Saturday, June 5, 2010

मैं हूँ हसीना गजब की--पार्ट--7

raj sharma stories




मैं हूँ हसीना गजब की--पार्ट--7



गतान्क से आगे........................

तो उन्हों ने हंस कर मेरी ओर देखते हुए एक आँख दबा कर कहा, "
यही सही है. तुम्हारी जगह कोई दूसरा ले भी नही सकती और बाइ दा
वे मेरा और कोई कुँवारा बेटा भी तो नही बचा ना."

अभी दो महीने ही हुए थे कि मैने राज जी को कुच्छ परेशान
देखा.

"क्या बात है डॅडी आप कुच्छ परेशान हैं." मैने पूचछा.

"शिम्रिति तुम कल से हफ्ते भर के लिए ऑफीस आने लागो." उन्हों ने
मेरी ओर देखते हुए पूचछा," तुम्हे कोई परेशानी तो नही होगी ना
अपने पुराने काम को सम्हालने मे?

"नही. लेकिन क्यों?" मैने पूचछा

"अरे वो नयी सेक्रेटरी अकल के मामले मे बिल्कुल खाली है. दस दिन
बाद पॅरिस मे एक सेमिनार है हफ्ते भर का. मुझे अपने सारे पेपर्स
और नोट्स तैयार करने हैं जो कि तुम्हारे अलावा और कोई नही कर
सकता. तुम जितनी जल्दी अपने काम मे एक्सपर्ट हो गयी थी वैसी कोई
दूसरी मिलना मुश्किल है."

"लेकिन डॅडी मैं वापस उस पोस्ट पर रेग्युलर काम नही कर सकती क्योंकि
पंकज आने पर मैं वापस मथुरा चली जौंगी"

"कोई बात नही. तुम तो केवल मेरे सेमिनार के पेपर्स तैयार कर दो
और मेरी सेक्रेटरी बन कर पॅरिस मे सेमिनार अटेंड कर लो. नही
इनकार मत करना. तुम्हे मेरे साथ सेमिनार अटेंड करना ही पड़ेगा.
सुनयना के बस का नही है ये सब. इन सब सेमिनार मे सेक्रेटरी स्मार्ट
और सेक्सी होना बहुत ज़रूरी होता है. जोकि सुनयना है नही. यहाँ
केच्छोटे मोटे कामो के लिए सुनयना रहेगी"



"ठीक है मैं कल से ऑफीस चलूंगी आपके साथ." मैने उन्हे
छेड़ते हुए पूचछा, "मुझे वापस स्कर्ट तो नही पहन्नि पड़ेगी ना?"
मैने अपनी राई सुना दी उन्हे. मैने ये कहते हुए उनकी तरफ हल्के से
अपनी एक आँख दबाई. वो मेरी बातों को सुन कर मुस्कुरा दिए.

"तुम्हारी जो मर्ज़ी पहन लेना. कुच्छ नही पहनो तो भी राज शर्मा के
बेटे की बीवी को लाइन मारने की हिम्मत किसी मे नही होगी." हम हंसते
हुए अपने अपने कमरों की ओर बढ़ गये. उस रात मुझे बहुत अच्छि
नींद आई. सपनो मे मैं उस ऑफीस मे बीते हर पल को याद करती
रही.

मैं अगले दिन से ऑफीस जाने लगी. डॅडी के साथ कार मे ही जाती और
उनके साथ ही वापस आती. ऑफीस मे भी अब सलवार कमीज़ या सारी मे
डीसेंट तरीके से ही रहती. लेकिन जब कॅबिन मे सिर्फ़ हम दोनो बचते
तो मेरा मन मचलने लगता. मैने महसूस किया था कि उस वक़्त
राज जी भी असहज हो उठते. जब मैं ऑफीस मे बैठ कर
कंप्यूटर पर सारे नोट्स तैयार करती तो उनकी निगाहों की तपिश
लगातार अपने बदन पर महसूस करती.

मैने सारे पेपर्स तैयार कर लिए. चार दिन बाद मुझे फादर इन
लॉ के साथ पॅरिस जाना था.
एक दिन खाना खाने के बाद मैं और पापा टी.वी. देख रहे थे. मम्मी
जल्दी सोने चली जाती है. कुच्छ देर बाद राज जी ने कहा

"स्मृति पॅरिस जाने की तैयारी करना शुरू करदो. टिकेट आ चुक्का
है बस कुच्छ ही दीनो मे फ्लाइट पकड़नी है."

"मैं और क्या तैयारी करूँ. बस कुच्छ कपड़े रखने हैं."

"ये कपड़े वहाँ नही चलेंगे." उन्हों ने कहा " ऑर्गनाइज़िंग कंपनी
ने सेमिनार का ड्रेस कोड रखा है. और उसकी कॉपी अपने सारे
कॅंडिडेट्स को भेजा है. उन्हों ने स्ट्रिक्ट्ली ड्रेस कोड फॉलो करने
के लिए सारी कंपनी के रेप्रेज़ेंटेटिव्स से रिक्वेस्ट की है. जिसमे
तुम्हे यानी सेक्रेटरी को सेमिनार के वक़्त लोंग स्कर्ट और ब्लाउस मे
रहना पड़ेगा. शाम को डिन्नर और कॉकटेल के समय माइक्रो स्कर्ट और
टाइट टी शर्ट पहँनी पड़ेगी विदाउट..... ....... अंडर गारमेंट्स"
उन्हों ने मेरी ओर देखा. मेरा मुँह उनकी बातों से खुला का खुला रह
गया. " शाम को अंडरगार्मेंट्स पहनना अल्लोव नही है. दोपहर और
ईव्निंग मे पूल मे टू पीस बिकनी पहनना पड़ेगा."



"लेकिन?" मैने थूक का घूँट निगल कर बोला" मेरे पास तो इस तरह
के सेक्सी ड्रेस हैं नही. और आपके सामने मैं कैसे उन ड्रेस को पहन
कर रहूंगी?"

"क्यों क्या प्राब्लम है?"
"मैं आपकी पुत्रवधू हूँ" मैने कहा.

"लेकिन वहाँ तुम मेरी सेक्रेटरी बन कर चलॉगी." राज जी ने
कहा.

"ठीक है सेक्रेटरी तो रहूंगी लेकिन इस रिश्ते को भी तो नही
भुलाया जा सकता ना" मैने कहा.

"वहाँ देखने वाला ही कौन होगा. वहाँ हम दोनो को पहचानेगा ही
कौन. वहाँ तुम केवल मेरी सेक्रेटरी होगी. एक सेक्सी और…." मुझे
उपर से नीचे तक देखते हुए आगे कहा" हॉट. तुम वहाँ हर अवक़्त
मेरी पर्सनल नीड्स का ख़याल रखोगी जैसा कि कोई अच्छि सेक्रेटरी
रखती है. ना कि जैसा कोई बहू अपने ससुर का रखती है."

उनके इस कथन मे गंभीर बात को मैने भाँप कर अपना सिर झुका
लिया.

"तुम परेशान मत हो सारा अरेंज्मेंट कंपनी करेगी तुम कल मेरे
साथ चल कर टेलर के पास अपना नाप दे आना. बाकी किस तरह के
ड्रेस सिलवाने हैं कितने सिलवनी हैं सब मेरी हेडएक है"

अगले दिन मैं उनके साथ जाकर एक फेमस टेलर के पास अपना नाप दे
आई. जाने के दो दिन पहले राज जी नेदो आदमियों के साथ एक बॉक्स
भर कर कपड़े भिजवा दिए.

मैने देखा की उनमे हर तरह के कपड़े थे. कपड़े काफ़ी कीमती थे.
मैने उन कपड़ों पर एक नज़र डाल कर अपने बेडरूम मे रख लिए. मैं
नही चाहती थी कि मेरी सास को वो एक्सपोसिंग कपड़े दिखें. पता नही
उसके बारे मे वो कुच्छ भी सोच सकती थी.

शाम को उनके वापस आने के बाद जब मैने उन्हे अकेला पाया तो मैने
उनसे पूचछा,

"इतने कपड़े! सिर्फ़ मेरे लिए हैं?"

"और नही तो क्या. तुम वहाँ मेरी सेक्रेटरी होगी. और मेरी सेकरटरी
सबसे अलग दिखनी चाहिए. तुम हर रोज एक नये डिज़ाइन का कपड़ा
पहनना. उन्हे भी तो पता चले हम इंडियन्स कितने शौकीन हैं.
तुमने पहन कर देखा उन्हे"

"नही, मैने अभी तक इन्हे ट्राइ करके तो देखा ही नही"



" कोई बात नही आज रात खाना ख़ान एके बाद तुम्हारा ट्राइयल लेलेटे
हैं. फिर मुस्कुरा कर बोले " मम्मी को जल्दी सुला देना"

रात को खाना खाने के बाद मम्मी सोने चली गयी. डॅडी ने खाना
नही खाया उन्हों ने कहा कि वो खाने से पहले दो पेग विस्की के लेना
चाहते हैं. मम्मी तो इंतेज़ार ना करके खुद खाना खाकर उन्हे मेरे
हवाले कर के चली गयी. मैने सारा समान सेंटर टेबल पर तैयार
कर के रख दिया. वो सोफे पर बैठ कर धीरे धीर ड्रिंक्स सीप
करने लगे. वो इस काम को लंबा खींचना चाहते थे. जिससे मम्मी
गहरी नींद मे डूब जाती. मैं उनके पास बैठी उनके काम मे हेल्प
कर रही थी कुच्छ देर बाद उन्हों ने पूचछा,

"मम्मी सो गयी? देखना तो सही" मैं उठ कर उनके बेड रूम मे जाकर
एक बार सासू जी पर नज़र मार आई. वो तब गहरी नींद मे सो रही
थी. मैं सामने के सोफे पर बैठने लगी तो उन्हों ने मुझे अपने पास
उसी सोफे पर बैठने का इशारा किया. मैं उठ कर उनके पास बैठ
गयी. उन्हों ने कुच्छ देर तक मुझे निहारा और फिर कहा,

" जाओ स्मृति और एक एक करके सारे कपड़े मुझे पहन कर दिखाओ."
कहते हुए उन्हों ने अपना ड्रिंक बनाया. मैं उठ कर अपने बेड रूम मे
चली गयी. बेडरूम मे आकर दोनो बॉक्स खोल कर
सारे कपड़ों को बिस्तर के उपर बिच्छा दी. मैने सबसे पहले एक
ट्राउज़र और शर्ट छेंटा. उसे पहन कर कॅट वॉक केरते हुए किसी
मॉडेल की तरह उनके सामने सोफे तक पहुँची और अपने हाथ कमर पर
रख कर दो सेकेंड रुकी फिर झुककर उन्हे बो किया और धीरे से
पीछे मूड कर उन्हे अपने पिच्छवाड़े का भी पूरा अवलोकन करने दिया
फिर मुड़कर पूचछा "ठीक है?"

उन्हों ने कुसकुरा कर कहा "सेक्सी…..एम्म्म"

मैं वापस अपने कमरे मे आ गयी फिर दूसरे कपड़े को पहन कर उनके
सामने पहुँची...फिर तीसरे..... बनाने वाले ने बड़े ही खूबसूरत
डेस्ज्ञ मे सारे कपड़े सिले थे. जो रेडीमेड थे उन्हे भी काफ़ी नाप
जोख करके सेलेक्ट किया होगा क्यों की कपड़े ऐसे लग रहे थे मानो
मेरे लिए ही बने हों. बदन से ऐसे चिपक गये थे मानो मेरे बदन
पर दूसरी चाँदी चढ़ गयी हो.

ट्राउज़र्स के बाद लोंग स्कर्ट और ब्लाउस की बारी आई. राज जी
मेरे शो का दिल से एंजाय कर रहे थे. हर कपड़े पर कुच्छ ना कुच्छ
कॉमेंट्स पास करते जा रहे थे.

लोंग स्कर्ट के बाद माइक्रो स्कर्ट की बारी आई. मैने एक पहना तो मुझे
काफ़ी शर्म आई. स्कर्ट की लंबाई पॅंटी के दो अंगुल नीचे तक थी. टी
शर्ट भी जस्ट मेरी गोलैईयों के नीचे ही ख़त्म हो रहे थे. टी
शर्ट्स के गले भी काफ़ी डीप थे. मेरे आधे बूब्स सामने नज़र आ रहे
थे. मैने ब्रा और पॅंटी के उपर ही उन्हे पहना और एक बार अपने
बदन को सामने लगे फुल लेंग्थ आईने मे देख कर शरमाती हुई उनके
सामने पहुँची.

"नो नो .... तुम्हे पूरे ड्रेस कोड को निभाना पड़ेगा" उन्हों ने अपने
ग्लास से सीप करते हुए कहा "नो अंडर गारमेंट्स"



" मैं वहाँ उसी तरह पहन लूँगी. यहाँ मुझे शर्म आ रही है"
मैने शरमाते हुए कहा.

"यहाँ मैं अकेला हूँ तो शर्म आ रही है वहाँ तो सैकड़ों लोग
देखेंगे फिर?"

"डॅडी वहाँ तो सारी लड़कियाँ इसी ड्रेस मे होंगी इसलिए शर्म नही
लगेगा"

"नही नही तुम तो उसी तरह आओ. नही तो पता कैसे चलेगा इन कपड़ों
मे तुम कैसी लगोगी." उन्हों ने कहा मैं चुपचाप लौट आई. और अपनी
ब्रा और पॅंटी उतार कर पैरों को सिकोडते हुए वापस पहुँची. उनके
सामने जाकर जैसे ही मैने अपने हाथ कमर पर रखे उनकी आँखें
बड़ी बड़ी हो गयी. उन्हों ने शॉर्ट्स पहन रखी थी उसमे से उनके
लिंग का उभार सॉफ दिख ने लगा. उनका लीग मेरे एक्सपोषर का सम्मान
देते हुए टंकार खड़ा हो गया. पॅंट के उपर से तंबू की तरह
उभार नज़र आने लगा..

"सामने की ओर थोडा झुको" उन्हों ने मुझे कहा तो मैं सामने की ओर
झुकी. मेरे टी शर्ट के गले से मेरे पूरे उभार बाहर झाँकने लगे.
पूरा स्तनउनकी नज़रों के सामने था.

"पीछे घूमओ" उन्हों ने फिर कहा

मैं धीरे धीरे पीछे घूमी. मुझे पूरी उम्मीद है कि मेरे झुके
होने के कारण पीछे घूमने पर छ्होटे से स्कर्ट के अंदर से मेरी
योनि उनको नज़र आ गयी होगी. उन्हों ने मेरी तारीफ करते हुए
कहा "बाइ गॉड तुम आग लगा दोगि सारे पॅरिस मे"

मुस्कुराते हुए मैं वापस बेड रूम मे चली गयी. कुच्छ देर बाद एक
के ब्बाद एक सारे स्कर्ट और टी शर्ट ट्राइ कर लिए. अब सिर्फ़ बिकनी बची
थी.

"डॅडी सारे कपड़े ख़त्म हो गये अब सिर्फ़ बिकनी ही बची हैं" मैने
कहा

"तो क्या उन्हे भी पहन कर दिखाओ" उन्हों ने कसमसाते हुए अपने तने
हुए लिंग को सेट किया. इस तरह की हरकत करते हुए उनको मेरे सामने
किसी तरह की शर्म महसूस नही हो रही थी.

मैं वापस कमरे मे जाकर पहली बिकनी उठाई. उसे अपने बदन पर पहन
कर देखी. बिकनी सिर्फ़ ब्रा और पॅंटी की तरह टू पीस थी. बाकी
सारा बदन नग्न था. उन्ही कपड़ों मे चलती हुई राज जी के पास
आई. राज जी की जीभ मेरे लगभग नग्न बड़ा को देख कर
होंठों पर फिरने लगी.

"मुझे तो अपने लड़के की किस्मत पर जलन हो रही है. ऐसी
खूबसूरत अप्सरा तो बस किस्मेत वालो को ही नसीब होती है." उन्हों
ने मेरी तारीफ की. मैने उनके सामने आकर उसी तरह झुक कर अपने
स्तनो को उनकी आँखों के सामने किया फिर एक हल्के झटके से स्तनो को
हिलाया और घूम कर अपनी नितंबों पर चिपकी पॅंटी के भरपूर
दर्शन कराए. फिर अंदर चली गयी.



एक के बाद एक बिकनी ट्राइ करने लगी. हर बिकनी पिच्छलीवाली बिकनी से
ज़्यादा छ्होटी रहती थी. आख़िरी बिकनी तो बस तो बस निपल को ढकने
के लिए दो इंच घेर के दो गोल आकर के कपड़े के टुकड़े थे. दोनो एक
दूसरे से पतली डोर से बँधे थे. उन्हे निपल के उपर सेट करके
मैने डोर अपने पीछे बाँध लिए. पॅंटी के नाम पर एक छ्होटा सा एक
ही रंग का तिकोना कपड़ा योनि को ढकने के लिए एलास्टिक से
बँधा हुआ था. मैने आईने मे देखा. मैं पूरी तरह नग्न नज़र आ
रही थी.

मैं वो पहन कर जब चलते हुए उनके सामने पहुँची तो उनके हाथ का
ग्लास फिसल कर कार्पेट पर गिर पड़ा. मैं उनकी हालत देख कर हंस
पड़ी. लेकिन तुरंत ही शर्म से मेरा चेहरा लाल हो गया.

मैने अब तक कई गैर मर्दों के साथ मजबूरी मे सब कुच्छ किया था
मगर कमल जी साथ ही सेक्स को एंजाय किया था. उनकी तरह इनके साथ
तो मैं भी एंजाय कर रही थी. मैं इस बार उनके कुच्छ ज़्यादा ही पास
पहुँच गयी. उनके सामने जाकर झुकी तो मेरे बड़े बड़े बूब्स उनकी
आँखों के सामने नाचने लगे. मेरे दोनो स्तन उनसे बस एक हाथ की
दूरी पर थे. वो अपने हाथों को उठा कर उन्हे छ्छू सकते थे. मैने
अपने बदन को एक झटका दिया जिससे मेरे स्तन बुरी तरह उच्छल
उठे. फिर मैं पीछे मुड़कर अपने कमरे मे जाने को हुई तो उन्हों ने
मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी गोद मे खींचा. मैं लहरा कर उनकी
गोद मे आ गिर गयी. उनके होंठ मेरे होंठों से चिपक गये. उनके
हाथ मेरी गोलैईयों को मसल्ने लगे. एक हाथ मेरे नग्न बदन पर
फिरता हुआ नीचे टाँगों के जोड़ तक पहुँचा. उन्हों ने मेरी योनि के
उपर अपना हाथ रख कर पॅंटी के उपर से ही उस जगह को मुट्ठी मे
भर कर मसला. अब उनके हाथ मेरे ब्रा को मेरे बदन से अलग करना
चाहते थे.

वो कुच्छ और करते की उनका मोबाइल बज उठा. उनके ऑफीस के किसी आदमी
का फोन था. वो किसी अफीशियल काम बारे मे बात कर रहा था. मैं
मौका देख कर उन कपड़ो को समेत कर वहाँ से भाग गयी. मैने अपने
कपड़े उतार कर वापस सलवार कमीज़ पहनी और सारे कपड़ों को समेत
कर बॉक्स मे रख दिया. मैं पूरी तरह तैयार होकर दस मिनिट बाद
बाहर आई. तब तक राज जी जा चुके थे. मैं टेबल से ड्रिंक्स का
सारा समान उठाने को झुकी तो मुझे सोफे पर एक गीला गोल धब्बा
नज़र आया. वो धब्बा उनके वीर्य से बना था. मैं सब समझ कर
मुस्कुरा उठी.

मैं अपने कमरे मे जाकर सो गयी. आज मेरे ससुर जी की रात खराब
होनी थी. और मैं आने वाले दीनो के बारे सोचती हुई सो गयी जुब
हफ्ते भर के लिए हम दोनो को एक साथ रहना था पॅरिस जैसी
रंगीन जगह मे.
हम आज़ पर शेड्यूल फ्रॅन्स के लिए निकल पड़े. पॅरिस मे हमारी तरह
तकरीबन 100 कंपनी के रेप्रेज़ेंटेटिव आए थे. हमे एक शानदार
होटेल मे ठहराया गया. उस दिन शाम को कोई प्रोग्राम नही था. हमे
साइट सीयिंग के लिए ले जाया गया. वहाँ एइफले टवर के नीचे खड़े
होकर हम दोनो ने कई फोटो खिंचवाए. फोटोग्राफर्स ने हम दोनो को
हज़्बेंड वाइफ समझा. वो हम दोनो को कुच्छ इंटिमेट फोटो के लिए
उकसाने लगे. ससुरजी ने मुझे देखा और मेरी राई माँगी. मैं कुच्छ
कहे बिना उनके सीने से लिपट कर अपनी रज़ामंदी जाता दी. हम दोनो
ने एक दूसरे को चूमते हुए और लिपटे हुए कई फोटो खींचे.
मैने उनकी गोद मे बैठ कर भी कई फोटो खिंचवाए. ये सब फोटो
उन्हों ने छिपा कर रखने की मुझे सांत्वना दी. ये रिश्ता किसी भी
तरह से इंडियन कल्चर मे आक्सेप्टबल नही था.

अगले दिन सुबह से बहुत बिज़ी प्रोग्राम था. सुबह से ही मैं सेमिनार मे
बिज़ी रही. राज जी यानी मेरे ससुर जी एक ब्लॅक सूयीट जिसपर
गोलडेन लिनिंग थी मे बहुत जाच रहे थे. उन्हे देख कर किसी को
अंदाज़ लगाना मुश्किल हो जाए कि उनके लड़कों की शादी भी हो चुकी
होगी. वो खुद 40 साल से ज़्यादा के नही लगते थे. जैसा की मैने
पहले पार्ट्स मे लिखा था शादी से पहले से ही मैं उन पर मर मिटी
थी. अगर मेरी पंकज से शादी नही हुई होती तो मैं तो उनकी मिस्ट्रस
बनकर रहने को भी तैयार थी. पंकज से मुलाकात कुच्छ दीनो के
बाद भी होती तो मैं अपनी वर्जिनिटी राज जी पर न्योचछवर कर
चुकी होती.

खैर वापस घटनाओ पर लौटा जाए. सुबह एज पर ड्रेस कोड मैं
स्कर्ट ब्लाउस पहन रखी थी. 12 बजे के आस पास दो घंटों का
ब्रेक मिलता था. जिसमे स्वीमिंग और लंच करते थे. सब कुच्छ एज पर
स्ट्रिक्ट टाइम टेबल किया जा रहा था. सुबह उठने से लेकर कब कब क्या
क्या करना है सब कुच्छ पहले से ही डिसाइडेड था.

हमे अपने अपने कमरे मे जाकर तैयार होकर स्विम्मिंग पूल पर मिलने
के लिए कहा गया. मैने एक छ्होटी सी टू पीस बिकनी पहनी हुई थी.
बिकनी काफ़ी छ्होटी सी थी. इसलिए मैने उसके उपर एक शर्ट पहन ली
थी. कमरे से बाहर निकल कर बगल वाले कमरे मे जिसमे ससुर जी रह
रहे थे उसमे चली गयी. ससुर जी कमरे मे नही थे. मैने इधर
उधर नज़र दौड़ाई. बाथरूम से पानी बहने की आवाज़ सुनकर उस तरफ
गयी तो देखा की बाथरूम का दरवाजा आधा खुला हुआ था. सामने
राज जी पेशाब कर रहे थे. उनके हाथ मे उनका काला लिंग सम्हाल
रखा था. लिंग आधा उत्तेजित अवस्था मे था इसलिए काफ़ी बड़ा दिख
रहा था. मैं झट थोड़ा ओट मे हो गयी जिससे की उनकी नज़र अचानक
मुझ पर नही पड़े और मैं वहाँ से उनको पेशाब करते हुए देखती
रही. जैसे ही उन्हों ने पेशाब ख़त्म करके अपने लिंग को अंदर किया
तो मैं एक बनावटी खाँसी देते हुए उन्हे अपने आने की सूचना दी. वो
कपड़े ठीक करके बाहर निकले. राज जी ने नग्न बदन पर एक
छ्होटी से वी शेप का स्विम्मिंग कॉस्ट्यूम पहन रखा था. जिसमे से उनके
लिंग का उभार सॉफ सॉफ दिख रहा था. उन्हों ने अपने लिंग को उपर की
ओर करके सेट कर रखा था.

उन्हों ने मुझे बाहों से पकड़ कर अपनी ओर खींचा तो मैं उनके नग्न
बदन से लग गयी. उसी अवस्था मे उन्हों ने मेरे कंधे पर अपनी
बाँह रख कर मुझे अपने से चिपका लिया. हम दोनो एक दूसरे के गले
मे हाथ डाले किसी नाव विवाहित जोड़े की तरह स्विम्मिंग पूल तक
पहुँचे.

यहाँ पर कोई शर्म जैसी बात नही थी. सारे लेडी सेक्रेटरीस मुझ
से भी छ्होटे कपड़ों मे थे. उनके सामने तो मैं काफ़ी डीसेंट लग रही
थी. सारे मर्द छ्होटे स्वीमिंग कॉस्ट्यूम्स पहन रखे थे और नग्न
बदन थे. उनकी मसल देख कर किसी भी युवती का मन
ललचा जाए. राज जी इस उम्र मे भी अपने हेल्त का बहुत ख़याल
रखते थे. रोज सुबह जिम जाने के कारण उनका बदन काफ़ी कसा हुआ
था. उनके सीने से लग कर मैं बहुत चाहक रही थी. यहाँ देखने
या टोकने वाला कोई नही था.

हम काफ़ी देर तक स्विम्मिंग करते रहे. वहाँ हम कुत्च्छ कपल्स
मिलकर एक बॉल से खेल रहे थे. वहीं पर जर्मनी से आए हुए
हॅमिल्टन और उसकी सेक्सी सेक्रेटरी शशा से मुलाकात हुई. हम काफ़ी देर
तक उनके साथ खेलते रहे. शशा एक बहुत ही छ्होटी सी ब्रा और
पॅंटी पहन रखी थी. वो उन कपड़ों मे बहुत ही सेक्सी लग रही थी.
दूध के जैसी रंगत और सुनहरे बॉल उसे किसी परी जैसा लुक दे
रहे थे. उसका चेहरा बहुत ही खूबसूरत था. और उसके बूब्स इतने
सख़्त थे की लग रहा था उसने अपने सीने पर दो तरबूज बाँध रखे
हो.



हॅमिल्टन का कद काफ़ी लंबा था करीब 6'2". उसके पूरे बदन पर
सुनहरे घने रोएँ थे. सिर पर भी सुनहरे बॉल थे. हल्की सी
बेतरतीब बढ़ी दाढ़ी उसके व्यक्तित्व को और खूबसूरत बनती थी.
दोनो के बीच काफ़ी अंतरंगता थी. शशा तो बे झिझक उसको किस
करती उसके सीने पर अपने स्तनो को रगड़ती और कई बार तो उसने
हॅमिल्टन के लिंग को भी सब के सामने मसल दिया था. हॅमिल्टन भी
बीच बीच मे उसके ब्रा के अंदर हाथ डाल कर शशा के स्तनो को
मसल देता था. पॅरिस मे उन्मुक्त सेक्स का बोलबाला था. कोई अगर उस
जैसे पब्लिक प्लेस मे भी अपने साथी को नग्न कर देता और संभोग
करने लगता तो भी किसी की नज़र तक नही अटकती.

वहाँ स्विम्मिंग पूल पर ही कॉकटेल सर्व किया जा रहा था. मैने एक
ग्लास लिया और पास खड़े राज जी के होंठों से लगा दिया. राज
जी मेरी कमर को थाम कर मुझे अपने सीने से सटा लिए और
मेरे हाथों से ग्लास मे से कॉकटेल सीप करने लगे. उन्हों ने एक सीप
करने के बाद मेरे होंठों से ग्लास को सटा दिया. मैने कभी शराब
नही पीती. मगर उनके रिक्वेस्ट करने पर एक सीप उसमे से ली. मेरा
नग्न बदन उनके बदन से रगड़ खा रहा था. दोनो के नग्न बदन के
एक दूसरे से रगड़ खाने के कारण एक सिहरन सी पूरे बदन मे फैली
हुई थी.

जब राज जी ने अपने ग्लास को ख़त्म किया तो मैने ग्लास को पूल
के पास ज़मीन पर रख कर उनकी बाहों से निकल गयी और वापस
स्विम्मिंग पूल मे तैरने लगी. मुझे देख कर हॅमिल्टन भी मेरे साथ
तैरने लगा. जब मैं कुच्छ देर बाद दूसरे कोने पर पहुँची तो
हॅमिल्टन मेरे पास आकर मुझे खींच कर अपने सीने से लगा लिया.

" आइ एन्वी युवर एंप्लायर. वॉट ए सेक्सी डॅम्ज़ल ही हॅज़ फॉर ए सेक्रेटरी!"
उसने कहा और मुझे खींच कर अपने बदन से कस कर सटा लिया.
उसने अपने तपते होंठ मेरी होंठों पर रख दिए. और अपनी जीभ को
मेरे मुँह मे डालने के लिए ज़ोर लगाने लगा. मैं पहले पहले अपने
उपर हुए इस हमले से घबरा गयी थी, "म्‍म्म्मम" आवाज़ के साथ मैने
उसे ठेलने की कोशिश की मगर वहाँ का महॉल ही कुच्छ ऐसा था कि
मेरा विरोध कमजोर और छनिक ही रहा. कुच्छ ही देर मे मैने अपने
होंठों के बीच उसकी जीभ को प्रवेश करने के लिए जगह दे दी.
उसकी जीभ मेरे मुँह के एक एक कोने पर घूमाने लगा. मेरी जीभ के
साथ वो बल्ले कर रहा था.

ये देख कर शशा भी राजकुमार जी के पास सरक गयी और उनसे
लिपट कर उन्हे चूमने लगी. मैने उनकी ओर देखा तो शशा ने अपने
अंगूठे को हिला कर मुझे आगे बढ़ने का इशारा किया. हॅमिल्टन के
हाथ मेरे नितंबों को कस कर जाकड़ रखे थे. उसने मेरे नितंबों को
कस कर अपने लिंग पर दाब रखा था. उसके खड़े लिंग का आभास मुझे
मिल रहा था.


--
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) ऑल्वेज़
`·.¸(¨`·.·´¨) कीप लविंग &
(¨`·.·´¨)¸.·´ कीप स्माइलिंग !
`·.¸.·´ -- राज






main hun hasina gajab ki--paart--7

gataank se aage........................

To unhon ne hans kar meri or dekhte huye ek ankh daba kar kaha, "
yahi sahi hai. Tumhari jagah koi doosra le bhi nahi sakti aur by the
way mera aur koi kunwara beta bhi to nahi bacha na."

abhi do mahine hi huye the ki maine Rajkumar ji ko kuchh pareshaan
dekha.

"kya baat hai daddy aap kuchh pareshan hain." maine poochha.

"Simriti tum kal se hafte bhar ke liye office ane lago." Unhon ne
meri or dekhte huye poochha," tumhe koi pareshani to nahi hogi na
apne purane kaam ko samhalne me?

"nahi. Lekin kyon?" maine poochha

"are wo nayi secretary akal ke mamle me bilkul khali hai. dus din
baad Paris me ek seminar hai hafte bhar ka. mujhe apne saare papers
aur notes taiyaar karne hain jo ki tumhare alawa aur koi nahi kar
sakta. tum jitni jaldi apne kaam me expert ho gayee thi waisi koi
doosri milna mushkil hai."

"lekin daddy mai wapas us post par regular kam nahi kar sakti kyonki
Pankaj ane par mai wapas Mathura chali jaungi"

"koi baat nahi. tum to keval mere seminar ke papers taiyar kar do
aur meri secretary ban kar Paris me seminar attend karlo. Nahi
inkaar mat karma. Tumhe mere saath Seminar attend karma hi padega.
Sunayna ke bas ka nahi hai ye sab. In sab seminar me Secretary smart
aur sexy hona bahut jaroori hota hai. Joki Sunayna hai nahi. Yahan
kechhote mote kamo ke liye Sunayna rahegi"

"theek hai mai kal se office chalungi apke saath." Maine unhe
chhedte huye poochha, "mujhe wapas skirt to nahi pahanni padegi na?"
Maine apni rai suna di unhe. Maine ye kahte huye unki taraf halke se
apni ek ankh dabai. Wo meri baton ko sun kar muskura diye.

"tumhari jo marji pahan lena. Kuchh nahi pahno to bhi Rajkumar ke
bete ki biwi ko line mare ki himmat kisi me nahi hogi." Hum hanste
huye apne apne kamron ki or badh gaye. Us raat mujhe bahut achchhi
neend ayi. Sapno me mai us office me beete har pal ko yaad karti
rahi.

Mai agle din se office jane lagi. Daddy ke sath car me hi jati aur
unke saath hi wapas ati. Office me bhi ab salwar kameej ya sari me
decent tareeke se hi rahti. Lekin jab cabin me sirf hum dono bachte
to mera man machalne lagta. Maine mahsoos kiya tha ki us waqt
Rajkumar jib hi asahaj ho uthte. Jab mai office me baith kar
computer par sare notes taiyaar karti to unki nigahon kit apish
lagataar apne badan par mahsoos karti.

maine sare papers taiyaar kar liye. char din baad mujhe father in
law ke saath Paris jana tha.
ek din khana khane ke baad mai aur papa T.V. dekh rahe the. Mummy
jaldi sone chali jati hai. Kuchh der bad Rajkumar ji ne kaha

"Smriti Paris jane ki taiyaari karma shuru kardo. Ticket a chukka
hai bus kuchh hi dino me flight pakadni hai."

"mai aur kya taiyaari karoon. bus kuchh kapde rakhne hain."

"ye kapde wahan nahi chalenge." unhon ne kaha " organising company
ne seminar ka dress code rakha hai. Aur uski copy apne sare
candidates ko bheja hai. Unhon ne strictly dress code follow karne
ke liye sari company ke representatives se request ki hai. jisme
tumhe yani secretary ko seminar ke waqt long skirt aur blouse me
rahna padega. shaam ko dinner aur cocktail ke samay micro skirt aur
tight T shirt pahanni padegi without..... ....... under garments"
unhon ne meri or dekha. mera munh unki baton se khula ka khula rah
gaya. " Shaam ko undergarments pahanna allow nahi hai. Dopahar aur
evening me pool me two piece bikni pahnna padega."

"lekin?" maine thook ka ghunt nigal kar bola" mere paas to is tarah
ke sexy dress hain nahi. Aur aapke samne mai kaise un dress ko pahan
kar rahoongi?"

"kyon kya problem hai?"
"mai apki putrwadhu hoon" maine kaha.

"lekin wahan tum meri secretary ban kar chalogi." Rajkumar ji ne
kaha.

"theek hai secretary to rahoongi lekin is rishte ko bhi to nahi
bhulaya ja sakta na" maine kaha.

"wahan dekhne wala hi kaun hoga. Wahan hum dono ko pahchanega hi
kaun. Wahan tum kewal meri secretary hogi. Ek sexy aur…." Maujhe
upar se neeche tak dekhte huye age kaha" hot. Tum wahan har awqt
meri personal needs ka khayal rakhogi jaisa ki koi achchhi secretary
rakhti hai. Na ki jaisa koi bahu apne sasur ka rakhti hai."

Unke is kathan me gambheer baat ko maine bhaanp kar apna sir jhuka
liya.

"tum pareshaan mat ho sara arrangement company karegi tum kal mere
saath chal kar tailor ke paas apna naap de ana. Baki kis tarah ke
dress silwane hain kitne silwani hain sab meri headache hai"

agle din mai unke saath jakar ek famous tailor ke paas apna nap de
ayee. Jane ke do din pahle Rajkumar ji do admiyon ke saath ek box
bhar kar kapde bhijwa diye.

maine dekha ki unme har tarah ke kapde the. kapde kafi kimti the.
Maine un kapdon par ek najar daal kar apne bedroom me rakh liye. Mai
nahi chahti thi ki meri saas ko wo exposing kapde dikhen. Pata nahi
uske bare me wo kuchh bhi soch sakti thi.

Shaam ko unke wapas ane ke baad jab maine unhe akela paya to maine
unse poochha,

"itne kapde! sirf mere liye hain?"

"aur nahi to kya. tum wahan meri secretary hogi. aur meri secrtary
sabse alag dikhni chahiye. Tum har roj ek naye design ka kapda
pahanna. Unhe bhi to pata chale hum Indians kitne shaukin hain.
Tumne pahan kar dekha unhe"

"nahi, maine abhi tak inhe try karke to dekha hi nahi"

" koi baat nahi aaj raat khana khan eke baad tumhara trial lelete
hain. fir muskura kar bole " mummy ko jaldi sula dena"

raat ko khana khane ke baad mummy sone chali gayee. daddy ne khana
nahi khaya unhon ne kaha ki wo khane se pahle do peg whisky ke lena
chahte hain. Mummy to intezaar na karke khud khana khakar unhe mere
hawale kar ke chali gayee. maine sara saman centre table par taiyar
kar ke rakh diya. Wo sofe par baith kar dheere dheer drinks sip
karne lage. Wo is kaam ko lamba kheenchna chahte the. Jisse mummy
gahri neend me doob jati. Mai unke paas baithee unke kaam me help
kar rahi thi kuchh der baad unhon ne poochha,

"mummy so gayee? Dekhna to sahi" mai uth kar unke bed room me jakar
ek baar saasu ji par najar mar aye. Wo tab gahri neend me so rahi
thi. Mai samne ke sofe par baithne lagi to unhon ne mujhe apne paas
usi sofe par baithne ka ishara kiya. Mai uth kar unke paas baith
gayee. unhon ne kuchh der tak mujhe nihara aur fir kaha,

" jao Smriti aur ek ek karke sare kapde mujhe pahan kar dikhao."
kahte huye unhon ne apna drink banaya. mai uth kar apne bed room me
chali gayee. Bedroom me akar dono box khol kar
sare kapdon ko bistar ke upar bichha di. maine sabse pahle ek
trouser aur shirt chhanta. use pahan kar cat walk kerte huye kisi
model ki tarah unke samne sofe tak pahunchi aur apne hath kamar par
rakh kar do second ruki fir jhukkar unhe bow kiya aur dheere se
peechhe mud kar unhe apne pichhwade ka bhi poora awlokan karne diya
fir mudkar poochha "theek hai?"

unhon ne kuskura kar kaha "sexy…..mmmm"

mai wapas apne kamre me a gayee fir doosre kapde ko pahan kar unke
samne pahunchi...fir teesre..... banane wale ne bade hi khoobsoorat
deisgn me sare kapde sile the. jo readymade the unhe bhi kafi nap
jokh karke select kiya hoga kyon ki kapde aise lag rahe the mano
mere liye hi bane hon. Badan se aise chipak gaye the mano mere badan
par doosri chamdi chadh gayee ho.

trousers ke baad long skirt aur blouse ki bari ayee. Rajkumar ji
mere show ka dil se enjoy kar rahe the. Har kapde par kuchh na kuchh
comments pass karte ja rahe the.

long skirt ke baad micro skirt ki bari ayee. maine ek pahna to mujhe
kafi sharm ayee. Skirt ki lambai panty ke do angul neeche tak thi. T
shirt bhi just meri golaiyon ke neeche hi khatm ho rahe the. T
shirts ke gale bhi kafi deep the. mere adhe boobs samne najar a rahe
the. maine bra aur panty ke upar hi unhe pahna aur ek baar apne
badan ko samne lage full length aine me dekh kar sharmati hui unke
samne pahunchi.

"no no .... tumhe poore dress code ko nibhana padega" unhon ne apne
glass se sip karte huye kaha "no under garments"

" mai wahan usi tarah pahan loongi. yahan mujhe sharm a rahi hai"
maine sharmate huye kaha.

"yahan mai akela hoon to sharm a rahi hai wahan to saikdon log
dekhenge fir?"

"daddy wahan to sari ladkiyan isi dress me hongi isliye sharm nahi
lagega"

"nahi nahi tum to usi tarah ao. Nahi to pata kaise chalega in kapdon
me tum kaisi lagogi." unhon ne kaha mai chupchap laut ayee. aur apni
bra aur panty utar kar pairon ko sikodte huye wapas pahunchi. unke
samne jakar jaise hi maine apne hath kamar par rakhe unki ankhen
badi badi ho gayee. unhon ne shorts pahan rakhi thi usme se unke
ling ka ubhar saaf dikh ne laga. Unka lig mere exposure ka samman
dete huye tankar khada ho gaya. Pant ke upar se tamboo ki tarah
ubhar najar ane laga..

"samne ki or thoda jhuko" unhon ne mujhe kaha to mai samne ki or
jhuki. Mere T shirt ke gale se mere poore ubhar bahar jhankne lage.
Poora stan sunki najron ke samne tha.

"peechhe ghoomo" unhon ne fir kaha

mai dheere dheere peechhe ghumi. Mujhe poori ummid hai ki mere jhuke
hone ke karan peechhe ghoomne par chhote se skirt ke andar se meri
yoni unko najar a gayee hogi. unhon ne meri tareef karte huye
kaha "by god tum aag laga dogi sare Paris me"

muskurate huye mai wapas bed room me chali gayee. kuchh der baad ek
ke bbad ek sare skirt aur T shirt try kar liye. ab sirf bikni bachi
thi.

"daddy sare kapde khatm ho gaye ab sirf bikni hi bachi hain" maine
kaha

"to kya unhe bhi pahan kar dikhao" unhon ne kasmasate huye apne tane
huye ling ko set kiya. Is tarah ki harkat karte huye unko mere samne
kisi tarah ki sharm mahsoos nahi ho rahi thi.

mai wapas kamre me jakar pahli bikni uthai. use apne badan par pahan
kar dekhi. bikni sirf bra aur panty ki tarah two piece thi. baki
sara badan nagn tha. unhi kapdon me chalti hui Rajkumar ji ke paas
ayee. rajkumar ji ki jeebh mere lagbhag nagn bada ko dekh kar
honthon par firne lagi.

"mujhe to apne ladke ki kismat par jalan ho rahi hai. aisi
khoobsoorat apsara to bus kismet walo ko hi naseeb hoti hai." Unhon
ne meri tareef ki. Maine unke samne akar usi tarah jhuk kar apne
stano ko unki ankhon ke samne kiya fir ek halke jhatke se stano ko
hilaya aur ghoom kar apni nitambon par chipki panty ke bharpoor
darshan karaye. Fir andar chali gayee.

Ek ke baad ek bikni try karne lagi. har bikni pichhliwali bikni se
jyada chhoti rahti thi. akhiri bikni to bus to bus nipple ko dhakne
ke liye do inch gher ke do gol akar ke kapde ke tukde the. Dono ek
doosre se patli dor se bandhe the. unhe nipple ke upar set karke
maine dor apne peechhe bandh liye. panty ke nam par ek chhota sa ek
hi rang ka tikona kapda yoni ko dhakne ke liye elastic se
bandha hua tha. maine aine me dekha. mai poori tarah nagn najar a
rahi thi.

Mai wo pahan kar jab chalte huye unke samne pahunchi to unke hath ka
glass fisal kar carpet par gir pada. mai unki halat dekh kar hans
padi. Lekin turant hi sharm se mera chehra laal ho gaya.

maine ab tak kai gair mardon ke saath majboori me sab kuchh kiya tha
magar Kamal ji saath hi sex ko enjoy kiya tha. Unki tarah inke saath
to mai bhi enjoy kar rahi thi. mai is baar unke kuchh jyada hi paas
pahunch gayee. unke same jakar jhuki to mere bade bade boobs unki
ankhon ke samne nachne lage. Mere dono stan unse bus ek hath ki
doori par the. Wo apne hathon ko utha kar unhe chho sakte the. Maine
apne badan ko ek jhataka diya jisse mere stan buri tarah uchhal
uthe. fir mai peechhe mudkar apne kamre me jane ko hui to unhon ne
mera hath pakad kar mujhe apni god me kheencha. Mai lahra kar unki
god me a gir gayee. Unke honth mere honthon se chipak gaye. unke
hath meri golaiyon ko masalne lage. ek hath mere nagn badan par
firta hua neeche tangon ke jod tak pahuncha. unhon ne meri yoni ke
upar apna hath rakh kar panty ke upar se hi us jagah ko mutthi me
bhar kar masla. ab unke hath mere bra ko mere badan se alag karna
chahte the.

Wo kuchh aur karte ki unka mobile baj utha. Unke office ke kisi admi
ka phone tha. Wo kisi official kaam bare me baat kar raha tha. Mai
mauka dekh kar un kapdo ko samet kar wahan se bhag gayee. maine apne
kapde utar kar wapas salwar kameej pahni aur sare kapdon ko samet
kar box me rakh diya. Mai poori tarah taiyaar hokar dus minute baad
bahar ayee. tab tak Rajkumar ji ja chuke the. mai table se drinks ka
sara saman uthane ko jhuki to mujhe sofe par ek geela gol dhabba
najar aya. wo dhabba unke veery se bana tha. mai sab samajh kar
muskura uthi.

Mai apne kamre me jakar so gayee. Aaj mere sasur ji ki raat kharab
honi thi. Aur mai ane wale dino ke bare sochti hui so gayee jub
hafte bhar ke liye hum dono ko ek saath rahna tha Paris jaisi
rangeen jagah me.
Hum as per schedule France ke liye nikal pade. Paris me hamari tarah
takreeban 100 company ke representative aye the. Hume ek shaandaar
hotel me thahraya gaya. Us din shaam ko koi program nahi tha. Hume
site seeing ke liye le jaya gaya. Wahan eifle tower ke neeche khade
hokar hum don one kai photo khinchwaye. Photographers ne hum dono ko
husband wife samjha. Wo hum dono ko kuchh intimate photo ke liye
uksane lage. Sasurji ne mujhe dekha aur meri rai mangi. Mai kuchh
kahe bina unke seene se lipat kar apni rajamandi jata di. Hum don
one ek doosre ko choomte huye aur lipte huye kai photo kheence.
Maine unki god me baith kar bhi kai photo khinchwaye. Ye sab photo
unhon ne chhipa kar rakhne ki mujhe santvana di. Ye rishta kisi bhi
tarah se Indian culture me acceptable nahi tha.

Agle din subah se bahut busy program tha. Subah se hi mai Seminar me
busy rahi. Rajkumarji yani mere sasur ji ek black suite jispar
golden lining thi me bahut jach rahe the. Unhe dekh kar kisi ko
andaz lagana mushkil ho jaye ki unke ladkon ki shadi bhi ho chuki
hogi. Wo khud 40 saal se jyada ke nahi lagte the. Jaisa ki maine
pahle parts me likha tha shadi se pahle se hi mai un par mar miti
thi. Agar meri Pankaj se shadi nahi hui hoti to mai to unki mistress
bankar rahne ko bhi taiyaar thi. Pankaj se mulakat kuchh dino ke
baad bhi hoti to mai apni virginity Rajkumar ji par nyochhawar kar
chuki hoti.

Khair wapas ghatnao par lauta jaye. Subah as per dress code mai
skirt blouse pahan rakhi thi. 12 baje ke aas paas do ghanton ka
break milta tha. jisme swiming aur lunch karte the. Sab kuchh as per
strict time table kiya ja raha tha. subah uthne se lekar kab kab kya
kya karna hai sab kuchh pahle se hi decided tha.

Hume apne apne kamre me jakar taiyaar hokar swimming pool par milne
ke liye kaha gaya. Maine ek chhoti si two piece bikni pahni hui thi.
bikni kafi chhoti si thi. isliye maine uske upar ek shirt pahan li
thi. Kamre se bahar nikal kar bagal wale kamre me jisme Sasur ji rah
rahe the usme chali gayee. Sasur ji kamre me nahi the. maine idhar
udhar najar daudayee. bathroom se pani bahne ki awaj sunkar us taraf
gayee to dekha ki bathroom ka darwaja adha khula hua tha. Samne
Rajkumarji peshab kar rahe the. unke hath me unka kala ling samhal
rakha tha. ling adha uttejit awastha me tha isliye kafi bada dikh
raha tha. mai jhat thoda ot me ho gayee jisse ki unki najar achanak
mujh par nahi pade aur mai wahan se unko peshaab karte huye dekhti
rahi. Jaise hi unhon ne peshab khatm karke apne ling ko andar kiya
to mai ek banawati khansi dete huye unhe apne ane ki soochna di. wo
kapde theek karke bahar nikale. Rajkumar ji ne nagn badan par ek
chhoti se V shape ka swimming costume pahan rakha tha. jisme se unke
ling ka ubhar saaf saaf dikh raha tha. unhon ne apne ling ko upar ki
or karke set kar rakha tha.

Unhon ne mujhe bahon se pakad kar apni or kheencha to mai unke nagn
badan se lag gayee. usi awastha me unhon ne mere kandhe par apni
banh rakh kar mujhe apne se chipka liya. hum dono ek doosre ke gale
me hath dale kisi nav viwahit jode ki tarah swimming pool tak
pahunche.

Yahan par koi sharm jaisi baat nahi thi. Sare lady secretaries mujh
se bhi chhote kapdon me the. Unke samne to mai kafi decent lag rahi
thi. sare mard chhote swiming costumes pahan rakhe the aur nagn
badan the. unki masal chhatiyan dekh kar kisi bhi yuvati ka man
lalcha jaye. Rajkumar ji is umr me bhi apne health ka bahut khayal
rakhte the. roj subah jim jane ke karan unka badan kafi kasa hua
tha. Unke seene se lag kar mai bahut chahak rahi thi. yahan dekhne
ya tokne wala koi nahi tha.

hum kafi der tak swimming karte rahe. Wahan hum kutchh couples
milkar ek ball se khel rahe the. Wahin par germany se aye huye
Hamilton aur uski sexy secretary Shasha se mulakat hui. Hum kafi der
tak unke saath khelte rahe. Shasha ek bahut hi chhoti si bra aur
panty pahan rakhi thi. Wo un kapdon me bahut hi sexy lag rahi thi.
doodh ke jaisi rangat aur sunahre baal use kisi pari jaisa look de
rahe the. uska chehra bahut hi khoobsoorat tha. aur uske boobs itne
sakht the ki lag raha tha usne apne seene par do tarbooj bandh rakhe
hoon.

Hamilton ka kad kafi lamba tha kareeb 6'2". uske poore badan par
sunahre ghane royen the. sir par bhi sunahre baal the. halki si
betarteeb badhi dadhi uske vyaktitva ko aur khoobsoorat banati thi.
dono ke beech kafi antarangta thi. shasha to be jhijhak usko kiss
karti uske seene par apne stano ko ragadti aur kai baar to usne
Hamilton ke ling ko bhi sab ke samne masal diya tha. Hamilton bhi
beech beech me uske bra ke andar hath daal kar Shasha ke stano ko
masal deta tha. Paris me unmukt sex ka bolbala tha. koi agar us
jaise public place me bhi apne sathi ko nagn kar deta aur sambhog
karne lagta to bhi kisi ki najar tak nahi atakti.

Wahan swimming pool par hi cocktail serve kiya jar aha tha. Maine ek
glass liya aur pass khade Rajkumar ji ke honthon se laga diya. Raj
kumar ji meri kamar ko tham kar mujhe apne seene se sata liye aur
mere hathon se glass me se cocktail sip karne lage. Unhon ne ek sip
karne ke baad mere honthon se glass ko sata diya. maine kabhi sharab
nahi peethi. magar unke request karne par ek sip usme se li. Mera
nagn badan unke badan se ragad kha raha tha. Dono ke nagn badan ke
ek doosre se ragad khane ke karan ek sihran si poore badan me faili
huyi thi.

Jab Rajkumar ji ne apne glass ko khatm kiya to maine glass ko pool
ke paas jameen par rakh kar unki bahon se nikal gayee aur wapas
swimming pool me tairne lagi. Mujhe dekh kar Hamilton bhi mere saath
tairne laga. Jab mai kuchh der baad doosre kone par pahunchi to
Hamilton mere paas akar mujhe kheench kar apne seene se laga liya.

" I envy your employer. What a sexy damsel he has for a secretary!"
usne kaha aur mujhe kheench kar apne badan se kas kar sata liya.
Usne apne tapte honth meri honthon par rakh diye. Aur apni jeebh ko
mere munh me daalne ke liye jor lagane laga. mai pahle pahle apne
upar huye is hamle se ghabra gayee thi, "mmmmm" awaj ke saath maine
use thelne ki koshish ki magar wahan ka mahol hi kuchh aisa tha ki
mera virodh kamjor aur chhanik hi raha. kuchh hi der me maine apne
honthon ke beech uski jeebh ko pravesh karne ke liye jagah de di.
uski jeebh mere munh ke ek ek kone par ghoomne laga. meri jeebh ke
saath wo balle kar raha tha.

Ye dekh kar Shasha bhi Rajkumar ji ke paas sarak gayee aur unse
lipat kar unhe choomne lagi. maine unki or dekha to Shasha ne apne
angoothe ko hila kar mujhe age badhne ka ishara kiya. Hamilton ke
hath mere nitambon ko kas kar jakad rakhe the. usne mere nitambon ko
kas kar apne ling par dab rakha tha. uske khade ling ka abhas mujhe
mil raha tha.

--
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj



















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