Saturday, June 5, 2010

raj sharma stories नीतू भाभी पार्ट 3

raj sharma stories

नीतू भाभी पार्ट 3


कुच्छ देर तक उसी तरह लेट रहने के बाद, नीतू भाभी मेरे नीचे से हटने की कोशिश करने लगी. मैं उनके उपर से हटकर किनारे हो गया. भाभी बाथरूम जाने के लिए उठी, पर बीच मे रुक कर मुझसे कहते गयी, "ओईइ…… तुम तो इसको बिल्कुल भर दिए हो…. मेरी चूत बहती जा रही है…. " और वो जल्दी से बाथरूम को भागी. शायद हुंदोनो का मिला हुआ रस वाक़ई बहते हुए फर्श पर गिरने लगा हो. बाथरूम का दरवाज़ा खुला ही था, और मैं लेते हुए ही उनके पेशाब करने की आवाज़ सुनता रहा. वो देर तक ज़ोर की रफ़्तार से पेशाब करती रही, फिर ज़ोर्से "ऊऊओह" कह कर कमरे में आई. मेरे बगल में बिल्कुल सटकार भाभी अपना हाथ मेरे लौदे पर फिर रख दिया. अपनी चुचियों को मेरे पीठ में धीरे से रगड़ते हुए, भाभी मुझसे बोली, "बहुत मज़ा आया अभी, …….. बिल्कुल अंदर तक हिला दिया तुमने!" और धीरे धीरे
मेरे लौदे को मूठ मारने लगी. मेरा लौदा फिर से थोरा खड़ा होने लगा. भाभी और मैं दोनो करवट से लेते हुए थे. भाभी अपनी जाँघ को मेरे जांघों के उपर डाल दी थी और मेरे लौदे को कभी दबाती, कभी सरकती.

"क्यूँ, पार्टी अच्छी थी ना? ….. तुम बोर तो नही हुए?"

मैं ने कहा, "नही ……. मुझे तो बहुत मज़ा आया! बहुत आछे लोग थे."

"ह्म्‍म्म …… बहुत गरम होकर लौटे तुम! ….. क्यूँ? …….. मैं भी गरम हो गयी थी …….!"

"जी …. " और मैं ने करवट बदल कर नीतू भाभी के होंठों को अपने मुँह में लेकर उनको चूसने लगा. लौदे पर भाभी के हाथ का जादू मुझे फिर से खूब गरम बना रहा था. आँखों के सामने उस शाम की पार्टी के लोगों की झलक आ जा
रही थी. भाबी और उनके सहेलियों का मज़ाक़, उनके इशारों-इशारों में बातचीत और उनका खिलखिलाना. मैं उन के चुचियों के शेप, उनके चूतड़ के शेप और साइज़ के बारे में ही सोच रहा था, पर भाभी उस पार्टी के माहौल में किसी से भी कम नही लग रही थी. मैं ने भाभी के होंठों को चूस्ते हुए अब उनके दाँतों को अपने ज़ुबान से चाटने लगा, और उसको उनके मुँह में घुसने लगा. भाभी अपनी ज़ुबान मेरे मुँह में डाल रही थी, और मेरे मुँह में चारो तरफ अपनी ज़ुबान फेर रही थी. मैं उनके ज़ुबान को अपनी ज़ुबान में लपेटकर चूस्ता, और फिर वो मेरी ज़ुबान को उसी तरह लपेटकर कभी अपनी तरफ खींचती, तो कभी मेरे मुँह में घुसेड़ती. अपने हाथ से मेरे लौदा को वो उसी तरह तैयार करती रही. सूपड़ा के नीचे, फिर चारो तरफ वो कभी अपने उंगलियों से, कभी अपने नाख़ून से दबाती, मसालती, करोंछती जा रही थी. और हमारे मुँह एक दूसरे के ज़ुबान के खेल में बिल्कुल लीं थे. भाभी नेअपनी ज़ुबान से ढेर सारा थूक मेरे मुँह में डाल दी, और फिर मेरे मून के चारो तरफ, अपनी ज़ुबान घुमा घुमा कर वो मेरे मुँह को चाटने लगी, मेरे ज़ुबान से खेलने लगी, कभी उसको अपनी तरफ खींचती, कभी उसको लपेटकर चारो तफ़ घूमती, और इसी तरह मेरे मुँह का सारा थूक चाट गयी. मैं ने उनके मुँह मे उसी तरह थूक डालकर, उनकी ज़ुबान को चाटने लगा, चूसने लगा, कभी ज़ोर्से, कभी धीरे.

हम दोनो को कोई जल्दिबाज़ी नही थी. एक बार अच्छी तरह से झड़ने के बाद हुंदोनो आराम से मज़ा लेने के मूड में थे. सारी रात जो अपनी थी!

मेरे हाथ अब भाभी के चुचियों पर गये, और उनकी निपल जो कड़क हो गयी थी अब मेरे अंगूठे और उंगलियों के बीच मसलवाने के लिए बेकरार हो रही थी. उसी तरह एक दूसरे के ज़ुबान से चुदाई के धक्के के अंदाज़ में हुंदोनो एक दूसरे के चूस्ते रहे, पर अब मैं उनके चुचि को भी मसलता रहा. मेरे लौदे पर भाभी की पकड़ ओर ज़ोर की हो रही थी, और हमारा चूमना-चूसना जारी रहा. बीच बीच में भाभी सिसकारी लेती, और मुझे भी बढ़ती मस्ती के कारण गहरी साँस लेनी पड़ रही थी. भाभी ने फिर मेरे लौदे को जड़ से सूपदे तक दबाकर देखा, जैसे वो उसकी सख्ती को माप रही हो. मैं अब उनके मुँह से अपनी ज़ुबान निकालकर, उनके होंठों को एक बार ज़ोर्से चुस्कर, उनकी चुचि को मुँह में लेकर चूसने लगा. उनके कड़े हुए घुंडी पर ज़ुबान फेरने लगा, और उसको एक अंगूर की तरह चूसने लगा. भाभी मस्ती में "अहह ……….. हाअन्न्न्न्न्न्न्न' की आहें भरने लगी, पर मेरे लौदे को अपनी मुट्ठी में जकड़े ही रखा.

मैं ने एक हाथ को नीचे की तरफ ले जाकर भाभी के चूत को छ्छू कर देखना चाहा कि उस की क्या हालत है. अभी तक मैं ने उनके चूत पर थोरा भी ख्याल नही दिया था. पर चूत तो बिल्कुल रसिया गयी थी! भाभी हर वक़्त पेशाब करने के बाद चूत को
धोकर तौलिए से पोछ लेती है, पर लगा कि सिर्फ़ चूमने-चाटने और चुचि के मसलवाने से ही चूत बिल्कुल गीली हो गयी. पिछली चुदाई के कारण चूत की पंखुरियाँ तो फूली हुई थी ही. मैं अब अपने हाथों के बल थोरा उठा और भाभी के उपर आने की तैयारी करने लगा, पर भाभी ने कहा, " ह्म्‍म्म ……. एक मिनिट रूको ……ह्म्‍म्म्म …. इस तरह आओ."

भाभी ने अपना सर ड्रेसिंग टेबल के आईने की तरफ घूमकर घोरी बनकर अपने चूतड़ को मेरे सामने कर दिए. उनके चूतड़ की गोलाई देखकर मेरी मस्ती और बढ़ गयी. भाभी के कमर और चूतड़ बहुत ही खूबसूरत थे. वैसे भी छरहरा बदन, पर जब वे बैठती थी, तो उनके चूतड़ का आकर पीछे से देखने वाले को बिल्कुल एक सितार के जैसे लगता होगा. बहुत बड़े चूतड़ नही, सिर्फ़ 34 या 35 इंच के (उन्होने एक दिन मुझे बताया था), पर बेहद चुस्त, और जब वो इस तरह अपने पंजों और घुटनों के बल उकड़ू हुईं तो उनकी चूत बीच में मुस्कुराती हुई बिल्कुल मेरे सामने थी. मैं ने चूतड़ को सहलाया और चूमा. उनकी गांद पर उंगली फेरता रहा. भाभी बोल उठी, "अहह ……. हाआंन्‍ननननणणन्!", और तभी मैं ने अपने हाथों को नीचे से ले जाकर उनकी चुचियों को दोनो हाथ में लेकर मसल्ने लगा,
और साथ साथ उनकी गांद को चूमने और चाटने लगा. गांद और चूत के बीच के जगह को चाट रहा था. और अपनी ज़ुबान को नोकिला बनाकर कभी गांद के छेद पर फेरता तो कभी चूत के थोरा अंदर घुसेड देता. भाभी की सिसकारियाँ अब और बढ़ने
लगी. "आअहह …….. म्‍म्म्मममम …… हेन्न्नन्न्न्न …… इसी तरहह ….. हाअन्न्न्न्न्न्न!" चूत तो रसिया गयी थी, और पिच्छली चुदाई के कारण अभी भी कुच्छ कुच्छ फूली हुई थी, और इस लिए मेरे ज़ुबान को अंदर ले लेती थी, पर भाभी के गांद के छेद पर मैं सिर्फ़ थूक मालता रहा. बीच बीच में उनकी गांद कुच्छ और भी सिकुर जाती. भाभी के मुँह से आवाज़ आती रही, "ऊवू ….. हाआंन्‍णणन् ……" मैं ने एक हाथ को नीचे से चुचि से हटाकर चूतड़ पर लाया, उसको मुँह में लेकर थूक
से गीला करके, भाभी के गांद पर फेरने लगा, और कुच्छ अंदर घेसेदने लगा. भाभी सिसकारी लेती रही, " ऊओह …….. हान्णन्न् …… उंगली डाल दो ……….." मैं ने उंगली को करीबन 1 इंच अंदर डालकर उंसको अंदर बाहर करने लगा. भाभी अब अपनी चूतड़ को घुमाने लगी और मेरे उंगली को अंदर लेती रही. मैं भाभी के चूतड़ चूमता रहा, चाटता रहा. "ऊऊऊः. ….. हाआंन्‍णणन् ……. इसी तरह ……… ज़्यादा अंदर नही …….. " भाभी के चूतड़ घूमने से मुझे फिर लगा कि अब वो तैयार हो रही हैं, और उन्होने कहा भी, " अब आ जाओ …….. आ जाओ ….. अपने जगह पे ………" पर मैं उनको कुच्छ और मस्ती में लाना चाहता था. इस लिए मैं ने उनकी गांद में उंगली करते हुए ही उनको जांघों को थोरा फैलाकर, अब उनकी चूत में अच्छी तरह से ज़ुबान को घुसेदने लगा. भाभी की सिसकारी ज़ोर्से चलने लगी, "आआहह …….. हाआंणन्न् ……… बहुत गीली हो रही हूँ ………… अब आ जाओ …….. और नही ले सकती ………अब आ भी जाओ ……हाआंन्‍णणन्!", पर मैं तो उसी तरह एक छेद में उंगली और
दूसरे छेद में ज़ुबान से उनको चोद्ता रहा. मेरा लौदा तो सख़्त और मस्त था ही, पर मुझे भाभी को तड़पने में बहुत मज़ा आ रहा था. मैं ने ज़ुबान को और भी अंदर डालकर उनके चूत को जमकर चाट रहा था, उनके दाने को भी बार बार चाट लेता था, और सब कुच्छ इस तरह की कोई जल्दबाज़ी नही है. भाभी फिर कराह उठी, "ऊऊहह ………उउउम्म्म्मम …….अब पेलो अपना मूसल जैसा लौदा …….. बहुत गीली हो गयी हूँ ……….आआहह!" पर मुझे तो भाभी को चिढ़ाना था, उनको मस्ती से तड़पाना था. मैं उसी तरह उनकी चूत को चूस्ता रहा, और कुच्छ देर के बाद भाभी बोलने लगी, "ऊऊहह …….. अब अंदर नही आओगे…….. तो मैं ऐसे ही झड़ने… …. लगूंगी ……. हााईयईईई!" यह सुनकर मैं ने चूत चाटने का रफ़्तार कुच्छ कर कुच्छ कम कर दिया और भाभी के चुचियों को फिर से मसालने लगा. चूतड़ को चाटना जारी रखा. भाभी का सर अब बिस्तर था, पे उनका चूतड़ अब घूमता ही नही, मेरे मुँह को धकेल रहा था, पर मैं उनकी चुचि के घुंडीयों को ज़ोर्से मसलता रहा, और उनको तड़प्ते देख कर मज़ा ले रहा था. मैं भाभी को जल्दी नही झड़ने देना चाहता था, पर साथ ही अभी उनको मस्ती के उस हद तक ले जाना चाहता था कि वो झड़नेवाली मस्ती के करीब तो हों, पर झदें नही.

कुच्छ देर के बाद नीतू भाभी अपने आप को काबू में नही रख सकी. मेरे चाटने से उनकी चूत में बहुत खलबली मच गयी, और वो ज़ोर्से सिसकारी लेते हुए अपनी चूतड़ को मेरे मुँह पर ज़ोर्से रगड़ते हुए निढाल सी होती गयी. " ऊऊहह
……दैययय्याआ रे दैयययययाआआअ …….आअहह ………हाऐईयईईईईईईईईईईईई रे ………. दैयय्य्ाआआअ ……… मैं तो गयी …………उउफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ………….हूऊऊऊऊ…… आअहह …………हाआाआअन्न्‍ननननननणणन्!" भाभी ने अपने चूतड़ को बिस्तर गिरा दिया, और सिसकारी लेती ही रही. मैं उसी तरह बिस्तर पर घुटनों के बल बैठे हुए भाभी को देखता रहा. फिर हाँफती रही. मई उनके चूतड़ पर हाथ फेरता रहा, कमर सहलाता रहा. मेरा लौदा सख्ती से बिल्कुल खड़ा था, इस तरह से खड़ा की उसपर
एक बड़े साइज़ के तौलिए को भी आराम से टंगा सकता था.

भाभी कुच्छ सुसताने के बाद मेरी तरफ देखी. और मुस्कुराइ. बोली, "बहुत गीली हो गयी हूँ ……. उफफफफ्फ़ ……… कितने दिनों के बाद इतनी गीली हुई हूँ……..!" मेरे लौदे के तरफ देखकर उनकी आँखें चमकने लगी, "इसको देखो ……… कितना ज़ालिम लौदा है
तुम्हारा! …… हाऐईयइ ……… अभी चखती हूँ इसको मज़ा …………कैसा अकड़ कर खरा है ……… अभी इस बच्चू को बताती हूँ…….." और मेरी तरफ आँखों में आँख डालकर बोली, " अभी तुमको बताती हूँ…….. मैं इतनी जल्दी हारनेवाली नही! ……..
हान्न्न्न्न. ……."

अब भाभी फिर अपने चूतड़ को फिर उठाकर घोरी की तरह अपने मुँह के बैठ गयी, और मुझे इशारा किया कि मैं पीछे से चोदना शुरू करूँ. हम ड्रेसिंग टेबल के बिल्कुल सामने बिस्तर पर थे, और हुंदोनो अपनी चुदाई को आयने में सॉफ सॉफ देख रहे थे. भाभी की नज़र भी मेरी तरह आयने पर थी. मैं ने लौदा को चूत के मुँह पर अच्छी तरह से रगड़ते हुए, चोदना शुरू किया. भाभी की सुरंग वाली चूत में बिल्कुल अंदर ले जाकर, मैं ने अपने गांद को सिकुरकर लौदे को थोरा घुमाने लगा. भाभी की मस्ती इस से खूब बढ़ने लगी, और मेरे लौदे के अंदर घुमाने का जवाब उन्होने अपने चूतड़ को उल्टी तरफ से घूमकर दिया. हम इसी तरह कुच्छ धक्के देते रहे, पर आयने के सामने होने कारण, हुंदोनो की नज़र आयने पर बनी रही. चुदाई हो रही थी, पर हमारा ख्याल आयने पर था. कुच्छ देर तक तो हुमलोगो ने इस तरह चुदाई की, पर वैसा मज़ा नही आ रहा था. भाभी अपने चूतड़ को घुमाना छ्चोड़कर, अपने हाथ को पीछे लाकर मेरे लौदा को पकड़कर रोक लिया, और मुझ से कहा, "ऐसे नही मज़ा आ रहा ……..इधर आओ …….. तुम लेतो!"

मैं सर के नीचे दोनो हाथ लेकर लेट गया, और भाभी अपने टाँगों को फैलाकर मेरे सूपदे के नीचे ठीक से पकड़कर अपनी चूत के दाने को सूपदे से रगड़ती रही. फिर अपने कमर को सीधा करके, अपने चुचियों को थोरा उचकते हुए भाभी मेरे लौदे को अपनी चूत में आहिस्ते आहिस्ते, पर बिना रुके हुए, बिल्कुल गहराई में ले लिया. वो अपनी चूतड़ को थोरा इधर-उधर घुमाई , और फिर अपने सर को नीचे कर के देखी की लौदा बिल्कुल जड़ तक गया है, और अपनी चूतड़ अब चलाने लगी. मैं उनकी कमर पकड़ कर उनके थाप को थोरा सपोर्ट दे रहा था, पर भाभी का खुद का कंट्रोल ज़बरदस्त था. "फच ….फच्छ…" की आवाज़ के साथ उनका थाप चलने लगा. चूत इतनी गीली हो गयी थी हर धक्के के साथ मेरे लौदे के जड़ पर कुच्छ रस लग जाती थी. भाभी एक माहिर चक्की चलाने वाली औरत की तरह मेरे लौदे पर बैठकर अपने चूतड़ की चक्की चलाकर मसाला पीस रही थी. ऐसी पीसने वाली जो बिल्कुल महीन मसाला पीस कर ही खुश हो सकती है! मैं नीचे से उनके थाप का जवाब दे रहा था, हर थाप के बाद अपने कमर को उठाकर, थोरा अपना गांद को सिकुरकर, लौदा को पेलते हुए कुच्छ घुमाता था, और फिर भाभी की जानलेवा चक्की! इस तरह कुच्छ देर तक हुंदोनो एक दूसरे के साथ झूला झूलने के हिलोर देते रहे. पर भाभी फिर ज़ोर्से धक्के देने लगी, और चक्की भी उसी रफ़्तार में. उनकी आवाज़ भी बदल रही थी. मैं ने जब देखा कि भाभी एक बार फिर झड़नेवाली हैं, मैं ने अपने लौदा को इस तरह घुसेड़ना शुरू किया कि वो भाभी के दाने को भी रगड़ता अंदर जाए, और उसी तरह रगड़ते हुए बाहर भी आए. भाभी "हाआअंन्न ….
मैं तो फिर झाड़ रही हूवान्न्न्न.. ……!" कहते हुए मेरे छाती पर सर रखकर निढाल हो कर लेट गयी. उनकी चूत मेरे लौदे को दबा रही थी, और मैं अपने लौदे को उनका मज़ा बढ़ने के लिए चूत के अंदर घुमाता रहा. "हाआंन्न ……. ऊऊहह …. हाआऐ रे दैय्य्याआ …….ऊऊहह! ……. हाआंन्‍नणणन् ……. ऊवूवुउवूवैयीयियी ….. मेरिइईई चूऊऊओट कित्नीईईइ गिलिइीईईई हो रही है.. …..ऊऊओह ……. ह्हयाययीयीयियी रे ….. दैयया ……..ऊऊओह!"

एक गहरी साँस लेकर नीतू भाभी उसी तरह मेरी छाती को पकड़े लेटी रही. पसीना चल रहा था. बाल बिल्कुल खुल गये थे. माथे पर का टीका लिप गया था. साँस फूली हुई थी. पर कुच्छ देर के जी बाद, भाभी एक बाँह के सहारे अपना सर उठाकर
मेरी तरफ देखी, और झूठा गुस्सा दिखाते हुए पूछि," क्यूँ, तुम अपने को बहुत उस्ताद समझने लगे हो? …… मुझे उस तरह से तडपा रहे थे ……कब से मैं झड़ना चाहती थी ….. और तुम …… बार बार ….. मुझे रोक रहे थे ……..उफफफफफफफफफफफ्फ़!"

"आपको अच्छा नही लगा क्या?"

"व्हूऊऊ! …….पागल ……..बहुत मज़ा आया ………बहुत मज़ा करते हो तुम!" वो अपने सर को उठाकर मेरी तरफ देखते हुए बोली. फिर पूछि, " तुम तो नही झाडे हो अभी ना?"

मैं ने सर हिलाकर बताया कि नही.

"मस्ती से झादोगे?"

"हाँ!"

"अच्छा! ……ह्म्‍म्म्मम …….फिर आओ….. अब झड़ना चाहते हो?

मैं उसी तरह लेटा रहा, पर मैं समझ गया कि अब भाभी कुच्छ शोख अंदाज़ में कुच्छ शुरू करनेवाली हैं. वो अपने दोनो हाथ बिस्तर पर जमाए अपनी चूत को मेरे लौदे पर रखकर धीरे धीरे चूतड़ घुमा रही थी.

"बोलो ….."

"जी……."

वो अपनी शोख और शरारतवाली मुस्कुराहट के साथ पूछि, " क्यूँ ……….झड़ना चाहते हो? ……..हुन्ह ……….बोलो! मुझे तो झड़ने नही दे रहे थे …….और तुम खुद झड़ना चाहते हो! …….. हन्‍न्‍नममम ……….बोलो"

" आआहह ……. भाभी…..शायद मैं ……आहह …….समझ नही सका ……. ……..मुझे लगा कि आप को और मज़ा क़राउ!" "हान्णन्न्? ……..तो? …….. भाभी को झड़ने से रोक रहे थे……? …. बोलो!"

" …… इसी लिए …..आअहह ……आपको थोरा रोक रहा था …….आअहह!"

भाभी उपर से तो बहुत कम घूम रही थी, और अभी जोरदार थाप न्ही नही लगा रही, पर अंदर ही अंदर उनकी चूत मेरे लौदा की तरह से दबा रही थी, जैसे चूत के अंदर मेरे लौदा को दूहा जा रहा हो.

`अच्छा ? ……… "थोरा" रोक रहे थे? …… "थोरा" कितना होता है ? . ……अभी बताती हूँ …….तुमको …….!"

भाभी धीरे धीरे चक्की पीसने लगी फिर, पर अभी भी चूत के अंदर लौदे को उसी तरह दबाती रही. मुस्कुराते हुए.

"थोरा…… क्यूँ? "थोरा" कहीं ज़्यादा तो नही हो गया?"

"हो सकता है!"

"अच्छा? …….हो सकता है?" यह कटे हुए भाभी ने अपनी चूत को कुच्छ इस तरह घुमाया कि मेरे पूरा सूपदे, जिसकी सख्ती का अंदाज़ा आप लगा सकते हैं, चूत के जकड़न में बिल्कुल दब गया. कभी सूपड़ा जकड़न में दबाता था, कभी लौदे के जड़ का हिस्सा, कभी बीच का हिस्सा. बहुत कम ही हिलाते हुए, भाभी अपने चूत की कमाल दिखा रही थी. और मैं मस्ती के नशे में पागल हो रहा था!

मेरे मुँह से आवाज़ निकालने लगी, "ऊऊहह!"

"क्यूँ ……..सही जगह जकड़ा?"

"हान्न्न ………….भाभी!"

"ओह्ह्ह ……तब तो ठीक है ………जगह मिल गया मुझे!" वो फिर उसी तरह से चूत को सिंकुरने लगी, और मेरा लौदा मस्ती में फिर अकड़ने लगा अंदर, और मुझे फिर अपने गांद को सिंकुर कर काबू में रखना परा अपने आप को. " क्यूँ? …….लगता है कि अब झड़नेवाले हो? …….ह्म्‍म्म्म?"

`जी…"

`अच्छाा??? ……"

वो फिर अपने केहुनि के सहारे उठकरसर नीचे की तरफ देखा. उनके रस में गीला मेरा लौदा का करीब तीन-चौथाई दिख रहा था, भाभी अपने चूतड़ को उपर उठाई थी. वो अपने चूतड़ को कुच्छ और उठाई, जिस से कि आन सिर्फ़ मेरा सूपड़ा उनके
चूत के अंदर था. उनके चूत का मुँह मेरे सूपदे पर उंगती की तरह बैठा था. भाभी अपनी चूतड़ को उसी जगह, उसी तरह रखी रही, सिर्फ़ मेरे सूपदे को जकड़े हुए. "अभी नहियैयी ….."!

"अच्छाअ? ……..अब बोलो ……"थोरा" रुकोगे?" उसी तरह सिर्फ़ मेरे सूपदे को अब भाभी मद्धम मद्धम रफ़्तार में दबाने लगी. मेरे लौदे में ऐसा महसूस हो रहा था कि भाभी की चूत उसको चूम रही है, चारो तरफ चूस रही है. मैं अब आपने आप को काबू में नही रख सकता था. मैं "आआहह …… भाभिईीईईईईईईईईईईई ……….ऊऊहह'" की सिसकारी लगाने लगा.

भाभी मेरी हालत देख रही थी, पर मेरी मस्ती से वो और भी जोशीला होती जा रही थी. "अभी नहियिइ ……" वो गाने के अंदाज़ में बोलती रही, "अभी नहियीई…." और अपना मुँह मेरे करीब ले आई. फिर वो मेरे लौदे को अंदर लेने लगी, आहिस्ते आहिस्ते. एक
बार में एक इंच से ज़्यादा नही ले रही थी, और हर बार लौदे को एक जकड़न से दबा देती थी. भाभी के कमर का कंट्रोल बहुत ही ज़बरदस्त था, और पूरे लौदे को अंदर लेने के बाद वो एक गहरी साँस ली, और मेरे लौदे के जड़ पर अपने चूत के मुँह को बैठा कर रुकी. हमारे झाँत मिले हुए थे. अब शुरू हुई नीतू भाभी की चक्की फिर से. चूतड़ को घुमाती थी, फिर मेरे चेहरे को देखती कि मेरी क्या हालत हो रही है, और मेरे आँखों में आँखें डाले चूत को अंदर ही अंदर सिकोड कर मेरे लौदे को जाकड़ लेती थी.

मेरा लौदा इन हरकतों से चूत के अंदर ही उचक रहा था, बार बार. मेरा कमर हर बार उपर उठ जाता था.

"अभी झड़ना नही… …." वो फुसफुसकर मुझसे बोली, और फिर थाप देने लगी, मेरे आँखों में मुस्कुराहट के साथ देखते हुए. आहिस्ते से. करीबन दो सेकेंड लगती थी उठने में, और फिर दो सेकेंड बैठने में. "अभी नही झड़ना ….. बहुत मज़ा आ रहा है ……. अभी मज़ा करो! ……. ठीक?"

इसी तरह से करीबन 10 मिनिट तक भाभी मुझको मस्ती करती रही. उनका रफ़्तार बिल्कुल एक जैसा रहा, आंड हर थाप एक जगह से उठाकर बिल्कुल उसी जगह पर पहुँचकर रुकता था. हो सकता है, !0 मियनुट नही, 5 मिनिट ही रहा हो या हो सकता है कि 20 मिनिट तक चला हो. सच पूच्हिए तो मैं होश में था ही नही, मेरे लिए उस वक़्त समय का कोई मतलब नही था. "अभी नहियीईई ……..अभी नहियीईईई ……." भाभी गाते हुए मेरे चेहरे पर उंगली फेर्कर प्यार करती रही. बीच बीच में वो अपने चूतड़ को कुच्छ और नीचे दबा देती थी, और मेरा सूपड़ा उनके बच्चेड़नी के मुँह को छ्छू लेता था, और मैं हर बार मस्ती से सिहर जाता था. मेरे चेहरे को देखते हुए, हर सिहरन पर भाभी की मुस्कुरात और खिल जाती थी.

जब उन्होने देखा की मेरा पूरा बदन अकड़ गया है, वो मेरे चेहरे को चूमने लगी, मेरे आँखों पर, मेरे गर्दन पर, मेरे गाल पर.

"तैयार हो?", उन्होने शरारत से पूचछा.

" जी…." मेरी मस्ती ऐसी थी की मैं अपनी आवाज़ को भी नही पहचान सकता था. लगा जैसे कमरे के किसी और कोने से आवाज़ आई है. मेरे टांग बिल्कुल अकड़ गये थे.

"क्यूँ ….. रस का झोला भर गया है?"

"जी…"

वो उसी तरह थाप देती रही, और मेरे चेहरे को सहला रही थी. उनका चेहरा मेरे मुँह के बिल्कुल पास था.

"बहुत मज़ा आ रहा है………आअहह …….हाअन्न्न्न्न! ……है ना?"

मैं अब कुच्छ नही बोल सका. मेरा बदन इस तरह अकड़ गया था, मेरे लौदे में इस तरह की जलन थी, की मेरे लिए "आहह" कहना भी मुश्क़िल होता. मुझे लगा कि अगर अब मैं जल्दी नही झाड़ा तो पता नही क्या हो जाएगा, शायद मैं पागलों की तरह चिल्लाने ना लगूँ! मेरे मुँह से चीख ना निकलने लगे! पर भाभी इस तरह से चक्की चला रही थी कि मैं इसे भी छ्चोड़ना नही चाहता था. किसी तरह से अपने आपको काबू मे रखे रहा, और सोचता रहा कि भाभी भी क्या कमाल की औरत हैं! क्या
मस्ती लेना जानती हैं! क्या मस्ती करना जानती हैं!

यह सब सोचते हुए ही मुझे लगा कि अब मेरा लौदा काबू में नही रहा. मैं झड़ने लगा. एक फुहारा, फिर दूसरा, तीसरा. ज़ोर्से और पूरी गर्मी के साथ.

भाभी बोली, "हन्ंणणन्!"

मैं ने सोचा, " भाभिईीई ……. तुम भी ……ग़ज़ब की चीज़ हो!", और मैं झाड़ता रहा, झाड़ता रहा. भाभी ने फिर से मुझे उकसाया, "हान्णन्न् ……. हान्ंणणन्!"

मेरे मुँह से सिर्फ़ एक लंबी "आआआआहह" निकल सकी.

नीतू भाभी मुस्कुरा रही थी. मेरे कान के पास मुँह लाकर फुसफुसाई, " अब मज़ा लो …..हाआंन्‍णणन् ……..!" अब उनके कमर की रफ़्तार धीमी हुई, फिर रुक सी गयी. मेरे लौदे को उसी तरह चूत में रखे हुए, भाभी मेरा चेहरा सहला रही थी. मैं ने अपने आँखें खोले तो देखा की भाभी की चेहरे पर खुशी की चमक थी.

"अब तुमको मज़ा चखाई ना? ……..क्यूँ? कैसा लगा?"

"ऊऊहह," मेरे मुँह से निकली, और मैं ने अपने मूँछ और होंठ पर से पसीने को पोच्छा.

"बोलो ……. कैसा लगा?"

मैं ने चेहरे पर से बाल हटाए, और गहरे साँस लेता रहा. बोला, "मज़ा आया… खूब मज़ा!"

"कितना मज़ा? …… ठीक से बताओ!"

मैं ने उनकी आँखों में देखते हुए कहा, "क्या बताउ ……. आप तो मज़े से पागल कर रही थी मुझे. ……… मैं तो होश में नही था!"

"ह्म्‍म्म्ममम …..इस में कुच्छ बचा भी है?", पूछ्ते हुए भाभी एक दो बार फिर मेरे लौदे को चूत के अंदर दबाने लगी. "और झदोगे?"

"उफफफफफफफ्फ़ ……." मैं ने कहा, "कुच्छ नही बचा है …….इसकी क्या बात करती हैं …… कहा ना, मेरी जान भी नही बची है …….ऊऊओह!"

"अर्रे ……इतनी मस्ती से झड़ने के बाद कुच्छ मज़ेदार बात करो ….कुच्छ गंदी बातें तो करो!"

"ह्म्‍म्म्मम…"

"कुच्छ तो बोलो," और भाभी ने अपनी चूत को फिर सिनकोड लिया, और लंड का जकड़न बढ़ा दिया.

मैं ने उनके तरफ देखा. वो भी मुझे शोखी के साथ देख रही थी. मैं ने अपने हाथ उठाकर उनके बाल को छुते हुए कहा, " चूस लीजिए ……… अपनी चूत से मेरे लौदे को चूस लीजिए……चलिए!"

"हाँ?"

"हमम्म्मममममम…. एक-एक बूँद निचोड़ लीजिए!"

"अच्छा?"

"हामम्म्ममममम!"

"ऊर्ग्ग्घ्ह्ह्ह…." मैने कहा, "लीजिए और!"

"ह्म्‍म्म्म …… और भी है?"

" अब नही है… एक एक बूँद तो आप निचोड़ ली!"

"सच में? ….. एक भी बूँद नही?"

भाभी अपनी होंठ भींच रही थी. उनकी आँखों मे मस्ती समाई नही जा रही थी, और वो मुझ से कही, " हाऐ ……….. बहुत मज़ा आया!" मैं अपना एक हाथ उठाकर भाभी के गाल को सहलाया, उनके होंठ पर उंगली फेरा.

भाभी ने अपना सर फिर नीचे करके हल्के से कान को काटने लगी, अपनी गीली चूत की पत्तियॉं और दाने को मेरे लौदा के उपर रगदकर मेरे कान में धीरे से बोली, " क्यूँ?…हो सकता है …कि थोरा सा अभी भी बचा हो ……कहीं किसी कोने में!… क्यूँ…. अपने मुँह से चूस कर निकाल लूँ? ………ह्म्‍म्म्मममम? ….बोलो!"
तो दोस्तो कैसी लगी ये देवर भाभी की दास्तान
समाप्त
एंड.


Neetu Bhabhi Part 3


Kuchh der tak usi tarah lete rahne ke baad, Neetu Bhabhi mere neeche se hatne ki koshish karne lagi. Mai unke upar se hatkar kinare ho gaya. Bhabhi bathroom jane ke liye uthi, par beech mei ruk kar mujhse kehte gayi, "Ouiiii…… tum to isko bilkul bhar diye ho…. Meri chut behti ja rahi hai…. " aur who jaldi she bathroom ko bhaagi. Shayad humdono ka mila hua ras waqai bahte hue farsh par girne laga ho. Bathroom ka darwaza khula hi tha, aur mai lete huey hi unke peshaab karne ka awaaz sunta raha. Who der tak jor ki raftaar se pehaab ki, phir jorsay "ooooohhhhhh" kah kar kamre mein ayi. Mere bagal mein bilkul satkar Bhabhi apne hath mere loude par phir rakh di. Apni chuchiyon ko mere peeth mein dhire se ragadte huey, Bhabhi mujhse boli, "Bahut mazaa aya abhi, …….. bilkul andar tak hila diye tum!" aur dhire dhire
mere loude ko muth marne lagi. Mera louda phir se thora khada hone laga. Bhabhi aur mai dono karwat se lete huey the. Bhabhi apni jangh ko mere janghon ke upar dal di thi aur mere loude ko kabhi dabati, kabhi sarkati.

"Kyun, party achhi thi na? ….. tum bored to nahi huey?"

Mai ne kaha, "Nahi ……. Mujhe to bahut mazaa aya! Bahut ache log the."

"Hmmm …… bahut garam hokar laute tum! ….. Kyun? …….. Mai bhi garam ho gayi thi …….!"

"Ji …. " Aur mai ne karwat badal kar Neetu Bhabhi ke honthon ko apne munh mein lekar unko chusne laga. Loude par Bhabhi ke hath ka jadoo mujhe phir se khub garam bana raha tha. Aankhon ke saamne us shaam ki party ke logon ki jhalak aa ja
rahi thi. Bhabi aur unke saheliyon ka mazaq, unke ishaaron-ishaaron mein baatcheet aur unka khilkhilana. Mai un ke chuchiyon ke shape, unke chutad ke shape aur size ke barey mein hi soch raha tha, par Bhabhi us party ke mahoul mein kisi se bhi kam nahi lag rahi thi. Mai ne Bhabhi ke honthon ko chuste huey ab unke danton ko apne zuban se chatne laga, aur usko unke munh mein ghusane laga. Bhabhi apni zuban mere munh mein dal rahi thi, aur mere munh mein charo taraf apni zuban pher rahi thi. Mai unke zuban ko apni zuban mein lapetkar chusta, aur phir who meri zuban ko usi tarah lapetkar kabhi apni taraf kheenchti, to kabhi mere munh mein ghusedti. Apne hath se mere louda ko woh usi tarah taiyar karti rahi. Supada ke neeche, phir charo taraf who kabhi apne ungliyon se, kabhi apne nakhoon se dabati, masalti, karonchti ja rahi thi. Aur hamare munh ek dusre ke zuban ke khel mein bilkul leen the. Bhabhi apne zuban se dher sara thook mere munh mein dal di, aur phir mere mun ke charo taraf, apni zuban ghuma ghuma kar who mere munh ko chatne lagi, mere zuban se khelne lagi, kabhi usko apni taraf khinchti, kabhi usko lapetkar charo taf ghumati, aur isi tarah mere munh ka sara thook chat gayi. Mai ne unke munh mei usi tarah thook dalkar, unki zuban ko chatne laga, chusne laga, kabhi jorsay, kabhi dhire.

Hum dono ko koi jaldibaazi nahi thi. Ek baar achhi tarah se jhadne ke baad humdono araam se mazaay lene ke mood mein the. Sari raat jo apni thi!

Mere hath ab Bhabhi ke chuchiyon par gaye, aur unki nipple jo kadak ho gayi thi ab mere anguthe aur ungliyon ke beech masalwane ke liye bekarar ho rahi thi. Usi tarah ek dusre ke zuban se chu*ai ke dhakke ke andaaz mein humdono ek dusre ke chuste rahe, par ab mai unke chuchi ko bhi masalta raha. Mere loude par Bhabhi ki pakad aur jor ki ho rahi thi, aur hamara chumna-chusna jari raha. Beech beech mein Bhabhi siskari leti, aur mujhe bhi badhti masti ke karan gehri saans leni par rahi thi. Bhabhi ne phir mere loude ko jad se supade tak dabakar dekha, jaise who uski sakhti ko maap rahi ho. Mai ab unke munh se apni zuban nikalkar, unke honthon ko ek baar jorsay chuskar, unki chuchi ko munh mein lekar chusne laga. Unke kade huey ghundi par zuban pherne laga, aur usko ek angur ki tarah chusne laga. Bhabhi masti mein "Ahhhhhh ……….. haaannnnnnnn' ki aahein bharne lagi, par mere loude ko apni mutthi mein jakde hi rakha.

Mai ne ek hath ko neeche ki taraf le jakar Bhabhi ke chut ko chhoo kar dekhna chaha ki us ki kya haalat hai. Abhi tak mai ne unke chut par thora bhi khyaal nahi diya tha. Par chut to bilkul rasiya gayi thi! Bhabhi har waqt peshaab karne ke baad chut ko
dhokar tauliye se pochh leti hai, par laga ki sirf chumne-chatne aur chuchi ke masalwane se hi chut bilkul gili ho gayi. Pichhl chu*ai ke karan chut ki pankhuriyan to phooli hui thee hi. Mai ab apne hathon ke bal thora utha aur Bhabhi ke upar aane ki taiyari karne laga, par Bhabhi ne kaha, " hmmm ……. Ek minute ruko ……hmmmm …. is tarah aao."

Bhabhi ne apna sar dressing table ke aaine ki taraf ghumakar ghori bankar apne chutad ko mere saamne kar di. Unke chutad ka golai dekhkar meri masti aur badh gayi. Bhabhi ke kamar aur chutad bahut hi khubsurat the. Waise bhi charhara badan, par jab wey baithti thi, to unke chutad ka aakar peechhe se dekhne wale ko bilkul ek sitaar ke jaise lagta hoga. Bahut bade chutad nahi, sirf 34 ya 35 inch ke (unhone ek din mujhe bataya tha), par behad chust, aur jab who is tarah apne panjon aur ghutnon ke bal unkru huin to unki chut beech mein muskurati hui bilkul mere saamne thi. Mai ne chutad ko sehlaya aur chuma. Unki gaand par ungli pherta raha. Bhabhi bol uthi, "Ahhhhhhhhhh ……. Haaannnnnnnnn!", aur tabhi mai ne apne hathon ko neeche se le jakar unki chuchiyon ko dono hath mein lekar masalne laga,
aur sath sath unki gaand ko chumne aur chatne laga. Gaand aur chut ke beech ke jagah ko chat raha tha. Aur apni zuban ko nokila banakar kabhi gaand ke chhed par pherta to kabhi chut ke thora andar ghused deta. Bhabhi ki siskariyan ab aur badhne
lagi. "Aaahhhh …….. mmmmmmm …… haaaannnnnnn …… isi tarahhhhh ….. haaannnnnnn!" Chut to rasia gayi thi, aur pichhli chu*ai ke karan abhi bhi kuchh kuchh phooli hui thi, aur is liye mere zuban ko andar le leti thi, par Bhabhi ke gaand ke chhed par mai rirf thook malta raha. Beech beech mein unki gaand kuchh aur bhi sikur jati. Bhabhi ke munh se awaaz aati rahi, "ooooh ….. haaannnnn ……" Mai ne ek hath ko neeche se chuchi se hatakar chutad par laya, usko munh mein lekar thook
se gila karke, Bhabhi ke gaand par pherne laga, aur kuchh andar ghesedne laga. Bhabhi siskari leti rahi, " ooohhhhh …….. haannnn …… ungli daal do ……….." Mai ne ungli ko kareeban 1 inch andar dalkar unsko andar bahar kartne laga. Bhabhi ab apni chutad ko ghumane lagi aur mere ungli ko andar leti rahi. Mai Bhabhi ke chutad chumta raha, chatta raha. "ooooooh. ….. haaannnnn ……. isi tarah ……… zyada andar nahi …….. " Bhabhi ke chutad ghumane se mujhe phir laga ki ab who taiyar ho rahi hain, aur unhone kaha bhi, " Ab aa jao …….. aa jao ….. apne jagah pe ………" par mai unko kuchh aur masti mein lana chahta tha. Is liye mai ne unki gaand mein ungli karte huey hi unko janghon ko thora phailakar, ab unki chut mein achhi tarah se zuban ko ghesdne laga. Bhabhi ki siskari jorsay chalne lagi, "aaaahhhhhhh …….. haaaannnn ……… bahut gili ho rahi hun ………… ab aa jao …….. aur nahi le sakti ………ab aa bhi jao ……haaannnnn!", par mai to usu tarah ek chhed mein ungli aur
dusre chhed mein zuban se unko chodta raha. Mera louda to sakht aur mast tha hi, par mujhe Bhabhi ko tadpane mein bahut mazaa aa raha tha. Mai ne zuban ko aur bhi andar dalkar unke chut ko jamkar chat raha tha, unke daane ko bhi baar baar chat leta tha, aur sab kuchh is tarah ki koi jaldbazi nahi hai. Bhabhi phir karaah uthi, "oooohhhh ………uuummmmm …….ab pelo apna musal jaisa louda …….. bahut gili ho gayi hun ……….aaaahhhhhh!" Par mujhe to Bhabhi ko chidhana tha, unko masti se tadpana tha. Mai usi tarah unki chut ko chusta raha, aur kuchh der ke baad Bhabhi bolne lagi, "oooohhh …….. ab andar nahi aaoge…….. to mai aise hi jhadne… …. Lagungi ……. haaaaiiiiii!" Yeh sunkar mai ne chut chatne ka raftaar kuchh kar kuchh kam kar diya aur Bhabhi ke chuchiyon ko phir se masalne laga. Chutad ko chatna jari rakha. Bhabhi ka sar ab bistar tha, pay unka chutad ab ghumta hi nahi, mere munh ko dhakel raha tha, par mai unki chuchi ke ghundiyon ko jorsay masalta raha, aur unko tadapte dekh kar mazaa le raha tha. Mai Bhabhi ko jaldi nahi jhadne dena chahta tha, par sath hi abhi unko masti ke us had tak le jana chahta tha ki who jhadnewali masti ke kareeb to hon, par jhadein nahi.

Kuchh der ke baad Neetu Bhabhi apne aap ko kaboo mein nahi rakh saki. Mere chatne se unki chut mein bahut khalbali mach gayi, aur who jorsay siskari lete huey apni chutad ko mere munh par jorsay ragadte huey nidhal si hoti gayi. " oooohhhhh
……daiyyyyaaaa re daiyyyyyaaaaaaa …….aaahhhhhhh ………haaaiiiiiiiiiiiiiii re ………. Daiyyyaaaaaaa ……… mai to gayi …………uuffffffffffffff ………….hhhhoooooooooo…… aaahhhhhh …………haaaaaaaaannnnnnnnnnn!" Bhabhi ne apne chutad ko bistar gira diya, aur siskari leti hi rahi. Mai usi tarah bistar par ghutnon ke bal baithe huey Bhabhi ko dekhta raha. Phir haanfti rahi. Mai unke chutad par hath pherta raha, kamar sehlata raha. Mera louda sakhti se bilkul khada tha, is tarah se khada ki uspar
ek bade size ke touliye ko bhi araam se tanga sakta tha.

Bhabhi kuchh sustane ke baad meri taraf dekhi. Aur muskurayi. Boli, "bahut gili ho gayi hun ……. Ufffff ……… kitne dinon ke baad itni gili hui hun……..!" Mere loude ke taraf dekhkar unki aankhein chamakne lagi, "Isko dekho ……… kitna zalim louda hai
tumhara! …… haaaiiii ……… abhi chakhati hun isko mazaa …………kaisa akad kar khara hai ……… abhi is bachchoo ko batati hun…….." aur meri taraf aankhon mein aankh dalkar boli, " Abhi tumko batati hun…….. mai itni jaldi haarnewali nahi! ……..
haannnnn. ……."

Ab Bhabhi phir apne chutad ko phir uthakar ghori ki tarah apne munh ke baith gayi, aur mujhe ishara kiya ki mai peechhe se chodna shuru karoon. Hum dressing table ke bilkul saamne bistar par the, aur humdono apni chu*ai ko aayne mein saaf saaf dekh rahe the. Bhabhi ki nazar bhi mere tarah aayne par thi. Mai ne louda ko chut ke munh par achhi tarah se ragadte huey, chodna shuru kiya. Bhabhi ke surang wali chut mein bilkul andar le jakar, mai ne apne gaand ko sikurkar loude ko thora ghumane laga. Bhabhi ki masti is se khub badhne lagi, aur mere loude ke andar ghumane ka jawab unhone apne chutad ko ulti taraf se ghumakar diya. Hum isi tarah kuchh dhakke dete rahe, par aayne ke saamne hone karan, humdono ki nazar aayne par bani rahi. Chu*ai ho rahi thi, par hamara khyaal aayne par tha. Kuchh der tak to humlogo ne is tarah chu*ai ki, par waisa mazaa nahi aa raha tha. Bhabhi apne chutad ko ghumana chhodkar, apne hath ko peechhe lakar mere louda ko pakadkar rok li, aur mujh se kaha, "Aise nahi mazaa aa raha ……..idhar aao …….. tum leto!"

Mai sar ke neeche dono hath lekar let gaya, aur Bhabhi apne tangon ko phailakar mere supade ke neeche thik se pakadkar apni chut ke daane ko supade se ragadti rahi. Phir apne kamar ko seedha karke, apne chuchiyon ko thora uchkate huey Bhabhi mere loude ko apni chut mein ahiste ahiste, par bina ruke huey, bilkul gehrai mein le li. Woh apni chutad ko thora idhar-udhar ghumayi , aur phir apne sar ko neeche kar ke dekhi ki louda bilkul jad tak gaya hai, aur apni chutad ab chalane lagi. Mai unki kamar pakad kar unke thap ko thora support de raha tha, par Bhabhi ka khud ka control zabardast tha. "phchhh ….phchh…" ki awaaz ke sath unka thaap chalne laga. Chut itni gili ho gayi thi har dhakke ke sath mere loude ke jad par kuchh ras lag jati thi. Bhabhi ek maahir chakki chalane wali aurat ki tarah mere loude par baithkar apne chutad ki chalakar masala pees rahi thi. Aisee peesne wali jo bilkul meheen masala pees kar hi khush ho sakti hai! Mai neeche se unke thaap ka jawab de raha tha, har thap ke baad apne kamar ko uthakar, thora apna gaand ko sikurkar, louda ko pelte huey kuchh ghumata tha, aur phir Bhabhi ki jaanlewa chakki! Is tarah kuchh der tak humdono ek dusre ke sath jhoola jhoolne ke hilor dete rahe. Par Bhabhi phir jorsay dhakke dene lagi, aur chakki bhi usi raftaar mein. Unki awaaz bhi badal rahi thi. Mai ne jab dekha ki Bhabhi ek baar phir jhadnewali hain, ti mai ne apne louda ko is tarah ghusedna shuru kiya ki who Bhabhi ke daane ko bhi ragadta andar jaye, aur usi tarah ragadte huey bahar bhi aye. Bhabhi "haaaaannn ….
mai to phir jhad rahi hooooonnnn.. ……!" kahte huey mere chhati par sar rakhkar nidhal ho kar let gayi. Unki chut mere loude ko daba rahi thi, aur mai apne loude ko unka mazaa badhane ke liye chut ke andar ghumata raha. "haaannn ……. Oooohhhh …. haaaaai re daiyyyaaaa …….oooohhhhh! ……. Haaaannnnnn ……. Oooouuuuuuiiii ….. meriiiiii chooooooot kitniiiiiii giliiiiiii ho rahi hai.. …..ooooohhhhh ……. Hhhaaaaiiiii re ….. daiyya ……..ooooohhhhhhhh!"

Ek gehri saans lekar Neetu Bhabhi usi tarah mere chhati ko pakde leti rahi. Paseena chal raha tha. Baal bilkul khul gaye the. Mathe par ka teeka lip gaya tha. Saans phooli hui thi. Par kuchh der ke ji baad, Bhabhi ek baanh ke sahare apna sar uthakar
meri taraf dekhi, aur jhootha gussa dikhate huey poochhi," kyun, tum apne ko bahut ustad samajhne lage ho? …… mujhe us tarah se tadpa rahe the ……kab se mai jhadna chahti thi ….. aur tum …… baar baar ….. mujhe rok rahe the ……..uffffffffffff!"

"Aapko achha nahi laga kya?"

"Whoooooo! …….pagal ……..bahut mazaa aya ………bahut mazaay karate ho tum!" Who apne sar ko uthakar meri taraf dekhte huey boli. Phir poochhi, " tum to nahi jhade ho abhi na?"

Mai ne sar hilakar bataya ki nahi.

"Masti se jhadoge?"

"Haan!"

"Achha! ……hmmmmm …….phir aao….. ab jhadna chahte ho?

Mai usi tarah leta raha, par mai samajh gaya ki ab Bhabhi kuchh shokh andaaz mein kuchh shuru karnewali hain. Who aone dono hath bistar par jamaye apni chut ko mere loude par rakhkar dhire dhire chutad ghuma rahi thi.

"Bolo ….."

"Ji……."

Who apni shokh aur shararatwali muskurahat ke sath poochhi, " kyun ……….jhadna chahte ho? ……..hunh ……….bolo! mujhe to jhadne nahi de rahey the …….aur tum khud jhadna chahtey ho! …….. hnnnmmm ……….bolo"

" aaaahhhhhh ……. Bhabhi…..shayad mai ……aahhhh …….samajh nahi saka ……. ……..mujhe laga ki aap ko aur mazaay karaun!" "Haannnn? ……..to? …….. Bhabhi ko jhadne se rok rahe the……? …. Bolo!"

" …… isi liye …..aaahhhh ……aapko thora rok raha tha …….aaahhhhh!"

Bhabhi upar se to bahut kam ghum rahi thi, aur abhi jordaar thaap nhi nahi laga rahi, par andar hi andar unki chut mere louda ki tarah se daba rahi thi, jaise chut ke andar mere louda ko dooha ja raha ho.

`Achha ? ……… "thora" rok rahe the? …… "thora" kitna hota hai ? . ……abhi batati hun …….tumko …….!"

Bhabhi dhire dhire chakki peesne lagi phir, par abhi bhi chut ke andar loude ko usi tarah dabati rahi. Muskurate huey.

"Thora…… kyun? "thora" kahin zyada to nahi ho gaya?"

"Ho sakta hai!"

"Achha? …….ho sakta hai?" Yeh kate huey Bhabhi ne apni chut ko kuchh is tarah ghumaya ki mere poora supade, jiski sakhti ka andaza aap laga sakte hain, chut ke jakadan mein bilkul dab gaya. Kabhi supada jakdan mein dabta tha, kabhi loude ke jad ka hissa, kabhi beech ka hissa. Bahut kam hi hilte huey, Bhabhi apne chut ki kamaal dikha rahi thi. Aur mai masti ke nashe mein pagal ho raha tha!

Mere munh se awaaz nikalne lagi, "oooohhhhhhhhh!"

"kyun ……..sahi jagah jakda?"

"haannn ………….Bhabhi!"

"Ohhh ……tab to theek hai ………jagah mil gaya mujhe!" Who phir usi tarah se chut ko sinkurne lagi, aur mera louda masti mein phir akadne laga andar, aur mujhe phir apne gaand ko sinkur kar kaboo mein rakhna para apne aap ko. " Kyun? …….lagta hai ki ab jhadnewale ho? …….hmmmm?"

`Ji…"

`Achhaaaa??? ……"

Who phir apne kehuni ke sahare uthkarsar neeche ki taraf dekha. Unke ras mein gila mera louda ka kareeb teen-chauthai dikh raha tha, Bhabhi apne chutad ko upar uthayi thi. Who apne chutad ko kuchh aur uthayi, jis se ki an sirf mera supada unke
chut ke andar tha. Unke chut ka munh mere supade par ungthi ki tarah baitha tha. Bhabhi apni chutad ko usi jagah, usi tarah rakhi rahi, sirf mere supade ko jakade huey. "Abhi nahiii ….."!

"Achhaaa? ……..ab bolo ……"thora" rukogey?" Usi tarah sirf mere supade ko ab Bhabhi maddham maddham raftaar mein dabane lagi. Mere loude mein aisa mehsoos ho raha tha ki Bhabhi ki chut usko chum rahi hai, charo taraf chus rahi hai. Mai ab aapne aap ko kaboo mein nahi rakh sakta tha. Mai "aaaahhhhhhhhhhhhh …… bhabhiiiiiiiiiiiiiii ……….oooohhhhhhhh'" ki siskari lagane laga.

Bhabhi meri haalat dekh rahi thi, par meri masti se woh aur bhi joshila hoti ja rahi thi. "Abhi nahiiii ……" who gaane ke andaz mein bolti rahi, "abhi nahiiiii…." Aur apna munh mere kareeb le aayi. Phir woh mere loude ko andar lene lagi, ahiste ahiste. Ek
baar mein ek inch se zyada nahi le rahi thi, aur har baar loude ko ek jakdan se daba deti thi. Bhabhi ke kamar ka control bahut hi zabardast tha, aur poore loude ko andar lene ke baad who ek gehri saans li, aur mere loude ke jad par apne chut ke munh ko baitha kar ruki. Hamare jhaant mile huey the. Ab shuru hui Neetu Bhabhi ki chakki phir se. Chutad ko ghumati thi, phir mere chehre ko dekhti ki meri kya halat ho rahi hai, aur mere aankhon mein aankhein dale chut ko andar hi andar sikur kar mere loude ko jakad leti thi.

Mera louda in harkaton se chut ke andar hi uchak raha tha, baar baar. Mera kamar har baar upar uth jata tha.

"Abhi jhadna nahi… …." woh phusphusakar mujhse boli, aur phir thaap dene lagi, mere aankhon mein muskurahat ke sath dekhtey huey. Ahiste se. Kareeban do second lagati thi uthne mein, aur phir do second baithne mein. "Abhi nahi jhadna ….. bahut mazaa aa raha hai ……. abhi mazaay karo! ……. theek?"

Isi tarah se kareeban 10 minute tak Bhabhi mujhko masti karati rahi. Unka raftaar bilkul ek jaisa raha, and har thaap ek jagah se uthakar bilkul usi jagah par pahunchkar rukta tha. Ho sakta hai, !0 miinute nahi, 5 minute hi raha ho ya ho sakta hai ki 20 minute tak chala ho. Sach poochhiye to mai hosh mein tha hi nahi, mere liye us waqt samay ka koi matlab nahi tha. "Abhi nahiiiiii ……..abhi nahiiiiiii ……." Bhabhi gaate huey mere chehre par ungli pherkar pyaar karti rahi. Beech beech mein woh apne chutad ko kuchh aur neeche daba deti thi, aur mera supada unke bachhedani ke munh ko chhoo leta tha, aur main har baar masti se sihar jata tha. Mere chehre ko dekhte huey, har sihran par Bhabhi ki muskurat aur khil jati thi.

Jab unhone dekha ki mera poora badan akad gaya hai, who mere chehre ko chumne lagi, mere aankhon par, mere gardan par, mere gaal par.

"Taiyar ho?", unhone sharat se poochha.

" Ji…." Meri masti aisee thi ki mai apne awaaz ko bhi nahi pehchan sakta tha. Laga jaise kamre ke kisi aur koney se awaaz ayi hai. Mere tang bilkul akad gaye the.

"Kyun ….. ras ka jhola bhar gaya hai?"

"Ji…"

Who usi tarah thaap deti rahi, aur mere chehre ko sehla rahi thi. Unka chehra mere munh ke bilkul paas tha.

"Bahut mazaa aa raha hai………aaahhhhhhh …….haaannnnn! ……hai na?"

Mai ab kuchh nahi bol saka. Mera badan is tarah akad gaya tha, mere loude mein is tarah ki jalan thi, ki mere liye "aahhhhhhh" kahna bhi mushqil hota. Mujhe laga ki agar ab mai jaldi nahi jhada to pata nahi kya ho jayega, shayad mai paagalon ki tarah chillane na lagun! Mere munh se cheekh na nikalne lage! Par Bhabhi is tarah se chakki chala rahi thi ki mai ise bhi chhodna nahi chahta tha. Kisi tarah se apne apko kaboo mei rakhe raha, aur sochta raha ki Bhabhi bhi kya kamaal ki aurat hain! Kya
masti lena janti hain! Kya masti karana janti hain!

Yeh sab sochtey huey hi mujhe laga ki ab mera louda kaboo mein nahi raha. Mai jhadne laga. Ek fuhara, phir dusra, teesra. Jorsay aur poori garmi ke saath.

Bhabhi boli, "Hannnnn!"

Mai ne socha, " Bhabhiiiii ……. tum bhi ……gazab ki cheez ho!", aur mai jhadta raha, jhadta raha. Bhabhi ne phir se mujhe uksaya, "Haannnn ……. Haannnnn!"

Mere munh se sirf ek lambi "aaaaaaaahhhhhhhhhh" nikal saki.

Neetu Bhabhi muskura rahi thi. Mere kaan ke paas munh lakar phusphusayi, " Ab mazaay lo …..haaaannnnn ……..!" Ab unke kamar ki raftar dheemi hui, phir ruk si gayi. Mere loude ko usi tarah chut mein rakhe huey, Bhabhi mera chehra sehla rahi thi. Mai ne apne aankhein kholey to dekha ki Bhabhi ki chehre par khushi ki chamak thi.

"Ab tumko mazaa chakhayi na? ……..kyun? kaisa laga?"

"Oooohhhhhhhh," mere munh se nikali, aur mai ne apne moonch aur honth par se paseene ko pochha.

"Bolo ……. Kaisa laga?"

Mai ne chehre par se baal hataye, aur gehre saans leta raha. Bola, "Mazaa aya… khub mazaa!"

"Kitna mazaa? …… theek se batao!"

Main ne unki aankhon mein dekhte huey kaha, "Kya bataun ……. Aap to mazaay se pagal kar rahi thi mujhe. ……… mai to hosh mein nahi tha!"

"Hmmmmmm …..is mein kuchh bacha bhi hai?", poochhte huey Bhabhi ek do bar phir mere loude ko chut ke andar dabane lagi. "Aur jhadogey?"

"Uffffffff ……." mai ne kaha, "kuchh nahi bacha hai …….iski kya baat karti hain …… kaha na, meri jaan bhi nahi bachi hai …….ooooohhhhhhhhh!"

"Arrey ……itni masti se jhadne ke baad kuchh mazedaar baat karo ….kuchh gandi baatein to karo!"

"Hmmmmm…"

"Kuchh to bolo," aur Bhabhi se apne chut ko phir sinkur liya, aur laude ka jakdan badha diya.

Mai ne unke taraf dekha. Woh bhi mujhe shokhi ke sath dekh rahi thi. Mai ne apne hath uthakar unke baal ko chhute huey kaha, " Chooos lijiye ……… Apni chut se mere loude ko choos lijiye……chaliye!"

"Hannnn?"

"Hannn…. Ek-ek boond nichod lijiye!"

"Achha?"

"Haann!"

"Urggghhhh…." Maine kaha, "lijiye aur!"

"Hmmmm …… aur bhi hai?"

" Ab nahi hai… ek ek boond to aap nichod li!"

"Sach mein? ….. ek bhi boond nahi?"

Bhabhi apni honth bheench rahi thi. Unki aankhon mei masti samayi nahi ja rahi thi, aur who mujh se kahi, " haaai ……….. bahut mazaa aya!" Mai apna ek hath uthakar Bhabhi ke gaal ko sehlaya, unke honth par ungli phera.

Bhabhi ne apna sar phir neeche karke halke se kaan ko katne lagi, apni gili chut ke pattiyon aur daane ko mere louda ke upar ragadkar mere kaan mein dhire se boli, " Kyun?…ho sakta hai …ki thora sa abhi bhi bacha ho ……kahin kisi kone mein!… Kyun…. apne munh se choos kar nikal loon? ………Hmmmmmmm? ….bolo!"


Ends.










आपका दोस्त राज शर्मा
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj




























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