaya.kamini ne aaj 1 ghutno tak ki safed dress pehni thi jispe chhote-2 gulabi phool bane hue the.dress ki chhoti baanh se nikalti uski gori baahen & hath club ki lights me chamak rahe the.mausam bada achha tha & thandi hawa ke 1 jhonke ne uski zulfe uda kar uske chehre pe la di to usne unhe apne hatho se peechhe kiya. "maine aapko yaha pehli baar dekha hai.",shatrujeet ne uske husn ko sar se paanv tak 1 nazar bhar kar dekha. "maine aaj hi club join kiya hai.",use aisa laga jaise ki shatrujeet nazro se hi uski dress utar raha hai. "that is great!welcome to the club...aaiye,baithiye.",chhat ki railing se satakr kuchh kursiya lagi thi.dono unhi pe aamne-samne baith gaye,"isi khushi me aaj ka dinner aap mere sath kijiye." "thank you,mr.singh par please bewajah takalluf na karen." "are isme takalluf kaisa?kaun sa mujhe apne hatho se khana banana hai..",uski is baat se kamini ko hansi aa gayi,"..vaise aapke liye khana banane me mujhe koi takleef hogi nahi.",usne gehri nigaho se kamini ko dekha.kamini ka dil dhadakne laga & usne uski nigaho se nigah milane se bachne ke liye apni position thoda badalte hue apni baayi tang pe apni daayi tang chadha ke baith gayi,"please,aaj nahi.fir kabhi...vaise bhi ab to hum milte hi rahenge." "thik hai.jaisi aapki marzi.par kam se kam 1 lemonade to pi sakti hain mere satha?" "ji! zaroor.".shatrujeet ne ishara kiya to 1 waiter ne 1 chhoti tipayi bagal me rakh di & umke lemonade ke glass unhe thama diye.tabhi hawa ka 1 jhonka aaya & usne kamini ki dress ko thoda utha diya & shatrujeet ki nazre uski makhmali daayi jangh pe padi.kamini ko fir se laga ki jaise usne apne hatho se uski jangh chhu li ho.usne lemonade khatam kar glass tipayi pe rakha,"achha..ab main chalti hu.",vo khadi hi. hawa ka 1 jhonka apne sath thodi dhool le aaya & usi dhool ka 1 zarra kamini ki aankh me ghus gaya,"ouch..!",uska hath apni aankh pe chala gaya. "kya hua?",shatrujeet khada ho gaya. "lagta hai aankh me kuchh pad gaya." "laiye,main dekhta hu.",usne uska hath hataya & fir uske chehre ko haatho me bhar uski palke phaila kar phoonk maar kar zarre ko nikalne ki koshish karne laga.kamini ki taango me to jaise jaan hi na rahi.shatrujeet uske bahut kareeb khada tha & jab vo aage jhuk kar phoonk marta to uska chauda seena uski chhatiyo se takra jata,"..lo nikal gaya." madhosh kamini ke pair ladkhada gaye to shatrujeet ne uski kamar ko gherte hue apni baaho me tham liya & thamte hi uski choochiya shatrujeet ke seene se pis gayi,"kya hua?" "ka-kuchh nahi..zara pair phisal gaya...",kamini us se alag hui tez kadmo se chalti hui vaha se nikal gayi. uske jate hi shatrujeet ka mobile baja,usne number dekha & muskura kar call receive ki,"hello,uncle Jay." "hello!son.kaha ho?club me?" "ji.aur aap?vahi Borneo me?",Borneo panchmahal ka sabse purana pub tha & Jayant Puranik vaha lagbhag roz hi jate the. "abhi-2 khabar mili hai ki party ne Amarjeet ji ke baad tumhe hi Lok Sabha election ka ticket dene ka faisla kiya hai.thodi der me Mishra ji tumhe phone karenge." "ok." "dekho beta main jo kahunga uska bura mat maanana & mujhe galat mat samajhna.main chahta hu ki tum apni zati zindagi ko zati hi rakho.mujhe tumhari samajhdari pe pura yakeen hai par bete,ab media & oppostion party hi nahi balki tumhari apni party ke kuchh log tumhari 1-1 harkat pe nazar rakhenge & is taak me rahenge ki kab tumhe neeche laya ja sake." "humari apni party ke log uncle?" "haan,beta." "kaun hain vo,uncle?" "beta,1 ka naam to main dave ke sath le sakta hu-Jagbir Thukral." ------------------------------------------------------------------------------- panchmahal 1 tezi se badhta hua shahar tha jaha roz nayi-2 colonies bas rahi thi.inhi me se 1 thi Vikas Khand,is vikas khand ka Sector-52 panchmahal ki sabse nayi posh colony thi.isme dakhil hote hi charo taraf 1 se badhkar 1 aalishan bungle dikhayi dete magar koi insan nahi,lagta mano kisi veeran basti me aa gaye hain.yaha basne vale ya to in sunahari deewaro ke peechhe rehte & agar kahi bahar jana bhi padta to gehre kale sheesho se dhanki gaadiyo me jate.dikhte to bas unki daulat ki hifazat karne vale guards. isi colony me 1 2-manzila bahut bada aalishan bungla tha jagbir thukral ka.bungle ki dono manzile jaise thukral ki dohri zindagi ki nishani thi.nichli manzil pe rahta tha politician thukral to upari pe ayyash.us se milne-julne walo se vo nichli manzil pe hi milta tha.sabko yehi lagta tha ki upari manzil band padi hai.upari manzil pe jane ki seedhiya neeche ghar ke peechhe thi.un seedhiyo ki chabhi bas thukral ke paas thi.thukral ka bungla 2 plots ko mila kar bane 1 bade plot me bana tha.magar sath ka 1 plot bhi usi ka tha joki is upari manzil ke raaz ko raaz rakhne ke liye tha.us upari manzil pe rehne waalo ko agar kabhi bahar jane ki zaroorat padti to vo sidhiyo se neeche aa kar 1 chhipe galiyare se hote hue us teesre plote me pahunchte jaha ki 1 chhota sa ghar bana tha.vaha gaadiya khadi rahti thi & unme baith vo us teesre plot se bahar nikal jaate duniya ko lagta ki vo log is teesre plot me rahte hain na ki thukral ke bungle me. log to ye samajhte the ki thukral nichli manzil pe akela rahta tha par haqeeqat ye thi ki vo upari manzil veeran nahi thi,balki humesha husn ki pariyo se gulzar rahti thi.ye upari manzil thukral ki aishgah thi,jiski dekhbhal ka pura zimma kewal ladkiyo ke hath me tha. thukral ko agar koi bhi ladki pasand aa jati to vo use apne bistar tak lake hi dum leta-ab chahe vo ladki apni marzi se aaye ya fir zabardasti.zabardasti layi gayi ladki ko vo apni hawas puri karne ke baad maut ki neend sula deta kyuki use darr rahta tha ki kahi uska ye ghinona roop duniya ke samne na aa jaye.aur jo ladki khushi-2 uski baat maan leti thi use vo paiso se tol deta tha. inme se kuchh ladkiyaan use itni pasand aati thi ki unhe vo apni is aishgah me le aata jaha vo uske jism ki bhookh bhi mitati & sath-2 aishgah ki dekhbhal bhi karti.iske aivaz me in ladkiyo ko 1 moti rakam har mahine di jati thi.jab kisi ladki se thukral ka man oob jata to vo use baha se chalta kar deta par jate waqt bhi us ladki ki jholi noto se bhar deta.is waqt bhi aisi 5 ladkiyan uske haram me maujood thi. thukral ke is haram ke bare me uske & in ladkiyo ke alawa vaha aane vali high-class callgirls & unhe handle karne wale dalal & madams ko pata tha.par ye kabhi bhi uske is raaz ke bare me nahi bolte the-ladkiyo & callgirls ko paise mil rahe the to vo kyu kisi pachde me pad apni kamai khatai me daalti!..& madams & dalal itne badhiya grahak ko naraz kar apne pairo pe aap kulhadi kyu marte! bungle ke upari manzil pe 8 kamre the jinme se 5 me vo ladkiya rehti thi & 1 bahut hi bada hall tha jo tha thukral ki aishgah.use pehli baar dekhne vaalo ki aankhe chaundhiya jati thi.Italian marble ki tiles se saje farsh pe Irani galeeche bichhe hue the.1 deewar ki puri lamvai se laga 1 bahut hi lamba gaddedar sofa rakha tha.is sofe ki upar ki poori deear pe Khajuraho ki murtiyo ki nakale bana ke lagyi gayi thi-par in patthar ki murtiyo ko sone se madha gaya tha.sofe ki thik samne ki deewar se laga 1 bada LCD tv rakha tha & uske neeche home theater system ka disc player.home theater ke speakers pure hall me chhupe hue the.tv ke agal bagal ke shelves me har tarah ki blue films ki discs bhari padi thi..sofe & tv ke beech me 1 sheeshe ki mez thi jiske pair nangi ladkiyo ke aakar me tarashe hue the.sofe ke baad 1 kone me 1 fridge rakha tha & usi ke bagal me bar bhi tha.vaha se thoda hat ke 1 sheeshe ki dining table thi & uske pair bhi us chhoti mez ki tarah hi the. dusre kone me 1 jacuzzi tub laga hua tha jisme 1 sath 5 log aaram se baith sakte the.usi ke bagal me 1 shower cubicle bhi bana hua tha.koi bhi deewar khali nahi thi.har deewar pe nangi ladkiyo ki akele ya fir kisi mard ke sath pyar karte hue nazaro ki badi khubsurat paintings saji thi. par 2 cheeze thi joki is hall me dakhil hote hi kisi ka dhyan apni or sabse pehle khinchti thi..pehli chiz thi 1 10ft X 6ft ki painting jisme 1 nangi ladki jharne me naha rahi thi.gaur se dekhne pe pata chalta tha ki jaha pe ladki ki chut thi vaha pe 1 chhed me 1 button laga tha jise dabane pe painting beech se 2 hisso me bant jati.darasal vo 1 wardrobe ka darwaza thi jis wardrobe ke andar ladkiyo ki poshake bhari padi thi-mini skirts.micro minis,bustiers,tube tops,nighty,bikinis,saariya-koi bhi aisa kapda jisme 1 ladki sexy lag sake & jise pehne us ladki ko dekhne ki thukral ki tamanna ho. aur dusri cheez thi 1 gol king size palang jispe takiye & cushions pade hue the & jo humesha phoolo se dhanka rahta tha.
-- साधू सा आलाप कर लेता हूँ , मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ .. मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,, बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ आपका दोस्त राज शर्मा (¨`·.·´¨) ऑल्वेज़ `·.¸(¨`·.·´¨) कीप लविंग & (¨`·.·´¨)¸.·´ कीप स्माइलिंग ! `·.¸.·´ -- राज
GEHRI CHAAL paart--6
"Good evening,Kamini.",Trivwni group ki office building ke conference hall me kamini ke MUkul ke sath dakhil hote hi Shatrujeet Singh ne aage badh ke muskurate hue us se hath milaya.uski unglio ke chhute hi kamini ke badan me fir se vahi jana-pehchana madhoshi ka ehsas daud gaya,"hello..",vo bas jawab me itna hi kah payi. "aaiye..",shatrujeet ne pane daaye hath me uska hath thame hue baaya uski blouse ke neeche se jhalakti nangi kamar pe rakha & use table ki or le chala jaha Jayant Puranik ke sath 5 aur log baithe the.shatrujeet ke hath me hath hone se pehle hi kamini ka haal bura tha & ab kamar pe hath rakhne ke baad to uski taange bhi kaanpne lagi.kisi tarah vo table tak pahunchi & 1 kursi pe baith gayi. "kamini,uncle jay se to aap pehle hi mil chuki hain..",kamini ne unki taraf dekh kar muskura ke sar hilaya to unhone bhi jawab me apna sar hilaya,"..& ye meri baki ki team hai joki triveni ko chalati hai..",shatrujeet ne uska parichay sabhi se karvaya to kamini ne bhi un sabko mukul se milawaya. kamini ne aankho ke kone se dekha ki conference table se thoda hat ke 1 kursi pe Abdul Pasha baitha hai & uski thandi nazre bade gaur se un sab ko dekh rahi hain....aakhir kyu uski aankhe aisi khoon jama dene wali thi? kamini ne apna dhyan uski or se hataya & shatrujeet ki baato pe lagaya,"..ye vo cases hain kamini joki already court me hain & ye vo hain joki court me ja sakte hain..",shatrujeet ne apni secretary se 2 folders le kar uski or badhaye. "mr.singh.kayi log samajhte hain ki 1 vakil aapko aapki ki hui galti se milne wali saza se bachata hai-unka ye maanana sahi bhi hai,par kayi log jaan bujh kar galtiyaan karte hain & fir vakil ke paas jate hain us saza se bachne jis se bachne ka unhe koi haq nahi hota.main in cases ko hath lagane se pehle 1 baat saaf kar dena chahti hu,main kewal un logo ke cases ko hath lagati hu joki jaan bujh kar galtiyaan nahi karte...vo clients jo mujh se jhuth bolen ya fir baaten chhupayen,mujhe bilkul pasand nahi." "kamini..",shatrujeet uske samne table ki dusri oe baitha tha,vo utha & aakar uske paas table pe baith gaya & uski aankho se aankhe mila di,"..ye business main apni MBA ki degre ke boote pe nahi chalata balki apne pita ki nasihato ke boote pe chalata hu..",kamini ki sari ka aanchal thoda 1 taraf tha & shatrujeet jis tarah se baitha tha,vo uske blouse ke gale se jhankte uske halke se cleavage & dono chhattiyo ke beech ki gehri darar ko saaf-2 dekh sakta tha,"..& unki di hui aisi hi 1 naseehat jise main hamesha maanta hu.unhone mujh se kaha tha ki insan ko apne doctor & vakil se kabhi kuchh bhi nahi chhipana chahiye.." shatrujeet ki nazre 1 pal ko uske seene se takrayi to kamini ko yu laga jaise usne use apne haatho se vaha pe chhua ho.shatrujeet ne apni nazre turant upar ki & 1 bar fir uski nazro se mila di,"aap befikr rahiye,main aapko kabhi bhi aisi shikayat ka mauka nahi doonga." "ok,mr.singh.to mujhe bhi aapke sath kaam karne me koi aitraaz nahi hai.",contract papers sign kar dono ne fir se hath milaya & 1 baar fir uska badan romanch se sihar utha. ------------------------------
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