Saturday, June 5, 2010

मैं हूँ हसीना गजब की--पार्ट--6

raj sharma stories




मैं हूँ हसीना गजब की--पार्ट--6


गतान्क से आगे........................

चिन्नास्वामी ने मुझे बाहों से पकड़ अपनी ओर खींचा जिसके कारण मैं
लड़खड़ा कर उसकी गोद मे गिर गयी. उसने मेरे नाज़ुक बदन को अपने
मजबूत बाहों मे भर लिया और मुझे अपने सीने मे कस कर दबा
दिया.
मेरी बड़ी बड़ी चूचिया उसके मजबूत सीने पर दब कर चपटी हो
रही थी. चिन्नास्वामी ना अपनी जीभ मेरे मुँह मे डाल दी. मुझे उसके
इस तरह अपनी जीभ मेरे मुँह मे फिरने से घिंन आ रही थी लेकिन
मैने अपने जज्बातों को कंट्रोल किया. उसके दोनो हाथ मेरे दोनो
चूचियो को थाम लिए अब वो उन दोनो को आटे की तरह गूथ रहे थे.
मेरे दोनो गोरे स्तन उनके मसल्ने के कारण लाल हो गये थे. स्वामी के
मसल्ने के कारण दोनो स्तन दर्द करने लगे थे.

"अबे स्वामी इन नाज़ुक फलों को क्या उखाड़ फेंकने का इरादा है तेरा?
ज़रा
प्यार से सहला इन अमरूदों को. तू तो इस तरह हरकत कर रहा है
मानो तू इसे **** कर रहा हो. ये पूरी रात हुमारे साथ रहेगी
इसलिए ज़रा प्यार से....." रस्तोगी ने चिन्नास्वामी को टोका.

रस्तोगी मेरी बगल मे बैठ गया और मुझे चिना स्वामी की गोद से
खींच कर अपनी गोद मे बिठा लिया. मैं चिन्नास्वामी की बदन से अलग
हो कर रस्तोगी के बदन से लग गयी. स्वामी उठकर अपने कपड़ों को
अपने बदन से अलग कर के वापस सोफे पर बैठ गया. उसने नग्न हालत
मे अपने लिंग को मेरे जिस्म से सटा कर उसे सहलाने लगा. रस्तोगी मेरे
स्तनो को मसलता हुआ मेरे होंठों को चूम रहा था.

फिर वो ज़ोर ज़ोर से मेरी दोनो छातियो को मसल्ने लगा. मेरे मुँह
से "आआआहह" , "म्‍म्म्ममम" जैसी आवाज़ें निकल रही थी. पराए मर्द
के हाथ बदन पर पड़ते ही एक अजीब सा सेन्सेशन होने लगता है.
मेरेपूरे बदन मे सिहरन सी दौड़ रही थी. रस्तोगी ने आइस बॉक्स से कुच्छ
आइस क्यूब्स निकल कर अपने ग्लास मे डाले और एक आइस क्यूब निकाल कर
मेरेनिपल के चारों ओर फिराने लगा. उसकी इस हरकत से पूरा बदन
गन्गना उठा. मेरा मुँह खुल गया और ज़ुबान सूखने लगी. ना चाहते
हुए भी मुँह से उत्तेजना की अजीब अजीब सी आवाज़ें निकालने लगी. मेरा
निपल जितना फूल सकता था उतना फूल चुका था. वो फूल कर ऐसा
कड़ा हो गया था मानो वो किसी पत्थर से बना हो. मेरे निपल के
चारों ओर गोल काले छकते मे रोएँ खड़े हो गये थे और छ्होटे
छ्होटे दाने जैसे निकल आए थे. बर्फ ठंडा था और निपल गरम.
दोनो के मिलन से बर्फ मे आग सी लग गयी थी. फिर रस्तोगी ने उस
बर्फको अपने मुँह मे डाल लिया और अपने दाँतों से उसे पकड़ कर दोबारा
मेरे निपल्स के उपर फिराने लगा. मैं सिहरन से काँप रही थी.
मैनेउसके सिर को पकड़ कर अपने स्तन के उपर दबा दिया. उसकी साँसे घुट
गयी थी. मैने सामने देखा पंकज मुझे इस तरह हरकत करता देख
मंद मंद मुस्कुरा रहा है. मैने बेबसी से अपने दाँत से अपना
निचला
होंठ काट लिया. मेरा बदन गर्म होता जा रहा था. अब उत्तेजना इतनी
बढ़ गयी थी कि अगर मैं सब लोक लाज छ्चोड़ कर एक वेश्याओं जैसा
हरकत भी करने लगती तो किसी को ताज्जुब नही होता. तभी स्वामी
बचाव के लिए आगे आ गया.

" आईयू रास्तोगी तुम कितना देर करेगा. सारी रात ऐसा ही करता
रहेगा
क्या. मैं तो पागल हो जाएगा. अब आगे बढ़ो अन्ना." स्वामी ने मुझे
अपनी ओर खींचा. मैं उठ कर उसके काले रीछ की तरह बालों वाले
सीने से लग गयी. उसने मुझे अपनी बाहों मे लेकर ऐसे दबाया कि
मेरी सास ही रुकने लगी. मुझे लगा कि शायद आज एक दो हड्डियाँ तो
टूट ही जाएँगी. मेरे जांघों के बीच उसका लिंग धक्के मार रहा
था.
मैने अपने हाथ नीचे ले जाकर उसके लिंग को थामा तो मेरी आँखें
फटी की फटी रह गयी. उसका लिंग किसी बेस बाल की तरह मोटा था.
इतना मोटा लिंग तो मैने बस ब्लू फिल्म मे ही देखा था. उसका लिंग
ज़्यादा लंबा नही था लेकिन इतना मोटा था कि मेरी योनि को चीर कर
रख देता. उसके लिंग की मोटाई मेरी कलाई के बराबर थी. मैं उसे
अपनीमुट्ठी मे पूरी तरह से नही ले पा रही थी.

मेरी आँख घबराहट से बड़ी बड़ी हो गयी. स्वामी की नज़रें मेरे
चेहरे पर ही थी. शायद वो अपने लिंग के बारे मे मेरी तारीफ सुनना
चाहता था जो की उसे मेरे चेहरे के भावों से ही मिल गया. वो मुझे
घबराता देख मुस्कुरा उठा. अभी तो उसका लिंग पूरा खड़ा भी नही
हुआ था.

" घबराव मत….. पहले तुम्हारी कंट को रस्तोगी चौड़ा कर देगा फिर
मैं उसमे डालेगा" कहते हुए उसने मुझ वापस अपने सीने मे दबा दिया
और अपना लिंग मेरी जांघों के बीच रगड़ने लगा.

रस्तोगी मेरे नितंबो से लिपट गया उसका लिंग मेरे नितंबों के बीच
रगड़ खा रहा था. रस्तोगी ने टेबल के उपर से एक बियर की बॉटल
उठाई और पंकज को इशारा किया उसे खोलने के लिए. पंकज ने

ओपनेर
ले कर उसके ढक्कन को खोला. रस्तोगी ने उस बॉटल से बियर मेरे एक
स्तन के उपर उधेलनी शुरू की.

"स्वामी ले पी ऐसा नसीला बियर साले गेंदे तूने जिंदगी मे नही पी
होगी." रस्तोगी ने कहा. स्वामी ने मेरे पूरे निपल को अपने मुँह मे
लेरखा था इसलिए मेरे स्तन के उपर से होती हुई बियर की धार मेरे
निपल के उपर से स्वामी के मुँह मे जा रही थी. वो खूब चटखारे
लेले कर पी रहा था. मेरे पूरे बदन मे सिहरन हो रही थी. मेरा
निपल तो इतना लंबा और कड़ा हो गया था की मुझे उसके साइज़ पर
खुद
ताज्जुब हो रहा था. बियर की बॉटल ख़तम होने पर स्वामी ने भी वही
दोहराया. इस बार स्वामी बियर उधेल रहा था और दूसरे निपल के उपर
से बियर चूसने वाला रस्तोगी था. दोनो ने इस तरह से बियर ख़तम
की.मेरी योनि से इन सब हरकतों के कारण इतना रस निकल रहा था कि
मेरीजंघें भी गीली हो गयी थी. मैं उत्तेजना मे अपनी दोनो जांघों को
एकदूसरे से रगड़ रही थी. और अपने दोनो हाथों से दोनो के तने हुए
लिंग को अपनी मुट्ठी मे लेकर सहला रही थी. अब मुझे उन्दोनो के
संभोग मे देरी करने पर गुस्सा आ रहा था. मेरी योनि मे मानो आग
लगी हुई थी. मैं सिसकारियाँ ले रही थी. मैने अपने निचले होंठों
को दाँतों मे दबा कर सिसकारियों को मुँह से बाहर निकलने से रोकती
हुई पंकज को देख रही थी और आँखों ही आँखों मे मानो कह रही
थीकि अब रहा नही जा रहा है. प्लीज़ इनको बोलो कि मुझे मसल मसल
कर रख दें.

इस खेल मे उन दोनो का भी मेरे जैस ही हाल हो गया था अब वो भी
अपने अंदर उबाल रहे लावा को मेरी योनि मे डाल कर शांत होना
चाहते
थे. उनके लिंगों से प्रेकुं टपक रहे थे.

" आईयू पंकज तुम कुच्छ करता क्यों नही. तुम सारा समान इस टेबल से
हटाओ." स्वामी ने पंकज को कहा. पंकज और रस्तोगी ने फटाफट
सेंटरटेबल से सारा समान हटा कर उसे खाली कर दिया. स्वामी मुझे बाहों
मेलेकर उपर कर दिया. मेरे पैर ज़मीन से उपर उठ गये. वो इतना
ताकतवर था कि मुझे इस तरह उठाए हुए वो टेबल का आधा चक्कर
लगाया और पंकज के सामने पहुँच कर मुझे टेबल पर लिटा दिया.
ग्लास टॉप की सेंटर टेबल पर बैठते ही मेरा बदन ठंडे काँच को
च्छुकर काँप उठा. मुझे उसने सेंटर टेबल के उपर लिटा दिया. मैं
इस
तरह लेटी थी कि मेरी योनि पंकज के सामने थी. मेरा चेहरा दूसरी
तरफ होने के कारण मुझे पता नही चल पाया कि मुझे इस तरफ अपनी
योनि को पराए मर्द के सामने खोल कर लेते देख कर मेरे पति के
चेहरे पर किस तरह के एक्सप्रेशन्स थे.

उन्हों ने मेरे पैरों को फैला कर पंखे की तरफ उठा दिए. मेरी
योनि उनके सामने खुली हुई थी. स्वामी ने मेरी योनि को सहलाना शुरू
किया. दोनो के होंठों पर जीभ फिर रहे थे.

" पंकज देखो तुम्हारी बीवी को कितना मज़ा आ रहा है." रस्तोगी ने
मेरी योनि के अंदर अपनी उंगलियाँ डाल कर अंदर के चिपचिपे रस से
लिसदी हुई उंगलियाँ पंकज को दिखाते हुए कहा.

फिर स्वामी मेरी योनि से चिपक गया और रस्तोगी मेरे स्तानो से. दोनो
के
मुँह मेरे गुप्तांगों से इस तरह चिपके हुए थे मानो फेविकोल से
चिपका दिए हों. दोनो की जीभ और दाँत इस अवस्था मे अपने काम
शुरू
कर दिए थे. मैं उत्तेजित हो कर अपने टाँगों को फेंक रही थी.

मैने अपने बगल मे बैठे पंकज की ओर देखा. पंकज अपने पॅंट के
उपर से अपने लिंग को हाथों से दबा रहा था. पंकज अपने सामने चल
रहे सेक्स के खेल मे डूबा हुआ था.

"आआआहह पंकज. म्‍म्म्ममम मुझीए क्याआ होता जा रहाआ है…"
मैने अपने सूखे होंठों पर ज़ुबान फिराई, " मेरा बदन सेक्स की
गर्मी से झुलस रहा है."


पंकज उठ कर मेरे पास आकर खड़ा हो गया. मैने अपने हाथ बढ़ा
कर उसके पॅंट की जीप को नीचे करके उसके बाहर निकलने को च्चटपटा
रहे लिंग को खींच कर बाहर निकाला. और उसे अपने हाथों से
सहलाने
लगी. रस्तोगी ने पल भर को मेरे निपल्स पर से अपना चेहरा उठाया
और पंकज को देख कर मुस्कुरा दिया और वापस अपने काम मे लग गया.
मेरे लंबे रेशमी बाल जिन्हे मैने जुड़े मे बाँध रखा था खुल कर
बिखर गये और ज़मीन पर फैल गये.

र्स्तोगी अब मेरे निपल्स को छ्चोड़ कर उठा और मेरे सिर के दूसरी
तरफ
आकर खड़ा हो गया. मेरी नज़रें पंकज के लिंग पर अटकी हुई थी
इसलिए रस्तोगी ने मेरे सिर को पकड़ कर अपनी ओर घुमाया. मैने देखा
कि मेरे चेहरे के पास उसका तना हुआ लिंग झटके मार रहा था. उसके
लिंग से निकलने वाले प्रेकुं की एक बूँद मेरे गाल पर आकर गिरी जिसके
कारण मेरे और उसके बीच एक महीन रिशम की डोर से संबंध हो
गया.उसके लिंग से मेरे मुँह तक उसके प्रेकुं की एक डोर चिपकी हुई थी.
उसनेमेरे सिर को अपने हाथों से पकड़ कर कुच्छ उँचा किया. दोनो हाथों
सेमेरे सिर को पकड़ कर अपने लिंग को मेरे होंठों पर फिराने लगा.
मैने अपने होंठों को सख्ती से बंद कर रखे थे. जितना वो देखने
मे भद्दा था उसका लिंग भी उतना ही गंदा था.

उसका लिंग पतला और लंबा था. उसका लिंग का शेप भी कुच्छ टेढ़ा
था. उसमे से पेशाब की बदबू आ रही थी. सॉफ सफाई का ध्यान नही
रखता था. उसके लिंग के चारों ओर फैले घने जंगल भी गंदा दिख
रहा था. लेकिन मैं आज इनके हाथों बेबस थी. मुझे तो उनकी पसंद
के अनुसार हरकतें करनी थी. मेरी पसंद ना पसंद की किसी को
परवाहनही थी. अगर मेरे से पूच जाता तो ऐसे गेंदों से अपने बदन को
नुचवाने से अच्च्छा मैं किसी और के नीचे लेटना पसंद करती.

मैने ना चाहते हुए भी अपने होंठों को खोला तो उसका लिंग जितना सा
भी सुराख मिला उसमे रस्तोगी ने उसे ठेलना शुरू किया. मैने अपने
मुँह को पूरा खोल दिया तो उसका लिंग मेरे मुँह के अंदर तक चला
गया. मुझे एक ज़ोर की उबकाई आए जिसे मैने जैसे तैसे जब्त किया.
रस्तोगी मेरे सिर को पकड़ कर अपने लिंग को अंदर ठेलने लगा लेकिन
उसका लिंग आधा भी मेरे मुँह मे नही घुस पाया. उसका लिंग मेरे गले
मे जा कर फँस गया. उसने और अंदर ठेलने की कोशिश की तो उसका
लिंग
गले के च्छेद मे फँस गया. मेरा दम घुटने लगा तो मैं च्चटपटाने
लगी. मेरे च्चटपटाने से स्वामी का काम मे बाधा आ रही थी इसलिए
वोमेरी योनि से अपना मुँह हटा कर रस्तोगी से लड़ने लगा.

" आबे इसे मार डालेगा क्या. तुझसे क्या अभी तक किसी सी अपना लंड
चुसवाना भी नही आया?"

रस्तोगी ने अपने लिंग को अब कुच्छ पीछे खींच कर मेरे मुँह मे
आगेपीछे धक्के लगाने लगा. उसने मेरे सिर को सख्ती से अपने दोनो
हाथों के बीच थाम रखा था. पंकज मेरे पास खड़ा मुझे दूसरों
के द्वारा आगे पीछे से उसे किया जाता देख रहा था. उसका लिंग बुरी
तरह तना हुआ था. यहाँ तक की स्वामी भी मेरी योनि को चूसना
छ्चोड़कर मेरे और रस्तोगी के बीच मुख मैथुन देख रहा था.

"युवर वाइफ ईज़ एक्सलेंट. शी ईज़ ए रियल सकर" स्वामी ने पंकज को
कहा.

"ऊऊहह अन्ना तुम ठीक ही कहता है. ये तो अपनी रशमा को भी फैल
कर देगी लंड चूसने मे" पंकज उनके विकहरों को सुनता हुआ असचर्या
से मुझे देख रहा था. मैने कभी इस तरह से अपने हज़्बेंड के लिंग
को भी नही चूसा था. ये तो उन दोनो ने मेरे बदन की गर्मी को इस
कदर बढ़ा दिया था कि मैं अपने आप को किसी चीप वेश्या जैसी
हरकत करने से नही रोक पा रही थी.

स्वामी ने कुच्छ ही देर मे रस्तोगी के पीछे आकर उसको मेरे सामने से
खींच कर हटाया.

"रस्तोगी तुम इसको फक करो. इसके कंट को रगड़ रगड़ कर चौड़ा कर
दो. मैं तब तक इसके मुँह को अपने इस मिज़ाइल से चोद्ता हूँ." ये कह
कर स्वामी आ कर रस्तोगी की जगह खड़ा हो गया और उसकी तरह ही
मेरेसिर को उठा कर अपने कमर को आगे किया जिससे मैं उसके लिंग को अपने
मुँह मे ले सकूँ. उसका लिंग एक दम कोयले सा काला था. लेकिन वो
इतनामोटा था कि पूरा मुँह खोलने के बाद भी उसके लिंग के सामने का
सूपड़ा मुँह के अंदर नही जा पा रहा था. उसने अपने लिंग को आगे
ठेला. मुझे लगा कि मेरे होंठों के किनारे अब चिर जाएँगे. मैने
उसको सिर हिला कर अपनी असमर्थता जताई. लेकिन वो मानने को तैयार
नही था. उसने मेरे सिर को अपने दोनो हाथों से पकड़ कर एक ज़ोर का
धक्का मेरे मुँह मे दिया. और उसका लिंग के आगे का टोपा मेरे मुँह मे
घुस गया. मैं उस लिंग के आगे वाले मोटे से गेंद को अपने मुँह मे
प्रवेश करते देख कर घबरा गयी. मुझे लगा कि अब मैं और नही
बच सकती. पहाड़ की तरह दिखने वाला काला भुजंग मेरे उपर और
नीचे के रास्तों को फाड़ कर रखेगा. मैं बड़ी मुश्किल से उसके लिंग
पर अपने मुँह को चला पा रही थी. मैं आगे पीछे तो क्या कर रही
थी स्वामी खुद मेरे सिर को अपने हाथों से पकड़ कर अपने लिंग के आगे
पीछे कर रहा था. मेरे मुँह मे स्वामी के लिंग को प्रवेश करते
देख अब रस्तोगी मेरे पैरों के बीच आ गया था. उसने मेरी टाँगों को
पकड़ कर अपने कंधे पर रख लिया और अपने लिंग को मेरी योनि पर
लगाया. मैं उसके लिंग के टिप को अपनी योनि के दोनो फांकों के बीच
महसूस कर रही थी. मैने एक बार नज़रें तिर्छि करके पंकज को
देखा उसकी आँखें मेरे योनि पर लगे लिंग को सांस रोक कर देख रही
थी. मैने अपनी आँखें बंद कर ली. मैं हालत से तो समझौता कर ही
चुकी थी. अब मैने भी इस संभोग को पूरी तरह एंजाय करने का मन
बना लिया.

रस्तोगी काफ़ी देर से इसी तरह अपने लिंग को मेरी योनि से सताए खड़ा
था और मेरी टाँगों को अपनी जीभ से चाट रहा था अब हालत बेकाबू
होते जा रहे थे. अब मुझसे और देरी बर्दस्त नही हो रही थी. मैने
अपनी कमर को थोड़ा उपर किया जिससे उसका लिंग बिना किसी प्राब्लम के
अंदर घुस जाए. लेकिन उसने मेरे कमर को आगे आते देख अपने लिंग को
उसी गति से पीछे कर लिया. उसके लिंग को अपनी योनि के अंदर ना
सरकता पाकर मैने अपने मुँह से "गूऊँ गूऊँ" करके उसे और देर
नही करने का इशारा किया. कहना तो बहुत कुच्छ चाहती थी लेकिन उस
विशाल लंड के गले तक ठोकर मरते हुए इतनी सी आवाज़ भी कैसे
निकल गयी पता नही चला.

मैने अपनी टाँगें उसके कंधे से उतार कर उसकी कमर के इर्दगिर्द
घेरा
डाल दिया और उसके कमर को अपने टाँगों के ज़ोर से अपनी योनि मे
खींचा लेकिन वो मुझसे भी ज़्यादा ताकतवर था उसने इतने पर भी
अपने लिंग को अंदर नही जाने दिया. आख़िर हार कर मैने अपने एक हाथ
से उसके लिंग को पकड़ा और दूसरे हाथ से अपनी योनि के द्वार को चौड़ा
करके अपने कमर को उसके लिंग पर उँचा कर दिया.

" देख पंकज तेरी बीवी कैसे किसी रंडी की तरह मेरा लंड लेने के
लिए च्चटपटा रही है." रस्तोगी मेरी हालत पर हँसने लगा. उसका
लिंग अब मेरी योनि के अंदर तक घुस गया था. मैने उसके कमर को
सख्ती से अपनी टाँगों से अपनी योनि पर जाकड़ रखा था. उसके लिंग को
मैने अपने योनि के मुस्सलेस से एक दम कस कर पकड़ लिया और अपनी
कमर को आगे पीछे करने लगी. अब रस्तोगी मुझे नही बल्कि मैं
रस्तोगी को चोद रही थी. रस्तोगी ने भी कुच्छ देर तक मेरी हालत का
मज़ा लेने के बाद अपने लिंग से धक्के देना शुरू कर दिया.
वो कुच्छ ही देर मे पूरे जोश मे आ गया और मेरी योनि मे दनादन
धक्के मारने लगा. हर धक्के के साथ लगता था की मैं टेबल से आगे
गिर पाड़ूँगी. इसलिए मैने अपनी हाथों से टेबल को पकड़ लिया.
रस्तोगी ने मेरे दोनो स्तानो को अपनी मुट्ठी मे भर कर उनसे रस
निकालने की कोशिश करने लगा. मेरे स्तनो पर वो कुच्छ ज़यादा ही
मेहरबान था. जब से आया था उन्हे मसल मसल कर लाल कर दिया
था.
दस मिनिट तक इसी तरह ठोकने के बाद उसके लिंग से तेज वीर्य की
धार मेरी योनि मे बह निकली. उसके वीर्य का साथ देने के लिए मेरे
बदन से भी धारा फूट निकली. उसने मेरे एक स्तन को अपने दाँतों के
बीच बुरी तरह जाकड़ लिया. जब सारा वीर्य निकल गया तब जाकर

उसने मेरे स्तन को छ्चोड़ा. मेरे स्तन पर उसके दन्तो से हल्के से कट
लग गये थे जिनसे खून के दो बूँद चमकने लगी थी.
स्वामी अभी भी मेरे मुँह को अपने खंबे से चोदे जा रहा था. मेरा
मुँह उसके हमले से दुखने लगा था. लेकिन रस्तोगी को मेरी योनि से
हटते देख कर उसकी आँखें चमक गयी. और उसने मेरे मुँह से अपने
लिंग को निकाल लिया. मुझे ऐसा लगा मानो मेरे मुँह का कोई भी अंग
काम नही कर रहा है. जीभ बुरी तरह दुख रही थी उसे हिलाया
भी
नही जा रहा था. और मेरा जबड़ा खुला का खुला रह गया. वो मेरी
योनि की तरफ आकर मेरी योनि पर अपना लिंग सटाया.

पंकज वापस मेरे मुँह के पास आ गया. मैने उसके लिंग को वापस अपनी
मुट्ठी मे लेकर सहलाना चालू किया. मैं उसके लिंग पर से अपना
ध्यान
हटाना चाहती थी. मैने पंकज की ओर देखा तो पंकज ने मुस्कुराते
हुए अपना लिंग मेरे होंठों से सटा दिया मैने भी मुस्कुरा कर अपना
मुँह खोल कर उसके लिंग को अंदर आने का रास्ता दिया. स्वामी के लिंग को
झेलने के बाद तो पंकज का लिंग किसी बच्चे का हथियार लग रहा
था.

स्वामी ने मेरी टाँगों को दोनो हाथों से जितना फैला सकता था उतना
फैला दिया. वो अपने लिंग को मेरी योनि पर फिराने लगा. मैने उसके
लिंग को हाथों मे भर कर अपनी योनि पर रखा.

" धीरे धीरे….. स्वामी जी नही तो मैं मर जौंगी." मैने स्वामी से
रिक्वेस्ट किया. स्वामी एक भद्दी हँसी हंसा. हंसते हुए उसका पूरा
बदन हिल रहा था. उसका लिंग वापस मेरी योनि पर से हट गया.

" ओये पंकज तुम्हारी बीवी को तुम जब चाहे कर सकता है अभी तो
मेरी
हेल्प करो. इडार आओ… मेरे रोड को हाथों से पकड़ कर अपने वाइफ के
कंट
मे डालो. मैं इसकी टाँगे पकड़ा हूँ. इसलिए मेरा कॉक बार बार
तुम्हारे वाइफ के कंट से फिसल जाता है. पाकड़ो इसे…….." पंकज ने आगे
की ओर हाथ बढ़ा कर स्वामी के लिंग को अपनी मुट्ठी मे पकड़ा. कुच्छ
देरसे कोशिश करने के कारण उसका लिंग थोडा ढीला पड़ गया था.

" पंकज पहले इसे अपने हाथो से सहला कर वापस खड़ा करो. उसके
बाद अपनी बीवी की पुसी मे डालना. आज तेरे फाइफ की पुसी को फाड़ कर
रखूँगा." पंकज उसके लिंग को हाथों मे लेकर सहलाने लगा. मैने
भी हाथ बढ़ा कर उसके लिंग के नीचे लटक रही गेंदों को सहलाना
शुरू किया. कैसा अजीब महॉल; था अपनी बीवी की योनि को ठुकवाने के
लिए मेरा हज़्बेंड एक अजनबी के लिंग को सहला कर खड़ा कर रहा था.
कुच्छ ही देर मे हम दोनो की कोशिशें रंग लाई और स्वामी का लिंग
वापस खड़ा होना शुरू हो गया. उसका आकार बढ़ता ही जा रहा था.
उसेदेख देख कर मेरी घिग्घी बाँधने लगी.

" धीरे धीरे…….स्वामी जी मैं इतना बड़ा नही ले पौँगी. मेरी योनि
अभी बहुत टाइट है." मैने कसमसाते हुए कहा, "तुम …तुम बोलते
क्यों नही…" मैने पंकज से कहा.

पंकज ने स्वामी की तरफ देख कर उनसे धीरे से रिक्वेस्ट की, " मिस्टर.
स्वामी……प्लीज़ थोडा धीरे से. शी हॅड नेवेर बिफोर एक्सपीरियेन्स्ड
सच
ए मॅसिव कॉक. यू मे हार्म हर. युवर कॉक ईज़ शुवर टू टियर हर
अपार्ट."

"हः… डॉन'ट वरी पंकज. वेट फॉर फाइव मिनिट्स. वन्स आइ स्टार्ट
हमपिंग
शी विल स्टार्ट आस्किंग फॉर मोरे लाइक ए रियल स्लट" स्वामी ने पंकज को
दिलासा दिया. उसने मेरी योनि के अंदर अपनी दो उंगली डाल कर उसे
घुमाया और फिर मेरे और रस्तोगी के वीर्य से लिसदी हुई उंगलियों को
बाहर निकाल कर मेरे आँखों के सामने एक बार हिलाया और फिर उसे अपने
लिंग पर लगाने लगा. ये काम उसने कई बार रिपीट किया. उसका लिंग
हम दोनो के वीर्य से गीला हो कर चमक रहा था. उसने वापस अपने
लिंग को मेरी योनि पर सताया और दूसरे हाथ से मेरी योनि की फांकों
को अलग करते हुए अपने लिंग को एक हल्का धक्का दिया. मैने अपनी
टाँगों को छत की तरफ उठा रखा था. मेरी योनि उसके लिंग के
सामने
खुल कर फैली हुई थी. हल्के से धक्के से उसका लिंग अंदर ना जाकर
गीली योनि पर नीचे की ओर फिसल गया. उसने दोबारा अपने लिंग को
मेरी
योनि पर सताया. पंकज उसके पास ही खड़ा था. उसने अपनी उंगलियों
से
मेरी योनि की फांकों को अलग किया और योनि पर स्वामी के लिंग को
फँसाया. स्वामी ने अब एक ज़ोर का धक्का दिया और उसके लिंग के सामने का
टोपा मेरी योनि मे धँस गया. मुझे ऐसा लगा मानो मेरे दोनो टाँगों
के बीच किसी ने खंजर से चीर दिया हो. मैं दर्द से च्चटपटा
उठी,"आआआआआअहह ह" मेरे नाख़ून पंकज के लिंग पर गड़ गये.
मेरे
साथ वो भी दर्द से बिलबिला उठा. लेकिन स्वामी आज मुझ पर रहम
करने के बिल्कुल मूड मे नही था. उसने वापस अपने लिंग को पूरा
बाहर
खींचा तो एक "फक" सी आवाज़ आई मानो किसी बॉटल का कॉर्क खोला
गया हो.



उसे मुझे दर्द देने मे मज़ा आ रहा था. नही तो वो अगर चाहता तो उस
अवस्था मे ही अपने लिंग को धक्का दे कर और अंदर कर देता. लेकिन
वो तो पूरे लिंग को बाहर निकल कर वापस मुझे उसी तरह के दर्द से
च्चटपटाता देखना चाहता था. मैने उसके आवेग को कम करने के लिए
उसके सीने पर अपना एक हाथ रख दिया था. लेकिन उसका काम तो आँधी
मे एक कमजोर फूल की जुर्रत के समान ही था.

उसने वापस अपने लिंग को मेरी योनि पर लगा कर एक ज़ोर का धक्का
दिया. मैं दर्द से बचने के लिए आगे की ओर खिसकी लेकिन कोई फ़र्क
नही पड़ा. मई दर्द से दोहरी हो कर चीख उठी,"उफफफफफ्फ़ माआआअ
मर गइईई"

उसका आधा लिंग मेरी योनि के मुँह को फाड़ता हुआ अंदर धँस गया. मेरा
एक हाथ उसके सीने पर पहले से ही गढ़ा हुआ था. मैने दर्द से राहत
पाने के लिए अपने दूसरे हाथ को भी उसके सीने पर रख दिया. उसके
काले सीने पर घने काले सफेद बाल उगे हुए थे मैने दर्द से अपनी
उंगलियों के नाख़ून उनके सीने पर गढ़ा दिए. एक दो जगह से तो
खून भी छलक आया और मुत्ठिया बंद हो कर जब खुली तो मुझे
उसमे उसके सीने के टूटे हुए बॉल नज़र आए. स्वामी एक भद्दी सी
हँसी हंसा और मेरी टाँगों को पकड़ कर हंसते हुए मुझ से पूचछा,

" कैसा लग रहा है जान…..मेरा ये मिज़ाइल? मज़ा आ गया ना?"

मैं दर्द को पीती हुई फटी हुई आँखों से उसको देख रही थी. उसने
दुगने ज़ोर से एक और धक्के के साथ अपने पूरे लिंग को अंदर डाल
दिया. मैं किसी मच्चली की तरह च्चटपटा रही थी.


"आआआआआअहह ह म्‍म्म्माआआ….. पंकाआआअज बचऊूऊ………
मुझीई ईईए फ़ाआआद डेनेगीई"

मैं टेबल से उठने की कोशिश करने लगी मेगेर रस्तोगी ने मेरे स्तनो
को अपने हाथों से बुरी तरह मसल्ते हुए मुझे वापस लिटा दिया.
उसने मेरे दोनो निपल्स को अपनी मुत्ठियों मे भर कर इतनी ज़ोर का
मसला कि मुझे लगा मेरे दोनो निपल्स उखाड़ ही जाएँगे. मैं इस दो
तरफ़ा हमले से च्चटपटाने लगी.

स्वामी अपने पूरे लिंग को मेरी योनि मे डाल कर कुच्छ देर तक उसी
तरह खड़ा रहा. मेरी योनि के अंदर मानो आग लगी हुई थी. मेरी
योनि की दीवारें चरमरा रही थी. रस्तोगी उस वक़्त मेरे निपल्स और
मेरे स्तनो को अपने हाथों से और दाँतों से बुरी तरह नोच रहा था
काट रहा था. इससे मेरा ध्यान बाँटने लगा और कुच्छ देर मे मैं अपने
नीचे उठ रही दर्द की लहर को भूल कर रस्तोगी से अपने स्तनो को
च्छुदाने लगी. कुच्छ देर बाद स्वामी का लिंग सरसरता हुआ बाहर की
ओर निकलता महसूस हुआ . उसने अपने लिंग को टिप तक बाहर निकाला और
फिर पूरे जोश के साथ अंदर डाल दिया. अब वो मेरी योनि पर ज़ोर ज़ोर
से धक्के मरने लगा. उसको हरकत मे आते देख रस्तोगी का लिंग वापस
खड़ा होने लगा. वो घूम कर मेरे दोनो कंधों के पास टाँगें रख
कर अपने लिंग को मेरे होंठों पर रगड़ने लगा. मैं उसका आशय
समझ कर अपने मुँह को खोल कर उसके लिंग को अपने मुँह मे ले ली. वो
मेरी च्चातियों के उपर बैठ गया. मुझे ईसा लगा मानो मेरे सीने की
सारी हवा निकल गयी हो. उसने अपने लिंग को मेरे मुँह मे देकर झुक
कर अपने दोनो हाथों को अपने घुटनो पर रख कर मेरे मुँह मे अपने
लिंग से धक्के मारने लगा. इस पोज़िशन मे स्वामी मुझे दिखाई नही
दे रहा था मगर उसके जबरदस्त धक्के मेरे पूरे जिस्म को बुरी
तरह झकझोर रहे थे.

कुउच्च देर बाद मुझे रस्तोगी का लिंग फूलते हुए महसूस हुआ. उसने
एक झटके से अपने पूरे लिंग को बाहर की ओर खींचा और उसे पूरा
बाहर निकाल लिया. उसकी ये हरकत मुझे बहुत बुरी लगी. किसी को इतना
चोद्नने के बाद भी उसके पेट मे अपना रस नही उधहेलो तो लगता है
मानो सामने वाला धोखे बाज़ हो. मैने उसके वीर्य को पाने के लिए
अपने मुँह को पूरा खोल दिया. उसने अपने लिंग को अपनी मुट्ठी मे पकड़ा
एक तेज वीर्य की धार हवा मे उच्छलती हुई मेरी ओर बढ़ी. उसने ढेर
सारा वीर्य मेरे चेहरे पर मेरे बालों मे और मेरे खुले हुए मुँह
मे डाल दिया. मैं तड़प कर अपने मुँह को उसके लिंग के उपर लगाई
और उसके बचे हुए वीर्य को अपने मुँह मे भरने लगी.

"मेरे वीर्य को पीना नही. इसे मुँह मे ही रख जबतक स्वामी का
वीरया तेरी चूत मे नही छूट जाता. " रस्तोगी ने मुझसे कहा.
स्वामी के धक्कों की गति काफ़ी बढ़ गयी. मैने रस्तोगी का वीर्य
अपने मुँह मे भर रखा था जिससे मेरा मुँह फूल गया था उसके
कोरों से वीर्य छलक कर बाहर आ रहा था. बहुत सारा वीर्य
डाला था उसने मेरे मुँह मे. रस्तोगी मेरे उपर से हट गया और मेरे
स्तनो पर अपने हाथ रखते हुए स्वामी मेरी योनि पर धक्के मारने
लगा. कुच्छ देर बाद उसने नीचे झुक कर अपना सारा बोझ मेरे बदन
पर डालते हुए मेरे स्तनो को अपने दाँतों से बुरी तरह काटने लगा
उसके जिस्म से वीर्य की तेज धार मेरी योनि मे बहने लगी. स्वामी से
चुद्ते हुए मैं भी दो बार स्खलित हो गयी. पूरा वीर्य मेरी योनि
मे डाल कर वो उठा. मैं अपनी टाँगे फैलाए वही टेबल पर पड़ी पड़ी
लंबी लंबी साँसे ले रही थी. कुच्छ देर तक इसी तरह पड़े रहने के
बाद रस्तोगी ने मुझे सहारा देकर उठाया.

"दिखा रस्तोगी के वीर्य को अभी तक मुँह मे सम्हल कर रखा है या
नही." स्वामी ने कहा. मैने अपना मुँह खोल कर अंदर भरे हुए
वीर्य को दोनो को दिखाया.

"ले अब अपने मुँह से सारा वीर्य निकाल कर अपने हज़्बेंड को पीला. दोनो
हज़्बेंड वाइफ हो हर चीज़ की बराबर भागेदारी होनी चाहिए. "
रस्तोगी ने कहा. पंकज पास के सोफे पर बैठा हुया था. मुझे
रस्तोगी खड़ा कर के पंकज की तरफ धकेला. मेरी टाँगों मे ज़ोर
नही बचा था इसलिए मैं भरभरा कर पंकज के उपर गिर गयी.
मैने अपने होंठ पंकज के होंठों पर रख कर अपने मुँह का सारा
वीर्य पंकज के मुँह मे डाल दिया. ऐसी हालत से पंकज का कभी
वास्ता नही पड़ा था. वो किसी का वीर्य नही पीना चाहता था लेकिन
स्वामी ने उसके सिर को अपने हाथों से पकड़ लिया.

उसने ना चाहते हुए भी रस्तोगी का वीर्य अपने मुँह मे भर कर
धीरे धीरे गटक लिया. मेरी योनि से दोनो का वीर्य बहता हुया
पंकज की पॅंट पर लग रहा था.

मैं अब उठ कर दौड़ती हुई बाथरूम मे गयी. मेरी टाँगों से होते
हुए दोनो का वीर्य नीचे की ओर बह रहा था. बाथरूम मे जाकर
जैसे ही अपना चेहरा आईने मे देखा तो मुझे रोना आ गया मेरा पूरा
बदन, मेरे रेशमी बाल, मेरा मंगल सुत्र सब कुच्छ वीर्य से सना
हुया था. मेरे स्तनो पर अनगिनत दाँतों के दाग थे. मैने अपने
बदन से उनके वीर्य को सॉफ करने लगी तभी दोनो बाथरूम मे
पहुँच गये और मुझे अपनी गोद मे उठा लिया.

"प्लेज मुझे छ्चोड़ दो मुझे अपना बदन सॉफ करने दो. मुझे घिंन
आ रही है अपने बदन से" मैं उनके आगे गिड गिड़ाई.

" अरे मेरी जान तुम तो और भी खूबसूरत लग रही हो इस हालत मे
अभी तो पूरी रात पड़ी है. कब तक अपने बदन को पोंच्छ पोंच्छ कर
आओगी हुमारे पास." रस्तोगी हँसने लगा. दोनो मुझे गोद मे उठा कर
बेड रूम मे ले आए. स्वामी बिस्तर पर नग्न लेट गया और मुझे अपनी ओर
खींचा.


"आजा मेरे ऊपर" स्वामी ने मुझे उनके लिंग को अपने अंदर लेने का
इशारा किया. मैने अपनी कमर उठाकर उसके खड़े हुए लिंग को अपनी
योनि पर सेट किया. उसने अपने हाथों को आगे बढ़ा कर मेरे दोनो स्तन
युगल थाम लिए. मैने अपने चेहरे के सामने आए बालों को एक झटके
से पीछे किया और अपनी कमर को उसके लिंग पर धीरे धीरे नीचे
करने लगी. उसका मोटा लिंग एक झटके से मेरी योनि का दरवाजा खोल
कर अंदर प्रवेश किया. "आआआअहह……ओफफफफफफफफूओ" मैं कराह उठी.
एक बार उसके लिंग से चुदाई हो जाने के बाद भी उसका लिंग मेरी योनि
मे प्रवेश करते वक़्त मैं दर्द से च्चटपटा उठी. ऐसा लगता था
शायद पिच्छली ठुकाई मे मेरी योनि अंदर से छिल गयी थी. इसलिए
उसका लिंग वापस जैसे ही अंदर रगड़ता हुआ आगे बढ़ा दर्द की एक तेज
लहर पूरे बदन मे समा गयी. मैने अपने हाथ उसके सीने पर रख
कर अपने कमर को धीरे धीरे नीचे किया.

रस्तोगी का वीरय अब चेहरे पर और स्तनो पर से सूख कर पपड़ी का
रूप ले लिए थे. मैं कुच्छ देर तक यूँ ही स्वामी के लिंग पर बैठी
अपनी उखड़ी हुई सांसो को काबू मे करने की कोशिश करने लगी तो
पीछे से मेरे दोनो बगलों के नीचे से रस्तोगी ने अपने हाथ डाल
कर मेरे बदन को जाकड़ लिया और उसे उपर नीचे करना शुरू किया.
धीरे धीरे मैं खुद ही अपनी कमर को उसके लिंग पर हिलने लगी.
अब दर्द कुच्छ कम हो गया था. अब मैं तेज़ी से स्वामी के लिंग पर उपर
नीचे हो रही थी.

अचानक स्वामी ने मेरे दोनो निपल्स को अपनी मुत्ठियों मे भर कर
अपनी ओर खींचा. मैं उसके खींचने के कारण उसके उपर झुकते
झुकते लेट ही गयी. वो अब मुझे अपनी बाहों मे जाकड़ कर अपने सीने
पर दाब लिया. मेरे स्तन युगल उसके सीने मे पिसे जा रहे थे. तभी
पीछे से किसी की उंगलियों को च्छुअन मेरे नितंबों के उपर हुई. मैं
उसे देखने के लिए अपने सिर को पीछे की ओर मोड़ना चाहती थी लेकिन
मेरी हरकत को भाँप कर स्वामी ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख
दिए और मेरे निचले होंठ को अपने मुँह मे लेकर चूसने लगा. मैने
महसूस किया कि वो हाथ रस्तोगी का था. रस्तोगी मेरे मांसल नितंबों
पर अपने हाथ से सहला रहा था. कुच्छ ही देर मे उसकी उंगलियाँ
सरक्ति हुई मेरी योनि पर ढोँकनी की तरह चल रहे स्वामी के लिंग
के बीच पास पहुँच गये. उसने अपनी उंगलियों को मेरी योनि से
उफनते हुए रस से गीला कर मेरे गुदा पर फेरने लगा. मैं उसका आशय
समझ कर छ्छूटने के लिए च्चटपटाने लगी मगर स्वामी ने मुझे
जोंक की तरह जाकड़ रखा था. उन संडो से मुझ जैसी नाज़ुक कली
कितनी देर लड़ सकती थी. मैने कुच्छ ही देर मे थक कर अपने बदन
को ढीला छ्चोड़ दिया.

रस्तोगी की पहले एक उंगली मेरे गुदा के अंदर घुस कर काम रस से
गीला करने लगी मगर जल्दी ही दो तीन उंगलियाँ मेरे गुदा मे
ठूँसने लगा. मैं हर हमले पर अपनी कमर को उच्छल देती मगर उस
पर कोई असर नही होता. कुच्छ ही देर मे मेरे गुदा को अच्छि तरह
योनि क इरस से गीला कर के रस्तोगी ने अपने लिंग को वहाँ सताया.
स्वामी ने अपने दोनो हाथों से मेरे दोनो नितंबों को अलग करके
रस्तोगी के लिए काम आसान कर दिया. मैने पहले कभी अप्राकृतिक
मैथुन नही किया था इसलिए घबराहट से मेरा दिल बैठने लगा.

रस्तोगी ने एक ज़ोर के धक्के से अपने लिंग को मेरे गुदा मे घुसाने की
कोशिश की मगर उसका लिंग आधा इंच भी अंदर नही जा पाया. मैं
दर्द से च्चटपटा उठी. रस्तोगी ने अब अपनी दो उंगलियों से मेरे गुदा
द्वार को फैला कर अपने लिंग को उसमे ठूँसने की कोशिश की मगर इस
बार भी उसका लिंग रास्ता नही बना सका. इस नाकामियाबी से रस्तोगी
झुंझला उठा उसने लगभग चीखते हुए पंकज से कहा,

"क्या तुकर तुकर देख रहा है जा जल्दी से कोई क्रीम ले कर आ. लगता
है तूने आज तक तेरी बीवी की ये सील नही तोड़ी. साली बहुत टाइट
है. मेरे लंड को पीस कर रख देगी." रस्तोगी उत्तेजना मे गंदी
गंदी बातें बड़बड़ा रहा था. पंकज पास के ड्रेसिंग टेबल से कोल्ड
क्रीम की बॉटल लाकर रस्तोगी को दिया. रस्तोगी ने अपनी उंगली से
लगभग आधी शीशी क्रीम निकाल कर मेरे गुदा द्वार पर लगाया. फिर
वो अपनी उंगलियों से अंदर तक अच्छे से चिकना करने लगा. कुच्छ
क्रीम उठा कर अपने लंड पर भी लगाया. इस बार जब वो मेरे गुदा
द्वार पर अपने लिंग को रख कर धक्का दिया तो उसका लिंग मेरे गुदा
द्वार को फड़ता हुया अंदर घुस गया. दर्द से मेरा बदन एंथने लगा.
ऐसा लगा मानो कोई एक मोटी सलाख मेरे गुदा मे डाल दिया हो.

"आआआआ..ऊऊऊऊ ओह…आआआआअ… .ईईईईंमम्ममम माआ" मैं
दर्द
से च्चटपटा रही थी. दो तीन धक्के मे ही उसका पूरा लिंग मेरे
पिच्छले द्वार से अंदर घुस गया. जब तक उसका पूरा मेरे शरीर मे
प्रवेश नही कर गया तब तक स्वामी ने अपने धक्के बंद रखे और
मेरे बदन को बुरी तरह अपने सीने पर जाकड़ के रखा था. मुझे
लगा कि मेरा शरीर सुन्न होता जा रहा है. लेकिन कुच्छ ही देर मे
वापस दर्द की तेज लहर पूरे बदन को जाकड़ ली. अब दोनो धक्के
मारने शुरू कर दिए. हर धक्के के साथ मैं कसमसा उठती. दोनो के
विशाल लिंग लग रहा था मेरे पेट की सारी अंतदियों को तोड़ कर रख
देंगे. पंद्रह बीस मिनिट तक दोनो की ठुकाई चलती रही फिर एक
साथ दोनो ने मेरे दोनो च्छेदो को रस से भर दिया. रस्तोगी स्खलित
होने के बाद मेरे बदन से हटा. मैं काफ़ी देर तक स्वामी के बदन पर
ही पसरी रही. उसका लिंग नरम हो कर मेरी योनि से निकल चुक्का था.
लेकिन मुझमे अब बिल्कुल भी ताक़त नही बची थी. मुझे स्वामी ने अपने
उपर से हटाया और अपने बगल मे लिटा लिया. मेरी आँखें बंद होती
चली गयी. मैं थकान से नींद की आगोश मे चली गयी. उसके बाद
रात भर मेरे तीनो च्छेदों को आराम नही करने दिया गया. मुझे कई
बार कई तरह से उन दोनो ने भोगा. मगर मैं थकान के मारे नींद
मे डूबी रही. एक दो बार दर्द से मेरी खुमारी ज़रूर टूटी लेकिन
अगले ही पल वापस मैं नींद की आगोश मे चली गयी. दोनो रात भर
मेरे बदन को नोचते रहे.

सुबह दोनो कपड़े पहन कर वापस चले गये. पंकज उन्हे होटेल पर
छ्चोड़ आया. मैं उसी तरह बिस्तर पर पड़ी हुई थी. सुबह ग्यारह बजे
की आस पास मेरी नींद खुली तो पंकज को मैने अपने पास बैठे
हुए पाया. उसने सहारा देकर मुझे उठाया और बाथरूम तक
पहुँचाया. मेरे पैर बुरी तरह काँप रहे थे. बाथरूम मे शवर
के नीचे मैं लगभग पंद्रह मिनिट तक बैठी रही.

मैं एक लेडी डॉक्टर के पास भी हो आई. लेडी डॉक्टर मेरी हालत देख
कर समझी की मेरे साथ कोई रेप जैसा हादसा हुआ है. मैने भी
उसे अपने कॉन्फिडेन्स मे लेते हुए कहा, "कल घर पर हज़्बेंड नही
थे. चार आदमी ज़बरदस्ती घुस आए थे और उन्हों ने मेरे साथ रात
भर रेप किया."

लेडी डॉक्टर ने पूछा कि मैने पोलीस मे फिर दर्ज करवाई या नही तो
मैने उसको कहा "मैं इस घटना का ज़िक्र कर बदनाम नही होना
चाहती.मैने अंधेरे मे उनके चेहरे तो देखे नही तो फिर कैसे
पहचानूँगी उन्हे इसलिए आप भी इसका ज़िक्र किसी से ना करें."

डॉक्टर मेरी बातों से सहमत होकर मेरा मुआयना करके कुच्छ दवाइयाँ
लिख दी. मुझे पूरी तरह नॉर्मल होने मे कई दिन लग गये. मेरे
स्तनो पर से दाँतों के काले काले धब्बे तो महीने भर तक नज़र
आते रहे. पंकज का काम हो गया था. उनकी एलीट कंपनी से वापस
मधुर संबंध हो गये. पंकज ने जब तक मैं बिल्कुल ठीक नही हो
गयी तब तक मुझे पलकों पर बिठाए रखा. मुझे दो दीनो तक तो
बिस्तर से ही उठने नही दिया. उसके मन मे एक गिल्टी फीलिंग तो थी
ही. कि मेरी इस हालत की वजह वो और उसका बिज़्नेस है.


कुच्छ ही दीनो मे एक बहुत बड़ा कांट्रॅक्ट हाथ लगा. उसके लिए पंकज
को यूएसए जाना पड़ा. वहाँ कस्टमर्स के साथ डीलिंग्स तय करनी थी.
और नये कस्टमर्स भी तलाश करने थे. उसे वहाँ करीब छह
महीने लगने थे. मैने इस दौरान उनके पेरेंट्स के साथ रहने की
इच्च्छा जाहिर की. मैं अब मिस्टर. राज शर्मा के लड़के की बीवी बन चुकी थी
मगर अभी भी जब मैं उनके साथ अकेली
होती तो मेरा मन मचलने लगता. मेरे बदन मे एक सिहरन सी दौड़ने
लगती. कहावत ही है की लड़किया अपना पहला प्यार कभी नही भूल
पाती.

राज जी के ऑफीस मे मेरी जगह अब उन्हों ने एक 45 साल की महिला
सुनयना को रख लिया था. नाम के बिल्कुल विपरीत थी वो. मोटी और
काली सी. वो अब डॅडी की सेक्रेटरी थी. मैने एक बार पापा को छेड़ते
हुए कहा था,

"क्या पूरी दुनिया मे कोई ढंग की सेक्रेटरी आपको नही मिली?"

क्रमशः........................................


दोस्तों पूरी कहानी जानने के लिए नीचे दिए हुए पार्ट जरूर पढ़े .................................
आपका दोस्त
राज शर्मा




--
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) ऑल्वेज़
`·.¸(¨`·.·´¨) कीप लविंग &
(¨`·.·´¨)¸.·´ कीप स्माइलिंग !
`·.¸.·´ -- राज







main hun hasina gajab ki--paart--6

gataank se aage........................

Chinnaswami ne mujhe bahon se pakad apni or kheencha jiske karan mai
ladkhada kar uski god me gir gayee. Usne mere najuk badan ko apne
majboot bahon me bhar liya aur mujhe apne seene me kas kar daba
diya.
Meri badi badi chhatiyan uske majboot seene par dab kar chapti ho
rahi thi. Chinnaswami na apni jeebh mere munh me daal di. mujhe uske
is tarah apni jeebh mere munh me firane se ghinn a rahi thi lekin
maine apne jajbaton ko control kiya. uske dono hath mere dono
chhatiyon ko tham liye ab wo un dono ko ate ki tarah gooth rahe the.
mere dono gore stan unke masalne ke karan laal ho gaye the. Swami ke
masalne ke karan dono stan dard karne lage the.

"abe Swami in najuk falon ko kya ukhad fenkne ka irada hai tera?
jara
pyaar se sahla in amroodon ko. tu to is tarah harkat kar raha hai
mano tu ise **** kar raha ho. ye poori raat humare saath rahegi
isliye jara pyaar se....." Rastogi ne Chinnaswami ko toka.

Rastogi meri bagal me baith gaya aur mujhe Chinna swami ki god se
kheench kar apni god me bitha liya. mai Chinnaswami ki badan se alag
ho kar Rastogi ke badan se lag gayee. Swami uthkar apne kapdon ko
apne badan se alag kar ke wapas sofe par baith gaya. usne nagn halat
me apne ling ko mere jism se sata kar use sahlane laga. Rastogi mere
stano ko masalta hua mere honthon ko choom raha tha.

Fir wo jor jor se meri dono chhatiyon ko masalne laga. Mere munh
se "aaaaaahhhhh" , "mmmmmm" jaisi awajen nikal rahi thi. Paraye mard
ke hath badan par padte hi ek ajeeb sa sensation hone lagta hai.
Mere
poore badan me sihran si daud rahi thi. Rastogi ne ice box se kuchh
ice cubes nikal kar apne glass me dale aur ek ice cube nikal kar
mere
nipple ke charon or firane laga. Uski is harkat se poora badan
gangana utha. Mera munh khul gaya aur jubaan sookhne lagi. Na chahte
huye bhi munh se uttejna ki ajeeb ajeeb si awajen nikalne lagi. Mera
nipple jitna phool sakta tha utna phool chuka tha. Wo phool kar aisa
kada ho gaya tha mano wo kisi patthar se bana ho. Mere nipple ke
charon or gol kale chakte me royen khade ho gaye the aur chhoti
chhote dane jaise nikal aye the. Barf thanda tha aur nipple garam.
Dono ke milan se barf me aag si lag gayee thi. fir rastogi ne us
barf
ko apne munh me daal liya aur apne danton se use pakad kar dobara
mere nipples ke upar firane laga. mai sihran se kaanp rahi thi.
maine
uske sir ko pakad kar apne stan ke upar daba diya. Uski sanse ghut
gayee thi. Maine samne dekha Pankaj mujhe is tarah harkat karta dekh
mand mand muskura raha hai. Maine bebasi se apne daant se apna
nichla
honth kaat liya. Mera badan garm hota ja raha tha. Ab uttejna itni
badh gayee thi ki agar mai sab lok laaj chhod kar ek veshyaon jaisa
harkat bhi karne lagti to kisi ko tajjub nahi hota. Tabhi Swami
bachaw ke liye age a gaya.

" aiyoo Raastogi tum kitna der karega. Saari rat aisa hi karta
rahega
kya. Mai to paagal ho jayega. Ab age badho anna." Swami ne mujhe
apni or kheencha. Mai uth kar uske kale reech ki tarah balon wale
seene se lag gayee. Usne mujhe apni bahon me lekar aise dabaya ki
meri saas hi rukne lagi. Mujhe laga ki shayad aaj ek do haddiyan to
toot hi jayengi. Mere janghon ke beech uska ling dhakke mar raha
tha.
Maine apne hath neeche le jakar uske ling ko thama to meri ankhen
fati ki fati rah gayee. Uska ling kisi base ball ki tarah mota tha.
Itna mota ling to maine bus Blue film me hi dekha tha. Uska ling
jyada lamba nahi tha lekin itna mota tha ki meri yoni ko cheer kar
rakh deta. Uske ling ki motai meri kalai ke barabar thi. Mai use
apni
mutthi me poori tarah se nahi le pa rahi thi.

Meri ankh ghabrahat se badi badi ho gayee. Swami ki najren mere
chehre par hi thi. Shayad wo apne ling ke bare me meri tareef sunna
chahta tha jo ki use mere chehre ke bhawon se hi mil gaya. Wo mujhe
ghabrata dekh muskura utha. Abhi to uska ling poora khada bhi nahi
hua tha.

" ghabrao mat….. pahle tumhari cunt ko Rastogi chauda kar dega fir
mai usme dalega" kahte huye usne mujh wapas apne seene me daba diya
aur apna ling meri janghon ke beech ragadne laga.

Rastogi mere nitanbo se lipat gaya uska ling mere nitambon ke beech
ragad kha raha tha. Rastogi ne table ke upar se ek Beer ki bottle
uthayee aur Pankaj ko ishara kiya use kholne ke liye. Pankaj ne
opner
le kar uske dhakkan ko khola. Rastogi ne us bottle se beer mere ek
stan ke upar udhelni shuru ki.

"Swami le pee aisa naseela beer sale gende tune jindagi me nahi pee
hogi." Rastogi ne kaha. Swami ne mere poore nipple ko apne munh me
le
rakha tha isliye mere stank e upar se hoti hui beer ki dhar mere
nipple ke upar se Swami ke munh me ja rahi thi. Wo khoob chatkhare
le
le kar pee raha tha. Mere poore badan me sihran ho rahi thi. Mera
nipple to itna lamba aur kada ho gaya tha ki mujhe uske size par
khud
tajjub ho raha tha. Beer ki bottle khatam hone par Swami neb hi wahi
dohraya. Is baar Swami beer udhel raha tha aur doosre nipple ke upar
se beer choosne wala Rastogi tha. Dono ne is tarah se beer khatam
ki.
Meri yoni se in sab harkaton ke karan itna ras nikal raha tha ki
meri
janghen bhi gili ho gayee thi. Mai uttejna me apni dono janghon ko
ek
doosre se ragad rahi thi. Aur apne dono hathon se dono ke tane huye
ling ko apni mutthi me lekar sahla rahi thi. Ab mujhe undono ke
sambhog me deri karne par gussa a raha tha. Meri yoni me mano aag
lagi hui thi. Mai siskariyan le rahi thi. Maine apne nichale honthon
ko danton me daba kar siskariyon ko munh se bahar nikalne se rokti
hui Pankaj ko dekh rahi thi aur ankhon hi ankhon me mano kah rahi
thi
ki ab raha nahi jar aha hai. Pleeeese inko bolo ki mujhe masal masal
kar rakh den.

Is khel me un dono ka bhi mere jais hi haal ho gaya tha ab wo bhi
apne andar ubal rahe lava ko meri yoni me daal kar shaant hona
chahte
the. Unke lingon se precum tapak rahe the.

" aiyoo Pankaj tum kuchh karta kyon nahi. tum sara saman is table se
hatao." Swami ne Pankaj ko kaha. Pankaj aur Rastogi ne fatafat
centre
table se sara saman hata kar use khali kar diya. Swami mujhe bahon
me
lekar upar kar diya. mere pair jameen se upar uth gaye. wo itna
takatwar tha ki mujhe is tarah uthaye huye wo table ka adha chakkar
lagaya aur Pankaj ke samne pahunch kar mujhe table par lita diya.
Glass top ki centre table par baithte hi mera badan thande kaanch ko
chhukar kaanp utha. Mujhe usne centre table ke upar lita diya. Mai
is
tarah leti thi ki meri yoni Pankaj ke samne thi. Mera chehra doosri
taraf hone ke karan mujhe pata nahi chal paya ki mujhe is taraf apni
yoni ko paraye mard ke samne khol kar lete dekh kar mere Pati ke
chehre par kis tarah ke expressions the.

Unhon ne mere pairon ko faila kar pankhe ki taraf utha diye. Meri
yoni unke samne khuli hui thi. Swami ne meri yoni ko sahlana shuru
kiya. Dono ke honthon par jeebh fir rahe the.

" Pankaj dekho tumhari biwi ko kitna maja a raha hai." Rastogi ne
meri yoni ke andar apni ungliyan daal kar andar ke chipchipe ras se
lisdi hui ungliyan Pankaj ko dikhate huye kaha.

Fir Swami meri yoni se chipak gaya aur Rastogi mere stano se. dono
ke
munh mere guptangon se is tarah chipke huye the mano fevicol se
chipka diye hon. Dono ki jeebh aur dant is awastha me apne kaam
shuru
kar diye the. Mai uttejit ho kar apne tangon ko fenk rahi thi.

Maine apne bagal me baithe Pankaj ki or dekha. Pankaj apne pant ke
upar se apne ling ko hathon se daba raha tha. Pankaj apne samne chal
rahe Sex ke khel me dooba hua tha.

"aaaaaahhhhh Pankaaaaj. Mmmmmm mujheee kyaaaa hotaa ja rahaaa hai…"
maine apne sookhe honthon par juban firayee, " mera badan sex ki
garmi se jhulas raha hai."

Pankaj uth kar mere paas akar khada ho gaya. Maine apne hath badha
kar uske pant ki jip ko neeche karke uske bahar nikalne ko chhatpata
rahe ling ko kheench kar bahar nikala. Aur use apne hathon se
sahlane
lagi. Rastogi ne pal bhar ko mere nipples par se apna chehra uthaya
aur Pankaj ko dekh kar muskura diya aur wapas apne kaam me lag gaya.
Mere lambe reshmi baal jinhe maine jude me bandh rakha tha khul kar
bikhar gaye aur jameen par fail gaye.

Rstogi ab mere nipples ko chhod kar utha aur mere sir ke doosri
taraf
akar khada ho gaya. Meri najren Pankaj ke ling par atki hui thi
isliye Rastogi ne mere sir ko pakad kar apni or ghumaya. Maine dekha
ki mere chehre ke paas uska tana hua ling jhatke maar raha tha. Uske
ling se nikalne wale precum ki ek boond mere gal par akar giri jiske
karan mere aur uske beech ek mahin risham kid or se sambandh ho
gaya.
Uske ling se mere munh tak uske precum ki ek dor chipki hui thi.
Usne
mere sir ko apne hathon se pakad kar kuchh uncha kiya. Dono hathon
se
mere sir ko pakad kar apne ling ko mere honthon par firane laga.
Maine apne honthon ko sakhti se band kar rakhe the. Jitna wo dekhne
me bhadda tha uska ling bhi utna hi ganda tha.

Uska ling patla aur lamba tha. Uska ling ka shape bhi kuchh tedha
tha. Usme se peshab ki badboo a rahi thi. Saaf safai ka dhyan nahi
rakhta tha. Uske ling ke charon or faile ghane jangal bhi ganda dikh
raha tha. Lekin mai aaj inke hathon bebas thi. Mujhe to unki pasand
ke anusar harkaten karni thi. Meri pasand na pasand ki kisi ko
parwah
nahi thi. Agar mere se pooch jata to aise gendon se apne badan ko
nuchwane se achchha mai kisi aur ke neeche letna pasand karti.

Maine na chahte huye bhi apne honthon ko khola to uska ling jitna sa
bhi surakh mila usme Rastogi ne use thelna shuru kiya. Maine apne
munh ko poora khol diya to uska ling mere munh ke andar tak chala
gaya. Mujhe ek jor ki ubkai aye jise maine jaise taise jabt kiya.
Rastogi mere sir ko pakad kar apne ling ko andar thelne laga lekin
uska ling adha bhi mere munh me nahi ghus paya. Uska ling mere gale
me ja kar fans gaya. Usne aur andar thelne ki koshish ki to uska
ling
gale ke chhed me fans gaya. Mera dum ghutne laga to mai chhatpatane
lagi. Mere chhatpatane se Swami ka kaam me badha a rahi thi isliye
wo
meri yoni se apna munh hata kar Rastogi se ladne laga.

" Abe ise maar dalega kya. Tujhse kya abhi tak kisi si apna lund
chuswana bhi nahi aya?"

Rastogi ne apne ling ko ab kuchh peechhe kheench kar mere munh me
age
peechhe dhakke lagane laga. Usne mere sir ko sakhti se apne dono
hathon ke beech tham rakha tha. Pankaj mere paas khada mujhe doosron
ke dwara age peechhe se use kiya jata dekh raha tha. Uska ling buri
tarah tana hua tha. yahan tak ki Swami bhi meri yoni ko choosna
chhod
kar mere aur Rastogi ke beech mukh maithun dekh raha tha.

"your wife is excellent. she is a real sucker" Swami ne Pankaj ko
kaha.

"oooohhhh Anna tum theek hi kahta hai. ye to apni Rshma ko bhi fail
kar degi lund choosne me" Pankaj unke vicahron ko sunta hua ascharya
se mujhe dekh raha tha. maine kabhi is tarah se apne husband ke ling
ko bhi nahi choosa tha. ye to un dono ne mere badan ki garmi ko is
kadar badha diya tha ki mai apne aap ko kisi cheap veshya jaisi
harkat karne se nahi rok pa rahi thi.

Swami ne kuchh hi der me Rastogi ke peechhe akar usko mere samne se
kheench kar hataya.

"Rastogi tum isko fuck karo. iske cunt ko ragad ragad kar chauda kar
do. mai tab tak iske munh ko apne is missile se chodta hoon." ye kah
kar Swami a kar Rastogi ki jagah khada ho gaya aur uski tarah hi
mere
sir ko utha kar apne kamar ko age kiya jisse mai uske ling ko apne
munh me le sakoon. uaska ling ek dum koyle sa kala tha. lekin wo
itna
mota tha ki poora munh kholne ke baad bhi uske ling ke samne ka
supada munh ke andar nahi ja pa raha tha. usne apne ling ko age
thela. mujhe laga ki mere honthon ke kinare ab chir jayenge. maine
usko sir hila kar apni asmarthta jatayee. lekin wo manne ko taiyaar
nahi tha. usne mere sir ko apne dono hathon se pakad kar ek jor ka
dhakka mere munh me diya. aur uska ling ke age ka topa mere munh me
ghus gaya. mai us ling ke age wale mote se gend ko apne munh me
pravesh karte dekh kar ghabra gayee. mujhe laga ki ab mai aur nahi
bach sakti. Pahad ki tarah dikhne wala kala bhujang mere upar aur
neeche ke raston ko phad kar rakhega. Mai badi mushkil se uske ling
par apne munh ko chala pa rahi thi. Mai age peechhe to kya kar rahi
thi Swami khud mere sir ko apne hathon se pakad kar apne ling ke age
peechhe kar raha tha. Mere mujn me Swami ke ling ko pravesh karte
dekh ab Rastogi mere pairon ke beech a gaya tha. Usne meri tangon ko
pakad kar apne kandhe par rakh liya aur apne ling ko meri yoni par
lagaya. Mai uske ling ke tip ko apni yoni ke dono fankon ke beech
mahsoos kar rahi thi. Maine ek baar najren tirchhi karke Pankaj ko
dekha uski ankhen mere yoni par lage ling ko sans rok kar dekh rahi
thi. Maine apni ankhen band kar li. Mai halat se to samjhauta kar hi
chuki thi. Ab maine bhi is sambhog ko poori tarah enjoy karne ka man
bana liya.

Rastogi kafi der se isi tarah apne ling ko meri yoni se sataye khada
tha aur meri tangon ko apni jeebh se chaat raha tha ab halat bekaboo
hote ja rahe the. Ab mujhse aur deri bardast nahi ho rahi thi. Maine
apni kamar ko thoda upar kiya jisse uska ling bina kisi problem ke
andar ghus jaye. Lekin usne mere kamar ko age ate dekh apne ling ko
usi gati se peechhe kar liya. Uske ling ko apni yoni ke andar na
sarakta pakar maine apne munh se "goooon goooon" karke use aur der
nahi karne ka ishara kiya. Kahna to bahut kuchh chahti thi lekin us
vishal lund ke gale tak thokar marte huye itni si awaj bhi kaise
nikal gayee pata nahi chala.

Maine apni tangen uske kandhe se utar kar uski kamar ke irdgird
ghera
dal diya aur uske kamar ko apne tangon ke jor se apni yoni me
kheencha lekin wo mujhse bhi jyada takatwar tha usne itne par bhi
apne ling ko andar nahi jane diya. Akhir haar kar maine apne ek hath
se uske ling ko pakda aur doosre hath se apni yoni ke dwar ko chauda
karke apne kamar ko uske ling par uncha kar diya.

" dekh Pankaj teri biwi kaise kisi Randi ki tarah mera lund lene ke
liye chhatpata rahi hai." Rastogi meri halat par hansne laga. Uska
ling ab meri yoni ke andar tak ghus gaya tha. Maine uske kamar ko
sakhti se apni tangon se apni yoni par jakad rakha tha. Uske ling ko
maine apne yoni ke mussles se ek dum kas kar pakad liya aur apni
kamar ko age peechhe karne lagi. Ab Rastogi mujhe nahi balki mai
Rastogi ko chod rahi thi. Rastogi ne bhi kuchh der tak meri halat ka
maja lene ke baad apne ling se dhakke dena shuru kar diya.
Wo kuchh hi der me poore josh me a gaya aur meri yoni me danadan
dhakke marne laga. Har dhakke ke sath lagta tha ki mai table se age
gir padoongi. Isliye maine apni hathon se table ko pakad liya.
Rastogi ne mere dono stano ko apni mutthi me bhar kar unse ras
nikalne ki koshish karne laga. Mere stano par wo kuchh jayad hi
meharbaan tha. Jab se aya tha unhe masal masal kar laal kar diya
tha.
Dus minute tak isi tarah thokne ke baad uske ling se tej veerya ki
dhar meri yoni me bah nikali. Uske veerya ka saath dene ke liye mere
badan se bhi dhara phoot nikali. Usne mere ek stan ko apne danton ke
beech buri tarah jakad liya. Jab sara veerya nikal gaya tab jakar
usne mere stan ko chhoda. Mere stan par uske danto se halke se cut
lag gaye the jinse khoon ke do boond chamkne lage the.
Swami abhi bhi mere munh ko apne khambe se chode ja raha tha. Mera
munh uske hamle se dukhne laga tha. Lekin Rastogi ko meri yoni se
hatte dekh kar uski ankhen chamak gayee. Aur usne mere munh se apne
ling ko nikal liya. Mujhe aisa laga mano mere munh ka koi bhi ang
kaam nahi kar raha hai. Jeebh buri tarah dukh rahi thi use hilaya
bhi
nahi ja raha tha. Aur mera jabda khula ka khula rah gaya. Wo meri
yoni ki taraf akar meri yoni par apna ling staya.

Pankaj wapas mere munh ke paas a gaya. Maine uske ling ko wapas apni
mutthi me lekar sahlana chaloo kiya. Mai uske ling par se apna
dhyaan
hatana chahti thi. Maine Pankaj ki or dekha to Pankaj ne muskurate
huye apna ling mere honthon se sata diya maine bhi muskura kar apna
munh khol kar uske ling ko andar ane ka rasta diya. Swami ke ling ko
jhelne ke baad to Pankaj ka ling kisi bachche ka hathiyaar lag raha
tha.

Swami ne meri tangon ko dono hathon se jitna faila sakta tha utna
faila diya. Wo apne ling ko meri yoni par firane laga. Maine uske
ling ko hathon me bhar kar apni yoni par rakha.

" Dheere dheere….. Swami ji nahi to mai mar jaungi." Maine swami se
request kiya. Swami ek bhaddi hansi hansa. Hanste huye uska poora
badan hil raha tha. Uska ling wapas meri yoni par se hath gaya.

" Oye Pankaj tumhari biwi ko tum jab chahe kar sakta hai abhi to
meri
help karo. Idar ao… mere Rod ko hathon se pakad kar apne wife ke
cunt
me dalo. Mai iski tange pakda hoon. Isliye mera cock baar baar
tumhare wife ke cunt se fisal jata hai. Pakdo ise…….." Pankaj ne age
ki or hath badha kar Swami ke ling ko apni mutthi me pakda. Kuchh
der
se koshish karne ke karan uska ling thoda dheela pad gaya tha.

" Pankaj pahle ise apne hatho se sahla kar wapas khada karo. Uske
baad apni biwi ki pussy me dalna. Aaj tere fife ki pussy ko fad kar
rakhoonga." Pankaj uske ling ko hathon me lekar sahlane laga. Maine
bhi hath badha kar uske ling ke neeche latak rahi gendon ko sahlana
shuru kiya. Kaisa ajeeb mahol; tha apni biwi ki yoni ko thukwane ke
liye mera husband ek ajnabi ke ling ko sahla kar khada kar raha tha.
Kuchh hi der me hum dono ki koshishen rang layee aur Swami ka ling
wapas khada hona shuru ho gaya. Uska aakar badhta hi jar aha tha.
Use
dekh dekh kar meri ghigghi bandhne lagi.

" dheere dheere…….Swami ji mai itna bada nahi le paungi. Meri yoni
abhi bahut tight hai." Maine kasmasate huye kaha, "tum …tum bolte
kyon nahi…" maine Pankaj se kaha.

Pankaj ne Swami ki taraf dekh kar unse dheere se request ki, " Mr.
Swami……pleeese thoda dheere se. she had never before experienced
such
a massive cock. You may harm her. Your cock is sure to tear her
apart."

"hah… don't worry Pankaj. Wait for five minutes. Once I start
humping
she will start asking for more like a real slut" Swami ne Pankaj ko
dilasa diya. Usne meri yoni ke andar apni do ungli daal kar use
ghumaya aur fir mere aur Rastogi ke veery se lisdi hui ungliyon ko
bahar nikal kar mere ankhon ke samne ek baar hilaya aur fir use apne
ling par lagane laga. Ye kaam usne kai baar repeat kiya. Uska ling
hum dono ke veery se geela ho kar chamak raha tha. Usne wapas apne
ling ko meri yoni par sataya aur doosre hath se meri yoni ki fankon
ko alag karte huye apne ling ko ek halka dhakka diya. Maine apni
tangon ko chhat ki taraf utha rakha tha. Meri yoni uske ling ke
samne
khul kar failee hui thi. Halke se dhakke se uska ling andar na jakar
geeli yoni par neeche ki or fisal gaya. Usne dobara apne ling ko
meri
yoni par sataya. Pankaj uske paas hi khada tha. Usne apni ungliyon
se
meri yoni ki fankon ko alag kiya aur yoni par swami ke ling ko
fansaya. Swami ne ab ek jor ka dhakka diya aur uske ling ke samne ka
topa meri yoni me dhans gaya. Mujhe aisa laga mano mere dono tangon





















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