raj sharma stories
नीतू भाभी
पार्ट 2
मैं ने उनसे पूचछा, "आप थॅकी नही हैं?" उनकी साँस अभी भी कुच्छ फूली हुई थी, पर उन्होने मेरी आँखों में मुस्कराते हुए देखा और बोली, "अभी सीखना ख़तम नही हुआ है! यह तो सिर्फ़ शुरू का लेसन था! और अभी तो रात जवान है…… क्यूँ?" और उन्होने मेरे कंधों पर हाथ ज़ोर्से दबाए और मुझसे कहा, " इस बार मैं तुमको झरना सिखौन्गि. तुमने मेरा झरना महसूस किया… ..पर जानते हो… हम दोनो के पूरे मज़े के लिए तुमको भी अच्छी तरह से झरना ज़रूरी है. जब लोग जल्दिबाज़ी में करते हैं तो वे झरते तो हैं ….पर झरने का असल मज़ा नही आता… मैं चाहती हूँ कि तुम अपने लौदे से एक एक बूँद मुझे दे देना ….हाँ ….एक एक बूँद….और तब जाकर तुम सही मतलब में खलाश होगे…. ठीक है?.. समझे?…. एक एक बूँद निचोर लेगी मेरी बुर!" मैने पहले के तरह उनसे हामी भर दी, और उन्होने अपने बदन को सीधा हारते हुए आगे कहा, "मैं बहुत जल्दिबाज़ी नही करूँगी…. और जब तुम झरने लगॉगे तब तो मैं और आहिस्ते से करूँगी, ताकि मेरे
बुर मे मुझे भी अच्छी तरह से महसूस हो कि तुम्हारा फुहारा चलने लगा है… चल रहा है… ठीक?" उन्होने आगे समझाया, " अपनी बुर मे मैं यह तो नही महसूस कर पाउन्गि कि तुम्हारी कितनी बूँद निकल रही हैं, पर हर फुहारे के साथ
मेरी बुर में एक गरम लहर गहराई में जाती लगेगी. समझे?" मैं उनके मुस्कुराते चेहरे को देखकर अपने आप को अब तो बिल्कुल ही काबू मे नही रख पा रहा था...पर देखना भी चाहता था कि नीतू भाभी क्या सिखाने जा रही हैं. मैने कहा, " आप जल्दी ही महसूस करेंगी. अब शायद मैं अपने आप को रोक नही पाउन्गा!"
वो मेरी आँखों में देखती हुई मुस्कुराइ, एक ममता भरी मुस्कुरात. "मज़ा आता है ना ?…… जब लौदा झरने के लिए तैयार रहता है, पर अभी झारा नही होता? …… ह्म्म्म…उस हालत में …..खूब मज़ा …… आता है ना?"
मैने हामी भर दी. मैं ने ज़ोर्से एक साँस ली, और तैयार होने लगा. सच पूच्हिए तो मैं तो कब से तैयार था, बस किसी तरह से अपने को काबू में रखा था. भाभी मुस्कुराती रही, उन्हें तो अच्छी तरह से पता था कि मेरी क्या हालत हो रही थी.
उन्होने अपने घुटनों को ठीक से जमाया और मेरे कंधों को जमकर पकड़ लिया. बोली, "अब मेरी फिकर मत करना, समझे?… अब तुम मज़ाय लो! ह्म … सिर्फ़ अपने लौदे का ख्याल करो ……."
"जी."
अब वो अपनी चुचि को मेरे मुँह के उपर रगड़ते हुए, मुझे चोदने लगी. वो उपर मेरे सूपदे के टिप तक आई और फिर बुर के बिल्कुल अंदर तक चली गयी. जल्दिबाज़ी में नहीं, बिल्कुल धीरे धीरे, पाँच या च्छेः बार, और जब लगा कि ठीक आंगल से
चुदाई हो रही है तो उन्होने मुझसे कहा. " अब देखो!…..लो मेरी बुर!" और उन्होने मेरी आँखों मे देखते हुए इसी रफ़्तार में ठप ठप धक्के लगाने शुरू किए. उनकी नज़र मेरे चेहरे पर से कभी नही गयी, और वो मेरी आँखों में आँखें डालकर
मेरे चेहरे के भाव पढ़ती रही.
कुच्छ धक्कों के बाद उन्होने पूचछा, " मज़ा आ रहा है?" मैं ने कहा, "हां" पर यह भी बताया कि वो अपनी चूतड़ उतनी उपर नही उठायें. मेरा रोकना बहुत मुश्क़िल हो रहा था. वो मान गयी और और मेरे लौदे को बुर के गहराई मे लेकर अब सिर्फ़ आधे लौदे तक चूतड़ उपर उठाती. एक-दो बार ऐसा करने के बाद उन्होने पूचछा, "अब ठीक है?" मैने अपना सर हिलाया. वो बोली, "तो तुमको ज़्यादा मज़ा आता है जब मैं तुम्हारे लौदे को बिल्कुल अंदर लेती हूँ और जब उठती हूँ तो सिर्फ़ आधे लौदे तक और बाकी लौदा बुर के अंदर" मैं मस्ती में पागल हो रहा था, और मैं ताज़्ज़ज़ूब करता रहा कि नीतू भाभी को इस वक़्त इतने आराम से सवाल पूच्छने की क्या ज़रूरत पर गयी है! मैं तो नशे मे पागल था! भाभी ने अपने धक्के फिर जारी किए, मेरे लौदे को बुर के बिल्कुल गहराई में ले जाकर फिर आधे लौदे तक उपर निकलना, और फिर पूचछा, "इस तरह?" मैने कहा, "हाँ", और और धीरे से हंसकर बोली, "ठीक है…. पर कही मेरा घुटना ना जवाब दे दे!"
पर उनके घुटने तो कमाल के थे. मैं तो बस उनके थाप देने के अंदाज़ को देख रहा था. किस तरह से उनक टाँगें, उनके मांसल जाँघ, उनका बिल्कुल सपाट पेट और लचीली कमर मेरे लौदे की हालत ख़स्ता कर रहे थे. कुच्छ देर के बाद, करीब 15-20
थाप उन्होने दिए थे, मेरा लौदा बेहद सख़्त हो गया और मुझे लगा कि अब मैं खलाश हुंगा. वो मेरे चेहरे को देखकर समझ गयी थी, और उन्होने कहा, "हाँ…मेरे राजा!", और मैने कहा कि अब शायद मैं और नही रोक पाउन्गा,
तो उन्होने "ष्ह्ह्ह …हां… मैं महसूस कर रही हूँ". अब वो रुक गयी, और बुर को मेरे लौदे पर ज़ोर्से दबाती रही. उनका चूतड़ अब बिल्कुल रुक गया.
वो बोली, "सुनो…….थोरा रुक जाओ! तुम अभी भी कुच्छ सोच रहे हो…सभी ख्यालों को हटाओ…….. " मैं कुच्छ चौंक गया और कहा, "अच्छा?!" मेरा लौदा उनकी चूत के अंदर बिल्कुल बाँस की तरह खरा था. वो बोली, "तुम्हारी आँखें बता रही हैं! तुम थोरी जल्दबाज़ी कर रहे हो….. तुम करीब हो ….पर अभी वहाँ पहुँचे नही …….क्या जल्दबाज़ी है?……ह्म्म्म्म…… आराम से मज़ा लो…….!" मुझ से नही
रहा गया, और मैं ने पूचछा, "नीतू भाभी, आप भी ग़ज़ब की हैं! …आपको कैसे पता चला कि मैं अभी तक वहाँ पहुँचा नही?" मुझे सच में लग रहा था कि अब किसी भी वक़्त मेरा लौदा फुहारा खोल देगा. भाभी मुस्करती हुई बोली, "तज़ुर्बे से
कह रही हूँ, मेरे भोले राजा!…… तुम्हारी आँखों मे सॉफ है……थोरा रूको……आराम से मज़ा लो!"
वो मेरे चेहरे को देखती रही, आँख में आँख मिलाकर, जैसे मुझे और मेरे लौदे का टेस्ट ले रही हो. फिर मेरे गाल को सहलाते हुए, वो मेरे माथे पर प्यार से चूमने लगी, और फिर मेरी तरफ देखते हुए कहा, "ठीक से मज़्ज़े करो… आराम से….आहिस्ते आहिस्ते…. हम वहाँ आराम से पहुँच जाएँगे …….कोई जल्दबाज़ी नही!" वो अपने सर को अब उठाकर, अपनी पीठ को फिर सीधा कर, चुचियों को मस्ती से उपर उठाकर, मेरी तरफ देखी और मुस्कुरकर पूछि, `तैयार हो?!!"
मैं ने सर हिलाकर "हां" कहा.
"फिर आ जाओ, मेरे राजा!" उन्होने अपने चूतड़ को उपर उठाया, फिर नीचे किया. फिर उपर. "देखो ….आहिस्ते से..आहिस्ते." फिर नीचे. मेरी तरफ देखती रही. "सुनो, मेरी तरफ देखते रहो….मेरी आँखों में!" अब उनकी कमर एक नये अंदाज़ में लचाकने लगी, बहुत ही धीरे, पर चक्की की तरह. वो मुझे समझाती रही, " चुदाई का मज़ा सिर्फ़ बुर में लंड डालने में नही है….. ह्म … वो और बहुत कुच्छ है! ….. कहते हैं कि संभोग ही समाधि भी है…..हन्न्न…. इस मज़ा में हमें वो एहसास होता है जो हम और किसी भी तरह से नही जान सकते….एम्म्म …. अपने जिस्म से दूर, अपने दिमाग़ से दूर ……ह्म्म्म्मम. …… मेरी तरफ देखते रहो, मेरी आँखों में. ……तुम्हारी आँखों से मुझे पता लग जाएगा कि तुम अभी बिल्कुल तैयार हो की नही……..ह्म्म्म्मम……..इसी तरह"
उनकी गीली चूत मेरे लौदे को चूस रही थी और वो मेरी आँखों मे अपनी आँखें डाले हुए मुझे चोद क्या रही थी, जन्नत का नज़ारा दिखा रही थी. कुच्छ ही देर में फिर से मेरे लौदे में सिहरन होने लगी और मेरे मुँह से "अर्घ" आवाज़ आने लगी, पर भाभी ने मुझ से कहा, `मेरी तरफ देखते रहो, मेरे राजा!….. चोदते हुए आँख नही चुराते!!" मेरी आँखें खुल गयी और वो मुझसे आँखें मिलाते हुए बोली, " अब तुम बहुत करीब आ गये हो ….मेरे बर में तुम्हारे लंड की गर्मी बता रही है……पर बिल्कुल तैयार तुम अभी भी नही हो. सोचना बिल्कुल छ्चोड़ो …… सिर्फ़ मज़ा लो. …..सिर्फ़ मेरे बुर की चाल को महसूस करो…..हाआंन्ननननणणन्" वो थोरी रुकी, और मुझे देखती रही, देखती रही, और बुर को आधे लौदे तक उठाकर, फिर रुकी, और तब धीरे से चूतड़ नीचे करके बुर के बिल्कुल अंदर मेरे लौदे को ले लिया. वो 2-3 बार फिर उपर नीचे अपने चूतड़ को घुमाती रही, फिर उसी तरह से आगे पीछे, आगे पीछे, और तब आधे लौदे तक फिर उठाकर मुझसे प्यार से कहा," सिर्फ़ मज़ा लो…… कुच्छ भी सोचो मत इस वक़्त…….सिर्फ़ मज़ा…. हायेयियी!"
इसी तरह नीतू भाभी बार बार अपनी चूतड़ की चक्की चलाती रही, और मेरा लौदा उनकी बुर में कोई गरम लोहे के हथौरे की तरह जमा रहा. उसकी सख्ती से अब मुझे मुझे ऐसी परेशानी हो रही थी कि लगता नही था कि अब 10 सेकेंड भी अपने
आपको रोक सकूँगा, पर मस्ती ऐसी थी कि किसी भी हालत में अपने आपको काबू में रखना ही था. वो अब रुकी, चूतड़ को मेरे लौदे के सूपदे के टिप तक उपर उठाया, और फिरे आहिस्ते, रगड़ते हुए मेरे पूरे लॉड को अपनी बुर में निगलती गयी. बोलती रही, " चुदाई का मज़ा तभी है जब और कोई ख्याल नही हो
….हान्णन्न् ….कोई और ख्याल नही…….सिर्फ़ सख़्त लौदे की गर्मी, सिर्फ़ बुर की प्यास …..हमम्म्म…." अब वो उपर उठ रही थी, धीरे, बहुत धीरे से, और बुर सिकुर रही थी, मेरे लौदा को जैसे किसी बच्चे का हाथ मुथि में पकड़ रहा हो…पकड़ लिया
हो…और छ्चोड़े ही ना. " मैं तुम्हारे चेहरे पर मस्ती देखना चाहती हूँ, …सिर्फ़ मस्ती…….मज़े का नशा!"
उनकी चूत मेरे लौदे को इसी तरह से जकड़े हुए रही, और वो मेरी आँखों में देखती रही. उनकी चूत लौदे को दबाती जा रही थी, दबाती जा रही थी. मेरे होश उड़ रहे थे, लौदे की हालत क्या बताउ, और मैं ने अपनी कमर को थोरे उठाने की कोशिश की जिस से कि लौदा उनकी चूत में कुच्छ और अंदर जा सके, कुच्छ इधर
उधर घूमे. उन्होने मुझे यह करते देख, अपनी चूत को सिकुरना बंद कर दिया, और धीरे से मुस्कुराने लगी. मैं फिर से पहले की तरह लेटा रहा. मेरे रुक जाने के बाद अब नीतू भाभी ने फिर अपनी चूत को सिकुरना शुरू किया. मस्ती के मारे मेरे
मुँह से सिसकारी निकल रही थी…."ऊऊऊहह……..म्म्म्मममममम". इस बार मैं भी उनकी आँखों में उसी तरह से देखने लगा जैसे वो देखती रही थी. वो फिर चूत को सिकुरने लगी, उसी तरह से, और मैं ने कहा, "ह्बीयेयन्न्न्न्न," और वो मुस्कुराते हुए मुझे देखी. उनके आँखों में अब कुच्छ शरारत थी. बोली, " मेरी तरफ देखते रहो!……….आँख नही मूंदना!"
उनकी चूत मेरे लौदे को रगड़ती रही, और दबाती रही. फिर वो अपनी चूतड़ को उठाई, बिल्कुल मेरे लौदे के सूपदे के उपर तक, और मेरे कान में फुसफुसाई," अब मेरी तरफ देखते रहो, …. महसूस करो कि मेरी चूत तुम्हारे लौदे को किस तरह
मज़ा देती है!" अपने चूतड़ को अब नीचे करने लगी, पर बहुत ही धीरे धीरे, और साथ ही कमर को घुमाती रही, आधा घुमान एक तरफ, फिर आधा घूमन दूसरी तरफ, धीरे……धीरे. उनकी रफ़्तार बस ऐसी थी कि मेरा लौदा काबू में रह सके, पर बस उतना ही. बिल्कुल धीरे नही! पर ऐसे कुच्छ ही नाज़ुक थाप के बाद, उन्होने देखा होगा कि मैं उनके चेहरे पर गौर कर रहा था, और मैं समझने लगा कि अगर मैं इसी तरह भाभी को देखता रहूं, सिर्फ़ उनके चूत के कमाल पर गौर करता रहूं, तो अपने लौदे को काबू में ना रखने का डर अपने आप ख़तम हो जाएगा. बस भाभी ने 2-3 और थाप दिए, और मुझे लगा कि दुनिया में और कुच्छ भी नही, उनकी आँखें की शरारत और चमक, और मेरे लौदे के उपर हौले-हौले नाचती हुई उनकी चूत! मैं अपने चेहरे पर की मुस्कुराहट को चाह कर भी नही रोक सकता था…सारी दुनिया मेरेलिए दूर जा रही थी….बस भाभी की आँखें, और उनके चूत के गहराई में जाता और फिर निकलता मेरा लौदा.
अब तो मस्ती ऐसी कि मुझ से सहा नही जा रहा था. अभी तक मैं ने इतने देर तक कभी भी अपने आप को काबू मे नही रख पाया था, ऐसी मस्ती का तो कभी अंदाज़ा भी नही किया था. अब मुझे समझ मे आने लगा कि नीतू भाभी मूज़े क्या सीखाना चाहती हैं. उनकी चूत का हर बार लौदे के उपर आना, और हर बार लौदे को बिल्कुल चूत के गहराई तक लेना, उनका हर ताप मुझे नशे से झकझोड़ देता था.
मेरे होंठ सूख रहे थे. बिल्कुल सूख गये थे. हमारी आँखें अभी भी मिली थी. मैं ने धीरे से कहा, `भाभी…..थोरा आहिस्ते!"
भाभी के भौंह थोरे उपर उठे, और उनकी मुस्कुराहट में अब एक हूर या अप्सरा की सी मादकता थी. वो कुच्छ रुकी, अपनी कमर को सीधा करते आधे लौदे तक चूत को उठाया, मुझे शरारत और प्यार से देखा, और फिर कुच्छ और धीरे से अपनी चक्की चलाने लगी, धीरे, ….धीरे, …..और धीरे से. उनके चेहरे पर मुस्कुराहट बनी रही. उन्होने फिर अपने चूतड़ को उपर उठाया, बिल्कुल सूपदे के नोक तक, नोक को थोडा अपने चूत के पट्टियों से रगड़ दिया, और फिर अपने पुरानी रफ़्तार से चक्की चल पड़ी. उनकी आँखें मुझसे बातें करती दिखी. कह रही थी: "अब समझे, मज़े कैसे किए जाते हैं!" उनकी चूत जब नीचे मेरे लौदे के जड़ तक आती थी तो वो अपने चूत से लौदे को चारो तरफ घूमाकर रगड़ती थी, पर जब उपर उठती तो अपनी चूत से लौदे को इस तरह जाकड़ लेती की मेरे लौदे को खींचती जाए और छ्चोड़े ही नही. पूरी गहराई तक लौदे को लेती थी, फिर सूपदे के नोक तक उठा लेती थी. मेरी हालत देख कर उनकी मुस्कुराहट रुकती ही नही थी. उनकी चूत मेरे लौदे को निचोड़ती जा रही थी, और उनकी मुस्कुराहट, उनके आँखों की शरारत, मेरे दिमाग़ से हर ख्याल को निचोड़ कर कहीं बाहर फेक चुकी थी. उनका हर थाप लगता था कि एक नयी तरह की मस्ती लाता था, हर थाप में एक नयापन. जैसे समुद्रा के बीच पर हर लहर का अपना ही नयापन होता है, नीतू भाभी की चूत में मेरा लोहे सा तप्ता हुआ लौदा उनकी चुदाई के हर एक लहर का नयापन, हर एक लहर की अपनी ख़ास मस्ती से जन्नत का मज़ा ले रहा था. उनकी रफ़्तार अब कुच्छ बढ़ गयी, वो मुझे गौर से देख रही थी, और मेरा लौदा चूत के अंदर और अकड़ गया, और लगा कि उनकी आँखों ने मुझे कहा हो कि उसे अच्छी तरह से महसूस कर रही हैं….फिर उन्होने आँखों से ही पूचछा कि क्या मैं अब झरने वाला हूँ.
मैं ने धीरे से कहा, "नाहह….अभी नही!"
उनके चेहरे पर खिलकर हँसी आ गई, चुदाई मे लड़कियों की अपनी ख़ास, शरारती हँसी, वो खुशी से बोली, "हान्न्न!" अब मुझे समझ मे आने लगा कि यह भी बहुत ज़रूरी सीख नीतू भाभी ने अभी दी है कि चुदाई में बातें आँखों
से ही होती हैं …..चुदाई का असली मज़ा तभी है जब आँख में आँख बिल्कुल लीन हो जाए! सब से बड़ी बात तो यह कि दुनिया के सभी ख्याल छ्चोड़कर मज़े को पहचाने, उसको समझे, उसको आराम से महसूस करना सीखें. उनके चूत की गहराई में गिरफ़्त मेरा लौदा फिर एक बार ज़ोर्से थिरकने लगा. नीतू भाभी मेरी आँखों में देखकर मुस्कुराने लगी, और इशारे से बताया की ठीक है, वो समझ रही हैं कि मेरी मस्ती किस लेवेल पर पहुँच रही है. अब हम दोनो एक दूसरे के आँखों से ही बातें कर रहे थे, एक दूसरे को बिल्कुल अच्छी तरह से समझ
रहे थे. दो जिस्म, पर ऐसी मस्ती की चुदाई मे दोनो एक होते जा रहे थे!
मेरा लौदा फिर काबू के बाहर होने लगा. ऐसा लगने लगा कि अब और नही रोक पाउन्गा अपने आप को. फिर भी मैं ने कोशिश की, अपने मुँह को सख्ती से बंद किया, दाँत पर दाँत बिठाया, और भाभी की कमर को ज़ोर्से पकड़ने की कोशिश की. भाभी ने मुझे अपने आपको झरने से रोकते हुए देखकर, फिर अपनी मादक अंदाज़ मे मुस्कुराइ, और उनकी आँखें मे उनकी समझदारी, नशा और थोरा थोरा छिनल्पन की मिली-जुली नज़र मुझे तो एक दूसरी दुनिया में ले जा रही थी. मेरी गर्दन कड़ी हो रही थी, और जब भाभी को यह एहसास हो गया कि मैं भी इतनी आसानी से हार नही माननेवाला हूँ, तो उनकी आँखें चमकने लगी, और अब हम दोनो अपनी अलग अलग प्यास को छ्चोड़कर आगे बढ़ चुके थे….हमारी प्यास अब एक हो गयी थी. मेरे चेहरे पर भी अब एक चोदु की मुस्कुरात थी, जैसे कोई पहलवान कुश्ती के मुक़ाबले में दूसरे को चुनौती दे रहा हो, " आ जाओ…,. देखें कि कितनी ताक़त है तुम में."
मैं ने अब अपने पेट को सटका कर बिल्कुल अंदर कर लिया, साँस रोक ली, और पेट को उसी तरह सटा रखा: मेरा लौदा और भी कड़क गया चूत के अंदर, लोहार के हथौरे की तरह गरम और सख़्त, और जैसे ही नीतू भाभी ने महसूस किया कि मेरा लौदा अकड़ने लगा है, पर अभी भी काबू में है, उनकी मुस्कुराहट हँसी मे बदल गयी. कमरे में तो अंधेरा था, पर उस चाँदनी रात की रोशनी में, उनके दाँत खिल रहे थे. चुचियों पर झूलता हुआ उनका "मंगलसूत्रा" चमक रहा था. अब उनकी चूत अच्छी रफ़्तार में चक्की चलाते जा रही थी, उपर से नीचे, नीचे से उपर, और मेरे मुँह से "अहह," सिर्फ़ आहें. कुच्छ मुस्कुराते हुए, कुच्छ शरारती अंदाज़ में, अब उन्होने पूचछा, "क्यूँ…. अब मज़ा आ रहा है? …ह्म?"
"हाआअन्णन्न्… ……!!!!!….ह्म्म्म्मम…….और आपको?!!!"
"हाआंणन्न्….. ….. पूच्छो मत!!! ………… असली चुदाई का मज़ा!!!….. ह्म्म्म्मम!"
इस लम्हे मे लगा कि वाक़ई हम दोनो एक हो गये हैं, हमारे बदन जुड़े हुए थे, हमारी ख्वाहिश एक थी, एक ही प्यास. हमारे आँखों में एक ही चाह थी! नीतू भाभी ने अब अपने मुँह में दाँतों को कड़ा कर लिया और लौदे को चूत के बिल्कुल अंदर दबोच लिया, उनकी जंघें मेरे कमर को बिल्कुल जाकड़ चुकी थी. उनकी आँखें बता रही थी की उनको महसूस हो रहा है कि झरने से पहले मेरा लौदा अब बिल्कुल फूल कर तैयार है, सख़्त, बिल्कुल अकड़ कर उनके बच्चेदनि के मुँह पर सूपड़ा
तैयार है फुहारा छ्चोड़ने के लिए. मेरे मुँह से "आअरर्रघह" की आवाज़ निकली और मेरा लौदा झरने लगा, और भाभी की थाप अब चक्की नही, बिल्कुल सीधी और आहिस्ते हो गयी, सूपदे से लेकर जड़ तक, फिर जड़ से सूपड़ा तक. मई झाड़ता गया, झाड़ता गया,….नीतू भाभी की चूत भरती गयी, और नीतू भाभी मेरी तरफ मुस्कुराते हुए अपने रस भरी चूत से मुझे निचोड़ती रही, निचोड़ती रही, बार बार. लग रहा था जैसे मेरे अंदर अब एक भी बूँद नही बचेगी, भाभी की चूत हर बूँद को निचोड़ कर छ्चोड़ेगी. मेरी आँखें बंद हो गयी थी, मेरा लौदा फूला हुआ तो अभी भी था, पर उसकी गर्मी अब भाभी की चूत में कुच्छ कम होती जा रही थी….भाभी अभी भी आहिस्ते से, हौले हौले उसको निचोड़ रही थी.
"आआआहह…..," बस मैं इतना ही कह पाया. लगा जैसे मुझ में एक भी बूँद नही बची है, जैसे मेरे बदन में एक हड्डी नही, दिमाग़ में एक भी ख्याल नही. बिल्कुल खलाश. …..और नीतू भाभी के सिखाए हुए चुदाई के मस्ती
का एहसास!
उस रात मैं नीतू भाभी को देखता रहा. हम एक पार्टी से अभी लौटे थे. रात काफ़ी हो रही थी. भाभी की सहेली के घर एक बच्चे के बिर्थडे के मौके पर उनके जान-पहचान के कुच्छ दोस्तों की पार्टी थी. कुच्छ अकेले मर्द, कुच्छ अकेली औरतें, और कुच्छ कपल्स. सभी कोई आछे नौकरियों में थे. भाभी ने उन सभी लोगों से मेरा परिचय कराया. उन लोगों से मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई. और वे लोग
भी मुझसे बहुत प्यार से मिले.
पार्टी से लौटने के बाद भाभी अपने कपड़े उतार रही थी. अपनी खूबसूरत रेशमी सारी को उन्होने उतार कर ठीक से अलमारी में रखा. फिर अपने रेशमी ब्लाउस को. अब वो सिर्फ़ अपनी ब्रा और पेटिकोट मे. पार्टी वाला मेक-अप, बेहद सुंदर जोड़ा, मन
को बिल्कुल मोहने वाला टीका, लिपस्टिक, और बेली के माला के साथ बँधा हुआ जूड़ा.
मेरा लौदा कसक रहा था. मैं ने कपड़े पहले ही उतार लिए थे, और सिर्फ़ अपने अंडरवेर मे था. पार्टी मे 6-7 बहुत खूबसूरत औरतें थी, और भाभी की एक सहेली तो मुझे बहुत ही नमकीन लगी थी, पर उन सारी औरतों में मेरी नीतू भाभी किसी से कम नही लगी. भाभी अभी पार्टी की बात कर रही थी. अब अपनी अच्छी वाली लेस ब्रा के हुक्स को अपने हाथ पीछे कर के खोल रही थी. जैसे ही हुक्स खुले, उनकी मस्ती भरी चुचियाँ आज़ाद होकर खिलने लगी, और अब मैं अपने आपको काबू मे नही रख सका. कमरे में सिर्फ़ बेडसाइड लॅंप जल रही थी, मैं ने जाकर
उसको बंद कर दिया, और सिर्फ़ खिड़कियों से आती रोशनी में उनको देखता रहा.
भाभी अचानक लाइट बंद हो जाने कुच्छ चौंकी, पर तब तक मैं उनकी चुचियों के पास अपने मुँह को नीचा करके एक निपल को मुँह मे लेकर चाटने लगा. दूसरा निपल मेरे हाथ में, उसको सहला रहा था, धीरे धीरे मसल रहा था. दोनो निपल्स को मैं बारी बारी चूसने लगा.
भाभी हंसते हुए बोली, "अच्छा?!! …… लगता है कि पार्टी में तुमको खूब मज़ा आया ……. खूब गरम हो गये ……… क्यूँ?" वो अपनी चुचि को थोरा उठाकर मेरे मुँह में दे रही थी, और मैं धीरे धीरे, प्यार से चूस रहा था. मैं सर
उठाकर उनके छाती और गर्दन और कंधों पर चूमने लगा, और अपने हाथों में उनकी चुचियों को दबाता रहा. भाभी भी आहें भरने लगी, पर मैं तो उनके सुरहिदार गर्दन को हर जगह चूमता रहा, चाटते रहा. उनके बदन की अपनी खुसबू, और उसके उपर चंदन की खूबसूरत इत्र की खुसबू से मैं मस्ती मे आ रहा था. मैं ने उनकी तरफ देखा और फिर चूमने लगा, इस बार उनके कान को. भाभी खिलखिलती हुई बोली, " ह्म ……. वाहह ……. बहुत अच्छी तरह से चूम रहे हो …… … लगता है वाक़ई तुम बहुत गरम हो गये……. क्यूँ?!" भाभी
की आँखों में फिर वोही शरारत वाली मुस्कुराहट.
मैं ने उनको कंधो से पकड़े हुए उनको बिस्तर पर लिटा दिया. उनके पैर नीचे फर्श को छ्छू रहे थे. उन्होने ने अपने पैर फैलाए रखे, और मुस्कुराती रही. मैने उनपने अंडरवेर उतारा, और उनके पेटिकोट को उपर खींचकर कमर के पास
लपेट कर छ्चोड़ दिया. मेरा लौदा खड़ा हो रहा था, पर अभी उसकी सख्ती बहुत बढ़ने वाली थी. उनके टाँगों के बीच मैं घुटनों पर बैठ गया. अब भाभी नेअपने घुटनों को उपर उठाकर अपनी चूत को खोल दिया. मैं ने गर्दन झुका कर अपना
मुँह उनकी चूत पर रख दिया, उंगलियों से उनकी चूत को प्यार से खोला, और मुँह में कुच्छ थूक बनाते हुए, उनकी चूत के पंखुरे को उपर से नीचे चाता, अच्छी तरह से थूक लगाते हुए, फिर नीचे से उपर, दोनो पंखुरीओं को, और उनके दाने तक जाकर रुका.
भाभी का बदन मस्ती से थोड़ा सिहर उठा, और वो बोली, "तो आज तुम इधर उधर की बातों में बिल्कुल वक़्त नही बर्बाद करना चाहते हो….. क्या? …… बिल्कुल पॉइंट पर आ गये ….. हनन्न?" मैं उसी तरह उनकी चूत को चट रहा था, आहिस्ते से, थूक को
जीभ से ही चारो तरफ मलते हुए. चूत के चारो तरफ जीभ को घुमाता रहा, एक बार चूत के कुच्छ अंदर, फिर चूत के उपर, धीरे धीरे चूत का स्वाद लेता रहा. भाभी अपनी "आहह", "एम्म्म", "ऊऊहह" से बता रही थी मेरे चाटने का उनपर
असर हो रहा था.
पता नही कैसे, पर शायद मेरी भूखी नज़रें और मेरे चाटने और चूसने से नीतू भाभी बहुत जल्दी गरम हो गयी. मैं ने सर उठाकर देखा तो उनकी खूबसूरत चूत झांतों के बीच फूल गयी थी, थूक और अपने रस से चमकती हुई, अपने
फूली हुए पत्तियों को आधी खिली हुई फूल के तरह. कुच्छ ही देर के चूसने के बाद उनका दाना बाहर निकल चुका था, फूलकर तैयार. भाभी अपने आपको बिल्कुल ढीली छ्चोड़कर, घुटनों को उसी तरह उठाए हुए, मुझे देख रही थी. मैं ने अब
अपनी जीभ को काफ़ी बाहर निकालकर, उंगलियों से उनके चूत को फैलाए हुए, उनके दाने पर जीभ के नोक को घुमाने लगा, चाटने लगा. वो धीरे से, पर पूरी मज़े लेती हुई बोली, "आहह!", और अपने दाँतों को कासके बंद कर लिया. उन्होने
देखा कि मेरी नज़र उनके चेहरे पर है. उनकी पलकें अब बंद हो गयी, उनकी गर्दन तन गयी, अपनी जांघों को उन्होने और भी फैला दिया, उनकी चूत और भी खुल गयी थी, और मेरे अपने कंधों और गर्दन पर भाभी के जकड़ते जांघों से मैं सॉफ महसूस कर था कि भाभी के में कितनी गर्मी आ गयी है. मैं ने अब उनके दाने को चाटना छ्चोड़कर, उनके चूत के चारो तरफ उसी तरह से जीभ को नोकिला बनाकर घूमता रहा. उपर से नीचे नही, खुली हुई, फूली हुई चूत के बाहरी पट्टी के
चारो तरफ, फिर उसी तरह से चूत के अंदर की पत्तियॉं के चारो तरफ, चारो तरफ जीभ के नोक से थूक मालता रहा, चारो तरफ पर दाने को नही!. इसी तरह कुच्छ देर तक जीभ घुमाने के बाद, मैं ने देखा कि भाभी उतावली हो रही हैं अपनी चूत के दाने को चटवाने के लिए. वो अपने चूतड़ को उठाने की कोशिश कर रही थी कि दाना मेरी जीभ से रगड़ा खाए, पर मई भी उनको इतनी जल्दी छ्चोड़नेवाला नही था! चारो तरफ घूम आकर, छत कर, पर अब मई ने फिर एक बार दाने को जीभ के नोक से चटा, धीरे धीरे, और फिर दाने के चारो तरफ उसी तह से घूमने लगा.
भाभी को कुच्छ राहत मिली. बॉई, "अहह ……..वाअहह!"
अब मैने भाभी की चूत पर अपना मुँह ठीक से डाल दिया. और उनके दाने को उसी तरह से चूसने लगा जैसे कि चुचि के घुंडी चूस्ते हैं. अ पने होंठों को गीला करके उनको भाभी के फूले हुए दाने के उपर डालकर दाने को अंदर ले लेता, फिर जीभ से चट कर उसके बाहर आ जाता. भाभी की जंघें अब मेरे कंधों पर कड़क होने लगी. भाभी ने कुच्छ अस्चर्य से "ओह्ह्ह?!!" किया, और उन्होने अपने सर को ढीला छ्चोड़कर अपनी चूतड़ को अब उठाने लगी. उनकी साँस तेज हो गयी. पर मैं रुका नही. अपने होंठों को उसी तरह से दाने को प्यार से चट रहा था, उसके चारो तरफ जीभ घुमाता रहा, एक अच्छे रफ़्तार से. भाभी की चूत इस तरह मेरे मुँह में रगड़ रही थी कि मैं उसके हर भाग को एक हद तक रगड़ रहा था. उनकी चूतड़ अब कुच्छ घूमने लगी थी, पर मेरा मुँह उन की चूत से बिल्कुल सटा हुआ, उसका दाना मेरे होंठों के बीच, मेरे जीभ के नोक पर सटा हुआ. भाभी अब ज़ोर्से सिसकारी लेते हुए बोली, " हाई दैयाआआ, …………..म्म्म्मह ………….ऊऊहह ……कितना मज़ा दे रहे हो……. ऊऊहह!" मुझे लग गया कि अब भाभी कुच्छ देर में झड़ने लगेगी. उनका पूरा बदन सिहरने लगा था, जांघें और भी खुलकर मुझको ज़ोर्से जाकड़ ली थी, और हू अपने कमर को इस तरह घुमाने लगी जैसे
मेरे मुँह को चोद रही हो. मैं ने चूसना जड़ी रखा, उसी तरह, जिस से की रफ़्तार ना टूटे, और कुच्छ ही देर में उनकी साँस, उनके जाँघ और कमर सॉफ बता रहे थे कि वो काबू से बाहर हो रही है. अब वो ठहड़ने वाली नही. मैं ने एक उपाय सोचा.
भाभी को मस्ती की उस उँचाई पर लाने के बाद, मैं रुक गया. बिल्कुल रुक गया. भाभी मज़े में अभी भी छॅट्पाटा रही थी. मैं उठा. कमरे में आती रोशनी मे मेरे लौदा का सूपड़ा चमक रहा था. मैं उठकर भाभी के मुँह के पास अपने कड़े लोड को हिलाने लगा, फिर उनके गुलाबी होंठ पर सूपदे को रगड़ने लगा. भाभी अब शरारती अंदाज़ से मुझे देखती हुई, मेरी आँखों मे देखती हुई, पूछि, "हान्न्न….?!!" वो हाथ पीछे करके अपनी एक तकिया (पिल्लो) को अपने सर के नीचे रख लिया, जिस से उनकी गर्दन को कुच्छ आराम मिले. मेरी तरफ मुस्कुर्ते हुए उन्होने अपने मुँह के अंदर जीभ को थूक से लेपकर मेरे लौदे को आहिस्ते से चटकार गीला करने लगी. वो अपने मुँह से बार बार थूक बनाकर निकलती और फिर प्पोरे लौदे को चूमते हुए, उस पर थूक मालती जा रही थी. फिर सारे थूक को अपनी जीभ से प्यार से चाटने लगी, पूरे लौदे में मले हुए थूक को बिल्कुल साफा कर दिया उन्होने जैसे चॉक्लेट आइस क्रीम के चम्मच को हम चटकार आइस क्रीम के हर बूँद का हम मज़ा लेते हैं. देखनेवाले कोई नही बता सकते कि अभी अभी मेरा लौदा थूक में बिल्कुल डुबोया हुआ था. उन्होने फिर अपने मुँह में थूक बनाकर मेरे लौदे के सूपदे को गीला किया और फिर उसी तरह से चाटना. मुँह मे
लेकर वो मेरे लौदे को इस तरह चाट और चूस रही थी कि वो और भी सख़्त होता गया. मेरा लौदा अब बेहद सख़्त और बेहद गरम! मेरे मुँह से आवाज़ निकलने लगी, हाआंणन्न् …. भाभी ….इसी तरह …….हाआअन्णन्न्!" मेरी मस्ती बहुत ज़ोर्से बढ़ती जा रही थी, अपनी हाथों को ज़ोर्से मुट्ठी बनाए हुए, मैं ने कहा, "
हाआंन्न …….चूऊसो …… हाआन्न …..इसी तरह …. चूवसू…..!"
अब तकिये पर अपने सर को थोड़ा ठीक से सेट करते हुए, भाभी ने अपना मुँह आगे किया, और मेरे पूरे लौदे को अपने मुँह में ले लिया. मुँह की अपनी गर्मी और उसपर गरम थूक, और सबसे बढ़कर भाभी की कॅमाल की जीभ ! थूक मे डुबोया मेरा लौदा अब भाभी के जीभ में बिल्कुल लिपटा हुआ था, और भाभी अपने मुँह को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगी. मेरे पूरे लौदे को चाटती रही, चुस्ती रही, और फिर मेरी चेहरे पर नज़र डाले हुए ही उन्होने सूपदे को ज़ोर्से चुस्कर छ्चोड़ दिया. मेरी मस्ती का पूच्हिए मत! अब वो सिर्फ़ सूपदे को मुँह में लेकर आपने होंठ के अंदर वाले तरफ से चाट रही थी. मेरा लौदा थिरक रहा था, कभी उपर, कभी नीचे, मस्ती में चूर.
`ह्म्म्म्म," वो आह भरी. उनके नज़र में फिर वोही शरारत, मेरी तरफ मुस्कुराते हुए बोली, " है…. बहुत मज़ा आ रहा है …..!"
मैं ने धीरे से कहा, " हाआंणन्न् ….. चूसीए ना …….हान्न्न ….. बहुत मज़ा देती हैं आप!" उन्होने मेरी तरफ गौर से देखा, और मेरे लौदे को फिर से मुँह में ले लिया. उनको सर आहिस्ते से आगे पीछे होता रहा, मेरे लौदे को हौले हौले चूस्ते हुए, थूक मलते हुए, चाटते हुए. उनकी गर्दन बहुत नही घूम रही थी, बस एक या 2 इंच, पर उनके होंठ खुलकर अपने उल्टे साइड से मेरे सूपड़ा को थूक मल कर मज़ा दे रहे थे. और साथ में उनकी जीभ मेरे सूपदे के चीड़ के नीचे
की तरफ़ दबाती रही, चाटती रही.
मैं ने एक गहरी साँस ली, उनकी तरफ़ देखता हुआ. फिर से एक बार यह ख्याल आया की नीतू भाभी वाक़ई में लौदे को चुस्ति या चाटती नही है. ये तो लौदे को अपने मुँह से चोदती हैं, ये तो चोदने का पूरा मज़ा अपने होंठ और जीभ से ही दे देती हैं. वो जानती हैं कि किस तरह एक औरत के मन को बिल्कुल एक प्यारी, चुस्ती हुई चूत बनाई जा सकती है, और जल्दी ही मेरा सूपड़ा उनके मुँह के अंदर उसके उपर वाले भाग को थिरक कर रगड़ने लगा.
मैं समझ गया कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो मैं जल्दी ही झड़ने लगूंगा. मैं ने धीरे से अपने लौदे को उनके मुँह से निकाल लिया, मेरे लौदे और उनके होंठ और जीभ पर मले थूक के कारण लोड्ा निकलते ही "फच" की आवाज़ निकली.
उनकी आँखों में भोखी नज़रों से देखते हुए, मैं अब नीचे घिसकने लगा, अपने पैर सीधे किए, और भाभी के उपर लेटने लगा. भाभी के चेहरे पर एक ताज़्ज़ूब , पर जब मैं अपने हाथों के बल उठा और अपने लौदे के सूपड़ा को उनके चूत
के मुँह पर निशाना लगाने लगा, तो उनकी ताज़्ज़ूब खुशी में बदल गयी. उनकी आहहें अभी चलती रही, साँसें कुच्छ फूली ही रही, और उनकी आँखें मुझे याद दिला रही थी कि अभी भी वो झड़ने के करीब ही हैं, झड़ी नही. उनकी आँखें मुझे यह बार-बार याद दिलाना चाह रही थी. मेरा सूपड़ा उनके फूले हुए, गीली पट्टियों को रगड़ता रहा, और उनकी जंघें बिल्कुल खुल गयी. उन्होने अपने को कुच्छ उपर उठा दिया, और चूतड़ को हल्के से घूमते हुए, उनके चूत का मुँह मेरे सूपदे को अब चूम रहा था, मेरे सूपदे को चारो तरफ घूमते हुए रगड़ रहा था. मैं थोड़ा आगे खिसका. उनकी आँखों में अब चमक आ गयी, मैं ने भी एक लंबे आआआहह के साथ अपना लौदा नीतू भाभी की मखमली चूत के गहराई में घुसेड़ता गया, बिल्कुल अंदर तक. अंदर पहुँचकर, मेरे सूपदे ने भाभी के चूत के एक ख़ास जगह को अपना सर उठाते हुए, कुच्छ अकड़ कर "नमस्ते" किया, और भाभी की चूत ने भी अपनी सिकास्ती को और भी सिंकुर्ते हुए जवाब में "नमस्ते" किए. मेरे लोड्े ने अब धीरे रफ़्तार से ही, पर लंबे, और कुच्छ जोरदार धक्के लगाने शुरू किए. मैं ने अपने गांद को थोड़ा सिंकुर लिया, और जब लौदा बिल्कुल अंदर जाता तो
भाभी और मेरे पेट बिल्कुल मिले होते, पर बराबर एक रफ़्तार से अब मैं भाभी की चूत में लौदा पेलते जा रहा था.
भाभी के चेहरे पर खुशी की चमक थी. अपनी आँखों से मुझे उकसाती हुई, हू बोली, " चोदो …मुझे…… ज़ोर्से … चोदो… इसी तरह… हाआंणन्न्!"
भाभी मेरे एक-एक धक्के का जवाब अपने चूतड़ को घुमा घूमकर मेरे लॉड के जड़ तक चूत के मुँह को उठाकर देती रही. मैं ने उनके चेहरे को देखा, उनके चूत का कुच्छ सिकुरना महसूस किया. मैने अपनने पेट और गॅंड को ज़ोर्से कसने की
कोशिश की, और अब धक्के देते हुए कुच्छ आगे की तरफ घिसकता रहा. आइ से हर धक्के में उनके चूत के दाने को मेरा लौदा रगड़ देता था, घुसेड़ते हुए भी और निकलते हुए भी, और नीतू भाभी के चेहरे पर मुस्कुराहट खिलने लगी.
मैं ने शरती अंदाज़ में पूचछा, "क्यूँ?…. झड़नेवाली हैं?"
भाभी ने उसी मुस्कुराहट के साथ जल्दी जल्दी सर हिलाया, उनकी आँखें मेरे चेहरे पर टिकी रही, उनकी साँसें वैसी ही चढ़ि रही. अब उनकी आँखें बिल्कुल खुल गयी. और जाइए वो किसी नशे में हों, एन्होने अपने होंठ खोले और कुच्छ कहने की
कोशिश की, पर कुच्छ भी बोल नही सकी. एक गहरी साँस लेते हुए वो अपनी चूत के गहराई में मेरे लौदे को जकड़ी हुई थी. उनकी आँखों में सिर्फ़ चाहत, और वे मेरे आँखों पर टिकी रही. अपने नाख़ून से वे मेरे कंधे को थोड़ी खरॉच रही थी, और उनके बाँहों से मेरे कमर की जाकड़ भी कुच्छ जोरदार हो रही थी. उनको मैं चोद्ते रहा, पर मैं ने अपने बायें हाथ के बल कुच्छ उठकर अपने दाहिने हाथ को नीतू भाभी के कमर के नीचे ले जाकर, उनकी पतली कमर और पीठ के बीच उनको ज़ोर्से पकड़ लिया. मेरी बाँहों और जाँघ और लौदे में उस पार्टी के वक़्त से ही इतनी गर्मी थी नीतू भाभी को बिकुल ही नही छ्चोड़ने का दिल कर रहा था, उनके चूत और चुचियाँ और जांघों को बिल्कुल करीब रखा. उनके झांग में थिरकन हो रही थी, और मैं ने पूचछा, " झड़ेंगी अब?…….. झड़ेंगी?!" उनकी मुँह खुली हुई थी, आँखों में चमक, और वो कुच्छ जवाब तो नही दे पाई, पर उनका कमर, उनके हाथ अकड़ गये! वो अपने दाने को मेरे लौदा मे ज़ोर ज़ोर्से रगड़ती रही. और अब सिसकारी लेती रही, "आआहह …….. हाआआन्न्ननणणन्.. ……..मैं झाड़ रही
हूऊंणन्न् ……हाआंन्न…….. उउउइईईईईईई… दैया….रे…..ददाययय्या……..आआआहह … हहााईयइ ….. दैया ….. !!!" मुझे मज़ा तो बहुत आ रहा था, पर मैं अपने आप को बिल्कुल काबू में रखने की कोशिश करता रहा. उनकी आकड़ी हुआ गर्दन और कड़ी हुई कमर देखकर मैं बहुत खुश था, भाभी वाक़ई में बहुत मस्त में थी, और उनको कहता रहा, " और झाड़ीए ………. इसी तरह से ……..मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है……हाआंन्णणन्!" उनकी चूत का जाकड़ और बढ़ गया था, और मुँह से कोई सॉफ बात नही, सिर्फ़ "ऊऊओउउउइईईईईई …….. आआआहह ………. डैय्य्याआआआआआ …….डायय्या रे दैययय्याअ ………..ऊऊओउुउउइईईई….. !!!!!" अब मैं ने अपनी चुदाई की रफ़्तार कुच्छ कम कर दी, ताकि भाभी का मज़ा कुच्छ देरी तक रहे, पर पेलता रहा बिल्कुल अंदर तक. कुच्छ देर में भाभी का पूरा बदन अकड़ कर काँपने लगा, जैसे उनको अपने बदन पर कोई काबू नही हो. उनकी आँखें तो खुली थी, पर उन में खुशी ऐसी कि वो कुच्छ और नही देख सकती थी. जब उनके गर्दन की अकड़न कुच्छ कम हुआ, तो वो अपने सर को आगे करके मुझे अपने बाँहों में ज़ोर्से भींच ली, और मेरे कंधे पर अपने मुँह को खोल कर धीरे धीरे दाँत काटने लगी, चूमती रही, उनका एक हाथ मेरे गाल को सहलाता रहा. भाभी ने बहुत कोशिश करके मुझसे कहा, " आओ तुम भी …… तुम भी मेरे अंदर झड़ो ….. हाअन्न्न्न!"
अपने दोनो हाथों पर उठकर मैं ने भाभी के बदन को खिड़की से आती हुई रोशनी में ठीक से देखा. मेरा लौदा चूत के मुँह के थोड़ा अंदर था. भाभी की मस्त चुचियाँ, उनकी पतली कमर, और उनके नाभि के नीचे उनके झाँत और फूले हुए
चूत की पंखुरियों को देखकर मेरी मस्ती और बढ़ गयी, और अपना रफ़्तार बढ़ते हुए, अब मैं ज़ोर्से लौदा पेलने लगा. एक झटके में चूत के बिल्कुल अंदर तक जाता था, और फिर हाथ के बल कमर को बिल्कुल उठाकर, सूपदे को चूत के मुँह पर ले आता था. बिल्कुल अंदर, बच्चेदनि के मुँह तक, फिर बाहर, चूत के मुँह पर. ज़ोर्से पेलता रहा, चूत तो गीली थी ही, मेरा लौदा पिस्टन की तरह अंदर, बाहर……फिर अंदर, …… फिर बाहर….भाभी चीखने लगी, "आआआआहह ……. हााआअन्न्ननणणन् …. और ज़ोर्से च*डूऊऊ…. हाआंणन्न् ….. इसी तरह ………. चोदते रहो ……..हाआऐययईई दैययय्याआआ ……. बहुत ग़ज़ब के चोदते हो ………….ह्हयाययीयियीयियी ………..चोदो और ज़ोर्साआयययी …..हयाययीयियैयियीयियी रे दैययय्याआअ!"
मुझे लगने लगा कि अब कुच्छ देर में मैं भी झड़ने लगूंगा. मेरे लौदे को लगा कि जैसे भाभी फिर चूत को ज़ोर्से सिकुरकर जाकड़ रही हैं. मैं ने मस्ती में रफ़्तार वही रखी, पर सर को नीचे को तरफ घूमकर देखा. मेरा ख्याल सच निकला.
भाभी अपने पेट को ज़ोर्से सिकुर रही थी, और उनकी चूत मेरे लौदे को जाकड़ रही थी. भाभी के अपने चूत पर किस तरह का कंट्रोल था, क्या बताउ! लगा जैसे लौदे को वो मुट्ठी में लेकर निचोड़ने लगी! मैं अपना पेलने की रफ़्तार रखने की कोशिश तो कर रहा था, पर मज़े को सहना मुश्किल हो गया. भाभी की कमर आहिस्ते आहिस्ते घूमती जा रही थी, चूतड़ चक्कर लगा रही थी, और उनकी चूत अपनी सिकास्ती से मेरे लौदा को दबाते जा रही थी. मेरा लौदा अब मेरे काबू में नही रहा! मैं ने एक लंबी आहह भरी, "अहह….. ………….. …… हाआंन्नणणन् ……. भाभी!" और उधर मेरा लौदा झड़ने लगा, फुहारे की तरह, शुरू में रुक रुक कर, फिर ज़ोर्से… भाभी बोली, "म्म्म्मममम…. …..हाआंणन्न्!" मैं उनके चुचि पर मुँह रखे हुए खलाश होता रहा. भाभी अपनी बाँहों में मुझे ज़ोर्से दबा ली, और उसी तरह मेरे लौदे को निचोड़ती रही, मेरे गरम साँस उनके गर्दन पर लग रहे थे. भाभी कुच्छ देर तक मेरे लौदे को उसी तरह चूत से दबाती रही, और उसकी गरमी को काम करती रही. फिर उन्होनेलौदे को चूत में रहते ही एक आखरी झटका दिया अपने कमर से, और मेरे लौदे का चूत के अंदर थिरकना अब रुक गया. भाभी ने अपनी टाँगों को मेरे उपर डालकर मेरे कमर को अपने जांघों से जाकड़ ली, और मुझे में गिरफ़्त में रख ली!
हम दोनो ने गहरी साँस ली. मेरे कान के पास मुँह लाकर उन्होने धीरे से पूचछा, "हाआंन्णणन्?" मैं ने भी कहा, "हाआंणन्न्!" भाभी मुस्कुराती हुई बोली, " बहुत ज़बरदस्त चुदाई कि….तुम ने …….!"
मेरे मुँह से कुच्छ भी नही निकला. मेरी सारी गर्मी को नीतू भाभी ने फिलहाल तो निचोड़ लिया था. "अहह!"
Neetu Bhabhi
Part 2
Mai ne unse poochha, "Aap thaki nahi hain?" Unki saans abhi bhi kuchh phooli hui thi, par unhone meri aankhon mein muskarate huey dekha aur boli, "Abhi sikhana khatam nahi hua hai! Yeh to sirf shuru ka lesson tha! Aur abhi to raat jawan hai…… kyun?" Aur woh mere kandhon par hath jorsay dabaye aur mujhse kaha, " Is baar mai tumko jharna sikhaungi. Tumne mera jharna mehsoos kiya… ..Par jante ho… humdono ke pooore mazaay ke liye tumko bhi achhi tarah se jharna jaroori hai. Jab log jaldibaazi mein karte hain to wey jharte to hain ….par jharne ka asal maza nahi ata… Mai chahti hun ki tum apne loude se ek ek boond mujhe de dena ….haan ….ek ek boond….aur tab jaakar tum sahi matlab mein khalash hogey…. Theek hai?.. Samjhe?…. Ek ek boond nichor legi meri bur!" Maine pehle ke tarah unse hami bhar di, aur unhone apne badan ko seedha harte huey aage kaha, "Mai bahut jaldibazi nahi karungi…. Aur jab tum jharne lagoge tab to mai aur ahiste se karungi, taki mere
bur mei mujhe bhi achhi tarah se mahsoos ho ki tumhara fuhara chalne laga hai… chal raha hai… Theek?" Unhone age samjhaya, " Apni bur mei mai yeh to nahi mehsoos kar paungi ki tumhare kitne boond nikal rahe hain, par har fuhare ke sath
meri bur mein ek garam lahar gehrai mein jata lagega. Samjhe?" Mai unke muskurate chehre ko dekhkar apne aap ko ab to bilkul hi kaboo mei nahi rakh pa raha tha...Par dekhna bhi chahta tha ki Neetu Bhabhi kya sikhane jaa rahi hain. Maine kaha, " Aap jaldi hi mehsoos karengi. Ab shayad mai apne aap ko rok nahi paunga!"
Who meri aankhon mein dekhti hui muskurayi, ek mamtabhari muskurat. "Mazaa ata hai na ?…… Jab louda jharne ke liye taiyar rehta hai, par abhi jhara nahi hota? …… hmmm…us halat mein …..khub mazaa …… ata hai na?"
Maine hami bhar di. Mai ne jorsay ek saans li, aur taiyar hone laga. Sach poochhiye to mai to kab se taiyar tha, bas kisi tarah se apne ko kaboo mein rakha tha. Bhabhi muskurati rahi, unhein to achhi tarah se pata tha ki meri kya halat ho rahi thi.
Unhone apne ghutnon ko theek se jamaya aur mere kandhon ko jamkar pakad liya. Boli, "Ab meri fikar mat karna, samjhe?… Ab tum mazaay lo! Hm … Sirf apne loude ka khyaal karo ……."
"Jee."
Ab who apni chuchi ko mere munh ke upar ragadte huey, mujhe chodne lagi. Woh upar mere supade ke tip tak ayi aur phir ur ke bilkul andar tak chali gayi. Jaldibazi mein nahin, bilkul dhire dhire, paanch ya chheh baar, aur jab laga ki theek angle se
chu*ai ho rahi hai to unhone mujhse kaha. " Ab dekho!…..lo meri bur!" aur unhone meri ankhon mei dekhte huey isi raftar mein thap lagane shuru kiye. Unka nazar mere chehre par se kabhi nahi gaya, aur who meri ankhon mein ankhein dalkar
mere chehre ka bhaav padhti rahi.
Kuchh dhakkon ke baad unhone poochha, " Mazaa aa raha hai?" Mai ne kaha, "Haan" par yeh bhi bataya ki who apni chutad utni upar nahi uthayein. Mera rokna bahut mushqil ho raha tha. Who maan gayi aur aur mere loude ko bur ke gehrai mei lekar ab sirf aadhe loude tak chutad upar uthati. Ek-do baar aisa karne ke baad unhone poochha, "Ab theek hai?" Maine apna sar hilaya. Who boli, "To tumko zyada mazaa ata hai jab mai tumhare loude ko bilkul andar leti hun aur jab uthati hun to sirf adhe loude tak and aur baaki louda bur ke andar" Mai masti mein paagal ho raha tha, aur mai tazzzub karta raha ki Neetu Bhabhi ko is waqt itne araam se sawaal poochhne ki kya zaroorat par gayi hai! Mai to nashe mei pagal tha! Bhabhi ne apna thap phir jari kiya, mere loude ko bur ke bilkul gehrai mein le jakar phir adhe loude tak upar nikalna, aur phir poochha, "Is tarah?" Maine kaha, "Haan", aur aur dhire se hanskar boli, "Theek hai…. Par kahi mera ghutna na jawaab de de!"
Par unke ghutne to kamaal ke the. Mai to bas unke thap dene ke andaz ko dekh raha tha. Kis tarah se unk tangein, unke mansal jhang, unka bilkul sapaat pet aur lacheeli kamar mere loude ka haalat khasta kar rahe the. Kuchh der ke baad, kareeb 15-20
thaap unhone dye the, mera louda behad sakht ho gaya aur mujhe aga ki ab mai khalash hunga. Who mere chehre ko dekhkar samajh gayi thi, aur unhone kaha, "Haannnnn…mere Raja!", aur maine kaha ki ab shayad mai aur nahi rok paaunga,
to unhone "Shhhh …hann… mai mehsoos kar rahi hun". Ab who ruk gayi, aur bur ko mere loude par jorsay dabati rahi. Unka chutad ab bilkul ruk gaya.
Woh boli, "Suno…….thora ruk jao! Tum abhi bhi kuchh soch rahe ho…sabhi khyaalon ko hatao…….. " Main kuchh chaunk gaya aur kaha, "Achha?!" Mera louda unke chut ke andar bilkul baans ki tarah khara tha. Woh boli, "Tumhari aankhein bata rahi hain! Tum thori jaldbaazi kar rahe ho….. tum kareeb ho ….par abhi wahan pahunche nahi …….Kya jaldbaazi hai?……hmmmm…… Araam se mazaay lo…….!" Mujh se nahi
raha gaya, aur mai ne poochha, "Neetu Bhabhi, Aap bhi gazab ki hain! …Aapko kaise pata chala ki mai abhi tak wahan pahuncha nahi?" Mujhe sach mein lag raha tha ki ab kisi bhi waqt mera louda fuhara khol dega. Bhabhi muskarati hui boli, "Tazurbe se
kah rahi hun, mere bhole Raja!…… Tumhari aankhon mei saaf hai……Thora ruko……Araam se mazaay lo!"
Who mere chehre ko dekhti rahi, ankh mein aankh milakar, jaise mujhe aur mere loude ki test le rahi ho. Phir mere gaal ko sehlate huey, woh mere mathe par pyaar se choomne lagi, aur phir meri taraf dekhte huey kaha, "Theek se mazzay karo… araam se….ahiste ahiste…. Hum wahan araam se pahunch jayenge …….Koi jaldbazi nahi!" Woh apne sar ko ab uthakar, apni peeth ko phir seedha kar, chuchiyon ko masti se upar uthakar, meri taraf dekhi aur muskurakar poochhi, `Taiyar ho?!!"
Mai ne sar hilakar "Haan" kaha.
"Phir aa jao, mere Raja!" Unhone apne chutad ko upar uthaya, phir neeche kiya. Phir upar. "Dekho ….ahiste se..ahiste." Phir neeche. Meri taraf dekhti rahi. "Suno, meri taraf dekhte raho….meri ankhon mein!" Ab unki kamar ek naye andaz mein lachakne lagi, bahut hi dhire, par chakki ki tarah. Who mujhe samjhati rahi, " Chu*ai ka maza sirf bur mein lu*d dalne mein nahi hai….. hmmm … Woh aur bahut kuchh hai! ….. Kahte hain ki sambhog hi samadhi bhi hai…..hannn…. Is mazaay mein hamein woh ehsaas hota hai jo hum aur kisi bhi tarah se nahi jaan sakte….mmmm …. Apne jism se door, apne dimmag se door ……hmmmmm. …… meri taraf dekhte raho, meri aankhon mein. ……Tumhari ankhon se mujhe pata lag jayega ki tum abhi bilkul taiyar ho ki nahi……..hmmmmm……..isi tarah"
Unki gili chut mere loude ko chus rahi thi aur woh meri aankhon mei apni ankhein dale huey mujhe chod kya rahi thi, jannat ka nazara dikha rahi thi. Kuchh hi der mein phir se mere loude mein sihran hone lagi aur mere munh se "Arghh" awaaz aane lagi, par Bhabhi ne mujh se kaha, `Meri taraf dekhte raho, mere Raja!….. Chudate huey ankh nahi churate!!" Meri ankhein khul gayi aur who mujhse ankhein milate huey boli, " Ab tum bahut kareeb aa gaye ho ….Mere bur mein tumhare laude ki garmi bata rahi hai……par bilkul taiyar tum abhi bhi nahi ho. Sochna bilkul chhodo …… sirf mazaay lo. …..sirf mere bur kechaal ko mehsoos karo…..haaannnnnnnnn" Woh thori ruki, aur mujhe dekhti rahi, dekhti rahi, aur bur ko aadhe loude tak uthakar, phir ruki, aur tab dhire se chutad neeche karke bur ke bilkul andar mere loude ko le li. Who 2-3 baar phir upar neeche apne chutad ko ghumati rahi, phir usi tarah se aage peechhe, aage peeche, aur tab aadhe loude tak phir uthakar mujhse pyaar se kaha," Sirf mazaay lo…… kuchh bhi socho mat is waqt…….sirf mazaay…. haaannnn!"
Isi tarah Neetu Bhabhi baar baar apni chutad ki chakki chalati rahi, aur mera louda unko bur mein koi garam lohe ki hathoure ki tarah jama raha. Uski sakhti se ab mujhe mujhe aisee pareshani ho rahi thi ki lagta nahi tha ki ab 10 second bhi apne
aapko rok sakunga, par masti aisee thi ki kisi bhi haalat mein apne aapko kaboo mein rakhna hi tha. Who ab ruki, chutad ko mere loude ke supade ke tip tak upar uthaya, aur phire ahiste, ragadte huey mere poore laude ko apni bur mein nigalti gayi. Bolti rahi, " Chu*ai ka mazaa tabhi hai jab aur koi khyaal nahi ho
….haannnn ….koi aur khyaal nahi…….sirf sakht loude ki garmi, sirf bur ki pyaas …..hhmmmm…." Ab who upar uth rahi thi, dhire, bahut dhire se, aur bur sikur rahi thi, mere louda ko jaise kisi bachhe ka hath muthi mein pakad raha ho…pakad lya
ho…aur chhode hi na. " Mai tumhare chehre par masti dekhna chahti hun, …sirf masti…….mazaay ka nasha!"
Unki chut mere loude ko isi tarah se jakde huey rahi, aur who meri ankhon mein dekhti rahi. Unki chut loude ko dabati ja rahi thi, dabati ja rahi thi. Mera hosh ur raha tha, loude ki halat kya bataun, aur mai ne apne kamar ko thore uthane ki koshish ki jis se ki louda unke chu mein kuchh aur andar ja sake, kuchh idhar
udhar ghumey. Unhone mujhe yeh karte dekh, apni chut ko sikurna band kar di, aur dhire se muskurane lagi. Main phir se pehle ki tarah leta raha. Mere ruk jane ke baad ab Neetu Bhabhi ne phir apne chut ko sikurna shuru kiya. Masti ke maare mere
munh se siskari nikal rahi thi…."Oooooohhhhhhh……..mmmmmmmmm". Is baar mai bhi unki ankhon mein usi tarah se dekhne laga jaise who dekhti rahi thi. Woh phir chut ko sikurne lagi, usi tarah se, aur mai ne kaha, "Haaaaaaannnnn," aur who muskurate huey mujhe dekhi. Unke aankhon mein ab kuchh shararat thi. Boli, " Meri taraf dekhte raho!……….aankh nahi moondna!"
Unki chut mere loude ko ragadti rahi, aur dabati rahi. Phir who apni chutad ko uthayi, bilkul mere loude ke supade ke upar tak, aur mere kaan mein phusphusayi," Ab meri taraf dekhte raho, …. mehsoos karo ki meri chut tumhare loude ko kis tarah
mazaay deti hai!" Apne chutad ko ab neeche karne lagi, par bahut hi dhire dhire, aur sath hi kamar ko ghumati rahi, addha ghumaan ek taraf, phir adha ghuman dusri taraf, dhire……dhire. Unka raftar bas aisa tha ki mera louda kaboo mein rah sake, par bas utna hi. Bilkul dhire nahi! Par aise kuchh hi nazuk thap ke baad, unhone dekha hoga ki mai unko chehre par gaur kar raha tha, aur mai samajhne laga ki agar mai isi tarah Bhabhi ko dekhta rahun, sirf unke chut ke kamaal par gaur karta rahun, to apne loude ko kaboo mein na rakhne ka darr apne aap khatam ho jayega. Bas Bhabhi ne 2-3 aur thap diye, aur mujhe laga ki duniya mein aur kuchh bhi nahi, unki aankhein ki sharat aur chamak, aur mere loude ke upar houle-houle nachti hui unki chut! Mai apne chehre par ki muskurat ko chah kar bhi nahi rok sakta tha…Sari duniya mereliye door ja rahi thi….Bas Bhabhi ki aankhein, aur unke chut ke gehrai mein jata aur phir nikalta mera louda.
Ab to masti aisee ki mujh se saha nahi ja raha tha. Abhi tak mai ne itne der tak kabhi bhi apne aap ko kaboo mei nahi rakh paya tha, aisee masti ka to kabhi andaza bhi nahi kiya tha. Ab mujhe samajh mei aane laga ki Neetu Bhabhi muje kya seekhana chahti hain. Unke chut ka har baar loude ke upar aana, aur har baat loude ko bilkul chut ke gehrai tak lena, unka har thap mujhe nashe se jhakjhod deta tha.
Mere honth sookh rahe the. Bilkul sookh gaye the. Hamari ankhein abhi bhi mili thi. Mai ne dhire se kaha, `Bhabhi…..thora ahiste!"
Bhabhi ke bhaunh thore upar uthe, aur unki muskurahat mein ab ek hoor ya apsara ki si madakta thi. Who kuchh ruki, apni kamad ko seedha karte aadhe loude tak chut ko uthaya, mujhe shararat aur pyaar se dekha, aur phir kuchh aur dhire se apni chakki chalane lagi, dhire, ….dhire, …..aur dhire se. Unke chehre par muskurahat bani rahi. Unhone phir apne chutad ko upar uthaya, bilkul supade ke nok tak, nok ko thoda apne chut ke pattiyon se ragad diya, aur phir apne purane raftar se chakki chal padi. Unki ankhein mujhse baatein karti dikhi. Kah rahi thi: "ab samjhe, mazaay kaise kiye jate hain!" Unki chut jab neeche mere loude ke jad tak aati thi to who apne chut se loude ko charo taraf ghumakar ragadti thi, par jab upar uthati to apni chut se loude ko is tarah jakad leti ki mere loude ko khinchti jaye aur chhode hi nahi. Poori gehrai tak loude ko leti thi, phir supade ke nok tak utha leti thi. Meri haalat dekh kar unki muskurahat rukti hi nahi thi. Unki chut mere loude ko nichorti ja rahi thi, aur unki muskurahat, unke aankhon ki sharat, mere dimaag se har khyaal ko nichor kar kahin bahar phek chuki thi. Unka har thap lagta tha ki ek naye tarah ka masti lata tha, har thap mein ek nayapan. Jaise samudra ke beach par har lahar ka apna hi nayapan hota hai, Neetu Bhabhi ke chut mein mera lohey sa tapta hua louda unke chu*ai ke har ek lahar ka nayapan, har ek lahar ki apni khaas masti se jannat ka mazaa le raha tha. Unki raftaar ab kuchh badh gayi, woh mujhe gaur se dekh rahi thi, aur mera louda chut ke andar aur akad gaya, aur laga ki unki aankhon ne mujhe kaha ki who use achhi tarah se mehsoos kar rahi hain….Phir unhone aankhon se hi poochha ki kya mai ab jharne wala hoon.
Mai ne dhire se kaha, "Nahhh….abhi nahi!"
Unke chehre par khilkar hansi aa gai, chu*ai mei ladkiyon ki apni khaas, shararati hansi, and woh khushi se boli, "Haannn!" Ab mujhe samaj mei aane laga ki yeh bhi bahut zaroori seekh Neetu Bhabhi ne abhi dee hai ki chu*ai mein baatein aankhon
se hi hoti hain …..Chu*ai ka asli mazaa tabhi hai jab ankh mein ankh bilkul leen ho jaye! Sab se badi baat to yeh ki duniya ke sabhi khyaal chhodkar mazaay ko pehchane, usko samajhe, usko araam se mehsoos karna seekhein. Unke chut ke gehrai mein giraft mera louda phie ek baar jorsay thirakne laga. Neetu Bhabhi meri aankhon mein dekhkar muskurane lagi, aur ishare se bataya ki theek hai, woh samajh rahi hain ki meri masti kis level par pahunch rahi hai. Ab humdono ek dusre ke aankhon se hi baatein kar rahe the, ek dusre ko bilkul achhi tarah se samajh
rahe the. Do jism, par aisee masti ki chu*ai mei dono ek hote ja rahe the!
Mera louda phir kaboo ke bahar hone laga. Aisa lagne laga ki ab aur nahi rok paaunga apne aap ko. Phir bhi mai ne koshish ki, apne munh ko sakhti se band kiya, daant par daanth bithaya, aur Bhabhi ke kamar ko jorsay pakadne ki koshish ki. Bhabhi ne mujhe apne aapko jharne se rokte hua dekhkar, phir apni madak andaaz mei muskurayi, aur unki aankhein mei unki samajhdari, nasha aur thora thora chhinalpan ki mili-juli nazar mujhe to ek dusri duniya mein le ja rahi thi. Mera gardan kada ho raha tha, aur jab Bhabhi ko yeh ehsaas ho gaya ki mai bhi itni asani se haar nahi mannewala hun, to unki aankhein chamakne lagi, aur ab humdono apne alag alag pyaas ko chhodkar agey badh chuke the….Hamari pyaas ab ek ho gayi thi. Mere chehre par bhi ab ek chodu ki muskurat thi, jaise koi pehalwan kushti ke muqable mein dusre ko chunauti de raha ho, " Aa jao…,. Dekhein ki kitni taqat hai tum mein."
Mai ne ab apne pet ko satka kar bilkul andar kar liya, saans rok li, aur pet ko usi tarah satkaye rakha: mera louda aur bhi kadak gaya chut ke andar, lohaar ke hathoure ki tarah garam aur sakht, aur jaise hi Neetu Bhabhi ne mehsoos kiya ki mera louda akadne laga hai, par abhi bhi kaboo mein hai, unki muskurahat hansi mei badal gayi. Kamre mein to andhera tha, par us chandni raat ki roshni mein, unke dant khil rahe the. Chuchiyon par jhoolta hua unka "mangalsutra" chamak raha tha. Ab unki chut achhe raftar mein chakki chalate ja rahi thi, upar se neeche, neeche se upar, aur mere munh se "Ahhhhhhhh," sirf aahein. Kuchh muskurate huey, kuchh shararati andaaz mein, ab unhone poochha, "Kyun…. Ab mazaa aa raha hai? …hm?"
"Haaaaannnn… ……!!!!!….hmmmmm…….aur Aapko?!!!"
"Haaaannnn….. ….. poochho mat!!! ………… asli chu*ai ka maza!!!….. hmmmmm!"
Is lamhe mei laga ki waqai hum dono ek ho gaye hain, hamare badan jude hue the, hamari khwahish ek thi, ek hi pyaas. Hamare aankhon mein ek hi chah thi! Neetu Bhabhi ne ab apne munh mein danton ko kada kar liya aur loude ko chut ke bilkul andar daboch liya, unki janghein mere kamar ko bilkul jakad chuki thi. Unki aankhein bata rahi thi ki unko mehsoos ho raha hai ki jharne se pehle mera louda ab bilkul phool kar taiyar hai, sakht, bilkul akad kar unke bachchedani ke munh par supada
taiyar hai fuhara chhodne ke liye. Mere munh se "Aaarrrghhhhhhhh" ki awaaz nikli aur mera louda jharne laga, aur Bhabhi ki thap ab chakki nahi, bilkul sidhi aur ahiste ho gayi, supade se lekar jad tak, phir jad se supada tak. Mai jhadta gaya, jhadta gaya,….Neetu Bhabhi ki chut bharti gayi, aur Neetu Bhabhi meri taraf muskurate huey apne ras bhari chut se mujhe nichodti rahi, nichodti rahi, baar baar. Lag raha tha jaise mere andar ab ek bhi boond nahi bachegi, Bhabhi ki chut har boond ko nichod kar chhodegi. Meri aankhein band ho gayi thi, mera louda phoola hua to abhi bhi tha, par uski garmi ab Bhabhi ki chut mein kuchh kam hoti ja rahi thi….Bhabhi abhi bhi ahiste se, houle houle usko nichod rahi thi.
"Aaaaaahhhhhhhhhhhhhh…..," bas mai itna hi kah paya. Laga jaise mujh mein ek bhi boond nahi bachi hai, jaise mere badan mein ek haddi nahi, dimaag mein ek bhi khyaal nahi. Bilkul khalash. …..aur Neetu Bhabhi ke sikhaye huey chu*ai ke masti
ka ehsaas!
Us raat mai Neetu Bhabhi ko dekhta raha. Hum ek party se abhi laute the. Raat kaafi ho rahi thi. Bhabhi ke saheli ke ghar ek bachche ke birthday ke mauke par unke jaan-pehchan ke kuchh doston ki party thi. Kuchh akele mard, kuchh akeli auratein, aur kuchh couples. Sabhi koi ache naukriyon mein the. Bhabhi ne un sabhi logon se mera parichay karaya. Un logon se milkar mujhe bahut khushi hui. Aur wey log
bhi mujhse bahut pyaar se miley.
Party se lautne ke baad Bhabhi apne kapde utar rahi thi. Apni khubsurat reshmee saree ko unhone utar kar theek se almari mein rakha. Phir apne reshmi blouse ko. Ab woh sirf apni bra aur petticoat mei. Party wala make-up, behad sundar jora, man
ko bilkul mohne wali tika, lipstick, aur beli ke mala ke sath bandha hua jooda.
Mera louda kasak raha tha. Mai ne kapde pehle hi utar liye the, aur sirf apne underwear mei tha. Party mei 6-7 bahut khubsurat auratein thi, aur Bhabhi ki ek saheli to mujhe bahut hi namkeen lagi thi, par un saree auraton mein meri Neetu Bhabhi kisi se kam nahi lagi. Bhabhi abhi party ki baat kar rahi thi. Ab apni achhi wali lace bra ke hooks ko apne hath peechhe kar ke khol rahi thi. Jaise hi hooks khule, unki masti bhari chuchiyan azaad hokar khilne lagi, aur ab mai apne aapko kaboo mei nahi rakh saka. Kamre mein sirf bedside lamp jal rahi thi, mai ne jakar
usko band kar di, aur sirf khidkiyon se aati roshni mein unko dekhta raha.
Bhabhi achanak light band ho jane kuchh chaunki, par tab tak mai unki chuchiyon ke paas apne munh ko neecha karke ek nipple ko munh mei lekar chatne laga. Dusra nipple mere hath mein, usko sehla raha tha, dhire dhire masal raha tha. Dono nipples ko mai bari bari chusne laga.
Bhabhi hanste huey boli, "Achha?!! …… lagta hai ki party mein tumko khub mazaa aaya ……. khub garam ho gaye ……… kyun?" Woh apni chuchi ko thora uthakar mere munh mein de rahi thi, aur main dhire dhire, pyaar se chus raha tha. Mai ne sar
uthakar unke chhati aur gardan aur kandhon par chumne laga, aur apne hathon mein unki chuchiyon ko dabata raha. Bhabhi bhi aahein bharne lagi, par mai to unke surahidar gardan ko har jagah chumta raha, chatte raha. Unke badan ki apni khusboo, aur uske upar chandan ki khubsurat itr ki khusboo se mai masti mei aa raha tha. Mai ne unki taraf dekha aur phir chumne laga, is baar unke kaan ko. Bhabhi khilkhilati hui boli, " Hmmm ……. waahhhhh ……. bahut achhi tarah se chum rahe ho …… … lagta hai waqai tum bahut garam ho gaye……. Kyun?!" Bhabhi
ki aankhon mein phir wohi sharat wali muskurahat.
Mai ne unke khandon se pakde huey unko bistar par lita diya. Unke pair neeche pharsh ko chhoo rahe the. Unhone ne apne pair phailaye rakhe, aur muskurati rahi. Maine unpne underwear utare, aur unke petticoat ko upar kheenchkar kamar ke paas
lapet kar chhod diya. Mera louda khada ho raha tha, par abhi uski sakhti bahut badhne wali thi. Unke tangon ke beech mai ghutnon par baith gaya. Ab Bhabhi apne ghutnon ko upar uthakar apni chut ko khol diya. Mai ne gardan jhuka kar apna
munh unke chut par rakh diya, ungliyon se unke chut ko pyaar se khola, aur munh mein kuchh thook banate huey, unke chut ke pankhure ko upar se neeche chata, achhi tarah se thook lagate huey, phir neeche se upar, dono pankhurion ko, aur unke dane tak jakar ruka.
Bhabhi ka badan masti se thoda sihar utha, aur who boli, "to aaj tum idhar udhar ki baaton mein bilkul waqt nahi barbad karna chahte ho….. kya? …… bilkul point par aa gaye ….. hnnn?" Mai ne usi tarah unke chut ko chat raha tha, ahiste se, thook ko
jeebh se hi charo taraf malte huey. Chut ke charo taraf jeebh ko ghumata raha, ek baar chut ke kuchh andar, phir chut ke upar, dhire dhire chut ka swaad leta raha. Bhabhi apni "aahhh", "mmmm", "oooohhhhh" se bata rahi thi mere chatne ka unpar
asar ho raha tha.
Pata nahi kaise, par shayad meri bhookhi nazarein aur mere chatne aur chusne se Neetu Bhabhi bahut jaldi garam ho gayi. Mai ne sar uthakar dekha to unki khubsurat chut jhanton ke beech phool gayi thi, thook aur apne ras se chamakti hui, apne
phoole huey pattiyon ko aadhi khili hui phool ke tarah. Kuchh hi der ke chusne ke baad unka dana bahar nikal chuka tha, phoolkar taiyar. Bhabhi apne aapko bilkul dheeli chhodkar, ghutnon ko usi tarah uthaye huey, mujhe dekh rahi thi. Mai ne ab
apne jeebh ko kaafi bahar nikalkar, ungliyon se unke chut ko phailaye huey, unke dane par jeebh ke nok ko ghumane laga, chatne laga. Who dhire so, par poori mazaay let hui boli, "Aahhhhh!", aur apne daanton ko kaske band kar li. Unhone
dekha ki meri nazar unke chehre par hai. Unki palkein ab band ho gayi, unkar gardan tan gaya, apni janghon ko unhone aur bhi phaila diya, unki chut aur bhi khul gayi thi, aur mere apne kandhon aur gardan par Bhabhi ke jakadte janghon se mai saaf mehsoos kar tha ki Bhabhi ke mein kitni garmi aa gayi hai. Mai ne ab unke dane ko chatna chhodkar, unke chut ke charo taraf usi tarah se jeebh ko nokila banakar ghumata raha. Upar se neeche nahi, khule huey, phoole huey chut ke bahri patti ke
charo taraf, phir usi tarah se chut ke andar ki pattiyon ke charo taraf, Charo taraf jeebh ke nok se thook malta raha, charo taraf par dane ko nahi!. Isi tarah kuchh der tak jeebh ghumane ke baad, mai ne dekha ki Bhabhi utawli ho rahi hain apne chut ke dane ko chatwane ke liye. Who apne chutad ko uthane ki koshish kar rahi thi ki dana mere jeebh se ragada khaye, par mai bhi unko itni jaldi chhodnewala nahi tha! Charo taraf ghum akar, chat kar, par ab mai ne phir ek baar daane ko jeebh ke nok se chata, dhire dhire, aur phir daane ke charo taraf usi tah se ghumane laga.
Bhabhi ko kuchh rahat mili. Boi, "Ahhhhhh ……..waaahhhhh!"
Ab maine Bhabhi ke chut par apna munh theek se dal diya. Aur unke daane ko usi tarah se chusne laga jaise ki chuchi ke ghundi chuste hain. A pne honthon ko gila karke unko Bhabhi ke phoole huey daane ke upar daalkar daane ko andar le leta, phir jeebh se chat kar uske bahar aa jata. Bhabhi ki janghein ab mere kandhon par kadak hone lagi. Bhabhi ne kuchh ascharya se "Ohhh?!!" kiya, aur unhone apne sar ko dheela chhodkar apni chutad ko ab uthane lagi. Unki saans tej ho gayi. Par mai ruka nahi. Apne honthon ko usi tarah se daane ko pyaar se chat raha tha, uske charo taraf jeebh ghumta raha, ek achhe raftar se. Bhabhi ki chut is tarah mere munh mein ragad rahi thi ki mai uske har bhaag ko ek had tak ragad raha tha. Unki chutad ab kuchh ghumne lagi thi, par mera munh un ke chut se bilkul sata hua, uska dana mere honthon ke beech, mere jeebh ke nok par sata hua. Bhabhi ab jorsay siskari lete huey boli, " Hai Daiyaaaaaa, …………..mmmmhhhh ………….oooohhhhhhh ……kitna mazaay de rahe ho……. Oooohhhhhhhhh!" Mujhe lag gaya ki ab Bhabhi kuchh der mein jhadne lagegi. Unka poora badan siharne laga tha, jaanghein aur bhi khulkar mujhko jorsay jakad li thi, aur who apne kamar ko is tarah ghumane lagi jaise
mere munh ko chod rahi ho. Mai ne chusna jadi rakha, usi tarah, jis se ki raftaar na tute, aur kuchh hi der mein unke saans, unke jangh aur kamar saaf bata rahe the ki woh kaboo se bahar ho rahi hai. Ab woh thahadne wali nahi. Mai ne ek upay socha.
Bhabhi ko masti ke us unchai par laane ke baad, mai ruk gaya. Bilkul ruk gaya. Bhabhi mazaay mein abhi bhi chhatpata rahi thi. Mai utha. Kamre mein aati roshni mei mere louda ka supada chamak raha tha. Mai uthkar Bhabhi ke munh ke paas apne kade lode ko hilaane laga, phir unke gulabi honth par supade ko ragadne laga. Bhabhi ab shararati andaaz se mujhe dekhti hui, meri aankhon mei dekhti hui, poochhi, "Haannn….?!!" Who hath peeche karke apni ek takiya (pillow) ko apne sar ke neeche rakh liya, ji se unke gardan ko kuchh araam mile. Meri taraf muskurte huey unhone apne munh ke andar jeebh ko thook se lepkar mere loude ko ahiste se chatkar gila karne lagi. Who apne munh se baar baar thook banakar nikalti aur phir ppore loude ko chumte huey, us par thook malti ja rahi thi. Phir sare thook ko apni jeebh se pyaar se chatne lagi, poore loude mein male huey thook ko bilkul safaa kar diya unhone jaise chocolate ice cream ke chammach ko hum chatkar ice cream ke har boond ka hum mazaa lete hain. Dekhnewale koi nahi bata sakte ki abhi abhi mera louda thook mein bilkul duboya hua tha. Unhone phir apne munh mein thook banakar mere loude ke supade ko gila kiya aur phir usi tarah se chatna. Munh mei
lekar woh mere loude ko is tarah chat aur chus rahi thi ki who our bhi sakht hota gaya. Mera louda ab behad sakht aur behad garam! Mere munh se awaaz nikalne lagi, Haaannnn …. Bhabhi ….isi tarah …….haaaaannnn!" Meri masti bahut jorsay badhti ja rahi thi, apni hathon ko jorsay mutthi banaye huey, mai ne kaha, "
Haaannn …….chooooso …… haaann …..isi tarah …. chooosoo…..!"
Ab takiye par apne sar ko thoda theek se set karte huey, Bhabhi ne apna munh aage giya, aur mere poore loude ko apne munh mein le li. Munh ki apni garmi aur uspar garam thook, aur sabse badhkar Bhabhi ke kaamaal ki jeebh ! Thook mei duboya mera louda ab Bhabhi ke jeebh mein bilkul lipta hua tha, aur Bhabhi apne munh ko dhire dhire aage peechhe karne lagi. Mere poore loude ko chatti rahi, chusti rahi, aur phir meri chehre par nazar daale huey hi unhone supade ko jorsay chuskar chhod diya. Meri masti ka poochhiye mat! Ab woh sirf supade ko munh mein lekar aapne honth ke andar wale taraf se chat rahi thi. Mera louda thirak raha tha, kabhi upar, kabhi neeche, masti mein choor.
`Hmmmm," woh ahhh bhari. Unke nazar mein phir wohi shararat, meri taraf muskurate huey boli, " Hai…. bahut mazaa aa raha hai …..!"
Mai ne dhire se kaha, " Haaannnn ….. chusiye na …….haannn ….. bahut maza deti hain aap!" Unhone meri taraf gaur se dekha, aur mere loude ko phir se munh mein le li. Unko sar ahiste se age peechhe hota raha, mere loude ko houle houle chuste hueu, thook malte huey, chatte huey. Unka gardan bahur nahi ghum raha tha, bas ek ya 2 inch, par unke honth khulkar apne ulte side se mere supada ko thook mal kar maza de rahe the. Aur sath mein unki jeebh mere supade ke cheed ke neeche
ki tarf dabati rahi, chatti rahi.
Mai ne ek gehri saans li, unki tarf dekhta hua. Phir se ek baar yeh khyaal aya ki Neetu Bhabhi waqai mein loude ko chusti ya chatti nahi hai. Ye to loude ko apne munh se chodti hain, ye to chodne ka poora maza apne honth aur jeebh se hi de deti hain. Woh janti hain ki kis tarah ek aurat ke mun ko bilkul ek pyaari, chusti hui chut banayi ja sakti hai, aur jaldi hi mera supada unke munh ke andar uske upar wale bhag ko thirak kar ragadne laga.
Mai samajh gaya ki agar aise hi chalta raha to mai jaldi hi jhadne lagunga. Mai ne dhire se apne loude ko unke munh se nikal liya, mere loude aur unke honth aur jeebh par male thook ke karan loda nikalte hi "phhhchhh" ki awaaz nikli.
Unki aankhon mein bhokhi nazaron se dekhte huey, mai ab neeche ghisakne laga, apne pair seedhe kiye, aur Bhabhi ke upar letne laga. Bhabhi ke chehre par ek tazzub , par jab mai apne hathon ke bal utha aur apne loude ke supada ko unke chut
ke munh par nishana lagane laga, to unki tazzub khushi mein badal gayi. Unki aahhhein abhi chalti rahi, saansein kuchh phooli hi rahi, aur unki aankhein mujhe yaad dila rahi thi ki abhi bhi woh jhadne ke kareeb hi hain, jhadi nahi. Unki aankhein mujhe yeh bar-bar yaad dilana chah rahi thi. Mera supada unke phoole huey, gili pattiyon ko ragadta raha, aur unki janghein bilkul khul gayi. Unhone apne ko kuchh upar utha diya, aur chutad ko halke se ghumate huey, unke chut ka munh mere supade ko ab choom raha tha, mere supade ko charo taraf ghumate huey ragad raha tha. Mai toda aage khiska. Unki aankhon mein ab chamak aa gayi, and mai ne bhi ek lambe aaaaaahhhhh ke sath apna louda Neetu Bhabhi ke makhmali chut ke gehrai mein ghusedta gaya, bilkul andar tak. Andar pahunchkar, mere supade ne Bhabhi ke chut ke ek khaas jagah ko apna sar uthate huey, kuchh akad kar "namaste" kiya, aur Bhabhi ki chut ne bhi apni sikasti ko aur bhi sinkurte huey jawab mein "namaste" kiye. Mereloude ne ab dhire raftar se hi, par lambe, aur kuchh jordar dhakke lagane shuru kiye. Mai ne apne gaand ko thoda sinkur liya, aur jab louda bilkul andar jata to
Bhabhi aur mere pait bilkul mile hote, par barabar ek raftaar se ab mai Bhabhi ke chut mein louda pelte ja raha tha.
Bhabhi ke chehre par khushi ki chamak thi. Apni aankhon se mujhe uksati hui, who Boli, " Ch*do …mujhe…… jorsay … ch*dooo… isi tarah… haaannnn!"
Bhabhi mere ek-ek dhakke ka jawab apne chutad ko ghuma ghumakar mere laude ke jad tak chut ke munh ko uthakar deti rahi. Mai ne unke chehre ko dekha, unke chut ka kuchh sikurna mehsoos kiya. Maine apnne pet aur gand ko jorsay kasne ki
koshish ki, aur ab dhakke dete huey kuchh aage ki taraf ghisakta raha. I s se har dhakke mein unke chut ke daane ko mera louda ragad deta tha, ghusedte huey bhi aur nikalte huey bhi, aur Neetu Bhabhi ke chehre par muskurahat khilne lagi.
Mai ne sharati andaaz mein poochha, "Kyun?…. jhadnewali hain?"
Bhabhi ne usi muskurahat ke sath jaldi jaldi sar hilaya, unki aankhein mere chehre par tiki rahi, unki saansein waisee hi chadhi rahi. Ab unki aankhein bilkul khul gayi. Aur jaie woh kisi nashe mein hon, enhone apne honth khole aur kuchh kahne ki
koshish ki, par kuchh bhi bol nahi saki. Ek gehri saans lete huey woh apni chut ke gehrai mein mere loude ko jakadi hui thi. Unki aankhon mein sirf chahat, aur wey mere ankhon par tiki rahi. Apne nakhoon se wey mere kandhe ko thodi kharoch rahi thi, aur unke banhon se mere kamar ki jakad bhi kuchh jordar ho rahi thi. Unko mai chodtey raha, par mai ne apne bayein hath ke bal kuchh uthkar apne dahine hath ko Neetu Bhabhi ke kamar ke neeche le jakar, unki patli kamar aur peeth ke beech unko jorsay pakad liya. Meri banhon aur jangh aur loude mein us party ke waqt se hi itni garmi thi Neetu Bhabhi ko bikul hi nahi chhodne ka dil kar raha tha, unke chut aur chuchiyan aur janghon ko bilkul kareeb rakha. Unke jhangh mein thirkan ho rahi thi, aur Mai ne poochha, " Jhadengi ab?…….. jhadengi?!" Unki munh khuli hui thi, aankhon mein chamak, aur who kuchh jawaab to nahi de payi, par unka kamar, unke hath akad gaye! Woh apne daane ko mere louda mei jor jorsay ragadti rahi. Aur ab siskari leti rahi, "aaaahhhhh …….. haaaaaannnnnnn.. ……..mai jhad rahi
hoooonnnn ……haaannn…….. uuuiiiiiiiiii… daiya….re…..ddaaiiyyyyaa……..aaaaaahhhhh … hhaaaaiiii ….. daiya ….. !!!" Mujhe mazaa to bahut aa raha tha, par mai apne aap ko bilkul kaboo mein rakhne ki koshish karta raha. Unka akda hua gardan aur akdi hui kamar dekhkar mai bahut khush tha, Bhabhi waqai mein bahut maay mein thi, aur unko kahta raha, " Aur jhadiye ………. Isi tarah se ……..mujhe bhi bahut mazaa aa raha hai……haaannnnn!" Unki chut ka jakad aur badh gaya tha, aur munh se koi saaf baat nahi, sirf "ooooouuuuiiiiiiiii …….. aaaaaahhhh ………. Daiyyyaaaaaaaaaaaa …….daaiyyya re daiyyyyaaa ………..ooooouuuuuiiiiiii….. !!!!!" Ab mai ne apni chu*ai ki raftaar kuchh kar di, taki Bhabhi ka mazaa kuchh deri tak rahe, par pelta raha bilkul andar tak. Kuchh der mein Bhabhi ka poor badan akad kar kampne laga, jaise unko apne badan par koi kaboo nahi ho. Unki aankhein to khuli thi, par un mein khushi aisee ki who kuchh aur nahi dekh sakti thi. Jab unke gardan ka akdan kuchh kanm hua, to who apne sar ko aage karke mujhe apne banhon mein jorsay bheench li, aur mere kandhe par apne munh ko khol kar dhire dhire daant katne lagi, chumti rahi, unka ek haath mere gaal ko sehlata raha. Bhabhi ne bahut koshish karke mujhse kaha, " Aao tum bhi …… tum bhi mere andar jhado ….. haaannnn!"
Apne dono hathon par ithkar mai ne Bhabhi ke badan ko khidki se aati hui roshni mein theek se dekha. Mera louda chut ke munh ke thoda andar tha. Bhabhi ki mast chuchiyan, unki patli kamat, aur unke nabhi ke neeche unke jhaant aur phoole huey
chut ke pankhuriyon ko dekhkar mari masti aur badh gayi, aur apna raftaar badhate huey, ab mai jorsay louda pelne laga. Ek jhatkay mein chut ke bilkul andar tak jata tha, aur phir hath ke bal kamar ko bilkul uthakar, supade ko chut ke munh par le ata tha. Bilkul andar, bachchedani ke munh tak, phir bahar, chut ke munh par. Jorsay pelta raha, chut to gili thi hi, mera louda piston ki tarah andar, bahar……phir andar, …… phir bahar….Bhabhi cheekhne lagi, "Aaaaaaaahhhh ……. Haaaaaaannnnnnn …. Aur jorsay ch*doooooo…. Haaaannnn ….. isi tarah ………. Chodtey raho ……..haaaaaiiiii daiyyyyaaaaaa ……. bahut gazab ke chodtey ho ………….hhhaaaaiiiiii ………..ch*dooooo aur jorsaaaayyyy …..haaaaiiiiiiii re daiyyyyaaaaa!"
Mujhe lagne laga ki ab kuchh der mein mai bhi jhadne lagunga. Mere loude ko laga ki jaise Bhabhi phir chut ko jorsay sikurkar jakad rahi hain. Mai ne masti mein raftar wahi rakhi, par sar ko neeche ko taraf ghumakar dekha. Mera khyaal sach nikla.
Bhabhi apne pet ko jorsay sikur rahi thi, aur unki chut mere loude ko jakad rahi thi. Bhabhi ke apne chut par kis tarah ka control tha, kya bataun! Laga jaise loude ko who mutthi mein lekar nichodne lagi! Main apna pelne ka raftaar rakhne ki koshish to kar raha tha, par mazaay ko sehna mushkil ho gaya. Bhabhi ki kamar ahiste ahiste ghoomti ja rahi thi, chutad chakkar laga rahi thi, aur unki chut apni sikasti se mere louda ko dabate ja rahi thi. Mera louda ab mere kaboo mein nahi raha! Mai ne ek lambi aahhh bhari, "Ahhhhhhhhhh….. ………….. …… haaannnnnn ……. Bhabhi!" aur udhar mera louda jhadne laga, fuhare ki tarah, shuru mein ruk ruk kar, phir jorsay… Bhabhi boli, "Mmmmmmm…. …..haaannnn!" Mai unke chuchi par munh rakhe huey khalash hota raha. Bhabhi apni banhon mein mujhe jorsay daba li, aur usi tarah mere loude ko nichodti rahi, mere garam saans unke gardan par lag rahe the. Bhabhi kuchh der tak mere loude ko usi tarah chut se dabati rahi, aur uski garami ko kam karti rahi. Phir unhoneloude ko chut mein rahte hi ek aakhri jhatka diya apne kamar se, aur mere loude ka chut ke andar thirana ab ruk gaya. Bhabhi ne apne tangon ko mere upar daalkar mere kamar ko apne janghon se jakad li, aur mujhe mein giraft mein rakh li!
Hum done ne gehri saans li. Mere kan ke paas munh lakar unhone dhire se poochha, "Haaannnnn?" Mai ne bhi kaha, "Haaannnn!" Bhabhi muskurati hui boli, " Bahut zabardast chu*ai ki….tum ne …….!"
Mere munh se kuchh bhi nahi nikla. Meri sari garmi ko Neetu Bhabhi ne philhaal to nichod liya tha. "Ahhhhhhhhhhh!"
आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँहिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया rajsharma ki kahaniya ,रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की सेक्सी कहानियाँ , मराठी सेक्स स्टोरीज , चूत की कहानिया , सेक्स स्लेव्स , Tags = राज शर्मा की कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ Raj sharma stories , kaamuk kahaaniya , rajsharma हिंदी सेक्सी कहानिया चुदाई की कहानियाँ उत्तेजक कहानिया Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,
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